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Adultery हार तरफ चुत हि चुत (BIG & HOT STORY)
#27
मैं बस मुस्कुरा दिया और अपने कपड़े उतारने लगा जब मैने अपना कच्छा उतरा तो मेरे झान्टो को देख कर वो बोली तुम इनको भी तो सॉफ करा करो तो मैने कहा मॅम इधर टाइम ही नही मिलता है आप तो जानती ही हो तो उहोने कहा रूको मैं अभी आई और हेर रिमूवर क्रीम उठा लाई और मेरे झान्टो पर लगा ने लगी वो बोली बस थोड़ी देर की बात है ये अभी हट जाएँगे अब मैने तो कभी ये लगाई नही थी अपन तो एक रुपये वाली ब्लेड से ही काम निपटा दिया करते थे दस मिनट मे ही लड एक दम चिकना हो गया था फिर मैने उसको पानी से धो दिया ताकि बची क्रीम भी सॉफ हो जाए मॅम उसे अपने हाथो से पोंछने लगी फिर वो झुक कर बैठ गयी और अपनी चूचियो पर उसको रगड़ने लगी उका मुलायम एहसास पाकर मेरे लड मे तनाव आने लगा थोड़ी देर तक वो उसको अपने बोबो से दबाती रही फिर मैने कहा कि मॅम अगर बुरा ना माने तो एक बात कहूँ तो वो बोली यस, तो मैने कहा कि अगर आप की इजाज़त हो तो एक बार ये भी ट्राइ कर ले और उनकी गान्ड पर हाथ रख दिया तो वो ब्लश करते हुए बोली अरे ये तो मेरी भी विश थी पर मैने सोचा कि तुम्हारा यहाँ इंटेरेस्ट नही होगा वरना मैं ये काम तो पहले ही कर लेती



मैने कहा थॅंक यू मॅम तो वो बोली तुम हमेशा इतने फॉर्मल क्यो रहते हो कितनी बार कहा है कि मुझे मेरे नाम से ही बुलाया करो तो मैने कहा क्या करू प्रोटोकॉल की आदत हो गयी है ना, तो अब मैने उको उल्टा लिटाया और उनके चुतडो को फैलाते हुए उनकी गान्ड के छोटे से छेद को देखने लगा गहरे भूरे रंग का वो छेद बड़ा ही मस्त लग रहा था मैने अपनी उगली वहाँ पर रगड़नी शुरू की पर उनकी गान्ड थोड़ा टाइट सी थी तो मैने बेड के सिरहाने रखे हुए बॉडआइलोशन को उठाया और उनकी गान्ड पर ढेर सारा लगा दिया और फिर अपने लड पर भी मल लिया और उसको गान्ड के मुहाने पर रख दिया


मैं बोला डालु तो उहोने कहा हम तो मैने थोड़ा सा ज़ोर लगाया गान्ड एक दम चिकनी होने के कारण सूपड़ा झट से उसके अंदर जाकर अटक गया जैसे ही ऋतु की गान्ड चौड़ी हुई उका बदन दर्द से दोहरा हो गया आँखे जैसे बाहर को आने को हो गयी तो मैं रुका और पूछने लगा कि आपने पहले पीछे नही डलवाया है क्या तो वो बोली नही ऐसी बात नही है8-10 बार कर चुकी हू पर मेरे हब्बी का तुम्हारे जैसा मोटा नही है और फिर गान्ड तो वैसे भी टाइट हो ही जाती है तो मैने कहा अगर आपको तकलीफ़ हो रही है तो मैं बाहर निकाल लू तो उन्होने कहा अरे नही बस थोड़ा थोड़ा करके डालते रहो वो कराहते हुए बोली और मैं भी फॉजन हू पीछे नही हाटुगी उनकी गान्ड तो वैसे ही पूरी चिकनी थी तो थोड़ा सा और अंदर चला गया ऋतु गहरी साँसे लेते हुए मेरे लड को अपनी गान्ड मे लेने लगी धीरे धीरे करके मैने अपना पूरा लड उनकी गान्ड मे डाल ही दिया


मेरे अंडकोष उनकी गान्ड पे चिपक गये थे मैं उन पर लेटा पड़ा था कुछ देर बाद उहोने धीरे धीरे करने को कहा तो मैं अपनी कमर को हिलाने लगा उनकी गान्ड मे मेरा लिंग जैसे लॉक हो गया था उस पर बहुत दबाव पड़ रहा था वैसे ऋतु की गान्ड थी बड़ी ही मस्त मज़ा आ रहा था मारने मे कोई 5-7 मिनट बाद वो भी नॉर्मल हो गयी थी और मज़े से गान्ड मरवाने लगी मैने अपने हाथ उनके बोबो पे रखा और उको निचोड़ते हुए गान्ड मारने लगा मैने अपने दाँत उनके गालो पे गढ़ा दिए तो उहोने कहा प्लीज़ काटो मत कही निशान पड़ गये तो दिक्कत हो जाएगी तो मैं उनके गालो को बस चूमने लगा 20-22 मिनट तक दबा के उनकी गान्ड मारी और फिर अपना पानी अंदर ही छोड़ दिया

