07-12-2020, 01:13 PM
एकदम मेरी गाँव की होली ,
लेकिन मैंने एक बार उनकी ओर देखा खिड़की से झांकते और मेरे मन में तो फिर गाँव की होली की याद आगयी ,
अबकी तो हर साल से दस गुना ज्यादा खतरनाक होने वाली थी होली , ...
अबकी उन भाभियों के नन्दोई जो आने वाले थे फिर अबकी भाभी और ननदे बजाय आपस में एक दूसरे के पीछे पड़ने के मिल कर , ...
सलहज और साली , ... सोच सोच के मेरा मन मस्ती से भर गया , ...
और मैंने एक ऊँगली सीधे नीतू की बुर में ठेल दी , जड़ तक और अंगूठा उसकी क्लिट पर ,
लेकिन हालत खराब हो रही थी ज्योति की ,
कम्मो ने थोड़ी देर बुर चुसवाने के बाद , सीधे उसे खींच कर अपने पिछवाड़े के छेद पर
" चाट गाँड़ चट्टो चाट , डाल जीभ अंदर वरना मैं तेरी गाँड़ मार कर गाँड़ का मजा लेना सिखाती हूँ ,
और साथ में उन दोनों की रंगाई पुताई भी जारी थी , आंगन में रंग फैला पड़ा था , हम दोनों के हाथों में भी , ...
हम सब जब झड़े तो कुछ देर तक वैसे ही आँगन में पड़े रहे , फिर मैं स्टोर से जाकर गुझिया , ठंडाई ,
पांच दस मिनट का इंटरवल , और खा पीकर होली शुरू हुयी तो मेरा फोन बज गया और रंग से फोन बचाने के लिए मैं दूर बरामदे में जाकर , मेरी जेठानी का फोन था , वो और सास मेरी शाम तक आने वाली थीं , और पांच मिनट तक गोद भराई का हाल चाल सुनाती रही , बुआ की लड़की का
ज्योति और नीतू अब कम्मो की रगड़ाई में जुटी पड़ी थी और अब कम्मो के बड़े बड़े जोबन पर जहाँ उनके देवर के रंग लगे थे अब ननदों के भी ,...
मैं भी नहीं बची , उन दोनों ने मिल कर ,... मेरे हर खास अंग को रंगा , पेटीकोट खुला ब्रा खुली ,
लेकिन होली में बचना कौन चाहता है ,
डेढ़ दो घंटे तक ,...
हाँ जब वो दोनों जाने लगीं तो उनके कपडे सूखे हमने वापस कर दिए पर उसके पहले कम्मो ने ज्योति को झुका के दो चार पुड़िया रंग ज्योति और नीतू की गांड में और मैंने गुलाल भरे दोनों डिल्डो की बुर में जड़ तक ठेल दिया।
पर जब वो जाने लगीं , तो मैं एक गुलाल अबीर की प्लेट ले कर आयी
और फिर सूखी होली , ... लोग क्या कहेंगे दो दो भाभियाँ , और ननदों के गुलाल भी नहीं लगा ,
जैसा लड़कियों की होली में होता है , सबसे पहले सिन्दूर की तरह गुलाल मांग में ,
उसके बाद गाल और जोबन पर , ...
आफ कोर्स ब्रा और पैंटी तो हमने जब्त कर लिए थे , बिना ब्रा के ननदें सच में होली में बहुत सेक्सी लगती हैं
और फिर अपने देवरों का ख्याल करके , जब दोनों निकल रही थीं एक एक आइस क्यूब , दोनों के कुर्ते और टॉप के अंदर , ... उसका असर दो चार मिनट में होता , जब तक वो सड़क पर पहुँचती ,
वो गुलाल स्पेशल था , २०% गुलाल और ८०% रंग का मिक्स , ... बस बर्फ पिघल कर दोनों के जोबन पर गुलाल भीगे रंग में
और मोहल्ले के लौंडों का लंड ज्योति और नीतू के गीले भीगे देह से चिपके जोबन को देख कर टाइट होता
और वो लौंडे आखिर मेरे तो देवर लगते न ,
और फागुन में देवर का फायदा भाभी नहीं करवाएंगी तो कौन करवाएगा।
लेकिन मैंने एक बार उनकी ओर देखा खिड़की से झांकते और मेरे मन में तो फिर गाँव की होली की याद आगयी ,
अबकी तो हर साल से दस गुना ज्यादा खतरनाक होने वाली थी होली , ...
