06-12-2020, 07:35 AM
तो मैने कहा ये बात है तो चल फिर और हम पहुच गये कॉलेज मे वो किसी प्राइवेट कॉलेज मे पढ़ती थी हाइ रंगे वाले मे तो वहाँ अलग ही दुनिया बसी हुई थी गया तो मैं भी था कॉलेज मी कुछ दिन पर कहाँ सरकारी वाला और कहाँ इसका वाला वो मुझे कॉलेज घुमाने लगी एक दो उसके दोस्तो से भी मिला फिर हम कॅंटीन मे आकर बैठ गये
वो पूछने लगी कि कब जाओगे मैने कहा 8 इन का टाइम है जाय्न करने को सोच रहा हू कल निकल जाउ उर्वशी ने मेरे हाथ पर अपना हाथ रखा और बोली कि एक चीज़ मंगु तो देगा मैने कहा बस मे होगी तो दे दूँगा वो बोली कि एक दिन मेरे साथ रहेगा मैने कहा तेरे साथ ही तो हूँ उसने कहा नही मेरे घर पर चलेगा क्या मैने कहा चल पड़ूँगा
तभी मुझे ख़याल आया कि यार क्या पता इस सुथरी छोरी से कभी मिलना होगा या नही आगे ज़िंदगी मे इसको भी कोई गिफ्ट देना चाहिए तो मैने कहा तू क्लास अटेंड करेगी वो बोली ना आज मैं ऑल क्लास बंक कर गयी हू तो मैने कहा आ फिर बाज़ार चलते है मुझे थोड़ा काम है पहली मैं बॅंक गया कुछ पैसे लिए फिर मैं उसको लेके एक सुनार की दुकान पे गया
मैने कहा उर्वशी जो भी तुझे लेना है ले ले मेरी गिफ्ट है तुझे तो वो बोली कि मंगल सुत्र ले दे मुझे तेरे नाम का मैने कहा सीरीयस हो जा वो बोली मुझे कुछ ना चाहिए मैने ज़िद्द की और उसके लिए एक जोड़ी मस्त पायल ले ही ली उर्वशी बोली तू ही पहना दे मैने कहा ना यार मैं ना पहना सकूँ तू ही पहनले फिर बात करते करते हम थोड़ा आगे की ओर आ गये
पता नही क्यो मेरा दिल कर रहा था कि उर्वशी का साथ हमेशा ही बना रहे पर मुझे तो जाना ही था दिल मे एक विचार आया कि यार ,., होते तो सही रहते 3-4 ब्याह तो कर लेते पर ऐसा कुछ होना नही था तो पूरा दिन उसके साथ यहा से वहाँ भटकता रहा शाम को 4 बजे हम कॅंपस मे आए उसने कहा की रिलीविंग ऑर्डर लेते ही मुझसे फोन कर दिए
मैने कहा ठीक है और मैं अपना काम करने चला गया जो भी उधार शुधार था चुकता किया अपना सारा सामान संभाला और अपने पेपर्स कलेक्ट कर के कह दिया अलविदा इस अकॅडमी को मैने सोचा कि एक दिन पद्मिलनी को रागडूंगा फिर निकल लेंगे जम्मू कश्मीर अब करंट मे रिज़र्वेशन भी नही हो सकता था तो जनरल बोगी मे ही लटक पटक के चले जाउन्गा
शाम 6 बजे मैने उर्वशी को फोन किया और कहा कि आजा तो कोई दस पंद्रह मिनट बाद वो मुझे लेने आ गयी और मैं बैठ गया उसकी स्कूटी पर मैने कहा मुझे पद्मिानी भाभी के घर ड्रॉप कर्दे वो बोली तू मूह बंद कर और चुप करके बैठ और कभी दाई कभी बाए मुड़ते मुड़ते आ गये एक बंग्लॉ के पास तो पता चला कि ये उर्वशी का घर था
उसने मेरी ओर देखा और कहा कि के देखे सै आजया अंदर उसने लॉक खोला और मुझे अंदर ले आई मैने कहा तेरे घरवाले कहाँ है तो उसने कहा कि मम्मी-पापा रोहतक गये सै एक शादी मे 3-4 दिन मे आएँगे मैने कहा और तू मुझे यहाँ ले आई ये तूने ठीक नही किया वो बोली के ठीक ना कारया इब के तू मेरा मेहमान भी ना बनेगा तो मैने कहा वो बात नही है पर
वो बोली पर वर कुछ ना इतनी तो कृशन जिब ही राधा नै ना तडपाया जितना तू मने तड़पावे सै इतना हक भी कोन्या के तू मेरे धोरे एक दिन रह सके मैने कहा यार चल तू जीती मैं हारा ठीक है पर अब मने कुछ बना के भी खिला भूक लगी पड़ी सै तो वो बोली कि मेरे साजन बता के खावेगा वो भी खुवाउन्गी तू बस हुकम कर मैने कहा कुछ भी पड़ा हो वो ही ले आ
उसने कहा तू बैठ मैं अभी तेरे लिए कुछ बनाती हू और किचन मे चली गयी मैं उसके घर को देखने लगा पहली नज़र मे ही पता चलता था कि किसी कड़क ऑफीसर का घर है बड़े ही करीने से हर चीज़ सजाई गयी थी मैने अपने जूते खोले और आँख बंद करके बेड पर लेट गया पालक झपकते ही मुझे झपकी आ गयी और मैं पहुच गया मिथ्लेश के पास सपने मे
थोड़ी सी देर ही सोया था कि किसी ने मुझे जगा दिया मैं कच्ची नींद मे था और उपर से मिथ्लेश का सपना था तो मैने उसको अपनी बाहों मे खीच लिया और अपने उपर लिटा लिया तो वो मुझ से दूर हो गयी और मुझे खड़ा कर दिया मैने जैसे तैसे आँखे खोली और देखा कि उर्वशी मेरे सामने खड़ी है तो मैने कहा क्या हुआ वो हंसते हुए बोली कि कुछ ना मेरा बालम मने साथ सूवा वे था
मैने तुरंत उसको सॉरी कहा और हाथ मूह धोने बाथरूम मे चला गया हाथ मूह धोकर आया और देखा कि उसने सॅंडविच और चाइ बना दी थी उसने कहा कि अभी ये खाले डिन्नर मे कुछ मस्त बना के खिलाउन्गी, मैने कुछ ही देर मे नाश्ता ख़तम कर दिया मैने गोर किया कि उसने कपड़े चेंज करके सूट सलवार पहन लिए थे मैने कहा अरे वाह! तू तो सलीकेदार कपड़े भी पहनती है तो उसने कहा कि घर मे हमेशा वो ये ही पहनती है
फिर वो मेरे पास आकर बैठ गयी और उसकी जाँघ मेरी जाँघ से टच होने लगी थी तो मेरे बदन मे झुरजुरी होने लगी पता नही मुझे क्या हो गया था चूत खुद न्योता दे रही थी परंतु मैं कुछ करना नही चाहता था उर्वशी मुझ से और भी सट गयी और मज़े लेते हुए बोली मेरे प्यारे बलम शरमा क्यू रहे हो कभी किसी नारी को टच नही किया क्या
मैने कहा किया है ना टच भी और ……… तो वो बोली और क्या बता बता मुझे भी तो मैने कहा कि टच भी किया है और सेक्स भी किया है तो वो बोली अरे वाह! फ़ौजी तू बड़ा चालाक निकला ज़रा मुझे भी बता ना किस के साथ तूने रास लीला रचा ली क्या वो तेरी गर्लफ्रेंड थी मैने कहा ना री उसको तो छुआ भी ना आजतक तो वो उत्साहित होते हुए बोली फिर कित मोर्चा मार दिया तूने
मैने कहा तुझे बड़ी पड़ी है और दिखा तो ऐसे रही है जैसे कि तूने कभी ना किया हो तो उर्वशी बोली तेरी सौ मैने ना किया कुछ भी ऐसा मैं तो 16 आने टंच हूँ मैने कहा जा झूठी के तेरा कोई बाय्फ्रेंड ना बना तो वो बोली तू बना है ना इब तन्ने जै टच करली हो तो अलग बात सै बाकी और किसी की के हिम्मत जो मने देख भी ले वा तो तू ही सै जो इस दिल ने काढ़ ले गया
मैने कहा ठीक है जो ना किया कुछ ना रखा बस इक प्यास है जो जितना बुझाओ उतना ही भड़क जाती है उर्वशी अब मेरे इतना पास आ गयी थी कि उसके होठ मेरे होंठो से बस मामूली दूरी पे थे तो उसने कहा कि फोजी मैं तेरे ते कुछ कहना चाहू सूं मैने कहा फेर बोल ना घबरान आली के बात सै तो उर्वशी बोली कि मने आज आज तेरी दुल्हन बना ले
मैने कहा यार पागलों जैसे बात ना करा कर तू बस मेरी दोस्त है तो दोस्ती की हद मे रह मने कल जानो सै शान्ती से निकल जान दे उर्वशी बोली इक आखरी निशानी तो दे जा फ़ौजी मैने कहा यार देख मैं एक सामान्य आदमी हू अगर मेरी इच्छा भड़क गयी ना तो मेरे से कंट्रोल ना हो सकेगा फिर और जोश उतरा पाछे तू भी मने ही दोष देगी
रात भी घिर आई थी टाइम 8 के करीब हो रहा था तो मैने कहा आजा चल बाहर घूमने चलते है और फिर हम तैयार होकर सिटी नाइट का मज़ा लेने चल पड़े उर्वशी बहुत ही एनर्जेटिक लड़की थी तो उसके साथ माहौल हमेशा खुशनुमा बना रहता था हम दोनो एक ओपन रेस्टोरेंट मे पहुच गये मैं उसको कॅंडल नाइट डिन्नर करवाना चाहता था
उर्वशी बोली फ़ौजी जब तू मने प्यार ना करे तो इतने रोमॅंटिक माहौल मे क्यूकर ल्याया सै मैने कहा दिल किया तो ले आया बाते करते करते हम एंजाय करने लगे मैने कहा पेग शेक लिया करे के तो वो बोली ना रे बापू काढ़ देगा घर ते तो मैं हँसने लगा रात की खुमारी अपने शबाब मे थी पूरी रात रोशन थी हमारे चारो तरफ लव बर्ड्स लगे थे प्यार की पींगे बढ़ाने मे
