06-12-2020, 12:35 AM
तो उन्होने मेरे माथे पर किस किया तो मैं बोला डार्लिंग लिप्स पर भी तो उन्होने अपने रसीले होंठो पर जीभ फेर कर उनको गीला किया और उनको मेरी तरफ बढ़ा दिया मैं थोड़ा आगे हुआ और उनके सहद से भी मीठे होंठो का रस चाटने लगा एक मिनट मे ही पद्मिलनी गरम हो गयी उसकी छातिया मेरे सीने मे सामने को आतुर हो उठी मैं अपने लबो से उसके लबो पर प्यार की एक नयी इबारत लिखने की कोशिश करने लगा कुछ देर उसको यू ही किस किया पर अभी हम सेक्स कर नही सकते थे तो थोड़ी सी चूमा-चाटी के बाद मैं वापिस आकर बाहर वाले रूम मे बैठ गया
थोड़ी देर बाद ही पद्मिूनी ने खाना लगा दिया ये भी एक सुख ही था कि यहा कभी कभी घर का खाना नसीब हो जाता था वरना बाकी तो आपको पता ही है तो एक बेहद शानदार डिन्नर के बाद मैं अपने होस्टल की तरफ चल पड़ा काफ़ी दबा के खाया था तो बस अब सोना ही था
अगले दिन मैं जब उठा तो खुद को तरो ताज़ा महसूस कर रहा था आज ग्राउंड पर मैं एक नये जोश के साथ था मैने सोच लिया था कि अभी निशा को बस भूल ही जाउन्गा जब उसको मेरी कोई परवाह नही है तो मैं क्यो उसके बारे मे इतना सोचु मैने सोच लिया था कि अब बस प्रॅक्टिकल लाइफ ही जीऊँगा अभी टाइम था खुद के बारे मे सोचने का आज ड्रिल्स मे एक अलग ही एनर्जी थी मुझमे पर क्या निशा को भूलना सच मे इतना आसान था ना जाने दिल के किस कोने मे उसने अपना मकान बना लिया था पर मैं अब कठोर होना चाहता था वैसे भी ट्रैनिंग के कुछ ही महीने बचे थे सर्दी पड़ने लगी थी दीवाली भी बीत गयी थी पर चाहत का एक दिया मेरे दिल मे हमेशा जलता रहता था जिसे मिथ्लेल्श ने जलाया था
दिल मे आस थी कि पोस्टिंग मिलते ही मिथ्लेश से शादी करूँगा फिर अपना भी परिवार हो जाएगा और हमारी प्रेमकहानी को भी अंजाम मिल जाएगा तो मैं पूरी शिद्दत से ट्रैनिंग की हर मुश्किल को पार कर रहा था 24 नवेंबर को मिथ्लेश का जनमदिन था पर बस फोन पर ही विश करना था उसको वो भी समझती थी मेरी मजबूरी को तो बस थोड़ी देर प्यार भरी बाते की उस से और कुछ ज़्यादा टाइम भी नही मिला ऐसे ही दिन गुजर रहे थे एक दोपहर मैं कॅंटीन मे था तो उस लड़की के दीदार हो ही गये जिसके हुस्न के चर्चे अक्सर मेरा याडी करता रहता था क्या लड़की थी यार वो मुझ से भी लंबी जिस्म पर कही पर भी फालतू चर्बी नही लगा कि यार इसको किसने साँचे मे ढाला सुतवा शरीर हरियानवी मे कहूँ तो मुँह बटुवे सा एक नज़र मे ही भा गयी फोजियो का ये एक गुण है की वो हमेशा लड़की, औरतो को ताड़ते ही रहते है
अब नाम पता मालूम नही पर दिल को भा गयी रूप ऐसा कि जैसे खिलता गुलाब हो एक अलग सी ही बेतक्लुफफी सी थी उसमे अदाए ऐसी की किसी को भी पलट कर देखने को मजबूर कर दे उसने धूप का चश्मा आँखो से उतारा और अपनी ज़रूरत का सामान लेने लगी यदि धीरे से बोला कि भाई माल तो चोखा है मैं तो इसे याद करके मुट्ठी मार सकूँ सूं तू देखले कुछ हो तो अब वो थी बड़े ऑफीसर की छोरी तो डाइरेक्ट्ली अप्प्रोच भी नही कर सकता था और वो इतनी स्टाइलिश थी कि मेरी तरफ देखे भी ना पर दिल तो दिल है कर डाली डिमॅंड कि इस्पे भी दाँव लगा ले क्या पता काम बन जाए मैने कहा लेट’स हॅव आ चान्स बात बने तो ठीक नही तो और कोई देखेंगे ट्राइ मारना तो बनता है तो कॅंटीन मे एक दुक्का ही लोग थे इतनी हलचल नही हो रही थी
तो मैने उसी टाइम चान्स लेने की सोची और सीधा चल के उसके पास गया और डाइरेक्ट्ली कहा कि मैं आपसे फ्रेंडशिप करना चाहता हू तो उसने बड़े ही आस्चर्य के साथ अपनी आँखो को गोल गोल घुमाया और बोली कि क्या आप मुझ से बात कर रहे है तो मैने कहा कि यस आइ’म टॉकिंग टू यू तो वो थोड़ा सा मेरे करीब आई और मेरी आँखो मे आँखे डालते हुए बोली कि होश मे रह कर बात करो कहा मैने कहा तुम ऐसा सोचने से पहले एक बार खुद को आईने मे देख तो लिया होता तो मैने कहा कि दोस्ती मे इन सब चीज़ो का क्या लेना देना और फिर कुछ दिनो मे मैं एलटी. बन जाउन्गा तो वो बोली उसमे कॉन सी बड़ी बात है यहाँ पता नही कितने लोग ऑफीसर ट्रैनिंग के लिए आते है फिर मैं क्यो तुम से फ्रेंडशिप करू
मैं तो तुम्हे जानती भी नही और तुम मेरे मत्थे चढ़े जा रहे हो मान ना मान मैं तेरा मेहमान लगता है ज़मीन आसमान का फरक भूल गये हो जानते हो मेरे डॅडी कॉन है अगर तुम्हारी कंप्लेंट कर दी तो ये जो एलटी एलटी फुदक रहे हो ना ना नौकरी होगी और ना
तुम साली की बात घमंड से भरी थी दिल हर्ट हो गया मैने बस इतना कहा कि गाँव का लड़का हू फर्स्ट चान्स मे ही जॉब मिल गयी सहर के नखरो का अंदाज़ा नही है आपको देखा तो दिल किया तो डाइरेक्ट्ली कह दिया तो वो बोली कि तुम मेरा टाइम वेस्ट कर रहे हो उसने अपना सामान काउंटर पे पटका और बिल बनाने को कहा और मेरी ओर आँखे निकालते हुए कहा कि आज के बाद मेरे रास्ते मे कभी मत आना वरना मैं तुम्हे देख लूँगी और फिर अपना सामान लेके जाने लगी जाते जाते वो पलटी और टॉंट मारते हुए बोली कि देख लो सपना इंडिया मे सपने देखने पर टॅक्स नही लगता तो मैं उसके पास गया और कहा कि ये मेरा वादा है कि एक दिन मैं तेरा ईगो ज़रूर मिटाउंगा वो हँस के बोली कि चॅलेंज आक्सेप्ट और अपनी गान्ड को मतकाती हुवी चली गयी मैं उसके चुतड़ों की गोलाईयों को घूरता ही रहा
तभी तो मुझे सहर की लड़किया पसंद नही थी क्योंकि उनमे सादगी नही होती थी और ये तो वैसे भी एक बिगड़ी हुवी राईसजादी थी मैने एक बियर की बॉटल निकाली और उसको गटाकने लगा याडी मज़े लेते हुए बोला भाई तुझ से ना पटेगी ये तो मैने कहा पस्स्सिन्ग आउट से पहले इसकी चूत मे लंड डाल दूँगा तो वो बोला भाई देख लियो कही लेने के देने ना पड़ जाए मैं बोला अब जो भी हो इसको तो चोदुन्गा और वो भी इसकी मर्ज़ी से अब चाहे जो भी हो इस की चूत पे अपने लंड की मोहर तो लगा नी ही थी चाहे कुछ भी हो फिर मुझे अच्छी भी लगी थी वो बात थोड़ी बिगड़ गयी थी पर कोई नही क्या पता आने वाले टाइम मे दोस्ती हो ही जाए
उसको देख कर लंड भी जोश मे आ गया था मैने जेब से फोन निकाला और पद्मि नी का नंबर डाइयल किया और कहा कि भाभी जी अभी मिलना हो सकेगा क्या तो वो बोली क्या बात है आज बड़े उतावले हो रहे हो मेरा दीदार करने को इतने दिनो से तो बच बच कर निकल रहे थे मैने कहा ऐसी कोई बात नही है फिर आपको तो सब पता है अभी थोड़ा टाइम मैं फ्री हू देख लो कुछ हो सकता है क्या तो वो बोली कि मूर्ति अभी थोड़ी देर पहले ही लंच करके गया है तो शाम तक मैं फ्री ही हू तुम आधे घंटे बाद आ जाना फिर थोड़ा टाइम तुम्हे भी देती हू और फोन पर ही किस करते हुए फोन काट दिया
मैं कॅंटीन से निकला और जेब मे हाथ डालके गुन गुनाते हुए पैदल पैदल पद्मिॅनी के घर की तरह सरक लिया आज साला रास्ता भी कुछ ज़्यादा लंबा लग रहा था खैर, घूमते फिरते मैं पहुच ही गया पद्मिलनी के घर गेट बंद था तो बेल बजाई कोई दो मिनट बाद उसने गेट खोला जैसे ही उसके दीदार हुए मैं तो खो ही गया सीधा नाहकार बाथरूम से ही निकली थी कमर तक आते उसके लंबे बाल जो गीले थे शॅमपू की खुश्बू आ रही थी बदन पे कपड़ो के नाम पर एक झीनी सी नाइटी ही डाल रखी थी और सॉफ सॉफ पता चल रहा था कि अंदर ब्रा-पैंटी नही पहनी है उसने