जब मैने अपने हथियार को ऋतु की गान्ड से बाहर निकाला तो मेरा पानी भी बाहर आ गया और थोड़ा नीचे की ओर बहने लगा मैने बेड की चादर से उसको सॉफ कर दिया और उनकी बगल मे ही लेट गया ऋतु ने अपनी गान्ड को हाथ लगाया और बोली तुमने तो पूरी तरह से सूजा दिया है लगता है गरम पानी का सेक करना पड़ेगा तो मैने कहा कुछ नही होगा थोड़ी देर मे नॉर्मल हो जाएगी वो अपना हाथ मेरे साइन पे फिराने लगी और बोली कसम से तुम्हारे साथ रहकर मैं तो एक दम बदल गयी हू पहले तो मैं अपनी इच्छाओ को कंट्रोल कर लिया करती थी पर अब बहुत ही मुश्किल हो गया है मैने लीव के लिए अप्लाइ कर दिया है और अगर सब कुछ ठीक रहा तो मैं कुछ दिन अपने पति के पास रहूंगी तो मैने कहा चलो ठीक ही है आपको भी क्वालिटी टाइम बिताने को मिलेगा फिर वो मेरे पेट पर अपना सर रख कर लेट गयी


वो कहने लगी कि आज मुझे इतना चोदो कि मेरा अंग अंग खिल जाए तो मैने कहा कि शाम तक आपका ही हू जो चाहे कर्लो तो वो थोड़ा सा घूमी और मेरे लड पर अपनी लंबी जीभ को फिराने लगी मेरे बदन मे सुरसूराहट तैर गयी मैने कहा मॅम थोड़ा गीला कर्लो इसको तो ऋतु ने थोड़ा सा थूक सुपाडे पर लगाया और उसको चाटने लगी

मैने अपनी आँखे बंद कर ली और वो मज़े से मेरे लिंग को चूसने लगी थोड़ी देर तक ऐसे ही चलता रहा अब वो मेरी तरफ पीठ किए हुए लड को चूस रही थी जिस से उनके चूतड़ मेरी तरफ थे और उनकी चूत पूरी तरह से मेरी आँखो के सामने थी तो मैं उके कुल्हो को सहलाने लगा और अपनी दो उग्लिया उनकी योनि मे सरका दी और उनको अंदर बाहर करने लगा
Hindi Sex kahaniya - Antarvasna Sex Stories - Bangla Choti Kahini
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10-05-2019, 01:35 PM, #178

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RE: Desi Porn Kahani ज़िंदगी भी अजीब होती है
ऋतु की योनि तो पहले से ही पानी छोड़ रही थी दूसरी ओर वो मज़े से मेरे लड को चूसे जा रही थी तो मैने उनके कुल्हो को थोड़ा पीछे की ओर किया अपना मूह उनके चुतडो पर लगा दिया और उनको काटने लगा मॅम हाई हाई करने लगी कुछ देर बाद मेरे होंठ उनकी चूत की फांको पे चिपक चुके थे ऋतु बहुत ही ज़्यादा गर्म हो चुकी थी मेरी नाक उनकी गान्ड मे धँस रही थी उसमे से अभी भी मेरे वीर्य की महक आ रही थी जब मेरी जीभ उनकी चूत की गर्माहट से जलने लगी तो मैने उनको अपने उपर से उतार दिया ऋतु ने मुझे अपनी नशीली आँखो से देखा तो मैने कहा आओ और अब इसकी सवारी करो तो उसने लिंग को पकड़ा और अपने छेद पर रखा और उसको अंदर लेने गई कुछ ही पॅलो मे चूत पूरे लड को खा गयी थी उन्होने मेरे सीने पर अपने हाथ रखे और उपर नीचे कूदने लगी

अब ऋतु ने अपनी उगली मेरे मूह मे डाली तो मैं उसको चूसने लगा वो पूरा दम लगाते हुए उपर नीचे हो रही थी मस्ती रोम रोम से फूटने लगी थी उसकी चूत के गीलेपान से मेरी जंघे भीगने लगी थी बहुत देर तक वो ऐसे ही अपनी गान्ड को मटकाती रही पर फिर उनकी स्पीड कम होने लगी वो थकने लगी तो मैने उनको हटने को कहा और उनको लिटा ते हुए उनकी टाँगो को अपने कंधो पर रख लिया और लगा दमदार शॉट लगाने मेरे हरर धक्के पे उनकी चूचिया बुरी तरह से हिल रही थी लड उनके पेट तक झटके मारे जा रहा था मॅम मदहोश हो गयी थी ऋतु अपने दाँतों से अपने होंठ को काटने लगी वो बोली य्स यससेसस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स एसस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स ौअर्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्ररर वेरयययययययययययययययययययययययययययययययययययययययययययययययययययययययययययययी गगगगगगगगगगगगगगगगगगगगगगगगगगगगगगगगगगगगगगूऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊओद्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्
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आआआआआआआआआआअ मत रुकना मत मैने कहा आप चिंता ना करूऊऊऊऊऊऊऊऊओ और पूरा दम लगाते हुए चूत मारने लगा ऋतु की चूत अब बहुत ही गीली हो गई थी उसमेमेरा लड बार बार फिसलने लगा था तो मैने उनकी टाँगो को अपने कंधो पर से हटा या और उनको चौड़ा करते हुए उनमे समा गया और दुबारा उनको चोदने लगा उनके हावभाव देख कर मुझे लगने लगा था कि वो बस अब जाने ही वाली है और2-3 मिनट बीते होंगे कि उनकी चूत ने उनका साथ छोड़ दिया ऋतु का शरीर एक दम कुन्द पड़ गया और वो अपने सुख को प्राप्त करते हुए एक अलग दुनिया मे ही पहुच गयी उन्होने मुझे कस कर भींच लिया पर मैं नही रुका मैं लगातार उनको चोदे जा रहा था चूँकि उनका जोश अब ठंडा पड़ गया था उनको अब परेशानी होने लगी वो बोली तुम अपने इसको बाहर निकाल लो मेरी योनि मे जलन होने लगी है तो मैने कहा बस कुछ ही मिनट की बात है तो मैं लगा रहा कुछ देर तो उन्होने बर्दास्त किया




