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Adultery हार तरफ चुत हि चुत (BIG & HOT STORY)
#62
मैने कहा यार अब क्या करता पता है कहाँ कहाँ धक्के खाए पर तुम्हारा कोई पता ही नही चल रहा था तो फिर आख़िर एसबीआइ का डेटाबेस हॅक करके तुम्हारा पता लिया वो बोली स्मार्ट हो गये हो आजकल मैने कहा पर तू ये सब छोड़ और बता की आख़िर ऐसा क्या हो गया था कि गाँव को हमेशा क लिए ही बाइ बोल दिया तो वो बोली मैं खाना बना रही हूँ बाद मे बात करेंगे



तो मैने उसका हाथ पकड़ा और कहा कि निशा, बता ना तो वो बोली, मनीष तुम तो जानते ही हो कि पिताजी कारगिल युद्ध मे शहीद हो गये थे तो उनकी पेन्षन से माँ ने मुझे जैसे तैसे करके पढ़ाया लिखाया एक खेत हिस्से आया था और छोटा सा घर था काका-ताऊ का हाल तो तुम्हे पता ही था सब लालची कही के कभी मदद करने तो आए नही पर निगाह उस खेत पर थी



फिर तुमसे दोस्ती हो गयी थी तो मैं अपने हालत भूलने लगी थी पर फिर तुम भी चले गये फोज मे और मुझे भी बॅंक मे नोकरी मिल गयी तो मैं मुंबई आ गयी पर पीछे से चाची – ताई माँ से लड़ाई झगड़ा करने लगे एक दिन मैं गाँव मे गयी हुई थी तो मेरे आगे ही काफ़ी बड़ा झगड़ा हो गया उनसे तो फिर मैं माँ को लेकर यहाँ आ गयी मेरी सॅलरी अच्छी थी तो मुझे वैसे भी ज़रूरत नही थी किसी रिश्तेदार की



माँ ही मेरा सब कुछ थी जब मैं उन्हे ही अपने पास ले आई तो फिर वैसे भी गाँव का अब कोई मतलब रह नही गया था



मैने कहा पर तूने मुझे भुला दिया तो वो बोली ऐसा नही है मनीष बस तुम और तुम्हारी यादे ही तो है मेरे जीवन मे जिनके सहारे बस कभी कभी मुस्कुरा लेती हू , मैं तुम्हे चिट्ठि लिखा करती थी मैने कहा हाँ पर फिर तुम्हारी तरफ से जवाब आने बंद हो गये तो मैने फिर घर के पते पर भी कई लेटर्स पोस्ट किए पर तुम्हारा कोई जवाब कभी आया ही नही

मैने कहा यार खडकवासना से मुझे फिर देहरादून जाना पड़ा कुछ हालत ऐसे हुए कि फोन टूट गया तो सारे कॉंटॅक्ट्स डेलीट हो गये और जब मैं घर गया तो पता चला कि घरवालो ने नया घर बना लिया है और मम्मी ने मेरा सारा पुराना समान जला दिया है तो सब कुछ ख़तम ही हो गया मेरे लिए पर चाची ने तुम्हारी कुछ चिट्ठिया बचा ली थी उन्ही से पता चला कि तुम मुंबई मे हो



तो फिर मैं उधर भी गया पर मकान मालिक बोला निशा तो गयी खाली करके तो फिर मैं हताश हो गया पर तुम ने भी कभी चिट्ठी नही डाली फिर दुबारा तो निशा बोली, मनीष मैं एक बार तुम्हारे घर गयी थी तो तुम्हारी मम्मी ने मुझे लताड़ दिया और कड़े शब्दो मे कहा कि मेरे बेटे से दूर रहना , वैसे तो उनकी बात का मुझे बुरा नही लगा पर फिर मैने सोच लिया कि शायद वक़्त की तरह तुम भी बदल गये होंगे तो फिर हिम्मत नही हुई दुबारा चिट्ठी डालने की



उफफफफफ्फ़ ये मम्मी भी ना पता नही क्या क्या करती रहती है आख़िर क्या ज़रूरत थी निशा से झगड़ा करने की, मैने निशा से कहा चल जो हुआ वो हुआ पर अभी मैं हर पल तेरे साथ ही हूँ और तू मेरे तो वो मुस्कुरा पड़ी बोली आओ तुम्हे कुछ दिखाती हूँ और मुझे अपने बेडरूम मे ले गयी तो मैने देखा कि दीवारो पर कुछ पुरानी तस्वीरे टॅंगी हुवी थी जिनमे वो और मैं थे



हमारे पुराने दिनो की बस वो थी और मैं था मैने कहा अब तक है तुम्हारे पास वो बोली बस मेरी तो यही अमानत है तो मैने उसे अपने गले से लगा लिया और अपनी बाहों मे कस लिया निशा रोते हुए बोली मनीष अब मुझे छोड़ कर कही नही जाना मैं बहुत ही अकेली हूँ कुछ भी नही मेरे पास बस तुम्हारी यादो के सिवा तो मैने कहा बस निशा इंतज़ार ख़तम हुआ अब मैं आ गया हू



