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Adultery हार तरफ चुत हि चुत (BIG & HOT STORY)
#69
मेरी दो उंगलिया उसकी चूत मे घुसी पड़ी थी तो उसने अपनी जाँघो को भीच लिया और मेरी मुट्ठी मारने लगी मैने उसके सूट को उतार दिया और ब्रा भी उसकी चूचिया हवा मे झूल ने लगी मैने उनको दूसरे हाथ से दाबना शुरू कर दिया तो लिली भी गरम होने लगी मैने अपना मूह उसकी चूची पर लगा दिया तो लिली और ज़ोर से मेरे लंड को हिलाने लगी



कुछ देर तक ऐसे ही चलता रहा फिर मैं भी नंगा हुआ और उसके बदन से खेलना शुरू कर दिया वो मेरे लंड को चूत पर रगड़े जा रही थी मैने कहा जल्दी क्यो कर रही है तो वो दबी आवाज़ मे बोली कोई आ जाए ना मैने कहा कोई नही आएगा और उसके होठ चूम लिए अब गरम तो वो थी ही उसने अपनी टाँगे फैला दी तो मैने भी बिना देर किया अपने लंड को जन्नत के दरवाजे पे लगा दिया




गीली चूत मे लंड घुसता ही चला गया लिली मुझसे चिपक गयी और लंबी लंबी साँसे लेते हुए चुदने लगी फिर जब चुदाई का दौर शुरू हुआ तो वो भी अपना सारा डर भूल गयी और मेरी बाहों मे समाती चली गयी उसके गालो को काट ते हुए मैं उसे चोद रहा था लिली बोली तुम चोदते बहुत अच्छा हो ये तो टाइम खराब है कि मोका नही मिल रहा सही से



वरना पूरा मज़ा लेके ही ससुराल जाती मैने कहा चिंता ना कर और जितना भी मज़ा मिल रहा है ले ले वो मेरी पीठ सहलाने लगी उसको चोदते हुए मैं धीरे धीरे उसके होटो को पीने लगा तो वो भी मेरा पूरा साथ दे रही थी हमारी जाँघो के आपस मे टकराने से ठप ठप की आवाज़ हो रही थी और चूत मे तो लंड अपना कहर ढा ही रहा था तो थोड़ी देर बाद
मैने उसे सरका के बेड के किनारे पर ले आया और उसकी टाँगो को अपने कंधो पर रख कर उसे चोदने लगा तो उसकी छातिया बुरी तरह से हिलने लगी पूरी मजबूती से उसकी टाँगो को थामा हुआ था मैने लिली अपने बोबो को दोनो हाथों से दबाते हुए अपनी चुदाई करवा रही थी मेरा पूरा लंड उसकी चूत के रस से भीगा हुआ था काफ़ी देर तक उसी पोज़िशन मे हम लगे रहे



फिर वो घोड़ी बन गयी और पीछे से चुदने लगी लिली बड़ी ही मुश्किल से अपनी आवाज़ पर कंट्रोल किए हुए थी और मैं बिना किसी कोताही के पूरी रफ़्तार से उसे चोदे जा रहा था लिली की नशीली आँखे मेरी आँखो मे देख रही थी वो बोली कितनी देर लगा रहे हो अब बस भी करो मैने कहा तेरा हो गया क्या तो वो बोली तुम अपना कर लो और फिर जाओ यहाँ से मुझे डर लग रहा है



मैने कहा चुदाई के टाइम नो डर ओन्ली मज़ा ही मज़ा मेरी कॅटटो तो मैने उसकी कमर को कस के पकड़ लिया और तूफ़ानी गति से लिली की चूत को भोसड़ा बना ने लगा तो वो भी मेरा साथ देने लगी थी अब मैं फिर से उसके उपर आ गया और दना दन चोदने लगा उसके पूरे चेहरे को मैं चूमे जा रहा था और वो मेरे चेहरे को तो करीब 25-30 मिनिट तक हम आपस मे घुत्थम घुत्था रहे



फिर मैने अपना वीर्य उसकी चूत मे छोड़ दिया और उसके उपर ही पसर गया उसने धक्का देकर मुझे साइड मे कर दिया और मैं बेड पर लेट गया वो अपनी सलवार पहनते हुए बोली कर लिया ना अब जल्दी से जाओ मैने कहा थोड़ी देर तो रुक पर आख़िर उसने मुझे अपने घर से निकाल ही दिया मैने एक गाली बकि उसे और वापिस आ गया मैने सोचा कि मूत लेता हूँ तो मैं घर के पीछे की खाली जगह की ओर चला गया और मैने देखा कि




बिर्मा मामी उधर पीछे की दीवार के पीछे मूत रही है तो मेरी आँखो मे चमक आ गयी मैं उधर ही हो लिया मामी मुझे देख कर बोली तुम क्या कर रहे हो इस टाइम सोए नही अभी तक मैने मामी को दीवार से लगाते हुए कहा कि डार्लिंग बाकी बाते बाद मे अभी चूत देनी पड़ेगी तो वो बोली पागल हुए हो क्या इधर कोई भी पेशाब करने आ गया तो मैने कहा मैं कॉटडे मे सोया हूँ



