06-12-2020, 11:36 AM
निशा ठीक कह रही थी हम ने लंच किया अब निशा की बात को कैसे टाल सकता था मैं और उसका कहना भी तो जायज़ था और वैसे भी मैने अतीत को पीछे छोड़ कर जीने का निर्णय ले लिया था
पर ये निर्णय मैने सिर्फ़ निशा के लिए लिया था माना कि हमारी झोली खाली थी पर फिर भी उसके दामन को खुशियो से भरने का हौंसला था मेरा
निशा- एक काम करो तुम अकेले चले जाओ, मैं देल्ही की बस ले लेती हूँ
मैं- पागल है क्या तू भी चल रही है
वो- थोड़ा ठीक नही लगेगा यार कोई पूछेगा कि ये कौन है तो फिर
मैं- तो फिर क्या सबको पता है तू कौन है
वो- मेरी बात सुनो
मैं- तुम सुनो अगर तुम साथ नही तो मैं भी नही जाउन्गा
अब वो क्या कहती जब हम मामा के घर पहुचे तो मैं बुरी तारह से थक चुका था हल्का हल्का सा अंधेरा भी होने लगा था जैसे ही गाड़ी चौक मे रुकी सबसे पहले मुझे कौशल्या मामी दिखी मुझे देखते ही वो बहुत खुश हो गयी
मैने और निशा ने उनके पैर छुए फिर हम घर मे गये सब लोग बहुत खुश हुवे देख के थोड़ी देर बाद अशोक भाई भी आ गया तो बोला- हां भाई अब फ़ुर्सत मिली है तुम्हे
मैं- भाई तुझे तो सब पता है ना
वो- हाँ, भाई हम भी फ़ौजी है तेरी तरह अफ़सर नही है पर पता सब है
मैं- भाई अब रहने भी दे
भाई- अपनी भाभी से मिल ले गुस्से मे भरी बैठी है उसको झेल थोड़ी देर
मैं- मिलता हूँ थोड़ी देर मे
मैने निशा को इंट्रोड्यूस करवाया सबसे थोड़ी ही देर मे निशा सबसे घुल मिल गयी थी
मामी- कौन है ये
मैं- थारी होने वाली बहू है जल्दी ही इस से शादी करने वाला हूँ पर इसके लिए सर्प्राइज़ है बताना मत
वो- तभी मैं कहूँ …
मैं- क्या आप भी
वो- अच्छा है एक ना एक दिन तो ये काम भी करना ही है मम्मी से बात हुई
मैं- ना
वो- कब तक चलेगा ऐसे घर की बात है सुलझा लो
मैं- वो ही ज़िद पकड़ के बैठी है आपको तो पता है ही
वो- कल या परसो वो आ रही है फिर करते है कुछ
मैं- रहने दो मामी बड़ी मुश्किल से संभाला है खुद को यहा पे कोई तमाशा नही चाहता बस आप लोगो के साथ कुछ दिन हूँ तो हँसी-खुशी धीरे धीरे सब ठीक हो जाना है
मामी- चल फिर घर चलते है कितने दिन बाद आया है वही पे कुछ बाते करेंगे इधर तो सांस आनी नही है
मैं- एक बार भाभी से मिल लूँ फिर चलते है आप बताओ क्या चल रहा है
वो- कुछ नही बस अकेली हूँ आजकल , बच्चे अलग अलग सहरो मे है पढ़ाई के लिए तेरे मामा का तो पता है तुझे चिपके है नौकरी से कितनी बार कहा है रिटाइर हो जाओ पर सुनते ही नही मैं यहाँ रह जाती हूँ अकेली
मैं- ड्जूस्ट तो करना पड़ता है
वो – और कितना अड्जस्ट करू
मैं- भाभी से मिलके आता हूँ
वो- मैं भी कुछ काम निपटा लेती हूँ
जब मैं भाभी के कमरे मे गया तो निशा वहाँ पहले से ही बैठी थी कुछ देर तक भाभी के उलाहने सुनके उनको मनाया
भाभी- तुम तो बड़े आदमी हो गये हो क्यो आओगे हमारे यहाँ
मैं- भाभी ताने मत मारो
वो- लो जी अब ताने भी ना मारे
मैं- अब आ तो गया हूँ अब जब तक कहोगे यही रहूँगा
थोड़ी देर उनके पास बैठा फिर मैं और कौशल्या मामी उनके घर आ गये
मामी मेरी तरफ देख रही थी मैं उसकी तरफ देख रहा था वो ही वो थी वो ही मैं था कौशल्या मामी का भी मेरे जीवन मे बहुत बड़ा रोल थे मेरा उनसे सेक्स रीलेशन एक ग़लती की वजह से बन गया था जब मैने चाची समझ कर उसको चोद दिया था
उसके बाद हमारा रिश्ता बहुत बदल गया था वो मेरी मामी थी , मेरी दोस्त थी बिस्तर पर मेरी साथी थी आज भी कुछ ऐसा ही लम्हा था कुछ देर हम दोनो एक दूसरे को देखते रहे और फिर मैने मामी को अपनी गोद मे थम लिया मामी ने अपने होंठ मेरे होंठो पर रख दिए और किस करने लगी
मामी की उमर बेशक बढ़ गयी थी पर उसके बदन की ताज़गी आज भी ऐसी ही थी मामी के हल्के गुलाबी पतले पतले होंठ आज भी उनका स्वाद ऐसा ही था जैसा कि पहले था कुछ भी तो नही बदली थी वैसी ही थी पतली छरहरी हा कुछ बाल थोड़े से हल्के सफेद हो गये थे पर आग आज भी वैसी ही थी
हम दोनो का थूक मामी के मूह मे इकट्ठा हो रहा था जिसे वो पी गयी , पर मैं उसके होंठो को चूस्ता रहा जब तक वो खुद से अलग नही हो गयी
मामी- ज़्यादा मत चूसो, वरना होंठ सूज जाएगा
मैं- तो क्या हुआ
वो- कुछ नही पर थोड़ा छुपाना मुश्किल होगा
मैने मामी के ब्लाउज को खोल दिया और ब्रा के उपर से ही उसकी मीडियम साइज़ वाली चुचियो को सहलाने लगा मामी के बदन मे कंपकंपी चढ़ने लगी मामी मेरे चेहरे को अपनी छातियो पर रगड़ने लगी मैं अपने हाथ उसकी पीठ पर ले गया और ब्रा को उतार दिया
मामी की चुचियो के भूरे भूरे निप्पल्स जैसे इंतज़ार कर रहे थे मेरे लबो का मामी की चुचि को मैने अपने मूह मे लिया तो मामी ने एक मीठी आह भरी और मेरे सर के बालो को सहलाने लगी
