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Adultery हार तरफ चुत हि चुत (BIG & HOT STORY)
#65
चुदाई के बाद थोड़ी सी थकान होने लगी थी और मैं सुबह से नहाया भी नही था तो मैं बड़ी मामी के पास गया और कहा कि मैं नहा कर आता हूँ तब तक आप मेरे लिए रोटी बना दीजिए तो वो बोली आज तुम्हारे लिए चावल बना रही हूँ मैने कहा आज भी चावल ही खिलाओगे क्या तो वो बोली तुम्हे क्या खाना है तो मैं उनके चुतड़ों को सहलाते हुए बोला मामी आपको भी पता है मुझे क्या चाहिए तो मामी अपनी बड़ी बड़ी आँखो से मुझे देखते हुए बोली वो सब बाद मे देखेंगे मैने कहा ठीक है मैं आता हूँ




और नहाने चला गया करीब आधे घंटे बाद मैं तैयार होकर आया तो बुग्गी बोली आ जाओ खाना खाते है मैने कहा तुमने अभी तक नही खाया तो वो बोली मैं तुम्हारी ही राह देख रही थी आओ बड़ी भूख लगी है मैने कहा कहा चलो फिर लंच करने के बाद मैने कहा यार मैं कोषल्या मामी के घर जा रहा हूँ तुम चलोगि क्या तो वो बोली हाँ क्यो नही वैसे भी मैं इधर बोर हो रही हूँ मैने कहा तो फिर आओ हम दोनो बाते करते हुए मामी के घर की ओर चल पड़े कच्ची पगडंडी पर वो मेरे आगे चल रही थी मैं उसके पीछे की अचानक ही मेरा पैर फिसल गया और गिरने से बचने के लिए मैं उसका कंधा पकड़ना चाह रहा था पर हाथ मे उसके चुचे आ गये जो मेरे पूरे वजन से दब गये



बुग्गी तो जैसे चीख ही पड़ी मैने तुरंत ही उस से माफी माँगी और कहा वो पैर फिसल गया था तो गिरने से बचने की कोशिश मे उधर हाथ लग गया वो बोली कोई बात नही फिर हम उधर पहुच गये तो देखा कि बस रॉकी ही था उधर वो बोला भाई अच्छा हुआ आप आ गये मैं अपने दोस्त के घर जा रहा हूँ मेरे आने तक आप इधर ही रहना और फिर वो चला गया तो रह गये हम दोनो अचानक से ही बुग्गी ने पूछा कि तुम्हारी गर्लफ्रेंड है मैने कहा है ना



वो पूछने लगी कैसी है वो मैने कहा अच्छी है ,वो बोली अरे मतलब कि सुंदर है मैने कहा मुझे तो लगती है अब बाकी का मैं क्या जानू तो वो चुप हो गयी कुछ देर बाद मैने कहा तुम्हारा कोई बाय्फ्रेंड है तो वो बोली नही मेरा तो कोई नही है मैने कहा झूठ क्यो बोलती हो आजकल तो सबके होते है तो मेरे फोर्स करने पर आख़िर उसने बता दिया कि वो भी रीलेशन शिप मे है तो मैने कहा जब प्यार किया तो छुपाना क्यो वो बोली प्यार व्यार कुछ नही है बस दोस्ती है



मैने कहा जो भी है एक्सेपट करो उसको , घबराना क्या वो बोली कहाँ आसान होता है हम लड़कियो के लिए ये सब मैने कहा इस मामले मे सबका हाल टाइट ही होता है पर होसला नही छोड़ना बुग्गी बोली तुमने किस किया है मैने कहाँ हाँ बहुत बार बल्कि मैं तो किस करता ही रहता हूँ तो वो बोली ज़रा बताओ कैसे किया तुमने तो मैने कहा करके बताऊ क्या दो पल सोचने के बाद वो बोली ओके करके बताओ तो मैने उसे खड़ी किया औ उसके गालो को अपने हाथो मे थामते हुए अपने होंठ उसके होंठो पर रख दिए उफफफफफफफफफ्फ़ बड़े ही मुलायम होठ थे उसके




