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Adultery हार तरफ चुत हि चुत (BIG & HOT STORY)
#57
वैसे तो मेरी ज़िंदगी मे कई औरते , लड़किया आई थी पर मिता जो मेरे लिए सबसे इंपॉर्टेंट थी उसी के साथ सबसे कम टाइम बिताने का मोका मिला था मुझे जब भी सोचता था कि अब थोड़ा सा जी लूँ उसके साथ तभी कुछ ना कुछ काम आ जाता था पर अब मैने सोच लिया था कि बस अपनी मोहब्बत के साथ ही जीना है मुझे काफ़ी देर तक उसके मासूम चेहरे को निहारता रहा मैं



तो वो शरमाते हुवे बोली क्या कर रहे हो तुम , तुम और तुम्हारी ये उट-पटांग हरकते मुझे शुरू से ही अजीब लगती है मैने कहा तुम नही समझोगी और शायद मैं कभी समझा भी नही पाउन्गा कि किस हद तक मैं तुम को चाहता हू अपनी हर एक साँस के साथ बस तुम्हारा ही नाम लेता हू तिल तिल करके मैं उस पल का इंतज़ार कर रहा हू जब तुम दुल्हन बनकर मेरे घर मे आओगी



मैने कहा मैं अब और इंतज़ार नही कर सकता हू वैसे भी इस से पहले की मेरी मम्मी किसी भी लड़की को मेरे पल्ले बाँध दे हमें शादी करलेनी चाहिए तो मिता मेरे पास सरकते हुए बोली कि पर मैं कैसे अपने घरवालो को फेस करूँ तुम तो जानते ही हो ना कि गाँव मे कितना मुश्किल है प्रेम पाना मैने कहा पर हम अपनी मोहबत की दास्तान सुनहरे अक्षरो मे लिखेंगे चाहे कुछ भी हो



अगर तुम्हारे बस की नही है तो फिर मैं तुम्हारे पिताजी से बात करता हूँ आख़िर कभी ना कभी तो हमें ये सब फेस करना ही पड़ेगा ना तो फिर हम ने आख़िर ये डिसाइडेड कर ही लिया कि अबकी बार मिता अपने घरवालो से ज़रूर बात करेगी मैने अपना सर उसकी गोद मे रख दिया और मैं लेट गया उसके बदन से आती भीनी-भीनी खुश्बू जैसे मेरी रूह मे उतरने लगी



मैने कहा डार्लिंग तू कुछ दिन की छुट्टी ले ले फिर घर चलते है अपने सहर का तो मज़ा ही अलग है और फिर कुछ यादो को भी जी लेंगे तो वो बोली ठीक है हम चलते है गाँव वैसे भी मुझे भी कई दिन हो गये है हमारी आँखो मे एक पल मे ही कई सपने तैर गये थे मिता मेरी रूह बन गयी थी जब जब वो मेरे पास होती थी मेरे दिल को सुकून मिलता था कुछ तो बात थी उसमे



मेरा दिल जो सीने मे धड़कता रहता था कई सालो पहले मिता ने उस पर अपना नाम लिख दिया था मिथ्लेश अपनी उंगलिया मेरे बालो मे फिराने लगी बड़ा ही अच्छा लग रहा था उसके साथ पर दिल मे भी कुछ कुछ होने लगा था मिता फिर उठी और बोली तुम आराम करो मैं लंच की तैयारी करती हू पर मैने उसका हाथ पकड़ लिया और उसको अपनी गोद मे खीच लिया



मैने कहा लंच होटेल से ऑर्डर करदो तुम बस मेरे साथ रहो , मेरी बाहोमे रहो मिता बोली बड़ा प्यार आ रहा है इरादे क्या है जनाब के मैने कहा अपने आप से ही पूछ लो जवाब तो तुम्हे पता ही है तो वो बस मुस्कुरा दी और मैने उसको किस करना स्टार्ट कर दिया उसकी साँसे बीच रह मे ही दम तोड़ने लगी मैं तो जैसे खोने ही लगा था



एक बेहद ही पॅशनेट किस के बाद मैं उस से अलग हुआ मिता अपनी उखड़ी सांसो को संभालती हुवी बोली कितनी बार कहा है तुमसे कि ऐसे ना किया करो मैं पिघलने लगती हू मैने कहा तो फिर किसने रोका है आओ मेरी बाहों मे समा जाओ आख़िर कब तक मुझे इंतज़ार करना पड़ेगा , तो वो मुझे परे हटा ते हुवे बोली जब तक हमारी शादी नही हो जाती और अपना फोन लेकर लंच ऑर्डर करने लगी



मैं नहाने चला गया फिर लंच किया और बाते एक बार फिर से शुरू हो गयी उसने पूछा और क्या चल रहा है तुम्हारा तो मैने उसे सब बताया पर इंटेलिजेन्स वाली बात छुपा ली आख़िर वो बात ज़रूरी भी नही थी आज का दिन भी कुछ ज़्यादा ही लंबा हो गया था मैने सोचा की चलो थोड़ी देर घर पे भी बात कर लूँ तो कॉल लगा दी मम्मी तो फोन उठाते ही मुझ पर बरस पड़ी



