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Misc. Erotica एक था राजा, एक थी दासी
#20
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उन्होंने उस खिड़की में से झाँका तो सामने खटिया पर, रूपाली सो रही थी।
वो खुश हो गये की उन्हें रूपाली को ढूँढने की ज़्यादा कोशिश नहीं करनी पड़ी।
फिर, वो खिड़की के रास्ते घर में प्रवेश हो गये और रूपाली के खटिया के पास जाकर, रूपाली को दबे स्वर में आवाज़ देकर उठाने की कोशिश करने लग गये.. मगर, वो तो बहुत थक गई थी और पिछले दिन तो बेचारी ने नींद भी कहाँ की थी.. पूरी रात चुदवाती रही थी, राजा से.. इसलिए, वो बहुत गहरी नींद में सोती रही..
Ab aage
जब कुछ देर तक, वो ना उठी तो राजा भी थक गये और राजा को भी बहुत नींद आ रही थी.. इसलिए, वो भी रूपाली के पास खटिया पर, बची जगह पर लेट गये..
तब अचानक, रूपाली को छोटे शिशु की तरह, सोता देख राजा को उस पर प्यार आने लगा।
उसने हल्के से, रूपाली की होठों का चुंबन लिया.. जिससे, रूपाली की नींद मे कोई खलल ना पड़े और फिर उनका प्यार “काम वासना” मे बदलते देर ना लगी।
राजा ने धीरे धीरे, अपने सारे कपड़े निकाल फेंकें और नंगे होकर रूपाली के बगल में लेट गये और फिर धीरे धीरे उन्होंने रूपाली की चोली खोल दी और उसकी चूचियों को आज़ाद कर दिया और फिर उसके घाघरे का नाडा खोल, उसे भी ढीला कर दिया और फिर अपना एक हाथ उसके घाघरे के अंदर डाल उसकी चूत सहलाने लगे और दूसरे हाथ से हल्के हल्के उसकी चूचियाँ मसलने लगे..
मगर, रूपाली बेचारी इतनी गहरी नींद में थी की उसके साथ क्या हो रहा है उसे पता तक ना था..
फिर, उन्होंने रूपाली का एक हाथ लेकर, अपने लंड पर रख लिया और धीरे धीरे उसे सहलाने लगे और थोड़ी देर तक यह सब करने के बाद वो झड़ गये और नग्न ही, रूपाली के पास सो गये।
सुबह, जब रूपाली उठी और तब उसे एहसास हुआ की कोई उसके पास सो रहा है और जब वो मूडी और देखा की जो आदमी उसके पास सो रहा था वो बिल्कुल नंगा था और उसके वस्त्र भी उसके शरीर पर नहीं थे.. यानी, वो भी आधी नंगी थी.. तो उसके मुंह से चीख निकल पड़ी और चीख सुन राजा अचानक ही घबरा के उठ खड़ा हुआ और अपने हाथ से रूपाली का चीखता मुंह बंद किया और बोला – रूपाली हम हैं, आपके राजा… !! राजा लिंगवर्मा और उसने फिर उसे रात्रि का पूरा किस्सा सुनाया… !!
किस्सा सुन, रूपाली मुस्कुराई और बोली – महाराज, आपको यह सब नहीं करना चाहिए था… !! क्यूंकी, मेरी माँ वो तो कुछ दिन के लिए बाहर गई है… !! इसलिए, मैं अकेली हूँ नहीं तो बहुत ग़ज़ब हो जाता… !!
राजा मुस्कुराया और बोला – चलिए, कुछ ग़ज़ब हुआ तो नहीं ना… !! अब बताए की आपने हमारे विवाह को लेकर, क्या सोचा… !! कोई खेल आया, आपके दिमाग़ में, जिससे हमारा विवाह वक्षकुमारी से हो सके… !!
रूपाली बोली – नहीं महाराज, अभी तक तो नहीं… !! मगर, जल्द ही मैं कोई रास्ता निकल लूँगी… !! जिससे, आपका विवाह आसानी के साथ राजकुमारी के साथ हो जाए… !!