एक बार जो लिप्स आपस मे जुड़े तो फिर अलग ना हो पाए मैं बड़ी ही बेतक्कलुफ्फि से उसको किस करने लगा था और ना जाने क्यो वो भी मेरा साथ देने लगी थी जब तक मेरी साँसे शरीर से प्राण चोदन को ना हो गयी मैं उसके होंठो से चिपका ही रहा पर फिर अलग होना ही पड़ा मैने देखा तो उसके निचले होठ से खून निकल आया था मैने उसे पोंछ दिया वो कुछ नही बोली मैं भी कुछ देर खामोश ही रहा फिर चुप्पी तोड़ते हुए उसने कहा कि काफ़ी देर हो गयी है हमे वापिस चलना चाहिए मैने कहा ठीक है पर फिर ना जाने मुझे क्या हुआ अगले ही पल मैं फिर से उसे चूमने लगा

पता नही क्यो मैं खुद पर काबू नही रख पा रहा था और उसके मन मे क्या चल रहा था वो भी मैं समझ नही पा रहा था मैने अपना हाथ उसकी जीन्स के बटन पर रख दिया और उसको खोल ही रहा था कि तभी बाहर से कुछ आवाज़ आई तो मैं फॉरन उस से अलग हो गया तो देखा कि रॉकी वापिस आ गया है तो फिर हम वापिस बड़ी मामी के घर आ गये मेरे लबों पर एक नया सा अहसास था भाई के बान बैठने की रस्मे चल रही थी तो बस वो ही देख रहे थे



आँखो मे आस थी कि एक दिन मुझे भी ये रस्मे निभानी है अब इच्छा तो सबकी होती ही है तो अपनी आँखो मे भी कुछ सपने थे कुछ अरमान थे पता नही क्यो आँखे भर सी आई थी तो मैं वहाँ से उठ कर उपर चॉबारे मे चला गया तो देखा कि आज बेड को निकाल कर रख दिया गया था और नीचे गद्दे बिछे हुए थे तो मतलब आज इधर सोना था तो मैं ऐसे ही कुछ देर के लिए लेट गया तो बुग्गी आ गयी और बोली मैं तुम्हे कहाँ कहाँ ढूँढ रही थी और तुम इधर पड़े हो



मैने कहा हाँ बताओ क्या बात है वो बोली कुछ नही है वैसे तो पर मेरा भी जी नही लग रहा था तो सोचा कि कुछ देर तुमसे ही बाते करलू मैने कहा ठीक है बैठो फिर हम अपनी घिसी पिटी बाते करने लगे थोड़ी देर बाद पूरी मंडली ही उधर आ गई तो हमे कुछ ज़्यादा शेरिंग का मोका नही मिला तो शाम तक ऐसा ही चलता रहा . शाम को मैं खेतो को तरफ टहल रहा था तो सरोज मामी के दर्शन हो गये पहले से और भी गान्डस हो गयी थी



वो बोले भानजे सा , हमे तो भूल ही गये हो कब के आए हो अभी तक अपनी प्यारी मामी के घर का चक्कर नही लगाया तो मैने कहा जी वो काम इतना था कि फ़ुर्सत ही नही मिलती तो वो बोली ठीक है कल दोपहर मे देख लेना तुम्हे तो पता ही है कि दोपहर मे मैं अकेली ही रहती हू तो मैने कहा जी अच्छा खेतो के पास ही एक कुँए पर पानी की खेली बनी हुई थी मैं उस पर ही बैठ गया और सोचने लगा आख़िर कल फॅमिली जो आ रही थी

हालाँकि मैने सोच लिया था कि मैं जहाँ तक हो सकेगा नॉर्मल ही रहूँगा अब अपनी पर्सनल प्रॉब्लम्स की वजह से भाई की शादी मे कोई सीन करना भी उचित नही था और वैसे भी अपने को अब आदत भी होने लगी थी अकेलेपन की तो फिर क्या फरक पड़ना पड़ता था, फिर रात को हम सब बनवारे मे डॅन्स कर रहे थे मैने दो-चार पेग टिका लिए थे तो पाँव अपने आप ही चल रहे थे मामी भी हमारे साथ डॅन्स करने लगी थी तो मैने कोशल्या मामी को कहा कि डार्लिंग आज अपना भी कुछ जुगाड़ कर दो