कुछ ही देर मे मामी के बदन ऐंठने लगा था चुचियो मे तनाव आने लगा था बारी बारी वो दोनो चुचियों को मेरे मूह मे दे रही थी मामी के बदन की मोहक खुशुबू मेरी सांसो मे घुलती जा रही थी
कुछ देर बाद वो मेरी गोद से उतर गयी और मेरी पॅंट को खोलने लगी नीचे खिसकाया और फिर घुटनो के बल बैठ कर मेरे लंड से खेलने लगी मामी ने उपर से नीचे तक लंड पर अपनी जीभ फेरी तो मैं झुर्झुरा गया
मेरे लंड के हर हिस्से पर मामी की गीली जीभ घूम रही थी बीच मे जब वो अपने दाँतों से चॅम्डी को आहिस्ता से काट ती तो एक खुमारी सी छाने लगी मैने अपनी आँखो को मूंद लिया और मामी को अपना काम करने दिया
मामी ने मेरे सुपाडे पर अपने होंठ लगा दिए और उसको पुच पच करते हुए चूसने लगी चाटने लगी मैने उनके सर को थोड़ा सा नीचे को दबाया तो मामी ने लंड का कुछ और हिस्सा अंदर ले लिया और अपने जलवे दिखाने लगी
मैने देखा बीच बीच मे उनका हाथ अपनी चूत पर जा रहा था तो मैं समझ गया कि मामी आज बहुत ज़्यादा गीली हुई पड़ी है पर मैने भी काफ़ी दिन से सेक्स नही किया था तो मैं चाहता था कि आज अच्छे से करू
करीब दस मिनिट बाद मैने अपने लंड को मामी के मूह से निकाला जिस पर मामी की लार लगी हुई थी मैने मामी को खड़ी किया और कच्छी को उतार दिया उफफफ्फ़ मामी की गान्ड क्या थी ज़्यादा भारी तो नही थी पर दिल धड़काने वाली ज़रूर थी
मामी के गोरे चुतड़ों पर जो हल्का सा गुलबीपन था वो बड़ा सेक्सी था और उपर से उनका पूरा शरीर गोरा था बस चूत ही काली थी और उसके वो झाट के बाल वहाँ से चूत की खूबसूरती और बढ़ गयी थी
मामी इस कदर गीली थी कि चूत से रिस्ता कामरस झान्ट के बालो को भी गीला करने लगा था जैसे की हरी घास मे कुछ शबनम की बूंदे सुबह सुबह कुछ ऐसी ही सुंदर मामी की चूत लग रही थी
मैने मामी को बेड पर पटक दिया और मामी ने खुद अपनी टाँगो को फैला लिया और अपनी गान्ड के नीचे तकिया लगा लिया ताकि चूतड़ थोड़े से उपर हो जाए
मामी- मनीष अब मत तडपा मुझे बहुत दिनो से तरस रही हूँ तुझसे प्यार करने के लिए
मैं- मैं भी मामी
मैने मामी की टाँगो को अपनी जाँघो पर चढ़ाया और मामी की चूत पर अपने गरम सुपाडे को रख दिया
मम्मी-अयाया
मैने हल्का सा झटका मारा तो लंड चूत मे जाने लगा मामी की चूत वक़्त के साथ थोड़ी मेच्यूर हो गयी थी तो चोदने मे और मज़ा आने वाला था धीरे धीरे मेरा पूरा लंड चूत मे जा चुका था और मैं मामी के उपर लेट गया
मामी ने अपने हाथ मेरी पीठ पर लगा दिए और मुझमे और अंदर तक समाने की कोशिश करने लगी मेरे गाल मामी के गालो से टकरा रहे थे और मैने अब अपनी कमर उचकानी शुरू की
मामी- आज तेरे साथ करके बहुत अच्छा लग रहा है बस ऐसे ही धीरे धीरे कर थोड़ा लंबा चलेंगे
मैं- हूंम्म
मामी का बाया गाल मेरे होंठो मे दबा हुआ था और मामी की चूत मे लंड फसा हुआ था कुछ देर बाद मामी ने अपने पैर एम शेप मे कर लिए जिस से लंड और गहराई तक अंदर को जाने लगा
मैं और मामी इस दौरान कुछ भी बात नही कर रहे थे बस धीरे धीरे अपनी चुदाई को आगे ले जा रहे थे मामी भी अपनी कमर उचका उचका कर मेरा साथ दे रही थी
कहने को तो ये सेक्स था पर हम अपने रिश्ते को थोड़ा और मजबूत कर रहे थे मामी के गुलाबी होंठो को मैं हल्के हल्के से चूम लेता था मामी की चुचिया मेरे सीने के बोझ तले दबी पड़ी थी और मामी की साँसे उफन रही थी
काफ़ी देर हो चुकी थी हम दोनो को पर वो चाहती थी कि मैं उसके उपर ही चढ़ा रहूं शायद वो दूसरी बार झड रही थी जब मेरा पानी उसकी चूत मे गिरने लगा मैने बहुत दिनो बाद सेक्स किया था तो जब मेरा हुआ तो मैं झेल नही पाया काफ़ी सारा पानी मामी की चूत मे गिरा जब मैने लंड को बाहर की तरफ खीचा तो वीर्य भी बाहर आकर गिरने लगा
कुछ देर तक हम दोनो एक दूसरे की बाहों मे पड़े रहे फिर मामी ने अपने कपड़े पहने मैं बाथरूम मे चला गया थोड़ी थकान भी हो रही थी तो मैं नहा धोके आया
मामी- खाने मे क्या खाओगे
मैं- खाना निशा के साथ खाउन्गा
मामी- मेरे साथ नही खाना क्या
मैं- खाउन्गा आपके साथ भी पर सुबह, अभी उसे पूछना तो पड़ेगा ना मेहमान है वो
मामी- हाँ, पूछना तो पड़ेगा वैसे बात कितनी आगे बढ़ी है उसके साथ
मैं- मामी, उसका मेरा ना थोड़ा अलग टाइप का है, मतलब हम साथ रहते है पर फिर भी बस ऐसे ही है
मामी- शादी कर ले उसके साथ
मैं- मामी, सोचता तो हूँ पर मिथ्लेश की यादे जो है उसकी याद आती है तो फिर दिल साला काबू मे नही रहता और उपर से मम्मी भी नाराज़ है तो देखू क्या होता है