राजा लिंगवर्मा ने अभी तक अपने वस्त्र वापस नहीं पहने थे और उनका लंड बिलकुल तन के खड़ा था.. शायद, रक्तचाप के कारण और राजा के लंड को देख रूपाली मुस्कुराने लगी..
मस्त कहानियाँ हैं, मेरी सेक्स स्टोरी डॉट कॉम पर !!! !!
राजा समझ गया की रूपाली क्यूँ मुस्कुरा रही है और उसने वक़्त का फायदा उठाते हुए बिना देर करे, रूपाली को अपनी बाहों में ले लिया और फिर उसके घाघरे को खोल दिया और घाघरे का नाडा खुलते ही, वह रूपाली की चिकनी जांघों से सरकता हुआ उतर गया और रूपाली अब पूर्ण रूप से नंगी राजा लिंगवर्मा के नंगे बदन से टकरा रही थी..
फिर राजा बोला – आप हमारे लिंग को चूसना चाहेंगी… !!
रूपाली ने पहले राजा का चेहरा देखा और फिर उसके खड़े लंड को देखा और बोली – महाराज, क्या मेरा चाहना या ना चाहना यहाँ कोई मोल रखता है… !!
तब राजा मुस्कुराया और बोला – हाँ, बिलकुल… !! अब हम ज़बरदस्ती से आप से कोई क्रिया नहीं करा सकते और हम उस रात के लिए बहुत शर्मिंदा भी है… !!
दासी इतनी इज़्ज़त के आदि नहीं थी.. इसलिए, जब राजा ने उससे इस प्रकार उसकी रज़ामंदी माँगी तो वो उससे मंतर मुग्ध हो गई और बिना कुछ कहे राजा के लंड को मुंह लेकर चूसने लगी..
राजा के लंड को कभी रूपाली मुंह के अंदर बाहर ले लेकर चूसती तो कभी अपनी जीभ से उसके लंड के सिरे को चाट रही थी और फिर उसकी गेंदों को अपने एक हाथ से सहलाती और गेंदों को मुंह में लेती।
राजा बुरी तरह उतेज़ित हो गया और उसने रूपाली के मुंह को चोदना शुरू कर दिया।
राजा के बड़े लंड को, रूपाली किसी तरह अपने मुंह में ले पा रही थी और कुछ ही देर में, राजा रूपाली के मुंह में ही झड़ गया और उसने इतना वीर्य छोड़ा की काफ़ी वीर्य रूपाली के मुंह से बाहर आ गया और फिर दोनों खटिया पर नंगे ही लेट गये।
कुछ देर तक आराम करते करते, अचानक दासी को एक विचार आया की अगर वक्षकुमारी का कोई अपरहण कर ले और उन्हें फिर राजा लिंगवर्मा ढूँढ लाए और इस तरह वह राजकुमारी का दिल जीत ले तथा इससे योनपुर के राजा भी उनसे बहुत खुश हो जाएँगे और उनका विवाह राजकुमारी से आसानी से हो जाएगा और फिर उसने जब यह विचार राजा लिंगवर्मा को सुनाया तो वो बहुत खुश हो गये और उन्होंने तुरंत ही, रूपाली के होंठ चूम लिए और बोले – रूपाली, अगर यह योजना सफल होती है तो हम आपको धन में तोल देंगे और आपको जीवन भर, किसी के आगे झुकने की ज़रूरत नहीं पड़ेगी… !!
रूपाली ने कहा – हाँ महाराज, मगर यह सब तब होगा ना जब राजकुमारी का अपहरण हो… !! मगर, वो तो कड़े पहरे में रहती हैं… !! और उनके रक्षकों की घेरे में सेंध लगाकर, उनका अपरहण करना बड़ा मुश्किल होगा… !!
यह सुन, राजा मुस्कुराया और बोला – यह सब, आप हम पर छोड़ दें… !! बस, हमें यह जानकारी आप दें की राजकुमारी किस किस समय, क्या क्या करती हैं… !! और आज ही रात को, हम वापस कामपुर जाएँगे और इस योजना के लिए काम प्रारंभ कर देंगे… !!
जल्द ही, इस कहानी का अगला भाग..
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RE: एक था राजा, एक थी दासी - by odinchacha - 06-12-2020, 06:45 PM



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