05-12-2020, 10:47 PM
मिता ने साक्षी को अपनी गोदी मे ले लिया और उसको खिलाने लगी मैने भाभी को बता दिया कि मिता उनकी होने वाली देवरानी है तो भाभी बेहद खुश हो गयी भाभी ने बहुत देर तक मिता से बात की डिन्नर कर ही रहे थे कि मिथ्लेश को लेने उसका भाई आ गया चूँकि मैं उसको जानता नही था और ना ही मिता ने उस से इंट्रोडक्षन करवाया रात को 8 बजे हम भी वापिस घर की ओर मूड गये आज का दिन एक याद गार दिन था रास्ते मे भाभी बोली तेरे फ्रेंड्स तो बहुत अच्छे है कभी तू भी इनको अपने घर बुला ले तो मैने कहा भाभी आप तो मम्मी को जानती ही हो ना कोई भकेड़ा खड़ा कर देंगी तो भाभी ने कहा तू घबरा मत मैं मॅनेज कर लुगी तू जब भी बुलाए तो बता देना मैं तेरे साथ हू फिर मैने पूछा भाभी मिता कैसी लगी आपको तो वो बोली ठीक है पर लव मॅरेज वो भी अपने घर मे बहुत बड़ी बात है मैने कहा भाभी दुल्हन तो वो ही बनेगी चाहे कुछ भी हो जाए ऐसे ही बाते करते हुए हम घर आ गये
अब भाभी के घर कोई नही था तो आज हमारे यहाँ ही सोने वाली थी अंदर गये तो पता चला कि बुआ चाचा के साथ हॉस्पिटल गयी हुई थी तो आज बुआ रुकने वाली थी रात को वहाँ पर इसका मतलब चाची के साथ चान्स बन सकता था चाची ने खाने के बारे मे पूछा तो मैने बता दिया कि हम खाकर आए है तो वो बोली कहाँ पर तो अनिता ने उनको सारी बात बता दी फिर कुछ देर हमने बाते की फिर भाभी बुआ वाले कमरे मे सोने चली गयी वो थोड़ी थकि हुई भी थी मैं और चाची उपर चले गये
तो मैने सीढ़ियो वाले गेट को बंद किया मुड़ा तो देखा कि चाची ने छत पर ही हमारा बिस्तर लगा दिया है मैं उनकी गान्ड को सहलाने लगा नाइटीमे उनका दिल्कश बदन और भी सुंदर लग रहा था मैने जल्दी से अपने पयज़ामे को नीचे सरका दिया और अपने लड को उनके चुतडो से सटा दिया चाची बोली आज बड़े उतावले लग रहे हो तो मैने कहा मैं तो हमेशा ही रेडी रहता हू जहाँचूत मिले वही मार लेता हू पर आज मैं आपकी गान्ड मरूगा तो वो बोली नही नही वहाँ पर तो बहुत दर्द होता है तो मैने कहा मुझे कुछ नही पता अब कह दिया तो कह दिया और उनके चूतड़ पर एक चपत लगा दी चाची बोली मानोगे नही
मैने कहा गान्ड लिए बिना तो बिल्कुल नही वो बोली चाहे मेरी जान ही क्यो ना निकल जाए तो मैने कहा चाची सेक्स से कोई कभी मरता है क्या क्या तुम भी नखरे दिखाती रहती हो और मैं रूठने का नाटक करने लगा तो वो मेरे पास आई और
बोली कि ठीक है ज़्यादा आक्टिंग ना करो चलो आज तुम्हे अपने पिछवाड़े का मज़ा
भी दे ही देती हू उन्होने मुझे कहा कि उनके कमरे मे ड्रेसिंग टेबल मे आयिल
बॉटल पड़ी है मैं ले आउ मैं तुरंत ही गया और तुरंत ही आया जब मैं आया तो
देखा कि चाची अपने चूतड़ उपर किए हुए उल्टी लेटी पड़ी थी उनके मोटे मोटे
चुतडो से मेरी निगाह हट ही नही रही थी तो मैं बड़े ही प्यार से उनके कुल्हो को
मसल्ने लगा चाची ने एक आह भारी मैने अपनी उगली उनकी गान्ड के छेद से लगा
दी और उसको कुरेदने लगा छेद काफ़ी टाइट लग रहा था मैने पूछा कि चाची
चाचा गान्ड मारते है क्या तो वो बोली की हाँ कभी कभी कर लेते है अब मैने
अपने लड पे तेल लगाना चालू किया और उसको उपर से लेकर नीचे तक पूरा तेल से
सान लिया और एक ढक्कन तेल उनकी गान्ड पर भी डाल दिया और अपनी चिकनी उगली
को गान्ड मे घुसा दिया जैसे ही चाची की गान्ड मे उगली गयी उन्होने अपने
चुतड़ों को टाइट कर लिया और दर्द भरी आवाज़ मे बोली
आआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआहह इसको बाहर
निका लो मुझे मिर्ची लग रही है तो मैने कहा कुछ नही होगा बस तुम अपना
शरीर ढीला छोड़ो और थोड़े नखरे कम करो फिर मैने अपने लड को गान्ड पर
लगा दिया और एक धक्का लगाते हुए थोड़ा सा उसको गान्ड मे डाल दिया चाची का
शरीर दर्द से दोहरा हो गया तो मैने अपनी पकड़ को उनको शरीर पर मजबूत कर
दिया और अगले धक्के के साथ मेरा लड उनकी गान्ड को और चौड़ा करते हुए आगे
की ओर सरक गया उनकी आँखो से आँसू छलक गये पर मैं कहाँ रुकने वाला था तो
मैने दो झटक और लगाए और अपने टट्टो को उनके चुतडो से सटा दिया चाची
कराहते हुए बोली कि प्लीज़ तुम जल्दी से अपना काम कर लो मुझे बहुत तेज दर्द हो
रहा है मैं हौले से अपनी कमर को आगे पीछे कर ने लगा थोड़ी देर बाद उनको
थोड़ा सा सुंकून मिला तो मैने भी अपना गियर चेंज किया और थोड़ी सी स्पीड को
बढ़ा दिया मैं अपने हाथ नीचे की ओर ले गया और उनके बोबो को पकड़ लिया और
उनपर दबाव डालते हुए उनकी गान्ड मारने लगा उनकी गान्ड इतनी टाइट थी कि मुझे
बहुत ज़ोर लगाना पड़ रहा था लड उनकी गान्ड की गर्मी को बर्दास्त नही कर पा
रहा था जब जब लड आगे पीछे होता ऐसा लगता कि गान्ड का छेद लड से चिपक
गया है मुझे तो बहुत ही मज़ा आ रहा था उनके चूतड़ बड़े ही लाजवाब थे
मैने लड को बाहर निकाला थोड़ा सा तेल उस पर और लगाया और फिर से गान्ड मे
धकेल दिया
मैं उनके गालो को चूमने लगा वो बार बार कह रही थी जल्दी करो
जल्दी करो मैने कहा कर तो रहा हू और कितनी जल्दी करू इधर गान्ड का दबाव
भी लड पर बढ़ता ही जा रहा था जैसे ही मेरे धक्के तेज हुए उनका दर्द भी
बढ़ता गया अब वो थोड़ी तेज आवाज़ मे कराहने लगी थी उनके कुल्हो का कंपन एक
मधुर आवाज़ उत्पन्न कर रहा था उत्तेजना से मेरे कान लाल हो गये थे मैने
उनको कस के पकड़ लिया और बेहद द्रुत्त गति से लड को अंदर बाहर करने लगा
और कोई 15-17 मिनट तक उनके चुतड़ों को बुरी तरह से हिलाता रहा तभी चाची
बोली कि वीर्य तो मेरी चूत मे ही गिराना भूल मत जाना मैने कहा ठीक है
कुछ मिनट बाद मुझे लगने लगा कि अब पानी बस छूटने ही वाला है तो मैने
उनको सीधा लिटाया और लड को योनि मे सरका दिया और बीस पच्चीस तेज तेज धक्के
लगाते हुए अंदर ही डिसचार्ज हो गया उनकी चूत मे मेरे पानी की छोटी से छोटी
बूँद भी समा गयी मैं उनके उपर पड़े पड़े ही उनको चूमता रहा वो भी
