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Misc. Erotica DESI HINDI SHORT SEX STORIES
#39
कहानी : चांदनी रात में भाभी का जिस्म

यह कहानी बताने से पहले मैं आप लोगों को एक बात बता देना चाहता हूं कि मैं बचपन से ही आंटियों, भाभियों, दीदीयों, सड़क पर आने-जाने वाली लड़कियों के जिस्मों को घूरा करता हूं और अपनी आंखों से एक्स-रे का काम लेते हुए कपड़ों के अंदर तक झांकने की कोशिशों में लगा रहता। कपड़ों के ऊपर से बता देता हूं कि किसके स्तन किस आकार के होंगे, किसकी योनि का कटाव कैसा है और किसके नितंब कितने चौड़े हैं।
खैर यह कहानी मेरे घर की है, मेरी एक रिश्तेदार की है, जिन्हें मैं अकसर वासना की नजरों से ताकता था और एक दिन किस्मत मुझ पर मेहरबान हो ही गई। यहां मैं उन्हें भाभी ही कहूंगा। 30-32 साल की भाभी यूं तो थी सांवली मगर उनके जिस्म का कटाव मुझे हमेशा उनकी ओर खींचता था। उनके पतले होंठ, नशीली आंखें, तने हुए स्तन और पतली कमर के नीचे चौड़े नितंब। मैने कई बार कोशिश की कि वे मुझे नोटिस करें। मैं उनसे मजाक-मस्ती करता, बातें करता और सोचता कि कब इस शरीर को बिना कपड़ों के देख पाउंगा। वे मेरी भावनाओं से अनजान और मैं उनके आसपास मंडराया करता।
ये घटना उस रात की है, जिस रात मैने भाभी के जिस्म से जी भरकर खिलवाड़ किया और मेरे लिंग ने रातभर उन्हें सलामी दी। गांव में गर्मियों में खुले में ही सोया जाता। भाभी का घर हमारे घर से लगा हुआ ही है और आंगन तो जुड़े ही हैं। बस हलकी सी दीवार बीच में है, जिसे आसानी से फांदा जा सकता है।
तो हुआ यूं कि मैं एक रात किसी की शादी समारोह से काफी देर से घर लौटा। दरवाजा खटखटाया तो मेरे घर में तो कोई नहीं उठा, कुछ देर बाद उन्हीं भाभी ने अपने घर का दरवाजा खोल दिया। मैने उन्हें देखा वे बेतरतीबी से साड़ी लपेटे खड़ी थी।
मुझसे बोलीं, शीनू… मेरे घर का नाम है यह….
मैने उनकी तरफ देखा, तो वे इशारा करते हुए कह रही थीं, इधर से ही आ जाओ। घर में सब सो रहे हैं।
मै भी बेहिचक उनके दरवाजे की तरफ बढ़ गया। आधी रात का वक्त था, सो चारो तरफ अंधेरा पसरा था। उनके घर के अंदर से लालटेन का प्रकाश बाहर झांक रहा था। उसी हलके प्रकाश में मैने उन्हें देखा तो मन में फिर से हलचल सी होने लगी। वे सोते हुए उठीं थीं और उनकी आंखों में नींद की खुमारी थी। उनके आधे घुंघराले बाल माथे पर लहरा रहे थे और साड़ी उनके ब्लाउज को ढंकने की नाकाम सी कोशिश कर रही थी। उन्हें देखकर कुछ पल के लिए तो मैं सब भूल गया, लेकिन अपनी भावनाओं पर काबू कर लिया।
