05-12-2020, 05:57 PM
कोई आधे घंटे तक हम एक दूसरे से चिपके पड़े रहे फिर वो उठी और बोली कि मैं अभी आती हू पेशाब करके तो मैने कहा की अंदर ही कर्लो बाहर बारिश मे कहाँ जोआगी तो वो बोली तेरे सामने शर्म आएगी तो मैने कहा अभी लंड ले लिया जब शरम नही आई तो वो हँसने लगी और दरवाजे के पास बैठ गयी उनकी चूत से पानी की एक मोटी धार निकली और धरती पे गिरने लगी सीन बहुत ही प्यारा था पेशाब करने के बाद उन्होने एक डिब्बे मे पानी भरा और चूत को धोने लगी अरे वाह मेरे मूह से निकल गया अब वो फिर से मेरा साथ लेट गयी थी मैने उसकी गान्ड को मसल्ते हुए पूछा कि तू तो कई लोगो से चुदि होगी
तो वो बोली अब तो याद भी नही आता कि कितने लंडो का पानी पी चुकी हू अब पहले वाली बात नही रही उमर भी हो चुकी हैं तो मैने कहा पर तुम तो अभी भी गरम माल हो ये सुन के वो शर्मा गयी औरत अपनी तारीफ की बहुत भूखी होती हैं मैं उठा और बाहर की तरफ आया तो देखा बेरिश की रफ़्तार कुछ कम हो गयी थी पर बरस अभी भी रही थी मैने मटके से पानी पिया और अंदर गया तो देखा कि काकी अपनी चूत पे हाथ फेर रही थी मुझे देख के उनसे बड़े ही बेशरम भाव से चूत मे उंगली सरका दी मैं खाट के पास खड़ा हो गया और उसे कहा कि लंड चुसेगी तो वो बोली हाँ क्यों नही और खाट पे बैठ गयी उसने मेरी एक गोली को अपने मूह मे भर लिया और उसपे जीभ फेरने लगी
मैं बहुत खुश होगया मैने कहा शाबाश बिम्ला बहुत अच्छे फिर उसने ऐसे ही दूसरी के साथ किया अब वो थोड़ा उपर की ओर बढ़ी और मेरे लंड को अपने मूह मे लेके चूसने लगी लंड झट से तन गया था मैने कहा तू तो बहुत ही अच्छा लंड चुस्ती है कहाँ से सीखा तो वो बोली लाला जितनी तेरी उमर हैं उस से ज़्यादा सालो से इस खेल को खेल रही हू और तू मुझे सिखा रहा हैं मैने उसके सर को अपने लंड पे दबाना शुरू कर दिया वो लपा लॅप लंड चूसे ही जा रही थी थूक उसके मूह से उसकी चूचियों पे गिर रहा था तभी वो बोली लाला आज तो तेरे गन्ने का रस पियूंगी तो मैने कहा रस भी पिला दूँगा पर पहले मैं तेरी इस मोटी गान्ड को चोदुन्गा
तो वो बोली ठीक हैं और खाट पे घोड़ी बन गयी मैने अपने हाथ उसकी मस्तानी गान्ड पे अपने हाथ रख के उसे सहलाने लगा उफ्फ क्या गान्ड थी बिम्ला की एक दम जबरदस्त गान्ड नसीब वालो को ही मिलती है खैर, मैने ढेर सारा थूक काकी की गान्ड पे लगाया और उसे बिल्कुल चिकना कर दिया और अपने लंड को उसके छेद पे टीका दिया जैसे ही सुपाडा अंदर गया तो काकी ने एक बार अपने शरीर को टाइट किया और फिर ढीला छोड़ दिया वो थी पूरी गान्ड मर्वानी थी एक बार उफ्फ तक ना किया और पूरा लंड अपनी गान्ड मे डलवा लिया और अपने चुतडो को और भी उभार लिया और बोली लाला मारले काकी की गान्ड लगा ज़ोर और चुतडो को मचका दिया मैने कहा ठीक है
और लंड को पूरा बाहर निकाल दिया और फिर झट से अंदर डाल दिया गान्ड क्या थी पूरा गुड़गाँव ही था छेद बहुत ही ज़्यादा खुला हुआ था मैं ऐसी ही लंड को बाहर निकालता और फिर घाप से अंदर डाल देता काकी भी मज़े ले रही थी कुछ देर तक मैं उन्हे घोड़ी बनाए ही उनकी गान्ड मारता रहा खाट हमारे बोझ से चरमराने लगी थी फिर मैने बिम्ला को उल्टा लेटने को कहा वो झट से लेट गयी और अपने हाथों को पीछे लाते हुए अपने दोनो कुल्हो को थोड़ा चौड़ा किया अब रास्ता सॉफ था मैने एक बार फिर से अपने लंड को उनकी गान्ड पे टिकाया और अंदर धकेल दिया अब गान्ड मारने मे बहुत ही मज़ा आ रहा था घाप घाप लंड गान्ड मे घुसे जा रहा था
मैने काकी के गालो मे अपने दाँत गढ़ा दिए और उन्हे काट ते हुए चूस रहा था काकी बोली लाला बस पूरी रात ऐसे ही मेरी गान्ड मारता रह बस बिल्कुल इसितरह पूरी गान्ड को चोद डाल रगड़ दे इसे फाड़ दे इसे ऐसा कहते हुए वो मेरा जोश बढ़ाए जा रही थी मैं भी पूरी ताक़त लगाते हुए उनकी गान्ड को और चौद किए जा रहा था तभी मैने कहा कि काकी लंड पे तो तू बहुत बार बैठी होगी पर क्या गान्ड मे लंड लेके बैठी है क्या तो वो बोली अब तक तो नही बैठी पर आज ज़रूर बैठूँगी ये सुनते ही मैं उनके उपर से उतर गया और खाट पे लेट गया काकी ने मेरे लंड पे थोड़ा थूक और लगाया और अपनी गान्ड का निशाना लंड के सुपाडे पे सेट करती हुवी लंड पे धीरे धीरे बैठने लगी
कुछ ही देर मे पूरा लंड एक बार फिर से काकी की गान्ड मे था वो थोड़ा आहिस्ती आहिस्ते लंड पे उपर नीचे होने लगी काकी बोली लाला सही कह रहा था तू ऐसे उछलने मे तो बहुत ज़्यादा ही मज़ा आता हैं मैने उनकी चुचियों को थाम लिया और मसल्ने लगा तो वो बोली पी ले बेटा पी ले तेरी ही हैं जी भर के पी धीरे धीरे काकी ने अपनी स्पीड बढ़ा दी और मज़े से कूदने लगी उनके भारी भारी चूतड़ मेरी टाँगो से टकरा रहे थे पूरे आधे घंटी तक मैने इस तरह उनकी गान्ड मारी जब मेरा पानी छूटने को हुआ तो मैने कहा कि मेरा पानी पीना था ना तुझे तो पी ले बस निकलने ही वाला है तो वो झट से उपर उठी
लंड गान्ड से बाहर निकल गया उसने फॉरन उसे अपने मूह मे दबा लिया और तभी मेरे लंड से एक धार फूट पड़ी और सफेद पानी उसके मूह मे गिरने लगा जिसे वो बड़े चाव से पी गयी इसके बाद एक दौर ओर सेक्स का चला फिर उसे अपनी बाहों मे लिए लिए मैं सो गया इतनी चुदाई के बाद नींद तो गहरी आनी ही थी जब मैं उठा तो देखा काकी बिस्तर पे नही थी लाइट आ चुकी थी मैने कपड़े पहने और छप्पर से बाहर आया तो देखा कि बारिश रुक गयी थी चारो ओर एक नमी सी फैली थी थोड़ी ठंड महसूस हुवी सब कुछ गीला गीला सा था मैं बाहर की ओर गया सूसू किया और वापिस आ गया देखा तो पता चला कि वो रसोई मे दूध गरम कर रही थी
वो बोली उठ गये अभी तुम्हारे लिए चाइ बना देती हू मैं उनसे चिपटते हुए बोला चाइ नही बस चूत का रस ही पीऊंगा तो वो बोली पूरी रात तो मुझे रगड़ा था अब तक बदन टूट रहा हैं अब हिम्मत नही होगी तो मैने उनके गाल पे किस करते हुए कहा कि रात मे तो बड़े जोश मे थी अभी इतनी जल्दी सारा जोश निकल गया क्या और कस्के उसके बोबो को दबाने लगा बिम्ला मचलती हुए बोली कि तुम मनोगे तो नही , अब तो देनी ही पड़ेगी मैने अपनी पेंट सर्काई और कच्छे समेत निकाल के साइड मे रख दी और उसके घाघरे को उपर उठाते हुए अपने लंड को उनकी गान्ड पे घिसने लगा एक असीम आनंद मिला मैं उसके ब्लाउस को उतार ही रहा था कि वो बोली अभी मत उतारो
कपड़ो मे ही चोद लो मैने कहा ठीक हैं और अपने लंड पे थूक लगाया और उनको थोड़ा झुकाते हुए चूत मे घुसा दिया काकी ने हल्की सी झूर झूरी ली और गान्ड को ऑर पीछे कर लिया मैने उनकी कमर को थाम लिया और चूत चोदने लगा वो मेरी बाहों मे झूलने लगी मस्ती उनके बदन मे दौड़ने लगी वो बोली जल्दी से कर्लो बाकी फिर कभी देख लेंगे मैने कहा कर तो रहा हू अब टाइम लगेगा तो लगेगा ही मेरे बस मे तो हैं नही और तेज़ी से उन्हे चोदने लगा काकी की चूत से काम रस बहता हुआ मेरी गोलियो तक आपहुँचा था तभी मैने अपने लंड को चूत से निकाला और उन्हे खींच के बाहर ले आया वो मेरी ओर देखते हुए बोली क्या
तो मैने कहा तुझे यहाँ चोदुन्गा और उन्हे बरामदे मे पड़ी खाट पे गिरा दिया और उनकी मदमस्त टाँगो को अपने कंधो पे उठा लिया और अपने लंड को चूत से भिड़ा दिया वो हँसी तभी मैने एक ज़ोर का झटका मारा और चूत की दीवारो को बेधता हुवा मेरा लंड जड़ तक गहराई मे उतर गया उनकी टाँगे मेरे कंधो पे पनाह माँग रही थी मेरे हर धक्के पे चूचियाँ बुरी तरह काँपते हुए हिल रही थी बिम्ला ने अपनी आँखो को बंद कर लिया था और मेरे नीचे पड़ी हुवी उस अनोखे आनंद को भोग रही थी अब उन्होने अपने हाथ उन विशाल चुचियों पे रख लिए
