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Adultery हार तरफ चुत हि चुत (BIG & HOT STORY)
#22
थोड़ी ही देर मे मेरा पूरा लंड अपने वास्तविक आकर मे आ चुका था सरोज के बदन से फुट ती हुई गर्मी से मेरा बदन भी जलने लगा था अब मैने उसको अपने नीचे लिटाया और उसको उपर से नीचे तक चूमने लगा उसके बदन का मीठा स्वाद मेरी ज़ुबान पे चढ़ता ही जा रहा था सरोज के पूरे बदन पे मेरी लार लगी पड़ी थी तभी वो उठी और मुझे लिटा दिया और मेरे मुँह पे अपनी चूत को लगा दिया मैने अपने मुँह को थोड़ा आगे किया और उसकी पूरी चूत को अपने मुँह मे लेके चाटने लगा उसकी चूत का खारा पन मेरे मुँह मे घुलने लगा मैने अपने हाथो से उसकी मांसल जाँघो को पकड़ लिया और अपनी ज़ुबान को उसकी करारी चूत की दरार पे रगड़ने लगा उनकी चूत के दोनो होंठ बुरी तरह से फड़फड़ाने लगे थे चूत से बहते हुए उनके काम रस को मैं पूरे चाव से पिए जा रहा था


मैं उनकी झाट को अपने दाँतों से खीचने लगा सरोज तो जैसे पागल ही हो गयी थी मस्ती उसके रोम रोम से फूँटने लगी थी वो वासना की आग मे जल उठी थी बस धुआ ही नही दिखाई दे रहा था वो अब अपने चुतडो को मेरे मुँह पे हिलाने लगी थी जैसे वो धक्के मार रही हो तो मैने अपने हाथ उसके कुल्हो पे रख दिए वो बहुत ही उग्र हो गयी थी तो मैने उसको अपने मुँह से हठाया और वही बेड पे ही घोड़ी बना दिया उसकी चूत के साथ साथ गान्ड भी पीछे की ओर उभर आई थी मैं उसके पिछे आया और अपने लंड को चूत मे डाल दिया मैने उसकी कमर को पकड़ी औ र लगा दना दन चोदने हमारी इस रस्साकशी से पूरा बेड हिल रहा था मैं उसकी पूरी कमर और पीठ को सहलाते सहलाते उसको चोदेजा रहा था माहौल बहुत ही गरम हो गया था बीच बीच मे मैं उसके चुतडो पे थप्पड़ भी मार देता था उसके गौरे चूतड़ कई जगह से लाल हो गये थे



लंड अपनी पूरी रफ़्तार से उसकी चूत का कचूमर बनाए जा रहा था मामी सरोज आह आह करती हुई चुद रही थी मेरे हर धक्के पर वो थोड़ा सा आगे की तरफ झुंक जाती थी फिर मैने अपने लंड को उनके मुँह मे दे दिया वो बड़े ही प्यार से मेरे लंड को चाटने लगाई 2-4 मिनट तक चटवाने के बाद मैने फिर से उनकी चूत छोड़ने शुरू करदी मैने उनकी कमर को कसकर पकड़ लिया था और तेज़ी से झटके पे झटके मारे जा रहा था और बीस पच्चीस मिनट तक उनको रगड़ने के बाद अपना पानी उनकी चूत मे ही छोड़ दिया और उनके साथ ही सो गया

मेरी आँख खुली तो दोपहर के तीन से थोड़ा उपर हो रहा था आँखे थोड़ी सेंटर मे आई तो देखा कि वो भी मेरी बगल मे ही सोई पड़ी थी मैं उठा और बाथरूम मे जाके मुँह धोने लगा फिर आके मैने अपने कपड़े पहने और कुर्सी पे बैठ गया कुछ देर बाद वो भी जाग गयी और नंगी ही इठलाती हुई बाथरूम मे घुस गयी मैने फ्रिज से एक पानी की बॉटल निकाली और पानी पीने लगा इतने में सरोज मामी भी आ गयी दो चार घूंठ उन्होने भी भारी फिर मैने कहा मामी अब मैं चलता हूँ तो वो बोली प्लीज़ रात को आ जाना मैने कहा अगर मोका मिला तो ज़रूर आउन्गा तो उन्होने कहा वैसे तुम कितने दिन और हो यहाँ तो मैं बोला बस 1-2 दिन मे निकल जाउन्गा वो बोली जब भी जाओ मुझसे मिलके ही जाना मैने गेट खोला पूरी गली सुनसान पड़ी थी


