20-03-2019, 08:22 AM
(19-03-2019, 12:34 AM)tharkidimag Wrote: प्रीत की लत मोहे ऐसी लागी
हो गई मैं मतवारी
बल-बल जाऊँ अपने पिया को
हे मैं जाऊँ वारी-वारी
मोहे सुध बुध ना रही तन मन की
ये तो जाने दुनिया सारी
बेबस और लाचार फिरूँ मैं
हारी मैं दिल हारी
हारी मैं दिल हारी
तेरे नाम से जी लूँ
तेरे नाम से मर जाऊँ
तेरे नाम से जी लूँ
तेरे नाम से मर जाऊँ
तेरी जान के सदके में
कुछ ऐसा कर जाऊँ
तूने क्या कर डाला
मर गयी मैं
मिट गयी मैं
हो जी हाँ जी
हो गयी मैं
तेरी दीवानी दीवानी
तेरी दीवानी दीवानी
Wah wah wah...Superb is your description..Man se uchhrankhal ghode ko aap ki lekhni kaid kar leti hai...
हजार साल नरगिस अपनी बेनूरी को रोती है ,
बड़ी मुश्किल से होता है चमन में कोई दीदावर पैदा ,...
कलम आप ऐसी रसिक , रस सिद्ध आँखों को तरसती है जो चार आँखों के खेल को समझ सके , उँगलियाँ अब चोर से डाकू हो हो गयीं ऐसे वाक्याँशों का मज़ा ले सके , जब बात कुछ जान बुझ कर आधी अधूरी हो और उसे पढ़ने वाले पूरे करें ,...
एक बार फिर आप का मेरे सूत्र पर स्वागत , लेकिन यह सूत्र मेरा नहीं आप जैसे सभी रससिद्ध पाठक /पाठिकाओं का है जिन्होंने हमेशा मेरा पथ प्रशस्त किया ,
होली की शुभकामनाएं