06-12-2020, 07:55 AM
शाम भी हो ही गयी थी तो हम दोनो तैयार होकर घर से बाहर चल पड़े मेरे लिए तो अंजाना सहर था तो उस पर ही छोड़ दिया जहाँ वो ले जाए वही सही मिथ्लेश सबसे पहले मुझे जाखू टेंपल ले गयी पहली नज़र मे ही इस सहर की खूबसूरती मेरे दिल मे उतर गयी थी कुदरत की हर रंगीनी यहाँ थी दिल को आराम सा मिलता था यहा पर प्रकृति से जुड़ने का मौका
सफेद बरफ से ढके हुए रास्ते हमने दो कप चाइ ली और चलते चलते ही एंजाय करने लगे मिता के साथ बड़ा ही ख़ुशगवार लग रहा था मोसम भी जैसे आज मिता के मिज़्ज़ाज़ के अनुसार चुहलबाजी करने को तैयार था शिमला मे जो चीज़ सबसे अच्छी लगी वो थे माल यहाँ पर बहुत सी शॉपिंग की हमने प्लान तो था कि पूरा शिमला ही नाप दूं पर समय नही था मेरे पास
मैने मिता से कहा कि अपना हनी-मून हम शिमला मे ही मनाएँगे तो वो शरमा गयी और बोली कि पहले शादी तो कर्लो मैने कहा शादी के लिए मैं तो तैयार हू चाहो तो आज ही कर्लो आओ इसी मंदिर मे कर लेते है वो कहने लगी कि ऐसे कैसे कर लूँ शादी मुझे दुल्हन बनाना है तो मेरे घर बारात लेकर आना फिर मुझे ले जाना मैं कहा कि तुम्हारी तरफ से ही देर हो रही है
वरना मैं तो कब से तैयार हू मिता ने अपनी बाहें मेरे गले मे डाली और कहने लगी की मैं भी तो तैयार ही हू ना जल्दी से वो घड़ी आ जाए जब मैं दुल्हन बन कर तुम्हारे घर आउन्गि हर रात जब मैं सोती हू तो बस यही एक सपना देखती हू की कब तुम्हारे नाम की मेहन्दी मेरे हाथो से सजेगी मैने उसको अपने से चिपकते हुए कहा कि भगवान ने चाहा तो जल्दी ही अपनी मुराद भी पूरी होगी
रात अपने रंग मे रंग चुकी थी पर दो दीवाने सहर की गलिया नाप रहे थे मैं स्ट्रीट पर एक फेमस ढाबा था मिता अक्सर वहाँ जाती रहती थी तो हमने अपना डिन्नर वही करने का प्लान बनाया सच मे कसम से क्या टेस्ट था वहाँ के फुड का और उपर से मिता का साथ आधी रात होने को आई थी पर हम दोनो भटक रहे थे अंजानी गलियो मे
हल्की हल्की बरफ की चादर सड़को पर जैसे बिछ गयी थी मोसम भी आज जैसे कुछ कहना चाह रहा था मैं उस मर्जानी का हाथ थामे चल रहा था सर्द ठंडी रात मे उसकी दहक्ति सांसो की तपिश मेरी रूह को बड़ा आराम दे रही थी आज भी नही भुला हँ मैं शायद रात का 1 बजा था वो कोई चर्च था जिसके पास वाली गली मे मैने मिता का हाथ पकड़ा था
अंधेरी गली थी दूर किनारे पर एक लॅंप पोस्ट जल रहा था मेरे हालत बेकाबू होने लगे थे मैने मिता को अपनी ओर खीचा और अपने सीने से लगा लिया उसकी साँसे राजधानी एक्सप्रेस से भी ज़्यादा तेज गति से दौड़ रही थी मेरी बाहों मे झूलते हुए उसने कुछ कहना चाहा पर मैने उसके होंठो पर उंगली रख कर उसको चुप रहने को कहा
मैने मिता की कमर मे हाथ डाला उसने अपनी गर्देन थोड़ा सा उपर को उठाई और उसी पल मैने अपने प्यासे होठ उसके अनछुए लबों पर रख दिए दूर कही एक बिज़्ज़ली काड्की मिता और भी मुझ से लिपट गयी फिर क्या हुआ कुछ याद ना रहा मेरी दुनिया जैसे रुक ही गयी थी ये मेरे जीवन मे पहला मोका था जब मैने मिता को यू छुआ था ये हमारा पहला किस था
जो चिंगारी कही दबी पड़ी थी आज वो जैसे आग ही बन गयी थी ना जाने कब तक मैं उसको चूमता ही रहा अब हाई होश किसे अब हाई चैन किसे किसी मोम की गुड़िया की तरह मिथ्लेश मेरी बाहों मे जैसे पिघल ने लगी थी मैं इस अंधेरी रात मे अपनी प्रेयसी को बाहों मे थामे अंजनी गली मे खड़ा था मेरे पास शब्द ही नही है उन लम्हो को लिखने को
बस कुछ यादे ही बची है खैर , कुछ देर बाद मैं उस से अलग हुआ हमारी साँसे अब बहुत ही तेज़ गति से चल रही थी ना जाने क्यो वो और भी प्यारी लगने लगी थी मिता मूडी और कुछ कदम आगे की ओर चल पड़ी मैं वही रुका रहा तभी मैने उसको पुकारा मिता रुकी पीछे की ओर मूडी और भागकर मेरी बाहों मे समा गयी उसकी इस अदा ने तो साला कलेजा ही निकाल लिया मेरा एक पल मे
उस टाइम ना वो अपने आपे मे थी ना मैं कुछ होश मे था मुहब्बत बरस रही थी चारो तरफ मुझसे रुका ही नही गया मैं फिरसे अपनी प्रेयसी को चूमने लगा उसके सुर्ख होंठो से जैसे आज रस बह चला था मुहब्बत जैसे खुद आज मुझे इश्क़ का जाम परोस रही हो मैं मिता की गर्दन, गालो और होंठो पर चुंबनों की बरसात करने लगा
वो बस मेरे आलिंगन मे मचलती रही जब कुछ खुमारी टूटी तो हमने अपने आप को संभाला मिता ने शरम के मारे अपनी गर्दन झुका ली अब हम दोनो शांत थे तो मैने चुप्पी तोड़ ते हुए कहा कि आओ घर चलते थे रात भी काफ़ी हो गयी थी घर वहाँ से ज्यदा दूर नही था तो हम पैदल पैदल ही चलते हुए घर पहुच गये मिता थोड़ी चुप चाप सी थी
मैने कहा क्या हुआ तो वो कुछ ना बोली मैने उसके चेहरे को उपर किया और फिर से पूछा तो उसने बताया कि पहली बार किस किया तो थोड़ा सा अजीब लग रहा है मैने कहा इसमे अजीब क्या है वो और मैं बिस्तर पर पास पास बैठे हुए थे वो बोली कुछ दिन रुक जाते तो अच्छा रहता मेरा मन भी लगा रहता मैने कहा जान क्या करू मजबूरी है जाना तो पड़ेगा
वो मेरी गोद मे सर रख कर लेट गयी मैं उसकी ज़ुल्फो को सहलाने लगा रात धीमे धीमे बीत रही थी अगली सुबह मुझे निकल जाना था तो मैं भी थोड़ा उदास हो रहा था मैं तो अपनी ज़िंदगी का हर लम्हा बस मिथ्लेश की बाहों मे ही बिताना चाहता था पर चाह कर भी हम साथ टाइम गुज़ार नही पाते थे मिता बोली कश्मीर सेन्सिटिव इलाक़ा है तुम अपना ख़याल रखना
मैं कहा डार्लिंग फ़ौजी की जिंदगी तो भगवान भरोसे है और जब तेरी दुआए साथ है तो फिर मुझे क्या हो सकता है तू बस आवाज़ देना मैं दौड़ा चला आउन्गा बात करते करते मैं मिता के पेट पर अपनी उंगलिया फिराने लगा वो बोली मुझे टच ना करो प्लीज़ मुझे कुछ कुछ होता है मैने कहा होने दो तो वो बोली कि पहले शादी कर्लो फिर कितना भी टच करना मना नही करूँगी
और मुझसे दूर हो गयी आँखो मे नींद तो थी पर कुछ और बाते करना चाहता था तो उस रात बस एक दूसरे की बाहों मे बाते ही करते रहे सुबह हुई तो मैने अपना सामान पॅक कर लिया मिता बहुत ही उदास फील कर रही थी दिल तो मेरा भी नही कर रहा था पर जाना तो था ही तो दो रोटी उसके हाथ की ख़ाके मैं निकल पड़ा एक नये सफ़र की ओर