बोली तू तो हाथो से निकल गया है आवारा हो गया है तू तुझे भला अब घर परिवार की याद क्यो आने लगी मैने कहा अरे मम्मी अब मैं क्या करू मेरा काम ही ऐसा है पर तुम चिंता ना करो दो दिन मे आ रहा हू घर तो वो कहने लगी कि तू हमेशा की तरह झूठ बोल रहा है ना मैने कहा नही मेरी माँ पक्का आ रहा हूँ एक महीने क लिए परसो आ जाउन्गा



मम्मी बोली एक बार तू घर आजा अबकी बार तेरे हाथो मे बेड़िया डाल कर ही रहूंगी एक बार पत्नी घर आ जाएगी तो फिर जल्दी जल्दी छुट्टी लेकर घर आया करेगा अब उसको क्या पता कि मैं तो अपनी होने वाली पत्नी के साथ ही था अब घर वालो की बात भी वैसे सही ही थी कि शादी की उमर भी हो रही थी पर यहाँ बात मेरी और मिथ्लेश की शादी की थी



मैं अपने ख़यालो मे खोने लगा तो मिता बोली क्या सोचने लगे मैने कहा यार कुछ नही बस अपनी शादी के बारे मे ही सोच रहा था तू कल ही कुछ दिनो की छुट्टी ले लेना हम गाँव जाएँगे कल तो वो बोली एक दो दिन तुम इधर ही रुक जाओ ना मुझे भी थोड़ा टाइम मिलेगा तुम्हारे साथ बिताने को वरना तुम तो बस पता नही किन चीज़ो मे ही बिज़ी रहते हो



मैने उसके चेहरे को अपने हाथो मे थाम लिया और उसके चश्मे को हटा कर साइड मे रख दिया एक भोली भाली मासूम सी सूरत जो मेरे बचपन का प्यार था मैने कहा तुम्हे याद है हम लोग पहली बार कहाँ मिले थे तो वो बोली हाँ याद है मेले मे मैने कहा तब कैसी लगती थी तुम, तो वो तुनकते हुवे बोली तो तुम कॉन सा सलमान ख़ान थे तुम भी तो ऐसे ही थे



मैने कहा यार देख ना टाइम कितना बदल गया वो सब दिन ना जाने कहाँ खो गये है अब पता नही कब जी सकेंगे उन लम्हो को हम मैने कहा यार अब गाँव मे मेला लगेगा तो तू भी आना पहले मेले मे तो तू अजनबी बन कर मिली थी अब साथ साथ ही झूला झूलेंगे तो मिता बस मुस्कुरा दी और मेरी आँखो मे देखने लगी…

उसकी झील सी गहरी आँखो मे मैं जैसे डूबने लगा था फिर दिल ने धड़कन से कुछ कहा मेरी सांसो की रफ़्तार अचानक से भी बढ़ गयी थी नसे भड़कने लगी थी मैने मिता को अपने आगोश मे भर लिया वो छूटने की कोशिश करने लगी पर फिर उसने भी खुद को मेरे हवाले कर दिया और मैने एक बार फिर से उसके शरबती लबों को अपने लबों मे थाम लिया



जैसे ही उसके होंठो को छुआ लगा किसी ने शहद की बूंदे मेरे मूह मे उडेल दी हो मिता ने अपनी आँखे बंद कर ली थी वो मुझसे किसी लता की तरह लिपट गयी थी आख़िर दो जवान जिस्म एक साथ थे तो केमिकल रियेक्शन तो होना ही था मैने अपनी जीभ उसके मूह मे डाल दी जिसे वो अपनी जीभ से रगड़ने लगी तो मैं और भी उन्माद मे आ गया था



दो जवान जिस्म एक बंद कमरे मे एक दूसरे की बाहों मे और फिर उपर से मोसम भी सर्दी का मैने उसी पल आगे बढ़ने का सोच लिया और अपनी उंगलिया मिता की जीन्स के बटन पर पहुचा दी पर उसने मेरा हाथ पकड़ लिया और बोली कि बस यही पर रुक जाओ कही ऐसा ना हो कि हम कुछ ऐसा कर बैठे जिसकी अभी कोई ज़रूरत नही है तो मैने उसको अपनी बाहों से आज़ाद कर दिया



वो बोली तुम्हारी आँखो मे नींद है थोड़ी देर सो लो तो ठीक रहेगा अब मेमसाहिब की बात तो मान नी ही थी मैं जब सोकर उठा तो शाम हो चुकी थी उसने मुझे चाइ बनाकर दी और कहा कि बाहर चलोगे क्या घूमने के लिए मैने कहा नही यार मैं तो बस तुम्हारे साथ ही रहना चाहूँगा वैसे भी इतनी सर्दी है अब कहा चल्लेन्गे वो बोली जैसा तुम चाहो



मिता ने रेडियो ऑन कर दिया कुछ पुराने गाने चल रहे थे तो मामला थोड़ा सा रोमॅंटिक सा हो गया था पर बिना उसकी मर्ज़ी से किस से आगे बढ़ भी नही सकता था तो बस वो रात भी गुजर ही गयी पर इतना तो था कि कम से कम अपनी दिलरूबा के पास था अगली सुबह मैं ज़रा लेट उठा तो टेबल पर नोट था कि वो हॉस्पिटल जा रही है दोपहर तक छुट्टी लेकर आएगी



