05-12-2020, 10:26 PM
अगले दिन मैने लिली को देखा तो मैने सोचा यार इतने ज़ोर का माल साला मेरी नज़र से कैसे बच गया मैं सोचने लगा कि इसको तो चोदना ही पड़ेगा पर वो तो भाई की सेट्टिंग थी तो समस्या थी तो मैने एक प्लान बनाया और सरोज को फोन किया और कहा कि मामी मेरी एक समस्या है जिसका समाधान आप ही कर सकती हो तो वो बोली बताओ मैने कहा कि मामी आपको मेरे लिए किसी को एक बार अपनी चूत देनी पड़ेगी तो वो बोली किसको तो मैने कहा अशोक भाई को तो वो बोली पागल है क्या मोहल्ले का मामला है और फिर वो तो मेरे बेटे जैसे ही तो है उसकी मम्मी मेरी सहेली है तो मैने कहा मैं भी तो आपके बेटे सा ही हू जब मुझसे चुद सकती हो तो उस से भी चुद लेना प्लीज़ बहुत समझाने पर मामी मानी वो बोली देख मैं बस तेरे क़म के लिए उस को दे रही हू
अब बारी थी अशोक से लिली के बारे मे पूछने की मैने उसको कहा भाई मुझे भी लिली की दिलवा दे तो वो भड़क गया और बोला यार वो मेरी सेट्टिंग है वगेरह वगेरह तो मैने कहा कि भाई मैं भी बदले मे तुझे एक मस्त चूत दिलवा दूं तो ये सुनते ही वो बोला कौन किसकी जल्दी बता तो मैने कहा सरोज की तो वो बोला सरोज चाची की क्या बात कर रहा है तू कब कैसे तो मैने कहा तू आम खा ना भाई बोल मंजूर है या नही तो वो बोला भाई मुझे थोड़ा टाइम दे मैं लिली से बात करता हू फिर बताउन्गा इधर इन सब बातों के चक्कर मे मैं बड़ी मामी के बारे मे भूल ही गया अब वो नाराज़ थी वो अलग शाम को भाई ने बताया कि यार लिली मान ही नही रही तो मैने कहा की ठीक है अब तुझे सरोज की चाहिए तो मुझे लिली की दिलवानी ही पड़ेगी चाहे कुछ भी कर . वो बोला कोशिस कर तो रहा हू
इधर मैने कौशल्या को कहा कि मामी मेरी छुट्टियाँ क्या ऐसे ही बीत जाएँगी प्लीज़ मेरा कुछ तो ख़याल करो तो वो बोली ठीक है चाहे कुछ हो जाए आज रात तेरी प्यास ज़रूर बुझा दुगी तो मैने कहा कि कैसे तो वो बोली कि रात को मैं अपने घर पे रहूंगी तेरे मामा तो यहाँ पर रहेंगे तू वही आ जाना फिर मैं अड्जस्ट कर लुगी तो मैने कहा ठीक है डार्लिंग जब मामी जाने लगी तो उन्होने मामा से कहा कि बच्चे भी यही है तो मामी मेरा नाम लेते हुए बोली कि इसको भी घर ले जाती हू इधर गम के माहौल मे ये थोड़ा सा उदास है तो थोड़ा सा फ्रेश भी हो जाएगा तो मामा बोले हम ठीक है वैसे भी फौज मे परेशान ही है बेचारा फिर मैं और कौशल्या मामी उनके घर चल पड़े
मामी आज बड़ा ही मुस्कुरा रही थी उनके घर पहुचते ही मामी बोली मैं पहले नहा लेती हू पूरा शरीर पसीने से भरा पड़ा है तो मैने कहा चलो साथ ही नहाते है तो वो बोली कि नही कही कोई आ गया तो तुम बाहर होदि पे नहा लो तो मैने अपने कपड़े उतारे और पानी के होद मे उतार गया ठंडे पानी मे जाते ही मेरी सारी थकान एक दम गायब ही हो गयी मैं बहुत देर तक ठंडे पानी मे पड़ा रहा फिर मैं बाहर आया और कपड़े पहने जब मैं अंदर गया तो मामी ने बस एक ढीली सी मॅक्सी ही डाल रखी थी वो भी आधे से ज़्यादा गीली थी उनके बालो से टपकती बूँदो की वजह से उनकी पीठ पूरी भीगी हुई थी
मैं सीधा उनके पास गया और उनके होंठो पर अपने होंठ रख दिए और उनके बतख से होंठो का रस निचोड़ने लगा मामी ने भी एक मजेदार किस दिया और फिर बोली कि तुमसे कभी भी सबर नही होता है तुम हमेशा ही इतने उतावले रहते हो तो मैने कहा कि मामी चार साल बाद आज आपकी चूत मारने का मौका मिला है अभी भी उतावला ना होऊ तो कैसे चलेगा तो मामी बोली रूको बाहर का दरवाजा तो बंद कर लू मामी ने दरवाजा बंद किया और बोली आँगन मे ही चारपाई बिछा लेते है यही पर सोएंगे तो मैने कहा कि मामी आज की रात कौन सोएगा तो मामी मुझे अपनी आँखे दिखाने लगी खाना वाना खाने के बाद रात को कोई साढ़े 9 बजे मैं कौशल्या मामी के साथ बिस्तर मे लेटा हुआ था मेरे हाथ मामी के शरीर पर साँप की तरह रेंगने लगे थे मामी बोली मुझे तुम्हारी बहुत याद आती थी तुम्हारे बारे मे सोच कर ना जाने कितनी बार मैने अपनी चूत मे उगली करके ही गुज़ारा किया है तो मैने कहा मामी कुछ ऐसा ही हाल मेरा है अब बात मत करो और बस मुझ मे खो जाओ…
अट प्रेज़ेंट
मैं क्या कहूँ तुझे ज़िंदगी अगर तू इतनी कठोर है तो मुझे कभी तू चाहिए ही नही थी मैं अकसर यही सोचता रहता हू कि लोग कहते है कि ज़िंदगी खूबसूरत होती है फिर तू ऐसी क्यो है क्यो कोई रंग नही है मेरे इस जीवन मे क्यो मैं ऐसा हू पर आख़िर मैं तुम्हे क्यो दोष दे रहा हू वो मैं ही तो था जिसने इस राह को चुना था पर अब मैं तंग आ चुका हू अपने इस बन्जारेपन से एक घुटन सी महसूस करता हू मैं अपने आप मे सिमट कर रह गया हू कोई भी तो नही है पास मेरे बस मैं हू और मेरा परिचय है ज़िंदगी मैं अक्सर सोचता हू कि तू इतनी बेरहम कैसे है अगर तू ऐसी है तो मौत कैसी होगी क्या बो खूबसूरत होगी या वो भी बस तेरी तरह एक छलावा भर ही है भटक ता रहता हू मैं यहाँ से वहाँ मैं वो मुसाफिर हू जिसकी कोई मंज़िल कोई ठिकाना नही है बस एक खाना बदोश ज़िंदगी ज़ीनी है
मैं हू कौन, एक सैनिक या एक कातिल एक प्रेमी या एक आवारा बहुत कोशिश करता हू खुद को एक पहचान देने की पर नाकामी ही मिला करती है मैं घुट ता रहता हू हर पल एक लाश ही हू मैं बस फरक इतना है कि सांस कुछ बाकी सी है इस सफ़र मे साथी तो कई मिले पर हमसफ़र पास होकर भी दूर है मैं आज एक ऐसे मुकाम पर आ खड़ा हू कि वापिस जाने को कोई राह दिखाई ही नही देती है बस अकेलेपन को ही साथ लेकर चलना है यार-दोस्त सन्गि-साथी कभी मिले ही नही जो भी मिला बस लूट ही ले गया थोड़ा थोड़ा किसी ने देखा ही नही कि इस सीने मे भी एक चीज़ धड़कती है जिसे लोग दिल कहा करते है ये खूबसूरत वादियाँ भी मेरे दर्द को कम नही कर पाती है इतने नकाब है मेरे कि अब भूल ही गया हू मैं कि असल मे मैं हू कौन एक आम इंसान या कोई छलावा दिल मे एक उमंग थी तो मैने ये राह चुन ली पर कांटो के इस सफ़र मे रोज मेरे पाँव छिलते गये हर अपना मुझ से दूर और दूर होता गया घर छूट गया अपने रूठ गये पर सबर कर लिया कि देश तो अपना ही है लोग अपने है पर कौई साला कदर करता है हीरो की और फिर क्या फरक पड़ता है हम रहे या ना रहे सबकुछ अपना दाँव पर लगा दिया सोचा था कि एक छोटा सा आशियाना अपना भी होगा पर साली तकदीर जब लेने पे आई तो कुछ भी बाकी ना छोड़ा सब कुछ वसूल कर लिया मैं हैरान परेशान सोचता रहता हू कि आख़िर मैने कौन सी ग़लती करदी क्या गुनाह हो गया मुझ से ऐसा कि ये सज़ा मिली है मुझ को मैं तो हार ही चुका हू ज़िंदगी तेरे आगे बस इतनी सी मेरी गुज़ारिश मान ले और मुझे इस दर्द से आज़ाद कर दे
मौत तू मुझे कोई दुख ना देना मैं बहुत थक गया हू तुझसे पनाह माँगता हू मैं बहुत भाग लिया अब रुकना चाहता हू थमना चाहता हू मुझे अपनी बाहों मे ले ले ना तू कम से कम तू तो मेरी बात मान ले आख़िर कब तक मैं यू ज़िंदा रहूं अब कुछ भी तो नही है ना वो गाँव मेरा है ना वो घर मेरा है अब सर्दियो मे लहराती वो सरसो की फसल नही दिखती है मुझे ना गाँव मे नीम के पेड़ पे झूला झूलती वो मुटियारे दिखती है सब कुछ खो गया है इस चका चौध मे वैसे तो अब पूरी दुनियाँ ही मेरी है पर वो छत कहाँ है जहा मैं दो पल आराम कर सकूँ कहाँ है वो आँगन जहाँ मैं बैठ कर अपने बचपन को याद कर सकूँ कुछ भी तो नही है फिर क्यो मैं इस ज़िंदगी का एहसान लूँ आख़िर क्या लगती है ये मेरी होगी वो बहुत खूबसूरत होंगी उसमे हज़ारो रंग पर मैं क्यों फिर बेरंग हू है कोई जवाब तेरे पास
बुरा लगता है मुझे जब लोग साले समझ ही नही पाते है कि क्या खोते है मेरे जैसे लोग दिन महीनो मे और महीने साल मे बदल जाते है पर हम मजबूरी का घूँट पी कर रह जाते है हाँ सही है कि हम अपनी तकदीर खुद लिखते है पर किस के लिए कोई नही समझता बहुत दर्द होता है बदन मे पीठ ज़ख़्मी है करवट नही बदल पाता हू मैं शूकर है हाथ सही सलामत है और थॅंक्स टू टेक्नालजी जिसने ये आइपॅड जैसे गॅड्जेस्ट्स बनाए जिनके सहारे मैं अपने मन की बात आप तक पहुचा पाता हू कल पूरी रात दर्द से कराहता ही रहा कभी कभी सो नही पाता हू इसको मैं सोच ता हू कि काश कोई अपना होता जो मेरा थोड़ा दर्द बाँट लेता पर अब तो आदत सी हो गयी है दर्द मे भी मुस्कुराने की मेरी इन भीगी आँखो मे भी कुछ सपने है जो मैं शायद कभी पूरा ना कर पाऊ सबकुछ पैसा नही होता अगर होता तो आज मैं दुखी नही होता कभी जब घर की याद आती है तो कलेजा चीर जाती है तब दारू का पेग भी गम भुलाने मे कोई मदद नही कर पाता है इच्छा होती है कि बुढ़ापे मे घर वालो का सहारा बनू उनकी राह देखती आँखो का सुना पन दिखता है मुझे पर मजबूर हू तकदीर के हाथो
क्या लिखू इन कागज के टुकड़ो पे अब कुछ बाकी ना रहा जबसे छूटा तेरा साथ अपना कोई साथी ना रहा
बस मैं हू और ये अधूरी हसरते है और एक ये दिल है जो साला मानता ही नही है क्या करू
................................................................
