05-12-2020, 05:13 PM
कुछ देर और घूमने के बाद मैं वापिस चल पड़ा पेट मे चूहे भी उछल कूद मचाने लगे थे घर आया तो मामी नहा रही थी उन्होने अंदर से ही आवाज़ देते हुवे कहा कि रसोई से खाना ले लू तो मैने कहा कि आप नहा लो फिर साथसाथ ही खाएँगे तभी मुझे आइडिया आया मैं फॉरन नंगा हुआ और बाथरूम की ओर चल दिया दरवाजे को धकेला तो पता चला कि मामी ने अंदर से कुण्डी लगाई हुवी हैं तो मैने कहा कि मामी ज़रा कुण्डी तो खोलो उन्होने बिना वक़्त गवाए दरवाजा खोल दिया मैं तो दंग रह गया उन्हे देख के पूर्ण रूप से नंगी औरत वो भी भीगे हुवे उनके खुले बाल उनके चुतडो को छू रहे थे उन्हे इस तरह देखके मेरा लंड एक दम तन गया और उन्हे सलामी देने लगा
मैं उनकी गोल गान्ड सहलाने लगा मामी मुझसे चिपक गयी तभी उन्होने फव्वारा चला दिया पानी हम दोनो के जिस्मो को भिगोने लगा मैं उनकी गर्देन चूमे लगा वो कस्के मुझसी चिपकी थी मेरा लंड उनके पेट पे दस्तक दे रहा था मैं दोंनो हाथो से गान्ड को दबा रहा था मामी ने अपने होंटो को मेरे होंटो पे रख दिया और उन्हे चूमने लगी मामी का खुद ही पहल करने का अंदाज बहुत ही निराला था थोड़ी देर चूमने के बाद मैं नीचे बैठ गया और उनकी नाभि को चूमने लगा कोई आधे इंच भर की नाभि बहुत ही प्यारी थी मामी गरम होने लगी थी उनके पेट पे गुदगुदी हो रही थी
जिस से वो थोड़ा विचलित हो रही थी फिर मैने उनकी टाँगो को थोड़ा आगे पीछे किया और चूत को अपने मूह मे भर ने वाला ही था तो उन्होने मुझे हटाया और झट से फरश पे घोड़ी बन गयी और बोली मेरे प्यारे ज़रा पीछे से भी तो अपनी मामी की चूत देख मैं हंसा और उनके पीछे आते हुवे उनके चुतडो पे एक चपत लगा दी पल भर मे ही उनका गोरा चूतड़ लाल हो गया वो दर्द भरे स्वर मे बोली आह ये क्यों करते हो तो मैं हँसने लगा और बोला क्यों मज़ा नही आया क्या मेरी रानी और एक चपत और लगा दी और बैठ के मामी की चूत पे अपनी जीभ चलाने लगा
सच मे इस पोज़िशन मे चूत चाटने मे और भी मज़ा आ रहा था और कुछ उपर से गिरता पानी भी ……………………… मेरी जीभ लपा लॅप रेंग रही थी तभी मैने उनकी गान्ड पे भी किस करनी शुरू कर दी गान्ड पे मेरे होंटो का स्पर्श पाके मामी मचलने लगी 15 मिनिट तक मैं बारी बारी से चूत और गान्ड दोनो छत ता रहा फिर मैने अपने लंड को चूत पे लगाया तो मेरा मन बदल गया मैने लंड को गान्ड पे रखा और अंदर सरका दिया मामी का पूरा बदन हिल गया क्यों कि मैने एक तेज धक्के से लंड को अंदर डाला था उनका जिस्म थोड़ा आगे की ओर हो गया
पर कुछ ही पॅलो मे उन्होने अपने को संभाल लिया और गान्ड को मेरी ओर करते हुवे बोली मज़ा आ गया मेरे दीवाने भानजे अरे भांजा काहे का अब तो तू मेरा पति ही बन गया हैं एक तरह से और मेरी ओर आँख मार दी मुझे भी थोड़ा जोश आ गया मैने तुरंत लंड को सुपाडे तक बाहर खींचा और दुगनी ताक़त से अंदर घुसा दिया मामी अब चिल्लाने लगी थी और पता नही क्या बॅड बड़ा रही थी मैं अपने हाथ उनकी कमर मे डाले और बड़े ही मज़े से गान्ड चोदने लगा मामी किसी रंडी से कम नही थी पूरी रात दब के चुदि थी और अब फिर से गान्ड मरा रही थी मेरा उफनता हुवा लंड उनकी गान्ड को और भी चौड़ी कर रहा था मेरे हर धक्के का जवाब वो अपनी गान्ड मटका मटका के दे रही थी
जब मैं लंड अंदर करता तो वो बड़ी ही अदा से अपनी गान्ड सिकोड लेती थी जिस से रागड़ाई का मज़ा बढ़ जाता था काफ़ी देर गान्ड मारने के बाद मैने कहा कि चूत मे डालु तो वो बोली सबकुछ तेरा हैं जहा मर्ज़ी आए वहाँ डाल मैं कॉन हू तुझे रोकने वाली तो मैने लॅंड को एक इंच नीचे करते हुवे चूत मे धंसा दिया अब मामी की टाँगे काँपने लगी थी दना दन मैं उन्हे चोदे जा रहा था मामी भी पूरे जोश मे मज़े ले रही थी मेरा पानी छूटने ही वाला था बस थोड़ी ही देर की बात थी मैने 10-15 धक्के खेंच के मारे और अपना पानी उनके गर्म चुतडो पे छोड़ दिया