अब दोपहर मे कौन अपने घर से निकलेगा तो मैं मामी के घर चल पड़ा मामी ने मुझे नीबू पानी दिया और पूछने लगी कि कहाँ थे तुम तो मैने कहा बस ऐसे ही इधर उधर घूम रहा था फिर मैं कमरे मे गया और अपना बॅग पॅक करने लगा तो मनीषा दी बोली भाई आप कही जा रही हो क्या तो मैं बोला हाँ दी कल मैं वापिस जा रहा हूँ ये सुनके वो उदास हो गयी और मुझे रुकने की रिक्वेस्ट करने लगी तो मैने उनको समझाया कि परसो मेरा रिज़ल्ट आने वाला है फिर कॉलेज मे अड्मिशन भी लेना है कई डॉक्युमेंट्स भी बनवाने है तो काफ़ी टाइम जाएगा पर जब भी टाइम होगा मैं तुम लोगो से मिलने ज़रूर आउन्गा रात को मैं जान बुझ के मैं सरोज के यहाँ नही गया क्योंकि मैं थोड़ा टाइम फॅमिली के साथ ही स्पेंड करना चाहता था अगले दिन सुबह सुबह ही मैं नाना नानी से मिल आया



और फिर नाश्ता पानी करके अपना बॅग उठाया और उन सब से विदा लेके चल पड़ा ये 15-20 दिन पता ही नही चला कब बीत गये थे रास्ते मे सरोज का घर आया तो मुझे याद आया मैं अंदर चला गया वो मेरा बॅग देखके बोली कि तुम आज ही जा रहे हो क्या तो मैने कहा हाँ जाना पड़ेगा परसो मेरा रिज़ल्ट आने वाला है तो वो बोली मैं तो सोच रही थी कि एक दो दिन और मज़े करलेंगे तो मैने उसको किस किया और कहा डार्लिंग जब भी टाइम मिलेगा तुमसे मिलने आता रहूँगा थोड़ी देर उस से बाते की फिर मैं अपनी राह पे चल पड़ा सफ़र थोड़ा लंबा था पर शुरू हुआ तो कट ही गया जब मैं अपने गाँव पहुँचा तो अंधेरा हो चुका था मैं भी थक के चूर हो गया था



घर वालो से नमस्ते हुई और मैं सीधा बिस्तर पे पड़ गया अगली सुबह पापा बोले अगर तुम्हारा घूमना फिरना हो गया हो तो एनडीए एग्ज़ॅम की भी थोड़ी तैयारी कर लेना मैने हां की फिर मैं अपने दोस्तो के पास चला गया दिमाग़ मे रिज़ल्ट की ही टेन्षन थी रिज़ल्ट वाले दिन मैं सुबह सुबह ही सहर चला आया था 9 बजे साइबर केफे वाले को रोल नंबर दिया कुछ ही सेकेंड मे प्रिंट मेरे हाथो मे था मैने काँपते हाथो से उसको देखा 79% मार्क्स आए थे एक % से मेरिट रह गयी थी मेरा तो दिमाग़ ही खराब हो गया था सारी उम्मीदे पल भर मे ही चूर चूर हो गयी थी वैसे तो ये मार्क्स भी कम नही थे पर मेरिट तो मेरिट ही होती है ना फिर मैने एक थम्सअप गटकाई तब जाके कुछ होश आया मैं सीधा पापा के ऑफीस गया और उनको रिज़ल्ट दिखाया वो तो बहुत ही खुश हो गये थे