मामी मुझसे और भी चिपक गयी और मेरे पयज़ामे को नीचे सरकाते हुए मेरे लंड को अपने हाथ मे ले लिया और उसको सहलाने लगी मैने उनकी गर्दन मे हाथ डाला और उनके चेहरे को अपनी ओर करते हुए उनके पतले पतले होंठो को अपने मुँह मे भर कर चूसने लगा करीब दस पंद्रह मिनट तक बस मैं उनके होंठो का रस ही पीता रहा इधर लगातार उनका हाथ मेरे लड पर था तो वो भी पूरी तरह तन्कर एक दम टाइट हो चुका था और मामी की चूत की बखिया उधेड़ने को तैयार हो गया था मामी ने मेरी टी-शर्ट को उतार दिया और अपनी मॅक्सी भी उतार कर साइड मे रख दी और मामी का संगमरमरी बदन मेरी आँखो के सामने था मामी का फिगर आज भी ऐसा ही था जैसे पहले हुआ करता था एक इंच भी फरक नही आया था
तो मैने मामी को लिटाया और दुबारा से उनके होंठो को चूमने लगा थोड़ी देर चूमा था कि मामी बोली बस ज़्यादा मत चूसो होंठ सूज गये तो कही तुम्हारे मामा शक ना कर ले तो मैने कहा ठीक है मैं थोड़ा नीचे आया और और अपना मुँह उनकी एक साइड की चूची पर लगा दिया और उनके निप्पल को चूसने लगा और दूसरे वाले को अपने हाथ से दबाने लगा कुछ ही देर मे मामी की चूचियो मे कठोरता आ गयी वो ऐसे हो गयी जैसे की ठोस गोले हो आधे घंटे से भी ज़्यादा टाइम तक मैं मामी की दोनो चूचियो को पीता ही रहा जब मैने अपना मुँह उनसे से हटाया तो वो बिल्कुल लाल हो गयी थी मामी की आँखो मे वासना के डोरे तैरने लगे थे उन्होने मेरे हट ते ही अपनी टाँगो को चौड़ा कर लिया काली झान्टो से भरी हुई उनकी चूत के अंदर से आती सुगंध ने मुझ पर जैसे जादू सा कर दिया था मैने उनकी मांसल जाँघो को थामा और अपना मुँह उनकी पानी छोड़ती थी हुई चूत पर लगा दिया
मामी की चूत हद से ज़यादा पानी बहा रही थी तो मैं उस रिश्ते हुए पानी को अपनी जीभ से चाट ने लगा जैसे ही मेरी जीभ उनकी चूत से टच हुई मामी के बदन मे जैसे शोले से उठने लगे मामी ने अपनी टाँगो को थोड़ा सा टाइट सा कर लिया नीचे मैने चूत के छेद मे अपनी जीभ फसाई हुई थी और उपर मैं चूत के दाने को अपने अंगूठे से रगड़ने लगा तो मामी है है करने लगी मामी के होंठो से फुट ती हुई कामुक सिसकारियो से मेरे कान भी गरम होने लगे थे 5 मिनट मे ही कौशल्या के चूतड़ उपर की तरफ उठ गये थे अब वो चारपाई पर थोड़ा बैठी सी हो गयी थी मैं पूरे मज़े से उनकी रस से भरी हुई चूत को चाटे जा रहा था जब मैं अपने दाँतों से उनकी चूत की फांको को दबाता तो खारा पानी झट से मेरे मुँह मे भर जाता
मामी को थोड़ा दर्द होता पर वो बस मस्ती से मुस्कुरा ही देती मामी के सरीर मे अब कंपन बढ़ने लगा था तो मुझे हिंट मिल रहा था कि बस कुछ ही देर मे वो झड़ने को ही है तो मैं और ज़ोर से अपनी जीभ को चूत पर रगड़ने लगा और 4-5 मिनट बाद ही उनका कामुक शरीर अकड़ गया और चूत से रस का फव्वारा छूट गया मुझे ऐसा लगा कि जैसे किसी ने नमक की पूरी कटोरी को ही मेरे मुँह मे उडेल दिया हो मैने मामी की चूत को चाट चाट कर एक दम चमका दिया मैं अपना मुँह उनकी चूत से हटाने ही वाला था तो मामी बोली थोड़ी देर और चाटो ना मज़ा आ रहा है तो मैने फिर से अपनी जीभ उनकी योनि से सटा दी और दुबारा से चूत से छेड़खानी करने लगा शायद मामी आज बहुत ही आतुर थी तो थोड़ी देर बाद ही उनकी योनि फिर से गीली होने लगी
तो मैने अपना मुँह वहाँ से हटा या और अपने लड को जो कि काफ़ी देर से परेशान हो रहा था उसको मामी की चूत पर टिका दिया मामी ने अपने चुतडो के नीचे एक तकिया लगा या और बोली चलो अब डाल भी दो इसको अंदर मेरी प्यासी चूत देखो कैसे फाड़ फाडा रही है इसको अपने अंदर लेने के लिए तो मैने एक धक्का लगाया और पहले धक्के मे ही आधा लड अंदर चला गया मामी के चेहरे पे एक चमक सी आ गयी जिसे शायद उस वक़्त मैं ही समझ सकता था और अगले धक्के के साथ मेरा लड मामी की चूत की गहराइयो को नाप रहा था अब मैं मामी के उपर नीचे होने लगा हर धक्के के साथ उनकी आँखो मे नशा उतरने लगा था मामी ने अपनी जीभ मेरे मुँह मे डाल दी और मैं उसको चूमने लगा मेरी उग्लिया उनकी उग्लियो मे उलझ गयी थी
बेहद खामोशी से सितारो से भरी रात के नीचे हम दोनो अपनी चुदाई मे मशगूल थे मैं अपने हर एक धक्के के साथ मामी मे समाए जा रहा था आज एक आह भी नही फुट रही थी हमारी साँसे भी जैसे आज गूंगी हो गयी थी पर पसीने से लथ पथ हमारे शरीर एक अलग ही दास्तान कह रहे थे अब मैने मामी को अपनी तरफ टेढ़ी कर लिया और उनकी टाँगो को अपनी कमर पर रख लिया और उनके चूतड़ को थामते हुए उनकी धुँआधार चुदाई शुरू कर दी मैं तेज तेज धक्के लगाते हुए मामी को उनकी मंज़िल की ओर पहुचाने लगा मामी के साथ साथ मैं भी बहुत मस्त हो गया था मेरा वीर्य मेरे टट्टो मे इकट्ठा होने लगा था मैं मामी के कान को काट ते हुए बोला जान मैं बस झड़ने ही वाला हू तो मामी बोली कि दो मिनट और बस मैं भी जाने ही वाली हू और कहते कहते ही इधर उनकी चूत से रस छूटा और मेरे लड से वीर्य की पिचकारी एक साथ ही हम दोनो अपनी अपनी मंज़िल को पा गये थे कुछ देर बाद हम दोनो अपनी अपनी सांसो को नियंत्रित करने का प्रयास कर रहे थे
फिर मामी उठी और अपनी मस्त गान्ड को मतकती हुई अंदर चली गयी और एक ठंडे पानी की बॉटल ले आई थोड़ा खुद पिया थोड़ा मुझे पिलाया गला एक दम तर हो गया फिर मामी वापिस मेरे पास आकर लेट गयी और हम बाते करने लगे वो कहने लगी कि आज कितने दिन बाद मेरी चूत को आराम मिला है तुम्हारे मामा तो बस मेरे चूतड़ छोड़े करने मे ही लगे रहते है महीने मे बस दो चार बार ही चूत मरते है पर गान्ड उनको डेली चाहिए तुम ही बताओ मैं क्या करू तो मैने कहा अब मैं क्या कर सकता हू ये आप हज़्बेंड –वाइफ के बीच का मॅटर है मैं भला क्या कर सकता हू
मामी ने मेरे लड को हाथ लगाया और बोली तेरा ये कभी डाउन भी होता है जब देखो खड़ा ही रहता है तो मैने कहा मामी जब आप जैसा चोखा माल पास हो तोये कैसे ढीला रह सकता है मामी बोली बाते बनाना तो कोई तुमसे सीखे और हँसने लगी तो मैने कहा कि मामी लड चूसो ना तो वो बोली अरे ये भी कोई कहने की बात है अभी लो और अपने चेहरे को मेरे लड पर झुका दिया और उसको चाटने लगी मामी के मुँह मे जाते ही लड और भी फुफ्कारने लगा मुझे बड़ा ही आनंद आ रहा था कि तभी मामी ने उसे अपने मुँह से निकाल दिया और बोली मैं अभी आई और अंदर चली गयी कुछ मिनट बाद जब वो वापिस आई तो उनके हाथ मे एक कटोरी थी जिसमे मलाई पड़ी थी तो मामी ने ढेर सारी मलाई मेरे लड पर चुपड दी और फिर उसको अपने मुँह मे ले लिया मलाई लगने से लड बेहद मुलायम और चिकना हो गया था मामी बड़े ही चटखारे लेते हुए बड़े ही मज़े से अब मेरे लड को चूसे जा रही थी
मैने उनके चेहरे के सामने आ गये उनके बालो को साइड मे किया मामी के गुलाबी होंठ मेरे लड पे किसी लॉक की तरह कसे हुए थे अब वो खाली बस मेरे सुपाडे को ही चूस रही थी और अपने हाथो से मेरी गोलियो को लगातार सहलाए जा रही थी मुझे वहाँ पर बेहद गुद गुदि महसूस हो रही थी मुझे अब लगने लगा था कि कही उनके मुँह मे ही मेरा वीर्य ना छूट जाए तो मैने उनको अपने लड से हटा दिया और मामी को घोड़ी बना दिया जब मैने उनको घोड़ी बनाया तो मैने गौर किया कि उनकी गान्ड का छेद दो बेहद खुल गया है शायद रोज गान्ड मरवाने के कारण तो अब मैने अपना लड एक बार फिर से चूत पर सटा दिया मामी ने अपनी गान्ड को थोड़ा सा हिलाया और अगले ही पल मेरा लड उनकी चूत मे घुस गया था और मेरी गोलिया उनके चुतडो से टकराने लगी थी मैने उनकी चूचियो को अपने हाथो मे दबा लिया