उर्वशी भी पूरी कमीनि थी वो टेबल के नीचे से अपने पाँव को मेरे पाँव पर रगड़ने लगी तो मैने कहा यार छेड़ मत कर पर वो पागल जाटनी किसी की कहाँ मान ने वाली थी मैने कहा आजा आइस-क्रीम खाते है वो बोली सर्दी मे मैने कहा रे बावली आइस-क्रीम का असली मज़ा तो सर्दी मे ही है और ऑर्डर कर दिया पिघलती हुई आइस-क्रीम से भीगे हुए उसके होठ बड़े ही मादक लग रहे थे जी किया कि अभी अपने होंठो से निचोड़ लूँ पर फिर जाने दिया
ठंड भी अब सितम ढाने लगी थी और फिर उर्वशी जैसा माल साथ मैं सोच रहा था कि कही बहक ना जाउ और वो लगी थी मुझे सिड्यूस करने मे उसकी आँखो के नशे को पढ़ लिया था मैने रोमॅन्स मेरी नस-नस मे भरने लगा था तो कुछ देर और वहाँ बैठने के बाद मैने बिल पे किया और स्कूटी का कान मरोड़ दिया वापिस घर की ओर
वो मुझसे कतई चिपक कर बैठी थी जब कभी ब्रेक लगाना पड़ता तो उसकी चूचिया मेरी पीठ मे धसने को बेताब लगती और कुछ वो ज़्यादा अदा भी दिखा रही थी वो बोली एक राइड लगाते है फिर आराम से चलेंगे घर पर तो मैं सड़को पर ऐसे ही स्कूटी घुमाने लगा तभी जुलम देहरादून का मौसम और औरत का कॅरक्टर ना जाने कब फिसल जाए मूसलाधार बारिश आ पड़ी अब भीगने के सिवाय और कोई चारा ना था मैने स्कूटी घर की तरफ लहरा दी
आधे घंटे तक बारिश मे भीगते हुए हम उसके घर पहुचे तो वो अपने गीले कपड़े चेंज करने को बाथरूम मे घुस गयी और मैं इंतज़ार करने लगा पर काफ़ी देर हो गयी वो बाहर ना निकली मैने कहा यार आजा मुझे ठंड लग रही है दो चार बार आवाज़ लगाने पर वो बाहर आई पर जब वो बाहर आई तो मेरा लंड एक झटके मे खड़ा हो गया
उसने एक निक्कर और टी-शर्ट डाल ली थी ऑलमोस्ट उसके कुल्हो तक का हिस्सा पूरी तरह से मुझे दिख रहा था जब उसने देखा कि मैं बड़े ही गौर से उनके हुश्न को निहार रहा हू तो उसने कहा फ़ौजी कदे हॉट छोरी ना देखी के जा कपड़े बदल आ कदे ठंड से ना मर ज्याइए तू कपड़े बदलने के बाद मैने भी पयज़ामा डाल लिया और रज़ाई ओढ़ कर बैठ गया ठंड अब भी लग रही थी
उसने कॉफी बनाई और मेरा कप मुझे देते हुए वो भी रज़ाई की दूसरी साइड से पैर अंदर कर के बैठ गयी उसकी टाँगे मेरी टाँगो से टकराने लगी कॉफी पीते पीते हमारे जिस्म के हार्मोंस आक्टिव होने लगे वो अपने पैर से मेरी जाँघो के हिस्से को छेड़ने लगी थी मैने कहा यार मान जा तो वो बोली कि मैं के कर रही सू मैं तो बस कॉफी पी रही सूं
अब कितनी देर सहन करता ये तो मैने कंट्रोल किया हुआ था वरना अब तक तो पता नही कितनी बार चोद चुका होता इसको मैने भी शरारत करने की सोची और मैने डाइरेक्ट ही अपने पैर का अंगूठा जहाँ चूत होती है है वहाँ रख दिया और दबा दिया उर्वशी एक दम से खांस उठी मैने कहा क्या हुआ तो वो बोली कुछ ,…………. कुछ नही
थोड़ी देर हम ऐसे ही मस्ती करते रहे उसका सीना बार बार उपर नीचे हो रहा था मैं समझ गया था कि ये अब पिघल रही है तो मैने अपनी शरारत बंद कर दी और चुप होके बैठ गया उसने नशीली आँखो से मुझे देखा और कहा कि क्या हुआ रुक क्यो गया मैने कहा वैसे ही तो वो बोली करना मुझे अच्छा लग रहा था और अब वो उठ के मेरी वाली साइड पे आकर बैठ गयी
वो काँपति सी आवाज़ मे बोली फ़ौजी मैने कहा हूँ उसने मेरी आँखो मे देखा मैने उसकी आँखो मे देखा मेरी धड़कन जैसे रुक ही गयी और ठीक उसी पल उर्वशी ने अपने रसीले होंठो को मेरे होंठो से जोड़ दिया जैसे ही ये हुआ फिर मुझे कुछ याद ना रहा मैं भावनाओ मे बह गया वो बड़े ही मज़े से मेरे होंठो को काट रही थी कुरेद रही थी चबा रही थी
15-20 मिनट तक उसके होंठो को अच्छे से चूस डाला मैने फिर मैने अपने हाथ बढ़ाए और उसकी टी-शर्ट को उतार कर फेक दिया पर्पल ब्रा मे क़ैद उसकी चूचिया ब्रा से बाहर आने को मचल रही थी तो मैने ब्रा को हटा कर फेक दिया और उसकी चूचियो को निहारने लगा किसी ट्रक की हेडलाइट की तरह से चमकती उसकी चूचिया बेहद उन्नत और बहुत ठोस थी
मैने तुरंत एक निप्पल को अपने मूह मे भर लिया और दूसरी को अपने हाथ से दबाने लगा उर्वशी की सांस उपर की उपर नीचे की नीचे रह गयी उसने एक तेज आह भारी और अपनी आँखो को बंद कर लिया और लंबी लंबी साँसे लेने लगी मेरे शरीर की नस नस मे अब वासना का बुखार चढ़ गया था अब मैं कंट्रोल कर ही नही सकता था सही ग़लत का ध्यान अब पीछे रह गया था
ज़ाटनी का अनछुआ जिस्म मेरी बाहों मे पनाह माँग रहा था और मैं तो खुद प्यासा था मैं तो भँवरा था और कली आज खुद मुझे अपना रस पिलाने को आतुर थी मैं बारी बारी से दोनो बोबो को मसलता पीता दाँतों से काट ता उसके लबों को चूमता उसकी गर्दन को काट ता सर्द मोसम मे दो गरम भूखे जिस्म अब मैदान मे आ गये थे चूची छोड़ कर मैं उसके पेट की तरफ बढ़ा
और उसकी नवल मे अपनी जीभ डाल कर कुरेदने लगा उर्वशी का पतला सा पेट बुरी तरह से काँपने लगा था जैसे भूकंप मे कोई इमारत थरथराती है वैसे ही उसका नरम नाज़ुक पेट कांप रहा था मैने अपनी उंगलिया उसकी निक्कर मे अटकाई और निक्कर को उतार कर फेक दिया अब बस एक छोटी सी पेंटी मे वो मेरे सामने बेड पर पड़ी थी और किसी नागिन की तरह बल खा रही थी
जैसे ही मेरे हाथ उसकी पेंटी पे टच हुए मुझे पता चला कि किस कदर उसकी चूत गीली थी उर्वशी काँपते हुए स्वर मे बोली लाइट…………………. लाइट बंद कर दो प्लीज़ पर मैने ध्यान नही दिया और उसकी पेंटी को भी उतार दिया पूर्ण रूप से नग्न हुस्न से भरी वो नशे की बॉटल मेरे सामने बिस्तर पड़ी मुझे खुला निमंत्रण दे रही थी कि आजा चख ले मुझे
मैने उसकी टाँगो को फैलाया तो देखा कि कसम से चूत तो ये थी चौड़ी फांको की जगह बस एक लाइन सी थी और ऐसा लगता था कि जैसे कभी बाल तो वहाँ पर उगे ही नही थे एक दम अन्छुइ कली थी वो चूत की दरार के नाम पर बस जैसे कि किसी ने पेन्सिल से एक पतली सी रेखा खीच दी हो उसके रूप की दीवानगी जो चढ़ि फिर मुझ पर तो बस मैं तो खो ही गया
जब मैने अपनी उंगलियो को उसकी चूत से टच किया तो उर्वशी ने अपनी जाँघो को भीच लिया और कहा कि प्लेज अंधेरा कर दो तो मैने लाइट बंद कर दी और अपनी उंगलियाँ हौले हौले से उसकी चूत पर फिराने लगा उसके बदन की थिरकन बढ़ने लगी उर्वशी की सांसो की आवाज़ उस खामोशी को चीर रही थी फिर जब मुझसे रुका ना गया तो मैने उसकी टाँगो को चौड़ा किया और अपने प्यासे तपते होंठो को उसकी चूत पर रख दिया ठीक उसी पल उर्वशी के बदन मे जैसे भूचाल आ गया मैने जीभ को लंबी किया और उसकी चूत से जो चिपचिपा पानी निकल रहा था उसको एक सुडपे से चाट लिया था
मेरी जीभ का खुरदुरा पन उर्वशी के प्रत्येक अंग मे ज्वाला जला रहा था वो अपनी सुडोल टाँगो को पटकने लगी थी वो बेशक कुछ बोल नही रही थी परंतु उसकी खामोशी ही उसकी कहानी बया कर रही थी मैने उंगलियो की सहयता से उसकी छोटी-छोटी फांको को फैलाया और उसके छोटे से छेद पर अब अपना मूह लगा दिया उर्वशी की चूत बहुत तेज़ी से पानी बहा रही थी
मेरे होठ पूरी तरह से उसके काम रस से भीग गये त पर मुझे कोई परवाह नही थी भाग्यवान था मैं जो उस कुँवारी चूत के रस को सबसे पहले पीने का मौका मुझे मिला था कभी मैं उसकी चूत के छेद को चाटू कभी मैं उसके दाने को दाँतों से काटू पल प्रतिपल उर्वशी बेकाबू होते जा रही थी वो अपने हाथो से मेरे सर को अपनी चूत पर दबाए जा रही थी
जैसे कि कह रही हो कि पूरे सर को ही चूत मे डाल दो मैं बेफिकर उसकी चूत और जाँघो पे लगे उस खारे पानी को चाटे जा रहा था जितना मैं उसे सॉफ करता चूत से उतना ही पानी और बह चलता फिर मैने उसकी चूत छोड़ी और उसके उपर लेट के उसके अधरों से अपने होठ मिला लिए और उसको पिलाने लगा जो पानी मेरे होंठो पर लगा था वो अब उर्वशी के मूह मे जाने लगा
