22-03-2019, 07:13 PM
(This post was last modified: 07-09-2019, 07:32 PM by komaalrani. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
बियर ,... मम्मी की बियर
मैं देख-देख के झड़ गयी।
लेकिन जब वो झड़े, तो एक बार किर मम्मी उनके नीचे दबी हुई थीं।
मम्मी और वो साथ-साथ झड़े।
और कम से कम दो अूँजुरी भर गाढ़ी, थक्केदार मलायी निकली होगी। मम्मी की कुंइया एकदम ऊपर तक भरी छलछला रही थी ,
अपने दामाद के वीर्य से लबरेज़ , कुछ तो छलक कर , बहते हुए ,... उनकी गोरी मांसल जाँघों पर भी ,
थोड़ी देर तक वो दोनों अखाड़े थके पहलवानो की तरह पड़े रहे, फिर मम्मी ने मुझे देखा, और इनसे इशारा किया की वो बगल में रखी कुसी पर बैठ जाएँ
और मुझसे अपनी फैली के बीच भरी मलायी की ओर इशारा करते, बोला-
“अरे, तेरा ही माल है, देख क्या रही है। गपक ले…”
मुझे दुबारा कहने की जरूरत नहीं थी।
क्या मस्त क्रीम -पाई थी। और मैं सपड़-सपड़ चाटने लगी।
पहले मम्मी की जाँघों पे लगी, लपटी, चुपड़ी मलायी चाटी, फिर बुर के बाहर लगी, लिथड़ी ।
फिर जीभ अंदर डाल कर सीधे मम्मी की बुर में से , एक बूँद मैं नहीं छोड़ने वाली थी
इनकी मलाई तो मैं कितनी बार गपक चुकी थी लेकिन अपनी मॉम के भोंसडे में से उनके दामाद की मलाई , ... आज स्वाद दस गुना बढ़ गया था
मैं भी तो मम्मी की बेटी थी। लगे हाथ मेरी जीभ, मम्मी की क्लिट भी चाट लेती थी, जीभ की टिप से खड़े उत्तेजित दाने को छेड़ देती थी।
और असर मम्मी पे जबरदस्त हुआ।
मारे जोश के वो किर नीचे से चूतड़ उचकाने लगी, उनकी बड़ी-बड़ी चूँचियाँ पथराने लगीीं, निपल किर से कड़े हो गए।
मैं उनकी बुर को अंगूठे और तरजनी से फैला के के, अंदर जीभ डाल के मलायी पूरी की पूरी गपक करने ही वाली थी, की मम्मी ने रोक दिया
उनकी आूँखें अपने दामाद पे लगी थी।
हम लोगों की ‘प्रेम लीला’ देखकर उनका खूंटा किर से तन्ना गया था,
एकदम 9 इंच का खड़ा, मेरी कलाई से भी ज्यादा मोटा , बौराया।
मम्मी ने मुश्कुरा के मुझसे बोला-
“तू अकेले-अकेले खा पी रही है, और मेरा बेचारा दामाद बैठ के टुकुर-टुकुर देख रहा है, जबकी अभी उसने इतनी मेहनत भी की है…”
किर उनकी ओर मुूँह करके मम्मी ने पूछा-
बीयर पीते हो न?
“अरे मम्मी नेकी और पूछ-पूछ…” हूँस के उन्होंने बोला।
मम्मी उठ के निकली लेककन दरवाजे के पास से रुक के बोलीीं-
“कोई बदमाशी नहीीं तुम दोनों की… और हाँ (आपने दामाद से बोली) हाथ भी मत लगाना उसे, वरना हाथ बाँध दूंगी , खबरदार , छूना भी मत उस मस्त मूसल को , ससुराल में इसपर हक़ सिर्फ साली , सलहज और सास का है …”
हम लोग वैसे ही रहे।
मैं उनके तन्नाये लण्ड को देखती रही, लेकिन आँखों ही आँखों उन्होंने अपने दिल की बात कह दी।
बस मैं किसी तरह उन्हें मम्मी की गाण्ड दिलवा दूूँ।
और मेरी आँखों ने भी हामी भर दी। मेरे लिए मेरे पिया की इच्छा सबसे ऊपर,
और तब तक मम्मी आयी,
बीयर का बड़ा सा मग (कम से कम दो कैन) और ऊपर खूब झाग आलमोस्ट बहता हुआ,
और अपने दामाद को उन्होंने मग पकड़ा दिया ।
लेककन जिस तरह उन्होंने घुसते हुए जबरदस्त आँख मुझे मारी थी ये साफ़ था की
उसमें कम से कम आधा तो मेरी मम्मी की ‘परसनल बीयर उनकी सुनहलीशराब’ उसमें मिली थी।
अब तो उनका नशा दूना होना था। सास की ‘शराब’ पी के।
मैंने किसी तरह अपनी मुस्कराहट रोकी।
मेरी ससुराल में मेरी होली की शुरुआत भी तो मेरी सास की 'सुनहली शराब ' सुबह सुबह पी के हुयी थी , और सिर्फ मेरीअपनी सास की नहीं , मेरी चचिया सास , गाँव के रिश्ते की सास ,
आधा दर्जन से ऊपर सास लोगों की 'सुनहली शराब ' ,मैंने होली के दिन सुबह सुबह ,...
