05-12-2020, 07:34 PM
उसकी लॅप लपाटी जीभ मेरी चॅम्डी पे साँप की तरह घूमने लगी वो मेरे सुपाडे के छेद मे अपनी जीभ घुसाने का प्रयत्न कर रही थी जिस से मुझे एक अलग ही प्रकार का मज़ा मिल रहा था लंड पे लगे थूक को वो चाटे जा रही थी लंड पूरी तरह भड़क चुका था मैने उसे हटाया और बेड के सिरहाने पे झुंका दिया और अपना मुँह उसके कुल्हो मे घूँसा दिया कुछ देर तक उसकी चूत का मज़ा लिया अब वो एक दम तैयार हो चूँकि थी तो अपने लंड को उसके मखमली दरवाजे पे लगाया और थोड़ा सा घूँसा दिया मामी थोड़ी सी पीछे की ओर हुई और उसी समय मेरा लंड चूत की दीवारो को बेधते हुए अंदर मंज़िल पे पहुँच गया मेरे हाथो ने सरोज की उछालती हुई गोलाईयो को थाम लिया और उनको दबाते हुए उसकी चूत मारने लगा पसीना उसकी कनपटी से होता हुआ गर्दन की ओर बह रहा था मैं उसके पसीने को अपनी जीभ से चाटने लगा
सरोज की मस्ती और भी बढ़ गयी वो मेरे धक्को को अपने अंदर ले रही थी उसकी छातियो को बुरी तरह मसल्ने लगा और वो बार बार उतना ही फूले जा रही थी तभी मैने अपना लंड चूत से बाहर निकाला और सरोज के मुँह को नीचे की ओर करते हुए उसके मुँह मे डाल दिया सरोज अपनी चूत के रस से साने लंड को चुँसने लगी थोड़ी देर लंड छूसाने के बाद मैं वहाँ रखी प्लास्टिक की कुर्सी पे बैठ गया और वो मेरे लंड पे बैठती चली गयी वो हौले हौले अपनी गान्ड को हिला रही थी शायद सेक्स को लंबा खींचना चाहती थी उसने मेरे कंधो पे अपने हाथ रखे और अपना एक्सपीरियेन्स मुझे दिखाने लगी उसकी कातिल छातिया मेरे सीने मे रगड़ खा रही थी मैं बस उसके बालो को सहला रहा था समय के साथ साथ उसकी गान्ड तेज़ी से हिलने लगी थी
कुर्सी के पाए हम दोनो के बोझ से चरमराने लगे थे मैने उसे कहा कि उतरो ओर बेड पे चलो पर उसने नही सुना और लगी रही सरोज पूरी रफ़्तार मे थी कुर्सी बुरी तरह लरजने लगी थी मैं बस अपने चरम पे पहुँचने ही वाला था कि तभी कुर्सी ने धोका दे दिया और उसकी एक टाँग टूट गयी मैं सरोज को लिए धड़ से फर्श पे गिरा पीठ मे थोड़ी चोट लग गयी उसकी भी कोहनी छिल गयी थी पर उस समय नसो मे खून ज़ोर मार रहा था तो ज़्यादा गौर नही किया और उसे दबोच ते हुए उसकी पतली सी टाँगो को अपने कंधो पे रख लिया और एक बार फिर से लगा उसे चोदने हम दोनो एक दूसरे मे खोए पड़े थे कि तभी बाहर से किसी ने आवाज़ लगाई सरोज का मज़ा किरकिरा हो गया उसने जल्दी से कपड़ो को डाला और बाहर चली गयी मैं बेड के नीचे छुप गया
पता नही कौन था पर सरोज को वापिस आने मे 10-15 मिनट लग गये थे महॉल भी ठंडा सा हो गया था लंड भी छोटा हो गया था तो उसने कहा बाहर आ जाओ मैं निकला उसने झट से अपने कपड़े उतारे और मेरी ओर देखने लगी मैने उसे बेड पे लिटाया और 69 मे आ गये जल्दी से दोनो को अपनी आग को दुबारा से जगाना था जल्दी ही उसकी योनि मे कामरस का संचार होने लगा रस की बूंदे छल छला उठी इधर लंड भी जोश मे आने लगा था एक दूसरे के अंगो को चूमने मे एक अलग ही मज़ा आ रहा था कुछ देर मे हम दोनो एक दम रेडी थे मैने उसके चुतडो पे एक नरम तकिया लगाया और उसकी टाँगो को उपर करके एक साथ जोड़ दिया अब चूत उभरी हुई और आपस मे चिपक गयी थी मैने लंड को सेट किया और घप से अंदर डाल दिया सरोज की एक मस्त आह निकल गयी
वो बोली बहुत अच्छे हर गुज़रते लम्हे के साथ हम एक दूजे मे खोते जा रहे थे मेरा लंड दबादब लगा हुआ था अब उसे चोद्ते हुए आधे घंटे से उपर हो चला था मैं बस कुछ ही पॅलो का मेहमान था तो मैने कहा मामी मेरा होने वाला है तो वो हाँफती हुई बोली बस थोड़ी देर और थोड़ी डीईईईईईईईईईईईररर्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्ररर और ठीक उसी पल हम दोनो एक साथ ही झाड़ गये मेरा और उसका पानी एक दूसरे मे मिक्स हो गये मेरे माथे पे पसीने की बूंदे छल छला आई थी पर सरोज के चेहरे पे सुख के भाव थे थोड़ी देर वो आँखे बंद किए पड़ी रही मैं उठा और अपने कपड़े पहन लिए और बेड पे बैठ गया वो उठी और नंगी ही अपनी अलमारी की ओर चल पड़ी
उसने 500 के कुछ नोट निकाले और मेरे हाथ मे दे दिए बोली भानजे आज तुमने मुझे बहुत खुश किया है मेरी तरफ से एक छोटी सी भेंट तुम्हारे लिए मैं उसे मना करना चाहता था पर ना जाने क्या सोच कर मैने वो पैसे रख लिए सरोज फिर तैयार हुई थोड़ा शृंगार किया फिर खाना खिला कर मुझे विदा किया
वापिस जाते ही मामी पिल पड़ी कि कहाँ गये थे मैं कब से राह देख रही हूँ भूक नही लगती क्या एक साथ कयि प्रश्न कर डाले उन्होने तो मैने कहा कि बस ऐसे ही घूम रहा था फिर सवालो से बचने के लिए थोड़ा खाना और ठूंस लिया जैसे ही सोफे की पुष्ट से मेरी पीठ टिकी बॅक साइड मे एक दर्द की लहर उठी गिरने से जो चोट लगी थी वो अब रंग दिखा रही थी मैने अपनी जॅकेट और शर्ट को उतारा और हाथ फिरा के देखने लगा तभी मामी आ गयी मैने कहा देखिए ना तो उन्होने बोला तुम्हे तो चोट लगी है और फिर उन्होने दवाई लगा के थोड़ी ड्रेसिंग कर दी फिर लगी वो पूछने कि कैसे लगी ये चोट तो मैने सच बता दिया कि मैं पूरी दोपहर सरोज के साथ था और हमारे बीच जो भी हुआ वो सब उन्हे बता दिया मामी बोली कमिने कहाँ कहाँ मुँह मारता फिरता है
उस को तो मैं बताउन्गि मेरे भानजे को भी नही छोड़ा उस रंडी ने मैं थोड़ा थक सा गया था और कुछ दवाई का असर था तो मैं सो गया उठा तो सात बज चुके थे अगले दिन वापिस निकल ना था तो कपड़े पॅक कर ही रहा था कि मामी बोली कुछ दिन और रुक जाओ ना तो मैने कहा मामी अब घर भी जाना ज़रूरी है 15 दिन हो गये यहाँ आए हुए फिर कुछ दिनो मे कॉलेज भी ओपन हो जाएँगे दिल तो नही कर रहा पर क्या करू पर जब भी मोका मिलेगा तो आपके पास ज़रूर आउन्गा मामी थोड़ा मुस्काई और फिर नीचे चली गयी जब हम खाना खा रहे थे तो मामी ने नानी से कहा माजी अब कल तो ये चला जाएगा और अशोक को आने मे भी कोई 10-12 दिन लग ही जाएँगे(अशोक उनका बेटा) तो क्यों ना आज एक बार और खेतो मे पानी दे दें फिर बाकी काम अशोक आके देख लेगा
नानी बोली हाँ क्यो नही ज़रूर नानी बोली रात को आते आते काफ़ी देर हो जाती है और इतनी रात गये बाहर ठीक नही है तुम लोग रात को वही पे सो जाना और सुबह ही आना ये सुन के मुझसे ज़्यादा मामी के बदन मे चिंगारिया उठ पड़ी उन्होने जल्दी से अपना घरेलू काम समेटा और चॉबारे मे चली गयी मैने स्कूटर पे दो जोड़ी बिस्तर लाद दिए अब पैदल कौन जाता इस बोझ के साथ कोई 20 मिनट बाद वो नीचे आई एक दम सजी धजी बिल्कुल किसी दुल्हन की तरह किसी नवयुवती को भी पछाड़ दे उस समय हल्के सफेद सूट सलवार मे गजब का पीस लग रही थी सूकर है नानी नाना सो चुके थे नही तो वो सब समझ जाते गेट को बाहर से ताला लगाया और स्कूटर पे बैठ के चल पड़े खेतो की ओर थोड़ा सुनसान रास्ता आते ही मामी ने अपना हाथ मेरे लंड पे रख दिया
और शरारत करने लगी धुन्ध काफ़ी गहरा गयी थी तो थोड़ी परेशानी सी हो रही थी परंतु किसी तरह हम पहुँच ही गये मामी ने कॉटडे का ताला खोला और हम अंदर गये अब समस्या थी कि वहाँ पे चारपाई नही थी पर चूँकि दो कंबल थे तो उनको और एक रज़ाई को बिछा के इक गदम सा बिस्तर सा बना लिया था मैने कहा मामी आप यही रहो मैं मोटर चला के आता हूँ और फिर मैने पानी क्यारियो मे छोड़ दिया कॉटडे के द्वार को बंद किया और मामी की ओर बढ़ चला मामी बोली तुम कल चले जाओ गे तो मैने सोचा कि आज कुछ खास करू तुम्हारे लिए और वो मेरी बाहों मे आ गयी मैने अपने होंठो पे जीभ फेर के उनको गीला किया और उनके लिपीसटिक से सने होंठो को चूमने लगा डार्क चॉककलेट फ्लेवर की पूरी लिपीसटिक को चाट गया मैं मामी बोली आज की रात को यादगार बनाना है