तो मामी बोली घर मे अब मेहमान है और फिर मैं काम मे लगी हूँ पर जल्दी ही कोई मोका देख कर तुम्हारा भी जुगाड़ कर दूँगी देर रात तक बस वो सब ही चलता रहा फिर तक कर हम सब सो गये सारे लोग हम चॉबारे मे ही पड़े थे मेरे पास रॉकी सो रहा था और थोड़ी दूरी पर बुग्गी सोई पड़ी थी पर रात को पता नही कितना टाइम हो रहा था मुझे मेरे शरीर पर कुछ सुर सुराहट महसूह हुई तो मेरी आँख खुल गयी तो मैने देखा की रॉकी की जगह बुग्गी मेरे पास लेटी हुई है और उसका एक हाथ मेरे लंड पर है जिसे वो हल्के हल्के से दबा रही है मैने सोचा अब इतनी रात को इसको क्या हुआ असल मे मेरे लिए तो ऑपर्चुनिटी थी पर साथ मे ही छोटे भाई बहन भी सोए पड़े थे तो पहली बार थोड़ा सा डर सा लग रहा था वैसे तो बुग्गी मेरी रज़ाई मे घुसी पड़ी थी पर फिर भी डर तो डर होता है कोई भी पानी-पेशाब के लिए उठ जाए तो फिर अपनी इज़्ज़त नीलम होने मे देर ना लगे






रुक्मणी ने अपना हाथ मेरे अंडरवेर मे डाल दिया और मज़े से मेरे लंड को सहलाने लगी थी तो लंड महाराज भी अपने रंग मे आने लगे थे मेरी साँसे तो जैसे मेरे गले मे अटकने ही लगी थी तो मैने सोचा ले तू भी अपनी कर ले खेल ले इस लंड से थोड़ी देर तक वो मेरे लंड को सहलाती रही फिर उसने मेरा एक हाथ अपने बोबो पर रख दिया और अपने हाथ का दबाव उस पर डालते हुए दबाने लगी तो मेरा हाल भी खराब होने लगा



उसकी साँसे मेरे चेहरे से टकराने लगी थी रज़ाई का तापमान अचानक से ही कुछ ज़्यादा हो गया था उपर से मैं जो दारू के शॉट लगा कर सोया था तो अब वो फिर से मेरे दिमाग़ मे चढ़ने लगी थी तो आख़िर मैने भी अपना हाथ उसकी सलवार के उपर से ही उसकी योनि पर रख दिया और हल्के से दबा दिया तो उसी टाइम रुक्मणी का शरीर जड़ हो गया वो समझ गयी थी कि मैं भी जागा हुआ हूँ अब हालात कुछ यूँ थे कि हम दोनो को ही पता था कि माजरा क्या है और दोनो ही जाहिर नही करना चाहते थे


पर अपने को अब मज़ा आने लगा था तो मैं सलवार के उपर से ही उसकी चूत को दबाने लगा अच्छा लग रहा था पर उसकी हालत टाइट होने लगी थी मैने नाडे को खोलना चाहा तो उसने मेरा हाथ पकड़ लिया पर बोली कुछ नही तो मैं धीमे से घूमकर उसके उपर आ गया और उसके हसीन लबो पर अपन होंठ रख दिए और एक प्यारा सा किस कर दिया उस किस से ही हम दोनो के तन बदन मे एक आग सी जल गयी 2-4 मिनिट तक किस करने के बाद मैने फुसफुसाते हुएकहा कि चॉबारे से बाहर आ जा




फिर मैं सावधानी से उठ कर बाहर आ गया और फिर दो पल के बाद वो भी आ गयी आते ही मैने उसे दीवार से सटा दिया और उसको चूमने लगा रुक्मणी ने भी अपने रसिले होंठो को मेरे लिए खोल दिया था और होंठों को पीटे पीते ही मैने उसकी सलवार का नाडा भी खोल दिया और पेंटी के उपर से ही चूत को सहलाने लगा तो वो भी ज़ोर ज़ोर से मेरे होंठो को चूसने लगी थी फिर मैने धीरे से कच्छी को उसके घुटनो तक सरका दिया और उसकी बिना बालो वाली चूत से खेलने लगा बाहर बेशक कड़ाके की ठंड भी पर अब वो ठंड हमारा कुछ नही बिगाड़ सकती थी