काले काले निप्पल्स को रगड़ने लगी इधर मैं धक्के पे धक्के मारे जा रहा था उनकी चूत अंदर से बिल्कुल चिकनी हो गयी थी लंड ऐसे दौड़ रहा था जैसे हाइवे पे कोई बेलगाम कार कोई पोने घंटे तक हमारा घमासान चलता रहा इस बीच बिम्ला की चूत दो बार झाड़ चुकी थी मेरे पैर कांप रहे थे जैसे उनकी सारी शक्ति किसी ने निचोड़ ली हो अब मैने उनकी टाँगो को नीचे किया और उनमे फिर से समा गया काकी पड़ी पड़ी है हॅयियी कर रही थी पर मैं उन्हे पागलो की तरह चोदे जा रहा था और फिर एक जोरदार एहसास को प्राप्त करते हुए मैं उनकी चूत मे ही झड गया जब मैने लंड को बाहर निकाला तो बहता हुआ भी वीर्य चूत से बाहर निकलने लगा जिसे मैने वहाँ पड़े तोलिये से पोंछ दिया
काकी कुछ देर पड़ी रही फिर बोली मैं फटा फट से चाइ नाश्ता बना देती ख़ाके चला जइयो तो मैने कहा कि कर तो लिया नाश्ता और उनकी तरफ आँख मारी वो हंसते हुए बोला आता रहियो मैने कहा कि देखूँगा और स्कूटर को किक मारी और अपने खेत पे जाके देखा तो पूरी सीमेट बर्बाद हो गयी थी अब मैं चला घर की ओर रात भर बारिश ने तगड़ा उधम मचाया था हवा मे नमी होने से ठंड लगने लगी थी जल्दी ही घर पहुच गया और अपने बिस्तर पे जाके पसर गया थोड़ी देर बाद मम्मी आई तो मैने बताया कि पूरी सेमेंट खराब हो गयी और थोड़ा और नुकसान भी हुआ हैं मम्मी बोली मुझे तो तेरी बड़ी चिंता हो रही थी
मैने कहा हाँ एक दम से बारिश हो गयी थी तो मैं बिम्ला काकी के घर चला गया था तो वो बोली ये तूने अच्छा किया तो बोली जल्दी से तैयार हो जा कॉलेज भी तो जाना हैं मैने कहा हाँ और बाथ रूम मे घुस गया तैयार होते होते मैं थोड़ा लेट हो गया था आज टेंपो मे मिता ना मिली मैं भागता हुआ क्लास मे दाखिल हुआ वो अपनी सीट पे बैठी थी मैं भी बैठ गया उसने पूछा आज लेट कैसे तो मैने कहा बस हो गया लंच ब्रेक मे मैने अपना गिफ्ट पॅक निकाला और उसे दिया तो उसने बड़ी ही विनम्रता से मना करते हुए कहा कि वो उसे नही ले सकती कोई क्या सोचेगा मैने कहा एक बार देख तो लो वो बोली प्लीज़ तुम समझो एक लड़की एक लड़के से ऐसे गिफ्ट लेगी तो क्लास मे बाते होंगी और वो अपनी इमेज को लेकर बहुत ही क्लियर हैं
मेरा मन थोड़ा भारी हो गया मैने बॉक्स को वही बेंच पे रखा और बाहर आ गया साँस जैसे अटक सी गयी थी बाकी टाइम मैं क्लास मे गया ही नही लाइब्ररी मे ही बैठा रहा जब छुट्टी हुवी तो मैं धीमे कदमो से कॉलेज गेट की ओर चल पड़ा तभी मिता भागते हुई मेरी तरफ आई उसकी सांस फूल रही थी वो हान्फते हुए बोली अरे तुम क्लास मे क्यों नही थे तो मैने झूठ बोल दिया कि थोड़ी तबीयत ठीक नही थी इसलिए लाइब्ररी मे ही बैठ गया था उसने मेरे माथे पे हाथ रखा और बोली बुखार तो नही हैं,ये उसका पहला स्पर्श था फिर वो बोली आओ चलते हैं
मैने कहा हम, बाजार का रास्ता पार कर ही रहे थे कि इन्द्रदेव को गुस्सा आ गया बारिस एक बार फिर से चालू हो गयी सभी लोग बचने को इधर उधर भागे हम पे भी बौछारे पड़ने लगी हम दोनो एक दुकान के बाहर टीन शेड के नीचे खड़े हो गये हालाँकि बारिश से तो बच गये थे पर कोई कोई बूँद शरीर पे फिर भी पड़ ही जाती थी कोई एक घंटे तक बारिश होती रही हम दोनो एक दूसरे से सट के खड़े थे क्योंकि और भी हमारी तरहस्टूडेंट्स बारिश से बचने को वही पे अड्जस्ट हो गये थे,खैर किसी तरह बारिश रुकी हम अपनी राह चल पड़े तभी वो बोली अगर तुम मुझे कुछ गिफ्ट देना चाहते हो तो प्लीज़ थोड़ा छुपा के देना क्लास मे वैसे भी बाते बनती रहती हैं,
मैं तुम्हे अपना दोस्त मानती हू पर मैं एक लड़की भी हू हर चीज़ को देखना पड़ता हैं मैने उसे सॉरी कहा तो वो बोली प्लीज़ थोड़ा ध्यान रखना आगे से अब मुझे थोड़ा चैन मिला तभी उसने कहा कि हर सनडे वो उनके गाँव मे माता के मंदिर जाती हैं 9 बजे मैने कहा कि ये तो बहुत ही अच्छा हैं, वो बोली रे बुद्धू मेरे कहने का मतलब था कि अगर हो सके तो तुम भी दर्शन करने आ जाना मैने कहा मैं ज़रूर आउन्गा फिर हम ने टेंपो पकड़ा आज सवारियाँ ज़्यादा थी तो बाहर ही लटकना पड़ा आज थोड़ा लेट हो गया था घर पहुचते पहुचते फटाफट कपड़े चेंज किए खाना वाना खाया और किताबो को लेके बैठ गया साढ़े पाँच के लगभग हो चुके थे
तभी ध्यान आया कि प्रीतम का करार भी हैं तो सीधा भागा जंगल की ओर कोई आधा घंटा और लग गया जैसे तैसे पहुचा पर बारिश का सीज़न होने के कारण पेड़ पोधो पे भी कुछ ज़्यादा ही निखार आ गया था हर तरफ बस हरियाली ही हरियाली छाई हुवी थी जंगल और भी घना लगने लगा था थोड़ा टाइम लगा पर मैने साली कमिनि को ढूँढ ही लिया प्रीतम बोली कितनी देर से तेरी राह देख रही हू बस वापिस जाने ही वाली थी मैने कहा दोपहर मे बारिश के कारण आने मे लेट हो गया बस पहुँचा ही हू तो वो बोली चल अब देर मत लगा देख ये कितना पानी छोड़ रही हैं और अपनी चूत को मसल्ने लगी मैने उसके गालो को थप थपाया और बोला अभी करता हू इसका इलाज़ .
हम दोनो जंगल मे अंदर की ओर चल पड़े आज हम काफ़ी दूर निकल आए थे यहाँ पे इतनी ज़्यादा रोशनी नही थी एक सेफ सी जगह देख कर मैने प्रीतम को अपनी बाहों मे दबोच लिया और उसे चूमने लगा वो बोली जल्दी ही ही काम सुलटा दियो एक तो तू लेट आया हैं और फिर घर पहुचते पहुचते अंधेरा भी हो जाएगा मैने कहा तू मत घबरा और अपना हाथ उसकी सलवार मे डाल दिया और कच्छि के उपर से ही उसकी मोटी चूत को मसल्ने लगा हमारे होंठ एक दूसरे से जुड़ चुके थे आज उसके होन्ट बड़े रसीले लग रहे थे मैने काफ़ी देर तक उनका रस निचोड़ा .
फिर फटाक से अपनी ज़िप खोली और अपना लॉडा बाहर निकाल लिया वो नीचे बैठी और उसे अपने मूह मे लेके चूसने लगी मज़ा ही तो आ गया, मैने उसके सर को पकड़ लिया और उसके मूह को चोदने लगा करीब 5 मिनिट तक लंड चूसाने के बाद मैने उसे खड़ा किया और सलवार को खोल दिया कच्छि को सरकाया और उसे घुटनो के बल खड़ी करते हुए अपने लंड को चूत मे डाल दिया उसकी आहह निकली उसने अपने हाथ घुटनो पे रखलिए और चुदने लगी मैं उसकी कमर को थामे हुए उसे चोदने लगा , प्रीतम अपने दाँतों को भींचे मेरे लंड को अपनी चूत मे ले रही थी अब मैने उसके सूट को थोड़ा उपर की तरफ किया और अपने हाथों से उसके बोबो को पकड़ लिया
और उन्हे ब्रा के उपर से ही मसल्ने लगा प्रीतम की सिसकारी फूट उठी वो धीमे धीमे मोन करने लगी थी काफ़ी देर तक मैं उसे ऐसे ही चोद्ता रहा पर अब मेरे पैर दुखने लगे थे मैने उसे हटाया और वही ज़मीन पर घोड़ी बना दिया उसके गोरे गोरे चुतडो का कटाव बड़ा ही मस्त था जी मे तो आया कि सीधा गान्ड मे ही घुसा दूं प्रीतम ने अपनी गर्दन पीछे घुमाई और बोली क्या सोच रहा हैं अब डाल ना अंदर तो मैने अपने लंड को चूत के छेद पे रखा और बस टोपी को ही अंदर जाने दिया उसने अपनी गान्ड को हिलाया ये सिग्नल था उसका पर मैं बस टोपी टोपी को ही अंदर बाहर करता रहा प्रीतम चुदासी हो रही थी और मैं उसके मज़े ले रहा था
फिर मैं ईक ही झटके मे लंड को चूत मे पहुचा दिया और प्रीतम की चूत मारने लगा काफ़ी दमदार चुदाई चल रही थी पसीना मेरे माथे पे छू आया था तभी प्रीतम काँपते हुवी आवाज़ मे बोली जलल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल दी ईईईईईईईईईईईईईईईईई झलल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्लदीीईईईईई करंन्नईनननननननननननननननननननननणन्नाआआआआआआआआआआ मेरााआआआआआआआआआआअ होनीईईईईई वलाआआआआआआआआ हियंन्ननननननननननननननननननननननननननननननननननननननननननननननननननणणन्
और अपनी कमर पीछे को करने लगी मैने फॉरन से अपने लंड को बाहर निकाला और उसकी उभरी हुई चूत पे अपनी जीभ रखड़ी जैसे ही जीभ का स्पर्श उसकी चूत से हुआ उसका काम रस बह चला उसने अपनी गान्ड को मटकाते हुए मुझे त्रप्त कर दिया था तो मैं एक बार फिर से लंड को चूत के दर्शन करवाए और धक्के लगाने लगा मैं अब बहुत ही तेज गति से प्रीतम को चोदे जा रहा था30-40 शॉट जल्दी जल्दी लगाए और अपने पानी से उसकी चूत को धो दिया ।
जैसे ही मेरा काम हुआ प्रीतम उठी और अपनी सलवार को उपर चढ़ाते हुए नाडा बाँधने लगी मैने भी लंड को पेंट मे डाल लिया फिर हम वहाँ आए जहाँ उसकी कटी हुवी लकड़ियो का गत्थर पड़ा था वो मैने उसके सर पे रखा और वो अपनी गान्ड को कुछ ज़्यादा ही मटकाते हुए चल पड़ी मैने दूसरा रास्ता पकड़ लिया .