उसने मुझे अंदर लिया और धडाम से गेट क्लोज़ कर दिया मैं तो उसके इस रूप को देख कर ही उत्तेजित हो गया था मैने उसको पकड़ा और दीवार से सटा ते हुए उसके गुलाबी होंठो को अपने मुँह मे भर लिया और चूसने लगा पद्मि नी ने तुरंत ही रियेक्शन देते होते मेरी पॅंट की ज़िप खोली और लंड को बाहर निकाल कर हिलाने लगी उसकी सॉफ्ट सॉफ्ट उंगलिया जब मेरे लंड से टकराई तो लगा कि जैसे कामदेव का तीर मुझे चीरता हुआ चला गया वो लंड को सहलाते हुए बोली कि ये हमेशा खंबे की तरह तना ही रहता है क्या तो मैने कहा नही बस आपको देखकर ही इसे पता नही क्या हो जाता है
मैने पद्मिीनी की नाइटी को उतार दिया और हुस्न का ज़लज़ला नंगा मेरी आँखो के सामने था उसकी खरबूजों जैसी चूचिया हवा मे झूल रही थी पद्मिकनी की आँखो मे मैं वासना के डोरे तैरते हुए सॉफ देख रहा था मैने भी जल्दी से अपने कपड़े उतार दिए और उसके बदन से चिपक गया उसके बोबो को मसल्ते मसल्ते मैं उसके होंठो की शबनम को निचोड़ रहा था मुझे बड़ा ही मज़ा आ रहा था लंड बार बार चूत से टकरा रहा था तो दोनो के बदन मे एक अलग सा एहसास हो रहा था मैं बस उसके चेहरे को ही चूमे जा रहा था फिर उसने कहा कि चलो अब बेड पर चलो ज़्यादा टाइम नही है तो तुम जल्दी से फिनिश कर्लो आज तक मेरी समझ मे ये बात नही आई कि कोई भी औरत या लड़की जब भी चुदती है तो ये क्यो कहती है कि जल्दी से कर्लो
अब कोई जल्दी झाड़ जाए तो उसपे ये ही औरते ना मर्द का टॅग लगाने मे देरी नही करती और वैसे कहती रहती है कि जल्दी करो जल्दी करो तो हुआ यूँ कि मैं बेड पर लेट गया और पद्मिजनी मेरे सीने पर चढ़ के मुझे अपनी चूची पिलाने लगी मेरे मुँह मे जहाँ तक वो डाल सकती थी उसने अपनी चूची को डाल दिया मैं दोनो हाथो से उसके जबरदस्त चुतड़ों को मसल रहा था माखन से भी मुलायम उसके दोनो चुतड मेरा हाथ बार बार फिसले उन पर से तो मैं और भी उत्तेजित हो गया मैने उसको कहा कि लंड चूसो ना तो वो तुरंत ही घूमी और अपनी गान्ड को मेरे मुँह की तरफ करते हुए मेरे लंड पर टूट पड़ी उसकी गान्ड बिल्कुल मेरे मुँह के पास हो गयी थी और चूत के फड़कते होंठो को मैं सॉफ देख रहा था मैं अपनी नाक को चूत के पास ले गया चूँकि पद्मिैनी अभी नहा कर निकली थी
तो उसकी चूत से बेहद ही भीनी भीनी सुगंध आ रही थी मैं पूरी नाक चूत पे रगड़ने लगा और उसको अंदर घुसाने की कोशिश करने लगा जैसे ही चूत तो टचिंग हुई पद्मि नी भी मस्ताई और मेरे लंड को और भी अच्छे से चूसने लगी कुछ देर सूंघने के बाद मैने अपनी जीभ लपलापाई और उसकी चूत मे सरका दी जैसे ही जीभ की रागड़ाई चूत पर हुई पद्मिऔनी ने अपने चुतड़ों को कस लिया और मेरे मुँह पर दबाव बना ने लगी मैं बेहद ही हौले हौले उसकी चूत से रिस्ते हुए उस नमकीन पानी के चटखारे ले रहा था और दूसरी तरफ लंड अब इतना उत्तेजित हो चुका था कि बस अब वो मुँह से निकल कर चूत मे घुसना चाहता था तो मैने उसको अपने उपर से हटा दिया
अब मैने पद्मि नी को टेढ़ी कर के बेड पर लिटाया और अपना हाथ कमर के साइड से ले जाते हुए उसकी एक चूची को पकड़ लिया और दूसरे हाथ से उसकी टाँग को थोड़ा सा उपर उठा के अपने लंड को चूत पर लगा दिया रस से भीगी चूत पर जैसे ही लंड का स्पर्श हुआ लंड मे एक तरंग सी दौड़ गयी और वो बेताब होकर चूत मे जाने के लिए मचलने लगा मैने पद्मिडनी से कहा कि डालु तो वो बोली नही अभी आरती उतारूँगी फिर डालना तो मैं उसकी चूची को दबाते हुए लंड को चूत मे धकेल दिया पद्मि नी ने एक गहरी आह भरी और और भी टेढ़ी हो गयी तो लंड फिसलता हुआ चूत मे पहुच गया अब मैने दोनो हाथो से उसके बोबो को पकड़ लिया था और मेरे धक्के अब चूत पर पड़ने शुरू हो गये थे
पद्मिलनी अपने दाँतों से निचले वाले होंठो को काट ते हुए बोली कि आहह कितने दिन बाद तुम्हारे लंड को लिया है कलेजे मे ठंडक पड़ गयी है मेरे उफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफुऊऊुुुुुुुुुुुुुुुुुुुुुुुुुुुुुुुउउफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफ्फ़ क्य्ाआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआअ नस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्शहाआआआआआआआआआआआआआआआआआअ भरर्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्ररर देते हो तुम तुम्हे देखते ही मेरे तन बदन्ंननननणणन् मीईईईईईईईई आआहहाआआआआआआआआआआआआआआआहाहहाआआआआआआआआ तुम्हे देखते ही मेरे तन बदन मे ईईईईईईईईई औचह मेरे तन बदन मे एक आग सी लग जाती है पता है इस आग मे दिन रात अब जलती हू मैं आज इस आग को बुझा दो और मुझे शांत करूऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊओ
एसस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!! कम ऑन फक मी लिकक्कककककककककक्क्ीईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईई बित्त्त्टटटटटटटटटटटटटटटटटटटटटटटटटटटटटटटटटटटटटट्त्तचह ओह !!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!! ओह एसस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स वीईईईईईईईईरर्र्र्र्र्र्र्र्रररयययययययययययययययययययययययययययययययययययययययययययययययययययययययययययययययी गूऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊओद्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्दद्ड
कम ऑन फक मी हार्ड मैं उसकी मोरनी सी गर्दन की खाल को चूम रहा था मेरे हर धक्के से बेड हिल रहा था कुछ देर तक उसको उसी पोज़िशन मे चोदा फिर मैने उसको अपने उपर ले लिया और उसको लंड पर कूदने लगा पद्मिमनी मेरे सीने पर अपने हाथ फेरते हुए पूरी फुर्ती से लंड पर अपने चुतड पटक रही थी अब कुछ बाकी नही रह गया था बस अब टूट कर एक दूसरे की बाहों मे बिखरना ही था तो बस धक्कम पेल चालू थी आहे हम दोनो ही भर रहे थे तकरीबन दस बारह मिनट उसको अपने लंड पर बिठाए रखा फिर वो बोली कि अब तुम उपर आओ तो मैने पलटी खाई और उसने तुरंत
ही अपनी टाँगे मेरी कमर पे लपेट दी और अपनी चुदाई का आनंद प्राप्त करने लगी पद्मिरनी मेरे कंधो पर अपने दाँतों का प्रयोग करते हुए काट रही थी तो जोश मे आकर मैने भी उसके होंठो को चबा डाला उफ्फ क्या लिखू आज भी लंड खड़ा हो जाता है जब उसकी याद आती है अब हम दोनो झड़ने के करीब ही आ गये थे पद्मिदनी की पकड़ टाइट हो गयी थी तो मैं भी अब पूरी ताक़त से शॉट लगा रहा था और फिर अचानक से ही उसकी टाँगे काँपी और उसका बदन टाइट हो गया चूत से जैसे गरम लावा बह निकला आज काफ़ी देर तक वो झड़ती ही रही जैसे ही उसका पानी बहना रुका मेरे लंड ने हिचकोला खाया और पद्मिउनी की चूत को मैं अपने गाढ़े सफेद पानी से भरने लगा और उसके उपर ढह गया
जब मैं थोड़ा संयमित हुआ तो उसको अपने सीने से लगा लिया अपनी नशीली आँखो से मुझे देखते हुए पद्मिननी बोली की एक बार मे ही मेरा पूरा शरीर हिला कर रख दिया है मैं तो थक गयी हू मैने कहा भाभी मैं भी थक गया हू तो वो बोली कि चलो कपड़े पहनो मैं कुछ बनाती हू तुम्हारे लिए तो मैने कहा कि भाभी एक बार ऑर करते है तो वो बोली नही तुम समझो अभी रात को फिर मूर्ति को भी तो देनी पड़ेगी ना तो मैने कहा ठीक है जी मैने कहा भाभी मैगी बना दो तो वो बोली कि क्या तुम भी बच्चो वाली चीज़े खाते हो तो मैने कहा भाभी पसंद है मुझे तो वो बोली चलो तुम आ जाओ मैं बनाती हू मैने कपड़े पहने और उनके पीछे पीछे ही किचन मे चला गया