बाथरूम मे चुदाई का मज़ा ही आगेया था नहाने के बाद हम कमरे मे चले गये मैने अपने हाथो से मामी को कपड़े पहनाए और उनका शृंगार किया मन तो कर रहा था कि एक बार ऑर चोद दूं पर उन्होने मना कर दिया फिर हम ने खाना ख़तम किया और बैठ के बाते करने लगे तभी मुझे याद आया कि बड़े मामा के घर भी जाना था आज रात उनके रुक के फिर अपने घर जाना था तो मैने मामी की एक बार और चूत मारी और बड़े मामा के घर की ओर चल पड़ा . शाम के 5 बज गये थे मामा बोली बड़ी देर लगाई फिर कुछ ख़ास नही हुआ बस इधर उधर की बातें डिन्नर हुआ और हम सो गये
मैं चॉबारे मे सोया हुआ था रात को मेरी आँख खुली तो पता चला लाइट नही है पूरा बदन पसीने से भीगा था तो मैं बाहर की तरफ आया और पानी के मटके से पानी पी ही रहा था कि मेरे कानो मे चूड़ियों की आवाज़ आई अब इस वक़्त कॉन हो सकता था आवाज़ आती जा रही थी तो मैं बरामदे की ओर मुड़ा ही था कि मैने देखा मामा ने मामी को अपने नीचे लिटाया हुआ है और चुदाई का कार्यक्रम चालू हैं मेरा दिमाग़ घूम गया और लंड झट से खड़ा हो गया ऐसे मे कौसल्या मामी की बड़ी याद आई पर इतनी रात गये उनके पास भी नही जा सकता था तो अपने कच्छे को सरकया और मुट्ठी मारने लगा
उन्हे देखते हुवे और फिर वापिस जाके सो गया सुबह मे जल्दी ही उठ गया और नीचे गया तो देखा मामी झाड़ू लगा रही हैं उनके बोबे ब्लाउस से बाहर छलक रहे थे मैं उन्हे देखता ही रहा उन्होने मेरा ध्यान हटाया और बोली क्या देख रहे हो सुबह सुबह तो मैं सकपका गया और बात बदल दी नहाने धोने और खाना वाने मे ही साढ़े नो से उपर होगये थे अब मुझे जाना था तो उनसे विदा ली और घर की ओर प्रस्थान किया एक लंबे और थकाऊ सफ़र के बाद जब घर पहुचा तो लगभग रात ही हो गयी थी हाथ मूह धोया और घर वालो सी थोड़ी देर बातचीत की फिर दबा के पेट को खुराक दी
इस बीच मौका देख के चाची को चूम भी लिया था और गान्ड भी मसल दी थी फिर उन्हे बताया कि आज मैं प्लॉट मे सोउंगा और अपना बिस्तर उठा के प्लॉट मे पहुच गया असल मे मैं सोच रहा था कि तोड़ा टाइम प्रीतम के साथ भी बिता लूँ पर मैं ये भूल गया था कि उसके भाई के जाने के बाद वो घर पे ऑर उसकी मा उनके बाडे मे सोती थी मैं बहुत उत्साहित सा हो रहा था लगभग साढ़े ग्यारह बजे मैं उठा और उसके बाडे मे पहुच गया और सीधा बिस्तर पे कूद गया उसकी मा शोर मचाते हुवे उठ गई ऑर चोर चोर चिल्लाने लगी मेरी गान्ड फॅट गयी ऐसा भागा वहाँ से कि सीधा प्लॉट मे आकर रुका
सांस बुरी तरह फूल रही थी आज तो बाल बाल बच गया था वरना सारी आशिकी निकल जाती पता नही इतनी इंपॉर्टेंट बात कैसे भूल गया था दिल की बेकाबू धड़कनो को संभालने मे थोड़ा वक़्त लिया मैने अपनी आँख बंद की और पता नही कब नींद आ गयी खैर सुबह हुवी कॉलेज भी जाना था फटाफट घर गया और तैयार हुआ साइकल उठाई तो साला पंक्चर निकला वाह रे मेरी किस्मत पापा के साथ स्कूटर पे जाता तो लेट हो जाता बिना नाश्ता किए ही बस स्टॅंड की ओर भागा शूकर है टेंपो मिल गया था कोई दस मिनिट बाद अगले गाँव मे सवारियाँ छड़ी तो मेरा उनमे से एक मिता थी
चूँकि बहुत भीड़ थी आप तो समझ सकते हैं स्टूडेंट कितने धक्के खाते हुवे अपना सफ़र तय करते है तो मैं उठा और अपनी जगह मिता को दे दी और बाहर लटक गया आधे घंटे के बाद हम सहर पहुच गये अब थोड़ी दूर पैदल ही चलना था मैने किराया दिया और बॅग को कंधे पे लट काते हुवे आगे बढ़ गया तभी पीछे से किसी ने मेरा नाम पुकारा मैने देखा तो मिता भागते हुवे मेरी ही ओर आ रही थी उसकी ज़ुल्फ़िें उसके चेहरे पे लहरा रही थी जिन्हे वो एक हाथ से बार बार हटा रही थी वो आते ही बोली कितना तेज चलते हो मेरे लिए रुक नही सकते थे क्या
मैने जवाब के लिए मूह खोला ही थाकि उसने मुझे थॅंक यू कहा तो मैने पूछा किसलिए तो वो बोली मुझे अपनी जगह देने के लिए तो मैं बस हल्का सा मुस्कुरा दिया फिर हम साथसाथ चलने लगे उसने पूछा तुम्हारा गाँव कॉन सा है तो मैने उसे बताया आज मैं बहुत खुश था मैं मिता से बात कर रहा था मैने दुकान से दो चॉकलेट खरीदी और एक उसे दी उसने बिना किसी झीजक के ले ली ऐसे ही पता नही कब कॉलेज आ गया मैने मन मे सोचा काश ये रास्ता कभी ख़तम ही ना होता तो कितना अच्छा रहता क्लास मे भी मैं नज़र बचा के उसे ही देख लेता था मास्टर ने ताड़ लिया कि मेरा ध्यान कही ऑर हैं और कस्के सूट दिया
