05-12-2020, 05:28 PM
मैं उठा और पानी की बॉटल अपने मूह से लगाली तभी प्रीतम ने लाइट जला दी और अपने बालो को बाँधते हुवे बोली मैं नीचे सोने जा रही हू तुम दोनो एंजाय करो अगर मेरा मन हुआ तो मैं फिर आ जाउन्गि तब तक तुम लगे रहो और नंगी ही नीचे चली गयी अब बचे हम दोनो ज्योति ने बेड की चादर अपने पे लपेट ली थी मैने किवाड़ को बंद किया पर कुण्डी नही लगाई और बेड पे आके ज्योति के पास बैठ गया हमारी आँखे एक दूसरे से टकराई वो शरमाते हुवे बोली प्लीज़ बल्ब बुझा दो तो मैने कहा फिर मैं तुम्हारे इस मादक जिस्म का दीदार कैसे करूँगा तो उसने अपने चेहरा नीचे की ओर कर लिया मैने उसके मुखड़े को अपने हाथो से उपर की ओर उठाया और उसके होंटो पे अपनी उंगलिया फेरने लगा
उसका बदन पता नही क्यों कांप रहा था तो मैने उसे बिल्कुल रिलॅक्स होने को कहा और बोला कि अगर वो कंफर्टबल नही है तो रहने देते हैं तो वो बोली नही ठीक हैं तो मैने अपना हाथ उसकी गर्दन मे डाला और उसे थोड़ा मेरी ओर खींच लिया ज्योति कसमसाने लगी मैने देर ना करते हुवे उसके गालो को चूम लिया अब गरम तो वो थी ही बस थोड़ा ठहराव आ गया था गालो को चूमते चूमते मैं उसके हल्के लाल लाल होंटो की ओर बढ़ रहा था और फिर मैने अपने होंठ उसके होंटो से जोड़ दिए ऐसा लगा जैसे को पिघली हुवी आइस क्रीम हो धीरे से मैने उसके शरीर पे लिपटी चादर को एक साइड कर दिया और उसकी पीठ सहलाने लगा फिर उसे लिटा दिया और उसका हाथ अपने लंड पे रख दिया
अबकी बार उसने बिना किसी शरम के उसे थाम लिया मैं एक बार फिर से उसके कोमल अधरो का रस चूसने लगा वो उत्तेजना के शिखर की ओर अग्रसर होने लगी उसके हाथ का दबाव लंड पे बढ़ता ही जा रहा था ज्योति का बदन ऐसे तप रहा था जैसे उसे बुखार चढ़ा हो अब मैने उसके बोबे को चूसना शुरू किया और उसकी चूत पे अपनी उंगलिया फेरने लगा बिना बालो की एक दम करारी चूत जिसपे आज मेरे लंड की मोहर टिकने वाली थी उसकी निप्पल बिल्कुल गुलाबी रंग की थी वो खुद मेरे चेहरे को अपनी छातियों पे दबाए जा रही थी जब मेरी उंगलिया उसकी चूत से टकराई तो मैने गीलापन सॉफ मह सूस किया उसकी चूत थोड़ी लंबी सी थी बाकियों से थोड़ी अलग सी मैं उसके दाने को जोरो से रगड़ने लगा
उसकी टाँगे अकड़ने लगी मैं थोड़ा उपर हुआ और उसके होंठो को एक बार फिर अपने मूह मे भर लिया मैं बहुत ही ज़ोर से उंगली करता जा रहा था ज्योति बुरी तरह कांप रही थी मैने दूसरी उंगली भी चूत मे सरका दी और पूरी स्पीड से अंदर बाहर किए जा रहा था उसका हाल बहुत बुरा हो रहा था फिर मैं झट से नीचे आया और चूत पे अपने होंठ टिका दिए अब मेरी जीभ उसे अपना कमाल दिखाने लगी वो 5 मिनिट भी ना टिक पाई और अपना गाढ़ा सफेद पानी छोड़ दिया और किसी लाश की तरह पसर गयी उसकी आँखे बंद थी और छातिया किसी ढोँकनी की तरह उपर नीचे हो रही थी मैं उसके पास लेट गया और उसे से सट गया उसने आँख खोली और बड़े प्यार से मेरी ओर देखने लगी
मैने कहा ज्योति इसे चुसोगी तो उसने अपना सर हां मे हिला दिया और मेरी टाँगो के पास बैठ ते हुवे लंड को अपने मूह मे भर लिया और तुरंत ही निकाल भी दिया और थूकते हुवे बोली ये तो खारा खारा हैं असल मे उसपे मेरा और प्रीतम का काम रस लगा हुआ था जो मैने सॉफ नही किया था तो मैने कहा कुछ नही होता जानेमन दुनिया तो इसे चाटने के लिए मरती है और तुम्हे पसंद नही आ रहा तो उसने उसे पानी से धोया और चूसने लगी उसकी जीभ का स्पर्श बहुत ही जबरदस्त था मेरे हाथ खुद ब खुद उसके सर पे कस गये वो बड़ी ही अदा से लंड चूस रही थी पहले वो उसे पूरा मूह मे लेती चुस्ती और झट से बाहर निकाल देती थी
दस मिनिट तक ऐसा ही चलता रहा फिर मैने उसे लिटाया और उसकी जाँघो को अपनी जाँघो पे चढ़ा लिया और लंड को चूत के मूह पे सेट कर दिया अब बस देर थी घुसने की मैने थोड़ा ज़ोर लगाते हुवे पहले ही झटके मे लगभग आधा लंड उसकी चूत मे डाल दिया था उसका बदन थोड़ा अकड़ सा गया मैने पूछा क्या हुवा वो बोली दर्द हो रहा हैं तो मैं बोला कि तुम पहले भी तो करवा चुकी हो तो उसने कहा कि करवाया तो है पर बस 4-5 बार ही इसी लिए दर्द हो रहा हैं तो मैने कहा घबराओ मत कुछ नही होगा और अगले धक्के मे पूरा लंड जड़ तक ज्योति की चूत मे घुसा दिया वो चीखते हुवी बोली मारो गे क्या थोड़ा रुक भी जाते आप तो बेदर्दी निकले मैं आपके पास ही थी
इतनी जल्दी किस लिए उसकी आँखो मे आँसू आ गये और गालो पे बहने लगे मैने उसके आँसू चाट लिए और उसके कान मे कहा थोडा अड्जस्ट करने की कोशिश करो ये दर्द बस कुछ ही देर मे गायब हो जाएगा और उसके होंठ चूमने लगा कुछ मिनिट बाद मैने लंड को थोड़ा सा खींचा और फिर से अंदर डाल दिया ज्योति की आआआआआआः निकल गयी मैं धीमे धीमे धक्के मारने लगा उसकी चूत बहुत ज़्यादा टाइट थी और मेरे लंड पे पूरा दवाब पड़ रहा था ज्योति ने अपनी बाहें मेरी पीठ पे कस दी और अपने दाँतों से मेरी गर्दन पे काटने लगी वो किसी जंगली बिल्ली की तरह बिहेवियर कर रही थी
मैने लंड को बाहर निकाला उसपे थूक लगाया और फिर से चूत मे धकेल दिया अब लंड चूत की सड़क पर सरपट दौड़ लगाने लगा ज्योति मेरी गर्दन पे बुरी तरह काट रही थी दूसरी तरफ उसके नाख़ून मेरी पीठ मे धन्से जा रहे थे तो मैने भी जोश मे उसके निचले होंठ को बुरी तरह काट लिया उसमे से खून की बूंदे छलक उठी वो कराहती हुवी बोली ऐसा मत करो ना तो मैने कहा अभी तुम क्या कर रही थी नीचे लंड गपा गॅप अंदर बाहर हो रहा था मेरी उंगलिया उसकी उंगलियो मे फसि पड़ी थी चुदाई अपने शबाब पे थी कमरे का वातावरण बहुत ही गरम हो चुका था मेरा लंड ज्योति की चूत को चौड़ा किए जा रहा था अब वो भी नीचे से धक्के लगाने लगी थी
फॅक फॅक की ही आवाज़ आ रही थी उसकी चूत से बहता पानी मेरी गोलियो तक को भिगो चुका था ऐसी गरमा गरम चूत तो आज तक नही मारी थी ज्योति मेरे कान मे फुस्फुसाइ कि उसकी पीठ मे दर्द होने लगा हैं तो मैने फॉरन एक तकिया उसकी कमर पे लगाया इस के दो फ़ायदे हुवे एक तो उसकी कमर को आराम मिला और दूसरा उसकी चूत और भी उभर आई मैने अब लंड को दुबारा सेट किया और फिर से उसमे समा गया उसकी आहें मुझे रोमांचित कर रही थी और मैं अपने अंत की ओर बढ़ रहा था मैने धक्को की रफ़्तार बढ़ा दी ज्योति बहुत मज़े से चुदवा रही थी
शायद वो भाँप गयी कि मैं झड़ने वाला हू तो वो बोली आप अंदर मत गिराना तो मैने कहा ओके और कस के धक्के लगाने लगा अब रुकना बहुत ही मुश्किल था बस कुछ ही पलो की बात थी मैने झट से अपना लंड बाहर निकाला और ढेर सारा वीर्य उसकी नाभि पे गिरा दिया और उसकी बगल मे लेट गया ज्योति भी अपनी सांसो को सभालने मे जुट गयी ज्योति ने अपनी नाभि मे एक उंगली डाली
और मेरे वीर्य को उंगली से चाटने लगी तो मैने कहा डार्लिंग अगर ऐसा था तो पहले ही कह देती तो तुम्हारे मूह मे ही डिसचार्ज हो जाता तो वो हंस पड़ी और धीरे धीरे पूरे वीर्य को चाट के सॉफ कर दिया इतना दिलकश नज़ारा तो कभी प्रीतम या भाभी नी भी नही दिखाया था फिर वो बोली मैं अभी आती हू पेशाब करके तो मैने कहा ओके और वो अपनी गान्ड मटकाती नीचे चली गयी मैं लेट गया कुछ देर मे ज्योति वापिस आ गयी और मेरे साथ लेट गयी मैने पूछा मज़ा आया तो वो शर्मा गयी मैने उस से बात करनी शुरू करदी
तभी मुझे सूझा कि क्यों ना दोनो लड़कियो को एक साथ चोदु कई ब्लूफिल्मों मे ऐसा देखा था तो मैं बोला ज्योति मैं अभी आया और प्रीतम के पास नीचे चला गया साली नंगी ही पसरी पड़ी थी मैने उसे जगाया और चॉबारे मे ले आया तो वो खीजती हुवे बोली अरे इतना अच्छा मोका दिया था तुम दोनो को फिर मुझे क्यों जगाया तो मैने कहा कि प्लान थोड़ा चेंज हो गया है डार्लिंग अब मैं तुम दोनो बहनोको एक साथ चोदुन्गा प्रीतम तो झट से एक्शिटेड हो गयी पर ज्योति बोली मुझे थोड़ा अजीब सा लग रहा हैं तो प्रीतम बोली नखरे मत कर और आजा थोड़ा उसको समझाने पे वो मान गयी तभी मैने प्रीतम से कहा कि यार मैने कई बार तेरा पिशाब पिया हैं
