06-12-2020, 07:17 AM
उर्वशी बोली कमीने-कुत्ते तू क्यू आया मेरी लाइफ मे अच्छी भली चल रही थी मस्ती से जीती थी ना कोई चिंता ना कोई फिकर पर भगवान किसी को सुखी नही देख सकता तो उसने तुझे भेज दिया मुझे रुलाने को मैं बोला अब मैने क्या किया तो वो बोली कि पता नही कब तुझसे हो गया अब लागी छूटे ना बता मैं क्या करू अब मैं साला परेशान मैने कहा तू मेरी टाँग खीच रही है ना
तो वो बोली मैं सॅंडल फेक के मारूँगी मेरा दिमाग़ खराब किया तो जा ना खाना तेरा लंच मैं जा रही हूँ अब खुद ही सिचुयेशन कॉंप्लिकेटेड की और बिल फटे हम पर बड़ी ही ना इंसाफी है ये तो मैने उसका हाथ पकड़ कर उसको बिठाया और कहा देख यहाँ तमाशा सा हो रहा है सब लोग अपनी तरफ ही देख रहे है लंच नही करना कोई बात नही मैं बिल दे देता हू फिर चलते है
5-7 मिनिट बाद हम दोनो वहाँ से निकल गये अबकी बार मैं स्कूटी चला रहा था उर्वशी का मूड अब भी ठीक नही था तो मैने स्कूटी शहर से बाहर की ओर हरिद्वार रोड पर मोड़ दी और काफ़ी दूर निकल आया थोड़ा सा सुनसान एरिया आया तो मैने एक पुलिया के पास उसको रोका और कहा आ इधर बैठ कर बात करते है और हम दोनो पुलिया पर बैठ गये
कुछ देर खामोश रहने के बाद मैने उसका हाथ अपने हाथ मे पकड़ लिया और कहा कि देख तू घनी सुथरी , गजब, मोरनी सी छोरी सै अर मै सूं फोजी मेरे गेल्या लगन करके सदा दुख ही पावेगी फिर मैं बॉर्डर पे रहूँगा टाइम पे छुट्टी भी ना मिलेगी और ना जाने किस घड़ी किस गोली पे मेरा नाम लिखा हो और ये तो बाद की बाते है मैने भीतो किसी और का पल्ला पकड़ा हुआ है
उर्वशी ने अपना हाथ छुड़ाया और आलती-पालती मार के बैठ गयी और बोली कि यो सब तो तेरे आली के गेल भी हो सके सै मैने कहा बिल्कुल हो सके सै उर्वशी कहने लगी कि तेरे आली के मेरे ते भी घनी सुथरी सै मैने कहा ना वो तो तेरे पासिंग मे भी कोन्या वो बोली फेर के दिक्कत सै थोड़ा टेम मेरे गेल्या गुजारेगा तो मेरे ते प्यार करन लग ज्यागा
और वैसे भी पुरुषो का प्यार तो बस बिस्तर पर ही दिखया करे मने कुछ ना बेरा तू मेरे गेल्या ही ब्याह कर ले मैं ना रह सकूँ अब तेरे बिना लत लाग गी मने तेरी मैं काल ही अपने बापू ते बात करू सूं मैने कहा होश मे आ पागल जाटनी और गोर से देख मैं खुद फँसा पड़ा हूँ तू बस बाहर से ही मुझे जानती है पर मैं अंदर रोज जलता हू देख तन्ने बताऊ सूं
मेरी ज़िंदगी मे दो कन्या आई जो मने सच्चे मन से अच्छी लगी एक सै मिथ्लेश जो धड़कन बनकर मेरे दिल मे धड़क रही है और दूसरी सै निशा जो कदे मेरी बेस्ट फ्रेंड हुआ करती थी पर आजकल मने भूल गी अर ना जाने कित सै वा पर फेर भी वा भी दिल का एक कोना मे पड़ी सै देख मैं लाख खराब सूं मैं घटिया सूं पर मैं ब्याह करू तो बस मिता गेल ही क्योंकि यो जनम तो बस उ छोरी के साथ ही जिनो है
तू 16 सोमवार के व्रत कर ले के बेरा महादेव जी तुझे मुझसे तो लाख गुना बेहतर पति देंगे तू मने अच्छी तो बहुत लागे सै पर मैं मजबूर सूं मैं किसी और गेल वादा कर चुका हूँ अब तू ही बता मैं के करूँ तो उर्वशी खामोश हो गयी और फिर अचानक से बोली कि कामीने मैना करती तेरे से प्यार व्यार जै दुनिया निमाड़ भी ज्या ना तो मैं तेरी ना बनूँ मैं तो देखे थी कि तू कितने पानी मे सै
उसकी बात सुनकर मुझे गुस्सा आ गया मैने कहा फेर हो ली राज़ी आ गी तेरे कलेजे ने ठंड अब मेरा मूड साला सटक गया मैं उठा और उसको बोला कि देख तुझे दोस्त माना है मैने आइन्दा से फीलिंग्स वाला मज़ाक ना करियो बाकी तू चाहे जान माँग ले अभी दे दूँगा पर फीलिंग्स के साथ छेड़खानी नही होनी चाहिए तो उसने मेरे गाल को थपथपाते हुए कहा ही ओके बाबा सॉरी
जब वो सॉरी कह रही थी तो मेरी निगाह उसकी आँखो पे गयी तो मुझे उसकी आँखो मे पानी सा लगा तो इसका मतलब ये जो भी कह रही थी सच कह रही थी मैने कहा छोरी तेरी आँखो मे यो पानी कैसा तो वो अपनी चुन्नी से आँखो को पोंछती हुई बोली कि शायद कुछ कचरा चला गया होगा मैने कहा ये फिल्मी डाइलॉग ना बोल और साची बात बता
अब फँसी छोरी जाट की मैने कहा अब बता भी दे ना तो उसने कुछ नही कहा और सीधा आकर मेरे सीने से लग गयी मेरी तो साली धड़कन ही रुक गयी गले तो कइयो को लगाया था पर इस बार दिल भी साला ना फरमानी पे उतर आया मेरे हाथ अपने आप ही उसकी पीठ पर चले गये और उसकी पीठ को सहलाने लगे उसकी गरम साँसे मेरी छाती पर कहर ढाने लगी
दो मिनिट के लिए तो मेरा भी खुद पर काबू ना रहा फिर मैने उस को अपने से डोर हटा दिया पर उसका हाथ मेरे हाथ मे रह गया तो वो फिर से मेरे सीने से आ लगी उसकी साँसे भारी हो गयी थी उसकी छातिया मेरे सीने पर दबाव बना ने लगी थी अबकी बार मैने उसको अपन से अलग नही किया समय जैसे थम सा गया था तभी उसका चेहरा थोड़ा सा उपर हुआ और उसके होठ मेरे होंठो से छू गये
ना चाहते हुए भीं मैं अपने होंठो को रोक ना सका उसके लरजते हुए कोमल होंठ ऐसे थे जैसे कि पहाड़ो से बहता नदी का शीतल जल उसने अपनी आँखो को बंद कर लिया और अपनी बाहें मेरी पीठ पर थोड़ा ज़ोर से कस दी वक़्त का ना कुछ पता था मुझे ना मुझे कोई होश था 5 मिनट तक मैं उसके होंठो को ख़ाता रहा फिर वो मुझसे अलग हुई और लंबी सांस भरते हुए बोली कि मारेगा के छोरे
उर्वशी स्कूटी की ओर बढ़ी और डिग्गि से पानी की बॉटल निकाल कर पीने लगी एक ही सांस मे आधी बोतल गटक गयी और बोली कदे किसी छोरी की पप्पी ना ली के ऐसे चिपक गया जैसे कि इस जनम मे तो हटेगा ही नही पर मुझे थोड़ा सा अनकंफर्टबल फील होने लगा मैने कहा सॉरी डियर मुझे ऐसा नही करना चाहिए था तो वो बोली कोई बात ना फोजी तू भी के याद करेगा कि किसी जाटनी की पप्पी ली थी
कुछ तो बात थी छोरी मे एमबीए की स्टूडेंट होकर भी जिस तरीके से वो गाँव की देसी भाषा का प्रयोग करती थी कसम से मेरे दिल मे हुक उठ जाती थी पर सच्चाई ये थी कि मैं उसको अपना नही बना सकता था वैसे तो मैं कमीना था पर इस लड़की की फीलिंग्स के साथ मैं नही खेलना चाहता था मैने कहा जो हुआ उसके लिए मैं शर्मिंदा हू प्लीज़ फर्गिव मी
पर वो भी अपनी धुन की पक्की बोली फोजी अब मैं पीछे ना हट सकूँ या मीरा तो श्याम की दीवानी हो गयी सै इब चाहे दुनिया से लड़ना पड़े पर ब्याह तो करूँगी तेरे साथ ही अब मैं कुछना बोला और अपना माथा पकड़ कर पुलिया पे बैठ गया जी तो कर रहा था कि यही से नीचे कूद जाउ तभी शनि की दशा लगी और मिथ्लेश का फोन आ गया
मैं बात कर ही रहा था और उर्वशी मुझे तंग करने लगी तो मैने बिज़ी होने का बहाना बनाया और फोन कट किया मैने कहा उर्वशी मान भी जाना तंग ना कर आ अब वापिस चलते है तो उसने बोला कि कुछ देर और रुकते है फिर चलेंगे उर्वशी मुझ से सट कर बैठ गयी और बोली कि देख ले छोरे फेर ना कहीयो कि इसी सुथरी छोरी हाथ से निकल गी
मैं बोला तू तो पगला गयी है ऐसा नही होता है तो वो बोली फिर कैसा होता है मैने कहा मुझे नही पता वो मेरे साथ शरारत करने लगी मेरा लंड अपनी औकात मे आ गया पर इधर कुछ भी पासिबल नही था तो मैं और भी अनकंफर्टबल हो गया दिल तो अब दिल है कही भी फिसल जाता है तभी बिन मोसम हल्की हल्की बारिश शुरू हो गयी ठंडी ठंडी बूंदे हमें भिगोने लगी
एक तो सर्दी का मौसम और उपर से बारिश जब बोछार थोड़ी ज़्यादा तेज हो गयी तो मैने कहा यार अब क्या करें तो उर्वशी बोली कि उधर पेड़ो के नीचे खड़े हो जाते है तो हम रोड से उतर कर कच्चे की तरफ चल पड़े और थोड़ी दूर घने पेड़ थे उनके नीचे जाकर खड़े हो गये यहाँ बारिश तो नही थी पर ठंडी हवा कुलफी जमा रही थी
देहरादून का मोसम भी बड़ा ही कमाल है उर्वशी ठंड से काँपने लगी और मुझ से सट कर खड़ी हो गयी दो भीगे हुए बदन एक दूसरी की गर्मी का अनुभव करने लगे तभी मुझे क्या सूझा उसके गीले बालो को मैने खोल दिया हमेशा से ही मुझे खुले बालो वाली लड़कियाँ बड़ी अच्छी लगती है उर्वशी बोली छोरे के करै सै