तुम्हारे जाने के बाद भी मैं इन पॅलो को याद करके जीती रहूं और फिर से अपने रसीले होंठ मुझ से सटा दिए और लगी बेतहाशा चूमने ना जाने कब तब लगी रही वो फिर मैने उनके सूट को निकाल दिया उनकी सलवार उनकी गान्ड मे फसि हुई थी मैने अपना हाथ घुसा के उसे सही किया जमुनई रंग की ब्रा मे उनकी कसी हुई चूचिया बाहर निकलने नो बेताब हो रही थी मैं उनको चूमते चूमते उनकी गान्ड को भी सहलाने लगा था मामी ने मेरी जॅकेट को निकाल दिया वो कुछ ज़्यादा ही उतावली हो रही थी मैने उनकी सलवार के नाडे को पकड़ा और खोल दिया उन्होने अपने चूतड़ उपर किए और मैने सलवार को अलग कर दिया जमुनई ब्रा-पेंटी मे वो बहुत ही ज़्यादा हॉट लग रही थी उनकी कच्छि बहुत ही फॅशनबल थी बेसक छोटी सी लाइन थी चूत को भी पूरा नही ढक पा रही थी
और गौरे चूतड़ तो पूरे ही नंगे थे मेरा लंड एक दम से ही तन गया मैने जल्दी से कपड़े उतारे और नंगा हो गया वो मेरे सीने से चिपक गयी और बोली थोड़े दिन और रुक जाओ ना मैने उन्हे समझाया और उनकी गौरी पीठ को सहलाने लगा और उनकी ब्रा के हुन्को को खोल दिया मामी की चूचिया मेरे सीने पे गिर पड़ी हद से ज़्यादा कोमल मैने उनके लाल होंठो को एक बार फिर से दबा लिया और उनके चुतडो को सहलाने लगा मामी ने मुँह खोल के अपनी जीभ को मेरे मुँह मे सरका दिया था जिसे मैं चुँसने लगा मेरा हाथ उनकी गान्ड की दरार मे पहुँच चुका था मैं मज़े से उनकी गौरी गान्ड को मसल्ने लगा मामी चिहुनकने लगी मैने किस तोड़ी और उनकी गर्दन को चूमने लगा
उन्होने मेरे लंड को पकड़ लिया और उसपे अपना हाथ फेरने लगी मैने अब उनकी गदराई हुई टाँगो को उपर किया और उनकी कछि को बाहर निकाल दिया छोटे छोटे बालो से भरी हुई काली चूत जो पिछली कई रातो से मेरी प्यास बुझा रही थी एक बार फिर से मेरी आँखो के सामने थी मामी बोली इतने गौर से क्या देख रहे हो तो मैं बोला डार्लिंग अब ना जाने कब मौका मिले इस रस से भरी प्याली को पीने का और झुकते हुए अपने दाँत उनकी फांको मे गढ़ा दिए मामी बोली ओह जुउुुुुुुुुुुुुुुुुुुुुुुुुुुुुुुउउल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्लमीीीईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईई कार्रर्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्रररल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्लीीईईईईईईईईईईईईईईई अपनीईईईईईई मान्ंननननननणणन् कीईईईईईईईईईईईईईईई आआआआआआआआआअ ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज मानाआआअ लीईईई मेर्रर्र्र्र्र्र्र्रृिईईईईईईईईईईईईईईईईईईई दूस्स्स्स्स्स्स्स्स्रर्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्रृिईईईईईईईईईईईईईईईईईईई सवूऊयूवूऊवूऊवूऊवूऊवूऊवूऊवूऊवूऊवूऊवूववूचेयेयीयायगग्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ग्गर्र्र्रयाययीयट्ट्ट्ट ओह बसस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स बसस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स माआआआआआआआआआआआईयईईईईईईईईई टत्त्टटटटटटटतततूऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊ मारीईईईईईईईईईईईईईईईईईईई
एक दम से चूत गीली हो गयी थी उपर से नीचे तक मैं उसे चाट चाट के सुखाए जा रहा था मामी तो शाम से ही उत्तेजित थी तो चूत बुरी तरह से पनियाई पड़ी थी और रही सही कमी जीभ ने पूरी कर दी चूत से पानी बहे जा रहा था मामी मेरे सर को चूत पे दबाए पड़ी थी मामी का हाल तो बस पूछो ही मत 5 मिनट भी नही बीते होंगे और मामी झाड़ पड़ी पूरा खारा पानी मेरे मुँह मे समा गया मामी बेधल होके पड़ गयी आज मेरा दिल उनकी गौरी गान्ड पे आ गया था और वैसे भी कई दिनो से गान्ड मे लंड नही घूँसाया था तो मैने उन्हे औंधी किया अपना मुँह उनकी गान्ड पे लगा दिया और उसे चाटने लगा मामी बोली ये क्या करते हो गुदगुदी हो रही है पर मैं लगा रहा थोड़ी देर चाटने से मामी की गान्ड का छेद खुलने और बंद होने लगा
उपर से गिरते हुए थूक से और भी चिकना हो गया था मैने अब उनके कूल्हों को थोड़ा सा चौड़ा किया और अपने लंड को वहाँ पे टिका दिया ज़ोर लगाने पर मेरा सुपाडा अंदर घूंस गया मामी को थोड़ा दर्द सा हो रहा था पर वो भी तैयार थी अपनी गान्ड मुझे देने क लिए मामी की गान्ड ज़्यादा टाइट नही थी तो ज़्यादा मुश्किल नही हुई और कुछ प्रयासो के बाद मेरा पूरा लंड अंदर तक समा गया मामी बोली ज़ोर ज़ोर से मेरी गान्ड चोदना मैं कहा डार्लिंग चिंता मत करो बस मेरा साथ दो मैने पूरे लंड को बाहर निकाल लिया और फिर एक दम से वापिस अंदर डाल दिया मामी बोली आआक्ककककककककककककककककककककककककककककुउुुुुुुुुुुुुुुउउ मैने कहा अभी तो कह रही थी कि ज़ोर से चोदना तो फिर उन्होने चूं ही नही की और मैं लगा स्टार्ट होने आज कई दिनो बाद गान्ड मार रहा था तो लंड भी थोड़ा ज़्यादा ही कड़क हो रहा था
मामी मेरे हर प्रहार की शक्ति को अपने चुतडो पे झेल रही थी मामी के नरम नरम चुतडो से जब मेरी टांगे टकराती तो उनका पूरा बोझ उनपे पड़ने लगा था वो मेरे बोझ से दबी जा रही थी उनकी गान्ड का छेद मेरे लंड पे किसी टोपी की तरह कसा हुआ था 20 मिनट तक लगातार गान्ड चुदाई चलती रही मामी भी फुल एंजाय कर रही थी मेरी रफ़्तार टॉप गियर मे थी अब मेरा बस निकलने ही वाला था तो मैने दो-चार झटके और मारे और लंड को बाहर निकाल के उनके गौरे गौरे चुतडो पे सफेद पानी की बारिश कर दी एक झटके से लंड बहार आने से मामी को भी थोड़ा आराम मिला चुतडो पे सफेद चिपचिपी बूंदे चमकने लगी थी मैं काफ़ी देर तक उनके चुतडो को ही निहारता रहा फिर मैं उठा और बाहर आया और पानी से अपने लंड को धोने लगा
मामी भी आ गयी और अपनी गान्ड को सॉफ करने लगी कुछ छपके उन्होने अपनी चूत पे भी मारे मैने कहा आप अंदर चलो मैं एक बार पानी की सप्लाइ को चेक करके आता हूँ और पानी की क्यारियो की तरफ चल पड़ा एक तो धून्ध ज़्यादा पड़ रही थी तो थोड़ी परेशानी हो रही थी और उपर से ठंड मे पानी मे खड़े होना कोई15 मिनट बाद मैं वापिस कॉटडे मे गया मामी रज़ाई ओढ़े लेटी थी मेरी हालत ठंड से टाइट हुई पड़ी थी तो रज़ाई मे घूंस के चैन मिला मामी ने मेरी ओर करवट ली और मुझसे लिपट गयी बहुत ही अच्छा लगा मामी ने मेरी जाँघो पे अपना हाथ फेरने लगी जो धीरे धीरे मेरे अंडकोषो पे पहुँच गया उन्होने अपनी मुट्ही मे मेरी गोलियो को भर लिया और उनसे छेड़खानी करने लगी सुरूर फिर से छाने लगा था मामी मेरी आँखो मे आँखे डाले हुई थी
उनके होंठ थोड़े लरज रहे थे मैने भी अपनी उंगली उनकी चूत मे घूँसा दी और उसे अंदर बाहर करने लगा उनकी चूत बहुत ही गरम लग रही थी उन्होने मेरा हाथ हटाया और मेरे लंड को अपनी चूत के छेद पे रख के रगड़ने लगी जब जब मेरा संवीदनशील सुपाडा ऐसे रगड़ती तो मुझे बहुत ही तेज गुदगुदी होने लगी लंड कुछ ही देर मे पूर्ण रूप से तन चुका था तो मैने कहा बस मामी और उनकी मांसल टाँग को अपनी कमर पे रख लिया और लंड को एक बार मे ही अंदर घूँसा दिया मामी इस हमले के लिए तैयार नही थी वो थोड़ा सा टेढ़ी और हुई और अपनी बाहों को मेरे गले मे डाल दिया लंड सरपट दौड़ने लगा अब ऐसा चिकना रोड मिले तो लंड की पर्फॉर्मेन्स तो जबरदस्त अपने आप ही होनी थी मामी बोली धक्के मत मारो मैं बस तुम्हारे लंड को अपने अंदर महसूस करना चाहती हूँ