उन्होने ऑफीस से आधे दिन की छुट्टी ली और मेरे साथ बाजार आ गये कुछ मिठाई खरीदी मेरे लिए कुछ नये कपड़े भी ले लिए शाम को मैं उनके साथ ही घर आ गया था घर पे तो जैसे आज जश्न ही होना था पर मैं आते ही सीधा मंदिर की ओर भागा देवता को प्रसाद चढ़ाया और इंतज़ार करने लगा निशा का अपनी राइट टाइम पे वो भी आ गयी तो मैने उसको बताया कि मेरा रिज़ल्ट आ गया है उसने मुझे बधाई दी और कहा कि वो मेरे लिए कॉलेज का अड्मिशन फॉर्म ला देगी वो बोली कल शाम को तुम मेरे घर आ जाना तो मैं बोला पर तुम्हारा घर है किस साइड तो उसने मुझे बताया मैने उसको थॅंक्स कहा मैने उसके लिए कुछ चॉककलेटेस खरीदी थी उसको दी फिर मैं घर आ गया मैने कॉलेज फोन किया तो पता चला कि मार्कशीट आने मे 10-15 दिन तो लग ही जाएँगे


पर कॉलेज मे अड्मिशन के लिए प्रॉविषनल सर्टिफिकेट ले लू . शाम को मैं निशा के घर चला गया निशा मुझे देखते ही खुश हो गयी उसने मुझे अपनी माँ से मिलवाया तो पता चला कि वो एकलौती संतान है और उसके पिता फोज मे थे जो कारगिल युद्ध मे शहीद हो गये थे उनकी पेन्षन से ही उनका गुज़ारा होता था और निशा स्कॉलर शिप से अपनी पढ़ाई पूरी कर रही थी ये सुनके मेरे दिल मे निशा के लिए और भी रेस्पेक्ट बढ़ गयी थी निशा ने मुझे चाइ पिलाई फिर उसने मुझे अड्मिशन फॉर्म दिया और बोली कल तुम हो सके तो मेरे साथ कॉलेज चलो मैं तुम्हारा फॉर्म जल्दी से सब्मिट करवा दूँगी तो मैने कहा कि कल तो मैं कॉलेज जाउन्गा डॉक्युमेंट्स लेने के लिए तो अगर हम परसो चले तो उसने कहा कि वो रोज 10 बजे कॉलेज जाती है


मुझ निशा का सरल स्वाभाव बहुत ही भा गया था रात को पापा बोले कि बता आगे क्या करेगा यही पे पढ़ेगा या बाहर का विचार है अब मुझे कहाँ जाना था तो मैने कहा यही से ग्रॅजुयेशन कर लूँगा तो घर वाले बोले तेरी मर्ज़ी है

अगले दिन हमारा पूरा ग्रूप कॉलेज कॅंटीन मे इकट्ठा था पेप्सी समोसे चल रहे थे कॉलेज मे आने की खुशी भी थी सब लोग अपने अपने प्लॅन्स को बता रहे थे तभी बातों बातों मे पता चला कि मिता और रीना दोनो नर्सिंग का कोर्स करने के लिए शिमला के नर्सिंग कॉलेज मे अड्मिशन ले रही है और थोड़े दिनो में ही निकल लेंगी ये सुनके मैं तो शॉक हो गया मैने तो सोचा था कि कॉलेज टाइम मिता के साथ ही कट जाएगा पर उनके तो प्लॅन्स ही अलग थे मेरा खास दोस्त देल्ही जा रहा था बचा मैं अपनी गान्ड यही घसनी थी
मैं थोड़ा उदास सा हो गया तो रीना बोली अरे हम सब लोग कॉंटॅक्ट मे रहेंगे और टाइम टाइम पे एक दूसरे से मिलते ही रहेंगे मिता ने मुझे प्रोमिस किया कि वो मुझे चिट्ठियाँ लिखा करेगी और जल्दी ही वो मोबाइल खरीद लेगी

फिर हम रोज बात किया करेंगी मैं बस हल्का सा हंस दिया कुछ ही दिनो मे सब पंछी अपने नये बसेरो की ओर उड़ गये थे रह गया था मैं अपनी यादो की साथ अक्सर ही मैं और निशा मंदिर के तालाब की सीढ़ियो पे बैठ जाया करते थे हर गुज़रते हुए दिन के साथ हमारी दोस्ती मजबूत होती जा रही थी एक दिन वो बोली क्या तुमने अपना फॉर्म सब्मिट कर दिया तो मैने कहा अभी नही किया है तो वो बोली लास्ट डेट सिर पे है तुम कब करोगे उसने कहा कल तुम मेरे साथ चलोगे मैं कुछ नही जानती तो मैने कहा गुस्सा मत करो मैं तुम्हारे साथ ही चलूँगा अगले दिन मैं निशा के साथ कॉलेज गया था आज पहली बार कॉलेज देखा था वहाँ का वातावरण मेरे मन को भा गया उसने मुझे अपने दोस्तो से मिलवाया काउंटर पे काफ़ी लंबी लाइन लगी थी