फिर मैं थोड़ी देर बस स्टॅंड पे घुमा और फिर घर आ गया कुछ देर किताबो मे सर खपाया फिर भोजन का आनंद प्राप्त किया चाचा आए नही थे तो एक बार फिर मुझे कुँए पे जाना था मैं पैदल ही चल पड़ा ,घूमते घूमते जब मैं वहाँ पहुचा तो देखा कि एक कमरे की छत तो आज डाल दी गयी थी बस दूसरे की बची थी खाट को बिछाया और पसर गया एक मन तो किया कि बिम्ला काकी की चूत फिर से मारी जाए पर फिर ना जाने क्यों कॅन्सल कर दिया कुछ ही देर मे नींद आ गयी सूभ मैं उठा फ्रेश वग़ैरा हुआ ऑर घर की ओर चल दिया पापा बाहर ही बैठ कर अख़बार पढ़ रहे थे मुझे देखके बोले आज तू छुट्टी कर लियो कुँए का काम तो लगभग हो ही चुका हैं जो बचा हैं तू संभाल लियो तभी मुझे एक आइडीया आया
आक्च्युयली हमारे घर के पिछली तरफ हमारी थोड़ी जगह खाली पड़ी हुई थी तो मैने कहा पापा क्यों ना हम एक कमरा पिछे भी बनवा ले काम तो चल ही रहा हैं,और उधर की जगह भी कंट्रोल मे हो जाएगी तो वो बोले ठीक हैं करवा लियो फिर मैं अंदर चला गया दिन ऐसे ही बीत रहे थे मिता से मेरी नज़दीकिया और गहरी होती जा रही थी पूरा टाइम पता नही कब ख़तम हो जाता था कॉलेज की पढ़ाई का प्रेशर फिर घर के पचासो काम हालत बहुत ही बुरी हो गयी थी मैं चाची को बुरी तरह से चोदना चाहता था पर वो मान ही ना रही थी और आज कल तो किस विस भी ना के बराबर ही थी प्रीतम तो दिखाई ही नही देती थी दिन बस कट ही रहे थे किसी तरह से खेतो मे बाज़रे की फसल लहलहाने लगी थी बस कटाई कुछ ही दूर थी पूरा डेढ़ महीना हो गया था चूत की शकल ना देखी ,
मैने अपना डेरा नये बनाए कमरे मे बसा लिया था इसके दो फ़ायदे अगर रात को प्रीतम के घर चला भी जाउ तो मेरे घर वालो को कुछ पता नही चलना था और मुझे पूरी आज़ादी थी एक दिन प्रीतम को मैने रास्ते मे रोक लिया और बोला कब देगी मैं तो मरा जा रहा हूँ वो बोली क्या करूँ माँ पीछा ही नही छोड़ती मैं खुद फसि पड़ी हू तू थोड़ा रुक मैं करूँगी कुछ ना कुछ मुझे थोड़ी तस्सली मिली जिस साइड मे हमारा नया वाला कमरा बना हुआ था उधर वाली साइड मे बस एक ही घर था क्योंकि उसके आगे पहाड़ अड़ा हुवा था वो घर पप्पू भाई का था उसकी सब्ज़ी की दुकान थी बस स्टॅंड पे वैसे तो आदमी अच्छा था परंतु कभी कभी शराब पी के उसकी पत्नी को पीट देता था कई बार मैं उसकी दुकान से फ्रूट खरीदता था ऐसे ही एक दिन रात को कोई 11 बजे होंगे मैं पढ़ ही रहा था तभी मैने कुछ रोने की आवाज़ सुनी मैने गेट खोला तो देखा कि पप्पू अपनी पत्नी को पीट रहा था तो मैने जाके बीच- बचाव किया और उसे समझाया तो वो मान गया और सो गया भाभी बुरी तरह रोए जा रही थी मैने उन्हे थोड़ा पानी पिलाया और शांत किया और उनके आँसुओ को पोंछ दिया थोड़ी देर बाद मैं वापिस आ गया उसके बाद जब भी भाभी मुझे मिलती मेरी ओर देख के हंस देती थी मैं भी मुस्कुरा के जवाब दे देता था थोड़ा समय और बीत गया एक दिन दादी बोली बेटा मुझे मंदिर तक छोड़ के आजा आज वहाँ कीर्तन हैं तो मैने कहा मम्मी को कह दो तभी मुझे याद आया कि मिता ने बताया था कि वो हर सनडे मंदिर जाती हैं इतनी इम्पोर्टेंट बात कैसे भूल गया संयोग से
अगले दिन सनडे ही था तो उस दिन कोई 8 बजे मैं मिता के गाँव की तरफ चल पड़ा साइकल साइड पे लगाई और मंदिर की तरफ चल पड़ा बहुत ही बड़ा और सुंदर मंदिर था माता रानी के दर्शन किए और मंदिर मे घूमने लगा जैसे ही मैं पिछली वाली साइड मे गया तो देखा कि मिता वहाँ कबूतरो को दाना खिला रही हैं, उसे देखते ही धड़कने बेकाबू हो गयी थी मेरी सादगी मे लिपटी हुवी साँवली सी मूरत हल्के नीले रंग के सूट मे बहुत ही प्यारी लग रही थी जैसे ही उसकी नज़र मुझपे पड़ी उसके चेहरे पे लाली बढ़ गयी वो बड़े ही सलीके से मेरे पास आई और बोली तो आज फ़ुर्सत आई हैं तुम्हे यहाँ आने की मैं कुछ बोलने ही वाला था कि उसने मुझे अपने पीछे आने का इशारा किया थोड़ी दूर एक सुनसान सी जगह थी वहाँ पे पत्थरो पे हम दोनो बैठे हुए बातें कर रहे थे ऐसे ही एक अजीब सा खुमार चढ़ने लगा था फिर वो बोली अब मैं चलती हू मैं उसे रोकना चाहता था पर रोका नही बस उसे जाते हुए देखते रहा घर पहुचते पहुचते दोपहर हो गयी थी मैं बहुत ही ज़्यादा खुश था खुशी छुपाए नही छुप रही थी मैने मम्मी को आवाज़ लगाई पर वो घर मे नही थी तो मैं चाची के पास गया और मम्मी को पूछा तो उन्होने कहा कि बेटा तेरे लिए एक बुरी खबर हैं मैं थोड़ा डर सा गया कि कही मेरे कांडो का पता तो नही चल गया घरवालोको
मैने पूछा क्या हुआ तो उन्होने कहा कि आज तेरी प्रीतम की सगाई करने लोग आए हुए हैं और मम्मी उन्ही के घर गीतो मे गयी हैं अब साला ये क्या स्यापा हो गया मैने कहा इसमे बुरी खबर क्या हैं चाची ये तो होना ही था हर लड़की का रिश्ता एक ना एक दिन होता ही है, तो वो बोली तुझे सच मे बुरा नही लग रहा क्या तो मैने कहा नही पर अंदर ही अंदर मैं हिल गया था
एक वो ही तो थी जो मेरे लंड की प्यास जब चाहे बुझा देती थी पहले अनिता भाभी अब प्रीतम की भी सगाई हो गयी थी चाची बोली अब तेरा काम कैसे चलेगा तो मैने कहा वो कॉन सा डेली ही मेरे साथ सोती थी और जिसकी आप जैसे चाची हो उसे भला क्या कमी होगी कहते हुए मैने उनकी चूची को भींच दिया वो बोली अभी रुक बताती हू पर मैं सीधा अपने कमरे मे भाग गया कुछ दिन ऐसे ही ओर गुजर गये
एक दिन शाम को मैं अपना कमरा खोल के बैठा ही था कि शीला भाभी आ गई वो बोली इतना थोड़ा सामान क्यों हैं यहाँ तो मैने कहा भाभी मेरा कमरा तो अंदर हैं ये तो बस मैं पढ़ाई के लिए यूज़ करता हूँ वो बोली अच्छा हैं और मेरे फोल्डिंग पे बैठ गयी कुछ देर बात करनी के बाद वो बोली मैं चाइ बना रही हूँ तुम भी आ जाओ मैने उन्हे मना किया तो वो बोली मैं दूसरी जात की हू इसलिए हमारी चाइ नही पियोगे तो मैने कहा कमाल करती हो भाभी ऐसी बात दुबारा मत करना आप चलो मैं थोड़ी देर मे आता हू और उनके घर चला गया छोटा सा आशियाना था उनका दो कमरे और साइड मे एक तीन शेड डालके रसोई बनाई हुवी थी उनके लिए बहुत था उन्होने मुझे कुर्सी दी और चाइ का गिलास पकड़ा दिया हम चाइ पीते पीते बात कर रही थे
मैने पूछा भाभी आप पूरा दिन बोर नही होते तो वो बोली इनका स्वभाव तो तुम जानते ही हो इनकी अपने भईओ से बनती नही तो मैं उधर जा नही सकती बस ऐसे ही टाइम पास कर लेती हू अब तुम इधर रहने लगे हो तो हमे भी सहारा हैं, मैने कहा वो तो हैं भाबी फिर मैने चाइ के लिए उनका धन्यवाद किया और वापिस आ गया मैने कुछ सोचा और प्लॉट की तरफ चल दिया वहाँ जाके तान्क झाँक की तो पता चला कि प्रीतम अपने बाडे मे हैं मैं सीधा वहाँ चला गया उसने मुझे देख के अनदेखा किया और अपना काम करती रही मैने कहा क्या बात हैं नाराज़ है क्या तो वो बोली कि अब मेरी सगाई हो गयी हैं मैं एक नयी शुरुआत कर रही हू तो मैने कहा मैं तो बस तुझसे एक बार मिलना चाहता था वो बोली मैं कोशिश करूँगी तो
मैने कहा कि आजकल मैं हमारे घर के पिछे की तरफ वाले कमरे मे रहता हू मोका लगे तो आ जइयो उसने कहा कि वो देखे गी दिन बहुत ही तेज गति से गुज़रते जा रहे थे सर्दियो ने दस्तक देनी शुरू कर दी थी चूत मारे पता नही कितने दिन हो गये थे अब तो याद भी नही था एक दिन कोई 7 बजे शाम को मैं अपनी स्टडी टेबल पे बैठा था किवाड़ खुले ही थे तभी प्रीतम धड़ धड़ाते हुए आ गयी और मुझसे लिपट गयी मैं हैरान हो गया कि ये यहाँ बिना बताए और वो भी ऐसे टाइम पे उसने मेरे होंटो पे एक किस दिया और बताया कि वो आज लास्ट टाइम के लिए आई हैं
