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Adultery हार तरफ चुत हि चुत (BIG & HOT STORY)
#24
और डिनर रूम मे ही पहुँचा दिया गया बस मे बैठे बैठे मेरी तो कमर ही अकड़ ही गयी थी तो पड़ते ही नींद आ गयी सुबह सवेरे ही मैं नहा धोकर बिल्कुल रेडी हो गया था और नाश्ता करने के लिए नीचे पहुँच गया तो देखा कि निशा भी अपनी कुछ सहेलियो के साथ टेबल पे बैठी थी जैसे ही उसने मुझे देखा वो मेरे पास आ गयी तो मैने उस से नाश्ते के बारे मे पूछा वो बोली उसने तो अपनी फ्रेंड्स के साथ पहले ही कर लिया है तुम भी जल्दी से कर लो नाश्ता पानी के बाद आज हमको पूरे जयपुर का भ्रमण करना था तो सफ़र एक बार फिरसे चल पड़ा आज से पहले तो जयपुर के बारे मे बस किताबो मे ही पढ़ा था पर पता चला कि राजस्थान की शान क्या थी बड़ा ही प्यारा सहर लगा मैं तो हर तरह के रंगो से भरा अपने अंदर एक बेहद विशाल इतिहास को समेटे हुए आमेर का किला, मोटी डूंगरी , आल्बर्ट हॉल , हवा महल और भी बहुत कुछ मैं तो जैसे जयपुर खा ही हो लिया था और फिर दोपहर मे राजस्थानी भोजन का तड़का उस डाल बाटी चुरमे के स्वाद को तो मैं आजतक नही भूल पाया हूँ और फिर उपर से निशा का साथ पूरा दिन ऐसे ही हंसते गाते निकल गया

वो अपने दाँतों से लंड को काटने लगी तो मैनें कहा आह क्या करती हो अगर इसको ही खा जाओ गी तो मेरा क्या होगा उसने कहा बहुत दिनो बाद तुम्हारे साथ हूँ तुम बस चुंप रहो और मुझे करने दो जो मैं करती हूँ और बड़े ही मज़े से मेरे लंड पे अपने मुँह से चुप्पे लगाने लगी मैं प्रीतम के नशे मे डूबने लगा मुझसे बर्दास्त करना मुश्किल हो रहा था तो मैने कहा बस करना अभी हट जा पर उसने मेरे लंड को बाहर नही निकाला और पूरे मज़े से उसको चूस्ति ही रही मैं समझ चुका था कि आज ये मेरा पानी पीकर ही मानेगी तो मैने उसके सर को अपने हाथो से दबा लिया और अपने पलों का आनंद उठाने लगा मेरे झड़ने का समय पल पल करीब आता जा रहा था फिर मैनें अपने हाथो से उसके सर को कस लिया और अपनी धार उसके मुँह मे छोड़ने लगा


जो उसके गले से होते हुए उसके पेट मे उतरती चली गयी जब तक मेरा लंड मुरझा नही गया तब तक प्रीतम उसको चाट ती ही रही फिर वो खड़ी हुई और अपने कपड़े उतारने लगी मैने भी अपनी शर्ट और अपनी बनियान को उतार दिया प्रीतम भी नंगी हो चुकी थी वो बेड पर आ गयी और मुझे किस करने लगी कितने ही महीनो बाद मैं उसके शरीर को आज छू रहा था शादी के बाद प्रीतम के शरीर मे काफ़ी बदलाव आ गया था वो और भी ज़्यादा मोटी हो गयी थी उसकी चूचिया नीचे को लटक रही थी लगता था की उसके पति ने जम कर रस चूसा हो उनका और उसकी गान्ड भी बहुत फूल गई थी मैं बोला जानू थोड़ा वजन कम करले तो वो कहने लगी कि मेरे पति को मैं मोटी ही अच्छी लगती हूँ प्रीतम ने अपनी जाँघो को फैलाया और बोली कि चलो बाते बहुत हो गयी अब तुम भी जल्दी से इसको चाटो बहुत ही खुजली लग रही है इसमे तो मैने उसकी चूत की पंखुड़ियो को फैला दिया और अपनी जीभ उसकी चूत मे घुसा दी और उसकी चूत मे गोल गोल घुमाने लगा


वो बोली अभी जाके मज़ा आया है क्या बताऊ तुम्हे मेरा पति मुझे रगड़ता तो है पूरा दम लगा के पर इसको चाट ता नही है तो मेरी हसरत अधूरी रह जाती है अब उसको डाइरेक्ट्ली कह भी नही सकती हूँ तो मैने कहा चल कोई नही जब तक तू यहाँ है मुझसे रोज ही चटवा लिया कर तो कहने लगी कमिने एक हफ़्ता हो गया आए हुए तू पता नही कहाँ कहाँ घंटा बजाता रहता है चल जल्दी से मेरी प्यारी को थोड़ा प्यार तो करले और अपनी टाँगो को ठीक से फैला लिया मैने अपने होंठो पे जीभ फेरी और उसकी चूत पर टूट पड़ा मैं उसको ऐसे खाने लगा जैसे कोई बरफी का टुकड़ा हो शादी के बाद भी उसकी चूत इतना नही घिसी थी बहुत ही मोहक सुगंध रही थी उसमे से मैं अपनी जीभ से चुंपद चुंपद लगा हुआ था प्रीतम को दोनो जहाँ का मज़ा आ रहा था