पर उसकी मदद से मेरा काम जल्दी ही हो गया फीस जमा करवाते करवाते दोपहर ही हो गयी थी पर खुशी भी थी कि अड्मिशन हो गया था मैने निशा से पूछा कि चलो मैं आज तुम्हे पार्टी देता हूँ तो वो बोली इसकी कोई ज़रूरत नही है पर मैने ज़िद की और उसको अपने साथ ले आया उन दिनो हमारे सहर मे शीतल के नाम से एक रेस्टोरेंट हुआ करता था क्या पता आज भी हो हम दोनो वहाँ पहुँच गये निशा थोड़ा घबरा सा रही थी पता नही क्यों तो मैने उसे रिलॅक्स होने को कहा कोई 1 घंटा हम वहाँ रहे ये मेरा पहला टाइम था किसी लड़की के साथ ऐसे पर दिल मे कोई ग़लत भावना नही थी शाम तक हम वापिस हो लिए क्लास लगनी तो चालू हो गयी थी पर मैने जाना शुरू नही किया था मैं अपने एनडीए की तैयारी मे लगा हुआ था


निशा कॉलेज के लिए दबाव डालती ही रहती थी एक दिन मेरे नाम की चिट्ठि आई मैने डाकिये से ली तो घर वालो ने पूछा तुझे कौन चिट्ठि भेजेगा मैने भेजने वाले का नाम लिखा था तो मिता देखा मैने चिट्ठी को जेब मे डाल लिया और घर वालो को कहा कि मेरे कुछ दोस्त जो बाहर पढ़ते है उनकी है अपने कमरे मे जाके मैने लेटर खोला मिता ने लिखा था कि उसको होस्टल मे रूम मिल गया है कॅंपस काफ़ी अच्छा है वातावरण भी ठीक है उसने अपना मोबाइल नंबर भी लिखा था और होस्टल का नंबर भी मैं उसका लेटर पढ़ के बहुत ही खुश हो गया था शाम को मैने चाचा से पूछा कि क्या मुझे एक मोबाइल मिल सकता है तो उन्होने कहा देख मैं तो सरकारी नौकरी करता हूँ मैने ही नही खरीदा आज तक फिर घर पे फोन तो है ही तू उसका ही यूज़ कर लिया कर तुझे जब ज़रूरत होगी तो देखेंगे मैं मायूष हो गया था पर ठान लिया था कि मोबाइल का जुगाड़ तो करना ही है मैं रोज मिता को एक चिट्ठी पोस्ट किया करता था ये मेरा अटल नियम बन गया था निशा अक्सर पूछा करती थी कि ये तुम किसको भेजते हो मैं बस ऐसे ही टाल दिया करता था एक दिन जब मैं और निशा कॉलेज से पैदल पैदल टेंपो स्टॅंड की ओर आ रहे थे तो मैने देखा की रिलाइयन्स का पोस्टर लगा है जो काफ़ी सस्ते मोबाइल बेच रहे थे मैं वहाँ गया और जानकारी ली वो आसान किष्तो मे मोबाइल बेच रहे थे मैने तुरंत ही दो फोन खरीद लिए एक खुद रखा और एक निशा को दे दिया निशा बोली मैं क्या करूँगी तुम रखो अपने पास तो मैने कहा ये मेरे दोस्त के लिए एक गिफ्ट है पर वो तैयार ही नही हो रही थी

काफ़ी देर समझाने के बाद मैने वो मोबाइल उसको दे ही दिया मैने मिता को अपना नंबर दे दिया अब रोज रात को हम बाते करते थे पर बस थोड़ी ही देर तक क्योंकि कॉल रेट भी महँगी होती थी और मिता के पास टाइम भी थोडा कम होता था इधर मेरी नज़दीकिया निशा से भी बढ़ती ही जा र्है थी तकदीर ना जाने क्या लिखने वाली थी