तभी मैने पूछा माँ कहा है तो उसने एक फोटो की ओर इशारा किया जिसपर एक फूल माला चढ़ि हुई थी वो बोली सालभर पहले दमे के अटॅक की वजह से वो मुझे छोड़कर चली गयी और फुट फुट कर रोने लगी उफफफफफफफफफ्फ़ भगवान क्या तुम्हे सारे दुख इसे ही देने थे और एक मैं था जो पता नही क्या क्या सोचता रहता था कि निशा मुझे भूल गयी है



मैने उसे चुप कराते हुए कहा निशा तू बिल्कुल भी अकेली नही है मैं हूँ ना तेरे पास और खबरदार जो अब एक भी आँसू गिराया तो मुझसे बुरा कोई नही होगा मैने उसे पानी का गिलास देते हुवे कहा ले थोड़ा सा पानी पी ले निशा फिर मेरी गोद मे अपना सर रख कर लेट गयी और मैं उसका हाथ थामे पता नही कब तक उस से बाते करता रहा ऐसे ही उसकी आँख लग गयी उसके गालो पर आँसुओ की रेखा देख कर मेरा कलेजा जैसे फट ही गया



जब निशा की आँख खुली तो अंधेरा हो गया था वो शरमाते हुवे बोली अरे मैं इधर ही सो गयी तुमने हटा या क्यो नही तो मैने कहा इतना तो हक़ है ही मुझे तो वो मुस्कुराइ और बोली चलो अब मेहमान आए है तो शानदार डिन्नर की तैयारी करती हूँ और हम किचन मे आ गये वो बोली आज तुम्हारी मनपसंद पनीर की सब्ज़ी बनाती हूँ तुम आराम करो या चाहो तो टीवी देख लो मैं ज़रा बाजार जाकर जल्दी से आती हूँ



तो मैने कहा मैं भी चलता हू तो फिर हम बाजार को निकल पड़े तो मेरी नज़र एक वाइन शॉप पर पड़ी मैने कहा याद है तुझे एक बार हम ने जयपुर मे हवमहल के पास सड़क पर बैठ कर बूज़ किया था तो वो हँसते हुए बोली हाँ और फिर मैने कितनी उल्टिया भी की थी , मैने कहा चल आजा फिर से उस याद को ताज़ा करते है तो वो बोली नही मनीष नही



खमखाँ मुझे नशा हो जाएगा तो फिर ………. ……… मैने कहा मैं हूँ ना तुझे संभालने को चल आजा और फिर मैं भाग के दो कॅन बियर ले आया और वही सड़क क किनारे पाटड़ी पर बैठ कर हम लोग चिल मारने लगे मैने उसका हाथ अपने हाथ मे ले लिया और पूछा यार तूने शादी की क्या तो एक ठंडी सांस लेकर बोली म , म मुझसे कॉन शादी करेगा



मेरा रंग देखा है कॉन अपनी पत्नी के रूप मे काली कलूटी दुल्हन चाहेगा मैने कहा यार ऐसा क्यो बोलती है तू कितनी तो सुंदर है तू मुझसे पूछ तो वो बोली और सच कहूँ तो अब कुछ फरक भी नही पड़ता आदत जो हो गयी है अकेले रहने की मैने कहा पर अब तू अकेली नही रहेगी तू मेरे साथ देल्ही चल रही है और हाँ ना मत करना बता दे रहा हू


वो बोली पर मैं नही आ सकती नोकरी जाना होता है पर जब भी छुट्टी होगी तो पक्का आउन्गि मैने कहा तू तो चलेगी मेरे साथ और जल्दी ही काफ़ी देर तक हम उधर ही बैठे रहे बाते करते रहे फिर हम ने समान खरीदा और घर पे आ गये खाना बनाने , खाने मे ही रात का 1 बज गया था फिर हम दोनो ने मिलकर बर्तन सॉफ किए



जब निशा फ्रिज मे बचा हुआ समान रख रही थी तो मैं उसके पीछे गया और उसके बालो से रिब्बन को खोल दिया तो उसकी जुल्फे खुल कर उसकी कमर तक आ गयी मैं उसके बालो को सहलाने लगा तो वो बोली तुम बिल्कुल भी नही बदले हो आख़िर कोई कैसे ऐसे रह सकता है मैने कहा तुम भी तो वैसे ही हो कितनी सादगी भरी है तुम्हारे अंदर कितनी सॉफ दिल और सच्ची हो तुम तो वो मुस्कुरा कर रह गयी



मैने एक तकिया और चद्दर ली और सोफे पर पसर गया तो वो मुझे दूध का गिलास देते हुए बोली अरे यहाँ क्यो सो रहे हो बेड कब काम आएगा चलो वहाँ पर और मुझे खीच कर बेडरूम मे ले आई और दूध पीते पीते हम लोग बाते करने लगे ये दिन मेरे जीवन का सबसे अच्छा दिन था आज मुझे पक्का विश्वास हो गया था कि दुनिया मे भगवान नाम की शक्ति भी होती है आख़िर मेरी दुआ जो कबूल हो गयी थी