मेरा सहयोग करती रही फिर मैं साइड मे हो गया वो उठी और हाथ लगा कर अपनी
गान्ड को देखने लगी और मुझसे कहने लगी कि लगता है फट गयी है फिर वो
बड़बड़ाती रही और मेरी बनियान से अपनी गान्ड को सॉफ करने लगी और बोली कि कभी
कोई तेरी गान्ड मारे तो तुझे पता चले कि कितना दर्द होता है और मुंडेर पर
बैठ कर पेशाब करने लगी मैने पयज़ामा पहना और नीचे चला गया फ्रिड्ज से
पानी की बॉटल निकाली और वापिस आ गया मैने उनको भी पानी पिलाया फिर हम दुबारा
बिस्तर पर लेट गये
चाची मेरे सीने पर हाथ फिराते हुए बोली तुम्हारी छाती पर बाल नही है
मैने जवाब देते हुए कहा कि मैं ट्रिम्मर से सॉफ करता रहता हू ना इसलिए नही
है चाची मेरी छाती पर किस करने लगी वो मेरी छाती पे अपनी जीभ फेरने लगी
मुझे एक अलग सा एहसास होने लगा था अब वो मेरे निप्पल्स को चूसने लगी थी
मेरे बदन मे उत्तेजना का संचार होने लगा मैं तो उनकी हरकत का दीवाना ही हो
गया था जैसे जैसे हमारा सेक्स बढ़ता जा रहा था मुझे उनकी नयी नयी अदाए
देखने को मिल रही थी वो मेरी छाती पर चढ़ि हुई थी और ना जाने कब मेरी
उग्लिया उनकी चूत के अंदर पहुच चूँकि थी मैं अपनी दो उग्लियो को अंदर डाल
कर अंदर बाहर करने लगा वो अपनी जाँघो को बार बार भीचने लगी वासना की आग से
उनका शरीर तापने लगा था तो मैने उनको बिस्तर पर बिठा दिया और उनकी जाँघो को
फैलाते हुए उनकी टाँगो के बीच मे घुस गया और चूत को चाट ने लगा जैसे
ही मैने उनकी चूत के दाने को मुँह मे लिया मस्ती से उनकी आँखे बंद हो गयी
और वो गहरी गहरी साँसे लेने लगी तो मैने अपने दाँत वहाँ पर गढ़ा दिए चाची की
मस्ती बढ़ती ही जा रही थी उनकी योनि बहुत ही गीली हो गयी थी मैने कुछ देर ही
चाटा था तो उन्होने मुझे हटा दिया और बोली कि चलो अब जल्दी सी काम पर लग जाओ
मैं बहुत ही गरम हो गयी हू अगर जल्दी ही ठंडी ना हुई तो इस गर्मी को झेल
नही पाउन्गी और मेरे लड को अपनी चूत पर रगड़ने लगी और आहे भरने लगी तो
मैने अपनी कमर को थोड़ा सा उचकाया और सुपाडा उनकी फांको को अलग करता
हुआ अंदर धस्ता चला गया उन्होने मुझे पूरी तरह से अपनी ओर खीच लिया
और मेरे कान मे फुसफुसाते हुए बोली कि मुझे बेदर्दी से चोदो तुम मैने
कहा चोद तो रहा हू और अपने लड को किनारे तक बाहर निकाला और पूरी ताक़त
लगाते हुए वापिस अंदर डाल दिया मैने उनके उपर वाले होंठ को अपने मुँह मे
दबा लिया और मज़े से उसको चूसने लगा चाची तो पहले ही वासना की आग मे जल
रही थी उनकी गर्मी को मेरा लड महसूस कर रहा था तो मैने अब अपना काम
शुरू कर दिया चाची भी मेरा पूरा सहयोग कर रही थी मेरे लड की गति और उनके
चुतडो की थप थप एक लयबद्ध धुन की रचना करे जा रही थी . से भी ज़्यादा
चिकनी चूत मे मैं अपना घोड़ा दौड़ाए जा रहा था उनकी हर एक सांस अब मेरे
मुँह मे ही क़ैद होती जा रही थी हर गुज़रते हुए पल के साथ मेरा जोश और भी
ज़्यादा होता जा रहा था चाची और मैं एक दूसरे से चिपक गये थे मेरा खून
हिलोरे मारने लगा था और फिर कोई आधे घंटे तक मैं उनको जबरदस्त तरीके
चोदा और फिर डिसचार्ज हो गया
अगले दिन मैने उठते ही मिथ्लेश को एसएमएस किया और पूछा कि क्या हम मिल सकते है तो उसने कहा कि मैं उसको पब्लिक लाइब्ररी के बाहर मिलू मुझे थोड़ा बॅंक का काम भी था तो मैने वो निपटाया फिर मिता को पिक कर लिया
आज तो वो बहुत ही प्यारी लग रही थी उसने पूछा हम कहाँ जा रहे है तो मैने कहा बस ऐसे ही घूमने के लिए और अपनी बाइक को नहर पे बने डॅम की ओर मोड़ दिया थोड़ी देर मे हम वहाँ पहुच गये एक अजीब सा सन्नाटा सा फैला हुआ था वहाँ पर अब गर्मी मे कौन आता वहाँ पर मैं और निशा तो अक्सर ही घूमते रहते थे वहाँ पर पर मिता के साथ आज पहली बार आया था पास ही एक बेरो का बगीचा था तो मिता बोली चलो बेर खाते है तो हम उस ओर चले गये वहाँ पर बस एक अम्मा ही थी तो उसे कुछ बेर लिए और इजाज़त ली कि क्या हम थोड़ी देर बाग मे घूम ले तो उन्होने हाँ कर दी
वहाँ के माहौल मे थोड़ी ठंडक सी थी तो गरम लू भी अच्छी लग रही थी मिता बोली एक बात मान नी पड़ेगी तुम्हारी चाय्स बहुत ही अलग है तुम साधारण चीज़ो को भी अलग बना देते हो तुम्हारी इसी बात पर तो मैं मर मिटी हू मैने मिता के हाथ को अपने हाथ मे पकड़ लिया हम एक पेड़ के नीचे बैठ गये उसने पूछा कब जाना है तो मैने कहा एक हफ्ते बाद वो बोली मत जाओ ना मैं क्या कहता बस इतना ही कह पाया कि जाना पड़ेगा अब एक फ़ौजी का नसीब यही तो होता है गिनती के ही दिन मिलते है अब उसमे क्या क्या कर ले मिता ने अपना सर मेरे कंधे पर टिका दिया और कहने लगी कितनी जल्दी ख़तम हो गये तुम्हारे हॉलिडे तो मैने कहा यार तेरे प्यार के लिए ही तो नौकरी की है अब बस तू जल्दी से मेरी ज़िंदगी मे आ जा वो भावुक होते हुए बोली कि मैं तो आज आ जाउ पर घरवालो से बात कैसे करू कुछ समझ नही आता है
रोज सोचती हू कि मम्मी से बात करू बट हिम्मत नही पड़ती है
मेरा गला भी भर आया मैं बस इतना ही कह पाया मिथ्लेश नही जी पाउन्गा तेरे बिन जितनी भी साँसे है बस तेरे लिए ही है पहली और आख़िरी पसंद बस तू ही है कुछ भी कर पर बस तुम मेरी ही दुल्हन बन ना मैं बोला अगली छुट्टी आते ही चाहे कुछ भी हो मैं तेरे घर आउन्गा तेरा हाथ माँगने के लिए
मितलेश कहने लगी की तब तक उसका कोर्स भी ख़तम हो जाएगा और वो भी जॉब करने लग जाएगी कोई डेढ़ दो घंटे तक हम लोग वही रहे फिर मैने कहा यार भूख लग आई है चल चलते है और हम वापिस शहर की तरफ आ गये मैं उसको एक नये खुले रेस्टोरेंट मे ले गया और साथ ही हमने लंच किया मैं आज का पूरा दिन बस मिता के साथ ही बिताना चाहता था
जब वो साथ होती थी तो टाइम भी बहुत तेज़ी से दौड़ लगाने लगता था मैने बाइक को पार्किंग मे लगाया और पैदल ही बाजार की तरफ निकल गये मैने कहा कुछ लेना है वो मना करने लगी पर मैने उसके लिए कुछ ड्रेस खरीद ही ली फिर मैने उसके लिए एक घड़ी खरीदी तभी वो बोली कि मुझे गोलगप्पे खाने है तो मैं उसको लेकर खोम्चे पे गया लड़किया भी ना गोल्गप्पो के लिए बड़ी ही क्रेज़ी होती है वो बड़े चाव से खाती रही और मैं बस उसको देख कर खुश होता रहा
