20-03-2019, 11:20 AM
(This post was last modified: 10-02-2024, 02:28 PM by badmaster122. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
उसकी गर्म रोड के अंदर कि सप्लाई अपनी चूत के अंदर महसूस करते ही उसके ओर्गास्म का गुब्बारा भी फूट गया और उसके अंदर का लावा निकलकर मनीष कि लस्सी में घुलने-मिलने लगा ..
ऐसा लगा जैसे कमरे के अंदर एक तूफ़ान आकर गुजर गया ..
पर तूफ़ान सिर्फ कमरे में ही नहीं बाहर भी आया था ..
हरिया काका अपनी धोती में से लंड को निकाल कर , अंदर से आ रही तेज आवाजों को सुनते हुए जोर-२ से मसल रहे थे ..क्योंकि जब से उन्होंने छोटी मालकिन को देखा था तब से उनका लंड बैठने का नाम नहीं ले रहा था ..और इसलिए वो उनके कमरे के बाहर आकर खड़ा हुआ था ताकि कुछ मजेदार मसाला मिल सके ..और अंदर से आ रही सिस्कारियों से उसे पता चल गया था कि कार्यकर्म शुरू हो चूका है , इसलिए वो अपने लंड को निकालकर वहीँ मसलने लगा ..
और दिव्या – मनीष के साथ-२ उनके लंड ने भी जब तेज धार जमीन पर गिरानी शुरू कि तो वहाँ सफ़ेद पानी का इतना ढेर लग गया जैसे किसी ने कटोरी में से दहीं गिरा दी हो वहाँ …
वो भागकर किचन कि तरफ गए ताकि किसी कपडे से वो सब साफ़ कर सके ..और इसी बीच दिव्या ने अपना गाउन पहना और बाहर कि तरफ निकलकर बाथरूम में जाने लगी ..क्योंकि पुराने टाइम के अनुसार बनी कोठी में बाथरूम अटेच नहीं था ..और जैसे ही बाहर निकलते हुए उसका पैर हरिया काका द्वारा बनायी हुई झील पर पड़ा , वो ठिठक कर रुक गयी ..और नीचे बैठ कर, अपनी उँगलियों से उठा कर जब उसने देखा कि वो है क्या, तो उसे समझते हुए देर नहीं लगी कि कोई उनके कमरे के बाहर कोई सब देख या सुन रहा था ..और इस समय पूरी कोठी में हरिया काका के अलावा कोई और तो है नहीं ..ये सोचते ही उसके पुरे शरीर में झुरझुरी सी दौड़ गयी कि एक पचास साले के बुड्डे नौकर ने उसकी चुदाई वाली आवाजें सुनी होगी ..और वो सोचने लगी कि चलो अच्छा हुआ, उनकी वजह से बूढ़े का भला हो गया ..और अपनी ही बात पर मुस्कुराती हुई वो बाथरूम कि तरफ भाग गयी ..और वाश करके वो जब वापिस आयी तो हरिया जमीन पर बैठा हुआ अपनी करतूत पर पोचा लगा रहा था ..
दिव्या भी बेशर्मों कि तरह उसकी बगल से होती हुई अंदर चली गयी ..और जाकर सो गयी ..
अगले दिन सुबह उठकर वो जब नीचे गयी तो हरिया उससे नजरें भी नहीं मिला रहा था ..और ये देखकर दिव्या मन ही मन मुस्कुरा रही थी ..
तभी बाहर का दरवाजा खडका और हरिया ने दरवाजा खोल दिया ..सामने चार लोग खड़े थे ..जिन्हे देखते ही हरिया ने बुरा सा मुंह बनाया और बोला : "आ गए तुम मनहूसों …खुशबु आ गयी होगी अपने यार कि …”
ये चारों थे मनीष के बचपन के दोस्त ..
राजेश , हर्षित , बिल्लू और थापा ..
येही चारों थे जिनकी वजह से आज मनीष जुवारी बन चुका था .