आज के बाद वो मुझे कभी नही मिलेगी तो मैं उसे आज लास्ट टाइम चोद लू हालाँकि मेरा लंड निक्कर मे तन गया था पर मैने कहा दोस्ती की हैं तुझसे चूत का क्या हैं वो तो और भी मिल जाएँगी पर तेरे जैसे दोस्त नही मिलेगी उसकी आँखे थोड़ी नम हो गयी मैने उसे अपने सीने से लगा लिया कुछ देर हम ऐसे ही खड़े रहे फिर मैने उसे कहा अब तू जा वो जाने क लिए मूडी ही थी कि फिर से मेरे गले लग गयी और एक जोरदार किस शुरू कर दी पूरे 10 मिनट तक वो किस करती ही रही फिर मैने उसे हटाया और कहा मैं तुझे कुछ देना चाहता हू तो वो बोली तेरे साथ इतना टाइम बिताया वो ही बेस्ट गिफ्ट हैं और बाहर चल पड़ी जैसे ही वो निकली शीला भाभी अपने गेट से बाहर आ निकली उन्होने प्रीतम को मेरे यहाँ से निकलते हुए देख लिया पर प्रीतम ने कोई गोर ना किया और अपने रास्ते चली गयी
शीला मेरे पास आई ओर बोली जी ये यहाँ क्या लेने आई थी मैने कहा कि ये मेरी दोस्त हैं और मुझसे मिलने आई थी और आप प्लीज़ किसी को जिकर ना करना . भाभी ने एक शरारती मुस्कान मेरी ओर फेक्ते हुए कहा जी बिल्कुल ठंड बढ़ने लगी थी रज़ाईयाँ बाहर आ चुकी थी दीवाली कुछ ही दिन दूर थी कॉलेज भी बंद पड़ा था पर इन दिनो शीला के व्यवहार मे थोड़ा चेंज आने लगा था जब भी मुझे बात करती तो चुन्नी नही डालती थी और कई कई चक्कर लगा देती थी या अपने गेट से मेरे कमरे की तान्का झाँकी करती ही रहती थी अब मैं थोड़ा शीला की बारे मे बता दूं उमर कोई 33 के आस पास होगी उसका एक लड़का हैं जो उन दिनो अपनी बुआ के गया हुआ था शीला का रंग एक दम काला हैं पतली सी हैं चूची भी कुछ खास नही हैं पर नैन-नख्श बहुत ही तीखे हैं हाइट भी थोड़ी छोटी ही थी
उस दिन साढ़े 9 बज रहे थे सब लोग अपने अपने बिस्तरॉ मे दुब्के पड़े थे लाइट का हाल तो आपको पता ही हैं कि गाँवो मे उसके दर्शन कम ही होते हैं, मैं लॅंप की रोशनी मे अपनी किताबो मे खोया हुआ था कि पप्पू केघर से कुछ आवाज़ आई मैं उधर गया तो देखा कि वो नशे मे बुरी तरह धुत्त है पैर ज़मीन पे टिक ही नही रहे थे और वो शीला को गालिया बक रहा था तभी वो उसे मारने भागा पर मैने उसे पकड़ लिया नशा इतना ज़्यादा था कि वो मुझे पहचान नही पाया और गुस्से मे बड बड़ाने लगा मैने उसे धमकाया तभी उसने शीला को धक्का दे दिया मुझे बहुत गुस्सा आया मैने दो चार रख दिए उसे वो पलंग पे पड़ा और बेसूध सा हो गया
मैने उसे उठाया और अंदर ले जाके पटक दिया और शीला बुरी तरह से कांप रही थी मुझसे उसका हाल देखा ना गया उधर पप्पू अब भी बड बड़ाये जा रहा था कि आज तो इस रंडी को मार के ही छोड़ूँगा आज इसकी मौत आई हैं मैने सोचा कि अगर इसे ऐसे ही छोड़ दिया तो फिर शीला को मारेगा कही इसकी हड्डी पसली ना तोड़ दे नशे नशे मे तो मैं वही बैठ गया पर वो साला सो ही नही रहा था हालाँकि उसपे नशा छाया हुआ था हिम्मत तो उसकी खाट से उठने की भी नही हो रही थी पर मैं रिस्क नही लेना चाहता था नशेडियों का क्या भरोसा क्या कर दे
तो मैने कुछ सोचा और शीला का हाथ पकड़ा और उसे घर्से बाहर ले आया और उसके गेट पे ताला लगा दिया वो हक्की बक्की मेरी ओर देखने लगी मैं उसे अपने कमरे मे ले आया मैने उसे पानी की बॉटल देते हुए कहा कि देख भाभी पापु नशे मे हैं क्या पता क्या कर बैठे मान ले तू सोई पड़ी हैं और वो तुझे बुरी तरह से पीटने लगे तो कोन बचाएगा तू इधर ही सो जा सुबह जल्दी चली जइयो तब तक वो भी ठंडा हो जाएगा एक रात की ही तो बात हैं
मैने दरवाजे की कुण्डी लगा दी हम दोनो एक दूसरे के आमने सामने खड़े थे शीला के चेहरे पे एक कसमकश थी मैने उसका हाथ पकड़ा और उसे फोल्डिंग पे बिठा दिया और बोला भाभी घबरा मत ये भी तो तेरा ही घर हैं वो घबराई सी आवाज़ मे बोली जी पर बिस्तर तो एक ही है तो मैने कहा कॉन से जमाने की है तू हम दोनो इसी मे अड्जस्ट करलेंगे एक रात की ही तो बात हैं वो बोली जी पर मुझे संकोच हो रहा हैं मैं पहले किसी गैर मर्द के साथ ऐसे नही सोई हू तो मैने कहा वाह भाभी कर दिया ना पराया अब मैं गैर हो गया तो वो बोली जी ऐसी बात नही हैं पर कही कुछ ग़लत ना हो जाए
ये सुनते ही मैं चोंका , ये तो एक मोका था उसे चोदने का इतने टाइम से ये बात दिमाग़ मे आई ही नही थी ,मैने उसे मक्खन लगाते हुए कहा भाभी क्या ग़लत हो जाएगा और फिर कुछ हो भी गया तो माफ़ कर देना क्या इस देवर का आप पे इतना हक़ भी नही है मैने कहा डरो मत कुछ नही होगा और फिर भी आपका मन नही कर रहा तो आप अपने घर चली जाओ पर जब पप्पू मारेगा तो मैं नही आउन्गा अब वो फँसी काफ़ी देर सोचने के बाद बोली जी आपकी बात ठीक हैं मैं यही रुक जाती हू आप कोई पराए तो नही हो कम से कम मार से तो बचूंगी और रज़ाई मे घुस गयी
मैने अपनी निक्कर और स्वेटर उतारी अब मैं खाली कच्छे बनियान मे था वो बोली जी कपड़े क्यों उतार रहे हो तो मैने कहा भाभी मैं तो ऐसे ही सोता हू और मैं भी रज़ाई मे घुस गया फोल्डिंग 2 लोगो के हिसाब से थोड़ा छोटा था हमारे जिस्म एक दूसरे से सटे हुए थे कुछ देर ऐसे ही पड़े रह फिर मैने पूछा भाभी सो गयी क्या तो वो बोली जी नींद नही आ रही हैं वो दूसरी तरफ करवट लेके लेटी हुवी थी उनकी पीठ मेरी तरफ थी मैं भी उस से सट गया था मेरा लंड कच्छे मे सिर उठाने लगा था मैने अपने हाथ उसके पेट पे रख दिया और सहलाने लगा उसका पेट बुरी तरह काँपने लगा वो थर थराती आवाज़ मे बोली जीिइईईईईईईई कयययययययययययययययययययययययययययययययी कर रहीईईईईईईईईई हूऊऊऊऊऊऊऊऊ मैने कहा कुछ भी नही मैने लंड को कच्छे की क़ैद से आज़ाद कर दिया अब मेरा लंड उसकी गान्ड पे सॉफ महसूस हो रहा था मैने उस से ऐसे चिपका पड़ा था जैसे किसी ने फेविकोल से चिपका दिया हो मैं उसके पेट को सहलाए जा रहा था तभी मैने अपनी उंगली शीला की नाभि मे डाल दी और अंदर बाहर करने लागा वो फिर बोली जी ये आप क्या कर रहे हो ये ठीक नही है
मैं उसके कान मे धीरे से बोला की भाभी देवेर तो बस आपसे थोड़ा खेल रहा हैं वो बोली जी ऐसा खेल ठीक नही हैं मैने अपना हाथ उसकी छोटी छोटी चूची पे रखते हुए कहा भाभी ऐसा खेल रोज रोज तो होता नही हैं आज तो खेल के ही मानूँगा और चूची को दबाने लगा शीला भी पूरी औरत थी वो समझ तो गयी ही थी कि मैं क्या कहना चाह रहा हू उसने मेरे हाथ को पकड़ लिया और बोली जी ये ठीक नही हैं मैने कहा भाभी मैं बहुत दिनो से तुम्हे चाहता हू क्या मुझे तुम्हे थोड़ा प्यार करने का हक़ भी नही हैं
तो वो बोली जी हक़ तो है पर मेरी तो इज़्ज़त चली जाएगी ना मैं अपने पति को मूह कैसे दिखाउन्गि तो मैने कहा भाबी इसमे कोई बदनामी नही होगी तेरी और उसका हाथ अपने लंड पे रख दिया मेरे गरम लंड को महसूस करते ही शीला मे करंट दौड़ गया उसने अपना हाथ हटा लिया और बोली जी आप रुक जाओ मुझे खराब मत करो मैने दुबारा उसका हाथ अपने लंड पे रख दिया और बोला वैसे तो अपना मानती हो और आज पराया समझ रही हो भाबी आपको मेरी कसम एक बार मेरी प्यास बुझा दो प्लीज़
तो वो कुछ नही बोली बस मेरे लंड को अपनी मुट्ठी मे कस लिया और बोली तेरा ये तो बहुत बड़ा हैं उनका तो इस से पतला हैं, अब मैने उन्हे दुबारा से लिटा दिया और उनसे फिर चिपक गया वो बोली जी आप पे भरोसा करके अपनी इज़्ज़त आपको दे रही हू मेरी बदनामी ना करवाना
मैने कहा कुछ नही होगा मैने उनका चेहरा अपनी ओर किया और उनके काले काले होंटो को अपने होंटो मे भर लिया शीला काली बेशक थी पर थी गान्डस औरत उनके होन्ट डार्क चॉकलेट की तरह थे मैं पूरे मज़े से उन्हे चूसे जा रहा था वो अपने हाथ से मेरे लंड को सहला रही थी काफ़ी देर तक उसके होंटो का रास्पान करने के बाद मैं हटा रज़ाई के अंदर बहुत ही गर्मी हो गयी थी मैने उसकी चूची को चोली के उपर से ही दबाना शुरू किया वो आहे भरने लगी
