04-01-2021, 09:42 AM
कहानी : भाई की औलाद
मेरा नाम सरोज है। मै आपको अपनी आपबीती बताने जा रही हुं। कुछ मैं आप को अपने बारे में बता दू मै शादीशुदा 25 साल की औरत हुं। मेरी शादी 18 साल की उम्र में हो चुकी थी। वैसे तो सब कुछ ठीक ही चल रहा है पर आज से 5 साल पहले मेरे साथ जो कुछ हुआ उसे मै कभी भी भूल ना पा रही हुं और ना ही भूल पाऊंगी।
आप सोच रहे होंगे की क्या हुआ होगा। बात तबकी है जब मै गर्मी के दिनों में अपने मायके गई थी। मेरे मायके में मेरा भाई मेरी भाभी और मेरे पिताजी रहते है। जब मै वहां पर पहुंची तब रात के 9 बज चुके थे। सभी लोग खाना खा चुके थे और सोने की तैयारी कर रहे थे।
मेरी भाभी ने मुझे अपनी साड़ी दी और बोली की तुम नहा धो कर खाना खा लो और मेरे कमरे में आ जाओ तुम्हारे भाई अपने दोस्त के साथ शादी में गए है वो आज रात को नहीं आ पायेंगे क्युंकी अपनी बाईक वो नहीं ले गए है। मै अपनी भाभी के साथ सो गई तभी लाईट चली गई। मेरी भाभी बोली की सरोज छत पर चलते है पर मुझे नींद आ रही थी तो मैं नहीं गई और सो गई।
जब मै गहरी नींद में थी तभी चौक कर मेरी आँख खुल गई मुझे लगा की कोई मेरे बूर में ऊँगली घुसा रहा है। पर अँधेरे में मुझे कुछ दिख नहीं रहा था तभी कोई बोला रानी उठो ना। मेरा दिल धक्क से हो गया। ये मेरे भैया थे बारात से लौट आये थे और दारु के नशे में मुझे भाभी समझ रहे थे और मेरी साड़ी हटा कर मेरे बुर में वैसलिन लगा रहे थे। मेरा चेहरा मारे शरम के लाल हो गया पर मै कुछ नहीं बोल पाइ क्योंकी अब तक वो मेरी साड़ी खींच कर मुझे नंगी कर चुके थे।
मैंने भी अपनी साड़ी खींच कर अपना चेहरा ढांप लिया ताकि लाईट आ जाये तो वो मेरा चेहरा ना देख पाए। तभी उन्होंने अपना लंड मेरी बुर के मुंह पर रख दिया और मेरीे चूची को अपने मूंह मे ले कर चूसने लगे और अपना लंड को मेरी बुर पर रगड़ भी रहे थे। कुछ ही देर में मेरी बुर में पानी आ गया। अब उनका लंड भी थोड़ा अन्दर की तरफ सरक रहा था। तभी उन्होंने मेरी कमर पकड़ी और पूरी ताकत के साथ जोरदार धक्के के साथ अपना पूरा लंड मेरी बुर मे गच्चाक से पेल दिया।
उनका लंड जैसे मेरे गले तक में घुस गया था क्युंकी मारे दर्द के मेरा मुंह खुल गया था पर मै चीख भी नहीं पाई थी। दर्द के मारे मेरा पूरा बदन ऐंठ गया था। उनका लंड मेरे लिए बहुत ही तगड़ा था। अब भी वो मेरी चुन्ची को प़ी रहे थे कुछ देर के बाद मेरा दर्द कम हुआ तो मैंने अपने शरीर को ढीला छोड़ दिया। इतनी बुरी हालत तो मेरी सुहागरात को भी ना हुई थी।
अब मेरे भईया ने मेरी कमर को पकड़ा और मुझे चोदने लगे। उनका लंड मेरी बुर को बुरी तरह से रगड़ रहा था क्युकी मेरी बूर का छेद उनके लंड के हिसाब से काफी पतला था। उनके हर चोट पर मै मन ही मन वाह वाह कर रही थी। तभी मेरी बूर ने पानी छोडना चालू कर दिया मेरे भाई ने अब मेरी टांगे पकड़ी और मेरे सीने से सटा दिया। और जोर जोर से मुझे चोदने लगा अब तो मारे आनन्द के मेरे मुंह से आवाजे निकल रही थी। पूरा कमरा चप्प चप्प हच्च्र की आवाज से गूंज रहा था मै भी आह आह उफ उफ कर रही थी। तभी मै झड़ने लगी आ आ अअ अअ आ ओप ई इ ई उफ ओ ओ ओ ओ ओ ओ ओ ओ ओक ओ की आवाज के साथ म झड गई ।
मेरी बूर की हच्चाक गच्चाक फ्च्चा फच्च की आवाज इतनी थी की मेरी आवाज उस में छुप गई। तभी मेरे भाई का भी लंड ने पानी छोड़ दिया। फिर उन्होंने अँधेरे में ही अपने टावल को लपेटा और बाहर चले गए। मेरी बूर का भोसड़ा बन गया था। उनके वीर्य से मेरी बूर लबालब भर गई थी पर मेरी बुर सूज कर इतनी फूल चुकी थी की कुछ भी बाहर नहीं आ पा रहा था। मैंने भी बुर में रुमाल डाला ताकी भाभी की साड़ी खराब ना होने पाये नहीं तो उन्हें पता चल जाता। फिर साड़ी पहन कर छत पर जा कर सो गई। सुबह किसी को कुछ पता नहीं चला। तीन-चार दिनों तक मेरी बुर में मीठा मिठा दर्द होता रहा। इसके 9 महीने बाद मेरा बेटा पैदा हुआ जो की मेरे भाई की औलाद है।