आज तू भी ट्राइ करेगी क्या तो वो बोली मैं तो हमेशा तैयार ही रहती हू और तेरे लिए तो कुछ भी कर सकती हू तो ज्योति बोली आप लोग बहुत गंदे हो चाइयीयैआइयैआइयैयीयीयियी ऐसा भी कोई करता हैं क्या प्रीतम नीचे बैठ गयी और लंड को अपने मूह मे भर लिया जैसे ही पेशाब निकलने लगा मुझे शरारत सूझी और मैने उसे बाहर निकाल दिया तो सीधी धार उसके चेहरे को भिगोनी लगी प्रेशर बहुत तेज़ था पूरा पानी उसके मूह से होता हुआ चूचियो को भिगोते हुवे पेट से होकर नीचे फर्श पे फैलने लगा तभी उसने दुबारा लंड को मूह मे भर लिया और पेशाब को अपने हलक मे उतारने लगी और अंतिम बूँद तक गटक गयी फिर उसने ज्योति की चुन्नी से खुद को पोन्छा
और बोली आजा ज्योति तुझे मैं पिलाती हू पर वो मना करने लगी तो मैने कहा ट्राइ तो करले पसंद आए तो ठीक वरना तेरी मर्ज़ी तो ज्योति ने जवाब दिया पर मैं लड़की होके लड़की के साथ कैसे ????????????????????????????????????????????????????????????????????? तो प्रीतम बोले मेरी चूतिया बहन इसी मे तो असली मज़ा होता हैं और आज जैसे मोके बार बार नहीमिलाकरते हैं तू बस सारी शरम लिहाज़ छोड़ दे और बस जो होता हैं उसे होने दे प्रीतम ने अपनी टाँगो को चौड़ा कर लिया और चूत पे उंगली फेरते हुवे बोली
आजा ज्योति तो ज्योति झुकी और उसने अपने होंटो को प्रीतम की चूत पे लगा दिया प्रीतम ने अपनी गान्ड को सिकोडा और अपने पेशाब को ज्योति के मूह मे छोड़ दिया प्रीतम ने उसके सर को बहुत कस के पकड़ा हुवा था तो ज्योति अब छुड़ा के भाग भी नही सकती थी तो मजबूरी मे उसे सारा पिशाब पीना पड़ा उसकी शकल ऐसी हो गयी थी जैसे कभी भी उल्टी कर देगी उसकी हालत देखके प्रीतम ज़ोर से हँसने लगी वो आगे बढ़ी और ज्योति कोआपनी बाहों मे भर लिया और उसको किस करने लगी ज्योति प्रीतम का ये रूप देख के हैरान हो गयी दोनो बहने एक दूसरे के होंटो को खाए जा रही थी मेरा लंड भी अपना सर उठाने लगा था दोनो की मोटी मोटी चूचियाँ एक दूसरे को पिच्काये जा रही थी
सीन बहुत ही उत्तेजित करने वाला था मैं अपने लंड को सहलाने लगा और बेड पे चढ़ गया मैने दोनो के चुतडो पे एक एक थप्पड़ लगाया और ज्योति को अपनी बाहों मे भर लिया तो प्रीतम भी कॉन सा पीछे रहने वाली थी मैने ज्योति के होंटो का रस पान करना शुरू किया और प्रीतम नीचे बैठी और ज्योति की चूत को चाटने लगी ज्योति की नस नस मे वासना का बुखार चढ़ना शुरू हो गया और उसने भी अपने हाथ से मेरे लंड को पकड़ लिया और उसे मसल्ने लगी उसके गरम हाथो की गर्माहट पाकर लंड और भी फूल गया आज पहली बार मैने उसकी उभरी हुई नसों को महसूस किया मेरे कान इतने गरम होरहे थे कि जैसे अभी उनमे से धुआ निकलने लगा हो
नीचे प्रीतम ज्योति की चूत मे तूफान मचाए हुवी थी ज्योति की टाँगे बुरी तरह काँप रही थी प्रीतम ने अब अपनी उंगली भी उसकी चूत मे सरका दी थी और उसके दाने पे बड़ी तेज़ी से जीभ रगड़ रही थी उपर मैं उसके होंटो को बुरी तरह निचोड़ रहा था ज्योति हमरे बीच फसि पड़ी थी तभी उसने जोरदार झटका खाया और अपना काम रस प्रीतम के मूह मे छोड़ दिया जिसे प्रीतम चटखारे लेते हुवी पी गयी आज की रात बड़ी जुल्मी थी और उपर से दो दो चुते फिर प्रीतम उठी और ज्योति को परे हटाते हुवे
मुझसे चिपक गयी और किस करने लगी तभी मुझे एक आइडिया आया
मैने दोनो को कहा कि एक साथ मेरा लंड चूसो और दोनो को नीचे बिठा दिया दोनो बारी बारी से लंड को अपने मूह की सैर करवाने लगी मैं तो सीधा जन्नत के दरवाजे पे पहुच गया दोनो के मिक्स थूक से पूरा लंड भीग गया था अब ज्योति के मूह मे मेरा लंड था और प्रीतम मेरी गोलियो को चूस रही थी ऐसा मज़ा तो आज तक कभी नही मिला था दो गरम चुदासी लड़किया और मैं दोनो अपनी जीभ का कहर ढाए जा रही थी मुझे बहुत तेज गुद गुदि होने लगी थी मैने उन्हे रुकने को कहा पर वो तो मेरी सुन ही नही रही थी बस ऐसे लगी थी जैसे आज के बाद कभी लंड के दर्शन होंगे ही नही मैने भी अपने आप को दो शिकारी कुत्तियो के आगे छोड़ दिया
दोनो मे होड़ लगी हुवी थी लंड को बेहतर तरीके से चूसने की मुझे पता था कि ये दोनो आज मेरा पानी पी के ही दम लेंगी मेरी उत्तेजना का ज्वालामुखी बस फूटने ही वाला था कभी भी मैं डिसचार्ज हो सकता था और फिर वो लम्हा आ ही गया मेरी टाँगे कांप उठी और लंड से निकलती सफेद पानी की धार दोनो रंडियो के चेहरे को भिगोने लगी उन दोनो के चेहरे खुशी से लाल हो गये थे दोनो बहने पूरे मज़े से मेरे वीर्य को चाट रही थी मुझे उन्हे देख के बहुत सकून मिल रहा था मैने एक तकिया लिया और बेड पे लेट गया और उन्हे भी अपने पास लिटा लिया आज की रात बड़ी जबरदस्त थी
आज मुझे औरत का एक अलग रूप ही देखने को मिल रहा था मैने कहा कि उम दोनो 69 ट्राइ करो बस कहने की देर थी प्रीतम झट से शुरू हो गयी कुछ ही पॅलो मे दोनो के सर एक दूसरी की जाँघो के बीच फसे पड़े थे उन्हे इस तरह देख के बड़ा अच्छा लग रहा था जैसे कोई पॉर्न मूवी चल रही हो मैने उन्हे अलग किया और ऐसी सिचुयेशन बनाई कि प्रीतम को बेड के सिरहाने पे बिठाया और ज्योति अब उसकी चूत को चूसने लगी थी वो घुट नो के बल झुकी हुई थी प्रीतम अपने आप खुद की चूचियों को मसल रही थी मैं भी कहाँ पीछे रहने वाला था मैने भी झुकी हुवी ज्योति के चुतडो पे अपने दाँतों से काटना शुरू कर दिया
ज्योति चिहुनक पड़ी दूसरी ओर प्रीतम ज़ोर ज़ोर से मोन कर र्हाहियीईईईईईईईईई थी आआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआअ ओहमाआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआ
आआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआमैंन्ननननननननननननननननननननननननननणणनतूऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊओमराआआआआ
आआआआआर्गइि
ईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईिओ कमिीईईईईईईईईईईईईईईईईनिईीईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईई और ज़ोर से छुउऊुुुुुुुुुुुुुुुुुुुुुुुउउस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्नाआआआआआआआआआआआआआआआआआ
आआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआ बुसस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्
स्स्स्स्स्सिया आईईईीईसीईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईई हीईीईईईईईई चुस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स
ज्योति अब ओर ज़ोर से प्रीतम की चूत चूसने लगी मैने भी ज्योति के चुतडो पी जीभ फेरते हुवे उसकी लंबी सी चूत की ओर अपने लबो को बढ़ाना शुरू किया ऐसी गोरी गोरी चूत चाटने को मिले तो लोग घी-दूध को भूल ही जाए मेरा लंड भी तन ने लगा था महॉल ऐसा था कि आज तो कामसूत्र का कोई नया ग्रंथ लिखा जा रहा हो प्रीतम ने अपनी मांसल टाँगो पे ज्योति के सर को ऐसे लप्पेट लिया था जैसे कोई नागिन ने कुंडली मारी हो ज्योति की लाल लाल चूत पूरी नदी बनी हुवी थी उसका रस मेरे होंटो से होते हुवे ठोड्डी तब को भिगो रहा था काफ़ी देर तक चुसाइ चलती रही मेरा तो फ्यूज ही उड़ गया था
लंड को बस अब चूत ही चाहिए थी तो मैने उसे प्रीतम की चूत से हटाया और उसे लिटाते हुए उसकी टाँगो को अपने कंधो पे रखा और एक ही झटके मे पूरा लंड ज्योति की चूत मे घुसा दिया ज्योति ने हल्की सी आहाः भरी और उसकी चूत ने मेरे लंड को बुरी तरह कस लिया अब मैने दना दान शॉट लगाने चालू किए प्रीतम कहाँ पीछे रहने वाली थी वो अब ज्योति के मूह पे आके बैठ गयी और दुबारा अपनी चूत को चटवाने लगी मेरे हर धक्के पे मेरे अंडकोष उसकी गान्ड पे टकरा रहे थे हम तीनो एक दूसरे मे खोए हुवे थे मैं ज्योति को कुचले जा रहा था उसकी गान्ड भी अब चुदाई की ताल पे थिरकने लगी थी तभी प्रीतम ने मुझे उसपे से हटाया
और गॅप से मेरे लंड पे बैठ गयी औ अंपनी गान्ड को उछाल ने लगी उस टाइम ज्योति को बहुत मज़ा आ रहा था लंड को अपनी चूत से ऐसे निकलते देख उसे गुस्सा आ गया वो बोली दीदी अभी तो मेरी बारी है आप रूको पर प्रीतम कभी कहाँ किसी की मानती और उसने ज्योति की तरफ ध्यान भी नही दिया और बस मेरे लंड पे उछलने लगी अब ज्योति अपनी चूत मे उंगली करने लगी और प्रीतम को गालियाँ भी बक रही थी मुझे हँसी आ गयी अब मैने प्रीतम को अपने उपर से हटाया और उन दोनो को एक साथ घोड़ी बन ने को कहा