फिर गाँव चलेंगे खाना फ्रिड्ज मे रखा है गरम कर के खा लेना तो मुझे हँसी आ गयी , मैने फोन निकाला और अनिता भाभी का नंबर डाइयल किया और बताया कि मैं मिता के साथ अजमेर हूँ कल तक घर आउन्गा तो मेरे रूम की सफाई कर देना तो भाभी बोली वाह देवेर जी अब हमें पता चला कि आख़िर क्यो आप को छुट्टिया नही मिलती और आप घर क्यो नही आते हो



आपने तो अपनी गृहस्थी बाहर ही बसा ली है , कही ब्याह तो नही रचा लिया उधर ही मैने कहा क्या भाभी आप भी कुछ भी बोलती हो छुट्टी मिल गयी थी तोसोचा कि मिथ्लेश से भी मिलता चलूं तो अजमेर आ गया अभी आ तो रहा हूँ ना घर पर कल , भाभी चुटकी लेती हुई बोली हाँ जी अब भाभी को क्या पता कि दुनियादारी क्या होती है



मैने कहा भाभी अब आप शुरू ना हो जाओ बताओ आपके लिए कुछ लाना है क्या तो वो फिर से मज़े लेते हुए बोली कि देख लो कही हमारी देवरानी जी बुरा ना मान जाए मैने कहा भाभी अब रहने भी दो ना कितनी टाँग खीचोगी तो उन्होने कहा कि नही उन्हे कुछ नही चाहिए बस तुम जल्दी से घर आ जाओ और हाँ मिता को मेरी तरफ से एक साड़ी गिफ्ट कर देना मैने कहा ठीक है मेरी जान और फोन रख दिया


घर-परिवार भी एक अलग सा ही अहसास है ख़ासकर हम जैसे ख़ानाबदोश लोगो के लिए 6-6 महीने परिवार से दूर रहो कभी होली पे नही आ पाते कभी दीवाली सूनी रह जाती है कभी कभी लगता है कि बस सिविल जॉब ही करनी चाहिए रात को आकर अपने घर सो जाओ पर हम लोग जो करते है वो भी तो ज़रूरी है ना , दिल थोड़ा सा एमोशनल सा हो गया था घर की याद से



लंच ख़तम करके बर्तन सॉफ कर ही रहा था कि मिता वापिस आ गयी और बोली कि अरे ये क्या कर रहे हो तुम मैं कर लेती अच्छा लगता है क्या चलो इधर आओ मैने कहा कोई ना , वो बोली दो हफ्ते की छुट्टी ले आई हू बस अब पॅकिंग कर लेती हू फिर चलते है मैने कहा वो सब बाद मे भाभी का फोन आया था उन्होने कहा कि देवरानी को मस्त वाली साड़ियाँ दिलवा दूं उनकी तरफ से तो चलो बाजार चलते है



पर मिता बोली उसकी कोई ज़रूरत नही है पर मैं नही माना और उसको खीच कर बाजार ले गया कुछ कपड़े अपने लिए भी खरीद लिए कितने दिनो से मैने भी नयी जीन्स नही खरीदी थी तो फिर आते आते देर हो गयी थी जल्दी से मिता ने बॅग पॅक किया और हम चल पड़े बस स्टॅंड अपने सहर की बस डाइरेक्ट तो थी नही तो जयपुर से चेंज किया अब रात का सफ़र था



कभी मोबाइल पे गाने सुनते, कभी एक दूसरे से बाते करते तो फिर थोड़ी देर सोकर सफ़र काट लिया और सुबह 7 बजे के आस-पास हम लोग आख़िर पहुच ही गये बस स्टॅंड पर ही फ्रेश वग़ैरह हुए फिर बाहर एक रेस्टोरेंट मे नाश्ता-पानी करने के बाद हम चल पड़े चौक की ओर जहाँ पर हमारे रूट का टेंपो स्टॅंड था , वहाँ जाकर देखा कि अब टेंपो नही चलते थे


उनकी जगह ऑटो आ गयी थी , अब वो मज़ा कहाँ था जो हमारे कॉलेज के दिनो मे था जब सुबह सुबह उदीतनारायण-कुमार शानू के रोमॅंटिक गाने बजा करते थे टेंपो मे तो दिल बस झूम ही जाया करता था हर सुबह बड़ी ताज़ा हो जाया करती थी मिता बोली क्या सोचने लगे चलना नही है क्या मैने कहा याद है तुम्हे जब हम कॉलेज जाते थे तो कितना मज़ा आता था



वो बोली हम पर अब वो दिन कहाँ है अब मैने कहा तुम्हे याद है एक टेंपो वाला होता था जो हर सुबह तुम्हे देखे मेरी आँखे वाला गाना ही बजाता था मिता हँसते हुए बोली कि तुम्हे तो सबकुछ याद है मैने कहा मेरी जिंदगी मे तुम्हारे बाद बस ये छोटे छोटे लम्हो की यादे ही तो है वरना बाकी तो मैं फकीर ही हूँ ना तो मिता बोली चलो अब सीट भी पकड़ लो



मैं तो वैसे भी काफ़ी थक गयी हूँ जाते ही नींद लूँगी फिर हम ने अपनी अपनी सीट पकड़ ली मिता के साथ तो हर सफ़र खुशनुमा लगता था फिर करीब बीस मिनट बाद वो अपने स्टॅंड पर उतर गयी और इशारो मे बोली कि फोन करेगी मैने कहा ठीक है अब बस इंतज़ार था अपने गाँव के अड्डे का