पद्मिहनी ने एक ढीली सी मॅक्सी पहन ली थी पर फिर भी गान्ड का कटाव सॉफ झलक रहा था वो मैगी बना रही थी और मैं उनसे शरारत करने लगा तो वो बोली की प्लीज़ मुझे ना छेड़ो मैं अभी गरम नही होना चाहती हू तुम जाकर टीवी देखो मैं दो मिनट मे आती हू तो मैं आकर सोफे पर बैठ गया और टीवी चला लिया कुछ देर बाद वो भी आ गयी और मुझे मैगी का बोल पकड़ा दिया मुझे भूख भी लगी थी तो मज़ा ही आ गया फिर उन्होने कहा कि चलो अभी तुम जाओ और फोन करते रहा करो पता है मैं कितना मिस करती हू तुमको तो मैने उनको एक मस्त स्मूच किया और फिर होस्टल आ गया
घर फोन किया सबका हाल चाल पूछा ख़ासकर चाची का उनको अपना ख़याल रखने को कहा तो उन्होने कहा कि कब आओगे तो बताया कि अभी तो पासिंग-आउट परेड के बाद ही बात बनेगी दो महीने बचे थे फिर हम भी खुली हवा मे सांस ले पाएँगे सबसे थोड़ी थोड़ी देर बात की फिर भी काफ़ी टाइम लग गया फोन काटने ही वाला था कि चाची बोली ले अनिता आ गयी इस से भी बात करले तो मैने उनका हाल चाल पूछा फिर साक्षी के बारे मे पूछा और भाभी को हिदायत दी कि चाची का ध्यान रखे तो वो बोली तुम यहाँ की चिंता मत करो यहा सब ठीक है और तुम छुट्टी मिलते ही सीधा घर आ जाना फिर थोड़ी देर हाँ-हूँ करने के बाद फोन कट कर दिया रात हो गयी थी तो मैं मेस की तरफ चल पड़ा डिन्नर के लिए
दिन यूँ ही कट रहे थे सर्दियो के दिन वैसे भी छोटे ही होते है तो पता ही नही चला कि कब आधा दिसंबर निकल गया कड़ाके की ठंड और वो भी देहरादून की तो मज़ा भी था और सज़ा भी इतनी ठंड थी की लंड छोटा से कच्छे मे दूबका पड़ा रहता था कई बार चेक करना पड़ता था कि है भी या नही इस बीच दो चार बार उन मेमसाहब से भी टकरा गये थे कभी बॉल रूम मे कभी शॉपिंग सेंटर मे वो भी बेतक्कलुफि से देख लिया करती थी वो एमबीए कर के खुद को पता नही क्या समझती थी अब भाई हम भी यूपीएससी की परीक्षा पास करके आए थे एक शाम मैं शॉपिंग सेंटर मे चोवमीन उड़ा रहा था जब से मैगी खाई थी तो एक शौक सा चढ़ गया था तो वो भी आ गयी और अपना ऑर्डर लेके मेरे पास ही आकर बैठ गयी और बोली की तुम डेली यहा आते हो तो मैने कहा कि मैं क्यू बताऊं तुम्हे तो वो बोली ज़्यादा अटिट्यूट मत दिखाओ
तो मैने कहा अरे वाह! तुम्हारा अटिट्यूट अटिट्यूट और हमारा कुछ नही तो वो बोली कि क्या तुम भी घिसे पिटे फिल्मी डायलॉग मारते रहते हो कभी नॉर्मल बात भी किया करो तो मैने कहा कि उस दिन नॉर्मली ही तो पूछा था ना फ्रेंडशिप के लिए फिर काहे इतना रोब झाड़ा तो वो बोली कि अरे क्या आदमी हो तुम भी ऐसे डाइरेक्ट्ली कोई किसी को कहता है क्या और फिर मैं क्यो करूँ तुमसे फ्रेंडशिप तुम कॉन मैं कॉन तो मैने कहा अपना तो ये ही है देख लो वो बोली अरे ऐसा नही होता है मैने कहा अगर ऐसा नही होता है तो फिर तुम मेरे पास क्यू आई और भी जगह है वहाँ बैठ जाती तो वो बोली कि अरे एक तो तुम्हे कंपनी दी और मुझे ही दो बात सुना रहे हो और थोड़ा गुस्सा होते हुए उठने लगी
तो मैने उसका हाथ पकड़ कर वापिस बिठाया और कहा चलो यार पुरानी बात पर मिट्टी डालो अब तो दोस्त बन जाओ तो वो बोली कि ऐसे ही मैं तुम्हारी दोस्त नही बन सकती और फिर मैं जानती भी नही हू तुम्हारे बारे मे तो मैंने कहा कि एक बात बताओ जो भी तुम्हारे फ्रेंड्स है उनको क्या तुम बाइ बर्थ जानती हो तो वो सकपका गयी और बोली कि बातों से तो कोई तुमको जीत नही सकता मैने कहा दोस्त मत बनो पर क्या एक बार मेरे साथ चाइ पीने चलोगि तो वो बोली हद है तुम्हारे आगे दुनिया कॉफी के लिए पूछती है तुम चाइ की कह रहे हो खुद का नही तो मेरा ही ख़याल कर लिया होता मैने कहा क्या तुम बार बार अपने हाइ फॅशन लाइफ का घमंड झाड़ाती रहती हो और मुझे गँवार समझती हो कुछ दिन मे एलटी. बन जाउन्गा और मैं खुद कमाता हू तुम्हारी तरह बाप के पैसे बर्बाद नही करता हू जिस दिन तुम ये घमंड छोड़ दोगि एक अच्छी इंसान ज़रूर बन जाओगी कभी मेहनत से एक पैसा भी कमाओगी तो पता चलेगा तुम्हे
मेरा थोड़ा टेंपर हाइ हो गया था तो झड़का दिया उसको उसका मुँह खुला का खुला रह गया मेरा मूड ऑफ हो गया था तो मैं उठा और उसको कहा कि दोस्ती एक बेहद ही अच्छी चीज़ होती है जो बस ख़ुसनसीब लोगो को ही मिला करती है और क्या तुम फॅशन फॅशन करती रहती हो कभी किसी सादगी वाली लड़की को दो मिनट गोर से देखना तुम्हारा गुरूर उतर जाएगा अब चोवमीन ना उतरनी थी गले से तो बिल पे किया और वहाँ से पार हो लिया और वो मुझे जाते हुए देखती रही पर मैने मूड के ना देखा
मैं भी ना जाने किन किन चक्करो मे उलझे ही जा रहा था दिन ऐसे ही गुजर ते जा रहे थे और क्रिस-मस के दो चार दिन पहले की ही बात है कि पद्मिऐनी का फोन आया तो उसने बताया कि मेरे बेटे की छुट्टिया पड़ गयी है और मूर्ति उसे लेने के लिए जा रहे है तो दो दिन मैं बिल्कुल फ्री हू
अभी तुम बच नही सकते हो और इन दो दिनो को मैं जी भर कर तुम्हारे साथ जीना चाहती हू तो कुछ भी कैसे भी करके ये दो दिन मुझे देने ही होंगे मैने कहा भाभी दिन का तो मैं मॅनेज कर लूँगा पर रात को होस्टल से बाहर रहना आप समझ सकती हो कि अगर चेकिंग हो गयी तो मेरी तो लग जाएगी
पद्मिएनी बोली तुम कैसे भी करके अड़जस्ट करो और फिर अभी कुछ दिन फेस्टिव सीज़न है तो कॉन इतना सोचेगा कि कडेट ****** हॉस्टिल से रात को गायब है और कोई बात होती तो मैं मॅनेज कर लेती पर मैं अगर बार बार मूर्ति से तुम्हारी सिफारिश करूँगी तो उसको भी शक़ तो होगा ही ना तुम कुछ भी करके बस दो दिन मेरे साथ मेरी बाहों मे ही बीताओ गे
मैं कुछ नही जानती अब मैं फसा मैने कहा मैं नाइट का तो कह नही सकता पर दिन तो पक्का आपका ही है तो वो बोली की नाइट भी मेरी ही होनी चाहिए सॉफ दिख रहा था आईने मे के एक दिन ये चूत का चक्कर मुझे बर्बाद करके ही छोड़ेगा दोपहर को थोड़ा सा टाइम मिलता है तो मैं रेफ्रेश रूम की सीढ़ियो पर बैठ था और सोच-विचार मे मगन था
तो मेरा बॅच मेट आया और बोला भाई उदास क्यो बैठा है मैने उसको टालते हुए कहा भाई कोई बात नही है वैसे ही बस तो वो बोला अरे बता ना जब इतनी बाते शेअर् की है तो अपनी परेशानी भी बता मेरे भाई तो मैने कहा कि यार मुझे दो नाइट होस्टल से बाहर जाना है तो वो ही सोच रहा था
तो वो बोला क्या भाई किस से मिलने जाना है तो मैने कहा कि यार मेरी एक फ्रेंड है बस उस से मिलने वो मज़े लेते हुए बोला कि भाई तो दिन मे जाना मैने कहा भाई वो वाला जुगाड़ है अब हो गयी तुझे तस्सली तो वो बोला तू चिंता मत कर तेरा भाई किस दिन काम आएगा तूने भी मेरी कई बार मदद की है मैं तेरा ये काम करवा दूँगा
मैं बोला कि वो कैसे तो उसने बताया कि वॉर्डन मे जो हवलदार है ना उस से अपनी सेट्टिंग है कुछ पैसे खरच करने पड़ेंगे तो वो तेरी मदद कर देगा मैने कहा भाई पैसे तू जितने ले पर अड्जस्ट करवा दे तो वो बोला चल आ अभी चलते है और मैं उसके साथ वॉर्डन ऑफीस की तरफ चल दिया मन मे एक चोर भी था कि अगर बात नही बनी तो????????????????