और उनको बेरहमी से दबाते हुए मामी की चूत मारने लगा मामी भी लगातार अपने कुल्हो को आगे पीछे करे जा रही थी मैं बहुत ज़ोर से उनके बोबो को भिंचे जा रहा था उनको दर्द भी हो रहा था पर उन्होने मुझे एक बार भी नही रोका वो तो बस आज जी भर कर चुदना चाहती थी बस चुदना और कुछ नही उनकी चूत से पच पुछ्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह की आवाज़ आने लगी थी उनकी चूत से बहता पानी लड को लगातार भिगोएे जा रहा था तो अब मैं उनको चोद्ते चोद्ते उनकी पीठ को भी चूमने लगा था मामी के हर एक अंग से मस्ती जैसे फूटने लगी थी मैं अपने दाँत भींचे चूत को चोदे जा रहा था तभी मुझे पता नही क्या सूझा मैने लड को निकाला और उनके चुतडो को थामते हुए उनकी चूत को पीछे से ही चूमने लगा
मामी का तो पूरा बदन ही कांप गया मैं उनके दाने को कुरेदे जा रहा था मामी बहुत ही ज़्यादा मस्ता गयी थी वो लरजती हुई आवाज़ मे बोली आआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआ आईईईीीइसस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स मात्त्तटटटटटटटटटटटटटटटटटटटटटटटटटटटटटटटटटटटटटटटटटटटटटटटटटटटटटटतत्त कार्रर्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्रूऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊ आब्ब्ब्ब्ब्ब्ब्ब्ब्ब्ब्ब्ब्ब्ब्ब्बबभहिईीईईईईईईईई
कार्रर्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्रूऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊ आब्ब्ब्ब्ब्ब्ब्ब्ब्ब्ब्ब्ब्ब्ब्ब्बबभहिईीईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईई मुझीईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईई ब्ब्ब्ब्ब्ब्ब्ब्ब्ब्ब्ब्ब्ब्ब्ब्ब्ब्ब्ब्ब्ब्ब्ब्ब्ब्ब्ब्ब्ब्ब्ब्ब्ब्ब्ब्ब्ब्ब्ब्ब्ब्ब्ब्ब्ब्ब्ब्ब्ब्ब्ब्ब्ब्बबब ब्ब्ब्ब्ब्ब्ब्ब्ब्ब्ब्बबबुउुउउस्सुउुुुुुुुुउउस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स लाआआआआआाअंद्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्दद्ड ही ईईईईईईईईईईईईईईईई चाहियीईईइईईईईईईईईईईईईईईईई तो मैं हटा और
लड को दुबारा घुसा कर उनकी ढलती हुई जवानी को लूटने लगा मैने कोई 25-30 धक्के और मारे थे कि मामी एक बार फिर ढह गयी और औधी पड़ गयी मामी झड चूँकि थी और उनकी हिम्मत अब जवाब दे गयी थी वैसे तो मैं भी बेहद ही करीब था तो मैं उनपर लगा ही रहा और तेज तेज धक्के मारने लगा जब मुझे लगा कि अब बस काम होने ही वाला है तो मैने अपने लड को बाहर निकाला और मामी के मुँह मे दे दिया वीर्य की धार उनके गले से टकराई और फिर लगातार टकराती ही गयी मामी ने मेरा सारा वीर्य पी लिया फिर उन्होने मेरी बनियान से अपने मुँह को सॉफ किया और मेरी बाहों मे आकर लेट गयी और हाँफती हुई बोली कि बस अब मेरी ओर हिम्मत नही है एक बार और चुदि तो फिर सुबह उठ नही पाउन्गि तो मैने कहा कोई बात नही आप आराम कर लो तो मामी और मैं एक दूसरे से चिपक कर ही सो गये
सुबह 5 बजे ही मामी ने मुझे जगा दिया मैं नंगा ही खाट पर पड़ा था मैने झट से अपने कपड़े पहने तो मामी बोली तुम फ्रेश हो जाओ मैं चाइ बना देती हू फिर तुम सबके लिए चाइ लेकर बड़ी मामी के घर चले जाना मैं घर का सारा काम निपटाने के बाद आ जाउन्गि तो मैं फ्रेश वगेरह हुआ और चाइ का थर्मस ले कर बड़े मामा के घर आ गया चाइ पीते पीते मैने जेब से मोबाइल निकाला तो मिता के कई मिस कॉल आए पड़े थे फोन वाइब्रेशन मोड पे था तो पता ही नही चला तो मैने सोचा कि बाद मे तस्सली से बात करलुगा उस से फिर मैं बाल्टी भरने के लिए नलके पर गया तो सुबह सुबह ही मेरी मुलाकात लिली से हो गयी मुझे बड़ी कॅटिली छुरी लगी वो पर भाई की सेट्टिंग थी तो कुछ कर भी नही सकता था तो दिल को मसोस कर अपनी बाल्टी भरी और वापिस आ गया
नहा –धोकर रोटी खा ही रहा था कि चाचा का फोन आ गया वो बोले कि तेरी ताई जी का ऑपरेशन एक दम ठीक हो गया है पर अभी कुछ दिन हॉस्पिटल मे ही रहना पड़ेगा और तुम्हारी मम्मी भी थोड़ी गमगीन है और पीहर मे ही है तो और अनिता बहू तो हॉस्पिटल मे ही है फिर साख्सी को भी संभालना है अब जीजी अकेली क्या क्या संभालेगी तो तू एक काम कर आज के आज तू तेरी चाची को लेने चला जा मैने फोन कर दिया है वो तैयार होंगी तो मैने कहा ठीक है जैसी आपकी आग्या और फोन काट दिया मैने अपना सामान पॅक किया मम्मी को सारी बात बताई और चल पड़ा अशोक भाई ने मुझे सहर तक छोड़ दिया था शाम तक मैं धक्के खाते हुए चाची के गाँव पहुच गया सभी ने मेरा बहुत ही आदर-सत्कार किया
चाची तो मुझे देख कर बहुत ही ज़्यादा खुश थी अगली सुबह मैं उनको लेकर चल पड़ा लंबा सफ़र और वो भी बस का मेरी तो पूरी कमर ही जैसे टूट गयी हो जैसे तैसे गाँव पहुचे मैं तो इतना ज़्यादा थक चुका था कि पड़ ते ही सो गया फिर सुबह ही होश आया मैं नीचे आया और चाची से पूछा कि बुआ कहाँ है तो उन्होने कहा कि वो तो तेरे चाचा के साथ हॉस्पिटल चली गयी है वो क्या है ना अनिता रात भर वही पर रुकी थी तो वो अब घर आ जाएगी और बुआ वहाँ रुक जाएगी तो चाची ने नाश्ता लगा दिया पर मैं तो बस उससे ही बाते करना चाहता था तो मैने उनको अपनी गोद मे बिठा लिया और बोला चाची कितने दिनो बाद मैं छुट्टी आया और आप गाँव चली गयी तो वो बोली कि अरे मुझे पता होता कि तुम आने वाले हो तो मैं जाती ही नही
फिर मैने उनको किस किया तो वो बोली चल अभी शरारत मत कर मुझे घर का काम करना है और वो रसोई मे चली गयी मैं नहाने चला गया कोई दस बजे अनिता भाभी भी आ गई तो मैने साख़्शी को ले लिया और भाभी का खाने लगी तभी मैने देखा कि जब मैं साक्षी को खिला रहा था तब मैने चाची की आँखो मे नमी देखी फिर अनिता भाभी बोली मैं कुछ देर सोउंगी और साक्षी को लेकर अपने घर चली गयी मैं टीवी देख ही रहा था कि चाची बोली तू यही बैठ मैं अभी आई जब वो वापिस आई तो उनके हाथ मे कुछ चिट्ठिया थी पुरानी सी उन्होने कहा कि ले तेरी अमानत तेरी मम्मी से नज़र बचाकर मैने डाकिये से ले ली थी मैने उन लेटर्स को देखा तो सेनडर वाली जगह पर वो नाम लिखा था जिसे मैं डर डर ढूँढ रहा था
वो लेटर्स निशा के थे ठीक कोई 1 साल पुरानी थी मुझे तो विश्वास ही नही हुआ मैने चाची को अपनी बाहों मे ले लिया और बोला चाची आपने मुझ पर बहुत बड़ा एहसान किया है आपका उपकार मैं कभी नही भूल सकता हू तो वो बोली कि निशा की कई चिट्ठिया आई थी पर तुम्हारी मम्मी ने ज़्यादतर को जला दिया बस ये कुछ ही मैं बचा पाई हू तुम पढ़ लो मैने खोल के देखा नही है इनको मैं आती हू कुछ देर मे मैने तुरंत ही उनको खोला और पढ़ने लगा उसने लिखा था कि जब वो पहली बार मुंबई आई थी तो उसका सूटकेस स्टेशन पर ही चोरी हो गया था तो वो थोड़ी टेन्स हो गयी थी फिर कुछ दिन उसे जाय्न करने और घर का जुगाड़ करने मे लग गये उसने मुझे कॉंटॅक्ट करने की कोशिश की थी पर एक दिन उसका मोबाइल रिसेट हो गया
और सभी कॉंटॅक्ट्स के नंबर डेलीट हो गये तो वो फिर कोई संपर्क ना कर पाई हर पल उसे मेरी याद आती है मुंबई मे वो खुद को बहुत ही तन्हा महसूस करती है मैने उसकी सारी चिट्ठिया पढ़ी ना जाने कब मेरी आँखो से आँसू बहने लगे झार झार आँसू बहते ही रहे एक चिट्ठी मे उसने अपना अड्रेस भी लिखा था पर मेरी छुट्टिया तो बस 10 दिन की ही बची थी फिर मुझे मिता से भी मिलने जाना था मैं बुरी तरह से फस गया था हालात के आगे मजबूर सा हो गया था मेरा दिल मचल रहा था पर मैं अभी मुंबई भी नही जा सकता था की तभी चाची आ गयी और मुझे रोता देख कर चकित हो गयी
