06-12-2020, 09:36 AM
रात को 11 के करीब मिथ्लेश का फोन आया तो मैने कहा मिल गया फ़ुर्सत हम से मिलने की वो बोली क्या करू टाइम ही नही मिला काफ़ी कम लोग आए थे मैने कहा अब सुन परसो मेरे गाँव मे मेला है तो तुझे आना है काफ़ी दिन हुए मेला नही देखा तो वो बोली ठीक है मैं आ जाउन्गी मैने कहा धन्यवाद, फिर मैने कहा तूने अपने पेरेंट्स से बात की
तो वो बोली नही एक दो दिन मे कर ही लूँगी मैने कहा यार डिले ना कर मेरी छुट्टी बीत गयी तो फिर तुझे पता ही है ना तो वो बोली मैं जल्दी ही कर लूँगी फिर हमारी प्यार भरी बाते शुरू हो गयी तो पता ही ना चला कि रात कब कट गयी सुबह 5 बजे मैं सोने गया उस रात तो जाहिर था कि फिर दोपहर तक ही उठना था जिंदगी भी हम से अपने तरीके से खेल रही थी
अगले दिन मेरी आँख तब खुली जब चाची मुझे जगाने आई वो बोली देखो दिन कितना चढ़ आया आया है और तुम पड़े हो अभी तक मैं आँखे मलते हुए उठा और कहा कि थोड़ा सा पानी पिला दो तो वो मेरे लिए पानी लाने चली गयी मैं अपने होश सही करने लगा पानी पीने के बाद उनके पीछे पीछे नीचे आया तो घर मे कोई नही दिखा मैने कहा मम्मी कहाँ है तो पता चला कि वो खेत मे गयी है
ये सुनते ही मैने चाची को बाहों मे भर लिया और उनसे छेड़खानी करने लगा तो वो मुझे दूर हटा ते हुए बोली कमिने छोड़ मुझे तेरे चाचा आज घर पर ही है नहा रहे है मरवाएगा क्या तो मैने तुरंत ही उनको खुद से अलग कर दिया और पूछा आज किस खुशी मे वो ऑफीस नही गये तो पता चला कि कल वो चंडीगढ़ जाएँगे तो फिर छुट्टी ले ली मैने कहा ठीक है आप लोग फिर आज पूरा एंजाय करो मैं चला बाहर घूमने
वो मुझे बुलाती रह गयी पर मैं बाहर आ गया आज बिना नहाए धोए ही , बाइक बाहर ही खड़ी थी तो मैने उसे स्टार्ट किया और खेतो की ओर चल पड़ा आख़िर उधर भी तो जाना ही था तो आज उधर ही सही मैने बाइक स्टॅंड पर लगाई तो देखा कि मम्मी और गीता दोनो ही उधर खड़ी थी और बाते कर रही थी मैने पूछा क्या हुआ तो वो बोली कि सरसो को पानी देना पड़ेगा
और तेरे चाचा आज रात चंडीगढ़ जाएँगे फिर दो दिन लाइट का नंबर नही रहेगा मैने कहा आप क्यो फिकर करते हो मैं हूँ ना मैं पानी दे दूँगा और गीता की तरफ देख कर मुस्कुराया अब खेतो पर आया था तो मम्मी ने इधर उधर लगाए रखा तो कमर दर्द से अकड़ गयी पर मना भी नही कर सकता था मैने मन मे सोचा कि चाची को भी रगड़ने का मोका है और इधर गीता भी है अब पानी देने को बोल दिया था तो फिर इधर ही आना था
फिर हम घर गये अब पता तो था ही रात को फिर से खेत मे जाना है तो जल्दी से खाना वाना खाया वैसे भी सुबह से आज भूखा ही था बस फिर अपना कुछ समान लिया और फिर से हो लिए कुँए की ओर…
वहाँ गया पानी की मोटर को ऑन किया और खेतो मे पानी छोड़ दिया अब ठंड मे पानी देना भी किसी सज़ा से कम थोड़ी ना है फिर मैं गीता के घर गया और उसको कहा कि तू कुँए पर आ जाना आज की रात उधर ही रहना तू तो वो बोली ठीक है थोड़ी देर मे आती हू अब गीता को तो पता ही था कि आज उसकी चुदाई होने वाली है तो वो तो खुद ही आतुर थी
तीन खेतो मे पानी देना था मैने टॉर्च ली और चल पड़ा देखने की पानी की सप्लाइ मे कोई रुकावट तो नही है इस काम मे आधा घंटा से भी ज़्यादा समय लग गया और उपर से ठंड भी कड़ाके दार हालाँकि स्वेटर पहनी हुई थी पर पैर तो गीले ही थे बड़ा ही बुरा हाल हो गया मेरा कंपकंपी चढ़े वो अलग से, पर काम तो करना ही था
जब मैं वापिस आया तो देखा कि गीता आ चुकी थी उसके हाथ मे एक थर्मस था बोली मुझे पता था तुम्हे ठंड लगेगी तो चाइ ले आई और कप मे चाइ डाल के मुझे पकड़ा दी मैने कहा यार मेरी ठंड इस चाइ से दूर नही होगी अब तो वो हँसते हुए बोली तो क्या सेवा करू मेरे जानू की मैने कहा सेवा नही मुझे तो मेवा खाना है तो वो इठलाते हुए बोली तो फिर आ जाओ किसने रोका है
चाइ की चुस्किया लेते हुए मैने कहा की ऐसी नही ज़रा अपने कपड़े उतार कर अपने मस्ताने रूप का दीदार तो करवाओ मुझे तो वो बोली हम क्यो नही अभी लो और फिर खड़ी खड़ी ही उसने अपनी चोली की डोरी को खीच दिया तो वो उतर गयी काली ब्रा मे क़ैद उसके पुष्ट उभार बड़े ही सुंदर लग रहे थे उस पर ब्रा इतनी टाइट कसी हुई थी कि लग रहा था कि ये ब्रा ज़्यादा देर उनको क़ैद नही रख सकती है
फिर वो अपना हाथ घाघरे के नाडे पर ले गयी और एक सेकेंड मे ही घाघरा उसके पाँवो मे पड़ा था पेंटी भी काली मशाल्लाह गीता तो आज पूरी तैयारी करके आई थी उसकी ठोस, मस्त जंघे और मोटे मोटे कुल्हो पर कसी हुई वो छोटी सी कच्छि बड़ी ही सुंदर लग रही थी गीता अपने हाथ अपने बालो पर ले गयी और अपनी छोटी के रिब्बन को खोल कर अपनी रेशमी ज़ुल्फो को आज़ाद कर दिया
उसे अच्छी तरह से पता था कि मुझे खुले बालो वाली औरते बड़ी पसंद थी और फिर वो खुद भी तो मेरी दीवानी थी फिर वो अपने हाथो से अपने बोबो को दबाती हुई मुझे देखते हुए बोली कैसी लग रही हूँ मैं मैने चाइ का कप नीचे रखा और उसके पास जाते हुए कहा हमेशा की तरह लाजवाब लग रही हो और उसको अपने से चिपका लिया तो गीता एक मीठी सी आह भरते हुवे मुझसे लिपट गयी
लिपटे लिपटे ही उसने मेरे पयज़ामे मे अपना हाथ डाल दिया और मेरे लंड को अपनी मुट्ठी मे भरते हुए बोली क्या हाल है इसका मैने कहा तुम खुद ही पूछ लो तो वो घुटनो के बल बैठ गयी और मेरे पयज़ामे और कच्छे को नीचे सरकाते हुए लंड से खेलने लगी लंड को देख कर उसकी आँखे चमकने लगी थी थोड़ी देर तक सहलाने के बाद उसने अपनी लंबी जीभ बाहर निकली और लंड पर रगड़ने लगी
सच्ची मे बड़ा ही सुकून मिला मेरा तन बदन एक तरंग से भर गया मैने कहा आह ये क्या किया जालिम आज इरादे नेक नही है तुम्हारे तो उसने फिर से अपनी जीभ मेरे लंड पर फिरानी शुरू कर दी ठंड के मोसम मे उसकी गरम जीभ बड़ा ही आनंद दे रही थी फिर उसने मेरे सुपाडे को अपने होंठों मे दबा लिया और अपने हाथ से अंडकोषो को सहलाने लगी मैं तो उस रूहानी मज़े मे डूबता ही चला गया
मैने अपने दोनो हाथ उसके कंधो पर रख दिए और खुद को उसके हवाले कर दिया गीता के प्यासे तड़प्ते होठ मेरे लंड का स्वाद चखने लगे बड़ी ही अदा से आज वो लंड चूस रही थी बढ़ती उमर के साथ वो और भी मादक , और भी ज़्यादा जवान होती जा रही थी और उसके चूतड़ तो क्या बताऊ कितने चौड़े हो गये थे उसके हुस्न को देखते देखते लंड और भी ज़्यादा मचलने लगा था
वो पूरा लंड झटके से बाहर निकाल देती अपने मूह से और फिर से उसको चूस्ति थूक जब लंड से टपकता और वो उसको अपनी जीभ से चाट ती तो बड़ा ही मज़ा आ रहा था मुझे और वो तो बस लंड को चूसे जा रही थी बड़ी बेताकल्लूफ़ी से मेरी टाँगो मे सरसराहट होने लगी थी तो मैने कहा बस भी कर ना अब मुझसे रुका नही जा रहा है तो वो बोली तुम्हे क्या पता
कितने दिनो से मेरा गला सूखा पड़ा है आज तुम्हारे रस से अपने गले को तर करूँगी तो मुझे थोड़ा चैन मिलेगा मैने कहा डार्लिंग जैसी तुम्हारी इच्छा कर्लो अपने मन की और फिर मैं उसका सर पकड़ कर उसके मूह पर ही धक्के लगाने लगा गीता उूुउउ उूउउ करते हुए मेरे लंड को अपने मूह मे लेने लगी बार बार उसके बाल चेहरे पर आ रह था तो बड़े ही प्यारे लग रहे थे और मैं भी अब झड़ने के कगार पर आ गया था
मैने कहा गीता मैं तो जाने वाला हू तो उसने अपने होठ मेरे लंड पर अच्छे से कस दिए और मेरी गोलियो को रगड़ने लगी पता नही कैसा जादू था उसके हाथो मे मुझे लगा कि जैसे शरीर की सारी नसे खिच गयी और फिर लंड से स्रर्र्र्र्र्र्र्ररर करता हुआ गरमा गरम पानी गीता के हलक मे गिरने लगा पता नही कितना वीर्य निकला पर गीता काफ़ी देर उसे पीती ही रही