रुक्मणी का हाथ मेरे लंड पर कस गया था और उसकी नाज़ुक उंगलिया मेरे लंड पर अपना जादू चलाने लगी थी हम दोनो एक दूजे मे खोए हुए थे सारी दुनिया को भूल कर पर शायद उस रात मिलन होना लिखा ही नही था बस दो चल पलों बाद हम दो जिस्म एक जान होने ही वाले थे कि तभी रॉकी साहब को पानी की प्यास लगी और वो आवाज़ करते हुए जाग गये तो फिर जल्दी से हम ने अपने आप को संभाला और बिस्तर पकड़ लिया फिर थोड़ी देर मैने इंतज़ार भी किया कि वो आएगी पर फिर कुछ नही हुआ तो बस फिर सो गया



अगली सुबह मैं थोड़ा सा लेट उठा तो करीब करीब 9 बज रहे थे मैं चॉबारे से बाहर आया तो चारो तरफ धून्ध की गहरी चादर छाई हुई थी तो मैने अपनी जॅकेट डाली और नीचे आ गया तो सीढ़ियो पर ही बुग्गी से टकरा गया तो वो अपनी नज़रे नीचे करते हुए बोली मैं तुम्हे ही जगाने आ रही थी तुम्हे नीचे बुला रहे है मैने कहा चलता हूँ तो हम साथ साथ ही फिर नीचे आ गये तो ममाजी ने कहा कि मनीष तुम तैयार होकर ज़रा मेरे साथ सहर तक चलो कुछ खरीदारी करनी है



मैने सोचा कि इनके साथ चला गया तो फिर गया पूरा दिन पर मना भी नही कर सकता था तो मन मार कर कहा कि मैं फ्रेश हो कर आता हूँ फिर चलते है अब कॉन नहाए इतनी सर्दी मे तो मामा के साथ सहर गये काफ़ी सारा समान खरीदना था तो बाजार मे ही पूरा दिन बीत गया ना कुछ खाया पिया ना कुछ ऑर तो घर आते आते शाम के साढ़े पाँच बज गये थे और मैं बुरी तरह से थक गया था , सारा सामान गाड़ी मे लादकर जब वापिस आए तो पता चला कि




घरवाले भी पहुच चुके थे , मैने सबके पाँव छुए, मम्मी के भी आक्च्युयली मैं शो नही करना चाहता था कि हमारे बीच मे कोई डिस्प्यूट चल रहा है पापा बोले फोजी कब आए तो मैने कहा तीन दिन हो गये है फिर उन्होने पूछा कि कहाँ हो आजकल तो बताया कि देल्ही मे हूँ , तो वो बोले ठीक है पर पास हो तो घर भी आ जाया करो तो हमे भी अच्छा लगेगा मैने कहा जी जल्दीही आउन्गा आख़िर पापा मुझे थोड़ा बहुत समझते थे

मैं बहुत ही थका हुआ था तो मैने बड़ी मामी से कहा कि मामी मेरा पानी बाथरूम मे रख दो आज बहुत थक गया हूँ तो नहा कर ही शरीर ताज़ा होगा मामी बोली तुम पहले चाइ पी लो मैं पानी रख देती हूँ तो फिर थोड़ी देर बाद मैं बाथरूम की तरफ चल पड़ा तो मामी उधर ही थी मैने कहा रख दिया पानी तो वो बोली हाँ रख दिया है तुम नहा लो तो मैने इधर उधर देखा और फिर उनका हाथ पकड़ कर झट से बाथरूम मे खीच लिया

मामी कसमसाते हुए बोली छोड़ो ना क्या कर रहे हो मैने कहा मामी प्लीज़ करने दो ना अभी मोका भी हैतो वो कहने लगी शादी का घर है तुम्हे तो कोई फरक नही पड़ता पर मुझे पड़ता है मैं बोला- मामी अब बाथरूम मे कॉन आएगा और वैसे भी मुद्दते ही हो गयी है आप से प्यार नही किया है तो अब मुझे ना रोको वो पर पर करने लगी पर अब मैं उनकी नही सुन ने वाला था