अगले दिन जब मैं उठा तो निशा पूजा कर रही थी, उसने मुझे एक स्माइल दी और इशारा किया कि अभी आ रही हू मैं सोफे पर बैठ गया मैने फोन ऑन किया और इंडिया का सिम कार्ड डाला तो पता चला कि अशोक भाई के अनगिनत मेसेजस और कॉल्स आए हुए थे तो मैने उन्हे कॉल किया वो बोले अबे कहा था तू और ना कोई फोन ना और कॉंटॅक्ट पता है मुझे कितनी चिंता हो रही थी मैने कहा अब बात क्या है वो बताओ पहले



तो पता चला कि भाई साब की शादी पक्की हो गई है मैने पूछा तारीख तो बताओ तो बोला अगले महीने की17 को मैने कहा भाई बड़ी जल्दी कर दिया काम तो वो बोले भाई अब घरवालो को लड़की पसंद आ गयी तो फिर देर किस बात की , तू भाई, अपनी छुट्टिया ले लियो और दस पंद्रह दिन पहले ही आ जाना शादी का काम है काफ़ी काम करनी होंगे मेरी भी मदद हो जाएगी



और ले तू पहले मम्मी से बात कर तो मैं मामी से बात करने लगा मामी बोली पक्का आना है तो मैने कहा मामी आपको पता तो चल गया ही होगा कि मम्मी और मेरे मे थोड़ी बोलचाल हो गयी थी तो शादी मे वो भी आएँगी तो फिर मेरा आना मुश्किल होगा मामी बोली एक लगाउन्गी कान पे अभी इतना बड़ा नही हुआ है और फिर वो तेरी माँ है तेरा बुरा थोड़ी ना चाहेंगी


मुझे कुछ नही पता बस तू टाइम से आ जाना वरना मैं नाराज़ हो जाउन्गी मैने कहा ठीक है आ जाउन्गा अब जाउ तो मरा ना जाउ तो मरा पर मामी को नाराज़ भी तो नही कर सकता था और फिर एक अरसा ही हो गया था मुझे मामा के गये हुए तो सोचा की जाता हूँ इसी बहाने घरवालो के दर्शन भी कर लूँगा इतने मे निशा ने चाइ पकड़ा दी मैने कहा निशा तेरी पोस्टिंग देल्ही नही हो सकती क्या वो बोली अगर कोई तगड़ी सिफारिश हो तो हो जाए वरना देखो कब तक इधर ही रहना होगा



मैने फिर अपने बॉस को फोन किया और रिक्वेस्ट करते हुए कहा कि सर मिनिस्ट्री मे आप अपनी पॉवर का इस्तेमाल करके मेरी एक दोस्त है उसकी देल्ही पोस्टिंग करवा दीजिए तो वो बोले भ्रष्टाचार कर रहे हो ऑफीसर वो भी अपने बॉस के साथ मैने कहा सॉरी सर , पर आप ही मदद कर सकते हो तो वो बोले अरे मैं मज़ाक कर रहा था अब तेरा इतना सा भी काम नही कर सकता तो क्या फ़ायदा ऐसी पोस्ट का तू डीटेल्स मैल कर्दे मुझे मैं मॅटर देख लेता हू



मैने कहा निशा ज़रा मेरा लॅपटॉप तो देना और फिर उस से उसकी सर्विस की पूरी डीटेल्स लेकर बॉस को मैल कर दी मैने कहा मैने कहा था ना कि तू मेरे साथ देल्ही चल रही है जल्दी ही तुझे ट्रान्स्फर लेटर मिल जाएगा वो बोली अपनी पोजीशन और पॉवर का ग़लत फ़ायदा उठा रहे हो तुम मैने कहा क्या फ़ायदा अगर मैं अपनी दोस्त के काम ना आ सका तो



निशा मेरे पास आकर बैठ गयी और बोली क्यो करते हो इतनी परवाह मेरी, आख़िर क्या लगती हूँ मैं तुम्हारी, हम आपके है ही कॉन तो मैने उसके फूल से चेहरे को अपने हाथो मे लिया और उसकी आँखो मे देखते हुए बोला जिनके पास जवाब होता है वो दूसरो से सवाल नही किया करते है निशा मेम्साब बाकी जो है वो तुम्हे अच्छी तरह से पता है



वो बोली बाते बड़ी करना सीख गये हो मैने कहा तुम्हारी जुदाई ने सिखा दिया है वरना हम तो बस खामोश ही रहा करते थे वो हस्ते हुए बोली तो जनाब शायर भी हो गये है मैं कहा कुछ और दिन अगर तुम ना मिलती तो पता नही क्या क्या हो जाते फिर मैने कहा चल यार कही बाहर चलते है तो वो बोली ठीक है और फिर तैयार होकर हम बाहर घूमने चले गये



