05-12-2020, 08:15 PM
कुछ दिन कौशल्या मामी के साथ बिता लूँ जून मे तो कॉलेज की छुट्टियां पड़ जाएँगी तो मामा आ जाएँगे उस से पहले ही मोर्चा मार देता हूँ तो मैने घर वालो को कहा कि मैं कल मामा के जा रहा हूँ सुबह सुबह ही मैं निकल गया पहले मैं नाना नानी से मिला कुछ देर बैठा उनके पास फिर कौशल्या मामी के घर चल पड़ा मामी मुझे देखते ही खुश हो गयी बोली अब जाके मेरी याद आई है तुमको तो मैने कहा कि पूरा प्लान बना के आया हूँ जून मे तो मामा आजाएँगे तो इस लिए अभी आ गया अब दस पंद्रह दिन बस तुम और मैं फुल मस्ती मारेंगे मामी भी मुस्कुरा पड़ी मैने मेन गेट को बंद कर दिया और उनसे लिपट गया
तो वो बोली रात का इंतज़ार करो वैशे भी शाम तो ढल ही गयी है मैं फटा फट खाना बना लेती हूँ तेरी बड़ी मामी यहाँ नही है तो तू टिफिन ले जाना और माँ-बाबा को दे आईओ और वो कोई काम बताएँ तो मुझे कहियो मैने कपड़े चेंज किए मामी रसोई मे बिजी हो गयी मैं टाइम पास करने को नॉवेल पढ़ने लगा पर मन नही लगा तो मैं भी रसोई मे चला गया मामी सब्ज़ी काट रही थी मैने उनके घाघरे के नाडे को खोल दिया फूलो के डिज़ाइन वाली पेंटी उनकी गान्ड की दरार मे फसि पड़ी थी मामी बोली तुमसे तो ज़रा सा भी सब्र नही होता है तो मैने कहा क्या करूँ आप इतनी अच्छी जो लगती हो तो वो बोली ज़्यादा मस्का मत लगा मैं उनके पीछे खड़ा हो गया और उनके चुतडो को कच्छि के उपर से ही मसल्ने लगा मामी बोली मत कर ना काम करने दे मुझको
तो मैने कहा मैं भी तो काम ही कर रहा हूँ ना उनको भी पता था कि मैं मान ने वाला तो हूँ नही तो उन्होने भी खुद को मेरे हवाले करता रहा मैने आहिस्ता से उनकी कच्छि को नीचे सरका दिया और उनकी चूत मे उंगली डाल दी मामी कसमसाने लगी वो बार बार मुझे मना कर रही थी कुछ देर बाद मैने अपनी उंगली को चूत से बाहर निकाला और उसे मुँह मे लेके चुँसने लगा मैं बोला मामी आपकी इस गुड़िया का रस तो और भी स्वादिष्ट हो गया है तो वो बोली जो भी है अब तो तेरे लिए ही है आज रात तुझ जी भर के पिलाउन्गि पर अभी तू मुझे खाना बनाने दे तो मैने उनको छोड़ दिया और घर से बाहर आके बैठ गया शाम की बहती हुई ठंडी हवा मे मेरा रोम रोम पुलकित हो रहा था डूबते हुए सूरज का बेहद दिलकश नज़ारा ले रहा था
फिर कोई एक घंटे बाद मैने खाने का टिफिन लिया और बड़ी मामी के घर पे चल पड़ा नाना- नानी को खाना खिलाया तो नानी बोली बेटा दुकान से कुछ मोमबति के पॅकेट ले आ जब मैं दुकान पे जा रहा था तो मुझे रास्ते मे सरोज मिल गयी वो मुझे देखते ही बहुत खुश हो गयी और पूछा तुम कब आए तो मैने कहा आज ही आया हूँ वो बोली कुछ दिन रुकोगे तो मैने कहा कि मैं तो स्पेशली आपसे ही मिलने आया हूँ अब आप देखलो तो वो बोली कल आ जाना दोपहर मे फिर मैं आगे बढ़ गया कौशल्या मामी तक पहुँचते पहुँचते साढ़े 8 हो गये थे जाते ही मामी ने खाना परोस दिया घी मे पूरी तरह से डूबी हुई रोटियो को देख के मैं बोलो ये सब किसलिए तो वो बोली खा ले बेटा आज तुम्हे मेहनत भी बहुत करनी है ओरमेरी तरफ आँख मार दी इसी तरह दस बज गये गर्मी भी कुछ ज़्यादा ही पड़ रही थी मैने सोचा नहा ही लूँ तो मैने मामी का हाथ पकड़ा और उन्हे लेके बाथ रूम मे घूंस गया मैने शवर चला दिया तो मामी बोली कपड़े तो उतार दो भीग जाएँगे मैने कहा भीगने दो और उनको अपने साथ चिपका लिया अब हम दोनो भीगने लगा मैने मामी के जुड़े को खोल के उनकी ज़ुल्फो को आज़ाद कर दिया मामी मेरी आँखो मे आँखे डाले देख रही थी उनके पतले पतले होंटो से बहती पानी की बूंदे मेरी उत्तेजना को बढ़ाने लगी मैने उनकी चोली और घाघरे को उतार दिया अब वो बस ब्रा-पेंटी मे थी कुछ ही पॅलो मे वो भी फर्श पे पड़े हुए थी मामी का योवन मेरे सामने पड़ा था जो बस ये ही कह रहा था कि जितना लूट सके लूट ले मैने अपने कपड़ो को भी उतार दिया
कौशाल्या की कमर मे हाथ डाला और उसे अपनी ऑर खेंच के उसके होंठो को अपने से चिपका लिया और किस करने लगा उसके मुलायम होंठो की महक मेरी सांसो मे जैसे घुलने सी लगी थी मामी ने अपना हाथ आगे बढ़ा या और मेरे लंड पे रख दिया और उसी अपनी मुट्ठी मे भींचने लगी वासना हमारे शरीरो को काबू मे करने लगी थी मैं अब उनकी गरदन को चूमने लगा मेरे हर एक किस के साथ साथ उनकी मदहोशी बढ़ने लगी थी मैं उनके बोबो तक आ गया था मैं उनकी चूची को पीने लगा मामी के निपल कड़े होने लगे उनकी छातिया मस्ती से फूलने लगी ठंडे पानी की बोछार मे भी उनके शरीर की तपन मैं सॉफ सॉफ महसूस कर पा रहा था चूचियो का आज़ाद किया और मैं उनके पेट पे आ गया मैं उनके पूरे शरीर को चूमते चूमते अपनी मंज़िल की ओर आ रहा था
मैने अपने हाथो की पकड़ उनके चुतडो पे बनाई और अपना मुँह उनकी रसीली चूत से सटा दिया मामी ने अपनी टाँगो को खोल सा दिया था ताकि मुझे कोई परेशानी ना हो मैं उनकी चूत की दरार को अपने दांतो से खाने लगा मामी औचह आऊछ!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!! करने लगी वो बोली थोड़ा आहिस्ता से काटो ना कही निशान ना लग जाए घाव ना हो जाए मैने अपनी उंगलियो की सहायता से चूत को थोड़ा सा फैलाया और अपनी जीभ से उनके मात्र के साइज़ जैसे दाने को चुँसने लगा मामी का पूरा बदन एक दम से कांप सा गया आख़िर हर औरत का सबसे सेन्सिटिव पार्ट तो ये ही होता है मामी ने अपने हाथो को मेरे सर पे कस लिया और अपनी चूत को चटवाने लगी मामी बोली कई दिनो से प्यासी पड़ी हूँ आज मुझे निचोड़ डाल
आज मेरी चूत की सारी खुंजलि को मिटा दे बस खा जा इसे टुकड़ी टुकड़े कर डाल इस निगोडी को ये बहुत तडपाती है मुझ को आज इसकी सारी हेकड़ी को निकाल दे मैं बस उनकी बातों को सुनते हुए उनकी चूत के दाने को चुँसे जा रहा था पर मैं उन्हे इस तरह से नही झड़ाना चाहता था तो 5-6 मिनट और चुँसने के बाद मैने अपना मुँह वहाँ से हटा लिया और मामी को अपने घुटनों पे झुकाते हुए लंड को चूत मे प्रविष्ट करवा दिया और उनकी पतली कमर को थामते हुए उन्हे रगड़ने लगा मामी भी मज़े लेने लगी थी एक तो चुदाई का गरम माहौल और एक उपर से गिरता ठंडा पानी कुल मिला कर माहौल बना पड़ा था मामी की गदराई जवानी को मैं पूरी तरह से लूट रहा था मेरे मारे गये हर धक्के की चोट को बड़े ही कामुकता के साथ झेल रही थी मामी ने अपने सर को थोडा और झुका लिया जिस से उनके चूतड़ और उपर हो गये मैं और आसानी से लंड को अंदर बाहर करने लगा आधे घंटे तक जबरदस्त संग्राम मचाने के बाद मैने उनकी चूत को अपने पानी से भर दिया और परम सुख का अनुभव करने लगा पूरी रात उनकी 4 बार रगड़ के चुदाई की