तो ये भी अपनी सास का , अपनी ससुराल में ,
मैंने मम्मी की चूत फैला के मलायी खाना शुरू किया ,
लेकन अबकी 69 की पोज में,
मम्मी ऊपर मैं नीचे।
मम्मी ने उन्हें चेताया-
“हे जल्दी बियर ख़तम करो। अगर बियर ख़तम होने के पहले, हम में से कोई झड़ गया न, तो बस गाण्ड मार लेंगे तुम्हारी…”
मैंने मम्मी के कान में हलके से बोला
"-लेकिन अगर बीयर पहले ख़तम हो गयी तो?
मम्मी ने धीरे से हड़काया-‘चुप’
मैं उनकी ट्रिक समझ रही थी। जल्दी के चक्कर में उन्हें इस बात का ध्यान नहीीं रहेगा की बीयर की काकटेल में क्या मिला है? मम्मी की असली ‘सुनहरी बीयर ' मम्मी की झांटों से छानकर ’।
मैंने मम्मी की बुर के अींदर अपनी जीभ पूरी घुसेड़ ली। एकदम अंदर तक मलायी भरी थी। इन्होंने पिचकारी सीधे मम्मी की बच्चेदानी पे मारी थी। एकदम लबरेजथी मम्मी की बुर, और मेरे तो मजे हो गए सपड़-सपड़ चाट रही थी। और साथ में मम्मी की रस मलायी भी।
थोड़ी देर में मम्मी पे भी चूत चटाई का नशा चढ़ने लगा और मुझ पे भी। चूत चाटने के साथ मैंने उनकी क्लिट भी चूसनी शुरू कर दी।
वो हम दोनों की चूत चटाई देख रहे थे। मजे से। बीयर ख़तम होने के कगार पे थी पर उनका ध्यान बीयर पे एकदम नहीीं था।
मैं देख-देख के झड़ गयी।
लेकिन जब वो झड़े, तो एक बार किर मम्मी उनके नीचे दबी हुई थीं।
मम्मी और वो साथ-साथ झड़े।
और कम से कम दो अूँजुरी भर गाढ़ी, थक्केदार मलायी निकली होगी। मम्मी की कुंइया एकदम ऊपर तक भरी छलछला रही थी ,
अपने दामाद के वीर्य से लबरेज़ , कुछ तो छलक कर , बहते हुए ,... उनकी गोरी मांसल जाँघों पर भी ,
थोड़ी देर तक वो दोनों अखाड़े थके पहलवानो की तरह पड़े रहे, फिर मम्मी ने मुझे देखा, और इनसे इशारा किया की वो बगल में रखी कुसी पर बैठ जाएँ
और मुझसे अपनी फैली के बीच भरी मलायी की ओर इशारा करते, बोला-
“अरे, तेरा ही माल है, देख क्या रही है। गपक ले…”
मुझे दुबारा कहने की जरूरत नहीं थी।
क्या मस्त क्रीम -पाई थी। और मैं सपड़-सपड़ चाटने लगी।
पहले मम्मी की जाँघों पे लगी, लपटी, चुपड़ी मलायी चाटी, फिर बुर के बाहर लगी, लिथड़ी ।
फिर जीभ अंदर डाल कर सीधे मम्मी की बुर में से , एक बूँद मैं नहीं छोड़ने वाली थी
इनकी मलाई तो मैं कितनी बार गपक चुकी थी लेकिन अपनी मॉम के भोंसडे में से उनके दामाद की मलाई , ... आज स्वाद दस गुना बढ़ गया था
मैं भी तो मम्मी की बेटी थी। लगे हाथ मेरी जीभ, मम्मी की क्लिट भी चाट लेती थी, जीभ की टिप से खड़े उत्तेजित दाने को छेड़ देती थी।
और असर मम्मी पे जबरदस्त हुआ।
मारे जोश के वो किर नीचे से चूतड़ उचकाने लगी, उनकी बड़ी-बड़ी चूँचियाँ पथराने लगीीं, निपल किर से कड़े हो गए।
मैं उनकी बुर को अंगूठे और तरजनी से फैला के के, अंदर जीभ डाल के मलायी पूरी की पूरी गपक करने ही वाली थी, की मम्मी ने रोक दिया
उनकी आूँखें अपने दामाद पे लगी थी।
हम लोगों की ‘प्रेम लीला’ देखकर उनका खूंटा किर से तन्ना गया था,
एकदम 9 इंच का खड़ा, मेरी कलाई से भी ज्यादा मोटा , बौराया।
मम्मी ने मुश्कुरा के मुझसे बोला-
“तू अकेले-अकेले खा पी रही है, और मेरा बेचारा दामाद बैठ के टुकुर-टुकुर देख रहा है, जबकी अभी उसने इतनी मेहनत भी की है…”
किर उनकी ओर मुूँह करके मम्मी ने पूछा-
बीयर पीते हो न?