मैं रुक गया मामी ने मेरे होंठो को अपने मुँह मे भर लिया और उन्हे चबाने लगी कोई 5-6 मिनट तक वो बस मेरे लंड को फील ही करती रही मेरा हाल थोड़ा अजीब हो रहा था तो मैने उन्हे अड्जस्ट किया और उनके उपर गया अब मैने लंड को अंदर बाहर करना शुरू किया मामी ने भी अपनी टाँगो को खूब फैला लिया और अपनी चूत मराई का मज़ा लेने लगी मामी की चूत फुदक रही थी आज काफ़ी ज़्यादा गीलापन था उसमे से बस हमारी सांसो की सरगोसियाँ हर तरफ फैली हुई थी रज़ाई के अंदर उनको भोग रहा था मैं आधे-पोने घंटे तक ढंग से बजाया उनको और फिर एक बार अपने पानी से उनकी चूत की सिंचाई कर दी इस तरह सुबह होने तक ना मामी सोई ना मुझे एक पल को भी सोने दिया पूरी रात उनकी हवस को मिटाया ना जाने कितनिबार वो चुदि
कभी वीर्य पिया कभी लंड गान्ड मे लिया कभी बस चूसा ही इस तरह से पूरी रात उन्होने अपनी इच्छा को पूरी किया जितना उनकी आग भुजती उतना ही और भड़क जाती सुबह 7 बजे वो मुझसे अलग हुई और अपने कपड़े पहन ने लगी वो कच्छि को टाँगो पे चढ़ा ही रही थी कि मैने उन्हे रोका और उस छोटी से कच्छि को अपनी पेंट की जेब मे रख लिया मामी हँसी और सलवार को उपर चढ़ा लिया बाहर अभी भी थोड़ा अंधेरा सा ही था पंप बंद किया ताला लगाया और हम घर वापिस चल पड़े बदन बुरी तरह से थक चुका था ऐसा ही हाल मामी का भी था
घर पे आते ही मैं सीधा बाथरूम मे घूंस गया और नहाने लगा मामी रसोई मे चली गयी कोई 11 बजे मैं एक दम रेडी था वापिस होने के लिए बस पकड़ी और सहर चल पड़ा बस स्टॅंड आया अपनी टिकेट ली और अब वापसी का सफ़र करना था पूरी रात की नींद थी और सफ़र भी लंबा था तो बस मे सो गया कोई 5बजे मैं उठा बस एक ढाबे पे खड़ी थी बाहर आके मुँह धोया कुछ खाया पिया अभी एक घंटा और लगना था कुछ देर मे बस फिर चल पड़ी मैने अपने सर को खिड़की पे टिका लिया और हवा के झोंको का आनंद लेने लगा अपने सहर आते आते 7 बज गये थे अंधेरा पूरी तरह छा चुका था टेंपो भी नही मिलने वाला था इस टाइम लिमिटेड सर्विस ही चलती थी तो अब पैदल ही चलना था उपर से मेरा बॅग भी थोड़ा भारी था
पर और कोई रास्ता भी नही था तो चल पड़ा पेट मे चूहे कूद रहे थे सो अलग जैस तैसे करके धक्के खाते हुए घर पहुँच ही गया घरवालो से दुआ सलाम हुई फिर खाना वाना खाया कुछ सफ़र की थकान भी थी तो बस अपना कमरा खोला और बिस्तर पे पड़ गया फिर ना कोई होश रहा सुबह ही आँख खुली अपने होश संभाले कमरे की थोड़ी सफाई की इन सब मे ही दोपहर हो गयी फिर मैं अंदर गया तो बस चाची ही थी उन्होने बोला कुछ खाएगा मैने हाँ की तो उन्होने प्लेट मे खाना डाल के मुझे दिया और मेरे पास ही बैठ गयी उन्होने पूछा इस बार तो कई दिन लगा दिए क्या कोई मिल गयी थी वहाँ तो मैने कहा क्या आप भी ना पूरा टाइम खाल खेंचती रहती हो फिर खाना ख़तम किया मैने पूछा सब लोग कहाँ है तो बोले दो तो ऑफीस गये है
दीदी और मांजी प्रीतम के घर गयी है कुछ रस्मे चल रही है तब मुझे याद आया कि उसकी शादी मे बस3-4 दिन ही बचे है मैं तो उसे भूल ही गया था चाची मज़े लेते हुए बोली बेटा अब तेरी चिड़िया तो उड़ जाएगी अब कहाँ जुगाड़ करेगा तो मैने कहा आप हो ना और उन्हे अपनी बाहों मे ले लिया वो छूटने की कोशिस करने लगी बोली कम्बख़्त टाइम पास मत कर छोड़ दे, मुझे भी प्रीतम के घर जाना है तू इधर ही रहियो और घर का ध्यान राखियो पर फिर भी चुम्मि तो ले ही ली मैने चाची भी चली गयी मैं अलमारी मे कुछ ढूँढ रहा था कि तभी कुछ गिर पड़ा ये तो मिता की पैंटिंग थी उसे देखते ही मूड रोमॅंटिक सा हो गया मैने कॅन्वस सेट किया और लगा एक ब्लॅक आंड वाइट पैंटिंग बनाना उसमे इतना खोया कि पता ही नही कब तब लगा रहा
जब मम्मी चाइ का गिलास लेके आई तो मेरा होश टूटा उन्होने मेरे उकेरे चित्र को देखा और बोली ये किसकी तस्वीर बनाई है तूने तो मैने कहा मम्मी बस यू ही बन गयी अब माँ तो माँ होती है उन्होने ताड़ ही लिया था वो बोली तेरा कोई चक्कर-वक्कर तो नही चल रहा ना वैसे भी पिछले कुछ महीनो से तेरे अंदाज बदले हुए है मैने कहा क्या मम्मी कुछ भी बोलती हो अब मुझ से कौन लड़की रिश्ता जोड़ेगी ये तस्वीर तो ऐसे ही बन गयी बात आई गयी हो गयी पर मुझे लगा कि मम्मी से झूट बोलना इतना आसान नही है खैर, छोटा मोटा काम किया तभी प्रीतम का भाई आ गया और बोला यार कल मेरे साथ सिटी चलियो कुछ फर्निचर का सामान पेंडिंग है लाने चलना है मैने कहा ठीक है भाई फिर मैं उसके साथ साथ उसके घर चला गया
तो पता चला कि ज्योति भी आई हुई है और उसकी भाभी ने मुझे देख के ज्योति ने उसके कान मे कुछ ख़ुसर फुसर किया तो वो हँसने लगी मैने सोचा ज्योति को रगड़ दूं मोका मिले तो मैं बैठा था कि तभी उपर से प्रीतम के दीदार हुए खुदा कसम क्या कयामत लग रही थी उबटन और मेकप से एकदम खिल चुकी थी उसने आँखो के इशारे से मेरा हाल पूछा मैने मुस्कुरा के जवाब दिया फिर उसका भाई प्लॅनिंग बताने लगा मैने कहा कि तू चिंता मत कर सब अच्छे से हो जाएगा टेन्षन मत ले 8 बज चुके थे म्यूज़िक चल रहा था कुछ रिलेटिव्स डॅन्स कर रहे थे अब शादी का घर था तो माहौल तो बन ना ही था पर मुझे कुछ बैचैनि सी हो रही थी ना जाने क्यो शायद प्रीतम के दूर जाने की वजह से दिल मे कुछ चुभन सा लगा क्या ये प्यार था ????????????????????????????????????????????????????????? नही, बिल्कुल नही ये बस एक दोस्त के दूर जाने का रिएक्सन था फिर मैं अपने घर आया तो रास्ते मे शीला मिल गयी वो थोड़ा नाराज़ सा होते हुए बोली कि आज कल कहाँ रहते हो मेरी तरफ देखते भी नही पहले तो मेरी आदत बिगाड़ दी और अब दूर भागते हो मैने कहा ऐसी बात नही है भाभी बस थोड़ा सा बीजी हूँ फिर वो अपने घर हुई और मैने अपने कमरे मे आज कई दिनो मे किताबो की शकल देखी थी साला दिमाग़ घूम ही गया एक दम से कुछ नोट्स वैगरह बनाए टॉपिक्स शॉर्टलिस्ट किए कॉलेज तो ओपन हो ही गये थे पर मैने डिसाइड किया कि प्रीतम की शादी के बाद ही जाउन्गा अगला पूरा दिन बाजार मे ही बीत गया अब बस 2 दिन रह गये थे मैं रात को अपने कमरे मे था
कोई 10 साढ़े दस का टाइम रहा होगा मेरे गेट की कुण्डी खाड़की मैने गेट खोला तो शीला थी वो अंदर आई और बोली आज कुछ हो जाए मैने कहा पप्पू कहाँ है तो वो बोली पी के पड़ा है आप जल्दी से कर्लो ना कई दिन हो गये है आप तो मुझे भूल ही गये है ना जाने मेरा दिल शीला से हट सा गया था तो मैने उसे टालते हुए कहा कि भाभी हमने जो भी किया वो ग़लत बात है हम बहक गये थे पर इस सिलसिले को यही पे ख़तम कर देना चाहिए तो शीला बोली सॉफ सॉफ क्यो नही कहते कि आपका मन भर गया है मैने उसे समझाने की लाख कोशिस की पर वो मान ही नही रही थी वो बोली आपने ही तो मुझे पर पुरुष के लंड का चस्का लगाया है और अब आप ही मना कर रहे हो