पहले एक मूवी देखी फिर वही माल मे ही लंच किया मैं निशा के लिए ज्वेल्लेरी खरीदना चाहता था तो फिर मैं उसे लेके एक फेमस ज्वेल्लेर के शोरुम मे चला गया आख़िर कई प्रॉडक्ट्स देखने के बाद मैने उसके लिए एक हार और सोने की चूड़िया खरीद ली और वही पर उसके हाथो मे पहनाते हुए बोला आज से तेरी कलाइयाँ कभी सुनी नही रहेंगी



निशा बोली किस हक़ से तुमने ये कंगन मेरी कलाईयों मे पहनाए है मैने कहा पता नही पर तेरी सूनी कलाइयाँ अच्छी नही लगती मुझे तो निशा बोली एक लड़की को कंगन पहनाने का मतलब समझते भी हो तुम , मैने कहा तुम्हे पता है वही बहुत है मेरे लिए और उसकी तरफ देख कर मुस्कुरा दिया पेमेंट करने के बाद कुछ और शॉपिंग की और फिर थक कर घर आ गये




खाना बाहर खाकर आए थे और फिर मैं बहुत ही थका हुआ था तो बिस्तर पर पड़ते ही नींद आ गयी सुबह मैं उठ कर बाहर जा ही रहा था कि दरवाजे पे निशा से टक्कर हो गयी तो मेरा बॅलेन्स बिगड़ गया एक तो शरीर नींद मे ही था तो गिरने से बचने के लिए मैने उसकी कमर को थाम लिया पर वो भी अचानक से इस घटना से संभाल नही पाई और हम दोनो फरश पर गिर गये



निशा मेरे नीचे दब गयी मुझे तो कई देर तक पता ही नही चला कि आक्च्युयली मे हुआ क्या है तो फिर वो मुझे धक्का देते हुवे बोली अब उठो भी कि यही पर प्लाट कटवा लिया है तो मैं उसके उपर से उतर गया वो झुंझलाते हुए बोली देख कर नही चल सकते हो क्या हाई राम और इतना बोझ मुझ पर लाद दिया खुद तो हड्डिया तुड़वाओगे मुझे भी मरीज बनाओगे



मैने कहा जानबूझकर थोड़ी ना गिरा अब जाने भी दे तो वो बोली बताओ नाश्ते मे क्या खाओगे मैने कहा जो तेरी मर्ज़ी हो वो बना ले अपनी कोई विशेष डिमॅंड होती नही है आजकल फिर मैं नहाने चला गया तो नाश्ते के बाद हम दोनो लेटे हुए बाते कर रहे थे निशा ने पूछा क्या सच मे तुम मेरा ट्रान्स्फर करवा दोगे मैने कहा लो जी इन्हे मज़ाक लग रहा है जब देल्ही आएगी तो मान लेना



मैं बोला यार अब इतने दिन जुदा रही है तो थोड़े दिन मेरे साथ भी तो रहना बनता है ना, तो वो मुस्कुराने लगी फिर हम दोनो अपने पुराने आलबम्स देखने लगे तो ऐसे ही वो 5-6 दिन पता नही कैसे कट गये उसके साथ टाइम इतना तेज भागा कि लगा ही नही की एक हफ़्ता हो गया है पर जनाब ये टाइम होता है वो कहाँ किसी के लिए रुकता है तो निशा की छुट्टिया ख़तम हो गयी थी

दूसरी तरफ मुझे भी वापिस जाना था मैने फिर से बॉस से बात की तो उन्होने कहा कि तेरा काम हो गया है एक दो दिन मे तेरी दोस्त को ट्रान्स्फर लेटर मिल जाएगा , मैने कहा तो सर मैं उसको लेकर ही वापिस आउन्गा तो वो बोले हाँ पर एक मिशन भी रेडी है आते ही काम पर लग जाना मैने कहा पक्का सर बस इधर का काम निपटा लूँ तो दोस्तो तीन दिन मे आख़िर निशा का तबादला देल्ही हो ही गया

फिर दो दिन बस समान पॅक करने मे लग गये पॅकर्स & मोवेर्स को मैने अपना देल्ही का अड्रेस दे दिया था एक अकेली जान का भी इतना ज़्यादा समान हो सकता है मैने सोचा नही था तो फिर समान देल्ही के लिए लोड करवाने के बाद फिर हुँने भी देल्ही की फ्लाइट पकड़ ली हालाँकि निशा ट्रेन से ट्रॅवेलिंग करना चाहती ती पर मेरे पास टाइम नही था काफ़ी काम पेंडिंग छोड़ा हुआ था मैने



तो फिर रात के करीब साढ़े ग्यारह बजे के आस पास हम लोग पालम एरपोर्ट उतर गये फॉरमॅलिटीस पूरी की फिर कॅब लेकर घर पर आ गये लॉक खोला तो धूल भरे घर ने हमारा स्वागत किया निशा बोली कैसा हाल कर रखा है तुमने इधर का तो मैने कहा यार वो मैं कई दिनो से आया ही नही हूँ इधर तो इसीलिए तो वो बोली चल कोई नही मैं सफाई कर लेती हूँ