“अरे मम्मी नेकी और पूछ-पूछ…” हूँस के उन्होंने बोला।
मम्मी उठ के निकली लेककन दरवाजे के पास से रुक के बोलीीं-
“कोई बदमाशी नहीीं तुम दोनों की… और हाँ (आपने दामाद से बोली) हाथ भी मत लगाना उसे, वरना हाथ बाँध दूंगी , खबरदार , छूना भी मत उस मस्त मूसल को , ससुराल में इसपर हक़ सिर्फ साली , सलहज और सास का है …”
हम लोग वैसे ही रहे।
मैं उनके तन्नाये लण्ड को देखती रही, लेकिन आँखों ही आँखों उन्होंने अपने दिल की बात कह दी।
बस मैं किसी तरह उन्हें मम्मी की गाण्ड दिलवा दूूँ।
और मेरी आँखों ने भी हामी भर दी। मेरे लिए मेरे पिया की इच्छा सबसे ऊपर,
और तब तक मम्मी आयी,
बीयर का बड़ा सा मग (कम से कम दो कैन) और ऊपर खूब झाग आलमोस्ट बहता हुआ,
और अपने दामाद को उन्होंने मग पकड़ा दिया ।
लेककन जिस तरह उन्होंने घुसते हुए जबरदस्त आँख मुझे मारी थी ये साफ़ था की
उसमें कम से कम आधा तो मेरी मम्मी की ‘परसनल बीयर उनकी सुनहलीशराब’ उसमें मिली थी।
अब तो उनका नशा दूना होना था। सास की ‘शराब’ पी के।
मैंने किसी तरह अपनी मुस्कराहट रोकी।
मेरी ससुराल में मेरी होली की शुरुआत भी तो मेरी सास की 'सुनहली शराब ' सुबह सुबह पी के हुयी थी , और सिर्फ मेरीअपनी सास की नहीं , मेरी चचिया सास , गाँव के रिश्ते की सास ,
आधा दर्जन से ऊपर सास लोगों की 'सुनहली शराब ' ,मैंने होली के दिन सुबह सुबह ,...
तो ये भी अपनी सास का , अपनी ससुराल में ,
मैंने मम्मी की चूत फैला के मलायी खाना शुरू किया ,
लेकन अबकी 69 की पोज में,
मम्मी ऊपर मैं नीचे।
मम्मी ने उन्हें चेताया-
“हे जल्दी बियर ख़तम करो। अगर बियर ख़तम होने के पहले, हम में से कोई झड़ गया न, तो बस गाण्ड मार लेंगे तुम्हारी…”
मैंने मम्मी के कान में हलके से बोला
"-लेकिन अगर बीयर पहले ख़तम हो गयी तो?
मम्मी ने धीरे से हड़काया-‘चुप’
मैं उनकी ट्रिक समझ रही थी। जल्दी के चक्कर में उन्हें इस बात का ध्यान नहीीं रहेगा की बीयर की काकटेल में क्या मिला है? मम्मी की असली ‘सुनहरी बीयर ' मम्मी की झांटों से छानकर ’।
मैंने मम्मी की बुर के अींदर अपनी जीभ पूरी घुसेड़ ली। एकदम अंदर तक मलायी भरी थी। इन्होंने पिचकारी सीधे मम्मी की बच्चेदानी पे मारी थी। एकदम लबरेजथी मम्मी की बुर, और मेरे तो मजे हो गए सपड़-सपड़ चाट रही थी। और साथ में मम्मी की रस मलायी भी।
थोड़ी देर में मम्मी पे भी चूत चटाई का नशा चढ़ने लगा और मुझ पे भी। चूत चाटने के साथ मैंने उनकी क्लिट भी चूसनी शुरू कर दी।
वो हम दोनों की चूत चटाई देख रहे थे। मजे से। बीयर ख़तम होने के कगार पे थी पर उनका ध्यान बीयर पे एकदम नहीीं था।