मैं उनके घर में घुसा। वे दरवाजा बंद कर पीछे-पीछे आ गईं। मैने आंगन के बीच की दीवार फांदी और अपने कमरे की तरफ बढ़ गया। कपड़े बदलकर बाहर निकला तो मैने देखा भाभी अपनी साड़ी उतारकर खूंटी पर टांग चुकी हैं और पेटीकोट और ब्लाउज में ही अपनी खाट की तरफ बढ़ रही हैं। एक पल को मेरी आंखें उनकी नजरों से टकराई। मैं एकदम से झेंप सा गया और नजरें झुका ली। भाभी के चेहरे पर आई हलकी मुस्कान को मैने देख लिया था। मेरा बिस्तर भी आंगन के एक कोने में जहां दीवार है, लगा था। मैं अपने बिस्तर पर लेट गया और भाभी का पेटीकोट और ब्लाउज वाला रूप मेरी आंखों में घूम रहा था।
बिस्तर पर पड़े-पड़े करवटें बदल रहा था। मुझे नींद नहीं आ रही थी। आंखों में भाभी का रूप घूम रहा था और मेरा लिंग निक्कर को तंबू बनाए हुए था। काफी देर तक मैं बिस्तर पर उठा-पटक करता रहा। जब वासना का खुमार सहन से बाहर हो गया तो मैं उठ गया। मैने सोचा बाथरूम में जाकर अपने हाथ से ही लिंग की उत्तेजना को शांत कर लूं। मैं बाथरूम की तरफ बढ़ा ही था कि नजर भाभी की खाट पर गई। भाभी सीधी लेटी हुई थीं और सांसों के साथ स्तनों में स्पंदन हो रहा था। एक लय में उठते और गिरते। हलकी चांदनी में उनका सांवला पेट चमक रहा था। यह देखकर तो मैं जड़ हो गया।
मेरे मन में अचानक ही वासना की इतनी तेज लहर उठी कि मैं अनजाने की दीवार फांदकर उनकी खाट के पास जाकर खड़ा हो गया। उनके स्तनों की थिरकन ज्यादा करीब से देख पा रहा था। उनके चिकने सपाट पेट के निचले हिस्से पर बंधा उनकी पेटीकोट टांगों के जोड़़ पर चिपक सा गया था। उनकी योनि का कटाव भी दिख रहा था। मैं अपने होशो-हवास खो बैठा। मुझे पता नहीं क्या हो गया कि मैं झुका और अपना चेहरा उनके स्तनों के बिल्कुल करीब ले गया। उनके पसीने की मादक गंध मुझे मदहोश कर रही थी।
मैं कुछ देर तो यूं ही उन्हें निहारता रहा। उनकी सांसों की एक जैसी लय से मुझे यकीन हो गया कि वे गहरी नींद में हैं। फिर भी तसल्ली करने के लिए मैने अपनी उंगली उनके एक स्तन से छुआकर देखा। उंगली को हौले से उनके स्तन में चुभाया। उनकी सांसों में कोई अंतर नहीं आया। अपने हाथ को उनके स्तन पर रख दिया और धीरे दबाया। वे वैसी ही सांसे ले रही थीं। उनके पतले होंठों पर हलकी सी मुस्कान थी, जैसे वे कोई सपना देख रही हों। अब मैं तसल्ली के साथ उनकी खाट के पास घुटनों के बल बैठ गया।
मैने अपना एक हाथ उनके स्तन पर वैसे ही रखे रहने दिया और दूसरा हाथ उनके चिकने पेट पर रख दिया। उनकी सांसों की लय से मेरा हाथ भी हरकत कर रहा था। भाभी के चिकने पेट पर हौले से हाथ फिराया। मेरा पूरा शरीर डर और उत्तेजना के मारे कांप रहा था। लिंग इतना ज्यादा तन चुका था कि ऐसा लग रहा था कि टूट जाएगा। मैने उनके चेहरे की तरफ देखा। वे अब भी वैसे ही हलकी सी मुस्कान के साथ सो रही थीं। अब मेरा हाथ पेट से नीचे सरकता हुआ, उनकी टांगों के जोड़ तक जा पहुंचा। वहां पेटीकोट के नीचे उनकी योनि थी। मैने हाथ से हलके से योनि को छुआ। मेरा पूरा शरीर उत्तेजना के मारे झनझना उठा।