उसकी मादक सिसकारियो की आवाज़ किसी मधुर संगीत की तरंग की तरह मेरे कानो मे घुल रही थी उसकी चूत बहुत ही खारा पानी छोड़ रही थी जिसको मैं चटखारे लेते हुए चाटे जा रहा था लग रहा था कि आज अगर उसको नही संभाला तो आज वो हर बाँध को तोड़ देगी और फिर बाढ़ तो आनी ही थी काफ़ी देर तक मैं पूरे मन से उसकी चूत को चाट ता रहा मेरा लॉडा भी दुबारा से तन चुका था तो मैने अपना मूह उसकी योनि से हटाया और उसके चुतडो को थप्तपाते हुए प्रीतम को खड़ी कर दिया अब हम दोनो एक दूसरे के आमने सामने खड़े थे मैने उसको अपनी ओर किया और उसकी एक टाँग को थोड़ा सा उपर किया और अपने लड को चूत के छेद से सटा दिया प्रीतम का बदन ऐसे तपने लगा था जैसे कि उसको बुखार चढ़ा हो मैने सपोर्ट के लिए अपना हाथ उसकी कमर मे डाल दिया और लंड को चूत मे सरका दिया


चूत की पंखुड़ियो को चूमते हुए लड उस प्यासी चूत मे प्रवेश कर गया मेरे लगाए हर धक्के पर प्रीतम का बदन हिचकोले खाने लगा था प्रीतम ने अपने हाथो से मेरे कंधो को पकड़ लिया और झूलते हुए चुदने लगी बस थप थप की आवाज़ हमारी टाँगो के आपस मे टकराने से हो रही थी उसके अलावा सबकुछ खामोश ही था जब जब प्रीतम के साथ सेक्स करता था हर बार बिल्कुल ताज़ा ताज़ा सा ही लगता था कुछ तो बात थी ही उस मर्जानी में .

मैं थोड़ा सा आगे हुआ और प्रीतम के रस से भरे अधरो को चूम लिया प्रीतम ने अपना मूह खोल दिया और हमारे होंठ आपस मे चिपक गये नीचे मेरा लड अंदर बाहर हुए जा रहा था तभी प्रीतम ने अपना हाथ अपनी चूत की उपर वाले हिस्से मे लगा लिया और उसको सहलाते हवुए चुदने लगी उत्तेजना से मेरे कानो मे गर्मी बढ़ने लगी थी मुझसे कंट्रोल छूट चुका था तो मैं पूरा दम लगा के उसकी चूत की चटनी बनाए जा रहा था और फिर 30-35 मिनट तक एक बेहद ही मजेदार चुदाई करने के बाद मैं डिसचार्ज होने लगा मैने बिना किसी चिंता के अपना सारा पानी उसकी चूत मे ही डाल दिया

जितनी देर तक उसका वजन थामे रखने के कारण मेरे घुटने जवाब दे गये थे तो मैने उसको अपने से अलग किया और फर्श पे ही लेट गया और लंबी लंबी साँसे लेने लगा प्रीतम मेरे रुमाल से अपनी चूत से बहते हुए मेरे पानी को सॉफ करने लगी कुछ देर बाद मैं उठा और अपने कपड़े पहनने लगा तो प्रीतम बोली अरे अभी क्यू पहन रहे हो तो मैने कहा अभी मुझे जाना होगा वो मुझे रोकने की कोशिश कर रही थी पर मैं नही रुका पर जाने से पहले मैने उसको अपना नंबर दे दिया और उसको कहा कि मुझे कॉल करना फिर मैं सीधा अपने प्लॉट मे आ गया और चारपाई पे लेट गया मैने मिता को कॉल किया तो उसने बताया कि वो भी फ्री ही थी तो मैं उस से बाते करने लगा मैने उसको बताया कि बस थोड़े ही दिन मे एनडीए का रिज़ल्ट आने वाला है अगर सेलेक्ट हो गया तो तेरा यार फ़ौजी बन जाएगा मिता हँसने लगी जब जब वो हस्ती थी मेरा दिल कुछ ज़्यादा ही धड़कने लगता था जब तक मेरा बॅलेन्स ख़तम ना हो गया मैं बात करता ही रहा फिर फोन कट गया फिर उसने कॉल बॅक किया तो मैने कहा कि तू फोन रख दे मैं शाम को बात करूगा मुझे थोड़ी थकान सी भी हो रही थी तो मैं वही पे सो गया पता नही मैं कितनी देर सोया मोबाइल की रिंग से मेरी आँख खुली



तो मैं नीद मे ही फोन उठाया घर से था मेरी नींद अभी पूरी तरह से नही खुली तो बस ऐसे ही हाँ हूँ करता रहा पर समझ मे कुछ नही आया अधखुली आँखो से उठा मूह धोया तो दिमाग़ कुछ सेंटर मे आया फिर मैं घर चल पड़ा जाते ही मैने मम्मी को कहा कि मेरे सर मे बहुत दर्द है एक कड़क चाइ बना दो.