शीला ने मेरे पयज़ामे के अंदर हाथ डाल दिया और मेरे लंड को मसल्ने लगी पर ना जाने क्यो मेरा मूड बिल्कुल भी नही था मैने उसे अपने से दूर हटाया और बोला कि भाभी मान जाओ आज कल मेरी तबीयत थोड़ी ठीक नही रहती है और मुझपे थोड़ा प्रेशर भी है प्लीज़ आप तो समझो मैं किसी भी तरह से उसे टालना चाहता था पर वो मान ही नही रही थी तो मैने अपने आप को हालत पे छोड़ दिया और सोचा चलो ठीक है ये भी खुश हो जाएगी शीला ने मेरे पयज़ामे को नीचे सरका दिया और मेरे लंड से खेलने लगी थोड़ी देर वो ऐसे ही उसे हिलाती रही फिर वो नीचे बैठी और मेरे लंड पे अपने होंठ लगा लिए पूरे लंड को अपने मुँह मे लेके वो चुँसने लगी लंड मे भी तनाव आने लगा था आख़िर उसने भी मामी के बाद कुछ किया नही था
तो जल्द ही वो भी फूल गया शीला तो थी ही उतावली मैने उसे खड़ी की और उसके ब्लाउस को खोल ही रहा था कि वो बोली कपड़े मत उतारो अभी वापिस जाउन्गि बस जल्दी से मुझे शांत कर दो और फोल्डिंग पे लेट गयी मैने उसके घाघरे को कमर तक हटाया उसकी चूत का गीलापन जाँघो तक आ चुका था शीला पूरी तरह से चुदासी हो रही थी मैने उसकी टाँगो को खोला और अपने लंड को अंदर सरका दिया शीला के चेहरे पे खुशी छा गयी हम दोनो संभोग रत हो गये बिना मर्ज़ी के उसे चोद रहा था बस ये सोचके कि जल्दी से जल्दी उसे यहा से दफ़ा कर सकु पर एक बार चूत मे लंड गया तो बाकी कुछ याद ना रहा मैने उसके मुँह को अपने से जोड़ लिया और वो भी नीचे से गान्ड उछालते हुए चुदने लगी उसे थोड़ी जल्दी भी थी तो वो कुछ ज़्यादा ही जोश दिखा रही थी
मैं भी कहा कम रहने वाला था उसे किस करते हुए बस छोड़े जा रहा था अगले कुछ मिंटो तक बस सन्नाटा छाया रहा 20 मिनट तक बस चुदाई ही चलती रही तब जाके उसने अपना छोड़ा और लंबी साँसे लेने लगी पर मैं उसे चोदे ही जा रहा था थोड़ा टाइम और लगा और मैने भी मैदान छोड़ दिया जैसे ही मेरा काम हुआ शीला उठी और अपने घाघरे से चूत को सॉफ किया और अपने घर चली गयी मैने पयज़ामा पहना और कुण्डी लगा के कुर्सी पे बैठ गया
गला खुश्क हो गया था थोड़ा पानी पिया नींद तो जैसे रूठ सी गयी थी उन्दिनो बहुत ही कम सो पता था रेडियो ऑन कर लिया खामोशी मे संगीत की धुन तैर गयी अपना फेव. प्रोग्राम चालू था दिल को सुकून मिला कागज पेन लिया और अपने विचारो को शब्दो का रूप देने लगा मुझपे रोमॅंटिक महॉल छाने लगा मिता की याद बहुत जोरो से आने लगी पर वो उस टाइम कहाँ मिलती दिल साला बहुत ही उदास सा हो गया बिना बात के एक सर्द उदासी ने मुझे अपने आगोश मे ले लिया दिल बस मिता मिता कर रहा था और वो बेख़बर कही गहरी नींद मे सो रही होगी आज भी याद है वो मेरे जीवन की एक बेहद मुश्किल रात थी थोड़ा पानी और पिया कुछ देर बाद मेरी साँसे नियंत्रण मे आई बहुत ही मुश्किल से रात कटी सुबह मैं जल्दी ही प्लॉट मे चला गया ।
मैने देखा कि प्रीतम के बाडे का बल्व जल रहा था मैने सोचा कि कौन होगा यहाँ पर उसकी माँ फिर सोचा छोड़ कोई भी हो पर थोड़ी से उत्सुकता हो गयी थी मैने सोचा सुबह सुबह चान्स लिया जाए मैं निकला और उधर चला अंदर घुसा तो देखा कि ये तो ज्योति है वो भैंसो को चारा डाल रही थी मैने उसे पीछे से पकड़ लिया वो घबरा गयी पर जब मुझे देखा तो शांत हुई मैने कहा चलो एक चान्स हो जाय तो वो बोली अभी मर्वाओगे क्या मेरी भाभी आने वाली है यहाँ मामी के साथ पर मैं जल्दी ही टाइम सेट करूँगी और तुम्हे बता दूँगी अभी तुम वापिस जाओ तो मैं निकल आया अब कुछ होना तो था नही तो घर पहुँच गया जाते ही एक चाइ पी तो मम्मी बोली तेरे कपड़े कितने गंदे हुए पड़े है इन्हे धो भी ले आज कल पता नही तेरा ध्यान कहाँ रहता है
ये बात उन्होने कुछ ज़्यादा ही ज़ोर देकर कही थी पापा ने मुझे घूरा पर फिर अपनी नज़र हटा ली मैने कहा आज ही धो लूँगा और चाची के पास चला गया चाची भी आजकल मेरे फुल मज़े लेती थी वो बोली क्या बात है बेटा कुछ उखड़ा उखड़ा रहता है प्रीतम जा रही है तो दुखी है मैने कहा क्या चाची एक बात को पकड़ के बैठी हो उसके सिवा और भी कई काम है मुझे अब वो जा रही है तो आप ही कुछ मेहरबानी कर दो ना वो बोली जितनी करती हूँ उतना ही ठीक है ज़्यादा सपने मत ले जा दुकान जा और ये समान ले के आ मैने पर्ची ली और दुकान पे चल पड़ा किस्मत से ज्योति दुकान पे टकरा गयी उसने जल्दी से कहा कि प्रीतम तुमसे मिलना चाहती है आज दोपहर मे हम तुम्हारे प्लॉट मे मिलेंगे तुम मॅनेज करना अब प्रीतम का क्या पंगा लग गया
घर पे समान रखा और कपड़े धोने लगा काफ़ी टाइम लग गया उनको धोने मे मैने कहा मम्मी कपड़े सूख जाए तो अलमारी मे रख देना और प्लॉट मे पहुँच गया थोड़ी ही देर मे वो दोनो भी आ गयी मैने कुण्डी लगाई प्रीतम दौड़ के मेरे सीने से लग गयी बोली कल मेरी शादी है मैने कहा हाँ मुझे पता है वो बोली जाने से पहले वो एक बार मेरे साथ थोड़ा टाइम बिताना चाहती है मैने कहा पर अगर कोई आ गया तो वो बोली डरता है क्या मैने कहा नही तेरे लिए कुछ भी डार्लिंग तो उसने कहा चल कुछ करते है उसने ज्योति को कहा तू थोड़ी देर इधर ही बैठ और प्रीतम मेरा हाथ पकड़ के अंदर कमरे मे आ गयी मैने कहा प्रीतम कल तेरी शादी है फिर पति के साथ ही कर लियो तो वो बोली मुझे गिफ्ट नही देगा क्या और मुझे किस करने लगी ना जाने कितने दिनो बाद उसके होंठो को छुआ था कितने प्यासे थे वो ,
प्रीतम पागलो की तरह मुझे चूमने लगी मैने कहा पगली सांस तो लेने दे पर उसने जैसे सुना ही नही बिल्कुल बेकाबू हो गयी थी वो काफ़ी देर तक बस किस ही चलती रही फिर वो हटी और अपनी सलवार और कच्छि को निकाल के नीचे से नंगी हो गयी पर उसने सूट नही निकाला पहले से बहुत ही ज़्यादा मोटी हो गयी थी वो मैने उसकी चूत को अपने हाथ से मसल दिया कुछ देर तक बस उसे मसलता ही रहा फिर उसे चारपाई पे लिटाया और उसकी टाँगो को चौड़ा कर दिया बिना बालो की चूत को देखने का ये लास्ट मौका था मैं अपने होंठो पे जीभ फेरी और प्रीतम की चूत की मस्त पंखुड़ियो को अपने मुँह मे ले लिया आज तो कयामत होनी थी प्रीतम बहुत ही ज़ोर से मोन करने लगी तो मैने कहा जान थोड़ा कंट्रोल कर पर आज वो बिल्कुल अलग ही मूड मे थी आज वो सब बंधन तोड़ने को बेताब थी।
बस वो मुझमे खो जाना चाहती थी उसने कहा चूसो मेरी मुनिया को तो मैं ईक बार फिर अपना मुँह उसकी टाँगो के जोड़ मे घूँसा दिया और उसकी रस से भरी चूत को पीने लगा प्रीतम बहुत ही ज़ोर से आहे भर रही थी उसकी पूरी चूत मेरे मुँह मे थी प्रीतम की सिसकारिया लगातार बढ़ती ही जा रही थी इतने दिनो बाद उसका साथ पाकर मुझे भी बहुत ही अच्छा लग रहा था उसकी चूत को अपने दांतो से काट ते हुए मैं चाटे जा राहा था प्रीतम ने अपनी टाँगो को टाइट कर लिया और पूरा मज़ा लेने लगी 15 मिनट तक चाटने के बाद उसने अपना पानी मेरे मुँह मे ही छोड़ा दिया मैने उसे पूरा चाट लिया प्रीतम जल्दी से उठी और मेरी पॅंट को खोल के लंड को बाहर निकाल लिया और जल्दी से अपने मुँह मे लेके चुँसने लगी