मैं उनके घाघरे के उपर से जाँघो को सहलाते हुए मामी मान भी जाओ ना
मामी- दबी आवाज़ मे ठीक है पर जल्दी से कर लो मुझे आज दो पल की भी फ़ुर्सत नही है

मैने कहा ये हुई ना बात और मामी के गालो को खाने लगा तो फिर मामी नेभी कोई और चारा ना देख कर अपनी भाए मेरी पीठ पर कस दी


मैं जल्दी से नंगा हो गया और मामी के घाघरे को उपर करके अपना लंड मामी के गुदाज कुल्हो पर रगड़ने लगा तो मामी बोली रूको घाघरा उतार देती हूँ कही गीला ना हो जाए तो फिर उन्होने घाघरा और अपनी पैंटी को उतार कर खूँटि पर टांक दिया मैं ब्लाउज खोलने लगा तो उन्होने माना कर दिया और कहने लगी की नीचे से तो उतार ही दिया है इस ऐसे ही रहने दो मैने मामी को अपने से चिपका लिया और उनके चुतड़ों को सहलाने लगा मामी ने मेरे लंड को अपनी मांसल जाँघो के बीच मे दबा लिया



गुज़रते वक़्त के साथ मामी के योवन मे और भी निखार चढ़ गया था 45-46 की उमर मे भी बड़ा ही गदराया सा जिस्म था उनका फॅट था पर बॉडी के अनुसार ढला हुआ और उनकी गान्ड के तो कहने ही क्या थे उनके जैसे चूतड़ मैने किसी भी औरत के नही देखे थे उस गीले गीले किस से मामी भी गरम होने लगी थी और गरम औरते मुझ बड़ी ही पसंद थी मामी के होंठो को काफ़ी देर तक मैने खाया मामी बोली कर लो ना जल्दी से और मुझे फारिग करो , मुझे सच मे ही फ़ुर्सत नही है मैने कहा करता हूँ डार्लिंग इतने दिनो बाद तुम्हारे बदन का दीदार किया है तो अच्छे से देखने दो




मामी बोली तुम बात को समझ नही रहे हो, कही किसी ने देख लिया तो क्या होगा , और फिर मेहमानो से भरा घर है मैने कभी तुम्हे मना थोड़ी ना किया है पर तुम हालत को भी ज़रा समझो , तो मैने मामी को दीवार से सटा दिया और उनकी एक टाँग को उठा कर अपनी कमर पर रखत हुई अपने लंड को गीली चूत पर रख ही दिया मामी बोली देखो क्या दिन आ गया है तीन दिन बाद बेटे की शादी है और माँ इधर रंग रलियाँ मना रही है



मैने कहा माँ की चूत भी तो मस्त है तो मामी मेरे सीने पर हल्के से मुक्का मारते हुए बोली बेशरम कही के और उसी पल मैने लंड को चूत की गहरी घाटियो मे उतार दिया मामी ने अपने बदन को टाइट कर लिया और अपने हाथ मेरे कंधो पर रख दिए मैने फिर से उनके होंठो का चुंबन लिया और धीरे धीरे से उनको चोदने लगा मैने कहा मामी आपकी चूत मारने का असली मज़ा तो बेड पर ही है जब बेड हिलता है तो आपकी गान्ड मस्त हो जाती है