मेरा लंड पाजामा से बाहर निकल कर उसकी चूत मे घुसने को बेताब था कुछ देर उसके होंठो को निचोड़ने के बाद मैं फिर से उसकी चूत पर आ गया और उसकी टाँगो को दुबारा से खोलते हुए अपनी जीभ को जहाँ तक सरका सकता था चूत मे सरका दी पर तंग गली थी उसकी चूत पर कोशिश तो करनी ही थी उर्वशी की साँसे बेकाबू घोड़े की तरह भाग रही थी
उसका जिस्म भी उसका साथ अब छोड़ने ही वाला था चूत बहुत ही ज़्यादा चिकनी हो गयी थी उसके कूल्हे एक अंजानी ताल पर थिरकने लगे थे और फिर सहसा ही उसका पूरा बदन अकड़ गया और एक तेज चीख मारते हुए वो मेरे मूह के उपर ही झड़ने लगी उसने मेरे सर को बुरी तरह से अपनी योनि के मूह पर दबा लिया और अपने चरम सच को प्राप्त करने लगी
जब वो निढाल हो कर पड़ गयी तो मैने अपना मूह चूत पर से हटाया और साइड मे लेट गया कुछ पल अपनी सांसो को नियंत्रित किया फिर मैं अंधेरे मे ही पानी लेने रसोई मे चला गया वापिस आया तो मैने लाइट जला दी उर्वशी ने मुझे देखा और रज़ाई को अपने बदन पर ले लिया मेरा लंड पेंट मे तंबू बनाए हुआ था मैने एक सांस मे ही आधी बॉटल खाली कर दी
उर्वशी बेड से टेक लगा कर बैठ गयी हालत पे कुछ काबू आया तो मैने कहा कि कमिनि ये तूने मुझसे क्या करवा दिया मैने सोचा था कि मैं तुझे इस हालत मे नही लाउन्गा पर ये क्या कर दिया मैं तो वो बोली मेरी तो यही मर्ज़ी है अब तू देर ना कर जल्दी से मुझे अपनी बना ले
मैं शांत स्वर मे कहा कि उर्वशी ये ग़लत है अभी तू सो जा मैं नीचे सो जाता हू सुबह बात करेंगे तो उसने रज़ाई हटा दी और बोली कि देख इधर मैं अपना सबकुछ तुझे अर्पण करने को लाज शरम त्याग के बैठी हू और साहिब अब ग्यान दे रहा है वो उठाकर मेरे पास आई और मेरे लंड को हाथ मे पकड़ के बोली कि फ़ोज़ी दम ना सै के इसमे और मेरे लंड को अपनी मुट्ठी मे कस लिया
मैने कहा दम तो बहुत है पर तू समझ अगर मैं तुझे चोद के आज चला गया तो मेरे दिल मे सदा ये बोझ रहेगा कि मैने एक पवित्र छोरी को खराब कर दिया जिसकी आत्मा शुद्ध थी हालाँकि कही मेरा दिल मुझसे कह रहा था कि सोच मत चोद इसको जल्दी चोद पर मैने धृड निस्च्य कर लिया था उर्वशी बोली मने ना सुन नी तेरी बकवास जिब मैं राज़ी राज़ी तन्ने कह रही सूं तो करले
और उसकी बात सच भी थी ऐसी करार माल को कोई भी नही छोड़ता पर ना जाने क्यो वो मेरे दिल के किसी कोने मे रहने लगी थी तो मैं परवाह करता था उसकी मैने सॉफ सॉफ मना कर दिया उसकी उसने मेरे पयज़ामे और कच्छे को नीचे सरका दिया और मेरे लंड को ज़ोर ज़ोर से हिलाने लगी मैने उसको हटाया और बेड पर पटक दिया मैने कहा पानी पी और ज़रा समझ
पर जब चूत मे आग लगी ही तो कॉन किसकी समझे वो मुझे गालियाँ देने लगी पर मैं कुछ ना बोला मैं खुद को इतना बेबस पा रहा था पता नही क्यो मेरे हाथ उसके जिस्म को छूने से कतरा रहे थे मैने उसके कपड़े उठाए और उसको देते हुए कहा कि प्लीज़ अगर तुम थोड़ी बहुत भी मेरी इज़्ज़त करती हो तो इनको पहन लो उसने कुछ देर मुझे गुस्से से देखा और फिर अपने कपड़े पहन ने लगी
मैने उसको थोड़ा पानी पिलाया पर वो शांत नही थी और मेरे मन मे भी एक द्वन्द शुरू हो गया था उसकी आँखो से बहते आँसू मुझे विचलित कर रहे थे इसी लिए तो मैं किसी बंधन मे नही बंधना चाहता था मेरा दिल मे कुछ तो था उस मर्जानी के लिए जो मैं एक्सप्रेस नही कर सकता था क्योंकि कुछ राज अगर दफ़न ही रहे तो सबका भला होता है
मैने रुमाल लिया और उसकी आँखो से बहते पानी को सॉफ करते हुए कहा उर्वशी प्लीज़ मान जा आज की रात को इतनी मुश्किल ना बना कि फिर सुबह कुछ कहने को बाकी ही ना रहे मुझे आज की रात किसी तरह काट लेने दे इसे और भारी मत बना उर्वशी मैं मजबूर हूँ वरना इतना टाइम कभी नही लगाता तू मेरे दिल मे बसी है मुझे सेक्स का कोई लालच नही है
जाना है तो हँसी खुशी विदा कर्दे उर्वशी मेरे सीने से लग गयी और फुट-फुट कर रोने लगी अब मैं क्या कहता ग़लत आदमी से मुहब्बत कर बैठी थी वो और मैं करूँ भी तो क्या अगर इसका हाथ थाम लूँ तो बेवफा केह्लाउन्गा और ना थामू तो इसका मुहब्बत से विश्वास उठ जाएगा करूँ तो क्या करू कुछ समझ ना आए मैने उसको रोने दिया जब तक की उसके दिल का बोझ हल्का ना हो गया
ये दर्द भी कुछ ऐसा था कि इसका इलाज बस वक़्त ही कर सकता था वो कहते है ना कि दिल भी अपना और दर्द भी अपना जब उर्वशी कुछ नॉर्मल हुई तो मैं उसको बाथरूम मे ले गया और उसका मूह धुल्वाया रात आधे से ज़्यादा बीत गयी थी और हम दोनो की खामोश साँसे एक दूसरे से कई सवाल पूछ रही थी तो मैं उसको अपनी बाहों मे लिए लिए ना जाने कब सो गया
सुबह करीब 9 बजे मेरी नींद टूटी तो मैने देखा की उर्वशी बिस्तर पर नही थी मैं उठा तो देखा की वो किचन मे कुछ बना रही थी उसने मुझे देखा और कहा उठ गये मैने कहा हाँ वो नॉर्मल रहने की कोशिश कर रही थी उसने कहा मैं चाइ बना दूं मैने कहा हाँ कुछ देर बाद वो और मैं चाइ पी रहे थे मैने कहा उर्वशी तो वो बोली हाँ मैने कहा कल रात को एक ख्वाब समझ कर भूल जाना और जल्दी ही तुम कोई अच्छा लड़का देख कर शादी कर लेना
उसने कोई जवाब नही दिया बस चुप चाप चाइ पीती रही थोड़ी देर बाद उसने खाना लगा दिया एक अजीब सी तन्हाई आकर खड़ी हो गयी थी हमारे बीच मे पर ठीक ही था मैं उर्वशी की बस अच्छी यादे अपने साथ लेकर जाना चाहता था मर ही तो गया था उस पर मैं रात को काफ़ी ऐसे नझुक लम्हे आए थे कि बस टूट कर बिखरने से बाल बाल ही तो बचा था मैं
तो खामोशी को तोड़ते हुए उर्वशी ने कहा कि मेरी एक बात मानेगा मैने कहा बता तो उसने कहा कि आज आज और रुक जा तू मेरे साथ वैसे भी अभी काफ़ी टाइम है ड्यूटी जाय्न करने मे मैने कहा एक दिन क्या दो दिन रोक ले तो उसके चेहरे पर एक फीकी सी मुस्कान आ गयी वो टूट ती हुई आवाज़ मे बोली तू भी मने प्यार करे सै ना मैने कहा बस एक इसी सवाल का जवाब नही है
हम दोनो फिर खामोश हो गये और अपनी प्लेट खाली करने लगे तो मेरे फोन की घंटी ने इस खामोशी को तोड़ा मैने देखा पद्मिीनी का फोन था उसने पूछा कहाँ हो तुम तो मैने कहा कि फ्रेंड के घर हू उसने कहा मैं तो घबरा ही गयी थी कि तुम बिना बताए ना चले गये हो उसने कहा कि घर आ जाओ मैने कहा आता हू कुछ देर मे दो चार बात और हुई और फिर मैने फोन रख दिया
आज सर्दी बहुत ही तेज पड़ रही थी मेरा नहाने का बिल्कुल मूड नही था तो मैं रज़ाई मे दुबक गया थोड़ी देर बाद उर्वशी भी अपना काम ख़तम करके मेरे पास आ गयी और रज़ाई को ओढ़ते हुए बोली कि फ़ौजी तन्ने उत मेरी याद आया करेगी मैने कहा अब याद है आए तो आ जाए ना आए तो ना आए ये तो डिपेंड करता है यादो पे वो बोली सीधे सीधे बता ना
मैने कहा यार तू भी कैसी बात करती है तेरी याद तो हमेशा आएगी वो संजीदा होते हुए बोली जब इसी बात सै तो फेर कर ले ना यह मेरे गेल मैने कहा यार तू घुमा फिरा के इधर ही आ जाती है वो मेरी आँखो मे देखते हुए बोली फ़ौजी एक वचन दे सके सै तू मने
मैने कहा हम बिल्कुल तो वो बोली कि धर मेरे सिर पे हाथ और कसम खा मैने उसके सर पर हाथ रखा और कहा कि मेरा वचन है कि ब्याह के अलावा तू जो भी कहेगी मैं तेरी मानूँगा तो वो बोली तू कल चला ज्यागा ईक दिन की खातिर मने तेरी लुगाई बना ले उर्वशी उठी और अपनी मम्मी की सिंदूर की डिबिया ले आई और बोली कि ले यो सिंदूर मेरी माँग मे भर के मने तेरी एक दिन की लुगाई बन ज्यान दे