उसके सामने तो कचरा ही हो गया पर ये भी बचपन की कुछ बहोत ख़ास्स यादे है लाइब्ररी जाते हुवे मैने ख़ास दोस्त जो मेरी ही बेंच पे बैठता था उसे अपनी पूरी सिचुयेशन बताई उसने पूरी बात सुनी और कहा यार ये मिता बहुत ही गुस्से वाली लड़की हैं मेरे भाई बच के रहियो और बस अपनी स्टडी पे ध्यान दे इस साल बोर्ड एग्ज़ॅम हैं पर मेरे तो दिल मे वो बस गयी थी शायद प्यार का बीज का अंकुरित होने ही वाला था खैर छुट्टी हुवी और फिर हम दोनो एक ही टेंपो से घर वापिस आ रहे थे
वो बिल्कुल मुझसे सट के बैठी थी पर उस टाइम मेरे मन मे कोई ग़लत भावना नही थी मैं बस उसके बदन की खुसबू ले रहा था फिर उसका स्टॅंड आ गया वो बड़ी ही नज़ाकत से उतरी ओर मेरी ओर देख के बहुत ही धीमे से मुस्काई जिसे केवल मैं ही देख पाया मैं अपने घर पहुचा तो साढ़े चार बज रहे थे पता चला दादी भी मम्मी के साथ खेतो मे गयी थी मैने कपड़े चेंज किए और कुछ खाया पिया तभी चाची अपने कमरे से आई और बोली चाइ बना दूं क्या तो मैने कहा मैं दूध पियुंगा तो वो बोली ठीक हैं मैं अभी गरम कर देती हू और रसोई मे चली गयी मैने फॉरन मेन गेट को बंद किया
और रसोई मे जाके चाची को अपनी बाहों मे भर लिया वो बोली छोड़ो मुझे अगर कोई आ गया तो मैने कहा चिंता मत करो गेट बंद कर दिया है वो फिर भी बोली जेठानी जी भी आने वाली है तुम मरवाओगे मुझे तुम्हारे उपर लगाम डालनी पड़ेगी आज कल तुम मेरी छूट का ग़लत फ़ायदा उठाने लगे हो तो मैं उनकी चूची को मसल्ते हुवे बोला कि मेरी प्यारी चाची मैने अभी तक तो कुछ किया भी नही है और आप भी कहाँ कुछ करने देती हो तो वो बोली अभी तेरे लिए इतना ही बहुत है मैने उन्हे दीवार के सहारे लगा दिया ।
और उनके होंटो को अपने मूह मे दबा लिया और उनका रस पीने लगा वो उूुुुुुुुुुुउउ उूुुुुुुुुुुुुुुुुउउ करने लगी और छूटने की कोशिस करने लगी पर मेरी पकड़ मजबूत थी मैने उन्हे कस के दबोच लिया और काफ़ी देर उन्हे चूस्ता ही रहा फिर मैने अपने होंठ हटाए और चाची से कहा अगर वो बुरा ना माने तो क्या मैं उन्हे किस करू तो वो बोली कि अभी क्या किया था तो मैने चूत पे हाथ रखते हुवे कहा इधर चाची तो वो शर्मा गयी और मना करने लगी वो बोली तुम इतनी ज़िद मत करो खुद तो मरोगे और मुझे भी मरवाओगे गे पर मैने उनकी सलवार का नाडा खोल दिया
और चढ्ढि समेत उसे उनके घुटनो तक सरका दी चाची की बालो से धकि गुलाबी चूत देख कर मेरा लंड पॅंट मे फड़फड़ाने लगा दिल मे तो आया कि अभी उसे चोद ही दूं पर मैं उनकी मर्ज़ी से ही उन्हे चोदना चाहता था आधी तो वो मेरी तरफ हो गयी थी ही बस थोड़ा और इंतज़ार था वो शरमाते हुवे बोली जो करना हैं जल्दी से करले कही कोई आ ना जाए मैने बस उनकी चूत पे अपना मूह लगाया ही था कि धाड़ से दरवाजा बज उठा चाची को पसीना आ गया उन्होने फॉरन अपनी सलवार उठाई और नाडा बाँधने लगी
मैने गेट खोला तो मम्मी खड़ी थी उन्होने सीधा सवाल दागा कि गेट क्यों बंद था तभी पीछे से आती हुवी चाची बोली जीजी वो पड़ोसियों की बकरिया घुस जाती है इसलिए बंद किया था तो मम्मी बोली अच्छा किया और अंदर आ गयी दादी ताई जी के पास रुक गयी थी फिर चाची ने मम्मी को चाइ पकडाइ मैं भी उनके पास ही बैठ गया मेरा मोका चला गया था पर कुछ कर भी नही सकता था साढ़े पाँच बजे मैं घूमने निकल पड़ा सोच रहा था कि अब बस प्रीतम का ही सहारा है वो मिल जाए तो करार कर लूँ पर वो भी साली नाराज़ थी क्यों कि कई दिनों से उस से मैं मिला नही था पर उसके दर्शन भी नही हुवे ऐसे ही इधर उधर खाक छान ने के बाद अब जाना तो घर ही था छत पे बिस्तर जमा ही रहा था कि चाचा मेरे पास आ गये