अगले दिन जब मैं सोकर उठा तो 11 बज रहे थे धूप चढ़ चुकी थी पूरी तरह से आसमान पर मामी ने मुझे देख के बोला आज तो बहुत देर तक सोए हो तो मैने कहा रात को तो आपने सोने ही नही दिया फिर मैं बाहर आया और होदि पे ही नहाने लगा तैयार होके मैं सरोज के घर की तरफ चल पड़ा पर वो ना मिली शायद कहीं गयी हुई थी मैं निराश हो गया और वापिस चल पड़ा पर मेरा मूड नही बन रहा था तो मैं ऐसे ही टाइम पास करने के लिए घूमते घूमते घर से थोड़ा बाहर की तरफ आ गया चारो तरफ दोपहर का सन्नाटा पसरा हुआ था लू चल रही थी साय साय करते हुए मेरी टी-शर्ट पसीने से भीग चूँकि थी मुझे प्यास सी भी लग रही थी गला सूखे जा रहा था थोड़ी और आगे चलने पर मुझे एक बगीचा सा दिखाई दिया
वहाँ पे एक छोटी सी प्याऊ भी बनी हुई थी मैने अपनी प्यास बुझाई और एक पीपल के पेड़ के नीचे बैठ गया आस पास काफ़ी घने पेड़ पौधे थे उपर से गर्मी की वजह से थोड़ी उमस भी हो रही थी मुझे वो स्थान भा गया तो मैं थोड़ा और अंदर की तरफ चल पड़ा पक्षी कुक रहे थे मैं अंदर और अंदर चल ता गया तो मैने देखा कि कुछ बकरिया और गधे चर रहे थे तो मैने सोचा कि अगर पशु है तो कोई इंसान भी होगा सोचते सोचते मैं और आगे चल पड़ा अब पेड़ पौधे और भी घने हो गये थे तभी मुझे एक पेड़ के साइड से कुछ दिखा मैने सोचा क्या पता कोई छुपा हो चेक करके देखना चाहिए तो मैने अपनी चप्पलो को हाथो मे लिया और उस साइड मे बढ़ने लगा थोड़ी साइड से मैने देखा कि एक लड़की है
सलवार घुटनो तक सरकाए हो चूत मे उंगली के मज़े लिए जा रही थी मेरे अंदर के शैतान ने अंगड़ाई लेनी शुरू कर दी मैने गौर से देखा कि वो अपनी आँखो को बंद किए धीरे धीरे कुछ बुदबुदाते हुए उंगली करती जा रही थी मैने सोचा मौका ठीक है चौका मार देता हूँ मैं झट से उसके पास जाके खड़ा हो गया और उसको डाँट ते हुए पूछने लगा कि वो ये क्या कर रही है वो एक दम से घबरा गयी उसने जल्दबाज़ी मे अपनी सलवार उपर करनी चाही पर वो उसके हाथो से छूट गयी और उसके घुटनो से होते हुए उसके पैरो के पास गिर गयी वो थर थर काँपने लगी उसके माथे पे पसीना छलक उठा उसकी सिट्टी पिटी गुम हो गयी थी उसने अपनी नज़रो को झुका लिया और गर्देन नीचे करके खड़ी हो गयी
मैने बिना लग लप्पेट के उसे कहा कि देखो जो तुम कर रही थी वो तो नॉर्मल है सब लोग करते है तुम मुझसे घबराओ मत और अगर तुम चाहो तो मैं तुम्हे कई गुना ज़्यादा मज़ा करवा सकता हूँ जो तुम्हे अपनी उंगली से मिल रहा था वो कुछ बोलती उस से पहले ही मैने अपने लंड को बाहर निकाल लिया जो कि पूरी तरह से तन चुका था लंड को देखते ही उसकी आँखे चौड़ी हो गयी वो चमकने लगी मैने कहा अगर तुम चाहो तो हम दोनो एक दूसरे के अरमानो को पूरा कर सकते है कुछ देर तक वो खामोश खड़ी रही मैं उसके जवाब का इंतज़ार करने लगा फिर वोधीमे से बोली कि पर उसने कभी किसी के साथ किया नही है बस सहेलियो से चुदाई की बाते ही सुनी है और वो तो बस ऐसे ही कभी कभी अपनी चूत मे उंगली कर लेती है मैं बोला चल आज तू भी लंड का मज़ा ले ही ले और उसको अपनी तरफ खींच लिया
वो बोली पर कुछ होगा तो नही मैं बोला कुछ नही होगा तू बस हिम्मत राखियो मैने कहा क्या तुम तैयार हो तो वो बोली सुना है पहली बार मे बहुत ज़्यादा दर्द होता है मैं बोला सुना तो मैने भी है वो बोली कही मैं मर गयी तो ?
मैने कहा आज तक कोई चुदके मरी है क्या जो तुम मरोगी देनी है तो दे वरना भाड़ मे जा आज नही तो कल किसी ना किसी से पहली बार तो चुदेगि ही तो मुझसे ही करवा ले और अगर नही देगी तो तेरे पीछे पीछे तेरे घर चलूँगा और तेरे माँ-बाप को बताउन्गा तेरी करतूतो के बारे मे ये सुनके वो घबरा गयी और बोली ठीक है तुम कर्लो पर मज़ा तो आएगा ना मैने कहा तू खुद ही बता दियो तुझे मज़ा आया कि नही वो लड़की देखने मे तो कुछ भी नही थी पर मुझे क्या करना था
चूत तो चूत ही होती है और फिर किसी ज्ञानी पुरुष ने कहा भी है कि साँप और चूत जहाँ भी मिले चुको मत मार दो तो मैने अपनी पेंट को उतार दिया और साइड मे रख दिया नीचे से वो भी नंगी ही थी मैने उसे पेड़ से सटाया और उसके अनछुए होंटो को चूमने लगा उसको अपने होंटो पर पर पुरुष का स्पर्श कुछ अच्छा नही लग रहा था पर थोड़ी देर मे जब काम ने उसके बदन मे संचार करना शुरू किया तो वो भी मेरा साथ देने लगी मैं बिना रुके उसके होंठो को पिए जा रहा था मैने अपनी हथेली उसकी चूत पे रख दिया और उसको मसल्ने लगा उसकी चूत तो बहुत ही ज़्यादा गरम हो रही थी उसकी चूत की साइड से पसीना बह रहा था मैं अपनी उंगली को उसकी चूत के दाने और उसकी लाइन पे फिराने लगा उसके बदन मे कंपकंपी होने लगी
मेरे लंड का भी बुरा हाल हो रहा था तो देर करना उचित नही था मैने उसे वही पे पत्तो पे लिटा दिया और उसकी टाँगो को चौड़ा कर दिया मैने अपने मुँह को नीचे किया और ढेर सारा थूक उसकी चूत पे लगा दिया थोड़ा अपने लंड की टोपी पे भी लगाया और लंड को चूत पे सेट कर दिया पहली बार मे लंड फिसल गया कई ट्राइ की पर लंड घूंस ही नही रहा था तो मैने सुपाडे को कस के छेद पे रखा और अपना पूरा ज़ोर लगाते हुए धक्का मारा अबकी बार सुपाडा अंदर घूंस गया जैसे ही सुपाडा अंदर घूँसा उसकी आँखो की आगे तारे नाच उठे सांस गले मे ही अटक गयी उसने अपनी जीभ को दाँतों मे दिया आँखो से आँसुओ की धारा बह निकली वो रोते हुए बोली
रीईईईईईईईईईईई माआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआअ
आआआआआआआआआआआअ मररर्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्ररर
र्र्र्र्र्र्र्र्रर्डिईईईईईईईईईईईईईय्ाआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआरीईईईईईईईईईईईईईईईई
ईईईईईईईईईईईईई बाआआआआआआहर्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्ररर
र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्ररर न्न्र्रननननननननननन्न्निईीईईईईईईईईईईईईईईईईईईिककककककककककककककाअ
आआआआआआआाअलल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल लीईईईईईईईईईईईईईईईईई अभी निकाल तू मुझे नही लेना मज्जाआाआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआ पर मुझे पता था कि एक बार अगर अगर लंड को बाहर निकाल लिया तो फिर ये हाथ नही आए गी वो किसी हलाल होती हुई मुर्गी की तरह हो रही थी तो मैने अपना हाथ उसके मुँह पे रख दिया ताकि वो चीख ना मार सके और एक और धक्का लगाते हुए पूरे लंड को उसकी चूत की गहराइयो मे उतार दिया
मैने उसे कस्के दबोच लिया था मैने अपने हाथ की पकड़ उसके मुँह पे कस दी तो बुरी तरह से फड़फड़ाने की कोशिश कर रही थी पर मेरी बाँहो के चंगुल से निकल नही पाई 5-7 मिनट तक मैं ऐसे ही उसके उपर लड़ा रहा वो भी कुछ शांत हुई तो मैने अपना हाथ उसके मुँह से हटाया उसकी सांसो की गति बहुत ही तेज हो गयी थी मैने पूछा ठीक हो तो वो बोली बहुत दर्द हो रहा है मैं बोला बस अभी दूर हो जाएगा थोड़ी हिम्मत करो मैने उसके होंठो को फिर से चुंसना शुरू किया और धीरे धीरे अपनी कमर को हिलाने लगा बस धीरे धीरे ही समय बीतने के साथ वो कुछ नॉर्मल तो हो रही थी पर उसको दर्द तो हो ही रहा था उसकी चूत तो हद से ज़्यादा टाइट थी ऐसा एहसास तो मुझे आज तक कभी नही हुई था लग रहा था कि जैसे लंड किसी बोतल मे फस गया हो