लंड जब तक सिकुड ना गया वो उसको पीती ही रही उफफफफ्फ़ गीता कितनी आग भरी थी उस औरत मे फिर उसने लंड को बाहर निकाला और अपने होंठो पर जीभ फिराते हुए बोले कसम से आज तो मज़ा ही आ गया मैने कहा तूने अपनी मनचाही कर ली अब मैं भी अपने मन की करूँगा वो बोली क्या करोगे मेरे राजा जी मैने कहा तुझे खेत मे चोदुन्गा
वो बोली पागल हुए क्या इतने जाड़े मे मे नंगी कैसे होउंगी उधर मैं उसकी ब्रा को खोलते हुए बोला चल ना काफ़ी दिनो से खेत मे चूत नही मारी अब इतना भी ना करेगी क्या तू तो वो बोली ठीक है अब तुम्हारी यही इच्छा है तो चलो फिर उसने फॉरन अपनी कच्छि उतरी और मेरे साथ खेत मे आ गयीचारो तरफ गहरी धून्ध छाई हुई थी और हम दो नंगे सरसो के खेत मे बीचो बीच खड़े थे
मैने अपना मूह उसकी चूची पर लगा दिया और हाथ से उसकी चूत को मसल्ने लगा गीता आहे भरने लगी गीता और मैं फिर से गरम होने लगे थे चारो तरफ बरसती धुन्ध मे दो जिस्मो का मिलन बड़ा ही रोमांचकारी अनुभव था और वैसे भी जब दो जिस्म गरम हो तो फिर कहाँ ठंड का ध्यान रहता है उसकी 38 साइज़ की चूचिया पूरी तरह से मेरे थूक से सन गयी थी
और योनि रस से भीगी हुई दो उंगलियाँ उसकी चूत मे लगातार अंदर भहर हुए जा रही थी गीता तो बस किसी तरह से अपनी सिसकारियो को संभाले हुए थी जब उस से रहा नही गया तो वो बोली बस अब इंतज़ार नही होता चोदो मुझे तो मैने वही खड़े खड़े ही उसकी टाँगो को थोड़ा सा फैलाया और अपना लंड चूत से लगा दिया मैने उसकी कमर को थामा और लंड को अंदर करने लगा घप की आवाज़ के साथ लंड अंदर घुसता चला गया चूत का छल्ला फैलता चला गया
जैसे ही गीता ने आह भरी मैने अपने होठ उसके लाल लाल होटो से चिपका दिए और उनका रस पान करने लगा गीता और मैं एक दूसरे मे समा गये थे उसने नरम होटो का अलग ही क्रीमी सा मज़ा था बड़ा ही अच्छा लग रहा था मैने मजबूती से उसके मोटे मोटे चुतड़ों को थाम लिया और उसकी चुदाई शुरू कर दी जब जब ठंडी हवा का झौका आता तो बस फिर पूछो ही मत
कोई पागल ही होगा जो कड़ाके की ठंड मे खुले खेत मे चुदाई का कार्यकरम करेगा मैं गीता की जीभ को चूस्ते हुए ताबड तोड़ उसको चोदे जा रहा था गीता की हर एक आ उसके गले मे ही घुट गयी थी तभी मैने अपना लंड उसकी चूत से बाहर निकाला और नीचे बैठ थे हुए उसके दाने को अपने मूह मे भर लिया बस फिर गीता तो जैसे पागल ही हो गयी थी
उसने मेरे सर को अपनी मांसल जाँघो मे कस लिया और बोली आहह उूुुुुुुुुुुुुुुुउउफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफ्फ़ ये क्या किया तुमने आज क्या जान लेने का इरादा है और अपनी टांगो को थिरकाने लगी मैं मज़े से उसकी चूत को चाटने लग गीता बड़ी ही चुदासी हो गयी थी इस टाइम तो उसने मुझे अपनी चूत से हठाया
और पंजों के बल झुकती हुई बोली फिलहाल मेरी चूत को लंड की सख़्त ज़रूरत है तो टाइम खराब ना करो और मुझे शांत कर ही दो वरना कही मर ना जाउ मैं , तो मैं उसके कुल्हो पर लंड रगड़ते हुए बोला मेरी जान आज रात तो मैं तुझे मरने दूँगा नही और फिर एक झटके मे जड़ तक लंड अंदर दे मारा और उसकी पीठ को चूमते हुए फिर से घम घाम चुदाई शुरू कर दी
गीता हाई हाई करते हुए अपने हाथो को घुटनो पर रखे चुद रही थी मैने कहा मज़ा आ रहा है क्या तो बोली बड़ा ठंडा ठंडा सा लगा रहा है तुम ऐसे ही करते रहो बड़ा अच्छा लग रहा है मैने कहा ठीक है मेरी जान आज पूरी रात तेरी चूत को चोदुन्गा तो गीता बोली मैं कहाँ मना कर रही हूँ बस तुम मुझे यू ही चोद्ते रहो
हर एक सेकेंड मेरी रफ़्तार बढ़ती ही जा रही थी गीता की कमर को अपने हाथो से दबाते हुए मैं दना दन उसको चोदे जा रहा था लगभग आधे घंटे तक ये काम चलता रहा गीता की चूत से रिस रिस कर पानी उसकी जाँघो तक आ गया था वो झड चुकी थी पर मेरा अभी बाकी था वो बोली मैं थक गयी हूँ इस तरह झुकी झुकी तो मैने उसे अपनी गोद मे उठा लिया
और उसका पूरा वजन अपने उपर लेटे हुए उसको उपर नीचे करने लगा पल पल मैं भी अंत की ओर बढ़ता जा रहा था और फिर आख़िर मेरे लंड से वीर्य की धार निकल कर चूत मे भरती चली गया और मैं उसके साथ एक असीम आनंद मे डूबता चला गया जब खुमारी उतरी तो मैने गीता को गोद से उतार दिया वो बोली अब जाड़ा लग रहा है कमरे मे चले क्या
मैने कहा तुम चलो मैं ज़रा पानी देख कर आता हू अब ठंड तो मुझे भी लग रही थी पर पानी का भी तो ध्यान देना था तो तीनो खेतो के पाइप्स देखे फिर वापिस आ गया तो मैने देखा कि गीता रज़ाई ओढ़े बैठी है मैं भी उसकी रज़ाई मे घुस गया और उसकी जाँघो को सहलाते हुए बोला जान मज़ा आया कि नही तो उसने अपना मूह मेरे सीने मे छुपा लिया थोड़ी देर हम लेट गये और बाते करने लगे
गीता ने मेरे लंड पर अपना हाथ रख दिया और उसको सहलाते हुए बोली ये पहले से ज़्यादा मोटा हो गया है मेरी चूत को तो चीर ही दिया है इसने अब तक टीस हो रही है मैने कहा कोई ना इस टीस का भी तो मज़ा है ना तो वो मुझे किस करने लगी उसके जिस्म की गर्मी से लंड मे फिर से करेंट आने लगा तो वो तनाव मे आने लगा मैने गीता को अपने उपर ले लिया
और उसके कुल्हो को दबाते हुवे किस करने लगा फिर मैं अपनी उंगली उसकी गान्ड पर ले गया और छेद को कुरेदने लगा तो उसने अपने चुतड़ों को भीच लिया पर उसे भी पता था कि गान्ड तो मैं मारूँगा ही कुछ देर बाद मैने उसे उल्टी लिटा दिया खाट पर और उसकी गान्ड के छेद पर अपनी जीभ फिराने लगा वो उसके कुल्हो मे थिरकन होने लगी वो मस्त आवाज़ मे बोली ये क्या कर रहे हो तुम
मैने कहा तुम बस आज की रात पूरा मज़ा लो मैं जीभ से उसकी गान्ड को चाटने लगा गीता तो मदहोश ही हो गयी पूरी तरह से मेरा मूह उसके चुतड़ों मे फसा हुआ था और कुछ वो अपनी गान्ड को मटका रही थी तो फिर कहने ही क्या काफ़ी देर तक ऐसा ही चलता रहा फिर मैने ढेर सारा थूक अपने लंड पर लगाया और उसको गान्ड से सटा दिया गीता ने अपने हाथो से चुतड़ों को फैला लिया
और ठीक उसी पल मैने अपने लंड को गान्ड की सैर हेतु तैयार करते हुए अंदर को ठेलना शुरू कर दिया धक्का कुछ ज़ोर से लग गया था तो लग्घग आधा लंड गान्ड मे घुस गया गीता की तो सिट्टी-पिटी ही गुम गयी उसकी सांस जैसे रुक गयी गले से बस एक तेज चीख निकली और वो छटपटाने लगी मैने उस पर अपनी पकड़ मजबूत कर दी और उसको सॉरी कहते हुए लंड को आगे करने लगा
वो कराहते हुए बोली ऐसा कोई करता है क्या तुम तो मेरी जान लेकर ही मनोगे मैं उसके गालो को चूमते हुए उसको मना ने लगा और धीरे धीरे करके पूरा लंड अंदर डाल ही दिया जड़ तक मेरे अंडकोष उसके चुतड़ों से टकरा गये थे फिर मैं आहिस्ता आहिस्ता से लंड को अंदर-बाहर करने लगा थोड़ी देर बाद गीता का दर्द भी मज़े मे बदल गया आख़िर कोई पहली बार तो गान्ड मरवा नही रही थी वो
मैने उसके बोबो को अपनी मुट्ठी मे भर लिया और बेदर्दी से उनको मसल्ते हुए गीता की गान्ड मारने लगा उसका छेद और भी खुल गया था और लंड से जैसे चिपक ही गया था 25-30 मिनिट तक उसके उपर चढ़े चढ़े ही गान्ड को चोदता रहा मैं और फिर आख़िर मे गान्ड मे ही डिसचार्ज हो गया , और ऐसे ही सुबह 6 बजे तक हम दोनो एक पल के लिए भी ना सोए बस एक दूसरे के जिस्म का जम कर मज़ा लेते रहे फिर वो अपने घर चली गई
उसके जाने के बाद मैने भी हाथ मूह धोया हालाँकि वो कहकर गयी थी चाइ नाश्ता करने आ जाना पर मैं नही गया हाथ मूह धोया फिर खेतो मे ही फ्रेश होने चला गया आज मेला था गाँव मे तो सुबह सुबह ही मिता को फोन करके याद दिला दी बदन कुछ टूटा टूटा सा महसूस कर रहा था पर सोना नही चाहता था फिर मैं उधर ही खेली पर नहा लिया और फिर कमरे को ताला लगा कर घर चल पड़ा