तो मैने मना करते हुए कहा कि अरे नही तुम भी थकि हुवी हो मैं खाना ऑर्डर करता हूँ सफाई वफ़ाई बाद मे करेंगे तो निशा बोली मनीष मेरी एक विश पूरी करोगे , मैने कहा यार ये भी कोई कहने की बात है क्या तो वो बोली मैने देल्ही की चाँट के बारे मे बड़ा सुना है पर कभी मोका नही लगा तो मैं आज इधर हूँ तो अभी मेरा बड़ा दिल कर रहा है





मैने कहा बस इतनी सी बात चल फटा फट से कपड़े चेंज करले फिर चलते है बाहर तो वो बोली 12 हो रहे है रात के , और मैने सुना है कि देल्ही की रात सेफ नही होती तो हम फिर कभी चलेंगे मैने कहा यार चल अभी पर वो मना करने लगी तो मैने फिर जब खाना ऑर्डर किया तो निशा के लिए कुछ स्पेशल ऑर्डर कर दिया बस अब देखना था कि जब वो खाने का पॅकेट खोलेगी तो उसका क्या रियेक्शन होता है



दरअसल मैने रेस्टोरेंट से डिन्नर के साथ साथ कुछ चाट, पपड़ी और दही भल्ले, आलू टिक्की जितनी चीज़ो के भी नाम मुझे याद थे सब का ऑर्डर कर दिया था जब तक निशा नहा कर बाहर आई मैने थोड़ी बहुत सफाई कर दी थी अब था अकेला बंदा तो मेरे पास इतना कुछ फर्नीचर भी नही था बल्कि मैं तो सोता भी नीचे ही था गुड दी बिछा कर



मैने कहा निशा आज आज अड्जस्ट कर ले कल ही मैं तेरे लिए बेड खरीद लाउन्गा तो वो बोली कोई बात नही , और फिर वैसे भी दो चार दिन मे मेरा सामान भी आ ही जाएगा तो हम वो ही शेर कर लेंगे , सच मे यार उसकी ये सादगी ही उसकी खूबसूरती थी वरना एक बॅंक ऑफीसर के कितने नखरे होते है आप समझ सकते है ही पर सबसे अलग थी मेरी निशा



तो फिर जैसे ही ही डेलिवरी बॉय खाने का पार्सल देने आया तो मैं बहाना बना कर बाथरूम मे घुस गया और निशा को कहा की पार्सल कलेक्ट कर ले जब मैं वापिस आया तो निशा ने डिन्नर प्लेट्स मे लगा दिया था मुझे देखते ही वो उठी और मेरे सीने से लग गयी और बोली मनीष कितना ख़याल रखते हो मेरा, इतनी भी फिकर ना किया करो मेरी अगर मुझे तुम्हारी आदत हो गयी तो



मेरा जीना मुश्किल हो जाएगा पिछले कुछ दिनो मे पता है मैं एक अलग ही तरह की ज़िंदगी जी रही हूँ तुमने एक पल मे ही मेरी ज़िंदगी के मायने बदल दिए है मैं उसके बालो मे हाथ फिराते हुए बोला निशा तुम्हे क्या पता कितना अधूरा था मैं तुम्हारे बिना जानती हो जब भी गाँव जाता था तो मंदिर की बगीची मे मैं घंटो बैठ कर बस तुम्हारे साथ बिताए हुए पॅलो को याद किया करता था



कभी कभी तो ये सोच कर कि तुम पास हो ख़यालो मे ही तुमसे गुफ़्तुगू करने लग जाता था जब भी मैं तन्हा हो ता था हर पल बस तुम्हारा ही ख़याल होता था बस यही सोचता रहता था कि कहाँ गयी तुम , किस हाल मे होगी ये कहते कहते मेरी आँखो मे पानी आ गया तो निशा मेरे आँसू पोछते हुए बोली अब मैं साथ हू तुम्हारे चलो अब आओ और खाना खा लो ,



ठंडा हो रहा है और वैसे भी रात काफ़ी हो गयी है तो मुझे नींद भी आ रही है तो फिर हम ने अपना भोजन किया और फिर बिस्तर पर आ गये फिर बात करते करते पता ही नही चला कि कब नींद आई पता नही कितने बज रहे थे कि मेरी नींद खुल गयी दरअसल हुआ हूँ कि सोते सोते निशा ने अपनी एक टाँग मेरे उपर रख दी थी और मुझसे बिल्कुल छिपकर कर सो रही थी



उसकी गरम साँसे मुझे मदहोश करने लगी थी पर मैं अपनी भावनाओ को कंट्रोल करना चाहता था कही निशा मुझे ग़लत ना समझ ले और फिर अपनी भावनाए वैसे भी भड़क जाए तो फिर प्राब्लम हो जाती है तो मैने उसे अपने से परे किया पर उस दो पल मे ही मेरी धड़कने बढ़ गयी थी, तो फिर मैने करवट बदली और सो गया अगली सुबह मुझे एजेन्सी मे रिपोर्ट करनी थी



