09-12-2020, 03:56 PM
फागुन
और फिर अपने देवरों का ख्याल करके , जब दोनों निकल रही थीं एक एक आइस क्यूब ,
दोनों के कुर्ते और टॉप के अंदर , ...
उसका असर दो चार मिनट में होता , जब तक वो सड़क पर पहुँचती ,
वो गुलाल स्पेशल था , २०% गुलाल और ८०% रंग का मिक्स , ... बस बर्फ पिघल कर दोनों के जोबन पर गुलाल भीगे रंग में
और मोहल्ले के सरे लौंडों का लंड ज्योति और नीतू के गीले भीगे देह से चिपके जोबन को देख कर टाइट होता
और वो लौंडे आखिर मेरे तो देवर लगते न ,
और फागुन में देवर का फायदा भाभी नहीं करवाएंगी तो कौन करवाएगा।
मेरी और कम्मो दोनों की निगाह घड़ी पर पड़ी , तो दोनों एक साथ चौंक पड़े , साढ़े बारह से ज्यादा हो रहे थे ,
डेढ़ घंटे तो इनकी और इनकी कम्मो भौजी की होली चली , हाँ पिचकारी चलने के ठीक पहले दोनों ननदें आ गयीं ,
ज्योति और नीतू ,
दो घंटे से ऊपर उन दोनों के साथ , साढ़े तीन चार घंटे तक लगातार रंगो का धमाल ,
कम्मो ने मुस्कराते हुए आंगन में से अपना वो ब्लाउज जो उसके देवर ने चरररर करके फाड़ था और सारी बटने भी आंगन में बिखरी पड़ीं थीं , उसे समेटा किसी तरह अपने जोबन पर टांगा और बाहर की ओर
( हम लोगों के घर से सटे ही कुछ कमरे बने थे उसी में वो रहती थी )
उसे छोड़ते हुए मैं मुस्कराकर बोली ,
" आज हुयी देवर भाभी की होली , लेकिन पिचकारी का रंग ,.."
. मेरी बात काटते वो बोली ,...
" अरे घबड़ा जिन , अब तो देवर भी यहीं भौजी भी यहीं , पूरी पिचकारी पिचका कर रख दूंगी ,... लेकिन एक बात है हमरे देवर की पिचकारी है जबरदस्त , बस एक दो दिन के अंदर सफ़ेद रंग वाली होली , ... "
चाहती तो मैं भी यही थी आखिर देवर भौजी क होली हो , और सफ़ेद रंग न बरसे देवर क पिचकारी से भौजी की बाल्टी में ,
मैंने पीछे दरवाजा बंद किया , आगे का तो पहले से ही बंद था , फिर भी चेक कर लिया।
और जब मैं आँगन में आयी तो देखा , पूरा आँगन रंग से भरा बाल्टियां भी रंग से भरी ,
तभी मुझे याद आया की ये तो बाथरूम में ये बंद है ,
और जैसे ही मैंने दरवाजा खोला ,
बेचारे , बेचारे के 'बेचारे' की हालत खराबी थी
और फिर अपने देवरों का ख्याल करके , जब दोनों निकल रही थीं एक एक आइस क्यूब ,
दोनों के कुर्ते और टॉप के अंदर , ...
उसका असर दो चार मिनट में होता , जब तक वो सड़क पर पहुँचती ,
वो गुलाल स्पेशल था , २०% गुलाल और ८०% रंग का मिक्स , ... बस बर्फ पिघल कर दोनों के जोबन पर गुलाल भीगे रंग में
और मोहल्ले के सरे लौंडों का लंड ज्योति और नीतू के गीले भीगे देह से चिपके जोबन को देख कर टाइट होता
और वो लौंडे आखिर मेरे तो देवर लगते न ,
और फागुन में देवर का फायदा भाभी नहीं करवाएंगी तो कौन करवाएगा।
मेरी और कम्मो दोनों की निगाह घड़ी पर पड़ी , तो दोनों एक साथ चौंक पड़े , साढ़े बारह से ज्यादा हो रहे थे ,
डेढ़ घंटे तो इनकी और इनकी कम्मो भौजी की होली चली , हाँ पिचकारी चलने के ठीक पहले दोनों ननदें आ गयीं ,
ज्योति और नीतू ,
दो घंटे से ऊपर उन दोनों के साथ , साढ़े तीन चार घंटे तक लगातार रंगो का धमाल ,
कम्मो ने मुस्कराते हुए आंगन में से अपना वो ब्लाउज जो उसके देवर ने चरररर करके फाड़ था और सारी बटने भी आंगन में बिखरी पड़ीं थीं , उसे समेटा किसी तरह अपने जोबन पर टांगा और बाहर की ओर
( हम लोगों के घर से सटे ही कुछ कमरे बने थे उसी में वो रहती थी )
उसे छोड़ते हुए मैं मुस्कराकर बोली ,
" आज हुयी देवर भाभी की होली , लेकिन पिचकारी का रंग ,.."
. मेरी बात काटते वो बोली ,...
" अरे घबड़ा जिन , अब तो देवर भी यहीं भौजी भी यहीं , पूरी पिचकारी पिचका कर रख दूंगी ,... लेकिन एक बात है हमरे देवर की पिचकारी है जबरदस्त , बस एक दो दिन के अंदर सफ़ेद रंग वाली होली , ... "
चाहती तो मैं भी यही थी आखिर देवर भौजी क होली हो , और सफ़ेद रंग न बरसे देवर क पिचकारी से भौजी की बाल्टी में ,
मैंने पीछे दरवाजा बंद किया , आगे का तो पहले से ही बंद था , फिर भी चेक कर लिया।
और जब मैं आँगन में आयी तो देखा , पूरा आँगन रंग से भरा बाल्टियां भी रंग से भरी ,
तभी मुझे याद आया की ये तो बाथरूम में ये बंद है ,
और जैसे ही मैंने दरवाजा खोला ,
बेचारे , बेचारे के 'बेचारे' की हालत खराबी थी