19-03-2019, 10:31 PM
सास , हॉट सास
सास दामाद संवाद
मम्मी ने किर मेरी ओर देखते हुए समझाया-
“तू भी न, मादरचोद को, मादरचोद बोलने में र्हचक रही थी। मेरे दामाद को कोई हिचक नहीं , तो तुम क्यों झिझक रही थी। कल से तुम सबके सामने इसे मादरचोद बुलाओ, देखना ये जवाब देगा। अरे जब मादरचोद होने में शर्म नहीं तो मादरचोद कहलाने में क्या शर्म , क्यों बेटा…”
वो बिचारे क्या बोलते उनके मुूँह में तो मम्मी की 38डीडी साइज की चूची भरी थी।
मम्मी ने मुझे समझाना जारी रखा-
“देख मेरी समधन ने न जाने कहाूँ-कहाूँ घूम-घूम के चुदवा के पहले तो गाभन हुई होंगी, किर 9 महीने पेट में रखा होगा, बचपन में सबसे पहले इसकी नूनी पकड़ के सु-सु करना सखाया होगा। नूनी का चमड़ा खोल के कड़वा तेल लगाती होंगी, तभी तो इतना मस्त मोटा… फिर उनका भी कुछ हक़ है की नहीं इसके मोटे डण्डे पे। क्यों बेटा?"
बिना मम्मी की चूची पर से मुंह हटाये सर हिला के उन्होंने हामी भरी।
“तुम सही करते हो जो मेरी बांकी समधन को चोदते हो, वरना इधर उधर…”
मम्मी ने अपनी चूची पर से उनका मुूँह हटाते हुए कहा।
हम तीनों मुश्कुरा रहे थे। अब मम्मी ने उनके होंठ अपने दूसरे उरोज पे रखे-
“अरे इसको भी तो चूस जरा। इसका भी मजा ले…”
जोबन का मजा लेने में तो उनका कोई मुकाबला नहीीं था और ये मुझसे अच्छा कौन जानता था।
और वो जोर-जोर से मम्मी की चूची चूसने लगे।
मम्मी का एक हाथ उनके सर पे था और दूसरा शार्ट के ऊपर से ‘उसे’ दबा, सहला रहा था।
उनकी जीभ कभी पूरे उरोजों को चाटती, तो कभी नपल के चारों ओर घूमती, कभी नपल को वो मुूँह में लेकर जोर-जोर से चूसते, चुभलाते। और रह रह के काट लेते।
मम्मी-
"क्यों, समधन का भोंसड़ा कभी चूसा है? कैसा है?"
उन्होंने मम्मी के निपल चूसते हुए हामी में सर हिलाया पर मैं उन्हें इतनी आसानी से थोड़े ही छोड़ने वाली थी।
मैं बोली- बोलो न, मम्मी कुछ पूछ रही हैं?
सर हटा के वो बोले- “हाूँ…”
“अरे पूरा बोलो न, मम्मी से क्या शरमाना …”
मैं भी छेड़ रही थी।
“हाँ चूसा है, बहुत रसीला है…”
बोल के किर से वो अपने काम में जुट गए।
मम्मी मस्ती से सिसकारी भर रही थी। मम्मी इतनी जल्दी उन्हें नहीीं छोड़ने वाली थीीं, उन्होंने अगला सवाल पूछा-
“और मेरी समधन ने अपना भोंसड़ा चुसवाया या मुन्ने को गाण्ड भी चटवाई…”
मम्मी की छेड़छाड़ में उन्हें भी मजा आ रहा था, वो बोले-
“गाण्ड भी चटवाई…”
“अब मान गए तुम नम्बरी पैदायशी खानदानी मादरचोद हो…”
मम्मी ख़ुशी से बोलीीं और मुझे देखकर कहा-
“मैं कह रह थी न तुमसे तेरा ‘ये’ मादरचोद ही नहीं है बल्कि नम्बरी, पक्का मादरचोद है, हरामी का जना…”
मम्मी की गालियां और रसीली बातें सुनकर उनका चेहरा मस्ती से दमक रहा था और तम्बू में बम्बू एकदम तना था।
साथ में मम्मी खुल के के ऊपर से अपनी उँगलियों से उसे दबोच रही थीीं, सहला रही थीीं।
“और तेरी बुआ का जोबन भी तो बहुत गद्दर है, मजा आया था उनकी लेने में…”
मम्मी ने उनके निपल को जोर से स्क्रैच करते पूछा।
सास दामाद संवाद
मम्मी ने किर मेरी ओर देखते हुए समझाया-
“तू भी न, मादरचोद को, मादरचोद बोलने में र्हचक रही थी। मेरे दामाद को कोई हिचक नहीं , तो तुम क्यों झिझक रही थी। कल से तुम सबके सामने इसे मादरचोद बुलाओ, देखना ये जवाब देगा। अरे जब मादरचोद होने में शर्म नहीं तो मादरचोद कहलाने में क्या शर्म , क्यों बेटा…”
वो बिचारे क्या बोलते उनके मुूँह में तो मम्मी की 38डीडी साइज की चूची भरी थी।
मम्मी ने मुझे समझाना जारी रखा-
“देख मेरी समधन ने न जाने कहाूँ-कहाूँ घूम-घूम के चुदवा के पहले तो गाभन हुई होंगी, किर 9 महीने पेट में रखा होगा, बचपन में सबसे पहले इसकी नूनी पकड़ के सु-सु करना सखाया होगा। नूनी का चमड़ा खोल के कड़वा तेल लगाती होंगी, तभी तो इतना मस्त मोटा… फिर उनका भी कुछ हक़ है की नहीं इसके मोटे डण्डे पे। क्यों बेटा?"