मैने अपना मुँह उनके आँचल मे छुपा लिया और रोते हुए बोला चाची आपने पहले मुझे इन चिट्ठियो के बारे मे क्यू नही बताया पर वो क्या कहती निशा के इन लेटर्स ने मेरे दिल मे इक तूफान खड़ा कर दिया था जो अब आसानी से नही थमने वाला था बहुत देर तक मैं चाची की गोदी मे ही सुबक्ता रहा मेरा दिमाग़ बहुत ही ज़्यादा खराब हो गया था ये साला दिल भी ना बड़ा ही कमीना होता है
फिर शाम को मैं अनिता भाभी को हॉस्पिटल छोड़ने गया और वापसी मे बुआ को साथ ले आया अब एक हार्डकोर चुदाई ही मुझे आराम दे सकती थी तो मैने रास्ते मे ही बुआ को बता दिया था कि रात को चाचा तो चाची को चोदेन्गे ही तो मैं आपके कमरे मे आ जाउन्गा और फिर हम भी कुछ तूफ़ानी करेंगे तो बुआ बोली देख ले कही कुछ गड़बड़ ना हो जाए तो मैने कहा तुम सब कुछ मुझ पर छोड़ दो और बस चुदने की तैयारी करो तो बुआ बोली बेशरम सीधे सीधे ही बोलता है बाहर तो थोड़ी शरम कर लिया कर रास्ते मे मैने बाइक रोकी और दो किलो रसगुल्ले खरीद लिए बुआ बोली इतने का क्या करेगा तो मैने कहा आपको पता चल ही जाएगा फिर हम घर आ गये दोनो औरते रसोई मे बिजी हो गयी मैने एक बियर की बॉटल खोली और छत पर बैठ गया
और पीते पीते निशा के बारे मे सोचने लगा जब दिमाग़ ने काम करना बंद कर दिया तो मैं नीचे आया मैं ऐसे ही खाक छान रहा था तो मुझे अपना पुराना सीसी रेडियो मिल गया धूल खाए पड़ा था तो उसको सॉफ किया नये सेल डाले और उसको चला दिया गुज़रते हुए वक़्त के साथ वो भी बदल गया था चॅनेल्स तो वो ही थे पर अब अपने प्रोग्राम नही आते थे रेडियो सिटी पे अब लव गुरु का प्रसारण नही होता था फिर भी कुछ देर गाने सुनता ही रहा अपने मन को तसल्ली देने के लिए ये टाइम भी ना एक बार हाथ से निकल जाए तो फिर कभी वापिस नही आता रात को साढ़े दस बजे के लगभग पूरा घर अंधेरे मे डूबा पड़ा था चाचा चाची अपने कमरे मे मस्त थे पापा बैठक मे सो रहे थे तो मैं बुआ के कमरे मे घुस गया
वो मेरा इंतज़ार ही कर रही थी मैने झट से कुण्डी लगाई और अपनी बुआ को बाहों मे भर लिया और उनके थोड़े सूखे से होंठो को अपने होंठो से गीला करने लगा वो भी किसी प्यासी की तरह मेरा साथ देने लगी उनको किस करते करते ही मैं उनके कपड़े उतारने लगा मैने अपनी उग्लिया उनकी सलवार के नाडे मे फसाई और उसको खीच दिया सलवार सीधे उनके पैरो मे जा गिरी मेरा मुँह जैसे बुआ के मुँह से लॉक ही हो गया था तो मैं अपने हाथ नीचे ले गया और उनकी कच्छि के उपर से ही उनके चुतडो को दबाने लगा मुझे ऐसा लगा जैसे मैं फूलो को मसल रहा हू तभी बुआ ने कहा कि तू जल्दी से कर ले कही कोई आ ना जाए तो मैने कहा आप खम्खा ही चिंता कर रही हो अब मैं उनकी गर्दन पे चूमने लगा बुआ भी धीरे धीरे गरम होने लगी
मैने उनकी कच्छि के साइड से अपनी उगली अंदर डाली और चूत मे सरका दी चूत तो पहले से ही गीली हुई पड़ी थी मैं अपनी उगली चूत मे रगड़ने लगा बुआ ने भी अब मेरी पॅंट को खोल दिया और मेरे नागराज को अपने हाथ मे पकड़ लिया मैने उनके सूट और ब्रा को भी उतार दिया अब वो बस खाली कच्छि मे ही खड़ी थी तो मैने बिना देर किए उसको भी उनके जिस्म से अलग कर दिया और नंगी बुआ को देखने लगा उनकी उठी हुई चूचिया , बेहद ठोस और चिकनी जंघे और सबसे बेहतर चीज़ उनकी भूरी सी चूत जिसका मैं रसिया बन चुका था बुआ मेरे लड को अब चूत पर रगड़ने लगी थी तो मैने उनकी टाँग को थोड़ा सा उठाया और अपने लड को चूत मे घुसा दिया बुआ ने एक हल्की सी आह भरी मैने उनके चुतडो को थाम लिया
उनके होंठो को पीते हुए उनकी चूत मे लड आगे पीछे करने लगा हम खड़े खड़े ही चुदाई करने लगे थे मैं उनके निचले होंठ को बुरी तरह से काटने लगा था बुआ की मक्खन जैसी चूत मे मेरा गरम लड की छुरी की तरह घुसा पड़ा था थोड़ी देर उनको उसी पोज़िशन मे छोड़ने के बाद मैने उनके हाथ बेड की साइड पर टिकाए और उनको झुका दिया और फिर से अपने लड को सैर करवाने लगा तभी मैने अपनी उगली से उनकी गान्ड के छेद को सहलाना शुरू किया जब वो थोड़ा सा नरम हुआ तो मैने अपनी थोड़ी उगली गान्ड मे डाल दी बुआ ने अपने जिस्म को थोड़ा सा टाइट कर लिया और पीछे मुँह करके बोली ये मत करो तो मैने कहा अभी तो आपकी गान्ड मारनी तो बाकी ही है आज वहाँ भी अपना लड घुसाउन्गा ही तो बुआ बोली अरे नही मुझे दर्द होगा
तो मैने कहा आप नाटक मत करो क्या पहले कभी गान्ड मे नही लिया क्या तो वो चुप हो गयी मैं लगातार उनको चोदे जा रहा था कूलर की ठंडी हवा मे हमारी गरमा गरम चुदाई चल रही थी अब मैं अपने हाथ नीचे ले गया और उनके चुतडो को थोड़ा सा चौड़ा किया और गपा गॅप उनकी चूत मारने लगा बुआ भी लगातार अपनी गान्ड को हिलाए जा रही थी फिर कोई बीस मिनट की चुदाई के बाद हम दोनो आगे पीछे ही झाड़ गये तो मैने अपने लड को उनकी चूत से निकाल लिया उनकी चूत से मेरा गाढ़ा वीर्य अभी भी रिस रहा था तो उन्होने अपनी चुन्नी से चूत को सॉफ किया और मेरे बगल मे बैठ गयी रात के बारह बज चुके थे तो वो बोली कि चलो अब तुम भी जाकर सो जाओ और मुझे भी सोने दो तो मैनें कहा कि अभी तो गान्ड लेउगा तो
वो बोली कि अभी तुम जाओ मैं कल ज़रूर तुम्हे अपनी गान्ड दे दुगी तो मैने अपने कपड़े पहने और वापिस अपने कमरे मे आ गया पर मुझे नींद नही आ रही थी तो मैं छत की दूसरी साइड की तरफ आ गया और मैने देखा कि
एक कौने मे चाची खड़ी थी मुझे ऐसे लगा कि जैसे वो सूबक रही हो तो मैं उनके पास गया और पूछा कि क्या बात है तो उन्होने कहा कुछ नही और तुरंत ही अपने कमरे मे चली गयी मैं हैरान-परेशान वही पर खड़ा रहा वैसे भी मुझे लग ही रहा था कि चाची के स्वाभाव मे कुछ अंतर आ गया है वो पहले की तरह नही चहक्ती थी एक अलग सी उदासी उनके चेहरे पर थी जिसका कारण मुझे पता करना ही था
अगले दिन मैं पापा मामा के गाँव चले गये बुआ हॉस्पिटल तो घर पर बस मैं और चाची ही थे तो मैं उनके कमरे मे गया और बोला कि चाची आप आजकल इतने उदास क्यो रहते हो रात को भी आप रो रहे थे बात क्या है मुझे तो बताओ तो वो बोली कि बस ऐसे ही थोड़ी डिस्टर्ब थी तो मैने ज़ोर देते हुए कहा कि आप झूट मत बोलो और सच सच बताओ कि बात क्या है तो वो थोड़ी सी एमोशनल हो गयी और बोली कि जब वो साक्षी को देखती है तो उसे तकलीफ़ होती है कि मैं अभी तक माँ नही बन पाई हू मुझे भी हसरत है कि मेरी भी औलाद हो मेरा भी मन करता है कि मैं अपनी गोदी मे बच्चे खिलाऊ तो मैने कहा कि चाची हम सब आपके ही बच्चे तो है तो वो बोली हम पर एक फीलिंग होती है तो मैने कहा की चाची एक उपाय है अगर मानो तो कहूँ तो वो बोली हाँ बोलो तो मैने कहा कि आप मुझसे सेक्स करके देख लो ना क्या पता आप प्रेग्नेंट हो जाओ तो वो बोली तू तो हमेशा मुझे लपेटने की ही सोचता रहता है तो मैने उका हाथ पकड़ा और बोला कि चाची मज़ाक की बात नही है आप एक चान्स तो ले कर देखो क्या पता आपका काम हो जाए और अगर प्रेग्नेंट ना हुई तो समझ लेना कि आपने अपनी चूत मुझे गिफ्ट मे दी थी तो चाची बोली कि पर मैं तेरे चाचा से पूरी तरह सॅटिस्फाइ हू तो मैने कहा कि मैं जानता हू डार्लिंग पर यहाँ बात एक बच्चे की है क्या पता आप मुझ से प्रेग्नेंट हो जाओ
अब बारी थी अशोक से लिली के बारे मे पूछने की मैने उसको कहा भाई मुझे भी लिली की दिलवा दे तो वो भड़क गया और बोला यार वो मेरी सेट्टिंग है वगेरह वगेरह तो मैने कहा कि भाई मैं भी बदले मे तुझे एक मस्त चूत दिलवा दूं तो ये सुनते ही वो बोला कौन किसकी जल्दी बता तो मैने कहा सरोज की तो वो बोला सरोज चाची की क्या बात कर रहा है तू कब कैसे तो मैने कहा तू आम खा ना भाई बोल मंजूर है या नही तो वो बोला भाई मुझे थोड़ा टाइम दे मैं लिली से बात करता हू फिर बताउन्गा इधर इन सब बातों के चक्कर मे मैं बड़ी मामी के बारे मे भूल ही गया अब वो नाराज़ थी वो अलग शाम को भाई ने बताया कि यार लिली मान ही नही रही तो मैने कहा की ठीक है अब तुझे सरोज की चाहिए तो मुझे लिली की दिलवानी ही पड़ेगी चाहे कुछ भी कर . वो बोला कोशिस कर तो रहा हू