उधर ही चलो ना वो मना करने लगी पर मैं उन्हे ले ही आया और कहा कि मामी थोड़ी देर तो लगेगी ना दे दो ना वैसे भी सभी तो सोए पड़े है कॉन इतने जाड़े मे तुम्हे ही देखने आएगा तो कुछ सोच कर वो बोली कि ठीक है पर कपड़े नही उतारूँगी मैने कहा ठीक है और खुद जल्दी से नंगा हो गया


मामी को रज़ाई मे लिया पर तभी मुझे ध्यान आया कि लंड पर लिली की चूत का पानी लगा है धो लेता हूँ वरना मामी के मूह मे देते ही वो समझ जाएँगी और फिर जवाब नही दिया जाएगा तो मैने कहा अभी आता हूँ और तुरंत ही लंड को धो के आया आते ही मैं मामी के उपर टूट पड़ा मामी के होटो को चबाने लगा तो वो मेरे लंड को सहलाने लगी



मैं बोला मामी नंगी हो जाओ ना कितनी मस्त हो आप तो थोडा बहुत चापलूसी करके उनको नंगा कर ही दिया मैने मामी को अपने उपर लिटा लिया और उनकी गोल मटोल गान्ड को सहलाने लगा वो बोली जल्दी कर्लो मैने कहा आज माँ बेटे दोनो चुदाई का मज़ा लेंगे चॉबारे मे अशोक चूत मार रहा है और इधर उसकी मम्मी चुदेगि तो मामी शरमाते हुए बोली कामीने हो तुम पक्के वाले



मामी मेरे लंड को सहलाते हुए बोली ये हमेशा ही तना हुआ रहता है क्या मैने कहा जब आप जैसी गान्डस पास मे होतो इसका क्या कसूर है मामी बोली बाते ना करो चुदाई शुरू कर लो जल्दी से मैने मामी की चूत को पीना शुरू कर दिया तो दो मिनिट मे ही वो फुल गरम हो गयी और लंड लंड करने लगी अब मैने उनको टेढ़ी किया और पीछे से लंड को चूत मे डाल कर चूत मारने लगा बिर्मा मामी की लॅप लपाती हुई चूत मेरे लंड को खाने लगी थी और मेरे हाथ उनके बोबे दबा रहे थे मामी को उस पोज़िशन मे चुदना बेहद ही पसंद था क्योंकि ऐसे वो लंड को अंदर तक फील कर पाती थी और अपने को मामी की गरम चूत से मतलब था तो थोड़ी देर बाद मैं उपर आ गया मामी अपनी कमर को उचका उचका कर चुद रही थी

आख़िर इतना एक्सपीरियेन्स तो था कि मुझे जल्दी से झडा दे वो उनके होटो को तो चबा ही डाला मैने और नीचे मेरे लंड ने उनकी चूत की रेल बनाई हुई थी जैसे ही मामी झड़ने लगी मैने अपनी रफ़्तार और बढ़ा दी वो पूरा मज़ा लेते हुए झड रही थी और फिर साथ साथ ही मैं भी ढेर हो गया

मैं तो मामी को रोकना चाहता था पर वो फिर अपने कपड़े पहन कर नो दो ग्यारह हो गई तो मैं भी बस सो ही गया अगली सुबह मैं ज़रा देरी से उठा करीब दस बजे के आस पास फिर मैं अंदर गया तो भाई के ही दर्शन हो गये तो उसका रात का हाल चाल पूछा तो उसने बात को टाल दिया मैने कहा यार भाभी से तो मिलवा दे दो बाते हम भी करले तो फिर भाभी से मुलाकात मे ही 11 होगये



भूख भी लग आई थी मैने खाने को कहा तो पता चला कि देर वो जाएगी भाई बोला चल तैयार हो जा फिर मोहदे की रसम के लिए ससुराल चलना है मैने कहा ठीक है तभी मुझे याद आया कि मेरा ब्लेजर तो कोशल्या मामी के घर है तो मैं उधर ही हो लिया वहाँ जाकर पता चला कि रॉकी और दीदी तो अपने अपने कॉलेज जा रहे है मैने कहा यार इतनी जल्दी तो रॉकी बोला भाई बस शादी मे ही आए थे कॉलेज चालू है तो जाना ही पड़ेगा तो पता चला कि मामा भी उनको चोदने के लिए साथ ही जा रहे थे तो मैं रसोई मे मामी के पास गया और कहा कि फिर तो आज की रात तूफ़ानी होगी तो वो बोली चुप रहो अभी तो फिर खाना खा कर वो लोग चले गये मैने मामी को पकड़ लिया तो वो बोली क्या करते हो घर मे अभी कुछ मेहमान अभी भी है तो कंट्रोल करो वैसे भी रात तो अपनी है ही


मैने कहा कि मेरा ब्लेजर इधर ही रह गया तो वो बोली मेर अलमारी मे है अभी देती हूँ मैं फिर चलने लगा तो वो बोली थोड़ी देर रूको मैं भी चल ही रही हूँ तो फिर हम साथ साथ ही बड़ी मामी के घर पर चल दिए कल की चुदाई के बाद बड़ी मामी कुछ ज़्यादा ही लहरा रही थी कोशल्या मामी मज़े लेते हुए बोली इनको क्या हुआ कही कल खुराक तो नही दे दी तुमने