तो वो तुरंत ही बन गयी उफफफफफ्फ़ क्या वर्णन करू उस सीन का कोई शब्द ही नही हैं दोनो के मदमस्त चूतड़ पूरी तरफ मेरी ओर उभरे हुवे और बस एक हल्की लकीर सी चूत की दरार मैने अपना लंड ज्योति की चूत मे डाला और उसे चोदने लगा फिर झट से लंड को निकाला और प्रीतम की चूत मे डाल दिया इस तरह मैं बारी बारी से दोनो को चोद ने लगा आज एक तड़प भरी चुदाई हो रही थी कुछ देर ऐसे ही करने के बाद मैने कहा तुम दोनो मे से एक को थोड़ी देर रुकना पड़ेगा तो प्रीतम बोली मैं बस झड़ने ही वाली हू तो पहले मुझे ठंडी करदो मैने ज्योति की ओर देखा तो उसने कहा ठीक है ।
तो मैं झट से प्रीतम पे सवार हो गया और पूरी ताक़त से उसे चोदने लगा कोई 5 मिनिट बाद ही उसकी साँसे तेज होने लगी मैने भी स्पीड और थोड़ी बढ़ाई और फिर उसकी चूत की पंखुड़ियो ने मेरे लंड को अपने मे कस लिया और प्रीतम स्खलित हो गयी थोड़ी देर मैं उसपे ऐसे ही पड़ा रहा फिर जैसे ही मैने लंड को बाहर निकाला ज्योति फट से मेरी गोद मे आ के बैठ गयी और लंड को अपनी चूत के दाने पे रगड़ने लगी मैं अब बहुत ही रोमांचित हो गया था पूरे शरीर मे कामवासना हिलोरे मार रही थी मैने ज्योति को इशारा किया तो उसने झट से लंड को सीधा किया और उसपे बैठ गयी ।
मैं उसकी निप्पल को चूसने लगा और वो अपनी मोटी गान्ड को हिलाते हुवे मुझे काम सुख देने लगी उसकी चूची का निप्पल बिल्कुल हार्ड हो गया था उसे चूसने मे बहुत मज़ा आ रहा था कुछ देर तक उसे अपने लंड पे झूला झुलाने के बाद मैने उसे लिटाया और उसमे फिर समा गया ज्योति ने अपने होंठ बढ़ा के मेरे होंटो पे रख दिए और चूसने लगी मैं दनादन ज्योति को चोदे जा रहा था 20 मिनट तक मैने उसे जी भर के चोदा और फिर उसकी चूत मे ही झाड़ गया …………………………………………………………….
मेरा पूरा बदन पसीने से भीगा हुआ था मैने पानी को बॉटल उठाई और अपने सर पे उडेल दी तब जाके थोड़ी राहत मिली प्रीतम अपनी आँखे बंद करके बेड के कोने मे लेटी हुवी थी ज्योति भी अपने आप को नियंत्रित कर ही रही थी घड़ी की तरफ नज़र गई तो पता चला कि साढ़े तीन बज गये हैं थोड़ी भूक भी लग ने लगी तो मैने प्रीतम से पूछा कि अभी कुछ मिलेगा क्या तो वो बोली 4 बजे वो चाइ बनाएगी और फिर बाडे मे जाएगी उसकी मा को चाइ देने तब ही पी लेना तो मैने कहा ठीक है और वो फिर से लेट गयी मैने ज्योति को इशारा किया और बाहर की तरफ आ गया अब मैं चॉबारे के छज्जे पे खड़ा था बहती हवा मेरे बदन मे सर सराहट पैदा कर रही थी
कि तभी ज्योति ने पीछे से अपनी बाहें मेरे गले मे डाल दी और मुझसे चिपक के खड़ी हो गयी उसकी उंगलिया मेरे सीने पे रेंगने लगी हम दोनो मे से कोई कुछ नही बोल रहा था कुछ देर हम ऐसे ही खड़े रहे फिर मैने उसे अपनी बाहों मे उठाया और नीचे की ओर ले चला प्रीतम के बरामदे मे एक तखत पड़ा था उसपे ज्योति को लिटा दिया और उसके बदन को उपर से लेके नीचे तक सहलाने लगा ज्यों जो मेरी उंगलिया उसके बदन को नाप रही थी ज्योति मचलने लगी हालाँकि वक्त का तक़ाज़ा ये था कि मुझे उस टाइम उनके घर से निकल जाना चाहिए था क्यों कि गाँव मे लोग सुबह सवेरे ही जाग जाते थे
चार बजने मे कुछ ही देर थी पर मैं निकल ही नही पाया ज्योति के गरम जिस्म की दावत को मैने एक बार ऑर स्वीकार कर लिया था मैं उसके चेहरे पे झुका और उसके माथे को चूम लिया और उसके गालो की ओर बढ़ा उसके गाल बहुत ही सॉफ्ट थे मैं उन्हे अपने दाँत से काट रहा था तो वो मचल ने लगी और बोली आहह दर्द होता है आप ऐसे मत करो तो मैने अपने होन्ट उसके होटो से लगा दिए तो उसने अपना मूह खोल के मेरी जीभ को रास्ता दिया अब हमारी जीभ एक दूसरी से टकरा रही थी उसने अपना हाथ मेरी गोलियो पे रखा और उन्हे सहलाने लगी मेरे लंड मे करेंट आना शुरू हो गया अब वो गोलियो को भींचने लगी मुझे थोडा दर्द महसूस हुआ
पर मज़ा भी मिल रहा था हमारे होंठ थूक से लिसडे पड़े थे पर वो भी स्वादिष्ट लग रहा था उधर घड़ी सरपट दौड़ रही थी तभी प्रीतम नीचे आई और हमारी तरफ देख के बोलो कमिनो फिर चालू हो गये और मुझे बोली जल्दी से करले और भाग जा कही किसी ने देख लिया तो मुसीबत हो जाएगी मैने कहा तू चिंता मत कर मैं अड्जस्ट कर लूँगा और दुबारा अपने होंठ ज्योति के होटो से लगा दिए ये भी एक अजीब सा ही हैं जितना रस किसी के होंटो से निचोड़ो उतना ही कम पड़ जाता है उसके होन्ट छोडने का मन होता ही नही था कुछ देर बाद मैने ज्योति को कहा की चल साथ साथ एक दूसरे के अंगो का रस पीते है और उसे झट से मेरे उपर उल्टा लिटा दिया
और अपने हाथ ज्योति की मस्त गान्ड पे टिका दिए तभी मुझे खुराफात सूझी और मैने अपनी उंगली उसकी गान्ड के छेद पे रगड़नी चालू कर दी सॉफ पता चल रहा थी की उसने अभी गान्ड मरवाने का सुख प्राप्त नही किया है पर अभी टाइम भी इतना ही था चूत चुद जाए वो ही बहुत था मैने फॉरन उसके चुतडो को अपने मूह पे सेट किया और अपनी लहराती जीभ उसके दाने से टच कर्वादी ज्योति का संपूर्ण अस्तित्व कांप गया उसके बदन मे झूर झूरी दौड़ गयी और उसने तुरंत ही मेरे लंड को अपने मूह मे भर लिया वो मेरे लंड पे अपने दाँतों से काट ने लगी थी पहले उसे अपने थूक मे भिगोति फिर उसे दांतो से काट ती तभी प्रीतम रसोई से चिल्लाई चाइ पियोगे या नही
तो मैने कहा हाँ बना और दुबारा अपना मूह ज्योति की टाँगो के बीच मे घुसेड दिया उसकी चूत का दाना बहुत ही वाइब्रट कर रहा था जिस से मुझे और भी जोश आ रहा था अब उसने अपनी जीभ मेरे अंडकोषो पे फेरनी शुरू की जब कोई ऐसा करता था तो मुझे बहुत ही अच्छा लगता था काफ़ी देर हम एक दूसरे के अंगो से ज़ोर आज़माइश करते रहे प्रीतम अपना चाइ का कप लेके हमारे पास आ चुकी थी और वही पे कुर्सी डाले हमारी लाइव चुदाई देखते हुवे चाइ की चूस्किया ले रही थी
अब मैने ज्योति की कुल्हो को थप थपाया और उसे इशारा किया हटने का वो वॉरान ही हट गयी।
मैने उसकी लाल हो चुकी आँखो की ओर देखा कुछ तो उनमे वासना का ज़ोर था और कुछ पूरी रात की नींद थी मैने देर ना करते हुवे फॉरन उसकी टाँगे चौड़ी की और उसमे समाता चला गया ज्योति ने एक बार अपने शरीर को थोड़ा सा कसा और फिर मस्ती के सागर मे हिलोरे लेने लगी मैं उसकी चूत पे धक्के लगाए जा रहा था उसने अपने दाँत एक बार फिर मेरे गले पे गढ़ा दिए और मस्ताते हुवे मेरे गले को कचॉटने लगी मैं और वो एक दूसरे का ज़ोर पूरी तरह आज़माने पे तूल गये थे मैं पूरी ताक़त लगाते हुवे उसको चोद रहा था वो भी अब अपने चुतड उपर उठाने लगी थी तभी प्रीतम चिल्लाई कितनी देर लगाओगे आज तो हम सब गये काम से पर हम ने उसकी ओर बिल्कुल भी ध्यान नही दिया
और अपना काम जारी रखा हमें चुदाई करते काफ़ी देर हो गयी थी परंतु इस बार पानी निकल ही नही रहा था पता नही क्या हो गया था मैं भी थकने लगा था तो मैने ज्योति से कहा कुछ देर वो मेरे उपर आ जाए वो झट से उपर आ गयी और अपनी कमर हिलाते हुवे धक्के लगाने लगी इधर प्रीतम बार बार टाइम का रोना रो रही थी दिन निकलना शुरू हो गया था पर मैं भी फसा पड़ा था पानी निकल ही नही रहा था और कोई दस मिनिट और ऐसे ही बीत गये तो मैने कहा तू नीचे आ और उसकी टाँगो को अपने कंधो पे रखा और तबड तोड़ शॉट लगाने चालू किए ज्योति बस कोई दो मिनिट ही उस स्पीड को झेल पाई और उसने अपना पानी छोड़ दिया इधर मुझे लग तो रहा था
कि मंज़िल करीब है पर कुछ हो नही रहा था अब ज्योति को भी तकलीफ़ होने लगी थी क्यों कि चूत का गीलापन ख़तम हो गया था वो बोली अब मैं और नही कर सकती मुझे मा फ करो मैने खींच के एक झापड़ उसे लगाया और और थोड़ी स्पीड बढ़ा दी मैं धक्के मारे ही जा रहा था की तभी एका एक मेरी टाँगे कांप उठी और गाढ़ा वीर्या ज्योति की चूत को भिगोता चला गया मेरी साँस बहुत बुरी तरफ फूल गयी थी कुछ मिनिट लग गये उन्हे संभालने मे तभी प्रीतम ने मुझे मेरे कपड़े दिए और बोली मैं बाहर जाकर देखती हू कि रास्ता सॉफ है या नही और मेरा इशारा मिलते ही तू निकल जाना मैने कहा ओके और मोका मिलते ही घर की राह पकड़ ली भोर हो चुकी थी इसका मतलब ये था कि मेरे घर वाले भी जाग चुके होंगे अब समय था एक ऑर झूठ बोलने का.