इधर मैने कौशल्या को कहा कि मामी मेरी छुट्टियाँ क्या ऐसे ही बीत जाएँगी प्लीज़ मेरा कुछ तो ख़याल करो तो वो बोली ठीक है चाहे कुछ हो जाए आज रात तेरी प्यास ज़रूर बुझा दुगी तो मैने कहा कि कैसे तो वो बोली कि रात को मैं अपने घर पे रहूंगी तेरे मामा तो यहाँ पर रहेंगे तू वही आ जाना फिर मैं अड्जस्ट कर लुगी तो मैने कहा ठीक है डार्लिंग जब मामी जाने लगी तो उन्होने मामा से कहा कि बच्चे भी यही है तो मामी मेरा नाम लेते हुए बोली कि इसको भी घर ले जाती हू इधर गम के माहौल मे ये थोड़ा सा उदास है तो थोड़ा सा फ्रेश भी हो जाएगा तो मामा बोले हम ठीक है वैसे भी फौज मे परेशान ही है बेचारा फिर मैं और कौशल्या मामी उनके घर चल पड़े
मामी आज बड़ा ही मुस्कुरा रही थी उनके घर पहुचते ही मामी बोली मैं पहले नहा लेती हू पूरा शरीर पसीने से भरा पड़ा है तो मैने कहा चलो साथ ही नहाते है तो वो बोली कि नही कही कोई आ गया तो तुम बाहर होदि पे नहा लो तो मैने अपने कपड़े उतारे और पानी के होद मे उतार गया ठंडे पानी मे जाते ही मेरी सारी थकान एक दम गायब ही हो गयी मैं बहुत देर तक ठंडे पानी मे पड़ा रहा फिर मैं बाहर आया और कपड़े पहने जब मैं अंदर गया तो मामी ने बस एक ढीली सी मॅक्सी ही डाल रखी थी वो भी आधे से ज़्यादा गीली थी उनके बालो से टपकती बूँदो की वजह से उनकी पीठ पूरी भीगी हुई थी
मैं सीधा उनके पास गया और उनके होंठो पर अपने होंठ रख दिए और उनके बतख से होंठो का रस निचोड़ने लगा मामी ने भी एक मजेदार किस दिया और फिर बोली कि तुमसे कभी भी सबर नही होता है तुम हमेशा ही इतने उतावले रहते हो तो मैने कहा कि मामी चार साल बाद आज आपकी चूत मारने का मौका मिला है अभी भी उतावला ना होऊ तो कैसे चलेगा तो मामी बोली रूको बाहर का दरवाजा तो बंद कर लू मामी ने दरवाजा बंद किया और बोली आँगन मे ही चारपाई बिछा लेते है यही पर सोएंगे तो मैने कहा कि मामी आज की रात कौन सोएगा तो मामी मुझे अपनी आँखे दिखाने लगी खाना वाना खाने के बाद रात को कोई साढ़े 9 बजे मैं कौशल्या मामी के साथ बिस्तर मे लेटा हुआ था मेरे हाथ मामी के शरीर पर साँप की तरह रेंगने लगे थे मामी बोली मुझे तुम्हारी बहुत याद आती थी तुम्हारे बारे मे सोच कर ना जाने कितनी बार मैने अपनी चूत मे उगली करके ही गुज़ारा किया है तो मैने कहा मामी कुछ ऐसा ही हाल मेरा है अब बात मत करो और बस मुझ मे खो जाओ…
अट प्रेज़ेंट
मैं क्या कहूँ तुझे ज़िंदगी अगर तू इतनी कठोर है तो मुझे कभी तू चाहिए ही नही थी मैं अकसर यही सोचता रहता हू कि लोग कहते है कि ज़िंदगी खूबसूरत होती है फिर तू ऐसी क्यो है क्यो कोई रंग नही है मेरे इस जीवन मे क्यो मैं ऐसा हू पर आख़िर मैं तुम्हे क्यो दोष दे रहा हू वो मैं ही तो था जिसने इस राह को चुना था पर अब मैं तंग आ चुका हू अपने इस बन्जारेपन से एक घुटन सी महसूस करता हू मैं अपने आप मे सिमट कर रह गया हू कोई भी तो नही है पास मेरे बस मैं हू और मेरा परिचय है ज़िंदगी मैं अक्सर सोचता हू कि तू इतनी बेरहम कैसे है अगर तू ऐसी है तो मौत कैसी होगी क्या बो खूबसूरत होगी या वो भी बस तेरी तरह एक छलावा भर ही है भटक ता रहता हू मैं यहाँ से वहाँ मैं वो मुसाफिर हू जिसकी कोई मंज़िल कोई ठिकाना नही है बस एक खाना बदोश ज़िंदगी ज़ीनी है
मैं हू कौन, एक सैनिक या एक कातिल एक प्रेमी या एक आवारा बहुत कोशिश करता हू खुद को एक पहचान देने की पर नाकामी ही मिला करती है मैं घुट ता रहता हू हर पल एक लाश ही हू मैं बस फरक इतना है कि सांस कुछ बाकी सी है इस सफ़र मे साथी तो कई मिले पर हमसफ़र पास होकर भी दूर है मैं आज एक ऐसे मुकाम पर आ खड़ा हू कि वापिस जाने को कोई राह दिखाई ही नही देती है बस अकेलेपन को ही साथ लेकर चलना है यार-दोस्त सन्गि-साथी कभी मिले ही नही जो भी मिला बस लूट ही ले गया थोड़ा थोड़ा किसी ने देखा ही नही कि इस सीने मे भी एक चीज़ धड़कती है जिसे लोग दिल कहा करते है ये खूबसूरत वादियाँ भी मेरे दर्द को कम नही कर पाती है इतने नकाब है मेरे कि अब भूल ही गया हू मैं कि असल मे मैं हू कौन एक आम इंसान या कोई छलावा दिल मे एक उमंग थी तो मैने ये राह चुन ली पर कांटो के इस सफ़र मे रोज मेरे पाँव छिलते गये हर अपना मुझ से दूर और दूर होता गया घर छूट गया अपने रूठ गये पर सबर कर लिया कि देश तो अपना ही है लोग अपने है पर कौई साला कदर करता है हीरो की और फिर क्या फरक पड़ता है हम रहे या ना रहे सबकुछ अपना दाँव पर लगा दिया सोचा था कि एक छोटा सा आशियाना अपना भी होगा पर साली तकदीर जब लेने पे आई तो कुछ भी बाकी ना छोड़ा सब कुछ वसूल कर लिया मैं हैरान परेशान सोचता रहता हू कि आख़िर मैने कौन सी ग़लती करदी क्या गुनाह हो गया मुझ से ऐसा कि ये सज़ा मिली है मुझ को मैं तो हार ही चुका हू ज़िंदगी तेरे आगे बस इतनी सी मेरी गुज़ारिश मान ले और मुझे इस दर्द से आज़ाद कर दे
मौत तू मुझे कोई दुख ना देना मैं बहुत थक गया हू तुझसे पनाह माँगता हू मैं बहुत भाग लिया अब रुकना चाहता हू थमना चाहता हू मुझे अपनी बाहों मे ले ले ना तू कम से कम तू तो मेरी बात मान ले आख़िर कब तक मैं यू ज़िंदा रहूं अब कुछ भी तो नही है ना वो गाँव मेरा है ना वो घर मेरा है अब सर्दियो मे लहराती वो सरसो की फसल नही दिखती है मुझे ना गाँव मे नीम के पेड़ पे झूला झूलती वो मुटियारे दिखती है सब कुछ खो गया है इस चका चौध मे वैसे तो अब पूरी दुनियाँ ही मेरी है पर वो छत कहाँ है जहा मैं दो पल आराम कर सकूँ कहाँ है वो आँगन जहाँ मैं बैठ कर अपने बचपन को याद कर सकूँ कुछ भी तो नही है फिर क्यो मैं इस ज़िंदगी का एहसान लूँ आख़िर क्या लगती है ये मेरी होगी वो बहुत खूबसूरत होंगी उसमे हज़ारो रंग पर मैं क्यों फिर बेरंग हू है कोई जवाब तेरे पास
बुरा लगता है मुझे जब लोग साले समझ ही नही पाते है कि क्या खोते है मेरे जैसे लोग दिन महीनो मे और महीने साल मे बदल जाते है पर हम मजबूरी का घूँट पी कर रह जाते है हाँ सही है कि हम अपनी तकदीर खुद लिखते है पर किस के लिए कोई नही समझता बहुत दर्द होता है बदन मे पीठ ज़ख़्मी है करवट नही बदल पाता हू मैं शूकर है हाथ सही सलामत है और थॅंक्स टू टेक्नालजी जिसने ये आइपॅड जैसे गॅड्जेस्ट्स बनाए जिनके सहारे मैं अपने मन की बात आप तक पहुचा पाता हू कल पूरी रात दर्द से कराहता ही रहा कभी कभी सो नही पाता हू इसको मैं सोच ता हू कि काश कोई अपना होता जो मेरा थोड़ा दर्द बाँट लेता पर अब तो आदत सी हो गयी है दर्द मे भी मुस्कुराने की मेरी इन भीगी आँखो मे भी कुछ सपने है जो मैं शायद कभी पूरा ना कर पाऊ सबकुछ पैसा नही होता अगर होता तो आज मैं दुखी नही होता कभी जब घर की याद आती है तो कलेजा चीर जाती है तब दारू का पेग भी गम भुलाने मे कोई मदद नही कर पाता है इच्छा होती है कि बुढ़ापे मे घर वालो का सहारा बनू उनकी राह देखती आँखो का सुना पन दिखता है मुझे पर मजबूर हू तकदीर के हाथो
क्या लिखू इन कागज के टुकड़ो पे अब कुछ बाकी ना रहा जबसे छूटा तेरा साथ अपना कोई साथी ना रहा
बस मैं हू और ये अधूरी हसरते है और एक ये दिल है जो साला मानता ही नही है क्या करू
................................................................