दिल भारी भारी हो रहा था पर क्या करता कुछ सफ़र बीता था कि उर्वशी का कॉल आ गया पहले तो उसने कल गालियाँ बकि फिर पूछा कि दो दिन से फोन क्यू नही किया तो उसको सिचुयेशन समझाई पर वो कहाँ समझने वाली थी तो लगी रही अपनी धुन मे वो बोली तू वापिस आजा मेरा दिल नही लग रहा है अब उसको कॉन समझाए कि अपना देहरादून से बसेरा छूट गया था
ज़िंदगी भी क्या हो गयी थी अब कुल मिला के तीन लड़किया आ गयी थी जो मेरे दिल के बहुत ही ज़्यादा करीब थी एक मिता, दूसरी निशा , और लास्ट मे उर्वशी निशा की याद आते ही दिल जैसे तड़प उठा ना जाने कहाँ खो गयी थी वो पता नही क्या हालत होंगे उसके यही सोचते सोचते ना जाने कब आँख लग गयी सफ़र भी लंबा था तो सोते सोते ही कटा
ज़िंदगी मे पहली बार भारत के स्वर्ग जाने का मोका मिला था तो एक दिन जम्मू ट्रेसिट कॅंप मे रहने के बाद आर्मी गाडियो मे थका देने वाला सफ़र करके आख़िर मैं श्रीनगर पहुच ही गया बला का खूब सूरत सहर था आरआर मे पहुचने के बाद अपने डॉक्युमेंट्स जमा करवाए दो दिन बाद मुझे ओफ्फिसीयाली ड्यूटी संभालनी थी बंदा अब लेफ्टिनेंट जो हो गया था
पहले दिन अपने सीनियर के साथ जाकर उस पोस्ट का नज़ारा देख लिया जहाँ अपने को अब ड्यूटी पे तैनात होना था श्रीनगर का लाल चौक पता चला अक्सर यहाँ कुछ ना कुछ होता ही रहता था कभी कुछ स्टूडेंट्स मार्च करते तो कभी कुछ मार्केट के दुकानदार तो कभी मिलितंट्स आकर बम ब्लासटिंग कर जाते थे ड्यूटी का पहला दिन था मेरी 6 बन्दो की टीम थी
एक घर के बाहर वाले हिस्से मे छोटी सी पोस्ट बना रखी थी यहाँ से पूरे एरिया का नज़ारा दिखता था तो अपनी 24 अवर्स की ड्यूटी इधर ही थी खाना पीना इधर ही आ जाता था एक दो दिन तो शान्ती से गुजर गये पर इधर ज़्यादा दिन शान्ती नही चलती थी उस दोपहर लंच के बाद मैने कमॅंड संभाली ही थी कि हमारी पोस्ट से कोई 200 मीटर दूर एक वन मे ब्लास्ट हो गया
चारो तरफ अफ़रा तफ़री मच गयी हमने तुरंत अपनी पोज़िशन संभाली 3-4 मिलिटेंट्स थे मेरी पूरी टीम स्ट्राइक पोज़िशन मे आ गयी काफ़ी भीड़ थी तो बहुत प्राब्लम हो गयी थी कॅप्टन सर ने क्लियर कर दिया कि सिविलियल्न्स को बचा के कही बाद मे पंगा ना हो जाए चारो तरफ धुआ, धूल थी पर फिर भी जैसे तैसे करके 1 बंदे को तो पकड़ ही लिया
ये मेरा पहला ओप्रेशन था साला ट्रैनिंग मे तो ये सब बताया ही नही जाता था मेजर साहिब सच ही कहा करते थे कि रियल टाइम मे सिचुयेशन बहुत ही अलग होगी मैं बहुत ही ज़्यादा घबरा गया था क्योंकि इस से पहले मैने तो किसी को थप्पड़ भी नही मारा था मेरी गान्ड फट के हाथ मे आ गयी थी पर ये तो आर्मी वालो की रुटीन लाइफ थी यहाँ पर
धीरे धीरे माहौल मे मैं भी अड्जस्ट होने लगा कुछ दिन और गुजर गये अब मेरी पर्मनेंट ड्यूटी इधर ही थी मुझ मे भी अब कॉन्फिडेन्स आने लगा था एक बार हालत को समझ लो तो ज़्यादा दिक्कत नही आती है वैसे भी तो दिन कट रहे थे मैं छुट्टी के लिए अप्लाइ करना चाहता था पर बात नही बन रही थी ऐसे ही 20 दिन गुजर गये थे
जिस घर के पास हमारी पोस्ट थी वो एक कॉलेज टीचर का घर था और घर मे कुल 3 लोग ही थे सलीम साहिब, उनकी वाइफ रहमत और एक बेटी ज़ोया जो कॉलेज स्टूडेंट थी काफ़ी अच्छे ज़िंदा दिल लोग थे हमारी पोस्ट की वजह से उनको अक्सर परेशानी उठानी पड़ती थी पर कभी कुछ शिकायत नही किया करते थे
दो चार दिन और ऐसे ही गुजर गये कभी कभी रहमत आंटी चाइ वग़ैरा पिला दिया करती थी ड्यूटी भी बस घिसट ही रही थी मुझे जल्दी थी छुट्टी लेने की क्यों कि चाची को बच्चा भी होने वाला ही था मैं घर जाना चाहता था अब पर बात नही बन रही थी मैं भी परेशान हो चला था सीओ साहिब से बात की तो उन्होने कहा आजकल हालत थोड़े टाइट है थोड़े दिन बाद तुम्हारी छुट्टी सॅंक्षन हो जाएगी
कभी कभी मिथ्लेश से बात करता तो मन हल्का हो जाता था उर्वशी के फोन अब कम आते थे उसके फाइनल एग्ज़ॅम्स स्टार्ट हो गये थे तो वो भी बिज़ी ही हो गयी थी घर से रोज ही फोन आता था वो बस चाहते थे कि मैं जल्दी से जल्दी घर आउ पर अपनी मजबूरी कोई ना समझे उन दिनो घाटी मे हालत वास्तव मे बहुत ही ज़्यादा मुश्किल थे हर तरफ बस डर का माहौल था रोज कही ना कही फोजी मूव्मेंट चलती ही रहती थी
लाल चॉक पे एक चाइ नाश्ते की छोटी सी दुकान थी जिसे एक औरत चलाया करती थी उसका नाम तो पता नही था पर थी बला की खूब सूरत 28-29 साल की माशाअल्लाह क्या खूबसूरती थी उसकी जैसे कि मलाई वाले दूध मे किसी ने केसर मिला दिया हो कभी कभी मैं उसकी दुकान पर चाइ पीने चला जाया करता था कश्मीरी मसाले वाली चाइ तो वैसे ही मस्त होती है और जब वो अपने हाथो से बनाती तो फिर बस कहने ही क्या
ऐसे ही एक शाम के टाइम जब अंधेरा हल्का हल्का सा घिर ने लगा था ड्यूटी ख़तम करके मैं उधर चाइ पीने चला गया आज दुकान मे रोनक नही थी मैने उनको सलाम किया और कहा कि छाई मिलेगी तो वो बोली आज दुकान बंद है तो मैने कहा जी कोई बात नही मुझे पता नही था कि आज दुकान बंद है मैं फिर कभी आउन्गा और वापिस जाने के लिए मुड़ा ही था उन्होने आवाज़ दी
उन्होने कहा दुकान तो बंद है पर अगर आप चाहे तो पीछे मेरा घर है आप वहाँ आकर मेरे साथ चाइ पी सकते है मैने कहा जी शुक्रिया पर अभी मैं चलूँगा मैं जान बुझ कर नही गया क्योंकि अक्सर वहाँ के लोग मिलिटेंट्स से मिले होते थे और उनकी मुखबिरी किया करते थे मैं वापिस पोस्ट पर आ गया और एक कुर्सी डाल के बैठ गया रात हो गयी थी
आसमान मे चाँद कही दिख नही रहा था साथी हवलदार ने रेडियो ऑन कर दिया कुछ रोमॅंटिक गाने आ रहे थे बाजार मे हलचल भी कम हो चली थी आज पोस्ट पर हम तीन बंदे ही थे बस तो रात को कोई दो बजे के आस पास की बात है मेरे हवलदार ने मुझसे कहा कि साब अब आप थोड़ी देर सो लीजिए मैं पोस्ट संभालता हू आप सुबह से ही लगे हुए है अब मैं संभालता हू