फिर वो बार बार निकालने को कहने लगी पर मेरी मंज़िल अभी बहुत ही दूर थी तो मैने उनकी एक ना सुनी वो अपने नाख़ून मेरी पीठ मे गढ़ाने लगी पर मैं तो वासना मे पागल हो चुका था हर धक्के के साथ उकी हालत पतली होती जा रही थी उनकी शकल रौआंसी हो गयी और वो बोली प्लीज़ मुझे जाने दो मुझे बहुत ही तेज सूसू आई है तो मैने कहा यही पर कर दो वो बोली अब हट भी जाओ ना पर मैं धक्के मारता ही रहा

तो वो बोली की हट जाओ मेरा मूत निकलने ही वाला है ईईईईईई तो मैने झट से अपने लड को निकाला और अपने मूह मे चूत को भर लिया मेरे होंठ चूत पर लगे ही थे कि एक गरमा गरम धार सुर्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्ररर करती हुई मेरे मूह मे गिरने लगी मैं किसी कोल्ड ड्रिंक की तरह उके सारे मूत को पी गया फिर मैने अपना मूह हटाया ऋतु अपनी फटी आँखो से मेरी तरफ देख रही थी एक नॉटी सी स्माइल के साथ पर मेरा लड तो अभी भी खड़ा था तो मैने कहा इसका भी कुछ करो तो वो बोली आगे लेने की तो मेरी हिम्मत बची नही है तुम पीछे ही कर्लो और प्लीज़ जल्दी से फारिग हो जाना मेरा तो पुर्जा पुर्जा हिल गया है तो मैने उनको उल्टी लिटाया और अपने लड को गान्ड मे उतार दिया और गान्ड मारने लगा वो एक बार फिर दर्द भरी आहे निकालने लगी 10-12 मिनट तक फ़ुर्सत से उनकी गान्ड मारी जब मुझे लगा कि अब मैं जाने वाला हू तो मैने अपने लिंग को बाहर निकाला और उनके गौरे गौरे चुतडो पर अपना सफेद पानी छिड़कने लगा जैसे ही मेरा पानी छूटा मेरी टांगे ऐसे काँपी कि जैसे उनकी सारी शक्ति किसी ने निचोड़ लिया हो तो मैं हार कर उनके पास ही पड़ गया …

आधे पोने घंटे तक हम दोनो बेड पर ही पसरे रहे फिर वो उठी और तौलिए से अपने शरीर को सॉफ करने लगी मुझे भी पेशाब आ रहा था तो मैं बाथरूम मे चला गया और थोड़ी देर बाद आया तो देखा की ऋतु एक बार फिर बेड पर लेट गयी है तो मैने कहा क्या हुआ तो वो बोली पूरा शरीर मीठा मीठा सा दुख रहा है सोचा थोड़ी देर सो लूँ तो मैने कहा ठीक है आप सो जाओ मैं वापिस होस्टल चला जाता हू तो वो बोली एक मिनट रूको और अपनी अलमारी खोलकर एक छोटा सा पॅकेट निकाला और मुझे देते हुए बोली ये लो मैने तुम्हारे लिए कुछ लिया है तो मैने कहा क्या है ये तो उन्होने कहा कि इसे अभी मत खोलो अपने रूम मे जाकर खोलना फिर मैने उन्हे बाइ किया और बाहर आ गया मुझे भूक भी लग आई थी

पर अब तक तो मेस बंद हो गया होगा तो मैं शॉपिंग सेंटर की तरफ चल पड़ा वहाँ एक छोटा सा रेस्टोरेंट था तो वहाँ जाकर दो संडविच खाए मैं अपने रूम मे आया और उनके पॅकेट को खोल कर देखा उसमे एक टाइमेक्स की स्पोर्ट्स घड़ी थी जो बहुत ही मेह्न्गि लग रही थी मैने उनको थॅंक यू का मेसेज भेजा . दो- चार दिन यू ही गुजर गये और खडकवास्ला से विदा लेने का टाइम आ ही गया अब मंज़िल थी डिफेन्स अकॅडमी देहरादून मैं खुश था क्योंकि इसके कई मायने थे देहरादून से शिमला भी ज़्यादा दूर नही था तो चान्स तो मिता से मिलने के लिए और फिर मैं पहले भी देहरादून आ चुका था तो यादे भी थी ट्रेन बुक थी तय समय पर हम स्टेशन पर आ गये थे आर्मी की स्पेशल ट्रेन हमे ले जाने वाली थी