समय अपने पँखो के घोड़े पे लगातार दौड़े जा रहा था मैं दिल से एनडीए की तैयारियो मे लगा था सेक्स किए हुए भी काफ़ी दिन हो गये थे एक दिन मैं मानसिक रूप से बहुत ही ज़्यादा थक चुका था तो मैने अपने रंग उठाए और आँगन मे ही कॅन्वस लगा के पैंटिंग बना ने लगा आज कई दिनो बाद रंग मैने अपने हाथो मे लिए थे बनाना तो मैं चाहता था किसी और की तस्वीर पर जब मुझे होश आया तो देखा कि ये तो किसी और की ही बन गयी थी ये तो निशा का चित्र था मुझे एक झटका सा लगा क्या निशा मुझसे इस तरह जुड़ गयी थी कि मेरे दिमाग़ मे मिता की जगह लेने लगी थी या ये बस उसके साथ का ही असर था या कुछ और था ……… क्या ये तकदीर की तरफ से कोई इशारा था जो भी था उस टाइम मैं कुछ समझ नही पाया था।

दिल कई बार किया कि गीता से मिल लूँ पर मेरे कदम हर बार रुक गये बस मैं अपने आप मे ही खोया रहता था मेरे दिल मे एक अजीब सा बन्जरपन था जो मुझे सब से दूर हो जाने को कहता रहता था निशा के रूप मे मुझ एक बहुत ही अच्छी दोस्त मिल गयी थी जो मुझे हर हाल मे संभाल ही लेती थी कॉलेज मे भी मैं बस लाइब्रेरी मे ही बैठा रहा करता था एक दिन निशा ने बताया कि उसने बॅंक क्लर्क का फॉर्म भरा है अब वो जमके तैयारी करेगी क्या पता उसको नौकरी मिल ही जाए जुलाइ के शुरुआती दिनो की बात है यूपीएससी की तरफ से मेरा कॉल लेटर आ गया था मुझे एग्ज़ॅम देने देल्ही जाना था मैं पहली बार देल्ही जा रहा था मन मे एक चाव सा चढ़ गया था पापा बोले कि वो मेरे साथ चॅलेंज पर मैने कहा मैं अकेला ही चला जाउन्गा


पर समस्या थी रुकु कहाँ पे तो पापा बोले की उनका एक दोस्त है बीरसिंग वो गुडगांवा मे रहता है तू उसके घर रुक जइयो मैं उस से बात करता हूँ शाम को पापा ने उसका अड्रेस मुझे दे दिया मैने अपना बॅग पॅक किया और ट्रेन पकड़ ली जिंदगी मे पहली बार ट्रेन का सफ़र कर रहा था बहुत ही मज़ा आ रहा था बिल्कुल ही अलग सा अनुभव था मेरे लिए गाँव का लड़का पहली बार मेट्रो सिटी मे कदम रखने वाला था गुडगाँव स्टेशन पे उतरा ऑटो पकड़ा और बीरसिंग के अड्रेस पे पहुँच गया उसकी पत्नी ने दरवाजा खोला तो मैने अपना परिचय दिया उसकी पत्नी जिसका नाम बबली था मैं तो उसको देखता ही रह गया एक नंबर का माल थी मेरा तो लंड झट से खड़ा हो गया उसने मुझे बैठाया चाइ-नाश्ता करवाया थोड़ी देर मे बीरसिंघ भी आ गया

वो बिजली विभाग मे लाइन मेन के पद पर नियुक्त था जब वो मुझसे बाते कर रहा था तब मुझे उसके मुँह से बहुत तेज़ बदबू आई दारू की वो बोला कभी कभी पी लिया करता हूँ पर मैं समझ ही गया था कि ये साला पक्का वाला ही है पर मुझे तो रात काटनी थी किसी तरह मेरा पूरा ध्यान तो बबली की मस्त गान्ड पे था तभी एक आदमी और आ गया और बोला बीरसिंघ ड्यूटी पे नही चलना है क्या तो फिर वो अपनी पत्नी से बोला कि कंट्रोल रूम मे मेंटेनिंग का काम हो रहा है उसकी 24 घंटे की ड्यूटी है तो जल्दी से खाना बना दे कुछ ही देर मे बबली से उसको टिफिन बॉक्स दे दिया बीरसिंग ने मुझे आराम करने को कहा और फिर वो अपनी ड्यूटी पे चला गया बबली बोली तुम नहा धोके फ्रेश हो जाओ फिर आराम करना जब मैं नहा के आया तो मैने देखा कि वो अपने गेट मे खड़ी होके किसी आदमी से बात कर रही थी और कह रही थी कि