मामी- तुम्हारी मम्मी कल आ रही है तो फिर करते है बात सारे परिवार के आगे वो मना थोड़ी ना करेगी
मैं- मम्मी तो बात भी नही करती है
वो- सब सही हो जाएगा
मैने रॉकी को फोन किया और बोला कि निशा को यहाँ ले आ मामी खाना बनाने रसोई मे चली गयी मैं टीवी देखने लगा करीब आधे घंटे बाद निशा आ गयी कपड़े चेंज कर लिए थे उसने बड़ी कमाल लग रही थी
मैं- आज तो जबर्जस्त दिख रही हो, किसपे बिजलिया गिराने का इरादा है
वो- कौन हो सकता है तुम्हारे सिवा
मैं- बोर तो ना हो रही
वो- ना
मैं- बढ़िया
मैं- चल एक एक बियर पीते है
वो- ना यार, तुझे तो पता है मुझे झिलती नही है और फिर खम्खा तमाशा होगा
मैं- अरे कुछ नही होता थोड़ी थोड़ी लेते है तू छत पे आ मैं लेके आता हूँ
पहले तो वो मना करती रही पर फिर मान गयी और हम दोनो छत पर आ गये, मामी ने अपना घर खेतो मे बनाया था पहले तो ये एकलौता घर था पर अब बस्ती हो गयी थी हम दोनो छत की मुंडेर पर बैठ गये
और खोल ली बियर की बोटले, कुछ घूंठ लिए थे फिर बाते शुरू हो गयी
निशा- एक बात कहूँ
मैं- वो कैसी थी
मैं- कौन
वो- मिथ्लेश
मैं- तेरे जैसी
वो- बता ना
मैं- कहा ना तेरे जैसी
वो- सच मे
मैं- हां
वो- कैसे मिले थे तुम
मैं- बस ऐसे ही गाँव मे मेला था तो मैं भी गया था उसका पाँव भीड़ मे मेरे पाँव पर पड़ गया था तो तभी पहली बार उसको देखा था और तभी दिल मे कुछ कुछ हो गया था
वो- फिल्मी स्टाइल मे
मैं- हूंम्म
वो- फिर आगे
मैं- बस वो रोज आती थी मंदिर मे और मैं भी तो बस दिल ने उसके दिल तक पैगाम पहुचा दिया
वो- ऐसे ही तूने मुझे पटाया था
मैं- दोस्त है यार तू अपनी बल्कि दोस्त से बढ़ कर तूने मेरे लिए जो किया मैं कभी नही चुका सकता तू भी क्या पूछने लगी तुझे तो सब पता ही है
वो- अच्छा लगता है, उन लम्हो को याद करना कितने अजीब दिन थे तब लाइफ मे एक सुकून सा था आज देख सब कुछ है पर फिर भी कम लगता है
मैं- सही कहा यार अब तो सब बदल गया है अपने गाँव की मिट्टी भी बदल गयी यार, पहले हसी-मज़ाक था शराराते थी वो झोड़ मे नहाना पार्क मे पड़े रहना क्या दिन थे यार
वो- पता है जब तू नही था तेरी बहुत याद आती थी
मैं- मुझे भी बहुत मेहनत की यार तुझे ढूँढने मे पर तू इतनी दूर क्यो चली गयी थी
वो-पास ही तो हूँ , तुझसे दूर हो सकती हूँ क्या
मैं- निशा, मैं मर जाता अगर तू ना होती तो मेरी ज़िंदगी मे
वो- ऐसे मत बोल
मैं- पता है या कभी कभी दिल करता है तुझे अपने सीने से लगा लूँ थाम लूँ तुझे अपनी बहो मे तुझे ना बहुत प्यार करू किस करू तुझे
वो- कर ले तो उसमे क्या है
मैं- सच मे
वो- हाँ
उसके होंठो के नीचे एक तिल था जो मुझे बहुत प्यारा लगता था मैने बोतल को साइड मे रखा और निशा का हाथ पकड़ लिया
वो मेरे करीब आने लगी इतनी करीब की उसकी गरम साँसे मेरे चेहरे को छुने लगी, उसने अपने होंठो को आगे किया और ऐसा ही मैने किया जैसे ही हमारे होंठ टकराए उसका बदन हल्के हल्के से काँपने लगा
एक बार जो होंठो से होंठ मिले तो बस मिलते ही गये मैने दोनो हाथो से उसके चेहरे को थाम लिया और उसको स्मूच करने लगा निशा ने अपनी बाहों मे कस लिया और मेरा साथ देने लगी
एक फिर दो फिर पता नही कितने किस हम करते रहे फिर भाई-बहन आ गये छत पर तो और बाते होने लगी
रॉकी- आप भी पीती हो
निशा- नही, बस कभी कभी तुम्हारे भाई ज़िद कर लेते है तो
सुषमा- वैसे आप क्या करते हो
निशा- लोन मॅनेजर हूँ बॅंक मे
रोकके- भाई मैं भी इस साल एनडीए का एग्ज़ॅम दे रहा हूँ
मैं- मत दे यार, लाइफ मुश्किल हो जाएगी
वो- क्या भाई आप भी मुझे भी आपकी तरफ बन ना है
मुझे हँसी आ गयी – मैं- ना भाई मेरी तरह मत बन ना , कुछ नही हासिल होगा जो लाइफ मैं जीता हूँ दूर से बहुत अच्छी लगती है तू भी सोचता होगा भाई के पास पैसा है रुतबा है पर मेरे भाई ये सब शोऑफ है अंदर से खाली हूँ मैं
रोकके- भाई आप बताते भी नही कि क्या हुआ था
मैं- कुछ नही यार बस इतना समझ ले,ये इश्क़ नही आसां एक आग का दरिया और डूब के जाना है
रोकके – भाई मैं जानता तो हूँ कि आप किसी के साथ लव मे थे पर क्या हुआ वो नही पता
मैं- मुझे भी नही पता
मैं उठा और छत से घरो को देखने लगा जिनमे अब रोशनी होने लगी थी मामी रसोई मे खाना बना रही थी हम लोग उपर छत पर बैठे बाते कर रहे थे
रोकके- सोल्जर बन ना चाहता था अच्छी बात थी , सबके अपने अपने सपने होते है और एक कोशिश तो होनी ही चाहिए सपनो को पूरा करने की बाकी का कुछ टाइम खाने- पीने मे गया
उसके बाद निशा सुषमा के साथ रीना भाभी के पास चली गयी रॉकी भी उनके ही साथ था रह गये मैं और मामी…………………..