मैने अपना फोन निकाला और निशा का नंबर डाइयल किया पर एक बार फिर से मुझे स्विच ऑफ ही सुनाई दिया दिल मे एक कसक सी उठ गयी मैने एक ठंडी आह भरी और पेप्सी की बॉटल को अपने होंठो से लगा लिया सभी कॅडेट्स आपस मे हसी-मज़ाक करते हुए सफ़र का आनंद ले रहे थे पर मेरा मन निशा के बारे मे सोचके उदास हो गया था तो मैने अपनी डायरी निकली और उसमे रखी उसकी तस्वीरो को देखने लगा ना जाने कब मेरी आँखो से दो आँसू आकर गालो पे लुढ़क गये तो मैने डायरी को वापिस बॅग मे रखा और गेट पर आकर बैठ गया ठंडी हवा के थपेड़े मुझे जीवन की हक़ीकत समझाने लगे रात को आधी बॉटल वोड्का की टिका ली मैने और गहरी नींद मे सो गया जब मेरे साथी ने मुझे जगाया तो पता चला कि गाड़ी प्लेटफॉर्म पर लग चुकी है

तो मैं अपनी आँखे मलता हुआ उठा उसने मुझे पानी की बॉटल दी मूह धोने के लिए फिर हम दौड़ ते हुए लगेज के कोच मे गये और अपना अपना समान कॅरी किया एक संदूक और कंधे पर दो बॅग बस ये था अपना जुगाड़ मास्टर जी ने सभी कॅडेट्स की काउटिंग पूरी की फिर हम लाइन से बाहर आ गये तो पता चला कि आर्मी की गाडियो मे जाना था तो अपनी सीट पकड़ ली आधे घंटे बाद हम उस गोरवशाली गेट के सामने खड़े थे जिसके अंदर जाने का सपना तो बहुत लोग देखते है पर कामयाब बस कुछ ही होते है मैं घुटनो के बल झुका और उस गेट की मिट्टी को अपने माथे से लगा लिया और प्रणाम किया फिर एंट्री हुई फॉरमॅलिटीस को निपटा ते हुए शाम ही हो गयी थी एक सफ़र की थकान और उपर से नहाए धोए भी नही थे पर सूकर था कि अलॉटमेंट पूरी हो गयी थी

शाम को डिन्नर से पहले ब्रिगडियर साहिब के जोशीले भासन ने हमे अंदर तक हिला दिया मेरे तो कान पक गये ऐसे फालतू भासन सुन सुन कर मेरा तो दिल कर रहा था कि बस दो रोटी मिल जाए तो चिंता मिटे कोई एक हफ्ते बाद की बात है हमारी क्लास ख़तम ही हुई थी कि अरदली ने आकर सूचना दी कि तुमसे मिलने कोई आया है तो मैं विज़िटर्स रूम मे गया तो मुझे तो यकीन ही नही हुआ मेरे पापा आए थे मैं दौड़ कर उनके गले लग गया वो रुधे गले से बोले बेटा कितने दिन हो गये पिछले तीन सालो मे तुम बस एक बार ही घर पे आए हो क्या घर की याद नही आती तुम्हे तो मैने कहा कि पापा आप तो जानते ही हो कि 5 साल तक ये सब झेलना है तब कमिशन मिलेगा डिग्री तो मिल गयी अब यह टाइम काटना है बस पोस्टिंग के बाद तो थोड़ी आसानी हो जाएगी

उन्होने मुझे बॅग देते हुए कहा कि ये ले तेरे लिए कुछ समान है मैने खोल के देखा तो लड्डू , घी और भी ना जाने क्या क्या चीज़े थी फिर मैं उनको अपने रूम मे ले गया और हम बाते करने लगे उहोने कहा कि तेरी बहुत याद आती है जब भी घर के बाहर को आहट होती है सारे जने देखते है कि क्या पता तू आ गया हो मैं भी थोड़ा एमोशनल हो गया मैने कहा पापा अबकी बार जैसे ही छुट्टी मिलेगी मैं सीधा घर आउन्गा फिर मैने उनको पूरी अकॅडमी दिखाई शाम होते होते वो वापिस हो लिए मैं मजबूर था उनको रोक भी नही सकता था बस मन मसोस कर रह गया


उस रात डिन्नर नही किया गले से उतरा ही नही भावनाओ मे जो बह गया था दिन गुजरने लगे मैने अपना मोबाइल नंबर वहीं वाला रखा था रोमिंग लगती रहती थी पर एक आस थी कि क्या पता निशा का फोन आ जाए पर आता ही नही था ये तो शूकर था कि मिता हफ्ते दो हफ्ते मे याद कर लिया करती थी वरना मैं तो टूट कर बिखर ही जाता 5 महीने और ऐसे ही कट गये टर्म का राउन्ड पूरा हो गया था कॅडेट्स अब चाहे तो अब कुछ दिनो के लिए घर जा सकते थे तो ईक दिन मैने छुट्टी की अप्लिकेशन लगा ही दी मेरी तो सारी ही पेंडिंग पड़ी थी तो हफ्ते भर बाद ही मुझे 45 दिन का ऑफ मिल गया और शाम 5 बजे मैं वहाँ से निकल पड़ा ट्रेन मिली नही तो देल्ही तक बस ले ली रात का सफ़र काटना था देल्ही आया फ्रेश अप हुआ और फिर थोड़ा कुछ खाया पिया और अपने सहर की बस ढूँढने लगा तो पता चला कि धोला कुआँ से मिलेगी तो ऑटो पकड़ कर धौला कुआँ आया जैसे ही ऑटो से उतरा बस एक दम तैयार मिली अब कोई 4-5 घंटे और लगने थे तो कानो मे वॉकमॅन की लीड लगाई और सो गया बस अपनी रफ़्तार से चल पड़ी जब मैं पहुचा तो दोपहर के तीन बज रहे थे साथ मे सामान भी था तो मैने रिक्शा किया और पापा के ऑफीस चल पड़ा वो अपने कॅबिन मे थे जैसे ही मैने दरवाजा खोला उनके चेहरे की चमक बढ़ गयी