अब ज़िंदगी मे ये कुछ लम्हे ही तो थे जिनके सहारे मैं वहाँ आर्मी मे जीता था ये यादे ही तो मुझे हौसला देती थी मिता भी मेरी मनोस्थिति को समझ रही थी पर वो बेचारी भी क्या कर सकती थी वो बस मुझे खुश करने की कोशिश ही कर रही थी तभी मुझे एक स्टेशनरी की शॉप इखी तो मैने कुछ नये पैंट और ब्रश खरीद लिए
मिथ्लेश बोली अब भी पैंटिंग करते हो तो मैने कहा की हा जब भी तुम्हारी याद आती है कर लेता हू वो हँस पड़ी उसको खिल खिलाते हुए देख कर मेरा दिल भी झूम उठा जब जब वो मेरे पास होती थी मेरे दिल की धड़कन ऑटोमॅटिकली बढ़ जाती थी
हम दोनो एक शॉप की सीढ़ियो पर बैठे हुए थे वो पॉपकॉर्न खा रही थी मैं पेप्सी पी रहा था मैने कहा यार देख टाइम कितना चेंज हो गया है ना कभी हम एक समोसा खा कर ही खुश हो जाते थे और आज इतने रुपये खर्च करने के बाद भी मज़ा नही आता है तो वो बोली तुमने अच्छा याद दिलाया एक काम करो चलो आज फिर से अपनी पुरानी लाइफ को याद करते है आओ चले मैं उसके पीछे पीछे चल दिया हम वापिस उसी गली मे पहुच गये थे जहा अक्सर हम जलेबिया और समोसे खाया करते थे वो दुकान आज भी वैसे ही थी मैने कुछ जलेबिया ली आज भी वो दोनो मे ही देता था
गर्म गरम जलेबियो के साथ काजू-बादाम वाला दूध का कुल्हड़ पीकर मज़ा ही आ गया मैने दुकानदार को बताया कि कैसे हम 10+2 मे यहाँ आते थे हर तीसरे चौथे दिन वो भी थोड़ा खुश हो गया बिल पे करने के बाद मैने मिता को थॅंक्स कहा ऐसे ही शाम तक हम पैदल पैदल घूमते रहे तफ़री मारती रहे फिर हम पार्किंग आए बाइक ली अब बस घर ही जाना था
तो मैने मिता से पूछा कि वो कब तक रुकेगी तो वो बोली कि वो तो दो महीने रुकेगी क्योंकि कॉलेज की टर्म ऑफ हो गयी थी मैने कहा कि मैं उस से मिलने शिमला आउन्गा उसने कहा कि वो पैदल ही टेंपो स्टॅंड तक जाएगी मैने सर हिलाया और उसको जाते हुए देखता रहा मेरा थोड़ा दिमाग़ उलझ सा गया था तो मैने एक ठंडी बियर खरीदी और गटकाने लगा
ये सुनहरी रेत जो बार बार मेरे हाथो से फिसल जाती है अपने आप मे ना जाने कितनी ही कहानियाँ समेटे बैठी है कुछ हम जानते है और कुछ इस रेत मे ही दफ़न हो गयी तपती दुपहरी मे जब ये हवा से से चलती है तो मैं अक्सर अपनी इस पोस्ट से थोड़ा बाहर आकर खड़ा हो जाता हू ये गरम लू मेरे शरीर को जैसे छलनी कर डालती है पर ये गरम हवा भी जैसे मुझसे नाराज़ है मानो मुझसे कह रही हो कि वो भी मेरी तरह जुदाई का गम लिए बह रही है जब रात होती है तो ये रेत मुझ अपने आगोश मे ले लेती है बिल्कुल किसी माँ के आँचल की तरह एक सुकून सा मिलता है कल की बात है
अचानक से बारिश आ गयी ठंडी बूंदे मेरे तन को भिगो गयी लगा जैसे वो बरसात मेरी प्रेयसी का संदेशा लेकर आई थी जब मेरे चेहरे पर बारिश की फुहार पड़ी तो लगा कि जैसे मेरी प्रियतमा का चुंबन हो कभी कभी मैं अपने जज्बातो को काबू कर नही पता हू आख़िर मैं भी तो एक इंसान ही तो हू कभी कभी कोफ़्त होती है इस खाना बदोश ज़िंदगी से मुझे सबकुछ होकर भी कुछ नही है मेरे पास मैं यहा टुकड़ो मे जी रहा हू वो कही इसी हाल मे जी रही है मैं उसको भी क्या दोष दूँ बहुत मना किया था उस दीवानी लड़की को कि मैं तो एक झोंका हू कभी इस पल कभी उस पल पर वो भी मर्जानी मानी ही नही पर खुशी भी है कि वो दूर होकर भी हर पल पास ही है मेरी रूह से इस कदर जुड़ चुकी है वो कि शब्दो मे बया ही नही कर सकता दिल की बाते दिल मे ही कहीं रह जाती है कोशिश तो करता हू पर होंठो पे आ ही नही पाती है पर मैं करू भी तो क्या आज यहा कल वहाँ अब तो पूरी डुंजया ही मेरा घर हो गयी है जहा जगह मिली वही चद्दर तान कर सो गये सवेरा हुआ तो चल दिए ना किसी से कोई शिकवा है ना कोई गिला है आख़िर इस ज़िंदगी को मैने ही तो चुना था अपने लिए शिकायत नही कर रहा हू बस कभी कभी थोड़ा सा तल्ख़ हो उठता हू
जब कभी लगता है कि टूट के बस बिखर ही जाउन्गा तो अपनी इस पोस्ट के बाहर आकर खड़ा हो जाता हू बस थोड़ी ही दूरी पर एक बंकर और दिखता है जहा मेरे जैसा ही कोई और दिखता है बोली भाषा भी मेरे जैसी ही पर बीच मे एक तारो की दीवार है जिसे हम सरहद कहते है ना इस पर कुछ फरक है ना उस पार कुछ फरक है बस ये बाद हमे जुदा कर देती है अक्सर पेट्रॉल्लिंग टाइम पे उसे भी गुफ़्तुगू होती ही रहती है कभी ज़ुबान बात करती है कभी बंदूक कभी छुपकर जश्न भी साथ होता है तो कभी आँसू भी भा लेते है मैं कभी भी समझ नही पाता हू इंसानी भावनाओ को कभी तो अपनो को भी जुदा कर देती है और कभी दुश्मनो के लिए भी रुला देती है
पर मैं करू भी तो क्या मेरी तो फ़ितरत ही है ऐसी और फिर कातीलो का कहाँ कोई ईमान होता है बहुत ही घुटन महसूस करता हू आज़ाद परिंदे की तरह उड़ना चाहता हू पर क़ैद हू पिंजरे मे ये मेरी अधूरी हसरते मुझे हर रोज रूलाती है पर मैं कुछ ज़्यादा तो नही माँगता हू ना फिर सब कुछ तो ज़िंदगी ने पहले ही छीन लिया है बस ये साँसे ही चल रही है ऐसी राह चुन ली चलने को कि सबका साथ छूट गया बस पता नही वो पगली क्यो रह गई मेरे इंतज़ार मे उसका बहुत शुक्रगुज़ार हू मैं हर वो ज़िम्मेदारी निभाती है जो मैं पूरी ना कर पाया दिल मे आती है उसकी याद बात करने को जी चाहता है पर फोन मे उसका नंबर डाइयल करने की हिम्मत नही हो पाती है हम उसके ईमेल रो ज ही आ जाते है पर कभी शिकायत नही करती है साथ रहना ही तो प्यार नही होता है दूर रहकर पास होना ही प्यार है अबकी बार सोचा है कि दीवाली पे घर ज़रूर जाउन्गा