मामी ने बिस्तर छत पर ही लगा दिया था मौसम मे हल्की सी ठंडक सी थी एक खुशमिजाजी सी थी और फिर मामी ने अपने कपड़े उतारे और बस पैंटी पैंटी मे ही मेरे पास आ लेटी मामी ने एक काली कच्छी पहनी हुई थी जिसमे से आधे से ज़्यादा चूतड़ दिख रहे थे
और आगे से भी बस चूत वाला हिस्सा ही ढका हुआ था ऐसा लग रहा था कि उसने अपने साइज़ से छोटी पैंटी पहनी हुई थी मामी मुझसे लिपट गयी तो मैने भी उसे अपनी बाहों मे ले लिया और मामी की नंगी पीठ पर हाथ फेरते हुए उसको किस करने लगा
मामी की चुचिया मेरे सीने मे घुसने को मचल रही थी और फिर मैने मामी के होंठ चूस्ते हुए उसकी गान्ड को सहलाना शुरू किया तो वो और मस्त होने लगी, मैने मामी की कच्छी को नीचे सरकाया और मामी की फूली हुई गान्ड को मसल्ने लगा
मामी ने अपनी जीभ मेरे मूह मे डाल दी मस्ती हम दोनो पर असर कर रही थी मैने अपना हाथ मामी की गान्ड की दरार मे डाला और उसको सहलाने लगा मेरी इस हरकत से मामी को मज़ा आने लगा तो उसने मेरे लंड को अपने हाथ मे लिया और ऊपर नीचे करने लगी
मामी की नाज़ुक उंगलिया मेरे सुपाडे के छेद को सहला रही थी मैने अपनी उंगली पर थोड़ा सा थूक लगाया और मामी की गान्ड मे घुसा दी उसने अपने चुतड़ों को भीच लिया तो मैने चूतड़ पर एक थप्पड़ मारा मामी ने चूतड़ ढीले कर दिए
और मैं उसकी गान्ड मे उंगली अंदर बाहर करने लगा मामी तो एक्सपर्ट थी गान्ड मरवाने मे
मैं – कितनी गरम है तू कितना नशा है तुझमे जब जब तुझे चलते देखता हूँ दिल करता है वही पटक कर चोद दूं तुझे उम्र बढ़ गयी पर तुम्हारा नशा कम नही हुआ कौन कहेगा कि तुम तीन जवान बच्चों की माँ हो कितनी गदर गान्ड है तुम्हारी
मामी- ठुकाई भी तो खूब होती है जब तुम्हारे मामा होते है तो दिन रात खूब दबा के पेलते है मुझे तो ये चूतड़ उन्होने ही फूला दिए है
मैं- मामी आज की रात खूब चुदोगि ना
वो- हां मेरे प्यारे तेरा लंड लेने को तो तरस ही गयी हूँ मैं आज अपनी मामी की चूत को खूब रगड़ ना
मैं- मूह मे लेले
मामी ने तुरंत मेरा कहा माना उसने अपनी लंबी जीभ बाहर निकाली और मेरे सुपाडे पर फेरने लगी “आह मामी क्या बात है आआआअहह”
मुझ पर एक दम से मस्ती चढ़ गयी थी मामी अपनी जीभ का जलवा बस मेरे सुपाडे पर ही दिखा रही थी मामी की आँखो मे एक नशा था मैने अपना हाथ पीछे किया और मामी की चोटी को खोल दिया मुझे हमेशा से खुले बालो वाली औरते ही सुंदर लगती थी
और कौशल्या मामी तो गजब औरत थी गोरा रंग पतला शरीर एक नाज़ुक गुड़िया सी पर सेक्सी बहुत थी एक आग थी उनमे और मैं उस आग मे झुलसना चाहता था मैं बार बार और क्योकि मेरे जिस्म को चाह थी तो बस चूत की मेरे लिए तो हर रिस्ता ख़तम था अगर कुछ था तो भूक मेरे जिस्म की
कौशल्या मामी तो गजब औरत थी गोरा रंग पतला शरीर एक नाज़ुक गुड़िया सी पर सेक्सी बहुत थी एक आग थी उनमे और मैं उस आग मे झुलसना चाहता था मैं बार बार और क्योकि मेरे जिस्म को चाह थी तो बस चूत की मेरे लिए तो हर रिस्ता ख़तम था अगर कुछ था तो भूक मेरे जिस्म की
मामी बड़े प्यार से मेरे लंड को चूस रही थी मैने उसके सर को थाम रखा था उसके बालो मे उंगलिया फसि थी मेरी और मामी अपने थूक से सन रही थी मेरे लंड को कभी कभी मैं ज़ोर से पेल मार देता तो मेरा लंड मामी के गले मे आगे को हो जाता तो मामी अपनी आँखो से गुस्सा करती
करीब 5-7 मिनिट तक उन्होने खूब चूसा मेरे लंड को फिर मामी ने अपनी टाँगो मे फसि कच्छी को उतारा
और मेरी ओर अपनी गान्ड कर के घोड़ी बन गयी मामी के बदन से बहुत ही मस्त खुसबु आ रही थी शायद उसने पर्फ्यूम लगाया था मैं थोड़ी देर उसकी चुतड़ों को देखता रहा और फिर अपनी जीभ फेरने लगा मामी की गान्ड पर मामी की गान्ड की दरार मे
और हौले से उसकी गान्ड के छेद को चूम लिया मामी ने एक आह सी भरी और अपनी गान्ड को मेरे मूह पर दबाने लगी बस एक इंच नीचे मामी की चूत गीली होकर फुफ्कार रही थी बुला रही थी मेरे लंड को कि आ और मेरे छेद को चौड़ा कर दे
आ और समा जा, धज्जिया उड़ा दे मेरी मैं बारी बारी मामी की चूत और गान्ड दोनो को चूमने लगा मामी के चूतड़ मेरी जीभ की ताल पर नाचने से लगे थे और मामी के होंठो से फुट ती वो मस्त आहे कसम से कोई भी पागल ही हो जाए
मामी की उस अदा को देख कर , खुद मेरा हद से ज़्यादा बुरा हाल था मामी का नमकीन रस मेरे होंठो पर अपना स्वाद छोड़ रहा था मामी का पतला पेट काँप रहा था बुरी तरह से उत्तेजना सर पर चढ़ चुकी थी मैने मामी की चूत पर अपने गरम लंड को लगाया
और मामी खुद अपनी गान्ड पीछे करने लगी जिस से मेरा सुपाडा मामी की रस से भरी चूत मे जाने लगा मामी की चूत खुद किसी गरम भट्टी की तरफ से तप रही थी मैने अपने लंड पर चूत की गर्मी को महसूस किया
और मेरे अगले धक्के पर मेरा आधा लंड कौशल्या मामी की चूत मे घुस गया मैने अपने दोनो हाथ मामी के सुडौल कंधो पर रखे और मामी को चोदना शुरू किया अगले कुछ मिनिट्स तक बस मामी की गरम आहो का शोर ही होता रहा
मामी की चिकनी चूत जिसे जितना चोदो कम लगे, उपर से मामी भी टूट कर चुद रही थी तो बहुत मज़ा आ रहा था मैं बार बार उसकी पीठ पर चूमता उसके चुतड़ों पर थप्पड़ मारता
“ओह हाआँ ऐसे ही असीसीईईईईईईई फाद्द्द्द्द्द्द्द्द्दद्ड दीईईईई मेरे भोस्डे कूऊऊ उफफफफफफफफफ्फ़ आऐईयईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईई हूंम्म्म हूंम्म्मममम धीरीईईईईईईईईई ढरीईईईईईई ”
मामी की ये मादक आहे मुझे और उत्तेजित कर रही थी चुदती तो हर औरत है पर जब औरत अपनी लाज़-शरम छोड़ कर चुदती है तो उसे भी मज़ा आता है और चोदने वाले को भी ऐसा ही हाल मेरी प्यारी मामी का था जो मुझ पर अपनी चूत की घनघोर बरसात कर रही थी
मैं- उपर आउ क्या
मामी- ना ऐसे ही चुदुन्गि मेरा होने वाला है तो बस तोड़ दो मुझे निचोड़ दो अपनी मामी को …….
