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Misc. Erotica एक था राजा, एक थी दासी
#12
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दासी की आँखों में डर था की इतना बड़ा लंड उसकी चूत का क्या हाल करेगा और राजा से प्यार की उम्मीद तो बेकार थी।
राजा ने अपने लंड का सुपाड़ा, दासी की चूत के दरवाज़े पर टीका दिया और उसे उसकी चूत पर मलने लगा।
दासी के दिल की धड़कन, बहुत तेज हो गई और फिर राजा ने अपनी मुंह से थूक निकाल कर दासी की चूत पर मला और फिर हल्का सा झटका दिया.. जिससे, लंड थोड़ा अंदर गया.. मगर, दासी की कुँवारी चूत यह झटका भी संभाल ना पाई और खून उसकी चूत से बाहर आ गया और उसे लगा की वो मर जाएगी..
Ab aage
दर्द इतना था की वो लगभग बेहोशी की हालत में थी.. मगर, शायद राजा उतना बुरा ना था जितना, उसने उस रात किया था, इसलिए, उसने दासी को संभाला और हल्के हल्के चूँबन से उसे होसला दिया..
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फिर, उसने धीरे धीरे दूसरा झटका दिया और दासी उस दर्द को बर्दाशत ना कर सकी और बेसूध होकर बिस्तर पर गिर गई।

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राजा ने, फिर उसे संभाला और कभी उसके सिर पर हाथ फेरा तो कभी उसके होंठ चूमे और फिर उसने तीसरा और आखरी धक्का लगाया.. जिससे, दासी की चूत बिलकुल खुल गई

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और वो दर्द से चिल्ला उठी..

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उसकी आवाज़ इतनी तेज थी की महल में रह रहे, सभी मंत्रियो तक वो आवाज़ पहुँची।
कई लोग, राजा के कक्ष तक आए देखने की क्या हुआ.. मगर, अंगरक्षकों ने उन्हें अंदर जाने से मना कर, किसी तरह बात संभाली..
इधर, दासी दर्द से व्याकुल हो उठी थी.. मगर, राजा कहाँ मानने वाला था और काफ़ी देर तक उसने अपने लंड को साधे रखा और हिला तक नहीं..
दासी तो चाहती थी की राजा लंड बाहर निकाल ले.. मगर, वो जानती थी की उसका चाहना, यहाँ कुछ कीमत नहीं रखता.. इसलिए, वो दर्द से करहती हुई लेटी रही..
बस, अपने दोनों हाथों से अपनी चूत को चौड़ा करने की कोशिश करती रही की थोड़ा दर्द कम हो।
राजा ने जब देखा की दासी थोड़ी शांत हुई है तो उसने अपने लंड को अंदर बाहर करना शुरू किया।

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दासी दर्द से बेहाल, करहाती रही।
उसकी सिसकारियाँ, अब सुनने वाला कोई नहीं था और उसकी इज़्ज़त लूट चुकी थी..
उसकी आँखों से आँसू, बाहर लगातार आ रहे थे..
जो चूत, उसने अपने जीवनसाथी के लिए बचाई थी.. वो, अब राजा की हवस का शिकार हो चूकि थी.. मगर, राजा को इस बात से कोई मतलब ना था और वो तो नशे में चूर, उसे चोदने में लगा था..
उसने कुछ देर तक तो, अपने लंड को प्यार से धीरे धीरे अंदर बाहर किया..

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मगर, फिर जब उसने देखा की दासी का करहाना बहुत कम हो गया तो अपने लंड को तेज़ी से अंदर बाहर करने लगा.. जिससे, दासी फिर से करहाने लगी..
राजा भी जोश में, आवाज़ें निकालने लगा.. मगर, दोनों की आवाज़ ऐसी थी जैसे कोई शेर किसी बकरी के मेमने को चोद रहा है..
थोड़ी देर तक तो दासी सहन कर पाई, फिर बेचारी बेहोश हो गई..
राजा उसे चोदता रहा, जब तक वो पूरी तरह झड़ ना गया और उसके बाद वो भी ढीला पड़ कर, उसके बगल में ही बेहोश हो कर गिर गया।

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सुबह जब राजा की आँख खुली, तब उसने देखा की उसके बिस्तर पर खून था और फिर उसकी नज़र दासी पर पड़ी.. जो, अपने नंगे बदन को छुपाए रोए जा रही थी..
तब राजा को अपनी ग़लती का एहसास हुआ.. मगर, अब कोई कुछ नहीं कर सकता था..
अब राजा को यह भी डर लगने लगा की अगर, दासी ने यह बात बाहर बता दी तो जो मंत्री उसके विरोध में है, उनको राजा की सता छीनने का बहाना मिल जाएगा.. इसलिए, राजा ने दासी को समझाया की जो हो गया सो हो गया.. मगर, राजा की शादी उसकी वक्षकुमारी से हो जाए तो वो दासी को पूरी इज़्ज़त से अपने राज्य में शरण देगा और उसका पूरा ख़याल रखेगा और अगर उसके चोदने के कारण दासी को शिशु होता है तो उसका ध्यान भी राजा ही रखेगा..
दासी फिर भी रोती रही और बोली – नहीं महाराज, मुझे न्याय चाहिए… !! आप ऐसे ही, अपने पाप से बच नहीं सकते… !!
राजा, यह सुन भड़क गया और बोला – देख दासी, अगर तूने यह बात बाहर किसी को बताई तो मैं यह शपथ लेता हूँ की उसका नुकसान तुझे अकेले को नहीं, तेरे पूरे परिवार और राज्य को उठना पड़ेगा… !!
दासी डर गई और फिर राजा ने उसे एक बार और प्यार से समझाया की अगर वो राजा की बात मन ले तो वो उसका भविष्य सुधार देगा और उसे कई तरह के प्रलोभन, राजा ने दिए।
दासी को भी लालच आ गया और फिर, राजा ने कहा – मगर, यह सब जब ही हो सकता है, जब तू मेरी शादी वक्षकुमारी से करा दे… !!
दासी ने राजा की और देखा और बोली – मेरे साथ जो हुआ है, उसकी वजह वक्षकुमारी ही है… !! क्यूंकी, अगर वो मुझे यहाँ ना भेजती तो आप मुझे उन्हें समझकर, मेरा बलात्कार नहीं करते… !! इसलिए, महाराज मैं इसका का बदला तो उनसे लूँगी और उन्हें आपकी रानी बना के अपनी प्रतिज्ञा पूरी करूँगी… !!
फिर राजा मुस्कुराया और बोला – वैसे, वो प्यार किससे करती है… !! ??
दासी ने राजा की और देखा, मुस्कुराई और बोली – किसी से नहीं… !! और यह कह उसने राजा को पूरा सच सुना दिया की राजकुमारी ने क्यों मना किया।
राजा यह सुन और क्रोध में आ गया की राजकुमारी ने उसका रिश्ता इसलिए ठुकराया क्यूंकी वो देखने में उसे सुंदर ना लगा और राजा ने भी एक प्रतिज्ञा ली और बोला – मैं प्रतिज्ञा लेता हूँ की मैं वक्षकुमारी को जब तक अपना लंड ना चुसवाऊँ, तब तक मैं अपना लंड नहीं धोऊंगा… !! और फिर उसने दासी की और देखा तो दासी उसके लंड की और देख मुस्कुरा रही थी..

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उसने दासी से पूछा – दासी, और तुम्हें मैं रंग रूप में कैसा लगा… !! ??

जल्द ही, इस कहानी का अगला भाग..

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RE: एक था राजा, एक थी दासी - by odinchacha - 06-12-2020, 11:17 AM



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