22-03-2019, 09:59 AM
दिव्या कि भिंची हुई आँखे एकदम से खुल गयी और उसके मुंह से एक हलकी सी सिसकारी निकल गयी ..जिसे कोई नहीं सुन पाया ..क्योंकि सभी गेम के अंदर इतने घुसे हुए थे कि उन्हें दिव्या और हर्षित के बीच हो रही कार्यवाही ना तो दिखायी दे रही थी और ना ही सुनायी ..
हर्षित भी अपनी सुध बुध खोये हुए पांच -२ सौ के नोट उठा कर बीच में फेंके जा रहा था ..जैसे वो पैसे उसके लिए कोई एहमियत ही ना रखते हो ..और ऐसा करते -२ उसने लगभग दस हजार रूपए दिव्या के नाम कुर्बान कर दिए ..
लास्ट में सिर्फ मनीष और हर्षित ही रह गए थे ..बाकी सभी ने पेक कर दिया था ..अब हर्षित का ध्यान टेबल पर गया तो उसे मालुम चला कि आखिर हो क्या रहा है वहाँ ..मनीष तो ब्लाइंड पर ब्लाइंड चल रहा था क्योंकि उसे तो विशवास था कि दिव्या के होते हुए वो जीतेगा ही ..
आखिर हर्षित ने अपने पत्ते उठा ही लिए ..क्योंकि अब सभी का ध्यान उसकी और मनीष कि तरफ ही था ..
उसके पास गुलाम का पेयर आया था ..और साथ में आठ नंबर ..
उसके पास पैसे नहीं बचे थे क्योंकि आज के लिए वो सिर्फ एक लाख रूपए ही लेकर आया था, वर्ना पेयर आने के बाद वो चाल जरुर चलता ..इसलिए उसने शो मांग लिया ..
मनीष ने अपने पत्ते उठाये ..
और उठाने के साथ ही उसकी आँखे चमक उठी ..और वो मुस्कुरा दिया ..और बोला : "पेयर है मेरे पास .."
हर्षित भी मुस्कुराया और बोला : "मेरे पास भी ..”
सभी के चेहरो पर सस्पेन्स बढ़ता जा रहा था ..
मनीष बोला : "मेरे पास फोटो वाला पेयर है ..” उसके हाथ कुलबुला रहे थे बीच में पड़े हुए अस्सी हजार रूपए उठाने के लिये ..
हर्षित के पास भी फोटो वाला (गुलाम) पेयर था ..वो भी बोला : "मेरे पास भी फोटो वाला पेयर है …"
इतना सुनते ही मनीष का चेहरा फक्क सा रह गया ..और उसने बड़ी मुश्किल से अपने दो पत्ते नीचे
फेंके और वो दोनों पत्ते भी गुलाम ही निकले ..जो कि हर्षित के पास भी थे ..
हर्षित ने भी दोनों गुलाम बीच में फेंक दिए ..और बोला : "ये रहा मेरा भी पेयर …”
सभी हेरान थे कि दोनों के पास सेम पेयर है ..यानि अब नतीजा सिर्फ तीसरा पत्ता ही निकाल सकता था, जिसके पास बड़ा पत्ता होगा वो जीतेगा बीच में पड़ा हुआ माल ..
मनीष से शो मांगी गयी थी इसलिए उसने अपना पत्ता बीच में फेंक दिया ..5 नंबर था उसके पास ..
और ये देखते ही हर्षित उछल पड़ा ..क्योंकि उसके पास 8 था ..और उसने बीच में पत्ता फेंका और सारे पैसे उठा कर अपनी तरफ खिसका लिये ..
मनीष को तो जैसे विशवास ही नहीं हो रहा था कि वो इतनी बड़ी गेम हार गया ..और वो भी दिव्या के गुड लक के होते हुए ..
पर उसे क्या पता था कि उसके गुड लक पर हर्षित ने सिंकाई करके उसे अपनी तरफ कर लिया था ..
वो आगे पत्ते बांटने ही वाले थे कि दिव्या बोल पड़ी : "मैं ….ऊपर जाऊ क्या ..”
मनीष ने झल्ला कर कहा : "जा …चली जा …”
जैसे वो खुद उसे वहाँ से भागना चाहता हो ..क्योंकि इतनी बड़ी हार कि वजह वो एक तरह से उसे ही मान रहा था ..
दिव्या वहाँ से उठी और हर्षित के आगे से होती हुई बाहर कि तरफ निकल कर ऊपर चली गयी ..