उनके शरीर में जरा भी हलचल नहीं हुई। तब मैने अपना पूरा हाथ पेटीकोट के ऊपर से ही उनकी योनि पर रख दिया। मेरा लिंग उत्तेजना के मारे निक्कर फाड़कर निकलने को बेताब था। मैने दूसरा हाथ उनके स्तन से हटाया और लिंग को बाहर निकाल लिया। शिश्न मुंड से चिकनाई फूट रही थी। लिंग को हाथ से कसकर दबा लिया और दूसरे हाथ से उनकी योनि पर हलके से दबाया। मुझे अहसास हो गया कि पेटीकोट के नीचे चड्ढी नहीं पहन रखी थी उन्होंने। इस अहसास ने मेरे अंदर उत्तेजना को और भर दिया। मैने एक बार फिर उनके चेहरे की तरफ देखा। चेहरे के भावों में कोई अंतर नहीं आया था।
मैने घुटनों तक सरक आए पेटीकोट में अपना हाथ डाल दिया। उनकी जांघों को हलके से स्पर्श किया और हाथ बाहर निकाल लिया। मैं बहुत ज्यादा डर रहा था। अगर भाभी जाग जाती और मुझे इस हालत में अपनी खाट के पास देख लेती तो पता नहीं क्या होता। कहते हैं न कि एक बार वासना सिर पर सवार हो जाए तो रिश्ते-नातों, बदनामी का कोई डर नहीं रह जाता। मेरे साथ भी यही हो रहा था। मैने अपना हाथ फिर से उनके पेटीकोट में डाला और उनकी एक जांघ पर रख दिया। इस बार तुरंत नहीं हटाया बल्कि कुछ देर रखा रहने दिया। उंगली से उनकी जांघ को हलके से सहला भी दिया। उनके शरीर में कोई हलचल नहीं हुई।
अब मेरा डर दूर हो रहा था। मेरा दिल ऐसे धड़क रहा था कि मैं खुद आवाज सुन सकता था। मैने हाथ को जांघ पर ही ऊपर की तरफ सरकाया। उनकी जांघ की चिकनाहट पर सरकता हुआ मेरा हाथ ऊपर बढ़ रहा था और फिर मेरी उंगलियों ने उसे स्पर्श किया जिसके लिए बेचेनी चरम पर थी। उनकी योनि से उंगली छू गई और मुझे झटका सा लगा। मेरा लिंग और सख्त हो गया। मैने और जोर से उसे दबा लिया। मैने हाथ को उनकी योनि पर धीरे से रख दिया। उनकी योनि एकदम चिकनी थी। थोड़े से रोएं थे, जैसे कुछ दिन पहले उन्होंने बाल साफ किए होंगे और अब केवल रोएं बचे थे। मैने हाथ उनकी योनि पर वैसे ही रखा रहने दिया। मेरे दिल की धड़कनें अब हथौड़े की तरह मेरी ही कानों में गूंज रही थीं।
मैने अपना हाथ बाहर खींच लिया। थोड़ी देर यूं ही उनकी खाट के पास बैठा रहा। लिंग जोर से दबा रखा था और मैं चाहता था कि इसी समय इसे हिलाकर उत्तेजना निकला दूं, लेकिन अभी तो भाभी की योनि का दीदार करना बाकी था। मेरी धड़कनें और सांसें कुछ सामान्य हुईं तो मैने झुककर भाभी के पेट को चूम लिया। फिर धीरे से चेहरा ऊपर कर उनके स्तन को ब्लाउज के ऊपर से ही चूम लिया। थोड़ा आगे को सरका और अब मेरा चेहरा उनके चेहरे के एकदम करीब था। मैने सांस रोक सी ली थी। उनकी सांसें मुझे चेहरे पर महसूस हो रही थी। मैने एक उंगली उनके पतले सांवले होंठों पर फिराई और फिर झुककर चूम लिया। उनकी सांसों की महक ने मुझे पगला दिया। मैं चाहता था होंठों को उनके होंठ से हटाऊं ही नहीं, लेकिन मैं रिस्क नहीं ले सकता था। इसलिए एक बार चूमकर पीछे हो गया।