आज नही हो पाएगा घर मे गेस्ट आया है तुम समझा करो मैं फिर कभी तुम्हारा काम कर दूँगी ये सुनके मेरे कान खड़े हो गये मैं उनकी बात छिप के सुन ने लगा वो कह रही थी प्यार तो मैं भी करती हूँ पर तुम समझो तो सही हमारे गाँव से आया है उसने देख लिया तो वहाँ जाके क्या कहेगा तो वो आदमी बोला चलो एक किस तो दे दो जब वो बबली को किस कर ही रहा था तो मैं एक दम से आ गया मुझे देख के वो आदमी तो तुरंत ही भाग गया बबली ने अपनी नज़र को नीचे कर लिया और अपने रूम मे चली गयी मैने गेट को बंद किया और उसके रूम मे चला गया वो कुर्सी पे बैठी थी मैने कहा आप ये क्या कर रही थी अगर अंकल को पता चल गया तो वो बोली प्लीज़ तुम किसी से कुछ नही कहना वो तो बस ऐसे ही मज़ाक कर रहा था


तो मैने कहा मुझे पता है वो कैसे मज़ाक था मैं बोला टेन्षन मत लो ये तो बड़े सहरो मे चलता ही रहता है पर अगर आप चाहो तो मैं आपके लिए कुछ कर सकता हूँ वो बोली क्या मतलब तो मैने कहा जिस मज़े की बात आप उस आदमी से कर रही थी वो मज़ा मैं भी आपको दे सकता हूँ ये सुनके वो मंद मंद मुस्काने लगी और बोली अब तुम ही बताओ क्या करू तुम्हारे अंकल तो मुझे खुश कर नही पाते है तो मेरे पास और कोई चारा भी नही है तो मैने कहा देख लो अगर आप चाहो तो आपका काम भी हो जाएगा और मेरा भी तो वो मेरे पास आते हुए बोली कि अब मेहमान को खूश करना तो मेरा कर्तव्य है मेरे मन मे लड्डू फूट रहे थे कि आज एक चूत का और शिकार हो जाएगा बबली कोई35 साल की होगी पर थी एकदम माल यौवन से भरी हुई और बेहद ही गौरी थोड़ी मोटी सी मैने उसे बेड पे लिटा दिया

मैं उसके उपर लेट कर उसको चूमने लगा उसके गुलाबी होंटो का रस पीने लगा बेहद ही मुलायम होंठ थे उसके थोड़े मोटे थे पर बेहद मुलायम मैं सब कुछ भूल के उसके होंठो को चूमने लगा थोड़ी देर बाद उसने अपना मुँह अलग किया और बोली तुम . तो नही लगते तो मैने कहा जो भी हूँ तुमको पता चल ही जाएगा और अपना हाथ उसकी मॅक्सी मे घूँसा दिया बबली की मक्खन सी टाँगो पे मेरे हाथ फिसल रहे थे मैं बुरी तरह से उसकी टाँगो को भींच रहा था दूसरी ओर उसके होंठ मेरे मुँह मे क़ैद हो चुके थे बबली की मॅक्सी उसके पेट तक उठ गयी थी लाल रंग की कच्छि उसके गौरे तन पे बहद फॅब रही थी मैं उस से अलग हुआ और उसकी मॅक्सी को हटा दिया वो अब मेरे सामने बस कच्छि मे ही बैठी थी मैं जल्दी से अपने कपड़ो को उतारा और नंगा हो गया