बिना मम्मी की चूची पर से मुंह हटाये सर हिला के उन्होंने हामी भरी।
“तुम सही करते हो जो मेरी बांकी समधन को चोदते हो, वरना इधर उधर…”
मम्मी ने अपनी चूची पर से उनका मुूँह हटाते हुए कहा।
हम तीनों मुश्कुरा रहे थे। अब मम्मी ने उनके होंठ अपने दूसरे उरोज पे रखे-
“अरे इसको भी तो चूस जरा। इसका भी मजा ले…”
जोबन का मजा लेने में तो उनका कोई मुकाबला नहीीं था और ये मुझसे अच्छा कौन जानता था।
और वो जोर-जोर से मम्मी की चूची चूसने लगे।
मम्मी का एक हाथ उनके सर पे था और दूसरा शार्ट के ऊपर से ‘उसे’ दबा, सहला रहा था।
उनकी जीभ कभी पूरे उरोजों को चाटती, तो कभी नपल के चारों ओर घूमती, कभी नपल को वो मुूँह में लेकर जोर-जोर से चूसते, चुभलाते। और रह रह के काट लेते।
मम्मी-
"क्यों, समधन का भोंसड़ा कभी चूसा है? कैसा है?"
उन्होंने मम्मी के निपल चूसते हुए हामी में सर हिलाया पर मैं उन्हें इतनी आसानी से थोड़े ही छोड़ने वाली थी।
मैं बोली- बोलो न, मम्मी कुछ पूछ रही हैं?
सर हटा के वो बोले- “हाूँ…”
“अरे पूरा बोलो न, मम्मी से क्या शरमाना …”
मैं भी छेड़ रही थी।
“हाँ चूसा है, बहुत रसीला है…”
बोल के किर से वो अपने काम में जुट गए।
मम्मी मस्ती से सिसकारी भर रही थी। मम्मी इतनी जल्दी उन्हें नहीीं छोड़ने वाली थीीं, उन्होंने अगला सवाल पूछा-
“और मेरी समधन ने अपना भोंसड़ा चुसवाया या मुन्ने को गाण्ड भी चटवाई…”
मम्मी की छेड़छाड़ में उन्हें भी मजा आ रहा था, वो बोले-
“गाण्ड भी चटवाई…”
“अब मान गए तुम नम्बरी पैदायशी खानदानी मादरचोद हो…”
मम्मी ख़ुशी से बोलीीं और मुझे देखकर कहा-
“मैं कह रह थी न तुमसे तेरा ‘ये’ मादरचोद ही नहीं है बल्कि नम्बरी, पक्का मादरचोद है, हरामी का जना…”
मम्मी की गालियां और रसीली बातें सुनकर उनका चेहरा मस्ती से दमक रहा था और तम्बू में बम्बू एकदम तना था।
साथ में मम्मी खुल के के ऊपर से अपनी उँगलियों से उसे दबोच रही थीीं, सहला रही थीीं।
“और तेरी बुआ का जोबन भी तो बहुत गद्दर है, मजा आया था उनकी लेने में…”
मम्मी ने उनके निपल को जोर से स्क्रैच करते पूछा।