15 मिनिट बाद मेरा स्टॉप भी आ गया तो अपने बॅग को कंधे पर टांगा किराया दिया और चल पड़े घर की ओर रास्ते मे कुछ लोगो से दुआ-सलाम हुई तो ऐसे ही मैं पहुँच गया घर गेट खुला ही पड़ा था तो सीधा अंदर गया मम्मी और चाची रसोई मे लगी थी मुझे देखते ही वो खुश हो गयी बारी बारी से दोनो के पाँव छुए और फिर उनकी लंबी बातों का दौर शुरू हो गया



थोड़ी देर बाद भाभी भी आ गयी तो और भी अच्छा लगा , काफ़ी देर उनसब से बाते करने के बाद मैने कहा मैं थोड़ा थक गया हूँ कुछ देर सो जाता हूँ तो फिर मैं वही सोफे पर ही पसर गया जब शाम को मैं उठा तो हल्का हल्का सा अंधेरा हो गया था अब सर्दियो के दिन थे इसलिए तो फिर कही बाहर जाना भी नही हुआ रात बस फिर खाने और बाते करने मे ही बीत गयी पापा बोले अबकी बार तो रुकेगा ना मैने कहा हा इस बार पूरा 1 महीना इधर ही हूँ बिना किसी टेन्षन के तो वो बोले चलो अच्छी बात है हमारा भी दिल लगा रहेगा



मोका देखकर मम्मी ने भी अपना पुराना राग छेड़ दिया मेरी शादी का कहने लगी अब ये भी आ गया है उर्वशी के घरवालो से बात करके रोका कर लेते है मैने कहा मम्मी तभी तो मैं घर आता नही हूँ आया नही कि बस आप शुरू हो जाते हो वो कहने लगी अब क्या हम ही घर संभालती रहेंगी बहू आ जाए तो हमे भी आराम मिले मैने कहा हद है आपके आगे



मुझे पक्का पता था कि मम्मी एक दो दिन मे ही कुछ ना कुछ खुराफात कर डालेंगी तो मैने कहा कि जब तक मैं ना कहूँ आप अपनी तरफ से कुछ ना करना वैसे भी मिशन पे था पिछले 3 महीने तो थोड़ा रिलॅक्स होना चाहता हू कुछ दिन बाद आप जैसा कहोगे वैसे ही कर लेंगे तो वो भी खुश हो गये



अगली सुबा जब मैं दातुन कर रहा था तो मुझे सोनू भाभी दिखाई दी मैने उन्हे छेड़ते हुए कहा ओहो!!!!!!!! मालिको सुबह सुबह ये ताज़ा फूल कहाँ चला खुश्बू बिखेरने तो वो बोली तुम कब आए और आते ही मैं ही मिली क्या मसखरी करने को मैने कहा मेरी कॅटटो , मैं तो हमेशा सच ही बोलता हू अब बताओ सवारी कहाँ चली तो वो बोली नल कम ही आता है आजकल तो बस टंकी पर जा रही हू पानी भरने



मैने कहा पानी तो मैं दे दूं पर आप लेती ही नही हो तो उन्होने अपनी आँखो को नचाया और बोली तुम नही सुधरोगे बाद मे मिलती हू और टंकी की ओर चली गयी और मैं रह गया हसरते दीदार को अब हम करे भी तो क्या करे दातुन करके कुल्ला ही कर रहा था कि साक्षी आई और बोली कि चाचू मम्मी ने बुलाया है मैने कहा आता हू अभी



भाभी बोली तुम्हारी पसंद के आलू के पराठे बनाए है आओ नाश्ता कर लो मैने कहा वाह भाभी हो तो ऐसी फिर कुछ देर बस नाश्ता ही चलता रहा भाभी ने कहा की आज प्लॉट मे जाउन्गी चलोगे क्या मैने कहा ठीक है चलते है तो वो बोली बस काम समेट लूँ इधर का फिर चलते है मैने कहा बुला लेना मैं फिर घर आ गया और चाची से गप्पे लड़ाने लगा मैने कहा और बताओ कैसी हो वो बोली मैं तो एक दम ठीक हूँ तू बता घर कि तो याद ही नही आती



अपनी चाची को भी भूल गया तू मैने कहा ऐसा कुछ नही है उगरवादियो के पीछे था तीन महीने बड़ी मुश्किल से कटे है मैने पता है जंगलों मे पहाड़ो मे भटक ते रहो बस गोली लग गयी तो बस फिर काम तमाम अब अफ़सर है तो फिर दुगनी मुसीबत होती है पर नोकरी है तो करनी ही पड़ेगी चाची बोली अपन ख़याल रखा कर तुझे कुछ हो गया तो फिर हमारा क्या होगा



मैने कहा आप मम्मी को ना बताना ड्यूटी की बाते वरना फिर वो टेन्षन करेगी मैने कहा जाने दो उधर की बाते और अपनी बताओ मैं थोड़ा सा और उनके पास सरक आया और उनकी जाँघ पर अपना हाथ रख कर उसको रगड़ने लगा तो वो बोली आते ही बस शुरू हो जाते हो मैने कहा अब इतना मस्त माल घर मे है तो कंट्रोल कैसे करू आप ही बताओ