थकावट से पूरा शरीर दुखने लगा थामेहनत भी तो बहुत हुई थी पिछली रात को आँखो मे नींद चढ़ आई थी अब दिमाग़ भी काम नही कर रहा था जब मैं घर पहुचा तो देखा कि मैं गेट तो अंदर से बंद हैं मैं तो खुला छोड़ के गया था अब मैं अंदर कैसे जाउ ये सोचते हुए मैं बाहर बने चबूतरे पे बैठ गया अब मैं फसा कैसे अंदर जाउ आज तो पक्का फसा मैं पर और कोई जुगाड़ भी नही था तो बस इंतज़ार ही करना था कि कब कोई दरवाजा खोले और मैं अंदर जाउ कोई पंद्रह मिनिट बाद गेट खुला और हाथ मे झाड़ू लिए चाची ने दर्शन दिए वो मुझे ऐसे बाहर बैठा देख के बुरी तरह चोंक गयी और बोली तू यहाँ क्या कर रहा हैं तो मैने कुछ नही कहा और झट से भाग कर सीधा अपने कमरे मे घुस गया
शूकर था कि सनडे की वजह से फॅमिली मेंबर आज लेट तक सोए पड़े थे तो मैने अपने कपड़े उतारे और पलंग पे लेट गया और अपनी आँखो को बंद कर लिया थोड़ी देर ही सोया था कि किसीने बुरी तरह झिंजोड़ते हुए मुझे उठा दिया मेरी तो आँखे ही नही खूल रही थी जब कुछ सॉफ सॉफ दिखा तो पता चला मम्मी थी उन्होने मेरा बाजू पकड़ते हुए कहा पूरी रात भी कम पड़ती हैं क्या और मुझे खड़ा कर दिया मैने कहा आप चलो मैं अभी आता हू तो वो बोली नही अभी मेरे साथ चल अब मजबूरी थी तो बाहर आना ही पड़ा बैठक मे गया तो सभी लोग वही थे मैने दादी के पैर पड़े और एक साइड मे बैठ गया तो चाचा बोले जा चाइ ले आ रसोई से हमारे लिए
तो मैं वहाँ गया चाची कपो मे चाइ डाल ही रही थी तो मैने बोला चाची अगर कुछ बिस्कट या नमकीन है तो वो भी दे दो तो वो बोली तुझे भूक भी लग आई और गुस्से से मेरी ओर देखा मैने नज़र झुका ली वो धीरे से बोली बेटा तू मुझे तो बता ही सकता हैं कि आज कल तू रात भर कहाँ रहता हैं क्या मेरा इतना भी हक़ नही है तुझ पर तू कब्से बाते छुपाने लगा है तो मैने कहा मैं फिर कभी बताउन्गा अभी मुझे चाइ दो ओर ट्रे लेके बैठक मे आ गया मेरी हालत बहुत ही खराब हो रही थी नींद अपनी बाहें फैलाए मुझे बुला रही थी परंतु मैं मजबूर था सो नही सकता था मैने पापा से कहा कि आज क्या हम पनीर की सब्ज़ी बना सकते है
तो वो बोले हाँ क्यों नही और चाचा से बोले कि बस स्टॅंड से ले आइयो चाचा ने मेरी तरफ देखा मैं समझ गया कि ये भी मुझपे ही पड़ने वाली है तो मैं सीधा बैठक से बाहर निकल गया तभी ख्याल आया कि क्यों ना नाहया जाए मैं बाथरूम मे घुस गया मैं नहा ही रहा था कि मेरी नज़र चाची की पेंटी पे पड़ी शायद उन्होने नया पीस लिया था उनका ख्याल आते ही लंड महाशय अपनी औकात पे आगये चाची का ख्याल आते ही मेरे अंग मे तनाव आ गया और ना चाहते हुए भी मैं मुट्ठी मारने लगा और हमेशा की तरह उनकी कच्छी पे ही अपना रस गिरा दिया और उसे ठीक करके रख दिया नहा धो के निकला फिर टीवी पे रंगोली देखने लगा
तब तक भोजन भी तैयार हो गया था दबा के लिया और फिर अपने कमरे की ओर चल पड़ा मैं अपनी अलमारी की सफाई कर ही रहा था कि एक बॉक्स मे रंग मिल गये ना जाने कितने दिनो से मैने चित्रकारी नही की थी पता नही कितनी देर रंगो से खेलता रहा पर जब काम पूरा हुआ तो चेहरे पे मुस्कान आ गयी मिता का चित्र उकेर दिया था वहाँ पे दिल को सुकून सा मिला कई देर तक उसे देखता रहा फिर उसे अलमारी मे रख दिया ना चाहते हुए भी आख़िर आँख लग ही गयी और मैं सो गया जब मैं उठा तो 3 बज रहे थे घर मे सन्नाटा छाया हुआ था मैने देखा तो कोई नही दिखा तो मैं चाची के कमरे की ओर बढ़ा तो वो भी वहाँ पे नही थी अब ये लोग कहाँ गये
पर मेन गेट तो अंदर से बंद था तभी बाथरूम से चाची निकली नहा के उनके बालो से पानी टपक रहा था जो उनके ब्लाउस को पूरा भिगो रहा था और एक पेटिकोट नीचे लपेटा हुआ था जिसमे उनकी टाँगो का कटाव सॉफ सॉफ दिख रहा था तो मैने पूछा कि सब लोग कहाँ गये है तो उन्होने बताया कि दादी तो ताइजी के घर पे हैं और तुम्हारे चाचा भाई साब और दीदी अपने किसी दोस्त के घर गये है और शाम तक ही वापिस आएँगे तो मैने कहा कि तो आप ने मुझे पहले क्यों नही उठाया तो वो बोली कि तू सोया पड़ा था और रात को भी तू जगा ही होगा इसलिए डिस्टर्ब नही किया अब मैं उनकी ओर बढ़ा और उनके चुतडो पे चिकोटी काट ली वो बोली बाज आजा तू वैसे तो तुझे चाची चाहिए और बाकी तो उसे कुछ बताता भी नही हैं
मैने उनके चूतड़ कस्के मसल दिए और बोला चाची ऐसा कुछ नही हैं अगर होता तो मैं ज़रूर बताता मैने उन्हे अपनी बाहों मे भरते हुए कहा कि चाची बस एक बार कर लेने दो ना तो वो बोली नही , मैं तुम्हारे चाचा से संतुष्ट हू और उन्हे धोखा नही दूँगी मैने मस्का लगाते हुए कहा कि इसमे धोखा देने वाली बात क्या है थोड़ा प्यार मुझे भी चाहिए ना तो वो सीधा बोली बेटे जब जवान लड़का पूरी पूरी रात घर से बाहर भटकने लगे तो वो प्यार ही पाता हैं अगर तू मुझे बता दे कि तू कहाँ जाता हैं तो मैं तेरे लिए कुछ कर सकती हू तो मैने उत्साहित होते हुए कहा कि
अगर आप मुझे एक बार दे दो तो मैं बता दूँगा तो वो बोली हाई राम कैसे बात करता है कितना अश्लील होगया है तू ना जाने तुझे क्या हो गया हैं मैने कहा तो बताओ उन्होने कुछ सोचा और अपनी चूत पे उंगली फेरते हुए बोली कि मैं तुझे यहाँ पे किस करने दूँगी जब तू चाहे
मैं बोला उसमे कोन्सि बड़ी बात हैं वो तो मैं वैसे भी करलूंगा फिर मैने कहा कि अगर आप मेरे इसको चूसे तो मैं बता दूँगा तो बोली नही तो मैने भी कहा कि फिर आपकी मर्ज़ी तो उन्होने कुछ सोचा और बोली और एक बार ही चुसूगी तो मैं खुश होते हुए बोला कि ओके चाची जान और उनको चूम लिया और अपनी गोदी मे उन्हे उठाया और उनके बेड पे पटक दिया मैने दुबारा उन्हे चूमना शुरू किया और उनकी चूची भी मसल्ने लगा वो बोली क्या कर रहे हो पहले बताओ तो मैने उनसे वादा लिया कि वो किसी को भी नही बतायेन्गि तो उन्होने हम कह दिया अब बारी मेरी थी
मैने बिना लग लप्पेट के उन्हे कहा कि मेरी एक लड़की से दोस्ती हैं और मैं उस से मिलने जाता हू तो वो बोली बस दोस्ती या कुछ ऑर तो मैने कहा कि हमारे शारीरिक संबंध भी है तो उनकी आँख हैरत से फैल गयी वो बोली कब से चल रहा हैं तो मैने कहा कि कोई 2-3 महीने हो गये हैं उनका मूह खुला का खुला रह गया अब उन्होने सवाल दागा कि कोन हैं वो क्या अपने ही गाँव की हैं तो मैने कहा कि हम अपने ही गाँव की है उसका नाम प्रीतम है
उसका बदन पता नही क्यों कांप रहा था तो मैने उसे बिल्कुल रिलॅक्स होने को कहा और बोला कि अगर वो कंफर्टबल नही है तो रहने देते हैं तो वो बोली नही ठीक हैं तो मैने अपना हाथ उसकी गर्दन मे डाला और उसे थोड़ा मेरी ओर खींच लिया ज्योति कसमसाने लगी मैने देर ना करते हुवे उसके गालो को चूम लिया अब गरम तो वो थी ही बस थोड़ा ठहराव आ गया था गालो को चूमते चूमते मैं उसके हल्के लाल लाल होंटो की ओर बढ़ रहा था और फिर मैने अपने होंठ उसके होंटो से जोड़ दिए ऐसा लगा जैसे को पिघली हुवी आइस क्रीम हो धीरे से मैने उसके शरीर पे लिपटी चादर को एक साइड कर दिया और उसकी पीठ सहलाने लगा फिर उसे लिटा दिया और उसका हाथ अपने लंड पे रख दिया
अबकी बार उसने बिना किसी शरम के उसे थाम लिया मैं एक बार फिर से उसके कोमल अधरो का रस चूसने लगा वो उत्तेजना के शिखर की ओर अग्रसर होने लगी उसके हाथ का दबाव लंड पे बढ़ता ही जा रहा था ज्योति का बदन ऐसे तप रहा था जैसे उसे बुखार चढ़ा हो अब मैने उसके बोबे को चूसना शुरू किया और उसकी चूत पे अपनी उंगलिया फेरने लगा बिना बालो की एक दम करारी चूत जिसपे आज मेरे लंड की मोहर टिकने वाली थी उसकी निप्पल बिल्कुल गुलाबी रंग की थी वो खुद मेरे चेहरे को अपनी छातियों पे दबाए जा रही थी जब मेरी उंगलिया उसकी चूत से टकराई तो मैने गीलापन सॉफ मह सूस किया उसकी चूत थोड़ी लंबी सी थी बाकियों से थोड़ी अलग सी मैं उसके दाने को जोरो से रगड़ने लगा