सुबह सुबह बाइक चलाना भी बड़ा ही मुस्किल था और फिर ठंड तो थी ही खैर जैसे तैसे करके घर पहुच ही गया मिता ने कहा था कि वो 11 बजे तक आएगी मैं उसे पिक कर लूँ बाइक खड़ी करते ही मैं सीधा अनिता भाभी के पास गया और उनको बताया तो वो बोली देखो, काकी जी घर पर होंगी तो मिता को घर पे तो लाना मत वरना फिर ख़ामाखाँ ड्रामा होगा
और मेले मे भी थोड़ा सावधानी से उसके साथ घूमना वो क्या है कि मेला है तो हो सकता है कि उसके गाँव के लोग भी आए वहाँ पर समझ रहे हो ना मैं क्या कह रही हूँ मैने कहा भाभी आप टेन्षन ना लो भाभी रवि के लिए नाश्ता बना रही थी तो उन्होने मुझे भी परोस दिया मैं अपनी थाली लेकर रवि के पास आ गया फिर रवि ने जेब से कुछ रुपये निकाले और मुझे देते हुए बोला आज मेला है ले रख ले
मैने कहा भाई अब मैं कमाता हूँ तो वो बोला तू चाहे कितना भी बड़ा अफ़सर बन जा पर मेरे लिए तो छोटू ही है ना और फिर काफ़ी सालो बाद तू मेले मे जा रहा था रख ले मैने पैसे रख लिए देखा तो दस हज़ार की गद्दी थी मैं कुछ कहना चाहता था पर उसने कहा रख ले तो बस मैं मुस्कुरा कर ही रह गया था कभी कभी दिल मे आता था कि रवि इतना अच्छा इंसान है और मैं अनिता भाभी से रीलेशन रख कर उसे धोकाः दे रहा हूँ
बेशक मेरा और भाभी का रिश्ता ग़लत था पर वो खाली सेक्स के लिए ही नही था उसमे भी कुछ इमोशनल टच था जो बस मैं और वो ही समझते थे खैर, अब जो है वो है उसे बदला तो नही जा सकता था फिर मैने कपड़े चेंज कर लिए अब इंतज़ार था मिता के फोन का टाइम साला कट ही नही रहा था तो मैं फिर से घर से बाहर आ गया तो सोनू जी के दर्शन हो गये लाल साड़ी मे पूरा शृंगार किए
क्या मस्त माल लग रही थी मैने कहा मालिको आज तो गजब ढा रहे हो तो वो मेरे पास आई और कहने लगी कि आज मेला है ना तो उधर ही जा रही हू थोड़ी देर मे फिर उसने कहा कि फोन क्यो नही किया कल दोपहर मे तो मैने बता या कि भाभी मुझे तो ध्यान ही नही रहा तो वो बोली कि शाम तक घर वाले ननद के यहा जाएँगे मैं बहाना बना कर रुक जाउन्गी
मैं मज़े लेते हुए बोला पर मुझे क्यो बता रही हो तो वो मेरा गाल खीचते हुए बोली कमिने जब से तो मेरे पीछे पड़ा है और अब तू कह रहा है कि मुझे क्यो बता रहे हो मैने कहा भाभी छोड़ो मज़ाक कर रहा था तो वो अपनी आँखो को मटकाती हुई बोली रात को एक बार फोन करना फिर मैं बताउन्गी मैने कहा ठीक है जी फिर वो चली गई
और मैं खुश हो गया आख़िर एक चूत का और जुगाड़ हो गया था और वो भी इतनी मस्त औरत थी मैं अपने पुराने दिनो के बारे मे सोचने लगा कि कहा मैं सेक्सी कहानियो की किताबें पढ़ कर मुट्ठी मारा करता था और अब ज़िंदगी मे हर तरफ चूत ही चूत थी ऐसी कोई चूत नही जिसे मैने चाहा और चोदा ना हो पर मैं शायद ये भूल गया था कि वक़्त का पहिया घूमता है
सुख के बाद दुख भी आता है , फिर मैं खाना खाने चला गया कि इतने मे मिता का फोन भी आ गया तो मैं उसे पिक करने चला गया मिता को देखते ही मैं बड़ा खुश हो गया मेरी दिलरुबा आज बड़ी ही सुंदर दिख रही थी ना जाने क्यो उसे देखते ही मैने तो चाहा कि उसे अपनी बाहों मे भर लूँ पर लोक लाज से कर नही पाया
मैने बाइक शीला के पति की दुकान पे पार्क की और मिता के साथ पैदल ही चल पड़ा मेले की ओर सबसे पहले हम ने देवता को प्रसाद चढ़ाया और फिर हम लुत्फ़ लेने लगे मेले के मैने उसको कहा याद है मिता पहली बार तुम्हारे दर्शन इसी मेले मे हुए थे जब तुम्हारी चुन्नि मेरे चेहरे पे आ गयी थी तो वो बोली हाँ मुझे सब कुछ याद है
अचानक ही वो पहली छोटी सी मुलाकात आँखो के सामने आ गयी मैने देवता को धन्यवाद दिया की आख़िर उनके मेले मे ही तो मिता के दीदार हुए थे पर मैं खुश था कि आजक पूरा दिन मैं उसके साथ बिताने वाला था मैने उसका हाथ पकड़ा और झूले की ओर ले चला वो बोली क्या करते हो मैने कहा , हक़ है मुझे फिर उसने कुछ नही कहा
आख़िर वो भी तो सब जानती थी उसे झूले पर चढ़ाया और फिर मैं भी उसकी बगल मे बैठ गया उसका हाथ अपने हाथ मे थाम कर मिता के चेहरे की खुशी मैं सॉफ पढ़ पा रहा था और मेरी खुशी …………. ….. वो तो उसकी खुशी मे ही थी मेरा दिल पता नही क्यो आज बार बार बेकाबू सा हो रहा था मिता बोली कितना प्यार करते हो मुझसे मैने कहा तुम्हे नही पता क्या
मुझे पता था कि उसको गोल-गप्पे बड़े पसंद है तो मैं उसे फिर चांट के ठेले पर ले गया और कहा कि भाई मेमसाहिब के लिए ज़रा अच्छे वाले गोलगप्पे निकाल उसको छोटे बच्चो की तरह गोलगप्पे खाते देख कर अच्छा लगा मैं तो उसे निहारने मे ही खो गया वो शरमाते हुए बोली प्लीज़ तुम यूँ ना देखा करो मुझे मेरा दिल डोल जाता है मैने कहा तो फिर सुन लो ना अपने दिल की आख़िर क्या कहता है वो
वो बोली आओ घूमते है , वो फिर अपने लिए कुछ चूड़िया और हार पसंद करने लगी वो बोली कॉन से रंग की चूड़ियाँ ले लूँ , मैने कहा वो गाना है ना मैं ला दूं तुझे हरी हरी चूड़िया तो हरी ही लेले तो वो बोली तुम भी ना तो चूड़ी वाला उसके हाथो मे चूड़िया पहनने लगा मिता बोली मेरी ज़िंदगी का ये सबसे अच्छा गिफ्ट है मैं मुस्कुरा दिया
दोपहर हो चली थी हम दोनो एक साइड मे बैठ कर चने खा रहे थे कि तभी.......................................
मैने देखा कि मम्मी,चाची और भाभी हमे ही देख रहे थे मम्मी के चेहरे का तो जैसे रंग ही उड़ गया था पर अनिता भाभी चूँकि पहले भी मिता से मिल चुकी थी तो वो आगे बढ़ी और हमारे पास आ गयी उसने मिता को कहा कि चुन्नी कर लो सर पे और मम्मी के पाँव छुओ तो मिता ने वैसा ही किया मम्मी बड़े असमंजस मे थी आख़िर मैने बात को संभालते हुए बताया कि मैने ही मिता को मेले के लिए बुलाया है पर उन्होने कहा कि ऐसे घूमना शोभा देता है क्या
मैने कहा मम्मी अब हम बड़े हो गये है और फिर जल्दी ही शादी भी तो कर रहे है ना तो मम्मी कुछ बोलती उस से पहले ही चाची ने टोकते हुवे कहा कि जाओ तुम लोग मेला देखो बाद मे मिलते है तो मम्मी भी चुप कर गयी पर उनके चेहरे पर नाराज़गी सॉफ दिखाई दे रही थी चाची ने मिता को कुछ भेंट दी और फिर वो दूसरी तरफ को चले गये और हम वही पर रह गये
मिता अपनी आँखे ततेरते हुए बोली अगर घर वाले आ रहे थे तो पहले नही बता सकते थे क्या अब मैं क्या कहता मुझे तो ये बात ध्यान ही नही रही थी पर कभी ना कभी तो घरवालो को भी फेस करना ही था तो मैने ज़्यादा चिंता नही की पर मिता थोड़ा सा असहज फील कर रही थी तो मैने कहा जान सास है तुम्हारी और फिर सासू लोगो का स्वाभाव तो ऐसा होता ही है ना
तो वो बोली अरे मैं वो सब नही सोच रही बल्कि ये सोच रही हूँ कि कही मेरी फॅमिली मेंबर्ज़ भी ना टकरा जाए मेले मे वरना मुसीबत हो जाएगी मेरा भाई भी जवान है तो वो भी आएगा ही और पापा भी हो सकते है मैने कहा तो फिर ठीक है ना मैं भी अपने साले ससुर से मिल लूँगा और हँसने लगा पर मिता थोड़ा घबरा गयी थी वैसे बात उसकी भी सही थी बेशक हम लोग मॉडर्न हो गये थे पर आख़िर थे तो हम गाँव मे ही और गाँव का हाल तो आप सब जानते ही होना
मैने कहा तू एक काम कर चुन्नि को अपने चेहरे पर कस ले फिर कोई टेन्षन की बात नही है पर वो चुटकी लेते हुए बोली क्या पता फिर ऐसे मेला देखने का मोका मिले ना मिले और फिर प्यार किया तो डरना क्या जो होगा देख लेंगे मैं तो ऐसे ही रहूंगी मैने कहा वह मेरी झाँसी की रानी बड़ी दिलेरी आ गयी अभी तो डर लग रहा था वो बोली जब तुम्हारा हाथ पकड़ ही लिया है तो फिर डरना किसलिए
मुझे थोड़ी सी थकान भी होने लगी थी तो मैने एक कोल्ड ड्रिंक की बॉटल खरीदी और फिर मैं और मिता बगीची मे आ गये मैने कहा मिता जब तुम शिमला चली गयी थी और मैं यहाँ अकेला रह गया तो इधर ही बैठा करता था मैं पर ये नही बताया उसको कि अक्सर मेरे साथ निशा हुआ करती थी मिता बोली सच कहूँ तो मैं कभी तुम्हे समझ ही नही पाई हूँ एक तरफ तो तुम आर्मी ऑफीसर और इतने फॅशनबल और दूसरी तरह इतनी सादगी