पर मेरा बॅच मेट भी पूरा खिलाड़ी था वहाँ जाकर पता चला कि वो इस सेवा का लाभ कई बार ले चुका है तो उसने 4000/ रुपये मे मेरी सेट्टिंग करवा दी वॉर्डन ने मेरा फोन नंबर ले लिया ताकि अगर कोई एमर्जेन्सी हो तो वो तुरंत मुझे कॉंटॅक्ट कर ले और उसने ये भी कहा कि रास्ते मे कोई भी गार्ड तुझे रोके तो मेरा नाम ले देना या मेरी बात करवा देना सच बता रहा हू बेहद सुकून मिला
मुझे अब बस इंतज़ार था पद्मिननी से मिलने का मैने अपने मेट को थॅंक्स कहा फिर मैं थोड़ा घूमने के लिए निकल गया सबसे पहले पद्मिलनी को फोन किया और बताया कि भाभी मैं आ जाउन्गा मैने सारा कम अड्जस्ट कर लिया है पद्मिनी की आवाज़ से ही मैं उसकी खुशी का अंदाज़ा लगा सकता था उसकी सुरीली आवाज़ खनक उठी थी
मैं पद्मिुनी से बात कर ही रहा था कि मैने देखा कि हमारी घमंडी दोस्त स्कूटी लिए मेरी ही ओर आ रही थी उसने स्कूटी बिल्कुल मेरे सामने रोकी और सीधे बोली की बैठो तो मैने कहा एक मिनट और पद्मि नी को कहा कि मैं आपको बाद मे फोन करता हू और फोनी कट कर दिया और उस से बोला कि क्यो बैठू कही ले जा कर मरवा दोगि तो , वो बोली अभी बात ना करो ओर जल्दी बैठो मैं फ्री तो था ही तो बैठ लिए एक लड़की के पीछे बॅक्सीट पर बैठना अच्छा नही लगा पर सोचा कोई नही और वो कभी दाए कभी बाएँ मुड़ती हुई चल पड़ी अकादमी मे बाहर की तरफ
हम अब थोड़ी सी आउटर साइड मे आ गये थे उसने एक छोटी सी चाइ की गुमटी के पास स्कूटी रोकी और कहा की चल आज मैं तुझे चाइ पिलाती हू और हम वहाँ जाकर बेंच पर बैठ गये वो कोई ज़्यादा बड़ी दुकान नही थी बस एक खोखा सा ही था जहा चाइ और ब्रेड मिलती थी
थोड़ी देर मे ही चाइ आ गयी पहली ही घूंठ मे पता चल गया कि छाई का स्वाद लाजवाब था दो घूंठ पीते ही मज़ा आ गया मैने उसको थॅंक्स कहा इतनी अच्छी चाय पिलाने के लिए तो वो बोली कि मूरख! मैं भी मिट्टी से जुड़ी हुवी लड़की ही हू लोग बस मेरा हाइ-स्टाइल देखते है पर दिल मेरा भी खलिश देसी ही है
मैं तो उसका नया रूप देख कर हतप्रभ हो गया था मैने पूछा कि वैसे तुम कहाँ से बिलॉंग करती हो तो वो बोली कि हरियाणा मे रोहतक से तो मैं बोला अच्छा तो जाटनी है तू तो वो हरियानवी लहजे मे बोली “तन्ने कोई शक सै के ” मैं बोला ना कोई शक नही है अचानक से उसके इस बदले व्यवहार से मैं सरप्राइज हो गया वो बोली ये सब छोड़ मैं बस तुमसे बात करने तुम्हे यहाँ पर लाई हू कुछ तो बात है तुम मे मैं बोला तुम इतनी बड़ी सख्शियत मुझ पर कैसे मेहरबान हो गयी वो बोली अब रहने भी दे ना कब तक मेरी टाँग खीचेगा , मैं बोला अब तो दोस्ती कर ले वो बोली साची बात बोलू तुम मे ना फ्रेंडशिप वाला मेटीरियल है ही नही
मैने कहा, ये तुम कैसे बता सकती हो आख़िर तुम जानती ही कितना हो मेरे बारे मे तो वो बोली बस मैने कह दिया ना तो कह दिया
मैने उसकी आँखो मे झाँकते हुए कहा कि कभी आजमा कर देख लियो वो बोली देख तू मेरे स्टॅंडर्ड का नही है माना तू कुछ दिन मे ऑफीसर बन जाएगा और फिर यहाँ से चला जाएगा और मैं यही पर रहूंगी इसी सहर मे तेरा मेरा क्या मेल मैने कहा ओ इधर देख दोस्ती के लिए बोल रहा हू शादी का प्रस्ताव नही दे रहा
वो बोली अबे तुझ जैसे जो विरले होते है ना उनकी दोस्ती कब जाने प्यार मे बदल जाती है पता नही चलता और फिर शुरू होती है कॉंप्लिकेशन्स मैं बोला तू दूर की ना सोच वो बोली कि तू जो भी समझ पर मेरी ना है पर तू मुझे अच्छा लगा
मैने बस इतना कहा कि ये बात तो तू अकादमी मे भी कह सकती थी ना इतनी दूर आने की क्या ज़रूरत थी तो वो बोली तेरे साथ चाइ जो पीनी थी कुछ भी हो लड़की दिल मे घाव कर गयी थी
ज़ाटनी की अदा आज मार गयी थी फोजी को , खैर अब मैं क्या करूँ उसने वापिस मुझे अकादमी कॅंपस मे ड्रॉप कर दिया कई मुलाकात कर चुका था उस से पर नाम नही पूछ पाया था तो सोचा कि अगली बार नाम तो ज़रूर ही ज़रूर पूछना ही है मैं थोड़ा सा उदास हो गया था पर लाइफ मे ये सब तो चलता ही रहता है ना मैं कॅंटीन की तरफ जा ही रहा था कि पद्मि नी का फोन आ गया वो बोली क्या कर रहे हो मैने कहा कुछ खास नही तो वो बोली मूर्ति कल सुबह 8 बजे तक चले जाएँगे तुम 10 बजे के आसपास आ जाना मैने कहा आप चिंता ना करो मैं आ जाउन्गा
वो बोली कि कुछ समान भी मंगवाना है तो क्या तुम ले आओगे मैने कहा जो भी चाहिए उसकी लिस्ट स्मस कर दो मैं ले आउन्गा तो वो बोली कि थोड़ी देर मे करती हू फिर मैं कॅंटीन चला गया तो पता चला कि अपना याडी तो छुट्टी निकल गया अब मैं वहाँ क्या करता तो उल्टे पाँव वापिस हो लिया पैदल चल चल कर मैं परेशान हो गया था तो सोचा कि पोस्टिंग के बाद एक बाइक और खरिदुन्गा यूनिट मे रखूँगा उसे चुतिये की तरह पैदल घूमता रहता था मैने अपने फ्यूचर प्लॅन्स बहुत ही क्लियर्ली सोच रखे थे पर कहाँ किसी का सोचा हुआ कुछ पूरा हुआ करता है कल मुझे पद्मिहनी से मिलना था तो लंड भी साला कुछ ज़्यादा ही उछल कूद मचा रहा था पॅंट मे सोचा मुट्ठी मार कर इसको शांत कर दूं
पर फिर सोचा कल चूत तो मिल ही रही है तो मुट्ठी मारना कॅन्सल कर दिया कभी कभी इस आर्मी लाइफ से मैं उकता जाया करता था ये हमेशा रूल्स का ढिंढोरा अजीब सा लगता था कई रूल्स तो अंग्रेज़ो के जमाने के थे यूस्लेस पर घसीट रहे थे पर फिर भी मैं खुश था क्योंकि छोटी उमर मे ही नौकरी मिल गयी थी और जवानी मे कदम रखते ही हसिनाओ की बाहों मे पनाह मिल गयी थी अब तक के छोटे से सफ़र मे ही वो मज़ा लूट लिया था जिसके लिए अक्सर लोगो की उमर गुजर जाया करती है कभी कभी प्रीतम की याद भी आ जाया करती थी पर वो गाँव के आशिक़ प्रेमिकाओ की शादी के बाद उनके बच्चो के मामा के नाम से ही जाने जाते है पर मैं तो एक प्यासा भँवरा था
एक फूल से दूसरी दूसरी से तीसरा अपना तो ऐसे ही कुछ चल रहा था देहरादून से भी प्यार सा ही हो गया था काफ़ी अच्छा सहर था मन लग ता था यहाँ पर मेरा कभी कभी सोचता था कि कुछ पैसे होंगे तो यही कही एक घर खरीद लूँगा फिर पास ही हरिद्वार था , ऋषिकेश था महादेव जी का वास अपने को और क्या चाहिए पता नही क्यो आजकल मैं बस प्लॅन्स ही बनाता रहता था पर दिल मेरा भी घबराता था कि मिथ्लेश से ब्याह की गाड़ी किस तरह से पटरी पर आएगी क्योंकि भाग कर वो आएगी नही और ये जालिम समाज माने ना माने बस वो ही टेन्षन थी दिल मे बाकी तो लाइफ कट ही रही थी रात अपने शबाब पर अहिश्ता आहिश्ता से बढ़ रही थी पर मेरी आँखो मे नींद नही आ रही थी
हताश मन से मिथ्लेश का नंबर डाइयल किया पर उसका फोन बंद था थक कर सो रही होगी शायद तो मैं रूम से बाहर निकला और गॅलरी मे आकर खड़ा हो गया ठंडी हवा रूह बनकर मेरे जिस्म मे उतर ती चली गयी कॅंपस लाइट्स से रोशन था , कुछ खाती मीठी यादे लेकर चला जाउन्गा यहाँ से कुछ ही दिनो मे मैं सोचने लगा फ़ौजी लोगो की भी कोई ज़िंदगी होती है आज यहाँ कल यहाँ कंधे पर बिस्तर बाँधकर घूमते ही रहते है आप लोगो ने तो बसों मे , ट्रेन्स मे देखा ही होगा पर जब ये वर्दी बदन पर सजती है ना तो फिर कोई परेशानी याद नही रहती याद रहता है तो वो फ़र्ज़ जिसे निभाने मे पूरी जिंदगी बीत जाती है आज पता नही क्यो मेरे मन मे हज़ारो सवाल उमड़ आए थे एक बैचैनि सी मुझे भटका रही थी अगले दिन मुझे पद्मि नी से भी मिलना था अब आँखे भी भारी भारी होने लगी थी तो फिर आके बिस्तर मे पड़ गया और नींद ने किसी माँ के आँचल की तरह मुझे अपने आगोश मे ले लिया