मैं चाइ पी ही रहा था कि तभी निशा का फोन आया वो मुझे बुला रही थी तो मैने कहा कि यार आज तबीयत थोड़ी खराब सी हो रही है एक काम कर तू मेरे घर आजा तो वो बोली ठीक है मैं आती हू मैं उसका इंतज़ार करने लगा 15-20 मिनट बाद वो आई चूँकि उसके पिता कारगिल युद्ध के सहीद थे तो उसको लगभग हर कोई जानता था फिर भी मैने उसको अपने घर वालो से इंटो करवाया मम्मी ने उसको बैठने को कहा और उसके लिए चाइ-नाश्ता लाने चली गयी हम बाते करने लगे कि मम्मी और चाची भी शामिल हो गयी बहुत ही खुशनुमा माहौल था कोई एक घंटे बाद वो बोली अंधेरा होने लगा है अब मुझे चलना चाहिए तो मैने कहा रूको मैं तुमको छोड़के आता हू फिर हम साथ साथ बाहर आ गये तो निशा बोली तुम्हारी तभी ठीक नही है तुम रहने दो मैं चली जाउन्गि तो मैं वापिस अंदर आ गया


लाइफ डेली रुटीन पे चल ही रही थी बस कट ही रही थी मेरा कॉलेज जाना ना जाना बराबर ही था मुझे आज भी याद है वो तारीख नवंबर 24 मिता का जनमदिन आ गया था पर वो नही थी मेरे साथ फोन पे ही शुभकामनाए दी उसको . कमरे से बाहर आया ही था कि पापा ने आवाज़ लगाई तो मैं दौड़ते हुए गया वो थोड़ी अधिरता से बोले कि तेरा रिज़ल्ट आ गया है जल्दी से रोल नंबर स्लिप लेकर आ ये सुनते ही मेरे शरीर मे घबराहट फैल गयी मैने स्लिप उनको देते हुए कहा कि पापा आप ही देखलो मुझसे ना हो गा तो वो देखने लगे आख़िर लास्ट वाली लाइन मे मेरा नंबर मिल ही गया था तो दोस्तो अपना सेलेक्षन हो गया था .

पापा की आँखे भीग गयी उहोने मुझे अपने सीने से लगा लिया और भावुक स्वर मे बोले बेटा आज तूने मेरा सर उँचा कर दिया मुझे तो विश्वास ही नही हो रहा था कि मेरा सेलेक्षन हो गया उस बंदे का जो कभी भी सीरीयस नही था बस ऐसे ही फॉर्म भर दिया था पापा ने उसी दिन कहा कि वो देवता की सवामनी करवाएँगे आख़िर उनका बेटा एक सोल्जर बन ने जा रहा था शाम तक खबर फैल गयी कि फलाना बंदे का एनडीए मे चयन हो गया है

मैं तो जैसे पंख लगाए उड़े जा रहा था जब शाम को मैने निशा को बताया तो उसे तो विश्वास ही नही हुआ फिर वो उदास हो गयी बोली तो ये तय है कि कुछ दिनो मे तुम भी चले जाओगे तो मैनें कहा क्या यार तुम ये बात लेके बैठ गयी हो यार जाना तो पड़ेगा ही ना मैं उसको पार्टी देना चाहता था पर उसका मन थोड़ा भारी भारी सा हो गया था तो मैने प्लान कॅन्सल कर दिया .

10 दिन बाद ही मेरा लेटर आ गया था मुझे खडकवास्ला पुआ जाना था टाइम भी कम ही था कुछ डॉक्युमेंट्स वग़ैरा तैयार करवाने थे और कॉलेज से अपने जमा करवाए सर्टिफिकेट्स भी वापिस लेने थे इस बीच सेक्स तो जैसे छूट ही गया था बस कुछ ही दिनो मे मुझे जाना था ट्रेन मे रिज़र्वेशन हो चुका था मेरी तरफ से तो सारी तैयारी पूरी हो ही चुकी थी बस इंतज़ार था रवाना होने का जैसे जैसे दिन करीब आता जा रहा था मेरा मन घबराने लगा था मैने सोचने लगा कि अगर मैं चला गया तो मेरी सेक्सी जिंदगी तो ख़तम ही हो गई थी मैं चूत मारे बिना कैसे रह पाउन्गा पर जाना तो था ही तो मैने सोचा कि क्यू ना थोड़ा एंजाय कर लू तो मैने अपनी दुविधा अनिता भाभी को बताई तो उहोने कहा एक काम कर आज रात तू मेरे कमरे मे आजा बाकी मैं संभाल लुगी उहोने कहा कि आना तो छत कूदके ही पड़ेगा कुछ सोच कर मैने हाँ कह दी और रात का इंतज़ार करने लगा

रात को साढ़े दस बजे मैं छत पे चढ़ा और भाभी की छत से उतरते हुए उसके आँगन मे पहुच गया अनिता के कमरे का दरवाजा खुला ही था जैसे ही मैं अंदर गया मेरे तो होश ही उड़ गये आज तो उहोने पूरा शृंगार किया हुआ था वो बेहद सुंदर लग रही थी भाभी ने गेट को बंद किया और वही खड़ी होके मेरी तरफ देख कर मुस्कुराने लगी इस कमरे से बहुत सी यादे जुड़ी हुई थी मेरी आख़िर उसी कमरे मे मैने पहली बार चूत का स्वाद चखा था वो भाभी ही तो थी जिन्होने मुझे मर्द होने का एहसास करवाया था

क्रीम कलर की साड़ी मे वो एक गुड़िया सी लग रही थी भाभी धीरे से मेरे पास आई और मेरी जाँघ पर बैठ गयी और मेरी आँखो मे देखने लगी मैं उकी ज़ुल्फो को सहलाने लगा उनके पतले पतले होंटो पे हल्के गुलाबी कलर की लिपीसटिक मेरा ध्यान भटका रही थी भाभी बोली इतनी गौर से क्या देख रहे हो पहले मुझे नही देखा है क्या तो मैने कहा देख लेने दो जी भर कर आगे क्या पता कब आपके दीदार होंगे भाभी खामोश हो गयी मैने उनके पतले होंठो पे अपने होंठ रख दिए और उनको किस करने लगा भाभी के बदन मे एक लहर सी उत्पन्न हो गयी भाभी ने भी मेरा सहयोग करना शुरू कर दिया था


