16-12-2020, 06:53 PM
देवर संग होली
और सच में कपडे उसके हमने नहीं फाड़े , बल्कि कम्मो ने उसे दिखा के अपनी साडी खुद उतार दी ,
सिर्फ ब्लाउज पेटीकोट में ,ब्रा तो वो पहनती नहीं थी , बड़े बड़े कड़े कड़े ३८ डी डी साइज के चोली फाड़ते जोबन
मैं अनुज का हाथ पीछे से पकड़ी थी
और उसी साडी से कस के बांधा गया मेरे देवर को ,
हाँ कपडे वापस भी नहीं मिले उसे , ... दो घंटे तक रगड़ाई हुयी , ...
उस दिन हम दोनों ने उसके बहुत चिल्लाने पर उसकी पैंटी नहीं उतारी ,
लेकिन आगे से हाथ डाल के कम्मो ने उसके खूंटे की कालिख पेण्ट दो दो कोट रंग , जबरदस्त मालिश की , और खूंटा एकदम खड़ा , ...
हाँ हम दोनों ने उसे झड़ने नहीं दिया ,
और मैंने पिछवाड़ा , लाल रंग पहले फिर बैंगनी , उसके बाद प्रिंट वाली जो स्याही होती है है उसकी ट्यूब से गाढा नीला रंग ,...
और दोनों चूतड़ फैला के , बीच वाले छेद पर , बस अंदर नहीं डाला , लेकिन डरवाया ,
" बोल स्साले , किस लौंडे बाज ने तेरी गाँड़ मारी ऐसा चिकना माल बचा तो नहीं होगा , ... "
और उसने कबूल दिया की कोरा है ,
बस कम्मो पीछे पड़ गयी ,
" ये स्साले जितने एलवल वाले कोरे हैं या या कोरी हैं , उन सबके फाड़ने का काम हम भौजाइयों का है , ... "
और उसकी चड्ढी सरका दी ,
फटा पोस्टर निकला हीरो , लाल पीला कालिख पेण्ट से पुता
हम दोनों ने उसे प्रॉमिस किया था की उसकी चड्ढी नहीं उतारेंगे , इसलिए चड्ढी घुटने में फंसी रहने दी ,
और भाभी कैसी जो फागुन में देवर के खूंटे की लम्बाई चौड़ाई न नापे जांचे ,
इनके इतना तो नहीं था , लेकिन आलमोस्ट ७ इंच का रहा होगा , मोटा भी अच्छा था , इसलिए तो रेनू और गुड्डो दोनों फैन थीं मेरे देवर की ,
बहुत प्यार से उसके पूरे खानदान को गरियाते हुए मैंने मुठियाया , थोड़ा थूक लगा के , सुपाड़ा खोला , उसके पी होल को सहलाया
और आराम से वार्निश हाथ में पोत कर खूंटे पर रगड़ा और तरीका भी बताया ,
जा के उस गुड्डी छिनार से साफ़ करवा लेना उसे भी लंड मुठियाने की प्रैक्टिस हो जायेगी ,
और उस समय कम्मो , पिछवाड़े का हाल चाल ले रही थी लेकिन वो मेरी तरह शरीफ नहीं थी , उसने मंझली ऊँगली सीधे दो पोर अंदर तक पेल दी
अनुज बहुत जोर से चीखा ,
" अरे गांडू , प्रैक्टिस छूट गयी है क्या गाँड़ मरवाने की , ... " मैं हंस के बोली और जोर जोर से मुठियाने लगी ,
ये नहीं की हम दोनों की रगड़ाई नहीं हुयी , उसके कपडे ( चड्ढी के अलावा ) उतारने के बाद हम दोनों ने हाथ उसके खोल दिए थे ,
इनका फोन आ गया था ,
और मैं बरामदे में चली गयी इनसे बतियाने , स्पीकर आन और इतना टाइम काफी था मेरे देवर के पास कम्मो के ब्लाउज हाथ डालने के लिए ,
कम्मो के जोबन थे भी जोरदार ३८ डी डी खूब मांसल लेकिन एकदम कड़क ,
और मैं तारीफ़ से अपने देवर की ओर देख रही थी , इनकी तरह वो झिझक नहीं रहा था सीधे टारगेट पर , हाथ में रंग पोत कर सीधे कम्मो के ब्लाउज के अंदर और कचकचा के दोनों चूँची उसकी दबोच ली ,
मैंने तारीफ़ से अनुज की ओर देखा तो देवर की आँखों ने टेलीग्राम किया ,
" भाभी प्लीज , बस दस मिंनट अकेले , ... "
इनसे जो बात ख़तम होने वाली थी वो मैंने पंद्रह मिनट तक खींची , बात मैं इनसे कर रही थी लेकिन आंख मेरी अनुज के ऊपर लगी थी , क्या मस्त जोबन की रगड़ाई कर रहा था मेरा देवर
चरचरा कर कम्मो का ब्लाउज फटा लेकिन न भौजाई को फरक पड़ा न देवर को , कम्मो भी न वो एकदम छुड़ाने की कोशिश कर रही थी , दोनों हाथ मेरे देवर के हाथों के ऊपर , जैसे कह रही हो दबा लो देवर राजा , ...