अगले दिन जब मैं उठा तो मन कुछ ज़्यादा ही प्राफ़्फुलित सा हो रहा था फॉरमॅलिटीस को निपटा ते निपटाते 9 बज गये थे तो मैं वॉर्डन रूम मे गया और उस हवलदार को बता कर पद्मिमनी के घर की तरफ चल पड़ा दिसेंबर की वो सर्द सुबह थी और ठंड तो इतनी पड़ रही थी उस दिन की बस पूछो ही मत उपर से वो तेज हवा के झोंके जो पूरे बदन मे ठंड की लहर दौड़ाए जा रहे थे मैने अपनी जॅकेट की चैन उपर तक चढ़ा ली और अपने काँपते हाथो को आपस मे रगड़ते हुए एक गीत गुनगुनाते हुए पद्मिपनी के घर की ओर हौले हौले बढ़ रहा था दिल मे उमंग थी कि चलो कुछ टाइम तो अच्छे से मिलेगा पद्मिकनी के साथ बिताने को
मैं अपनी धुन मे चला जा रहा था कि तभी किसी ने पीछे से मेरे बिल्कुल पास मे स्कूटी रोकी मैने मूड के देखा तो जाटनी थी उसने पूछा कहाँ जा रहे हो तो मैने झूठ बोलते हुए कहा कि आउट ऑफ कॅंपस जा रहा हू कुछ पर्सनल काम है तो वो बोली है, तेरा पर्सनल काम हमें नही बताएगा कही गर्लफ्रेंड से तो मिलने नही जा रहा है तो मैने कहा जब तू ही गर्लफ्रेंड नही बनी तो और कोई क्यो बनेगी तू अपना रास्ता नाप तो वो बोली यार तुम हमेशा इतने उखड़े उखड़े क्यो रहते हो मैने कहा यार मैं किसी इंपॉर्टेंट काम से जा रहा हू तू अभी मस्ती ना कर
वो बोली लो जी कर लो बात !! एक तो लोगो की हेल्प करो और फिर उनकी जली कटी सुनो भलाई का तो जमाना ही नही रहा मैने कहा यार अब तू अपना रास्ता नाप और मुझे फ्री कर वो बोली आजा एक एक कप कोफ़ी पीते है वैसे भी ठंड बहुत ही ज़्यादा है आज कुछ गप्पे लड़ाते है फिर तू निकल जाना मैने सोचा कि ये ऐसे पीछा तो छोड़ेगी नही और उपर से कड़ाके की ठंड तो कोफ़ी तो बनती ही थी तो मैने हाँ कह दी मैने कहा आज तू पीछे बैठ स्कूटी मैं चलाउन्गा तो वो बोली आराम से चलाना कही गिरा ना दियो पता नही तुझे चलानी आती भी है या नही
तो मैने कहा घर पे बुलेट है बावली चोरी और जब पाछे तेरे जैसी हूर परी बैठी हो तो तू खुद ही समझ ले तो वो बोली बात ना कर अर चाल अब आगे नै जाटनी की ये ही तो बात बड़ी अच्छी लगती थी इतनी हाइ फॅशनबल लड़की थी वो पर जब कभी कभी इस तरह ठेठ देसी अंदाज मे बात करती थी तो दिल पे कटार ही चल जाया करती थी
थोड़ी देर बाद ही पद्मिूनी ने खाना लगा दिया ये भी एक सुख ही था कि यहा कभी कभी घर का खाना नसीब हो जाता था वरना बाकी तो आपको पता ही है तो एक बेहद शानदार डिन्नर के बाद मैं अपने होस्टल की तरफ चल पड़ा काफ़ी दबा के खाया था तो बस अब सोना ही था
अगले दिन मैं जब उठा तो खुद को तरो ताज़ा महसूस कर रहा था आज ग्राउंड पर मैं एक नये जोश के साथ था मैने सोच लिया था कि अभी निशा को बस भूल ही जाउन्गा जब उसको मेरी कोई परवाह नही है तो मैं क्यो उसके बारे मे इतना सोचु मैने सोच लिया था कि अब बस प्रॅक्टिकल लाइफ ही जीऊँगा अभी टाइम था खुद के बारे मे सोचने का आज ड्रिल्स मे एक अलग ही एनर्जी थी मुझमे पर क्या निशा को भूलना सच मे इतना आसान था ना जाने दिल के किस कोने मे उसने अपना मकान बना लिया था पर मैं अब कठोर होना चाहता था वैसे भी ट्रैनिंग के कुछ ही महीने बचे थे सर्दी पड़ने लगी थी दीवाली भी बीत गयी थी पर चाहत का एक दिया मेरे दिल मे हमेशा जलता रहता था जिसे मिथ्लेल्श ने जलाया था
दिल मे आस थी कि पोस्टिंग मिलते ही मिथ्लेश से शादी करूँगा फिर अपना भी परिवार हो जाएगा और हमारी प्रेमकहानी को भी अंजाम मिल जाएगा तो मैं पूरी शिद्दत से ट्रैनिंग की हर मुश्किल को पार कर रहा था 24 नवेंबर को मिथ्लेश का जनमदिन था पर बस फोन पर ही विश करना था उसको वो भी समझती थी मेरी मजबूरी को तो बस थोड़ी देर प्यार भरी बाते की उस से और कुछ ज़्यादा टाइम भी नही मिला ऐसे ही दिन गुजर रहे थे एक दोपहर मैं कॅंटीन मे था तो उस लड़की के दीदार हो ही गये जिसके हुस्न के चर्चे अक्सर मेरा याडी करता रहता था क्या लड़की थी यार वो मुझ से भी लंबी जिस्म पर कही पर भी फालतू चर्बी नही लगा कि यार इसको किसने साँचे मे ढाला सुतवा शरीर हरियानवी मे कहूँ तो मुँह बटुवे सा एक नज़र मे ही भा गयी फोजियो का ये एक गुण है की वो हमेशा लड़की, औरतो को ताड़ते ही रहते है
अब नाम पता मालूम नही पर दिल को भा गयी रूप ऐसा कि जैसे खिलता गुलाब हो एक अलग सी ही बेतक्लुफफी सी थी उसमे अदाए ऐसी की किसी को भी पलट कर देखने को मजबूर कर दे उसने धूप का चश्मा आँखो से उतारा और अपनी ज़रूरत का सामान लेने लगी यदि धीरे से बोला कि भाई माल तो चोखा है मैं तो इसे याद करके मुट्ठी मार सकूँ सूं तू देखले कुछ हो तो अब वो थी बड़े ऑफीसर की छोरी तो डाइरेक्ट्ली अप्प्रोच भी नही कर सकता था और वो इतनी स्टाइलिश थी कि मेरी तरफ देखे भी ना पर दिल तो दिल है कर डाली डिमॅंड कि इस्पे भी दाँव लगा ले क्या पता काम बन जाए मैने कहा लेट’स हॅव आ चान्स बात बने तो ठीक नही तो और कोई देखेंगे ट्राइ मारना तो बनता है तो कॅंटीन मे एक दुक्का ही लोग थे इतनी हलचल नही हो रही थी
तो मैने उसी टाइम चान्स लेने की सोची और सीधा चल के उसके पास गया और डाइरेक्ट्ली कहा कि मैं आपसे फ्रेंडशिप करना चाहता हू तो उसने बड़े ही आस्चर्य के साथ अपनी आँखो को गोल गोल घुमाया और बोली कि क्या आप मुझ से बात कर रहे है तो मैने कहा कि यस आइ’म टॉकिंग टू यू तो वो थोड़ा सा मेरे करीब आई और मेरी आँखो मे आँखे डालते हुए बोली कि होश मे रह कर बात करो कहा मैने कहा तुम ऐसा सोचने से पहले एक बार खुद को आईने मे देख तो लिया होता तो मैने कहा कि दोस्ती मे इन सब चीज़ो का क्या लेना देना और फिर कुछ दिनो मे मैं एलटी. बन जाउन्गा तो वो बोली उसमे कॉन सी बड़ी बात है यहाँ पता नही कितने लोग ऑफीसर ट्रैनिंग के लिए आते है फिर मैं क्यो तुम से फ्रेंडशिप करू
मैं तो तुम्हे जानती भी नही और तुम मेरे मत्थे चढ़े जा रहे हो मान ना मान मैं तेरा मेहमान लगता है ज़मीन आसमान का फरक भूल गये हो जानते हो मेरे डॅडी कॉन है अगर तुम्हारी कंप्लेंट कर दी तो ये जो एलटी एलटी फुदक रहे हो ना ना नौकरी होगी और ना
तुम साली की बात घमंड से भरी थी दिल हर्ट हो गया मैने बस इतना कहा कि गाँव का लड़का हू फर्स्ट चान्स मे ही जॉब मिल गयी सहर के नखरो का अंदाज़ा नही है आपको देखा तो दिल किया तो डाइरेक्ट्ली कह दिया तो वो बोली कि तुम मेरा टाइम वेस्ट कर रहे हो उसने अपना सामान काउंटर पे पटका और बिल बनाने को कहा और मेरी ओर आँखे निकालते हुए कहा कि आज के बाद मेरे रास्ते मे कभी मत आना वरना मैं तुम्हे देख लूँगी और फिर अपना सामान लेके जाने लगी जाते जाते वो पलटी और टॉंट मारते हुए बोली कि देख लो सपना इंडिया मे सपने देखने पर टॅक्स नही लगता तो मैं उसके पास गया और कहा कि ये मेरा वादा है कि एक दिन मैं तेरा ईगो ज़रूर मिटाउंगा वो हँस के बोली कि चॅलेंज आक्सेप्ट और अपनी गान्ड को मतकाती हुवी चली गयी मैं उसके चुतड़ों की गोलाईयों को घूरता ही रहा
तभी तो मुझे सहर की लड़किया पसंद नही थी क्योंकि उनमे सादगी नही होती थी और ये तो वैसे भी एक बिगड़ी हुवी राईसजादी थी मैने एक बियर की बॉटल निकाली और उसको गटाकने लगा याडी मज़े लेते हुए बोला भाई तुझ से ना पटेगी ये तो मैने कहा पस्स्सिन्ग आउट से पहले इसकी चूत मे लंड डाल दूँगा तो वो बोला भाई देख लियो कही लेने के देने ना पड़ जाए मैं बोला अब जो भी हो इसको तो चोदुन्गा और वो भी इसकी मर्ज़ी से अब चाहे जो भी हो इस की चूत पे अपने लंड की मोहर तो लगा नी ही थी चाहे कुछ भी हो फिर मुझे अच्छी भी लगी थी वो बात थोड़ी बिगड़ गयी थी पर कोई नही क्या पता आने वाले टाइम मे दोस्ती हो ही जाए
उसको देख कर लंड भी जोश मे आ गया था मैने जेब से फोन निकाला और पद्मि नी का नंबर डाइयल किया और कहा कि भाभी जी अभी मिलना हो सकेगा क्या तो वो बोली क्या बात है आज बड़े उतावले हो रहे हो मेरा दीदार करने को इतने दिनो से तो बच बच कर निकल रहे थे मैने कहा ऐसी कोई बात नही है फिर आपको तो सब पता है अभी थोड़ा टाइम मैं फ्री हू देख लो कुछ हो सकता है क्या तो वो बोली कि मूर्ति अभी थोड़ी देर पहले ही लंच करके गया है तो शाम तक मैं फ्री ही हू तुम आधे घंटे बाद आ जाना फिर थोड़ा टाइम तुम्हे भी देती हू और फोन पर ही किस करते हुए फोन काट दिया
