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Misc. Erotica एक था राजा, एक थी दासी
#22
9
कुछ देर तक आराम करते करते, अचानक दासी को एक विचार आया की अगर वक्षकुमारी का कोई अपरहण कर ले और उन्हें फिर राजा लिंगवर्मा ढूँढ लाए और इस तरह वह राजकुमारी का दिल जीत ले तथा इससे योनपुर के राजा भी उनसे बहुत खुश हो जाएँगे और उनका विवाह राजकुमारी से आसानी से हो जाएगा और फिर उसने जब यह विचार राजा लिंगवर्मा को सुनाया तो वो बहुत खुश हो गये और उन्होंने तुरंत ही, रूपाली के होंठ चूम लिए और बोले – रूपाली, अगर यह योजना सफल होती है तो हम आपको धन में तोल देंगे और आपको जीवन भर, किसी के आगे झुकने की ज़रूरत नहीं पड़ेगी… !!
रूपाली ने कहा – हाँ महाराज, मगर यह सब तब होगा ना जब राजकुमारी का अपहरण हो… !! मगर, वो तो कड़े पहरे में रहती हैं… !! और उनके रक्षकों की घेरे में सेंध लगाकर, उनका अपरहण करना बड़ा मुश्किल होगा… !!
यह सुन, राजा मुस्कुराया और बोला – यह सब, आप हम पर छोड़ दें… !! बस, हमें यह जानकारी आप दें की राजकुमारी किस किस समय, क्या क्या करती हैं… !! और आज ही रात को, हम वापस कामपुर जाएँगे और इस योजना के लिए काम प्रारंभ कर देंगे… !!
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रूपाली बोली – महाराज, आप आज रात निकलेंगे तो फिर आज पूरे दिन आप कहा रुकेंगे, योनपुर में… !!
इस पर राजा बोला – यहाँ पर… !!
यह सुन, रूपाली थोड़ी सोच में पड़ गई।
यह देख, राजा बोला – क्यूँ आपको कोई परेशानी है, क्या… !! ??
रूपाली बोली – नहीं नहीं, महाराज… !! मुझे कोई परेशानी नहीं है… !! मगर, आप मुझ जैसे ग़रीब की कुटिया में… !! और फिर, मैं आपको क्या भोजन करा सकूँगी… !!
राजा मुस्कुराया और बोला – नहीं, हमें यहाँ कोई परेशानी नहीं है… !! और हमने जो परेशानी आपको दी थी, उसके सामने तो यह कुछ भी नहीं… !! हम बस उसका प्रयाश्चित करना चाहते हैं… !!
रूपाली ने कहा – महाराज, भूल जाइए उस दिन को… !! जो आप मुझे दे रहे हैं उसके बदले में वो तो बहुत बड़ा सम्मान है… !! कृपया कर, अगर आप बुरा ना मानें तो आज के दिन के लिए, मुझे अपनी रानी बना लीजये… !!
राजा समझ गया की रूपाली चुदना चाह रही है, उसने कहा – क्यूँ नहीं… !! हम आपके लिए, इतना तो ज़रूर कर सकते हैं… !! और फिर राजा ने रूपाली को अपनी बाहों में ले लिया और उसका पूरे बदन को चूमने लगा और कभी उसके मुलायम होठों को चूसता तो कभी उसकी गर्दन के नीचे चूमता..
फिर, धीरे धीरे उसकी चूचियाँ चूसता और फिर और नीचे जाते हुए, उसकी नाभि को चूमते हुए उसकी चूत पर जाकर रुक गया और धीरे धीरे उसकी चूत को चूसने लगा।
रूपाली मदहोश होने लगी, वो हल्के हल्के मीठे दर्द के कारण, करहाने लगी।
राजा उसकी चूत के अंदर, अपनी जीभ डाल कर चूसने लगा।
रूपाली, बिलकुल मदहोश हो गई।
फिर, राजा वापस उसके होठों को चूमने लगे और फिर अपने लंड को रूपाली की चूत पर रख एक ज़ोर का झटका दिया और रूपाली चीख पड़ी और राजा का लंड आधा, रूपाली की चूत में चला गया।
राजा थोड़ी देर रुका और दर्द से छटपटा रही, रूपाली के बदन को थोड़ा सहलाया और उसके होंठ चूम उसे संभाला और फिर दूसरा झटका दिया।
इसमें, रूपाली की और ज़ोर से चीख निकल गई।
राजा डर गया की कहीं आस पड़ोस वाले ना सुन लें.. यह सोच, उसने रूपाली के मुंह पर हाथ रख दिया और रूपाली की चीख तो दब गई.. मगर, उसकी आँख से आँसू छलक उठे..
फिर क्या था, जब वो संभाली तो राजा ने चुदाई का दौर आगे बड़ाया और लंड अंदर बाहर करने लगा..
पहले, धीरे धीरे और फिर तेज तेज… !! और रूपाली भी मदहोश सी हो गई और अपनी चुदाई का आनंद उठाने लगी… !! जो उसने, उस रात ना उठाया था… !!
उसकी सिसकारियों में, आज दर्द के जगह उतेजना थी और राजा उसकी सिसकारियों से और उतेज़ित हो रहा था और उसकी चूचियों को बुरी तरह मसल रहा था.. तभी, रूपाली झड़ गई और थोड़ी देर बाद ही, राजा उसकी चूत में झड़ गया..
रूपाली, राजा से लिपट गई और राजा ने भी उसे दूर नहीं हटाया।
उसका लंड ढीला पड़ चुका था.. मगर, फिर भी रूपाली की चूत में ही था..
पूरे दिन, राजा ने रूपाली को कई बार चोदा और फिर रात के अंधेरे में, राजा कामपुर के लिए निकलने लगा।
उसने रूपाली को अपनी बाहों में ले लिया और फिर उसके होठों को चूमा और फिर उसके घर से विदाई ली और आधी रात्रि के बाद, वो वापस कामपुर आ गया और अपने कक्ष में जाकर उसने थोड़ी देर आराम किया।
जल्द ही, इस कहानी का अगला भाग..
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RE: एक था राजा, एक थी दासी - by odinchacha - 07-12-2020, 06:41 AM



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