और बोले क्या बात है कभी तो इधर सोता हैं अचानक प्लॉट मे चला जाता हैं चक्कर क्या हैं तो मैने शराफ़त से जवाब दिया कि बस कभी दिल करता हैं तो उधर चला जाता हूँ और कोई बात नही हैं तो वो बोले अरे मैं तो ऐसे ही पूछ रहा था बुरा मत मानना फिर वो भी मेरे साथ ही वही लेट गये और बाते करने लगे कुछ देर बाद वो चले गये दिल मे चूत लेने की इच्छा हो रही थी अब मुट्ठी मारने का तो मन ही नही करता था पर कोई जुगाड़ भी नही हो रहा था अगले दिन शनि वार था तो दो दिन की छुट्टी थी इधर लंड कच्छे को फाड़ के बाहर आने को मचल रहा था तो मैं एक फ़ैसला किया कि आज रात को प्रीतम के घर पहुचा जाए मुझे पता तो था ही कि उसकी मा तो बाडे मे सोएगी तो उसकी चूत मारनी ही हैं मैने दृढ़ निश्चय किया
और घर वालो के सोने का इंतज़ार करने लगा पर वो भी सो ही नही रहे थे खैर इंतज़ार ख़तम हुआ कोई ग्यारह बजे मैने जायज़ा लिया कि सब सो गये या कोई कमी हैं पूरे घर की लाइट बंद थी धीरे से गेट खोला और चल पड़ा अपने शिकार की ओर रास्ता साला कुछ ज़्यादा ही लंबा लग रहा था पर राही अगर चला था तो मंज़िल पे पहुचना था ही मैने सावधानी से चारो तरफ देखा दूर दूर तक सब सुनसान ही था तो हौले से उसका गेट खड खड़ाया पर कोई नही आया काफ़ी देर ऐसे ही मैं धीरे धीरे गेट खड़खड़ाता रहा पर कोई आया ही नही अब इतनी रात को ज़ोर से भी नही खड़का सकता था अब क्या करू पर प्रीतम को तो चोदना ही था मैं सोचने लगा कि किस तरह घर के अंदर जाउ
गोर से देखा तो पाया कि उनके गेट के पास की दीवार पे दो मोखे बने थे जिनमे पैर फसा के चढ़ा जा सकता था मैने सोचा कोशिश तो करू पहली बार मे बात नही बनी पर दूसरी बार मैं किसी तरह चढ़ ही गया और अंदर की पानी की टंकी पे पैर रख के आराम से उतर गया अब थोडिशांति मिली आँगन का बल्ब चालू था तो देखा कि दोनो कमरो मे ताले थे मतलब वो चॉबारे मे सो रही थी मैं दबे पाँव उपर चल दिया किवाड़ खुला ही था पर यहाँ का बल्ब बुझा हुवा था मुझे पता तो था ही कि बेड कहाँ हैं तो मैं वही पहुचा और प्रीतम को टटोलने लगा जैसे ही मेरे हाथो पे नारी के जिस्म का स्पर्श हुवा मैं सीधा उसपे चढ़ गया वो एकदम इस हमले से घबरा गयी और चीख पड़ी पर ये आवाज़ तो किसी ओर की थी अब ये क्या हुआ ।
तभी लाइट जल गयी मैने चोन्क्ते हुवे उधर देखा तो प्रीतम तो बिजली के बोर्ड के पास थी बल्ब उसी ने जलाया था मैने फॉरन वापिस देखा ये तो कोई और ही लड़की थी मैं उस से दूर हटा ओर वही बेड पे ही एक साइड मे बैठ गया अब प्रीतम ने मोर्चा संभाला और राशन पानी लेके मुझपे चढ़ गयी वो बोली कमिने तू यहाँ कैसे अगर कोई प्लान बनाना था तो पहले मुझे बता तो देता हाई राम अब मैं क्या करूँ जब मैं पीछे पीछे फिरू तब तो रसीद नही देता और अब इस तरह यहाँ पे टपक पड़ा है मैने उसे कहा चुप करो और थोड़ा पानी पिलाओ तो वो लड़की नीचे चली गई तो मैने प्रीतम से पूछा ये कॉन है तो वो बोली कि ये मेरी मोसी की लड़की है कुछ दिन इधर रहने आई हैं
तो मैं बोला अब कैसे करेंगे तो वो गुस्से से बोली कि जब तुझे ज़रूरत हो तो आ जाता हैं मैं इतने दिनो से बुला रही हू तो कहाँ गायब था मैने उसे सारी बात बातयी और उस से चिपक गया तभी वो लड़की आ गई और मुझे पानी की बॉटल दी ठंडा पानी पीके थोड़ा सुकून मिला प्रीतम बोली ज्योति तू नीचे वाले कमरे मे सोजा मैं कुछ देर मे आ जाउन्गि अब ज्योति भी जवान लड़की थी कोई 22 की होगी तो सब समझ रही थी उसके गाल भी लाल हो गये थे वो बोली दीदी मुझे अकेले मे डर लगता है तो प्रीतम उसे डाँट ते हुवे बोली कि ज़्यादा श्यानी मत और चुप चाप जाके सो जा और वो गुस्से से पैर पटकते हुवे नीचे चली गयी ज्योति भी वैसे माल ही थी प्रीतम से थोड़ी पतली थी पर माल तो माल ही होता हैं
प्रीतम बोली तुमसे जोड़ी ना बनती तो चैन से रहती तेरा क्या हैं चला जाएगा पर संभालना तो मुझे ही पड़ेगा तो मैने कहा अब बस भी कर और उसे लिए लिए बेड पे पड़ गया उसकी चूत को सलवार के उपर से ही मसल्ने लगा आज उसकी चूत कुछ ज़्यादा ही फूली फूली लग रही थी कुछ ही देर मे हमारे कपड़े इधर उधर बिखरे पड़े हुवे थे मैने उसके निचले होन्ट पे अपने दाँत रगड़ने चालू कर दिए वो सिसकारिया निकालने लगी मैं उसके निचले होन्ट को बहुत ही ज़ोर से चूस रहा था प्रीतम ने मेरे लंड को अपने हाथ मे थाम लिया और मसल्ने लगी उसकी मुलायम उंगलियाँ मेरे लंड के सुपाडे पे अपना कमाल दिखाने लगी वही दूसरी ओर हमारी जीभ एक दूसरे से शरारत करने लगी थी