मेरे तने हुए लंड पे उसकी निगाहें जम गयी पर उसने कहा कुछ भी नही मैं उसके साथ लेट गया और उसकी चूचियों से खेलने लगा बहुत ही सॉफ्ट सॉफ्ट थी वो काफ़ी देर तक उनको दबा ता ही रहा उसने अपना हाथ मेरे लंड पे रखा और मेरी मुट्ठी मारने लगी थी उसके नरम हाथ मेरे लंड को और भी जोश दिलाने लगे थे उसके मोटे मोटे चूंचको को चूस चूस के मैने अच्छी तरह से फूला दिया था बबली बहुत ही गर्म हो गयी थी मैने अपना हाथ उसकी टाँगो के भिच मे घुसाया और उसकी योनि से छेड़छाड़ करने लगा लंबे लंबे बालो से भरी हुई उसकी चूत बहुत ही चिकनी हो रही थी उसकी चूत के बाल उसके चिप चिपे पानी से भीग गये थे मैने अपनी दो उंगलिया बबली की चूत मे घुसेड दी और अंदर बाहर करने लगा वो उफफफफफफ्फ़ उफफफफफफफफफफफफफफफ्फ़ करने लगी काफ़ी देर तक मैं उसकी चूत मे उंगली ही करता रहा बबली का जिस्म वासनके रंग मे पूरितरह से रंग चुका था तो मैने उसकी टाँगो को खींच कर बेड के साइड पे किया

और उसकी मोटी मोटी सुडोल टाँगो को अपने कंधो पे रख लिया अब रास्ता क्लियर था एक ही झटके मे लंड चूत की पूरी गहराई को नाप चुका था मैं धीमे धीमे धक्के लगाने लगा उसने अपनी चूचियो को अपनी मुट्ठी मे दबा लिया और बबली आँहे भरते हुए चुदने लगी उसकी उमर के हिसाब से उसकी चूत इतनी ज़्यादा ढीली भी नही थी एक अलग सा कसाव था उसकी चूत मे जब जब लंड अंदर बाहर होता तो उसकी चूत की पंखुड़िया संकुचित होती तो मेरा मज़ा और भी बढ़ जाता था पूरी सख्ती से लंड उसकी चूत को खोले जा रहा था 5-7 मिनट तक उसकी टाँगो को अपने कंधे पे रखे रखे ही मैं उसे चोद्ता रहा फिर मैने उसकी टाँगो को आज़ाद किया और उसके उपर छा गया बबली की धीमी धीमी मस्ती भरी आँहे मेरा जोश और भी बढ़ा रही थीं .


हम दोनो एक दूसरे के सामर्थ्य को तौल रहे थे बबली की बड़ी बड़ी आँखो मे मस्ती सॉफ सॉफ देख रहा था मैं बबली बोली और तेज तेज करो तज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज करो और अपने कुल्हो को उपर कर दिया मैने भी अपनी स्पीड को और बढ़ा दिया वो दीवानो की तरह मेरे होंठो को चबाने लगी बबली आउट ऑफ कंट्रोल हो चुकी थी कुछ ऐसा ही हाल मेरा भी था दना दन दना दान धक्के पे धक्के लग रहे थे उसकी मस्त चूत मे फिर उसने मुझे अपनी बाहों मे कस लिया और ठीक उसी पल मेरे लंड ने भी अपना दम तोड़ दिया मेरा वीर्य और उसका कामरस आपस मे घुलने से लगे हम दोनो किसी लाश की तरह शांत पड़ गये उसकी चूत अब भी फडक रही थी उसके चेहरे पे पूर्ण संतुष्टि के भाव थे मैं उसके उपर से उठा पूछा कि आवाज़ के साथ लंड चूत से बाहर निकल आया मैने उसकी मॅक्सी से अपने लंड को सॉफ किया और साइड मे लेट गया वो वैसे ही पड़ी रही

कोई 15 मिनट बाद बबली उठी और अपनी मॅक्सी को पहनने लगी मैने कहा कि और नही करना है क्या तो वो बोली उसके बच्चो के कॉलेज से आने का टाइम हो गया है वो आते ही होंगे अब रात को देखेंगे तो मैने भी अपने कपड़े पहन लिए मुझे कुछ स्टेशनरी का समान खरीदना था तो उसने मुझे पास की मार्केट के बारे मे बताया और मैं चला गया सहर की चका चौंध मुझे बहुत ही अच्छी लग रही थी मन हो रहा था कि गाँव मे क्या रखा है रहना तो बस सहर मे ही चाहिए .