चूत ने उसे पूरी तरह से लॉक कर लिया था मैने लंड को एक दम किनारे तक खेंचा और दुबारा अंदर डाल दिया उसने अपनी टाँगो को सीधा कर दिया काफ़ी देर हो चुकी थी तो मैने अब धक्को की रफ़्तार को बढ़ा दिया उसके होंठ मेरे मुँह मे थे तो उसकी हर सिसकी मेरे मुँह मे ही घुल गयी थी मैं धक्के मारे जा रहा था उसके चूतड़ भी अब हिलने लगे थे मुझे ऐसे लग रहा था कि जैसे मेरे लंड पे पिघला हुआ लावा उडेल दिया गया हो फिर उसने अपने होंठ हटाए और लंबी लंबी साँसे लेने लगी मैं पूछा अब ठीक हो तो उसने इशारा किया तो मैं भी आस्वश्त हुआ उसके हाथ मेरी पीठ पे रेंगने लगे उसके नाख़ून मेरी पीठ मे धँस गये वो बहुत ही ज़ोर से अपने नखुनो को गढ़ाए जा रही थी पूरी तरह से वो भी अब जवानी के मज़े मे बहने लगी थी
मैं अपनी गति को निरंतर बढ़ाए जा रहा था मैं उसकी थोड्डी को अपने दाँतों से खाए जा रहा था कुछ भी होश नही था मुझे तो मैं उसमे पूरी तरह से खो चुका था तभी उसने अपनी टाँगो को मेरी कमर मे फसा लिया और बेसूध होकर पड़ गयी उसने अपने चरम को पा लिया था मैं भी बस थोड़ी ही दूर था तो मैने अपने लंड को बाहर निकाला और उसके पेट पे अपना वीर्य छोड़ दिया जब खुमारी उतरी तो मैने देखा मेरा लंड पूरी तरह से खून मे सना पड़ा था और उसमे बहुत ही जलन हो रही थी मैने किसी तरह से पेंट पहनी फिर उसको उठाया उसका भी हाल ज़्यादा बेहतर नही था उस से चला ही नही जा रहा था बड़ी ही मुश्किल से वो उठी कोई आधे घंटे बाद उसकी हालत थोड़ी सुधरी वो बोली ऐसी तैसी मे जाए ऐसा मज़ा आज के बाद सौगंध है मैं ना चुदु किसी से मेरी तो फट ही गयी
आज मैने कहा अगर तुम नॉर्मल ना हो पाओ तो घर पे कह देना कि तुम पैड से गिर गयी और टाँगो मे चोट लगी है वो बोली कुछ ना कुछ तो कहना ही पड़ेगा मेरे लंड मे बहुत ही तेज जलन हो रही थी थोड़ी देर बाद वो लन्गडाते लन्गडाते अपनी बकरियो के पास चली गयी मैं भी अपनी राह पे हो लिया प्याऊ के पास आके मैने डिब्बे मे पानी भरा और एक साइड मे जाके अपने लंड को धोया तो पता चला कि अंदर से वो बुरी तरह से छिल गया है जिस वजह से बहुत ही जलन हो रही थी अब ये नई मुसीबत हो गयी थी किसी तरह से घिसट घिसट के घर आया तो मामी बोली कहाँ गये थे तुम तो मैने बहाना बना दिया पर जलन बढ़ती ही जा रही थी तो मैने मामी कोसब बता दिया मामी बोली तुम तो बहुत ही शातिर हो गये हो जब घर मे मिल रही है तो वहाँ करने की क्या ज़रूरत थी मैं चुंप ही रहा फिर उन्होने कोई ट्यूब लंड पे लगाई मामी बड़बड़ाये जा रही थी कि मेरे रात के प्लान का बंटाधार कर दिया ये है वो है दवाई लगाने के बाद कुछ चैन मिला
अब ये और एक नया पंगा हो गया था इधर मामी झल्लाई पड़ी थी दूसरी तरफ सरोज भी तुड़ाई माँग रही थी पर हथियार ही घायल पड़ा था तो मैं भी क्या करता 5-6 दिन लग गये पूरी तरह से ठीक होने मे जून शुरू हो गया था कॉलेज की छुट्टिया पड़ गयी थी तो मामा भी बस दो-चार दिन मे आने ही वाले थे और मामी के बच्चे भी तब मामी चुदाई नही कर पाती मुझसे तो पूरे टाइम उनका मूड उखड़ा उखड़ा ही रहता था मैं खुद भी परेशान ही था मामी दिन मे तीन टाइम लंड की नारियल तेल से मालिश करती थी जख्म भर तो गया था पर मैं एक दो दिन और भी रुकना चाहता था ऐसे ही एक दिन वो मेरे लंड पे तेल मल रही थी मेरा लंड पूरी तरह तना हुआ उनके हाथ मे था मामी की आँखो मे वासना के डोरे तैर रहे थे वो बोली आज तो कुछ कर्लो ना
तो मैं बोला हाँ कई दिन हो गये है आज कुछ तूफ़ानी करते है मामी के चेहरे पे एक गहरी मुस्कान आ गयी मामी खड़ी हुई और अपने सारे कपड़े उतार के नंगी हो गयी मैने भी ऐसा ही किया मैं सोफे पे बैठ गया तो वो आके मेरी गोदी मे चढ़ गयी और बिना किसी ओपचारिकता के मेरे चिकने लंड को अपनी चूत पे लगाया और उसपे बैठती चली गयी पूरा लंड एक बार मे ही अंदर हो गया मामी ऐसे मुस्काई जैसे कोई किला फ़तेह कर लिया मामी बोली आज मुझे थोड़ा चैन मिला है मैं थोड़ी पीछे की ओर हो गया मामी अपनी कमर उचकाने लगी मैने अपने हाथ उनके कंधो पे रख दिए और चुदाई का आनंद लेने लगा मामी पूरी तरह से चुदासी हो रही थी फिर उन्होने अपने होंठ आगे किए जिनको मैने अपनो से मिला लिया मामी पूरी तरह से चुदाई के रंग मे रंग गयी थी
मैने कहा नीचे आ जाओ पर उन्होने मना किया और अपनी कमर उचकाती र्है मेरा तेल मे सना लंड उनकी चूत मे घमासान मचाए हुए था 15मिनट तक मामी मेरे लंड पे बैठी रही मैने खुद को पूरी तरह से उनके हवाले कर दिया था आज मैं उनको नही बल्कि वो मुझे चोद रही थी काफ़ी देर तक वो बस कूदती ही रही फिर ऐसे ही वो झाड़ गयी उनकी चूत से बहता हुआ रस मेरे अंडकोषो तक को भिगो चुका था झड़ने के बाद भी मामी कुछ देर तक लंड पे ही बैठी रही फिर मैने उन्हे अपने उपर से उतारा और सोफे पे उल्टी कर के लिटा दिया पास रखी तेल की कटोरी से थोड़ा तेल उनकी गान्ड पे लगाया और लंड को गान्ड मे डाल दिया मामी का शरीर एक बार टाइट हुआ पर तुरंत ही नॉर्मल हो गया मामी वैसे भी अपनी गान्ड ज़्यादा चुदवाती थी
उन्हे क्या फरक पड़ना था मैने अपनी हाथो से सोफे की पुष्ट को पकड़ लिया और मामी की गान्ड मारने लगा मामी भी अपनी चुतडो को हिलाने लगी कोई दस मिनट तक उनकी गान्ड मारने के बाद मैं भी ढह गया और उनको लिए लिए ही पसर गया कुछ देर बाद हम अलग हुए मामी ने अपनी कच्छि से अपनी गान्ड और चूत को पोन्छा और अपने कमरे मे चली गयी मैने भी अपने कपड़ो को पहन लिया और सोफे पे लेट गया थोड़ी ही देर हुई थी कि बाहर से मम्मी मम्मी की आवाज़े आई मैने दरवाजा खोला तो बाहर मनीषा दी और राकेश खड़े थे मामी के बच्चे आ गये थे वो मुझे देखत ही बोल वाउ भैया आप भी आए हुए वो कितने दिनो बाद मिले है अब छुट्टियाँ मस्त बीतेंगी मामी उनको देखके भावुक गयी फिर रात ऐसे ही बातो बातो मे कट गयी
मामी ने चुप के से मुझे बता दिया था कि वो बच्चो के सामने कोई रिस्क नही लेंगी फिर पहले भी हमे बड़ी मामी ने पकड़ लिया था तो मैं भी कुछ रिस्क नही चाहता था फिर मेरे पास सरोज के रूप मे ऑप्षन भी था तो काम तो चलना ही था अगले दिन मैने सोचा एक राउंड उसी बगीचे की तरफ मार लू क्या पता वो लड़की मुझे फिर मिल जाए तो मैं उसी समय के आस पास्स चल पड़ा काफ़ी तलाशा पर वो मिली ही नही तो मैं वापिस आ गया जब मैं आ रहा था तो गली मे एक आइस्क्रीम वाला खड़ा था मैने एक खरीदी और उसे चुँसने लगा और आइस्क्रीम खाते खाते सरोज के घर पहुँच गया उसने गेट खोला और मैं अंदर उसके दोनो बच्चे घर ही थे मैं उस से बाते करने लगा वो बोली कल मेरा पति और बच्चे मेरी बहन के यहा जाएँगे