उसकी टाँगे अकड़ने लगी मैं थोड़ा उपर हुआ और उसके होंठो को एक बार फिर अपने मूह मे भर लिया मैं बहुत ही ज़ोर से उंगली करता जा रहा था ज्योति बुरी तरह कांप रही थी मैने दूसरी उंगली भी चूत मे सरका दी और पूरी स्पीड से अंदर बाहर किए जा रहा था उसका हाल बहुत बुरा हो रहा था फिर मैं झट से नीचे आया और चूत पे अपने होंठ टिका दिए अब मेरी जीभ उसे अपना कमाल दिखाने लगी वो 5 मिनिट भी ना टिक पाई और अपना गाढ़ा सफेद पानी छोड़ दिया और किसी लाश की तरह पसर गयी उसकी आँखे बंद थी और छातिया किसी ढोँकनी की तरह उपर नीचे हो रही थी मैं उसके पास लेट गया और उसे से सट गया उसने आँख खोली और बड़े प्यार से मेरी ओर देखने लगी
मैने कहा ज्योति इसे चुसोगी तो उसने अपना सर हां मे हिला दिया और मेरी टाँगो के पास बैठ ते हुवे लंड को अपने मूह मे भर लिया और तुरंत ही निकाल भी दिया और थूकते हुवे बोली ये तो खारा खारा हैं असल मे उसपे मेरा और प्रीतम का काम रस लगा हुआ था जो मैने सॉफ नही किया था तो मैने कहा कुछ नही होता जानेमन दुनिया तो इसे चाटने के लिए मरती है और तुम्हे पसंद नही आ रहा तो उसने उसे पानी से धोया और चूसने लगी उसकी जीभ का स्पर्श बहुत ही जबरदस्त था मेरे हाथ खुद ब खुद उसके सर पे कस गये वो बड़ी ही अदा से लंड चूस रही थी पहले वो उसे पूरा मूह मे लेती चुस्ती और झट से बाहर निकाल देती थी
दस मिनिट तक ऐसा ही चलता रहा फिर मैने उसे लिटाया और उसकी जाँघो को अपनी जाँघो पे चढ़ा लिया और लंड को चूत के मूह पे सेट कर दिया अब बस देर थी घुसने की मैने थोड़ा ज़ोर लगाते हुवे पहले ही झटके मे लगभग आधा लंड उसकी चूत मे डाल दिया था उसका बदन थोड़ा अकड़ सा गया मैने पूछा क्या हुवा वो बोली दर्द हो रहा हैं तो मैं बोला कि तुम पहले भी तो करवा चुकी हो तो उसने कहा कि करवाया तो है पर बस 4-5 बार ही इसी लिए दर्द हो रहा हैं तो मैने कहा घबराओ मत कुछ नही होगा और अगले धक्के मे पूरा लंड जड़ तक ज्योति की चूत मे घुसा दिया वो चीखते हुवी बोली मारो गे क्या थोड़ा रुक भी जाते आप तो बेदर्दी निकले मैं आपके पास ही थी
इतनी जल्दी किस लिए उसकी आँखो मे आँसू आ गये और गालो पे बहने लगे मैने उसके आँसू चाट लिए और उसके कान मे कहा थोडा अड्जस्ट करने की कोशिश करो ये दर्द बस कुछ ही देर मे गायब हो जाएगा और उसके होंठ चूमने लगा कुछ मिनिट बाद मैने लंड को थोड़ा सा खींचा और फिर से अंदर डाल दिया ज्योति की आआआआआआः निकल गयी मैं धीमे धीमे धक्के मारने लगा उसकी चूत बहुत ज़्यादा टाइट थी और मेरे लंड पे पूरा दवाब पड़ रहा था ज्योति ने अपनी बाहें मेरी पीठ पे कस दी और अपने दाँतों से मेरी गर्दन पे काटने लगी वो किसी जंगली बिल्ली की तरह बिहेवियर कर रही थी
मैने लंड को बाहर निकाला उसपे थूक लगाया और फिर से चूत मे धकेल दिया अब लंड चूत की सड़क पर सरपट दौड़ लगाने लगा ज्योति मेरी गर्दन पे बुरी तरह काट रही थी दूसरी तरफ उसके नाख़ून मेरी पीठ मे धन्से जा रहे थे तो मैने भी जोश मे उसके निचले होंठ को बुरी तरह काट लिया उसमे से खून की बूंदे छलक उठी वो कराहती हुवी बोली ऐसा मत करो ना तो मैने कहा अभी तुम क्या कर रही थी नीचे लंड गपा गॅप अंदर बाहर हो रहा था मेरी उंगलिया उसकी उंगलियो मे फसि पड़ी थी चुदाई अपने शबाब पे थी कमरे का वातावरण बहुत ही गरम हो चुका था मेरा लंड ज्योति की चूत को चौड़ा किए जा रहा था अब वो भी नीचे से धक्के लगाने लगी थी
फॅक फॅक की ही आवाज़ आ रही थी उसकी चूत से बहता पानी मेरी गोलियो तक को भिगो चुका था ऐसी गरमा गरम चूत तो आज तक नही मारी थी ज्योति मेरे कान मे फुस्फुसाइ कि उसकी पीठ मे दर्द होने लगा हैं तो मैने फॉरन एक तकिया उसकी कमर पे लगाया इस के दो फ़ायदे हुवे एक तो उसकी कमर को आराम मिला और दूसरा उसकी चूत और भी उभर आई मैने अब लंड को दुबारा सेट किया और फिर से उसमे समा गया उसकी आहें मुझे रोमांचित कर रही थी और मैं अपने अंत की ओर बढ़ रहा था मैने धक्को की रफ़्तार बढ़ा दी ज्योति बहुत मज़े से चुदवा रही थी
शायद वो भाँप गयी कि मैं झड़ने वाला हू तो वो बोली आप अंदर मत गिराना तो मैने कहा ओके और कस के धक्के लगाने लगा अब रुकना बहुत ही मुश्किल था बस कुछ ही पलो की बात थी मैने झट से अपना लंड बाहर निकाला और ढेर सारा वीर्य उसकी नाभि पे गिरा दिया और उसकी बगल मे लेट गया ज्योति भी अपनी सांसो को सभालने मे जुट गयी ज्योति ने अपनी नाभि मे एक उंगली डाली
और मेरे वीर्य को उंगली से चाटने लगी तो मैने कहा डार्लिंग अगर ऐसा था तो पहले ही कह देती तो तुम्हारे मूह मे ही डिसचार्ज हो जाता तो वो हंस पड़ी और धीरे धीरे पूरे वीर्य को चाट के सॉफ कर दिया इतना दिलकश नज़ारा तो कभी प्रीतम या भाभी नी भी नही दिखाया था फिर वो बोली मैं अभी आती हू पेशाब करके तो मैने कहा ओके और वो अपनी गान्ड मटकाती नीचे चली गयी मैं लेट गया कुछ देर मे ज्योति वापिस आ गयी और मेरे साथ लेट गयी मैने पूछा मज़ा आया तो वो शर्मा गयी मैने उस से बात करनी शुरू करदी
तभी मुझे सूझा कि क्यों ना दोनो लड़कियो को एक साथ चोदु कई ब्लूफिल्मों मे ऐसा देखा था तो मैं बोला ज्योति मैं अभी आया और प्रीतम के पास नीचे चला गया साली नंगी ही पसरी पड़ी थी मैने उसे जगाया और चॉबारे मे ले आया तो वो खीजती हुवे बोली अरे इतना अच्छा मोका दिया था तुम दोनो को फिर मुझे क्यों जगाया तो मैने कहा कि प्लान थोड़ा चेंज हो गया है डार्लिंग अब मैं तुम दोनो बहनोको एक साथ चोदुन्गा प्रीतम तो झट से एक्शिटेड हो गयी पर ज्योति बोली मुझे थोड़ा अजीब सा लग रहा हैं तो प्रीतम बोली नखरे मत कर और आजा थोड़ा उसको समझाने पे वो मान गयी तभी मैने प्रीतम से कहा कि यार मैने कई बार तेरा पिशाब पिया हैं
आज तू भी ट्राइ करेगी क्या तो वो बोली मैं तो हमेशा तैयार ही रहती हू और तेरे लिए तो कुछ भी कर सकती हू तो ज्योति बोली आप लोग बहुत गंदे हो चाइयीयैआइयैआइयैयीयीयियी ऐसा भी कोई करता हैं क्या प्रीतम नीचे बैठ गयी और लंड को अपने मूह मे भर लिया जैसे ही पेशाब निकलने लगा मुझे शरारत सूझी और मैने उसे बाहर निकाल दिया तो सीधी धार उसके चेहरे को भिगोनी लगी प्रेशर बहुत तेज़ था पूरा पानी उसके मूह से होता हुआ चूचियो को भिगोते हुवे पेट से होकर नीचे फर्श पे फैलने लगा तभी उसने दुबारा लंड को मूह मे भर लिया और पेशाब को अपने हलक मे उतारने लगी और अंतिम बूँद तक गटक गयी फिर उसने ज्योति की चुन्नी से खुद को पोन्छा
और बोली आजा ज्योति तुझे मैं पिलाती हू पर वो मना करने लगी तो मैने कहा ट्राइ तो करले पसंद आए तो ठीक वरना तेरी मर्ज़ी तो ज्योति ने जवाब दिया पर मैं लड़की होके लड़की के साथ कैसे ????????????????????????????????????????????????????????????????????? तो प्रीतम बोले मेरी चूतिया बहन इसी मे तो असली मज़ा होता हैं और आज जैसे मोके बार बार नहीमिलाकरते हैं तू बस सारी शरम लिहाज़ छोड़ दे और बस जो होता हैं उसे होने दे प्रीतम ने अपनी टाँगो को चौड़ा कर लिया और चूत पे उंगली फेरते हुवे बोली