मैने कहा कुछ ना तू बस दो मिनट चुप रह उसकी गीली ज़ुल्फो की खुसबू मुझे मदहोश करने लगी थी पानी की बूंदे जब उसके गालो से टपक रही थी तो लगा जैसे कि पेड़ो से शबनम बह रही हो एक तो मोसम का ज़ुल्म और उपर से कयामत भी मेरी आँखो के सामने ही खड़ी थी अब मैं क्या करूँ मेरे शरीर मे खून ज़ोर मारने लगा
मैने एक हाथ उर्वशी की कमर मे डाला और उसको अपनी तरफ खीच लिया वो बिल्कुल मुझसे सट गयी हमारी आँखे चार हुई वो मुझे देखे मैं उसे देखु वक़्त ने अजीब हालात खड़े कर दिए थे ये ही एक ऐसी लड़की थी जिसके साथ मैं कुछ नही करना चाहता था और तकदीर आज इस लड़की को ही मेरी बाहों मे ले आई थी मैं तो जैसे पत्थर का बन गया था
उसकी आँखो मे बेपरवाह मुहब्बत का सैलाब दिख रहा था मुझे पर मैं अपने होश संभाले था पर कितनी देर तक वो बेशक उर्वशी थी पर मैं विश्वामित्र कतई नही था तभी कही दूर बिजली कडकी और उर्वशी और भी अच्छे से मेरी बाहों मे आ गयी उसके बदन की खुश्बू मेरे हार्मोंस को आक्टिव कर रही थी हर एक गुज़रते पल के साथ मेरा खुद पर कंट्रोल ख़तम होते जा रहा था आख़िर परिस्थिति ही कुछ ऐसी हो गयी थी
काम देव का बान कमान से निकल कर मुझे घायल करने को चल पड़ा था और उर्वशी का हाल भी कुछ ऐसा ही था अब की बार जैसे ही उसकी और मेरी नज़र मिली मेरे सबर का बाँध टूट गया और मैने दोनो हाथो से उसके सुर्ख हो चुके चेहरे को पकड़ा और किसी बिछड़े हुए दीवाने की तरह उसकी नरम होंठो को चूमने लगा उर्वशी ने कोई प्रतिकार नही किया
उसने अपने मूह को थोड़ा सा खोला और उसकी जीभ को मेरे मूह मे सरका दिया अब अगर कयामत भी हो जाती तो कोई गम ना था पता नही कितनी देर तक मैं उसके लबों की शबनम को पीता रहा फिर जब दुबारा से बिजली कडकी तो मुझे होश आया मैने उसके धक्का देकर अपने से दूर किया और अपनी उखड़ती हुई सांसो को दुरुस्त करने लगा कुछ ऐसा ही हाल उस पागल जाटनी का था
मैने कहा उर्वशी मेरे पास ना आ अगर मैं बहक गया तो फिर मुश्किल हो जाएगी बड़ी मुश्किल से संभाला है खुद को मैं तुझे खराब नही करना चाहता प्लीज़ इन घायल नज़रों से ना देख मुझे अगर मैं आज फिसल गया तो फिर सारी ज़िंदगी दिल पे बोझ रहे गा बारिश अब बेहद तेज हो गयी थी और ठंड भी अब तेज होने लगी थी
कैसी ये मृगतृष्णा थी कैसे हालत मे आज मैं आ गया था वरना ऐसी कोई चूत नही थी जिसपे दिल आने के बाद उसका मज़ा ना लिया हो पर इस मर्जानी की बात अलग थी ठंड से उसका बदन काँपने लगा था तो मैने अपनी जॅकेट निकाली और उसको ओढ़ा दी जब खड़े खड़े पैर दुखने लगे तो मैं पेड़ का सहारा लेकर बैठ गया गीली मिट्टी की खुसबू जो आई तो साथ काफ़ी यादे ले आई
उर्वशी साया फिल्म का गाना अये मेरी ज़िंदगी गुनगुनाने लगी थी तो मेरा ध्यान उसकी तरफ गया मैने कहा इधर आ और उसको अपने आगोश मे ले लिया मैं बोला देख जाटनी तू मुझसे एक वादा कर कि तू आज के बाद मुझसे कभी ना मिलेगी और ना ही कभी मेरे बारे मे सोचेगी मैं कुछ दिन मे यहाँ से चला जाउन्गा फिर ना जाने तकदीर कहाँ ले जाएगी
उर्वशी बस सुनती ही रही मैने कहा यार तू बहुत ही सच्ची लड़की है और मैं उतना ही कमीना तुझे अब क्या कहूँ तू खुद इतनी समझदार है बस कभी याद आ जाए तो एक सपना समझ कर भुला देना पर तेरा मेरा साथ अगर यही ख़तम हो जाए तो अच्छा होगा वरना तू भी दुखी और मैं भी
उसकी आँखो से झरता एक एक आँसू मेरे दिल मे छेद कर रहा था पर मैं भी तो मजबूर था ज़िंदगी मे इतना बेबस कभी नही हुआ था मैं अगर मिता ना होती तो एक पल ना लगाता इस छोरी का हाथ थामने मे . बादल अब और भी ज़ोर से गरजने लगे थे आज बारिश रुकना मुश्किल ही लग रहा था और हम दोनो शहर से दूर सुनसान मे फँस गये थे
हम दोनो खामोश बैठे थे कहने को शायद कुछ था पर ना वो बोल रही थी ना मैं दिल पे बोझ सा लग रहा था पर ये बोझ अच्छा था उस बोझ से जो उसको खराब करके मिलता शाम ढलने को आई थी वापिस अकॅडमी मे भी रिपोर्ट करना था हम तो साला बस बँध कर रह गये थे रूल्स मे . छाती मे दर्द सा होने लगा था अब करें भी तो क्या
उर्वशी मेरे पास आई और बोली कि अच्छा लगा तेरा साथ दो पल जो तेरे साथ बिताए खुल के जी ली ज़िंदगी इब जै मर भी जाउ तो कोई दुख ना सै मैने कहा ऐसा क्यो बोलती हो अभी तो पूरी लाइफ पड़ी है तुम्हारे आगे ये मुहब्बत भी अजीब है जहाँ होनी चाहिए वहाँ नही होगी और ना चाहते हुए भी हो जाती है इंसान तो बस फिर इसके इशारों पर नाचते है
बारिश अब और अंदर तक आने लगी थी तो हम पेड़ो के और अंदर चले गये यहाँ कुछ गर्मी भी थी और थोड़ा सूखा भी था तो कुछ आराम मिला उर्वशी कहने लगी कि अच्छा होता जै कभी तेरा मूह ना देखती मैने कहा जो कहना है कह ले निकाल ले तेरे मन की सारी भडास तो वो बोली जा कामीने तू जी अपनी जिंदगी मेरी फिकर ना करियो पर जाने से पहले एक काम कर्दे मुझे तेरे रंग मे रंग दे
ये उसका खुला निमंत्रण था मेरे लिए . उर्वशी का को मेरे जवाब का इंतज़ार था वो बोली अब इतना भी ना कर सकेगा मेरी खातिर तो मैने कहा जान भी माँग के देख एक पल मे दे दूँगा तेरे लिए पर मैं तुझसे प्रीत नही लगाउन्गा मुझमे इतनी हिम्मत नही है कि मैं तेरी प्रीत निभा पाऊ पर वो भी मगरूर जाटनी थी लगी बहस करने उसने कहा एक बात बता
मैने कहा दो पूछ वो बोली तेरा मेरा फिर क्या रिश्ता ये सुनते ही मुझे कुछ याद आ गया यही सवाल मैने कभी प्रीतम से पूछा था प्रीतम की याद आते ही दिल भी साला एमोशनल हो गया मैने अपनी आँखे पोन्छि और कहा कभी मैने भी किसी से यही बात पूछी थी मैं तेरे सवाल का जवाब ज़रूर दूँगा बस सांस लेने दे ज़रा
उर्वशी बोली अब बता भी दे मैने कहा तेरा मेरा रिश्ता ऐसा जैसे कि नदी के दो किनारों का साथ भी है और जुदाई भी है तेरा मेरा रिश्ता एक पवित्र बंधन है जो अनचाहे ही बँध गया है शायद तू समझ गयी होगी मैं बेचैन हो गया था मुझे लग रहा था कि कही इस दीवानी की तपिश मे कही मैं पिघल ना जाउ उर्वशी आज पता चल रहा था कि कैसे ऋषि विश्वामित्र को डिगा दिया था उसने
मैने कहा प्रेम-कहानियाँ उर्वशी , प्रेम कहानियाँ कुछ ऐसी ही है तेरी मेरी ये छोटी सी कहानी अगर इसको यही पे ना रोका गया तो तूफान आ जाएगा तेरा ना बिगड़ेगा कुछ पर मैं बह जाउन्गा और मेरे साथ मेरी प्रेयसी भी अब तू ही बता मैं क्या करूँ कैसे उसका हाथ छोड़ कर तेरा हाथ पकडू तो वो बोली तू जी अपनी जिंदगी मैं भी जी ही लूँगी किसी ना किसी तरह से
मैने उसके हाथ चूमे और कहा पर तू इस दिल मे हमेशा रहेगी दोस्त बनके अंधेरा घिरने लगा था और बारिश भी कुछ मंद हो गयी थी तो मैने कहा आजा अब चलते है तो फिर मैने स्कूटी स्टार्ट की और चल पड़े वापिस अपनी मंज़िल की ओर कुछ तो दिल पे बोझ और मोसम बेरहम और कुछ ये हसीन साथ उसका उसकी हर एक धड़कन अब भी जैसे मुझसे कई सवाल पूछ रही हो
जैसे तैसे अकॅडमी पहुच गये गेट पे एंट्री को लेकर बहस हुई तो उर्वशी ने मोर्चा संभाला उसने मुझे मेरे होस्टल के बाहर ड्रॉप किया और बोली तेरा फोन नंबर तो दे दे अब कदे कदे बात करन ते ना रोकियो इतना हक तो दे दिए मैने कहा हाँ ज़रूर नंबर लेने के बाद वो चली गयी और मैं उसको देखता ही रहा पता ही नही चला कब आँखो से दो आँसुओ ने गिरकर गालो को चूम लिया
उर्वशी चली तो गयी थी पर साथ मेरा चैन-सुकून भी ले गयी थी आज की रात भारी होने वाली थी पर अगर हम इतने ही कच्चे होते तो यहाँ आर्मी मे ना आते फोजी का सबसे बड़ा गुण यही होता है कि वो अपनी फीलिंग को दूसरो से बेहतर तरीके से कंट्रोल कर सकता है भूक ने दस्तक दे दी थी पेट मे डिन्नर टाइम भी ऑलमोस्ट हो ही गया था तो फटा फट मैने कपड़े चेंज किए और मेस मे पहुच गया