बिल्लू : "अरे बुड्डे ….तू अभी तक जिन्दा है …हा हा ..सेंचुरी मारेगा क्या ..”
थापा : "अरे नहीं यार ..ये अब क्या सेंचुरी मारेगा ..इसका तो सर्किट ही खराब हो चुका है …ही ही ..”
थापा ने हरिया काका के लंड कि तरफ इशारा करते हुए उनका मजाक उड़ाया ..
ये उन सबका हर बार का नाटक था ..वो हरिया काका को बहुत सताते थे ..और हरिया उनकी बाते सुनकर कुछ नहीं कर पाता था ..उसकी इतनी औकात ही नहीं थी ..उनके सामने बोलने का मतलब था अपने सर पर मुसीबत बुलाना ..
पर जितना लाचार वो बनता था वो उतना था भी नहीं ..क्योंकि उसके पठानी लंड ने पिछले बीस सालों से गाँव कि ना जाने कितनी चूतों का कल्याण किया था ..और उनमे से बिल्लू और थापा कि माँ भी थी ..और थापा कि माँ तो उससे मिलने अभी तक आती थी ..छुप -२ कर ..
पर अपने ”सर्किट” का बखान वो अभी इन बच्चो के सामने नहीं करना चाहता था ..
राजेश : "काका …जल्दी से मनीष को बुलाओ …”
और उनकी बगल से निकलते हुए सभी अंदर आकर सोफे पर बैठ गए ..
हरिया ने मनीष को जाकर बता दिया कि उसके दोस्त मिलने आये हैं ..मनीष भी ख़ुशी -२ भागता हुआ नीचे आया और उनसे लिपट गया ..
हर्षित : "साले …तू तो हम लोगो को भूल ही गया है …इतना बड़ा आदमी हो गया है कि अपने दोस्तों से मिलने का टाइम भी नहीं है ..”
थापा : "अरे अब हमे लिए इसके पास टाइम कहा से आएगा ..अभी तो भाभीजी के पल्लू से बाहर निकलने का टाइम ही नहीं मिलता होगा ..हा हा ..”
बिल्लू : "यार …भाभीजी से याद आया, सुना है तेरी बीबी एकदम पटाखा है …भेन चोद ….मिलवायेगा नहीं क्या …हम उठा कर थोड़े ही ले जायेंगे उसको ..”
मनीष उसकी बात सुनकर झेंप सा गया …वैसे तो मनीष भी इनकी तरह ही था …ऐसे ही गालियां देकर बाते करने वाला ..दोस्तों कि बीबी पर भद्दी कमेंट करने वाला ..पर आज जब अपने ऊपर ऐसी परिस्थिति आयी तो उसे एहसास हुआ कि सामने वाले कितने गलत होते हैं ..
मनीष अपनी झेंप मिटाते हुए बोला : "अरे यारो ..तुम भी ना …रुको ..मैं मिलवाता हु ..”
और उसने ऊपर मुंह करके दिव्या को बुलाया : "दिव्याआआ ………..ओ दिव्या ……नीचे आओ जल्दी ..”
वो उस वक़्त नहा रही थी ..उसने बाथरूम का दरवाजा खोला और बोली : "रुकिए …दस मिनट में आयी …”
उसके दोस्त ये सुनकर हंसने लगे …जैसे उसका मजाक उड़ा रहे हो कि तेरी बीबी तो तेरी बात मानती ही नहीं है ..
ये देखकर मनीष को गुस्सा आ गया ..वो और जोर से चिल्लाया ..: "दस मिनट नहीं …अभी के अभी …जल्दी आओ …”
ये सुनते ही दिव्या के शरीर के रोंगटे खड़े हो गए …क्योंकि इतनी तेज आवाज से आज तक मनीष ने उसे नहीं पुकारा था ..उसने जल्दबाजी में अपना शरीर तोलिये से सुखाया और बाथरूम में लटकी अपनी रात वाली ड्रेस जो कि उसकी जाँघों तक ही आ पा रही थी पहन कर नीचे भागती चली गयी ..और वो भी बिना ब्रा के ..