पर ये निर्णय मैने सिर्फ़ निशा के लिए लिया था माना कि हमारी झोली खाली थी पर फिर भी उसके दामन को खुशियो से भरने का हौंसला था मेरा
निशा- एक काम करो तुम अकेले चले जाओ, मैं देल्ही की बस ले लेती हूँ
मैं- पागल है क्या तू भी चल रही है
वो- थोड़ा ठीक नही लगेगा यार कोई पूछेगा कि ये कौन है तो फिर
मैं- तो फिर क्या सबको पता है तू कौन है
वो- मेरी बात सुनो
मैं- तुम सुनो अगर तुम साथ नही तो मैं भी नही जाउन्गा
अब वो क्या कहती जब हम मामा के घर पहुचे तो मैं बुरी तारह से थक चुका था हल्का हल्का सा अंधेरा भी होने लगा था जैसे ही गाड़ी चौक मे रुकी सबसे पहले मुझे कौशल्या मामी दिखी मुझे देखते ही वो बहुत खुश हो गयी
मैने और निशा ने उनके पैर छुए फिर हम घर मे गये सब लोग बहुत खुश हुवे देख के थोड़ी देर बाद अशोक भाई भी आ गया तो बोला- हां भाई अब फ़ुर्सत मिली है तुम्हे
मैं- भाई तुझे तो सब पता है ना
वो- हाँ, भाई हम भी फ़ौजी है तेरी तरह अफ़सर नही है पर पता सब है
मैं- भाई अब रहने भी दे
भाई- अपनी भाभी से मिल ले गुस्से मे भरी बैठी है उसको झेल थोड़ी देर
मैं- मिलता हूँ थोड़ी देर मे
मैने निशा को इंट्रोड्यूस करवाया सबसे थोड़ी ही देर मे निशा सबसे घुल मिल गयी थी
मामी- कौन है ये
मैं- थारी होने वाली बहू है जल्दी ही इस से शादी करने वाला हूँ पर इसके लिए सर्प्राइज़ है बताना मत
वो- तभी मैं कहूँ …
मैं- क्या आप भी
वो- अच्छा है एक ना एक दिन तो ये काम भी करना ही है मम्मी से बात हुई
मैं- ना
वो- कब तक चलेगा ऐसे घर की बात है सुलझा लो
मैं- वो ही ज़िद पकड़ के बैठी है आपको तो पता है ही
वो- कल या परसो वो आ रही है फिर करते है कुछ
मैं- रहने दो मामी बड़ी मुश्किल से संभाला है खुद को यहा पे कोई तमाशा नही चाहता बस आप लोगो के साथ कुछ दिन हूँ तो हँसी-खुशी धीरे धीरे सब ठीक हो जाना है
मामी- चल फिर घर चलते है कितने दिन बाद आया है वही पे कुछ बाते करेंगे इधर तो सांस आनी नही है
मैं- एक बार भाभी से मिल लूँ फिर चलते है आप बताओ क्या चल रहा है
वो- कुछ नही बस अकेली हूँ आजकल , बच्चे अलग अलग सहरो मे है पढ़ाई के लिए तेरे मामा का तो पता है तुझे चिपके है नौकरी से कितनी बार कहा है रिटाइर हो जाओ पर सुनते ही नही मैं यहाँ रह जाती हूँ अकेली
मैं- ड्जूस्ट तो करना पड़ता है
वो – और कितना अड्जस्ट करू
मैं- भाभी से मिलके आता हूँ
वो- मैं भी कुछ काम निपटा लेती हूँ
जब मैं भाभी के कमरे मे गया तो निशा वहाँ पहले से ही बैठी थी कुछ देर तक भाभी के उलाहने सुनके उनको मनाया
भाभी- तुम तो बड़े आदमी हो गये हो क्यो आओगे हमारे यहाँ
मैं- भाभी ताने मत मारो
वो- लो जी अब ताने भी ना मारे
मैं- अब आ तो गया हूँ अब जब तक कहोगे यही रहूँगा
थोड़ी देर उनके पास बैठा फिर मैं और कौशल्या मामी उनके घर आ गये
मामी मेरी तरफ देख रही थी मैं उसकी तरफ देख रहा था वो ही वो थी वो ही मैं था कौशल्या मामी का भी मेरे जीवन मे बहुत बड़ा रोल थे मेरा उनसे सेक्स रीलेशन एक ग़लती की वजह से बन गया था जब मैने चाची समझ कर उसको चोद दिया था
उसके बाद हमारा रिश्ता बहुत बदल गया था वो मेरी मामी थी , मेरी दोस्त थी बिस्तर पर मेरी साथी थी आज भी कुछ ऐसा ही लम्हा था कुछ देर हम दोनो एक दूसरे को देखते रहे और फिर मैने मामी को अपनी गोद मे थम लिया मामी ने अपने होंठ मेरे होंठो पर रख दिए और किस करने लगी
मामी की उमर बेशक बढ़ गयी थी पर उसके बदन की ताज़गी आज भी ऐसी ही थी मामी के हल्के गुलाबी पतले पतले होंठ आज भी उनका स्वाद ऐसा ही था जैसा कि पहले था कुछ भी तो नही बदली थी वैसी ही थी पतली छरहरी हा कुछ बाल थोड़े से हल्के सफेद हो गये थे पर आग आज भी वैसी ही थी
हम दोनो का थूक मामी के मूह मे इकट्ठा हो रहा था जिसे वो पी गयी , पर मैं उसके होंठो को चूस्ता रहा जब तक वो खुद से अलग नही हो गयी
मामी- ज़्यादा मत चूसो, वरना होंठ सूज जाएगा
मैं- तो क्या हुआ
वो- कुछ नही पर थोड़ा छुपाना मुश्किल होगा
मैने मामी के ब्लाउज को खोल दिया और ब्रा के उपर से ही उसकी मीडियम साइज़ वाली चुचियो को सहलाने लगा मामी के बदन मे कंपकंपी चढ़ने लगी मामी मेरे चेहरे को अपनी छातियो पर रगड़ने लगी मैं अपने हाथ उसकी पीठ पर ले गया और ब्रा को उतार दिया
मामी की चुचियो के भूरे भूरे निप्पल्स जैसे इंतज़ार कर रहे थे मेरे लबो का मामी की चुचि को मैने अपने मूह मे लिया तो मामी ने एक मीठी आह भरी और मेरे सर के बालो को सहलाने लगी