मामी मुझसे और भी चिपक गयी और मेरे पयज़ामे को नीचे सरकाते हुए मेरे लंड को अपने हाथ मे ले लिया और उसको सहलाने लगी मैने उनकी गर्दन मे हाथ डाला और उनके चेहरे को अपनी ओर करते हुए उनके पतले पतले होंठो को अपने मुँह मे भर कर चूसने लगा करीब दस पंद्रह मिनट तक बस मैं उनके होंठो का रस ही पीता रहा इधर लगातार उनका हाथ मेरे लड पर था तो वो भी पूरी तरह तन्कर एक दम टाइट हो चुका था और मामी की चूत की बखिया उधेड़ने को तैयार हो गया था मामी ने मेरी टी-शर्ट को उतार दिया और अपनी मॅक्सी भी उतार कर साइड मे रख दी और मामी का संगमरमरी बदन मेरी आँखो के सामने था मामी का फिगर आज भी ऐसा ही था जैसे पहले हुआ करता था एक इंच भी फरक नही आया था
तो मैने मामी को लिटाया और दुबारा से उनके होंठो को चूमने लगा थोड़ी देर चूमा था कि मामी बोली बस ज़्यादा मत चूसो होंठ सूज गये तो कही तुम्हारे मामा शक ना कर ले तो मैने कहा ठीक है मैं थोड़ा नीचे आया और और अपना मुँह उनकी एक साइड की चूची पर लगा दिया और उनके निप्पल को चूसने लगा और दूसरे वाले को अपने हाथ से दबाने लगा कुछ ही देर मे मामी की चूचियो मे कठोरता आ गयी वो ऐसे हो गयी जैसे की ठोस गोले हो आधे घंटे से भी ज़्यादा टाइम तक मैं मामी की दोनो चूचियो को पीता ही रहा जब मैने अपना मुँह उनसे से हटाया तो वो बिल्कुल लाल हो गयी थी मामी की आँखो मे वासना के डोरे तैरने लगे थे उन्होने मेरे हट ते ही अपनी टाँगो को चौड़ा कर लिया काली झान्टो से भरी हुई उनकी चूत के अंदर से आती सुगंध ने मुझ पर जैसे जादू सा कर दिया था मैने उनकी मांसल जाँघो को थामा और अपना मुँह उनकी पानी छोड़ती थी हुई चूत पर लगा दिया
मामी की चूत हद से ज़यादा पानी बहा रही थी तो मैं उस रिश्ते हुए पानी को अपनी जीभ से चाट ने लगा जैसे ही मेरी जीभ उनकी चूत से टच हुई मामी के बदन मे जैसे शोले से उठने लगे मामी ने अपनी टाँगो को थोड़ा सा टाइट सा कर लिया नीचे मैने चूत के छेद मे अपनी जीभ फसाई हुई थी और उपर मैं चूत के दाने को अपने अंगूठे से रगड़ने लगा तो मामी है है करने लगी मामी के होंठो से फुट ती हुई कामुक सिसकारियो से मेरे कान भी गरम होने लगे थे 5 मिनट मे ही कौशल्या के चूतड़ उपर की तरफ उठ गये थे अब वो चारपाई पर थोड़ा बैठी सी हो गयी थी मैं पूरे मज़े से उनकी रस से भरी हुई चूत को चाटे जा रहा था जब मैं अपने दाँतों से उनकी चूत की फांको को दबाता तो खारा पानी झट से मेरे मुँह मे भर जाता
मामी को थोड़ा दर्द होता पर वो बस मस्ती से मुस्कुरा ही देती मामी के सरीर मे अब कंपन बढ़ने लगा था तो मुझे हिंट मिल रहा था कि बस कुछ ही देर मे वो झड़ने को ही है तो मैं और ज़ोर से अपनी जीभ को चूत पर रगड़ने लगा और 4-5 मिनट बाद ही उनका कामुक शरीर अकड़ गया और चूत से रस का फव्वारा छूट गया मुझे ऐसा लगा कि जैसे किसी ने नमक की पूरी कटोरी को ही मेरे मुँह मे उडेल दिया हो मैने मामी की चूत को चाट चाट कर एक दम चमका दिया मैं अपना मुँह उनकी चूत से हटाने ही वाला था तो मामी बोली थोड़ी देर और चाटो ना मज़ा आ रहा है तो मैने फिर से अपनी जीभ उनकी योनि से सटा दी और दुबारा से चूत से छेड़खानी करने लगा शायद मामी आज बहुत ही आतुर थी तो थोड़ी देर बाद ही उनकी योनि फिर से गीली होने लगी
तो मैने अपना मुँह वहाँ से हटा या और अपने लड को जो कि काफ़ी देर से परेशान हो रहा था उसको मामी की चूत पर टिका दिया मामी ने अपने चुतडो के नीचे एक तकिया लगा या और बोली चलो अब डाल भी दो इसको अंदर मेरी प्यासी चूत देखो कैसे फाड़ फाडा रही है इसको अपने अंदर लेने के लिए तो मैने एक धक्का लगाया और पहले धक्के मे ही आधा लड अंदर चला गया मामी के चेहरे पे एक चमक सी आ गयी जिसे शायद उस वक़्त मैं ही समझ सकता था और अगले धक्के के साथ मेरा लड मामी की चूत की गहराइयो को नाप रहा था अब मैं मामी के उपर नीचे होने लगा हर धक्के के साथ उनकी आँखो मे नशा उतरने लगा था मामी ने अपनी जीभ मेरे मुँह मे डाल दी और मैं उसको चूमने लगा मेरी उग्लिया उनकी उग्लियो मे उलझ गयी थी
बेहद खामोशी से सितारो से भरी रात के नीचे हम दोनो अपनी चुदाई मे मशगूल थे मैं अपने हर एक धक्के के साथ मामी मे समाए जा रहा था आज एक आह भी नही फुट रही थी हमारी साँसे भी जैसे आज गूंगी हो गयी थी पर पसीने से लथ पथ हमारे शरीर एक अलग ही दास्तान कह रहे थे अब मैने मामी को अपनी तरफ टेढ़ी कर लिया और उनकी टाँगो को अपनी कमर पर रख लिया और उनके चूतड़ को थामते हुए उनकी धुँआधार चुदाई शुरू कर दी मैं तेज तेज धक्के लगाते हुए मामी को उनकी मंज़िल की ओर पहुचाने लगा मामी के साथ साथ मैं भी बहुत मस्त हो गया था मेरा वीर्य मेरे टट्टो मे इकट्ठा होने लगा था मैं मामी के कान को काट ते हुए बोला जान मैं बस झड़ने ही वाला हू तो मामी बोली कि दो मिनट और बस मैं भी जाने ही वाली हू और कहते कहते ही इधर उनकी चूत से रस छूटा और मेरे लड से वीर्य की पिचकारी एक साथ ही हम दोनो अपनी अपनी मंज़िल को पा गये थे कुछ देर बाद हम दोनो अपनी अपनी सांसो को नियंत्रित करने का प्रयास कर रहे थे
फिर मामी उठी और अपनी मस्त गान्ड को मतकती हुई अंदर चली गयी और एक ठंडे पानी की बॉटल ले आई थोड़ा खुद पिया थोड़ा मुझे पिलाया गला एक दम तर हो गया फिर मामी वापिस मेरे पास आकर लेट गयी और हम बाते करने लगे वो कहने लगी कि आज कितने दिन बाद मेरी चूत को आराम मिला है तुम्हारे मामा तो बस मेरे चूतड़ छोड़े करने मे ही लगे रहते है महीने मे बस दो चार बार ही चूत मरते है पर गान्ड उनको डेली चाहिए तुम ही बताओ मैं क्या करू तो मैने कहा अब मैं क्या कर सकता हू ये आप हज़्बेंड –वाइफ के बीच का मॅटर है मैं भला क्या कर सकता हू
मामी ने मेरे लड को हाथ लगाया और बोली तेरा ये कभी डाउन भी होता है जब देखो खड़ा ही रहता है तो मैने कहा मामी जब आप जैसा चोखा माल पास हो तोये कैसे ढीला रह सकता है मामी बोली बाते बनाना तो कोई तुमसे सीखे और हँसने लगी तो मैने कहा कि मामी लड चूसो ना तो वो बोली अरे ये भी कोई कहने की बात है अभी लो और अपने चेहरे को मेरे लड पर झुका दिया और उसको चाटने लगी मामी के मुँह मे जाते ही लड और भी फुफ्कारने लगा मुझे बड़ा ही आनंद आ रहा था कि तभी मामी ने उसे अपने मुँह से निकाल दिया और बोली मैं अभी आई और अंदर चली गयी कुछ मिनट बाद जब वो वापिस आई तो उनके हाथ मे एक कटोरी थी जिसमे मलाई पड़ी थी तो मामी ने ढेर सारी मलाई मेरे लड पर चुपड दी और फिर उसको अपने मुँह मे ले लिया मलाई लगने से लड बेहद मुलायम और चिकना हो गया था मामी बड़े ही चटखारे लेते हुए बड़े ही मज़े से अब मेरे लड को चूसे जा रही थी
मैने उनके चेहरे के सामने आ गये उनके बालो को साइड मे किया मामी के गुलाबी होंठ मेरे लड पे किसी लॉक की तरह कसे हुए थे अब वो खाली बस मेरे सुपाडे को ही चूस रही थी और अपने हाथो से मेरी गोलियो को लगातार सहलाए जा रही थी मुझे वहाँ पर बेहद गुद गुदि महसूस हो रही थी मुझे अब लगने लगा था कि कही उनके मुँह मे ही मेरा वीर्य ना छूट जाए तो मैने उनको अपने लड से हटा दिया और मामी को घोड़ी बना दिया जब मैने उनको घोड़ी बनाया तो मैने गौर किया कि उनकी गान्ड का छेद दो बेहद खुल गया है शायद रोज गान्ड मरवाने के कारण तो अब मैने अपना लड एक बार फिर से चूत पर सटा दिया मामी ने अपनी गान्ड को थोड़ा सा हिलाया और अगले ही पल मेरा लड उनकी चूत मे घुस गया था और मेरी गोलिया उनके चुतडो से टकराने लगी थी मैने उनकी चूचियो को अपने हाथो मे दबा लिया