शहद से भी मीठे उनके होन्ट जब पहली बार उनको चूमा था तब भी वो ऐसे ही ताजे थे जितने कि आज किस करते करते ही मैने उनकी साड़ी का पल्लू हटाया और उनके ब्लाउस के हुको को खोलने लगा अंदर उहोने ब्रा नही पहनी थी तो उनकी गौरी गौरी उन्नत छातियाँ तुरंत ही मेरे हाथो मे आ गयी जिनको मैने अपने हाथो मे थाम लिया और बड़े हो प्यार से सहलाने लगा अब मैने अपने होंठो को अलग किया और वो मेरी गोदी मे लेट सी गयी

मैं खुल के अपने हाथो को उनकी चुचियों पे चलाने लगा भाभी उत्तेजित होने लगी थी उनके बोबे पूरी तरह तन गये थे जैसे कि किसी पहाड़ की दो चोटिया हो मैं थोड़ा झुका और उनके एक बोबे को अपने मूह मे ले लिया और दूसरे को दबाने लगा कुछ ही देर मे मैने उनके दोनो बोबो को पी पी कर एक दम लाल कर दिया था फिर मैने उनको कपड़े उतारने को कहा और अपने कपड़े भी उतार दिए अब हम दोनो जनम्जात अवस्था मे थे अनिता ने मेरे लड को पकड़ लिया तो मैने उनको कहा कि चलो साथ ही करते है और हम दोनो 69मे हो गये उनके चूतड़ मेरे मूह पे थे तो मैने उनको थोड़ा नीचे किया और उनकी छोटी सी चूत को अपने मूह मे ले लिया भाभी की चूत फडक उठी मैं उनकी चूत और गान्ड दोनो को साथ साथ चाटने लगा

दूसरी ओर वो भी मेरे लड पे अपने होंठो का जादू चलाने लगी थी उनकी चूत रिसने लगी थी वो अपनी गान्ड को मटका मटका के मुझे अपना रस पिला रही थी उधर मेरा लड भी जैसे पिघलने लगा था उनके मूह मे और मैं बिल्कुल भी चोदे बिना झड़ना नही चाहता था तो मैने उनको अपने उपर से धक्का देकर हटा दिया और उनकी जाँघो को अपनी जाँघो पे चढ़ा लिया बस अब मिलन की देर थी मेरा सुपाडा उनकी चूत को टच करे जा रहा था तो भाभी ने अपने हाथो से उसको अपने छेद पे लगाया और मुझे घुसाने को बोली तुरंत ही आधा लड अपना रास्ता बनाते हुए उनकी चूत मे समा गया भाभी ने एक गहरी आह ली और मेरी बाहों मे खोती चली गयी मैं और भाभी एक दूसरे के सामर्थ्य को तौलने लगे वो बड़ी ही बेकरारी से मुझको चूमे जा रही थी

उनकी हथेलिया मेरे पूरे शरीर पर रेंग रही थी बेड पर एक तूफान आ गया था उनकी मचलती जवानी और मेरे जलते अरमान हर एक धक्के के साथ मैं उनमे पूरी तरह से समाने की कोशिश करे जा रहा था एक दीवानगी सी छा गयी थी हम दोनो पर . जितना कस कर मैं उनकी चूत पे धक्का लगाता उतना ही उनकी चूत मेरे लड पे कसी जा रही थी भाभी मेरे प्रति ऐसे समर्पित थी जैसे कि वो मेरी ही पत्नी हो आज की ये चुदाई हवस की ना होकर भावनात्मक लगाव की थी हम दोनो हर एक पल का पूरा आनंद ले रहे थे भाभी की गरमागरम साँसे मेरे मूह मे ही घुलसी रही थी मैं तो बावरा हो गया था उनके हुस्न की पनाह पाकर भाभी अब बेकाबू घोड़ी हो गयी थी मेरा लड उनकी चूत मे और भी गहरा धंसा जा रहा था मस्ती का आलम इस कदर चढ़ चुका था कि रज़ाई ना जाने कब हमारे उपर से उतर कर नीचे जा गिरी थी मैने इस कदर उनके होंठ को चबाया कि वो साइड से कट गया और खून निकल आया जिसे मैं चाटने लगा था तभी भाभी की पकड़ मुझपे मजबूत होने लगी उनके नाख़ून मेरी पीठ को खरोचने लगे और फिर एक तेज झटके के साथ वो ढीली पड़ गयी और उनकी चूत से रस की नदी बह निकली जिस से मेरी टांगे भी चिपचिपी हो गयी

पर मैं वैसे ही लगा रहा थोड़ी देर तो उहोने सहा फिर मुझे हटने को कहा मेरा मूड तो नही था पर मैं उनके उपर से उतर गया तो भाभी उठी और मेरी हालत को समझते हुए मेरे लड को अपने मूह मे भर लिया और अपनी चूत के रस से सने हुए लड को अपनी लंबी जीभ से चाटने लगी मेरे सुपाडे पे चलती उनकी जीभ को मेरा लड ज़्यादा देर तक नही सह पाया और उसने उनके मूह मे ही अपनी धार मारनी शुरू कर दी भाभी गाटा गट मेरे पानी को पीने लगी मैं निढाल होकर बिस्तर पर पड़ गया