मैं बहाना कर के रुक जाउन्गि फिर पूरी रात हमारी ही होंगी मैने कहा देख लो वो बोली तुम चिंता मत करो कल रात तुम्हारी अच्छी तरह से खातिरदारी करूँगी रात को हम सब भाई बहन घर के बाहर अपनी अपनी खाटो पे पड़े थे मैं अपना फेव. प्रोग्राम लव गुरु सुन रहा था तभी राकेश बोला भाई आपने कभी लव किया है क्या मैं बोला मुझे नही पता लव क्या होता है तो मनीषा दी बोली भाई बताओ ना आजकल तो सभी लोग लव करते है अगर आप किसी से लव नही करते हो तो फिर ये लव गुरु क्यो सुनते हो मैं बोला यार तुम लोग भी कुछ भी बकवास करते रहते हो काफ़ी देर तक वो लोग ऐसे ही मुझे छेड़ते रहे उनकी बातों से मुझे मिता की याद आ गयी थी अब नींद तो नही आनी थी बस करवटें ही बदलनी थी रात्रि के लास्ट पहर मे जाके आँख लगी पर नींद मे भी मिता के ही सपनो मे खोया रहा सुबह थोड़ा लेट उठा
मैं उठना चाहता ही नही था पर राकेश ने जगा ही दिया वो मेरे पीछे ही पड़ गया था वो अपने साथ मुझे कही ले जाना चाहता था पर मेरे अपने भी कुछ प्लॅन्स थे पर उसकी सीधे मुँह पे टाल भी नही सकता था तो मैने कहा देखेंगे भाई और झट से बाथ रूम मे घूंस गया कुछ देर बाद एक जबरदस्त नाश्ते के बाद मैं कुछ सोच विचार कर ही रहा था कि राकेश फिर से मेरे पीछे पड़ गया तो मैं उसके साथ बाजार चला गया उसको कुछ शॉपिंग करनी थी मैं एक साइबर केफे मे गया और अपने रिज़ल्ट के बारे मे पूछा कि कब तक आएगा तो उसने बताया कि एक हफ्ते मे डिक्लेर हो जाएगा मैं एक एसटीडी मे गया और मिता का नंबर मिलाया पर बात नही हो पाई दोनो बार उसके घर मे किसी आदमी ने ही फोन उठाया
राकेश कुछ खाने पीने की ज़िद करने लगा फिर हम हाइवे पे बने एक रेस्टोरेंट गये कुछ खाया पिया और थोड़ा कुछ मनीषा दी के लिए भी पॅक करवा लिया कोई 5 बजे हम वापिस आए मेरा दिमाग़ बहुत तेज़ गति से दौड़ रहा था मैं मामी के पास गया और बोला मामी आज रात मुझे कहीं जाना है तो मामी बोली कहाँ पे तो मैने उनको बता दिया कि आज मुझे सरोज के घर जाना है मामी बोली तो उसने तुझे भी नही बख्शा मैं बोला अब आप तो कर नही सकती तो कुछ जुगाड़ तो करना ही पड़ेगा ना तो मामी बोली पर तुम ऐसे जाओगे तो बच्चो को क्या कहूँगी ये भी अब समझदार हो गये है मैं बोला मामी कुछ भी करके अड्जस्ट करवाओ मामी बोली तू ही देख ले मुझे कुछ नही पता मेरी समझ मे नही आ रहा था कि कैसे निकलु वहाँ से वो कहते है ना कि सावन के अंधे को तो बस हरा ही हरा दिखाई देता है
तो मेरा भी वो ही हाल था बस चूत और चूत रात हो चुकी थी मुझे इंतज़ार था भाई-बहेन के सोने का पर वो भी आज सो ही नही रहे थे मार्फिज़ का लॉ एक बार अपने सिद्धांत की पुष्टि कर रहा था मैं बैचैन होने लगा पर बेबस था मैं सोच रहा था कि सरोज मेरा इंतज़ार कर रही होगी पर मेरे भाई बहन मुझसे चिपके पड़े थे तो मैने भी सोचा भाड़ मे जाए सरोज चूत तो और भी मिल जाएँगी पर ये भाई-बहनो का प्यार कम को ही मिलता है तो मैं भी उनके साथ शामिल हो गया मैने अपने बॅग से कॅमरा निकाला और उन अनमोल पलो को क़ैद करने लगा काफ़ी देर तक हम लोग मस्ती करते रहे जब वो लोग सो गये तो मैं बैठक मे गया और अपनी डायरी मे लिखने लगा जब मेरी उंगलिया दुखने लगी तो मैं भी सो गया
अगली सुबह मैं 9 बजे ही सरोज के घर पहुँच गया वो गुस्सा होने लगीबोली रात को क्यू नही आए मेरे सारे मूड की माँ चोद दी तुमने पता है पूरी रात बस उंगली के सहारे ही कटी है मैने
मैने उसको समझाया कि यार मजबूरी हो गयी थी तब जाके वो मानी मैने कहा रात की सारी कसर अभी पूरी कर देता हूँ सरोज बोली वो तो करनी ही पड़ेगी तुम एक मिनट रूको मैं गेट बंद करके आती हूँ सरोज बोली मुझे नही पता तुमको आज यही पे रुकना पड़ेगा मैने कहा अगर मुमकिन होगा तो आ जाउन्गा गुलाबी रंग की साड़ी मे सरोज एक दम खिली खिली सी लग रही थी माल तो वो भी मस्त था मैं उसके पास गया और उसकी साड़ी का पल्लू पकड़ लिया और उसको अपनी ओर खेंचने लगा सरोज गोल गोल घूमते हुए अपनी साड़ी को उतारने लगी कुछ ही पॅलो मे पूरी साड़ी मेरे हाथो मे थी
मैने उसको सूँघा और फिर साइड मे फेंक दिया और सरोज को अपने आगोश मे ले लिया आज उसका सबकुछ गुलाबी ही था होंठो की लिपीसटिक , साड़ी, पेटिकोट, ब्रा-पेंटी सब कुछ गुलाबी ही गुलाबी था मैने अपने हाथ उसके चुतडो पर रखे और उनको दबाने लगा रूई के गोलो को छूने जैसा एहसास था फिर मैने उसके गुलाबी हो चुके होंटो पे अपनी जीभ फिराने लगा उसकी लिपीसटिक मेरी जीभ की गर्मी से पिघलने लगी मैं बस अपनी जीभ को उसके होंठो पे फेरता जा रहा था मैं उसको किस करने की कोशिश भी नही कर रहा था उसके होंठ लरजने लगे थोड़ी ही देर मे उसकी पूरी लिपीसटिक सॉफ हो गयी फिर उसने अपने मुँह को थोड़ा सा खोला और मेरी जीभ को अपने मुँह मे ले लिया और चुँसने लगी मेरी जीभ को अपने दाँतों मे दबाए हुए वो उसे चुँसने लगी आज वो एक अलग स्तर पे थी
वो शायद मुझे अपनी अदा दिखाना चाहती थी फिर कल रात से वो भी प्यासी ही थी अब वो अपनी जीभ से मेरी जीभ को छेड़ रही थी हम दोनो के थूक को वो पिए जा रही थी 10-15 मिनट तक हम दोनो बस किस ही करते रहे बिना किसी जल्दबाज़ी के बस लगे ही रहे फिर मैं जाके उस से अलग हुआ हमारी साँसे फूल चूँकि थी उसकी छातिया बहुत ही तेज़ी से उपर नीचे हो रही थी उसने खुद ही अपना ब्लाउस और ब्रा को खोल दिया और मेरे सर को अपनी छातियो मे छुपा लिया मैं ने भी बिना देर किए उसकी पर्वतों सी विशाल घाटियो को अपने मुँह मे भर लिया औरवही खड़े खड़े उसकी चूची पीने लगा सरोज बोली पियो इनको अच्छी तरह से पियो आज इनका सारा दूध बाहर निकाल दो चूँसो और ज़ोर से चूँसो मेरे मुँह मे उसकी आधे से ज़्यादा चूंची थी मुझे ऐसे लग रहा था जैसे मैं किसी गुब्बारे को चुंस रहा हूँ ज्यो ज्यो मेरी खुरदरी जीभ उसकी निप्पल्स पे रगड़ खाती
उसकी आहे निकल जाती उसकी चूचियो की निप्पलस 1 इंच के साइज़ के हो गये थे मेरे थूक से उनकी छातिया सन चुकी थी तब कही जाके उन्होने मुझे अपने से अलग किया अब उसने मेरे कपड़ो को उतारना शुरू किया मैं पूरा नंगा हो चुका था तो वो नीचे बैठ गयी और मेरे लंड ओ अपने मुँह मे दबा लिया और उसे चुँसने लगी मुझे बड़ा ही मज़ा आने लगा था वो पूरी तस्सली से लगी हुई थी मैं उसकी अदाओं का कायल हो गया था उसे अच्छी तरह से पता था कि जवानी को कॅश कैसे किया जाता है वो सुपाडे पे अपनी जीभ गोल गोल फिरा रही थी मुझे लगा कही मेरा छूट नही जाए तो मैने लंड को उसके मुँह से निकाल दिया वो किसी भूखी शेरनी की तरह मेरी तरफ देखने लगी मैने उसको अपनी गोदी मे उठाया और बेड पे लाके पटक दिया उसकी कच्छि को अलग किया और उसकी चूत को देखने लगा फिर मैने उसकी टाँगो को फैलाया और अपने लंड को सेट करके एक धक्का लगा लगाया .