तो वो बोली अब तो याद भी नही आता कि कितने लंडो का पानी पी चुकी हू अब पहले वाली बात नही रही उमर भी हो चुकी हैं तो मैने कहा पर तुम तो अभी भी गरम माल हो ये सुन के वो शर्मा गयी औरत अपनी तारीफ की बहुत भूखी होती हैं मैं उठा और बाहर की तरफ आया तो देखा बेरिश की रफ़्तार कुछ कम हो गयी थी पर बरस अभी भी रही थी मैने मटके से पानी पिया और अंदर गया तो देखा कि काकी अपनी चूत पे हाथ फेर रही थी मुझे देख के उनसे बड़े ही बेशरम भाव से चूत मे उंगली सरका दी मैं खाट के पास खड़ा हो गया और उसे कहा कि लंड चुसेगी तो वो बोली हाँ क्यों नही और खाट पे बैठ गयी उसने मेरी एक गोली को अपने मूह मे भर लिया और उसपे जीभ फेरने लगी
मैं बहुत खुश होगया मैने कहा शाबाश बिम्ला बहुत अच्छे फिर उसने ऐसे ही दूसरी के साथ किया अब वो थोड़ा उपर की ओर बढ़ी और मेरे लंड को अपने मूह मे लेके चूसने लगी लंड झट से तन गया था मैने कहा तू तो बहुत ही अच्छा लंड चुस्ती है कहाँ से सीखा तो वो बोली लाला जितनी तेरी उमर हैं उस से ज़्यादा सालो से इस खेल को खेल रही हू और तू मुझे सिखा रहा हैं मैने उसके सर को अपने लंड पे दबाना शुरू कर दिया वो लपा लॅप लंड चूसे ही जा रही थी थूक उसके मूह से उसकी चूचियों पे गिर रहा था तभी वो बोली लाला आज तो तेरे गन्ने का रस पियूंगी तो मैने कहा रस भी पिला दूँगा पर पहले मैं तेरी इस मोटी गान्ड को चोदुन्गा
तो वो बोली ठीक हैं और खाट पे घोड़ी बन गयी मैने अपने हाथ उसकी मस्तानी गान्ड पे अपने हाथ रख के उसे सहलाने लगा उफ्फ क्या गान्ड थी बिम्ला की एक दम जबरदस्त गान्ड नसीब वालो को ही मिलती है खैर, मैने ढेर सारा थूक काकी की गान्ड पे लगाया और उसे बिल्कुल चिकना कर दिया और अपने लंड को उसके छेद पे टीका दिया जैसे ही सुपाडा अंदर गया तो काकी ने एक बार अपने शरीर को टाइट किया और फिर ढीला छोड़ दिया वो थी पूरी गान्ड मर्वानी थी एक बार उफ्फ तक ना किया और पूरा लंड अपनी गान्ड मे डलवा लिया और अपने चुतडो को और भी उभार लिया और बोली लाला मारले काकी की गान्ड लगा ज़ोर और चुतडो को मचका दिया मैने कहा ठीक है
और लंड को पूरा बाहर निकाल दिया और फिर झट से अंदर डाल दिया गान्ड क्या थी पूरा गुड़गाँव ही था छेद बहुत ही ज़्यादा खुला हुआ था मैं ऐसी ही लंड को बाहर निकालता और फिर घाप से अंदर डाल देता काकी भी मज़े ले रही थी कुछ देर तक मैं उन्हे घोड़ी बनाए ही उनकी गान्ड मारता रहा खाट हमारे बोझ से चरमराने लगी थी फिर मैने बिम्ला को उल्टा लेटने को कहा वो झट से लेट गयी और अपने हाथों को पीछे लाते हुए अपने दोनो कुल्हो को थोड़ा चौड़ा किया अब रास्ता सॉफ था मैने एक बार फिर से अपने लंड को उनकी गान्ड पे टिकाया और अंदर धकेल दिया अब गान्ड मारने मे बहुत ही मज़ा आ रहा था घाप घाप लंड गान्ड मे घुसे जा रहा था
मैने काकी के गालो मे अपने दाँत गढ़ा दिए और उन्हे काट ते हुए चूस रहा था काकी बोली लाला बस पूरी रात ऐसे ही मेरी गान्ड मारता रह बस बिल्कुल इसितरह पूरी गान्ड को चोद डाल रगड़ दे इसे फाड़ दे इसे ऐसा कहते हुए वो मेरा जोश बढ़ाए जा रही थी मैं भी पूरी ताक़त लगाते हुए उनकी गान्ड को और चौद किए जा रहा था तभी मैने कहा कि काकी लंड पे तो तू बहुत बार बैठी होगी पर क्या गान्ड मे लंड लेके बैठी है क्या तो वो बोली अब तक तो नही बैठी पर आज ज़रूर बैठूँगी ये सुनते ही मैं उनके उपर से उतर गया और खाट पे लेट गया काकी ने मेरे लंड पे थोड़ा थूक और लगाया और अपनी गान्ड का निशाना लंड के सुपाडे पे सेट करती हुवी लंड पे धीरे धीरे बैठने लगी
कुछ ही देर मे पूरा लंड एक बार फिर से काकी की गान्ड मे था वो थोड़ा आहिस्ती आहिस्ते लंड पे उपर नीचे होने लगी काकी बोली लाला सही कह रहा था तू ऐसे उछलने मे तो बहुत ज़्यादा ही मज़ा आता हैं मैने उनकी चुचियों को थाम लिया और मसल्ने लगा तो वो बोली पी ले बेटा पी ले तेरी ही हैं जी भर के पी धीरे धीरे काकी ने अपनी स्पीड बढ़ा दी और मज़े से कूदने लगी उनके भारी भारी चूतड़ मेरी टाँगो से टकरा रहे थे पूरे आधे घंटी तक मैने इस तरह उनकी गान्ड मारी जब मेरा पानी छूटने को हुआ तो मैने कहा कि मेरा पानी पीना था ना तुझे तो पी ले बस निकलने ही वाला है तो वो झट से उपर उठी
लंड गान्ड से बाहर निकल गया उसने फॉरन उसे अपने मूह मे दबा लिया और तभी मेरे लंड से एक धार फूट पड़ी और सफेद पानी उसके मूह मे गिरने लगा जिसे वो बड़े चाव से पी गयी इसके बाद एक दौर ओर सेक्स का चला फिर उसे अपनी बाहों मे लिए लिए मैं सो गया इतनी चुदाई के बाद नींद तो गहरी आनी ही थी जब मैं उठा तो देखा काकी बिस्तर पे नही थी लाइट आ चुकी थी मैने कपड़े पहने और छप्पर से बाहर आया तो देखा कि बारिश रुक गयी थी चारो ओर एक नमी सी फैली थी थोड़ी ठंड महसूस हुवी सब कुछ गीला गीला सा था मैं बाहर की ओर गया सूसू किया और वापिस आ गया देखा तो पता चला कि वो रसोई मे दूध गरम कर रही थी
वो बोली उठ गये अभी तुम्हारे लिए चाइ बना देती हू मैं उनसे चिपटते हुए बोला चाइ नही बस चूत का रस ही पीऊंगा तो वो बोली पूरी रात तो मुझे रगड़ा था अब तक बदन टूट रहा हैं अब हिम्मत नही होगी तो मैने उनके गाल पे किस करते हुए कहा कि रात मे तो बड़े जोश मे थी अभी इतनी जल्दी सारा जोश निकल गया क्या और कस्के उसके बोबो को दबाने लगा बिम्ला मचलती हुए बोली कि तुम मनोगे तो नही , अब तो देनी ही पड़ेगी मैने अपनी पेंट सर्काई और कच्छे समेत निकाल के साइड मे रख दी और उसके घाघरे को उपर उठाते हुए अपने लंड को उनकी गान्ड पे घिसने लगा एक असीम आनंद मिला मैं उसके ब्लाउस को उतार ही रहा था कि वो बोली अभी मत उतारो
कपड़ो मे ही चोद लो मैने कहा ठीक हैं और अपने लंड पे थूक लगाया और उनको थोड़ा झुकाते हुए चूत मे घुसा दिया काकी ने हल्की सी झूर झूरी ली और गान्ड को ऑर पीछे कर लिया मैने उनकी कमर को थाम लिया और चूत चोदने लगा वो मेरी बाहों मे झूलने लगी मस्ती उनके बदन मे दौड़ने लगी वो बोली जल्दी से कर्लो बाकी फिर कभी देख लेंगे मैने कहा कर तो रहा हू अब टाइम लगेगा तो लगेगा ही मेरे बस मे तो हैं नही और तेज़ी से उन्हे चोदने लगा काकी की चूत से काम रस बहता हुआ मेरी गोलियो तक आपहुँचा था तभी मैने अपने लंड को चूत से निकाला और उन्हे खींच के बाहर ले आया वो मेरी ओर देखते हुए बोली क्या
तो मैने कहा तुझे यहाँ चोदुन्गा और उन्हे बरामदे मे पड़ी खाट पे गिरा दिया और उनकी मदमस्त टाँगो को अपने कंधो पे उठा लिया और अपने लंड को चूत से भिड़ा दिया वो हँसी तभी मैने एक ज़ोर का झटका मारा और चूत की दीवारो को बेधता हुवा मेरा लंड जड़ तक गहराई मे उतर गया उनकी टाँगे मेरे कंधो पे पनाह माँग रही थी मेरे हर धक्के पे चूचियाँ बुरी तरह काँपते हुए हिल रही थी बिम्ला ने अपनी आँखो को बंद कर लिया था और मेरे नीचे पड़ी हुवी उस अनोखे आनंद को भोग रही थी अब उन्होने अपने हाथ उन विशाल चुचियों पे रख लिए
काले काले निप्पल्स को रगड़ने लगी इधर मैं धक्के पे धक्के मारे जा रहा था उनकी चूत अंदर से बिल्कुल चिकनी हो गयी थी लंड ऐसे दौड़ रहा था जैसे हाइवे पे कोई बेलगाम कार कोई पोने घंटे तक हमारा घमासान चलता रहा इस बीच बिम्ला की चूत दो बार झाड़ चुकी थी मेरे पैर कांप रहे थे जैसे उनकी सारी शक्ति किसी ने निचोड़ ली हो अब मैने उनकी टाँगो को नीचे किया और उनमे फिर से समा गया काकी पड़ी पड़ी है हॅयियी कर रही थी पर मैं उन्हे पागलो की तरह चोदे जा रहा था और फिर एक जोरदार एहसास को प्राप्त करते हुए मैं उनकी चूत मे ही झड गया जब मैने लंड को बाहर निकाला तो बहता हुआ भी वीर्य चूत से बाहर निकलने लगा जिसे मैने वहाँ पड़े तोलिये से पोंछ दिया