आजा ज्योति तो ज्योति झुकी और उसने अपने होंटो को प्रीतम की चूत पे लगा दिया प्रीतम ने अपनी गान्ड को सिकोडा और अपने पेशाब को ज्योति के मूह मे छोड़ दिया प्रीतम ने उसके सर को बहुत कस के पकड़ा हुवा था तो ज्योति अब छुड़ा के भाग भी नही सकती थी तो मजबूरी मे उसे सारा पिशाब पीना पड़ा उसकी शकल ऐसी हो गयी थी जैसे कभी भी उल्टी कर देगी उसकी हालत देखके प्रीतम ज़ोर से हँसने लगी वो आगे बढ़ी और ज्योति कोआपनी बाहों मे भर लिया और उसको किस करने लगी ज्योति प्रीतम का ये रूप देख के हैरान हो गयी दोनो बहने एक दूसरे के होंटो को खाए जा रही थी मेरा लंड भी अपना सर उठाने लगा था दोनो की मोटी मोटी चूचियाँ एक दूसरे को पिच्काये जा रही थी
सीन बहुत ही उत्तेजित करने वाला था मैं अपने लंड को सहलाने लगा और बेड पे चढ़ गया मैने दोनो के चुतडो पे एक एक थप्पड़ लगाया और ज्योति को अपनी बाहों मे भर लिया तो प्रीतम भी कॉन सा पीछे रहने वाली थी मैने ज्योति के होंटो का रस पान करना शुरू किया और प्रीतम नीचे बैठी और ज्योति की चूत को चाटने लगी ज्योति की नस नस मे वासना का बुखार चढ़ना शुरू हो गया और उसने भी अपने हाथ से मेरे लंड को पकड़ लिया और उसे मसल्ने लगी उसके गरम हाथो की गर्माहट पाकर लंड और भी फूल गया आज पहली बार मैने उसकी उभरी हुई नसों को महसूस किया मेरे कान इतने गरम होरहे थे कि जैसे अभी उनमे से धुआ निकलने लगा हो
नीचे प्रीतम ज्योति की चूत मे तूफान मचाए हुवी थी ज्योति की टाँगे बुरी तरह काँप रही थी प्रीतम ने अब अपनी उंगली भी उसकी चूत मे सरका दी थी और उसके दाने पे बड़ी तेज़ी से जीभ रगड़ रही थी उपर मैं उसके होंटो को बुरी तरह निचोड़ रहा था ज्योति हमरे बीच फसि पड़ी थी तभी उसने जोरदार झटका खाया और अपना काम रस प्रीतम के मूह मे छोड़ दिया जिसे प्रीतम चटखारे लेते हुवी पी गयी आज की रात बड़ी जुल्मी थी और उपर से दो दो चुते फिर प्रीतम उठी और ज्योति को परे हटाते हुवे
मुझसे चिपक गयी और किस करने लगी तभी मुझे एक आइडिया आया
मैने दोनो को कहा कि एक साथ मेरा लंड चूसो और दोनो को नीचे बिठा दिया दोनो बारी बारी से लंड को अपने मूह की सैर करवाने लगी मैं तो सीधा जन्नत के दरवाजे पे पहुच गया दोनो के मिक्स थूक से पूरा लंड भीग गया था अब ज्योति के मूह मे मेरा लंड था और प्रीतम मेरी गोलियो को चूस रही थी ऐसा मज़ा तो आज तक कभी नही मिला था दो गरम चुदासी लड़किया और मैं दोनो अपनी जीभ का कहर ढाए जा रही थी मुझे बहुत तेज गुद गुदि होने लगी थी मैने उन्हे रुकने को कहा पर वो तो मेरी सुन ही नही रही थी बस ऐसे लगी थी जैसे आज के बाद कभी लंड के दर्शन होंगे ही नही मैने भी अपने आप को दो शिकारी कुत्तियो के आगे छोड़ दिया
दोनो मे होड़ लगी हुवी थी लंड को बेहतर तरीके से चूसने की मुझे पता था कि ये दोनो आज मेरा पानी पी के ही दम लेंगी मेरी उत्तेजना का ज्वालामुखी बस फूटने ही वाला था कभी भी मैं डिसचार्ज हो सकता था और फिर वो लम्हा आ ही गया मेरी टाँगे कांप उठी और लंड से निकलती सफेद पानी की धार दोनो रंडियो के चेहरे को भिगोने लगी उन दोनो के चेहरे खुशी से लाल हो गये थे दोनो बहने पूरे मज़े से मेरे वीर्य को चाट रही थी मुझे उन्हे देख के बहुत सकून मिल रहा था मैने एक तकिया लिया और बेड पे लेट गया और उन्हे भी अपने पास लिटा लिया आज की रात बड़ी जबरदस्त थी
आज मुझे औरत का एक अलग रूप ही देखने को मिल रहा था मैने कहा कि उम दोनो 69 ट्राइ करो बस कहने की देर थी प्रीतम झट से शुरू हो गयी कुछ ही पॅलो मे दोनो के सर एक दूसरी की जाँघो के बीच फसे पड़े थे उन्हे इस तरह देख के बड़ा अच्छा लग रहा था जैसे कोई पॉर्न मूवी चल रही हो मैने उन्हे अलग किया और ऐसी सिचुयेशन बनाई कि प्रीतम को बेड के सिरहाने पे बिठाया और ज्योति अब उसकी चूत को चूसने लगी थी वो घुट नो के बल झुकी हुई थी प्रीतम अपने आप खुद की चूचियों को मसल रही थी मैं भी कहाँ पीछे रहने वाला था मैने भी झुकी हुवी ज्योति के चुतडो पे अपने दाँतों से काटना शुरू कर दिया
ज्योति चिहुनक पड़ी दूसरी ओर प्रीतम ज़ोर ज़ोर से मोन कर र्हाहियीईईईईईईईईई थी आआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआअ ओहमाआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआ
आआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआमैंन्ननननननननननननननननननननननननननणणनतूऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊओमराआआआआ
आआआआआर्गइि
ईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईिओ कमिीईईईईईईईईईईईईईईईईनिईीईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईई और ज़ोर से छुउऊुुुुुुुुुुुुुुुुुुुुुुुउउस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्नाआआआआआआआआआआआआआआआआआ
आआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआ बुसस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्
स्स्स्स्स्सिया आईईईीईसीईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईई हीईीईईईईईई चुस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स
ज्योति अब ओर ज़ोर से प्रीतम की चूत चूसने लगी मैने भी ज्योति के चुतडो पी जीभ फेरते हुवे उसकी लंबी सी चूत की ओर अपने लबो को बढ़ाना शुरू किया ऐसी गोरी गोरी चूत चाटने को मिले तो लोग घी-दूध को भूल ही जाए मेरा लंड भी तन ने लगा था महॉल ऐसा था कि आज तो कामसूत्र का कोई नया ग्रंथ लिखा जा रहा हो प्रीतम ने अपनी मांसल टाँगो पे ज्योति के सर को ऐसे लप्पेट लिया था जैसे कोई नागिन ने कुंडली मारी हो ज्योति की लाल लाल चूत पूरी नदी बनी हुवी थी उसका रस मेरे होंटो से होते हुवे ठोड्डी तब को भिगो रहा था काफ़ी देर तक चुसाइ चलती रही मेरा तो फ्यूज ही उड़ गया था
लंड को बस अब चूत ही चाहिए थी तो मैने उसे प्रीतम की चूत से हटाया और उसे लिटाते हुए उसकी टाँगो को अपने कंधो पे रखा और एक ही झटके मे पूरा लंड ज्योति की चूत मे घुसा दिया ज्योति ने हल्की सी आहाः भरी और उसकी चूत ने मेरे लंड को बुरी तरह कस लिया अब मैने दना दान शॉट लगाने चालू किए प्रीतम कहाँ पीछे रहने वाली थी वो अब ज्योति के मूह पे आके बैठ गयी और दुबारा अपनी चूत को चटवाने लगी मेरे हर धक्के पे मेरे अंडकोष उसकी गान्ड पे टकरा रहे थे हम तीनो एक दूसरे मे खोए हुवे थे मैं ज्योति को कुचले जा रहा था उसकी गान्ड भी अब चुदाई की ताल पे थिरकने लगी थी तभी प्रीतम ने मुझे उसपे से हटाया
और गॅप से मेरे लंड पे बैठ गयी औ अंपनी गान्ड को उछाल ने लगी उस टाइम ज्योति को बहुत मज़ा आ रहा था लंड को अपनी चूत से ऐसे निकलते देख उसे गुस्सा आ गया वो बोली दीदी अभी तो मेरी बारी है आप रूको पर प्रीतम कभी कहाँ किसी की मानती और उसने ज्योति की तरफ ध्यान भी नही दिया और बस मेरे लंड पे उछलने लगी अब ज्योति अपनी चूत मे उंगली करने लगी और प्रीतम को गालियाँ भी बक रही थी मुझे हँसी आ गयी अब मैने प्रीतम को अपने उपर से हटाया और उन दोनो को एक साथ घोड़ी बन ने को कहा
तो वो तुरंत ही बन गयी उफफफफफ्फ़ क्या वर्णन करू उस सीन का कोई शब्द ही नही हैं दोनो के मदमस्त चूतड़ पूरी तरफ मेरी ओर उभरे हुवे और बस एक हल्की लकीर सी चूत की दरार मैने अपना लंड ज्योति की चूत मे डाला और उसे चोदने लगा फिर झट से लंड को निकाला और प्रीतम की चूत मे डाल दिया इस तरह मैं बारी बारी से दोनो को चोद ने लगा आज एक तड़प भरी चुदाई हो रही थी कुछ देर ऐसे ही करने के बाद मैने कहा तुम दोनो मे से एक को थोड़ी देर रुकना पड़ेगा तो प्रीतम बोली मैं बस झड़ने ही वाली हू तो पहले मुझे ठंडी करदो मैने ज्योति की ओर देखा तो उसने कहा ठीक है ।