चूत पूरी तरह से पनियाई पड़ी थी बिना किसी दबाव के ही पूरा लंड उस अंधेरी गुफा मे उतरता चला गया सरोज ने एक ठंडी आह भरी और मेरे मे खोती चली गयी उसने अपनी टाँगो को मेरी कमर के चारो तरफ लप्पेट लिया और मुझसे चुदाई करवाने लगी हम दोनो के बदन एक हो गये थे पंखा पूरी रफ़्तार से चल रहा था पर फिर भी हमारे बदन से पसीना छलक ही आया था उसने अपने होंठो को मेरे होंठो पे टिका दिया और बेतहासा लगी चूमने मुझे भी मज़ा तो आ ही रहा था उसने अपनी गौरी बाहों को मेरे गले मे डाल दिया और बस हम दोनो इस दीन-दुनिया से बेख़बर होते चले गये मेरा हर धक्का उसकी चूत पे तगड़ी चोट मार रहा था वो बस मेरे होंठो को खाए जा रही थी बहुत देर तक हम दोनो एक दूसरे मे खोए रहे अब मैने उसकी टाँगो को उठा कर अपने कंधो पे रख लिया और दुबारा से उसकी चुदाई स्टार्ट कर दी
सरोज अपने बोबो को अपने हाथ से सहलाते हुए अपनी चूत मुझे दे रही थी सरोज की चूत अब बहुत ही ज़्यादा गीली हो चुकी थी मेरा लंड बार बार फिसले जा रहा था तो मैने उसकी टाँगो को सीधा किया और अब पूरी रफ़्तार से उसको चोदने लगा सरोज ने मुझे अपनी बाहों मे कस लिया था किसी भी पल वो झाड़ सकती थी मैं लगा हुआ था मेरे लंड मे भी उन्माद बढ़ चुका था सरोज का बदन अब काँपने लगा था वो किसी छोटे बच्चे की तरह मुझसे चिपकी पड़ी थी ठीक तभी उसकी पकड़ बहुत ही कस गयी और उसकी चूत ने अपना पानी छोड़ दिया सरोज हाँफने लगी और अपनी आँखो को बंद कर लिया मैने अपने लंड को चूत से बाहर निकाला और लंड को उसके होंठो पे रख दिया और अपना वीर्य उसके होंठो और गालो पे छोड़ने लगा सरोज ने मेरे वीर्य को किसी क्रीम की तरह अपने मुँह पे मल लिया
फिर वो उठी और बाथरूम मे घूंस गयी मैं बेड पे ही लेट गया
दस मिनट बाद वो आई और मेरे पास ही लेट गयी सरोज बोली वैसे तो मैने कई लंड लिए है पर जब जब तुमसे चुदती हूँ तो एक अलग ही एक्सपीरियेन्स होता है ऐसा क्यो तो मैं बोला मुझे क्या पता बाते करते करते वो मेरे सीने पे अपना हाथ फेरने लगी थी फिर वो मेरे सीने पे झुंक गयी और मेरे निप्पल्स पे अपनी जीभ को फेरने लगी मेरे लिए ये एक नया एहसास था मेरे पूरे बदन मे झुरझुरी सी फैल गयी वो मेरे सीने पे किस करने लगी और अपने हाथ से मेरे अंडकोषो को सहलाने लगी मेरा लिंग अपना सर उठाने लगा सरोज मेरी गोलियो को मादक तरीके से सहलाए जा रही थी।
तो वो बोली रात का इंतज़ार करो वैशे भी शाम तो ढल ही गयी है मैं फटा फट खाना बना लेती हूँ तेरी बड़ी मामी यहाँ नही है तो तू टिफिन ले जाना और माँ-बाबा को दे आईओ और वो कोई काम बताएँ तो मुझे कहियो मैने कपड़े चेंज किए मामी रसोई मे बिजी हो गयी मैं टाइम पास करने को नॉवेल पढ़ने लगा पर मन नही लगा तो मैं भी रसोई मे चला गया मामी सब्ज़ी काट रही थी मैने उनके घाघरे के नाडे को खोल दिया फूलो के डिज़ाइन वाली पेंटी उनकी गान्ड की दरार मे फसि पड़ी थी मामी बोली तुमसे तो ज़रा सा भी सब्र नही होता है तो मैने कहा क्या करूँ आप इतनी अच्छी जो लगती हो तो वो बोली ज़्यादा मस्का मत लगा मैं उनके पीछे खड़ा हो गया और उनके चुतडो को कच्छि के उपर से ही मसल्ने लगा मामी बोली मत कर ना काम करने दे मुझको
तो मैने कहा मैं भी तो काम ही कर रहा हूँ ना उनको भी पता था कि मैं मान ने वाला तो हूँ नही तो उन्होने भी खुद को मेरे हवाले करता रहा मैने आहिस्ता से उनकी कच्छि को नीचे सरका दिया और उनकी चूत मे उंगली डाल दी मामी कसमसाने लगी वो बार बार मुझे मना कर रही थी कुछ देर बाद मैने अपनी उंगली को चूत से बाहर निकाला और उसे मुँह मे लेके चुँसने लगा मैं बोला मामी आपकी इस गुड़िया का रस तो और भी स्वादिष्ट हो गया है तो वो बोली जो भी है अब तो तेरे लिए ही है आज रात तुझ जी भर के पिलाउन्गि पर अभी तू मुझे खाना बनाने दे तो मैने उनको छोड़ दिया और घर से बाहर आके बैठ गया शाम की बहती हुई ठंडी हवा मे मेरा रोम रोम पुलकित हो रहा था डूबते हुए सूरज का बेहद दिलकश नज़ारा ले रहा था
फिर कोई एक घंटे बाद मैने खाने का टिफिन लिया और बड़ी मामी के घर पे चल पड़ा नाना- नानी को खाना खिलाया तो नानी बोली बेटा दुकान से कुछ मोमबति के पॅकेट ले आ जब मैं दुकान पे जा रहा था तो मुझे रास्ते मे सरोज मिल गयी वो मुझे देखते ही बहुत खुश हो गयी और पूछा तुम कब आए तो मैने कहा आज ही आया हूँ वो बोली कुछ दिन रुकोगे तो मैने कहा कि मैं तो स्पेशली आपसे ही मिलने आया हूँ अब आप देखलो तो वो बोली कल आ जाना दोपहर मे फिर मैं आगे बढ़ गया कौशल्या मामी तक पहुँचते पहुँचते साढ़े 8 हो गये थे जाते ही मामी ने खाना परोस दिया घी मे पूरी तरह से डूबी हुई रोटियो को देख के मैं बोलो ये सब किसलिए तो वो बोली खा ले बेटा आज तुम्हे मेहनत भी बहुत करनी है ओरमेरी तरफ आँख मार दी इसी तरह दस बज गये गर्मी भी कुछ ज़्यादा ही पड़ रही थी मैने सोचा नहा ही लूँ तो मैने मामी का हाथ पकड़ा और उन्हे लेके बाथ रूम मे घूंस गया मैने शवर चला दिया तो मामी बोली कपड़े तो उतार दो भीग जाएँगे मैने कहा भीगने दो और उनको अपने साथ चिपका लिया अब हम दोनो भीगने लगा मैने मामी के जुड़े को खोल के उनकी ज़ुल्फो को आज़ाद कर दिया मामी मेरी आँखो मे आँखे डाले देख रही थी उनके पतले पतले होंटो से बहती पानी की बूंदे मेरी उत्तेजना को बढ़ाने लगी मैने उनकी चोली और घाघरे को उतार दिया अब वो बस ब्रा-पेंटी मे थी कुछ ही पॅलो मे वो भी फर्श पे पड़े हुए थी मामी का योवन मेरे सामने पड़ा था जो बस ये ही कह रहा था कि जितना लूट सके लूट ले मैने अपने कपड़ो को भी उतार दिया
कौशाल्या की कमर मे हाथ डाला और उसे अपनी ऑर खेंच के उसके होंठो को अपने से चिपका लिया और किस करने लगा उसके मुलायम होंठो की महक मेरी सांसो मे जैसे घुलने सी लगी थी मामी ने अपना हाथ आगे बढ़ा या और मेरे लंड पे रख दिया और उसी अपनी मुट्ठी मे भींचने लगी वासना हमारे शरीरो को काबू मे करने लगी थी मैं अब उनकी गरदन को चूमने लगा मेरे हर एक किस के साथ साथ उनकी मदहोशी बढ़ने लगी थी मैं उनके बोबो तक आ गया था मैं उनकी चूची को पीने लगा मामी के निपल कड़े होने लगे उनकी छातिया मस्ती से फूलने लगी ठंडे पानी की बोछार मे भी उनके शरीर की तपन मैं सॉफ सॉफ महसूस कर पा रहा था चूचियो का आज़ाद किया और मैं उनके पेट पे आ गया मैं उनके पूरे शरीर को चूमते चूमते अपनी मंज़िल की ओर आ रहा था
मैने अपने हाथो की पकड़ उनके चुतडो पे बनाई और अपना मुँह उनकी रसीली चूत से सटा दिया मामी ने अपनी टाँगो को खोल सा दिया था ताकि मुझे कोई परेशानी ना हो मैं उनकी चूत की दरार को अपने दांतो से खाने लगा मामी औचह आऊछ!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!! करने लगी वो बोली थोड़ा आहिस्ता से काटो ना कही निशान ना लग जाए घाव ना हो जाए मैने अपनी उंगलियो की सहायता से चूत को थोड़ा सा फैलाया और अपनी जीभ से उनके मात्र के साइज़ जैसे दाने को चुँसने लगा मामी का पूरा बदन एक दम से कांप सा गया आख़िर हर औरत का सबसे सेन्सिटिव पार्ट तो ये ही होता है मामी ने अपने हाथो को मेरे सर पे कस लिया और अपनी चूत को चटवाने लगी मामी बोली कई दिनो से प्यासी पड़ी हूँ आज मुझे निचोड़ डाल
आज मेरी चूत की सारी खुंजलि को मिटा दे बस खा जा इसे टुकड़ी टुकड़े कर डाल इस निगोडी को ये बहुत तडपाती है मुझ को आज इसकी सारी हेकड़ी को निकाल दे मैं बस उनकी बातों को सुनते हुए उनकी चूत के दाने को चुँसे जा रहा था पर मैं उन्हे इस तरह से नही झड़ाना चाहता था तो 5-6 मिनट और चुँसने के बाद मैने अपना मुँह वहाँ से हटा लिया और मामी को अपने घुटनों पे झुकाते हुए लंड को चूत मे प्रविष्ट करवा दिया और उनकी पतली कमर को थामते हुए उन्हे रगड़ने लगा मामी भी मज़े लेने लगी थी एक तो चुदाई का गरम माहौल और एक उपर से गिरता ठंडा पानी कुल मिला कर माहौल बना पड़ा था मामी की गदराई जवानी को मैं पूरी तरह से लूट रहा था मेरे मारे गये हर धक्के की चोट को बड़े ही कामुकता के साथ झेल रही थी मामी ने अपने सर को थोडा और झुका लिया जिस से उनके चूतड़ और उपर हो गये मैं और आसानी से लंड को अंदर बाहर करने लगा आधे घंटे तक जबरदस्त संग्राम मचाने के बाद मैने उनकी चूत को अपने पानी से भर दिया और परम सुख का अनुभव करने लगा पूरी रात उनकी 4 बार रगड़ के चुदाई की