तो मैने निशा को कुछ ज़रूरी बाते बताई पास वाली मार्केट का अड्रेस दिया और फिर कहा कि मुझे आते आते रात हो जाएगी तो तुम देख लेना फिर मैं ऑफीस आ गया कुछ पुरानी फाइल्स रीड की बॉस आए नही थी अभी तक मुझे मेरी रिपोर्ट भी सब्मिट करनी थी तो दोपहर बाद वो आए कुछ परेशान लग रहे थे उन्होने मुझे कॅबिन मे बुलाया और एक प्रॉजेक्ट की फाइल देते हुए कहा कि इस फाइल को अच्छे से रीड कर्लो और अपनी बेसिक तैयारी कर्लो मैने कहा सर मैं मॅटर देख लेता हूँ तो मैं अपनी डेस्क पर आया और फाइल को रेड करने लगा और जैसे जैसे मैं वो सब पढ़ता गया मेरे माथे पर एक शिकन आ गयी कहाँ मैं सोच रहा था कि निशा के साथ टाइम स्पेंड करूँगा और कहाँ अब ये नया प्रॉजेक्ट पूरा करना था मैं बॉस के कॅबिन मे गया



और पूछा सर हमें कब निकलना है तो उन्होने कहा परसों चलते है मैने कहा यस सर फिर कुछ और मुद्दो पर डीस्कस्स करने के बाद मैं वापिस आ गया और कुछ इन्फर्मेशन्स को रीड करने लगा काम करते करते रात के दस बज गये थे तो फिर मैने अपना बॅग उठाया और घर की ओर हो लिया जब मैने बेल बजाई तो उस प्यारी सी लड़की ने दरवाजा खोला और मुस्कुराते हुए मेरा स्वागत किया


मैं तो घर की हालत देख कर सोचने लगा कि ये मेरा रूम ही है क्या निशा ने सब कुछ सॉफ करके अच्छे से व्यस्थित कर दिया था मैने पूछा तुमने खाना खाया तो पता चला कि वो मेरी ही राह देख रही थी मैने कहा यार मेरा कोई फिक्स नही है तू अपनी सेहत का ध्यान रखा कर , और हां मैं कुछ दिनो के लिए बाहर जा रहा हूँ वापिस आने मे थोड़ा टाइम लग जाएगा….

निशा बोली पर मैं अकेले कैसे रह पाउन्गी तो मैने कहा पर डियर ये तो हमारे काम का दस्तूर है ही मेरा काम ही ऐसा है कि आज यहाँ तो कल कही ओर पर तुम चिंता ना करना मैं जल्दी ही आ जाउन्गा और फिर एक-दो दिन मे तुम भी तो ड्यूटी पे जाना शुरू कर दोगि और तुम चिंता ना करो इधर तुम्हे किसी भी तरह की कोई प्राब्लम नही आएगी बस मस्त रहो



अब मैं क्या करू काम भी करना ज़रूरी था आख़िर उसी बात की तो सॅलरी मिलती थी मुझे पर दिल मेरा भी निशा के साथ रहने को कर रहा था पर फोज ने यही चीज़ बड़े बेहतरीन तरीके से सिखाई थी कि चाहे हालत कुछ भी हो अपने एमोशन्स को काबू मे रखो तो मैने कहा चल वो सब छोड़ और खाना खिला दो सुबह से कुछ खाया भी नही है तो निशा बोली हाथ मूह धो लो मैं परोस देती हूँ



तो फिर हम खाना खाने लगे मैने कहा अरे यार दाल क्यों बना दी तुमने तो वो बोली खाकर तो देखो अच्छी बनी है मैने कहा यार अब फोजी आदमी को बस दाल ही नही भाती है पर चलो अब तुमने बनाई है तो अच्छी ही होगी और फिर हम हँसी मज़ाक करते हुए पेट भरने लगे निशा ने पूछा घर कब जाओगे मैने कहा नही यार अब घर नही जाउन्गा अपना तो दाना पानी उठ गया है उधर से



निशा बोली माँ-बाप तो कहने के ही होते है जब तुम शादी मे जाओगे तो कोशिश करना मम्मी से सुलह करने की सब अड्जस्ट हो जाएगा कितने सुलझे हुए विचारों की लड़की थी ये और मैं कितना स्वार्थी हो गया था पर मैं भी तो मजबूर था डिन्नर के बाद मैने कहा आओ ज़रा वॉक करके आते है तो फिर हम अपने कॅंपस से बाहर निकल आए और रोड पर घूमने लगे



अचानक से निशा ने पूछा तुम शादी कब कर रहे हो मैने कहा यार तुझे सब पता तो है फिर क्यो पूछ रही है वो बोली ऐसे ही मैने कहा जब भी होगी तुझे तो पता चल ही जाएगा ना तो वो बोली हाँ वो तो है ही आख़िर मैं तुम्हारी स्पेशल गेस्ट जो हूँ और हँसने लगी फिर हम ने एक आइस्क्रीम खाई और घर आ गये अगले दिन मुझे निकलना भी था तो पॅकिंग की और फिर थोड़ी देर के लिए सो गया