घर , पर मेरा घर है कहाँ उस गाँव को तो मैं बहुत पहले ही छोड़ आया था कितना ख़ुदग़र्ज़ हो गया था मैं अब किस मुँह से जाउ मैं वापिस हिम्मत ही नही होती है कई बार कोशिश भी की पर नही जा पाया आख़िर वो बुरी यादे मेरा रास्ता रोक लेती है बाप की बूढ़ी आँखे आज भी मेरी राह तकती होंगी माँ का क्या हाल होगा पता नही परिवार ने मेरे लिए बहुत कुछ किया पर मैं अपनी ईगो और जिद्द के कारण सब तबाह कर आया मानता हू टाइम बदल गया है पर आज भी वो घर मुझे ही पुकारता है बहुत याद आता है मुझे अपना गाँव घर रोज घुट घुट के जी रहा हू अब छुट्टिया प्रेयसी के फ्लॅट पे ही काट लेता हू पर याद आती है माँ के हाथ की बाजरे की रोटिया पैसा तो बहुत कमाता हू पर रोटियो मे वो मिठास नही मिलती जो अपने घर के खाने मे आती थी जब कभी शीशे मे खुद को देखता हू तो नज़रे नही मिला पाता हू हँसता भी हू जीता भी हू पर अंदर अंदर कुछ जैसे छूट रहा है करू भी तो क्या करू अब मैं ख़ुदग़र्ज़ जो ठहरा
ये मेरा अधूरा पन जो कभी पूरा नही हो पाएगा बस अब तो देखना है कि कितनी सांस बाकी है
अक्सर मिता से मिलने के बाद मैं उदास हो जाया करता था मैं उसकी जुदाई बर्दस्त
कर ही नही पाता था पर मेरे पाँवो मे मजबूरियो की बेड़िया पड़ी थी पर इन चार
सालो मे इतना तो सीख ही गया था कि अपने गम को कैसे छुपाया जाए घर आया
तो पता चला कि ताइजी की हॉस्पिटल से छुट्टी हो गयी थी तो उनसे मिलने चला गया
थोड़ी बात चीत की रवि बोला भाई आज का खाना तू इधर ही खाएगा तो मैने कहा ठीक है मैं ज़रा नहा धो लू फिर आता हू वापिस आकर मैं बाथरूम मे घुस गया आज पानी की ठंडी बूंदे भी मेरे मन की आग को ठंडा नही कर सकती थी
नहा कर थोड़ा अच्छा लगा चाची बोली क्या बात है आज बड़ा उदास लग रहा है क्या बात है तो मैने कहा छुट्टिया ख्तम होने वाली है वो बोली वो तो है पर कर भी तो क्या सकते है फिर मैने कहा कि मैं आज खाना रवि के यहाँ खाउन्गा तो
आप मत बना ना और घर से बाहर निकल पड़ा
भाभी ने सब कुछ मेरी पसंद का ही बनाया था बेहद ही लज़ीज़ भोजन था अपनी
लाइफ इन छोटे छोटे लम्हो पर ही तो टिकी हुई थी खाने के बाद मैं आँगन मे डाली
चारपाई पर लेट गया और लेटे लेटे हुए बाते करने लगा परिवार जो इंसान का सबसे
बड़ा सहारा होता है फिर भाभी खीर ले आई पेट तो पहले ही ठूंस ठूंस कर
भरा हुआ था अनिता भाभी बर्तन धोने रसोई मे चली गयी तो मैं भी वही
चला गया और उससे बाते करने लगा मैने कहा भाभी खाना तो बड़ा ही
बढ़िया था पर मेरा मन अभी नही भरा तो वो कहने लगी कि तो ऑर ख़ालो किसने
रोका है मैने कहा कि भाभी मुझे तो अभी बस आपको ही खाना है तो वो बोली
जल्दी ही मोका निकालूंगी तुम्हारे लिए और वो भी मेरे साथ मस्ती करने लगी काफ़ी
देर हो गयी थी वहाँ पर तो बुआ ने नज़र बचा कर मुझे इशारा किया तो मैं और
बुआ अपने घर आ गये तो बुआ कहने लगी कि मेरी झान्टे सुलग रही है और तू
वहाँ टाइमपास कर रहा था तो मैने कहा बुआ चाची भी इधर ही है उनको सो
जाने दो फिर मैं आपके कमरे मे आ जाउन्गा तो वो बोली ठीक है अब उपर चाची
नीचे बुआ जब मैं उपर गया तो चाची ने पकड़ लिया और किस करने लगी तो मैने
कहा चाची आज मैं थोड़ा सा थक गया हू आज नही करूगा तो वो हताश हो गयी
और बोली एक बार तो करले पर मैने सॉफ सॉफ मना कर दिया पर चाची कहाँ
मान ने वाली थी वो मुझे खीचते हुए अपने कमरे मे ले गयी और कुण्डी बंद
कर ली और मुझसे चिपकते हुए बोली कि मेरी चूत तो मारनी ही पड़ेगी चाहे राज़ी या
बेराजी तो मैने कहा कि चाची क्या मेरा रेप करोगी तो वो हँसने लगी और बोली रे
चाकू चाहे खरबूजे पर गिरे या खरबूजा चाकू पर कट ता तो खरबूजा ही है
और हँसने लगी और अपने घाघरे के नाडे को खोल दिया घाघरा उनके पैरो मे जा
गिरा अंदर कच्छि नही पहनी थी उन्होने तो नीचे से पूरा शरीर किसी ट्यूबलाइट की
तरह चमकने लगा एक पल मे ही मेरे लड ने सिटी मार दी चाची ने अपनी चोली
भी खोल दी और नंगी होकर बेड पर चढ़ गयी और मेरी पॅंट को खोलने लगी बड़ी ही
नज़ाकत से उन्होने मेरी पॅंट को नीचे किया और थोड़ा सा झुकते हुए मेरे लड
को अपने मुँह मे क़ैद कर लिया लड जो पहले ही करेंट मे आ चुका था और भी ज़ोर
से फुफ्करने लगा चाची अपने दाँतों से मेरे लड की खाल को काटने लगी मैने कहा
क्या करती हो मुझे तकलीफ़ हो रही है तो उन्होने और भी ज़ोर से अपने दाँत वापिस से
गढ़ा दिए मेरा पूरा लड उनके मुँह मे था कुछ देर तक वो पूरी तल्लिनता से उसको
चूस्ति रही फिर मैने उनके मुँह से उसको बाहर निकाला और चाची को बेड पर
खीच लिया उनको मैने टेडी लिटाया और उनकी पीठ के नीचे से हाथ ले जाते हुए
उनके एक बोबे को अपने हाथ से कस कर पकड़ लिया और दूसरे हाथ से उनकी टाँग को
थोड़ा सा उपर उठा दिया मैने अपने शरीर को और भी उससे सटा दिया अब मेरा
लड चूत से कुछ ही इंच की दूरी पर था तो मैने अपने सुपाडे को गरमा
गरम चूत के मुख पर लगा दिया और एक कस कर धक्का लगा दिया चाची की एक
आ निकली और मेरा लड उनकी चूत मे समाता चला गया अब मैने अपने दोनो
हाथो मे उनके खरबूज़ो से उन्नत उभारो को थाम लिया और कस कस के धक्के
लगाने लगा चाची मीठी मीठी आहे भरने लगी चाची ने अपने चुतड़ों को
थोड़ा सा पीछे की ओर कर लिया ताकि मैं और भी अच्छे ढंग से उनकी चुदाई कर
सकूँ तो अब शुरू हो चुका था हमारा हवस का खेल
चाची जैसी मस्त माल को
चोदने का एक अलग ही मज़ा था दूसरी ओर मैं ये भी सोच रहा था कि बुआ मेरा
इंतज़ार कर रही होंगी पर इधर भी चोदना ज़रूरी ही था तो मैं लगा हुआ था
कुछ देर बाद मैं पूरी तरह से चाची के उपर आ गया था तो उन्होने अपनी टाँगो
को मेरी कमर के चारो तरफ लपेट लिया था और बेहद ही मस्ती से अपनी रस से
भरी हुई चूत मुझे दे रही थी मैं उनके गुलाबी होंठो को अब चूसने लगा था
चाची बोली तुम थोड़ा आराम से किस करा करो मेरे होंठ सूजा कर ही दम लोगे क्या
मैं बोला चाची अब आप बीच मे मज़ा किरकिरा मत करो और खुद भी मज़े लो और
मुझे भी मज़ा लेने दो तो वो मेरे माथे पर किस करती हुई बोली हाँ मेरे बेटे
चल अब बाते बहुत हो गयी थोड़ी स्पीड बढ़ा और जल्दी से मुझे मंज़िल पे
पहुचा दे तो मैं अब तूफ़ानी गति से चाची की चूत से मक्खन निकालने की