मैने उसको गन और दूरबीन दी और खुद स्लीपिंग बॅग मे घुस गया किसी तरह से सोया ही था कि तभी किसी धमाके की आवाज़ से वातावरण कांप गया सामने की दुकान मे धमाका हो गया था हम तुरंत आक्टिव हुए मैं थोड़ी नींद मे था तो बस कुछ सेकेंड देर हो गयी एक गोली मेरे साथी को आ लगी मैं बुरी तरह से घबरा गया मेरा दोस्त मेरी बाहों मे झूल गया मुझे कुछ समझ नही आया
हे! राम ये क्या हो गया अचानक वैसे तो पोस्टपर 8-9 बंडो की पूरी टीम होती थी पर आज कुछ रीज़न्स की वजह से बस हम तीन ही थे किसी के भी लिए आसान मोका था हमे टारगेट करने का मैं अब क्या करू साथी को संभालू या वाइयरलेस पे बॅकप बुलाऊ या खुद की प्रोटेक्षन करू मैं उलझ गया मेरा साथी घायल पड़ा था तो मैने कमॅंडिंग ऑफीसर होने के नाते अपना निर्णय लिया
मैने हवलदार को कहा कि अब जो होगा देखा जाएगा तू जवान को संभाल और बॅक अप बुला मैं आर पार करता हू हवाल दार बोला सर हम खुले मे फस गये है अभी जान बचाते है बाकी बाद मे देखलेंगे मैने कहा नही तू मेरा ऑर्डर ले मैने जल्दी से इलाक़े का अब्ज़र्वेशन कर डाला तो पता चला कि टोटल 12 से15 लोग थे और हम बिल्कुल शूट पॉइंट पर थे गंद तो मेरी फट ही रही थी क्योंकि आज मरने मारने का पूरा बंदोबस्त हो गया था
बॅक अप जब तक आता गंद मर जानी थी मैने भगवान का नाम लिया और कहा सच्चे बादशाह आज इज़्ज़त रखना फोजी की और क्लियर प्लान बना लिया मैने अपनी गन ली और हलवदार की भी ले ली मैने सोच लिया था कि आर पार ही होगा जो होगा तभी मुझे एक प्लान आया दो स्ट्रीट लाइट बल्ब जल रहे थे मैने तुरंत ही उनको टारगेट किया और तोड़ दिया अब इलाक़े मे घुप्प अंधेरा था मैने नाइट विषन गॉगल्स पहने और मोर्चा संभाल लिया लोगो को पता तो चल ही गया था कि स्ट्राइक हो गयी है तो सब अपने घरो मे दुबक गये थे वैसे भी उनके लिए ये रोज का काम हो गया था
एक कमीना मुझसे कोई 30 मीटर की दूरी पर था मैं दबे पाँव उसकी ओर बढ़ा नाइट विषन गॉगल्स से बहुत मदद मिल रही थी जैसे ही वो मेरी रेंज मे आया जस्ट शूट और वो ढेर गोली चलने से उनके ग्रूप मे हलचल हो गयी वो कुछ समझ पाते उस से पहले ही मैने 4 बन्दो को ढेर कर डाला अब वो लोग बुरी तरह से झल्ला गये थे और अंधाधुंध फाइरिंग करने लगे
मेरे लिए बड़ी ही मुश्किल हो गयी मैने हवलदार से वाकी टॉकी पे पूछा कि बॅक अप आने मे कितना टाइम तो वो बोला सर टीम चल पड़ी है 15 मिनट मे आ जाए गी पर 15 मिनट बहुत ज़्यादा होते है उस टाइम पता चला मेरा असलाह ख़तम होने को था और अब मैं मेरी पोस्ट और मिलिटेंट्स के बीच मे कही था जिस पानी की टंकी के पास मैने ओट ली थी वही पर अब उनकी फाइरिंग तेज हो चली थी
क्योंकि अब उनकी आँखे भी अंधेरे मे अभ्यस्त हो चली थी मेरी मुश्किले तो बढ़ ही गयी थी तो मैं तेज़ी से फाइरिंग करता हुवा भागा और थोड़ी दूर पड़ी बेंच के नीचे घुस गया पर किसी के चिल्लाने की आवाज़ आई तो मुझे पता चला कि एक ओर गया आज की रात बहुत भारी हो गयी थी
साला बॅक अप आ नही रहा था मेरी गंद मर रही थी मेरा साथी घायल पड़ा था और मैं भी किसी भी पल जा सकता था फ़िल्मो मे एक हीरो इतने गुणडो को मारता है तो सोचते थे कि ताक़त है पर आज असली ज़िंदगी मे पता चल रहा था कि गंद फट ती है तो आवाज़ नही होती है मैने सोचा काहे फोज मे फस गये यार अब मर जाएँगे तो यार दुख होगा
दिमाग़ बहुत ही भारी भारी हो गया था सबकुछ आँखो के सामने घूम रहा था मेरा घर गाँव मिता निशा हर एक बीते पल की याद आँखो के सामने किसी फिल्म की तरह से चलने लगी थी फिर मैं तो रोने ही लगा था फिर फाइरिंग की आवाज़ से मैं धरातल पर आया तो आँसुओ को पोछा और गन संभाल ली
सर बँच से बाहर निकाला तो देखा कि दो आतंकवादी बीड़ी पी रहे है तो बस डाइरेक्ट फाइयर कर दिया पलक झपकते ही दो ऑर गये काम से पर अब भी कई बचे हुए थे मैं उस छोटे से एरिया मे बचता हुवा इधर उधर भाग रहा था तभी पता चला कि मेरे हवलदार ने भी पोस्ट पे मोर्चा संभाल लिया था
तो मुझे थोड़ा सा सुकून हुआ कि चलो अब कुछ तो सहारा मिलेगा मैं गुररिल्ला टेक्निक का प्रयोग करते हुई छुप छुप के एक एक को निशाने मे ले रहा था कुछ को हवलदार ने भी संभाल लिया था पर तभी वो हुआ जो बिल्कुल नही होना चाहिए था दो बंद एक घर मे घुस गये अब हम फँस गये थे ये उसी चाइ की दुकान वाली का घर था
मैं भी उनके पीछे पीछे घर मे एंटर हो गया उन्होने उसको पकड़ लिया था और शील्ड के रूप मे यूज़ करने लगे एक ने चिल्ला कर कहा फ़ौजी हमे जाने दे वरना इसको मार देंगे पर मुझे भी अब जुनून सा छा गया था मैने दीवार की ओट से चिल्लाते हुए कहा कि मार दे मेरी कॉन से घर की है इसको मार चाहे ज़िंदा रख मुझे क्या पर मैं तेरी माँ तो चोद के ही रहूँगा
पर मैं अंदर ही अंदर थोड़ा सा घबरा रहा था क्योंकि घाटी मे वैसे भी लोकल्स आर्मी को पसंद नही करते और अगर कोई सिविलियन मर जाए तो अपनी बॅंड भी बज सकती थी इंटर्नल इंक्वाइरी मे पर फिर सोचा जो होगा देख लेंगे अभी तो खुद की ही लगी पड़ी है फिर मेरा पहला सर्जिकल मिशन था तो मैं थोड़ा सा सावधान ही था अब ये साले हरामखोर लोग उस लेडी को मार भी सकते थे
तो मैने वॉकी-टॉकी पे हवलदार से बाहर की पोज़िशन पूछी तो उसने कहा कि सर ये लोग भी पूरे मूड मे है मैं किसी तरह से संभाल रहा हू अगर जल्दी ही बॅक अप ना आया तो पक्का मरना है आज मैं दोहरी तरफ से फस गया था मेरे दो साथी बाहर थे जिनमे से एक घायल था और इस लेडी की जान भी बचानी ज़रूरी थी पर करूँ क्या समझ नही आ रहा था तो मैने उस घर की लोकेशन को अच्छी से देखा
पर पंगा य था कि घर मे एंट्री का एक ही रास्ता था और कुछ भी करना मॅग्ज़िमम रिस्क था टाइम था नही मेरे पास क्योंकि मेरी पोस्ट भी ख़तरे मे थी दिमाग़ पूरी तरह से सुन्न हो गया था इसको बचाऊ या बाहर जाउ करू तो क्या करू फिर मैने तेज आवाज़ मे कहा इस औरत को मारना है तो मार दे मुझे रियली कोई फरक नही पड़ेगा पर मैं अंदर आ रहा हू तुम्हारी गंद तोड़ने