और जब वो हर्षित के आगे से निकल रही थी तो उसके चेहरे के सामने उसकी चूत वाला हिस्सा था जिसकी गर्मी से उसका चेहरा झुलस गया ..
बेचारा हर्षित अपने लंड पर हाथ फेरकर ही रह गया ..
हर्षित भी अपनी सुध बुध खोये हुए पांच -२ सौ के नोट उठा कर बीच में फेंके जा रहा था ..जैसे वो पैसे उसके लिए कोई एहमियत ही ना रखते हो ..और ऐसा करते -२ उसने लगभग दस हजार रूपए दिव्या के नाम कुर्बान कर दिए ..
लास्ट में सिर्फ मनीष और हर्षित ही रह गए थे ..बाकी सभी ने पेक कर दिया था ..अब हर्षित का ध्यान टेबल पर गया तो उसे मालुम चला कि आखिर हो क्या रहा है वहाँ ..मनीष तो ब्लाइंड पर ब्लाइंड चल रहा था क्योंकि उसे तो विशवास था कि दिव्या के होते हुए वो जीतेगा ही ..
आखिर हर्षित ने अपने पत्ते उठा ही लिए ..क्योंकि अब सभी का ध्यान उसकी और मनीष कि तरफ ही था ..
उसके पास गुलाम का पेयर आया था ..और साथ में आठ नंबर ..
उसके पास पैसे नहीं बचे थे क्योंकि आज के लिए वो सिर्फ एक लाख रूपए ही लेकर आया था, वर्ना पेयर आने के बाद वो चाल जरुर चलता ..इसलिए उसने शो मांग लिया ..
मनीष ने अपने पत्ते उठाये ..
और उठाने के साथ ही उसकी आँखे चमक उठी ..और वो मुस्कुरा दिया ..और बोला : "पेयर है मेरे पास .."
हर्षित भी मुस्कुराया और बोला : "मेरे पास भी ..”
सभी के चेहरो पर सस्पेन्स बढ़ता जा रहा था ..
मनीष बोला : "मेरे पास फोटो वाला पेयर है ..” उसके हाथ कुलबुला रहे थे बीच में पड़े हुए अस्सी हजार रूपए उठाने के लिये ..
हर्षित के पास भी फोटो वाला (गुलाम) पेयर था ..वो भी बोला : "मेरे पास भी फोटो वाला पेयर है …"
इतना सुनते ही मनीष का चेहरा फक्क सा रह गया ..और उसने बड़ी मुश्किल से अपने दो पत्ते नीचे
फेंके और वो दोनों पत्ते भी गुलाम ही निकले ..जो कि हर्षित के पास भी थे ..
हर्षित ने भी दोनों गुलाम बीच में फेंक दिए ..और बोला : "ये रहा मेरा भी पेयर …”
सभी हेरान थे कि दोनों के पास सेम पेयर है ..यानि अब नतीजा सिर्फ तीसरा पत्ता ही निकाल सकता था, जिसके पास बड़ा पत्ता होगा वो जीतेगा बीच में पड़ा हुआ माल ..
मनीष से शो मांगी गयी थी इसलिए उसने अपना पत्ता बीच में फेंक दिया ..5 नंबर था उसके पास ..
और ये देखते ही हर्षित उछल पड़ा ..क्योंकि उसके पास 8 था ..और उसने बीच में पत्ता फेंका और सारे पैसे उठा कर अपनी तरफ खिसका लिये ..
मनीष को तो जैसे विशवास ही नहीं हो रहा था कि वो इतनी बड़ी गेम हार गया ..और वो भी दिव्या के गुड लक के होते हुए ..
पर उसे क्या पता था कि उसके गुड लक पर हर्षित ने सिंकाई करके उसे अपनी तरफ कर लिया था ..
वो आगे पत्ते बांटने ही वाले थे कि दिव्या बोल पड़ी : "मैं ….ऊपर जाऊ क्या ..”
मनीष ने झल्ला कर कहा : "जा …चली जा …”
जैसे वो खुद उसे वहाँ से भागना चाहता हो ..क्योंकि इतनी बड़ी हार कि वजह वो एक तरह से उसे ही मान रहा था ..
दिव्या वहाँ से उठी और हर्षित के आगे से होती हुई बाहर कि तरफ निकल कर ऊपर चली गयी ..
और जब वो हर्षित के आगे से निकल रही थी तो उसके चेहरे के सामने उसकी चूत वाला हिस्सा था जिसकी गर्मी से उसका चेहरा झुलस गया ..
बेचारा हर्षित अपने लंड पर हाथ फेरकर ही रह गया ..