वो बोले आने से पहले बता देता तो मैं बस स्टॅंड आ जाता तो मैने कहा कोई बात नही पापा अब तो आदत हो गयी है और वैसे भी फोजी और कुली मे कोई ज़्यादा फरक नही होता है तो वो हँसने लगे तो मैने कहा पापा घर चले तो उहोने अपने असिस्टेंट को बुलाया और कुछ समझाया और फिर हम स्कूटर पर चल पड़े संदूक को जैसे तैसे अड्जस्ट कर ही लिया मैने जब हम घर पहुचे तो मैं हैरान रह गया

मेरे घर की जगह पर एक चमचमाती हुई कोठी खड़ी थी मैने कहा पापा ये क्या तो उन्होने कहा कि बेटा तू अब अफ़सर बन गया है तो तेरे स्टॅंडर्ड के हिसाब से ही घर भी होना चाहिए ना और फिर मकान पुराने भी हो गये थे तो उन सबको तुड़वा कर पिछले साल ये नयी कोठी बनवा ली तो मैने कहा पर पापा मुझे तो वो घर ही पसंद था मुझे अच्छा नही लगा अब ना घर के सामने नीम का पेड़ था जिस पर मैं बचपन मे झूले पर पींगे चढ़ाया करता था ना वो पुराना छप्पर था सब कुछ बदल दिया गया था पापा बोले क्या सोचने लगा चल अंदर चल जब उहोने घंटी बजाई तो मम्मी ने दरवाजा खोला जैसे ही उहोने मुझे गेट पर खड़े हुए देखा खींच कर दो-चार झापड़ मुझे लगा दिए और भावुक आवाज़ मे बोली मिल गयी तुझे फ़ुर्सत आ गयी माँ-बाप की याद तुझे क्या पड़ी है हम लोग जिए या मरे तुझे अब हमारी चिंता कहाँ तो मैने कहा मम्मी अंदर तो आने दो मम्मी की शिकायते चलती ही रही तो मैने उनको बताया कि अभी आप चुप हो जाओ मैं आ गया हू तो अब पूरे डेढ़ महीने यही पर रहूँगा तब जाकर उको थोड़ी से शान्ती हुई ना जाने क्यू मुझे ये नया घर अपना सा नही लगा मेरी सारी यादे तो उस पुराने वाले घर के साथ ही जैसे खो गयी थी

मेरा दम सा घुटने लगा तो मैने पूछा मेरा कमरा कौन सा है तो पता चला कि मम्मी पापा नीचे रहते है और उपर वाली मंज़िल पर चाचा और मेरा कमरा था मैने अपना संदूक उठाया और उपर चल पड़ा मैने कमरा खोला काफ़ी बड़ा कमरा था जिसके बीचो बीच एक बेड पड़ा था और साइड मे एक अलमारी थी मैने अलमारी खोली तो उसमे बस मेरे कुछ कपड़े ही रखे हुए थे बाकी कुछ नही था तो मैं नीचे आया और मम्मी से पूछा कि मेरा पुरानी अलमारी मे जो सामान रखा था वो कहाँ पर है तो मम्मी बोली कि वो सब कचरा तो उन्होने जला दिया मेरा तो दिमाग़ ही घूम गया मुझे बहुत तेज गुस्सा आया पर किसी तरह खुद को कंट्रोल करते हुए मैने कहा मम्मी आप जानती थी ना कि वो मेरे जीवन मे बहुत इंपॉर्टेंट था फिर भी आपने उसको जला दिया तो वो बोली उनको अपने घर मे कचरा पसंद नही है तो मैने एक फीकी मुस्कान के साथ कहा हाँ मम्मी मैं तो भूल ही गया था कि ये आपका घर है और मैं उसी समय वहाँ से निकल गया मैं तो बड़ा ही खुश हो कर चला था कि इतने दिनो बाद गाँव जाउन्गा पर सारी खुशी पल भर मे ही काफूर हो गयी थी मैं पैदल ही गाँव के बाहर की ओर चल पड़ा एक बात मैने गौर की कि अब ये मेरा वो गाँव नही रह गया था