मैं नीचे की तरफ सरक आया। अब उनके पेटीकोट को, जो पहले ही घुटनों तक सरक आया था, पकड़कर धीरे से उठाया और ऊपर सरकाने लगा। पेटीकोट आसानी से ऊपर सरक गया और जैसे-जैसे ऊपर हो रहा था, चांद की हलकी रोशनी में पहले उनकी मखमली सांवली जांघें चमकी और फिर नजर आई उनकी तिकोनी, छोटी सी योनि, जिस पर हलके भूरे रोएं चमक रहे थे। मैने पेटीकोट को पेट पर रख दिया और उनकी योनि को ताकने लगा।
भाभी की योनि छोटी सी थी। बीच में हलकी सी रेखा जो टांगों के जोड़ पर नीचे कहीं गुम हो रही थी। इतनी कसी हुई थी कि जैसे कोई कुंवारी योनि हो। मैं उनकी योनि को एकटक निहारता रहा। कांपता हाथ योनि पर रख दिया। उंगली बीच की रेखा पर फिराने लगा। उनकी योनि के एक-एक कटाव को महसूस करने की कोशिश कर रहा था। मेरा चेहरा काफी पहले उनकी योनि के एकदम करीब आ चुका था। योनि से आती पसीने और मूत्र की मादक गंध मुझे बेचेन कर रही थी। मैने चेहरा आगे बढ़ाकर उसे चूम लिया। उफ मेरा लिंग हाथ से बाहर निकला जा रहा था।
मैने अपनी जीभ निकाली और योनि के कटाव पर फिराने लगा। मै उनकी योनि की दरार खोलकर जीभ उसके बीच में फिराना चाहता था, लेकिन भाभी के जाग जाने से डर रहा था। थोड़ी देर योनि पर जीभ फिराता रहा, मुझे उसका वह स्वाद नहीं मिल रहा था, जिसके लिए मैं बेकरार था। भाभी की टांगे फैली होती तो योनि की दरार खुली होती, लेकिन उनकी टांगे एकदम चिपकी थी और योनि के होंठ बंद थे। आखिर मेरे सब्र का पैमाना टूट गया। मैने अपने दोनों हाथों की उंगली से योनि के होंठे थोड़े से खोले और जीभ को बीच में रख दिया। ओहो…. मूत्र और पेशाब का मिला-जुला स्वाद मेरी जीभ पर आ गया। अबकी बार मैने भाभी के शरीर में सिहरन सी महसूस की।
मगर मैं यह सब सोचने की स्थिति में नहीं था। मैने उनकी योनि के होंठों को थोड़ा और खोला, जितना खोल सकता था और जीभ बीच में फिराने लगा। योनि से आ रहा स्वाद मुझे पागल सा कर रहा था। मैने जीभ से चाटना शुरू कर दिया और बस ऐसा लगा कि खेल खत्म…
भाभी के शरीर में हरकत सी हुई और डर के मारे मेरी जान निकल गई। मैं तेजी से पीछे हटा। इस हड़बड़ी में पेटीकोट भी नीचे नहीं कर सका, लेकिन गनीमत है कि समय पर पीछे हो गया था। भाभी कसमसाई और बाईं करवट पर लेट गईं। अब उनके नितंब मेरी तरफ थे और आगे से उनका पेटीकोट उठ चुका था, इसलिए सांवली, मोटी जांघे नजर आ रही थी। मैं काफी देर तक वैसे ही बैठा रहा और फिर धीरे से खाट की तरफ सरका। इस बार मैने भाभी के शरीर को छुआ नहीं। बस उनके पेटीकोट को पीछे की तरफ से भी ऊपर कर दिया। इतनी आहिस्ता से कि उन्हें आभास भी न हो।