ना जाने कब मेरी आँख लग गयी जब मेरी आँख खुली तो 3 बज रहे थे मैं उठा कपड़ो को संभाला और जिस रास्ते से गया था उसी रास्ते से वापिस आ गया बाहर गहरी धुन्ध छाई पड़ी थी ठंड से मेरी रीढ़ की हड्डी कांप गयी मैने किवाड़ खोला और बिस्तर मे घुस गया तब जाके थोड़ा सा चैन मिला नींद तो उड़ ही गयी थी मैं लेटे लेटे ही अपने जीवन के बारे मे सोचने लगा मुझे अपनी ज़िंदगी की एक नयी शुरुआत करनी थी कुछ ही दिनो मे मुझसे ये सब कुछ छूट जाएगा पता नही नया माहौल कैसा होगा ये सब सोचते सोचते सुबह के5 बज गये मैने मिता को फोन लगा दिया पहली ही घंटी मे उसने फोन उठा लिया तो वो कहने लगी कि वो पूरी रात सोई ही नही उसके समस्टेर के प्रॅक्टिकल्स चल रहे है तो वो पूरी रात बचे हुए काम को ही फिनिश कर रही थी मैने मिता से कहा कि तुम्हारी बहुत याद आती है तो उसने बात को टाल दिया पर मेरे दिल मे बहुत कुछ था उसको बताने के लिए पर वो बिजी होने का बहाना बना रही थी मुझे गुस्सा सा आने लगा था मैने कहा यार दो दिन बाद मुझे जाना है फिर पता नही लाइफ कैसी हो क्या पता फ्री टाइम मिले ना मिले मिता बोली प्लीज़ तुम समझो मेरा काफ़ी काम पेंडिंग है


मुझे प्रॅक्टिकल सब्मिट करनी है मैं तुमसे बाद मे बात करूगी और फोन काट दिया मैं हेलो हेलो करता ही रह गया मेरे दिमाग़ का फ्यूज़ ही उड़ गया वैसे मुझे कभी गुस्सा आता नही था पर उस दिन मैं आउट ऑफ कंट्रोल हो गया मैने फोन को सामने दीवार पर दे मारा एक मिनट मे ही उसके टुकड़े बिखर गये मैं कमरे के बाहर निकला और मंदिर की सीढ़ियो पे जाके बैठ गया आज ठंड भी कुछ ज़्यादा ही थी मेरी स्वेटर भी उसको नही रोक पा रही थी पर मैं वही बैठा रहा शांत पानी को देखता ही रहा उस शांत पानी को देखकर मुझे कुछ हॉंसला सा मिला पर मूड बहुत ही खराब था काफ़ी देर उधर ही बैठने के बाद मैं घर आया तो देखा कि घर वाले मेरी पॅकिंग करने मे लगे है मम्मी ने काफ़ी सारा सामान इकट्ठा का लिया था काजू, बादाम, गोंद के लड्डू , घी और मेरा फेव. गाजर का आचार जब मैने ये सब देखा तो मैने उनको सॉफ सॉफ कह दिया कि मैं कुछ नही ले जाउन्गा बस दो-चार जोड़ी कपड़े और अपना बेग बस और कुछ नही तो मम्मी बोली बेटा थोड़ा सा ही तो सामान है पर मैने मना कर दिया फिर मैने थोड़ा बहुत कुछ खाया पिया और अपने कमरे मे आया तो मेरी नज़र टूटे पड़े फोन पर गयी तो मेरा दिमाग़ और भी खराब हो गया .


पर अब कुछ नही हो सकता था मैं वही कुर्सी पे बैठ गया और सोचने लगा मिता के व्यवहार से मेरा मन बुझ गया था आज से पहले उसका बिहेवियर ऐसा कभी नही था मुझे चैन नही मिल रहा था तो मैने मम्मी से पैसे लिए और मैं सहर चला गया थोड़ा सामान भी खरीदना था वहाँ जाके मुझे निशा का ध्यान आया तो मैं कॉलेज गया और उसको अपने साथ ले लिया मैं उसको एक लॅडीस गारमेंट की दुकान पे ले गया और उसके लिए दो सूट खरीदे वो मना कर रही थी तो मैने उसका हाथ पकड़ा और उसकी आँखो मे आँखे डालते हुए कहा कि देख मैं अब चला जाउन्गा ना जाने कितने दिन बाद आना होगा प्लीज़ यार तू मना मत कर आख़िर एक तू ही तो मेरी दोस्त है तेरे सिवा और कौन है मेरा मैं थोड़ा भावुक हो गया तो निशा ने हाँ कर दी फिर मैने उसकी पसंद के सूट खरीदे अपने लिए भी सामान खरीदा और शाम होते होते गाँव आ गये निशा का साथ मुझे बेहद सकुन देता था पर वो बस आख़िर दोस्त ही थी मेरी या दोस्त से कुछ ज़्यादा ही हो गयी थी जितना वो मुझे समझती थी उतना तो मिता कभी नही जानती थी पर मिता मेरी प्रेरणा थी