सब कुछ इन चार सालो मे बदल गया था रास्ते मे कुछ लोगो ने पहचाना और कुछ ने नही गाँव के बस अड्डे का तो नक्शा ही बदल गया था वो सादगी ना जाने कहा छुप गयी थी मुझे वो पानी की टंकी नही दिखी जहाँ पर अक्सर मैं अपने मूह को धोया करता था हम एक साइड मे वाटरकूलर ज़रूर लगा हुआ था तो मैं मंदिर की तरफ चला गया तालाब की सीढ़ियो पर जाके बैठा तो अनचाहे ही कुछ यादो ने घेर लिया मैने अपने जूते खोले और अपने पैरो को ठंडे पानी मे डाल दिया पता नही कब मेरी आँख भर आई बहुत देर तक मैं वही पर बैठा रहा जब कुछ होश आया तो घड़ी शाम के सात बजा रही थी कि मुझे निशा का ख़याल आया तो मैं उसके घर की तरफ मूड गया पर उसके घर पे ताला लगा था धूल जमी पड़ी थी जैसे कयि दिनो से वहाँ कोई आया नही हो तो मैं पड़ोस के घर मे गया और एक औरत से पूछा कि यहाँ पर निशा रहती थी तो वो मुझे अंदर ले गयी और बिठाया और बताया कि वो निशा की चाची है वो कहने लगी कि उसकी बॅंक मे नौकरी लग गयी तो वो बस एक दिन ही आई थी और अगले दिन ही अपनी माँ को लेकर चली गयी डेढ़ साल हो गया है पर उसने ना कोई फोन किया ना कोई संदेशा आया हम तो खुद ही बड़े परेशान है गाँव मे लोग कहते है कि वो भाग गयी मैने कहा ऐसा नही हो सकता

तो वो बोली बेटा उपर वाला ही जाने फिर मैं उके घर से वापिस हो लिया मेरा मूड और भी ऑफ हो गया था एक तो घर आते ही और उपर से निशा का भी पता नही मिला मैं जंगल की तरफ जाने वाली पुलिया पर बैठ गया और विचार करने लगा रात घिर चुकी थी अंधेरा फैल गया था टाइम 9 से उपर हो रहा था कि तभी चाचा मुझे ढूँढते हुए उसी तरफ आ गाए जब उहोने मुझे पुलिया पर बैठे तो उनकी सांस मे सांस आई वो बोले अरे मैं कब से तुझे ढूँढ रहा हू और तू यहाँ पर बैठा है घर नही आना क्या तो मैने कहा कि कौन सा घर चाचा वो मेरा घर नही है वो तो मम्मी का घर है तो चाचा बोले की और मम्मी किस की है तो मैं कुछ नही बोला वो बोले बेटा अगर घर वाले कुछ कह भी दे तो ऐसे नाराज़ नही होते है सब कुछ तेरा ही तो है


चल अभी आजा तो मैं चुपचाप स्कूटर पे बैठ गया और वो थोड़ी देर बाद हम घर आ गये मैं सोफे पर बैठ गया पापा आए और बोले बेटे क्या बात है तो मैने कहा पापा मम्मी ने मेरा पुराना सामान जला दिया बस वो ही तो था मेरे पास मेरी यादे थी उसमे सभी पुराने दोस्तो की तस्वीरे थी मैं जैसे रोने को आ गया तो उन्होने कहा कि बेटा देख अब जो हो गया वो वापिस तो नही हो सकता पर मैं वादा करता हू आगे से तेरी मर्ज़ी के बिना तेरे किसी भी सामान को कोई घर वाला नही छुए गा चल अभी आजा खाना खाते है देख सब कुछ तेरी ही पसंद का बनाया है मेरा मूड नही था पर मैने उनको मना नही किया खाना खाते खाते मैने पूछा कि चाची दिखाई नही दे रही है तो पता चला कि वो अपने मायके गयी हुई है और कुछ दिनो मे लौट आएँगी खाने के बाद मैं अपने कमरे मे गया और अपनी डायरी मे आज की घटनाओ को उतारने लगा

अगले दिन मैं जल्दी ही उठ गया मैं पापा के पास गया और कहा कि अगर आप कहे तो मैं एक बाइक खरीद लू तो उहोने कहा कि बोल कितने पैसे चाहिए तो मैने कहा कि पापा अभी पैसो की चिंता नही है तो वो बोले ठीक है खरीद लियो तो मैं बोला मैं तैयार हो जाता हू आप मुझे बॅंक ड्रॉप करते हुए चले जाना वो बोले ठीक है कोई दस बजे मैं बॅंक मे था पर अभी थोड़ा टाइम था तो मैं वही पास के स्टेशनरी स्टोर पर चला गया और कुछ पैंटिंग के पेपर और रंग खरीद लिए फिर मैने पैसे निकलवाए और बाइक के लिए चल पड़ा कोई दो तीन मॉडेल ट्राइ किए पर अपना दिल तो बुलेट पर ही आया सभी फॉरमॅलिटीस पूरी करते करते दुपहर के दो बज गये थे तो मैं एक रेस्टोरेंट चला गया वही लंच किया फिर मैं कॅंटीन गया कुछ ग्रोसरी का समान लिया