ऐसा लगा जैसे कमरे के अंदर एक तूफ़ान आकर गुजर गया ..
पर तूफ़ान सिर्फ कमरे में ही नहीं बाहर भी आया था ..
हरिया काका अपनी धोती में से लंड को निकाल कर , अंदर से आ रही तेज आवाजों को सुनते हुए जोर-२ से मसल रहे थे ..क्योंकि जब से उन्होंने छोटी मालकिन को देखा था तब से उनका लंड बैठने का नाम नहीं ले रहा था ..और इसलिए वो उनके कमरे के बाहर आकर खड़ा हुआ था ताकि कुछ मजेदार मसाला मिल सके ..और अंदर से आ रही सिस्कारियों से उसे पता चल गया था कि कार्यकर्म शुरू हो चूका है , इसलिए वो अपने लंड को निकालकर वहीँ मसलने लगा ..
और दिव्या – मनीष के साथ-२ उनके लंड ने भी जब तेज धार जमीन पर गिरानी शुरू कि तो वहाँ सफ़ेद पानी का इतना ढेर लग गया जैसे किसी ने कटोरी में से दहीं गिरा दी हो वहाँ …
वो भागकर किचन कि तरफ गए ताकि किसी कपडे से वो सब साफ़ कर सके ..और इसी बीच दिव्या ने अपना गाउन पहना और बाहर कि तरफ निकलकर बाथरूम में जाने लगी ..क्योंकि पुराने टाइम के अनुसार बनी कोठी में बाथरूम अटेच नहीं था ..और जैसे ही बाहर निकलते हुए उसका पैर हरिया काका द्वारा बनायी हुई झील पर पड़ा , वो ठिठक कर रुक गयी ..और नीचे बैठ कर, अपनी उँगलियों से उठा कर जब उसने देखा कि वो है क्या, तो उसे समझते हुए देर नहीं लगी कि कोई उनके कमरे के बाहर कोई सब देख या सुन रहा था ..और इस समय पूरी कोठी में हरिया काका के अलावा कोई और तो है नहीं ..ये सोचते ही उसके पुरे शरीर में झुरझुरी सी दौड़ गयी कि एक पचास साले के बुड्डे नौकर ने उसकी चुदाई वाली आवाजें सुनी होगी ..और वो सोचने लगी कि चलो अच्छा हुआ, उनकी वजह से बूढ़े का भला हो गया ..और अपनी ही बात पर मुस्कुराती हुई वो बाथरूम कि तरफ भाग गयी ..और वाश करके वो जब वापिस आयी तो हरिया जमीन पर बैठा हुआ अपनी करतूत पर पोचा लगा रहा था ..
दिव्या भी बेशर्मों कि तरह उसकी बगल से होती हुई अंदर चली गयी ..और जाकर सो गयी ..
अगले दिन सुबह उठकर वो जब नीचे गयी तो हरिया उससे नजरें भी नहीं मिला रहा था ..और ये देखकर दिव्या मन ही मन मुस्कुरा रही थी ..
तभी बाहर का दरवाजा खडका और हरिया ने दरवाजा खोल दिया ..सामने चार लोग खड़े थे ..जिन्हे देखते ही हरिया ने बुरा सा मुंह बनाया और बोला : "आ गए तुम मनहूसों …खुशबु आ गयी होगी अपने यार कि …”
ये चारों थे मनीष के बचपन के दोस्त ..
राजेश , हर्षित , बिल्लू और थापा ..
येही चारों थे जिनकी वजह से आज मनीष जुवारी बन चुका था .
बिल्लू : "अरे बुड्डे ….तू अभी तक जिन्दा है …हा हा ..सेंचुरी मारेगा क्या ..”