मैने तो बस एक ही सपना देखा था मिता के साथ एक छोटा सा आशियाना बसाने का फिर मुझे ऐसे क्यो लगता था कि मिता जैसे मुझसे दिन ब दिन दूर जाती जा रही हो और निशा दूर होकर भी पास ही लगती थी मेरा मन एक अजीब से द्वंद मे फस गया था ये कैसी गुत्थी थी जिसको मैं सुलझा नही पा रहा था तकदीर कैसा खेल खेलने जा रही थी ये तो बस वक़्त के गर्भ मे ही छुपा था खैर मैने सोच लिया था कि अगला पूरा दिन मैं निशा के साथ ही बिताउन्गा तो अगले दिन मैने पापा से रिक्वेस्ट करके उनका स्कूटर माँग लिया और निशा के साथ नहर पे चला गया हम दोनो नहर पे बनी हुई पुलिया पे बैठे थे हल्की सी धूप बिखरी पड़ी थी मंद मंद चलती हुई सर्द हवा तो मैने अपने बॅग से कॅमरा निकाला और निशा को पास के सरसो के खेत मे खड़ा करके उसकी तस्वीरे लेने लगा ना जाने क्यो उसका साथ इतना अच्छा लगने लगा था मुझे हम दोनो मस्ती कर रहे थे तो निशा बोली कि उसने मेरी नौकरी के लिए मन्नत माँगी थी और तुम भी कल चले जाओगे तो क्यो ना हम आज ही चल कर मंदिर मे माता को चुन्नी चढ़ा आए तो मैने कहा चल और स्कूटर का कान मोड़ दिया


हम मंडी पहुचे पूजा का समान लिया फिर निशा ने पूजा की मैं बस उसको देखता ही रहा तभी पता चला कि मंदिर मे भंडारा लगा हुआ है तो हम भी वही बैठ गये और जीमने लगे मंदिर मे हमे काफ़ी टाइम लग गया था जब हम वापिस आ रहे थे तो निशा ने कहा अब तो तुम नौकरी वाले हो गये हो वहाँ जाकर मुझे भूल तो नही जाओगे तो मैने कहा तुम्हे क्या लगता है तो वो बोल ऐसी कहावत है ना कि पंछी जब अपना घोंसला छोड़के जाता है तो फिर वापिस नही आता तो मैने कहा तू हमेशा मेरी दोस्त थी और मरते दम तक रहेगी ……………………………

मैने उसको कहा कि मैं वहाँ जाकर जल्दी ही फोन खरीद लुगा फिर मैं उस से बाते तो करता ही रहूँगा तो वो कहने लगी कि मुझे तो अब तुम्हारी आदत पड़ गयी है भगवान जाने कैसे अड्जस्ट करूगी तुम्हारे बिना शाम तक मैं उसके ही साथ रहा मैं आज भी कहता हू कि वो मेरी जिंदगी का सबसे यादगार दिन था वो दिन आज भी भुलाए नही भूलता आज भी यू बेरंग हो चुकी तस्वीरो को देखता हू तो दिल बस तड़प कर रह जाता है


अगले दिन मैं कुछ जल्दी ही उठ गया था पर मेरे मन मे एक उधेड़बुन सी चल रही थी घर का माहौल थोड़ा टेन्षन वाला सा था आज मुझे अपने नये सफ़र पर जाना था आज लग रहा था कि जैसे मैं एक पल मे ही बड़ा बन गया था सभी घर वाले उदास से लग रहे थे तो मैं मम्मी के पाँवो मे बैठ गया और उसे कहा कि एक ना एक दिन तो कमाने जाना ही पड़ता ना तो फिर अब आप सभी लोग ऐसे करोगे तो कैसे चलेगा पर अंदर से मेरा मन भी भारी हो रहा था फिर मैं तैयार होने चला गया इसी तरह दोपहर हो गयी थी मेरी दो बजे की ट्रेन थी तो मैने अपना बॅग उठाया और घर वालो से विदा ली वो सभी स्टेशन आना चाहते थे पर मैने उनको मना कर दिया जब मैं प्लॅटफॉर्म पे पहुचा तो देखा कि निशा वहाँ पहले से ही एक बेंच पर बैठी थी उसने मुझे देखा और एक फीकी मुस्कान की साथ मेरा अभिवादन किया मैं चुपचाप उसके साइड मे बैठ गया ना वो कुछ बोल रही थी ना मैं कुछ बोल पाया

ट्रेन आने मे अभी कुछ देर थी मैं उस से बात करना चाहता था पर मेरी ज़ुबान को जैसे लकवा मार गया हो मेरे अंदर कुछ घुटने सा लगा था ना चाहते हुए भी मेरी आँखो मे आँसू आ गये मैं अपनी हथेली से उनको पोंछ ही रहा था कि तभी ट्रेन आने की अनाउसमेंट हो गयी और कुछ ही मिंटो मे ट्रेन लग गयी मैं बस इतना ही कह पाया कि निशा मेरे गले नही लागो गी और वो मेरी बाहों मे समा गयी मुझे किसी की परवाह नही थी कोई देखे तो देखे निशा के आँसू उसके गालो से होते हुए बहने लगे अब मैं उस से अलग हुआ ट्रेन बस चलने को ही थी तो मैने उसको बस इतना ही कहा कि मुझे भूल मत जाना और ट्रेन मे चढ़ गया जब तक वो मेरी नज़रो से ओझल ना हो गयी मैं गेट पे खड़े खड़े उसको ही देखता रहा ना जाने क्या सोच कर मैने अपने आँसुओ को बहाने से नही रोका