बड़े ही प्यार से उसकी जीभ मेरे मूह मे घूम रही थी मैने अपनी एक उंगली प्रीतम की करारी चूत मे सरका दी और उसने अपनी जाँघो को फॉरन भींच लिया ये उसकी कुछ खास अदाओं मे से थी मैं भी आहिस्ता आहिस्ता अपनी उंगली उसकी गीली चूत मे फिराने लगा मुझे ऐसे महसूस हुआ कि उसकी चूत का साइज़ थोड़ा बढ़ सा गया हो तो मैने उसे अलग करते हुवे कहा कि प्रीतम एक बात बता मेरे पीछे से क्या तू किसी ऑर से भी चुदवाती है क्या तो वो बोली तुझे ये क्या सूझा तो मैने कहा सच सच बता तो वो बोली अरे मैं एक टाइम मे बस एक से ही चुदती हू तो मैने कहा फिर ये इतनी कैसे फूल गयी तो वो गुस्से से बोली कमिने जब अपना लौडा गपा गॅप इसमे अंदर बाहर करता है
तब नही पूछता अब वकील बन रहा है और अपना मूह फूला के दूसरी तरफ बैठ गयी मुझे भी गुस्सा चढ़ आया मैने कहा जा साली इतने नखरे मुझे मत दिखा दे तो दे वरना मत दे तेरी चीज़ हैं तू जाने और बगल मे बैठ गया और अपने लंड को सहलाने लगा प्रीतम कनखियो से मुझे देख रही थी तो वो बोली मुझे पे हुकम मत लगाया कर मैं तेरी पर्सनल रंडी नही हू मेरी अपनी मर्ज़ी है मैं चाहे जो करूँ मैने कहा साली पूछा ही तो हैं इतना गरम क्यों हो रही हैं तो वो बोली एक बात समझ ले अगर तेरे साथ सोती हू तो इसका मतलब ये नही है कि मैं कोई रंडी हू क्या कभी मैने तुझसे कोई डिमॅंड की हैं क्या वो बस गुस्से मे आउट ऑफ कंट्रोल होती जा रही थी
मुझे भी ताव आने लगा था मैने उसे पानी की बॉटल दी ओर पानी पिलाया ओर वो रोते हुवे बोली साले कुत्ते मैने तुझे अपना दोस्त समझा और तूने मुझपे शक किया तू भी औरो की तरह निकला और मेरे सीने से लग के फूट फूट के रोने लगी ज्योति भी उपर आ गयी हम दोनो बिल्कुल नंगे थे वो हमें इस तरह देख के थोड़ी परेशान हो गयी पर वो वापिस नही गयी और वही पे साइड मे रखी स्टूल पे बैठ गयी और बोली अबे तुमने क्या चक्कर लगा रखा है ना खुद सो रहे हो ना किसी किसी को सोने दे रहे हो तो प्रीतम बोली तू अपना काम करना और मुझसे हटी और अपनी सलवार पहन ने लगी पर मैने उसका हाथ पकड़ लिया तो प्रीतम बोली देख आज मेरा दिमाग़ बहुत खराब हैं
आज मुझे माफी दे और तू जा कहाँ तो चुदाई के सपने थे और कहाँ महॉल ऐसा हो गया था मैने भी उसकी फीलिंग्स का सम्मान करते हुवे अपने कपड़े पहनने चालू किए मैने उसके सर को हल्के से सहलाया और उसके माथे पे एक चुंबन अंकित किया और वापिस चलने को मुड़ा थी था कि वो बोली एक काम कर इस ज्योति को चोद दे ये सुनके ज्योति की तो गान्ड ही फॅट गयी तो प्रीतम बोली अरे घबरा मत ये तो मुझसे भी जबरदस्त चीज़ है आजा इसको चोद दे ज्योति की तो सांस ही अटक गयी उसने अपनी कोहनी प्रीतम को मारते हुए कहा कि दीदी चुप हो जाओ हालाँकि मोका मिल भी रहा था पर मैने प्रीतम की ओर देखते हुवे मना किया और चुप चाप वापिस हो लिया
रात का अंधेरा मेरे साए को अपने मे समेटे था मैं गाँव के तालाब की ओर चल पड़ा उसके शांत पानी को देख के मन को बहुत अच्छा लगा सुबह तक मैं वही बैठा रहा घर जाने का मन ही नही हो रहा था प्रीतम मुझे अपना दोस्त मानती थी पर मेरे लिए वो एक चूत से ज़्यादा कुछ नही थी मैने सोचा कि कल मिलते ही उस से माफी माँग लूँगा फिर मैं खुद के और मिता के बारे मे सोचने लगा मैने गोर किया तो पाया कि मैं दो तरह की जिंदगी जीने लगा था एक तरफ मैं चुदाई के सागर मे डूबता जा रहा था दूसरी ओर खड़ी थी मिता उस टाइम मुझे अंदाज़ा भी नही था कि उसकी वजह से एक दिन मेरी ज़िंदगी मे एक भूचाल आएगा जो मेरा सब कुछ तबाह कर ले जाए गा खैर, दिन निकलने लगा था चिड़ियों की मधुर आवाज़ गूंजने लगी थी मैने अपना मूह धोया और घर चल पड़ा