मैने कहा बस तुम्हारी मोहब्बत का असर है तो उसने मेरा हाथ थाम लिया और बोली आज रात मैं अपने घरवालो से शादी की बात करने वाली हू मैने कहा तुम फिर घर जाते ही मुकर जाओगी तो वो मेरी आँखो मे देखते हुए बोली नही मुझे लगता है कि अब टाइम आ गया है मैं अब तुमसे दूर नही रह सकती मैने कहा मैं तो खुद मरा जा रहा हू तुम्हे दुल्हन के रूप मे देखने को
दिल मे ख़याल आया कि अभी इसको सीधा अपने घर ले चलूं पर अपने चाहने से थोड़ी ना कुछ होता है काफ़ी देर तक हम उधर ही बैठे बाते करते रहे टाइम कैसे गुजर गया पता ही नही चला मैं तो सोच रहा था कि आज का दिन इतना लंबा हो जाए कि शाम हो ही ना पर अपनी क्या बिसात , तो दोपहर भी बीत गयी थी फिर अनिता भाभी का फोन आया वो पूछने लगी कि कहा हो तो मैने कहा बगीची मे
वो बोली उधर ही रहना मैं आ रही हू शायद भाभी भी मिता से बात चीत करना चाहती थी मिता बड़ी खुशी से भाभी से मिली और फिर उनकी बाते शुरू हो गयी तो मैं बस उनका मूह ही तकने लगा शाम होने लगी थी मेला उजड़ने का टाइम हो गया था और फिर मिथ्लेश को भी घर जाना था तो भाभी ने अपने सोने के कंगन उतारे और उसको देते हुए बोली लो मेरी तरफ से ये रख लो
तो मिता बोली भाभी मैं ये कैसे रख सकती हूँ तो भाभी अधिकार पूर्वक बोली रख लो अभी तो मेरे पास ये ही है पर जब तुम मेरी देवरानी बनकर आओगी तो नये वाले भेंट करूँगी तुम्हे और भाभी ने ज़बरदस्ती वो कंगन मिता के हाथो मे पहना दिए मिता भाभी के गले लग गयी फिर हम ने एक दो चक्कर और लगाए इधर उधर और फिर आख़िर समय आ गया मिता के जाने का
उसको ऑटो मे बिठाने के बात मैने भी बाइक ली और घर आ गया अब मेले मे कुछ नही था मेरे लिए फिर हाथ मूह धोकर अपने कमरे मे चला गया और बेड पर लेटे लेटे अपने सुनहरे पलों को याद करने लगा घंटे भर बाद घरवाले भी आ गये तो मैने चाची से कहा कि चाइ बना लो वो रसोई मे चली गयी मैं सोफे पर बैठा था मम्मी भी उधर ही थी
पर उन्होने अपना मूह फुलाया हुआ था चाची मुझे चाइ पकड़ाते हुवे बोली अभी तुम चुप ही रहना जीजी गुस्से मे है मैने कहा पर किसलिए मैने मम्मी से कहा कि मम्मी आप नाराज़ क्यू हो तो वो बोली तुझे इस से क्या है तुझे तो अपनी मर्ज़ी करनी है तू कर मैं कोन हूँ तेरी ज़िंदगी मे मैने कहा पर बात क्या है वो तो बताओ तो वो बोली जब मैने तेरे लिए उर्वशी को पसंद कर लिया है तो
तो इस लड़की का साथ क्यो नही छोड़ देता और वैसे भी उर्वशी तेरी दोस्त तो है ही मैने कहा हाँ माँ वो तो है पर मिता मेरी ज़िंदगी है आप को पता है मैं आर्मी मे गया ही इसलिए था कि मिता के साथ ब्याह कर सकूँ और आप इस बात को समझ ती नही है मम्मी बोली पर बेटा वो अपनी जात बिरदरी की भी नही है और फिर उर्वशी देख कितनी सुंदर है
मैने कहा माँ तेरा बेटा भी कोई सलमान ख़ान या अक्षय कुमार तो है नही आप मेरे दिल की भी तो समझो आज तक जैसा भी घरवालो ने कहा बिना कुछ कहे मैने हर एक कहा किया है परंतु मेरा भी एक दिल है जो बस मिता के लिए ही धड़कता है मम्मी अगर आप चाहती ही हो तो करदो मेरा ब्याह उर्वशी के साथ पर उस से क्या मैं खुश रह पाउन्गा कभी नही
दोस्ती एक अलग चीज़ होती है और प्यार एक अलग चीज़ होती है आप तो माँ हो फ़ि भी आप अपने बेटे को नही समझ पाई ये कैसी ज़िद है आपकी मैं बात घुमा फिरा के नही करता मम्मी पर बस इतना ही जानता हू कि मिता नही तो मैं भी कुछ नही माँ उस से मेरा सांसो का रिश्ता है धड़कन बनकर धड़कती ही वो मेरे जिस्म मे बताओ अब मैं धड़कन को कैसे जुदा करू
मम्मी बोली अब मैं क्या कहूँ तू बड़ा हो गया है जब इतना बड़ा फ़ैसला तूने खुद कर ही लिया है तो फिर मैं कॉन होती हूँ रोकने वाली तुझे ज़्यादा कुछ कहूँगी तो फिर घर आना बंद कर देगा वैसे भी जमाना बदल रहा है आजकल माँ बाप कहाँ महत्व रखते है बच्ची के लिए मैने कहा आप का हक़ है आप कुछ भी कह सकती है पर ब्याह करूगा तो मिता के साथ ही बाकी आपकी हर बात मंजूर है मुझे
मुझे पता था कि अब मम्मी का ड्रामा लंबा चलने वाला है तो मैने फ्रिड्ज से एक बियर की कॅन निकाली और घर से बाहर आ गया मेरा मूड भी ऑफ हो गया था साला बचपन से बस घरवालो के अनुसार ही तो जिया था बस एक ही इच्छा अपनी कि मिथ्लेश को घरवाली बनाऊ दिल तो किया कि अभी निकल जाउ वापिस देल्ही पर छुट्टी भी बाकी पड़ी तो वहाँ भी ना जा सकता
तो फिर मैं निकल पड़ा बाहर की ओर पर दिमाग़ खराब था तो कुछ सूझ नही रहा था तो फिर ऐसे ही तालाब के किनारे पर जाके बैठ गया अंधेरा घिरने लगा था पर मैं वही बैठा हुआ था शांत होके मैं सोच रहा था कि काश घरवाले समझ सके मेरे दिल की बात , फिर मेरा फोन बजा तो देखा कि सोनू की कॉल थी वो बोली तुम 9 बजे तक आ जाना मैं आज रात अकेली ही हूँ घर पे
मैने कहा ठीक है वैसे भी मैं घर पे नही जाना चाहता था तो अच्छा हुआ उसका फोन आ गया भूख भी लग आई थी तो अड्डे पर ही थोडा बहुत खा- पी लिया और फिर कुछ देर घूमने फिरने के बाद चल पड़ा सोनू के घर पर वैसे भी जाड़े के दिनो मे सब लोग जल्दी ही सो जाया करते है और धून्ध थी तो मैं उसकी आड़ मे उसके घर पहुच गया
उफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफ्फ़ क्या लग रही थी सोनू उस लाल साड़ी मे कसम से कयामत से कम नही लग रही थी वो उपर से पूरी तरह का शृंगार मेरे अंदर आते ही उसने गली मे इधर उधर देखा और फिर झट से किवाड़ बंद कर लिया तो मैने उसको तुरंत ही बाहों मे भर लिया और उसकी गान्ड को दबाते हुए बोला क्या जाबर माल लग रही हो भाभी आज तो
तो वो मेरी बाहों से निकलते हुए बोली अब तुम इतने दिन से पीछे पड़े हो तो तुम्हारे लिए ही सजी हूँ आज सोचा कि आज तुमको ऐश करवा ही देती हू वरना तंग करते ही रहोगे सोनू बोली उपर चॉबारे मे चलो मेरा कमरा वो ही है तो मैं उसके पीछे पीछे उपर आ गया और आते ही उसको दबोच लिया और अपने होठ उसके सुर्ख होंठो पर लगा दिए वो भी किसी प्यासी की तरह मुझसे लिपट गयी
कुछ ही देर मैं उसकी पूरी लिपीसटिक चाट गया और साथ ही उसकी साड़ी भी उतार दी बेहद ही कसे हुए पेटिकोट से उसकी बाहर को निकलती गान्ड मे तो पागल ही हो गया बस फिर जल्दी से उसका पेटिकोट और ब्लाउज भी उतार दिया तो सोनू ने पास रखा कंबल ओढ़ लिया और बोली मुझे शरम आ रही है मैने कहा भाभी अब मुझसे क्या शरमाना और फिर मैने कंबल को हटा दिया
लाल ब्रा-पैंटी मे क्या मस्त लग रही थी वो देख कर ही मेरे शरीर की सारी नसें झन झना गयी मैने उसे अपनी गोदी मे बिठा लिया और ब्रा के उपर से ही उसके उभारों को रगड़ने लगा तो वो आहे भरते हुए बोली आहिस्ता से दबाओ तुम्हे तो ज़रा सा भी सबर नही है कितना दर्द होता है आआआआ मैने कहा भाभी बस अब कुछ ना बोलो तुम जो करता हूँ करने दो खुद को मेरे हवाले करदो
फिर मैने धीरे से ब्रा की हूकों को खोल दिया और उनके किलो किलो की चूचियो को अपनी मुट्ठी मे भर कर दबा ने लगा तो सोनू पर भी खुमार चढ़ने लगा बोबो को सहलाते हुए मैं उसकी सुरहिदार गर्दन पर किस करने लगा तो सोनू काँपते हुए बोली उफफफफफफफफफफफफ्फ़ क्या कर रहे हो जालिम मैने कहा भाभी बस आपको थोड़ा सा प्यार कर रहा हू और कुछ नही मैं अब बेतहासा उसकी गर्दन और पीठ पर चुंबन अंकित करने लगा
सोनू मेरे चुंबनो से पागल होने लगी थी फिर मैं अपना हाथ उसकी जाँघो के बीच ले गया और कच्छि के उपर से ही दबा ने लगा तो चूत वाला हिस्सा गीला गीला सा हो रहा था मैने तुरंत ही भाभी को बेड पर लिटाया और उनकी टाँगो के बीच आ गया और कच्छि के उपर से ही चूत पर किस करने लगा तो सोनू बेड पर मचलने लगी और मेरे सर पर सहलाते हुए बोली अनाड़ी तो नही हो तुम