तो मैं बस हँस ही दिया मामी बोली पक्के वाले कमिने हो तुम तो , भाई के साथ जाना था तो उसके लिए ही तैयारिया हो रही थी तभी मिता का फोन आ गया तो मैं साइड मे चला गया बात करने के लिए उसने पूछा कि कब आ रहे हो तुम तो मैने कहा कि कल शाम तक पहुचता हूँ तो वो बोली ठीक है मैं माँ को एक दिन बाद को आने को कह देती हूँ मैने कहा ठीक है आख़िर अब हमे भी तो अपने बारे मे सोचना ही था तो



काफ़ी देर लग गयी उस से बाते करने मे , मैने प्लेट मे खाना डाला ही था कि भाई बोला क्या ठूंस रहा है सासरे मे भी डाइट लेनी है मैने कहा वो तू जाने अब भूख लगी है तो खाउन्गा तो ही हँसी खुशी के महॉल मे टाइम भी साला बड़ी तेज़ी से कट जाता है पता ही नही चला कि कब दो बज गये तो फिर हम लोग भाई की ससुराल के लिए चल पड़े उधर जाकर अपने को तो खैर करना ही क्या था




पर फिर भाई की एक साली थी तो उसी से थोड़ी फ्लर्टिंग चालू हो गयी पर वो ऐसे ही दो पल की चुहल बाजी थी आख़िर हमें तो मूड जाना था पर टाइम पास अच्छा हो रहा था थोड़ी ही देर मे हमें खाना परोस दिया गया उसकी ससुराल वाले बड़ी इज़्ज़त कर रहे थे जबकि मैं बस फॉरमॅलिटीस निभा रहा था मेरे मन मे तो कौशल्या मामी बसी पड़ी थी तो मेरा दिल उधर लगे भी तो कैसे


मैं अपने फोन को छेड़ने लगा तो मुझे याद आया कि सोफीया ने फेसबूक पर अकाउंट बनाया था मेरा तो मैने लॉगिन किया तो देखा कि रोमेनिया से किसी वेनेसा नाम की लड़की की फ्रेंड रिक्वेस्ट आई थी तो मैने उसकी प्रोफाइल देखने के बाद उसे एड कर लिया और संयोग से वो उस टाइम ऑनलाइन थी तो हेलो हाई के बाद हमारी बाते शुरू होने लगी तो पता चला कि वो ब्यूकरेस्ट यूनिवर्सिटी मे पढ़ती है और हिन्दी भी सीख रही है



काफ़ी इंप्रेस हुआ मैं उस से तो पता चला कि वो इंडिया आने के लिए काफ़ी टाइम से ट्राइ कर रही है पर वीसा नही लग रहा तो फिर उसने पूछा कि तुम क्या करते हो मैने झूठ बोलते हुए कहा कि क्लर्क हू मिनिस्ट्री ऑफ एक्सटर्नल अफेर्स मे तो उस दस पंद्रह मिनिट की चेटिंग मे ही हमारी एक अच्छी बॉनडिंग सी हो गयी थी उसका स्वाभाव मुझे पसंद आया फिर वो दुबारा मिलने का कह कर चली गयी



मैने सोफीया के लिए मेसेज छोड़ा और फिर लोगआउट कर लिया शाम के 5 सवा 5 बजे हम भाई की ससुराल से गाँव के लिए मूड लिए, तो घर पहुचते पहुचते अंधेरा सा हो गया था घर आकर हाथ-मूह धोया फ्रेश वग़ैरा हुए तो फिर बाते ही चल रही थी कि तभी कोशल्या मामी ने कहा कि आज तुम मेरे घर ही सो जाना बच्चे चले गये है



तुम्हारे मामा भी नही है तो घर खाली खाली सा लग रहा है मेरा भी मन लगा रहेगा तो मैने कहा ठीक है मामी जी फिर वो लोग खाने की तैयारीओ मे लग गये मैं भाई से फिर से मज़ा लेने लगा मैने कहा बता ना कितनी बार ली तो आख़िर उसने बता ही दिया कि 3 बार तो मैं और छेड़ने लगा उसको ऐसे ही बस टाइम कट रहा था फिर मैने भाई को बताया कि
कल मैं भी निकल जाउन्गा तो वो बोला यार रुक ना इधर ही तो मैने कहा यार तुझे तो पता ही है कि कैसे जुगाड़ किया था छुट्टियो का अब जाना तो पड़ेगा ही सिविल महकमे मे थोड़ी ना है अपन और वैसे भी अपनी मर्ज़ी कहाँ चलती है अब काम पर वापिस जाना तो होगा ही तो वो बोला ठीक है पर टच मे रहना मैने कहा हाँ यार फिर डिन्नर के बाद मैं मामी के साथ उनके घर आ गया


गहरे नीले रंग की साड़ी मामी के गोरे रंग पर क्या खूब फॅब रही थी मामी और मैं बस वेट कर रहे थे कि लोग कब सोए तो करीब साढ़े 9 बजे हम लोग उनके बेडरूम मे आ ही गये मामी और मैं बेड पर बैठे थे उन्होने पूछा सच मे तुम कल जा रहे हो मैने कहा जी हां अब जाना तो होगा ही वो बोली कुछ दिन और नही रुक सकते क्या



मैं उनको अपनी बाहों भरते हुए बोला मेरी प्यारी डार्लिंग अब नोकरी भी तो ज़रूरी है ना और फिर पक्का वाला प्रोमिस करता हूँ कि जब भी छुट्टी मिलेगी तो सबसे पहले आके पास ही आता हूँ तो वो बोली हर बार ऐसा ही कह कर निकल जाते हो फिर मैं इंतज़ार करती रह जाती हूँ मैने कहा मामी अभी पक्का आउन्गा तो वो खुश हो गयी मैं उनकी गोदी मे सर रख कर लेट गया