जाते ही सीधा रसोई मे गया आज वहाँ मम्मी थी उन्होने चाइ बिस्कट दिए और मैं उन्हे लेके बैठक मे आ गया पापा अख़बार पढ़ रहे थे दोस्तो उन दिनो रंगीन अख़बार पढ़ने का बड़ा चाव होता था फिर चाची के दर्शन हुवे वो मुझे साइड मे ले गयी और बोली रात को कहाँ पे था तू तो मैने कहा मैं तो छत पे ही सोया पड़ा था वो गुस्से से बोली झूठ मत बोल रात को तेरे चाचा भी छत पे सोने चले गये थे तेरे पास पर तू वहाँ नही था वो गुस्से मे हैं अब तू जाने उनको ही जवाब दियो और चली गयी अब मैं फसा क्या करू तभी पापा ने आवाज़ लगाई ऑर बोले कि बानिए की दुकान से भैंसो के लिए बाजरी की दो बोरिया ले आईओ मैं बोरिया लेके प्लॉट मे पहुचा तो चाचा वही पे नहा रहे थे उन्होने सीधे सीधे पूछा कि रात के बारे मे तो मैने कहा कि मैं गाँव के तालाब के पास बैठा था पूरी रात झूठ बोलने का कोई फ़ायदा तो था नही मैने स्पस्ट रूप से कह दिया कि आज कल मेरा मन थोड़ा विचलित रहता है तो मैं अक्सर वहाँ चला जाता हू तो वो बोले बेटे पर पूरी पूरी रात घर से बाहर रहना भी तो ग़लत हैं ना मैं समझता हू कि तुम्हारी उमर मे बच्चो को कुछ प्रॉब्लम्स होती हैं पर बेटे जमाना खराब हैं तुम हमारे घर के इक्लोते बच्चे हो हमें फिकर हैं तुम्हारी आगे थोड़ा ध्यान रखना और कोई प्राब्लम हो तो हम से शेअर करना और मेरे गाल को थप थपा दिया
सच बटाऊ उनकी इस बात ने दिल छू लिया फिर हम घर आए और पूरा दिन मस्ती मे बीत गया शाम को प्रीतम मिली तो बोली आज तेरा इंतजार करूँगी 11 बजे आ जइयो चुप चाप मैं बस हल्के से हंस दिया अब बस प्लान बनाना था क्यों कि मैं कोई रिस्क नही लेना चाहता था क्यों कि अगर अब मैं पकड़ा जाता तो संभालना मुश्किल हो जाता मैं चाची के पास गया और उनको बताया कि मुझे थोड़ी मदद चाहिए तो बोली बता तो मैने कहा मुझे आज रात कहीं जाना हैं और चाचा फिर से छत पे नही जाने चाहिए आप कुछ भी करके अड्जस्ट करो तो वो बोली पहले बता कहाँ जाएगा तू तो मैने झूठ बोला कि मेरे एक दोस्त के घर पे आज वीसीआर लाए हैं मैं फिल्म देखने जाउन्गा
तो चाची बोली उसके लिए आज से पहले कभी तूने पर्मिशन नही ली अगर सच बताएगा तो मैं कुछ मदद करूँगी वरना तू जाने तेरा काम जाने और अपने काम मे वापिस लग गयी मैं उन्हे नही बताना चाहता था कि मेरा प्लान क्या है तो बस चुप चाप आके छत पे लेट गया खाना भी नही खाया और ना ही किसी ने पूछा पर मैनी सोच लिया था अगर जाना है तो जाना है देखा जाएगा जो होगा जैसे ही घर वाले सोए मैं चुप चाप वहाँ से खिसक लिया कदम अपने आप मंज़िल की ओर बढ़ने लगे
जैसे ही उसके दरवाजे पे दबाव डाला वो खुलता चला गया प्रीतम ने दरवाजा खुला ही रखा था आज मैने उसे बंद किया और अंदर चला गया मंज़िल वोही चॉबरा था ज्योति भी जाग रही थी उसने मेरी ओर देखा और हंस पड़ी वो उठ के नीचे जाने लगी तो मैने कहा अरे थोड़ी देर तो बैठो तो वो फिर से बैठ गयी मैने प्रीतम को कहा कुछ पड़ा हैं तो खिला दे वो बोली मेरे इधर क्या होटल खुला हैं अपने घर से ख़ाके आता और बॅड बड़ाते हुवे नीचे चली गयी और एक प्लेट मे कुछ रोटिया और सब्ज़ी लेके आई प्रीतम के घर खाना बहुत अच्छा लगता था माना कि वो गाँव भर मे बदनाम थी पर मैं उसे बहुत अच्छी तरह से जान ने लगा था दोस्ती निभाना कोई उस से सीखे
मैने खाना ख़तम किया थोड़ा पानी पिया और प्रीतम की गोद मे सर रख के लेट गया ज्योति बहुत ही गोर से हमे देख रही थी प्रीतम मेरे बालो मे हाथ फिराने लगी फिर उसने ज्योति को नीचे जाने को कहा पर ज्योति बोली आप लोग लाइट बंद कर लो और फिर जो चाहे वो करना मुझे अकेले डर लगता हैं तो मैं एक साइड मे सो जाउन्गि आपको डिस्टर्ब नही करूँगी तो प्रीतम बोली ठीक है और मुझे क्या ऐतराज़ होना था पर मैं नीचे गया और एक चारपाई उठा लाया और उसपे बिस्तर बिछा के ज्योति से बोला तुम इधर सो जाना अब प्रीतम ने लाइट बंद की ओर नंगी होके बिस्तर पे आ गयी जैसे ही मेरे हाथों ने उसके जिस्म को महसूस किया मैने भी अपने कपड़े उतार दिए दो नंगे जिस्म एक दूसरे मे समा जाने को बेताब थे