मैने काफ़ी देर सोचा वो मेरे जवाब का इंतज़ार कर रही थी तो मैने कहा कि ठीक सै तू करले तेरी मन चाही पर कल को मने कोई दोष ना देगी और आज के बाद तेरी ज़िंदगी मे कदे भी मेरा जिकर ना करेगी वो बोली तन्ने ना भूल सकूँ मैं मैने कहा देख तेरी शर्त तो मैं पूरी कर दूँगा पर करूँगा अपने तरीके से तो उर्वशी किसी चिड़िया की तरह से चहकने लगी
वो बोली तू रुक मैं थोड़ी देर मे आउ सूं और बाथरूम मे भाग गयी करीब आधे घंटे बाद जब वो बाहर निकली तो उसके शरीर पे बस एक तौलिया ही था जो उसके योवन का भार संभाले हुए था उर्वशी बोली मैं चाहू सूं की तू आज मेरा सोलह शृंगार करे उसने मेरा हाथ पकड़ा और खुद के कमरे मे ले आई उसने अपनी अलमारी खोली और कहा
फ़ौजी जो भी कपड़ा तन्ने अच्छा लगे वो पहना मुझे आज तू सज़ा तेरी एक दिन की लुगाई ने ठंड के उस माहॉल मे भावनाओ की गर्मी जैसे बह चली थी इतना हक तो मिथ्लेश ने भी नही दिया था मुझे कभी और ये पगली कुछ ही दिनो की मुलाकात मे इतना करीब आ गयी थी उसकी झील सी गहरी आँखो मे मैं जैसे खो ही गया था उसमे ना जाने कैसा जादुई आकर्षण था
विधाता ने ना जानी किस अंजान डोर से मुझे उसके साथ बाँध दिया था मैं उसकी आँखो मे डूब ही जाने को था कि उसकी आवाज़ मुझे धरातल पे ले आई उसने कहा इतने जाड़े मे मैं कब तक यूँ खड़ी रहूंगी मैने उसकी अलमारी मे देखा तो एक सुर्ख लाल रंग की साड़ी दिखी मैने वो निकाल ली उर्वशी चहकते हुए बोली वाह लाल जोड़ा मेरे लिए
मैं बस हल्का सा मुस्कुरा दिया मैने उर्वशी को अपनी ओर खीचा तो उसका तौलिया खुल कर गिर गया उसने भी अपने शरीर को छुपाने की कोई कोशिश नही की उसके बदन से टपकती पानी की शबनबी बूंदे मैने अपनी जीभ निकाली और उसकी गर्दन से रिस्ते पानी को चाटने लगा उर्वशी ने अपनी बाहें मेरे गले मे डाल दी मैने फिर उसके माथे पर एक चम्बन अंकित किया
और फिर उसको आईने के सामने खड़ी कर दिया आदमकद आईना भी उसकी खूबसूरती देख के शरमाने लगा बड़े ही प्यार से उसके प्रत्येक अंग को मैने तौलिए से पोछा और फिर उसके बदन को सहलाने लगा लाज़ के मारे उर्वशी ने अपनी आँखो को मूंद लिया वो मेरे आगे खड़ी थी मैने उसकी कमर मे हाथ डाला तो वो पीछे की ओर हो गयी मैं हौले हौले उसके बदन को सहलाने लगा
मेरा लंड तन चक्का था और उसके कुल्हो की दरार मे घुसने को बेताब हो रहा था पर ये एक ऐसी फीलिंग थी जिसे मैं रोक नही सकता था उसको उसके पेट को सहलाते सहलाते मैं अपने हाथो को थोड़ा सा उपर की ओर ले गया और उसके रूई से भी ज़्यादा नरम उभारों को अपनी मुट्ठी मे क़ैद कर लिया और कस कर दबा दिया उसके होंठो से एक दर्द भरी लेकिन मस्ती से भरपूर आह निकल गयी
उसकी चूचियो की निप्पल्स को अपनी उंगलियो से अच्छी तरह से मर्दन करने के बाद मैने अपने हाथ हटा लिए और पास रखी ब्रा को उसकी वक्ष-स्थल पर लगा कर पीठ पर पहुच कर ब्रा के हुको को जोड़ दिया मैने ब्रा को कुछ ज़्यादा ज़ोर से कस दिया तो उर्वशी ने एक आह भरी जो सीधे मेरे दिल मे उतर गयी मेरे हाथ काँपने लगे थे बड़ा ही मुश्किल लम्हा था मेरे लिए
ब्रा पहनाने के बाद मैने उसको घुमा कर अपनी तरफ किया उसकी होठ लगातार कांप रहे थे मैने अपने हाथ उसकी मांसल चौड़े कुल्हो पर रखे और उनको हल्का सा दबा लिया उर्वशी पूरी कोशिश कर रही थी खुद पर कंट्रोल कायम रखने की बड़ी ही नाज़ूक्ता से मैं उसके कुल्हो को सहलाता रहा फिर मैने उसको पास रखी स्टूल पर बिठा दिया
मैं फरश पर बैठ गया और अपने हाथो सी उसकी चिकनी जाँघो को सहलाने लगा मैने बॉडी लोशन की शीशी उठाई और उसकी जाँघो पर मलने लगा एक तो उसकी जांघे वैसे ही काफ़ी चिकनी थी और फिर कुछ बॉडी लोशन का असर मैं उसकी जाँघो पिंडियो पर अच्छे से अपने हाथ चला रहा था ठंड अब कुछ ज़्यादा ही तेज हो गयी थी पर उसके बदन की गर्मी भी कुछ कम नही थी
मैने उसकी टाँगो को फिर फैलाया तो जन्नत का द्वार मेरी आँखो क सामने था उसकी योनि कांप रही थी तो मैने अपने चेहरे को उसकी योनि पर झुका दिया और उसकी छोटी सी चूत को अपने मूह मे भर लिया नमकीन पानी का स्वाद जैसे ही मेरी जीभ को मिला लगा जैसे साक्षात अमृत पान ही कर लिया हो मैने चूत की खाल को जैसे ही अपने दाँत से थोड़ा सा काटा उर्वशी के गले से एक चीख उबल पड़ी
वो कराही रे साजन तेरा जुलम !!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!! मैं ना चाहते हुए भी उसकी करारी चाशनी से भरी चूत को चाटने लगा था उर्वशी हल्के हल्के से मोनिंग करने लगी थी योनि की पतली सी दरार को मैं अपनी लपलपाति हुई जीभ से कुरेद रहा था उर्वशी को स्टूल पर बैठना अब मुश्किल होने लगा था क्योंकि उसके कूल्हे अब वासना के गीत की ताल पर थिरकने लगे थे
तो वो उठ कर बेड की किनारे पर अपनी टाँगे फैला कर बैठ गयी और एक भँवरा फिर से कली का रस पीने को तैयार हो गया उसकी चूत से जो रस निकल रहा था वो बड़ा ही कमाल था मस्ती से सारॉबार उर्वशी ने अपनी टाँगो को उपर की तरफ उठा लिया और मज़े से मेरी जीभ के घर्षण को अपनी चूत पर महसूस करने लगी उसका हुस्न अब अपने चरम पर था
जब मेरे दाँत उसकी जाँघो और कुल्हो के निचले हिस्से पर बाइट करते तो उसकी हालत देखने लायक थी ऐसे ही पूरे मज़े से वो अपने अंत की ओर बढ़ रही थी यी जिस्मो का खेल भी अजीब बनाया बना ने वाले ने जब ये आग लगे तो बड़े से बड़ा समुंदर भी इस आग की तपन को कम ना कर सके कैसी ये विडंबना थी
हर गुजरती हुई घड़ी के साथ उसकी सिसकारिया अब बढ़ती ही जा रही थी और फिर एक तेज आवाज़ के साथ उसने अपना सारा पानी मेरे मूह मे छोड़ दिया और तृप्त हो गयी उसका शरीर शिथिल हो गया मैने पास ही पड़ा तौलिया उठाया और उसकी चूत को अच्छे से सॉफ कर दिया और पेंटी पहना दी
मैने कहा यार मुझे साड़ी पहना नी नही आती है तो ये तू खुद ही पहन ले तो उसने भारी भारी सांस लेते हुए कहा ना साजन आज तो तू ही पहनाएगा तो मैने कहा तू बता ज़रा मैं ट्राइ करता हू तो उसके कहे अनुसार उसकी साड़ी बाँध ही दी सुर्ख लाल सॅडी ने उसके अनुपम सौन्दर्य को और भी ज़्यादा निखार दिया था उसकी खिले हुए रूप को देखकर मेरे दिल ने बग़ावत कर ही दी
दिल से एक आवाज़ आई कि भर ले इसको अपनी बाहों मे पर साला दिल तो दिल है कही भी फिसल जाता है वो बोली के देखो सो मैने कहा तन्ने देखु सूं अक तू इतनी बटुए सी सुथरी क्यूकर सै सच ही तो कह रहा था मैं किसी कयामत से कम नही लग रही थी उर्वशी फिर मैने उसके चेहरे पर फेस-क्रीम लगाई और लिपीसटिक की स्टिक ले कर उसके होंठो पर लगाने लगा
जब मैं लिपीसटिक को उसके होंठो पर फेर रहा था तो उसके होठ आहिस्ता आहिस्ता लरज रहे थे तो बड़े ही प्यारे लग रहे थे जी चाहा कि इनका रस सदियो तक निचोड़ ता ही रहूं कुछ उसका भी हाल ऐसा ही था काश मैं दिल की बात पढ़ पाता तो उसके दिल के अंदर जो भी चल रहा था वो सब मैं आपको बता पाता वो लगभग तैयार हो ही चुकी थी
उसके बालो से बेहद ही मादक सुगंध आ रही थी मैने उसके गीले बालों को पोछा और फिर उनमे तेल लगाने लगा फिर कंघी की सहयता से उनको सुलझा दिया उर्वशी बोली जुड़ा बना दो तो मेरे मूह से बरबस ही निकल गया कि रहने दो अच्छे लगते है खुले बाल मुझे तो उर्वशी शरमा गयी रूप जैसे फुट पड़ा था उसके रूप की चाँदनी से मेरी आँखे भी चमक उठी थी