मामी मेरे बालो मे अपना हाथ फिराते हुए बोली ये मत सोचना कि मामी बस चुदाई के लिए ही तुझे चाहती है मामी प्यार भी बहुत करती है तुमसे मैने कहा पता है मुझे मैं मामी की नाभिमे अपनी उंगली डालने लगा तो मामी भी गरम होने लगी उन्होने अपना पल्लू हटा दिया तो उनकी चूचिया नुमाया होने लगी थी मामी ने अंगड़ाई लेते हुए अपने ब्लाउज को भी उतार कर बेड के साइड मे रख दिया



तो मैं उनकी गोद मे लेटे लेटे ही उनके बोबो से खेलने लगा मामी की आँखो मे नशा भरने लगा तो फिर मैने उन्हे बेड पर पटक दिया और उनकी चुचियों को सहलाते हुए चूमने लगा तो उनकी निप्पल्स अकड़ने लगी और फूल कर बाहर को निकल आई तो मैं बारी बारी से दोनो चूचियो का दूध निकालने की कोशिश करने लगा मामी की सिसकारिया कमरे मे गूंजने ने लगी



मैं उनके बोबो से खेल ही रहा था कि तभी बिजली चली गयी मामी उठी और लालटेन जलाने लगी उनकी नंगी पीठ मेरी तरफ थी बड़ी ही कामुक लग रही थी वो लौ की रोशनी मे तो मैने उनके पीछे जाकर उनको अपनी बाहों मे जाकड़ लिया और उनकी नंगी पीठ पर अपने तपते होतो से चुंबन जड़ दिया मामी अपनी गान्ड को पीछे करके मेरे लंड पर रगड़ने लगी



मैं उनके पेट को सहलाने लगा कितनी नरम खाल थी उधर की पेट को सहलाते सहलाते मैं उनकी गर्दन के पीछे वाले हिस्से को चूमने लगा तो मामी ने मस्ती के मारे अपनी आँखे बंद कर ली और अपना हाथ पीछे ले जा कर पॅंट के उपर से ही मेरे लंड को दबाने लगी और मैं बस उनके पेट को सहलाए जा रहा था धीरे धीरे से सुरूर चढ़ने लगा था



फिर मैं अपने हाथ उपर की ओर ले गया और उनकी नुकीली चूचियो पर रख कर उन्हे मसल्ने लगा तो मामी के मूह से आह निकल गयी मुझे तो कोई जल्दी थी ही नही तो मैं बड़े ही आराम से उनकी चूचियो की घुंदियो से खेल रहा था मामी के बदन मे उत्तेजना का नाग अपना फन उठाने लगा था फिर मैने मामी की साड़ी और पेटिकोट को खोल कर वही फर्श पर पटक दिया




लाल पैंटी जो कि बहुत ही छोटी सी थी क्या खूब फॅब रही थी उनकी जाँघो पर तो मैने पैंटी के अंदर हाथ डाला और उनकी चूत को सहलाने लगा तो मामी और भी मस्त होने लगी उनकी टाँगो मे सुर सुराहट होने लगी थी जैसे ही मेरे अंगूठे ने उनकी चूत के दाने को छुआ तो मामी का सबर जवाब दे गया वो पलटी और मुझसे चिपकते हुए किस करने लगी





मैं उनको चूमते चूमते उनके चुतड़ों को दबाने लगा तो मामी मुझसे और भी चिपट गयी मामी के बत्तख़ से होटो को चाटने का मज़ा ही कुछ निराला था एक बेहद ही पॅशनॅटिक किस के बाद मामी बेड पर आ गयी मैने उनकी पैंटी को उतार कर फैंक दिया और फिर अपने कपड़े भी उतार दिए मामी ने अपनी जाँघो को फैला दिया उनकी लॅप लपाती हुई चूत के दर्शन होते ही लंड महाराज भड़क ने लगे


मैं उनके पास लेट गया और उनको अपने से चिपका लिया वो मेरे लंड से खेलने लगी वो तेज़ी से अपने हाथ को लंड पर उपर नीचे कर रही थी जब मुझसे रहा नही गया तो मैने मामी को पोज़िशन मे लिया और लंड को चूत से मिलन के लिए तैयार कर दिया मामी बोली बस घुसाओ ना इतनी देर क्यो लगा रहे हो तो मैने दो चार तेज के झटके लगाए और अपने लंड को मामी की चूत की गहराइयो मे उतार दिया




मामी आआ हाआआआआआआअ आआआआआआ हह करने लगी पूरा लंड चूत मे जा चुका था तो मामी ने मेरे गाल पर किस किया और अपनी बाहें मेरे गले मे डाल दी तो मैं अपने कुल्हो को उचकाते हुए मामी को चोदने लगा तो मामी ने अपने पैरो को फ्लॅट कर लिया ताकि चूत और भी अच्छे से लंड पर कस जाए और चुदाई मे मज़ा आए तो धक्के पे धक्का लगाते हुए मैं मामी मे समाए जा रहा था और वो मुझ मे मामी ने अपने हाथ मेरी पीठ पर कसे हुए थे और पूरी मस्ती से अपनी चूत मरवा रही थी इस सेक्स मे वासना से ज़्यादा प्रेम का भाव था हम दोनो को कोई भी जल्दी नही थी बस कोशिश थी कि ज़्यादा से ज़्यादा एक दूजे मे समाए रहे मामी आज रात फिरसे मेरी दुल्हन बनी हुई थी और अपनी सुलगती जवानी की आग को मेरे प्यार के छींटो से बुझा रही थी