तो वो बोली नही एक दो दिन मे कर ही लूँगी मैने कहा यार डिले ना कर मेरी छुट्टी बीत गयी तो फिर तुझे पता ही है ना तो वो बोली मैं जल्दी ही कर लूँगी फिर हमारी प्यार भरी बाते शुरू हो गयी तो पता ही ना चला कि रात कब कट गयी सुबह 5 बजे मैं सोने गया उस रात तो जाहिर था कि फिर दोपहर तक ही उठना था जिंदगी भी हम से अपने तरीके से खेल रही थी
अगले दिन मेरी आँख तब खुली जब चाची मुझे जगाने आई वो बोली देखो दिन कितना चढ़ आया आया है और तुम पड़े हो अभी तक मैं आँखे मलते हुए उठा और कहा कि थोड़ा सा पानी पिला दो तो वो मेरे लिए पानी लाने चली गयी मैं अपने होश सही करने लगा पानी पीने के बाद उनके पीछे पीछे नीचे आया तो घर मे कोई नही दिखा मैने कहा मम्मी कहाँ है तो पता चला कि वो खेत मे गयी है
ये सुनते ही मैने चाची को बाहों मे भर लिया और उनसे छेड़खानी करने लगा तो वो मुझे दूर हटा ते हुए बोली कमिने छोड़ मुझे तेरे चाचा आज घर पर ही है नहा रहे है मरवाएगा क्या तो मैने तुरंत ही उनको खुद से अलग कर दिया और पूछा आज किस खुशी मे वो ऑफीस नही गये तो पता चला कि कल वो चंडीगढ़ जाएँगे तो फिर छुट्टी ले ली मैने कहा ठीक है आप लोग फिर आज पूरा एंजाय करो मैं चला बाहर घूमने
वो मुझे बुलाती रह गयी पर मैं बाहर आ गया आज बिना नहाए धोए ही , बाइक बाहर ही खड़ी थी तो मैने उसे स्टार्ट किया और खेतो की ओर चल पड़ा आख़िर उधर भी तो जाना ही था तो आज उधर ही सही मैने बाइक स्टॅंड पर लगाई तो देखा कि मम्मी और गीता दोनो ही उधर खड़ी थी और बाते कर रही थी मैने पूछा क्या हुआ तो वो बोली कि सरसो को पानी देना पड़ेगा
और तेरे चाचा आज रात चंडीगढ़ जाएँगे फिर दो दिन लाइट का नंबर नही रहेगा मैने कहा आप क्यो फिकर करते हो मैं हूँ ना मैं पानी दे दूँगा और गीता की तरफ देख कर मुस्कुराया अब खेतो पर आया था तो मम्मी ने इधर उधर लगाए रखा तो कमर दर्द से अकड़ गयी पर मना भी नही कर सकता था मैने मन मे सोचा कि चाची को भी रगड़ने का मोका है और इधर गीता भी है अब पानी देने को बोल दिया था तो फिर इधर ही आना था
फिर हम घर गये अब पता तो था ही रात को फिर से खेत मे जाना है तो जल्दी से खाना वाना खाया वैसे भी सुबह से आज भूखा ही था बस फिर अपना कुछ समान लिया और फिर से हो लिए कुँए की ओर…
वहाँ गया पानी की मोटर को ऑन किया और खेतो मे पानी छोड़ दिया अब ठंड मे पानी देना भी किसी सज़ा से कम थोड़ी ना है फिर मैं गीता के घर गया और उसको कहा कि तू कुँए पर आ जाना आज की रात उधर ही रहना तू तो वो बोली ठीक है थोड़ी देर मे आती हू अब गीता को तो पता ही था कि आज उसकी चुदाई होने वाली है तो वो तो खुद ही आतुर थी
तीन खेतो मे पानी देना था मैने टॉर्च ली और चल पड़ा देखने की पानी की सप्लाइ मे कोई रुकावट तो नही है इस काम मे आधा घंटा से भी ज़्यादा समय लग गया और उपर से ठंड भी कड़ाके दार हालाँकि स्वेटर पहनी हुई थी पर पैर तो गीले ही थे बड़ा ही बुरा हाल हो गया मेरा कंपकंपी चढ़े वो अलग से, पर काम तो करना ही था
जब मैं वापिस आया तो देखा कि गीता आ चुकी थी उसके हाथ मे एक थर्मस था बोली मुझे पता था तुम्हे ठंड लगेगी तो चाइ ले आई और कप मे चाइ डाल के मुझे पकड़ा दी मैने कहा यार मेरी ठंड इस चाइ से दूर नही होगी अब तो वो हँसते हुए बोली तो क्या सेवा करू मेरे जानू की मैने कहा सेवा नही मुझे तो मेवा खाना है तो वो इठलाते हुए बोली तो फिर आ जाओ किसने रोका है
चाइ की चुस्किया लेते हुए मैने कहा की ऐसी नही ज़रा अपने कपड़े उतार कर अपने मस्ताने रूप का दीदार तो करवाओ मुझे तो वो बोली हम क्यो नही अभी लो और फिर खड़ी खड़ी ही उसने अपनी चोली की डोरी को खीच दिया तो वो उतर गयी काली ब्रा मे क़ैद उसके पुष्ट उभार बड़े ही सुंदर लग रहे थे उस पर ब्रा इतनी टाइट कसी हुई थी कि लग रहा था कि ये ब्रा ज़्यादा देर उनको क़ैद नही रख सकती है
फिर वो अपना हाथ घाघरे के नाडे पर ले गयी और एक सेकेंड मे ही घाघरा उसके पाँवो मे पड़ा था पेंटी भी काली मशाल्लाह गीता तो आज पूरी तैयारी करके आई थी उसकी ठोस, मस्त जंघे और मोटे मोटे कुल्हो पर कसी हुई वो छोटी सी कच्छि बड़ी ही सुंदर लग रही थी गीता अपने हाथ अपने बालो पर ले गयी और अपनी छोटी के रिब्बन को खोल कर अपनी रेशमी ज़ुल्फो को आज़ाद कर दिया
उसे अच्छी तरह से पता था कि मुझे खुले बालो वाली औरते बड़ी पसंद थी और फिर वो खुद भी तो मेरी दीवानी थी फिर वो अपने हाथो से अपने बोबो को दबाती हुई मुझे देखते हुए बोली कैसी लग रही हूँ मैं मैने चाइ का कप नीचे रखा और उसके पास जाते हुए कहा हमेशा की तरह लाजवाब लग रही हो और उसको अपने से चिपका लिया तो गीता एक मीठी सी आह भरते हुवे मुझसे लिपट गयी
लिपटे लिपटे ही उसने मेरे पयज़ामे मे अपना हाथ डाल दिया और मेरे लंड को अपनी मुट्ठी मे भरते हुए बोली क्या हाल है इसका मैने कहा तुम खुद ही पूछ लो तो वो घुटनो के बल बैठ गयी और मेरे पयज़ामे और कच्छे को नीचे सरकाते हुए लंड से खेलने लगी लंड को देख कर उसकी आँखे चमकने लगी थी थोड़ी देर तक सहलाने के बाद उसने अपनी लंबी जीभ बाहर निकली और लंड पर रगड़ने लगी
सच्ची मे बड़ा ही सुकून मिला मेरा तन बदन एक तरंग से भर गया मैने कहा आह ये क्या किया जालिम आज इरादे नेक नही है तुम्हारे तो उसने फिर से अपनी जीभ मेरे लंड पर फिरानी शुरू कर दी ठंड के मोसम मे उसकी गरम जीभ बड़ा ही आनंद दे रही थी फिर उसने मेरे सुपाडे को अपने होंठों मे दबा लिया और अपने हाथ से अंडकोषो को सहलाने लगी मैं तो उस रूहानी मज़े मे डूबता ही चला गया
मैने अपने दोनो हाथ उसके कंधो पर रख दिए और खुद को उसके हवाले कर दिया गीता के प्यासे तड़प्ते होठ मेरे लंड का स्वाद चखने लगे बड़ी ही अदा से आज वो लंड चूस रही थी बढ़ती उमर के साथ वो और भी मादक , और भी ज़्यादा जवान होती जा रही थी और उसके चूतड़ तो क्या बताऊ कितने चौड़े हो गये थे उसके हुस्न को देखते देखते लंड और भी ज़्यादा मचलने लगा था
वो पूरा लंड झटके से बाहर निकाल देती अपने मूह से और फिर से उसको चूस्ति थूक जब लंड से टपकता और वो उसको अपनी जीभ से चाट ती तो बड़ा ही मज़ा आ रहा था मुझे और वो तो बस लंड को चूसे जा रही थी बड़ी बेताकल्लूफ़ी से मेरी टाँगो मे सरसराहट होने लगी थी तो मैने कहा बस भी कर ना अब मुझसे रुका नही जा रहा है तो वो बोली तुम्हे क्या पता
कितने दिनो से मेरा गला सूखा पड़ा है आज तुम्हारे रस से अपने गले को तर करूँगी तो मुझे थोड़ा चैन मिलेगा मैने कहा डार्लिंग जैसी तुम्हारी इच्छा कर्लो अपने मन की और फिर मैं उसका सर पकड़ कर उसके मूह पर ही धक्के लगाने लगा गीता उूुउउ उूउउ करते हुए मेरे लंड को अपने मूह मे लेने लगी बार बार उसके बाल चेहरे पर आ रह था तो बड़े ही प्यारे लग रहे थे और मैं भी अब झड़ने के कगार पर आ गया था
मैने कहा गीता मैं तो जाने वाला हू तो उसने अपने होठ मेरे लंड पर अच्छे से कस दिए और मेरी गोलियो को रगड़ने लगी पता नही कैसा जादू था उसके हाथो मे मुझे लगा कि जैसे शरीर की सारी नसे खिच गयी और फिर लंड से स्रर्र्र्र्र्र्र्ररर करता हुआ गरमा गरम पानी गीता के हलक मे गिरने लगा पता नही कितना वीर्य निकला पर गीता काफ़ी देर उसे पीती ही रही
लंड जब तक सिकुड ना गया वो उसको पीती ही रही उफफफफ्फ़ गीता कितनी आग भरी थी उस औरत मे फिर उसने लंड को बाहर निकाला और अपने होंठो पर जीभ फिराते हुए बोले कसम से आज तो मज़ा ही आ गया मैने कहा तूने अपनी मनचाही कर ली अब मैं भी अपने मन की करूँगा वो बोली क्या करोगे मेरे राजा जी मैने कहा तुझे खेत मे चोदुन्गा