मैं कॅंटीन से निकला और जेब मे हाथ डालके गुन गुनाते हुए पैदल पैदल पद्मिॅनी के घर की तरह सरक लिया आज साला रास्ता भी कुछ ज़्यादा लंबा लग रहा था खैर, घूमते फिरते मैं पहुच ही गया पद्मिलनी के घर गेट बंद था तो बेल बजाई कोई दो मिनट बाद उसने गेट खोला जैसे ही उसके दीदार हुए मैं तो खो ही गया सीधा नाहकार बाथरूम से ही निकली थी कमर तक आते उसके लंबे बाल जो गीले थे शॅमपू की खुश्बू आ रही थी बदन पे कपड़ो के नाम पर एक झीनी सी नाइटी ही डाल रखी थी और सॉफ सॉफ पता चल रहा था कि अंदर ब्रा-पैंटी नही पहनी है उसने
उसने मुझे अंदर लिया और धडाम से गेट क्लोज़ कर दिया मैं तो उसके इस रूप को देख कर ही उत्तेजित हो गया था मैने उसको पकड़ा और दीवार से सटा ते हुए उसके गुलाबी होंठो को अपने मुँह मे भर लिया और चूसने लगा पद्मि नी ने तुरंत ही रियेक्शन देते होते मेरी पॅंट की ज़िप खोली और लंड को बाहर निकाल कर हिलाने लगी उसकी सॉफ्ट सॉफ्ट उंगलिया जब मेरे लंड से टकराई तो लगा कि जैसे कामदेव का तीर मुझे चीरता हुआ चला गया वो लंड को सहलाते हुए बोली कि ये हमेशा खंबे की तरह तना ही रहता है क्या तो मैने कहा नही बस आपको देखकर ही इसे पता नही क्या हो जाता है
मैने पद्मिीनी की नाइटी को उतार दिया और हुस्न का ज़लज़ला नंगा मेरी आँखो के सामने था उसकी खरबूजों जैसी चूचिया हवा मे झूल रही थी पद्मिकनी की आँखो मे मैं वासना के डोरे तैरते हुए सॉफ देख रहा था मैने भी जल्दी से अपने कपड़े उतार दिए और उसके बदन से चिपक गया उसके बोबो को मसल्ते मसल्ते मैं उसके होंठो की शबनम को निचोड़ रहा था मुझे बड़ा ही मज़ा आ रहा था लंड बार बार चूत से टकरा रहा था तो दोनो के बदन मे एक अलग सा एहसास हो रहा था मैं बस उसके चेहरे को ही चूमे जा रहा था फिर उसने कहा कि चलो अब बेड पर चलो ज़्यादा टाइम नही है तो तुम जल्दी से फिनिश कर्लो आज तक मेरी समझ मे ये बात नही आई कि कोई भी औरत या लड़की जब भी चुदती है तो ये क्यो कहती है कि जल्दी से कर्लो
अब कोई जल्दी झाड़ जाए तो उसपे ये ही औरते ना मर्द का टॅग लगाने मे देरी नही करती और वैसे कहती रहती है कि जल्दी करो जल्दी करो तो हुआ यूँ कि मैं बेड पर लेट गया और पद्मिजनी मेरे सीने पर चढ़ के मुझे अपनी चूची पिलाने लगी मेरे मुँह मे जहाँ तक वो डाल सकती थी उसने अपनी चूची को डाल दिया मैं दोनो हाथो से उसके जबरदस्त चुतड़ों को मसल रहा था माखन से भी मुलायम उसके दोनो चुतड मेरा हाथ बार बार फिसले उन पर से तो मैं और भी उत्तेजित हो गया मैने उसको कहा कि लंड चूसो ना तो वो तुरंत ही घूमी और अपनी गान्ड को मेरे मुँह की तरफ करते हुए मेरे लंड पर टूट पड़ी उसकी गान्ड बिल्कुल मेरे मुँह के पास हो गयी थी और चूत के फड़कते होंठो को मैं सॉफ देख रहा था मैं अपनी नाक को चूत के पास ले गया चूँकि पद्मिैनी अभी नहा कर निकली थी
तो उसकी चूत से बेहद ही भीनी भीनी सुगंध आ रही थी मैं पूरी नाक चूत पे रगड़ने लगा और उसको अंदर घुसाने की कोशिश करने लगा जैसे ही चूत तो टचिंग हुई पद्मि नी भी मस्ताई और मेरे लंड को और भी अच्छे से चूसने लगी कुछ देर सूंघने के बाद मैने अपनी जीभ लपलापाई और उसकी चूत मे सरका दी जैसे ही जीभ की रागड़ाई चूत पर हुई पद्मिऔनी ने अपने चुतड़ों को कस लिया और मेरे मुँह पर दबाव बना ने लगी मैं बेहद ही हौले हौले उसकी चूत से रिस्ते हुए उस नमकीन पानी के चटखारे ले रहा था और दूसरी तरफ लंड अब इतना उत्तेजित हो चुका था कि बस अब वो मुँह से निकल कर चूत मे घुसना चाहता था तो मैने उसको अपने उपर से हटा दिया
अब मैने पद्मि नी को टेढ़ी कर के बेड पर लिटाया और अपना हाथ कमर के साइड से ले जाते हुए उसकी एक चूची को पकड़ लिया और दूसरे हाथ से उसकी टाँग को थोड़ा सा उपर उठा के अपने लंड को चूत पर लगा दिया रस से भीगी चूत पर जैसे ही लंड का स्पर्श हुआ लंड मे एक तरंग सी दौड़ गयी और वो बेताब होकर चूत मे जाने के लिए मचलने लगा मैने पद्मिडनी से कहा कि डालु तो वो बोली नही अभी आरती उतारूँगी फिर डालना तो मैं उसकी चूची को दबाते हुए लंड को चूत मे धकेल दिया पद्मि नी ने एक गहरी आह भरी और और भी टेढ़ी हो गयी तो लंड फिसलता हुआ चूत मे पहुच गया अब मैने दोनो हाथो से उसके बोबो को पकड़ लिया था और मेरे धक्के अब चूत पर पड़ने शुरू हो गये थे
पद्मिलनी अपने दाँतों से निचले वाले होंठो को काट ते हुए बोली कि आहह कितने दिन बाद तुम्हारे लंड को लिया है कलेजे मे ठंडक पड़ गयी है मेरे उफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफुऊऊुुुुुुुुुुुुुुुुुुुुुुुुुुुुुुुउउफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफ्फ़ क्य्ाआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआअ नस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्शहाआआआआआआआआआआआआआआआआआअ भरर्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्ररर देते हो तुम तुम्हे देखते ही मेरे तन बदन्ंननननणणन् मीईईईईईईईई आआहहाआआआआआआआआआआआआआआआहाहहाआआआआआआआआ तुम्हे देखते ही मेरे तन बदन मे ईईईईईईईईई औचह मेरे तन बदन मे एक आग सी लग जाती है पता है इस आग मे दिन रात अब जलती हू मैं आज इस आग को बुझा दो और मुझे शांत करूऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊओ
एसस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!! कम ऑन फक मी लिकक्कककककककककक्क्ीईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईई बित्त्त्टटटटटटटटटटटटटटटटटटटटटटटटटटटटटटटटटटटटटट्त्तचह ओह !!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!! ओह एसस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स वीईईईईईईईईरर्र्र्र्र्र्र्र्रररयययययययययययययययययययययययययययययययययययययययययययययययययययययययययययययययी गूऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊओद्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्दद्ड
कम ऑन फक मी हार्ड मैं उसकी मोरनी सी गर्दन की खाल को चूम रहा था मेरे हर धक्के से बेड हिल रहा था कुछ देर तक उसको उसी पोज़िशन मे चोदा फिर मैने उसको अपने उपर ले लिया और उसको लंड पर कूदने लगा पद्मिमनी मेरे सीने पर अपने हाथ फेरते हुए पूरी फुर्ती से लंड पर अपने चुतड पटक रही थी अब कुछ बाकी नही रह गया था बस अब टूट कर एक दूसरे की बाहों मे बिखरना ही था तो बस धक्कम पेल चालू थी आहे हम दोनो ही भर रहे थे तकरीबन दस बारह मिनट उसको अपने लंड पर बिठाए रखा फिर वो बोली कि अब तुम उपर आओ तो मैने पलटी खाई और उसने तुरंत
ही अपनी टाँगे मेरी कमर पे लपेट दी और अपनी चुदाई का आनंद प्राप्त करने लगी पद्मिरनी मेरे कंधो पर अपने दाँतों का प्रयोग करते हुए काट रही थी तो जोश मे आकर मैने भी उसके होंठो को चबा डाला उफ्फ क्या लिखू आज भी लंड खड़ा हो जाता है जब उसकी याद आती है अब हम दोनो झड़ने के करीब ही आ गये थे पद्मिदनी की पकड़ टाइट हो गयी थी तो मैं भी अब पूरी ताक़त से शॉट लगा रहा था और फिर अचानक से ही उसकी टाँगे काँपी और उसका बदन टाइट हो गया चूत से जैसे गरम लावा बह निकला आज काफ़ी देर तक वो झड़ती ही रही जैसे ही उसका पानी बहना रुका मेरे लंड ने हिचकोला खाया और पद्मिउनी की चूत को मैं अपने गाढ़े सफेद पानी से भरने लगा और उसके उपर ढह गया