उसके तैयार होने के बाद मैने कहा आ अब पद्मिीनी भाभी के घर चलते है और कुछ पलों बाद हम दोनो निकल पड़े पद्मिानी भाभी ने जब इस रूप मे उर्वशी को देखा तो वो पलक झपकाना ही भूल गयी उन्होने मुझे किचन मे बुलाया और पूछा कि क्या बाद है इसको भी लपेट दिया क्या तो मैने कहा क्या भाभी आप भी ये तो बस दोस्त है
वो पूछने लगी कि कब जाओगे मैने कहा 8 इन का टाइम है जाय्न करने को सोच रहा हू कल निकल जाउ उर्वशी ने मेरे हाथ पर अपना हाथ रखा और बोली कि एक चीज़ मंगु तो देगा मैने कहा बस मे होगी तो दे दूँगा वो बोली कि एक दिन मेरे साथ रहेगा मैने कहा तेरे साथ ही तो हूँ उसने कहा नही मेरे घर पर चलेगा क्या मैने कहा चल पड़ूँगा
तभी मुझे ख़याल आया कि यार क्या पता इस सुथरी छोरी से कभी मिलना होगा या नही आगे ज़िंदगी मे इसको भी कोई गिफ्ट देना चाहिए तो मैने कहा तू क्लास अटेंड करेगी वो बोली ना आज मैं ऑल क्लास बंक कर गयी हू तो मैने कहा आ फिर बाज़ार चलते है मुझे थोड़ा काम है पहली मैं बॅंक गया कुछ पैसे लिए फिर मैं उसको लेके एक सुनार की दुकान पे गया
मैने कहा उर्वशी जो भी तुझे लेना है ले ले मेरी गिफ्ट है तुझे तो वो बोली कि मंगल सुत्र ले दे मुझे तेरे नाम का मैने कहा सीरीयस हो जा वो बोली मुझे कुछ ना चाहिए मैने ज़िद्द की और उसके लिए एक जोड़ी मस्त पायल ले ही ली उर्वशी बोली तू ही पहना दे मैने कहा ना यार मैं ना पहना सकूँ तू ही पहनले फिर बात करते करते हम थोड़ा आगे की ओर आ गये
पता नही क्यो मेरा दिल कर रहा था कि उर्वशी का साथ हमेशा ही बना रहे पर मुझे तो जाना ही था दिल मे एक विचार आया कि यार ,., होते तो सही रहते 3-4 ब्याह तो कर लेते पर ऐसा कुछ होना नही था तो पूरा दिन उसके साथ यहा से वहाँ भटकता रहा शाम को 4 बजे हम कॅंपस मे आए उसने कहा की रिलीविंग ऑर्डर लेते ही मुझसे फोन कर दिए
मैने कहा ठीक है और मैं अपना काम करने चला गया जो भी उधार शुधार था चुकता किया अपना सारा सामान संभाला और अपने पेपर्स कलेक्ट कर के कह दिया अलविदा इस अकॅडमी को मैने सोचा कि एक दिन पद्मिलनी को रागडूंगा फिर निकल लेंगे जम्मू कश्मीर अब करंट मे रिज़र्वेशन भी नही हो सकता था तो जनरल बोगी मे ही लटक पटक के चले जाउन्गा
शाम 6 बजे मैने उर्वशी को फोन किया और कहा कि आजा तो कोई दस पंद्रह मिनट बाद वो मुझे लेने आ गयी और मैं बैठ गया उसकी स्कूटी पर मैने कहा मुझे पद्मिानी भाभी के घर ड्रॉप कर्दे वो बोली तू मूह बंद कर और चुप करके बैठ और कभी दाई कभी बाए मुड़ते मुड़ते आ गये एक बंग्लॉ के पास तो पता चला कि ये उर्वशी का घर था
उसने मेरी ओर देखा और कहा कि के देखे सै आजया अंदर उसने लॉक खोला और मुझे अंदर ले आई मैने कहा तेरे घरवाले कहाँ है तो उसने कहा कि मम्मी-पापा रोहतक गये सै एक शादी मे 3-4 दिन मे आएँगे मैने कहा और तू मुझे यहाँ ले आई ये तूने ठीक नही किया वो बोली के ठीक ना कारया इब के तू मेरा मेहमान भी ना बनेगा तो मैने कहा वो बात नही है पर
वो बोली पर वर कुछ ना इतनी तो कृशन जिब ही राधा नै ना तडपाया जितना तू मने तड़पावे सै इतना हक भी कोन्या के तू मेरे धोरे एक दिन रह सके मैने कहा यार चल तू जीती मैं हारा ठीक है पर अब मने कुछ बना के भी खिला भूक लगी पड़ी सै तो वो बोली कि मेरे साजन बता के खावेगा वो भी खुवाउन्गी तू बस हुकम कर मैने कहा कुछ भी पड़ा हो वो ही ले आ
उसने कहा तू बैठ मैं अभी तेरे लिए कुछ बनाती हू और किचन मे चली गयी मैं उसके घर को देखने लगा पहली नज़र मे ही पता चलता था कि किसी कड़क ऑफीसर का घर है बड़े ही करीने से हर चीज़ सजाई गयी थी मैने अपने जूते खोले और आँख बंद करके बेड पर लेट गया पालक झपकते ही मुझे झपकी आ गयी और मैं पहुच गया मिथ्लेश के पास सपने मे
थोड़ी सी देर ही सोया था कि किसी ने मुझे जगा दिया मैं कच्ची नींद मे था और उपर से मिथ्लेश का सपना था तो मैने उसको अपनी बाहों मे खीच लिया और अपने उपर लिटा लिया तो वो मुझ से दूर हो गयी और मुझे खड़ा कर दिया मैने जैसे तैसे आँखे खोली और देखा कि उर्वशी मेरे सामने खड़ी है तो मैने कहा क्या हुआ वो हंसते हुए बोली कि कुछ ना मेरा बालम मने साथ सूवा वे था
मैने तुरंत उसको सॉरी कहा और हाथ मूह धोने बाथरूम मे चला गया हाथ मूह धोकर आया और देखा कि उसने सॅंडविच और चाइ बना दी थी उसने कहा कि अभी ये खाले डिन्नर मे कुछ मस्त बना के खिलाउन्गी, मैने कुछ ही देर मे नाश्ता ख़तम कर दिया मैने गोर किया कि उसने कपड़े चेंज करके सूट सलवार पहन लिए थे मैने कहा अरे वाह! तू तो सलीकेदार कपड़े भी पहनती है तो उसने कहा कि घर मे हमेशा वो ये ही पहनती है
फिर वो मेरे पास आकर बैठ गयी और उसकी जाँघ मेरी जाँघ से टच होने लगी थी तो मेरे बदन मे झुरजुरी होने लगी पता नही मुझे क्या हो गया था चूत खुद न्योता दे रही थी परंतु मैं कुछ करना नही चाहता था उर्वशी मुझ से और भी सट गयी और मज़े लेते हुए बोली मेरे प्यारे बलम शरमा क्यू रहे हो कभी किसी नारी को टच नही किया क्या
मैने कहा किया है ना टच भी और ……… तो वो बोली और क्या बता बता मुझे भी तो मैने कहा कि टच भी किया है और सेक्स भी किया है तो वो बोली अरे वाह! फ़ौजी तू बड़ा चालाक निकला ज़रा मुझे भी बता ना किस के साथ तूने रास लीला रचा ली क्या वो तेरी गर्लफ्रेंड थी मैने कहा ना री उसको तो छुआ भी ना आजतक तो वो उत्साहित होते हुए बोली फिर कित मोर्चा मार दिया तूने
मैने कहा तुझे बड़ी पड़ी है और दिखा तो ऐसे रही है जैसे कि तूने कभी ना किया हो तो उर्वशी बोली तेरी सौ मैने ना किया कुछ भी ऐसा मैं तो 16 आने टंच हूँ मैने कहा जा झूठी के तेरा कोई बाय्फ्रेंड ना बना तो वो बोली तू बना है ना इब तन्ने जै टच करली हो तो अलग बात सै बाकी और किसी की के हिम्मत जो मने देख भी ले वा तो तू ही सै जो इस दिल ने काढ़ ले गया
मैने कहा ठीक है जो ना किया कुछ ना रखा बस इक प्यास है जो जितना बुझाओ उतना ही भड़क जाती है उर्वशी अब मेरे इतना पास आ गयी थी कि उसके होठ मेरे होंठो से बस मामूली दूरी पे थे तो उसने कहा कि फोजी मैं तेरे ते कुछ कहना चाहू सूं मैने कहा फेर बोल ना घबरान आली के बात सै तो उर्वशी बोली कि मने आज आज तेरी दुल्हन बना ले
मैने कहा यार पागलों जैसे बात ना करा कर तू बस मेरी दोस्त है तो दोस्ती की हद मे रह मने कल जानो सै शान्ती से निकल जान दे उर्वशी बोली इक आखरी निशानी तो दे जा फ़ौजी मैने कहा यार देख मैं एक सामान्य आदमी हू अगर मेरी इच्छा भड़क गयी ना तो मेरे से कंट्रोल ना हो सकेगा फिर और जोश उतरा पाछे तू भी मने ही दोष देगी
रात भी घिर आई थी टाइम 8 के करीब हो रहा था तो मैने कहा आजा चल बाहर घूमने चलते है और फिर हम तैयार होकर सिटी नाइट का मज़ा लेने चल पड़े उर्वशी बहुत ही एनर्जेटिक लड़की थी तो उसके साथ माहौल हमेशा खुशनुमा बना रहता था हम दोनो एक ओपन रेस्टोरेंट मे पहुच गये मैं उसको कॅंडल नाइट डिन्नर करवाना चाहता था
उर्वशी बोली फ़ौजी जब तू मने प्यार ना करे तो इतने रोमॅंटिक माहौल मे क्यूकर ल्याया सै मैने कहा दिल किया तो ले आया बाते करते करते हम एंजाय करने लगे मैने कहा पेग शेक लिया करे के तो वो बोली ना रे बापू काढ़ देगा घर ते तो मैं हँसने लगा रात की खुमारी अपने शबाब मे थी पूरी रात रोशन थी हमारे चारो तरफ लव बर्ड्स लगे थे प्यार की पींगे बढ़ाने मे
उर्वशी भी पूरी कमीनि थी वो टेबल के नीचे से अपने पाँव को मेरे पाँव पर रगड़ने लगी तो मैने कहा यार छेड़ मत कर पर वो पागल जाटनी किसी की कहाँ मान ने वाली थी मैने कहा आजा आइस-क्रीम खाते है वो बोली सर्दी मे मैने कहा रे बावली आइस-क्रीम का असली मज़ा तो सर्दी मे ही है और ऑर्डर कर दिया पिघलती हुई आइस-क्रीम से भीगे हुए उसके होठ बड़े ही मादक लग रहे थे जी किया कि अभी अपने होंठो से निचोड़ लूँ पर फिर जाने दिया