अगले दिन जब मैं सोकर उठा तो 11 बज रहे थे धूप चढ़ चुकी थी पूरी तरह से आसमान पर मामी ने मुझे देख के बोला आज तो बहुत देर तक सोए हो तो मैने कहा रात को तो आपने सोने ही नही दिया फिर मैं बाहर आया और होदि पे ही नहाने लगा तैयार होके मैं सरोज के घर की तरफ चल पड़ा पर वो ना मिली शायद कहीं गयी हुई थी मैं निराश हो गया और वापिस चल पड़ा पर मेरा मूड नही बन रहा था तो मैं ऐसे ही टाइम पास करने के लिए घूमते घूमते घर से थोड़ा बाहर की तरफ आ गया चारो तरफ दोपहर का सन्नाटा पसरा हुआ था लू चल रही थी साय साय करते हुए मेरी टी-शर्ट पसीने से भीग चूँकि थी मुझे प्यास सी भी लग रही थी गला सूखे जा रहा था थोड़ी और आगे चलने पर मुझे एक बगीचा सा दिखाई दिया
वहाँ पे एक छोटी सी प्याऊ भी बनी हुई थी मैने अपनी प्यास बुझाई और एक पीपल के पेड़ के नीचे बैठ गया आस पास काफ़ी घने पेड़ पौधे थे उपर से गर्मी की वजह से थोड़ी उमस भी हो रही थी मुझे वो स्थान भा गया तो मैं थोड़ा और अंदर की तरफ चल पड़ा पक्षी कुक रहे थे मैं अंदर और अंदर चल ता गया तो मैने देखा कि कुछ बकरिया और गधे चर रहे थे तो मैने सोचा कि अगर पशु है तो कोई इंसान भी होगा सोचते सोचते मैं और आगे चल पड़ा अब पेड़ पौधे और भी घने हो गये थे तभी मुझे एक पेड़ के साइड से कुछ दिखा मैने सोचा क्या पता कोई छुपा हो चेक करके देखना चाहिए तो मैने अपनी चप्पलो को हाथो मे लिया और उस साइड मे बढ़ने लगा थोड़ी साइड से मैने देखा कि एक लड़की है
सलवार घुटनो तक सरकाए हो चूत मे उंगली के मज़े लिए जा रही थी मेरे अंदर के शैतान ने अंगड़ाई लेनी शुरू कर दी मैने गौर से देखा कि वो अपनी आँखो को बंद किए धीरे धीरे कुछ बुदबुदाते हुए उंगली करती जा रही थी मैने सोचा मौका ठीक है चौका मार देता हूँ मैं झट से उसके पास जाके खड़ा हो गया और उसको डाँट ते हुए पूछने लगा कि वो ये क्या कर रही है वो एक दम से घबरा गयी उसने जल्दबाज़ी मे अपनी सलवार उपर करनी चाही पर वो उसके हाथो से छूट गयी और उसके घुटनो से होते हुए उसके पैरो के पास गिर गयी वो थर थर काँपने लगी उसके माथे पे पसीना छलक उठा उसकी सिट्टी पिटी गुम हो गयी थी उसने अपनी नज़रो को झुका लिया और गर्देन नीचे करके खड़ी हो गयी
मैने बिना लग लप्पेट के उसे कहा कि देखो जो तुम कर रही थी वो तो नॉर्मल है सब लोग करते है तुम मुझसे घबराओ मत और अगर तुम चाहो तो मैं तुम्हे कई गुना ज़्यादा मज़ा करवा सकता हूँ जो तुम्हे अपनी उंगली से मिल रहा था वो कुछ बोलती उस से पहले ही मैने अपने लंड को बाहर निकाल लिया जो कि पूरी तरह से तन चुका था लंड को देखते ही उसकी आँखे चौड़ी हो गयी वो चमकने लगी मैने कहा अगर तुम चाहो तो हम दोनो एक दूसरे के अरमानो को पूरा कर सकते है कुछ देर तक वो खामोश खड़ी रही मैं उसके जवाब का इंतज़ार करने लगा फिर वोधीमे से बोली कि पर उसने कभी किसी के साथ किया नही है बस सहेलियो से चुदाई की बाते ही सुनी है और वो तो बस ऐसे ही कभी कभी अपनी चूत मे उंगली कर लेती है मैं बोला चल आज तू भी लंड का मज़ा ले ही ले और उसको अपनी तरफ खींच लिया
वो बोली पर कुछ होगा तो नही मैं बोला कुछ नही होगा तू बस हिम्मत राखियो मैने कहा क्या तुम तैयार हो तो वो बोली सुना है पहली बार मे बहुत ज़्यादा दर्द होता है मैं बोला सुना तो मैने भी है वो बोली कही मैं मर गयी तो ?
मैने कहा आज तक कोई चुदके मरी है क्या जो तुम मरोगी देनी है तो दे वरना भाड़ मे जा आज नही तो कल किसी ना किसी से पहली बार तो चुदेगि ही तो मुझसे ही करवा ले और अगर नही देगी तो तेरे पीछे पीछे तेरे घर चलूँगा और तेरे माँ-बाप को बताउन्गा तेरी करतूतो के बारे मे ये सुनके वो घबरा गयी और बोली ठीक है तुम कर्लो पर मज़ा तो आएगा ना मैने कहा तू खुद ही बता दियो तुझे मज़ा आया कि नही वो लड़की देखने मे तो कुछ भी नही थी पर मुझे क्या करना था
चूत तो चूत ही होती है और फिर किसी ज्ञानी पुरुष ने कहा भी है कि साँप और चूत जहाँ भी मिले चुको मत मार दो तो मैने अपनी पेंट को उतार दिया और साइड मे रख दिया नीचे से वो भी नंगी ही थी मैने उसे पेड़ से सटाया और उसके अनछुए होंटो को चूमने लगा उसको अपने होंटो पर पर पुरुष का स्पर्श कुछ अच्छा नही लग रहा था पर थोड़ी देर मे जब काम ने उसके बदन मे संचार करना शुरू किया तो वो भी मेरा साथ देने लगी मैं बिना रुके उसके होंठो को पिए जा रहा था मैने अपनी हथेली उसकी चूत पे रख दिया और उसको मसल्ने लगा उसकी चूत तो बहुत ही ज़्यादा गरम हो रही थी उसकी चूत की साइड से पसीना बह रहा था मैं अपनी उंगली को उसकी चूत के दाने और उसकी लाइन पे फिराने लगा उसके बदन मे कंपकंपी होने लगी
मेरे लंड का भी बुरा हाल हो रहा था तो देर करना उचित नही था मैने उसे वही पे पत्तो पे लिटा दिया और उसकी टाँगो को चौड़ा कर दिया मैने अपने मुँह को नीचे किया और ढेर सारा थूक उसकी चूत पे लगा दिया थोड़ा अपने लंड की टोपी पे भी लगाया और लंड को चूत पे सेट कर दिया पहली बार मे लंड फिसल गया कई ट्राइ की पर लंड घूंस ही नही रहा था तो मैने सुपाडे को कस के छेद पे रखा और अपना पूरा ज़ोर लगाते हुए धक्का मारा अबकी बार सुपाडा अंदर घूंस गया जैसे ही सुपाडा अंदर घूँसा उसकी आँखो की आगे तारे नाच उठे सांस गले मे ही अटक गयी उसने अपनी जीभ को दाँतों मे दिया आँखो से आँसुओ की धारा बह निकली वो रोते हुए बोली
रीईईईईईईईईईईई माआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआअ
आआआआआआआआआआआअ मररर्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्ररर
र्र्र्र्र्र्र्र्रर्डिईईईईईईईईईईईईईय्ाआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआरीईईईईईईईईईईईईईईईई
ईईईईईईईईईईईईई बाआआआआआआहर्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्ररर
र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्ररर न्न्र्रननननननननननन्न्निईीईईईईईईईईईईईईईईईईईईिककककककककककककककाअ
आआआआआआआाअलल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल लीईईईईईईईईईईईईईईईईई अभी निकाल तू मुझे नही लेना मज्जाआाआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआ पर मुझे पता था कि एक बार अगर अगर लंड को बाहर निकाल लिया तो फिर ये हाथ नही आए गी वो किसी हलाल होती हुई मुर्गी की तरह हो रही थी तो मैने अपना हाथ उसके मुँह पे रख दिया ताकि वो चीख ना मार सके और एक और धक्का लगाते हुए पूरे लंड को उसकी चूत की गहराइयो मे उतार दिया
मैने उसे कस्के दबोच लिया था मैने अपने हाथ की पकड़ उसके मुँह पे कस दी तो बुरी तरह से फड़फड़ाने की कोशिश कर रही थी पर मेरी बाँहो के चंगुल से निकल नही पाई 5-7 मिनट तक मैं ऐसे ही उसके उपर लड़ा रहा वो भी कुछ शांत हुई तो मैने अपना हाथ उसके मुँह से हटाया उसकी सांसो की गति बहुत ही तेज हो गयी थी मैने पूछा ठीक हो तो वो बोली बहुत दर्द हो रहा है मैं बोला बस अभी दूर हो जाएगा थोड़ी हिम्मत करो मैने उसके होंठो को फिर से चुंसना शुरू किया और धीरे धीरे अपनी कमर को हिलाने लगा बस धीरे धीरे ही समय बीतने के साथ वो कुछ नॉर्मल तो हो रही थी पर उसको दर्द तो हो ही रहा था उसकी चूत तो हद से ज़्यादा टाइट थी ऐसा एहसास तो मुझे आज तक कभी नही हुई था लग रहा था कि जैसे लंड किसी बोतल मे फस गया हो