वो बोली पागल हुए क्या इतने जाड़े मे मे नंगी कैसे होउंगी उधर मैं उसकी ब्रा को खोलते हुए बोला चल ना काफ़ी दिनो से खेत मे चूत नही मारी अब इतना भी ना करेगी क्या तू तो वो बोली ठीक है अब तुम्हारी यही इच्छा है तो चलो फिर उसने फॉरन अपनी कच्छि उतरी और मेरे साथ खेत मे आ गयीचारो तरफ गहरी धून्ध छाई हुई थी और हम दो नंगे सरसो के खेत मे बीचो बीच खड़े थे
मैने अपना मूह उसकी चूची पर लगा दिया और हाथ से उसकी चूत को मसल्ने लगा गीता आहे भरने लगी गीता और मैं फिर से गरम होने लगे थे चारो तरफ बरसती धुन्ध मे दो जिस्मो का मिलन बड़ा ही रोमांचकारी अनुभव था और वैसे भी जब दो जिस्म गरम हो तो फिर कहाँ ठंड का ध्यान रहता है उसकी 38 साइज़ की चूचिया पूरी तरह से मेरे थूक से सन गयी थी
और योनि रस से भीगी हुई दो उंगलियाँ उसकी चूत मे लगातार अंदर भहर हुए जा रही थी गीता तो बस किसी तरह से अपनी सिसकारियो को संभाले हुए थी जब उस से रहा नही गया तो वो बोली बस अब इंतज़ार नही होता चोदो मुझे तो मैने वही खड़े खड़े ही उसकी टाँगो को थोड़ा सा फैलाया और अपना लंड चूत से लगा दिया मैने उसकी कमर को थामा और लंड को अंदर करने लगा घप की आवाज़ के साथ लंड अंदर घुसता चला गया चूत का छल्ला फैलता चला गया
जैसे ही गीता ने आह भरी मैने अपने होठ उसके लाल लाल होटो से चिपका दिए और उनका रस पान करने लगा गीता और मैं एक दूसरे मे समा गये थे उसने नरम होटो का अलग ही क्रीमी सा मज़ा था बड़ा ही अच्छा लग रहा था मैने मजबूती से उसके मोटे मोटे चुतड़ों को थाम लिया और उसकी चुदाई शुरू कर दी जब जब ठंडी हवा का झौका आता तो बस फिर पूछो ही मत
कोई पागल ही होगा जो कड़ाके की ठंड मे खुले खेत मे चुदाई का कार्यकरम करेगा मैं गीता की जीभ को चूस्ते हुए ताबड तोड़ उसको चोदे जा रहा था गीता की हर एक आ उसके गले मे ही घुट गयी थी तभी मैने अपना लंड उसकी चूत से बाहर निकाला और नीचे बैठ थे हुए उसके दाने को अपने मूह मे भर लिया बस फिर गीता तो जैसे पागल ही हो गयी थी
उसने मेरे सर को अपनी मांसल जाँघो मे कस लिया और बोली आहह उूुुुुुुुुुुुुुुुउउफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफ्फ़ ये क्या किया तुमने आज क्या जान लेने का इरादा है और अपनी टांगो को थिरकाने लगी मैं मज़े से उसकी चूत को चाटने लग गीता बड़ी ही चुदासी हो गयी थी इस टाइम तो उसने मुझे अपनी चूत से हठाया
और पंजों के बल झुकती हुई बोली फिलहाल मेरी चूत को लंड की सख़्त ज़रूरत है तो टाइम खराब ना करो और मुझे शांत कर ही दो वरना कही मर ना जाउ मैं , तो मैं उसके कुल्हो पर लंड रगड़ते हुए बोला मेरी जान आज रात तो मैं तुझे मरने दूँगा नही और फिर एक झटके मे जड़ तक लंड अंदर दे मारा और उसकी पीठ को चूमते हुए फिर से घम घाम चुदाई शुरू कर दी
गीता हाई हाई करते हुए अपने हाथो को घुटनो पर रखे चुद रही थी मैने कहा मज़ा आ रहा है क्या तो बोली बड़ा ठंडा ठंडा सा लगा रहा है तुम ऐसे ही करते रहो बड़ा अच्छा लग रहा है मैने कहा ठीक है मेरी जान आज पूरी रात तेरी चूत को चोदुन्गा तो गीता बोली मैं कहाँ मना कर रही हूँ बस तुम मुझे यू ही चोद्ते रहो
हर एक सेकेंड मेरी रफ़्तार बढ़ती ही जा रही थी गीता की कमर को अपने हाथो से दबाते हुए मैं दना दन उसको चोदे जा रहा था लगभग आधे घंटे तक ये काम चलता रहा गीता की चूत से रिस रिस कर पानी उसकी जाँघो तक आ गया था वो झड चुकी थी पर मेरा अभी बाकी था वो बोली मैं थक गयी हूँ इस तरह झुकी झुकी तो मैने उसे अपनी गोद मे उठा लिया
और उसका पूरा वजन अपने उपर लेटे हुए उसको उपर नीचे करने लगा पल पल मैं भी अंत की ओर बढ़ता जा रहा था और फिर आख़िर मेरे लंड से वीर्य की धार निकल कर चूत मे भरती चली गया और मैं उसके साथ एक असीम आनंद मे डूबता चला गया जब खुमारी उतरी तो मैने गीता को गोद से उतार दिया वो बोली अब जाड़ा लग रहा है कमरे मे चले क्या
मैने कहा तुम चलो मैं ज़रा पानी देख कर आता हू अब ठंड तो मुझे भी लग रही थी पर पानी का भी तो ध्यान देना था तो तीनो खेतो के पाइप्स देखे फिर वापिस आ गया तो मैने देखा कि गीता रज़ाई ओढ़े बैठी है मैं भी उसकी रज़ाई मे घुस गया और उसकी जाँघो को सहलाते हुए बोला जान मज़ा आया कि नही तो उसने अपना मूह मेरे सीने मे छुपा लिया थोड़ी देर हम लेट गये और बाते करने लगे
गीता ने मेरे लंड पर अपना हाथ रख दिया और उसको सहलाते हुए बोली ये पहले से ज़्यादा मोटा हो गया है मेरी चूत को तो चीर ही दिया है इसने अब तक टीस हो रही है मैने कहा कोई ना इस टीस का भी तो मज़ा है ना तो वो मुझे किस करने लगी उसके जिस्म की गर्मी से लंड मे फिर से करेंट आने लगा तो वो तनाव मे आने लगा मैने गीता को अपने उपर ले लिया
और उसके कुल्हो को दबाते हुवे किस करने लगा फिर मैं अपनी उंगली उसकी गान्ड पर ले गया और छेद को कुरेदने लगा तो उसने अपने चुतड़ों को भीच लिया पर उसे भी पता था कि गान्ड तो मैं मारूँगा ही कुछ देर बाद मैने उसे उल्टी लिटा दिया खाट पर और उसकी गान्ड के छेद पर अपनी जीभ फिराने लगा वो उसके कुल्हो मे थिरकन होने लगी वो मस्त आवाज़ मे बोली ये क्या कर रहे हो तुम
मैने कहा तुम बस आज की रात पूरा मज़ा लो मैं जीभ से उसकी गान्ड को चाटने लगा गीता तो मदहोश ही हो गयी पूरी तरह से मेरा मूह उसके चुतड़ों मे फसा हुआ था और कुछ वो अपनी गान्ड को मटका रही थी तो फिर कहने ही क्या काफ़ी देर तक ऐसा ही चलता रहा फिर मैने ढेर सारा थूक अपने लंड पर लगाया और उसको गान्ड से सटा दिया गीता ने अपने हाथो से चुतड़ों को फैला लिया
और ठीक उसी पल मैने अपने लंड को गान्ड की सैर हेतु तैयार करते हुए अंदर को ठेलना शुरू कर दिया धक्का कुछ ज़ोर से लग गया था तो लग्घग आधा लंड गान्ड मे घुस गया गीता की तो सिट्टी-पिटी ही गुम गयी उसकी सांस जैसे रुक गयी गले से बस एक तेज चीख निकली और वो छटपटाने लगी मैने उस पर अपनी पकड़ मजबूत कर दी और उसको सॉरी कहते हुए लंड को आगे करने लगा
वो कराहते हुए बोली ऐसा कोई करता है क्या तुम तो मेरी जान लेकर ही मनोगे मैं उसके गालो को चूमते हुए उसको मना ने लगा और धीरे धीरे करके पूरा लंड अंदर डाल ही दिया जड़ तक मेरे अंडकोष उसके चुतड़ों से टकरा गये थे फिर मैं आहिस्ता आहिस्ता से लंड को अंदर-बाहर करने लगा थोड़ी देर बाद गीता का दर्द भी मज़े मे बदल गया आख़िर कोई पहली बार तो गान्ड मरवा नही रही थी वो
मैने उसके बोबो को अपनी मुट्ठी मे भर लिया और बेदर्दी से उनको मसल्ते हुए गीता की गान्ड मारने लगा उसका छेद और भी खुल गया था और लंड से जैसे चिपक ही गया था 25-30 मिनिट तक उसके उपर चढ़े चढ़े ही गान्ड को चोदता रहा मैं और फिर आख़िर मे गान्ड मे ही डिसचार्ज हो गया , और ऐसे ही सुबह 6 बजे तक हम दोनो एक पल के लिए भी ना सोए बस एक दूसरे के जिस्म का जम कर मज़ा लेते रहे फिर वो अपने घर चली गई
उसके जाने के बाद मैने भी हाथ मूह धोया हालाँकि वो कहकर गयी थी चाइ नाश्ता करने आ जाना पर मैं नही गया हाथ मूह धोया फिर खेतो मे ही फ्रेश होने चला गया आज मेला था गाँव मे तो सुबह सुबह ही मिता को फोन करके याद दिला दी बदन कुछ टूटा टूटा सा महसूस कर रहा था पर सोना नही चाहता था फिर मैं उधर ही खेली पर नहा लिया और फिर कमरे को ताला लगा कर घर चल पड़ा
सुबह सुबह बाइक चलाना भी बड़ा ही मुस्किल था और फिर ठंड तो थी ही खैर जैसे तैसे करके घर पहुच ही गया मिता ने कहा था कि वो 11 बजे तक आएगी मैं उसे पिक कर लूँ बाइक खड़ी करते ही मैं सीधा अनिता भाभी के पास गया और उनको बताया तो वो बोली देखो, काकी जी घर पर होंगी तो मिता को घर पे तो लाना मत वरना फिर ख़ामाखाँ ड्रामा होगा
