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Misc. Erotica एक था राजा, एक थी दासी
#17
5
दासी ने राजा की और देखा और बोली – मेरे साथ जो हुआ है, उसकी वजह वक्षकुमारी ही है… !! क्यूंकी, अगर वो मुझे यहाँ ना भेजती तो आप मुझे उन्हें समझकर, मेरा बलात्कार नहीं करते… !! इसलिए, महाराज मैं इसका का बदला तो उनसे लूँगी और उन्हें आपकी रानी बना के अपनी प्रतिज्ञा पूरी करूँगी… !!
फिर राजा मुस्कुराया और बोला – वैसे, वो प्यार किससे करती है… !! ??
दासी ने राजा की और देखा, मुस्कुराई और बोली – किसी से नहीं… !! और यह कह उसने राजा को पूरा सच सुना दिया की राजकुमारी ने क्यों मना किया।
राजा यह सुन और क्रोध में आ गया की राजकुमारी ने उसका रिश्ता इसलिए ठुकराया क्यूंकी वो देखने में उसे सुंदर ना लगा और राजा ने भी एक प्रतिज्ञा ली और बोला – मैं प्रतिज्ञा लेता हूँ की मैं वक्षकुमारी को जब तक अपना लंड ना चुसवाऊँ, तब तक मैं अपना लंड नहीं धोऊंगा… !! और फिर उसने दासी की और देखा तो दासी उसके लंड की और देख मुस्कुरा रही थी..
उसने दासी से पूछा – दासी, और तुम्हें मैं रंग रूप में कैसा लगा… !! ??
Ab aage
दासी मुस्कुराई और बोली – महाराज, मुझे तो आप बहुत सुंदर लगे थे… !! मगर, हम तो ग़रीब लोग हैं… !! हर बड़ा इंसान, हमें सुंदर ही दिखता है… !!
राजा मुस्कुराया और बोला – हम तुम्हारी बातों से खुश हुए… !! इसलिए, अब हम तुम्हें हम अपने हाथ से स्नान कराएँगे और कई आभूषण और कपड़े भेट देंगे और फिर तुम्हें विदा करेंगे… !!
और फिर राजा ने अपने अंगरक्षकों को आवाज़ दी और बोला की दसियों को भेजो… !!
कुछ ही देर में, दासी कक्ष के अंदर आयीं।
वो राजा और दासी को नंगा देख, चौक गईं.. मगर, फिर उसने अपने आप को संभाला और बोली – महाराज, क्या आज्ञा है… !!
राजा बोला – सुनो, दासी हमारे स्नान के लिए गरम पानी का प्रबंध करो और सब दसियों से कहो की स्नान कक्ष में नग्न अवस्था में, हमारे और अब से तुम्हारी प्रमुख दासी की सेवा में उपस्थित (मौजूद) रहें… !!
दासी ने सिर हिलाया और बोला – जो आज्ञा, महाराज… !! और वो कक्ष से बाहर चली गईं और कुछ देर में वापिस आईं और बोलीं – महाराज, सब तैयार है… !! आप स्नान के लिए, आ सकते हैं… !!
राजा ने दासी की और देखा और बोला – अब हम तुम्हें शाही स्नान का मज़ा दिलाते हैं… !! और फिर राजा ने दासी को गोद में उठाया और स्नान कक्ष की तरफ चल दिया और उसने अपने आगे चल रही दासी से बोला – अक्षरा, तुम वस्त्र नहीं उतरोगी… !!
तब आगे चल रही दासी, बोली – महाराज, मैं अपने वस्त्र स्नान कक्ष में पहुचने पर, उतार दूँगी… !!
फिर राजा मुस्कुराया और ललचाई आँखों से आगे चल रही दासी के, चुत्तड़ देखने लगा..
वहाँ जाकर दासी ने देखा की राजा की सारी दासियाँ नंगी खड़ी हैं और फिर राजा ने दासी को गोदी से उतारा और बोला – देखो, यह हमारे विवाह के बाद, तुम सब की प्रमुख होंगी… !! इसलिए, अब से तुम्हें इनकी हर आज्ञा का पालन करना है… !! और फिर उसने अपनी प्रमुख दासी को बुलाया और बोला – अक्षरा, अब आप भी अपने वस्त्र उतार सकती हैं… !!
यह कहते ही, उस दासी ने अपने सारे वस्त्र उतार दिए और नंगी खड़ी हो गई और राजा ने अपनी दासियों को इशारा कर कहा की तुम इनको ठीक से स्नान करवाओ और इनकी चूत भी गरम पानी से धोकर, इनकी चूत की सूजन का भी इलाज़ करो और राजा ने फिर अक्षरा का हाथ पकड़ा और बोला – आप मेरे साथ आएँ… !! और वो अपने चुत्तड़ मटकाते हुए, राजा के साथ चली गई..
फिर सारी दासियाँ, वक्षकुमारी की दासी को गरम पानी से स्नान कराने लगीं और एक दासी उसकी चूत और जांघों पर जो खून जमा था, उसे साफ़ करने लगी।
राजकुमारी की दासी, सिसकारियाँ लेने लगी..
कभी कोई दासी उसकी चूत साफ़ करते करते, उसकी चूत में उंगली डाल देती तो कभी उसकी गाण्ड को सहलाती और कोई उसके चूचे धोते धोते, उसकी चूची हल्की सी मसल देती।
वो, एक दम रानी जैसे जीवन का आनंद ले रही थी जो उसने सपने में भी ना सोचा था और उसको रात का अनुभव बिलकुल याद ना रहा..
बस, वो मदहोश अपनी जवानी का आनंद ले रही थी।
वहाँ राजा, अपनी दासी अक्षरा से अपने लंड की मालिश करा रहा था.. उसका लंड, काला ज़रूरी था.. मगर, एक मूसल जैसा मोटा और बड़ा था..
राजा की दासी, राजा के लंड को अपने दोनों हाथो से पकड़ कर मालिश कर रही थी.. जिससे, उसका लंड एक दम तन गया था..
जल्द ही, इस कहानी का अगला भाग..
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RE: एक था राजा, एक थी दासी - by odinchacha - 06-12-2020, 06:40 PM



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