मैने कहा आओ चाची एक एक राउंड तो लगा ही लेते है तो वो बोली नही अभी नही मुझे बहुत काम है मैने कहा क्या आप भी हमेशा एक ही बात का रोना रोते रहते हो पहले तो कभी मना नही करते थे तो वो बोली बेटा बोला ना अभी नही फिर तुम्हारी मम्मी भी घर पे है मैने कहा कहाँ है वो तो बोली उपर है मैने कहा ठीक है अब आपकी मर्ज़ी है जब दोगि तभी दोगि



तो वो बोली कहा ना कर दूँगी तेरा भी जुगाड़ चल अभी जा और मुझे काम करने दे अब मैं क्या करता तो आ कर टीवी चला लिया और देखने लगा पर उसमे भी कुछ नही आ रहा था देखने लायक सच तो था कि अब टीवी देखने का मन ही नही होता था दिल किया कि गीता से मिल आउ अब हमारी तो वो ही एसी चूत थी जो कभी भी मना नही करती थी पर मम्मी भी खेत मे जाने वाली थी तो प्लान कॅन्सल कर दिया



मैने सोचा सो ही जाता हू तो बस आँख लगी ही थी कि भाभी आ गयी और बोली तुम इधर सोए पड़े हो प्लॉट मे नही चलना है क्या मैने कहा जी अभी चलते है मैने कहा बाइक से चलेंगे तो वो बोली अरे इधर वाले प्लॉट मे चलना है तो बाइक की क्या ज़रूरत है फिर मैं भाभी के साथ प्लॉट मे आ गया

अंदर आते ही मैने गेट बंद किया और भाभी को अपनी बाहों मे भर लिया वो बोली क्या है मैने कहा बाकी काम बाद मे करना पहले मेरा काम करो वो बोली क्या समझ रखा है रात को तुम्हारे भाई नही सोने देते और दिन मे तुम मैने कहा अरे क्या तुम मैं क्या होता हूँ इधर और भाभी की चूची को दबाने लगा भाभी ससिसकी भरते हुवे बोली आह क्या करते हो दर्द होता है



मैने कहा अब नखरे ना करो और मान भी जाओ ना तो वो बोली अब मेरी क्या मज़ाल मैं अपने प्यारे देवेर को नाराज़ कर दूं मैने भाभी को गोद मे उठाया और अंदर खाट पर ले जाकर पटक दिया भाभी बोली आज तो मैं गयी काम से मैने फटा फट से अपने कपड़े उतारे और नंगा हो गया और फिर भाभी को भी नंगा कर दिया मैने कहा क्या बात है आज ब्रा-पेंटी नही डाली




तो वो बोली मुझे पता था कि तुम सेक्स किए बिना तो मनोगे नही इसलिए आज नही पहने मैने कहा मेरी प्यारी भाभी कितना ख़याल रखती हो मेरा और मैं भी उनके पास ही लेट गया और भाभी के गोरे गोरे पेट पर हाथ फिराने लगा भाभी खिसक कर मेरे से और सट गयी फिर मैं धीरे से अपना हाथ नीचे की ओर ले गया और उनकी योनिकी पंखुड़ियो से छेड़खानी करने लगा भाभी बोली वहाँ मत टच करो मैने कहा क्यों वो बोली गुदगुदी होती है



मैं अपने हाथ से उनकी चूत को दबाते हुवे बोला क्या आप भी और अपनी उंगली को अंदर सरका दिया भाभी ने आह भरी और अपनी टाँगो को आपस मे कस लिया मैने उनके हाथ मे अपना औज़ार दे दिया जिसे वो सहलाते हुए बोली बड़ा गरम हो रहा है ये मैने कहा आप भी कुछ कम नही हो और वैसे भी आज ठंड बहुत है अब बात ना करो और आओ मेरी बाहों मे वो हँसते हुवे बोली तुम्हे तो ज़रा सा भी सबर नही है तो मैने उनको अपनी बाहों मे भीच किया और किस करने लगा गुज़रते समय के साथ अनिता का हुस्न और भी निखर आया था



मैने उनकी टाँगो को फैलाया औ उनकी गुलाबी चूत पर अपना मूह रख दिया जीभ को बाहर निकाला और योनि पर फिराने लगा तो एक दम से उनके बदन मे सिरहन सी दौड़ गयी भाभी ने आह भरते हुवे कहा उफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफ्फ़ ईईईईई जुलम ना किया करो तुम जब जब तुम ऐसा करते हो बस फिर खुद पर किसी तरह का कंट्रोल नही रहता है



मैं उनकी तारीफ करता हुवा बोला जान तुम हो ही इतनी करारी कि बस फिर खुद पे काबू करना बड़ा ही मुस्किल है और अपने दाँतों से योनि की पंखुड़ियो को काट लिया जिस से भाभी और भी मचल गयी और मेरे बालो मे अपने हाथ फिराते हुवे बोली देवेर जी कसम से आज तो मार ही डालोगे कितनी गरम जीभ है तुम्हारी मज़ा ही आ गया और अपनी कमर को उचकाने लगी



मैने उनकी चूत को फैलाया और अंदर तक जीभ को घुसा कर रगड़ने लगा तो भाभी और भी मचलने लगी अब कामुक औरत की कशिश ही अलग होती है और सच कहता हूँ उनकी योनि के रस का मुक़ाबला तो टकिला का शॉट भी नही कर सकता है तो बड़ा मज़ा आ रहा था उनका रस पीने मे और भाभी भी दिल खोल कर मुझे अपनी चूत से लगाए हुए थी कुल मिला कर महॉल बड़ा ही गरम हो रखा था