कोशिश कर रहा था चाची की चूत की पटरी पर मेरे लड की रेल सरपट सरपट
दौड़ती हुई स्टेशन की ओर बढ़ रही थी हम दोनो के बदन अब टूटने लगे थे और
फिर चाची का बदन धनुष की तरह तन गया और उनकी चूत से रस की नदी बह
चली मैने उनको मेरी बाहों मे कस लिया और तेज तेज धक्के लगाते हुए अपनी
मलाई से चूत को भर दिया चाची ने एक करारी किस दी और फिर साइड मे लेट गयी
और अपनी उफनती हुई सांसो को नियंत्रित करने लगी
अब भाभी के घर कोई नही था तो आज हमारे यहाँ ही सोने वाली थी अंदर गये तो पता चला कि बुआ चाचा के साथ हॉस्पिटल गयी हुई थी तो आज बुआ रुकने वाली थी रात को वहाँ पर इसका मतलब चाची के साथ चान्स बन सकता था चाची ने खाने के बारे मे पूछा तो मैने बता दिया कि हम खाकर आए है तो वो बोली कहाँ पर तो अनिता ने उनको सारी बात बता दी फिर कुछ देर हमने बाते की फिर भाभी बुआ वाले कमरे मे सोने चली गयी वो थोड़ी थकि हुई भी थी मैं और चाची उपर चले गये
तो मैने सीढ़ियो वाले गेट को बंद किया मुड़ा तो देखा कि चाची ने छत पर ही हमारा बिस्तर लगा दिया है मैं उनकी गान्ड को सहलाने लगा नाइटीमे उनका दिल्कश बदन और भी सुंदर लग रहा था मैने जल्दी से अपने पयज़ामे को नीचे सरका दिया और अपने लड को उनके चुतडो से सटा दिया चाची बोली आज बड़े उतावले लग रहे हो तो मैने कहा मैं तो हमेशा ही रेडी रहता हू जहाँचूत मिले वही मार लेता हू पर आज मैं आपकी गान्ड मरूगा तो वो बोली नही नही वहाँ पर तो बहुत दर्द होता है तो मैने कहा मुझे कुछ नही पता अब कह दिया तो कह दिया और उनके चूतड़ पर एक चपत लगा दी चाची बोली मानोगे नही
मैने कहा गान्ड लिए बिना तो बिल्कुल नही वो बोली चाहे मेरी जान ही क्यो ना निकल जाए तो मैने कहा चाची सेक्स से कोई कभी मरता है क्या क्या तुम भी नखरे दिखाती रहती हो और मैं रूठने का नाटक करने लगा तो वो मेरे पास आई और
बोली कि ठीक है ज़्यादा आक्टिंग ना करो चलो आज तुम्हे अपने पिछवाड़े का मज़ा
भी दे ही देती हू उन्होने मुझे कहा कि उनके कमरे मे ड्रेसिंग टेबल मे आयिल
बॉटल पड़ी है मैं ले आउ मैं तुरंत ही गया और तुरंत ही आया जब मैं आया तो
देखा कि चाची अपने चूतड़ उपर किए हुए उल्टी लेटी पड़ी थी उनके मोटे मोटे
चुतडो से मेरी निगाह हट ही नही रही थी तो मैं बड़े ही प्यार से उनके कुल्हो को
मसल्ने लगा चाची ने एक आह भारी मैने अपनी उगली उनकी गान्ड के छेद से लगा
दी और उसको कुरेदने लगा छेद काफ़ी टाइट लग रहा था मैने पूछा कि चाची
चाचा गान्ड मारते है क्या तो वो बोली की हाँ कभी कभी कर लेते है अब मैने
अपने लड पे तेल लगाना चालू किया और उसको उपर से लेकर नीचे तक पूरा तेल से
सान लिया और एक ढक्कन तेल उनकी गान्ड पर भी डाल दिया और अपनी चिकनी उगली
को गान्ड मे घुसा दिया जैसे ही चाची की गान्ड मे उगली गयी उन्होने अपने
चुतड़ों को टाइट कर लिया और दर्द भरी आवाज़ मे बोली
आआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआहह इसको बाहर
निका लो मुझे मिर्ची लग रही है तो मैने कहा कुछ नही होगा बस तुम अपना
शरीर ढीला छोड़ो और थोड़े नखरे कम करो फिर मैने अपने लड को गान्ड पर
लगा दिया और एक धक्का लगाते हुए थोड़ा सा उसको गान्ड मे डाल दिया चाची का
शरीर दर्द से दोहरा हो गया तो मैने अपनी पकड़ को उनको शरीर पर मजबूत कर
दिया और अगले धक्के के साथ मेरा लड उनकी गान्ड को और चौड़ा करते हुए आगे
की ओर सरक गया उनकी आँखो से आँसू छलक गये पर मैं कहाँ रुकने वाला था तो
मैने दो झटक और लगाए और अपने टट्टो को उनके चुतडो से सटा दिया चाची
कराहते हुए बोली कि प्लीज़ तुम जल्दी से अपना काम कर लो मुझे बहुत तेज दर्द हो
रहा है मैं हौले से अपनी कमर को आगे पीछे कर ने लगा थोड़ी देर बाद उनको
थोड़ा सा सुंकून मिला तो मैने भी अपना गियर चेंज किया और थोड़ी सी स्पीड को
बढ़ा दिया मैं अपने हाथ नीचे की ओर ले गया और उनके बोबो को पकड़ लिया और
उनपर दबाव डालते हुए उनकी गान्ड मारने लगा उनकी गान्ड इतनी टाइट थी कि मुझे
बहुत ज़ोर लगाना पड़ रहा था लड उनकी गान्ड की गर्मी को बर्दास्त नही कर पा
रहा था जब जब लड आगे पीछे होता ऐसा लगता कि गान्ड का छेद लड से चिपक
गया है मुझे तो बहुत ही मज़ा आ रहा था उनके चूतड़ बड़े ही लाजवाब थे
मैने लड को बाहर निकाला थोड़ा सा तेल उस पर और लगाया और फिर से गान्ड मे
धकेल दिया
मैं उनके गालो को चूमने लगा वो बार बार कह रही थी जल्दी करो
जल्दी करो मैने कहा कर तो रहा हू और कितनी जल्दी करू इधर गान्ड का दबाव
भी लड पर बढ़ता ही जा रहा था जैसे ही मेरे धक्के तेज हुए उनका दर्द भी
बढ़ता गया अब वो थोड़ी तेज आवाज़ मे कराहने लगी थी उनके कुल्हो का कंपन एक
मधुर आवाज़ उत्पन्न कर रहा था उत्तेजना से मेरे कान लाल हो गये थे मैने
उनको कस के पकड़ लिया और बेहद द्रुत्त गति से लड को अंदर बाहर करने लगा
और कोई 15-17 मिनट तक उनके चुतड़ों को बुरी तरह से हिलाता रहा तभी चाची
बोली कि वीर्य तो मेरी चूत मे ही गिराना भूल मत जाना मैने कहा ठीक है
कुछ मिनट बाद मुझे लगने लगा कि अब पानी बस छूटने ही वाला है तो मैने
उनको सीधा लिटाया और लड को योनि मे सरका दिया और बीस पच्चीस तेज तेज धक्के
लगाते हुए अंदर ही डिसचार्ज हो गया उनकी चूत मे मेरे पानी की छोटी से छोटी
बूँद भी समा गयी मैं उनके उपर पड़े पड़े ही उनको चूमता रहा वो भी
मेरा सहयोग करती रही फिर मैं साइड मे हो गया वो उठी और हाथ लगा कर अपनी
गान्ड को देखने लगी और मुझसे कहने लगी कि लगता है फट गयी है फिर वो
बड़बड़ाती रही और मेरी बनियान से अपनी गान्ड को सॉफ करने लगी और बोली कि कभी
कोई तेरी गान्ड मारे तो तुझे पता चले कि कितना दर्द होता है और मुंडेर पर
बैठ कर पेशाब करने लगी मैने पयज़ामा पहना और नीचे चला गया फ्रिड्ज से
पानी की बॉटल निकाली और वापिस आ गया मैने उनको भी पानी पिलाया फिर हम दुबारा
बिस्तर पर लेट गये