और मैं दरवाजे को तोड़ते हुए अंदर दाखिल हो गया दाखिल होते ही मैने एक साथ दो काम किए एक तो बचने के लिए ओट ढूंढी और दूसरा कि उन दो मे से एक को शूट कर दिया पर अब भी उनका ही पलड़ा भारी था दूसरा मिलिटंट थोड़ी घबराई सी आवाज़ मे बोला कि दूर हो जा फ़ौजी वरना मैं सच्ची मे मार दूँगा इसको मैने कहा मार दे कितनी बार बोलना पड़ेगा
वो बोला मैं सच मे मार दूँगा मैने कहा इसके मरते ही तेरी गंद मैं तोड़ दूँगा भाग तो तू सकेगा नही और माँ तेरी मैं चोद दूँगा तभी मेरी उस मोहतार्मा से आँखे चार हुई वो बहुत ही बुरी तरह से घबराई हुई थी अब जिसकी जान हलक मे अटकी हो तो उसकी हालत तो टाइट होगी ही ना मैने उसको इशारे से तस्सली दी कि घबराना मत मैं हू ना
तभी वॉकी-टॉकी पे हवलदार का मेसेज आया कि सर जी जल्दी आओ मैं फस गया हू मैने कहा बस दो मिनट संभाल ले मेरे भाई आता हू मैं मैने उस लेडी को इशारा किया कि किसी तरह से एक पल को इस से दूर हो जा तो उसने बिना कुछ सोचे उस बंदे की कलाई मे अपने दाँत गढ़ा दिए जैसे ही वो दर्द से तिलमिलाया मुझे रियेक्शन टाइम मिल गया और गोली सीधे उसकी खोपड़ी मे धँस गयी और भेजा बाहर आ गिरा
पर मेरे पास एक सेकेंड का भी समय नही था मैं तुरंत ही बाहर की ओर दौड़ा और अपनी पोस्ट की ओर भाग चला पर रास्ते मे मेरी तरफ फाइरिंग हुई तो रुकना पड़ा सिचुयेशन का जयजा लिया तो पता चला कि अब भी 3 लोग बचे है पर तभी प्राब्लम हो गयी मेरी राइफ़ल की मागनिज़े ख़तम हो गयी अब मैं निहत्था था पर दुश्मन मेरी रेंज मे था तभी मैने देखा कि पास मे एक तेल का खाली ड्राम पड़ा है
मैने ड्राम उठाया और उसकी तरफ दे मारा वो कुछ संभलता उस से पहले मैने ही उसको संभाल दिया और लात घूँसे से उसको धर लिया और मारने लगा बुरी तरह से उसको मुझे बहुत ही गुस्सा आ रहा था तो अच्छे से गंद तोड़ी उसकी तब तक हवलदार ने बाकी को ठिकाने लगा डाला था तो अब कुल मिला के सिचुयेशन अंडर कंट्रोल हो गयी थी घड़ी मे देखा तो 4 बजने को थे मतलब कि दो घंटे हम फँसे पड़े थे और बहन्चोद बॅकप नही आया था मैने यूनिट मे कॉंटॅक्ट किया
मुझे बहुत गुस्सा आ रहा था मैने कहा मादरचोद बॅकप क्यो नही मिला तो ऑपरेटर ने बता या कि सर वी आर रियली सॉरी पर आज श्रीनगर मे सीरियल से हमला हुवा है जब आपके पास बॅकप फोर्स जा रही थी तो रास्ते मे उनपर ही हमला हो गया और वो लोग वहाँ पर फस गये मैने कहा मेरा एक जवान को गोली लगी है कुछ भी करके आंब्युलेन्स भेजो तो वो बोला की सर आप चिंता ना करे
दस मिनट मे आंब्युलेन्स आपके पास होगा मैं अपने जवान के पास गया और उसका हाल चाल पूछा उसने बताया कि सिर्फ़ पाँव मे गोली लग गयी है जाँघ मे गोली लगी थी ब्लड भी बह गया था शूकर है कि फर्स्ट एड किट पड़ी थी तो थोड़ा सा कंट्रोल था पर उसकी हालत बिकुल भी ठीक नही थी थोड़ी देर मे आंब्युलेन्स आ गयी थी तो उसको जल्दी से हॉस्पिटल के लिए रवाना किया
पर अभी भी काम ख़तम नही हुआ था सभी मिलिटेंट्स की डेड बॉडीस को इकट्ठा किया और काउंटिंग की तो पूरी 21 निकली उनको 1 जगह जमा किया थोड़ी देर मे यूनिट से मेजर, कर्नल, ब्रिगडियर सभी ऑफिसर्स आ गये थे पूरा इलाक़ा जैसे छावनी मे बदल गया था सभी ने मुझे वेल्डन कहा और ऑपरेशन को अच्छे से एक्सेक्यूट करने के लिए बधाई दी
पर मैं बिल्कुल भी खुश नही था मैने सीओ साहिब से कहा कि सर मुझे राइट टाइम पर बॅकप नही मिला ये तो बस किस्मेत अच्छी थी तो उन्होने कहा कि ऑफीसर यहाँ रियल टाइम सिचुयेशन्स होती है हमने टीम भेजी थी पर वो रास्ते मे फस गयी इसलिए प्राब्लम हुआ पर हमेशा ऐसा नही होगा फिर कुछ फॉरमॅलिटीस हुई और मैं सीधा यूनिट बेस कॅंप मे चला गया
सबसे पहले घर पे फोन किया आज तो बाल बाल बचा था पापा को पूरी बात बताई वो भी घबरा गये थे उन्होने कहा कोई सीरीयस चोट तो नही लगी मैने कहा नही पापा बस कुछ खरोचे आई है और थोड़ी थोड़ी सभी से बात की तो दिल को बड़ा अच्छा लगा फिर कुछ नही किया नहा धोके बस सो गया जब मैं शाम को उठा तो पता चला कि सीओ साहिब ने बुलवाया है तो मैं फटा फट पहुच गया
जाते ही एक जोरदार सल्यूट मारा तो उन्होने भी जवाब दिया फिर उन्होने कहा कि ऑफीसर तुम्हारे कल के टास्क के बाद मिलिटरी बोर्ड के सदस्यो ने ये डिसाइड किया है कि अभी घाटी मे अपनी यूनिट के जो भी ऑपरेशन इम्प्लान्ट होने उनमे तुम भी शामिल रहोगे तुम्हारी स्ट्राइक स्टाइल काफ़ी अच्छी है पर तुम अभी नये नये आए हो अगर तुम चाहो तो मना भी कर सकते हो मैं फोर्स नही करूँगा
मैने कहा सर वैसे तो मुझे ड्यूटी से मतलब है आप जहाँ चाहे वहाँ लगा दो पर वो क्या है ना कि मैं नया हू इधर की जियोग्रफी की बारे मे इतना नही पता है और फिर कल की स्ट्राइक से थोड़ा सा डिस्टर्ब भी हू तो आप कुछ दिन मुझे मेरी पोस्ट पर ही रहने दे फिर आप जहाँ चाहो वहाँ भेज देना तो वो बोले ठीक है और हाँ एक बात और दस दिन मे तुम्हारी 1 महीने की छुट्टी सॅंक्षन हो जाएगी
अब मेरे दिल को मज़ा आया मैने कहा तो मैं चलूं सर वो बोले बाहर गाड़ी खड़ी है वो तुम्हे लाल चॉक तक छोड़ आएगी और आगे से थोड़ा ख़याल रखना मेरे लिए मेरा हर जवान मेरे बेटे से भी बढ़कर है मैं किसी भी कीमत पर कॅषुयल्टीस नही चाहता हू मैने कहा डॉन’ट वरी सर और वहाँ से निकल गया और चल पड़ा अपनी पोस्ट के लिए
वहाँ जाकर देखा कि पोस्ट पर कुछ और बंदे बढ़ा दिए गये थे जिनको मुझे ही कमॅंड करना था क्योंकि हमारे कॅप्टन साहिब ने बाजार की दूसरी साइड मे भी एक पोस्ट और बना दी थी जिसपर वो खुद थे वो पूरी रात मैं बस सोया वहाँ पर अगले दिन दोपहर की बात है मैने साथी को कहा की मैं एक राउंड लगा के आता हू तब तक तुम इंचार्ज हो
