20-12-2020, 12:02 AM
(This post was last modified: 27-12-2020, 12:32 AM by babasandy. Edited 2 times in total. Edited 2 times in total.)
अगली रात हिंदी प्रियंका दीदी ने अपने होने वाले पति अजय को बुलाया था... मेरी प्रियंका दीदी पहले से ही सज धज के बिल्कुल तैयार हो चुकी थी मेरे होने वाले जीजा जी से मिलने के लिए... लाल रंग की लहंगा चुनरी... हॉट चटकदार लहंगा.... भरपूर मेकअप ..जैसे एक नई नवेली दुल्हन की होती है.. हाथों में चूड़ियां और कंगन.... मेहंदी के साथ... पैरों में पायल... माथे पे बिंदिया और अपनी चोली मे अपनी मदमस्त चूचियां लेकर मेरी प्रियंका दीदी हमारे घर के पीछे बने हुए झोपड़ी के दरवाजे पर अपने साजन का इंतजार कर रही थी रात के 12:00 बजे, जैसा कि उन्होंने वादा किया था मेरे होने जीजा जी अजय से...
आप लोग सोच रहे होंगे कि मुझे इस बात का पता कैसे चला... मेरी दोनों बहने जबसे जुनेद के फार्म हाउस से लौटी थी.. तभी से मैंने उन दोनों पर नजर रखनी शुरू कर दी थी... जब भी मेरी दोनों दीदी घर से बाहर जाती थी तो मैं कोशिश करता था कि या तो मैं साथ जाऊं या फिर मैं उनका पीछा करता था... जुनैद और असलम का डर मेरे दिमाग पर हावी हो चुका था...
जिस घटना के बारे में मैं आप लोगों को बता रहा हूं वह अगले दिन अचानक ही हुई थी.... मुझे तो इस बात का बिल्कुल भी अंदाजा नहीं था कि ऐसा कुछ होने वाला है वह भी मेरे घर के पीछे बने हुए झोपड़ी में.. मैं तो अपनी मस्ती में रात के 12:00 बजे अपने कमरे में अपने बिस्तर पर लेट मुट्ठ मार रहा था ब्लू फिल्म देखते हुए.... कि अचानक मुझे अपने कानों में पायल की छन छन और चूड़ियों की खन खन की आवाज सुनाई दी... मेरे कान खड़े हो गए.. लोड़ा तो पहले से ही खड़ा था... दरअसल मेरे बेडरूम के ठीक पीछे झोपड़ी बनी हुई है हमारे घर के अंदर जिसमें मेरी मम्मी लकड़ियां या फिर सूखा पुआल जमा करके रखती हैं बरसात के दिनों में खाना बनाने के लिए चूल्हे पर...
पहले तो मुझे लगा कि मेरी चंदा भाभी घर के पीछे जा रही है, जरूर उन्होंने अपने यार को बुलाया होगा इतनी रात... इतने में बारिश भी शुरू हो गई थी... मैंने खिड़की से देखा तो मुझे कुछ भी दिखाई नहीं दे रहा था... कुछ देर तक मैं बाहर टकटकी लगाकर देख रहा था पर मुझे कुछ भी समझ नहीं आया कि क्या हो रहा है... मैं वापस बिस्तर पर लेट कि अपने मुठ मारने के प्रोग्राम को खत्म करने की सोचने लगा ही था कि अचानक झोपड़ी के पीछे गन्ने के खेत में से मुझे एक आदमी बाहर निकलता हुआ दिखाई दिया... उसके चेहरे पर नकाब देख कर ही मैं समझ गया कि वह साला चोर है... बरसात में वह बिल्कुल भीगा हुआ था... मैंने मन ही मन सोच लिया कि आज इस साले चोर को तो रंगे हाथों पकड़ना ही है... मैंने अपने घर का मेन दरवाजा धीरे से खोला और बाहर निकल गया.. वह चोर मेरी झोपड़ी के दरवाजे पर खड़ा था...
मैं झोपड़ी के पीछे जाकर खड़ा हो गया... उसकी खिड़की के पास..
मैंने बरसाती ओढ़ रखी थी... मैंने यह सोच लिया था कि जैसे ही वह चोर दरवाजा तोड़ के अंदर अंदर घुसेगा और मेरे घर की लकड़िया चोरी करने लगेगा तभी मैं चिल्ला चिल्ला के सबको बुला दूंगा .. इस चोर को रंगे हाथों पकड़वा दूंगा.. पर मेरी तो गांड ही सूख गई जब मैंने झोपड़ी के अंदर खिड़की से देखा तो... अंदर मेरी प्रियंका दीदी पहले से मौजूद खड़ी थी...... झोपड़ी के अंदर एक लालटेन जल रहा था... लालटेन की मध्यम रोशनी में मैंने देखा मेरी प्रियंका दीदी सज धज के बिल्कुल तैयार खड़ी थी, जैसे कोई सुहागरात की दुल्हन अपने होने वाले पति का इंतजार कर रही हो..