और उससे ज्यादा खुले शेर के ऊपर अपने भीगे पेटीकोट में चिपके मोटे मोटे चूतड़ को रगड़ते हुए कम्मो देवर राजा की हालत और ख़राब कर रही थी
और सच में कपडे उसके हमने नहीं फाड़े , बल्कि कम्मो ने उसे दिखा के अपनी साडी खुद उतार दी ,
सिर्फ ब्लाउज पेटीकोट में ,ब्रा तो वो पहनती नहीं थी , बड़े बड़े कड़े कड़े ३८ डी डी साइज के चोली फाड़ते जोबन
मैं अनुज का हाथ पीछे से पकड़ी थी
और उसी साडी से कस के बांधा गया मेरे देवर को ,
हाँ कपडे वापस भी नहीं मिले उसे , ... दो घंटे तक रगड़ाई हुयी , ...
उस दिन हम दोनों ने उसके बहुत चिल्लाने पर उसकी पैंटी नहीं उतारी ,
लेकिन आगे से हाथ डाल के कम्मो ने उसके खूंटे की कालिख पेण्ट दो दो कोट रंग , जबरदस्त मालिश की , और खूंटा एकदम खड़ा , ...
हाँ हम दोनों ने उसे झड़ने नहीं दिया ,
और मैंने पिछवाड़ा , लाल रंग पहले फिर बैंगनी , उसके बाद प्रिंट वाली जो स्याही होती है है उसकी ट्यूब से गाढा नीला रंग ,...
और दोनों चूतड़ फैला के , बीच वाले छेद पर , बस अंदर नहीं डाला , लेकिन डरवाया ,
" बोल स्साले , किस लौंडे बाज ने तेरी गाँड़ मारी ऐसा चिकना माल बचा तो नहीं होगा , ... "
और उसने कबूल दिया की कोरा है ,
बस कम्मो पीछे पड़ गयी ,
" ये स्साले जितने एलवल वाले कोरे हैं या या कोरी हैं , उन सबके फाड़ने का काम हम भौजाइयों का है , ... "
और उसकी चड्ढी सरका दी ,
फटा पोस्टर निकला हीरो , लाल पीला कालिख पेण्ट से पुता
हम दोनों ने उसे प्रॉमिस किया था की उसकी चड्ढी नहीं उतारेंगे , इसलिए चड्ढी घुटने में फंसी रहने दी ,
और भाभी कैसी जो फागुन में देवर के खूंटे की लम्बाई चौड़ाई न नापे जांचे ,
इनके इतना तो नहीं था , लेकिन आलमोस्ट ७ इंच का रहा होगा , मोटा भी अच्छा था , इसलिए तो रेनू और गुड्डो दोनों फैन थीं मेरे देवर की ,
बहुत प्यार से उसके पूरे खानदान को गरियाते हुए मैंने मुठियाया , थोड़ा थूक लगा के , सुपाड़ा खोला , उसके पी होल को सहलाया
और आराम से वार्निश हाथ में पोत कर खूंटे पर रगड़ा और तरीका भी बताया ,
जा के उस गुड्डी छिनार से साफ़ करवा लेना उसे भी लंड मुठियाने की प्रैक्टिस हो जायेगी ,
और उस समय कम्मो , पिछवाड़े का हाल चाल ले रही थी लेकिन वो मेरी तरह शरीफ नहीं थी , उसने मंझली ऊँगली सीधे दो पोर अंदर तक पेल दी
अनुज बहुत जोर से चीखा ,
" अरे गांडू , प्रैक्टिस छूट गयी है क्या गाँड़ मरवाने की , ... " मैं हंस के बोली और जोर जोर से मुठियाने लगी ,
ये नहीं की हम दोनों की रगड़ाई नहीं हुयी , उसके कपडे ( चड्ढी के अलावा ) उतारने के बाद हम दोनों ने हाथ उसके खोल दिए थे ,
इनका फोन आ गया था ,
और मैं बरामदे में चली गयी इनसे बतियाने , स्पीकर आन और इतना टाइम काफी था मेरे देवर के पास कम्मो के ब्लाउज हाथ डालने के लिए ,
कम्मो के जोबन थे भी जोरदार ३८ डी डी खूब मांसल लेकिन एकदम कड़क ,
और मैं तारीफ़ से अपने देवर की ओर देख रही थी , इनकी तरह वो झिझक नहीं रहा था सीधे टारगेट पर , हाथ में रंग पोत कर सीधे कम्मो के ब्लाउज के अंदर और कचकचा के दोनों चूँची उसकी दबोच ली ,
मैंने तारीफ़ से अनुज की ओर देखा तो देवर की आँखों ने टेलीग्राम किया ,
" भाभी प्लीज , बस दस मिंनट अकेले , ... "
इनसे जो बात ख़तम होने वाली थी वो मैंने पंद्रह मिनट तक खींची , बात मैं इनसे कर रही थी लेकिन आंख मेरी अनुज के ऊपर लगी थी , क्या मस्त जोबन की रगड़ाई कर रहा था मेरा देवर
चरचरा कर कम्मो का ब्लाउज फटा लेकिन न भौजाई को फरक पड़ा न देवर को , कम्मो भी न वो एकदम छुड़ाने की कोशिश कर रही थी , दोनों हाथ मेरे देवर के हाथों के ऊपर , जैसे कह रही हो दबा लो देवर राजा , ...
और उससे ज्यादा खुले शेर के ऊपर अपने भीगे पेटीकोट में चिपके मोटे मोटे चूतड़ को रगड़ते हुए कम्मो देवर राजा की हालत और ख़राब कर रही थी