काकी कुछ देर पड़ी रही फिर बोली मैं फटा फट से चाइ नाश्ता बना देती ख़ाके चला जइयो तो मैने कहा कि कर तो लिया नाश्ता और उनकी तरफ आँख मारी वो हंसते हुए बोला आता रहियो मैने कहा कि देखूँगा और स्कूटर को किक मारी और अपने खेत पे जाके देखा तो पूरी सीमेट बर्बाद हो गयी थी अब मैं चला घर की ओर रात भर बारिश ने तगड़ा उधम मचाया था हवा मे नमी होने से ठंड लगने लगी थी जल्दी ही घर पहुच गया और अपने बिस्तर पे जाके पसर गया थोड़ी देर बाद मम्मी आई तो मैने बताया कि पूरी सेमेंट खराब हो गयी और थोड़ा और नुकसान भी हुआ हैं मम्मी बोली मुझे तो तेरी बड़ी चिंता हो रही थी
मैने कहा हाँ एक दम से बारिश हो गयी थी तो मैं बिम्ला काकी के घर चला गया था तो वो बोली ये तूने अच्छा किया तो बोली जल्दी से तैयार हो जा कॉलेज भी तो जाना हैं मैने कहा हाँ और बाथ रूम मे घुस गया तैयार होते होते मैं थोड़ा लेट हो गया था आज टेंपो मे मिता ना मिली मैं भागता हुआ क्लास मे दाखिल हुआ वो अपनी सीट पे बैठी थी मैं भी बैठ गया उसने पूछा आज लेट कैसे तो मैने कहा बस हो गया लंच ब्रेक मे मैने अपना गिफ्ट पॅक निकाला और उसे दिया तो उसने बड़ी ही विनम्रता से मना करते हुए कहा कि वो उसे नही ले सकती कोई क्या सोचेगा मैने कहा एक बार देख तो लो वो बोली प्लीज़ तुम समझो एक लड़की एक लड़के से ऐसे गिफ्ट लेगी तो क्लास मे बाते होंगी और वो अपनी इमेज को लेकर बहुत ही क्लियर हैं
मेरा मन थोड़ा भारी हो गया मैने बॉक्स को वही बेंच पे रखा और बाहर आ गया साँस जैसे अटक सी गयी थी बाकी टाइम मैं क्लास मे गया ही नही लाइब्ररी मे ही बैठा रहा जब छुट्टी हुवी तो मैं धीमे कदमो से कॉलेज गेट की ओर चल पड़ा तभी मिता भागते हुई मेरी तरफ आई उसकी सांस फूल रही थी वो हान्फते हुए बोली अरे तुम क्लास मे क्यों नही थे तो मैने झूठ बोल दिया कि थोड़ी तबीयत ठीक नही थी इसलिए लाइब्ररी मे ही बैठ गया था उसने मेरे माथे पे हाथ रखा और बोली बुखार तो नही हैं,ये उसका पहला स्पर्श था फिर वो बोली आओ चलते हैं
मैने कहा हम, बाजार का रास्ता पार कर ही रहे थे कि इन्द्रदेव को गुस्सा आ गया बारिस एक बार फिर से चालू हो गयी सभी लोग बचने को इधर उधर भागे हम पे भी बौछारे पड़ने लगी हम दोनो एक दुकान के बाहर टीन शेड के नीचे खड़े हो गये हालाँकि बारिश से तो बच गये थे पर कोई कोई बूँद शरीर पे फिर भी पड़ ही जाती थी कोई एक घंटे तक बारिश होती रही हम दोनो एक दूसरे से सट के खड़े थे क्योंकि और भी हमारी तरहस्टूडेंट्स बारिश से बचने को वही पे अड्जस्ट हो गये थे,खैर किसी तरह बारिश रुकी हम अपनी राह चल पड़े तभी वो बोली अगर तुम मुझे कुछ गिफ्ट देना चाहते हो तो प्लीज़ थोड़ा छुपा के देना क्लास मे वैसे भी बाते बनती रहती हैं,
मैं तुम्हे अपना दोस्त मानती हू पर मैं एक लड़की भी हू हर चीज़ को देखना पड़ता हैं मैने उसे सॉरी कहा तो वो बोली प्लीज़ थोड़ा ध्यान रखना आगे से अब मुझे थोड़ा चैन मिला तभी उसने कहा कि हर सनडे वो उनके गाँव मे माता के मंदिर जाती हैं 9 बजे मैने कहा कि ये तो बहुत ही अच्छा हैं, वो बोली रे बुद्धू मेरे कहने का मतलब था कि अगर हो सके तो तुम भी दर्शन करने आ जाना मैने कहा मैं ज़रूर आउन्गा फिर हम ने टेंपो पकड़ा आज सवारियाँ ज़्यादा थी तो बाहर ही लटकना पड़ा आज थोड़ा लेट हो गया था घर पहुचते पहुचते फटाफट कपड़े चेंज किए खाना वाना खाया और किताबो को लेके बैठ गया साढ़े पाँच के लगभग हो चुके थे
तभी ध्यान आया कि प्रीतम का करार भी हैं तो सीधा भागा जंगल की ओर कोई आधा घंटा और लग गया जैसे तैसे पहुचा पर बारिश का सीज़न होने के कारण पेड़ पोधो पे भी कुछ ज़्यादा ही निखार आ गया था हर तरफ बस हरियाली ही हरियाली छाई हुवी थी जंगल और भी घना लगने लगा था थोड़ा टाइम लगा पर मैने साली कमिनि को ढूँढ ही लिया प्रीतम बोली कितनी देर से तेरी राह देख रही हू बस वापिस जाने ही वाली थी मैने कहा दोपहर मे बारिश के कारण आने मे लेट हो गया बस पहुँचा ही हू तो वो बोली चल अब देर मत लगा देख ये कितना पानी छोड़ रही हैं और अपनी चूत को मसल्ने लगी मैने उसके गालो को थप थपाया और बोला अभी करता हू इसका इलाज़ .
हम दोनो जंगल मे अंदर की ओर चल पड़े आज हम काफ़ी दूर निकल आए थे यहाँ पे इतनी ज़्यादा रोशनी नही थी एक सेफ सी जगह देख कर मैने प्रीतम को अपनी बाहों मे दबोच लिया और उसे चूमने लगा वो बोली जल्दी ही ही काम सुलटा दियो एक तो तू लेट आया हैं और फिर घर पहुचते पहुचते अंधेरा भी हो जाएगा मैने कहा तू मत घबरा और अपना हाथ उसकी सलवार मे डाल दिया और कच्छि के उपर से ही उसकी मोटी चूत को मसल्ने लगा हमारे होंठ एक दूसरे से जुड़ चुके थे आज उसके होन्ट बड़े रसीले लग रहे थे मैने काफ़ी देर तक उनका रस निचोड़ा .
फिर फटाक से अपनी ज़िप खोली और अपना लॉडा बाहर निकाल लिया वो नीचे बैठी और उसे अपने मूह मे लेके चूसने लगी मज़ा ही तो आ गया, मैने उसके सर को पकड़ लिया और उसके मूह को चोदने लगा करीब 5 मिनिट तक लंड चूसाने के बाद मैने उसे खड़ा किया और सलवार को खोल दिया कच्छि को सरकाया और उसे घुटनो के बल खड़ी करते हुए अपने लंड को चूत मे डाल दिया उसकी आहह निकली उसने अपने हाथ घुटनो पे रखलिए और चुदने लगी मैं उसकी कमर को थामे हुए उसे चोदने लगा , प्रीतम अपने दाँतों को भींचे मेरे लंड को अपनी चूत मे ले रही थी अब मैने उसके सूट को थोड़ा उपर की तरफ किया और अपने हाथों से उसके बोबो को पकड़ लिया
और उन्हे ब्रा के उपर से ही मसल्ने लगा प्रीतम की सिसकारी फूट उठी वो धीमे धीमे मोन करने लगी थी काफ़ी देर तक मैं उसे ऐसे ही चोद्ता रहा पर अब मेरे पैर दुखने लगे थे मैने उसे हटाया और वही ज़मीन पर घोड़ी बना दिया उसके गोरे गोरे चुतडो का कटाव बड़ा ही मस्त था जी मे तो आया कि सीधा गान्ड मे ही घुसा दूं प्रीतम ने अपनी गर्दन पीछे घुमाई और बोली क्या सोच रहा हैं अब डाल ना अंदर तो मैने अपने लंड को चूत के छेद पे रखा और बस टोपी को ही अंदर जाने दिया उसने अपनी गान्ड को हिलाया ये सिग्नल था उसका पर मैं बस टोपी टोपी को ही अंदर बाहर करता रहा प्रीतम चुदासी हो रही थी और मैं उसके मज़े ले रहा था
फिर मैं ईक ही झटके मे लंड को चूत मे पहुचा दिया और प्रीतम की चूत मारने लगा काफ़ी दमदार चुदाई चल रही थी पसीना मेरे माथे पे छू आया था तभी प्रीतम काँपते हुवी आवाज़ मे बोली जलल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल दी ईईईईईईईईईईईईईईईईई झलल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्लदीीईईईईई करंन्नईनननननननननननननननननननननणन्नाआआआआआआआआआआ मेरााआआआआआआआआआआअ होनीईईईईई वलाआआआआआआआआ हियंन्ननननननननननननननननननननननननननननननननननननननननननननननननननणणन्
और अपनी कमर पीछे को करने लगी मैने फॉरन से अपने लंड को बाहर निकाला और उसकी उभरी हुई चूत पे अपनी जीभ रखड़ी जैसे ही जीभ का स्पर्श उसकी चूत से हुआ उसका काम रस बह चला उसने अपनी गान्ड को मटकाते हुए मुझे त्रप्त कर दिया था तो मैं एक बार फिर से लंड को चूत के दर्शन करवाए और धक्के लगाने लगा मैं अब बहुत ही तेज गति से प्रीतम को चोदे जा रहा था30-40 शॉट जल्दी जल्दी लगाए और अपने पानी से उसकी चूत को धो दिया ।
जैसे ही मेरा काम हुआ प्रीतम उठी और अपनी सलवार को उपर चढ़ाते हुए नाडा बाँधने लगी मैने भी लंड को पेंट मे डाल लिया फिर हम वहाँ आए जहाँ उसकी कटी हुवी लकड़ियो का गत्थर पड़ा था वो मैने उसके सर पे रखा और वो अपनी गान्ड को कुछ ज़्यादा ही मटकाते हुए चल पड़ी मैने दूसरा रास्ता पकड़ लिया .
