06-12-2020, 10:54 AM
3
दासी ने बताया की वो क्यूँ आई थी और उसने राजा को राजकुमारी का संदेश दे दिया..
राजा ने जब उसे पड़ा तो तिलमिला गये की जिसके ख़यालों में वो खो चुके थे वो किसी और से प्यार करती है.. ..
और उन्होंने संदेश को फाड़ कर कक्ष में जल रही अंगीठी में डाल दिया और फिर वो दासी की और मुड़े और बोले – उसकी यह हिम्मत की हमारा रिश्ता ठुकरा दे… !! मैं चाहूं तो उसके राज्य को कुछ ही पल में, धूल में मिला सकता हूँ… !! और यह कहते हुए उन्होंने दासी का हाथ पकड़ लिया..
दासी डर गई और बोली – महाराज, मैं क्षमा चाहती हूँ… !! मगर, मैं तो राजकुमारी के आदेश से यहाँ आई हूँ… !! मुझे कृपा कर, छोड़ दे… !!
राजा गुस्सा में बोला – नहीं, उस घमंडी राजकुमारी को भी पता चलना चाहिए की हम क्या कर सकते हैं… !!
Ab aage
यह कह राजा ने फिर दासी को बिस्तर पर पटक दिया और फिर उसके सामने जाकर खड़े हो गये और दासी के बाल पकड़ कर उसे बिस्तर पर घुटनों के बल बिठा दिया।
वो फिर से करहाने लगी और राजा से दया की भीख माँगने लगी.. मगर, राजा तो बिल्कुल बहक चुका था और दासी का मुंह अपने लंड के सामने लाकर बोला – चूस इसे… !!
दासी ने अपने दोनों हाथ जोड़ कर, राजा से मना किया तब राजा गुस्से में आकर अपने लंड को दासी के होठों से रगड़ने लगा.. मगर, दासी ने अपने मुंह ना खोला..
फिर, राजा ने उसके मुंह को अपने हाथ से दबाया और दर्द से छटपटाती दासी ने मुंह तुरंत खोल दिया और जैसे ही उसने मुंह खोला, राजा ने लंड उसके मुंह के अंदर डाल दिया और फिर राजा उसके सिर को लंड की और धकेलेने लगे और जैसे चूत को चोदते हैं, वैसे उसके मुंह को चोदने लगे..
राजा का बड़ा लंड, दासी के पूरे मुंह में आ गया था और उसे साँस लेने में भी तकलीफ़ हो रही थी।
दूसरी तरफ, राजा अपने हाथों से बेदर्दी से उसकी चूचियाँ मसले जा रहा था.. उसको दर्द सहन नहीं हो रहा था और उसकी आँखों से आँसू बाहर आ गये.. मगर, राजा यह सब कहाँ देख पा रहा था..
फिर, राजा भी अपने बिस्तर पर बैठ गया और दासी का सिर अपनी गोदी में रख उसके मुंह को चोदता रहा और अपनी उंगलियाँ उसकी कुँवारी चूत में डाल दी, जिससे वो तिलमिला उठी..
वो चीखना तो चाहती थी, मगर आवाज़ कहाँ से बाहर आती। उसके मुंह के अंदर तो लंड था और वो मुंह से लंड निकालना भी चाहती थी.. मगर, राजा के हाथ उसके सिर को पीछे से दबाए रहते.. जिससे, वो लंड को मुंह से निकल ना पाती..
वो बुरी तरह, दर्द के कारण तड़प रही थी।
अब वो समझ चूकि थी की आज उसकी इज़्ज़त नहीं बचने वाली और अगर वो ज़यादा प्रयास करेगी तो दर्द और होगा.. इसलिए, उसने अपने बदन को राजा के समर्पित कर दिया और अब जैसा राजा चाहता, वो करता..
उसने दासी के मुंह को लगातार, जब तक चोदा जब तक वो पूरी तरह झड़ नहीं गया.. यहाँ तक की अपना वीर्य भी, उसने दासी के मुंह में ही निकाला और एक बूँद भी बाहर नहीं गिरने दिया और फिर जैसे ही उसने अपना लंड बाहर निकाला तो दासी को उबकाई सी आई..