लंड चुँसने मे तो उसका डिप्लोमा ही था तभी ज्योति बाहर से बोली दीदी जल्दी करो काफ़ी देर लग रही है तो मैने अपने लंड को उसके मुँह से निकाला और उसे वही पे घोड़ी बना दिया उसके उभरे हुए चुतडो के बीच चूत को देख के मेरी लार टपक गयी मैने लंड पे थोड़ा थूक लगा के उसे चिकना किया और प्रीतम की कमर को थामते हुए अपने लंड को उसकी चूत मे डाल दिया और बस फिर फ़च पच की आवाज़ ही कमरे मे गूँज रही थी क्या गजब की चुदासी थी वो घोड़ी बनी चुद रही थी उसका चेहरा लाल हो गया था मैं पूरी ताक़त लगा के उसे चोद रहा था उसने अपने हाथ मजबूती से फर्श पे टिका लिए थे और अपनी चुदाई का भरपूर आनंद ले रही थी 10-12 मिनट तक ऐसे ही वो चुदती रही फर्श पे होने के कारण मेरे घुटने मे दर्द होने लगा था
सरोज की मस्ती और भी बढ़ गयी वो मेरे धक्को को अपने अंदर ले रही थी उसकी छातियो को बुरी तरह मसल्ने लगा और वो बार बार उतना ही फूले जा रही थी तभी मैने अपना लंड चूत से बाहर निकाला और सरोज के मुँह को नीचे की ओर करते हुए उसके मुँह मे डाल दिया सरोज अपनी चूत के रस से साने लंड को चुँसने लगी थोड़ी देर लंड छूसाने के बाद मैं वहाँ रखी प्लास्टिक की कुर्सी पे बैठ गया और वो मेरे लंड पे बैठती चली गयी वो हौले हौले अपनी गान्ड को हिला रही थी शायद सेक्स को लंबा खींचना चाहती थी उसने मेरे कंधो पे अपने हाथ रखे और अपना एक्सपीरियेन्स मुझे दिखाने लगी उसकी कातिल छातिया मेरे सीने मे रगड़ खा रही थी मैं बस उसके बालो को सहला रहा था समय के साथ साथ उसकी गान्ड तेज़ी से हिलने लगी थी
कुर्सी के पाए हम दोनो के बोझ से चरमराने लगे थे मैने उसे कहा कि उतरो ओर बेड पे चलो पर उसने नही सुना और लगी रही सरोज पूरी रफ़्तार मे थी कुर्सी बुरी तरह लरजने लगी थी मैं बस अपने चरम पे पहुँचने ही वाला था कि तभी कुर्सी ने धोका दे दिया और उसकी एक टाँग टूट गयी मैं सरोज को लिए धड़ से फर्श पे गिरा पीठ मे थोड़ी चोट लग गयी उसकी भी कोहनी छिल गयी थी पर उस समय नसो मे खून ज़ोर मार रहा था तो ज़्यादा गौर नही किया और उसे दबोच ते हुए उसकी पतली सी टाँगो को अपने कंधो पे रख लिया और एक बार फिर से लगा उसे चोदने हम दोनो एक दूसरे मे खोए पड़े थे कि तभी बाहर से किसी ने आवाज़ लगाई सरोज का मज़ा किरकिरा हो गया उसने जल्दी से कपड़ो को डाला और बाहर चली गयी मैं बेड के नीचे छुप गया
पता नही कौन था पर सरोज को वापिस आने मे 10-15 मिनट लग गये थे महॉल भी ठंडा सा हो गया था लंड भी छोटा हो गया था तो उसने कहा बाहर आ जाओ मैं निकला उसने झट से अपने कपड़े उतारे और मेरी ओर देखने लगी मैने उसे बेड पे लिटाया और 69 मे आ गये जल्दी से दोनो को अपनी आग को दुबारा से जगाना था जल्दी ही उसकी योनि मे कामरस का संचार होने लगा रस की बूंदे छल छला उठी इधर लंड भी जोश मे आने लगा था एक दूसरे के अंगो को चूमने मे एक अलग ही मज़ा आ रहा था कुछ देर मे हम दोनो एक दम रेडी थे मैने उसके चुतडो पे एक नरम तकिया लगाया और उसकी टाँगो को उपर करके एक साथ जोड़ दिया अब चूत उभरी हुई और आपस मे चिपक गयी थी मैने लंड को सेट किया और घप से अंदर डाल दिया सरोज की एक मस्त आह निकल गयी
वो बोली बहुत अच्छे हर गुज़रते लम्हे के साथ हम एक दूजे मे खोते जा रहे थे मेरा लंड दबादब लगा हुआ था अब उसे चोद्ते हुए आधे घंटे से उपर हो चला था मैं बस कुछ ही पॅलो का मेहमान था तो मैने कहा मामी मेरा होने वाला है तो वो हाँफती हुई बोली बस थोड़ी देर और थोड़ी डीईईईईईईईईईईईररर्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्ररर और ठीक उसी पल हम दोनो एक साथ ही झाड़ गये मेरा और उसका पानी एक दूसरे मे मिक्स हो गये मेरे माथे पे पसीने की बूंदे छल छला आई थी पर सरोज के चेहरे पे सुख के भाव थे थोड़ी देर वो आँखे बंद किए पड़ी रही मैं उठा और अपने कपड़े पहन लिए और बेड पे बैठ गया वो उठी और नंगी ही अपनी अलमारी की ओर चल पड़ी
उसने 500 के कुछ नोट निकाले और मेरे हाथ मे दे दिए बोली भानजे आज तुमने मुझे बहुत खुश किया है मेरी तरफ से एक छोटी सी भेंट तुम्हारे लिए मैं उसे मना करना चाहता था पर ना जाने क्या सोच कर मैने वो पैसे रख लिए सरोज फिर तैयार हुई थोड़ा शृंगार किया फिर खाना खिला कर मुझे विदा किया
वापिस जाते ही मामी पिल पड़ी कि कहाँ गये थे मैं कब से राह देख रही हूँ भूक नही लगती क्या एक साथ कयि प्रश्न कर डाले उन्होने तो मैने कहा कि बस ऐसे ही घूम रहा था फिर सवालो से बचने के लिए थोड़ा खाना और ठूंस लिया जैसे ही सोफे की पुष्ट से मेरी पीठ टिकी बॅक साइड मे एक दर्द की लहर उठी गिरने से जो चोट लगी थी वो अब रंग दिखा रही थी मैने अपनी जॅकेट और शर्ट को उतारा और हाथ फिरा के देखने लगा तभी मामी आ गयी मैने कहा देखिए ना तो उन्होने बोला तुम्हे तो चोट लगी है और फिर उन्होने दवाई लगा के थोड़ी ड्रेसिंग कर दी फिर लगी वो पूछने कि कैसे लगी ये चोट तो मैने सच बता दिया कि मैं पूरी दोपहर सरोज के साथ था और हमारे बीच जो भी हुआ वो सब उन्हे बता दिया मामी बोली कमिने कहाँ कहाँ मुँह मारता फिरता है
उस को तो मैं बताउन्गि मेरे भानजे को भी नही छोड़ा उस रंडी ने मैं थोड़ा थक सा गया था और कुछ दवाई का असर था तो मैं सो गया उठा तो सात बज चुके थे अगले दिन वापिस निकल ना था तो कपड़े पॅक कर ही रहा था कि मामी बोली कुछ दिन और रुक जाओ ना तो मैने कहा मामी अब घर भी जाना ज़रूरी है 15 दिन हो गये यहाँ आए हुए फिर कुछ दिनो मे कॉलेज भी ओपन हो जाएँगे दिल तो नही कर रहा पर क्या करू पर जब भी मोका मिलेगा तो आपके पास ज़रूर आउन्गा मामी थोड़ा मुस्काई और फिर नीचे चली गयी जब हम खाना खा रहे थे तो मामी ने नानी से कहा माजी अब कल तो ये चला जाएगा और अशोक को आने मे भी कोई 10-12 दिन लग ही जाएँगे(अशोक उनका बेटा) तो क्यों ना आज एक बार और खेतो मे पानी दे दें फिर बाकी काम अशोक आके देख लेगा
नानी बोली हाँ क्यो नही ज़रूर नानी बोली रात को आते आते काफ़ी देर हो जाती है और इतनी रात गये बाहर ठीक नही है तुम लोग रात को वही पे सो जाना और सुबह ही आना ये सुन के मुझसे ज़्यादा मामी के बदन मे चिंगारिया उठ पड़ी उन्होने जल्दी से अपना घरेलू काम समेटा और चॉबारे मे चली गयी मैने स्कूटर पे दो जोड़ी बिस्तर लाद दिए अब पैदल कौन जाता इस बोझ के साथ कोई 20 मिनट बाद वो नीचे आई एक दम सजी धजी बिल्कुल किसी दुल्हन की तरह किसी नवयुवती को भी पछाड़ दे उस समय हल्के सफेद सूट सलवार मे गजब का पीस लग रही थी सूकर है नानी नाना सो चुके थे नही तो वो सब समझ जाते गेट को बाहर से ताला लगाया और स्कूटर पे बैठ के चल पड़े खेतो की ओर थोड़ा सुनसान रास्ता आते ही मामी ने अपना हाथ मेरे लंड पे रख दिया
और शरारत करने लगी धुन्ध काफ़ी गहरा गयी थी तो थोड़ी परेशानी सी हो रही थी परंतु किसी तरह हम पहुँच ही गये मामी ने कॉटडे का ताला खोला और हम अंदर गये अब समस्या थी कि वहाँ पे चारपाई नही थी पर चूँकि दो कंबल थे तो उनको और एक रज़ाई को बिछा के इक गदम सा बिस्तर सा बना लिया था मैने कहा मामी आप यही रहो मैं मोटर चला के आता हूँ और फिर मैने पानी क्यारियो मे छोड़ दिया कॉटडे के द्वार को बंद किया और मामी की ओर बढ़ चला मामी बोली तुम कल चले जाओ गे तो मैने सोचा कि आज कुछ खास करू तुम्हारे लिए और वो मेरी बाहों मे आ गयी मैने अपने होंठो पे जीभ फेर के उनको गीला किया और उनके लिपीसटिक से सने होंठो को चूमने लगा डार्क चॉककलेट फ्लेवर की पूरी लिपीसटिक को चाट गया मैं मामी बोली आज की रात को यादगार बनाना है