फिर मैं थोड़ी देर बस स्टॅंड पे घुमा और फिर घर आ गया कुछ देर किताबो मे सर खपाया फिर भोजन का आनंद प्राप्त किया चाचा आए नही थे तो एक बार फिर मुझे कुँए पे जाना था मैं पैदल ही चल पड़ा ,घूमते घूमते जब मैं वहाँ पहुचा तो देखा कि एक कमरे की छत तो आज डाल दी गयी थी बस दूसरे की बची थी खाट को बिछाया और पसर गया एक मन तो किया कि बिम्ला काकी की चूत फिर से मारी जाए पर फिर ना जाने क्यों कॅन्सल कर दिया कुछ ही देर मे नींद आ गयी सूभ मैं उठा फ्रेश वग़ैरा हुआ ऑर घर की ओर चल दिया पापा बाहर ही बैठ कर अख़बार पढ़ रहे थे मुझे देखके बोले आज तू छुट्टी कर लियो कुँए का काम तो लगभग हो ही चुका हैं जो बचा हैं तू संभाल लियो तभी मुझे एक आइडीया आया
आक्च्युयली हमारे घर के पिछली तरफ हमारी थोड़ी जगह खाली पड़ी हुई थी तो मैने कहा पापा क्यों ना हम एक कमरा पिछे भी बनवा ले काम तो चल ही रहा हैं,और उधर की जगह भी कंट्रोल मे हो जाएगी तो वो बोले ठीक हैं करवा लियो फिर मैं अंदर चला गया दिन ऐसे ही बीत रहे थे मिता से मेरी नज़दीकिया और गहरी होती जा रही थी पूरा टाइम पता नही कब ख़तम हो जाता था कॉलेज की पढ़ाई का प्रेशर फिर घर के पचासो काम हालत बहुत ही बुरी हो गयी थी मैं चाची को बुरी तरह से चोदना चाहता था पर वो मान ही ना रही थी और आज कल तो किस विस भी ना के बराबर ही थी प्रीतम तो दिखाई ही नही देती थी दिन बस कट ही रहे थे किसी तरह से खेतो मे बाज़रे की फसल लहलहाने लगी थी बस कटाई कुछ ही दूर थी पूरा डेढ़ महीना हो गया था चूत की शकल ना देखी ,
मैने अपना डेरा नये बनाए कमरे मे बसा लिया था इसके दो फ़ायदे अगर रात को प्रीतम के घर चला भी जाउ तो मेरे घर वालो को कुछ पता नही चलना था और मुझे पूरी आज़ादी थी एक दिन प्रीतम को मैने रास्ते मे रोक लिया और बोला कब देगी मैं तो मरा जा रहा हूँ वो बोली क्या करूँ माँ पीछा ही नही छोड़ती मैं खुद फसि पड़ी हू तू थोड़ा रुक मैं करूँगी कुछ ना कुछ मुझे थोड़ी तस्सली मिली जिस साइड मे हमारा नया वाला कमरा बना हुआ था उधर वाली साइड मे बस एक ही घर था क्योंकि उसके आगे पहाड़ अड़ा हुवा था वो घर पप्पू भाई का था उसकी सब्ज़ी की दुकान थी बस स्टॅंड पे वैसे तो आदमी अच्छा था परंतु कभी कभी शराब पी के उसकी पत्नी को पीट देता था कई बार मैं उसकी दुकान से फ्रूट खरीदता था ऐसे ही एक दिन रात को कोई 11 बजे होंगे मैं पढ़ ही रहा था तभी मैने कुछ रोने की आवाज़ सुनी मैने गेट खोला तो देखा कि पप्पू अपनी पत्नी को पीट रहा था तो मैने जाके बीच- बचाव किया और उसे समझाया तो वो मान गया और सो गया भाभी बुरी तरह रोए जा रही थी मैने उन्हे थोड़ा पानी पिलाया और शांत किया और उनके आँसुओ को पोंछ दिया थोड़ी देर बाद मैं वापिस आ गया उसके बाद जब भी भाभी मुझे मिलती मेरी ओर देख के हंस देती थी मैं भी मुस्कुरा के जवाब दे देता था थोड़ा समय और बीत गया एक दिन दादी बोली बेटा मुझे मंदिर तक छोड़ के आजा आज वहाँ कीर्तन हैं तो मैने कहा मम्मी को कह दो तभी मुझे याद आया कि मिता ने बताया था कि वो हर सनडे मंदिर जाती हैं इतनी इम्पोर्टेंट बात कैसे भूल गया संयोग से
अगले दिन सनडे ही था तो उस दिन कोई 8 बजे मैं मिता के गाँव की तरफ चल पड़ा साइकल साइड पे लगाई और मंदिर की तरफ चल पड़ा बहुत ही बड़ा और सुंदर मंदिर था माता रानी के दर्शन किए और मंदिर मे घूमने लगा जैसे ही मैं पिछली वाली साइड मे गया तो देखा कि मिता वहाँ कबूतरो को दाना खिला रही हैं, उसे देखते ही धड़कने बेकाबू हो गयी थी मेरी सादगी मे लिपटी हुवी साँवली सी मूरत हल्के नीले रंग के सूट मे बहुत ही प्यारी लग रही थी जैसे ही उसकी नज़र मुझपे पड़ी उसके चेहरे पे लाली बढ़ गयी वो बड़े ही सलीके से मेरे पास आई और बोली तो आज फ़ुर्सत आई हैं तुम्हे यहाँ आने की मैं कुछ बोलने ही वाला था कि उसने मुझे अपने पीछे आने का इशारा किया थोड़ी दूर एक सुनसान सी जगह थी वहाँ पे पत्थरो पे हम दोनो बैठे हुए बातें कर रहे थे ऐसे ही एक अजीब सा खुमार चढ़ने लगा था फिर वो बोली अब मैं चलती हू मैं उसे रोकना चाहता था पर रोका नही बस उसे जाते हुए देखते रहा घर पहुचते पहुचते दोपहर हो गयी थी मैं बहुत ही ज़्यादा खुश था खुशी छुपाए नही छुप रही थी मैने मम्मी को आवाज़ लगाई पर वो घर मे नही थी तो मैं चाची के पास गया और मम्मी को पूछा तो उन्होने कहा कि बेटा तेरे लिए एक बुरी खबर हैं मैं थोड़ा डर सा गया कि कही मेरे कांडो का पता तो नही चल गया घरवालोको
मैने पूछा क्या हुआ तो उन्होने कहा कि आज तेरी प्रीतम की सगाई करने लोग आए हुए हैं और मम्मी उन्ही के घर गीतो मे गयी हैं अब साला ये क्या स्यापा हो गया मैने कहा इसमे बुरी खबर क्या हैं चाची ये तो होना ही था हर लड़की का रिश्ता एक ना एक दिन होता ही है, तो वो बोली तुझे सच मे बुरा नही लग रहा क्या तो मैने कहा नही पर अंदर ही अंदर मैं हिल गया था
एक वो ही तो थी जो मेरे लंड की प्यास जब चाहे बुझा देती थी पहले अनिता भाभी अब प्रीतम की भी सगाई हो गयी थी चाची बोली अब तेरा काम कैसे चलेगा तो मैने कहा वो कॉन सा डेली ही मेरे साथ सोती थी और जिसकी आप जैसे चाची हो उसे भला क्या कमी होगी कहते हुए मैने उनकी चूची को भींच दिया वो बोली अभी रुक बताती हू पर मैं सीधा अपने कमरे मे भाग गया कुछ दिन ऐसे ही ओर गुजर गये
एक दिन शाम को मैं अपना कमरा खोल के बैठा ही था कि शीला भाभी आ गई वो बोली इतना थोड़ा सामान क्यों हैं यहाँ तो मैने कहा भाभी मेरा कमरा तो अंदर हैं ये तो बस मैं पढ़ाई के लिए यूज़ करता हूँ वो बोली अच्छा हैं और मेरे फोल्डिंग पे बैठ गयी कुछ देर बात करनी के बाद वो बोली मैं चाइ बना रही हूँ तुम भी आ जाओ मैने उन्हे मना किया तो वो बोली मैं दूसरी जात की हू इसलिए हमारी चाइ नही पियोगे तो मैने कहा कमाल करती हो भाभी ऐसी बात दुबारा मत करना आप चलो मैं थोड़ी देर मे आता हू और उनके घर चला गया छोटा सा आशियाना था उनका दो कमरे और साइड मे एक तीन शेड डालके रसोई बनाई हुवी थी उनके लिए बहुत था उन्होने मुझे कुर्सी दी और चाइ का गिलास पकड़ा दिया हम चाइ पीते पीते बात कर रही थे
मैने पूछा भाभी आप पूरा दिन बोर नही होते तो वो बोली इनका स्वभाव तो तुम जानते ही हो इनकी अपने भईओ से बनती नही तो मैं उधर जा नही सकती बस ऐसे ही टाइम पास कर लेती हू अब तुम इधर रहने लगे हो तो हमे भी सहारा हैं, मैने कहा वो तो हैं भाबी फिर मैने चाइ के लिए उनका धन्यवाद किया और वापिस आ गया मैने कुछ सोचा और प्लॉट की तरफ चल दिया वहाँ जाके तान्क झाँक की तो पता चला कि प्रीतम अपने बाडे मे हैं मैं सीधा वहाँ चला गया उसने मुझे देख के अनदेखा किया और अपना काम करती रही मैने कहा क्या बात हैं नाराज़ है क्या तो वो बोली कि अब मेरी सगाई हो गयी हैं मैं एक नयी शुरुआत कर रही हू तो मैने कहा मैं तो बस तुझसे एक बार मिलना चाहता था वो बोली मैं कोशिश करूँगी तो
मैने कहा कि आजकल मैं हमारे घर के पिछे की तरफ वाले कमरे मे रहता हू मोका लगे तो आ जइयो उसने कहा कि वो देखे गी दिन बहुत ही तेज गति से गुज़रते जा रहे थे सर्दियो ने दस्तक देनी शुरू कर दी थी चूत मारे पता नही कितने दिन हो गये थे अब तो याद भी नही था एक दिन कोई 7 बजे शाम को मैं अपनी स्टडी टेबल पे बैठा था किवाड़ खुले ही थे तभी प्रीतम धड़ धड़ाते हुए आ गयी और मुझसे लिपट गयी मैं हैरान हो गया कि ये यहाँ बिना बताए और वो भी ऐसे टाइम पे उसने मेरे होंटो पे एक किस दिया और बताया कि वो आज लास्ट टाइम के लिए आई हैं