उनके नितंब नजर आ रहे थे। उन्होंने टांगे मोड़ रखी थी, इसलिए नितंबों के बीच की दरार थोड़ी खुल सी गई थी। मैने सोचा था कि भाभी के नंगे नितंबों को देखकर अपने लिंग को हाथ से ही हिलाकर उत्तेजना शांत कर लूंगा। भाभी के नितंब खुले तो मेरा मन फिर बेईमान हो गया।
मै कुछ देर इंतजार करता रहा और धीरे से एक हाथ उनके नितंबों पर रख दिया। कुछ देर हाथ को वैसे ही रखा रहने दिया और फिर धीरे-धीरे नितंबों को सहलाने लगा। सच में इतने चौड़े नितंब और चिकनाहट ने मेरे लिंग में आग सी लगा दी। और मैने धीरे से झुककर नितंब को चूम लिया।
तभी मैने महसूस किया कि भाभी के रोएं जैसे खड़े हो गए, लेकिन उनकी सांसों की गति में कोई अंतर नहीं आया तो मैने अपना वहम समझा और फिर से नितंब को चूम लिया। मैं बार-बार उनके नितंबों को चूम रहा था। फिर मैने अपनी जीभ निकाल कर हौले-हौले फिराना शुरू कर दिया। उनके नितंबों के बीच की दरार पर मेरी जीभ घूम रही थी। जीभ को नीचे सरकाते हुए मैं टांगों के जोड़़ तक ले गया। पीछे से उनकी फूली हुई योनि का कुछ भाग नजर आ रहा था। योनि हलकी खुली हुई भी थी। मैने जीभ से योनि को धीरे से चाट लिया।
यह क्या, इस बार वहम नहीं था। मेरा हाथ भाभी के नितंब पर ही था, मैने महसूस कर लिया कि उनके रोएं खड़े हो गए हैं। मैं नहीं जानता था कि भाभी जा रही हैं या सो रही हैं, लेकिन उनकी तरफ से किसी तरह की हरकत न होते देख मेरी हिम्मत खुल गई। मैने योनि को चाटना शुरू किया। उनकी टांग एक दूसरे के ऊपर थी, इसलिए योनि दबी सी थी। योनि से अजीब सा स्वाद आ रहा था और उनकी सांसों की लय में भी बदलाव महसूस किया। मेरी हिम्मत तो खुल ही गई थी।
मैने सोचा अब जो होगा देखा जाएगा और ऊपर वाली टांग को हौले से पकड़कर उठाया और इस तरह से मोड़ते हुए रख दिया कि उनके नितंबों की दरार पूरी तरह से खुल गई। उनकी योनि भी पीछे से साफ नजर आ रही थी। योनि के होंठ पूरी तरह खुल चुके थे। मैने नितंबों के बीच देखा, क्या नजारा था। उनकी गांड का छल्ला और उसके नीचे चिकनी योनि, होंठ खोलकर जैसे मुझे आमंत्रित कर रही थी।
ंमैने नितंबों की दरार के बीच अपनी उंगली से उनकी गांड को सहलाया। कितनी मुलायम थी। मैं झुका और पहले गांड को चूम लिया। फिर जीभ से योनि को चाटने लगा। उनकी योनि से कुछ निकल रहा था, जिसे मैं चाटता जा रहा था। उसका अजीब सा स्वाद मुझे काफी पसंद आ रहा था। मेरा हाथ उनके नितंबों पर चिपका हुआ था। मैं एक उंगली से उनकी गांड को सहला रहा था। कभी मैं योनि को चाटता तो कभी उनकी मुलायव गांड पर अपनी जीभ फिराने लगा। भाभी की सांसे कुछ तेज होती महसूस हुई। मै योनि चाटने में इतना व्यस्त था कि मुझे पता ही नहीं चला कि भाभी कब कसमसाई और करवट बदलने लगी।