और उनको बेरहमी से दबाते हुए मामी की चूत मारने लगा मामी भी लगातार अपने कुल्हो को आगे पीछे करे जा रही थी मैं बहुत ज़ोर से उनके बोबो को भिंचे जा रहा था उनको दर्द भी हो रहा था पर उन्होने मुझे एक बार भी नही रोका वो तो बस आज जी भर कर चुदना चाहती थी बस चुदना और कुछ नही उनकी चूत से पच पुछ्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह की आवाज़ आने लगी थी उनकी चूत से बहता पानी लड को लगातार भिगोएे जा रहा था तो अब मैं उनको चोद्ते चोद्ते उनकी पीठ को भी चूमने लगा था मामी के हर एक अंग से मस्ती जैसे फूटने लगी थी मैं अपने दाँत भींचे चूत को चोदे जा रहा था तभी मुझे पता नही क्या सूझा मैने लड को निकाला और उनके चुतडो को थामते हुए उनकी चूत को पीछे से ही चूमने लगा
मामी का तो पूरा बदन ही कांप गया मैं उनके दाने को कुरेदे जा रहा था मामी बहुत ही ज़्यादा मस्ता गयी थी वो लरजती हुई आवाज़ मे बोली आआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआ आईईईीीइसस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स मात्त्तटटटटटटटटटटटटटटटटटटटटटटटटटटटटटटटटटटटटटटटटटटटटटटटटटटटटटटतत्त कार्रर्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्रूऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊ आब्ब्ब्ब्ब्ब्ब्ब्ब्ब्ब्ब्ब्ब्ब्ब्बबभहिईीईईईईईईईई
कार्रर्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्रूऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊ आब्ब्ब्ब्ब्ब्ब्ब्ब्ब्ब्ब्ब्ब्ब्ब्बबभहिईीईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईई मुझीईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईई ब्ब्ब्ब्ब्ब्ब्ब्ब्ब्ब्ब्ब्ब्ब्ब्ब्ब्ब्ब्ब्ब्ब्ब्ब्ब्ब्ब्ब्ब्ब्ब्ब्ब्ब्ब्ब्ब्ब्ब्ब्ब्ब्ब्ब्ब्ब्ब्ब्ब्ब्ब्ब्ब्बबब ब्ब्ब्ब्ब्ब्ब्ब्ब्ब्ब्बबबुउुउउस्सुउुुुुुुुुउउस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स लाआआआआआाअंद्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्दद्ड ही ईईईईईईईईईईईईईईईई चाहियीईईइईईईईईईईईईईईईईईईई तो मैं हटा और
लड को दुबारा घुसा कर उनकी ढलती हुई जवानी को लूटने लगा मैने कोई 25-30 धक्के और मारे थे कि मामी एक बार फिर ढह गयी और औधी पड़ गयी मामी झड चूँकि थी और उनकी हिम्मत अब जवाब दे गयी थी वैसे तो मैं भी बेहद ही करीब था तो मैं उनपर लगा ही रहा और तेज तेज धक्के मारने लगा जब मुझे लगा कि अब बस काम होने ही वाला है तो मैने अपने लड को बाहर निकाला और मामी के मुँह मे दे दिया वीर्य की धार उनके गले से टकराई और फिर लगातार टकराती ही गयी मामी ने मेरा सारा वीर्य पी लिया फिर उन्होने मेरी बनियान से अपने मुँह को सॉफ किया और मेरी बाहों मे आकर लेट गयी और हाँफती हुई बोली कि बस अब मेरी ओर हिम्मत नही है एक बार और चुदि तो फिर सुबह उठ नही पाउन्गि तो मैने कहा कोई बात नही आप आराम कर लो तो मामी और मैं एक दूसरे से चिपक कर ही सो गये
सुबह 5 बजे ही मामी ने मुझे जगा दिया मैं नंगा ही खाट पर पड़ा था मैने झट से अपने कपड़े पहने तो मामी बोली तुम फ्रेश हो जाओ मैं चाइ बना देती हू फिर तुम सबके लिए चाइ लेकर बड़ी मामी के घर चले जाना मैं घर का सारा काम निपटाने के बाद आ जाउन्गि तो मैं फ्रेश वगेरह हुआ और चाइ का थर्मस ले कर बड़े मामा के घर आ गया चाइ पीते पीते मैने जेब से मोबाइल निकाला तो मिता के कई मिस कॉल आए पड़े थे फोन वाइब्रेशन मोड पे था तो पता ही नही चला तो मैने सोचा कि बाद मे तस्सली से बात करलुगा उस से फिर मैं बाल्टी भरने के लिए नलके पर गया तो सुबह सुबह ही मेरी मुलाकात लिली से हो गयी मुझे बड़ी कॅटिली छुरी लगी वो पर भाई की सेट्टिंग थी तो कुछ कर भी नही सकता था तो दिल को मसोस कर अपनी बाल्टी भरी और वापिस आ गया
नहा –धोकर रोटी खा ही रहा था कि चाचा का फोन आ गया वो बोले कि तेरी ताई जी का ऑपरेशन एक दम ठीक हो गया है पर अभी कुछ दिन हॉस्पिटल मे ही रहना पड़ेगा और तुम्हारी मम्मी भी थोड़ी गमगीन है और पीहर मे ही है तो और अनिता बहू तो हॉस्पिटल मे ही है फिर साख्सी को भी संभालना है अब जीजी अकेली क्या क्या संभालेगी तो तू एक काम कर आज के आज तू तेरी चाची को लेने चला जा मैने फोन कर दिया है वो तैयार होंगी तो मैने कहा ठीक है जैसी आपकी आग्या और फोन काट दिया मैने अपना सामान पॅक किया मम्मी को सारी बात बताई और चल पड़ा अशोक भाई ने मुझे सहर तक छोड़ दिया था शाम तक मैं धक्के खाते हुए चाची के गाँव पहुच गया सभी ने मेरा बहुत ही आदर-सत्कार किया
चाची तो मुझे देख कर बहुत ही ज़्यादा खुश थी अगली सुबह मैं उनको लेकर चल पड़ा लंबा सफ़र और वो भी बस का मेरी तो पूरी कमर ही जैसे टूट गयी हो जैसे तैसे गाँव पहुचे मैं तो इतना ज़्यादा थक चुका था कि पड़ ते ही सो गया फिर सुबह ही होश आया मैं नीचे आया और चाची से पूछा कि बुआ कहाँ है तो उन्होने कहा कि वो तो तेरे चाचा के साथ हॉस्पिटल चली गयी है वो क्या है ना अनिता रात भर वही पर रुकी थी तो वो अब घर आ जाएगी और बुआ वहाँ रुक जाएगी तो चाची ने नाश्ता लगा दिया पर मैं तो बस उससे ही बाते करना चाहता था तो मैने उनको अपनी गोद मे बिठा लिया और बोला चाची कितने दिनो बाद मैं छुट्टी आया और आप गाँव चली गयी तो वो बोली कि अरे मुझे पता होता कि तुम आने वाले हो तो मैं जाती ही नही
फिर मैने उनको किस किया तो वो बोली चल अभी शरारत मत कर मुझे घर का काम करना है और वो रसोई मे चली गयी मैं नहाने चला गया कोई दस बजे अनिता भाभी भी आ गई तो मैने साख़्शी को ले लिया और भाभी का खाने लगी तभी मैने देखा कि जब मैं साक्षी को खिला रहा था तब मैने चाची की आँखो मे नमी देखी फिर अनिता भाभी बोली मैं कुछ देर सोउंगी और साक्षी को लेकर अपने घर चली गयी मैं टीवी देख ही रहा था कि चाची बोली तू यही बैठ मैं अभी आई जब वो वापिस आई तो उनके हाथ मे कुछ चिट्ठिया थी पुरानी सी उन्होने कहा कि ले तेरी अमानत तेरी मम्मी से नज़र बचाकर मैने डाकिये से ले ली थी मैने उन लेटर्स को देखा तो सेनडर वाली जगह पर वो नाम लिखा था जिसे मैं डर डर ढूँढ रहा था
वो लेटर्स निशा के थे ठीक कोई 1 साल पुरानी थी मुझे तो विश्वास ही नही हुआ मैने चाची को अपनी बाहों मे ले लिया और बोला चाची आपने मुझ पर बहुत बड़ा एहसान किया है आपका उपकार मैं कभी नही भूल सकता हू तो वो बोली कि निशा की कई चिट्ठिया आई थी पर तुम्हारी मम्मी ने ज़्यादतर को जला दिया बस ये कुछ ही मैं बचा पाई हू तुम पढ़ लो मैने खोल के देखा नही है इनको मैं आती हू कुछ देर मे मैने तुरंत ही उनको खोला और पढ़ने लगा उसने लिखा था कि जब वो पहली बार मुंबई आई थी तो उसका सूटकेस स्टेशन पर ही चोरी हो गया था तो वो थोड़ी टेन्स हो गयी थी फिर कुछ दिन उसे जाय्न करने और घर का जुगाड़ करने मे लग गये उसने मुझे कॉंटॅक्ट करने की कोशिश की थी पर एक दिन उसका मोबाइल रिसेट हो गया
और सभी कॉंटॅक्ट्स के नंबर डेलीट हो गये तो वो फिर कोई संपर्क ना कर पाई हर पल उसे मेरी याद आती है मुंबई मे वो खुद को बहुत ही तन्हा महसूस करती है मैने उसकी सारी चिट्ठिया पढ़ी ना जाने कब मेरी आँखो से आँसू बहने लगे झार झार आँसू बहते ही रहे एक चिट्ठी मे उसने अपना अड्रेस भी लिखा था पर मेरी छुट्टिया तो बस 10 दिन की ही बची थी फिर मुझे मिता से भी मिलने जाना था मैं बुरी तरह से फस गया था हालात के आगे मजबूर सा हो गया था मेरा दिल मचल रहा था पर मैं अभी मुंबई भी नही जा सकता था की तभी चाची आ गयी और मुझे रोता देख कर चकित हो गयी