और उसी चाय की दुकान पे पहुच गया मुझे वहाँ की चाइ वास्तव मे बहुत ही मस्त लगती थी दोपहर का टाइम था तो कुछ खास लोग नही थे मैं काउंटर पे गया और उन्ही मोहतार्मा से कहा कि आज तो चाइ मिलेगी तो वो मुझे देखते ही खुशी से बोली हुजूर आपकी ही दुकान है और झट से मेरे लिए मसाला चाइ और ब्रेड ले आई मैं चाइ की चुस्किया लेने लगा
सफेद बरफ से ढके हुए रास्ते हमने दो कप चाइ ली और चलते चलते ही एंजाय करने लगे मिता के साथ बड़ा ही ख़ुशगवार लग रहा था मोसम भी जैसे आज मिता के मिज़्ज़ाज़ के अनुसार चुहलबाजी करने को तैयार था शिमला मे जो चीज़ सबसे अच्छी लगी वो थे माल यहाँ पर बहुत सी शॉपिंग की हमने प्लान तो था कि पूरा शिमला ही नाप दूं पर समय नही था मेरे पास
मैने मिता से कहा कि अपना हनी-मून हम शिमला मे ही मनाएँगे तो वो शरमा गयी और बोली कि पहले शादी तो कर्लो मैने कहा शादी के लिए मैं तो तैयार हू चाहो तो आज ही कर्लो आओ इसी मंदिर मे कर लेते है वो कहने लगी कि ऐसे कैसे कर लूँ शादी मुझे दुल्हन बनाना है तो मेरे घर बारात लेकर आना फिर मुझे ले जाना मैं कहा कि तुम्हारी तरफ से ही देर हो रही है
वरना मैं तो कब से तैयार हू मिता ने अपनी बाहें मेरे गले मे डाली और कहने लगी की मैं भी तो तैयार ही हू ना जल्दी से वो घड़ी आ जाए जब मैं दुल्हन बन कर तुम्हारे घर आउन्गि हर रात जब मैं सोती हू तो बस यही एक सपना देखती हू की कब तुम्हारे नाम की मेहन्दी मेरे हाथो से सजेगी मैने उसको अपने से चिपकते हुए कहा कि भगवान ने चाहा तो जल्दी ही अपनी मुराद भी पूरी होगी
रात अपने रंग मे रंग चुकी थी पर दो दीवाने सहर की गलिया नाप रहे थे मैं स्ट्रीट पर एक फेमस ढाबा था मिता अक्सर वहाँ जाती रहती थी तो हमने अपना डिन्नर वही करने का प्लान बनाया सच मे कसम से क्या टेस्ट था वहाँ के फुड का और उपर से मिता का साथ आधी रात होने को आई थी पर हम दोनो भटक रहे थे अंजानी गलियो मे
हल्की हल्की बरफ की चादर सड़को पर जैसे बिछ गयी थी मोसम भी आज जैसे कुछ कहना चाह रहा था मैं उस मर्जानी का हाथ थामे चल रहा था सर्द ठंडी रात मे उसकी दहक्ति सांसो की तपिश मेरी रूह को बड़ा आराम दे रही थी आज भी नही भुला हँ मैं शायद रात का 1 बजा था वो कोई चर्च था जिसके पास वाली गली मे मैने मिता का हाथ पकड़ा था
अंधेरी गली थी दूर किनारे पर एक लॅंप पोस्ट जल रहा था मेरे हालत बेकाबू होने लगे थे मैने मिता को अपनी ओर खीचा और अपने सीने से लगा लिया उसकी साँसे राजधानी एक्सप्रेस से भी ज़्यादा तेज गति से दौड़ रही थी मेरी बाहों मे झूलते हुए उसने कुछ कहना चाहा पर मैने उसके होंठो पर उंगली रख कर उसको चुप रहने को कहा
मैने मिता की कमर मे हाथ डाला उसने अपनी गर्देन थोड़ा सा उपर को उठाई और उसी पल मैने अपने प्यासे होठ उसके अनछुए लबों पर रख दिए दूर कही एक बिज़्ज़ली काड्की मिता और भी मुझ से लिपट गयी फिर क्या हुआ कुछ याद ना रहा मेरी दुनिया जैसे रुक ही गयी थी ये मेरे जीवन मे पहला मोका था जब मैने मिता को यू छुआ था ये हमारा पहला किस था
जो चिंगारी कही दबी पड़ी थी आज वो जैसे आग ही बन गयी थी ना जाने कब तक मैं उसको चूमता ही रहा अब हाई होश किसे अब हाई चैन किसे किसी मोम की गुड़िया की तरह मिथ्लेश मेरी बाहों मे जैसे पिघल ने लगी थी मैं इस अंधेरी रात मे अपनी प्रेयसी को बाहों मे थामे अंजनी गली मे खड़ा था मेरे पास शब्द ही नही है उन लम्हो को लिखने को
बस कुछ यादे ही बची है खैर , कुछ देर बाद मैं उस से अलग हुआ हमारी साँसे अब बहुत ही तेज़ गति से चल रही थी ना जाने क्यो वो और भी प्यारी लगने लगी थी मिता मूडी और कुछ कदम आगे की ओर चल पड़ी मैं वही रुका रहा तभी मैने उसको पुकारा मिता रुकी पीछे की ओर मूडी और भागकर मेरी बाहों मे समा गयी उसकी इस अदा ने तो साला कलेजा ही निकाल लिया मेरा एक पल मे
उस टाइम ना वो अपने आपे मे थी ना मैं कुछ होश मे था मुहब्बत बरस रही थी चारो तरफ मुझसे रुका ही नही गया मैं फिरसे अपनी प्रेयसी को चूमने लगा उसके सुर्ख होंठो से जैसे आज रस बह चला था मुहब्बत जैसे खुद आज मुझे इश्क़ का जाम परोस रही हो मैं मिता की गर्दन, गालो और होंठो पर चुंबनों की बरसात करने लगा
वो बस मेरे आलिंगन मे मचलती रही जब कुछ खुमारी टूटी तो हमने अपने आप को संभाला मिता ने शरम के मारे अपनी गर्दन झुका ली अब हम दोनो शांत थे तो मैने चुप्पी तोड़ ते हुए कहा कि आओ घर चलते थे रात भी काफ़ी हो गयी थी घर वहाँ से ज्यदा दूर नही था तो हम पैदल पैदल ही चलते हुए घर पहुच गये मिता थोड़ी चुप चाप सी थी
मैने कहा क्या हुआ तो वो कुछ ना बोली मैने उसके चेहरे को उपर किया और फिर से पूछा तो उसने बताया कि पहली बार किस किया तो थोड़ा सा अजीब लग रहा है मैने कहा इसमे अजीब क्या है वो और मैं बिस्तर पर पास पास बैठे हुए थे वो बोली कुछ दिन रुक जाते तो अच्छा रहता मेरा मन भी लगा रहता मैने कहा जान क्या करू मजबूरी है जाना तो पड़ेगा
वो मेरी गोद मे सर रख कर लेट गयी मैं उसकी ज़ुल्फो को सहलाने लगा रात धीमे धीमे बीत रही थी अगली सुबह मुझे निकल जाना था तो मैं भी थोड़ा उदास हो रहा था मैं तो अपनी ज़िंदगी का हर लम्हा बस मिथ्लेश की बाहों मे ही बिताना चाहता था पर चाह कर भी हम साथ टाइम गुज़ार नही पाते थे मिता बोली कश्मीर सेन्सिटिव इलाक़ा है तुम अपना ख़याल रखना
मैं कहा डार्लिंग फ़ौजी की जिंदगी तो भगवान भरोसे है और जब तेरी दुआए साथ है तो फिर मुझे क्या हो सकता है तू बस आवाज़ देना मैं दौड़ा चला आउन्गा बात करते करते मैं मिता के पेट पर अपनी उंगलिया फिराने लगा वो बोली मुझे टच ना करो प्लीज़ मुझे कुछ कुछ होता है मैने कहा होने दो तो वो बोली कि पहले शादी कर्लो फिर कितना भी टच करना मना नही करूँगी
और मुझसे दूर हो गयी आँखो मे नींद तो थी पर कुछ और बाते करना चाहता था तो उस रात बस एक दूसरे की बाहों मे बाते ही करते रहे सुबह हुई तो मैने अपना सामान पॅक कर लिया मिता बहुत ही उदास फील कर रही थी दिल तो मेरा भी नही कर रहा था पर जाना तो था ही तो दो रोटी उसके हाथ की ख़ाके मैं निकल पड़ा एक नये सफ़र की ओर