दीदी ने झोपड़ी का दरवाजा खोल दीया... और वह चोर अंदर घुस गया... वह चोर और कोई भी नहीं बल्कि मेरी प्रियंका दीदी के दिल का चोर अजय था.. उसके अंदर घुसते ही मेरी प्रियंका दीदी ने झोपड़ी का दरवाजा बंद कर दिया और उसके साथ लिपट गई..
अजय ने अब अपना नकाब पूरा उतार दिया था... उसने मेरी बहन को अपनी बाहों में भर लिया और चूमने लगा... जबरदस्त चुंबन हुआ दोनों के बीच..
आप लोग सोच रहे होंगे कि मुझे इस बात का पता कैसे चला... मेरी दोनों बहने जबसे जुनेद के फार्म हाउस से लौटी थी.. तभी से मैंने उन दोनों पर नजर रखनी शुरू कर दी थी... जब भी मेरी दोनों दीदी घर से बाहर जाती थी तो मैं कोशिश करता था कि या तो मैं साथ जाऊं या फिर मैं उनका पीछा करता था... जुनैद और असलम का डर मेरे दिमाग पर हावी हो चुका था...
जिस घटना के बारे में मैं आप लोगों को बता रहा हूं वह अगले दिन अचानक ही हुई थी.... मुझे तो इस बात का बिल्कुल भी अंदाजा नहीं था कि ऐसा कुछ होने वाला है वह भी मेरे घर के पीछे बने हुए झोपड़ी में.. मैं तो अपनी मस्ती में रात के 12:00 बजे अपने कमरे में अपने बिस्तर पर लेट मुट्ठ मार रहा था ब्लू फिल्म देखते हुए.... कि अचानक मुझे अपने कानों में पायल की छन छन और चूड़ियों की खन खन की आवाज सुनाई दी... मेरे कान खड़े हो गए.. लोड़ा तो पहले से ही खड़ा था... दरअसल मेरे बेडरूम के ठीक पीछे झोपड़ी बनी हुई है हमारे घर के अंदर जिसमें मेरी मम्मी लकड़ियां या फिर सूखा पुआल जमा करके रखती हैं बरसात के दिनों में खाना बनाने के लिए चूल्हे पर...
पहले तो मुझे लगा कि मेरी चंदा भाभी घर के पीछे जा रही है, जरूर उन्होंने अपने यार को बुलाया होगा इतनी रात... इतने में बारिश भी शुरू हो गई थी... मैंने खिड़की से देखा तो मुझे कुछ भी दिखाई नहीं दे रहा था... कुछ देर तक मैं बाहर टकटकी लगाकर देख रहा था पर मुझे कुछ भी समझ नहीं आया कि क्या हो रहा है... मैं वापस बिस्तर पर लेट कि अपने मुठ मारने के प्रोग्राम को खत्म करने की सोचने लगा ही था कि अचानक झोपड़ी के पीछे गन्ने के खेत में से मुझे एक आदमी बाहर निकलता हुआ दिखाई दिया... उसके चेहरे पर नकाब देख कर ही मैं समझ गया कि वह साला चोर है... बरसात में वह बिल्कुल भीगा हुआ था... मैंने मन ही मन सोच लिया कि आज इस साले चोर को तो रंगे हाथों पकड़ना ही है... मैंने अपने घर का मेन दरवाजा धीरे से खोला और बाहर निकल गया.. वह चोर मेरी झोपड़ी के दरवाजे पर खड़ा था...
मैं झोपड़ी के पीछे जाकर खड़ा हो गया... उसकी खिड़की के पास..
मैंने बरसाती ओढ़ रखी थी... मैंने यह सोच लिया था कि जैसे ही वह चोर दरवाजा तोड़ के अंदर अंदर घुसेगा और मेरे घर की लकड़िया चोरी करने लगेगा तभी मैं चिल्ला चिल्ला के सबको बुला दूंगा .. इस चोर को रंगे हाथों पकड़वा दूंगा.. पर मेरी तो गांड ही सूख गई जब मैंने झोपड़ी के अंदर खिड़की से देखा तो... अंदर मेरी प्रियंका दीदी पहले से मौजूद खड़ी थी...... झोपड़ी के अंदर एक लालटेन जल रहा था... लालटेन की मध्यम रोशनी में मैंने देखा मेरी प्रियंका दीदी सज धज के बिल्कुल तैयार खड़ी थी, जैसे कोई सुहागरात की दुल्हन अपने होने वाले पति का इंतजार कर रही हो..
दीदी ने झोपड़ी का दरवाजा खोल दीया... और वह चोर अंदर घुस गया... वह चोर और कोई भी नहीं बल्कि मेरी प्रियंका दीदी के दिल का चोर अजय था.. उसके अंदर घुसते ही मेरी प्रियंका दीदी ने झोपड़ी का दरवाजा बंद कर दिया और उसके साथ लिपट गई..
अजय ने अब अपना नकाब पूरा उतार दिया था... उसने मेरी बहन को अपनी बाहों में भर लिया और चूमने लगा... जबरदस्त चुंबन हुआ दोनों के बीच..