13-12-2020, 12:48 PM
देवर,...चिकना अनुज
पर मैं तो अपने देवर के पीछे पड़ी थी , और कौन वही चिकना अनुज
और वो एकदम बच के , आता ही नहीं था पकड़ में ,
पर कम्मो थी न , एक दिन मैंने और कम्मो ने मिल के रगड़ दिया उसको।
अनुज , अरे वही ,
स्साला , चिकना , एकदम अपनी बहन की तरह गोरा , रेख भी ठीक से नहीं आयी थी , मेरी शादी में सब मेरी सहेलियां गारी गाते गाते उसे हर बार गँड़ुआ जरूर बोलती थीं ,
" गुड्डी का भैया , अनुजा स्साला गँड़ुआ है , अपनी बहना क भंड़ुआ है। "
लेकिन स्साला नम्बरी चोदू भी है , उसका टांका मैंने ही भिड़वाया था , जेठानी की भतीजी , वही हाईकॉलेज वाली गुड्डो के साथ ,
फिर तो कोई दिन नागा नहीं गया ,
और अब रेनू के साथ , उसकी बहन गुड्डी की सहेली के साथ , उसी के मोहल्ले में रहती है , ...
वही , वैसे तो मुझसे हरदम लसा रहता है , जब देखो तब ,...
लेकिन जैसे फागुन लगा है , तबसे ,... मैंने बुलाया तो उसने साफ़ साफ़ अपना डर बताया
आप लोग तीन हैं , मैं अकेले , ( मैं , कम्मो और जेठानी जी , तीनो तो उसकी भाभी थीं , सही बात थी उसकी ) फिर आप कपडे पहले फाड़ती हैं , रंग बाद में लगाती हैं , ( ये भी बात उसकी सही थी , देवर ननदों से होली खेलने के लिए मेरा यही तरीका था )
" अरे नहीं डर मत यार , तेरा कपडा नहीं फाड़ेंगे , प्रॉमिस , कपडे के अंदर वाली फाड़ेंगे , पिछवाड़े वाली ,... "
( उसकी तो भले बच जाती लेकिन उसकी बहना , गुड्डी रानी की आगे वाली इस फागुन में नहीं बचने वाली थी )
वो और डर गया , लेकिन कम्मो ने तरीका बताया ,
रेनू , रेनू को चोदने के लालच में वो जरूर आएगा , ... जैसे वो शेर के शिकार के लिए बकरी के बच्चे का इस्तेमाल किया जाता है , एकदम उसी तरह
बकरी की बच्ची , ... मेरा मतलब रेनू तो नहीं बची , डबल चुदाई हुयी उसकी , वो भी दमदार लेकिन शेर पिंजड़े में आ गया ,
घर पर सिर्फ मैं और कम्मो थे , सास और जेठानी कहीं रिश्तेदारी में दो दिन के लिए गए थे और ये भी कहीं अपने किसी दोस्त के पास ,
बस हम दोनों की चांदी ,
और सच में कपडे उसके हमने नहीं फाड़े , बल्कि कम्मो ने उसे दिखा के अपनी साडी खुद उतार दी , मैं अनुज का हाथ पीछे से पकड़ी थी और उसी साडी से कस के बांधा गया मेरे देवर को ,
हाँ कपडे वापस भी नहीं मिले उसे , ... दो घंटे तक रगड़ाई हुयी , ... उस दिन हम दोनों ने उसके बहुत चिल्लाने पर उसकी पैंटी नहीं उतारी , लेकिन आगे से हाथ डाल के कम्मो ने उसके खूंटे की कालिख पेण्ट दो दो कोट रंग , जबरदस्त मालिश की , और खूंटा एकदम खड़ा , ... हाँ हम दोनों ने उसे झड़ने नहीं दिया , और मैंने पिछवाड़ा , लाल रंग पहले फिर बैंगनी , उसके बाद प्रिंट वाली जो स्याही होती है है उसकी ट्यूब से गाढा नीला रंग ,... और दोनों चूतड़ फैला के , बीच वाले छेद पर , बस अंदर नहीं डाला , लेकिन डरवाया ,
" बोल स्साले , किस लौंडे बाज ने तेरी गाँड़ मारी ऐसा चिकना माल बचा तो नहीं होगा , ... "
और उसने कबूल दिया की कोरा है , बस कम्मो पीछे पड़ गयी ,
" ये स्साले जितने एलवल वाले कोरे हैं या या कोरी हैं , उन सबके फाड़ने का काम हम भौजाइयों का है , ... "
और उसकी चड्ढी सरका दी ,
फटा पोस्टर निकला हीरो , लाल पीला कालिख पेण्ट से पुता
हम दोनों ने उसे प्रॉमिस किया था की उसकी चड्ढी नहीं उतारेंगे , इसलिए चड्ढी घुटने में फंसी रहने दी ,
और भाभी कैसी जो फागुन में देवर के खूंटे की लम्बाई चौड़ाई न नापे जांचे ,
पर मैं तो अपने देवर के पीछे पड़ी थी , और कौन वही चिकना अनुज
और वो एकदम बच के , आता ही नहीं था पकड़ में ,
पर कम्मो थी न , एक दिन मैंने और कम्मो ने मिल के रगड़ दिया उसको।
अनुज , अरे वही ,
स्साला , चिकना , एकदम अपनी बहन की तरह गोरा , रेख भी ठीक से नहीं आयी थी , मेरी शादी में सब मेरी सहेलियां गारी गाते गाते उसे हर बार गँड़ुआ जरूर बोलती थीं ,
" गुड्डी का भैया , अनुजा स्साला गँड़ुआ है , अपनी बहना क भंड़ुआ है। "
लेकिन स्साला नम्बरी चोदू भी है , उसका टांका मैंने ही भिड़वाया था , जेठानी की भतीजी , वही हाईकॉलेज वाली गुड्डो के साथ ,
फिर तो कोई दिन नागा नहीं गया ,
और अब रेनू के साथ , उसकी बहन गुड्डी की सहेली के साथ , उसी के मोहल्ले में रहती है , ...