थापा : "अरे नहीं यार ..ये अब क्या सेंचुरी मारेगा ..इसका तो सर्किट ही खराब हो चुका है …ही ही ..”
थापा ने हरिया काका के लंड कि तरफ इशारा करते हुए उनका मजाक उड़ाया ..
ये उन सबका हर बार का नाटक था ..वो हरिया काका को बहुत सताते थे ..और हरिया उनकी बाते सुनकर कुछ नहीं कर पाता था ..उसकी इतनी औकात ही नहीं थी ..उनके सामने बोलने का मतलब था अपने सर पर मुसीबत बुलाना ..
पर जितना लाचार वो बनता था वो उतना था भी नहीं ..क्योंकि उसके पठानी लंड ने पिछले बीस सालों से गाँव कि ना जाने कितनी चूतों का कल्याण किया था ..और उनमे से बिल्लू और थापा कि माँ भी थी ..और थापा कि माँ तो उससे मिलने अभी तक आती थी ..छुप -२ कर ..
पर अपने ”सर्किट” का बखान वो अभी इन बच्चो के सामने नहीं करना चाहता था ..
राजेश : "काका …जल्दी से मनीष को बुलाओ …”
और उनकी बगल से निकलते हुए सभी अंदर आकर सोफे पर बैठ गए ..
हरिया ने मनीष को जाकर बता दिया कि उसके दोस्त मिलने आये हैं ..मनीष भी ख़ुशी -२ भागता हुआ नीचे आया और उनसे लिपट गया ..
हर्षित : "साले …तू तो हम लोगो को भूल ही गया है …इतना बड़ा आदमी हो गया है कि अपने दोस्तों से मिलने का टाइम भी नहीं है ..”
थापा : "अरे अब हमे लिए इसके पास टाइम कहा से आएगा ..अभी तो भाभीजी के पल्लू से बाहर निकलने का टाइम ही नहीं मिलता होगा ..हा हा ..”
बिल्लू : "यार …भाभीजी से याद आया, सुना है तेरी बीबी एकदम पटाखा है …भेन चोद ….मिलवायेगा नहीं क्या …हम उठा कर थोड़े ही ले जायेंगे उसको ..”
मनीष उसकी बात सुनकर झेंप सा गया …वैसे तो मनीष भी इनकी तरह ही था …ऐसे ही गालियां देकर बाते करने वाला ..दोस्तों कि बीबी पर भद्दी कमेंट करने वाला ..पर आज जब अपने ऊपर ऐसी परिस्थिति आयी तो उसे एहसास हुआ कि सामने वाले कितने गलत होते हैं ..
मनीष अपनी झेंप मिटाते हुए बोला : "अरे यारो ..तुम भी ना …रुको ..मैं मिलवाता हु ..”
और उसने ऊपर मुंह करके दिव्या को बुलाया : "दिव्याआआ ………..ओ दिव्या ……नीचे आओ जल्दी ..”
वो उस वक़्त नहा रही थी ..उसने बाथरूम का दरवाजा खोला और बोली : "रुकिए …दस मिनट में आयी …”
उसके दोस्त ये सुनकर हंसने लगे …जैसे उसका मजाक उड़ा रहे हो कि तेरी बीबी तो तेरी बात मानती ही नहीं है ..
ये देखकर मनीष को गुस्सा आ गया ..वो और जोर से चिल्लाया ..: "दस मिनट नहीं …अभी के अभी …जल्दी आओ …”
ये सुनते ही दिव्या के शरीर के रोंगटे खड़े हो गए …क्योंकि इतनी तेज आवाज से आज तक मनीष ने उसे नहीं पुकारा था ..उसने जल्दबाजी में अपना शरीर तोलिये से सुखाया और बाथरूम में लटकी अपनी रात वाली ड्रेस जो कि उसकी जाँघों तक ही आ पा रही थी पहन कर नीचे भागती चली गयी ..और वो भी बिना ब्रा के ..