मामी कुछ नही बोली बस चुद ती रही मैने थोड़ा सा नीचे झुक कर मामी की चूची को अपने मूह मे भर लिया और उसको चूसने लगा मामी बोली ज़ोर ज़ोर से करो वो चाहती थी कि मई जल्दी से झड जाउ और उनको फारिग करूँ और मैं भी समझ रहा था उनकी परेशानी पर अपने बस मे क्या जब छूटे तब छूटे थोड़ी देर बाद मैने उन्हे घुमा दिया अब उनका मूह दीवार की तरफ हो गया और मैं पीछे से लंड डाल कर उनको चोदने लगा तो कसी हुई जाँघो के दरमियाँ से गुज़रते हुए लंड
की रागड़ाई से बड़ा ही मज़ा आ रहा था मामी की कमर को थामे हुए बस चोदे ही जा रहा था और वो भी अब मस्ता ती जा रही थी चूत से बहकर गीला पानी उनकी जाँघो को भिगोने लगा था मामी हान्फते हुए बोली उफ फफफफ्फ़ कितनी देर और लगाओगे मैने कहा बस दो चार मिनिट और होने ही वाला है और मैं तेज तेज धक्के लगा ने लगा और फिर आख़िर मैने अपना पानी मामी की चूत मे गिरा ही दिया मेरा होते ही मामी झट से मुझसे अलग हो गयी और पानी के डिब्बे से अपनी चूत को सॉफ करते हुए बोली, मैं जानती हूँ कि तुम्हे मज़ा नही आया



पर थोड़ी फ़ुर्सत लगते ही तुम्हारा ख़याल भी करूँगी मैने कहा कोई ना देख लेना फिर मैने गेट को हल्का सा खोल कर झाँका तो गलियारा खाली पड़ा था तो मामी झट से निकल गयी और मैं नहाने लगा , नहाने के बाद मैने प्लॉट मे एक कोने मे खाट बिछाई और लेट गया मैं अपना मोबाइल देख रहा था की तभी मुझे रेडियो का ऑप्षन दिखा मैने कभी इतना ध्यान ही नही दिया था कि कॉन से अप्स है




तो कई दिन बाद मैं सीसी सुन रहा था पुरानी याद ताज़ा हो गयी जब मैं स्कल के दिनो मे छत पर या अपने कमरे मे हर रात सीसी पे गाने सुना करता था , और रेडियो सिटी अपना पसंदीदा चॅनेल हुआ करता था तो वो ही लगा दिया , वो गाना आज भी याद है मुझे जिसके बोली कुछ यू थे कि” बस इतनी तुमसे गुज़ारिश है “ अच्छा लगा गाना तो दिल का दर्द अचानक से ही कुछ ज़्यादा सा बढ़ गया आँखे बंद कर ली मैने और तभी मेरी आँखो के सामने निशा का चेहरा आ गया

तो मैने झट से आँखे खोल दी , सच तो था कि वो गाना बस मेरे अकेलेपन की ही व्याख्या कर रहा था आख़िर सबकी ज़िंदगी मे कभी ना कभी ऐसा होता ही है कि जब वो खुद को अकेला महसूस करने लगता है, उसे एक साथी की ज़रूरत होती है ये ज़िंदगी भी अजीब होती है , हर पल बस देती है तो तकलीफ़ हम सोचते है कि खुश है , पर दिल को पता होता है कि कुछ तो कमी है, कुछ तो है जो नही मिला और फिर मेरी ज़िंदगी की बिसात थी ही कितनी पल भर की खुशी और उमर भर का गम

मैं गाने सुनता हुआ अपने विचारो मे खोया हुआ था कि तभी लिली आ गयी हाथो मे एक कटोरी लिए मैने कहा क्या है तो बोली आज गाजर का हलवा बनाया था ज़रा चख कर तो बता कैसा बना है मैने कहा अभी मूड नही है तो वो मेरे पास ही बैठ गयी और बोली कमिने तेरे लिए लेकर आई हूँ और नखरे कर रहा है खाना है तो खा वरना मैं ही खा लेती हूँ तो मैने कहा जब मेरा है तो मैं ही खाउन्गा काफ़ी टेस्टी हलवा था मैने कहा तो फिर क्या सोचा तूने



वो बोली किस बारे मे, मैने कहा देने के बारे मे वो बोली कल ही तो किया था मैने कहा तुझसे मन भरता ही नही तो वो बोली भाई तो शादी के बाद ही जाएगा तो घर पे नही बुला सकती और अब थोड़ी सी गहमा गहमी है तो मुश्किल ही है जुगाड़ का मैने कहा देख ले तेरे घर आए है कही मेहमान ये ना कहे कि खातिर दारी ना हुई तो वो बोली हद से ज़्यादा नीच-कमीना है तू ला कटोरी वापिस दे मैं जाती हूँ तो वो मूड कर चलने लगी और मैं 61-62 करते हुए उसके चुतड़ों को दूर तक निहारता ही रहा