वही , वैसे तो मुझसे हरदम लसा रहता है , जब देखो तब ,...
लेकिन जैसे फागुन लगा है , तबसे ,... मैंने बुलाया तो उसने साफ़ साफ़ अपना डर बताया
आप लोग तीन हैं , मैं अकेले , ( मैं , कम्मो और जेठानी जी , तीनो तो उसकी भाभी थीं , सही बात थी उसकी ) फिर आप कपडे पहले फाड़ती हैं , रंग बाद में लगाती हैं , ( ये भी बात उसकी सही थी , देवर ननदों से होली खेलने के लिए मेरा यही तरीका था )
" अरे नहीं डर मत यार , तेरा कपडा नहीं फाड़ेंगे , प्रॉमिस , कपडे के अंदर वाली फाड़ेंगे , पिछवाड़े वाली ,... "
( उसकी तो भले बच जाती लेकिन उसकी बहना , गुड्डी रानी की आगे वाली इस फागुन में नहीं बचने वाली थी )
वो और डर गया , लेकिन कम्मो ने तरीका बताया ,
रेनू , रेनू को चोदने के लालच में वो जरूर आएगा , ... जैसे वो शेर के शिकार के लिए बकरी के बच्चे का इस्तेमाल किया जाता है , एकदम उसी तरह
बकरी की बच्ची , ... मेरा मतलब रेनू तो नहीं बची , डबल चुदाई हुयी उसकी , वो भी दमदार लेकिन शेर पिंजड़े में आ गया ,
घर पर सिर्फ मैं और कम्मो थे , सास और जेठानी कहीं रिश्तेदारी में दो दिन के लिए गए थे और ये भी कहीं अपने किसी दोस्त के पास ,
बस हम दोनों की चांदी ,
और सच में कपडे उसके हमने नहीं फाड़े , बल्कि कम्मो ने उसे दिखा के अपनी साडी खुद उतार दी , मैं अनुज का हाथ पीछे से पकड़ी थी और उसी साडी से कस के बांधा गया मेरे देवर को ,
हाँ कपडे वापस भी नहीं मिले उसे , ... दो घंटे तक रगड़ाई हुयी , ... उस दिन हम दोनों ने उसके बहुत चिल्लाने पर उसकी पैंटी नहीं उतारी , लेकिन आगे से हाथ डाल के कम्मो ने उसके खूंटे की कालिख पेण्ट दो दो कोट रंग , जबरदस्त मालिश की , और खूंटा एकदम खड़ा , ... हाँ हम दोनों ने उसे झड़ने नहीं दिया , और मैंने पिछवाड़ा , लाल रंग पहले फिर बैंगनी , उसके बाद प्रिंट वाली जो स्याही होती है है उसकी ट्यूब से गाढा नीला रंग ,... और दोनों चूतड़ फैला के , बीच वाले छेद पर , बस अंदर नहीं डाला , लेकिन डरवाया ,
" बोल स्साले , किस लौंडे बाज ने तेरी गाँड़ मारी ऐसा चिकना माल बचा तो नहीं होगा , ... "
और उसने कबूल दिया की कोरा है , बस कम्मो पीछे पड़ गयी ,
" ये स्साले जितने एलवल वाले कोरे हैं या या कोरी हैं , उन सबके फाड़ने का काम हम भौजाइयों का है , ... "
और उसकी चड्ढी सरका दी ,
फटा पोस्टर निकला हीरो , लाल पीला कालिख पेण्ट से पुता
हम दोनों ने उसे प्रॉमिस किया था की उसकी चड्ढी नहीं उतारेंगे , इसलिए चड्ढी घुटने में फंसी रहने दी ,
और भाभी कैसी जो फागुन में देवर के खूंटे की लम्बाई चौड़ाई न नापे जांचे ,