खाना खाने के बाद मैं वापिस आया तो सोचा कि घर पे फोन ही करलू तो पता चला कि फोन तो काम ही नही कर रहा है बारिश मे भीगने से ये खराब हो गया था ये नयी प्राब्लम हो गयी आउटपास आज ही तो लिया था तो नया फोन खरीदने जाने का सवाल ही नही था तो एक ठंडी आह भारी और सो गया
अगली सुबह और भी परेशानी सी भरी थी चूँकि अब लास्ट टाइम रेहेर्सल्स ही चल रही थी तो बड़े बड़े ऑफिसर्स परेड का इनस्पेक्षन करने आते थे बड़ी ही सावधानी रखनी पड़ती थी दोपहर तक हालत खराब हो गयी थी पर ये लास्ट एक हफ़्ता तो किसी ना किसी तरह से अड्जस्ट करना ही था मोबाइल खराब होने से मैं थोड़ा सा अजीब महसूस कर रहा था
शाम को ऑफ टाइम मे मैं पहुच गया अपने अड्डे पर मैने सॅंडविच का ऑर्डर दिया और अपनी कुर्सी पर बैठ गया कुछ ही देर मे उर्वशी भी आ गयी उसने कहा कि मैने तुझे फोन किया था पर मिल ही नही रहा था तो मैने उसको बताई कहानी तो वो बोली कि कोई ना मैं कल जब कॉलेज जाउन्गी तो तेरे लिए नया मोबाइल खरीद लाउन्गी तू बता कॉन सा लेगा
मैने कहा जो भी तुझे अच्छा लगे ले आना फिर हमारी बाते शुरू हो गयी उसके साथ टाइम पता नही कब निकल जाता था पता ही नही चलता था फिर मैने कहा आ एटीएम तक चलते है मैं तुझे पैसे भी दे देता हू वो बोली रहने दे मैं बाद मे ले लूँगी मैने कहा ठीक है फिर हम अपने अपने रास्ते हो लिए
अगला दिन भी भाग दौड़ के साथ आया जब मैं नाश्ता करने के लिए जा रहा था तो मूर्ति सर ने कहा कि शाम को तुम्हारी भाभी ने तुम्हें घर बुलाया है टाइम से आ जाना मैने कहा सर कोई खास बात है क्या तो वो बोले कि आज मेरे बेटे का बर्थ’डे है मैने कहा ये तो बहुत ही अच्छी बात है सर मैं आता हूँ
तभी मुझे कुछ सूझा मैने कहा सर दो मिनट के लिए आपका फोन यूज़ कर सकता हूँ क्या मेरा फोन खराब हो गया है सर का फोन लेके मैने उर्वशी को कॉल किया और कहा कि शाम को तू फ्री रहना मेरे साथ तुझे कहीं चलना है और शाम को तू एक काम कर एक बच्चे के लिए दो-चार बढ़िया वाले कपड़े खरीद लेना साइज़ ये होगा **** और एक बड़ा सा केक भी मस्त वाला मॅनेज कर लेना
वो पूछती रही कि किसके लिए तो मैने कहा तू अभी सवाल ना कर ऑफीसर के फोन से कॉल कर रहा हू शाम को मिलते है तो वो बोली तू चिंता ना कर काम हो जाएगा तो फिर पूरा दिन गान्ड घिसने के बाद शाम को 6 बजे मैं रेडी हो कर शॉपिंग सेंटर पर चला गया आधे घंटे बाद उर्वशी भी दन दनाती हुई आ गयी और बोली ले तेरा मोबाइल सबसे पहले
मैने कहा इसको रख ले बाद मे ले लूँगा वो बोली इतने प्यार से लाई हू खोल के तो देख नोकिया का एन72 मोबाइल जो उस जमाने मे काफ़ी हिट था मैने उसको थॅंक्स कहा आज भी वो मोबाइल रखा है मेरे सामान मे एक याद के रूप मे खैर, मैने कहा अब तू पीछे बैठ और मुझे चलाने दे और मैने स्कूटी दौड़ा दी पद्मिदनी के घर की ओर
मैने स्कूटी रोकी पहुच कर और उर्वशी को सारा समान लेकर आने को कहा गेट खुला तो था ही हम पहुच गये अंदर पद्मिकनी ने हमारा वेलकम किया पद्मिेनी ने उर्वशी को वेलकम ड्रिंक सर्व किया और मुझे अंदर आने को कहा जैसे ही मैं अंदर गया भाभी के सवाल शुरू हो गये पूछने लगी कि ये तुम्हारी गर्लफ्रेंड है मैने कहा नही बस दोस्त है भाभी नॉटी स्माइल देते हुए बोली इसको भी लपेट दिया क्या तो मैने कहा क्या आप भी
फिर थोड़ी देर बाद हम सबने मिलकर डेकोरेशन की और तैयारिया करने लगे तब तक उनका बेटा और मूर्ति सर भी आ गये फिर केक काटा गया और मस्ती शुरू हो गयी छोटी सी पार्टी थी कुछ ही लोगो को बुलाया गया था पर मुझे बहुत अच्छा लगा था इस परदेश मे बस ये तो था अपना छोटा सा परिवार तो फिर मैने कहा भाभी जल्दी से डिन्नर करवाओ मुझे तो निकलना होगा
आजकल नींद पूरी नही हो पाती थी और फिर लाइट्स ऑफ होने से पहले ही वापिस जाना था भाभी बोली कि तुम लोग किचन मे आओ जब हम गये तो भाभी ने प्लेट्स लगा दी और मैं और उर्वशी एक ही प्लेट मे खाना डाल कर खाने लगे वो भी क्या दिन थे आज बस तरसते है उन लम्हो के लिए बड़े से बड़े रेस्टोरेंट मे खाना खरीद सकते है पर वो प्यार कहाँ मिलता है पाता बताना ज़रा
भाभी ने कई चीज़े बनाई थी और वो भी घर पे बनी हुई तो खाने का मज़ा दुगना हो गया था एक बेहद ही मस्त टेस्टी डिन्नर के बाद उर्वशी बोली मैं बाहर वेट कर रही हूँ तुम जल्दी ही आ जाना मैने कहा अभी आया मैने इशारे से भाभी को अपने पास बुलाया और कहा कि कुछ जुगाड़ करो ना तो वो बोली कि मेरा बेटा है इधर तो पासिबल नही है
अपना तो दिल ही टूट गया मैने कहा कोई नही भाभी फिर उनसे विदा लेकर मैं बाहर आ गया उर्वशी ने स्कूटी स्टार्ट कर ली तो मैने कहा बंद कर इसको पैदल ही चलेंगे तो वो बोली यो के साइकल है मैने कहा मुझे दे मैं घसीटता हू इसको तो मैं स्कूटी को घसीटने लगा उर्वशी बोली ये लोग तुमको बड़ा मानते है मैने कहा यहाँ ये ही मेरी छोटी सी फॅमिली है जिसमे अब तुम भी हो
वो बोली छोरे तू भी ना अपने अंदर ही एक अलग ही दुनिया समेटे चले है भगवान से वो छोरी जिसने साजन के रूप मे तू मिलया सै अर म्हारी फूटी किस्मत जो तू पहलया ना मिला मैने कहा कोई ना अगली बार तेरा ही पति बनूंगा उर्वशी हँसने लगी और बोली मैं तो मीरा बानगी मेरे मोहन तेरे लिए अब तू माने ना माने मैने कहा ख़ुसनसीब होगा वो जिसकी तू दुल्हन बनेगी
वो बोली तू ही बना ले ना मने दुल्हन अर बन ज्या ख़ुसनसीब कसम खाऊ सूं जै तन्ने एक भी शिकायत का मौका दे दूं तो मैने कहा यार अब फिर से वही टॉपिक ना शुरू कर और मस्ती से जी वो बोली वैसे तूने अच्छा किया जो मुझे भी तेरी खुशियो मे थोड़ा हिस्सा दिया मैने कहा तू भी बन जा मेरे जैसी वो बोली ना रे मैं कित बन सकूँ सू तेरे सी
बात करते करते मैने उसको उसके घर तक छोड़ा और फिर तेज तेज कदमो से चलते हुए पहुच गया होस्टल मे तो दोस्तो ऐसे ही वो हफ़्ता भी गुजर ही गया और मेरी पासिंग आउट का दिन आ ही गया ये मेरी ज़िंदगी का एक बेहद इंपॉर्टेंट दिन था आज मैं पूर्ण रूप से फ़ौजी अफ़सर बन जाने वाला था सुबह से ही खुद को शाहरूक़ ख़ान से कम ना समझ रहा था मैं
फोन मे मिथ्लेश का एसएमएस था कि वो बस थोड़ी ही देर मे अकॅडमी मे पहुच जाएगी मैं नहा कर आया और फाइनल तैयारी कर ही रहा था की पापा का फोन भी आ गया उन्होने कहा कि बेटे हम लोग आ गये है और कुछ देर मे अकॅडमी मे आ जाएँगे आज का दिन ही मस्त था सब कॅडेट्स की फॅमिलीस आज आने वाली थी अकॅडमी का माहॉल आज अलग सा लग रहा था
आज मैने ने ड्रेस पहनी आज मेरे रोम रोम मे एक नया अहसास हो रहा था और फिर थोड़ी देर बाद मैं पहुच गया ग्राउंड मे सभी गेस्ट्स अपनी अपनी जगह ले चुके थे प्रेसीडेंट हमारे चीफ गेस्ट थे तो फिर शुरू हुआ अंतिम सफ़र हर एक लम्हे के साथ यहा गुज़रे हुए पल याद आने लगे दिल मे एमोशन्स भी थे तो खुशी भी थी अपने परिवार का पहला लौंडा जो ऑफीसर बना मैं
आज मेरी गर्दन कुछ ज़्यादा ही ऊँची हो गयी थी बहुत गान्ड घिसी थी मैने इस लम्हे के लिए आज धूप मे भी एक खनक थी हमारे जोश से आज इंडियन मिलिटरी अकादमी भी आज झूम उठी थी और फिर आख़िर हमने आख़िरी पग भी ले ही लिया स्टार्स शोल्डर्स पर लग गये थे कसम परेड ख़तम हो गया थी अब टाइम था फॅमिली से मिलने का
मैं दौड़ कर गया तो देखा कि पूरी फॅमिली ही आ गयी थी मम्मी, पापा , चाचा-चाची, चाची का पेट बाहर को फूला हुआ था प्रेग्नेन्सी की हालत मे भी वो मेरे लिए आ गयी थी ताऊ-ताइजी रवि-अनिता साक्षी गुड़िया भी थोड़ी बड़ी और हो गयी थी मेरी आँखो मे आँसू आ गये पर नज़रें अभी भी किसी को ढूँढ रही थी जब वो चेहरा दिखा तो दिल को ठंडक मिली