मैं अचानक चौंका और दूर हट गया। भाभी भी कसमसाकर सीधी लेट गईं। उन्होंने अपने एक हाथ को आंखों पर रख लिया था। उनका पेटीकोट वैसे ही उठा हुआ था और योनि नजर आ रही थी। इस बार उनकी दोनों टांगे फैली हुई थीं और योनि के दोनों होंठ खुले थे। मै कुछ देर बाद उनके करीब पहुंचा और उनके चेहरे की तरफ देखते हुए उनकी योनि पर हाथ रखा। उनके शरीर में सिहरन सी महसूस की। मैं जान गया था कि वे जाग चुकी हैं और वासना के इस खेल में शामिल भी हो गई हैं।
मैने अपनी जीभ निकाली और दोनों हाथों से उनकी योनि को खोलकर चाटने लगा। इस बार मैं काफी तेजी से उनकी योनि को न सिर्फ चाट रहा था बल्कि उसके बीच वाले हिस्से को होंठों में दबाकर चूस भी रहा था। भाभी की सांसे तेजी से चल रही थीं। मगर वे कुछ बोली नहीं। बस आंखों पर हाथ रखकर सोती रहीं। मैने योनि को जी-भरकर चाटा और फिर मुंह उठाया। उनकी योनि मेरे थूक से गीली हो गई थी।
इसके बाद मैं उठा और अपना लोअर उतार दिया। मेरा लिंग बुरी तरह तन्ना रहा था। अब इसे योनि की गरमी चाहिए थी। मैने भाभी की दोनों टांगों को थोड़ा और फैला दिया और उनके ऊपर लेट गया। अब मेरा लिंग उनकी योनि से टकरा रहा था। भाभी की सांसे और तेज चलने लगी थीं, लेकिन उन्होंने न तो कुछ कहा और न ही आंखों से हाथ हटाया। मैने भी उन्हें कुछ नहीं कहा। अगर वे सोने का नाटक कर रही थीं तो यही सही, मैने सोचा।
इसके बाद मैने अपना लिंग हाथ से पकड़कर उनकी योनि छिद्र पर लगा दिया। उनकी योनि निकलने वाले रस और मेरे थूक से पूरी तरह चिकनी हो चुकी थी। मैने लिंग पर जैसे ही दबाव बढ़ाया वह सरसराता हुआ उनकी योनि में घुस गया। योनि की गर्मी मेरे लिंग पर महसूस हुई तो मेरे मुंह से जोर से सिसकारी सी निकल पड़ी…
ओ…ह…. भा…भी…..
मेरे लिंग ने जैसे ही उनकी योनि में दस्तक दिया उनके कुल्हे अपने आप ऊपर उठ गए, उनके मुंह से निकलने वाली हलकी सी सिसकारी भी मैने सुनी, लेकिन उन्होंने हाथ आंखों से नहीं हटाया। अब मैं उनके ऊपर लेट गया। मैने उनके नर्म, रसीले और सांवले होंठों पर अपने होंठ टिका दिए।
मैं अपने होंठों से उनके होंठ का मधु रस पीने लगा और इधर मेरी कमर लय में आ चुकी थी। कमर हलके-हलके ऊपर-नीचे होने लगी और इसी के साथ लिंग और योनि का वह संगम शुरू हो गया, जिसके लिए मैं लंबे समय से बेताब था। मेरा लिंग उनकी योनि में अंदर-बाहर हो रहा था और इधर मेरी जीभ उनके मुंह में घुसने की कोशिश कर रही थी। आखिर भाभी ने अपने होंठों को हलका सा खोल लिया और मेरी जीभ उनके मुंह में अपना कमाल दिखाने लगी।
उनके मुंह का मीठा रस चूसने लगा और लिंग लगातार उनकी योनि में चोट कर रहा था। अब तो भाभी अपने नितंबों को एक जैसी गति से ऊपर-नीचे हिला रही थीं और मेरे लिंग का स्वागत सा कर रही थीं, लेकिन उन्होंने आंखों से हाथ नहीं हटाया, वैसे ही पड़ी रहीं, खामोशी से। उनकी खामोशी में वासना का ऐसा खुमार था कि मैं पागल सा हुआ जा रहा था।