पूरे आधे घंटे तक हम दोनो बस उस एक ही पोज़िशन मे एक दूसरे मे समाए रहे फिर मैं उनकी चूत मे ही झड गया तो दोस्तो उस पूरी रात हम फिर से नही सोए उनको भी पता था कि अगले दिन मैं जाने वाला हूँ तो वो भी एक एक पल को लूटना चाहती थी और कुछ ऐसी ही हसरत मेरी भी थी तो पूरी रात मामी और मैं अपनी इच्छाओं की पूर्ति करते रहे

अगले दिन दिल थोड़ा सा उदास सा हो रहा था नाश्ते के बाद मैं तैयार हो चुका था जाने के लिए हालाँकि सभी लोग चाहते थे कि मैं कुछ दिन और रुकु पर आज तो मुझे निकल ना ही था सब लोगो से मिलने के बाद आख़िर अपन वहाँ से रुखसत हो ही लिए सहर आकर जयपुर के लिए बस पकड़ ली सफ़र थोड़ा लंबा था तो कानो मे इयरफोन लगाया और सो गया फिर आँख सिंधी कॅंप बस स्टॅंड ही खुली



शाम के 4 बज रहे थे, बस से उतर कर बाहर के रेस्टोरेंट मे कुछ खाया पिया और फिर वापिस आके अजमेर की बस पकड़ ली ढाई-तीन घंटे और लग जाने थे अभी खिड़की वाली सीट पर बैठे मैं बाहर के नज़ारे देखता हुआ सफ़र के ख़तम होने का इंतज़ार कर रहा था आख़िर अपनी प्राण प्यारी से जो मिलना था आज तो वो सफ़र भी कट ही गया किसी तरह से



अजमेर बस स्टॅंड पे उतरते ही मैने मिता को फोन किया तो उसने कहा कि वो अभी रेलवे स्टेशन के पास वाले बाजार मे है तो उधर ही आ जाउ फिर साथ रूम पर चलेंगे तो मैने ऑटो लिया और उधर ही पहुच गया मिता की लोकेशन फिर से पूछी और फिर आख़िर कर अपनी डार्लिंग के दीदार हो ही गये हाथो मे सब्जियो से लदा हुआ थैला उसके हाथो मे देख कर हँसी आ गयी मुझे

मैं ऑटो वाले को किराया दिया और फिर मिता को गले से लगाया मैने कहा कितनी पतली हो गयी है तू तो वो बोली बस तुम्हारी जुदाई मे ही हो गयी हूँ अब तुम तो पता नही कहाँ लगे रहते हो तो मेरी फिकर कॉन करेगा मैने कहा यार अब तुझे तो सब पता ही है ना कि कैसी लाइफ है मेरी तो बार बार क्या शिकायत करनी बल्कि तुम्हे तो आदत डालनी चाहिए आख़िर एक फोजी की घरवाली जो बन ने जा रही हो



वो बोली सारी बात इधर ही करोगे या रूम पे भी चलोगे तो फिर हम पैदल पैदल ही रूम पर आ गये मैने अपना बॅग रखा और बेड पर बैठ गया मिता सामान रखने लगी कुछ भी तो नही बदला था उस छोटे से कमरे मे सब कुछ पहले जैसा ही था आज भी मिता चाइ बना ने लगी तो मैने रेडियो ऑन कर दिया धड़कन फिल्म का गाना सुनकर दिल रोमॅंटिक सा होने लगा था



चाइ का प्याला पकड़ते हुए उसकी उंगलिया जो मेरे हाथो से छुई तो दिल पे कुछ काबू सा ना रहा मैने चाइ साइड मे रखी और मिता को अपनी बाहों मे ले लिया वो बोली आते ही शुरू हो गये मैने कहा तेरी मेरी जुदाई भी तो कुछ ज़्यादा ही लंबी होती है ना मिलन का पल ना जाने कब आएगा तो वो बोली बस कुछ दिनो की बात है एक बार घर वालो से सब फाइनल हो जाए



तो अपनी गृहस्थी बसने का रास्ता भी खुले आख़िर कब तक हम लोग यूँही भटकते रहेंगे मैने कहा यार अब सच मे ही नही रहा जाता तुम्हारे बिना तो वो मेरे अंदर थोड़ा सा और सिमट ते हुए बोली और मैं अपना हाल किसे कहूँ कितनी अकेली हूँ मैं तुम्हारे बिना मैं उसकी पीठ को सहलाते हुए बोला कि डार्लिंग मैं भी तो अधूरा ही हूँ ना तुम्हारे बिना कल तुम्हारी माँ से मिल तो रहे है