मिता, मेरी जान एक कोने मे कुर्सी पर बैठी थी मैं दौड़ कर गया और उसका हाथ पकड़ कर ले आया भाभी तो उसको देखकर ही खुश हो गयी मिता ने सर पर चुन्नी डाली और सबके पैरो को स्पर्श किया अब पापा और भाभी तो मिता को जानते थे पर मम्मी को कुछ समझ ना आया तो वो बोली ये लड़की कॉन है तो मैने कहा पापा से पूछ वो बताएँगे
तो पापा ने बात टालते हुए कहा कि ये इसकी दोस्त है मम्मी मुझे घूर्ने लगी अब माँ तो माँ होती है ना हम लोग बात-चीत कर ही रहे थे कि तभी उर्वशी ने भी दर्शन दे दिए आते ही बोली कि सॉरी यार थोड़ा लेट हो गयी अब घरवाले मूह फाडे तो मैने कहा कि पापा ये उर्वशी है और परिचय करवाया आज का दिन बन गया था मेरा पापा ने बताया कि वो गाड़ी बुक कर के लाए है और रात तक वापिस निकल जाएँगे
मैने कहा एक दो दिन तो रुक जाते तो उन्होने कहा कि मजबूरी है बस आ गये किसी तरह से ये ही बहुत है मम्मी बोली अब छुट्टी कब आएगा तो मैने कहा अभी कुछ पता नही जब मिलेगी तब आ जाउन्गा अकॅडमी मे ही आज लंच का इंतज़ाम था विदाई की दावत थी तो हम सब लोग लंच के लिए चले गये मिता अनिता भाभी से चिपकी हुई थी उर्वशी बोली कि वो शाम को मिलेगी और खिसक ली
शाम ढलते ढलते घरवाले भी रवाना हो गये अब बचे दो पंछी मैं और मिता मैने कहा मिता तू तो रुकेगी ना तो वो बोली कि हम 1-2 रुक जाउन्गी तो मैने कहा आ मैं तेरा जुगाड़ करता हू मैने पद्मिीनी को फोन किया और कहा कि भाभी मिथ्लेश आई है क्या दो दिन आपके घर रुक जाए तो भाभी ने कहा अरे ये भी कोई कहने की बात है तू उसको यहाँ ले आ
मैने कहा अभी आया भाभी और मिता को कहा कि आजा तेरे रुकने का इंतज़ाम हो गया है मिता बोली फालतू मे तकलीफ़ कर रहे हो मैं होटेल मे रूम ले लूँगी मैने कहा मेरी जान ठहर जा इधर ही और देख कि आर्मी लाइफ कैसी होती है आगे तुझे भी तो ऐसे ही माहौल मे रहना है तो वो बोली कि अब बातों मे तो तुमसे कोई नही जीत सकता चलो चलते है
पद्मि नी ने मिता का अच्छे से वेलकम किया और कहा कि तो वो तुम हो जिसने हमारे ऑफीसर का दिल चुराया है मिता शरमा गयी मैने कहा आप लोग बातें करो मैं चलता हू कल मिलते है रात पूरी आँखो आँखो मे कट गयी फोन मिता को जान के नही किया अगर रात भर बात करता तो अच्छा नही लगता क्योंकि वो किसी और के घर मे थी रात कटी तो सुबह हुई
आज का दिन फ्री था अब ना ट्रैनिंग की चिंता थी ना किसी और बात की एक दो दिन मे पोस्टिंग ऑर्डर्स हाथ मे आ जाने थे फिर पंछी उड़ जाना था नये बसेरे की ओर अब एक सुनहरा भविष्य बस दो कदम दूर ही खड़ा था आँखो मे हज़ार सपने थे एक छोटे से गाँव का लौंडा आज फौज मे लेफ्टिनेंट बन गया था और क्या चाहिए था ज़िंदगी से
सोच लिया था कल का पूरा दिन मिता के साथ ही बिताना था मुझे बस मैं और मेरी प्रेयसी कितने खूबसूरत होंगे वो पल जब मैं उसका हाथ थामुन्गा पता नही क्या क्या सोच लिया था मेरे अधीर मन ने बस इंतज़ार था अगली खूबसूरत सुबह का पर वो कहते है ना कि जब लगन लगी तो इश्क़ की तो फिर क्या दिन क्या रात पर थोड़ी मजबूरी थी तो फिर बस सोना ही था
सर्दी की लंबी रात बेशक थी पर दिन भी होना ही था मैं पोस्टिंग ऑर्डर लेने गया तो पता चला कि अपनी पोस्टिंग रॅस्टरिया रायफ़ल्स मे हुई है और लोकेशन मिली जंबू&कश्मीर जिसे इंडिया का स्वर्ग भी कहा जाता है एक हफ्ते बाद मुझे बटालियन मे जाय्न करना था मेरी इच्छा थी कि देल्ही या अलवर मिल जाए तो घर भी जाता रहूँगा आउटपास से पर हमारी कॉन सुने तो कागज़ी कार्यवाही पूरी की ओर रिलीव हो गये अकॅडमी से इन सब कामो मे दोपहर हो गयी
अपने रूम मे आया सारा सामान पॅक-सॅक किया कल मुझे कह देना था अलविदा इस जगह को ना जाने क्यो गला थोड़ा भारी भारी सा हो गया इतने दिन इस रूम मे निकले थे जी भर कर देख लेना चाहता था मैं इन दीवारो को कुछ देर बाद मैं चल पड़ा पद्मििनी के घर सुबह से कुछ खाया भी नही था तो पेट मे भी चूहे दौड़ रहे थे तो मैं दौड़ गया उधर
मिता बोली मैं कब से इंतज़ार कर रही हू फोन भी नही पिक किया तुमने तो मैने कहा सांस तो लेने दे और थोड़ा पानी पीनेके बाद सोफे पर बैठ गया पद्मििनी भी हमारे पास आकर बैठ गयी तो मैने कहा कि जम्मू कश्मीर मे पोस्टिंग मिली है ये सुनकर मिता थोड़ी परेशान हो गयी वो बोली और कही नही ले सकते थे क्या अब कों समझाए कि अपनी कहाँ चलती है
मैने पद्मि नी को कहा कि भाभी भूख लगी है कुछ खिला दो भाभी बोली मुझे पता था कि तुम यही आओगे तो तुम्हारी पसंद का खाना बनाया है मैने कहा मिता आओ खाना खाते है तो उसने कहा कि वो खा चुकी है पहले ही खाने के बाद मैं मिता को लेकर घूमने चला गया जम के खरीदारी की उसका साथ हमेशा से ही अच्छा लगता था
मैं हमेशा से ही चाहता था कि हर पल मैं बस उसके साथ ही जियुं हर सच-दुख बस उसके साथ ही बाटू फिर हमने बाहर ही डिन्नर किया और रात होते होते वापिस आ गये कॅंपस की सुनसान सड़को पर हम दोनो चल रहे थे मिथ्लेश किसी चिड़िया की तरह चहक रही थी जी मे आया कि इसको अपनी बहो मे भर लू हमेशा के मैने उसका हाथ पकड़ा और उसको अपनी ओर खीच लिया मिता बोली क्या कर रही हो हम रोड पर है
मैने कहा फिर क्या हुआ अपनी वाइफ को छूने मे कैसा डर उसकी गरम साँसे जो मेरे चेहरे से टकराने लगी थी उस सर्दी की ठंड मे जैसे एक गरम झोंका ले आई मैने उसकी कमर मे हाथ डाला और उसको अपने से चिपका लिया उसके हाथो से समान के बॅग्स नीचे गिर पड़े सुनसान सड़क पर दो पागल प्रेमी एक दूसरे की बाहों मे भाए डाले खड़े थे उसकी धड़कन मेरी धड़कन से बाते करने लगी थी
मिता ने अपना सर मेरे सीने मे छुपा लिया मैं अब क्या बताऊ मेरे दोस्त, जो कुछ मैने उस पल महसूस किया जिस्मो से तो मैं खेलता ही रहता था पर ये जो मेरी रूह थी ना वो बस मिथ्लेश की ही दीवानी थी कितना टूट कर मैं चाहता था उसको और आज भी चाहता हू पता नही कितनी देर हम एक दूसरे की बाहों मे लिपटे खड़े रहे ना जाने क्या बात कर रही थी मेरी रूह उसकी रूह से
मैं तो बस उसके इश्क़ मे फन्ना हो जाना चाहता था मैं चाहता था कि बस मेरी ज़िंदगी चाहे हो लंबी हो या एक पल की हो बस मिथ्लेश की बाहों मे ही सिमट जाए और मेरी मुहब्बत अमर हो जाए मेरा दिल मेरा कहाँ रह गया था अब जब कुछ होश आया तो मिथ्लेश मुझसे अलग हुई और अपने हालातों पे काबू पाया और समान उठाने लगी मैने कहा ,,,,,,,,,
मिता ये कब तक चलेगा वो बोली क्या मैने कहा मेरी तड़प को यू नज़र-अंदाज ना कर ज़ालिम आ इश्क़ को मेरे किसी मुकाम पर पहुचा दे मिता बोली आ जा मेरे घर डोली लेके मैं कब मना कर रही हू मैने कहा कि आ इधर ही मंदिर मे शादी कर लेते है तो वो बोली कि इतनी तो शरम अभी बाकी है मुझमे प्यार किया है कोई चोरी नही की अपनी बना ना है तो ले आईओ बारात मेरे घर ठाकुरानी हू वादा किया है तेरी ही चूड़ी पहनुँगी चाहे कुछ भी हो जाए
और भाग कर फिर से मेरी बहो मे समाती चली गयी , उसकी यादो से आँख भर आई तो मिनट रुक के ज़रा आँख पोछ लू फिर लिखता हू तो जब मुझे लगा कि उसके जिस्म की तपिश से कही मैं बहकने ना लगूँ तो मैं उस से दूर हो गया और हम मूर्ति सर के घर की ओर चल पड़े अंदर गये तो भाभी सर को डिन्नर परोस ही रही थी हमे देख कर वो बोली आओ कितनी देर लगा दी तुमने
आओ जल्दी से बैठ जाओ मैं अभी परोसती हू वैसे तो हम बाहर से खाकर ही आए थे पर मिता को फॅमिली रिलेशन्स की बड़ी समझ थी और फिर इस परिवार ने मुझे बड़ा सहारा दिया था तो हम भी बैठ गये फिर काफ़ी देर तक बाते की अब मुझे जाना था तो सबको गुडनाइट बोल के मैं निकल पड़ा अगले दिन मिता को जाना था ये कैसा मिलन था हमारा जहा जुदाई ही जुदाई थी