ठंड भी अब सितम ढाने लगी थी और फिर उर्वशी जैसा माल साथ मैं सोच रहा था कि कही बहक ना जाउ और वो लगी थी मुझे सिड्यूस करने मे उसकी आँखो के नशे को पढ़ लिया था मैने रोमॅन्स मेरी नस-नस मे भरने लगा था तो कुछ देर और वहाँ बैठने के बाद मैने बिल पे किया और स्कूटी का कान मरोड़ दिया वापिस घर की ओर
वो मुझसे कतई चिपक कर बैठी थी जब कभी ब्रेक लगाना पड़ता तो उसकी चूचिया मेरी पीठ मे धसने को बेताब लगती और कुछ वो ज़्यादा अदा भी दिखा रही थी वो बोली एक राइड लगाते है फिर आराम से चलेंगे घर पर तो मैं सड़को पर ऐसे ही स्कूटी घुमाने लगा तभी जुलम देहरादून का मौसम और औरत का कॅरक्टर ना जाने कब फिसल जाए मूसलाधार बारिश आ पड़ी अब भीगने के सिवाय और कोई चारा ना था मैने स्कूटी घर की तरफ लहरा दी
आधे घंटे तक बारिश मे भीगते हुए हम उसके घर पहुचे तो वो अपने गीले कपड़े चेंज करने को बाथरूम मे घुस गयी और मैं इंतज़ार करने लगा पर काफ़ी देर हो गयी वो बाहर ना निकली मैने कहा यार आजा मुझे ठंड लग रही है दो चार बार आवाज़ लगाने पर वो बाहर आई पर जब वो बाहर आई तो मेरा लंड एक झटके मे खड़ा हो गया
उसने एक निक्कर और टी-शर्ट डाल ली थी ऑलमोस्ट उसके कुल्हो तक का हिस्सा पूरी तरह से मुझे दिख रहा था जब उसने देखा कि मैं बड़े ही गौर से उनके हुश्न को निहार रहा हू तो उसने कहा फ़ौजी कदे हॉट छोरी ना देखी के जा कपड़े बदल आ कदे ठंड से ना मर ज्याइए तू कपड़े बदलने के बाद मैने भी पयज़ामा डाल लिया और रज़ाई ओढ़ कर बैठ गया ठंड अब भी लग रही थी
उसने कॉफी बनाई और मेरा कप मुझे देते हुए वो भी रज़ाई की दूसरी साइड से पैर अंदर कर के बैठ गयी उसकी टाँगे मेरी टाँगो से टकराने लगी कॉफी पीते पीते हमारे जिस्म के हार्मोंस आक्टिव होने लगे वो अपने पैर से मेरी जाँघो के हिस्से को छेड़ने लगी थी मैने कहा यार मान जा तो वो बोली कि मैं के कर रही सू मैं तो बस कॉफी पी रही सूं
अब कितनी देर सहन करता ये तो मैने कंट्रोल किया हुआ था वरना अब तक तो पता नही कितनी बार चोद चुका होता इसको मैने भी शरारत करने की सोची और मैने डाइरेक्ट ही अपने पैर का अंगूठा जहाँ चूत होती है है वहाँ रख दिया और दबा दिया उर्वशी एक दम से खांस उठी मैने कहा क्या हुआ तो वो बोली कुछ ,…………. कुछ नही
थोड़ी देर हम ऐसे ही मस्ती करते रहे उसका सीना बार बार उपर नीचे हो रहा था मैं समझ गया था कि ये अब पिघल रही है तो मैने अपनी शरारत बंद कर दी और चुप होके बैठ गया उसने नशीली आँखो से मुझे देखा और कहा कि क्या हुआ रुक क्यो गया मैने कहा वैसे ही तो वो बोली करना मुझे अच्छा लग रहा था और अब वो उठ के मेरी वाली साइड पे आकर बैठ गयी
वो काँपति सी आवाज़ मे बोली फ़ौजी मैने कहा हूँ उसने मेरी आँखो मे देखा मैने उसकी आँखो मे देखा मेरी धड़कन जैसे रुक ही गयी और ठीक उसी पल उर्वशी ने अपने रसीले होंठो को मेरे होंठो से जोड़ दिया जैसे ही ये हुआ फिर मुझे कुछ याद ना रहा मैं भावनाओ मे बह गया वो बड़े ही मज़े से मेरे होंठो को काट रही थी कुरेद रही थी चबा रही थी
15-20 मिनट तक उसके होंठो को अच्छे से चूस डाला मैने फिर मैने अपने हाथ बढ़ाए और उसकी टी-शर्ट को उतार कर फेक दिया पर्पल ब्रा मे क़ैद उसकी चूचिया ब्रा से बाहर आने को मचल रही थी तो मैने ब्रा को हटा कर फेक दिया और उसकी चूचियो को निहारने लगा किसी ट्रक की हेडलाइट की तरह से चमकती उसकी चूचिया बेहद उन्नत और बहुत ठोस थी
मैने तुरंत एक निप्पल को अपने मूह मे भर लिया और दूसरी को अपने हाथ से दबाने लगा उर्वशी की सांस उपर की उपर नीचे की नीचे रह गयी उसने एक तेज आह भारी और अपनी आँखो को बंद कर लिया और लंबी लंबी साँसे लेने लगी मेरे शरीर की नस नस मे अब वासना का बुखार चढ़ गया था अब मैं कंट्रोल कर ही नही सकता था सही ग़लत का ध्यान अब पीछे रह गया था
ज़ाटनी का अनछुआ जिस्म मेरी बाहों मे पनाह माँग रहा था और मैं तो खुद प्यासा था मैं तो भँवरा था और कली आज खुद मुझे अपना रस पिलाने को आतुर थी मैं बारी बारी से दोनो बोबो को मसलता पीता दाँतों से काट ता उसके लबों को चूमता उसकी गर्दन को काट ता सर्द मोसम मे दो गरम भूखे जिस्म अब मैदान मे आ गये थे चूची छोड़ कर मैं उसके पेट की तरफ बढ़ा
और उसकी नवल मे अपनी जीभ डाल कर कुरेदने लगा उर्वशी का पतला सा पेट बुरी तरह से काँपने लगा था जैसे भूकंप मे कोई इमारत थरथराती है वैसे ही उसका नरम नाज़ुक पेट कांप रहा था मैने अपनी उंगलिया उसकी निक्कर मे अटकाई और निक्कर को उतार कर फेक दिया अब बस एक छोटी सी पेंटी मे वो मेरे सामने बेड पर पड़ी थी और किसी नागिन की तरह बल खा रही थी
जैसे ही मेरे हाथ उसकी पेंटी पे टच हुए मुझे पता चला कि किस कदर उसकी चूत गीली थी उर्वशी काँपते हुए स्वर मे बोली लाइट…………………. लाइट बंद कर दो प्लीज़ पर मैने ध्यान नही दिया और उसकी पेंटी को भी उतार दिया पूर्ण रूप से नग्न हुस्न से भरी वो नशे की बॉटल मेरे सामने बिस्तर पड़ी मुझे खुला निमंत्रण दे रही थी कि आजा चख ले मुझे
मैने उसकी टाँगो को फैलाया तो देखा कि कसम से चूत तो ये थी चौड़ी फांको की जगह बस एक लाइन सी थी और ऐसा लगता था कि जैसे कभी बाल तो वहाँ पर उगे ही नही थे एक दम अन्छुइ कली थी वो चूत की दरार के नाम पर बस जैसे कि किसी ने पेन्सिल से एक पतली सी रेखा खीच दी हो उसके रूप की दीवानगी जो चढ़ि फिर मुझ पर तो बस मैं तो खो ही गया
जब मैने अपनी उंगलियो को उसकी चूत से टच किया तो उर्वशी ने अपनी जाँघो को भीच लिया और कहा कि प्लेज अंधेरा कर दो तो मैने लाइट बंद कर दी और अपनी उंगलियाँ हौले हौले से उसकी चूत पर फिराने लगा उसके बदन की थिरकन बढ़ने लगी उर्वशी की सांसो की आवाज़ उस खामोशी को चीर रही थी फिर जब मुझसे रुका ना गया तो मैने उसकी टाँगो को चौड़ा किया और अपने प्यासे तपते होंठो को उसकी चूत पर रख दिया ठीक उसी पल उर्वशी के बदन मे जैसे भूचाल आ गया मैने जीभ को लंबी किया और उसकी चूत से जो चिपचिपा पानी निकल रहा था उसको एक सुडपे से चाट लिया था
मेरी जीभ का खुरदुरा पन उर्वशी के प्रत्येक अंग मे ज्वाला जला रहा था वो अपनी सुडोल टाँगो को पटकने लगी थी वो बेशक कुछ बोल नही रही थी परंतु उसकी खामोशी ही उसकी कहानी बया कर रही थी मैने उंगलियो की सहयता से उसकी छोटी-छोटी फांको को फैलाया और उसके छोटे से छेद पर अब अपना मूह लगा दिया उर्वशी की चूत बहुत तेज़ी से पानी बहा रही थी
मेरे होठ पूरी तरह से उसके काम रस से भीग गये त पर मुझे कोई परवाह नही थी भाग्यवान था मैं जो उस कुँवारी चूत के रस को सबसे पहले पीने का मौका मुझे मिला था कभी मैं उसकी चूत के छेद को चाटू कभी मैं उसके दाने को दाँतों से काटू पल प्रतिपल उर्वशी बेकाबू होते जा रही थी वो अपने हाथो से मेरे सर को अपनी चूत पर दबाए जा रही थी
जैसे कि कह रही हो कि पूरे सर को ही चूत मे डाल दो मैं बेफिकर उसकी चूत और जाँघो पे लगे उस खारे पानी को चाटे जा रहा था जितना मैं उसे सॉफ करता चूत से उतना ही पानी और बह चलता फिर मैने उसकी चूत छोड़ी और उसके उपर लेट के उसके अधरों से अपने होठ मिला लिए और उसको पिलाने लगा जो पानी मेरे होंठो पर लगा था वो अब उर्वशी के मूह मे जाने लगा