जब मैं थोड़ा संयमित हुआ तो उसको अपने सीने से लगा लिया अपनी नशीली आँखो से मुझे देखते हुए पद्मिननी बोली की एक बार मे ही मेरा पूरा शरीर हिला कर रख दिया है मैं तो थक गयी हू मैने कहा भाभी मैं भी थक गया हू तो वो बोली कि चलो कपड़े पहनो मैं कुछ बनाती हू तुम्हारे लिए तो मैने कहा कि भाभी एक बार ऑर करते है तो वो बोली नही तुम समझो अभी रात को फिर मूर्ति को भी तो देनी पड़ेगी ना तो मैने कहा ठीक है जी मैने कहा भाभी मैगी बना दो तो वो बोली कि क्या तुम भी बच्चो वाली चीज़े खाते हो तो मैने कहा भाभी पसंद है मुझे तो वो बोली चलो तुम आ जाओ मैं बनाती हू मैने कपड़े पहने और उनके पीछे पीछे ही किचन मे चला गया
पद्मिहनी ने एक ढीली सी मॅक्सी पहन ली थी पर फिर भी गान्ड का कटाव सॉफ झलक रहा था वो मैगी बना रही थी और मैं उनसे शरारत करने लगा तो वो बोली की प्लीज़ मुझे ना छेड़ो मैं अभी गरम नही होना चाहती हू तुम जाकर टीवी देखो मैं दो मिनट मे आती हू तो मैं आकर सोफे पर बैठ गया और टीवी चला लिया कुछ देर बाद वो भी आ गयी और मुझे मैगी का बोल पकड़ा दिया मुझे भूख भी लगी थी तो मज़ा ही आ गया फिर उन्होने कहा कि चलो अभी तुम जाओ और फोन करते रहा करो पता है मैं कितना मिस करती हू तुमको तो मैने उनको एक मस्त स्मूच किया और फिर होस्टल आ गया
घर फोन किया सबका हाल चाल पूछा ख़ासकर चाची का उनको अपना ख़याल रखने को कहा तो उन्होने कहा कि कब आओगे तो बताया कि अभी तो पासिंग-आउट परेड के बाद ही बात बनेगी दो महीने बचे थे फिर हम भी खुली हवा मे सांस ले पाएँगे सबसे थोड़ी थोड़ी देर बात की फिर भी काफ़ी टाइम लग गया फोन काटने ही वाला था कि चाची बोली ले अनिता आ गयी इस से भी बात करले तो मैने उनका हाल चाल पूछा फिर साक्षी के बारे मे पूछा और भाभी को हिदायत दी कि चाची का ध्यान रखे तो वो बोली तुम यहाँ की चिंता मत करो यहा सब ठीक है और तुम छुट्टी मिलते ही सीधा घर आ जाना फिर थोड़ी देर हाँ-हूँ करने के बाद फोन कट कर दिया रात हो गयी थी तो मैं मेस की तरफ चल पड़ा डिन्नर के लिए
दिन यूँ ही कट रहे थे सर्दियो के दिन वैसे भी छोटे ही होते है तो पता ही नही चला कि कब आधा दिसंबर निकल गया कड़ाके की ठंड और वो भी देहरादून की तो मज़ा भी था और सज़ा भी इतनी ठंड थी की लंड छोटा से कच्छे मे दूबका पड़ा रहता था कई बार चेक करना पड़ता था कि है भी या नही इस बीच दो चार बार उन मेमसाहब से भी टकरा गये थे कभी बॉल रूम मे कभी शॉपिंग सेंटर मे वो भी बेतक्कलुफि से देख लिया करती थी वो एमबीए कर के खुद को पता नही क्या समझती थी अब भाई हम भी यूपीएससी की परीक्षा पास करके आए थे एक शाम मैं शॉपिंग सेंटर मे चोवमीन उड़ा रहा था जब से मैगी खाई थी तो एक शौक सा चढ़ गया था तो वो भी आ गयी और अपना ऑर्डर लेके मेरे पास ही आकर बैठ गयी और बोली की तुम डेली यहा आते हो तो मैने कहा कि मैं क्यू बताऊं तुम्हे तो वो बोली ज़्यादा अटिट्यूट मत दिखाओ
तो मैने कहा अरे वाह! तुम्हारा अटिट्यूट अटिट्यूट और हमारा कुछ नही तो वो बोली कि क्या तुम भी घिसे पिटे फिल्मी डायलॉग मारते रहते हो कभी नॉर्मल बात भी किया करो तो मैने कहा कि उस दिन नॉर्मली ही तो पूछा था ना फ्रेंडशिप के लिए फिर काहे इतना रोब झाड़ा तो वो बोली कि अरे क्या आदमी हो तुम भी ऐसे डाइरेक्ट्ली कोई किसी को कहता है क्या और फिर मैं क्यो करूँ तुमसे फ्रेंडशिप तुम कॉन मैं कॉन तो मैने कहा अपना तो ये ही है देख लो वो बोली अरे ऐसा नही होता है मैने कहा अगर ऐसा नही होता है तो फिर तुम मेरे पास क्यू आई और भी जगह है वहाँ बैठ जाती तो वो बोली कि अरे एक तो तुम्हे कंपनी दी और मुझे ही दो बात सुना रहे हो और थोड़ा गुस्सा होते हुए उठने लगी
तो मैने उसका हाथ पकड़ कर वापिस बिठाया और कहा चलो यार पुरानी बात पर मिट्टी डालो अब तो दोस्त बन जाओ तो वो बोली कि ऐसे ही मैं तुम्हारी दोस्त नही बन सकती और फिर मैं जानती भी नही हू तुम्हारे बारे मे तो मैंने कहा कि एक बात बताओ जो भी तुम्हारे फ्रेंड्स है उनको क्या तुम बाइ बर्थ जानती हो तो वो सकपका गयी और बोली कि बातों से तो कोई तुमको जीत नही सकता मैने कहा दोस्त मत बनो पर क्या एक बार मेरे साथ चाइ पीने चलोगि तो वो बोली हद है तुम्हारे आगे दुनिया कॉफी के लिए पूछती है तुम चाइ की कह रहे हो खुद का नही तो मेरा ही ख़याल कर लिया होता मैने कहा क्या तुम बार बार अपने हाइ फॅशन लाइफ का घमंड झाड़ाती रहती हो और मुझे गँवार समझती हो कुछ दिन मे एलटी. बन जाउन्गा और मैं खुद कमाता हू तुम्हारी तरह बाप के पैसे बर्बाद नही करता हू जिस दिन तुम ये घमंड छोड़ दोगि एक अच्छी इंसान ज़रूर बन जाओगी कभी मेहनत से एक पैसा भी कमाओगी तो पता चलेगा तुम्हे
मेरा थोड़ा टेंपर हाइ हो गया था तो झड़का दिया उसको उसका मुँह खुला का खुला रह गया मेरा मूड ऑफ हो गया था तो मैं उठा और उसको कहा कि दोस्ती एक बेहद ही अच्छी चीज़ होती है जो बस ख़ुसनसीब लोगो को ही मिला करती है और क्या तुम फॅशन फॅशन करती रहती हो कभी किसी सादगी वाली लड़की को दो मिनट गोर से देखना तुम्हारा गुरूर उतर जाएगा अब चोवमीन ना उतरनी थी गले से तो बिल पे किया और वहाँ से पार हो लिया और वो मुझे जाते हुए देखती रही पर मैने मूड के ना देखा
मैं भी ना जाने किन किन चक्करो मे उलझे ही जा रहा था दिन ऐसे ही गुजर ते जा रहे थे और क्रिस-मस के दो चार दिन पहले की ही बात है कि पद्मिऐनी का फोन आया तो उसने बताया कि मेरे बेटे की छुट्टिया पड़ गयी है और मूर्ति उसे लेने के लिए जा रहे है तो दो दिन मैं बिल्कुल फ्री हू
अभी तुम बच नही सकते हो और इन दो दिनो को मैं जी भर कर तुम्हारे साथ जीना चाहती हू तो कुछ भी कैसे भी करके ये दो दिन मुझे देने ही होंगे मैने कहा भाभी दिन का तो मैं मॅनेज कर लूँगा पर रात को होस्टल से बाहर रहना आप समझ सकती हो कि अगर चेकिंग हो गयी तो मेरी तो लग जाएगी
पद्मिएनी बोली तुम कैसे भी करके अड़जस्ट करो और फिर अभी कुछ दिन फेस्टिव सीज़न है तो कॉन इतना सोचेगा कि कडेट ****** हॉस्टिल से रात को गायब है और कोई बात होती तो मैं मॅनेज कर लेती पर मैं अगर बार बार मूर्ति से तुम्हारी सिफारिश करूँगी तो उसको भी शक़ तो होगा ही ना तुम कुछ भी करके बस दो दिन मेरे साथ मेरी बाहों मे ही बीताओ गे
मैं कुछ नही जानती अब मैं फसा मैने कहा मैं नाइट का तो कह नही सकता पर दिन तो पक्का आपका ही है तो वो बोली की नाइट भी मेरी ही होनी चाहिए सॉफ दिख रहा था आईने मे के एक दिन ये चूत का चक्कर मुझे बर्बाद करके ही छोड़ेगा दोपहर को थोड़ा सा टाइम मिलता है तो मैं रेफ्रेश रूम की सीढ़ियो पर बैठ था और सोच-विचार मे मगन था
तो मेरा बॅच मेट आया और बोला भाई उदास क्यो बैठा है मैने उसको टालते हुए कहा भाई कोई बात नही है वैसे ही बस तो वो बोला अरे बता ना जब इतनी बाते शेअर् की है तो अपनी परेशानी भी बता मेरे भाई तो मैने कहा कि यार मुझे दो नाइट होस्टल से बाहर जाना है तो वो ही सोच रहा था
तो वो बोला क्या भाई किस से मिलने जाना है तो मैने कहा कि यार मेरी एक फ्रेंड है बस उस से मिलने वो मज़े लेते हुए बोला कि भाई तो दिन मे जाना मैने कहा भाई वो वाला जुगाड़ है अब हो गयी तुझे तस्सली तो वो बोला तू चिंता मत कर तेरा भाई किस दिन काम आएगा तूने भी मेरी कई बार मदद की है मैं तेरा ये काम करवा दूँगा
मैं बोला कि वो कैसे तो उसने बताया कि वॉर्डन मे जो हवलदार है ना उस से अपनी सेट्टिंग है कुछ पैसे खरच करने पड़ेंगे तो वो तेरी मदद कर देगा मैने कहा भाई पैसे तू जितने ले पर अड्जस्ट करवा दे तो वो बोला चल आ अभी चलते है और मैं उसके साथ वॉर्डन ऑफीस की तरफ चल दिया मन मे एक चोर भी था कि अगर बात नही बनी तो????????????????