अब उसको जाना था तो उसको मैं बस स्टॅंड छोड़ आया वापिस आ रहा था तो उर्वशी का फोन आया उसने पूछा कहाँ है तू तो मैने बताया उसने कहा मैं आती हू तुझे पिक करने थोड़ी देर बाद उसने मुझे पिक किया और बोली कि मेरे साथ मेरे कॉलेज चलेगा तो मैने कहा मेरा क्या काम वो बोली आ भी जा यार मेरे लिए इतना भी नही करेगा
तो वो बोली मैं सॅंडल फेक के मारूँगी मेरा दिमाग़ खराब किया तो जा ना खाना तेरा लंच मैं जा रही हूँ अब खुद ही सिचुयेशन कॉंप्लिकेटेड की और बिल फटे हम पर बड़ी ही ना इंसाफी है ये तो मैने उसका हाथ पकड़ कर उसको बिठाया और कहा देख यहाँ तमाशा सा हो रहा है सब लोग अपनी तरफ ही देख रहे है लंच नही करना कोई बात नही मैं बिल दे देता हू फिर चलते है
5-7 मिनिट बाद हम दोनो वहाँ से निकल गये अबकी बार मैं स्कूटी चला रहा था उर्वशी का मूड अब भी ठीक नही था तो मैने स्कूटी शहर से बाहर की ओर हरिद्वार रोड पर मोड़ दी और काफ़ी दूर निकल आया थोड़ा सा सुनसान एरिया आया तो मैने एक पुलिया के पास उसको रोका और कहा आ इधर बैठ कर बात करते है और हम दोनो पुलिया पर बैठ गये
कुछ देर खामोश रहने के बाद मैने उसका हाथ अपने हाथ मे पकड़ लिया और कहा कि देख तू घनी सुथरी , गजब, मोरनी सी छोरी सै अर मै सूं फोजी मेरे गेल्या लगन करके सदा दुख ही पावेगी फिर मैं बॉर्डर पे रहूँगा टाइम पे छुट्टी भी ना मिलेगी और ना जाने किस घड़ी किस गोली पे मेरा नाम लिखा हो और ये तो बाद की बाते है मैने भीतो किसी और का पल्ला पकड़ा हुआ है
उर्वशी ने अपना हाथ छुड़ाया और आलती-पालती मार के बैठ गयी और बोली कि यो सब तो तेरे आली के गेल भी हो सके सै मैने कहा बिल्कुल हो सके सै उर्वशी कहने लगी कि तेरे आली के मेरे ते भी घनी सुथरी सै मैने कहा ना वो तो तेरे पासिंग मे भी कोन्या वो बोली फेर के दिक्कत सै थोड़ा टेम मेरे गेल्या गुजारेगा तो मेरे ते प्यार करन लग ज्यागा
और वैसे भी पुरुषो का प्यार तो बस बिस्तर पर ही दिखया करे मने कुछ ना बेरा तू मेरे गेल्या ही ब्याह कर ले मैं ना रह सकूँ अब तेरे बिना लत लाग गी मने तेरी मैं काल ही अपने बापू ते बात करू सूं मैने कहा होश मे आ पागल जाटनी और गोर से देख मैं खुद फँसा पड़ा हूँ तू बस बाहर से ही मुझे जानती है पर मैं अंदर रोज जलता हू देख तन्ने बताऊ सूं
मेरी ज़िंदगी मे दो कन्या आई जो मने सच्चे मन से अच्छी लगी एक सै मिथ्लेश जो धड़कन बनकर मेरे दिल मे धड़क रही है और दूसरी सै निशा जो कदे मेरी बेस्ट फ्रेंड हुआ करती थी पर आजकल मने भूल गी अर ना जाने कित सै वा पर फेर भी वा भी दिल का एक कोना मे पड़ी सै देख मैं लाख खराब सूं मैं घटिया सूं पर मैं ब्याह करू तो बस मिता गेल ही क्योंकि यो जनम तो बस उ छोरी के साथ ही जिनो है
तू 16 सोमवार के व्रत कर ले के बेरा महादेव जी तुझे मुझसे तो लाख गुना बेहतर पति देंगे तू मने अच्छी तो बहुत लागे सै पर मैं मजबूर सूं मैं किसी और गेल वादा कर चुका हूँ अब तू ही बता मैं के करूँ तो उर्वशी खामोश हो गयी और फिर अचानक से बोली कि कामीने मैना करती तेरे से प्यार व्यार जै दुनिया निमाड़ भी ज्या ना तो मैं तेरी ना बनूँ मैं तो देखे थी कि तू कितने पानी मे सै
उसकी बात सुनकर मुझे गुस्सा आ गया मैने कहा फेर हो ली राज़ी आ गी तेरे कलेजे ने ठंड अब मेरा मूड साला सटक गया मैं उठा और उसको बोला कि देख तुझे दोस्त माना है मैने आइन्दा से फीलिंग्स वाला मज़ाक ना करियो बाकी तू चाहे जान माँग ले अभी दे दूँगा पर फीलिंग्स के साथ छेड़खानी नही होनी चाहिए तो उसने मेरे गाल को थपथपाते हुए कहा ही ओके बाबा सॉरी
जब वो सॉरी कह रही थी तो मेरी निगाह उसकी आँखो पे गयी तो मुझे उसकी आँखो मे पानी सा लगा तो इसका मतलब ये जो भी कह रही थी सच कह रही थी मैने कहा छोरी तेरी आँखो मे यो पानी कैसा तो वो अपनी चुन्नी से आँखो को पोंछती हुई बोली कि शायद कुछ कचरा चला गया होगा मैने कहा ये फिल्मी डाइलॉग ना बोल और साची बात बता
अब फँसी छोरी जाट की मैने कहा अब बता भी दे ना तो उसने कुछ नही कहा और सीधा आकर मेरे सीने से लग गयी मेरी तो साली धड़कन ही रुक गयी गले तो कइयो को लगाया था पर इस बार दिल भी साला ना फरमानी पे उतर आया मेरे हाथ अपने आप ही उसकी पीठ पर चले गये और उसकी पीठ को सहलाने लगे उसकी गरम साँसे मेरी छाती पर कहर ढाने लगी
दो मिनिट के लिए तो मेरा भी खुद पर काबू ना रहा फिर मैने उस को अपने से डोर हटा दिया पर उसका हाथ मेरे हाथ मे रह गया तो वो फिर से मेरे सीने से आ लगी उसकी साँसे भारी हो गयी थी उसकी छातिया मेरे सीने पर दबाव बना ने लगी थी अबकी बार मैने उसको अपन से अलग नही किया समय जैसे थम सा गया था तभी उसका चेहरा थोड़ा सा उपर हुआ और उसके होठ मेरे होंठो से छू गये
ना चाहते हुए भीं मैं अपने होंठो को रोक ना सका उसके लरजते हुए कोमल होंठ ऐसे थे जैसे कि पहाड़ो से बहता नदी का शीतल जल उसने अपनी आँखो को बंद कर लिया और अपनी बाहें मेरी पीठ पर थोड़ा ज़ोर से कस दी वक़्त का ना कुछ पता था मुझे ना मुझे कोई होश था 5 मिनट तक मैं उसके होंठो को ख़ाता रहा फिर वो मुझसे अलग हुई और लंबी सांस भरते हुए बोली कि मारेगा के छोरे
उर्वशी स्कूटी की ओर बढ़ी और डिग्गि से पानी की बॉटल निकाल कर पीने लगी एक ही सांस मे आधी बोतल गटक गयी और बोली कदे किसी छोरी की पप्पी ना ली के ऐसे चिपक गया जैसे कि इस जनम मे तो हटेगा ही नही पर मुझे थोड़ा सा अनकंफर्टबल फील होने लगा मैने कहा सॉरी डियर मुझे ऐसा नही करना चाहिए था तो वो बोली कोई बात ना फोजी तू भी के याद करेगा कि किसी जाटनी की पप्पी ली थी
कुछ तो बात थी छोरी मे एमबीए की स्टूडेंट होकर भी जिस तरीके से वो गाँव की देसी भाषा का प्रयोग करती थी कसम से मेरे दिल मे हुक उठ जाती थी पर सच्चाई ये थी कि मैं उसको अपना नही बना सकता था वैसे तो मैं कमीना था पर इस लड़की की फीलिंग्स के साथ मैं नही खेलना चाहता था मैने कहा जो हुआ उसके लिए मैं शर्मिंदा हू प्लीज़ फर्गिव मी
पर वो भी अपनी धुन की पक्की बोली फोजी अब मैं पीछे ना हट सकूँ या मीरा तो श्याम की दीवानी हो गयी सै इब चाहे दुनिया से लड़ना पड़े पर ब्याह तो करूँगी तेरे साथ ही अब मैं कुछना बोला और अपना माथा पकड़ कर पुलिया पे बैठ गया जी तो कर रहा था कि यही से नीचे कूद जाउ तभी शनि की दशा लगी और मिथ्लेश का फोन आ गया
मैं बात कर ही रहा था और उर्वशी मुझे तंग करने लगी तो मैने बिज़ी होने का बहाना बनाया और फोन कट किया मैने कहा उर्वशी मान भी जाना तंग ना कर आ अब वापिस चलते है तो उसने बोला कि कुछ देर और रुकते है फिर चलेंगे उर्वशी मुझ से सट कर बैठ गयी और बोली कि देख ले छोरे फेर ना कहीयो कि इसी सुथरी छोरी हाथ से निकल गी
मैं बोला तू तो पगला गयी है ऐसा नही होता है तो वो बोली फिर कैसा होता है मैने कहा मुझे नही पता वो मेरे साथ शरारत करने लगी मेरा लंड अपनी औकात मे आ गया पर इधर कुछ भी पासिबल नही था तो मैं और भी अनकंफर्टबल हो गया दिल तो अब दिल है कही भी फिसल जाता है तभी बिन मोसम हल्की हल्की बारिश शुरू हो गयी ठंडी ठंडी बूंदे हमें भिगोने लगी
एक तो सर्दी का मौसम और उपर से बारिश जब बोछार थोड़ी ज़्यादा तेज हो गयी तो मैने कहा यार अब क्या करें तो उर्वशी बोली कि उधर पेड़ो के नीचे खड़े हो जाते है तो हम रोड से उतर कर कच्चे की तरफ चल पड़े और थोड़ी दूर घने पेड़ थे उनके नीचे जाकर खड़े हो गये यहाँ बारिश तो नही थी पर ठंडी हवा कुलफी जमा रही थी
देहरादून का मोसम भी बड़ा ही कमाल है उर्वशी ठंड से काँपने लगी और मुझ से सट कर खड़ी हो गयी दो भीगे हुए बदन एक दूसरी की गर्मी का अनुभव करने लगे तभी मुझे क्या सूझा उसके गीले बालो को मैने खोल दिया हमेशा से ही मुझे खुले बालो वाली लड़कियाँ बड़ी अच्छी लगती है उर्वशी बोली छोरे के करै सै