मेरा लंड पाजामा से बाहर निकल कर उसकी चूत मे घुसने को बेताब था कुछ देर उसके होंठो को निचोड़ने के बाद मैं फिर से उसकी चूत पर आ गया और उसकी टाँगो को दुबारा से खोलते हुए अपनी जीभ को जहाँ तक सरका सकता था चूत मे सरका दी पर तंग गली थी उसकी चूत पर कोशिश तो करनी ही थी उर्वशी की साँसे बेकाबू घोड़े की तरह भाग रही थी
उसका जिस्म भी उसका साथ अब छोड़ने ही वाला था चूत बहुत ही ज़्यादा चिकनी हो गयी थी उसके कूल्हे एक अंजानी ताल पर थिरकने लगे थे और फिर सहसा ही उसका पूरा बदन अकड़ गया और एक तेज चीख मारते हुए वो मेरे मूह के उपर ही झड़ने लगी उसने मेरे सर को बुरी तरह से अपनी योनि के मूह पर दबा लिया और अपने चरम सच को प्राप्त करने लगी
जब वो निढाल हो कर पड़ गयी तो मैने अपना मूह चूत पर से हटाया और साइड मे लेट गया कुछ पल अपनी सांसो को नियंत्रित किया फिर मैं अंधेरे मे ही पानी लेने रसोई मे चला गया वापिस आया तो मैने लाइट जला दी उर्वशी ने मुझे देखा और रज़ाई को अपने बदन पर ले लिया मेरा लंड पेंट मे तंबू बनाए हुआ था मैने एक सांस मे ही आधी बॉटल खाली कर दी
उर्वशी बेड से टेक लगा कर बैठ गयी हालत पे कुछ काबू आया तो मैने कहा कि कमिनि ये तूने मुझसे क्या करवा दिया मैने सोचा था कि मैं तुझे इस हालत मे नही लाउन्गा पर ये क्या कर दिया मैं तो वो बोली मेरी तो यही मर्ज़ी है अब तू देर ना कर जल्दी से मुझे अपनी बना ले
मैं शांत स्वर मे कहा कि उर्वशी ये ग़लत है अभी तू सो जा मैं नीचे सो जाता हू सुबह बात करेंगे तो उसने रज़ाई हटा दी और बोली कि देख इधर मैं अपना सबकुछ तुझे अर्पण करने को लाज शरम त्याग के बैठी हू और साहिब अब ग्यान दे रहा है वो उठाकर मेरे पास आई और मेरे लंड को हाथ मे पकड़ के बोली कि फ़ोज़ी दम ना सै के इसमे और मेरे लंड को अपनी मुट्ठी मे कस लिया
मैने कहा दम तो बहुत है पर तू समझ अगर मैं तुझे चोद के आज चला गया तो मेरे दिल मे सदा ये बोझ रहेगा कि मैने एक पवित्र छोरी को खराब कर दिया जिसकी आत्मा शुद्ध थी हालाँकि कही मेरा दिल मुझसे कह रहा था कि सोच मत चोद इसको जल्दी चोद पर मैने धृड निस्च्य कर लिया था उर्वशी बोली मने ना सुन नी तेरी बकवास जिब मैं राज़ी राज़ी तन्ने कह रही सूं तो करले
और उसकी बात सच भी थी ऐसी करार माल को कोई भी नही छोड़ता पर ना जाने क्यो वो मेरे दिल के किसी कोने मे रहने लगी थी तो मैं परवाह करता था उसकी मैने सॉफ सॉफ मना कर दिया उसकी उसने मेरे पयज़ामे और कच्छे को नीचे सरका दिया और मेरे लंड को ज़ोर ज़ोर से हिलाने लगी मैने उसको हटाया और बेड पर पटक दिया मैने कहा पानी पी और ज़रा समझ
पर जब चूत मे आग लगी ही तो कॉन किसकी समझे वो मुझे गालियाँ देने लगी पर मैं कुछ ना बोला मैं खुद को इतना बेबस पा रहा था पता नही क्यो मेरे हाथ उसके जिस्म को छूने से कतरा रहे थे मैने उसके कपड़े उठाए और उसको देते हुए कहा कि प्लीज़ अगर तुम थोड़ी बहुत भी मेरी इज़्ज़त करती हो तो इनको पहन लो उसने कुछ देर मुझे गुस्से से देखा और फिर अपने कपड़े पहन ने लगी
मैने उसको थोड़ा पानी पिलाया पर वो शांत नही थी और मेरे मन मे भी एक द्वन्द शुरू हो गया था उसकी आँखो से बहते आँसू मुझे विचलित कर रहे थे इसी लिए तो मैं किसी बंधन मे नही बंधना चाहता था मेरा दिल मे कुछ तो था उस मर्जानी के लिए जो मैं एक्सप्रेस नही कर सकता था क्योंकि कुछ राज अगर दफ़न ही रहे तो सबका भला होता है
मैने रुमाल लिया और उसकी आँखो से बहते पानी को सॉफ करते हुए कहा उर्वशी प्लीज़ मान जा आज की रात को इतनी मुश्किल ना बना कि फिर सुबह कुछ कहने को बाकी ही ना रहे मुझे आज की रात किसी तरह काट लेने दे इसे और भारी मत बना उर्वशी मैं मजबूर हूँ वरना इतना टाइम कभी नही लगाता तू मेरे दिल मे बसी है मुझे सेक्स का कोई लालच नही है
जाना है तो हँसी खुशी विदा कर्दे उर्वशी मेरे सीने से लग गयी और फुट-फुट कर रोने लगी अब मैं क्या कहता ग़लत आदमी से मुहब्बत कर बैठी थी वो और मैं करूँ भी तो क्या अगर इसका हाथ थाम लूँ तो बेवफा केह्लाउन्गा और ना थामू तो इसका मुहब्बत से विश्वास उठ जाएगा करूँ तो क्या करू कुछ समझ ना आए मैने उसको रोने दिया जब तक की उसके दिल का बोझ हल्का ना हो गया
ये दर्द भी कुछ ऐसा था कि इसका इलाज बस वक़्त ही कर सकता था वो कहते है ना कि दिल भी अपना और दर्द भी अपना जब उर्वशी कुछ नॉर्मल हुई तो मैं उसको बाथरूम मे ले गया और उसका मूह धुल्वाया रात आधे से ज़्यादा बीत गयी थी और हम दोनो की खामोश साँसे एक दूसरे से कई सवाल पूछ रही थी तो मैं उसको अपनी बाहों मे लिए लिए ना जाने कब सो गया
सुबह करीब 9 बजे मेरी नींद टूटी तो मैने देखा की उर्वशी बिस्तर पर नही थी मैं उठा तो देखा की वो किचन मे कुछ बना रही थी उसने मुझे देखा और कहा उठ गये मैने कहा हाँ वो नॉर्मल रहने की कोशिश कर रही थी उसने कहा मैं चाइ बना दूं मैने कहा हाँ कुछ देर बाद वो और मैं चाइ पी रहे थे मैने कहा उर्वशी तो वो बोली हाँ मैने कहा कल रात को एक ख्वाब समझ कर भूल जाना और जल्दी ही तुम कोई अच्छा लड़का देख कर शादी कर लेना
उसने कोई जवाब नही दिया बस चुप चाप चाइ पीती रही थोड़ी देर बाद उसने खाना लगा दिया एक अजीब सी तन्हाई आकर खड़ी हो गयी थी हमारे बीच मे पर ठीक ही था मैं उर्वशी की बस अच्छी यादे अपने साथ लेकर जाना चाहता था मर ही तो गया था उस पर मैं रात को काफ़ी ऐसे नझुक लम्हे आए थे कि बस टूट कर बिखरने से बाल बाल ही तो बचा था मैं
तो खामोशी को तोड़ते हुए उर्वशी ने कहा कि मेरी एक बात मानेगा मैने कहा बता तो उसने कहा कि आज आज और रुक जा तू मेरे साथ वैसे भी अभी काफ़ी टाइम है ड्यूटी जाय्न करने मे मैने कहा एक दिन क्या दो दिन रोक ले तो उसके चेहरे पर एक फीकी सी मुस्कान आ गयी वो टूट ती हुई आवाज़ मे बोली तू भी मने प्यार करे सै ना मैने कहा बस एक इसी सवाल का जवाब नही है
हम दोनो फिर खामोश हो गये और अपनी प्लेट खाली करने लगे तो मेरे फोन की घंटी ने इस खामोशी को तोड़ा मैने देखा पद्मिीनी का फोन था उसने पूछा कहाँ हो तुम तो मैने कहा कि फ्रेंड के घर हू उसने कहा मैं तो घबरा ही गयी थी कि तुम बिना बताए ना चले गये हो उसने कहा कि घर आ जाओ मैने कहा आता हू कुछ देर मे दो चार बात और हुई और फिर मैने फोन रख दिया
आज सर्दी बहुत ही तेज पड़ रही थी मेरा नहाने का बिल्कुल मूड नही था तो मैं रज़ाई मे दुबक गया थोड़ी देर बाद उर्वशी भी अपना काम ख़तम करके मेरे पास आ गयी और रज़ाई को ओढ़ते हुए बोली कि फ़ौजी तन्ने उत मेरी याद आया करेगी मैने कहा अब याद है आए तो आ जाए ना आए तो ना आए ये तो डिपेंड करता है यादो पे वो बोली सीधे सीधे बता ना
मैने कहा यार तू भी कैसी बात करती है तेरी याद तो हमेशा आएगी वो संजीदा होते हुए बोली जब इसी बात सै तो फेर कर ले ना यह मेरे गेल मैने कहा यार तू घुमा फिरा के इधर ही आ जाती है वो मेरी आँखो मे देखते हुए बोली फ़ौजी एक वचन दे सके सै तू मने
मैने कहा हम बिल्कुल तो वो बोली कि धर मेरे सिर पे हाथ और कसम खा मैने उसके सर पर हाथ रखा और कहा कि मेरा वचन है कि ब्याह के अलावा तू जो भी कहेगी मैं तेरी मानूँगा तो वो बोली तू कल चला ज्यागा ईक दिन की खातिर मने तेरी लुगाई बना ले उर्वशी उठी और अपनी मम्मी की सिंदूर की डिबिया ले आई और बोली कि ले यो सिंदूर मेरी माँग मे भर के मने तेरी एक दिन की लुगाई बन ज्यान दे