मैं खाट पर ही लेटा पड़ा था , मम्मी की वजह से मैं थोड़ा कट सा रहा था तो सोचा कि इधर ही ठीक है कुछ देर बाद बुग्गी भी आ गयी और पास मे रखी कुर्सी पर बैठ ते हुए बोली इधर क्यो लेटे हो शाम का टाइम है ठंड भी बढ़ने लगी है मैने कहा हुजूर ऐसे ही बस पता नही कभी कभी दिल उदास सा होता है तो वो बोली बताने से बोझ हल्का हो जाता है पर तुम शेयर करना ही नही चाहते हो तो फिर कैसे होगा



मैने कहा यार कुछ है ही नही शेयर करने को जो तुम्हे बताऊ , वो बोली अगर कुछ ना होता तो तुम्हारे चेहरे पर ये उदासी होती ही नही, मैने कहा देख एक छोटे से गाँव का लड़का जो तकदीर के भरोसे आर्मी मे सेलेक्ट हो गया कॉलेज टाइम मे ही उसकी एक दोस्त बन गयी जिस से पता नही कब प्यार हो गया उस कच्ची जवानी मे इन आँखो ने कुछ सपने सज़ा लिए आने वाले जीवन के लिए पर किसी को इतनी सी बाद रास नही आ रही है मैं अपनी मर्ज़ी से शादी करना चाहता हूँ




और जो लड़की मम्मी ने देखी है उसे भी मैं पहल से ही जनता था , मिला था उस से देहरादून मे और मेरी अच्छी दोस्त भी है वो पर मोहब्बत नही है उस से अब तुम ही बताओ कि मैं क्या करूँ, अगर अपनी मोहब्बत से ब्याह ना किया तो मैं खुश नही रह पाउन्गा और अगर उस से ब्याह कर लू तो घर छूट रहा है मम्मी ने तो घर से निकाल ही दिया है जबकि मैने नोकरी की ही इस लिए थी कि मिथ्लेश के साथ अपनी गृहस्थी बसा सकूँ अब तुम ही बताओ मैं करू तो क्या करू



बुग्गी ने एक ठंडी सांस ली और बोली मनीष हम जहाँ रहते है ना उधर ये प्यार मोहब्बत कुछ जमता नही है गाँवो मे जो ये किस्से होते है ना वो अक्सर सेक्स पर जाकर ख़तम हो जाते है गलियों का प्यार बस इतनी देर ही परवान चढ़ता है और फिर ये सब फ़िल्मो का भी असर होता है एक रोमॅंटिक मूवी देखी नही कि फिर दो चार दिन उसके सुरूर मे ही दिल डूबा रहता है , पर मैं ये भी जानती हूँ कि इस दुनिया मे कुछ फीलिंग्स होती है जो हमे जब पता चलती है जब हम किसी से कुछ इस तरह से जुड़ जाते है , जैसे तुम मिथ्लेश से जुड़े हो पर हमारे कुछ और भी काम है, हमारे घरवाले है , एक मिनिट के लिए तुम ज़रा अपनी मम्मी के नज़रिए से सोचो 9 महीने उन्होने तुम्हे अपने पेट मे रखा, कष्ट सहे फिर तुम्हे पाला तुम्हारे हर नखरो को सहा तुम्हारी हर सही-ग़लत माँग को पूरा किया चाहे वो उनके बस की हो या नही और फिर एक माँ के रूप मे अपने बेटे के लिए उनकी भी कुछ इच्छाए है , हालाँकि मैं ये नही कह रही हू की तुम ग़लत हो