चूत ने उसे पूरी तरह से लॉक कर लिया था मैने लंड को एक दम किनारे तक खेंचा और दुबारा अंदर डाल दिया उसने अपनी टाँगो को सीधा कर दिया काफ़ी देर हो चुकी थी तो मैने अब धक्को की रफ़्तार को बढ़ा दिया उसके होंठ मेरे मुँह मे थे तो उसकी हर सिसकी मेरे मुँह मे ही घुल गयी थी मैं धक्के मारे जा रहा था उसके चूतड़ भी अब हिलने लगे थे मुझे ऐसे लग रहा था कि जैसे मेरे लंड पे पिघला हुआ लावा उडेल दिया गया हो फिर उसने अपने होंठ हटाए और लंबी लंबी साँसे लेने लगी मैं पूछा अब ठीक हो तो उसने इशारा किया तो मैं भी आस्वश्त हुआ उसके हाथ मेरी पीठ पे रेंगने लगे उसके नाख़ून मेरी पीठ मे धँस गये वो बहुत ही ज़ोर से अपने नखुनो को गढ़ाए जा रही थी पूरी तरह से वो भी अब जवानी के मज़े मे बहने लगी थी
मैं अपनी गति को निरंतर बढ़ाए जा रहा था मैं उसकी थोड्डी को अपने दाँतों से खाए जा रहा था कुछ भी होश नही था मुझे तो मैं उसमे पूरी तरह से खो चुका था तभी उसने अपनी टाँगो को मेरी कमर मे फसा लिया और बेसूध होकर पड़ गयी उसने अपने चरम को पा लिया था मैं भी बस थोड़ी ही दूर था तो मैने अपने लंड को बाहर निकाला और उसके पेट पे अपना वीर्य छोड़ दिया जब खुमारी उतरी तो मैने देखा मेरा लंड पूरी तरह से खून मे सना पड़ा था और उसमे बहुत ही जलन हो रही थी मैने किसी तरह से पेंट पहनी फिर उसको उठाया उसका भी हाल ज़्यादा बेहतर नही था उस से चला ही नही जा रहा था बड़ी ही मुश्किल से वो उठी कोई आधे घंटे बाद उसकी हालत थोड़ी सुधरी वो बोली ऐसी तैसी मे जाए ऐसा मज़ा आज के बाद सौगंध है मैं ना चुदु किसी से मेरी तो फट ही गयी
आज मैने कहा अगर तुम नॉर्मल ना हो पाओ तो घर पे कह देना कि तुम पैड से गिर गयी और टाँगो मे चोट लगी है वो बोली कुछ ना कुछ तो कहना ही पड़ेगा मेरे लंड मे बहुत ही तेज जलन हो रही थी थोड़ी देर बाद वो लन्गडाते लन्गडाते अपनी बकरियो के पास चली गयी मैं भी अपनी राह पे हो लिया प्याऊ के पास आके मैने डिब्बे मे पानी भरा और एक साइड मे जाके अपने लंड को धोया तो पता चला कि अंदर से वो बुरी तरह से छिल गया है जिस वजह से बहुत ही जलन हो रही थी अब ये नई मुसीबत हो गयी थी किसी तरह से घिसट घिसट के घर आया तो मामी बोली कहाँ गये थे तुम तो मैने बहाना बना दिया पर जलन बढ़ती ही जा रही थी तो मैने मामी कोसब बता दिया मामी बोली तुम तो बहुत ही शातिर हो गये हो जब घर मे मिल रही है तो वहाँ करने की क्या ज़रूरत थी मैं चुंप ही रहा फिर उन्होने कोई ट्यूब लंड पे लगाई मामी बड़बड़ाये जा रही थी कि मेरे रात के प्लान का बंटाधार कर दिया ये है वो है दवाई लगाने के बाद कुछ चैन मिला
अब ये और एक नया पंगा हो गया था इधर मामी झल्लाई पड़ी थी दूसरी तरफ सरोज भी तुड़ाई माँग रही थी पर हथियार ही घायल पड़ा था तो मैं भी क्या करता 5-6 दिन लग गये पूरी तरह से ठीक होने मे जून शुरू हो गया था कॉलेज की छुट्टिया पड़ गयी थी तो मामा भी बस दो-चार दिन मे आने ही वाले थे और मामी के बच्चे भी तब मामी चुदाई नही कर पाती मुझसे तो पूरे टाइम उनका मूड उखड़ा उखड़ा ही रहता था मैं खुद भी परेशान ही था मामी दिन मे तीन टाइम लंड की नारियल तेल से मालिश करती थी जख्म भर तो गया था पर मैं एक दो दिन और भी रुकना चाहता था ऐसे ही एक दिन वो मेरे लंड पे तेल मल रही थी मेरा लंड पूरी तरह तना हुआ उनके हाथ मे था मामी की आँखो मे वासना के डोरे तैर रहे थे वो बोली आज तो कुछ कर्लो ना
तो मैं बोला हाँ कई दिन हो गये है आज कुछ तूफ़ानी करते है मामी के चेहरे पे एक गहरी मुस्कान आ गयी मामी खड़ी हुई और अपने सारे कपड़े उतार के नंगी हो गयी मैने भी ऐसा ही किया मैं सोफे पे बैठ गया तो वो आके मेरी गोदी मे चढ़ गयी और बिना किसी ओपचारिकता के मेरे चिकने लंड को अपनी चूत पे लगाया और उसपे बैठती चली गयी पूरा लंड एक बार मे ही अंदर हो गया मामी ऐसे मुस्काई जैसे कोई किला फ़तेह कर लिया मामी बोली आज मुझे थोड़ा चैन मिला है मैं थोड़ी पीछे की ओर हो गया मामी अपनी कमर उचकाने लगी मैने अपने हाथ उनके कंधो पे रख दिए और चुदाई का आनंद लेने लगा मामी पूरी तरह से चुदासी हो रही थी फिर उन्होने अपने होंठ आगे किए जिनको मैने अपनो से मिला लिया मामी पूरी तरह से चुदाई के रंग मे रंग गयी थी
मैने कहा नीचे आ जाओ पर उन्होने मना किया और अपनी कमर उचकाती र्है मेरा तेल मे सना लंड उनकी चूत मे घमासान मचाए हुए था 15मिनट तक मामी मेरे लंड पे बैठी रही मैने खुद को पूरी तरह से उनके हवाले कर दिया था आज मैं उनको नही बल्कि वो मुझे चोद रही थी काफ़ी देर तक वो बस कूदती ही रही फिर ऐसे ही वो झाड़ गयी उनकी चूत से बहता हुआ रस मेरे अंडकोषो तक को भिगो चुका था झड़ने के बाद भी मामी कुछ देर तक लंड पे ही बैठी रही फिर मैने उन्हे अपने उपर से उतारा और सोफे पे उल्टी कर के लिटा दिया पास रखी तेल की कटोरी से थोड़ा तेल उनकी गान्ड पे लगाया और लंड को गान्ड मे डाल दिया मामी का शरीर एक बार टाइट हुआ पर तुरंत ही नॉर्मल हो गया मामी वैसे भी अपनी गान्ड ज़्यादा चुदवाती थी
उन्हे क्या फरक पड़ना था मैने अपनी हाथो से सोफे की पुष्ट को पकड़ लिया और मामी की गान्ड मारने लगा मामी भी अपनी चुतडो को हिलाने लगी कोई दस मिनट तक उनकी गान्ड मारने के बाद मैं भी ढह गया और उनको लिए लिए ही पसर गया कुछ देर बाद हम अलग हुए मामी ने अपनी कच्छि से अपनी गान्ड और चूत को पोन्छा और अपने कमरे मे चली गयी मैने भी अपने कपड़ो को पहन लिया और सोफे पे लेट गया थोड़ी ही देर हुई थी कि बाहर से मम्मी मम्मी की आवाज़े आई मैने दरवाजा खोला तो बाहर मनीषा दी और राकेश खड़े थे मामी के बच्चे आ गये थे वो मुझे देखत ही बोल वाउ भैया आप भी आए हुए वो कितने दिनो बाद मिले है अब छुट्टियाँ मस्त बीतेंगी मामी उनको देखके भावुक गयी फिर रात ऐसे ही बातो बातो मे कट गयी
मामी ने चुप के से मुझे बता दिया था कि वो बच्चो के सामने कोई रिस्क नही लेंगी फिर पहले भी हमे बड़ी मामी ने पकड़ लिया था तो मैं भी कुछ रिस्क नही चाहता था फिर मेरे पास सरोज के रूप मे ऑप्षन भी था तो काम तो चलना ही था अगले दिन मैने सोचा एक राउंड उसी बगीचे की तरफ मार लू क्या पता वो लड़की मुझे फिर मिल जाए तो मैं उसी समय के आस पास्स चल पड़ा काफ़ी तलाशा पर वो मिली ही नही तो मैं वापिस आ गया जब मैं आ रहा था तो गली मे एक आइस्क्रीम वाला खड़ा था मैने एक खरीदी और उसे चुँसने लगा और आइस्क्रीम खाते खाते सरोज के घर पहुँच गया उसने गेट खोला और मैं अंदर उसके दोनो बच्चे घर ही थे मैं उस से बाते करने लगा वो बोली कल मेरा पति और बच्चे मेरी बहन के यहा जाएँगे
मैं बहाना कर के रुक जाउन्गि फिर पूरी रात हमारी ही होंगी मैने कहा देख लो वो बोली तुम चिंता मत करो कल रात तुम्हारी अच्छी तरह से खातिरदारी करूँगी रात को हम सब भाई बहन घर के बाहर अपनी अपनी खाटो पे पड़े थे मैं अपना फेव. प्रोग्राम लव गुरु सुन रहा था तभी राकेश बोला भाई आपने कभी लव किया है क्या मैं बोला मुझे नही पता लव क्या होता है तो मनीषा दी बोली भाई बताओ ना आजकल तो सभी लोग लव करते है अगर आप किसी से लव नही करते हो तो फिर ये लव गुरु क्यो सुनते हो मैं बोला यार तुम लोग भी कुछ भी बकवास करते रहते हो काफ़ी देर तक वो लोग ऐसे ही मुझे छेड़ते रहे उनकी बातों से मुझे मिता की याद आ गयी थी अब नींद तो नही आनी थी बस करवटें ही बदलनी थी रात्रि के लास्ट पहर मे जाके आँख लगी पर नींद मे भी मिता के ही सपनो मे खोया रहा सुबह थोड़ा लेट उठा
मैं उठना चाहता ही नही था पर राकेश ने जगा ही दिया वो मेरे पीछे ही पड़ गया था वो अपने साथ मुझे कही ले जाना चाहता था पर मेरे अपने भी कुछ प्लॅन्स थे पर उसकी सीधे मुँह पे टाल भी नही सकता था तो मैने कहा देखेंगे भाई और झट से बाथ रूम मे घूंस गया कुछ देर बाद एक जबरदस्त नाश्ते के बाद मैं कुछ सोच विचार कर ही रहा था कि राकेश फिर से मेरे पीछे पड़ गया तो मैं उसके साथ बाजार चला गया उसको कुछ शॉपिंग करनी थी मैं एक साइबर केफे मे गया और अपने रिज़ल्ट के बारे मे पूछा कि कब तक आएगा तो उसने बताया कि एक हफ्ते मे डिक्लेर हो जाएगा मैं एक एसटीडी मे गया और मिता का नंबर मिलाया पर बात नही हो पाई दोनो बार उसके घर मे किसी आदमी ने ही फोन उठाया