मैने कहा कुछ ना तू बस दो मिनट चुप रह उसकी गीली ज़ुल्फो की खुसबू मुझे मदहोश करने लगी थी पानी की बूंदे जब उसके गालो से टपक रही थी तो लगा जैसे कि पेड़ो से शबनम बह रही हो एक तो मोसम का ज़ुल्म और उपर से कयामत भी मेरी आँखो के सामने ही खड़ी थी अब मैं क्या करूँ मेरे शरीर मे खून ज़ोर मारने लगा
मैने एक हाथ उर्वशी की कमर मे डाला और उसको अपनी तरफ खीच लिया वो बिल्कुल मुझसे सट गयी हमारी आँखे चार हुई वो मुझे देखे मैं उसे देखु वक़्त ने अजीब हालात खड़े कर दिए थे ये ही एक ऐसी लड़की थी जिसके साथ मैं कुछ नही करना चाहता था और तकदीर आज इस लड़की को ही मेरी बाहों मे ले आई थी मैं तो जैसे पत्थर का बन गया था
उसकी आँखो मे बेपरवाह मुहब्बत का सैलाब दिख रहा था मुझे पर मैं अपने होश संभाले था पर कितनी देर तक वो बेशक उर्वशी थी पर मैं विश्वामित्र कतई नही था तभी कही दूर बिजली कडकी और उर्वशी और भी अच्छे से मेरी बाहों मे आ गयी उसके बदन की खुश्बू मेरे हार्मोंस को आक्टिव कर रही थी हर एक गुज़रते पल के साथ मेरा खुद पर कंट्रोल ख़तम होते जा रहा था आख़िर परिस्थिति ही कुछ ऐसी हो गयी थी
काम देव का बान कमान से निकल कर मुझे घायल करने को चल पड़ा था और उर्वशी का हाल भी कुछ ऐसा ही था अब की बार जैसे ही उसकी और मेरी नज़र मिली मेरे सबर का बाँध टूट गया और मैने दोनो हाथो से उसके सुर्ख हो चुके चेहरे को पकड़ा और किसी बिछड़े हुए दीवाने की तरह उसकी नरम होंठो को चूमने लगा उर्वशी ने कोई प्रतिकार नही किया
उसने अपने मूह को थोड़ा सा खोला और उसकी जीभ को मेरे मूह मे सरका दिया अब अगर कयामत भी हो जाती तो कोई गम ना था पता नही कितनी देर तक मैं उसके लबों की शबनम को पीता रहा फिर जब दुबारा से बिजली कडकी तो मुझे होश आया मैने उसके धक्का देकर अपने से दूर किया और अपनी उखड़ती हुई सांसो को दुरुस्त करने लगा कुछ ऐसा ही हाल उस पागल जाटनी का था
मैने कहा उर्वशी मेरे पास ना आ अगर मैं बहक गया तो फिर मुश्किल हो जाएगी बड़ी मुश्किल से संभाला है खुद को मैं तुझे खराब नही करना चाहता प्लीज़ इन घायल नज़रों से ना देख मुझे अगर मैं आज फिसल गया तो फिर सारी ज़िंदगी दिल पे बोझ रहे गा बारिश अब बेहद तेज हो गयी थी और ठंड भी अब तेज होने लगी थी
कैसी ये मृगतृष्णा थी कैसे हालत मे आज मैं आ गया था वरना ऐसी कोई चूत नही थी जिसपे दिल आने के बाद उसका मज़ा ना लिया हो पर इस मर्जानी की बात अलग थी ठंड से उसका बदन काँपने लगा था तो मैने अपनी जॅकेट निकाली और उसको ओढ़ा दी जब खड़े खड़े पैर दुखने लगे तो मैं पेड़ का सहारा लेकर बैठ गया गीली मिट्टी की खुसबू जो आई तो साथ काफ़ी यादे ले आई
उर्वशी साया फिल्म का गाना अये मेरी ज़िंदगी गुनगुनाने लगी थी तो मेरा ध्यान उसकी तरफ गया मैने कहा इधर आ और उसको अपने आगोश मे ले लिया मैं बोला देख जाटनी तू मुझसे एक वादा कर कि तू आज के बाद मुझसे कभी ना मिलेगी और ना ही कभी मेरे बारे मे सोचेगी मैं कुछ दिन मे यहाँ से चला जाउन्गा फिर ना जाने तकदीर कहाँ ले जाएगी
उर्वशी बस सुनती ही रही मैने कहा यार तू बहुत ही सच्ची लड़की है और मैं उतना ही कमीना तुझे अब क्या कहूँ तू खुद इतनी समझदार है बस कभी याद आ जाए तो एक सपना समझ कर भुला देना पर तेरा मेरा साथ अगर यही ख़तम हो जाए तो अच्छा होगा वरना तू भी दुखी और मैं भी
उसकी आँखो से झरता एक एक आँसू मेरे दिल मे छेद कर रहा था पर मैं भी तो मजबूर था ज़िंदगी मे इतना बेबस कभी नही हुआ था मैं अगर मिता ना होती तो एक पल ना लगाता इस छोरी का हाथ थामने मे . बादल अब और भी ज़ोर से गरजने लगे थे आज बारिश रुकना मुश्किल ही लग रहा था और हम दोनो शहर से दूर सुनसान मे फँस गये थे
हम दोनो खामोश बैठे थे कहने को शायद कुछ था पर ना वो बोल रही थी ना मैं दिल पे बोझ सा लग रहा था पर ये बोझ अच्छा था उस बोझ से जो उसको खराब करके मिलता शाम ढलने को आई थी वापिस अकॅडमी मे भी रिपोर्ट करना था हम तो साला बस बँध कर रह गये थे रूल्स मे . छाती मे दर्द सा होने लगा था अब करें भी तो क्या
उर्वशी मेरे पास आई और बोली कि अच्छा लगा तेरा साथ दो पल जो तेरे साथ बिताए खुल के जी ली ज़िंदगी इब जै मर भी जाउ तो कोई दुख ना सै मैने कहा ऐसा क्यो बोलती हो अभी तो पूरी लाइफ पड़ी है तुम्हारे आगे ये मुहब्बत भी अजीब है जहाँ होनी चाहिए वहाँ नही होगी और ना चाहते हुए भी हो जाती है इंसान तो बस फिर इसके इशारों पर नाचते है
बारिश अब और अंदर तक आने लगी थी तो हम पेड़ो के और अंदर चले गये यहाँ कुछ गर्मी भी थी और थोड़ा सूखा भी था तो कुछ आराम मिला उर्वशी कहने लगी कि अच्छा होता जै कभी तेरा मूह ना देखती मैने कहा जो कहना है कह ले निकाल ले तेरे मन की सारी भडास तो वो बोली जा कामीने तू जी अपनी जिंदगी मेरी फिकर ना करियो पर जाने से पहले एक काम कर्दे मुझे तेरे रंग मे रंग दे
ये उसका खुला निमंत्रण था मेरे लिए . उर्वशी का को मेरे जवाब का इंतज़ार था वो बोली अब इतना भी ना कर सकेगा मेरी खातिर तो मैने कहा जान भी माँग के देख एक पल मे दे दूँगा तेरे लिए पर मैं तुझसे प्रीत नही लगाउन्गा मुझमे इतनी हिम्मत नही है कि मैं तेरी प्रीत निभा पाऊ पर वो भी मगरूर जाटनी थी लगी बहस करने उसने कहा एक बात बता
मैने कहा दो पूछ वो बोली तेरा मेरा फिर क्या रिश्ता ये सुनते ही मुझे कुछ याद आ गया यही सवाल मैने कभी प्रीतम से पूछा था प्रीतम की याद आते ही दिल भी साला एमोशनल हो गया मैने अपनी आँखे पोन्छि और कहा कभी मैने भी किसी से यही बात पूछी थी मैं तेरे सवाल का जवाब ज़रूर दूँगा बस सांस लेने दे ज़रा
उर्वशी बोली अब बता भी दे मैने कहा तेरा मेरा रिश्ता ऐसा जैसे कि नदी के दो किनारों का साथ भी है और जुदाई भी है तेरा मेरा रिश्ता एक पवित्र बंधन है जो अनचाहे ही बँध गया है शायद तू समझ गयी होगी मैं बेचैन हो गया था मुझे लग रहा था कि कही इस दीवानी की तपिश मे कही मैं पिघल ना जाउ उर्वशी आज पता चल रहा था कि कैसे ऋषि विश्वामित्र को डिगा दिया था उसने
मैने कहा प्रेम-कहानियाँ उर्वशी , प्रेम कहानियाँ कुछ ऐसी ही है तेरी मेरी ये छोटी सी कहानी अगर इसको यही पे ना रोका गया तो तूफान आ जाएगा तेरा ना बिगड़ेगा कुछ पर मैं बह जाउन्गा और मेरे साथ मेरी प्रेयसी भी अब तू ही बता मैं क्या करूँ कैसे उसका हाथ छोड़ कर तेरा हाथ पकडू तो वो बोली तू जी अपनी जिंदगी मैं भी जी ही लूँगी किसी ना किसी तरह से
मैने उसके हाथ चूमे और कहा पर तू इस दिल मे हमेशा रहेगी दोस्त बनके अंधेरा घिरने लगा था और बारिश भी कुछ मंद हो गयी थी तो मैने कहा आजा अब चलते है तो फिर मैने स्कूटी स्टार्ट की और चल पड़े वापिस अपनी मंज़िल की ओर कुछ तो दिल पे बोझ और मोसम बेरहम और कुछ ये हसीन साथ उसका उसकी हर एक धड़कन अब भी जैसे मुझसे कई सवाल पूछ रही हो
जैसे तैसे अकॅडमी पहुच गये गेट पे एंट्री को लेकर बहस हुई तो उर्वशी ने मोर्चा संभाला उसने मुझे मेरे होस्टल के बाहर ड्रॉप किया और बोली तेरा फोन नंबर तो दे दे अब कदे कदे बात करन ते ना रोकियो इतना हक तो दे दिए मैने कहा हाँ ज़रूर नंबर लेने के बाद वो चली गयी और मैं उसको देखता ही रहा पता ही नही चला कब आँखो से दो आँसुओ ने गिरकर गालो को चूम लिया
उर्वशी चली तो गयी थी पर साथ मेरा चैन-सुकून भी ले गयी थी आज की रात भारी होने वाली थी पर अगर हम इतने ही कच्चे होते तो यहाँ आर्मी मे ना आते फोजी का सबसे बड़ा गुण यही होता है कि वो अपनी फीलिंग को दूसरो से बेहतर तरीके से कंट्रोल कर सकता है भूक ने दस्तक दे दी थी पेट मे डिन्नर टाइम भी ऑलमोस्ट हो ही गया था तो फटा फट मैने कपड़े चेंज किए और मेस मे पहुच गया