तुम अपनी जगह पर सही हो और वो अपनी जगह पर और घर से क्या निकाला गुस्से मे अक्सर ऐसा हो जाता है जब कुछ निकल जाता है मूह से मैं जानती हूँ जब भी तुम घर जाओगे वो तुम्हारा स्वागत ही करेंगी मैने कहा – अब तुम ही बताओ कि मैं करू तो क्या करू अगर मिता का हाथ छोड़ा तो बेवफा कहलाउंगा और मम्मी की ना मानी तो नालयक अब तुम ही बताओ क्या करू मैं इस जमाने मे क्या मेरा इतना भी नही कि अपने मासूम दिल को खुल कर धड़कने दूं मैं तुम ही बताओ आख़िर क्या समाधान है इस समस्या का



बुग्गी बोली ये और कुछ नही तुम्हारे प्यार का इम्तिहान है बस कोशिश करते रहो अगर प्यार सच्चा है तो गाड़ी पार लग ही जाएगी पर इतना कहना ज़रूर मान ना कि फॅमिली से दूर ना जाओ माँ-बाप को ना भूलो आख़िर उनका भी कुछ हक़ है तुम पर मैने कहा यार मैं कहाँ भूल रहा हूँ मैं तो खुद परेशन हूँ तुम्हे क्या दिखता नही है हम बात कर ही रहे थे कि मामा जी भी आ गये तो हमारा टॉपिक अधूरा रह गया छोटे वाले ममाजी बड़े ज़िंदा दिल इंसान थे



बातों का दौर कुछ इस कदर चला कि फिर काफ़ी देर तक उधर ही महफ़िल जमती रही फिर कोशल्या मामी खाने के लिए बुलाने आ गयी वो बोली आप सब खाना खा लो फिर बनवारे की तैयारी भी करनी है तो हम उठ कर घर की तरफ चल दिए बैठक मे दारू का दॉर चल रहा था पापा भी उधर ही थे , आज उनके हाथो मे काफ़ी दिनो बाद जाम देखा था मैने तो मैं मूड ही रहा था की उन्होने आवाज़ देकर मुझे अपने पास बुला लिया मैने कहा जी पापा



वो बोले फोजी कहाँ रहता है तू पापा के पास आया ही नही तो मैने कहा जी वो सुबह से कामों मे बिज़ी था तो टाइम नही मिला उन्होने एक पेग बनाया और मुझे देते हुए बोले- ले दो घूट पी ले तो शायद बाप से बात करने लगे, वैसे भी अब तू बड़ा हो गया है तो तेरे अपने फ़ैसले है , पापा ने उस एक बात मे ही काफ़ी कुछ कह दिया था मैने कहा पापा ऐसी कोई बात तो है नही फिर आपको ऐसा क्यों लगा तो वो बोले बेटे मैं तेरा बाप हूँ



बचपन से जानता हूँ तुझे आज बेशक लेफ्टिनेंट हो गया है अफ़सर हो गया है पर आज भी तू इस बाबू के बेटे के नाम से ही जाना जाता है उन्होने फिर गिलास को अपने मूह से लगाया और एक ही सांस मे खाली करते हुए बोले बेटे ये जो बाप होता है ना ये भी एक अजीब ही कॅरक्टर होता है माँ से भी ज़्यादा अपनी औलाद को प्यार करता है पर कभी कभी जता नही पाता पर तुझ से क्या कहूँ तू तो बड़ा आदमी हो गया है एक मिड्ल क्लास बाबू की तू भला क्यो सुन ने वाला



मैने कहा पापा आपके लिए तो मैं हमेशा से ही बेटा ही हूँ , वो बोले अगर बेटा होता तो कभी सोचा कि घर पे एक बाप भी है जो अब थोड़े दिन मे बस रिटाइर ही होने वाला है , माँ ने दो बात क्या बोल दी साहब घर ही छोड़ आए पर ये ना सोचा कि घर पे मम्मी के अलावा एक पापा भी है , जो तुझे बेटा कम दोस्त मानते है कभी सोचा कि बाप के पास भी एक दिल होता है जो उसकी कड़क छवि मे कही दब कर रह जाता है, कभी सोचा तूने कि घर पर माँ-बाप है जिनकी सूनी आँखो मे बस एक आस है बेटे के नाम की और बेटा है कि बस सब भूल गया है पापा की आवाज़ भारि हो चली थी
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RE: हार तरफ चुत हि चुत (BIG & HOT STORY) - by Pagol premi - 06-12-2020, 10:26 AM



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