चाची मेरे सीने पर हाथ फिराते हुए बोली तुम्हारी छाती पर बाल नही है
मैने जवाब देते हुए कहा कि मैं ट्रिम्मर से सॉफ करता रहता हू ना इसलिए नही
है चाची मेरी छाती पर किस करने लगी वो मेरी छाती पे अपनी जीभ फेरने लगी
मुझे एक अलग सा एहसास होने लगा था अब वो मेरे निप्पल्स को चूसने लगी थी
मेरे बदन मे उत्तेजना का संचार होने लगा मैं तो उनकी हरकत का दीवाना ही हो
गया था जैसे जैसे हमारा सेक्स बढ़ता जा रहा था मुझे उनकी नयी नयी अदाए
देखने को मिल रही थी वो मेरी छाती पर चढ़ि हुई थी और ना जाने कब मेरी
उग्लिया उनकी चूत के अंदर पहुच चूँकि थी मैं अपनी दो उग्लियो को अंदर डाल
कर अंदर बाहर करने लगा वो अपनी जाँघो को बार बार भीचने लगी वासना की आग से
उनका शरीर तापने लगा था तो मैने उनको बिस्तर पर बिठा दिया और उनकी जाँघो को
फैलाते हुए उनकी टाँगो के बीच मे घुस गया और चूत को चाट ने लगा जैसे
ही मैने उनकी चूत के दाने को मुँह मे लिया मस्ती से उनकी आँखे बंद हो गयी
और वो गहरी गहरी साँसे लेने लगी तो मैने अपने दाँत वहाँ पर गढ़ा दिए चाची की
मस्ती बढ़ती ही जा रही थी उनकी योनि बहुत ही गीली हो गयी थी मैने कुछ देर ही
चाटा था तो उन्होने मुझे हटा दिया और बोली कि चलो अब जल्दी सी काम पर लग जाओ
मैं बहुत ही गरम हो गयी हू अगर जल्दी ही ठंडी ना हुई तो इस गर्मी को झेल
नही पाउन्गी और मेरे लड को अपनी चूत पर रगड़ने लगी और आहे भरने लगी तो
मैने अपनी कमर को थोड़ा सा उचकाया और सुपाडा उनकी फांको को अलग करता
हुआ अंदर धस्ता चला गया उन्होने मुझे पूरी तरह से अपनी ओर खीच लिया
और मेरे कान मे फुसफुसाते हुए बोली कि मुझे बेदर्दी से चोदो तुम मैने
कहा चोद तो रहा हू और अपने लड को किनारे तक बाहर निकाला और पूरी ताक़त
लगाते हुए वापिस अंदर डाल दिया मैने उनके उपर वाले होंठ को अपने मुँह मे
दबा लिया और मज़े से उसको चूसने लगा चाची तो पहले ही वासना की आग मे जल
रही थी उनकी गर्मी को मेरा लड महसूस कर रहा था तो मैने अब अपना काम
शुरू कर दिया चाची भी मेरा पूरा सहयोग कर रही थी मेरे लड की गति और उनके
चुतडो की थप थप एक लयबद्ध धुन की रचना करे जा रही थी . से भी ज़्यादा
चिकनी चूत मे मैं अपना घोड़ा दौड़ाए जा रहा था उनकी हर एक सांस अब मेरे
मुँह मे ही क़ैद होती जा रही थी हर गुज़रते हुए पल के साथ मेरा जोश और भी
ज़्यादा होता जा रहा था चाची और मैं एक दूसरे से चिपक गये थे मेरा खून
हिलोरे मारने लगा था और फिर कोई आधे घंटे तक मैं उनको जबरदस्त तरीके
चोदा और फिर डिसचार्ज हो गया
अगले दिन मैने उठते ही मिथ्लेश को एसएमएस किया और पूछा कि क्या हम मिल सकते है तो उसने कहा कि मैं उसको पब्लिक लाइब्ररी के बाहर मिलू मुझे थोड़ा बॅंक का काम भी था तो मैने वो निपटाया फिर मिता को पिक कर लिया
आज तो वो बहुत ही प्यारी लग रही थी उसने पूछा हम कहाँ जा रहे है तो मैने कहा बस ऐसे ही घूमने के लिए और अपनी बाइक को नहर पे बने डॅम की ओर मोड़ दिया थोड़ी देर मे हम वहाँ पहुच गये एक अजीब सा सन्नाटा सा फैला हुआ था वहाँ पर अब गर्मी मे कौन आता वहाँ पर मैं और निशा तो अक्सर ही घूमते रहते थे वहाँ पर पर मिता के साथ आज पहली बार आया था पास ही एक बेरो का बगीचा था तो मिता बोली चलो बेर खाते है तो हम उस ओर चले गये वहाँ पर बस एक अम्मा ही थी तो उसे कुछ बेर लिए और इजाज़त ली कि क्या हम थोड़ी देर बाग मे घूम ले तो उन्होने हाँ कर दी
वहाँ के माहौल मे थोड़ी ठंडक सी थी तो गरम लू भी अच्छी लग रही थी मिता बोली एक बात मान नी पड़ेगी तुम्हारी चाय्स बहुत ही अलग है तुम साधारण चीज़ो को भी अलग बना देते हो तुम्हारी इसी बात पर तो मैं मर मिटी हू मैने मिता के हाथ को अपने हाथ मे पकड़ लिया हम एक पेड़ के नीचे बैठ गये उसने पूछा कब जाना है तो मैने कहा एक हफ्ते बाद वो बोली मत जाओ ना मैं क्या कहता बस इतना ही कह पाया कि जाना पड़ेगा अब एक फ़ौजी का नसीब यही तो होता है गिनती के ही दिन मिलते है अब उसमे क्या क्या कर ले मिता ने अपना सर मेरे कंधे पर टिका दिया और कहने लगी कितनी जल्दी ख़तम हो गये तुम्हारे हॉलिडे तो मैने कहा यार तेरे प्यार के लिए ही तो नौकरी की है अब बस तू जल्दी से मेरी ज़िंदगी मे आ जा वो भावुक होते हुए बोली कि मैं तो आज आ जाउ पर घरवालो से बात कैसे करू कुछ समझ नही आता है
रोज सोचती हू कि मम्मी से बात करू बट हिम्मत नही पड़ती है
मेरा गला भी भर आया मैं बस इतना ही कह पाया मिथ्लेश नही जी पाउन्गा तेरे बिन जितनी भी साँसे है बस तेरे लिए ही है पहली और आख़िरी पसंद बस तू ही है कुछ भी कर पर बस तुम मेरी ही दुल्हन बन ना मैं बोला अगली छुट्टी आते ही चाहे कुछ भी हो मैं तेरे घर आउन्गा तेरा हाथ माँगने के लिए
मितलेश कहने लगी की तब तक उसका कोर्स भी ख़तम हो जाएगा और वो भी जॉब करने लग जाएगी कोई डेढ़ दो घंटे तक हम लोग वही रहे फिर मैने कहा यार भूख लग आई है चल चलते है और हम वापिस शहर की तरफ आ गये मैं उसको एक नये खुले रेस्टोरेंट मे ले गया और साथ ही हमने लंच किया मैं आज का पूरा दिन बस मिता के साथ ही बिताना चाहता था
जब वो साथ होती थी तो टाइम भी बहुत तेज़ी से दौड़ लगाने लगता था मैने बाइक को पार्किंग मे लगाया और पैदल ही बाजार की तरफ निकल गये मैने कहा कुछ लेना है वो मना करने लगी पर मैने उसके लिए कुछ ड्रेस खरीद ही ली फिर मैने उसके लिए एक घड़ी खरीदी तभी वो बोली कि मुझे गोलगप्पे खाने है तो मैं उसको लेकर खोम्चे पे गया लड़किया भी ना गोल्गप्पो के लिए बड़ी ही क्रेज़ी होती है वो बड़े चाव से खाती रही और मैं बस उसको देख कर खुश होता रहा
अब ज़िंदगी मे ये कुछ लम्हे ही तो थे जिनके सहारे मैं वहाँ आर्मी मे जीता था ये यादे ही तो मुझे हौसला देती थी मिता भी मेरी मनोस्थिति को समझ रही थी पर वो बेचारी भी क्या कर सकती थी वो बस मुझे खुश करने की कोशिश ही कर रही थी तभी मुझे एक स्टेशनरी की शॉप इखी तो मैने कुछ नये पैंट और ब्रश खरीद लिए