कुछ ही देर मे मामी के बदन ऐंठने लगा था चुचियो मे तनाव आने लगा था बारी बारी वो दोनो चुचियों को मेरे मूह मे दे रही थी मामी के बदन की मोहक खुशुबू मेरी सांसो मे घुलती जा रही थी
कुछ देर बाद वो मेरी गोद से उतर गयी और मेरी पॅंट को खोलने लगी नीचे खिसकाया और फिर घुटनो के बल बैठ कर मेरे लंड से खेलने लगी मामी ने उपर से नीचे तक लंड पर अपनी जीभ फेरी तो मैं झुर्झुरा गया
मेरे लंड के हर हिस्से पर मामी की गीली जीभ घूम रही थी बीच मे जब वो अपने दाँतों से चॅम्डी को आहिस्ता से काट ती तो एक खुमारी सी छाने लगी मैने अपनी आँखो को मूंद लिया और मामी को अपना काम करने दिया
मामी ने मेरे सुपाडे पर अपने होंठ लगा दिए और उसको पुच पच करते हुए चूसने लगी चाटने लगी मैने उनके सर को थोड़ा सा नीचे को दबाया तो मामी ने लंड का कुछ और हिस्सा अंदर ले लिया और अपने जलवे दिखाने लगी
मैने देखा बीच बीच मे उनका हाथ अपनी चूत पर जा रहा था तो मैं समझ गया कि मामी आज बहुत ज़्यादा गीली हुई पड़ी है पर मैने भी काफ़ी दिन से सेक्स नही किया था तो मैं चाहता था कि आज अच्छे से करू
करीब दस मिनिट बाद मैने अपने लंड को मामी के मूह से निकाला जिस पर मामी की लार लगी हुई थी मैने मामी को खड़ी किया और कच्छी को उतार दिया उफफफ्फ़ मामी की गान्ड क्या थी ज़्यादा भारी तो नही थी पर दिल धड़काने वाली ज़रूर थी
मामी के गोरे चुतड़ों पर जो हल्का सा गुलबीपन था वो बड़ा सेक्सी था और उपर से उनका पूरा शरीर गोरा था बस चूत ही काली थी और उसके वो झाट के बाल वहाँ से चूत की खूबसूरती और बढ़ गयी थी
मामी इस कदर गीली थी कि चूत से रिस्ता कामरस झान्ट के बालो को भी गीला करने लगा था जैसे की हरी घास मे कुछ शबनम की बूंदे सुबह सुबह कुछ ऐसी ही सुंदर मामी की चूत लग रही थी
मैने मामी को बेड पर पटक दिया और मामी ने खुद अपनी टाँगो को फैला लिया और अपनी गान्ड के नीचे तकिया लगा लिया ताकि चूतड़ थोड़े से उपर हो जाए
मामी- मनीष अब मत तडपा मुझे बहुत दिनो से तरस रही हूँ तुझसे प्यार करने के लिए
मैं- मैं भी मामी
मैने मामी की टाँगो को अपनी जाँघो पर चढ़ाया और मामी की चूत पर अपने गरम सुपाडे को रख दिया
मम्मी-अयाया
मैने हल्का सा झटका मारा तो लंड चूत मे जाने लगा मामी की चूत वक़्त के साथ थोड़ी मेच्यूर हो गयी थी तो चोदने मे और मज़ा आने वाला था धीरे धीरे मेरा पूरा लंड चूत मे जा चुका था और मैं मामी के उपर लेट गया
मामी ने अपने हाथ मेरी पीठ पर लगा दिए और मुझमे और अंदर तक समाने की कोशिश करने लगी मेरे गाल मामी के गालो से टकरा रहे थे और मैने अब अपनी कमर उचकानी शुरू की
मामी- आज तेरे साथ करके बहुत अच्छा लग रहा है बस ऐसे ही धीरे धीरे कर थोड़ा लंबा चलेंगे
मैं- हूंम्म
मामी का बाया गाल मेरे होंठो मे दबा हुआ था और मामी की चूत मे लंड फसा हुआ था कुछ देर बाद मामी ने अपने पैर एम शेप मे कर लिए जिस से लंड और गहराई तक अंदर को जाने लगा
मैं और मामी इस दौरान कुछ भी बात नही कर रहे थे बस धीरे धीरे अपनी चुदाई को आगे ले जा रहे थे मामी भी अपनी कमर उचका उचका कर मेरा साथ दे रही थी
कहने को तो ये सेक्स था पर हम अपने रिश्ते को थोड़ा और मजबूत कर रहे थे मामी के गुलाबी होंठो को मैं हल्के हल्के से चूम लेता था मामी की चुचिया मेरे सीने के बोझ तले दबी पड़ी थी और मामी की साँसे उफन रही थी
काफ़ी देर हो चुकी थी हम दोनो को पर वो चाहती थी कि मैं उसके उपर ही चढ़ा रहूं शायद वो दूसरी बार झड रही थी जब मेरा पानी उसकी चूत मे गिरने लगा मैने बहुत दिनो बाद सेक्स किया था तो जब मेरा हुआ तो मैं झेल नही पाया काफ़ी सारा पानी मामी की चूत मे गिरा जब मैने लंड को बाहर की तरफ खीचा तो वीर्य भी बाहर आकर गिरने लगा
कुछ देर तक हम दोनो एक दूसरे की बाहों मे पड़े रहे फिर मामी ने अपने कपड़े पहने मैं बाथरूम मे चला गया थोड़ी थकान भी हो रही थी तो मैं नहा धोके आया
मामी- खाने मे क्या खाओगे
मैं- खाना निशा के साथ खाउन्गा
मामी- मेरे साथ नही खाना क्या
मैं- खाउन्गा आपके साथ भी पर सुबह, अभी उसे पूछना तो पड़ेगा ना मेहमान है वो
मामी- हाँ, पूछना तो पड़ेगा वैसे बात कितनी आगे बढ़ी है उसके साथ
मैं- मामी, उसका मेरा ना थोड़ा अलग टाइप का है, मतलब हम साथ रहते है पर फिर भी बस ऐसे ही है
मामी- शादी कर ले उसके साथ
मैं- मामी, सोचता तो हूँ पर मिथ्लेश की यादे जो है उसकी याद आती है तो फिर दिल साला काबू मे नही रहता और उपर से मम्मी भी नाराज़ है तो देखू क्या होता है
मामी- तुम्हारी मम्मी कल आ रही है तो फिर करते है बात सारे परिवार के आगे वो मना थोड़ी ना करेगी