अगले दिन जब मैं जाने को था तो उसने पूछा वैसे तुम जा कहाँ रहे हो मैने कहा दुबई, मैने उसको कुछ बुनियादी बाते समझाई उसका बॅंक चाँदनी चौक एरिया मे था तो उसको रूट वग़ैरहा समझाया और एक नंबर दिया मैने कहा अगर पीछे से तुम्हे कोई परेशानी हो तो इस नंबर पर कॉल करना मदद मिल जाएगी पता नही क्यो मुझे उसकी इतनी फिकर थी जबकि कई सालों से वो अकेली ही तो रह रही थी



अगले दिन मैं बॉस के साथ एरपोर्ट पहुच गया , अब मैं बता ता हूँ कि हम दुबई क्यो जा रहे थे दरअसल इंटरनॅशनल पीस समिट हो रहा था तो बॉस ने बोला था कि इस तरह की समिट्स मे डेलिगेशन मे कुछ एजेंट्स भी जाते है उनका काम होता है अदर कंट्रीज़ के डेलिगेशन्स से ख़ुफ़िया इन्फर्मेशन निकलवाना तो इस बार बॉस ने मुझे भी ले लिया था साथ



दुबई, रेगिस्तान मे बसी हुई जन्नत खूबसूरत इतना कि बस शब्दो मे बताना बड़ा ही मुश्किल 5 दिन का समिट था तो जाते ही बस थोड़ी बहुत देर आराम किया और फिर शाम को तैयार हो लिए उन की कॉन्फ्रेंसे के लिए सभी देशो के डेलिगेशन्स आए हुवे थे बस मेल मिलाप की फॉरमॅलिटीस ही चल रही थी पर चूँकि बॉस ने मुझे पहले ही बता दिया था कि



ख़ुफ़िया एजेंट्स भी होते है और फिर मुझे इतना ज़्यादा एक्सपीरियेन्स भी नही था तो मैं थोड़ा सा सावधान सा ही था मेन कॉन्फ्रेंस काफ़ी बोरिंग सी थी और मेरे पल्ले भी कुछ खास पड़ नही रहा था तो मैं बाहर आ गया और एक ड्रिंक लेने चला गया कुछ देर बाद बॉस की कॉल आई तो उन्होने पूछा कि कहाँ हो तुम मैने बता दिया वो बोले हॉल मे आ जाओ



कुछ देर मे इंडिया-पाकिस्तान की कंबाइन प्रेस कॉन्फ्रेंसे होने वाली है तो अपने जैसे भी होंगे ज़रा नज़र मार लेना और चूँकि ये इंटरनॅशनल समिट है तो थोड़ा सा प्रोफेशनलिसम दिखाओ ये कोई टाइम है क्या ड्रिंक लेने का तो मैने अपना शॉट वापिस रखा और बोला सर दो मिनट मे पहुचता हूँ और तेज तेज कदमो से हॉल की तरफ जाने लगा

बॉस ने मुझे इशारा किया और मैने अपनी सीट पकड़ ली प्रेस की तरफ से आ रहे सवालो का जवाब दिया जाने लगा और मैं अपनी आँखे इधर उधर दौड़ाने लगा तो मेरी नज़र पाकिस्तानी डेलिगेशन पर पड़ी जब मैने गोर से उधर देखा तो मेरे दिमाग़ ने एक झटका खाया , क्या ये वही थी,नही नही मुझे ज़रूर कोई ग़लत फहमी हुई है तो मैने बड़े ही गोर से दुबारा देखा



मैं गहरी सोच मे पड़ गया ये तो वही है पर ये यहाँ कर क्या रही है, पाकिस्तान डेलिगेशन के साथ इसका मतलब तो …….. ……….. …….. तो नही ऐसा नही हो सकता ये ज़रूर कोई और ही होगी क्या पता मेरी नज़रे धोखा खा रही हो तभी मेरी निगाहें उसकी नज़रो से मिली और उस मोहतार्मा का भी वही हाल हो गया जो मेरा हो रहा था एसी हाल मे भी उसके
माथे पर पसीने की कुछ बूंदे चल चला आई थी उफ़फ्फ़ साला ऐसा भी हो सकता है क्या हम तो खुद को ही तीस मार ख़ान समझते थे पर आज पता चला कि मैं तो बस एक चूतिया ही था, भरी महफ़िल मे हम दोनो रुसवा होने लगे थे एक दूजे की निगाहो के वार से मैने पास रखी बॉटल से दो घुट पानी पिया और अपनी सांसो को दुरुस्त किया आज मुझे पता चला था कि ये राह जो मैने चुनी थी कितनी मुश्किल भरी हो सकती है



मुझे अब कुछ पता नही था दिल तो कर रहा था कि अभी जाकर उस से पुछु कि तुम यहाँ पर कैसे,,……………………… ………………. ……………