मिथ्लेश बोली अब भी पैंटिंग करते हो तो मैने कहा की हा जब भी तुम्हारी याद आती है कर लेता हू वो हँस पड़ी उसको खिल खिलाते हुए देख कर मेरा दिल भी झूम उठा जब जब वो मेरे पास होती थी मेरे दिल की धड़कन ऑटोमॅटिकली बढ़ जाती थी
हम दोनो एक शॉप की सीढ़ियो पर बैठे हुए थे वो पॉपकॉर्न खा रही थी मैं पेप्सी पी रहा था मैने कहा यार देख टाइम कितना चेंज हो गया है ना कभी हम एक समोसा खा कर ही खुश हो जाते थे और आज इतने रुपये खर्च करने के बाद भी मज़ा नही आता है तो वो बोली तुमने अच्छा याद दिलाया एक काम करो चलो आज फिर से अपनी पुरानी लाइफ को याद करते है आओ चले मैं उसके पीछे पीछे चल दिया हम वापिस उसी गली मे पहुच गये थे जहा अक्सर हम जलेबिया और समोसे खाया करते थे वो दुकान आज भी वैसे ही थी मैने कुछ जलेबिया ली आज भी वो दोनो मे ही देता था
गर्म गरम जलेबियो के साथ काजू-बादाम वाला दूध का कुल्हड़ पीकर मज़ा ही आ गया मैने दुकानदार को बताया कि कैसे हम 10+2 मे यहाँ आते थे हर तीसरे चौथे दिन वो भी थोड़ा खुश हो गया बिल पे करने के बाद मैने मिता को थॅंक्स कहा ऐसे ही शाम तक हम पैदल पैदल घूमते रहे तफ़री मारती रहे फिर हम पार्किंग आए बाइक ली अब बस घर ही जाना था
तो मैने मिता से पूछा कि वो कब तक रुकेगी तो वो बोली कि वो तो दो महीने रुकेगी क्योंकि कॉलेज की टर्म ऑफ हो गयी थी मैने कहा कि मैं उस से मिलने शिमला आउन्गा उसने कहा कि वो पैदल ही टेंपो स्टॅंड तक जाएगी मैने सर हिलाया और उसको जाते हुए देखता रहा मेरा थोड़ा दिमाग़ उलझ सा गया था तो मैने एक ठंडी बियर खरीदी और गटकाने लगा
ये सुनहरी रेत जो बार बार मेरे हाथो से फिसल जाती है अपने आप मे ना जाने कितनी ही कहानियाँ समेटे बैठी है कुछ हम जानते है और कुछ इस रेत मे ही दफ़न हो गयी तपती दुपहरी मे जब ये हवा से से चलती है तो मैं अक्सर अपनी इस पोस्ट से थोड़ा बाहर आकर खड़ा हो जाता हू ये गरम लू मेरे शरीर को जैसे छलनी कर डालती है पर ये गरम हवा भी जैसे मुझसे नाराज़ है मानो मुझसे कह रही हो कि वो भी मेरी तरह जुदाई का गम लिए बह रही है जब रात होती है तो ये रेत मुझ अपने आगोश मे ले लेती है बिल्कुल किसी माँ के आँचल की तरह एक सुकून सा मिलता है कल की बात है
अचानक से बारिश आ गयी ठंडी बूंदे मेरे तन को भिगो गयी लगा जैसे वो बरसात मेरी प्रेयसी का संदेशा लेकर आई थी जब मेरे चेहरे पर बारिश की फुहार पड़ी तो लगा कि जैसे मेरी प्रियतमा का चुंबन हो कभी कभी मैं अपने जज्बातो को काबू कर नही पता हू आख़िर मैं भी तो एक इंसान ही तो हू कभी कभी कोफ़्त होती है इस खाना बदोश ज़िंदगी से मुझे सबकुछ होकर भी कुछ नही है मेरे पास मैं यहा टुकड़ो मे जी रहा हू वो कही इसी हाल मे जी रही है मैं उसको भी क्या दोष दूँ बहुत मना किया था उस दीवानी लड़की को कि मैं तो एक झोंका हू कभी इस पल कभी उस पल पर वो भी मर्जानी मानी ही नही पर खुशी भी है कि वो दूर होकर भी हर पल पास ही है मेरी रूह से इस कदर जुड़ चुकी है वो कि शब्दो मे बया ही नही कर सकता दिल की बाते दिल मे ही कहीं रह जाती है कोशिश तो करता हू पर होंठो पे आ ही नही पाती है पर मैं करू भी तो क्या आज यहा कल वहाँ अब तो पूरी डुंजया ही मेरा घर हो गयी है जहा जगह मिली वही चद्दर तान कर सो गये सवेरा हुआ तो चल दिए ना किसी से कोई शिकवा है ना कोई गिला है आख़िर इस ज़िंदगी को मैने ही तो चुना था अपने लिए शिकायत नही कर रहा हू बस कभी कभी थोड़ा सा तल्ख़ हो उठता हू
जब कभी लगता है कि टूट के बस बिखर ही जाउन्गा तो अपनी इस पोस्ट के बाहर आकर खड़ा हो जाता हू बस थोड़ी ही दूरी पर एक बंकर और दिखता है जहा मेरे जैसा ही कोई और दिखता है बोली भाषा भी मेरे जैसी ही पर बीच मे एक तारो की दीवार है जिसे हम सरहद कहते है ना इस पर कुछ फरक है ना उस पार कुछ फरक है बस ये बाद हमे जुदा कर देती है अक्सर पेट्रॉल्लिंग टाइम पे उसे भी गुफ़्तुगू होती ही रहती है कभी ज़ुबान बात करती है कभी बंदूक कभी छुपकर जश्न भी साथ होता है तो कभी आँसू भी भा लेते है मैं कभी भी समझ नही पाता हू इंसानी भावनाओ को कभी तो अपनो को भी जुदा कर देती है और कभी दुश्मनो के लिए भी रुला देती है
पर मैं करू भी तो क्या मेरी तो फ़ितरत ही है ऐसी और फिर कातीलो का कहाँ कोई ईमान होता है बहुत ही घुटन महसूस करता हू आज़ाद परिंदे की तरह उड़ना चाहता हू पर क़ैद हू पिंजरे मे ये मेरी अधूरी हसरते मुझे हर रोज रूलाती है पर मैं कुछ ज़्यादा तो नही माँगता हू ना फिर सब कुछ तो ज़िंदगी ने पहले ही छीन लिया है बस ये साँसे ही चल रही है ऐसी राह चुन ली चलने को कि सबका साथ छूट गया बस पता नही वो पगली क्यो रह गई मेरे इंतज़ार मे उसका बहुत शुक्रगुज़ार हू मैं हर वो ज़िम्मेदारी निभाती है जो मैं पूरी ना कर पाया दिल मे आती है उसकी याद बात करने को जी चाहता है पर फोन मे उसका नंबर डाइयल करने की हिम्मत नही हो पाती है हम उसके ईमेल रो ज ही आ जाते है पर कभी शिकायत नही करती है साथ रहना ही तो प्यार नही होता है दूर रहकर पास होना ही प्यार है अबकी बार सोचा है कि दीवाली पे घर ज़रूर जाउन्गा
घर , पर मेरा घर है कहाँ उस गाँव को तो मैं बहुत पहले ही छोड़ आया था कितना ख़ुदग़र्ज़ हो गया था मैं अब किस मुँह से जाउ मैं वापिस हिम्मत ही नही होती है कई बार कोशिश भी की पर नही जा पाया आख़िर वो बुरी यादे मेरा रास्ता रोक लेती है बाप की बूढ़ी आँखे आज भी मेरी राह तकती होंगी माँ का क्या हाल होगा पता नही परिवार ने मेरे लिए बहुत कुछ किया पर मैं अपनी ईगो और जिद्द के कारण सब तबाह कर आया मानता हू टाइम बदल गया है पर आज भी वो घर मुझे ही पुकारता है बहुत याद आता है मुझे अपना गाँव घर रोज घुट घुट के जी रहा हू अब छुट्टिया प्रेयसी के फ्लॅट पे ही काट लेता हू पर याद आती है माँ के हाथ की बाजरे की रोटिया पैसा तो बहुत कमाता हू पर रोटियो मे वो मिठास नही मिलती जो अपने घर के खाने मे आती थी जब कभी शीशे मे खुद को देखता हू तो नज़रे नही मिला पाता हू हँसता भी हू जीता भी हू पर अंदर अंदर कुछ जैसे छूट रहा है करू भी तो क्या करू अब मैं ख़ुदग़र्ज़ जो ठहरा