मैने काफ़ी देर सोचा वो मेरे जवाब का इंतज़ार कर रही थी तो मैने कहा कि ठीक सै तू करले तेरी मन चाही पर कल को मने कोई दोष ना देगी और आज के बाद तेरी ज़िंदगी मे कदे भी मेरा जिकर ना करेगी वो बोली तन्ने ना भूल सकूँ मैं मैने कहा देख तेरी शर्त तो मैं पूरी कर दूँगा पर करूँगा अपने तरीके से तो उर्वशी किसी चिड़िया की तरह से चहकने लगी
वो बोली तू रुक मैं थोड़ी देर मे आउ सूं और बाथरूम मे भाग गयी करीब आधे घंटे बाद जब वो बाहर निकली तो उसके शरीर पे बस एक तौलिया ही था जो उसके योवन का भार संभाले हुए था उर्वशी बोली मैं चाहू सूं की तू आज मेरा सोलह शृंगार करे उसने मेरा हाथ पकड़ा और खुद के कमरे मे ले आई उसने अपनी अलमारी खोली और कहा
फ़ौजी जो भी कपड़ा तन्ने अच्छा लगे वो पहना मुझे आज तू सज़ा तेरी एक दिन की लुगाई ने ठंड के उस माहॉल मे भावनाओ की गर्मी जैसे बह चली थी इतना हक तो मिथ्लेश ने भी नही दिया था मुझे कभी और ये पगली कुछ ही दिनो की मुलाकात मे इतना करीब आ गयी थी उसकी झील सी गहरी आँखो मे मैं जैसे खो ही गया था उसमे ना जाने कैसा जादुई आकर्षण था
विधाता ने ना जानी किस अंजान डोर से मुझे उसके साथ बाँध दिया था मैं उसकी आँखो मे डूब ही जाने को था कि उसकी आवाज़ मुझे धरातल पे ले आई उसने कहा इतने जाड़े मे मैं कब तक यूँ खड़ी रहूंगी मैने उसकी अलमारी मे देखा तो एक सुर्ख लाल रंग की साड़ी दिखी मैने वो निकाल ली उर्वशी चहकते हुए बोली वाह लाल जोड़ा मेरे लिए
मैं बस हल्का सा मुस्कुरा दिया मैने उर्वशी को अपनी ओर खीचा तो उसका तौलिया खुल कर गिर गया उसने भी अपने शरीर को छुपाने की कोई कोशिश नही की उसके बदन से टपकती पानी की शबनबी बूंदे मैने अपनी जीभ निकाली और उसकी गर्दन से रिस्ते पानी को चाटने लगा उर्वशी ने अपनी बाहें मेरे गले मे डाल दी मैने फिर उसके माथे पर एक चम्बन अंकित किया
और फिर उसको आईने के सामने खड़ी कर दिया आदमकद आईना भी उसकी खूबसूरती देख के शरमाने लगा बड़े ही प्यार से उसके प्रत्येक अंग को मैने तौलिए से पोछा और फिर उसके बदन को सहलाने लगा लाज़ के मारे उर्वशी ने अपनी आँखो को मूंद लिया वो मेरे आगे खड़ी थी मैने उसकी कमर मे हाथ डाला तो वो पीछे की ओर हो गयी मैं हौले हौले उसके बदन को सहलाने लगा
मेरा लंड तन चक्का था और उसके कुल्हो की दरार मे घुसने को बेताब हो रहा था पर ये एक ऐसी फीलिंग थी जिसे मैं रोक नही सकता था उसको उसके पेट को सहलाते सहलाते मैं अपने हाथो को थोड़ा सा उपर की ओर ले गया और उसके रूई से भी ज़्यादा नरम उभारों को अपनी मुट्ठी मे क़ैद कर लिया और कस कर दबा दिया उसके होंठो से एक दर्द भरी लेकिन मस्ती से भरपूर आह निकल गयी
उसकी चूचियो की निप्पल्स को अपनी उंगलियो से अच्छी तरह से मर्दन करने के बाद मैने अपने हाथ हटा लिए और पास रखी ब्रा को उसकी वक्ष-स्थल पर लगा कर पीठ पर पहुच कर ब्रा के हुको को जोड़ दिया मैने ब्रा को कुछ ज़्यादा ज़ोर से कस दिया तो उर्वशी ने एक आह भरी जो सीधे मेरे दिल मे उतर गयी मेरे हाथ काँपने लगे थे बड़ा ही मुश्किल लम्हा था मेरे लिए
ब्रा पहनाने के बाद मैने उसको घुमा कर अपनी तरफ किया उसकी होठ लगातार कांप रहे थे मैने अपने हाथ उसकी मांसल चौड़े कुल्हो पर रखे और उनको हल्का सा दबा लिया उर्वशी पूरी कोशिश कर रही थी खुद पर कंट्रोल कायम रखने की बड़ी ही नाज़ूक्ता से मैं उसके कुल्हो को सहलाता रहा फिर मैने उसको पास रखी स्टूल पर बिठा दिया
मैं फरश पर बैठ गया और अपने हाथो सी उसकी चिकनी जाँघो को सहलाने लगा मैने बॉडी लोशन की शीशी उठाई और उसकी जाँघो पर मलने लगा एक तो उसकी जांघे वैसे ही काफ़ी चिकनी थी और फिर कुछ बॉडी लोशन का असर मैं उसकी जाँघो पिंडियो पर अच्छे से अपने हाथ चला रहा था ठंड अब कुछ ज़्यादा ही तेज हो गयी थी पर उसके बदन की गर्मी भी कुछ कम नही थी
मैने उसकी टाँगो को फिर फैलाया तो जन्नत का द्वार मेरी आँखो क सामने था उसकी योनि कांप रही थी तो मैने अपने चेहरे को उसकी योनि पर झुका दिया और उसकी छोटी सी चूत को अपने मूह मे भर लिया नमकीन पानी का स्वाद जैसे ही मेरी जीभ को मिला लगा जैसे साक्षात अमृत पान ही कर लिया हो मैने चूत की खाल को जैसे ही अपने दाँत से थोड़ा सा काटा उर्वशी के गले से एक चीख उबल पड़ी
वो कराही रे साजन तेरा जुलम !!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!! मैं ना चाहते हुए भी उसकी करारी चाशनी से भरी चूत को चाटने लगा था उर्वशी हल्के हल्के से मोनिंग करने लगी थी योनि की पतली सी दरार को मैं अपनी लपलपाति हुई जीभ से कुरेद रहा था उर्वशी को स्टूल पर बैठना अब मुश्किल होने लगा था क्योंकि उसके कूल्हे अब वासना के गीत की ताल पर थिरकने लगे थे
तो वो उठ कर बेड की किनारे पर अपनी टाँगे फैला कर बैठ गयी और एक भँवरा फिर से कली का रस पीने को तैयार हो गया उसकी चूत से जो रस निकल रहा था वो बड़ा ही कमाल था मस्ती से सारॉबार उर्वशी ने अपनी टाँगो को उपर की तरफ उठा लिया और मज़े से मेरी जीभ के घर्षण को अपनी चूत पर महसूस करने लगी उसका हुस्न अब अपने चरम पर था
जब मेरे दाँत उसकी जाँघो और कुल्हो के निचले हिस्से पर बाइट करते तो उसकी हालत देखने लायक थी ऐसे ही पूरे मज़े से वो अपने अंत की ओर बढ़ रही थी यी जिस्मो का खेल भी अजीब बनाया बना ने वाले ने जब ये आग लगे तो बड़े से बड़ा समुंदर भी इस आग की तपन को कम ना कर सके कैसी ये विडंबना थी
हर गुजरती हुई घड़ी के साथ उसकी सिसकारिया अब बढ़ती ही जा रही थी और फिर एक तेज आवाज़ के साथ उसने अपना सारा पानी मेरे मूह मे छोड़ दिया और तृप्त हो गयी उसका शरीर शिथिल हो गया मैने पास ही पड़ा तौलिया उठाया और उसकी चूत को अच्छे से सॉफ कर दिया और पेंटी पहना दी
मैने कहा यार मुझे साड़ी पहना नी नही आती है तो ये तू खुद ही पहन ले तो उसने भारी भारी सांस लेते हुए कहा ना साजन आज तो तू ही पहनाएगा तो मैने कहा तू बता ज़रा मैं ट्राइ करता हू तो उसके कहे अनुसार उसकी साड़ी बाँध ही दी सुर्ख लाल सॅडी ने उसके अनुपम सौन्दर्य को और भी ज़्यादा निखार दिया था उसकी खिले हुए रूप को देखकर मेरे दिल ने बग़ावत कर ही दी
दिल से एक आवाज़ आई कि भर ले इसको अपनी बाहों मे पर साला दिल तो दिल है कही भी फिसल जाता है वो बोली के देखो सो मैने कहा तन्ने देखु सूं अक तू इतनी बटुए सी सुथरी क्यूकर सै सच ही तो कह रहा था मैं किसी कयामत से कम नही लग रही थी उर्वशी फिर मैने उसके चेहरे पर फेस-क्रीम लगाई और लिपीसटिक की स्टिक ले कर उसके होंठो पर लगाने लगा
जब मैं लिपीसटिक को उसके होंठो पर फेर रहा था तो उसके होठ आहिस्ता आहिस्ता लरज रहे थे तो बड़े ही प्यारे लग रहे थे जी चाहा कि इनका रस सदियो तक निचोड़ ता ही रहूं कुछ उसका भी हाल ऐसा ही था काश मैं दिल की बात पढ़ पाता तो उसके दिल के अंदर जो भी चल रहा था वो सब मैं आपको बता पाता वो लगभग तैयार हो ही चुकी थी
उसके बालो से बेहद ही मादक सुगंध आ रही थी मैने उसके गीले बालों को पोछा और फिर उनमे तेल लगाने लगा फिर कंघी की सहयता से उनको सुलझा दिया उर्वशी बोली जुड़ा बना दो तो मेरे मूह से बरबस ही निकल गया कि रहने दो अच्छे लगते है खुले बाल मुझे तो उर्वशी शरमा गयी रूप जैसे फुट पड़ा था उसके रूप की चाँदनी से मेरी आँखे भी चमक उठी थी
उसके तैयार होने के बाद मैने कहा आ अब पद्मिीनी भाभी के घर चलते है और कुछ पलों बाद हम दोनो निकल पड़े पद्मिानी भाभी ने जब इस रूप मे उर्वशी को देखा तो वो पलक झपकाना ही भूल गयी उन्होने मुझे किचन मे बुलाया और पूछा कि क्या बाद है इसको भी लपेट दिया क्या तो मैने कहा क्या भाभी आप भी ये तो बस दोस्त है