तो मैं झट से प्रीतम पे सवार हो गया और पूरी ताक़त से उसे चोदने लगा कोई 5 मिनिट बाद ही उसकी साँसे तेज होने लगी मैने भी स्पीड और थोड़ी बढ़ाई और फिर उसकी चूत की पंखुड़ियो ने मेरे लंड को अपने मे कस लिया और प्रीतम स्खलित हो गयी थोड़ी देर मैं उसपे ऐसे ही पड़ा रहा फिर जैसे ही मैने लंड को बाहर निकाला ज्योति फट से मेरी गोद मे आ के बैठ गयी और लंड को अपनी चूत के दाने पे रगड़ने लगी मैं अब बहुत ही रोमांचित हो गया था पूरे शरीर मे कामवासना हिलोरे मार रही थी मैने ज्योति को इशारा किया तो उसने झट से लंड को सीधा किया और उसपे बैठ गयी ।
मैं उसकी निप्पल को चूसने लगा और वो अपनी मोटी गान्ड को हिलाते हुवे मुझे काम सुख देने लगी उसकी चूची का निप्पल बिल्कुल हार्ड हो गया था उसे चूसने मे बहुत मज़ा आ रहा था कुछ देर तक उसे अपने लंड पे झूला झुलाने के बाद मैने उसे लिटाया और उसमे फिर समा गया ज्योति ने अपने होंठ बढ़ा के मेरे होंटो पे रख दिए और चूसने लगी मैं दनादन ज्योति को चोदे जा रहा था 20 मिनट तक मैने उसे जी भर के चोदा और फिर उसकी चूत मे ही झाड़ गया …………………………………………………………….
मेरा पूरा बदन पसीने से भीगा हुआ था मैने पानी को बॉटल उठाई और अपने सर पे उडेल दी तब जाके थोड़ी राहत मिली प्रीतम अपनी आँखे बंद करके बेड के कोने मे लेटी हुवी थी ज्योति भी अपने आप को नियंत्रित कर ही रही थी घड़ी की तरफ नज़र गई तो पता चला कि साढ़े तीन बज गये हैं थोड़ी भूक भी लग ने लगी तो मैने प्रीतम से पूछा कि अभी कुछ मिलेगा क्या तो वो बोली 4 बजे वो चाइ बनाएगी और फिर बाडे मे जाएगी उसकी मा को चाइ देने तब ही पी लेना तो मैने कहा ठीक है और वो फिर से लेट गयी मैने ज्योति को इशारा किया और बाहर की तरफ आ गया अब मैं चॉबारे के छज्जे पे खड़ा था बहती हवा मेरे बदन मे सर सराहट पैदा कर रही थी
कि तभी ज्योति ने पीछे से अपनी बाहें मेरे गले मे डाल दी और मुझसे चिपक के खड़ी हो गयी उसकी उंगलिया मेरे सीने पे रेंगने लगी हम दोनो मे से कोई कुछ नही बोल रहा था कुछ देर हम ऐसे ही खड़े रहे फिर मैने उसे अपनी बाहों मे उठाया और नीचे की ओर ले चला प्रीतम के बरामदे मे एक तखत पड़ा था उसपे ज्योति को लिटा दिया और उसके बदन को उपर से लेके नीचे तक सहलाने लगा ज्यों जो मेरी उंगलिया उसके बदन को नाप रही थी ज्योति मचलने लगी हालाँकि वक्त का तक़ाज़ा ये था कि मुझे उस टाइम उनके घर से निकल जाना चाहिए था क्यों कि गाँव मे लोग सुबह सवेरे ही जाग जाते थे
चार बजने मे कुछ ही देर थी पर मैं निकल ही नही पाया ज्योति के गरम जिस्म की दावत को मैने एक बार ऑर स्वीकार कर लिया था मैं उसके चेहरे पे झुका और उसके माथे को चूम लिया और उसके गालो की ओर बढ़ा उसके गाल बहुत ही सॉफ्ट थे मैं उन्हे अपने दाँत से काट रहा था तो वो मचल ने लगी और बोली आहह दर्द होता है आप ऐसे मत करो तो मैने अपने होन्ट उसके होटो से लगा दिए तो उसने अपना मूह खोल के मेरी जीभ को रास्ता दिया अब हमारी जीभ एक दूसरी से टकरा रही थी उसने अपना हाथ मेरी गोलियो पे रखा और उन्हे सहलाने लगी मेरे लंड मे करेंट आना शुरू हो गया अब वो गोलियो को भींचने लगी मुझे थोडा दर्द महसूस हुआ
पर मज़ा भी मिल रहा था हमारे होंठ थूक से लिसडे पड़े थे पर वो भी स्वादिष्ट लग रहा था उधर घड़ी सरपट दौड़ रही थी तभी प्रीतम नीचे आई और हमारी तरफ देख के बोलो कमिनो फिर चालू हो गये और मुझे बोली जल्दी से करले और भाग जा कही किसी ने देख लिया तो मुसीबत हो जाएगी मैने कहा तू चिंता मत कर मैं अड्जस्ट कर लूँगा और दुबारा अपने होंठ ज्योति के होटो से लगा दिए ये भी एक अजीब सा ही हैं जितना रस किसी के होंटो से निचोड़ो उतना ही कम पड़ जाता है उसके होन्ट छोडने का मन होता ही नही था कुछ देर बाद मैने ज्योति को कहा की चल साथ साथ एक दूसरे के अंगो का रस पीते है और उसे झट से मेरे उपर उल्टा लिटा दिया
और अपने हाथ ज्योति की मस्त गान्ड पे टिका दिए तभी मुझे खुराफात सूझी और मैने अपनी उंगली उसकी गान्ड के छेद पे रगड़नी चालू कर दी सॉफ पता चल रहा थी की उसने अभी गान्ड मरवाने का सुख प्राप्त नही किया है पर अभी टाइम भी इतना ही था चूत चुद जाए वो ही बहुत था मैने फॉरन उसके चुतडो को अपने मूह पे सेट किया और अपनी लहराती जीभ उसके दाने से टच कर्वादी ज्योति का संपूर्ण अस्तित्व कांप गया उसके बदन मे झूर झूरी दौड़ गयी और उसने तुरंत ही मेरे लंड को अपने मूह मे भर लिया वो मेरे लंड पे अपने दाँतों से काट ने लगी थी पहले उसे अपने थूक मे भिगोति फिर उसे दांतो से काट ती तभी प्रीतम रसोई से चिल्लाई चाइ पियोगे या नही
तो मैने कहा हाँ बना और दुबारा अपना मूह ज्योति की टाँगो के बीच मे घुसेड दिया उसकी चूत का दाना बहुत ही वाइब्रट कर रहा था जिस से मुझे और भी जोश आ रहा था अब उसने अपनी जीभ मेरे अंडकोषो पे फेरनी शुरू की जब कोई ऐसा करता था तो मुझे बहुत ही अच्छा लगता था काफ़ी देर हम एक दूसरे के अंगो से ज़ोर आज़माइश करते रहे प्रीतम अपना चाइ का कप लेके हमारे पास आ चुकी थी और वही पे कुर्सी डाले हमारी लाइव चुदाई देखते हुवे चाइ की चूस्किया ले रही थी
अब मैने ज्योति की कुल्हो को थप थपाया और उसे इशारा किया हटने का वो वॉरान ही हट गयी।
मैने उसकी लाल हो चुकी आँखो की ओर देखा कुछ तो उनमे वासना का ज़ोर था और कुछ पूरी रात की नींद थी मैने देर ना करते हुवे फॉरन उसकी टाँगे चौड़ी की और उसमे समाता चला गया ज्योति ने एक बार अपने शरीर को थोड़ा सा कसा और फिर मस्ती के सागर मे हिलोरे लेने लगी मैं उसकी चूत पे धक्के लगाए जा रहा था उसने अपने दाँत एक बार फिर मेरे गले पे गढ़ा दिए और मस्ताते हुवे मेरे गले को कचॉटने लगी मैं और वो एक दूसरे का ज़ोर पूरी तरह आज़माने पे तूल गये थे मैं पूरी ताक़त लगाते हुवे उसको चोद रहा था वो भी अब अपने चुतड उपर उठाने लगी थी तभी प्रीतम चिल्लाई कितनी देर लगाओगे आज तो हम सब गये काम से पर हम ने उसकी ओर बिल्कुल भी ध्यान नही दिया
और अपना काम जारी रखा हमें चुदाई करते काफ़ी देर हो गयी थी परंतु इस बार पानी निकल ही नही रहा था पता नही क्या हो गया था मैं भी थकने लगा था तो मैने ज्योति से कहा कुछ देर वो मेरे उपर आ जाए वो झट से उपर आ गयी और अपनी कमर हिलाते हुवे धक्के लगाने लगी इधर प्रीतम बार बार टाइम का रोना रो रही थी दिन निकलना शुरू हो गया था पर मैं भी फसा पड़ा था पानी निकल ही नही रहा था और कोई दस मिनिट और ऐसे ही बीत गये तो मैने कहा तू नीचे आ और उसकी टाँगो को अपने कंधो पे रखा और तबड तोड़ शॉट लगाने चालू किए ज्योति बस कोई दो मिनिट ही उस स्पीड को झेल पाई और उसने अपना पानी छोड़ दिया इधर मुझे लग तो रहा था
कि मंज़िल करीब है पर कुछ हो नही रहा था अब ज्योति को भी तकलीफ़ होने लगी थी क्यों कि चूत का गीलापन ख़तम हो गया था वो बोली अब मैं और नही कर सकती मुझे मा फ करो मैने खींच के एक झापड़ उसे लगाया और और थोड़ी स्पीड बढ़ा दी मैं धक्के मारे ही जा रहा था की तभी एका एक मेरी टाँगे कांप उठी और गाढ़ा वीर्या ज्योति की चूत को भिगोता चला गया मेरी साँस बहुत बुरी तरफ फूल गयी थी कुछ मिनिट लग गये उन्हे संभालने मे तभी प्रीतम ने मुझे मेरे कपड़े दिए और बोली मैं बाहर जाकर देखती हू कि रास्ता सॉफ है या नही और मेरा इशारा मिलते ही तू निकल जाना मैने कहा ओके और मोका मिलते ही घर की राह पकड़ ली भोर हो चुकी थी इसका मतलब ये था कि मेरे घर वाले भी जाग चुके होंगे अब समय था एक ऑर झूठ बोलने का.