और रास्ते मे दारू के ठेके पे दो कॅन बियर भी ले ली और फिर गाँव का रास्ता पकड़ लिया समान को रखा बियर फ्रिड्ज मे पटकी और अपने कमरे मे आ गया थोड़ी थकान सी हो गयी थी तो मैं कुछ देर सो गया शाम को 6 बजे मैं उठा और नीचे आया तो देखा कि अनिता भाभी आई हुई थी उनकी गोदी मे एक बच्चा था तो मैने कहा भाभी ये कौन है तो उहोने कहा कि ये तुम्हारी भतीजी है मुझे तो यकीन ही नही हुआ मैने कहा भाभी इतनी बड़ी बात आपने मुझसे शेअर नही की तो उन्होने कहा अब तुम तो कभी फोन करते नही हो और घर से कोई करता है तो तुम पिक नही करते हो तो तुम्हे कौन बता ता मैने झट से उस गुड़िया को अपने हाथो मे लिया

और पूछा इसका नाम क्या है भाभी को उन्होने कहा साक्षी , अपनी अगली पीढ़ी को देखते ही मेरे अंदर की सारी उदासी गायब हो गयी मैं बहुत ही खुश था मैने भाभी को थॅंक यू कहा तो वो बोली किसलिए तो मैने कहा हमे इतनी प्यारी गुड़िया देने के लिए तो भाभी शरमा गयी कि तभी रवि भी आ गया तो मैने कहा भाई आज तो पार्टी होगी तभी पापा आ गये वो बोले कि किस बात की पार्टी हो रही है तो मैने कहा कि पापा साक्षी के जनम के समय तो मैं यहाँ पर नही था तो ऐसे ही कुछ सेलेब्रेशन कर ना चाहते है तो उहोने कहा दो दिन बाद तुम्हारी बुआ और फूफा भी आ रहे है तभी कुछ करते है रात को मैं और चाचा चटाई बिछा कर छत पर पड़े थे तो वो बोले फ्रिड्ज मे बियर तूने रखी है ना तो मैने कहा हम वो बोले तू कब से …


……………………… तो मैने कहा क्या चाचू आप भी ना अभी आर्मी मे है तो चल जाती है फिर मैने पूछा कि चाची कब आएगी तो वो बोले यार ऑफीस मे काम ज़्यादा है तो टाइम नही मिल रहा है उधर जाने का एक काम कर तू ले आ उसको घूम भी आइयो और तेरी चाची को भी ले आइयो मैने कहा मैं देखूँगा बाते करते करते हम दोनो सो गये अगले दिन जब मेरी आँख खुली तो सूरज सर पर चढ़ आया था मैं जम्हाई लेते हुए उठा तो मेरी नज़र शीला के घर पर गयी थोड़ी देर बाद मैं फ्रेश होकर आया तो देखा कि घर पर कोई नही था मैं बाहर निकला और शीला के घर पे आ गया मुझे देख कर वो खुश हो गयी मैने उसको पकड़ लिया और बोला भाभी बहुत दिन हो गये है आज मेरा काम करना पड़ेगा तुमको तो वो बोली अभी उसको ज़रूरी काम है

तो मैने कहा कि क्या भाभी मैं इतने दिनो बाद आया हू और आप बहाने बना रही हो लगता है अब आप को मैं अच्छा नही लगता तो वो बोली जी ऐसे बात नही है चलो पहले आपको ही खुश कर देती हू काम तो बाद मे भी कर लुगी तुम अंदर चलो मैं गेट बंद कर के आती हू

आते ही मैने शीला को दबोच लिया और उसकी चूचियो को बहुत ज़ोर से दबा दिया तो वो दर्द से कराहती हुई बोली आआआआआआआआआआआआआआआआआअ तो मैने कहा वो क्या है ना भाभी कई दिनो मे आज किसी औरत के नज़दीक आने का मौका मिला है तो थोड़ा जोश चढ़ रहा है वो बोली अभी आपका जोश ठंडा करती हू और मेरे पयज़ामे को नीचे सरकाते हुए मेरे लड को पकड़ दिया और उसको मसलते हुए बोली कि अरे ये तो बहुत ही ख़ूँख़ार हो गया

है आज तो मेरी जान निकालेगा ये तो मैने बिना देर करते हुए भाभी के साँवले होंठो को अपने होंठो से मिला लिया और उनको चूमने लगा भाभी के होंठो की गर्माहट मेरे मूह मे घुलने लगी बहुत देर तक उनको बस चूमता ही रहा उनकी संतरे जैसी चूचिया उपर नीचे होने लगी थी मैने उनके ब्लाउस को खोल दिया अंदर ब्रा नही थी तो उनकी काली काली चूचिया तुरंत ही मेरे हाथो मे समा गयी मैं उनकी घुंदियो पे अपनी उग्लिया फिराने लगा शीला लगातार मेरी मुट्ठी मारे जा रही थी मेरा लड अब एक दहक्ता हुआ शोला बन चुका था जिसको अब बस चूत के रस की धार ही ठंडा कर सकती थी मैने भाभी के घाघरे को खीच कर हटा दिया अब बस एक कच्छि ही थी उनकी अमानत को अपने मे समेटे हुए तो मैने उनको लिटाया