दिल भारी भारी हो रहा था पर क्या करता कुछ सफ़र बीता था कि उर्वशी का कॉल आ गया पहले तो उसने कल गालियाँ बकि फिर पूछा कि दो दिन से फोन क्यू नही किया तो उसको सिचुयेशन समझाई पर वो कहाँ समझने वाली थी तो लगी रही अपनी धुन मे वो बोली तू वापिस आजा मेरा दिल नही लग रहा है अब उसको कॉन समझाए कि अपना देहरादून से बसेरा छूट गया था
ज़िंदगी भी क्या हो गयी थी अब कुल मिला के तीन लड़किया आ गयी थी जो मेरे दिल के बहुत ही ज़्यादा करीब थी एक मिता, दूसरी निशा , और लास्ट मे उर्वशी निशा की याद आते ही दिल जैसे तड़प उठा ना जाने कहाँ खो गयी थी वो पता नही क्या हालत होंगे उसके यही सोचते सोचते ना जाने कब आँख लग गयी सफ़र भी लंबा था तो सोते सोते ही कटा
ज़िंदगी मे पहली बार भारत के स्वर्ग जाने का मोका मिला था तो एक दिन जम्मू ट्रेसिट कॅंप मे रहने के बाद आर्मी गाडियो मे थका देने वाला सफ़र करके आख़िर मैं श्रीनगर पहुच ही गया बला का खूब सूरत सहर था आरआर मे पहुचने के बाद अपने डॉक्युमेंट्स जमा करवाए दो दिन बाद मुझे ओफ्फिसीयाली ड्यूटी संभालनी थी बंदा अब लेफ्टिनेंट जो हो गया था
पहले दिन अपने सीनियर के साथ जाकर उस पोस्ट का नज़ारा देख लिया जहाँ अपने को अब ड्यूटी पे तैनात होना था श्रीनगर का लाल चौक पता चला अक्सर यहाँ कुछ ना कुछ होता ही रहता था कभी कुछ स्टूडेंट्स मार्च करते तो कभी कुछ मार्केट के दुकानदार तो कभी मिलितंट्स आकर बम ब्लासटिंग कर जाते थे ड्यूटी का पहला दिन था मेरी 6 बन्दो की टीम थी
एक घर के बाहर वाले हिस्से मे छोटी सी पोस्ट बना रखी थी यहाँ से पूरे एरिया का नज़ारा दिखता था तो अपनी 24 अवर्स की ड्यूटी इधर ही थी खाना पीना इधर ही आ जाता था एक दो दिन तो शान्ती से गुजर गये पर इधर ज़्यादा दिन शान्ती नही चलती थी उस दोपहर लंच के बाद मैने कमॅंड संभाली ही थी कि हमारी पोस्ट से कोई 200 मीटर दूर एक वन मे ब्लास्ट हो गया
चारो तरफ अफ़रा तफ़री मच गयी हमने तुरंत अपनी पोज़िशन संभाली 3-4 मिलिटेंट्स थे मेरी पूरी टीम स्ट्राइक पोज़िशन मे आ गयी काफ़ी भीड़ थी तो बहुत प्राब्लम हो गयी थी कॅप्टन सर ने क्लियर कर दिया कि सिविलियल्न्स को बचा के कही बाद मे पंगा ना हो जाए चारो तरफ धुआ, धूल थी पर फिर भी जैसे तैसे करके 1 बंदे को तो पकड़ ही लिया
ये मेरा पहला ओप्रेशन था साला ट्रैनिंग मे तो ये सब बताया ही नही जाता था मेजर साहिब सच ही कहा करते थे कि रियल टाइम मे सिचुयेशन बहुत ही अलग होगी मैं बहुत ही ज़्यादा घबरा गया था क्योंकि इस से पहले मैने तो किसी को थप्पड़ भी नही मारा था मेरी गान्ड फट के हाथ मे आ गयी थी पर ये तो आर्मी वालो की रुटीन लाइफ थी यहाँ पर
धीरे धीरे माहौल मे मैं भी अड्जस्ट होने लगा कुछ दिन और गुजर गये अब मेरी पर्मनेंट ड्यूटी इधर ही थी मुझ मे भी अब कॉन्फिडेन्स आने लगा था एक बार हालत को समझ लो तो ज़्यादा दिक्कत नही आती है वैसे भी तो दिन कट रहे थे मैं छुट्टी के लिए अप्लाइ करना चाहता था पर बात नही बन रही थी ऐसे ही 20 दिन गुजर गये थे
जिस घर के पास हमारी पोस्ट थी वो एक कॉलेज टीचर का घर था और घर मे कुल 3 लोग ही थे सलीम साहिब, उनकी वाइफ रहमत और एक बेटी ज़ोया जो कॉलेज स्टूडेंट थी काफ़ी अच्छे ज़िंदा दिल लोग थे हमारी पोस्ट की वजह से उनको अक्सर परेशानी उठानी पड़ती थी पर कभी कुछ शिकायत नही किया करते थे
दो चार दिन और ऐसे ही गुजर गये कभी कभी रहमत आंटी चाइ वग़ैरा पिला दिया करती थी ड्यूटी भी बस घिसट ही रही थी मुझे जल्दी थी छुट्टी लेने की क्यों कि चाची को बच्चा भी होने वाला ही था मैं घर जाना चाहता था अब पर बात नही बन रही थी मैं भी परेशान हो चला था सीओ साहिब से बात की तो उन्होने कहा आजकल हालत थोड़े टाइट है थोड़े दिन बाद तुम्हारी छुट्टी सॅंक्षन हो जाएगी
कभी कभी मिथ्लेश से बात करता तो मन हल्का हो जाता था उर्वशी के फोन अब कम आते थे उसके फाइनल एग्ज़ॅम्स स्टार्ट हो गये थे तो वो भी बिज़ी ही हो गयी थी घर से रोज ही फोन आता था वो बस चाहते थे कि मैं जल्दी से जल्दी घर आउ पर अपनी मजबूरी कोई ना समझे उन दिनो घाटी मे हालत वास्तव मे बहुत ही ज़्यादा मुश्किल थे हर तरफ बस डर का माहौल था रोज कही ना कही फोजी मूव्मेंट चलती ही रहती थी
लाल चॉक पे एक चाइ नाश्ते की छोटी सी दुकान थी जिसे एक औरत चलाया करती थी उसका नाम तो पता नही था पर थी बला की खूब सूरत 28-29 साल की माशाअल्लाह क्या खूबसूरती थी उसकी जैसे कि मलाई वाले दूध मे किसी ने केसर मिला दिया हो कभी कभी मैं उसकी दुकान पर चाइ पीने चला जाया करता था कश्मीरी मसाले वाली चाइ तो वैसे ही मस्त होती है और जब वो अपने हाथो से बनाती तो फिर बस कहने ही क्या
ऐसे ही एक शाम के टाइम जब अंधेरा हल्का हल्का सा घिर ने लगा था ड्यूटी ख़तम करके मैं उधर चाइ पीने चला गया आज दुकान मे रोनक नही थी मैने उनको सलाम किया और कहा कि छाई मिलेगी तो वो बोली आज दुकान बंद है तो मैने कहा जी कोई बात नही मुझे पता नही था कि आज दुकान बंद है मैं फिर कभी आउन्गा और वापिस जाने के लिए मुड़ा ही था उन्होने आवाज़ दी
उन्होने कहा दुकान तो बंद है पर अगर आप चाहे तो पीछे मेरा घर है आप वहाँ आकर मेरे साथ चाइ पी सकते है मैने कहा जी शुक्रिया पर अभी मैं चलूँगा मैं जान बुझ कर नही गया क्योंकि अक्सर वहाँ के लोग मिलिटेंट्स से मिले होते थे और उनकी मुखबिरी किया करते थे मैं वापिस पोस्ट पर आ गया और एक कुर्सी डाल के बैठ गया रात हो गयी थी
आसमान मे चाँद कही दिख नही रहा था साथी हवलदार ने रेडियो ऑन कर दिया कुछ रोमॅंटिक गाने आ रहे थे बाजार मे हलचल भी कम हो चली थी आज पोस्ट पर हम तीन बंदे ही थे बस तो रात को कोई दो बजे के आस पास की बात है मेरे हवलदार ने मुझसे कहा कि साब अब आप थोड़ी देर सो लीजिए मैं पोस्ट संभालता हू आप सुबह से ही लगे हुए है अब मैं संभालता हू