देखते है कि क्या होता है, वो प्रार्थना करते हुए बोली बस मेरी ये मन्नत पूरी हो जाए तो मेरा जीवन भी सफल हो जाए मैने कहा तुम चिंता ना करो सब ठीक ही होगा मिता बोली चाइ पी लो ठंडी हो रही है तो मैं चाइ की चुस्किया लेने लगा वो पूछने लगी कि शादी कैसी थी तो मैने सबकुछ बताया उसको तस्सल्ली से तो वो थोड़ा सॅड होते हुए बोली काश अगर अपनी शादी पहले हो गयी होती तो अपन भी एंजाय कर सकते थे

मैने कहा तो क्या हुआ और भी तो मोके आएँगे पर पहले अपनी शादी हो जाए बाकी तो बाद की बाते है चाइ पीने के बाद मैं बाथरूम मे घुस गया और वो डिन्नर की तैयारी करने लगी फिर खामोशी मे ही हमारा डिन्नर हुआ मिता को खाते वक़्त बात करना बिल्कुल भी पसंद नही था खाने के बाद हम दोनो वॉक के लिए निकल गये कुछ कुछ सी सिमिलॅरिटीस थी निशा और मिथ्लेश मे



दो नो ही मुझे जान से प्यारी थी दोनो ही सादगी से भरी हुई थी बेहद ही सिंपल लड़किया थी और खाना तो दोनो ही मस्त बना ती थी , वो बोली कहाँ खो गये तो मैने कहा यार कहीं तुम्हारी मम्मी मना ना करे और मेन बात तो तुम्हारे पिताजी से हाँ करवानी है वो है असली काम तो वो बोली मनीष अब तक तो हम लोग बस प्रेम की पढ़ाई कर रहे थे पर अब आख़िरी इम्तिहान देने की घड़ी आ गयी है



मैने कहा यार इम्तिहान से नही डरता हूँ बस डर है तो इस बात का कि कही तुम्हे खो ना दूं, तुम नही जानती कि तुम्हारे बिना जीने की कल्पना भी नही कर सकता मैं जब कभी ये ख़याल आ जाता है तो मेरा दिल कितना घबरा जाता है तुम क्या जानो तो वो बोली ये समाज ने भी कैसे बंधन बनाए है दो प्यार करने वाले अपनी मर्ज़ी से साथ जी भी नही सकते

अगले दिन मिता बहुत ही घबरा रही थी बार बार वो एक ही बात दोहरा रही थी कि अच्छे से बिहेव करना और सेट्टिंग कर लेना सर्दी के मोसम मे भी पसीना उसके माथे से टपक रहा था मैने कहा टेन्षन ना ले जो होगा ठीक ही होगा और फिर ये तो फर्स्ट स्टेप है माँ के बाद तेरे पिताजी से भी बात करनी है तो तू घबरा मत बल्कि घबराना तो मुझे चाहिए



पर असल मे टेन्षन मुझे भी थी आख़िर खुद अपने मुँह से अपने लिए शादी की बात करना वो भी इस सिचुयेशन मे थोड़ा सा अनकमफर्टबल सा महसूस हो रहा था दोपहर तक उसकी मम्मी आ ही गयी तो मैने भी उन्हे नमस्ते की हाई हेलो चाइ-पानी के बाद आख़िर वो घड़ी आ ही गयी तो मिता ने चुप्पी तोड़ते हुए कहा कि मम्मी ये मनीष है मैने इनके बारे मे आपको बताया था ना



तो माजी ने उसको इशारे से चुप रहने को कहा और मुझ से बात करती हुई बोली बेटा देखो मैं सीधी बात बोलती हूँ कि तुम दोनो जो भी सोच रहे हो वो कभी हो नही पाएगा बेटा मेरी बात का बुरा मत मान ना पर सरपंच जी कभी नही मानेंगे कि उनकी बेटी दूसरी जात वाले के घर ब्याही जाए और तुम तो जानते हो कि गाँवो मे इज़्ज़त के पीछे जान चली जाती है



मैने कहा आंटी जी पर मैं और मिता एक दूसरे को बहुत दिनो से जानते है और अब हम अलग होने का सोच लें ये तो चान्स ही नही है वो बोली बेटा नया खून हो तो तुम बात को समझते नही हो , हमारे घर मे औरतो की नही चलती है हर फ़ैसला मर्द ही लेते है और फिर तुम्हारी जात दूसरी हमारी जात दूसरी और दोनो गाओ का भाई चारा सरपंच जी एक मिनिट ही नही सुनेंगे और कही उन्हे भान भी हो गया की उनकी बेटी प्रेम करती है



गैर जात वाले से तो वो इसे मार ही डालेंगे मेरा इधर आने का यही मकसद है कि तुम दोनो को समझा सकूँ, ठीक है साथ पढ़ते थे तो दोस्ती हो गयी पर बेटा ये सब दोस्ती तक ही रहे तो ठीक रहेगा इस से आगे ना बढ़ो मेरी बेटी तो मुझसे सवाल जवाब करती है पर मैं तुमसे कहती हू मान जाओ और फिर क्या दुनिया मे लड़के लड़कियो की कमी थोड़ी ना है




तुम कही और ब्याह कर्लो हम इसका कहीं और कर देंगेओर फिर ब्याह के बाद तुम सब भूल जाओगे और अपनी अपनी गृहस्थी मे रम जाओगे मिता बोली मम्मी पर आप हमारी भी तो सुनो तो उन्होने उसे चुप करवाते हुवे कहा तुमसे भी बात करूँगी पर पहले मेरी बात ख़तम नही हुई है मैने अपनी 30 साल की गृहस्थी मे कभी तुम्हारे पिताजी के आगे मुँह नही खोला