उनके होंठों का रसपान करने के बाद मैने मुंह उठाया और उनके ब्लाउज के बटन खोल दिए। आखिरी बटन खुलते ही उनके सांवले स्तन फडफ़ड़ा कर आजाद हो गए। मैने पहले तो दोनों हाथों से उन्हें सहलाया और फिर अपना मुंह एक स्तन पर रख दिया। पहले तो बारी-बारी दोनों स्तनों का चूमा और फिर निपल को मुंह में लेकर चुसकने लगा। भाभी के मुंह से फिर हलकी सिसकारी उबल पड़ी।
मैं उनके स्तनों को बारी-बारी चूसते हुए लिंग से उनकी योनि का मर्दन करता रहा, मानो आज मैने ठान लिया था कि भाभी की योनि की आखिरी बूंद तक अपने लिंग से निचोड़ दूंगा। भाभी की योनि में मेरे लिंग का घर्षण तेज होने लगा, मैं जोर-जोर से अपनी कमर को हिलाने लगा। तभी वह पल आ गया जो शायद जीवन में सबसे ज्यादा सुख देता है। मैने महसूस किया कि भाभी की योनि संकुचित होने लगी। उन्होंने टांगे सिकोड़कर मेरे लिंग को अपनी योनि में कस लिया और उसी पल मेरे लिंग ने वीर्य की पिचकारी छोड़ी। भाभी के शरीर में भी ऐंठन सी हुई और योनि को और जोर से कस लिया। मेरे लिंग से वीर्य की आखिरी बूंद तक निचोड़ ली और फिर उन्होंने शरीर ढीला छोड़ दिया।
मै काफी देर उनके ऊपर वैसे ही पड़ा रहा। मेरा लिंग सिकुड़कर उनकी योनि से बाहर निकल चुका था। मै उनके स्तनों पर सिर रखकर लेटा था। मैने सिर उठाया, उनके होंठों को एक बार फिर चूमा, प्यार से। इसके बाद उनके ऊपर से हटकर खाट से उतर आया। मैने न तो उनके ब्लाउज के बटन बंद किए और न ही उनका पेटीकोट नीचे किया।
उन्हें उसी हालत में छोड़कर मैने अपना लोअर चढ़ाया और दीवार कूदकर अपनी खाट पर आकर लेट गया। मेरी नजरें भाभी की खाट की तरफ ही टिकी थीं, कि अब वे क्या करेंगी। काफी देर बाद मैने देखा कि वे लेटे-लेटे ही अपने ब्लाउज के बटन बंद कर रही हैं। इसके बाद उन्होंने पेटीकोट नीचे किया और खाट से उतरकर खड़ी हो गईं। पहले तो उन्होंने मेरी खाट की तरफ देखा। अब मैं सोने का नाटक कर रहा था। आंखों में झिर्री बनाकर सब देख रहा था।
भाभी बाथरूम की तरफ चल दीं। वहां बैठकर पेशाब करने लगीं। उनके पेशाब करने की हलकी आवाज आ रही थी। फिर उन्होंने पानी से योनि धोई और अपनी खाट की तरफ आ गईं। लेटने के पहले मेरी तरफ एक बार फिर देखा। उनके होंठों पर हलकी मुस्कान का आभास मुझे हो गया था। मैं जान गया कि अब भाभी के साथ मेरा वासना का खेल शुरू हो चुका है और अब चाहे जब उनकी योनि की गर्मी मेरे लिंग को शांत करने के लिए हाजिर रहेगी।
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the end
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