ढाई दिन का सफ़र बस उदासी के माहौल मे ही कटा मेरा , पर रेल चल पड़ी थी तो मंज़िल पे पहुचनी ही थी स्टेशन से बाहर आया तो अकादमी की बस थी मेरे जैसे औरो को भी ले जाने के लिए आज पहली बार मैं घर से बाहर अकेला था पर ये ही तो लाइफ है अकादमी पहुच गये और अपना पास कलेक्ट किया ब्रिगडियर साहिब के एक जोशीले भाषण से हमारा स्वागत हुआ कुछ दिन ऐसे ही फॉरमॅलिटीस मे निकल गये मेरा यहाँ मन नही लगता था पर अब तो ये ही घर था कुछ दोस्त बन गये थे तो उनके साथ ही थोड़ा बहुत टाइम पास हो जाया करता था हर सुबहा अब पोने चार बजे शुरू होती थी और रात दस बजे दिन ख़तम होता था पहले महीने मे तो बहुत ही मुश्किल आई पर फिर धीरे धीरे आदत हो गयी थी


सुबह सुबह ड्रिल्स चलती फिर क्लासस फिर शाम को ड्रिल और अदर आक्टिविटीस पर अच्छी बात ये भी थी स्थाईफंड भी मिलने लगा था तो जेब मे दो पैसे भी रहते थे मुझे यहाँ आए हुए नो महीने हो गये थे इस बीच एक बार भी मिता और निशा से बात नही की थी घर भी बहुत ही कम बात चीत ही वो भी एसटीडी से अकॅडमी से बाहर जा ही नही पाता था लाइफ अपने आप मे सिमट ही गयी थी हर पल बस कुछ ख्वाब थे जिनको पूरा करने की आस थी दिन तो गुजर ही रहे थे


एक दिन हिम्मत कर के सनडे के दिन अपने मेजर साहिब से आउटपास का जुगाड़ कर ही लिया अब शाम तक मैं आज़ाद पंछी की तरह विचरण कर सकता था इतने दिनो बाद आज सिविल कपड़े पहने थे मैं गेट से बाहर आया और एक एसटीडी से मिता को फोन मिलाया आज इतने दिनो बाद उस से बात की मैने मिता ने पहले तो मुझ जी भर के गालियाँ दी मैं चुप चाप सुनता रहा जब वो थोड़ी शांत हो गयी तो मैने उसको बताया कि यार इधर बाहर आने का बिल्कुल भी मौका नही मिलता है और मैं नया फोन भी नही खरीद पाया हू तो कैसे बात करता फिर पूरा दिन इतनी मेहनत होती है कि रात को पड़ते ही नींद आ जाती है मिता बोली वो दो बार गाँव भी जाके आई है बिल बढ़ता जा रहा था पर मुझेकॉई चिंता नही थी अपनी दिलरुबा से इतने दिनो के बाद बात करके मेरा तो रोम रोम झूम उठा था मिता बताने लगी कि वो मुझे बहुत ही याद करती है हर पल बस मेरे ही बारे मे सोचती है मैने उसको कहा कि जब छुट्टी मिलेगी तो मैं आउगा तुमसे मिलने को कोई एक घंटे तक बाते चलती रही फिर मैने ईक पिक्चर देखी और बाहर ही खाना खाया अंदर का बेस्वाद खाना खा खा कर पक गया था मैं फिर शाम को मैं वापिस चल पड़ा अपने सरल व्यवहार के कारण मैं मेजर साहिब की नज़रो मे आ गया था वो मेरी तरफ कुछ ज़्यादा ही ध्यान देते थे उनकी विशेष कृपा से अकॅडमी मे ट्रैनिंग थोड़ी आसान हो गया थी


ऐसे ही धक्के देते देते 15 महीने गुजर गये तो अब हमे 20 दिन का हॉलिडे अ लॉट हुआ मैं बहुत ही खुश था इतने दिनो को जैसे किसी क़ैद की तरह मैने काटा था छुट्टी की स्लिप ली और सारी कार्यवाही करके अपना बेग और संदूक उठाया और चल पड़े अपने गाँव की ओर रिज़र्वेशन था नही तो जनरल बोगी मे ही पंडा रहा पर मन मे उमंग थी तो सफ़र कट ही गया मैने अपने गाँव की मिट्टी को प्रणाम किया और अपने घर पहुच गया सभी मुझे देखते ही बहुत खुश हो गये और ऐसा लगा कि घर मे दुबारा हसी खुशी का माहौल लौट आया हो

मुझे भी इतने दिनो बाद वापिस आकर बहुत ही अच्छा लग रहा था मैने मौका देखकर चाची को किस किया आज कई दिनो बाद मैने किसी औरत को टच किया तो मेरी सोई हुई हसरते एक दम से जाग गयी थी पर क्यूकी सभी घरवाले थे तो कुछ हो नही सकता था सांझ ढले मैं निशा से मिलने उसके घर गया तो उसकी माँ ने बताया कि वो तो यहाँ नही है बॅंक की तैयारी कर रही है तो कोचैंग करने के लिए जयपुर गयी हुई है ये सुनकर मैं उदास हो गया और ठंडे कदमो से वापिस लौट आया

मेरा मन बुझ सा गया था रात को मैने निशा का नंबर ढूँढा और उसको अपने घर वाले फोन से कॉल की निशा तो जैसे भरी ही पड़ी थी मुझ पर बरस पड़ी बोली तुमने डेढ़ साल मे एक बार भी फोन नही किया चिट्ठी भी नही लिखी जानते हो मैं क्या क्या सोच रही थी तो मैने उसको कहा कि यार वहाँ बाहर जाने का मौका नही मिलता और मेरे पास फोन भी नही था तो बता क्या कर सकता था तो मैने उसको कहा कि मैं छुट्टी आ गया हू तू कब मिलेगी तो उसने कहा कि वो नही आ पाएगी तुम ही टाइम निकाल कर जयपुर आ जाओ तो मैने कहा मैं एक हफ्ते बाद आउगा और फिर कुछ देर बातचीत करने के बाद फोन काट दिया ये मेरी ग़लती थी जो मैने उसको कॉंटॅक्ट नही किया था पर मैं करता भी क्या मेरी तो खुद की गान्ड गले मे अटकी पड़ी थी मैने सोचा कि अगले दिन जाके गीता को ही बजाउन्गा सबसे पहले ये सोचते सोचते मैं सो गया अगले दिन नहा धो कर मैं निकल पड़ा अपनी रांड़ से मिलने के लिए


