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Misc. Erotica एक था राजा, एक थी दासी
#18
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सारी दासियाँ, वक्षकुमारी की दासी को गरम पानी से स्नान कराने लगीं और एक दासी उसकी चूत और जांघों पर जो खून जमा था, उसे साफ़ करने लगी।
राजकुमारी की दासी, सिसकारियाँ लेने लगी..
कभी कोई दासी उसकी चूत साफ़ करते करते, उसकी चूत में उंगली डाल देती तो कभी उसकी गाण्ड को सहलाती और कोई उसके चूचे धोते धोते, उसकी चूची हल्की सी मसल देती।
वो, एक दम रानी जैसे जीवन का आनंद ले रही थी जो उसने सपने में भी ना सोचा था और उसको रात का अनुभव बिलकुल याद ना रहा..
बस, वो मदहोश अपनी जवानी का आनंद ले रही थी।
वहाँ राजा, अपनी दासी अक्षरा से अपने लंड की मालिश करा रहा था.. उसका लंड, काला ज़रूरी था.. मगर, एक मूसल जैसा मोटा और बड़ा था..
राजा की दासी, राजा के लंड को अपने दोनों हाथो से पकड़ कर मालिश कर रही थी.. जिससे, उसका लंड एक दम तन गया था..
Ab aage
यहाँ दासी की चूत को बाकी दासियाँ, अपनी उंगली से चोदने लगीं और दासी – आँह… !! आह… !! उम्म म म म म म म म म म… !! इयाः उन्ह ह ह ह ह ह ह ह ह ह ह ह ह ह ह ह ह… !! आह ह ह ह ह ह आ आ आ आ आ आ… !! की सिसकारियाँ भरने लगीं और कुछ दासी उसके चूचे चूसने लगीं… !!
फिर राजा ने अपनी दासी अक्षरा को घोड़ी की तरह बैठने का आदेश दिया और उसके आदेश देते ही, अक्षरा घोड़ी की तरह बैठ गई और फिर राजा ने अपना लंड अक्षरा की गाण्ड पर रखा और एक ही झटके में अंदर घुसेड दिया..
अक्षरा ने बस हल्की सी सिसकारी ली और फिर आराम से अपनी गांद मरवाने लगी।
ऐसा लग रहा था की उसकी गाण्ड का छेद, अक्सर राजा का लंड लेता रहता था।
यहाँ अब एक एक दासी, राजकुमारी की दासी को छोड़, राजा और अक्षरा के पास जाकर बैठ गई और दासियाँ अब, राजा और अक्षरा के साथ ही लग गईं..
कोई दासी, अक्षरा के चूचे चूस रही थी तो कोई राजा के लंड के टटटे को, तो कोई राजा को चूँबन दे रही थी..
अब राजकुमारी की दासी के साथ, बस एक दासी रह गई थी और वो उसे अकेले ही स्नान करा रही थी तो अब राजकुमारी की दासी का ध्यान भी उसी दासी पर था।
फिर, राजकुमारी की दासी ने उस दासी को खड़ा किया और फिर उसने उसे होंठ पर एक चूँबन दिया और फिर दोनों एक दूसरे के होंठ चूसने लगे और उस दासी ने राजकुमारी की दासी की गाण्ड में, अपनी उंगली डाल दी और उसकी गाण्ड को अपनी उंगली से चोदने लगी।
पहले तो, राजकुमारी की दासी ने हल्की सी सिसकारी ली पर फिर उसने उस दासी को हल्की सी मुस्कुराहट दी और फिर चुदने का आनंद लेने लगी।
फिर, उस दासी ने राजकुमारी की दासी के चूचे चूसने लगी और राजकुमारी की दासी के आनंद की सीमा ना रही और उसने अपना पूरा बदन उस दासी के हाथो में छोड़ दिया और वो दासी उसके चूचे चूसते हुए, उसकी गाण्ड मे अब अपनी दो उंगलियाँ डाल कर, दासी की गाण्ड मारने लगी।
दूसरी ओर, राजा एक एक कर अपनी हर दासी को चोद रहा था।
यहाँ राजकुमारी की दासी अपनी गाण्ड को मरवाने का आनंद ले रही थी और दूसरी दासी ने राजकुमारी की दासी को फर्श पर लेटा दिया और अपनी दो उंगलियाँ उसकी गाण्ड में डालीं और पूरी तेज़ी से उसे चोदने लगी और साथ ही साथ, उसकी चूत को चूसने लगी..