ये मेरा अधूरा पन जो कभी पूरा नही हो पाएगा बस अब तो देखना है कि कितनी सांस बाकी है
अक्सर मिता से मिलने के बाद मैं उदास हो जाया करता था मैं उसकी जुदाई बर्दस्त
कर ही नही पाता था पर मेरे पाँवो मे मजबूरियो की बेड़िया पड़ी थी पर इन चार
सालो मे इतना तो सीख ही गया था कि अपने गम को कैसे छुपाया जाए घर आया
तो पता चला कि ताइजी की हॉस्पिटल से छुट्टी हो गयी थी तो उनसे मिलने चला गया
थोड़ी बात चीत की रवि बोला भाई आज का खाना तू इधर ही खाएगा तो मैने कहा ठीक है मैं ज़रा नहा धो लू फिर आता हू वापिस आकर मैं बाथरूम मे घुस गया आज पानी की ठंडी बूंदे भी मेरे मन की आग को ठंडा नही कर सकती थी
नहा कर थोड़ा अच्छा लगा चाची बोली क्या बात है आज बड़ा उदास लग रहा है क्या बात है तो मैने कहा छुट्टिया ख्तम होने वाली है वो बोली वो तो है पर कर भी तो क्या सकते है फिर मैने कहा कि मैं आज खाना रवि के यहाँ खाउन्गा तो
आप मत बना ना और घर से बाहर निकल पड़ा
भाभी ने सब कुछ मेरी पसंद का ही बनाया था बेहद ही लज़ीज़ भोजन था अपनी
लाइफ इन छोटे छोटे लम्हो पर ही तो टिकी हुई थी खाने के बाद मैं आँगन मे डाली
चारपाई पर लेट गया और लेटे लेटे हुए बाते करने लगा परिवार जो इंसान का सबसे
बड़ा सहारा होता है फिर भाभी खीर ले आई पेट तो पहले ही ठूंस ठूंस कर
भरा हुआ था अनिता भाभी बर्तन धोने रसोई मे चली गयी तो मैं भी वही
चला गया और उससे बाते करने लगा मैने कहा भाभी खाना तो बड़ा ही
बढ़िया था पर मेरा मन अभी नही भरा तो वो कहने लगी कि तो ऑर ख़ालो किसने
रोका है मैने कहा कि भाभी मुझे तो अभी बस आपको ही खाना है तो वो बोली
जल्दी ही मोका निकालूंगी तुम्हारे लिए और वो भी मेरे साथ मस्ती करने लगी काफ़ी
देर हो गयी थी वहाँ पर तो बुआ ने नज़र बचा कर मुझे इशारा किया तो मैं और
बुआ अपने घर आ गये तो बुआ कहने लगी कि मेरी झान्टे सुलग रही है और तू
वहाँ टाइमपास कर रहा था तो मैने कहा बुआ चाची भी इधर ही है उनको सो
जाने दो फिर मैं आपके कमरे मे आ जाउन्गा तो वो बोली ठीक है अब उपर चाची
नीचे बुआ जब मैं उपर गया तो चाची ने पकड़ लिया और किस करने लगी तो मैने
कहा चाची आज मैं थोड़ा सा थक गया हू आज नही करूगा तो वो हताश हो गयी
और बोली एक बार तो करले पर मैने सॉफ सॉफ मना कर दिया पर चाची कहाँ
मान ने वाली थी वो मुझे खीचते हुए अपने कमरे मे ले गयी और कुण्डी बंद
कर ली और मुझसे चिपकते हुए बोली कि मेरी चूत तो मारनी ही पड़ेगी चाहे राज़ी या
बेराजी तो मैने कहा कि चाची क्या मेरा रेप करोगी तो वो हँसने लगी और बोली रे
चाकू चाहे खरबूजे पर गिरे या खरबूजा चाकू पर कट ता तो खरबूजा ही है
और हँसने लगी और अपने घाघरे के नाडे को खोल दिया घाघरा उनके पैरो मे जा
गिरा अंदर कच्छि नही पहनी थी उन्होने तो नीचे से पूरा शरीर किसी ट्यूबलाइट की
तरह चमकने लगा एक पल मे ही मेरे लड ने सिटी मार दी चाची ने अपनी चोली
भी खोल दी और नंगी होकर बेड पर चढ़ गयी और मेरी पॅंट को खोलने लगी बड़ी ही
नज़ाकत से उन्होने मेरी पॅंट को नीचे किया और थोड़ा सा झुकते हुए मेरे लड
को अपने मुँह मे क़ैद कर लिया लड जो पहले ही करेंट मे आ चुका था और भी ज़ोर
से फुफ्करने लगा चाची अपने दाँतों से मेरे लड की खाल को काटने लगी मैने कहा
क्या करती हो मुझे तकलीफ़ हो रही है तो उन्होने और भी ज़ोर से अपने दाँत वापिस से
गढ़ा दिए मेरा पूरा लड उनके मुँह मे था कुछ देर तक वो पूरी तल्लिनता से उसको
चूस्ति रही फिर मैने उनके मुँह से उसको बाहर निकाला और चाची को बेड पर
खीच लिया उनको मैने टेडी लिटाया और उनकी पीठ के नीचे से हाथ ले जाते हुए
उनके एक बोबे को अपने हाथ से कस कर पकड़ लिया और दूसरे हाथ से उनकी टाँग को
थोड़ा सा उपर उठा दिया मैने अपने शरीर को और भी उससे सटा दिया अब मेरा
लड चूत से कुछ ही इंच की दूरी पर था तो मैने अपने सुपाडे को गरमा
गरम चूत के मुख पर लगा दिया और एक कस कर धक्का लगा दिया चाची की एक
आ निकली और मेरा लड उनकी चूत मे समाता चला गया अब मैने अपने दोनो
हाथो मे उनके खरबूज़ो से उन्नत उभारो को थाम लिया और कस कस के धक्के
लगाने लगा चाची मीठी मीठी आहे भरने लगी चाची ने अपने चुतड़ों को
थोड़ा सा पीछे की ओर कर लिया ताकि मैं और भी अच्छे ढंग से उनकी चुदाई कर
सकूँ तो अब शुरू हो चुका था हमारा हवस का खेल
चाची जैसी मस्त माल को
चोदने का एक अलग ही मज़ा था दूसरी ओर मैं ये भी सोच रहा था कि बुआ मेरा
इंतज़ार कर रही होंगी पर इधर भी चोदना ज़रूरी ही था तो मैं लगा हुआ था
कुछ देर बाद मैं पूरी तरह से चाची के उपर आ गया था तो उन्होने अपनी टाँगो
को मेरी कमर के चारो तरफ लपेट लिया था और बेहद ही मस्ती से अपनी रस से
भरी हुई चूत मुझे दे रही थी मैं उनके गुलाबी होंठो को अब चूसने लगा था
चाची बोली तुम थोड़ा आराम से किस करा करो मेरे होंठ सूजा कर ही दम लोगे क्या
मैं बोला चाची अब आप बीच मे मज़ा किरकिरा मत करो और खुद भी मज़े लो और
मुझे भी मज़ा लेने दो तो वो मेरे माथे पर किस करती हुई बोली हाँ मेरे बेटे
चल अब बाते बहुत हो गयी थोड़ी स्पीड बढ़ा और जल्दी से मुझे मंज़िल पे
पहुचा दे तो मैं अब तूफ़ानी गति से चाची की चूत से मक्खन निकालने की
कोशिश कर रहा था चाची की चूत की पटरी पर मेरे लड की रेल सरपट सरपट
दौड़ती हुई स्टेशन की ओर बढ़ रही थी हम दोनो के बदन अब टूटने लगे थे और
फिर चाची का बदन धनुष की तरह तन गया और उनकी चूत से रस की नदी बह
चली मैने उनको मेरी बाहों मे कस लिया और तेज तेज धक्के लगाते हुए अपनी
मलाई से चूत को भर दिया चाची ने एक करारी किस दी और फिर साइड मे लेट गयी
और अपनी उफनती हुई सांसो को नियंत्रित करने लगी