तुम्हारे जाने के बाद भी मैं इन पॅलो को याद करके जीती रहूं और फिर से अपने रसीले होंठ मुझ से सटा दिए और लगी बेतहाशा चूमने ना जाने कब तब लगी रही वो फिर मैने उनके सूट को निकाल दिया उनकी सलवार उनकी गान्ड मे फसि हुई थी मैने अपना हाथ घुसा के उसे सही किया जमुनई रंग की ब्रा मे उनकी कसी हुई चूचिया बाहर निकलने नो बेताब हो रही थी मैं उनको चूमते चूमते उनकी गान्ड को भी सहलाने लगा था मामी ने मेरी जॅकेट को निकाल दिया वो कुछ ज़्यादा ही उतावली हो रही थी मैने उनकी सलवार के नाडे को पकड़ा और खोल दिया उन्होने अपने चूतड़ उपर किए और मैने सलवार को अलग कर दिया जमुनई ब्रा-पेंटी मे वो बहुत ही ज़्यादा हॉट लग रही थी उनकी कच्छि बहुत ही फॅशनबल थी बेसक छोटी सी लाइन थी चूत को भी पूरा नही ढक पा रही थी
और गौरे चूतड़ तो पूरे ही नंगे थे मेरा लंड एक दम से ही तन गया मैने जल्दी से कपड़े उतारे और नंगा हो गया वो मेरे सीने से चिपक गयी और बोली थोड़े दिन और रुक जाओ ना मैने उन्हे समझाया और उनकी गौरी पीठ को सहलाने लगा और उनकी ब्रा के हुन्को को खोल दिया मामी की चूचिया मेरे सीने पे गिर पड़ी हद से ज़्यादा कोमल मैने उनके लाल होंठो को एक बार फिर से दबा लिया और उनके चुतडो को सहलाने लगा मामी ने मुँह खोल के अपनी जीभ को मेरे मुँह मे सरका दिया था जिसे मैं चुँसने लगा मेरा हाथ उनकी गान्ड की दरार मे पहुँच चुका था मैं मज़े से उनकी गौरी गान्ड को मसल्ने लगा मामी चिहुनकने लगी मैने किस तोड़ी और उनकी गर्दन को चूमने लगा
उन्होने मेरे लंड को पकड़ लिया और उसपे अपना हाथ फेरने लगी मैने अब उनकी गदराई हुई टाँगो को उपर किया और उनकी कछि को बाहर निकाल दिया छोटे छोटे बालो से भरी हुई काली चूत जो पिछली कई रातो से मेरी प्यास बुझा रही थी एक बार फिर से मेरी आँखो के सामने थी मामी बोली इतने गौर से क्या देख रहे हो तो मैं बोला डार्लिंग अब ना जाने कब मौका मिले इस रस से भरी प्याली को पीने का और झुकते हुए अपने दाँत उनकी फांको मे गढ़ा दिए मामी बोली ओह जुउुुुुुुुुुुुुुुुुुुुुुुुुुुुुुुउउल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्लमीीीईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईई कार्रर्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्रररल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्लीीईईईईईईईईईईईईईईई अपनीईईईईईई मान्ंननननननणणन् कीईईईईईईईईईईईईईईई आआआआआआआआआअ ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज मानाआआअ लीईईई मेर्रर्र्र्र्र्र्र्रृिईईईईईईईईईईईईईईईईईईई दूस्स्स्स्स्स्स्स्स्रर्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्रृिईईईईईईईईईईईईईईईईईईई सवूऊयूवूऊवूऊवूऊवूऊवूऊवूऊवूऊवूऊवूऊवूववूचेयेयीयायगग्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ग्गर्र्र्रयाययीयट्ट्ट्ट ओह बसस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स बसस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स माआआआआआआआआआआआईयईईईईईईईईई टत्त्टटटटटटटतततूऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊ मारीईईईईईईईईईईईईईईईईईईई
एक दम से चूत गीली हो गयी थी उपर से नीचे तक मैं उसे चाट चाट के सुखाए जा रहा था मामी तो शाम से ही उत्तेजित थी तो चूत बुरी तरह से पनियाई पड़ी थी और रही सही कमी जीभ ने पूरी कर दी चूत से पानी बहे जा रहा था मामी मेरे सर को चूत पे दबाए पड़ी थी मामी का हाल तो बस पूछो ही मत 5 मिनट भी नही बीते होंगे और मामी झाड़ पड़ी पूरा खारा पानी मेरे मुँह मे समा गया मामी बेधल होके पड़ गयी आज मेरा दिल उनकी गौरी गान्ड पे आ गया था और वैसे भी कई दिनो से गान्ड मे लंड नही घूँसाया था तो मैने उन्हे औंधी किया अपना मुँह उनकी गान्ड पे लगा दिया और उसे चाटने लगा मामी बोली ये क्या करते हो गुदगुदी हो रही है पर मैं लगा रहा थोड़ी देर चाटने से मामी की गान्ड का छेद खुलने और बंद होने लगा
उपर से गिरते हुए थूक से और भी चिकना हो गया था मैने अब उनके कूल्हों को थोड़ा सा चौड़ा किया और अपने लंड को वहाँ पे टिका दिया ज़ोर लगाने पर मेरा सुपाडा अंदर घूंस गया मामी को थोड़ा दर्द सा हो रहा था पर वो भी तैयार थी अपनी गान्ड मुझे देने क लिए मामी की गान्ड ज़्यादा टाइट नही थी तो ज़्यादा मुश्किल नही हुई और कुछ प्रयासो के बाद मेरा पूरा लंड अंदर तक समा गया मामी बोली ज़ोर ज़ोर से मेरी गान्ड चोदना मैं कहा डार्लिंग चिंता मत करो बस मेरा साथ दो मैने पूरे लंड को बाहर निकाल लिया और फिर एक दम से वापिस अंदर डाल दिया मामी बोली आआक्ककककककककककककककककककककककककककककुउुुुुुुुुुुुुुुउउ मैने कहा अभी तो कह रही थी कि ज़ोर से चोदना तो फिर उन्होने चूं ही नही की और मैं लगा स्टार्ट होने आज कई दिनो बाद गान्ड मार रहा था तो लंड भी थोड़ा ज़्यादा ही कड़क हो रहा था
मामी मेरे हर प्रहार की शक्ति को अपने चुतडो पे झेल रही थी मामी के नरम नरम चुतडो से जब मेरी टांगे टकराती तो उनका पूरा बोझ उनपे पड़ने लगा था वो मेरे बोझ से दबी जा रही थी उनकी गान्ड का छेद मेरे लंड पे किसी टोपी की तरह कसा हुआ था 20 मिनट तक लगातार गान्ड चुदाई चलती रही मामी भी फुल एंजाय कर रही थी मेरी रफ़्तार टॉप गियर मे थी अब मेरा बस निकलने ही वाला था तो मैने दो-चार झटके और मारे और लंड को बाहर निकाल के उनके गौरे गौरे चुतडो पे सफेद पानी की बारिश कर दी एक झटके से लंड बहार आने से मामी को भी थोड़ा आराम मिला चुतडो पे सफेद चिपचिपी बूंदे चमकने लगी थी मैं काफ़ी देर तक उनके चुतडो को ही निहारता रहा फिर मैं उठा और बाहर आया और पानी से अपने लंड को धोने लगा
मामी भी आ गयी और अपनी गान्ड को सॉफ करने लगी कुछ छपके उन्होने अपनी चूत पे भी मारे मैने कहा आप अंदर चलो मैं एक बार पानी की सप्लाइ को चेक करके आता हूँ और पानी की क्यारियो की तरफ चल पड़ा एक तो धून्ध ज़्यादा पड़ रही थी तो थोड़ी परेशानी हो रही थी और उपर से ठंड मे पानी मे खड़े होना कोई15 मिनट बाद मैं वापिस कॉटडे मे गया मामी रज़ाई ओढ़े लेटी थी मेरी हालत ठंड से टाइट हुई पड़ी थी तो रज़ाई मे घूंस के चैन मिला मामी ने मेरी ओर करवट ली और मुझसे लिपट गयी बहुत ही अच्छा लगा मामी ने मेरी जाँघो पे अपना हाथ फेरने लगी जो धीरे धीरे मेरे अंडकोषो पे पहुँच गया उन्होने अपनी मुट्ही मे मेरी गोलियो को भर लिया और उनसे छेड़खानी करने लगी सुरूर फिर से छाने लगा था मामी मेरी आँखो मे आँखे डाले हुई थी
उनके होंठ थोड़े लरज रहे थे मैने भी अपनी उंगली उनकी चूत मे घूँसा दी और उसे अंदर बाहर करने लगा उनकी चूत बहुत ही गरम लग रही थी उन्होने मेरा हाथ हटाया और मेरे लंड को अपनी चूत के छेद पे रख के रगड़ने लगी जब जब मेरा संवीदनशील सुपाडा ऐसे रगड़ती तो मुझे बहुत ही तेज गुदगुदी होने लगी लंड कुछ ही देर मे पूर्ण रूप से तन चुका था तो मैने कहा बस मामी और उनकी मांसल टाँग को अपनी कमर पे रख लिया और लंड को एक बार मे ही अंदर घूँसा दिया मामी इस हमले के लिए तैयार नही थी वो थोड़ा सा टेढ़ी और हुई और अपनी बाहों को मेरे गले मे डाल दिया लंड सरपट दौड़ने लगा अब ऐसा चिकना रोड मिले तो लंड की पर्फॉर्मेन्स तो जबरदस्त अपने आप ही होनी थी मामी बोली धक्के मत मारो मैं बस तुम्हारे लंड को अपने अंदर महसूस करना चाहती हूँ
