20-03-2019, 04:21 PM
रसीली भाभी
भाभी- “अब देख तुझे लण्ड की कोई कमी नहीं रहेगी, वैसे भी हिचक तुझे फड़वाने की थी, डर लगता है भाभी, बहुत दर्द होगा? लोग क्या कहेंगे? कहीं कुछ गड़बड़ हो गया तो? नहीं फड़वाना मुझे बस? शादी के बाद सीधे…”
भाभी ने मेरी आवाज की नकल करते हुए मेरे बहाने गिनाए और खूब चिढ़ाया।
फिर समझाया भी-
“यार अब रास्ता खुल गया है, तो आने जाने वालों को मना मत करो, जितनों का मन रखोगी, तुझे दुआ ही देंगे। फिर एक बार तेरी सहेली ने चारा खा लिया है न, तो अब तो रोज उसे खुजली चढ़ेगी…”
खाना खाते समय भी भाभी की छेड़खानी, चुहलबाजियां जारी रही।
मैं भी भाभी को देखकर मुश्कुरा रही थी, मुझे चलते समय उनकी और जीजू की कानाफूसी बार-बार याद आ रही थी-
“ननदोई जी इतनी प्यारी कच्ची कुँवारी साल्ली को आपको दिलवा दिया, मेरी फीस?”
वो मुश्कुरा के उन्हें याद दिला रही थीं।
जीजू- “अरे सलहज जी, इसीलिए तो रंगपंचमी के एक दिन पहले आ रहा हूँ, वो भी एकदम सुबह, दो दिन, तीन रात, एकदम आपकी फीस मिलेगी और सूद समेत मिलेगी…”
जीजू ने कचकचा के उनके उभार दबाते हुए बोला।
भाभी का एक हाथ वहीं मेरी सहेली के ऊपर, कभी सहलाती, कभी दबा देतीं और उनकी बातें-
“अरे जानू आज तो ट्रेलर था, जब रंगपंचमी में ननदोई जी आएंगे न तो अपने सामने करवाऊँगी…”
मैं- “भाभी, लेकिन आपको भी करवाना होगा मेरे सामने, मेरे साथ-साथ…”
मुझे बार-बार जीजू और भाभी की बात याद आ रही थी इसलिए मैंने उन्हें छेड़ा।
भाभी-
“एकदम मेरी सोनचिरैया, मेरी प्यारी बिन्नो, आज से सब कुछ मिल बांटकर, और अगर एक लड़की पे दो-दो लौड़े एक साथ चढ़ के मजे ले सकते हैं तो दो लड़कियां एक साथ क्यों नहीं?
अरे तेरी चोदेंगे तो मेरी चाटेंगे। तेरी दीदी बता रही थी की ननदोई राजा पक्के चूत चटोरे हैं। वो भी चेक कर लेंगे हम दोनों। रंगपंचमी की होली तो और तगड़ी होती है और फिर है भी कितने दिन?”
भाभी ने मेरे मना करने पर भी एक पूआ और मेरी थाली में डालते बोला।
तब तक मेरी निगाह मेरे टेबल पर रखे मोबाइल पर पड़ी, और मेरी जान सूख गई।
जीजू के चीरहरण और श्रृंगार की मैं वीडियो बना रही थी, फिर उनके जाने के बाद टेबल पर ही रख दिया था,
साइलेंट मोड में भी था, ऊपर से होली का हंगामा, इसलिए देखना भूल गई।
विनया के पूरे 127 मेसेज थे।
अब जान बचने वाली नहीं। आप पूछेंगे विनया कौन? अरे बताती हूँ लेकिन जरा मेसेज तो पढ़ लेने दीजिये न? मुश्किल से 40-45 मेसेज पढ़े थे की मोबाइल घनघना उठा।
वही विनया।
भाभी ने अपनी बड़ी-बड़ी पलकें उठाकर इशारे से पूछा-
किसका फोन है?