जो फ़ैसला उन्होने कर दिया हम ने मान लिया और फिर ये प्यार मोहब्बत कुछ नही होते जब दो दो पड़ेंगे तो सब खुमारी उतर जाएगी और वैसे भी बेटा मिता की शादी हम अपने हिसाब से करेंगे तुम एक मामूली फोजी हो तो कैसे चलेगा तो मिता बोली मम्मी वो अफ़सर है फोज मे और बहुत पैसे भी है उसके पास तो ये बाते तो आप रहने ही दो तो वो बोली बेटा पर जात तो अलग अलग है ना ठाकूरो की छोरी जाटों के घर कैसे ब्याही जाएगी



कल को समाज क्या कहेगा, गाँव गली मे थू थू होगी आख़िर क्या तू ये चाहती है कि तुम्हारे पिताजी की इज़्ज़त दो पल मे धूल मे मिल जाए बेटा यही सच्चाई है जितना जल्दी तुम लोग मान लोगे उतना ही अच्छा रहेगा तुम्हारे लिए और ना मनोगे तो सरपंच जीका गुस्सा तो तुम जानती ही हो दो मिनिट भी ना लगाएँगे अपनी इज़्ज़त के लिए बेटी का खून भी कर डालेंगे वो



और बेटा मैं भी तुम्हारी माँ जैसी ही हूँ, तो मैं क्या तुम्हारा बुरा चाहती हूँ बस दुनिया की हक़ीकत से रूबरू करवा रही हूँ ताकि कल को तुम परेशान ना पाओ अब बेटी दुखी होगी तो माँ का कलेजा भी रोएगा ना और जिस रास्ते पर तुम लोग चलने की सोच रहे हो ना बेटा उस रास्ते पर बस दर्द और रुसवाई ही मिलेगी तुम्हे इसके सिवा कुछ नही मिलेगा और जान जाएगी वो अलग


मिता को गुस्सा आने लगा था वो बोली मम्मी मैं तो शादी करूँगी तो मनीष के साथ ही वरना मैं कही नही करूँगी मैने कहा आंटी जी आपको हमारी मदद करनी होगी मैं नही जी सकूँगा मिथ्लेश के बिना नोकरि भी इसलिए ही की ताकि इस से शादी कर सकूँ कुछ भी कीजिए पर हमें अपना आशीर्वाद दे दीजिए हम नही रह पाएँगे एक दूसरे से जुदा होकर तो वो बोली बेटा मैं तो माँ हूँ अपने बच्चो की खुशी मे ही मेरी खुशी है पर मेरी इतनी हसियत नही है कि



मैं तुम लोगो की इस काम मे मदद कर सकूँ मैं अपने पति को जानती हूँ राज़ी राज़ी तो सपने मे भी तुम्हारा ब्याह नही हो पाएगा पर एक रास्ता है अगर तुम कहो तो बताऊ तो वो बोली कि बेटा तुम मिता को लेकर कही दूर भाग जाओ और ब्याह कर्लो पर फिर मुड़कर भी इधर ना आना हमारी थू-थू होकर रह जाएगी पर बेटी तो चैन पाएगी चले जाना दूर कही परदेश मे मे तो दिल पर पत्थर रख लूँगी की बेटी थी ही नही
मिता बोली मम्मी अगर ये करना होता तो कब का कर चुके होते तो आंटी बोली बेटी बस यो ही रास्ता है नही तो बस तेरे भाग मे इस छोरे का साथ कोन्या और फिर तू सारी ज़िंदगी कोसेगि कि माँ की बात मान लेती बेटी हम उस वंश का खून है जहा इज़्ज़त अपनी जाई से भी घनी प्यारी होवे सै,थारे प्रेम ने कोई ना सोचेगा काट के फेक देवेंगे थाने किते लाषो को चील कोवे ही खाएँगे



तुम भाग जाओ किते दूर, तो मैने कहा आंटी जी कोई चोरी ना कर रहे प्यार करे सै घर बसाना चाहवें सै ब्याह तो मिता की इच्छा से ही होगा बारात तो आपके घर आएगी ही तो आंटी बोली बेटा क्यो मोत के मुँह मे कूदो सो मैने कहा मिता कल के कल तू मेरे साथ तेरे घर चल रही है शादी की बात अब तुम्हारे पिताजी से ही होगी

तो आंटी बोली रूको तुम और मेरी बात सुनो पहले तुम ऐसा कुछ नही करोगे, क्यो अपने पैरो मे कुल्हाड़ी मार रहे हो मैने तुम्हे रास्ता दे दिया है कि यहा से दूर भाग जाओ और अपना घर बसा लो बस ये ही एक्लोता रास्ता है तुम्हारे मिलन का मैं किसी से भी नही कहूँगी कि मिथ्लेश कहाँ है मैने कहा ठीक है आंटी जी चलो मान भी लेते है मैं तैयार हूँ कोर्ट मॅरेज के लिए




पर आपकी बेटी तो चाहती है कि उसकी डोली बस आपके घर से ही उठे तो वो बोली बावली हो गयी है ये छोरी के बचपन से इसने घर का माहौल नही देखा जो ये सोच रही है , इसकी ये इच्छा इस जनम मे तो क्या किसी भी जनम मे नही पूरी होगी मेरे बच्चो तुम जो कदम उठाने की सोच रहे हो वो उस राह की कोई मंज़िल है ही नही और राह मे लाख तकलीफे है पर तुम कभी भी मंज़िल नही पा सकोगे