थकावट से पूरा शरीर दुखने लगा थामेहनत भी तो बहुत हुई थी पिछली रात को आँखो मे नींद चढ़ आई थी अब दिमाग़ भी काम नही कर रहा था जब मैं घर पहुचा तो देखा कि मैं गेट तो अंदर से बंद हैं मैं तो खुला छोड़ के गया था अब मैं अंदर कैसे जाउ ये सोचते हुए मैं बाहर बने चबूतरे पे बैठ गया अब मैं फसा कैसे अंदर जाउ आज तो पक्का फसा मैं पर और कोई जुगाड़ भी नही था तो बस इंतज़ार ही करना था कि कब कोई दरवाजा खोले और मैं अंदर जाउ कोई पंद्रह मिनिट बाद गेट खुला और हाथ मे झाड़ू लिए चाची ने दर्शन दिए वो मुझे ऐसे बाहर बैठा देख के बुरी तरह चोंक गयी और बोली तू यहाँ क्या कर रहा हैं तो मैने कुछ नही कहा और झट से भाग कर सीधा अपने कमरे मे घुस गया
शूकर था कि सनडे की वजह से फॅमिली मेंबर आज लेट तक सोए पड़े थे तो मैने अपने कपड़े उतारे और पलंग पे लेट गया और अपनी आँखो को बंद कर लिया थोड़ी देर ही सोया था कि किसीने बुरी तरह झिंजोड़ते हुए मुझे उठा दिया मेरी तो आँखे ही नही खूल रही थी जब कुछ सॉफ सॉफ दिखा तो पता चला मम्मी थी उन्होने मेरा बाजू पकड़ते हुए कहा पूरी रात भी कम पड़ती हैं क्या और मुझे खड़ा कर दिया मैने कहा आप चलो मैं अभी आता हू तो वो बोली नही अभी मेरे साथ चल अब मजबूरी थी तो बाहर आना ही पड़ा बैठक मे गया तो सभी लोग वही थे मैने दादी के पैर पड़े और एक साइड मे बैठ गया तो चाचा बोले जा चाइ ले आ रसोई से हमारे लिए
तो मैं वहाँ गया चाची कपो मे चाइ डाल ही रही थी तो मैने बोला चाची अगर कुछ बिस्कट या नमकीन है तो वो भी दे दो तो वो बोली तुझे भूक भी लग आई और गुस्से से मेरी ओर देखा मैने नज़र झुका ली वो धीरे से बोली बेटा तू मुझे तो बता ही सकता हैं कि आज कल तू रात भर कहाँ रहता हैं क्या मेरा इतना भी हक़ नही है तुझ पर तू कब्से बाते छुपाने लगा है तो मैने कहा मैं फिर कभी बताउन्गा अभी मुझे चाइ दो ओर ट्रे लेके बैठक मे आ गया मेरी हालत बहुत ही खराब हो रही थी नींद अपनी बाहें फैलाए मुझे बुला रही थी परंतु मैं मजबूर था सो नही सकता था मैने पापा से कहा कि आज क्या हम पनीर की सब्ज़ी बना सकते है
तो वो बोले हाँ क्यों नही और चाचा से बोले कि बस स्टॅंड से ले आइयो चाचा ने मेरी तरफ देखा मैं समझ गया कि ये भी मुझपे ही पड़ने वाली है तो मैं सीधा बैठक से बाहर निकल गया तभी ख्याल आया कि क्यों ना नाहया जाए मैं बाथरूम मे घुस गया मैं नहा ही रहा था कि मेरी नज़र चाची की पेंटी पे पड़ी शायद उन्होने नया पीस लिया था उनका ख्याल आते ही लंड महाशय अपनी औकात पे आगये चाची का ख्याल आते ही मेरे अंग मे तनाव आ गया और ना चाहते हुए भी मैं मुट्ठी मारने लगा और हमेशा की तरह उनकी कच्छी पे ही अपना रस गिरा दिया और उसे ठीक करके रख दिया नहा धो के निकला फिर टीवी पे रंगोली देखने लगा
तब तक भोजन भी तैयार हो गया था दबा के लिया और फिर अपने कमरे की ओर चल पड़ा मैं अपनी अलमारी की सफाई कर ही रहा था कि एक बॉक्स मे रंग मिल गये ना जाने कितने दिनो से मैने चित्रकारी नही की थी पता नही कितनी देर रंगो से खेलता रहा पर जब काम पूरा हुआ तो चेहरे पे मुस्कान आ गयी मिता का चित्र उकेर दिया था वहाँ पे दिल को सुकून सा मिला कई देर तक उसे देखता रहा फिर उसे अलमारी मे रख दिया ना चाहते हुए भी आख़िर आँख लग ही गयी और मैं सो गया जब मैं उठा तो 3 बज रहे थे घर मे सन्नाटा छाया हुआ था मैने देखा तो कोई नही दिखा तो मैं चाची के कमरे की ओर बढ़ा तो वो भी वहाँ पे नही थी अब ये लोग कहाँ गये
पर मेन गेट तो अंदर से बंद था तभी बाथरूम से चाची निकली नहा के उनके बालो से पानी टपक रहा था जो उनके ब्लाउस को पूरा भिगो रहा था और एक पेटिकोट नीचे लपेटा हुआ था जिसमे उनकी टाँगो का कटाव सॉफ सॉफ दिख रहा था तो मैने पूछा कि सब लोग कहाँ गये है तो उन्होने बताया कि दादी तो ताइजी के घर पे हैं और तुम्हारे चाचा भाई साब और दीदी अपने किसी दोस्त के घर गये है और शाम तक ही वापिस आएँगे तो मैने कहा कि तो आप ने मुझे पहले क्यों नही उठाया तो वो बोली कि तू सोया पड़ा था और रात को भी तू जगा ही होगा इसलिए डिस्टर्ब नही किया अब मैं उनकी ओर बढ़ा और उनके चुतडो पे चिकोटी काट ली वो बोली बाज आजा तू वैसे तो तुझे चाची चाहिए और बाकी तो उसे कुछ बताता भी नही हैं
मैने उनके चूतड़ कस्के मसल दिए और बोला चाची ऐसा कुछ नही हैं अगर होता तो मैं ज़रूर बताता मैने उन्हे अपनी बाहों मे भरते हुए कहा कि चाची बस एक बार कर लेने दो ना तो वो बोली नही , मैं तुम्हारे चाचा से संतुष्ट हू और उन्हे धोखा नही दूँगी मैने मस्का लगाते हुए कहा कि इसमे धोखा देने वाली बात क्या है थोड़ा प्यार मुझे भी चाहिए ना तो वो सीधा बोली बेटे जब जवान लड़का पूरी पूरी रात घर से बाहर भटकने लगे तो वो प्यार ही पाता हैं अगर तू मुझे बता दे कि तू कहाँ जाता हैं तो मैं तेरे लिए कुछ कर सकती हू तो मैने उत्साहित होते हुए कहा कि
अगर आप मुझे एक बार दे दो तो मैं बता दूँगा तो वो बोली हाई राम कैसे बात करता है कितना अश्लील होगया है तू ना जाने तुझे क्या हो गया हैं मैने कहा तो बताओ उन्होने कुछ सोचा और अपनी चूत पे उंगली फेरते हुए बोली कि मैं तुझे यहाँ पे किस करने दूँगी जब तू चाहे
मैं बोला उसमे कोन्सि बड़ी बात हैं वो तो मैं वैसे भी करलूंगा फिर मैने कहा कि अगर आप मेरे इसको चूसे तो मैं बता दूँगा तो बोली नही तो मैने भी कहा कि फिर आपकी मर्ज़ी तो उन्होने कुछ सोचा और बोली और एक बार ही चुसूगी तो मैं खुश होते हुए बोला कि ओके चाची जान और उनको चूम लिया और अपनी गोदी मे उन्हे उठाया और उनके बेड पे पटक दिया मैने दुबारा उन्हे चूमना शुरू किया और उनकी चूची भी मसल्ने लगा वो बोली क्या कर रहे हो पहले बताओ तो मैने उनसे वादा लिया कि वो किसी को भी नही बतायेन्गि तो उन्होने हम कह दिया अब बारी मेरी थी
मैने बिना लग लप्पेट के उन्हे कहा कि मेरी एक लड़की से दोस्ती हैं और मैं उस से मिलने जाता हू तो वो बोली बस दोस्ती या कुछ ऑर तो मैने कहा कि हमारे शारीरिक संबंध भी है तो उनकी आँख हैरत से फैल गयी वो बोली कब से चल रहा हैं तो मैने कहा कि कोई 2-3 महीने हो गये हैं उनका मूह खुला का खुला रह गया अब उन्होने सवाल दागा कि कोन हैं वो क्या अपने ही गाँव की हैं तो मैने कहा कि हम अपने ही गाँव की है उसका नाम प्रीतम है