मैंने बताया- “विनया का…”
विनया उनकी मुझसे भी ज्यादा पक्की ननद थी, एकदम उनकी बिरादरी की,
दोनों मिलके कबसे मेरी फड़वाने के चक्कर में पड़ी थीं।
भाभी का चेहरा एकदम खिल गया, इशारे से ही वो बोलीं-
“स्पीकर फोन आन कर दो…”
भाभी- “अब देख तुझे लण्ड की कोई कमी नहीं रहेगी, वैसे भी हिचक तुझे फड़वाने की थी, डर लगता है भाभी, बहुत दर्द होगा? लोग क्या कहेंगे? कहीं कुछ गड़बड़ हो गया तो? नहीं फड़वाना मुझे बस? शादी के बाद सीधे…”
भाभी ने मेरी आवाज की नकल करते हुए मेरे बहाने गिनाए और खूब चिढ़ाया।
फिर समझाया भी-
“यार अब रास्ता खुल गया है, तो आने जाने वालों को मना मत करो, जितनों का मन रखोगी, तुझे दुआ ही देंगे। फिर एक बार तेरी सहेली ने चारा खा लिया है न, तो अब तो रोज उसे खुजली चढ़ेगी…”
खाना खाते समय भी भाभी की छेड़खानी, चुहलबाजियां जारी रही।
मैं भी भाभी को देखकर मुश्कुरा रही थी, मुझे चलते समय उनकी और जीजू की कानाफूसी बार-बार याद आ रही थी-
“ननदोई जी इतनी प्यारी कच्ची कुँवारी साल्ली को आपको दिलवा दिया, मेरी फीस?”
वो मुश्कुरा के उन्हें याद दिला रही थीं।
जीजू- “अरे सलहज जी, इसीलिए तो रंगपंचमी के एक दिन पहले आ रहा हूँ, वो भी एकदम सुबह, दो दिन, तीन रात, एकदम आपकी फीस मिलेगी और सूद समेत मिलेगी…”
जीजू ने कचकचा के उनके उभार दबाते हुए बोला।
भाभी का एक हाथ वहीं मेरी सहेली के ऊपर, कभी सहलाती, कभी दबा देतीं और उनकी बातें-
“अरे जानू आज तो ट्रेलर था, जब रंगपंचमी में ननदोई जी आएंगे न तो अपने सामने करवाऊँगी…”
मैं- “भाभी, लेकिन आपको भी करवाना होगा मेरे सामने, मेरे साथ-साथ…”
मुझे बार-बार जीजू और भाभी की बात याद आ रही थी इसलिए मैंने उन्हें छेड़ा।
भाभी-
“एकदम मेरी सोनचिरैया, मेरी प्यारी बिन्नो, आज से सब कुछ मिल बांटकर, और अगर एक लड़की पे दो-दो लौड़े एक साथ चढ़ के मजे ले सकते हैं तो दो लड़कियां एक साथ क्यों नहीं?
अरे तेरी चोदेंगे तो मेरी चाटेंगे। तेरी दीदी बता रही थी की ननदोई राजा पक्के चूत चटोरे हैं। वो भी चेक कर लेंगे हम दोनों। रंगपंचमी की होली तो और तगड़ी होती है और फिर है भी कितने दिन?”
भाभी ने मेरे मना करने पर भी एक पूआ और मेरी थाली में डालते बोला।
तब तक मेरी निगाह मेरे टेबल पर रखे मोबाइल पर पड़ी, और मेरी जान सूख गई।
जीजू के चीरहरण और श्रृंगार की मैं वीडियो बना रही थी, फिर उनके जाने के बाद टेबल पर ही रख दिया था,
साइलेंट मोड में भी था, ऊपर से होली का हंगामा, इसलिए देखना भूल गई।
विनया के पूरे 127 मेसेज थे।
अब जान बचने वाली नहीं। आप पूछेंगे विनया कौन? अरे बताती हूँ लेकिन जरा मेसेज तो पढ़ लेने दीजिये न? मुश्किल से 40-45 मेसेज पढ़े थे की मोबाइल घनघना उठा।
वही विनया।
भाभी ने अपनी बड़ी-बड़ी पलकें उठाकर इशारे से पूछा-
किसका फोन है?
मैंने बताया- “विनया का…”
विनया उनकी मुझसे भी ज्यादा पक्की ननद थी, एकदम उनकी बिरादरी की,
दोनों मिलके कबसे मेरी फड़वाने के चक्कर में पड़ी थीं।
भाभी का चेहरा एकदम खिल गया, इशारे से ही वो बोलीं-
“स्पीकर फोन आन कर दो…”