मैने उसको गन और दूरबीन दी और खुद स्लीपिंग बॅग मे घुस गया किसी तरह से सोया ही था कि तभी किसी धमाके की आवाज़ से वातावरण कांप गया सामने की दुकान मे धमाका हो गया था हम तुरंत आक्टिव हुए मैं थोड़ी नींद मे था तो बस कुछ सेकेंड देर हो गयी एक गोली मेरे साथी को आ लगी मैं बुरी तरह से घबरा गया मेरा दोस्त मेरी बाहों मे झूल गया मुझे कुछ समझ नही आया
हे! राम ये क्या हो गया अचानक वैसे तो पोस्टपर 8-9 बंडो की पूरी टीम होती थी पर आज कुछ रीज़न्स की वजह से बस हम तीन ही थे किसी के भी लिए आसान मोका था हमे टारगेट करने का मैं अब क्या करू साथी को संभालू या वाइयरलेस पे बॅकप बुलाऊ या खुद की प्रोटेक्षन करू मैं उलझ गया मेरा साथी घायल पड़ा था तो मैने कमॅंडिंग ऑफीसर होने के नाते अपना निर्णय लिया
मैने हवलदार को कहा कि अब जो होगा देखा जाएगा तू जवान को संभाल और बॅक अप बुला मैं आर पार करता हू हवाल दार बोला सर हम खुले मे फस गये है अभी जान बचाते है बाकी बाद मे देखलेंगे मैने कहा नही तू मेरा ऑर्डर ले मैने जल्दी से इलाक़े का अब्ज़र्वेशन कर डाला तो पता चला कि टोटल 12 से15 लोग थे और हम बिल्कुल शूट पॉइंट पर थे गंद तो मेरी फट ही रही थी क्योंकि आज मरने मारने का पूरा बंदोबस्त हो गया था
बॅक अप जब तक आता गंद मर जानी थी मैने भगवान का नाम लिया और कहा सच्चे बादशाह आज इज़्ज़त रखना फोजी की और क्लियर प्लान बना लिया मैने अपनी गन ली और हलवदार की भी ले ली मैने सोच लिया था कि आर पार ही होगा जो होगा तभी मुझे एक प्लान आया दो स्ट्रीट लाइट बल्ब जल रहे थे मैने तुरंत ही उनको टारगेट किया और तोड़ दिया अब इलाक़े मे घुप्प अंधेरा था मैने नाइट विषन गॉगल्स पहने और मोर्चा संभाल लिया लोगो को पता तो चल ही गया था कि स्ट्राइक हो गयी है तो सब अपने घरो मे दुबक गये थे वैसे भी उनके लिए ये रोज का काम हो गया था
एक कमीना मुझसे कोई 30 मीटर की दूरी पर था मैं दबे पाँव उसकी ओर बढ़ा नाइट विषन गॉगल्स से बहुत मदद मिल रही थी जैसे ही वो मेरी रेंज मे आया जस्ट शूट और वो ढेर गोली चलने से उनके ग्रूप मे हलचल हो गयी वो कुछ समझ पाते उस से पहले ही मैने 4 बन्दो को ढेर कर डाला अब वो लोग बुरी तरह से झल्ला गये थे और अंधाधुंध फाइरिंग करने लगे
मेरे लिए बड़ी ही मुश्किल हो गयी मैने हवलदार से वाकी टॉकी पे पूछा कि बॅक अप आने मे कितना टाइम तो वो बोला सर टीम चल पड़ी है 15 मिनट मे आ जाए गी पर 15 मिनट बहुत ज़्यादा होते है उस टाइम पता चला मेरा असलाह ख़तम होने को था और अब मैं मेरी पोस्ट और मिलिटेंट्स के बीच मे कही था जिस पानी की टंकी के पास मैने ओट ली थी वही पर अब उनकी फाइरिंग तेज हो चली थी
क्योंकि अब उनकी आँखे भी अंधेरे मे अभ्यस्त हो चली थी मेरी मुश्किले तो बढ़ ही गयी थी तो मैं तेज़ी से फाइरिंग करता हुवा भागा और थोड़ी दूर पड़ी बेंच के नीचे घुस गया पर किसी के चिल्लाने की आवाज़ आई तो मुझे पता चला कि एक ओर गया आज की रात बहुत भारी हो गयी थी
साला बॅक अप आ नही रहा था मेरी गंद मर रही थी मेरा साथी घायल पड़ा था और मैं भी किसी भी पल जा सकता था फ़िल्मो मे एक हीरो इतने गुणडो को मारता है तो सोचते थे कि ताक़त है पर आज असली ज़िंदगी मे पता चल रहा था कि गंद फट ती है तो आवाज़ नही होती है मैने सोचा काहे फोज मे फस गये यार अब मर जाएँगे तो यार दुख होगा
दिमाग़ बहुत ही भारी भारी हो गया था सबकुछ आँखो के सामने घूम रहा था मेरा घर गाँव मिता निशा हर एक बीते पल की याद आँखो के सामने किसी फिल्म की तरह से चलने लगी थी फिर मैं तो रोने ही लगा था फिर फाइरिंग की आवाज़ से मैं धरातल पर आया तो आँसुओ को पोछा और गन संभाल ली
सर बँच से बाहर निकाला तो देखा कि दो आतंकवादी बीड़ी पी रहे है तो बस डाइरेक्ट फाइयर कर दिया पलक झपकते ही दो ऑर गये काम से पर अब भी कई बचे हुए थे मैं उस छोटे से एरिया मे बचता हुवा इधर उधर भाग रहा था तभी पता चला कि मेरे हवलदार ने भी पोस्ट पे मोर्चा संभाल लिया था
तो मुझे थोड़ा सा सुकून हुआ कि चलो अब कुछ तो सहारा मिलेगा मैं गुररिल्ला टेक्निक का प्रयोग करते हुई छुप छुप के एक एक को निशाने मे ले रहा था कुछ को हवलदार ने भी संभाल लिया था पर तभी वो हुआ जो बिल्कुल नही होना चाहिए था दो बंद एक घर मे घुस गये अब हम फँस गये थे ये उसी चाइ की दुकान वाली का घर था
मैं भी उनके पीछे पीछे घर मे एंटर हो गया उन्होने उसको पकड़ लिया था और शील्ड के रूप मे यूज़ करने लगे एक ने चिल्ला कर कहा फ़ौजी हमे जाने दे वरना इसको मार देंगे पर मुझे भी अब जुनून सा छा गया था मैने दीवार की ओट से चिल्लाते हुए कहा कि मार दे मेरी कॉन से घर की है इसको मार चाहे ज़िंदा रख मुझे क्या पर मैं तेरी माँ तो चोद के ही रहूँगा
पर मैं अंदर ही अंदर थोड़ा सा घबरा रहा था क्योंकि घाटी मे वैसे भी लोकल्स आर्मी को पसंद नही करते और अगर कोई सिविलियन मर जाए तो अपनी बॅंड भी बज सकती थी इंटर्नल इंक्वाइरी मे पर फिर सोचा जो होगा देख लेंगे अभी तो खुद की ही लगी पड़ी है फिर मेरा पहला सर्जिकल मिशन था तो मैं थोड़ा सा सावधान ही था अब ये साले हरामखोर लोग उस लेडी को मार भी सकते थे
तो मैने वॉकी-टॉकी पे हवलदार से बाहर की पोज़िशन पूछी तो उसने कहा कि सर ये लोग भी पूरे मूड मे है मैं किसी तरह से संभाल रहा हू अगर जल्दी ही बॅक अप ना आया तो पक्का मरना है आज मैं दोहरी तरफ से फस गया था मेरे दो साथी बाहर थे जिनमे से एक घायल था और इस लेडी की जान भी बचानी ज़रूरी थी पर करूँ क्या समझ नही आ रहा था तो मैने उस घर की लोकेशन को अच्छी से देखा
पर पंगा य था कि घर मे एंट्री का एक ही रास्ता था और कुछ भी करना मॅग्ज़िमम रिस्क था टाइम था नही मेरे पास क्योंकि मेरी पोस्ट भी ख़तरे मे थी दिमाग़ पूरी तरह से सुन्न हो गया था इसको बचाऊ या बाहर जाउ करू तो क्या करू फिर मैने तेज आवाज़ मे कहा इस औरत को मारना है तो मार दे मुझे रियली कोई फरक नही पड़ेगा पर मैं अंदर आ रहा हू तुम्हारी गंद तोड़ने