मैं- मम्मी तो बात भी नही करती है
वो- सब सही हो जाएगा
मैने रॉकी को फोन किया और बोला कि निशा को यहाँ ले आ मामी खाना बनाने रसोई मे चली गयी मैं टीवी देखने लगा करीब आधे घंटे बाद निशा आ गयी कपड़े चेंज कर लिए थे उसने बड़ी कमाल लग रही थी
मैं- आज तो जबर्जस्त दिख रही हो, किसपे बिजलिया गिराने का इरादा है
वो- कौन हो सकता है तुम्हारे सिवा
मैं- बोर तो ना हो रही
वो- ना
मैं- बढ़िया
मैं- चल एक एक बियर पीते है
वो- ना यार, तुझे तो पता है मुझे झिलती नही है और फिर खम्खा तमाशा होगा
मैं- अरे कुछ नही होता थोड़ी थोड़ी लेते है तू छत पे आ मैं लेके आता हूँ
पहले तो वो मना करती रही पर फिर मान गयी और हम दोनो छत पर आ गये, मामी ने अपना घर खेतो मे बनाया था पहले तो ये एकलौता घर था पर अब बस्ती हो गयी थी हम दोनो छत की मुंडेर पर बैठ गये
और खोल ली बियर की बोटले, कुछ घूंठ लिए थे फिर बाते शुरू हो गयी
निशा- एक बात कहूँ
मैं- वो कैसी थी
मैं- कौन
वो- मिथ्लेश
मैं- तेरे जैसी
वो- बता ना
मैं- कहा ना तेरे जैसी
वो- सच मे
मैं- हां
वो- कैसे मिले थे तुम
मैं- बस ऐसे ही गाँव मे मेला था तो मैं भी गया था उसका पाँव भीड़ मे मेरे पाँव पर पड़ गया था तो तभी पहली बार उसको देखा था और तभी दिल मे कुछ कुछ हो गया था
वो- फिल्मी स्टाइल मे
मैं- हूंम्म
वो- फिर आगे
मैं- बस वो रोज आती थी मंदिर मे और मैं भी तो बस दिल ने उसके दिल तक पैगाम पहुचा दिया
वो- ऐसे ही तूने मुझे पटाया था
मैं- दोस्त है यार तू अपनी बल्कि दोस्त से बढ़ कर तूने मेरे लिए जो किया मैं कभी नही चुका सकता तू भी क्या पूछने लगी तुझे तो सब पता ही है
वो- अच्छा लगता है, उन लम्हो को याद करना कितने अजीब दिन थे तब लाइफ मे एक सुकून सा था आज देख सब कुछ है पर फिर भी कम लगता है
मैं- सही कहा यार अब तो सब बदल गया है अपने गाँव की मिट्टी भी बदल गयी यार, पहले हसी-मज़ाक था शराराते थी वो झोड़ मे नहाना पार्क मे पड़े रहना क्या दिन थे यार
वो- पता है जब तू नही था तेरी बहुत याद आती थी
मैं- मुझे भी बहुत मेहनत की यार तुझे ढूँढने मे पर तू इतनी दूर क्यो चली गयी थी
वो-पास ही तो हूँ , तुझसे दूर हो सकती हूँ क्या
मैं- निशा, मैं मर जाता अगर तू ना होती तो मेरी ज़िंदगी मे
वो- ऐसे मत बोल
मैं- पता है या कभी कभी दिल करता है तुझे अपने सीने से लगा लूँ थाम लूँ तुझे अपनी बहो मे तुझे ना बहुत प्यार करू किस करू तुझे
वो- कर ले तो उसमे क्या है
मैं- सच मे
वो- हाँ
उसके होंठो के नीचे एक तिल था जो मुझे बहुत प्यारा लगता था मैने बोतल को साइड मे रखा और निशा का हाथ पकड़ लिया
वो मेरे करीब आने लगी इतनी करीब की उसकी गरम साँसे मेरे चेहरे को छुने लगी, उसने अपने होंठो को आगे किया और ऐसा ही मैने किया जैसे ही हमारे होंठ टकराए उसका बदन हल्के हल्के से काँपने लगा
एक बार जो होंठो से होंठ मिले तो बस मिलते ही गये मैने दोनो हाथो से उसके चेहरे को थाम लिया और उसको स्मूच करने लगा निशा ने अपनी बाहों मे कस लिया और मेरा साथ देने लगी
एक फिर दो फिर पता नही कितने किस हम करते रहे फिर भाई-बहन आ गये छत पर तो और बाते होने लगी
रॉकी- आप भी पीती हो
निशा- नही, बस कभी कभी तुम्हारे भाई ज़िद कर लेते है तो
सुषमा- वैसे आप क्या करते हो
निशा- लोन मॅनेजर हूँ बॅंक मे
रोकके- भाई मैं भी इस साल एनडीए का एग्ज़ॅम दे रहा हूँ
मैं- मत दे यार, लाइफ मुश्किल हो जाएगी
वो- क्या भाई आप भी मुझे भी आपकी तरफ बन ना है
मुझे हँसी आ गयी – मैं- ना भाई मेरी तरह मत बन ना , कुछ नही हासिल होगा जो लाइफ मैं जीता हूँ दूर से बहुत अच्छी लगती है तू भी सोचता होगा भाई के पास पैसा है रुतबा है पर मेरे भाई ये सब शोऑफ है अंदर से खाली हूँ मैं
रोकके- भाई आप बताते भी नही कि क्या हुआ था
मैं- कुछ नही यार बस इतना समझ ले,ये इश्क़ नही आसां एक आग का दरिया और डूब के जाना है
रोकके – भाई मैं जानता तो हूँ कि आप किसी के साथ लव मे थे पर क्या हुआ वो नही पता
मैं- मुझे भी नही पता
मैं उठा और छत से घरो को देखने लगा जिनमे अब रोशनी होने लगी थी मामी रसोई मे खाना बना रही थी हम लोग उपर छत पर बैठे बाते कर रहे थे
रोकके- सोल्जर बन ना चाहता था अच्छी बात थी , सबके अपने अपने सपने होते है और एक कोशिश तो होनी ही चाहिए सपनो को पूरा करने की बाकी का कुछ टाइम खाने- पीने मे गया
उसके बाद निशा सुषमा के साथ रीना भाभी के पास चली गयी रॉकी भी उनके ही साथ था रह गये मैं और मामी…………………..