राजा मुस्कुराते हुए बोला – क्यों, स्वाद अच्छा नहीं था… !! और फिर हंसते हुए उसने दासी के होठों का चूँबन ले लिया
और बोला – आ तुझे दवाई दे दूं… !! जिससे, तेरा दर्द भी कम हो जाएगा और बाद में चुदने में भी मज़ा आएगा… !! और यह कह उसने पास में रखी शराब उठाई और उससे चाँदी के दो गिलासों में पलट दिया और खुद तो एक बार में गाता गत पी गया.. मगर, दासी ने पीने से मना कर दिया तो उसने उसे ज़बरदस्ती पिला दिया और फिर उसने दासी को अपने लंड की मालिश का इशारा किया और फिर दासी बिना प्रतिकार कर, उसके लंड की मालिश करने लगी और राजा उसके चूची चूसने लगा
और थोड़ी ही देर में, राजा का लंड फिर खड़ा हो गया और फिर उसने दासी को बगल से पकड़ बिस्तर पर, बिल्कुल सीधा लिटा दिया..
दासी की आँखों में डर था की इतना बड़ा लंड उसकी चूत का क्या हाल करेगा और राजा से प्यार की उम्मीद तो बेकार थी।
राजा ने अपने लंड का सुपाड़ा, दासी की चूत के दरवाज़े पर टीका दिया और उसे उसकी चूत पर मलने लगा।
दासी के दिल की धड़कन, बहुत तेज हो गई और फिर राजा ने अपनी मुंह से थूक निकाल कर दासी की चूत पर मला और फिर हल्का सा झटका दिया.. जिससे, लंड थोड़ा अंदर गया.. मगर, दासी की कुँवारी चूत यह झटका भी संभाल ना पाई और खून उसकी चूत से बाहर आ गया और उसे लगा की वो मर जाएगी..
जल्द ही, इस कहानी का अगला भाग..
दासी ने बताया की वो क्यूँ आई थी और उसने राजा को राजकुमारी का संदेश दे दिया..
राजा ने जब उसे पड़ा तो तिलमिला गये की जिसके ख़यालों में वो खो चुके थे वो किसी और से प्यार करती है.. ..
और उन्होंने संदेश को फाड़ कर कक्ष में जल रही अंगीठी में डाल दिया और फिर वो दासी की और मुड़े और बोले – उसकी यह हिम्मत की हमारा रिश्ता ठुकरा दे… !! मैं चाहूं तो उसके राज्य को कुछ ही पल में, धूल में मिला सकता हूँ… !! और यह कहते हुए उन्होंने दासी का हाथ पकड़ लिया..
दासी डर गई और बोली – महाराज, मैं क्षमा चाहती हूँ… !! मगर, मैं तो राजकुमारी के आदेश से यहाँ आई हूँ… !! मुझे कृपा कर, छोड़ दे… !!
राजा गुस्सा में बोला – नहीं, उस घमंडी राजकुमारी को भी पता चलना चाहिए की हम क्या कर सकते हैं… !!
Ab aage
यह कह राजा ने फिर दासी को बिस्तर पर पटक दिया और फिर उसके सामने जाकर खड़े हो गये और दासी के बाल पकड़ कर उसे बिस्तर पर घुटनों के बल बिठा दिया।
वो फिर से करहाने लगी और राजा से दया की भीख माँगने लगी.. मगर, राजा तो बिल्कुल बहक चुका था और दासी का मुंह अपने लंड के सामने लाकर बोला – चूस इसे… !!
दासी ने अपने दोनों हाथ जोड़ कर, राजा से मना किया तब राजा गुस्से में आकर अपने लंड को दासी के होठों से रगड़ने लगा.. मगर, दासी ने अपने मुंह ना खोला..