और मैं दरवाजे को तोड़ते हुए अंदर दाखिल हो गया दाखिल होते ही मैने एक साथ दो काम किए एक तो बचने के लिए ओट ढूंढी और दूसरा कि उन दो मे से एक को शूट कर दिया पर अब भी उनका ही पलड़ा भारी था दूसरा मिलिटंट थोड़ी घबराई सी आवाज़ मे बोला कि दूर हो जा फ़ौजी वरना मैं सच्ची मे मार दूँगा इसको मैने कहा मार दे कितनी बार बोलना पड़ेगा
वो बोला मैं सच मे मार दूँगा मैने कहा इसके मरते ही तेरी गंद मैं तोड़ दूँगा भाग तो तू सकेगा नही और माँ तेरी मैं चोद दूँगा तभी मेरी उस मोहतार्मा से आँखे चार हुई वो बहुत ही बुरी तरह से घबराई हुई थी अब जिसकी जान हलक मे अटकी हो तो उसकी हालत तो टाइट होगी ही ना मैने उसको इशारे से तस्सली दी कि घबराना मत मैं हू ना
तभी वॉकी-टॉकी पे हवलदार का मेसेज आया कि सर जी जल्दी आओ मैं फस गया हू मैने कहा बस दो मिनट संभाल ले मेरे भाई आता हू मैं मैने उस लेडी को इशारा किया कि किसी तरह से एक पल को इस से दूर हो जा तो उसने बिना कुछ सोचे उस बंदे की कलाई मे अपने दाँत गढ़ा दिए जैसे ही वो दर्द से तिलमिलाया मुझे रियेक्शन टाइम मिल गया और गोली सीधे उसकी खोपड़ी मे धँस गयी और भेजा बाहर आ गिरा
पर मेरे पास एक सेकेंड का भी समय नही था मैं तुरंत ही बाहर की ओर दौड़ा और अपनी पोस्ट की ओर भाग चला पर रास्ते मे मेरी तरफ फाइरिंग हुई तो रुकना पड़ा सिचुयेशन का जयजा लिया तो पता चला कि अब भी 3 लोग बचे है पर तभी प्राब्लम हो गयी मेरी राइफ़ल की मागनिज़े ख़तम हो गयी अब मैं निहत्था था पर दुश्मन मेरी रेंज मे था तभी मैने देखा कि पास मे एक तेल का खाली ड्राम पड़ा है
मैने ड्राम उठाया और उसकी तरफ दे मारा वो कुछ संभलता उस से पहले मैने ही उसको संभाल दिया और लात घूँसे से उसको धर लिया और मारने लगा बुरी तरह से उसको मुझे बहुत ही गुस्सा आ रहा था तो अच्छे से गंद तोड़ी उसकी तब तक हवलदार ने बाकी को ठिकाने लगा डाला था तो अब कुल मिला के सिचुयेशन अंडर कंट्रोल हो गयी थी घड़ी मे देखा तो 4 बजने को थे मतलब कि दो घंटे हम फँसे पड़े थे और बहन्चोद बॅकप नही आया था मैने यूनिट मे कॉंटॅक्ट किया
मुझे बहुत गुस्सा आ रहा था मैने कहा मादरचोद बॅकप क्यो नही मिला तो ऑपरेटर ने बता या कि सर वी आर रियली सॉरी पर आज श्रीनगर मे सीरियल से हमला हुवा है जब आपके पास बॅकप फोर्स जा रही थी तो रास्ते मे उनपर ही हमला हो गया और वो लोग वहाँ पर फस गये मैने कहा मेरा एक जवान को गोली लगी है कुछ भी करके आंब्युलेन्स भेजो तो वो बोला की सर आप चिंता ना करे
दस मिनट मे आंब्युलेन्स आपके पास होगा मैं अपने जवान के पास गया और उसका हाल चाल पूछा उसने बताया कि सिर्फ़ पाँव मे गोली लग गयी है जाँघ मे गोली लगी थी ब्लड भी बह गया था शूकर है कि फर्स्ट एड किट पड़ी थी तो थोड़ा सा कंट्रोल था पर उसकी हालत बिकुल भी ठीक नही थी थोड़ी देर मे आंब्युलेन्स आ गयी थी तो उसको जल्दी से हॉस्पिटल के लिए रवाना किया
पर अभी भी काम ख़तम नही हुआ था सभी मिलिटेंट्स की डेड बॉडीस को इकट्ठा किया और काउंटिंग की तो पूरी 21 निकली उनको 1 जगह जमा किया थोड़ी देर मे यूनिट से मेजर, कर्नल, ब्रिगडियर सभी ऑफिसर्स आ गये थे पूरा इलाक़ा जैसे छावनी मे बदल गया था सभी ने मुझे वेल्डन कहा और ऑपरेशन को अच्छे से एक्सेक्यूट करने के लिए बधाई दी
पर मैं बिल्कुल भी खुश नही था मैने सीओ साहिब से कहा कि सर मुझे राइट टाइम पर बॅकप नही मिला ये तो बस किस्मेत अच्छी थी तो उन्होने कहा कि ऑफीसर यहाँ रियल टाइम सिचुयेशन्स होती है हमने टीम भेजी थी पर वो रास्ते मे फस गयी इसलिए प्राब्लम हुआ पर हमेशा ऐसा नही होगा फिर कुछ फॉरमॅलिटीस हुई और मैं सीधा यूनिट बेस कॅंप मे चला गया
सबसे पहले घर पे फोन किया आज तो बाल बाल बचा था पापा को पूरी बात बताई वो भी घबरा गये थे उन्होने कहा कोई सीरीयस चोट तो नही लगी मैने कहा नही पापा बस कुछ खरोचे आई है और थोड़ी थोड़ी सभी से बात की तो दिल को बड़ा अच्छा लगा फिर कुछ नही किया नहा धोके बस सो गया जब मैं शाम को उठा तो पता चला कि सीओ साहिब ने बुलवाया है तो मैं फटा फट पहुच गया
जाते ही एक जोरदार सल्यूट मारा तो उन्होने भी जवाब दिया फिर उन्होने कहा कि ऑफीसर तुम्हारे कल के टास्क के बाद मिलिटरी बोर्ड के सदस्यो ने ये डिसाइड किया है कि अभी घाटी मे अपनी यूनिट के जो भी ऑपरेशन इम्प्लान्ट होने उनमे तुम भी शामिल रहोगे तुम्हारी स्ट्राइक स्टाइल काफ़ी अच्छी है पर तुम अभी नये नये आए हो अगर तुम चाहो तो मना भी कर सकते हो मैं फोर्स नही करूँगा
मैने कहा सर वैसे तो मुझे ड्यूटी से मतलब है आप जहाँ चाहे वहाँ लगा दो पर वो क्या है ना कि मैं नया हू इधर की जियोग्रफी की बारे मे इतना नही पता है और फिर कल की स्ट्राइक से थोड़ा सा डिस्टर्ब भी हू तो आप कुछ दिन मुझे मेरी पोस्ट पर ही रहने दे फिर आप जहाँ चाहो वहाँ भेज देना तो वो बोले ठीक है और हाँ एक बात और दस दिन मे तुम्हारी 1 महीने की छुट्टी सॅंक्षन हो जाएगी
अब मेरे दिल को मज़ा आया मैने कहा तो मैं चलूं सर वो बोले बाहर गाड़ी खड़ी है वो तुम्हे लाल चॉक तक छोड़ आएगी और आगे से थोड़ा ख़याल रखना मेरे लिए मेरा हर जवान मेरे बेटे से भी बढ़कर है मैं किसी भी कीमत पर कॅषुयल्टीस नही चाहता हू मैने कहा डॉन’ट वरी सर और वहाँ से निकल गया और चल पड़ा अपनी पोस्ट के लिए
वहाँ जाकर देखा कि पोस्ट पर कुछ और बंदे बढ़ा दिए गये थे जिनको मुझे ही कमॅंड करना था क्योंकि हमारे कॅप्टन साहिब ने बाजार की दूसरी साइड मे भी एक पोस्ट और बना दी थी जिसपर वो खुद थे वो पूरी रात मैं बस सोया वहाँ पर अगले दिन दोपहर की बात है मैने साथी को कहा की मैं एक राउंड लगा के आता हू तब तक तुम इंचार्ज हो
और उसी चाय की दुकान पे पहुच गया मुझे वहाँ की चाइ वास्तव मे बहुत ही मस्त लगती थी दोपहर का टाइम था तो कुछ खास लोग नही थे मैं काउंटर पे गया और उन्ही मोहतार्मा से कहा कि आज तो चाइ मिलेगी तो वो मुझे देखते ही खुशी से बोली हुजूर आपकी ही दुकान है और झट से मेरे लिए मसाला चाइ और ब्रेड ले आई मैं चाइ की चुस्किया लेने लगा