दासी ज़ोर ज़ोर से, सिसकारियाँ लेने लगी और मदहोश सी हो गई और काफ़ी देर तक चुदने के बाद, राजकुमारी की दासी झड़ गई।
यहाँ, राजा भी झड़ चुका था।
फिर, राजा के साथ सभी दसियों ने (राजकुमारी की दासी सहित) स्नान किया और फिर राजा ने राजकुमारी की दासी को फिर से अपनी गोद में उठाया और बोला – यह अब हमारे साथ, हमारे कक्ष में जाएँगी और आप लोग अब जाएँ… !! और फिर अक्षरा से बोला – अक्षरा, आप अपनी नयी प्रमुख दासी के लिए नये वस्त्रो की व्यवस्था करें… !! और फिर वो राजकुमारी की दासी को उठाए, अपने कक्ष में नग्न ही चल दिए।
फिर राजकुमारी की दासी बोली – महाराज, अब मैं ठीक हूँ… !! आप कृपया मुझे गोद में ना लें चलें… !! आप को यह शोभा नहीं देता… !!
राजा मुस्कुराया और बोला – नहीं, दासी… !! हमने जो आप के साथ कल किया है, वो सच में ग़लत था… !! इसलिए, हम अब आपको कोई और कष्ट नहीं दे सकते… !! हम कल के लिए काफ़ी लज्जित हैं… !!
दासी, यह सुन बोली – नहीं महाराज… !! आप लज्जित ना हो… !! कल जो हुआ, वो मदिरा का नशा तथा हमारी राजकुमारी की वजह से हुआ, जो उन्होंने मुझे आप से बात करने, रात्रि काल में भेज दिया… !! अब मैं ज़रा भी क्रोध में नहीं हूँ… !! आप कृपया कर, मुझे नीचे उतार दीजिए… !!
राजा मुस्कुराया और उसने दासी को अपनी गोद से नीचे उतारा।
फिर, दासी और राजा दोनों अपने कक्ष की और चल पड़े।
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राजा के अंगरक्षकों ने, जब दासी को नग्न देखा तो उन सब के चेहरे पर वासना साफ़ दिख रही थी.. मगर, राजा को देख वो सब मुंह नीचे कर खड़े रहे..
जब राजा आगे निकला तो सब दासी के मोटे मोटे गोल चुत्तडों को देखने लगे।
अंदर जाकर, द्वार बंद कर लिए गये और फिर कुछ देर में दासी अक्षरा कपड़े लेकर आ गई और फिर राजा ने दासी को कई तरीके के गहने देकर, अपने राज्य से विदा किया और बदले में दासी ने उसे वचन दिया की वो उसकी शादी राजकुमारी से करवाने के लिए कुछ भी करेगी।
वहाँ योनपुर में, राजकुमारी बड़ी बैचानी से अपनी दासी की रह देख रही थी.. मगर, दासी सीधे पहले महल ना जाकर अपने घर गई और सारे जेवर छुपा दिए और फिर अपने फटे पुराने कपड़े पहन महल पहुँची और सीधे ही राजकुमारी के कक्ष में गई..
राजकुमारी ने तुरंत उसे अपने पास बुलाया और उससे पूछा – क्या हुआ… !! ??
तब उसने बताया – महाराज ने जब आपकी बात सुनी तो उन्होंने तुरंत ही इस शादी से मना करने का आश्वासन दे दिया है और वो कल आकर आपके पिताजी से इस बारे में वार्तालाप कर लेंगे और आपसे शादी करने से मना कर देंगें… !!
यह सुन राजकुमारी खुशी से फूली ना समाई और उसने दासी को गले से लगा लिया और उसके गालों को चूम लिया.. मगर, दासी के चेहरे पर बिल्ली की मुस्कुराहट थी.. वो जानती थी की अब उसे क्या करना है..
जल्द ही, इस कहानी का अगला भाग..
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RE: एक था राजा, एक थी दासी - by odinchacha - 06-12-2020, 06:42 PM



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