मेरा नाम सरोज है। मै आपको अपनी आपबीती बताने जा रही हुं। कुछ मैं आप को अपने बारे में बता दू मै शादीशुदा 25 साल की औरत हुं। मेरी शादी 18 साल की उम्र में हो चुकी थी। वैसे तो सब कुछ ठीक ही चल रहा है पर आज से 5 साल पहले मेरे साथ जो कुछ हुआ उसे मै कभी भी भूल ना पा रही हुं और ना ही भूल पाऊंगी।
आप सोच रहे होंगे की क्या हुआ होगा। बात तबकी है जब मै गर्मी के दिनों में अपने मायके गई थी। मेरे मायके में मेरा भाई मेरी भाभी और मेरे पिताजी रहते है। जब मै वहां पर पहुंची तब रात के 9 बज चुके थे। सभी लोग खाना खा चुके थे और सोने की तैयारी कर रहे थे।
मेरी भाभी ने मुझे अपनी साड़ी दी और बोली की तुम नहा धो कर खाना खा लो और मेरे कमरे में आ जाओ तुम्हारे भाई अपने दोस्त के साथ शादी में गए है वो आज रात को नहीं आ पायेंगे क्युंकी अपनी बाईक वो नहीं ले गए है। मै अपनी भाभी के साथ सो गई तभी लाईट चली गई। मेरी भाभी बोली की सरोज छत पर चलते है पर मुझे नींद आ रही थी तो मैं नहीं गई और सो गई।
जब मै गहरी नींद में थी तभी चौक कर मेरी आँख खुल गई मुझे लगा की कोई मेरे बूर में ऊँगली घुसा रहा है। पर अँधेरे में मुझे कुछ दिख नहीं रहा था तभी कोई बोला रानी उठो ना। मेरा दिल धक्क से हो गया। ये मेरे भैया थे बारात से लौट आये थे और दारु के नशे में मुझे भाभी समझ रहे थे और मेरी साड़ी हटा कर मेरे बुर में वैसलिन लगा रहे थे। मेरा चेहरा मारे शरम के लाल हो गया पर मै कुछ नहीं बोल पाइ क्योंकी अब तक वो मेरी साड़ी खींच कर मुझे नंगी कर चुके थे।
मैंने भी अपनी साड़ी खींच कर अपना चेहरा ढांप लिया ताकि लाईट आ जाये तो वो मेरा चेहरा ना देख पाए। तभी उन्होंने अपना लंड मेरी बुर के मुंह पर रख दिया और मेरीे चूची को अपने मूंह मे ले कर चूसने लगे और अपना लंड को मेरी बुर पर रगड़ भी रहे थे। कुछ ही देर में मेरी बुर में पानी आ गया। अब उनका लंड भी थोड़ा अन्दर की तरफ सरक रहा था। तभी उन्होंने मेरी कमर पकड़ी और पूरी ताकत के साथ जोरदार धक्के के साथ अपना पूरा लंड मेरी बुर मे गच्चाक से पेल दिया।
उनका लंड जैसे मेरे गले तक में घुस गया था क्युंकी मारे दर्द के मेरा मुंह खुल गया था पर मै चीख भी नहीं पाई थी। दर्द के मारे मेरा पूरा बदन ऐंठ गया था। उनका लंड मेरे लिए बहुत ही तगड़ा था। अब भी वो मेरी चुन्ची को प़ी रहे थे कुछ देर के बाद मेरा दर्द कम हुआ तो मैंने अपने शरीर को ढीला छोड़ दिया। इतनी बुरी हालत तो मेरी सुहागरात को भी ना हुई थी।
अब मेरे भईया ने मेरी कमर को पकड़ा और मुझे चोदने लगे। उनका लंड मेरी बुर को बुरी तरह से रगड़ रहा था क्युकी मेरी बूर का छेद उनके लंड के हिसाब से काफी पतला था। उनके हर चोट पर मै मन ही मन वाह वाह कर रही थी। तभी मेरी बूर ने पानी छोडना चालू कर दिया मेरे भाई ने अब मेरी टांगे पकड़ी और मेरे सीने से सटा दिया। और जोर जोर से मुझे चोदने लगा अब तो मारे आनन्द के मेरे मुंह से आवाजे निकल रही थी। पूरा कमरा चप्प चप्प हच्च्र की आवाज से गूंज रहा था मै भी आह आह उफ उफ कर रही थी। तभी मै झड़ने लगी आ आ अअ अअ आ ओप ई इ ई उफ ओ ओ ओ ओ ओ ओ ओ ओ ओक ओ की आवाज के साथ म झड गई ।
मेरी बूर की हच्चाक गच्चाक फ्च्चा फच्च की आवाज इतनी थी की मेरी आवाज उस में छुप गई। तभी मेरे भाई का भी लंड ने पानी छोड़ दिया। फिर उन्होंने अँधेरे में ही अपने टावल को लपेटा और बाहर चले गए। मेरी बूर का भोसड़ा बन गया था। उनके वीर्य से मेरी बूर लबालब भर गई थी पर मेरी बुर सूज कर इतनी फूल चुकी थी की कुछ भी बाहर नहीं आ पा रहा था। मैंने भी बुर में रुमाल डाला ताकी भाभी की साड़ी खराब ना होने पाये नहीं तो उन्हें पता चल जाता। फिर साड़ी पहन कर छत पर जा कर सो गई। सुबह किसी को कुछ पता नहीं चला। तीन-चार दिनों तक मेरी बुर में मीठा मिठा दर्द होता रहा। इसके 9 महीने बाद मेरा बेटा पैदा हुआ जो की मेरे भाई की औलाद है।