मामी ने बिस्तर छत पर ही लगा दिया था मौसम मे हल्की सी ठंडक सी थी एक खुशमिजाजी सी थी और फिर मामी ने अपने कपड़े उतारे और बस पैंटी पैंटी मे ही मेरे पास आ लेटी मामी ने एक काली कच्छी पहनी हुई थी जिसमे से आधे से ज़्यादा चूतड़ दिख रहे थे
और आगे से भी बस चूत वाला हिस्सा ही ढका हुआ था ऐसा लग रहा था कि उसने अपने साइज़ से छोटी पैंटी पहनी हुई थी मामी मुझसे लिपट गयी तो मैने भी उसे अपनी बाहों मे ले लिया और मामी की नंगी पीठ पर हाथ फेरते हुए उसको किस करने लगा
मामी की चुचिया मेरे सीने मे घुसने को मचल रही थी और फिर मैने मामी के होंठ चूस्ते हुए उसकी गान्ड को सहलाना शुरू किया तो वो और मस्त होने लगी, मैने मामी की कच्छी को नीचे सरकाया और मामी की फूली हुई गान्ड को मसल्ने लगा
मामी ने अपनी जीभ मेरे मूह मे डाल दी मस्ती हम दोनो पर असर कर रही थी मैने अपना हाथ मामी की गान्ड की दरार मे डाला और उसको सहलाने लगा मेरी इस हरकत से मामी को मज़ा आने लगा तो उसने मेरे लंड को अपने हाथ मे लिया और ऊपर नीचे करने लगी
मामी की नाज़ुक उंगलिया मेरे सुपाडे के छेद को सहला रही थी मैने अपनी उंगली पर थोड़ा सा थूक लगाया और मामी की गान्ड मे घुसा दी उसने अपने चुतड़ों को भीच लिया तो मैने चूतड़ पर एक थप्पड़ मारा मामी ने चूतड़ ढीले कर दिए
और मैं उसकी गान्ड मे उंगली अंदर बाहर करने लगा मामी तो एक्सपर्ट थी गान्ड मरवाने मे
मैं – कितनी गरम है तू कितना नशा है तुझमे जब जब तुझे चलते देखता हूँ दिल करता है वही पटक कर चोद दूं तुझे उम्र बढ़ गयी पर तुम्हारा नशा कम नही हुआ कौन कहेगा कि तुम तीन जवान बच्चों की माँ हो कितनी गदर गान्ड है तुम्हारी
मामी- ठुकाई भी तो खूब होती है जब तुम्हारे मामा होते है तो दिन रात खूब दबा के पेलते है मुझे तो ये चूतड़ उन्होने ही फूला दिए है
मैं- मामी आज की रात खूब चुदोगि ना
वो- हां मेरे प्यारे तेरा लंड लेने को तो तरस ही गयी हूँ मैं आज अपनी मामी की चूत को खूब रगड़ ना
मैं- मूह मे लेले
मामी ने तुरंत मेरा कहा माना उसने अपनी लंबी जीभ बाहर निकाली और मेरे सुपाडे पर फेरने लगी “आह मामी क्या बात है आआआअहह”
मुझ पर एक दम से मस्ती चढ़ गयी थी मामी अपनी जीभ का जलवा बस मेरे सुपाडे पर ही दिखा रही थी मामी की आँखो मे एक नशा था मैने अपना हाथ पीछे किया और मामी की चोटी को खोल दिया मुझे हमेशा से खुले बालो वाली औरते ही सुंदर लगती थी
और कौशल्या मामी तो गजब औरत थी गोरा रंग पतला शरीर एक नाज़ुक गुड़िया सी पर सेक्सी बहुत थी एक आग थी उनमे और मैं उस आग मे झुलसना चाहता था मैं बार बार और क्योकि मेरे जिस्म को चाह थी तो बस चूत की मेरे लिए तो हर रिस्ता ख़तम था अगर कुछ था तो भूक मेरे जिस्म की
कौशल्या मामी तो गजब औरत थी गोरा रंग पतला शरीर एक नाज़ुक गुड़िया सी पर सेक्सी बहुत थी एक आग थी उनमे और मैं उस आग मे झुलसना चाहता था मैं बार बार और क्योकि मेरे जिस्म को चाह थी तो बस चूत की मेरे लिए तो हर रिस्ता ख़तम था अगर कुछ था तो भूक मेरे जिस्म की
मामी बड़े प्यार से मेरे लंड को चूस रही थी मैने उसके सर को थाम रखा था उसके बालो मे उंगलिया फसि थी मेरी और मामी अपने थूक से सन रही थी मेरे लंड को कभी कभी मैं ज़ोर से पेल मार देता तो मेरा लंड मामी के गले मे आगे को हो जाता तो मामी अपनी आँखो से गुस्सा करती
करीब 5-7 मिनिट तक उन्होने खूब चूसा मेरे लंड को फिर मामी ने अपनी टाँगो मे फसि कच्छी को उतारा
और मेरी ओर अपनी गान्ड कर के घोड़ी बन गयी मामी के बदन से बहुत ही मस्त खुसबु आ रही थी शायद उसने पर्फ्यूम लगाया था मैं थोड़ी देर उसकी चुतड़ों को देखता रहा और फिर अपनी जीभ फेरने लगा मामी की गान्ड पर मामी की गान्ड की दरार मे
और हौले से उसकी गान्ड के छेद को चूम लिया मामी ने एक आह सी भरी और अपनी गान्ड को मेरे मूह पर दबाने लगी बस एक इंच नीचे मामी की चूत गीली होकर फुफ्कार रही थी बुला रही थी मेरे लंड को कि आ और मेरे छेद को चौड़ा कर दे
आ और समा जा, धज्जिया उड़ा दे मेरी मैं बारी बारी मामी की चूत और गान्ड दोनो को चूमने लगा मामी के चूतड़ मेरी जीभ की ताल पर नाचने से लगे थे और मामी के होंठो से फुट ती वो मस्त आहे कसम से कोई भी पागल ही हो जाए
मामी की उस अदा को देख कर , खुद मेरा हद से ज़्यादा बुरा हाल था मामी का नमकीन रस मेरे होंठो पर अपना स्वाद छोड़ रहा था मामी का पतला पेट काँप रहा था बुरी तरह से उत्तेजना सर पर चढ़ चुकी थी मैने मामी की चूत पर अपने गरम लंड को लगाया
और मामी खुद अपनी गान्ड पीछे करने लगी जिस से मेरा सुपाडा मामी की रस से भरी चूत मे जाने लगा मामी की चूत खुद किसी गरम भट्टी की तरफ से तप रही थी मैने अपने लंड पर चूत की गर्मी को महसूस किया
और मेरे अगले धक्के पर मेरा आधा लंड कौशल्या मामी की चूत मे घुस गया मैने अपने दोनो हाथ मामी के सुडौल कंधो पर रखे और मामी को चोदना शुरू किया अगले कुछ मिनिट्स तक बस मामी की गरम आहो का शोर ही होता रहा
मामी की चिकनी चूत जिसे जितना चोदो कम लगे, उपर से मामी भी टूट कर चुद रही थी तो बहुत मज़ा आ रहा था मैं बार बार उसकी पीठ पर चूमता उसके चुतड़ों पर थप्पड़ मारता
“ओह हाआँ ऐसे ही असीसीईईईईईईई फाद्द्द्द्द्द्द्द्द्दद्ड दीईईईई मेरे भोस्डे कूऊऊ उफफफफफफफफफ्फ़ आऐईयईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईई हूंम्म्म हूंम्म्मममम धीरीईईईईईईईईई ढरीईईईईईई ”
मामी की ये मादक आहे मुझे और उत्तेजित कर रही थी चुदती तो हर औरत है पर जब औरत अपनी लाज़-शरम छोड़ कर चुदती है तो उसे भी मज़ा आता है और चोदने वाले को भी ऐसा ही हाल मेरी प्यारी मामी का था जो मुझ पर अपनी चूत की घनघोर बरसात कर रही थी
मैं- उपर आउ क्या
मामी- ना ऐसे ही चुदुन्गि मेरा होने वाला है तो बस तोड़ दो मुझे निचोड़ दो अपनी मामी को …….