और मेले मे भी थोड़ा सावधानी से उसके साथ घूमना वो क्या है कि मेला है तो हो सकता है कि उसके गाँव के लोग भी आए वहाँ पर समझ रहे हो ना मैं क्या कह रही हूँ मैने कहा भाभी आप टेन्षन ना लो भाभी रवि के लिए नाश्ता बना रही थी तो उन्होने मुझे भी परोस दिया मैं अपनी थाली लेकर रवि के पास आ गया फिर रवि ने जेब से कुछ रुपये निकाले और मुझे देते हुए बोला आज मेला है ले रख ले
मैने कहा भाई अब मैं कमाता हूँ तो वो बोला तू चाहे कितना भी बड़ा अफ़सर बन जा पर मेरे लिए तो छोटू ही है ना और फिर काफ़ी सालो बाद तू मेले मे जा रहा था रख ले मैने पैसे रख लिए देखा तो दस हज़ार की गद्दी थी मैं कुछ कहना चाहता था पर उसने कहा रख ले तो बस मैं मुस्कुरा कर ही रह गया था कभी कभी दिल मे आता था कि रवि इतना अच्छा इंसान है और मैं अनिता भाभी से रीलेशन रख कर उसे धोकाः दे रहा हूँ
बेशक मेरा और भाभी का रिश्ता ग़लत था पर वो खाली सेक्स के लिए ही नही था उसमे भी कुछ इमोशनल टच था जो बस मैं और वो ही समझते थे खैर, अब जो है वो है उसे बदला तो नही जा सकता था फिर मैने कपड़े चेंज कर लिए अब इंतज़ार था मिता के फोन का टाइम साला कट ही नही रहा था तो मैं फिर से घर से बाहर आ गया तो सोनू जी के दर्शन हो गये लाल साड़ी मे पूरा शृंगार किए
क्या मस्त माल लग रही थी मैने कहा मालिको आज तो गजब ढा रहे हो तो वो मेरे पास आई और कहने लगी कि आज मेला है ना तो उधर ही जा रही हू थोड़ी देर मे फिर उसने कहा कि फोन क्यो नही किया कल दोपहर मे तो मैने बता या कि भाभी मुझे तो ध्यान ही नही रहा तो वो बोली कि शाम तक घर वाले ननद के यहा जाएँगे मैं बहाना बना कर रुक जाउन्गी
मैं मज़े लेते हुए बोला पर मुझे क्यो बता रही हो तो वो मेरा गाल खीचते हुए बोली कमिने जब से तो मेरे पीछे पड़ा है और अब तू कह रहा है कि मुझे क्यो बता रहे हो मैने कहा भाभी छोड़ो मज़ाक कर रहा था तो वो अपनी आँखो को मटकाती हुई बोली रात को एक बार फोन करना फिर मैं बताउन्गी मैने कहा ठीक है जी फिर वो चली गई
और मैं खुश हो गया आख़िर एक चूत का और जुगाड़ हो गया था और वो भी इतनी मस्त औरत थी मैं अपने पुराने दिनो के बारे मे सोचने लगा कि कहा मैं सेक्सी कहानियो की किताबें पढ़ कर मुट्ठी मारा करता था और अब ज़िंदगी मे हर तरफ चूत ही चूत थी ऐसी कोई चूत नही जिसे मैने चाहा और चोदा ना हो पर मैं शायद ये भूल गया था कि वक़्त का पहिया घूमता है
सुख के बाद दुख भी आता है , फिर मैं खाना खाने चला गया कि इतने मे मिता का फोन भी आ गया तो मैं उसे पिक करने चला गया मिता को देखते ही मैं बड़ा खुश हो गया मेरी दिलरुबा आज बड़ी ही सुंदर दिख रही थी ना जाने क्यो उसे देखते ही मैने तो चाहा कि उसे अपनी बाहों मे भर लूँ पर लोक लाज से कर नही पाया
मैने बाइक शीला के पति की दुकान पे पार्क की और मिता के साथ पैदल ही चल पड़ा मेले की ओर सबसे पहले हम ने देवता को प्रसाद चढ़ाया और फिर हम लुत्फ़ लेने लगे मेले के मैने उसको कहा याद है मिता पहली बार तुम्हारे दर्शन इसी मेले मे हुए थे जब तुम्हारी चुन्नि मेरे चेहरे पे आ गयी थी तो वो बोली हाँ मुझे सब कुछ याद है
अचानक ही वो पहली छोटी सी मुलाकात आँखो के सामने आ गयी मैने देवता को धन्यवाद दिया की आख़िर उनके मेले मे ही तो मिता के दीदार हुए थे पर मैं खुश था कि आजक पूरा दिन मैं उसके साथ बिताने वाला था मैने उसका हाथ पकड़ा और झूले की ओर ले चला वो बोली क्या करते हो मैने कहा , हक़ है मुझे फिर उसने कुछ नही कहा
आख़िर वो भी तो सब जानती थी उसे झूले पर चढ़ाया और फिर मैं भी उसकी बगल मे बैठ गया उसका हाथ अपने हाथ मे थाम कर मिता के चेहरे की खुशी मैं सॉफ पढ़ पा रहा था और मेरी खुशी …………. ….. वो तो उसकी खुशी मे ही थी मेरा दिल पता नही क्यो आज बार बार बेकाबू सा हो रहा था मिता बोली कितना प्यार करते हो मुझसे मैने कहा तुम्हे नही पता क्या
मुझे पता था कि उसको गोल-गप्पे बड़े पसंद है तो मैं उसे फिर चांट के ठेले पर ले गया और कहा कि भाई मेमसाहिब के लिए ज़रा अच्छे वाले गोलगप्पे निकाल उसको छोटे बच्चो की तरह गोलगप्पे खाते देख कर अच्छा लगा मैं तो उसे निहारने मे ही खो गया वो शरमाते हुए बोली प्लीज़ तुम यूँ ना देखा करो मुझे मेरा दिल डोल जाता है मैने कहा तो फिर सुन लो ना अपने दिल की आख़िर क्या कहता है वो
वो बोली आओ घूमते है , वो फिर अपने लिए कुछ चूड़िया और हार पसंद करने लगी वो बोली कॉन से रंग की चूड़ियाँ ले लूँ , मैने कहा वो गाना है ना मैं ला दूं तुझे हरी हरी चूड़िया तो हरी ही लेले तो वो बोली तुम भी ना तो चूड़ी वाला उसके हाथो मे चूड़िया पहनने लगा मिता बोली मेरी ज़िंदगी का ये सबसे अच्छा गिफ्ट है मैं मुस्कुरा दिया
दोपहर हो चली थी हम दोनो एक साइड मे बैठ कर चने खा रहे थे कि तभी.......................................
मैने देखा कि मम्मी,चाची और भाभी हमे ही देख रहे थे मम्मी के चेहरे का तो जैसे रंग ही उड़ गया था पर अनिता भाभी चूँकि पहले भी मिता से मिल चुकी थी तो वो आगे बढ़ी और हमारे पास आ गयी उसने मिता को कहा कि चुन्नी कर लो सर पे और मम्मी के पाँव छुओ तो मिता ने वैसा ही किया मम्मी बड़े असमंजस मे थी आख़िर मैने बात को संभालते हुए बताया कि मैने ही मिता को मेले के लिए बुलाया है पर उन्होने कहा कि ऐसे घूमना शोभा देता है क्या
मैने कहा मम्मी अब हम बड़े हो गये है और फिर जल्दी ही शादी भी तो कर रहे है ना तो मम्मी कुछ बोलती उस से पहले ही चाची ने टोकते हुवे कहा कि जाओ तुम लोग मेला देखो बाद मे मिलते है तो मम्मी भी चुप कर गयी पर उनके चेहरे पर नाराज़गी सॉफ दिखाई दे रही थी चाची ने मिता को कुछ भेंट दी और फिर वो दूसरी तरफ को चले गये और हम वही पर रह गये
मिता अपनी आँखे ततेरते हुए बोली अगर घर वाले आ रहे थे तो पहले नही बता सकते थे क्या अब मैं क्या कहता मुझे तो ये बात ध्यान ही नही रही थी पर कभी ना कभी तो घरवालो को भी फेस करना ही था तो मैने ज़्यादा चिंता नही की पर मिता थोड़ा सा असहज फील कर रही थी तो मैने कहा जान सास है तुम्हारी और फिर सासू लोगो का स्वाभाव तो ऐसा होता ही है ना
तो वो बोली अरे मैं वो सब नही सोच रही बल्कि ये सोच रही हूँ कि कही मेरी फॅमिली मेंबर्ज़ भी ना टकरा जाए मेले मे वरना मुसीबत हो जाएगी मेरा भाई भी जवान है तो वो भी आएगा ही और पापा भी हो सकते है मैने कहा तो फिर ठीक है ना मैं भी अपने साले ससुर से मिल लूँगा और हँसने लगा पर मिता थोड़ा घबरा गयी थी वैसे बात उसकी भी सही थी बेशक हम लोग मॉडर्न हो गये थे पर आख़िर थे तो हम गाँव मे ही और गाँव का हाल तो आप सब जानते ही होना
मैने कहा तू एक काम कर चुन्नि को अपने चेहरे पर कस ले फिर कोई टेन्षन की बात नही है पर वो चुटकी लेते हुए बोली क्या पता फिर ऐसे मेला देखने का मोका मिले ना मिले और फिर प्यार किया तो डरना क्या जो होगा देख लेंगे मैं तो ऐसे ही रहूंगी मैने कहा वह मेरी झाँसी की रानी बड़ी दिलेरी आ गयी अभी तो डर लग रहा था वो बोली जब तुम्हारा हाथ पकड़ ही लिया है तो फिर डरना किसलिए
मुझे थोड़ी सी थकान भी होने लगी थी तो मैने एक कोल्ड ड्रिंक की बॉटल खरीदी और फिर मैं और मिता बगीची मे आ गये मैने कहा मिता जब तुम शिमला चली गयी थी और मैं यहाँ अकेला रह गया तो इधर ही बैठा करता था मैं पर ये नही बताया उसको कि अक्सर मेरे साथ निशा हुआ करती थी मिता बोली सच कहूँ तो मैं कभी तुम्हे समझ ही नही पाई हूँ एक तरफ तो तुम आर्मी ऑफीसर और इतने फॅशनबल और दूसरी तरह इतनी सादगी