मैं रुक गया मामी ने मेरे होंठो को अपने मुँह मे भर लिया और उन्हे चबाने लगी कोई 5-6 मिनट तक वो बस मेरे लंड को फील ही करती रही मेरा हाल थोड़ा अजीब हो रहा था तो मैने उन्हे अड्जस्ट किया और उनके उपर गया अब मैने लंड को अंदर बाहर करना शुरू किया मामी ने भी अपनी टाँगो को खूब फैला लिया और अपनी चूत मराई का मज़ा लेने लगी मामी की चूत फुदक रही थी आज काफ़ी ज़्यादा गीलापन था उसमे से बस हमारी सांसो की सरगोसियाँ हर तरफ फैली हुई थी रज़ाई के अंदर उनको भोग रहा था मैं आधे-पोने घंटे तक ढंग से बजाया उनको और फिर एक बार अपने पानी से उनकी चूत की सिंचाई कर दी इस तरह सुबह होने तक ना मामी सोई ना मुझे एक पल को भी सोने दिया पूरी रात उनकी हवस को मिटाया ना जाने कितनिबार वो चुदि
कभी वीर्य पिया कभी लंड गान्ड मे लिया कभी बस चूसा ही इस तरह से पूरी रात उन्होने अपनी इच्छा को पूरी किया जितना उनकी आग भुजती उतना ही और भड़क जाती सुबह 7 बजे वो मुझसे अलग हुई और अपने कपड़े पहन ने लगी वो कच्छि को टाँगो पे चढ़ा ही रही थी कि मैने उन्हे रोका और उस छोटी से कच्छि को अपनी पेंट की जेब मे रख लिया मामी हँसी और सलवार को उपर चढ़ा लिया बाहर अभी भी थोड़ा अंधेरा सा ही था पंप बंद किया ताला लगाया और हम घर वापिस चल पड़े बदन बुरी तरह से थक चुका था ऐसा ही हाल मामी का भी था
घर पे आते ही मैं सीधा बाथरूम मे घूंस गया और नहाने लगा मामी रसोई मे चली गयी कोई 11 बजे मैं एक दम रेडी था वापिस होने के लिए बस पकड़ी और सहर चल पड़ा बस स्टॅंड आया अपनी टिकेट ली और अब वापसी का सफ़र करना था पूरी रात की नींद थी और सफ़र भी लंबा था तो बस मे सो गया कोई 5बजे मैं उठा बस एक ढाबे पे खड़ी थी बाहर आके मुँह धोया कुछ खाया पिया अभी एक घंटा और लगना था कुछ देर मे बस फिर चल पड़ी मैने अपने सर को खिड़की पे टिका लिया और हवा के झोंको का आनंद लेने लगा अपने सहर आते आते 7 बज गये थे अंधेरा पूरी तरह छा चुका था टेंपो भी नही मिलने वाला था इस टाइम लिमिटेड सर्विस ही चलती थी तो अब पैदल ही चलना था उपर से मेरा बॅग भी थोड़ा भारी था
पर और कोई रास्ता भी नही था तो चल पड़ा पेट मे चूहे कूद रहे थे सो अलग जैस तैसे करके धक्के खाते हुए घर पहुँच ही गया घरवालो से दुआ सलाम हुई फिर खाना वाना खाया कुछ सफ़र की थकान भी थी तो बस अपना कमरा खोला और बिस्तर पे पड़ गया फिर ना कोई होश रहा सुबह ही आँख खुली अपने होश संभाले कमरे की थोड़ी सफाई की इन सब मे ही दोपहर हो गयी फिर मैं अंदर गया तो बस चाची ही थी उन्होने बोला कुछ खाएगा मैने हाँ की तो उन्होने प्लेट मे खाना डाल के मुझे दिया और मेरे पास ही बैठ गयी उन्होने पूछा इस बार तो कई दिन लगा दिए क्या कोई मिल गयी थी वहाँ तो मैने कहा क्या आप भी ना पूरा टाइम खाल खेंचती रहती हो फिर खाना ख़तम किया मैने पूछा सब लोग कहाँ है तो बोले दो तो ऑफीस गये है
दीदी और मांजी प्रीतम के घर गयी है कुछ रस्मे चल रही है तब मुझे याद आया कि उसकी शादी मे बस3-4 दिन ही बचे है मैं तो उसे भूल ही गया था चाची मज़े लेते हुए बोली बेटा अब तेरी चिड़िया तो उड़ जाएगी अब कहाँ जुगाड़ करेगा तो मैने कहा आप हो ना और उन्हे अपनी बाहों मे ले लिया वो छूटने की कोशिस करने लगी बोली कम्बख़्त टाइम पास मत कर छोड़ दे, मुझे भी प्रीतम के घर जाना है तू इधर ही रहियो और घर का ध्यान राखियो पर फिर भी चुम्मि तो ले ही ली मैने चाची भी चली गयी मैं अलमारी मे कुछ ढूँढ रहा था कि तभी कुछ गिर पड़ा ये तो मिता की पैंटिंग थी उसे देखते ही मूड रोमॅंटिक सा हो गया मैने कॅन्वस सेट किया और लगा एक ब्लॅक आंड वाइट पैंटिंग बनाना उसमे इतना खोया कि पता ही नही कब तब लगा रहा
जब मम्मी चाइ का गिलास लेके आई तो मेरा होश टूटा उन्होने मेरे उकेरे चित्र को देखा और बोली ये किसकी तस्वीर बनाई है तूने तो मैने कहा मम्मी बस यू ही बन गयी अब माँ तो माँ होती है उन्होने ताड़ ही लिया था वो बोली तेरा कोई चक्कर-वक्कर तो नही चल रहा ना वैसे भी पिछले कुछ महीनो से तेरे अंदाज बदले हुए है मैने कहा क्या मम्मी कुछ भी बोलती हो अब मुझ से कौन लड़की रिश्ता जोड़ेगी ये तस्वीर तो ऐसे ही बन गयी बात आई गयी हो गयी पर मुझे लगा कि मम्मी से झूट बोलना इतना आसान नही है खैर, छोटा मोटा काम किया तभी प्रीतम का भाई आ गया और बोला यार कल मेरे साथ सिटी चलियो कुछ फर्निचर का सामान पेंडिंग है लाने चलना है मैने कहा ठीक है भाई फिर मैं उसके साथ साथ उसके घर चला गया
तो पता चला कि ज्योति भी आई हुई है और उसकी भाभी ने मुझे देख के ज्योति ने उसके कान मे कुछ ख़ुसर फुसर किया तो वो हँसने लगी मैने सोचा ज्योति को रगड़ दूं मोका मिले तो मैं बैठा था कि तभी उपर से प्रीतम के दीदार हुए खुदा कसम क्या कयामत लग रही थी उबटन और मेकप से एकदम खिल चुकी थी उसने आँखो के इशारे से मेरा हाल पूछा मैने मुस्कुरा के जवाब दिया फिर उसका भाई प्लॅनिंग बताने लगा मैने कहा कि तू चिंता मत कर सब अच्छे से हो जाएगा टेन्षन मत ले 8 बज चुके थे म्यूज़िक चल रहा था कुछ रिलेटिव्स डॅन्स कर रहे थे अब शादी का घर था तो माहौल तो बन ना ही था पर मुझे कुछ बैचैनि सी हो रही थी ना जाने क्यो शायद प्रीतम के दूर जाने की वजह से दिल मे कुछ चुभन सा लगा क्या ये प्यार था ????????????????????????????????????????????????????????? नही, बिल्कुल नही ये बस एक दोस्त के दूर जाने का रिएक्सन था फिर मैं अपने घर आया तो रास्ते मे शीला मिल गयी वो थोड़ा नाराज़ सा होते हुए बोली कि आज कल कहाँ रहते हो मेरी तरफ देखते भी नही पहले तो मेरी आदत बिगाड़ दी और अब दूर भागते हो मैने कहा ऐसी बात नही है भाभी बस थोड़ा सा बीजी हूँ फिर वो अपने घर हुई और मैने अपने कमरे मे आज कई दिनो मे किताबो की शकल देखी थी साला दिमाग़ घूम ही गया एक दम से कुछ नोट्स वैगरह बनाए टॉपिक्स शॉर्टलिस्ट किए कॉलेज तो ओपन हो ही गये थे पर मैने डिसाइड किया कि प्रीतम की शादी के बाद ही जाउन्गा अगला पूरा दिन बाजार मे ही बीत गया अब बस 2 दिन रह गये थे मैं रात को अपने कमरे मे था
कोई 10 साढ़े दस का टाइम रहा होगा मेरे गेट की कुण्डी खाड़की मैने गेट खोला तो शीला थी वो अंदर आई और बोली आज कुछ हो जाए मैने कहा पप्पू कहाँ है तो वो बोली पी के पड़ा है आप जल्दी से कर्लो ना कई दिन हो गये है आप तो मुझे भूल ही गये है ना जाने मेरा दिल शीला से हट सा गया था तो मैने उसे टालते हुए कहा कि भाभी हमने जो भी किया वो ग़लत बात है हम बहक गये थे पर इस सिलसिले को यही पे ख़तम कर देना चाहिए तो शीला बोली सॉफ सॉफ क्यो नही कहते कि आपका मन भर गया है मैने उसे समझाने की लाख कोशिस की पर वो मान ही नही रही थी वो बोली आपने ही तो मुझे पर पुरुष के लंड का चस्का लगाया है और अब आप ही मना कर रहे हो
शीला ने मेरे पयज़ामे के अंदर हाथ डाल दिया और मेरे लंड को मसल्ने लगी पर ना जाने क्यो मेरा मूड बिल्कुल भी नही था मैने उसे अपने से दूर हटाया और बोला कि भाभी मान जाओ आज कल मेरी तबीयत थोड़ी ठीक नही रहती है और मुझपे थोड़ा प्रेशर भी है प्लीज़ आप तो समझो मैं किसी भी तरह से उसे टालना चाहता था पर वो मान ही नही रही थी तो मैने अपने आप को हालत पे छोड़ दिया और सोचा चलो ठीक है ये भी खुश हो जाएगी शीला ने मेरे पयज़ामे को नीचे सरका दिया और मेरे लंड से खेलने लगी थोड़ी देर वो ऐसे ही उसे हिलाती रही फिर वो नीचे बैठी और मेरे लंड पे अपने होंठ लगा लिए पूरे लंड को अपने मुँह मे लेके वो चुँसने लगी लंड मे भी तनाव आने लगा था आख़िर उसने भी मामी के बाद कुछ किया नही था