खाना खाने के बाद मैं वापिस आया तो सोचा कि घर पे फोन ही करलू तो पता चला कि फोन तो काम ही नही कर रहा है बारिश मे भीगने से ये खराब हो गया था ये नयी प्राब्लम हो गयी आउटपास आज ही तो लिया था तो नया फोन खरीदने जाने का सवाल ही नही था तो एक ठंडी आह भारी और सो गया
अगली सुबह और भी परेशानी सी भरी थी चूँकि अब लास्ट टाइम रेहेर्सल्स ही चल रही थी तो बड़े बड़े ऑफिसर्स परेड का इनस्पेक्षन करने आते थे बड़ी ही सावधानी रखनी पड़ती थी दोपहर तक हालत खराब हो गयी थी पर ये लास्ट एक हफ़्ता तो किसी ना किसी तरह से अड्जस्ट करना ही था मोबाइल खराब होने से मैं थोड़ा सा अजीब महसूस कर रहा था
शाम को ऑफ टाइम मे मैं पहुच गया अपने अड्डे पर मैने सॅंडविच का ऑर्डर दिया और अपनी कुर्सी पर बैठ गया कुछ ही देर मे उर्वशी भी आ गयी उसने कहा कि मैने तुझे फोन किया था पर मिल ही नही रहा था तो मैने उसको बताई कहानी तो वो बोली कि कोई ना मैं कल जब कॉलेज जाउन्गी तो तेरे लिए नया मोबाइल खरीद लाउन्गी तू बता कॉन सा लेगा
मैने कहा जो भी तुझे अच्छा लगे ले आना फिर हमारी बाते शुरू हो गयी उसके साथ टाइम पता नही कब निकल जाता था पता ही नही चलता था फिर मैने कहा आ एटीएम तक चलते है मैं तुझे पैसे भी दे देता हू वो बोली रहने दे मैं बाद मे ले लूँगी मैने कहा ठीक है फिर हम अपने अपने रास्ते हो लिए
अगला दिन भी भाग दौड़ के साथ आया जब मैं नाश्ता करने के लिए जा रहा था तो मूर्ति सर ने कहा कि शाम को तुम्हारी भाभी ने तुम्हें घर बुलाया है टाइम से आ जाना मैने कहा सर कोई खास बात है क्या तो वो बोले कि आज मेरे बेटे का बर्थ’डे है मैने कहा ये तो बहुत ही अच्छी बात है सर मैं आता हूँ
तभी मुझे कुछ सूझा मैने कहा सर दो मिनट के लिए आपका फोन यूज़ कर सकता हूँ क्या मेरा फोन खराब हो गया है सर का फोन लेके मैने उर्वशी को कॉल किया और कहा कि शाम को तू फ्री रहना मेरे साथ तुझे कहीं चलना है और शाम को तू एक काम कर एक बच्चे के लिए दो-चार बढ़िया वाले कपड़े खरीद लेना साइज़ ये होगा **** और एक बड़ा सा केक भी मस्त वाला मॅनेज कर लेना
वो पूछती रही कि किसके लिए तो मैने कहा तू अभी सवाल ना कर ऑफीसर के फोन से कॉल कर रहा हू शाम को मिलते है तो वो बोली तू चिंता ना कर काम हो जाएगा तो फिर पूरा दिन गान्ड घिसने के बाद शाम को 6 बजे मैं रेडी हो कर शॉपिंग सेंटर पर चला गया आधे घंटे बाद उर्वशी भी दन दनाती हुई आ गयी और बोली ले तेरा मोबाइल सबसे पहले
मैने कहा इसको रख ले बाद मे ले लूँगा वो बोली इतने प्यार से लाई हू खोल के तो देख नोकिया का एन72 मोबाइल जो उस जमाने मे काफ़ी हिट था मैने उसको थॅंक्स कहा आज भी वो मोबाइल रखा है मेरे सामान मे एक याद के रूप मे खैर, मैने कहा अब तू पीछे बैठ और मुझे चलाने दे और मैने स्कूटी दौड़ा दी पद्मिदनी के घर की ओर
मैने स्कूटी रोकी पहुच कर और उर्वशी को सारा समान लेकर आने को कहा गेट खुला तो था ही हम पहुच गये अंदर पद्मिकनी ने हमारा वेलकम किया पद्मिेनी ने उर्वशी को वेलकम ड्रिंक सर्व किया और मुझे अंदर आने को कहा जैसे ही मैं अंदर गया भाभी के सवाल शुरू हो गये पूछने लगी कि ये तुम्हारी गर्लफ्रेंड है मैने कहा नही बस दोस्त है भाभी नॉटी स्माइल देते हुए बोली इसको भी लपेट दिया क्या तो मैने कहा क्या आप भी
फिर थोड़ी देर बाद हम सबने मिलकर डेकोरेशन की और तैयारिया करने लगे तब तक उनका बेटा और मूर्ति सर भी आ गये फिर केक काटा गया और मस्ती शुरू हो गयी छोटी सी पार्टी थी कुछ ही लोगो को बुलाया गया था पर मुझे बहुत अच्छा लगा था इस परदेश मे बस ये तो था अपना छोटा सा परिवार तो फिर मैने कहा भाभी जल्दी से डिन्नर करवाओ मुझे तो निकलना होगा
आजकल नींद पूरी नही हो पाती थी और फिर लाइट्स ऑफ होने से पहले ही वापिस जाना था भाभी बोली कि तुम लोग किचन मे आओ जब हम गये तो भाभी ने प्लेट्स लगा दी और मैं और उर्वशी एक ही प्लेट मे खाना डाल कर खाने लगे वो भी क्या दिन थे आज बस तरसते है उन लम्हो के लिए बड़े से बड़े रेस्टोरेंट मे खाना खरीद सकते है पर वो प्यार कहाँ मिलता है पाता बताना ज़रा
भाभी ने कई चीज़े बनाई थी और वो भी घर पे बनी हुई तो खाने का मज़ा दुगना हो गया था एक बेहद ही मस्त टेस्टी डिन्नर के बाद उर्वशी बोली मैं बाहर वेट कर रही हूँ तुम जल्दी ही आ जाना मैने कहा अभी आया मैने इशारे से भाभी को अपने पास बुलाया और कहा कि कुछ जुगाड़ करो ना तो वो बोली कि मेरा बेटा है इधर तो पासिबल नही है
अपना तो दिल ही टूट गया मैने कहा कोई नही भाभी फिर उनसे विदा लेकर मैं बाहर आ गया उर्वशी ने स्कूटी स्टार्ट कर ली तो मैने कहा बंद कर इसको पैदल ही चलेंगे तो वो बोली यो के साइकल है मैने कहा मुझे दे मैं घसीटता हू इसको तो मैं स्कूटी को घसीटने लगा उर्वशी बोली ये लोग तुमको बड़ा मानते है मैने कहा यहाँ ये ही मेरी छोटी सी फॅमिली है जिसमे अब तुम भी हो
वो बोली छोरे तू भी ना अपने अंदर ही एक अलग ही दुनिया समेटे चले है भगवान से वो छोरी जिसने साजन के रूप मे तू मिलया सै अर म्हारी फूटी किस्मत जो तू पहलया ना मिला मैने कहा कोई ना अगली बार तेरा ही पति बनूंगा उर्वशी हँसने लगी और बोली मैं तो मीरा बानगी मेरे मोहन तेरे लिए अब तू माने ना माने मैने कहा ख़ुसनसीब होगा वो जिसकी तू दुल्हन बनेगी
वो बोली तू ही बना ले ना मने दुल्हन अर बन ज्या ख़ुसनसीब कसम खाऊ सूं जै तन्ने एक भी शिकायत का मौका दे दूं तो मैने कहा यार अब फिर से वही टॉपिक ना शुरू कर और मस्ती से जी वो बोली वैसे तूने अच्छा किया जो मुझे भी तेरी खुशियो मे थोड़ा हिस्सा दिया मैने कहा तू भी बन जा मेरे जैसी वो बोली ना रे मैं कित बन सकूँ सू तेरे सी
बात करते करते मैने उसको उसके घर तक छोड़ा और फिर तेज तेज कदमो से चलते हुए पहुच गया होस्टल मे तो दोस्तो ऐसे ही वो हफ़्ता भी गुजर ही गया और मेरी पासिंग आउट का दिन आ ही गया ये मेरी ज़िंदगी का एक बेहद इंपॉर्टेंट दिन था आज मैं पूर्ण रूप से फ़ौजी अफ़सर बन जाने वाला था सुबह से ही खुद को शाहरूक़ ख़ान से कम ना समझ रहा था मैं
फोन मे मिथ्लेश का एसएमएस था कि वो बस थोड़ी ही देर मे अकॅडमी मे पहुच जाएगी मैं नहा कर आया और फाइनल तैयारी कर ही रहा था की पापा का फोन भी आ गया उन्होने कहा कि बेटे हम लोग आ गये है और कुछ देर मे अकॅडमी मे आ जाएँगे आज का दिन ही मस्त था सब कॅडेट्स की फॅमिलीस आज आने वाली थी अकॅडमी का माहॉल आज अलग सा लग रहा था
आज मैने ने ड्रेस पहनी आज मेरे रोम रोम मे एक नया अहसास हो रहा था और फिर थोड़ी देर बाद मैं पहुच गया ग्राउंड मे सभी गेस्ट्स अपनी अपनी जगह ले चुके थे प्रेसीडेंट हमारे चीफ गेस्ट थे तो फिर शुरू हुआ अंतिम सफ़र हर एक लम्हे के साथ यहा गुज़रे हुए पल याद आने लगे दिल मे एमोशन्स भी थे तो खुशी भी थी अपने परिवार का पहला लौंडा जो ऑफीसर बना मैं
आज मेरी गर्दन कुछ ज़्यादा ही ऊँची हो गयी थी बहुत गान्ड घिसी थी मैने इस लम्हे के लिए आज धूप मे भी एक खनक थी हमारे जोश से आज इंडियन मिलिटरी अकादमी भी आज झूम उठी थी और फिर आख़िर हमने आख़िरी पग भी ले ही लिया स्टार्स शोल्डर्स पर लग गये थे कसम परेड ख़तम हो गया थी अब टाइम था फॅमिली से मिलने का
मैं दौड़ कर गया तो देखा कि पूरी फॅमिली ही आ गयी थी मम्मी, पापा , चाचा-चाची, चाची का पेट बाहर को फूला हुआ था प्रेग्नेन्सी की हालत मे भी वो मेरे लिए आ गयी थी ताऊ-ताइजी रवि-अनिता साक्षी गुड़िया भी थोड़ी बड़ी और हो गयी थी मेरी आँखो मे आँसू आ गये पर नज़रें अभी भी किसी को ढूँढ रही थी जब वो चेहरा दिखा तो दिल को ठंडक मिली
मिता, मेरी जान एक कोने मे कुर्सी पर बैठी थी मैं दौड़ कर गया और उसका हाथ पकड़ कर ले आया भाभी तो उसको देखकर ही खुश हो गयी मिता ने सर पर चुन्नी डाली और सबके पैरो को स्पर्श किया अब पापा और भाभी तो मिता को जानते थे पर मम्मी को कुछ समझ ना आया तो वो बोली ये लड़की कॉन है तो मैने कहा पापा से पूछ वो बताएँगे