अबकी उन भाभियों के नन्दोई जो आने वाले थे फिर अबकी भाभी और ननदे बजाय आपस में एक दूसरे के पीछे पड़ने के मिल कर , ...
सलहज और साली , ... सोच सोच के मेरा मन मस्ती से भर गया , ...
और मैंने एक ऊँगली सीधे नीतू की बुर में ठेल दी , जड़ तक और अंगूठा उसकी क्लिट पर ,
लेकिन हालत खराब हो रही थी ज्योति की ,
कम्मो ने थोड़ी देर बुर चुसवाने के बाद , सीधे उसे खींच कर अपने पिछवाड़े के छेद पर
" चाट गाँड़ चट्टो चाट , डाल जीभ अंदर वरना मैं तेरी गाँड़ मार कर गाँड़ का मजा लेना सिखाती हूँ ,
और साथ में उन दोनों की रंगाई पुताई भी जारी थी , आंगन में रंग फैला पड़ा था , हम दोनों के हाथों में भी , ...
हम सब जब झड़े तो कुछ देर तक वैसे ही आँगन में पड़े रहे , फिर मैं स्टोर से जाकर गुझिया , ठंडाई ,
पांच दस मिनट का इंटरवल , और खा पीकर होली शुरू हुयी तो मेरा फोन बज गया और रंग से फोन बचाने के लिए मैं दूर बरामदे में जाकर , मेरी जेठानी का फोन था , वो और सास मेरी शाम तक आने वाली थीं , और पांच मिनट तक गोद भराई का हाल चाल सुनाती रही , बुआ की लड़की का
ज्योति और नीतू अब कम्मो की रगड़ाई में जुटी पड़ी थी और अब कम्मो के बड़े बड़े जोबन पर जहाँ उनके देवर के रंग लगे थे अब ननदों के भी ,...
मैं भी नहीं बची , उन दोनों ने मिल कर ,... मेरे हर खास अंग को रंगा , पेटीकोट खुला ब्रा खुली ,
लेकिन होली में बचना कौन चाहता है ,
डेढ़ दो घंटे तक ,...
हाँ जब वो दोनों जाने लगीं तो उनके कपडे सूखे हमने वापस कर दिए पर उसके पहले कम्मो ने ज्योति को झुका के दो चार पुड़िया रंग ज्योति और नीतू की गांड में और मैंने गुलाल भरे दोनों डिल्डो की बुर में जड़ तक ठेल दिया।
पर जब वो जाने लगीं , तो मैं एक गुलाल अबीर की प्लेट ले कर आयी
और फिर सूखी होली , ... लोग क्या कहेंगे दो दो भाभियाँ , और ननदों के गुलाल भी नहीं लगा ,
जैसा लड़कियों की होली में होता है , सबसे पहले सिन्दूर की तरह गुलाल मांग में ,
उसके बाद गाल और जोबन पर , ...
आफ कोर्स ब्रा और पैंटी तो हमने जब्त कर लिए थे , बिना ब्रा के ननदें सच में होली में बहुत सेक्सी लगती हैं
और फिर अपने देवरों का ख्याल करके , जब दोनों निकल रही थीं एक एक आइस क्यूब , दोनों के कुर्ते और टॉप के अंदर , ... उसका असर दो चार मिनट में होता , जब तक वो सड़क पर पहुँचती ,
वो गुलाल स्पेशल था , २०% गुलाल और ८०% रंग का मिक्स , ... बस बर्फ पिघल कर दोनों के जोबन पर गुलाल भीगे रंग में
और मोहल्ले के लौंडों का लंड ज्योति और नीतू के गीले भीगे देह से चिपके जोबन को देख कर टाइट होता
और वो लौंडे आखिर मेरे तो देवर लगते न ,
और फागुन में देवर का फायदा भाभी नहीं करवाएंगी तो कौन करवाएगा।