जबकि जब वो अगर यहाँ पर थी तो मुझे ये भी पता तो था ही कि वो कॉन है क्या सख्शियत है उसकी पर वो सब झूठ था जो उसने मुझे बताया था कितनी आसानी से उसने मुझे अपने जाल मे फसा लिया था उफ्फ पर मैने भी सोच लिया था कि बस अब इसकी खबर तो लेनी ही है चाहे कुछ भी हो इसको धर ही लूँगा मैं अब मैं सोच रहा था तभी हमारी आँखे फिर से टकराई…….. ……………. …………. ………………ऑर

ऑर इस बार कुछ पॅलो तक हम आँखो आँखो मे एक दूसरे को देख ते ही रहे ,महक थी वो कहाँ वो जब एक चाइ की दुकान वाली बनी थी और अब यहाँ मैं एक पल मे ही समझ गया था कि ये गजब की एजेंट है आइएसआइ की, और हम तो बस एक नोसिखिए से ज़्यादा कुछ नही थे उसने अपने दुपट्टे को संभालते हुए एक गहरी नज़र मुझ पर डाली और उठ कर बाहर को चल दी



मैने अपनी कुर्सी छोड़ी और नज़र बचा कर मैने भी एग्ज़िट का रास्ता ले लिया मैं दौड़ कर उधर गया तो उसकी बस झलक सी ही दिखी बाहर को जाते हुए तो मैं तेज़ी से उस और दौड़ा बिल्डिंग से बाहर आते ही देखा कि उसने एक टॅक्सी ली और आगे बढ़ गयी मैने तुरंत ही अपने लिए भी एक टॅक्सी ली और उसके पीछे चलने को कहा करीब आधे घंटे बाद उसकी कॅब रुकी तो मैं भी उतर गया



वो एक छोटा सा केफे था महक अंदर एंटर हो गयी तो मैं भी घुस गया और उसके सामने वाली चेर पर बैठ गया कुछ देर तक हम दोनो बस एक दूजे की आँखो की भाषा पढ़ते रहे अब बात अलग हो गयी थी बल्कि मुझे प्रोटोकॉल यू तोड़ना ही नही था अगर ये ट्रॅप है तो मैं फस गया था बुरी तरह से वैसे भी अक्सर हमारे जैसे लोग खूबसूरती का शिकार हो ही जाया करते है



आख़िर मैने चुप्पी तोड़ते हुए कहा महक या जो भी नाम है तुम्हारा तुम यहाँ कैसे तो बड़ी ही सन्जीदगी से उसने जवाब दिया कि अब इस सवाल का कोई फ़ायदा नही है क्योंकि जवाब तो आप को पता लग गया ही है इस हमाम मे हम सब नंगे ही है और अब तो आप से ये भी नही पूछ सकती कि आप यहाँ कैसे बस इतना समझ लीजिए कि हम लोग अपने अपने वतन के लिए अपना अपना काम कर रहे है



बात तो उसकी सही थी और ये एक ऐसा सवाल था कि जिसका कोई जवाब हो ही नही सकता था पर मैं क्या करूँ वो जो कुछ दिनो की दोस्ती सी हो गयी थी उस से जब कितनी मासूम थी वो और आज उसी चेहरे के अंदर एक नक़ाब था अब क्या कहें हम किसी से अपना हाल ए दिल जनाब बस इतना जान लीजिए कि आँसू भी अपना ही नमक ना जाने मेरा मन मान ने को तैयार नही हो रहा था



कि महक आइएसआइ से जुड़ी हो सकती है पर यही सच्चाई थी, आख़िर हम सबने अपने अपने चेहरो पर नक़ाब ही तो ओढ़ रखे थे हर किसी के लिए हम अलग अलग सख्सियत ही तो थे, महक मुझे चाइ का कप पकड़ाते हुए बोली जनाब चाइ लीजिए पर मैने कप नही पकड़ा तो वो बोली जनाब फिकर ना करे कुछ मिलाया नही है इसमे और उसने दो चुस्किया ले ली उस कप मे से



फिर वो बोली आप चिंता ना करे , हमारी ये मुलाकात पूरी तरह से महफूज़ है तो मैने वो कप ले लिया और चाइ पीने लगा वो बोली सोचा नही था कि इस तरह आपसे दुबारा मुलाकात होगी , वरना मैं तो बस आपके साथ बिताए कुछ पलों को ही बस दिल मे कही समेटे हुए थी मैने कहा मैने भी नही सोचा था कि तुमसे इस तरह …… ……….. ………. मैने कहा तो अब क्या



तो वो बोली , तो कुछ नही आप अपना काम कीजिए और मैं अपना बस यही हक़ीक़त है और हमें इसे मान ना ही होगा वरना अंजाम तो आप बखुबी समझते है मैने कहा तो अपनी दुस्मन को यहीं पर गोली मार दूं तो महक एक कातिल अदा के साथ बोली हुजूर मर तो हम उस रात ही गये थे जब आपकी बाहों मे पनाह ली थी अब तो बस साँसे ही चल रही है आपकी अमानत है आप जब चाहे ले लीजिए
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RE: हार तरफ चुत हि चुत (BIG & HOT STORY) - by Pagol premi - 06-12-2020, 10:04 AM



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