राकेश कुछ खाने पीने की ज़िद करने लगा फिर हम हाइवे पे बने एक रेस्टोरेंट गये कुछ खाया पिया और थोड़ा कुछ मनीषा दी के लिए भी पॅक करवा लिया कोई 5 बजे हम वापिस आए मेरा दिमाग़ बहुत तेज़ गति से दौड़ रहा था मैं मामी के पास गया और बोला मामी आज रात मुझे कहीं जाना है तो मामी बोली कहाँ पे तो मैने उनको बता दिया कि आज मुझे सरोज के घर जाना है मामी बोली तो उसने तुझे भी नही बख्शा मैं बोला अब आप तो कर नही सकती तो कुछ जुगाड़ तो करना ही पड़ेगा ना तो मामी बोली पर तुम ऐसे जाओगे तो बच्चो को क्या कहूँगी ये भी अब समझदार हो गये है मैं बोला मामी कुछ भी करके अड्जस्ट करवाओ मामी बोली तू ही देख ले मुझे कुछ नही पता मेरी समझ मे नही आ रहा था कि कैसे निकलु वहाँ से वो कहते है ना कि सावन के अंधे को तो बस हरा ही हरा दिखाई देता है
तो मेरा भी वो ही हाल था बस चूत और चूत रात हो चुकी थी मुझे इंतज़ार था भाई-बहेन के सोने का पर वो भी आज सो ही नही रहे थे मार्फिज़ का लॉ एक बार अपने सिद्धांत की पुष्टि कर रहा था मैं बैचैन होने लगा पर बेबस था मैं सोच रहा था कि सरोज मेरा इंतज़ार कर रही होगी पर मेरे भाई बहन मुझसे चिपके पड़े थे तो मैने भी सोचा भाड़ मे जाए सरोज चूत तो और भी मिल जाएँगी पर ये भाई-बहनो का प्यार कम को ही मिलता है तो मैं भी उनके साथ शामिल हो गया मैने अपने बॅग से कॅमरा निकाला और उन अनमोल पलो को क़ैद करने लगा काफ़ी देर तक हम लोग मस्ती करते रहे जब वो लोग सो गये तो मैं बैठक मे गया और अपनी डायरी मे लिखने लगा जब मेरी उंगलिया दुखने लगी तो मैं भी सो गया
अगली सुबह मैं 9 बजे ही सरोज के घर पहुँच गया वो गुस्सा होने लगीबोली रात को क्यू नही आए मेरे सारे मूड की माँ चोद दी तुमने पता है पूरी रात बस उंगली के सहारे ही कटी है मैने
मैने उसको समझाया कि यार मजबूरी हो गयी थी तब जाके वो मानी मैने कहा रात की सारी कसर अभी पूरी कर देता हूँ सरोज बोली वो तो करनी ही पड़ेगी तुम एक मिनट रूको मैं गेट बंद करके आती हूँ सरोज बोली मुझे नही पता तुमको आज यही पे रुकना पड़ेगा मैने कहा अगर मुमकिन होगा तो आ जाउन्गा गुलाबी रंग की साड़ी मे सरोज एक दम खिली खिली सी लग रही थी माल तो वो भी मस्त था मैं उसके पास गया और उसकी साड़ी का पल्लू पकड़ लिया और उसको अपनी ओर खेंचने लगा सरोज गोल गोल घूमते हुए अपनी साड़ी को उतारने लगी कुछ ही पॅलो मे पूरी साड़ी मेरे हाथो मे थी
मैने उसको सूँघा और फिर साइड मे फेंक दिया और सरोज को अपने आगोश मे ले लिया आज उसका सबकुछ गुलाबी ही था होंठो की लिपीसटिक , साड़ी, पेटिकोट, ब्रा-पेंटी सब कुछ गुलाबी ही गुलाबी था मैने अपने हाथ उसके चुतडो पर रखे और उनको दबाने लगा रूई के गोलो को छूने जैसा एहसास था फिर मैने उसके गुलाबी हो चुके होंटो पे अपनी जीभ फिराने लगा उसकी लिपीसटिक मेरी जीभ की गर्मी से पिघलने लगी मैं बस अपनी जीभ को उसके होंठो पे फेरता जा रहा था मैं उसको किस करने की कोशिश भी नही कर रहा था उसके होंठ लरजने लगे थोड़ी ही देर मे उसकी पूरी लिपीसटिक सॉफ हो गयी फिर उसने अपने मुँह को थोड़ा सा खोला और मेरी जीभ को अपने मुँह मे ले लिया और चुँसने लगी मेरी जीभ को अपने दाँतों मे दबाए हुए वो उसे चुँसने लगी आज वो एक अलग स्तर पे थी
वो शायद मुझे अपनी अदा दिखाना चाहती थी फिर कल रात से वो भी प्यासी ही थी अब वो अपनी जीभ से मेरी जीभ को छेड़ रही थी हम दोनो के थूक को वो पिए जा रही थी 10-15 मिनट तक हम दोनो बस किस ही करते रहे बिना किसी जल्दबाज़ी के बस लगे ही रहे फिर मैं जाके उस से अलग हुआ हमारी साँसे फूल चूँकि थी उसकी छातिया बहुत ही तेज़ी से उपर नीचे हो रही थी उसने खुद ही अपना ब्लाउस और ब्रा को खोल दिया और मेरे सर को अपनी छातियो मे छुपा लिया मैं ने भी बिना देर किए उसकी पर्वतों सी विशाल घाटियो को अपने मुँह मे भर लिया औरवही खड़े खड़े उसकी चूची पीने लगा सरोज बोली पियो इनको अच्छी तरह से पियो आज इनका सारा दूध बाहर निकाल दो चूँसो और ज़ोर से चूँसो मेरे मुँह मे उसकी आधे से ज़्यादा चूंची थी मुझे ऐसे लग रहा था जैसे मैं किसी गुब्बारे को चुंस रहा हूँ ज्यो ज्यो मेरी खुरदरी जीभ उसकी निप्पल्स पे रगड़ खाती
उसकी आहे निकल जाती उसकी चूचियो की निप्पलस 1 इंच के साइज़ के हो गये थे मेरे थूक से उनकी छातिया सन चुकी थी तब कही जाके उन्होने मुझे अपने से अलग किया अब उसने मेरे कपड़ो को उतारना शुरू किया मैं पूरा नंगा हो चुका था तो वो नीचे बैठ गयी और मेरे लंड ओ अपने मुँह मे दबा लिया और उसे चुँसने लगी मुझे बड़ा ही मज़ा आने लगा था वो पूरी तस्सली से लगी हुई थी मैं उसकी अदाओं का कायल हो गया था उसे अच्छी तरह से पता था कि जवानी को कॅश कैसे किया जाता है वो सुपाडे पे अपनी जीभ गोल गोल फिरा रही थी मुझे लगा कही मेरा छूट नही जाए तो मैने लंड को उसके मुँह से निकाल दिया वो किसी भूखी शेरनी की तरह मेरी तरफ देखने लगी मैने उसको अपनी गोदी मे उठाया और बेड पे लाके पटक दिया उसकी कच्छि को अलग किया और उसकी चूत को देखने लगा फिर मैने उसकी टाँगो को फैलाया और अपने लंड को सेट करके एक धक्का लगा लगाया .
चूत पूरी तरह से पनियाई पड़ी थी बिना किसी दबाव के ही पूरा लंड उस अंधेरी गुफा मे उतरता चला गया सरोज ने एक ठंडी आह भरी और मेरे मे खोती चली गयी उसने अपनी टाँगो को मेरी कमर के चारो तरफ लप्पेट लिया और मुझसे चुदाई करवाने लगी हम दोनो के बदन एक हो गये थे पंखा पूरी रफ़्तार से चल रहा था पर फिर भी हमारे बदन से पसीना छलक ही आया था उसने अपने होंठो को मेरे होंठो पे टिका दिया और बेतहासा लगी चूमने मुझे भी मज़ा तो आ ही रहा था उसने अपनी गौरी बाहों को मेरे गले मे डाल दिया और बस हम दोनो इस दीन-दुनिया से बेख़बर होते चले गये मेरा हर धक्का उसकी चूत पे तगड़ी चोट मार रहा था वो बस मेरे होंठो को खाए जा रही थी बहुत देर तक हम दोनो एक दूसरे मे खोए रहे अब मैने उसकी टाँगो को उठा कर अपने कंधो पे रख लिया और दुबारा से उसकी चुदाई स्टार्ट कर दी
सरोज अपने बोबो को अपने हाथ से सहलाते हुए अपनी चूत मुझे दे रही थी सरोज की चूत अब बहुत ही ज़्यादा गीली हो चुकी थी मेरा लंड बार बार फिसले जा रहा था तो मैने उसकी टाँगो को सीधा किया और अब पूरी रफ़्तार से उसको चोदने लगा सरोज ने मुझे अपनी बाहों मे कस लिया था किसी भी पल वो झाड़ सकती थी मैं लगा हुआ था मेरे लंड मे भी उन्माद बढ़ चुका था सरोज का बदन अब काँपने लगा था वो किसी छोटे बच्चे की तरह मुझसे चिपकी पड़ी थी ठीक तभी उसकी पकड़ बहुत ही कस गयी और उसकी चूत ने अपना पानी छोड़ दिया सरोज हाँफने लगी और अपनी आँखो को बंद कर लिया मैने अपने लंड को चूत से बाहर निकाला और लंड को उसके होंठो पे रख दिया और अपना वीर्य उसके होंठो और गालो पे छोड़ने लगा सरोज ने मेरे वीर्य को किसी क्रीम की तरह अपने मुँह पे मल लिया
फिर वो उठी और बाथरूम मे घूंस गयी मैं बेड पे ही लेट गया
दस मिनट बाद वो आई और मेरे पास ही लेट गयी सरोज बोली वैसे तो मैने कई लंड लिए है पर जब जब तुमसे चुदती हूँ तो एक अलग ही एक्सपीरियेन्स होता है ऐसा क्यो तो मैं बोला मुझे क्या पता बाते करते करते वो मेरे सीने पे अपना हाथ फेरने लगी थी फिर वो मेरे सीने पे झुंक गयी और मेरे निप्पल्स पे अपनी जीभ को फेरने लगी मेरे लिए ये एक नया एहसास था मेरे पूरे बदन मे झुरझुरी सी फैल गयी वो मेरे सीने पे किस करने लगी और अपने हाथ से मेरे अंडकोषो को सहलाने लगी मेरा लिंग अपना सर उठाने लगा सरोज मेरी गोलियो को मादक तरीके से सहलाए जा रही थी।