और उस पर किसी शिकारी कुत्ते की तरह टूट पड़ा कुछ देर उसकी चूचियो को निचोड़ने के बाद मैने उसकी कच्छि मे हाथ डाला और उसको नंगी कर दिया गहरे काले रंग की चूत फड़फदा रही थी मैने फ़ौरन ही अपने तड़प्ते हुए लौडे को चूत के मूह पर लगा या आ और अगले ही पल वो शीला की चूत मे समा गया था शीला ने एक आह भरी और मुझसे लिपट गयी एक बार फिर से मैं उसकी होंठो को खाने लगा दो मिनट मे ही मेरा लड चूत मे अड्जस्ट हो गया था और हमारी चुदाई शुरू हो गयी शीला की बेहद कसी हुई चूत मे अपना लड डाल कर मुझे बहुत ही मज़ा आ रहा था शीला बोली आप जब नही थे तो आपके इस मज़े की बहुत ही याद आती थी मैं तो रोज ही आप की आने की राह देखती थी मैं लरजते हुए स्वर मे बोला भाभी अभी तो मैं आ गया हू

अभी पूरे डेढ़ महीने तक आपको ढंग से चोदुगा वो बोली हाअ मेरे देवेर जीिइईईईईईईईईईईई आईसस्स्स्स्स्स्स्स्स्सीईईईईईईईईईईईईई हीईीईईईईईईईईईईई आअपका लड इसस्स्स्स्स्स्स्सस्स चूऊऊऊऊऊऊऊऊऊथततटटटटटटतत्त मे रहना चाहिए और शीला भी नीचे से अपनी गान्ड उठा उठा कर चुदने लगी हम दोनो के शरीर दो जिस्म एक जान हो गये थे मैं पूरी रफ़्तार से शीला की चूत मारे जा रहा था शीला ने अपने दाँत मेरे कंधो मे गढ़ा दिए और जोश से वहाँ पर काटने लगी मैं बोला भाभी धीरे फिर अगले दस पंद्रह मिनट तक कुछ आवाज़ नही हुई बस हमारी चुदाई की ही हल्की हल्की आवाज़े आती रही पूरे आधे घंटे तक शीला की चूत मारने के बाद मैने अपना पानी उसकी चूत मे ही गिरा दिया और ढह गया

अपना काम हो जाने के बाद मैने अपना पयज़ामा पहना और उसकी दो- तीन पप्पी ली और घर आ गया मैं अपने कमरे मे गया और मोबाइल को देखा तो मिता के 22 मिसकाल थे मैने उसको फोन मिलाया तो पता चला कि अगले सनडे को वो आ रही है तो मैने कह दिया कि मैं उसको स्टेशन पर ही मिलुगा फिर थोड़ी बहुत बातचीत के बाद मैने फोन काट दिया चलो ये भी अच्छा ही था मिता के सहारे छुट्टिया काट जाएँगी मैं बेड पर लेट गया और आराम करने लगा अभी तक मैं गीता से भी नही मिल पाया था तो मैं प्लॅनिंग करने लगा मैने सोचा कि आज शाम को उधर भी राउन्ड मार ही दूँगा मैं सोच ही रहा था कि तभी ऋतु मॅम का फोन आ गया उहोने बताया कि उनकी पोस्टिंग रुड़की मे हो गयी है तो मैने कहा कि ठीक है मॅम अब आप भी पास आ गये हो तो मिलना भी हो जाएगा मैने उनको बताया कि अभी तो मैं गाँव आया हू पर लास्ट के एक दो दिन उनके साथ ही बिताउन्गा तो वो बोली पक्का आना कही भूल मत जाना बात थोड़ी लंबी चली शाम को चार बजे के आस पास मैने बाइक ली और गीता के घर की तरफ चल पड़ा पर उसके घर पर ताला लगा था थोड़ी देर इंतज़ार किया पर वो नही आई तो मैं वापिस घर आ गया थोड़ी देर साक्षी के साथ खेलता रहा

रात को छत पर मैं रवि और चाचा इकट्ठे थे मैने चाचा को पटा लिया था बॉटल खुल चुकी थी पूरी मस्ती चल रही थी अपनो के साथ रहने का मज़ा ही कुछ और होता है फिर टन होकर हम वही पर गिर पड़े पता नही क्यो आज कल मैं देर से ही उठने लगा था मैं नहा कर आया ही था कि अनिता भाभी आ गयी वो बोली चाची जी तो खेत मे गयी है चलो मैं तुम्हारे लिए कुछ बना दूं बताओ क्या खाओगे तो मैने पूछा तुम इतनी देर यहाँ रहोगी तो ताइजी शक नही करेंगी तो वो बोली रवि यहाँ रहते है तो मुझे थोड़ी आज़ादी है तुम उनकी चिंता मत करो


मैने कहा भाभी मैं तो तुमको ही खाउन्गा और उनका हाथ पकड़ लिया और कहा कि भाभी आज मौका भी है चलो कुछ करते है तो वो बोली अब तुम मानोगे तो नही और फिर तुम्हारी इच्छा तो पूरी करनी ही पड़ेगी तो मैने उनको सोफे पर पटक दिया और उनकी सलवार का नाडा खोलते हुए उसको एक झटके मे ही उतार दिया भाभी की गौरी गौरी टाँगो की चमक देख कर मेरी आँखे चौंधिया गयी मैं उनकी टाँगो को सहलाते हुए बोला भाभी आप तो और भी ज़्यादा निखर गयी हो तो वो बोली अब बच्ची होने के बाद पहले वाली ताज़गी नही रही तो मैने कहा भाभी आप तो हमेशा एक खिला हुआ फूल हो
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RE: हार तरफ चुत हि चुत (BIG & HOT STORY) - by Pagol premi - 05-12-2020, 09:58 PM



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