तो पापा ने बात टालते हुए कहा कि ये इसकी दोस्त है मम्मी मुझे घूर्ने लगी अब माँ तो माँ होती है ना हम लोग बात-चीत कर ही रहे थे कि तभी उर्वशी ने भी दर्शन दे दिए आते ही बोली कि सॉरी यार थोड़ा लेट हो गयी अब घरवाले मूह फाडे तो मैने कहा कि पापा ये उर्वशी है और परिचय करवाया आज का दिन बन गया था मेरा पापा ने बताया कि वो गाड़ी बुक कर के लाए है और रात तक वापिस निकल जाएँगे
मैने कहा एक दो दिन तो रुक जाते तो उन्होने कहा कि मजबूरी है बस आ गये किसी तरह से ये ही बहुत है मम्मी बोली अब छुट्टी कब आएगा तो मैने कहा अभी कुछ पता नही जब मिलेगी तब आ जाउन्गा अकॅडमी मे ही आज लंच का इंतज़ाम था विदाई की दावत थी तो हम सब लोग लंच के लिए चले गये मिता अनिता भाभी से चिपकी हुई थी उर्वशी बोली कि वो शाम को मिलेगी और खिसक ली
शाम ढलते ढलते घरवाले भी रवाना हो गये अब बचे दो पंछी मैं और मिता मैने कहा मिता तू तो रुकेगी ना तो वो बोली कि हम 1-2 रुक जाउन्गी तो मैने कहा आ मैं तेरा जुगाड़ करता हू मैने पद्मिीनी को फोन किया और कहा कि भाभी मिथ्लेश आई है क्या दो दिन आपके घर रुक जाए तो भाभी ने कहा अरे ये भी कोई कहने की बात है तू उसको यहाँ ले आ
मैने कहा अभी आया भाभी और मिता को कहा कि आजा तेरे रुकने का इंतज़ाम हो गया है मिता बोली फालतू मे तकलीफ़ कर रहे हो मैं होटेल मे रूम ले लूँगी मैने कहा मेरी जान ठहर जा इधर ही और देख कि आर्मी लाइफ कैसी होती है आगे तुझे भी तो ऐसे ही माहौल मे रहना है तो वो बोली कि अब बातों मे तो तुमसे कोई नही जीत सकता चलो चलते है
पद्मि नी ने मिता का अच्छे से वेलकम किया और कहा कि तो वो तुम हो जिसने हमारे ऑफीसर का दिल चुराया है मिता शरमा गयी मैने कहा आप लोग बातें करो मैं चलता हू कल मिलते है रात पूरी आँखो आँखो मे कट गयी फोन मिता को जान के नही किया अगर रात भर बात करता तो अच्छा नही लगता क्योंकि वो किसी और के घर मे थी रात कटी तो सुबह हुई
आज का दिन फ्री था अब ना ट्रैनिंग की चिंता थी ना किसी और बात की एक दो दिन मे पोस्टिंग ऑर्डर्स हाथ मे आ जाने थे फिर पंछी उड़ जाना था नये बसेरे की ओर अब एक सुनहरा भविष्य बस दो कदम दूर ही खड़ा था आँखो मे हज़ार सपने थे एक छोटे से गाँव का लौंडा आज फौज मे लेफ्टिनेंट बन गया था और क्या चाहिए था ज़िंदगी से
सोच लिया था कल का पूरा दिन मिता के साथ ही बिताना था मुझे बस मैं और मेरी प्रेयसी कितने खूबसूरत होंगे वो पल जब मैं उसका हाथ थामुन्गा पता नही क्या क्या सोच लिया था मेरे अधीर मन ने बस इंतज़ार था अगली खूबसूरत सुबह का पर वो कहते है ना कि जब लगन लगी तो इश्क़ की तो फिर क्या दिन क्या रात पर थोड़ी मजबूरी थी तो फिर बस सोना ही था
सर्दी की लंबी रात बेशक थी पर दिन भी होना ही था मैं पोस्टिंग ऑर्डर लेने गया तो पता चला कि अपनी पोस्टिंग रॅस्टरिया रायफ़ल्स मे हुई है और लोकेशन मिली जंबू&कश्मीर जिसे इंडिया का स्वर्ग भी कहा जाता है एक हफ्ते बाद मुझे बटालियन मे जाय्न करना था मेरी इच्छा थी कि देल्ही या अलवर मिल जाए तो घर भी जाता रहूँगा आउटपास से पर हमारी कॉन सुने तो कागज़ी कार्यवाही पूरी की ओर रिलीव हो गये अकॅडमी से इन सब कामो मे दोपहर हो गयी
अपने रूम मे आया सारा सामान पॅक-सॅक किया कल मुझे कह देना था अलविदा इस जगह को ना जाने क्यो गला थोड़ा भारी भारी सा हो गया इतने दिन इस रूम मे निकले थे जी भर कर देख लेना चाहता था मैं इन दीवारो को कुछ देर बाद मैं चल पड़ा पद्मििनी के घर सुबह से कुछ खाया भी नही था तो पेट मे भी चूहे दौड़ रहे थे तो मैं दौड़ गया उधर
मिता बोली मैं कब से इंतज़ार कर रही हू फोन भी नही पिक किया तुमने तो मैने कहा सांस तो लेने दे और थोड़ा पानी पीनेके बाद सोफे पर बैठ गया पद्मििनी भी हमारे पास आकर बैठ गयी तो मैने कहा कि जम्मू कश्मीर मे पोस्टिंग मिली है ये सुनकर मिता थोड़ी परेशान हो गयी वो बोली और कही नही ले सकते थे क्या अब कों समझाए कि अपनी कहाँ चलती है
मैने पद्मि नी को कहा कि भाभी भूख लगी है कुछ खिला दो भाभी बोली मुझे पता था कि तुम यही आओगे तो तुम्हारी पसंद का खाना बनाया है मैने कहा मिता आओ खाना खाते है तो उसने कहा कि वो खा चुकी है पहले ही खाने के बाद मैं मिता को लेकर घूमने चला गया जम के खरीदारी की उसका साथ हमेशा से ही अच्छा लगता था
मैं हमेशा से ही चाहता था कि हर पल मैं बस उसके साथ ही जियुं हर सच-दुख बस उसके साथ ही बाटू फिर हमने बाहर ही डिन्नर किया और रात होते होते वापिस आ गये कॅंपस की सुनसान सड़को पर हम दोनो चल रहे थे मिथ्लेश किसी चिड़िया की तरह चहक रही थी जी मे आया कि इसको अपनी बहो मे भर लू हमेशा के मैने उसका हाथ पकड़ा और उसको अपनी ओर खीच लिया मिता बोली क्या कर रही हो हम रोड पर है
मैने कहा फिर क्या हुआ अपनी वाइफ को छूने मे कैसा डर उसकी गरम साँसे जो मेरे चेहरे से टकराने लगी थी उस सर्दी की ठंड मे जैसे एक गरम झोंका ले आई मैने उसकी कमर मे हाथ डाला और उसको अपने से चिपका लिया उसके हाथो से समान के बॅग्स नीचे गिर पड़े सुनसान सड़क पर दो पागल प्रेमी एक दूसरे की बाहों मे भाए डाले खड़े थे उसकी धड़कन मेरी धड़कन से बाते करने लगी थी
मिता ने अपना सर मेरे सीने मे छुपा लिया मैं अब क्या बताऊ मेरे दोस्त, जो कुछ मैने उस पल महसूस किया जिस्मो से तो मैं खेलता ही रहता था पर ये जो मेरी रूह थी ना वो बस मिथ्लेश की ही दीवानी थी कितना टूट कर मैं चाहता था उसको और आज भी चाहता हू पता नही कितनी देर हम एक दूसरे की बाहों मे लिपटे खड़े रहे ना जाने क्या बात कर रही थी मेरी रूह उसकी रूह से
मैं तो बस उसके इश्क़ मे फन्ना हो जाना चाहता था मैं चाहता था कि बस मेरी ज़िंदगी चाहे हो लंबी हो या एक पल की हो बस मिथ्लेश की बाहों मे ही सिमट जाए और मेरी मुहब्बत अमर हो जाए मेरा दिल मेरा कहाँ रह गया था अब जब कुछ होश आया तो मिथ्लेश मुझसे अलग हुई और अपने हालातों पे काबू पाया और समान उठाने लगी मैने कहा ,,,,,,,,,
मिता ये कब तक चलेगा वो बोली क्या मैने कहा मेरी तड़प को यू नज़र-अंदाज ना कर ज़ालिम आ इश्क़ को मेरे किसी मुकाम पर पहुचा दे मिता बोली आ जा मेरे घर डोली लेके मैं कब मना कर रही हू मैने कहा कि आ इधर ही मंदिर मे शादी कर लेते है तो वो बोली कि इतनी तो शरम अभी बाकी है मुझमे प्यार किया है कोई चोरी नही की अपनी बना ना है तो ले आईओ बारात मेरे घर ठाकुरानी हू वादा किया है तेरी ही चूड़ी पहनुँगी चाहे कुछ भी हो जाए
और भाग कर फिर से मेरी बहो मे समाती चली गयी , उसकी यादो से आँख भर आई तो मिनट रुक के ज़रा आँख पोछ लू फिर लिखता हू तो जब मुझे लगा कि उसके जिस्म की तपिश से कही मैं बहकने ना लगूँ तो मैं उस से दूर हो गया और हम मूर्ति सर के घर की ओर चल पड़े अंदर गये तो भाभी सर को डिन्नर परोस ही रही थी हमे देख कर वो बोली आओ कितनी देर लगा दी तुमने
आओ जल्दी से बैठ जाओ मैं अभी परोसती हू वैसे तो हम बाहर से खाकर ही आए थे पर मिता को फॅमिली रिलेशन्स की बड़ी समझ थी और फिर इस परिवार ने मुझे बड़ा सहारा दिया था तो हम भी बैठ गये फिर काफ़ी देर तक बाते की अब मुझे जाना था तो सबको गुडनाइट बोल के मैं निकल पड़ा अगले दिन मिता को जाना था ये कैसा मिलन था हमारा जहा जुदाई ही जुदाई थी
अब उसको जाना था तो उसको मैं बस स्टॅंड छोड़ आया वापिस आ रहा था तो उर्वशी का फोन आया उसने पूछा कहाँ है तू तो मैने बताया उसने कहा मैं आती हू तुझे पिक करने थोड़ी देर बाद उसने मुझे पिक किया और बोली कि मेरे साथ मेरे कॉलेज चलेगा तो मैने कहा मेरा क्या काम वो बोली आ भी जा यार मेरे लिए इतना भी नही करेगा