अपना समान खरीदके भी मैं इधर उधर ही तफ़री मारता रहा फिर मैं वापिस चला गया बबली मुझपे बहुत ही ज़्यादा मेहरबान हो रही थी वो बोली रात को जब बच्चे सो जाएँगे तो मैं तुम्हारे पास आ जाउन्गि मैने कहा ठीक फिर मैने अपना सारा समान चेक कर लिया था मौका देख कर बबली को भींच लिया था मैं बेसबर हो रहा था उसको फिर से रगड़ने के लिए खैर रात हुई एक बेहद लज़ीज़ डिनर के बाद ठंडी ठंडी कुलफी सच बताऊ मज़ा ही आगया था फिर उसने अपने बच्चो को सुला दिया हम सब का बिस्तर छत पे लगा हुआ था

बच्चो के सोने के बाद वो उठी और मेरे पास आकर लेट गयी मैने उसको किसी शिकारी की तरह दबोच लिया और उसको भींचने लगा जब मैने उसकी मेक्सी मे अंदर हाथ डाला तो पता चला कि अंदर से उसने कुछ भी नही पहना है उसकी तरफ से पूरी तैयारी थी मैने भी अपना पयज़ामा और कच्छा झट से निकाल दिया मैं अपने हाथ से उसकी चूत को मसल्ने लगा बबली भी एक प्यासी औरत थी जो हमेशा ही गरम चुदासी रहती थी बबली बोली तेरा लॉडा तो बहुत मस्त है तुझसे चुदके को मैं खिल गयी हूँ चल अब देर ना कर और फिर से मुझे अपनी बना ले मैने उनके मादक नितंबो को अपने हाथो से दबाते हुए कहा आंटी जी आप चिंता मत करो आपकी प्यास बुझाना तो मेरा परम कर्तव्य है और उनकी गान्ड की दरार मे अपनी उंगली घूँसा दी बबली चिहुन्क पड़ी और बोली क्या करते हो तो मैने कहा कि डार्लिंग आज मैं तुम्हारे हर छेद का मज़ा लूँगा वो बोली खुशी से और अपनी बाहें मेरे गले मे डाल दी और मुझको किस करने लगी


जब वो मुझको किस कर रही थी तो मैं अपनी उंगली से उनकी चूत के दाने को छेड़ने लगा तुरंत ही रियेक्सन हुआ उनके बदन मे कँपकपी दौड़ गयी बहुत ही हल्क हल्के से मैं उनके दाने को रगड़ने लगा थोड़ी देर बाद उन्होने अपना मुँह अलग किया और नीचे जाते हुए मेरे लंड को अपने मुँह मे ले लिया और चुँसने लगी क्या मस्त मज़ा आया था उसकी जीभ मे जैसे एक नशा सा था जो मुझपे छाने लगा था मैने कहा एक काम करो तुम 69 मे आ जाओ तो दोनो को ही और भी मज़ा आएगा अब हम दोनो एक साथ साथ एक दूसरे के अंगो से खेल रहे थे मैं उसकी चूत का रस पी रहा था और बबली मेरे लौडे को चूसे जा रही थी वैसे भी मुख्मैन्थुन का असली मज़ा तो साथ साथ ही आता है मेरे थूक से उसकी पूरी चूत सन गयी थी


चूत तो पहले ही बहुत चिकनी थी 10-15 मिनट तक एक दूसरे के अंगो को चाटने चूमने के बाद मैने उसको घोड़ी बना दिया और उसके चुतडो पे दो चार कस के पप्पी ली फिर अपने लंड को चूत से सटा दिया और उसको चूत पे रगड़ने लगा बबली बोली काहे तड़पाता है सीधा डाल ना अंदर तो मैने लंड को अंदर घूँसा दिया और एक बार फिर से हमारा ये अनोखा खेल शुरू हो गया रात को कुछ ज़्यादा ही गरम हवा चल रही थी उपर से गरमा गरम चुदाई कुल मिला के ठीक ही था मैने अपने हाथो को उसके कंधो पे कस लिया और पूरी ताक़त से बबली को चोदने लगा मैं बहुत ही तेज गति से धक्के मारे जा रहा था मेरे हर धक्के पे बबली का पूरा शरीर बुरी तरह से हिल रहा था उसकी साँसे भारी हो गयी थी मुझपे एक जुनून सा चढ़ गया था
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RE: हार तरफ चुत हि चुत (BIG & HOT STORY) - by Pagol premi - 05-12-2020, 08:27 PM



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