पर मेरा बॅच मेट भी पूरा खिलाड़ी था वहाँ जाकर पता चला कि वो इस सेवा का लाभ कई बार ले चुका है तो उसने 4000/ रुपये मे मेरी सेट्टिंग करवा दी वॉर्डन ने मेरा फोन नंबर ले लिया ताकि अगर कोई एमर्जेन्सी हो तो वो तुरंत मुझे कॉंटॅक्ट कर ले और उसने ये भी कहा कि रास्ते मे कोई भी गार्ड तुझे रोके तो मेरा नाम ले देना या मेरी बात करवा देना सच बता रहा हू बेहद सुकून मिला
मुझे अब बस इंतज़ार था पद्मिननी से मिलने का मैने अपने मेट को थॅंक्स कहा फिर मैं थोड़ा घूमने के लिए निकल गया सबसे पहले पद्मिलनी को फोन किया और बताया कि भाभी मैं आ जाउन्गा मैने सारा कम अड्जस्ट कर लिया है पद्मिनी की आवाज़ से ही मैं उसकी खुशी का अंदाज़ा लगा सकता था उसकी सुरीली आवाज़ खनक उठी थी
मैं पद्मिुनी से बात कर ही रहा था कि मैने देखा कि हमारी घमंडी दोस्त स्कूटी लिए मेरी ही ओर आ रही थी उसने स्कूटी बिल्कुल मेरे सामने रोकी और सीधे बोली की बैठो तो मैने कहा एक मिनट और पद्मि नी को कहा कि मैं आपको बाद मे फोन करता हू और फोनी कट कर दिया और उस से बोला कि क्यो बैठू कही ले जा कर मरवा दोगि तो , वो बोली अभी बात ना करो ओर जल्दी बैठो मैं फ्री तो था ही तो बैठ लिए एक लड़की के पीछे बॅक्सीट पर बैठना अच्छा नही लगा पर सोचा कोई नही और वो कभी दाए कभी बाएँ मुड़ती हुई चल पड़ी अकादमी मे बाहर की तरफ
हम अब थोड़ी सी आउटर साइड मे आ गये थे उसने एक छोटी सी चाइ की गुमटी के पास स्कूटी रोकी और कहा की चल आज मैं तुझे चाइ पिलाती हू और हम वहाँ जाकर बेंच पर बैठ गये वो कोई ज़्यादा बड़ी दुकान नही थी बस एक खोखा सा ही था जहा चाइ और ब्रेड मिलती थी
थोड़ी देर मे ही चाइ आ गयी पहली ही घूंठ मे पता चल गया कि छाई का स्वाद लाजवाब था दो घूंठ पीते ही मज़ा आ गया मैने उसको थॅंक्स कहा इतनी अच्छी चाय पिलाने के लिए तो वो बोली कि मूरख! मैं भी मिट्टी से जुड़ी हुवी लड़की ही हू लोग बस मेरा हाइ-स्टाइल देखते है पर दिल मेरा भी खलिश देसी ही है
मैं तो उसका नया रूप देख कर हतप्रभ हो गया था मैने पूछा कि वैसे तुम कहाँ से बिलॉंग करती हो तो वो बोली कि हरियाणा मे रोहतक से तो मैं बोला अच्छा तो जाटनी है तू तो वो हरियानवी लहजे मे बोली “तन्ने कोई शक सै के ” मैं बोला ना कोई शक नही है अचानक से उसके इस बदले व्यवहार से मैं सरप्राइज हो गया वो बोली ये सब छोड़ मैं बस तुमसे बात करने तुम्हे यहाँ पर लाई हू कुछ तो बात है तुम मे मैं बोला तुम इतनी बड़ी सख्शियत मुझ पर कैसे मेहरबान हो गयी वो बोली अब रहने भी दे ना कब तक मेरी टाँग खीचेगा , मैं बोला अब तो दोस्ती कर ले वो बोली साची बात बोलू तुम मे ना फ्रेंडशिप वाला मेटीरियल है ही नही
मैने कहा, ये तुम कैसे बता सकती हो आख़िर तुम जानती ही कितना हो मेरे बारे मे तो वो बोली बस मैने कह दिया ना तो कह दिया
मैने उसकी आँखो मे झाँकते हुए कहा कि कभी आजमा कर देख लियो वो बोली देख तू मेरे स्टॅंडर्ड का नही है माना तू कुछ दिन मे ऑफीसर बन जाएगा और फिर यहाँ से चला जाएगा और मैं यही पर रहूंगी इसी सहर मे तेरा मेरा क्या मेल मैने कहा ओ इधर देख दोस्ती के लिए बोल रहा हू शादी का प्रस्ताव नही दे रहा
वो बोली अबे तुझ जैसे जो विरले होते है ना उनकी दोस्ती कब जाने प्यार मे बदल जाती है पता नही चलता और फिर शुरू होती है कॉंप्लिकेशन्स मैं बोला तू दूर की ना सोच वो बोली कि तू जो भी समझ पर मेरी ना है पर तू मुझे अच्छा लगा
मैने बस इतना कहा कि ये बात तो तू अकादमी मे भी कह सकती थी ना इतनी दूर आने की क्या ज़रूरत थी तो वो बोली तेरे साथ चाइ जो पीनी थी कुछ भी हो लड़की दिल मे घाव कर गयी थी
ज़ाटनी की अदा आज मार गयी थी फोजी को , खैर अब मैं क्या करूँ उसने वापिस मुझे अकादमी कॅंपस मे ड्रॉप कर दिया कई मुलाकात कर चुका था उस से पर नाम नही पूछ पाया था तो सोचा कि अगली बार नाम तो ज़रूर ही ज़रूर पूछना ही है मैं थोड़ा सा उदास हो गया था पर लाइफ मे ये सब तो चलता ही रहता है ना मैं कॅंटीन की तरफ जा ही रहा था कि पद्मि नी का फोन आ गया वो बोली क्या कर रहे हो मैने कहा कुछ खास नही तो वो बोली मूर्ति कल सुबह 8 बजे तक चले जाएँगे तुम 10 बजे के आसपास आ जाना मैने कहा आप चिंता ना करो मैं आ जाउन्गा
वो बोली कि कुछ समान भी मंगवाना है तो क्या तुम ले आओगे मैने कहा जो भी चाहिए उसकी लिस्ट स्मस कर दो मैं ले आउन्गा तो वो बोली कि थोड़ी देर मे करती हू फिर मैं कॅंटीन चला गया तो पता चला कि अपना याडी तो छुट्टी निकल गया अब मैं वहाँ क्या करता तो उल्टे पाँव वापिस हो लिया पैदल चल चल कर मैं परेशान हो गया था तो सोचा कि पोस्टिंग के बाद एक बाइक और खरिदुन्गा यूनिट मे रखूँगा उसे चुतिये की तरह पैदल घूमता रहता था मैने अपने फ्यूचर प्लॅन्स बहुत ही क्लियर्ली सोच रखे थे पर कहाँ किसी का सोचा हुआ कुछ पूरा हुआ करता है कल मुझे पद्मिहनी से मिलना था तो लंड भी साला कुछ ज़्यादा ही उछल कूद मचा रहा था पॅंट मे सोचा मुट्ठी मार कर इसको शांत कर दूं
पर फिर सोचा कल चूत तो मिल ही रही है तो मुट्ठी मारना कॅन्सल कर दिया कभी कभी इस आर्मी लाइफ से मैं उकता जाया करता था ये हमेशा रूल्स का ढिंढोरा अजीब सा लगता था कई रूल्स तो अंग्रेज़ो के जमाने के थे यूस्लेस पर घसीट रहे थे पर फिर भी मैं खुश था क्योंकि छोटी उमर मे ही नौकरी मिल गयी थी और जवानी मे कदम रखते ही हसिनाओ की बाहों मे पनाह मिल गयी थी अब तक के छोटे से सफ़र मे ही वो मज़ा लूट लिया था जिसके लिए अक्सर लोगो की उमर गुजर जाया करती है कभी कभी प्रीतम की याद भी आ जाया करती थी पर वो गाँव के आशिक़ प्रेमिकाओ की शादी के बाद उनके बच्चो के मामा के नाम से ही जाने जाते है पर मैं तो एक प्यासा भँवरा था
एक फूल से दूसरी दूसरी से तीसरा अपना तो ऐसे ही कुछ चल रहा था देहरादून से भी प्यार सा ही हो गया था काफ़ी अच्छा सहर था मन लग ता था यहाँ पर मेरा कभी कभी सोचता था कि कुछ पैसे होंगे तो यही कही एक घर खरीद लूँगा फिर पास ही हरिद्वार था , ऋषिकेश था महादेव जी का वास अपने को और क्या चाहिए पता नही क्यो आजकल मैं बस प्लॅन्स ही बनाता रहता था पर दिल मेरा भी घबराता था कि मिथ्लेश से ब्याह की गाड़ी किस तरह से पटरी पर आएगी क्योंकि भाग कर वो आएगी नही और ये जालिम समाज माने ना माने बस वो ही टेन्षन थी दिल मे बाकी तो लाइफ कट ही रही थी रात अपने शबाब पर अहिश्ता आहिश्ता से बढ़ रही थी पर मेरी आँखो मे नींद नही आ रही थी
हताश मन से मिथ्लेश का नंबर डाइयल किया पर उसका फोन बंद था थक कर सो रही होगी शायद तो मैं रूम से बाहर निकला और गॅलरी मे आकर खड़ा हो गया ठंडी हवा रूह बनकर मेरे जिस्म मे उतर ती चली गयी कॅंपस लाइट्स से रोशन था , कुछ खाती मीठी यादे लेकर चला जाउन्गा यहाँ से कुछ ही दिनो मे मैं सोचने लगा फ़ौजी लोगो की भी कोई ज़िंदगी होती है आज यहाँ कल यहाँ कंधे पर बिस्तर बाँधकर घूमते ही रहते है आप लोगो ने तो बसों मे , ट्रेन्स मे देखा ही होगा पर जब ये वर्दी बदन पर सजती है ना तो फिर कोई परेशानी याद नही रहती याद रहता है तो वो फ़र्ज़ जिसे निभाने मे पूरी जिंदगी बीत जाती है आज पता नही क्यो मेरे मन मे हज़ारो सवाल उमड़ आए थे एक बैचैनि सी मुझे भटका रही थी अगले दिन मुझे पद्मि नी से भी मिलना था अब आँखे भी भारी भारी होने लगी थी तो फिर आके बिस्तर मे पड़ गया और नींद ने किसी माँ के आँचल की तरह मुझे अपने आगोश मे ले लिया
अगले दिन जब मैं उठा तो मन कुछ ज़्यादा ही प्राफ़्फुलित सा हो रहा था फॉरमॅलिटीस को निपटा ते निपटाते 9 बज गये थे तो मैं वॉर्डन रूम मे गया और उस हवलदार को बता कर पद्मिमनी के घर की तरफ चल पड़ा दिसेंबर की वो सर्द सुबह थी और ठंड तो इतनी पड़ रही थी उस दिन की बस पूछो ही मत उपर से वो तेज हवा के झोंके जो पूरे बदन मे ठंड की लहर दौड़ाए जा रहे थे मैने अपनी जॅकेट की चैन उपर तक चढ़ा ली और अपने काँपते हाथो को आपस मे रगड़ते हुए एक गीत गुनगुनाते हुए पद्मिपनी के घर की ओर हौले हौले बढ़ रहा था दिल मे उमंग थी कि चलो कुछ टाइम तो अच्छे से मिलेगा पद्मिकनी के साथ बिताने को
मैं अपनी धुन मे चला जा रहा था कि तभी किसी ने पीछे से मेरे बिल्कुल पास मे स्कूटी रोकी मैने मूड के देखा तो जाटनी थी उसने पूछा कहाँ जा रहे हो तो मैने झूठ बोलते हुए कहा कि आउट ऑफ कॅंपस जा रहा हू कुछ पर्सनल काम है तो वो बोली है, तेरा पर्सनल काम हमें नही बताएगा कही गर्लफ्रेंड से तो मिलने नही जा रहा है तो मैने कहा जब तू ही गर्लफ्रेंड नही बनी तो और कोई क्यो बनेगी तू अपना रास्ता नाप तो वो बोली यार तुम हमेशा इतने उखड़े उखड़े क्यो रहते हो मैने कहा यार मैं किसी इंपॉर्टेंट काम से जा रहा हू तू अभी मस्ती ना कर
वो बोली लो जी कर लो बात !! एक तो लोगो की हेल्प करो और फिर उनकी जली कटी सुनो भलाई का तो जमाना ही नही रहा मैने कहा यार अब तू अपना रास्ता नाप और मुझे फ्री कर वो बोली आजा एक एक कप कोफ़ी पीते है वैसे भी ठंड बहुत ही ज़्यादा है आज कुछ गप्पे लड़ाते है फिर तू निकल जाना मैने सोचा कि ये ऐसे पीछा तो छोड़ेगी नही और उपर से कड़ाके की ठंड तो कोफ़ी तो बनती ही थी तो मैने हाँ कह दी मैने कहा आज तू पीछे बैठ स्कूटी मैं चलाउन्गा तो वो बोली आराम से चलाना कही गिरा ना दियो पता नही तुझे चलानी आती भी है या नही
तो मैने कहा घर पे बुलेट है बावली चोरी और जब पाछे तेरे जैसी हूर परी बैठी हो तो तू खुद ही समझ ले तो वो बोली बात ना कर अर चाल अब आगे नै जाटनी की ये ही तो बात बड़ी अच्छी लगती थी इतनी हाइ फॅशनबल लड़की थी वो पर जब कभी कभी इस तरह ठेठ देसी अंदाज मे बात करती थी तो दिल पे कटार ही चल जाया करती थी