बेटा, ये कोई तुम लोगो की बच्पने की ज़िद नही है जो माँ-बाप पूरी कर देंगे बाकी तुम लोगो ने अगर फ़ैसला कर ही लिया है तो मैं तो रो कर सबर कर लूँगी और अब मैं इसके सिवा कुछ कर भी क्या सकती हूँ कुछ देर के लिए कमरे मे शांति छा गयी हमारे पास सीधा सा रास्ता था कि कोर्ट मे मॅरेज कर ले और सब लोगो की नज़र से दूर किसी सहर मे अपना छोटा सा आशियाना बसा ले



पर मिथ्लेश की भी तो हमेशा से ही बस यही इच्छा थी कि उसकी डॉली उसके घर से ही उठे पर दुल्हन वो मेरी बने अब करे भी तो क्या करे मैने चुप्पी तोड़ते हुए कहा कि मिटा एक बार तुंमहरे पिताजी से भी बात करनी ही होगी फिर देखते है कि क्या होता है मैने कहा मिता हम अभी तुम्हारे घर चल रहे है तो वो बोली ठीक है पर मनीष संभाल लेना मेरी हर उम्मीद तुमसे ही है




उसकी मम्मी बार बार हमे मना करती रही पर एक ना एक दिन तो ये सब फेस करना ही था तो फिर अभी क्यो नही वो रात हम तीनो मे से कोई भी नही सोया सबके दिमाग़ मे कुछ ना कुछ चल रहा था अगले दिन शाम तक हम मिता के घर पहुच गये बचपन मे कई बार बाहर से तो उसके घर की झलक देखी थी पर आज अंदर जा रहा था , जब हम अंदर गये तो उसके पिताजी से साक्षात्कार हुआ




बड़े ही रोबीले से इंसान थे वो , तो वो मेरी ओर देखते हुए बोले कि माफ़ कीजिए आपको पहचाना नही तो मिता बोली पिताजी ये मेरे दोस्त है तो उन्होने उसे एक गहरी नज़र से देखा पर कहा कुछ नही फिर मेहमान खाने मे बिठा दिया गया कुछ चाइ नाश्ते की व्यवस्था की जाने लगी पर मैने डाइरेक्ट्ली मुद्दे की बात छेड़ दी तो उन्होने मेरी एक एक बात को पूरी तसल्ली से सुना




पर उनके चेहरे पर कोई भाव नही था तो मैं उनके रियेक्शन को समझ नही पा रहा था फिर उन्होने मिता को कहा कि छोरी तू भीतर जा, उसके जाने के बाद वो मेरी और मुखातिब हुवे और बोले कि देख छोरे, तने अभी बेरा ना है कि तू के कह रहा है और फिर तेरी हिम्मत भी गजब है तू खुद ही घर तक आ गया , देख मैं मान्यू सूं की आजकल छोरे-छोरी साथ पढ़या करे सै




तो बोल-चाल भी हो जाया करे है पर यो जो प्यार मोहबात है ना अपने इधर ना चलया करे और फेर थारे गाँव और म्हारे गाँव मे भाई चारा भी तो सै हम थारे गाँव की छोरिया ने बेटी माने सै और थारे लोग म्हारे गाँव की छोरिया ने तो तू क्यू गाँवो का भाई चारा खराब करना चाहवे सै और फेर तेरी जात अलग और ठाकुर भरपूर सींग अपनी छोरी दूसरी जात आले के ब्याह दे या तो हो ना सके



म्हरी भी गाँव बस्ती मे इज़्ज़त है समाज मे रसुख है और फिर थारी हसियत ही के सै म्हारे आगे बेरा सै छोरी के ब्याह मे कितना रुपया खरच करूँगा मैं मैने हाथ जोड़ते हुए कहा सरपंच जी इतना तो मैं कमा लेता हूँ की मिता सुख से रह लेगी आप बस बेटी को विदा कर दीजिए वो मेरे साथ बहुत खुश रहेगी तो वो बोले बस छोरे बहुत हुआ तेरी ज़ुबान पर आज के बाद मेरी छोरी का नाम नही आना चाहिए , नही तो ठीक नही होगा छोरी का मामला है और तू इस टाइम मेहमान बनकर आया है तो मैं सबर कर रहा हूँ जा चला जा और आज के बाद अगर मेरी छोरी के पास भी दिखा तो ठीक नही रहेगा मैने कहा पर मिता भी मुझसे बहुत प्यार करती है तो वो गुस्से से गरजते हुए बोले छोरे बस आख़िरी बार कह रहा हूँ कि चला जा इधर से



हमारे यहाँ महमानो का अनादर करने के रीत नही है काई ऐसा ना हो कि रीत टूट जाए उनके गुस्से की आवाज़ सुनकर मिथ्लेश भी भाग कर आ गई और रोते हुए बोली पिताजी मैं इसके बिना ना जी पाउन्गी तो वो बोले मर तो सकेगी ना ना जाने मेरी परवरिश मे कॉन सी कमी रह गयी जो इसी कुलच्छिनी बेटी मिली मन्ने
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RE: हार तरफ चुत हि चुत (BIG & HOT STORY) - by Pagol premi - 06-12-2020, 10:49 AM



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