पर पता नही क्यो आज भाभी जान कुछ जल्दी ही झाड़ गयी थी मैने अपना मूह पोछा और लंड को योनि की दीवारो पर घिसने लगा भाभी बोली थोड़ी देर तो रूको पर अब मैं कहाँ किसी की सुन ने वाला था मैने उनकी जाँघो को अपनी जाँघो पर चढ़ाया और लंड को अंदर ठेलने लगा भाभी ने एक तगड़ी वाली आह भरी और मैं उनके उपर छा गया


लंड को चूत की घेराई तक डालने के बाद मैं उनपर लेट गया और उनके सेब से गालो को खाने लगा तो भाभी और भी मादक होने लगी वो अपनी बाहों को मेरी पीठ पर रगड़ते हुवे बोली चलो आप शुरू भी हो जाओ काफ़ी काम पड़ा है वो भी ख़तम करना है तो मैने लिंग को बाहर तक निकाला और फिर अंदर डाल दिया काफ़ी देर तक बस मैं ऐसे ही करता रहा अब भाभी का पारा भी गरम हो गया था वो बोली क्यो तडपा रहे हो जो काम करना है सीधे सीधे वो करो ना और मुझे अपनी बाहों मे दबाने लगी




जन्नत का सा सुख मिल रहा था अब मैने अपनी रफ़्तार थोड़ी थोड़ी सी बढ़ा दी भाभी ने आगे को होते हुए अपने रसीले होठ मेरे होंठो पर फिर से रख दिए थे सहद सा मेरे मूह मे घुलने लगा था अब कुछ भी ठंड नही लग रही थी तो फिर बस धक्कम पेल शुरू हो गयी भाभी भी खुलकर चुदाई का सुख प्राप्त कर रही थी मैने कहा उठो ज़रा झुको थोड़ा सा तो भाभी फर्श पर घोड़ी बन गयी मुझे घोड़ी बनाकर चोदने मे बड़ा ही अच्छा लगता था जब वो झुकी तो उनका पिछवाड़ा और भी फैल गया बड़ा ही सेक्सी सा पोज़ था वो मैने उनकी पतली कमर पर अपना हाथ रखा और लंड को योनि से सटा दिया सरपट करता हुआ वो फिर से अपनी मंज़िल को पा गया था भाभी अपने कुल्हो को आगे पीछे करते हुए चुदने लगी



जब जब भाभी मस्ती मे डूब कर आह आह करती तो मेरा जोश और भी बढ़ जाता और मैं तेज तेज धक्के लगाने लगता था फिर मैने शरारत करते हुए अपनी एक उंगली उनकी गान्ड मे डाल दी तो दर्द के मारे कराहते हुए बोली निकालो उधर से दर्द होता है मैं कहा मज़ा भी तो आता है ना अब भाभी कि दोनो छेद भरे हुए थे तो बस वो मस्ती मे डूबती चली गयी



थोड़ी देर बाद मैने अपने दोनो हाथो से उनकी दूध से भरी चूचियो को थाम लिया और उनको दबाने लगा तो कुछ ही पॅलो मे उनसे दूध की धार निकलने लगी तो भाभी ने मेरे हाथ वहाँ से हटवा दिए इधर मैं भी झड़ने के करीब ही आ गया था तो मैने कहा भाभी मज़ा आ रहा है तो वो बोली हाँ बहुत ही अच्छा लग रहा है ऐसे ही लगे रहो बस थोड़ी देर की बात और है



मैं बोला भाभी मेरा भी होने वाला है तो वो बोली अंदर मत गिराना बाहर ही रखना मैने कहा ठीक है जानेमन और घचा घच चोदने लगा उनको अगले 5-7 मिनिट तक बस फिर कुछ होश ना रहा बस एक जुनून सा छा गया था हम दोनो पर फिर भाभी ने एक तेज आह भरते हुवे अपनी जाँघो को आपस मे भीच लिया और शांत हो गयी कुछ पॅलो बाद मैने अपने लंड को बाहर निकाला और उनके कुल्हो पर ही अपना पानी गिरा दिया और हाँफने लगा

भाभी ने मेरे रुमाल से अपने पर पड़े वीर्य को सॉफ किया और फिर से मुझसे चिपट गयी थोड़ी देर मेरी बाहों मे रहने के बाद वो उठी और अपने कपड़े पहन ने लगी मैने कहा एक बार और ………… पर वो बोली मुझे काम करना है और फिर घर भी तो जाना है अब फिर कभी देखेने अब आओ और मेरी मदद करो तो हम बाहर आ गये काम करते करते पूरी दोपहर ही चली गयी



एक तो जाड़े के दिन भी कब निकल जाए पता ही नही चलता दोपहर बाद हम घर पहुचे कुछ तो चुदाई से और फिर ढेर सारा काम तो मैं थक गया था मैने चाची से कहा कि पानी गरम कर दो मैं नहाउन्गा तो वो मेरा पानी रखने चली गयी और मैं लंच करने बैठ गया आज बड़ा ही लज़ीज़ खाना बना था तो फिर नहा कर बस सो ही गया