मैने कहा बस तुम्हारी मोहब्बत का असर है तो उसने मेरा हाथ थाम लिया और बोली आज रात मैं अपने घरवालो से शादी की बात करने वाली हू मैने कहा तुम फिर घर जाते ही मुकर जाओगी तो वो मेरी आँखो मे देखते हुए बोली नही मुझे लगता है कि अब टाइम आ गया है मैं अब तुमसे दूर नही रह सकती मैने कहा मैं तो खुद मरा जा रहा हू तुम्हे दुल्हन के रूप मे देखने को
दिल मे ख़याल आया कि अभी इसको सीधा अपने घर ले चलूं पर अपने चाहने से थोड़ी ना कुछ होता है काफ़ी देर तक हम उधर ही बैठे बाते करते रहे टाइम कैसे गुजर गया पता ही नही चला मैं तो सोच रहा था कि आज का दिन इतना लंबा हो जाए कि शाम हो ही ना पर अपनी क्या बिसात , तो दोपहर भी बीत गयी थी फिर अनिता भाभी का फोन आया वो पूछने लगी कि कहा हो तो मैने कहा बगीची मे
वो बोली उधर ही रहना मैं आ रही हू शायद भाभी भी मिता से बात चीत करना चाहती थी मिता बड़ी खुशी से भाभी से मिली और फिर उनकी बाते शुरू हो गयी तो मैं बस उनका मूह ही तकने लगा शाम होने लगी थी मेला उजड़ने का टाइम हो गया था और फिर मिथ्लेश को भी घर जाना था तो भाभी ने अपने सोने के कंगन उतारे और उसको देते हुए बोली लो मेरी तरफ से ये रख लो
तो मिता बोली भाभी मैं ये कैसे रख सकती हूँ तो भाभी अधिकार पूर्वक बोली रख लो अभी तो मेरे पास ये ही है पर जब तुम मेरी देवरानी बनकर आओगी तो नये वाले भेंट करूँगी तुम्हे और भाभी ने ज़बरदस्ती वो कंगन मिता के हाथो मे पहना दिए मिता भाभी के गले लग गयी फिर हम ने एक दो चक्कर और लगाए इधर उधर और फिर आख़िर समय आ गया मिता के जाने का
उसको ऑटो मे बिठाने के बात मैने भी बाइक ली और घर आ गया अब मेले मे कुछ नही था मेरे लिए फिर हाथ मूह धोकर अपने कमरे मे चला गया और बेड पर लेटे लेटे अपने सुनहरे पलों को याद करने लगा घंटे भर बाद घरवाले भी आ गये तो मैने चाची से कहा कि चाइ बना लो वो रसोई मे चली गयी मैं सोफे पर बैठा था मम्मी भी उधर ही थी
पर उन्होने अपना मूह फुलाया हुआ था चाची मुझे चाइ पकड़ाते हुवे बोली अभी तुम चुप ही रहना जीजी गुस्से मे है मैने कहा पर किसलिए मैने मम्मी से कहा कि मम्मी आप नाराज़ क्यू हो तो वो बोली तुझे इस से क्या है तुझे तो अपनी मर्ज़ी करनी है तू कर मैं कोन हूँ तेरी ज़िंदगी मे मैने कहा पर बात क्या है वो तो बताओ तो वो बोली जब मैने तेरे लिए उर्वशी को पसंद कर लिया है तो
तो इस लड़की का साथ क्यो नही छोड़ देता और वैसे भी उर्वशी तेरी दोस्त तो है ही मैने कहा हाँ माँ वो तो है पर मिता मेरी ज़िंदगी है आप को पता है मैं आर्मी मे गया ही इसलिए था कि मिता के साथ ब्याह कर सकूँ और आप इस बात को समझ ती नही है मम्मी बोली पर बेटा वो अपनी जात बिरदरी की भी नही है और फिर उर्वशी देख कितनी सुंदर है
मैने कहा माँ तेरा बेटा भी कोई सलमान ख़ान या अक्षय कुमार तो है नही आप मेरे दिल की भी तो समझो आज तक जैसा भी घरवालो ने कहा बिना कुछ कहे मैने हर एक कहा किया है परंतु मेरा भी एक दिल है जो बस मिता के लिए ही धड़कता है मम्मी अगर आप चाहती ही हो तो करदो मेरा ब्याह उर्वशी के साथ पर उस से क्या मैं खुश रह पाउन्गा कभी नही
दोस्ती एक अलग चीज़ होती है और प्यार एक अलग चीज़ होती है आप तो माँ हो फ़ि भी आप अपने बेटे को नही समझ पाई ये कैसी ज़िद है आपकी मैं बात घुमा फिरा के नही करता मम्मी पर बस इतना ही जानता हू कि मिता नही तो मैं भी कुछ नही माँ उस से मेरा सांसो का रिश्ता है धड़कन बनकर धड़कती ही वो मेरे जिस्म मे बताओ अब मैं धड़कन को कैसे जुदा करू
मम्मी बोली अब मैं क्या कहूँ तू बड़ा हो गया है जब इतना बड़ा फ़ैसला तूने खुद कर ही लिया है तो फिर मैं कॉन होती हूँ रोकने वाली तुझे ज़्यादा कुछ कहूँगी तो फिर घर आना बंद कर देगा वैसे भी जमाना बदल रहा है आजकल माँ बाप कहाँ महत्व रखते है बच्ची के लिए मैने कहा आप का हक़ है आप कुछ भी कह सकती है पर ब्याह करूगा तो मिता के साथ ही बाकी आपकी हर बात मंजूर है मुझे
मुझे पता था कि अब मम्मी का ड्रामा लंबा चलने वाला है तो मैने फ्रिड्ज से एक बियर की कॅन निकाली और घर से बाहर आ गया मेरा मूड भी ऑफ हो गया था साला बचपन से बस घरवालो के अनुसार ही तो जिया था बस एक ही इच्छा अपनी कि मिथ्लेश को घरवाली बनाऊ दिल तो किया कि अभी निकल जाउ वापिस देल्ही पर छुट्टी भी बाकी पड़ी तो वहाँ भी ना जा सकता
तो फिर मैं निकल पड़ा बाहर की ओर पर दिमाग़ खराब था तो कुछ सूझ नही रहा था तो फिर ऐसे ही तालाब के किनारे पर जाके बैठ गया अंधेरा घिरने लगा था पर मैं वही बैठा हुआ था शांत होके मैं सोच रहा था कि काश घरवाले समझ सके मेरे दिल की बात , फिर मेरा फोन बजा तो देखा कि सोनू की कॉल थी वो बोली तुम 9 बजे तक आ जाना मैं आज रात अकेली ही हूँ घर पे
मैने कहा ठीक है वैसे भी मैं घर पे नही जाना चाहता था तो अच्छा हुआ उसका फोन आ गया भूख भी लग आई थी तो अड्डे पर ही थोडा बहुत खा- पी लिया और फिर कुछ देर घूमने फिरने के बाद चल पड़ा सोनू के घर पर वैसे भी जाड़े के दिनो मे सब लोग जल्दी ही सो जाया करते है और धून्ध थी तो मैं उसकी आड़ मे उसके घर पहुच गया
उफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफ्फ़ क्या लग रही थी सोनू उस लाल साड़ी मे कसम से कयामत से कम नही लग रही थी वो उपर से पूरी तरह का शृंगार मेरे अंदर आते ही उसने गली मे इधर उधर देखा और फिर झट से किवाड़ बंद कर लिया तो मैने उसको तुरंत ही बाहों मे भर लिया और उसकी गान्ड को दबाते हुए बोला क्या जाबर माल लग रही हो भाभी आज तो
तो वो मेरी बाहों से निकलते हुए बोली अब तुम इतने दिन से पीछे पड़े हो तो तुम्हारे लिए ही सजी हूँ आज सोचा कि आज तुमको ऐश करवा ही देती हू वरना तंग करते ही रहोगे सोनू बोली उपर चॉबारे मे चलो मेरा कमरा वो ही है तो मैं उसके पीछे पीछे उपर आ गया और आते ही उसको दबोच लिया और अपने होठ उसके सुर्ख होंठो पर लगा दिए वो भी किसी प्यासी की तरह मुझसे लिपट गयी
कुछ ही देर मैं उसकी पूरी लिपीसटिक चाट गया और साथ ही उसकी साड़ी भी उतार दी बेहद ही कसे हुए पेटिकोट से उसकी बाहर को निकलती गान्ड मे तो पागल ही हो गया बस फिर जल्दी से उसका पेटिकोट और ब्लाउज भी उतार दिया तो सोनू ने पास रखा कंबल ओढ़ लिया और बोली मुझे शरम आ रही है मैने कहा भाभी अब मुझसे क्या शरमाना और फिर मैने कंबल को हटा दिया
लाल ब्रा-पैंटी मे क्या मस्त लग रही थी वो देख कर ही मेरे शरीर की सारी नसें झन झना गयी मैने उसे अपनी गोदी मे बिठा लिया और ब्रा के उपर से ही उसके उभारों को रगड़ने लगा तो वो आहे भरते हुए बोली आहिस्ता से दबाओ तुम्हे तो ज़रा सा भी सबर नही है कितना दर्द होता है आआआआ मैने कहा भाभी बस अब कुछ ना बोलो तुम जो करता हूँ करने दो खुद को मेरे हवाले करदो
फिर मैने धीरे से ब्रा की हूकों को खोल दिया और उनके किलो किलो की चूचियो को अपनी मुट्ठी मे भर कर दबा ने लगा तो सोनू पर भी खुमार चढ़ने लगा बोबो को सहलाते हुए मैं उसकी सुरहिदार गर्दन पर किस करने लगा तो सोनू काँपते हुए बोली उफफफफफफफफफफफफ्फ़ क्या कर रहे हो जालिम मैने कहा भाभी बस आपको थोड़ा सा प्यार कर रहा हू और कुछ नही मैं अब बेतहासा उसकी गर्दन और पीठ पर चुंबन अंकित करने लगा
सोनू मेरे चुंबनो से पागल होने लगी थी फिर मैं अपना हाथ उसकी जाँघो के बीच ले गया और कच्छि के उपर से ही दबा ने लगा तो चूत वाला हिस्सा गीला गीला सा हो रहा था मैने तुरंत ही भाभी को बेड पर लिटाया और उनकी टाँगो के बीच आ गया और कच्छि के उपर से ही चूत पर किस करने लगा तो सोनू बेड पर मचलने लगी और मेरे सर पर सहलाते हुए बोली अनाड़ी तो नही हो तुम