आज के बाद वो मुझे कभी नही मिलेगी तो मैं उसे आज लास्ट टाइम चोद लू हालाँकि मेरा लंड निक्कर मे तन गया था पर मैने कहा दोस्ती की हैं तुझसे चूत का क्या हैं वो तो और भी मिल जाएँगी पर तेरे जैसे दोस्त नही मिलेगी उसकी आँखे थोड़ी नम हो गयी मैने उसे अपने सीने से लगा लिया कुछ देर हम ऐसे ही खड़े रहे फिर मैने उसे कहा अब तू जा वो जाने क लिए मूडी ही थी कि फिर से मेरे गले लग गयी और एक जोरदार किस शुरू कर दी पूरे 10 मिनट तक वो किस करती ही रही फिर मैने उसे हटाया और कहा मैं तुझे कुछ देना चाहता हू तो वो बोली तेरे साथ इतना टाइम बिताया वो ही बेस्ट गिफ्ट हैं और बाहर चल पड़ी जैसे ही वो निकली शीला भाभी अपने गेट से बाहर आ निकली उन्होने प्रीतम को मेरे यहाँ से निकलते हुए देख लिया पर प्रीतम ने कोई गोर ना किया और अपने रास्ते चली गयी
शीला मेरे पास आई ओर बोली जी ये यहाँ क्या लेने आई थी मैने कहा कि ये मेरी दोस्त हैं और मुझसे मिलने आई थी और आप प्लीज़ किसी को जिकर ना करना . भाभी ने एक शरारती मुस्कान मेरी ओर फेक्ते हुए कहा जी बिल्कुल ठंड बढ़ने लगी थी रज़ाईयाँ बाहर आ चुकी थी दीवाली कुछ ही दिन दूर थी कॉलेज भी बंद पड़ा था पर इन दिनो शीला के व्यवहार मे थोड़ा चेंज आने लगा था जब भी मुझे बात करती तो चुन्नी नही डालती थी और कई कई चक्कर लगा देती थी या अपने गेट से मेरे कमरे की तान्का झाँकी करती ही रहती थी अब मैं थोड़ा शीला की बारे मे बता दूं उमर कोई 33 के आस पास होगी उसका एक लड़का हैं जो उन दिनो अपनी बुआ के गया हुआ था शीला का रंग एक दम काला हैं पतली सी हैं चूची भी कुछ खास नही हैं पर नैन-नख्श बहुत ही तीखे हैं हाइट भी थोड़ी छोटी ही थी
उस दिन साढ़े 9 बज रहे थे सब लोग अपने अपने बिस्तरॉ मे दुब्के पड़े थे लाइट का हाल तो आपको पता ही हैं कि गाँवो मे उसके दर्शन कम ही होते हैं, मैं लॅंप की रोशनी मे अपनी किताबो मे खोया हुआ था कि पप्पू केघर से कुछ आवाज़ आई मैं उधर गया तो देखा कि वो नशे मे बुरी तरह धुत्त है पैर ज़मीन पे टिक ही नही रहे थे और वो शीला को गालिया बक रहा था तभी वो उसे मारने भागा पर मैने उसे पकड़ लिया नशा इतना ज़्यादा था कि वो मुझे पहचान नही पाया और गुस्से मे बड बड़ाने लगा मैने उसे धमकाया तभी उसने शीला को धक्का दे दिया मुझे बहुत गुस्सा आया मैने दो चार रख दिए उसे वो पलंग पे पड़ा और बेसूध सा हो गया
मैने उसे उठाया और अंदर ले जाके पटक दिया और शीला बुरी तरह से कांप रही थी मुझसे उसका हाल देखा ना गया उधर पप्पू अब भी बड बड़ाये जा रहा था कि आज तो इस रंडी को मार के ही छोड़ूँगा आज इसकी मौत आई हैं मैने सोचा कि अगर इसे ऐसे ही छोड़ दिया तो फिर शीला को मारेगा कही इसकी हड्डी पसली ना तोड़ दे नशे नशे मे तो मैं वही बैठ गया पर वो साला सो ही नही रहा था हालाँकि उसपे नशा छाया हुआ था हिम्मत तो उसकी खाट से उठने की भी नही हो रही थी पर मैं रिस्क नही लेना चाहता था नशेडियों का क्या भरोसा क्या कर दे
तो मैने कुछ सोचा और शीला का हाथ पकड़ा और उसे घर्से बाहर ले आया और उसके गेट पे ताला लगा दिया वो हक्की बक्की मेरी ओर देखने लगी मैं उसे अपने कमरे मे ले आया मैने उसे पानी की बॉटल देते हुए कहा कि देख भाभी पापु नशे मे हैं क्या पता क्या कर बैठे मान ले तू सोई पड़ी हैं और वो तुझे बुरी तरह से पीटने लगे तो कोन बचाएगा तू इधर ही सो जा सुबह जल्दी चली जइयो तब तक वो भी ठंडा हो जाएगा एक रात की ही तो बात हैं
मैने दरवाजे की कुण्डी लगा दी हम दोनो एक दूसरे के आमने सामने खड़े थे शीला के चेहरे पे एक कसमकश थी मैने उसका हाथ पकड़ा और उसे फोल्डिंग पे बिठा दिया और बोला भाभी घबरा मत ये भी तो तेरा ही घर हैं वो घबराई सी आवाज़ मे बोली जी पर बिस्तर तो एक ही है तो मैने कहा कॉन से जमाने की है तू हम दोनो इसी मे अड्जस्ट करलेंगे एक रात की ही तो बात हैं वो बोली जी पर मुझे संकोच हो रहा हैं मैं पहले किसी गैर मर्द के साथ ऐसे नही सोई हू तो मैने कहा वाह भाभी कर दिया ना पराया अब मैं गैर हो गया तो वो बोली जी ऐसी बात नही हैं पर कही कुछ ग़लत ना हो जाए
ये सुनते ही मैं चोंका , ये तो एक मोका था उसे चोदने का इतने टाइम से ये बात दिमाग़ मे आई ही नही थी ,मैने उसे मक्खन लगाते हुए कहा भाभी क्या ग़लत हो जाएगा और फिर कुछ हो भी गया तो माफ़ कर देना क्या इस देवर का आप पे इतना हक़ भी नही है मैने कहा डरो मत कुछ नही होगा और फिर भी आपका मन नही कर रहा तो आप अपने घर चली जाओ पर जब पप्पू मारेगा तो मैं नही आउन्गा अब वो फँसी काफ़ी देर सोचने के बाद बोली जी आपकी बात ठीक हैं मैं यही रुक जाती हू आप कोई पराए तो नही हो कम से कम मार से तो बचूंगी और रज़ाई मे घुस गयी
मैने अपनी निक्कर और स्वेटर उतारी अब मैं खाली कच्छे बनियान मे था वो बोली जी कपड़े क्यों उतार रहे हो तो मैने कहा भाभी मैं तो ऐसे ही सोता हू और मैं भी रज़ाई मे घुस गया फोल्डिंग 2 लोगो के हिसाब से थोड़ा छोटा था हमारे जिस्म एक दूसरे से सटे हुए थे कुछ देर ऐसे ही पड़े रह फिर मैने पूछा भाभी सो गयी क्या तो वो बोली जी नींद नही आ रही हैं वो दूसरी तरफ करवट लेके लेटी हुवी थी उनकी पीठ मेरी तरफ थी मैं भी उस से सट गया था मेरा लंड कच्छे मे सिर उठाने लगा था मैने अपने हाथ उसके पेट पे रख दिया और सहलाने लगा उसका पेट बुरी तरह काँपने लगा वो थर थराती आवाज़ मे बोली जीिइईईईईईईई कयययययययययययययययययययययययययययययययी कर रहीईईईईईईईईई हूऊऊऊऊऊऊऊऊ मैने कहा कुछ भी नही मैने लंड को कच्छे की क़ैद से आज़ाद कर दिया अब मेरा लंड उसकी गान्ड पे सॉफ महसूस हो रहा था मैने उस से ऐसे चिपका पड़ा था जैसे किसी ने फेविकोल से चिपका दिया हो मैं उसके पेट को सहलाए जा रहा था तभी मैने अपनी उंगली शीला की नाभि मे डाल दी और अंदर बाहर करने लागा वो फिर बोली जी ये आप क्या कर रहे हो ये ठीक नही है
मैं उसके कान मे धीरे से बोला की भाभी देवेर तो बस आपसे थोड़ा खेल रहा हैं वो बोली जी ऐसा खेल ठीक नही हैं मैने अपना हाथ उसकी छोटी छोटी चूची पे रखते हुए कहा भाभी ऐसा खेल रोज रोज तो होता नही हैं आज तो खेल के ही मानूँगा और चूची को दबाने लगा शीला भी पूरी औरत थी वो समझ तो गयी ही थी कि मैं क्या कहना चाह रहा हू उसने मेरे हाथ को पकड़ लिया और बोली जी ये ठीक नही हैं मैने कहा भाभी मैं बहुत दिनो से तुम्हे चाहता हू क्या मुझे तुम्हे थोड़ा प्यार करने का हक़ भी नही हैं
तो वो बोली जी हक़ तो है पर मेरी तो इज़्ज़त चली जाएगी ना मैं अपने पति को मूह कैसे दिखाउन्गि तो मैने कहा भाबी इसमे कोई बदनामी नही होगी तेरी और उसका हाथ अपने लंड पे रख दिया मेरे गरम लंड को महसूस करते ही शीला मे करंट दौड़ गया उसने अपना हाथ हटा लिया और बोली जी आप रुक जाओ मुझे खराब मत करो मैने दुबारा उसका हाथ अपने लंड पे रख दिया और बोला वैसे तो अपना मानती हो और आज पराया समझ रही हो भाबी आपको मेरी कसम एक बार मेरी प्यास बुझा दो प्लीज़
तो वो कुछ नही बोली बस मेरे लंड को अपनी मुट्ठी मे कस लिया और बोली तेरा ये तो बहुत बड़ा हैं उनका तो इस से पतला हैं, अब मैने उन्हे दुबारा से लिटा दिया और उनसे फिर चिपक गया वो बोली जी आप पे भरोसा करके अपनी इज़्ज़त आपको दे रही हू मेरी बदनामी ना करवाना
मैने कहा कुछ नही होगा मैने उनका चेहरा अपनी ओर किया और उनके काले काले होंटो को अपने होंटो मे भर लिया शीला काली बेशक थी पर थी गान्डस औरत उनके होन्ट डार्क चॉकलेट की तरह थे मैं पूरे मज़े से उन्हे चूसे जा रहा था वो अपने हाथ से मेरे लंड को सहला रही थी काफ़ी देर तक उसके होंटो का रास्पान करने के बाद मैं हटा रज़ाई के अंदर बहुत ही गर्मी हो गयी थी मैने उसकी चूची को चोली के उपर से ही दबाना शुरू किया वो आहे भरने लगी