शाम को चाचा ने मुझे उठाया तो मैने कहा आप कब आए वो बोला काफ़ी देर हो गयी तू कब्से सोया पड़ा है उठ जा अब मैने कहा जी बस अभी उठ रहा हू फिर एक चाइ पी और मैं घर से बाहर निकल पड़ा घूमने के लिए थोड़ी तफ़री करी फिर मंदिर चला गया तो उधर जाते ही निशा की याद आ गयी तो दिमाग़ खराब होने लगा मैने प्रार्थना की भगवान एक बार तो मिलवा दो उस से



पता नही कैसी होगी , कहा होगी दिल जब भारी हो गया तो मैं उसी बगीची मे जाकर बैठ गया जहाँ कभी मैं और निशा अक्सर बैठ कर बाते किया करते थे मैं बैठा था कि पुजारी जी वहाँ आ गये तो दुआ –सलाम हुई बोले काफ़ी दिन बाद आए हो मैने कहा जी अब नोकारी ही ऐसी है कि छुट्टी नही मिलती तो कुछ देर उनसे बाते हुई फिर मुझे ध्यान आया कि मैने भाभी को कहा था निशा के बारे मे पता करने को



तो मैने वही से ही भाभी को फोन लगाया और पूछा तो वो बोली नही , कुछ भी पता नही चला कोई खबर नही है तो मैं और भी उदास हो गया दिल बेचैन हो रहा था पता नही कब आँखो से आँसुओ का झरना फुट चला आख़िर ऐसी क्या बेगानी हो गयी थी वो जो उसे अपने इस दोस्त का एक पल भी ख़याल ना आया अब मैं कर भी क्या सकता था सिवाय अपनी तकदीर को कोसने के



जब मैं वापिस घर आ रहा था तो शीला भाभी मिल गयी रास्ते मे मैने कहा भाभी आप भी जमाने की तरह बदल गयी हो प्रीत अधूरी छोड़ गयी तो वो बोली देवेर जी ऐसा ना कहो पर अब मेरा लड़का इधर ही रहता है तो बताओ मैं क्या करू मन तो मेरा भी होता है पर मजबूर हूँ वरना आपको कभी शिकायत का मोका ना देती मैने कहा देख लो आप


तो वो कहने लगी ठीक है जैसे ही कुछ जुगाड़ होगा मैं बताउन्गी आपको उस से बात करते करते घर आ गया रात हो गई थी बस फिर डिन्नर और फॅमिली से गप्पे लड़ाना तो एक और दिन का अंत हो गया था सुबह मैं कुछ देर से उठा तो घर पे कोई नही दिखा मैं फ्रेश होकर आया फिर बाहर आया तो भी कोई नही दिख रहा था अब ये लोग कहाँ गये तो मैं बाहर चबूतरे पर ही बैठ गया



तभी चाची आ गयी और बोली अरे उठ गये तुम मैने कहा हाँ पर घर मे कोई नही है कहा गये सब लोग तो वो बोली की इधर पड़ोस मे ही गयी थी और तुम्हारी मम्मी बड़ी जेठानी के घर पे है आओ नाश्ता लगा देती हू तो मैं उनके पीछे पीछे रसोई मे आ गया वो प्लेट लगा रही थी उनकी पीठ मेरी ओर थी उफ्फ क्या गान्ड थी गोल मटोल और पहले से तो बहुत ही ज़्यादा बड़ी हो गयी थी

मैने सोचा आज मोका भी ठीक है चाची को भी पेलते है तो मैं उनसे बिल्कुल चिपक गया और उनके पेट को सहलाने लगा वो बोली क्या करता है कोई आ जाएगा मैने कहा कोई नही आएगा बस आप ऐसे ही खड़ी रही मैं अब अपने लंड को पेंट के अंदर से ही उनके कुल्हो पर घिसने लगा तो चाची भी अपनी गान्ड को उस पर दबाने लगी मैने कहा आज तो मेरी डार्लिंग की लेकर ही रहूँगा



अब मैं चाची के उभारों से खेलने लगा था उन्होने अपनी आँखो को बंद कर लिया और सांसो को संभालने लगी अब मैं अपना हाथ आगे ले गया और घाघरे के उपर से ही योनि को रगड़ने लगा तो वो भी गरम होने लगी वो भी अपना हाथ पीछे ले गयी और लंड को पॅंट के उपर से ही दबोच लिया चिंगारी भड़क उठी थी और फिर मैने उनको अपनी ओर किया और किस करने लगा किस कर ही रहा था कि



बाहर से मम्मी की आवाज़ आई वो झट से मुझसे अलग हुई और नाश्ते की प्लेट मेरे हाथ मे देते हुए बोली जा बाहर जा , हाई रे किस्मत मोका चला गया तो फिर कैसा नाश्ता करना था थोड़ा कुछ खाया और फिर बस टीवी देखने लगा पर मेरा मन टीवी मे कैसे लगे तो उठ कर वापिस अपने कमरे मे चला गया ना मिता ने फोन किया था गाँव आकर बस सब कोई भूल ही जाता है हमे तो



हालाँकि मेरे पास गीता थी जो मुझे कभी भी मना नही करती थी सेक्स के लिए पर मे उधर नही जाना चाहता था अभी कुछ फ़ायदा भी नही था क्योंकि दिन मे आने को उसने पहले ही मना किया हुआ था अब साला टाइम पास ही ना हो करे तो क्या करे समझ ही ना आए तो फिर सोचा कि चलो मामा के घर ही फोन मिला लिया जाय वैसे भी कई दिन हो गये थे उधर का चक्कर लगाए हुए