फिर, राजा ने उसके मुंह को अपने हाथ से दबाया और दर्द से छटपटाती दासी ने मुंह तुरंत खोल दिया और जैसे ही उसने मुंह खोला, राजा ने लंड उसके मुंह के अंदर डाल दिया और फिर राजा उसके सिर को लंड की और धकेलेने लगे और जैसे चूत को चोदते हैं, वैसे उसके मुंह को चोदने लगे..
राजा का बड़ा लंड, दासी के पूरे मुंह में आ गया था और उसे साँस लेने में भी तकलीफ़ हो रही थी।
दूसरी तरफ, राजा अपने हाथों से बेदर्दी से उसकी चूचियाँ मसले जा रहा था.. उसको दर्द सहन नहीं हो रहा था और उसकी आँखों से आँसू बाहर आ गये.. मगर, राजा यह सब कहाँ देख पा रहा था..
फिर, राजा भी अपने बिस्तर पर बैठ गया और दासी का सिर अपनी गोदी में रख उसके मुंह को चोदता रहा और अपनी उंगलियाँ उसकी कुँवारी चूत में डाल दी, जिससे वो तिलमिला उठी..
वो चीखना तो चाहती थी, मगर आवाज़ कहाँ से बाहर आती। उसके मुंह के अंदर तो लंड था और वो मुंह से लंड निकालना भी चाहती थी.. मगर, राजा के हाथ उसके सिर को पीछे से दबाए रहते.. जिससे, वो लंड को मुंह से निकल ना पाती..
वो बुरी तरह, दर्द के कारण तड़प रही थी।
अब वो समझ चूकि थी की आज उसकी इज़्ज़त नहीं बचने वाली और अगर वो ज़यादा प्रयास करेगी तो दर्द और होगा.. इसलिए, उसने अपने बदन को राजा के समर्पित कर दिया और अब जैसा राजा चाहता, वो करता..
उसने दासी के मुंह को लगातार, जब तक चोदा जब तक वो पूरी तरह झड़ नहीं गया.. यहाँ तक की अपना वीर्य भी, उसने दासी के मुंह में ही निकाला और एक बूँद भी बाहर नहीं गिरने दिया और फिर जैसे ही उसने अपना लंड बाहर निकाला तो दासी को उबकाई सी आई..
राजा मुस्कुराते हुए बोला – क्यों, स्वाद अच्छा नहीं था… !! और फिर हंसते हुए उसने दासी के होठों का चूँबन ले लिया
और बोला – आ तुझे दवाई दे दूं… !! जिससे, तेरा दर्द भी कम हो जाएगा और बाद में चुदने में भी मज़ा आएगा… !! और यह कह उसने पास में रखी शराब उठाई और उससे चाँदी के दो गिलासों में पलट दिया और खुद तो एक बार में गाता गत पी गया.. मगर, दासी ने पीने से मना कर दिया तो उसने उसे ज़बरदस्ती पिला दिया और फिर उसने दासी को अपने लंड की मालिश का इशारा किया और फिर दासी बिना प्रतिकार कर, उसके लंड की मालिश करने लगी और राजा उसके चूची चूसने लगा
और थोड़ी ही देर में, राजा का लंड फिर खड़ा हो गया और फिर उसने दासी को बगल से पकड़ बिस्तर पर, बिल्कुल सीधा लिटा दिया..
दासी की आँखों में डर था की इतना बड़ा लंड उसकी चूत का क्या हाल करेगा और राजा से प्यार की उम्मीद तो बेकार थी।
राजा ने अपने लंड का सुपाड़ा, दासी की चूत के दरवाज़े पर टीका दिया और उसे उसकी चूत पर मलने लगा।
दासी के दिल की धड़कन, बहुत तेज हो गई और फिर राजा ने अपनी मुंह से थूक निकाल कर दासी की चूत पर मला और फिर हल्का सा झटका दिया.. जिससे, लंड थोड़ा अंदर गया.. मगर, दासी की कुँवारी चूत यह झटका भी संभाल ना पाई और खून उसकी चूत से बाहर आ गया और उसे लगा की वो मर जाएगी..
जल्द ही, इस कहानी का अगला भाग..