तो जल्द ही वो भी फूल गया शीला तो थी ही उतावली मैने उसे खड़ी की और उसके ब्लाउस को खोल ही रहा था कि वो बोली कपड़े मत उतारो अभी वापिस जाउन्गि बस जल्दी से मुझे शांत कर दो और फोल्डिंग पे लेट गयी मैने उसके घाघरे को कमर तक हटाया उसकी चूत का गीलापन जाँघो तक आ चुका था शीला पूरी तरह से चुदासी हो रही थी मैने उसकी टाँगो को खोला और अपने लंड को अंदर सरका दिया शीला के चेहरे पे खुशी छा गयी हम दोनो संभोग रत हो गये बिना मर्ज़ी के उसे चोद रहा था बस ये सोचके कि जल्दी से जल्दी उसे यहा से दफ़ा कर सकु पर एक बार चूत मे लंड गया तो बाकी कुछ याद ना रहा मैने उसके मुँह को अपने से जोड़ लिया और वो भी नीचे से गान्ड उछालते हुए चुदने लगी उसे थोड़ी जल्दी भी थी तो वो कुछ ज़्यादा ही जोश दिखा रही थी
मैं भी कहा कम रहने वाला था उसे किस करते हुए बस छोड़े जा रहा था अगले कुछ मिंटो तक बस सन्नाटा छाया रहा 20 मिनट तक बस चुदाई ही चलती रही तब जाके उसने अपना छोड़ा और लंबी साँसे लेने लगी पर मैं उसे चोदे ही जा रहा था थोड़ा टाइम और लगा और मैने भी मैदान छोड़ दिया जैसे ही मेरा काम हुआ शीला उठी और अपने घाघरे से चूत को सॉफ किया और अपने घर चली गयी मैने पयज़ामा पहना और कुण्डी लगा के कुर्सी पे बैठ गया
गला खुश्क हो गया था थोड़ा पानी पिया नींद तो जैसे रूठ सी गयी थी उन्दिनो बहुत ही कम सो पता था रेडियो ऑन कर लिया खामोशी मे संगीत की धुन तैर गयी अपना फेव. प्रोग्राम चालू था दिल को सुकून मिला कागज पेन लिया और अपने विचारो को शब्दो का रूप देने लगा मुझपे रोमॅंटिक महॉल छाने लगा मिता की याद बहुत जोरो से आने लगी पर वो उस टाइम कहाँ मिलती दिल साला बहुत ही उदास सा हो गया बिना बात के एक सर्द उदासी ने मुझे अपने आगोश मे ले लिया दिल बस मिता मिता कर रहा था और वो बेख़बर कही गहरी नींद मे सो रही होगी आज भी याद है वो मेरे जीवन की एक बेहद मुश्किल रात थी थोड़ा पानी और पिया कुछ देर बाद मेरी साँसे नियंत्रण मे आई बहुत ही मुश्किल से रात कटी सुबह मैं जल्दी ही प्लॉट मे चला गया ।
मैने देखा कि प्रीतम के बाडे का बल्व जल रहा था मैने सोचा कि कौन होगा यहाँ पर उसकी माँ फिर सोचा छोड़ कोई भी हो पर थोड़ी से उत्सुकता हो गयी थी मैने सोचा सुबह सुबह चान्स लिया जाए मैं निकला और उधर चला अंदर घुसा तो देखा कि ये तो ज्योति है वो भैंसो को चारा डाल रही थी मैने उसे पीछे से पकड़ लिया वो घबरा गयी पर जब मुझे देखा तो शांत हुई मैने कहा चलो एक चान्स हो जाय तो वो बोली अभी मर्वाओगे क्या मेरी भाभी आने वाली है यहाँ मामी के साथ पर मैं जल्दी ही टाइम सेट करूँगी और तुम्हे बता दूँगी अभी तुम वापिस जाओ तो मैं निकल आया अब कुछ होना तो था नही तो घर पहुँच गया जाते ही एक चाइ पी तो मम्मी बोली तेरे कपड़े कितने गंदे हुए पड़े है इन्हे धो भी ले आज कल पता नही तेरा ध्यान कहाँ रहता है
ये बात उन्होने कुछ ज़्यादा ही ज़ोर देकर कही थी पापा ने मुझे घूरा पर फिर अपनी नज़र हटा ली मैने कहा आज ही धो लूँगा और चाची के पास चला गया चाची भी आजकल मेरे फुल मज़े लेती थी वो बोली क्या बात है बेटा कुछ उखड़ा उखड़ा रहता है प्रीतम जा रही है तो दुखी है मैने कहा क्या चाची एक बात को पकड़ के बैठी हो उसके सिवा और भी कई काम है मुझे अब वो जा रही है तो आप ही कुछ मेहरबानी कर दो ना वो बोली जितनी करती हूँ उतना ही ठीक है ज़्यादा सपने मत ले जा दुकान जा और ये समान ले के आ मैने पर्ची ली और दुकान पे चल पड़ा किस्मत से ज्योति दुकान पे टकरा गयी उसने जल्दी से कहा कि प्रीतम तुमसे मिलना चाहती है आज दोपहर मे हम तुम्हारे प्लॉट मे मिलेंगे तुम मॅनेज करना अब प्रीतम का क्या पंगा लग गया
घर पे समान रखा और कपड़े धोने लगा काफ़ी टाइम लग गया उनको धोने मे मैने कहा मम्मी कपड़े सूख जाए तो अलमारी मे रख देना और प्लॉट मे पहुँच गया थोड़ी ही देर मे वो दोनो भी आ गयी मैने कुण्डी लगाई प्रीतम दौड़ के मेरे सीने से लग गयी बोली कल मेरी शादी है मैने कहा हाँ मुझे पता है वो बोली जाने से पहले वो एक बार मेरे साथ थोड़ा टाइम बिताना चाहती है मैने कहा पर अगर कोई आ गया तो वो बोली डरता है क्या मैने कहा नही तेरे लिए कुछ भी डार्लिंग तो उसने कहा चल कुछ करते है उसने ज्योति को कहा तू थोड़ी देर इधर ही बैठ और प्रीतम मेरा हाथ पकड़ के अंदर कमरे मे आ गयी मैने कहा प्रीतम कल तेरी शादी है फिर पति के साथ ही कर लियो तो वो बोली मुझे गिफ्ट नही देगा क्या और मुझे किस करने लगी ना जाने कितने दिनो बाद उसके होंठो को छुआ था कितने प्यासे थे वो ,
प्रीतम पागलो की तरह मुझे चूमने लगी मैने कहा पगली सांस तो लेने दे पर उसने जैसे सुना ही नही बिल्कुल बेकाबू हो गयी थी वो काफ़ी देर तक बस किस ही चलती रही फिर वो हटी और अपनी सलवार और कच्छि को निकाल के नीचे से नंगी हो गयी पर उसने सूट नही निकाला पहले से बहुत ही ज़्यादा मोटी हो गयी थी वो मैने उसकी चूत को अपने हाथ से मसल दिया कुछ देर तक बस उसे मसलता ही रहा फिर उसे चारपाई पे लिटाया और उसकी टाँगो को चौड़ा कर दिया बिना बालो की चूत को देखने का ये लास्ट मौका था मैं अपने होंठो पे जीभ फेरी और प्रीतम की चूत की मस्त पंखुड़ियो को अपने मुँह मे ले लिया आज तो कयामत होनी थी प्रीतम बहुत ही ज़ोर से मोन करने लगी तो मैने कहा जान थोड़ा कंट्रोल कर पर आज वो बिल्कुल अलग ही मूड मे थी आज वो सब बंधन तोड़ने को बेताब थी।
बस वो मुझमे खो जाना चाहती थी उसने कहा चूसो मेरी मुनिया को तो मैं ईक बार फिर अपना मुँह उसकी टाँगो के जोड़ मे घूँसा दिया और उसकी रस से भरी चूत को पीने लगा प्रीतम बहुत ही ज़ोर से आहे भर रही थी उसकी पूरी चूत मेरे मुँह मे थी प्रीतम की सिसकारिया लगातार बढ़ती ही जा रही थी इतने दिनो बाद उसका साथ पाकर मुझे भी बहुत ही अच्छा लग रहा था उसकी चूत को अपने दांतो से काट ते हुए मैं चाटे जा राहा था प्रीतम ने अपनी टाँगो को टाइट कर लिया और पूरा मज़ा लेने लगी 15 मिनट तक चाटने के बाद उसने अपना पानी मेरे मुँह मे ही छोड़ा दिया मैने उसे पूरा चाट लिया प्रीतम जल्दी से उठी और मेरी पॅंट को खोल के लंड को बाहर निकाल लिया और जल्दी से अपने मुँह मे लेके चुँसने लगी
लंड चुँसने मे तो उसका डिप्लोमा ही था तभी ज्योति बाहर से बोली दीदी जल्दी करो काफ़ी देर लग रही है तो मैने अपने लंड को उसके मुँह से निकाला और उसे वही पे घोड़ी बना दिया उसके उभरे हुए चुतडो के बीच चूत को देख के मेरी लार टपक गयी मैने लंड पे थोड़ा थूक लगा के उसे चिकना किया और प्रीतम की कमर को थामते हुए अपने लंड को उसकी चूत मे डाल दिया और बस फिर फ़च पच की आवाज़ ही कमरे मे गूँज रही थी क्या गजब की चुदासी थी वो घोड़ी बनी चुद रही थी उसका चेहरा लाल हो गया था मैं पूरी ताक़त लगा के उसे चोद रहा था उसने अपने हाथ मजबूती से फर्श पे टिका लिए थे और अपनी चुदाई का भरपूर आनंद ले रही थी 10-12 मिनट तक ऐसे ही वो चुदती रही फर्श पे होने के कारण मेरे घुटने मे दर्द होने लगा था