मैने अपना मुँह उनके आँचल मे छुपा लिया और रोते हुए बोला चाची आपने पहले मुझे इन चिट्ठियो के बारे मे क्यू नही बताया पर वो क्या कहती निशा के इन लेटर्स ने मेरे दिल मे इक तूफान खड़ा कर दिया था जो अब आसानी से नही थमने वाला था बहुत देर तक मैं चाची की गोदी मे ही सुबक्ता रहा मेरा दिमाग़ बहुत ही ज़्यादा खराब हो गया था ये साला दिल भी ना बड़ा ही कमीना होता है
फिर शाम को मैं अनिता भाभी को हॉस्पिटल छोड़ने गया और वापसी मे बुआ को साथ ले आया अब एक हार्डकोर चुदाई ही मुझे आराम दे सकती थी तो मैने रास्ते मे ही बुआ को बता दिया था कि रात को चाचा तो चाची को चोदेन्गे ही तो मैं आपके कमरे मे आ जाउन्गा और फिर हम भी कुछ तूफ़ानी करेंगे तो बुआ बोली देख ले कही कुछ गड़बड़ ना हो जाए तो मैने कहा तुम सब कुछ मुझ पर छोड़ दो और बस चुदने की तैयारी करो तो बुआ बोली बेशरम सीधे सीधे ही बोलता है बाहर तो थोड़ी शरम कर लिया कर रास्ते मे मैने बाइक रोकी और दो किलो रसगुल्ले खरीद लिए बुआ बोली इतने का क्या करेगा तो मैने कहा आपको पता चल ही जाएगा फिर हम घर आ गये दोनो औरते रसोई मे बिजी हो गयी मैने एक बियर की बॉटल खोली और छत पर बैठ गया
और पीते पीते निशा के बारे मे सोचने लगा जब दिमाग़ ने काम करना बंद कर दिया तो मैं नीचे आया मैं ऐसे ही खाक छान रहा था तो मुझे अपना पुराना सीसी रेडियो मिल गया धूल खाए पड़ा था तो उसको सॉफ किया नये सेल डाले और उसको चला दिया गुज़रते हुए वक़्त के साथ वो भी बदल गया था चॅनेल्स तो वो ही थे पर अब अपने प्रोग्राम नही आते थे रेडियो सिटी पे अब लव गुरु का प्रसारण नही होता था फिर भी कुछ देर गाने सुनता ही रहा अपने मन को तसल्ली देने के लिए ये टाइम भी ना एक बार हाथ से निकल जाए तो फिर कभी वापिस नही आता रात को साढ़े दस बजे के लगभग पूरा घर अंधेरे मे डूबा पड़ा था चाचा चाची अपने कमरे मे मस्त थे पापा बैठक मे सो रहे थे तो मैं बुआ के कमरे मे घुस गया
वो मेरा इंतज़ार ही कर रही थी मैने झट से कुण्डी लगाई और अपनी बुआ को बाहों मे भर लिया और उनके थोड़े सूखे से होंठो को अपने होंठो से गीला करने लगा वो भी किसी प्यासी की तरह मेरा साथ देने लगी उनको किस करते करते ही मैं उनके कपड़े उतारने लगा मैने अपनी उग्लिया उनकी सलवार के नाडे मे फसाई और उसको खीच दिया सलवार सीधे उनके पैरो मे जा गिरी मेरा मुँह जैसे बुआ के मुँह से लॉक ही हो गया था तो मैं अपने हाथ नीचे ले गया और उनकी कच्छि के उपर से ही उनके चुतडो को दबाने लगा मुझे ऐसा लगा जैसे मैं फूलो को मसल रहा हू तभी बुआ ने कहा कि तू जल्दी से कर ले कही कोई आ ना जाए तो मैने कहा आप खम्खा ही चिंता कर रही हो अब मैं उनकी गर्दन पे चूमने लगा बुआ भी धीरे धीरे गरम होने लगी
मैने उनकी कच्छि के साइड से अपनी उगली अंदर डाली और चूत मे सरका दी चूत तो पहले से ही गीली हुई पड़ी थी मैं अपनी उगली चूत मे रगड़ने लगा बुआ ने भी अब मेरी पॅंट को खोल दिया और मेरे नागराज को अपने हाथ मे पकड़ लिया मैने उनके सूट और ब्रा को भी उतार दिया अब वो बस खाली कच्छि मे ही खड़ी थी तो मैने बिना देर किए उसको भी उनके जिस्म से अलग कर दिया और नंगी बुआ को देखने लगा उनकी उठी हुई चूचिया , बेहद ठोस और चिकनी जंघे और सबसे बेहतर चीज़ उनकी भूरी सी चूत जिसका मैं रसिया बन चुका था बुआ मेरे लड को अब चूत पर रगड़ने लगी थी तो मैने उनकी टाँग को थोड़ा सा उठाया और अपने लड को चूत मे घुसा दिया बुआ ने एक हल्की सी आह भरी मैने उनके चुतडो को थाम लिया
उनके होंठो को पीते हुए उनकी चूत मे लड आगे पीछे करने लगा हम खड़े खड़े ही चुदाई करने लगे थे मैं उनके निचले होंठ को बुरी तरह से काटने लगा था बुआ की मक्खन जैसी चूत मे मेरा गरम लड की छुरी की तरह घुसा पड़ा था थोड़ी देर उनको उसी पोज़िशन मे छोड़ने के बाद मैने उनके हाथ बेड की साइड पर टिकाए और उनको झुका दिया और फिर से अपने लड को सैर करवाने लगा तभी मैने अपनी उगली से उनकी गान्ड के छेद को सहलाना शुरू किया जब वो थोड़ा सा नरम हुआ तो मैने अपनी थोड़ी उगली गान्ड मे डाल दी बुआ ने अपने जिस्म को थोड़ा सा टाइट कर लिया और पीछे मुँह करके बोली ये मत करो तो मैने कहा अभी तो आपकी गान्ड मारनी तो बाकी ही है आज वहाँ भी अपना लड घुसाउन्गा ही तो बुआ बोली अरे नही मुझे दर्द होगा
तो मैने कहा आप नाटक मत करो क्या पहले कभी गान्ड मे नही लिया क्या तो वो चुप हो गयी मैं लगातार उनको चोदे जा रहा था कूलर की ठंडी हवा मे हमारी गरमा गरम चुदाई चल रही थी अब मैं अपने हाथ नीचे ले गया और उनके चुतडो को थोड़ा सा चौड़ा किया और गपा गॅप उनकी चूत मारने लगा बुआ भी लगातार अपनी गान्ड को हिलाए जा रही थी फिर कोई बीस मिनट की चुदाई के बाद हम दोनो आगे पीछे ही झाड़ गये तो मैने अपने लड को उनकी चूत से निकाल लिया उनकी चूत से मेरा गाढ़ा वीर्य अभी भी रिस रहा था तो उन्होने अपनी चुन्नी से चूत को सॉफ किया और मेरे बगल मे बैठ गयी रात के बारह बज चुके थे तो वो बोली कि चलो अब तुम भी जाकर सो जाओ और मुझे भी सोने दो तो मैनें कहा कि अभी तो गान्ड लेउगा तो
वो बोली कि अभी तुम जाओ मैं कल ज़रूर तुम्हे अपनी गान्ड दे दुगी तो मैने अपने कपड़े पहने और वापिस अपने कमरे मे आ गया पर मुझे नींद नही आ रही थी तो मैं छत की दूसरी साइड की तरफ आ गया और मैने देखा कि
एक कौने मे चाची खड़ी थी मुझे ऐसे लगा कि जैसे वो सूबक रही हो तो मैं उनके पास गया और पूछा कि क्या बात है तो उन्होने कहा कुछ नही और तुरंत ही अपने कमरे मे चली गयी मैं हैरान-परेशान वही पर खड़ा रहा वैसे भी मुझे लग ही रहा था कि चाची के स्वाभाव मे कुछ अंतर आ गया है वो पहले की तरह नही चहक्ती थी एक अलग सी उदासी उनके चेहरे पर थी जिसका कारण मुझे पता करना ही था
अगले दिन मैं पापा मामा के गाँव चले गये बुआ हॉस्पिटल तो घर पर बस मैं और चाची ही थे तो मैं उनके कमरे मे गया और बोला कि चाची आप आजकल इतने उदास क्यो रहते हो रात को भी आप रो रहे थे बात क्या है मुझे तो बताओ तो वो बोली कि बस ऐसे ही थोड़ी डिस्टर्ब थी तो मैने ज़ोर देते हुए कहा कि आप झूट मत बोलो और सच सच बताओ कि बात क्या है तो वो थोड़ी सी एमोशनल हो गयी और बोली कि जब वो साक्षी को देखती है तो उसे तकलीफ़ होती है कि मैं अभी तक माँ नही बन पाई हू मुझे भी हसरत है कि मेरी भी औलाद हो मेरा भी मन करता है कि मैं अपनी गोदी मे बच्चे खिलाऊ तो मैने कहा कि चाची हम सब आपके ही बच्चे तो है तो वो बोली हम पर एक फीलिंग होती है तो मैने कहा की चाची एक उपाय है अगर मानो तो कहूँ तो वो बोली हाँ बोलो तो मैने कहा कि आप मुझसे सेक्स करके देख लो ना क्या पता आप प्रेग्नेंट हो जाओ तो वो बोली तू तो हमेशा मुझे लपेटने की ही सोचता रहता है तो मैने उका हाथ पकड़ा और बोला कि चाची मज़ाक की बात नही है आप एक चान्स तो ले कर देखो क्या पता आपका काम हो जाए और अगर प्रेग्नेंट ना हुई तो समझ लेना कि आपने अपनी चूत मुझे गिफ्ट मे दी थी तो चाची बोली कि पर मैं तेरे चाचा से पूरी तरह सॅटिस्फाइ हू तो मैने कहा कि मैं जानता हू डार्लिंग पर यहाँ बात एक बच्चे की है क्या पता आप मुझ से प्रेग्नेंट हो जाओ