तो फोन लगा दिया बड़ी मामी ने फोन उठाया ही-हेलो के बाद पता चला कि मामा की फील्ड मे पोस्टिंग होने के कारण वो आजकल गाँव मे ही थी तो मैने कहा कब बुला रही हो तो वो बोली तुझे मुझसे प्यार होता तो आ ना जाता मैने कहा नाराज़ ना हो दो-चार दिन मे आता हू आपसे मिलने फिर नानी से बात की तो अच्छा लगा अब हम जैसो को तो इतनी ही छुट्टिया मिटी है बस मिलने-मिलने मे ही कब पूरी हो जाती है पता ही नही चलता …

मैने सोच लिया था कि मेले के बाद दो चार दिन मामा के यहाँ भी दर्शन दे ही दूँगा फिर पूरा दिन शाम तक बस रेडियो पर गाने ही सुन कर टाइम पास किया दो दिन हो गये थे ये साली सोनू भी दर्शन नही दे रही थी अब की छुट्टिया बड़ी ही बोझिल सी काट रही थी पर अब कर भी क्या सकते है अपने चाहने से क्या कुछ होता है शाम को आख़िर सोनू का दीदार हुवा



मैने कहा मालिको नाराज़ हो क्या दिख ही नही रही वो बोली क्या बताऊ बड़ी ही बिज़ी हो रखी हूँ ननद के लड़का हुआ है तो मेले के अगले दिन चुचक है बस उसी की तैयारी मे लगे है मैने कहा ये तो अच्छी बात है पर हम ग़रीबो का क्या हाल आपके दीदार के बिना तो वो बोली तुम नही सुधरोगे मैने सोनू का हाथ पकड़ लिया तो वो घबराते हुए बोली गलियारे मे ऐसी हरकत कोई देख लेगा तो गजब हो जाएगा



मैने कहा तो फिर क्या करूँ आप तो रसीद दे ना रही हो वादा करके फिर गयी आप तो वो हँसते हुवे बोली एक काम करो मेरा फोन नंबर ले लो कल दिन मे फोन करना फिर बात करेंगे मैने कहा ठीक है फिर वो अपने काम से चली गयी वो गई थी ही कि अनिता भाभी आ गया बोली यहाँ क्यो बैठे हो मैने कहा बस ऐसे ही फिर मैं उसके साथ अंदर आ गया



चूत की संभावनाए तो चारो तरफ थी पर बात बन नही रही थी भाभी से बात कर ही रहा था कि पापा ऑफीस से आ गये तो मैं और भाभी उपर आ गये और मेरे कमरे मे बैठ कर बाते करने लगे वो बोली अब शादी कर ही लो तुम मैने कहा मैं तो तैयार हू बस मिता अपनी फॅमिली से बात करले फिर बस एक दो दिन मे ही बॅंड बजा देंगे भाभी बोली काकी जी को कॉन मनाएगा मैने कहा वो भी देखेंगे


भाभी बोली उनको तो उर्वशी जच गयी है बस तुम हा कहो तो वो कल ही रोका करवा दे मैने कहा भाभी आप सब कुछ जानते हुए भी कैसी बात करती हो मानता हूँ उर्वशी अच्छी लड़की है और मेरी दोस्त भी है पर ये दिल बस धड़कता ही मिता के लिए है अब मैं क्या करू मैं तो फस गया ना तो वो बोली और निशा का क्या , उस से क्या लेना देना है जब देखो पीपनि तो उसी की बजाता रहता है



मैने कहा भाभी वो स्पेशल दोस्त है तो उसकी याद आती है और कुछ नही है भाभी बोली तेरी लीला तू जाने वैसे मेरी तो इच्छा थी कि मेरी छोटी बहन है ना रेखा उसे ही तेरे साथ ब्याह देती पर तू जाने दे अब मैने कहा भाभी आप चूक गयी अब कुछ नही हो सकता फिर चाची भी आकर हमारी बातों मे शामिल हो गयी बातों बातों मे पता ही नही चला की कब टाइम बीत गया



नीचे आया तो फिर पापा के पास बैठ गया मैने कहा पापा मैं एक प्लाट ले लूँ क्या कही पे वो बोल फिर इधर कॉन रहेगा तो मैने कहा साची कहूँ तो पापा ये नया घर मुझे बिल्कु भी नही सुहाता यहाँ पर मुझे अजीब सा लगता है तो वो बोले तू क्या कहना चाहता है मैने कहा मैं अपने पुराने वाले घर मे ही रहना चाहता हू तो वो बोली क्या तू भी पागलो जैसी बात करता है मैने कहा अब आप कुछ भी समझो



तो वो बोले देख बेटा, आजकल मकान बनाना आसान नही है और फिर ये थोड़े टाइम पहले ही तो बनाए है बाकी अगर तू चाहे तो छत के जो हिस्सा खाली पड़ा है उधर तू अपनी मर्ज़ी से अपने लिए एक हॉल बनवा ले जैसा तू चाहे तेरी पसंद का मैं मना नही करूँगा फिर मम्मी ने कहने को बोल दिया तो बात आई गयी हो गयी खाने के बाद मैं अपने कमरे से चला गया
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RE: हार तरफ चुत हि चुत (BIG & HOT STORY) - by Pagol premi - 06-12-2020, 09:18 AM



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