जब मैं उसके घर पहुचा तो देखा कि वो बाहर चबूतरे पे कपड़े धो रही थी चबूतरा शायद उसने बाद मे बनवाया था फिर मैं आया भी तो काफ़ी टाइम के बाद था जब गीता की नज़र मुझ पर पड़ी तो वो खुश हो गयी वो उठी और मेरे पास आकर बोली कि बड़े दिन लगाए वापिस आने मे तो मैने कहा अब सरकारी बंदे है जब छुट्टी मिले तभी आना होता है गीता का लहंगा पानी से भीग कर उसकी जाँघो से चिपक गया था जिस से उसकी वी शेव नज़र आ रही थी और मैं तो इतने दिनो का प्यासा था बस बीच मे कभी कभार मुट्ठी ही मारी थी मेरी आँखो मे हवस चढ़ने लगी गीता भी शरमाने लगी वो बोली कितने दिन की छुट्टी आए हो तो मैने कहा अभी तो हू कुछ दिन इधर ही मुझसे कंट्रोल नही हो रहा था तो मैने उसका हाथ पकड़ा और उसको अपने सीने से लगा लिया गीता बोली तुम अंदर चलो मैं अभी कपड़े धो कर आती हू तो मैने कहा नही जो भी काम है बाद मे करना अभी तो तुम बस मेरी ही हो और उसको अपनी गोद मे उठा के अंदर ले आया



गीता किसी नयी नवेली दुल्हन की तरह शरमाने लगी थी मैने उसको बिस्तर पर लिटाया और उसके ब्लाउस और ब्रा को उतार दिया गोल गोल ठोस चूचिया एक झटके मे बाहर आ गयी मेरी प्यास एक दम से भड़कने लगी मैं गीता के पास लेटा और उसके काँपते होंटो को चूम लिया गीता मुझसे चिपक गयी मेरा हाल ऐसा था कि जैसे किसी भूखे को सालो बाद नीवाला मिला हो मैं बेकरारी से उसके होंटो को निचोड़ने लगा और अपने हाथों से उसके उन्नत उभारो को मसल्ने लगा गीता भी एक प्यासी औरत थी तो जल्दी ही वो भी गरम हो गयी उसका बदन तपने लगा कोई दस मिनट तक मैं बस उसके होंटो से शहद ही निचोड़ ता रहा फिर मैने अपना हाथ उसके लहंगे मे घुसा दिया और उसकी गौरी टाँगो पे फिराने लगा गीता की चिकनी टांगे और भी भारी भारी लग रही थी


अब मेरा हाथ उसकी टाँगो के जोड़ की तरफ बढ़ने लगा था जब मैने उसकी चूत पे हाथ रखा तो कच्छि वहाँ से गीली गीली थी मत लब उसकी चूत अपना पानी छोड़ने लगी थी मैने उसके लहंगे को उतार दिया काले रंग की कच्छि मे गीता का गोरा बदन एक कयामत से कम नही था मैने भी जल्दी से अपने कपड़ो को बदन से अलग किया और नंगा हो गया मेरा लड हवा मे झूलने लगा गीता मेरे लंड को देखते हुए बोली कि अरे ये तो और भी तगड़ा हो गया है और गीता ने खुद ही अपनी कच्छि उतार दी उसकी चूत पे ढेर सारे बालो को देखकर मैने कहा ये क्या हाल बना रखा है तुमने तो वो बोली अब तुम्हारे अलावा इसका कौन हकदार है जब तुम ही नही थे तो इसका ख़याल कौन करता मैने अपना मूह उसकी चूची पे लगाया और उसकी चूची पीने लगा और साथ ही अपनी उगली गीता की चूत मे सरका दी चूत बहुत टाइट लग रही थी गीता ने एक झुरजुरी ली

और बोली आहाआआआआआआअ आहिश्ता से करो ना मैं बारी बारी से उसकी 36इंची चूचियो का मज़ा लेने लगा कुछ ही देर मे वो फूल कर तन गयी थी मेरी उगली पूरी तरह से गीली हो गयी थी तो मैने उसको गीता के मूह मे डालके उसको चूसने लगा आज मैं जी भर कर गीता को भोगना चाहता था तो मैने उसकी टाँगो को खोला और झांतो से भरी हुई चूत को अपनी नाक से सुघने लगा चूत की नमकीन गंध मेरे नथुनो मे उतर ती चली गयी उसकी भीनी भीनी खुश्बू से मेरी मस्ती और भी चढ़ गयी तो मैने अपनी जीभ को वहाँ पर रख दिया और एक सड्पा लिया तो गीता की आँखे अपने आप बंद हो गयी उसकी चुदासी चूत अपना रस बाहर फेंकने लगी मैने गीता से कहा मेरी जान आज इस अमृत को जी भर कर पिला दे मुझे आज तू रोकना नही और
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RE: हार तरफ चुत हि चुत (BIG & HOT STORY) - by Pagol premi - 05-12-2020, 09:21 PM



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