मैने प्रीतम के बोबे पीने शुरू कर दिए और वो ज़ोर से उउउउउउउउम्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म की आवाज़ निकालने लगी मैने कहा ज्योति का ख्याल तो करले कमिनि तो वो मेरे कान पे अपने दाँत गढ़ाते हुवे बोली तू उसकी फिकर मत कर और मेरी तरफ ध्यान दे और मेरे कान को चूमने लगी आज वो कुछ ज़्यादा ही आवाज़ निकाल रही थी मैं बारी बारी से दोनो बोबे चूमने मे लगा था कोई 15 मिनिट तक ऐसे ही चलता रहा फिर उसने मेरी गोद मे अपना सर रखा और लंड को चूसने लगी
मेरा हाथ भी उसके गोल मटोल चुतडो पे पहुच गया उफफी इतने बड़े चूतड़ कामुकता उफान भरने लगी थी वो गप गुप करते हुवे लंड चूसे जा रही थी मैने उसकी चोटी को खोल दिया उसके बालो ने पूरे चेहरे को ढक लिया आज लड़ चूसने मे बहुत मज़ा आ रहा था पूरा लंड थूक से गीला हो गया था अब वो मेरे उपर आई और मेरे लंड को अपनी चूत के बुलंद दरवाजे पे रगड़ने लगी और उसे अपनी चूत मे ले लिया प्रीतम के मूह से अहह्ा अहहाआआआआआआआआआआआआहह
की मस्ती भरी आ निकल गयी प्रीतम अब अपने कुल्हो को हिलाने लगी लंड चूत की दीवारो को भेदते हुवे अंदर बाहर हो रहा था चूत से रिस्ता रस लंड को ओर चिकनाई प्रदान कर रहा था कुछ मिनिट ऐसे ही चलता रहा तभी प्रीतम झट से उठी ओर लाइट जला दी ज्योति भी जागी पड़ी थी और मेरे चूत के रस से भीगे खड़े लंड सिचुयेशन थोड़ी अजीब सी हो गयी थी तो प्रीतम बोली अरे तू भी आजा और थोड़े मज़े ले ले वरना बाद मे कहेगी कि दीदी ने अकेले अकेले सब माल खा लिया और उसके कपड़े उतारने लगी पर ज्योति थोड़ा शर्मा रही थी तो प्रीतम ने उसकी चूची को बुरी तरह से मसल्ते हुवे कहा पूरे दिन से लंड लंड कर रही थी और अब सती- सावित्री बन रही हैं
आजा जल्दी से और अपनी आग बुझा ले तो ज्योति बोली पर दीदी हम तीनो एक साथ ? तो प्रीतम गाली देती हुवे बोले जा तेरी मा चुदा कुत्ति तेरे चक्कर मे मेरी भी लगी पड़ी हैं चुदना है तो आ वरना ऐसी तैसे करा और मेरे लंड को अपनी मुट्ठी मे भर के हिलाने लगी तो ज्योति बोली ठीक है दीदी और हमारे साथ बेड पे आ गयी ब्लॅक पेंटी ही थी कपड़ो के नाम पे उसके बदन पे चूचिया 34 तो होंगी ही पर बहुत ही सॉफ्ट थी बिल्कुल रेशम की तरह वजन भी आधा किलो से कम तो नही था ज्योति ने लाइट ऑफ करदी मैं समझ सकता था अब मैं बीच मे लेटा था और मेरे अगल बगल दो हुस्न की चिंगारिया थी जो शोलो मे बदलने को बेताब थी दोनो मैने ज्योति का हाथ पकड़ा और अपने लंड पे रख दिया
ज्योति ने उसे बस छू भर लिया मैने उसे अपनी ओर खींचा और उसके दहक्ते हुवे होंटो पे अपने होंठ रखे और चूसने लगा वो उउउउउउउउउउउउउउउउ करने लगी तभी प्रीतम ने अपने हाथो से उसकी चूचियो को भींचना शुरू कर दिया और बोली आज तुझे पता चल जाएगा चूत कैसे मरवाते हैं लंड तो कई खाए होंगे तूने पर आज एक अलग ही मज़ा लेगी तू और उसे गरम करने लगी मैं तो बस उसके होंठ चूमे ही जा रहा था ज्योति की साँसे मेरे चेहरे पे पड़ रही थी आज घमासान मचना पक्का था तभी प्रीतम ने उसे मुझसे हटाया और मेरे लंड पे चढ़ती हुवी बोली पहले मैं अपना मज़ा लूँगी क्योंकि मैं बड़ी हू तू थोड़ा वेट करले और लंड पे धड़ा धड़ कूदने लगी
मैं बोला थोड़ा धीरे जानेमन कही पेट मे दर्द ना हो जाए उसने अपने हाथ मेरे सीने पे फेरने चालू किए मुझे बहुत मज़ा आ रहा था मैने ज्योति के कान मे कहा कभी चूत को छत वाया हैं वो बोली ना मैने कहा एक काम कर मेरे मूह पे आजा वो भी थोड़ा रोमांचित हो रही थी शायद फटा फट हो पोज़िशन पे आगयि मैने उसके कुल्हो पे हाथ रखा और अपनी ओर खींचा और कच्छि के उपर से चूत को थोड़ा दबाया तो मचल गयी मैने कच्छि को फॉरन उसके घुटनो पे खींच दिया
दूसरी ओर प्रीतम अपनी गान्ड का पूरा ज़ोर लगाते हुवे लंड पे कूद रही थी जैंसे ही ज्योति की चूत मेरे मूह मे आई मुझे पता चल गया कि बाल तो सॉफ हैं मुझे ख़ुसी हुवी और मैने बड़े ज़ोर से चूत को काट लिया ज्योति की चीख निकल गयी वो बोली आआआआआआआआआआआआआआआआआआअ मुंम्म्ममममममममममममममममय्यययययययययययययययययययययययययययययी औचह्ा आआआआआआऐययईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईई
मैं अब पूरी चूत को अपने मूह मे भरके चूस रहा था उसकी पहली चूत चुसाइ थी तो उसका रोम रोम इस आनंद से भर गया और काम रस की धार बह निकली अब मुझे दो तरफ से मज़ा आ रहा था कमरे मे सांसो का तूफान छा गया था ज्योति अपनी गान्ड मचका मचका के चूत का पानी मुझे पिला रही थी और बड़ी ही ज़ोर से अहह
औचह्ा आआआआआआऐययईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईई
मैं अब पूरी चूत को अपने मूह मे भरके चूस रहा था उसकी पहली चूत चुसाइ थी तो उसका रोम रोम इस आनंद से भर गया और काम रस की धार बह निकली अब मुझे दो तरफ से मज़ा आ रहा था कमरे मे सांसो का तूफान छा गया था ज्योति अपनी गान्ड मचका मचका के चूत का पानी मुझे पिला रही थी और बड़ी ही ज़ोर से अहह भोऊुुुुुुुुुुुुुुुुुुुुुुुुुउउत्त्त्टटटटटटटटटटटटटटटटटटटटटटटटटटटटटटटटटटटतत्त अचहाआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआ लग रहा हैं बस आईसस्स्स्स्स्सीईईईईईईईईईईईईईईईईई हीईीईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईई करो बुसस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स आईसीईईईईईईईईईईईईई हहिईीईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईई
तभी प्रीतम लंड पे से खड़ी हुवी और ज्योति को धक्का देते हुवे लेट गयी और अपनी मांसल जाँघो को मेरे कंधो पे रख दिया मैने भी झट से उसके टाँगे थामी और लंड को अंदर घुसा दिया और उसे जन्नत की सैर कराने लगा ज्योतिनराज़ होते हुवे बोली तो प्रीतम ने कहा बस कुछ देर रुक जा फिर तू भी अपनी तस्सली करलियो और मुझे धक्के तेज करने को कहा मैने भी शक्ति प्रदर्शन करते हुवे चुदाई की रफ़्तार बढ़ा दी थी इधर ज्योति अगन मे जलती हुवी खीजने लगी थी पर प्रीतम का तो ध्यान बस अपनी चूत मरवाने मे ही था हमारी साँसे बुरी तरह फूल रही थी
शरीर का सारा खून जैसे बस चेहरे पे ही छा गया था 15-20 मिनिट तक बस कमरे मे चुदाई की आवाज़ ही गूँजती रही और फिर हम दोनो लग भग साथ साथ ही झाड़ गये मैं पूरी ताक़त से उसपे लड़ा था और जब तक लंड सिकुड कर खुद ब खुद बाहर ना निकल गया उसके उपर से उठा ही नही इधर ज्योति का हाल भी बहुत बुरा हो रहा था
मैं उनकी गोल गान्ड सहलाने लगा मामी मुझसे चिपक गयी तभी उन्होने फव्वारा चला दिया पानी हम दोनो के जिस्मो को भिगोने लगा मैं उनकी गर्देन चूमे लगा वो कस्के मुझसी चिपकी थी मेरा लंड उनके पेट पे दस्तक दे रहा था मैं दोंनो हाथो से गान्ड को दबा रहा था मामी ने अपने होंटो को मेरे होंटो पे रख दिया और उन्हे चूमने लगी मामी का खुद ही पहल करने का अंदाज बहुत ही निराला था थोड़ी देर चूमने के बाद मैं नीचे बैठ गया और उनकी नाभि को चूमने लगा कोई आधे इंच भर की नाभि बहुत ही प्यारी थी मामी गरम होने लगी थी उनके पेट पे गुदगुदी हो रही थी
जिस से वो थोड़ा विचलित हो रही थी फिर मैने उनकी टाँगो को थोड़ा आगे पीछे किया और चूत को अपने मूह मे भर ने वाला ही था तो उन्होने मुझे हटाया और झट से फरश पे घोड़ी बन गयी और बोली मेरे प्यारे ज़रा पीछे से भी तो अपनी मामी की चूत देख मैं हंसा और उनके पीछे आते हुवे उनके चुतडो पे एक चपत लगा दी पल भर मे ही उनका गोरा चूतड़ लाल हो गया वो दर्द भरे स्वर मे बोली आह ये क्यों करते हो तो मैं हँसने लगा और बोला क्यों मज़ा नही आया क्या मेरी रानी और एक चपत और लगा दी और बैठ के मामी की चूत पे अपनी जीभ चलाने लगा
सच मे इस पोज़िशन मे चूत चाटने मे और भी मज़ा आ रहा था और कुछ उपर से गिरता पानी भी ……………………… मेरी जीभ लपा लॅप रेंग रही थी तभी मैने उनकी गान्ड पे भी किस करनी शुरू कर दी गान्ड पे मेरे होंटो का स्पर्श पाके मामी मचलने लगी 15 मिनिट तक मैं बारी बारी से चूत और गान्ड दोनो छत ता रहा फिर मैने अपने लंड को चूत पे लगाया तो मेरा मन बदल गया मैने लंड को गान्ड पे रखा और अंदर सरका दिया मामी का पूरा बदन हिल गया क्यों कि मैने एक तेज धक्के से लंड को अंदर डाला था उनका जिस्म थोड़ा आगे की ओर हो गया
पर कुछ ही पॅलो मे उन्होने अपने को संभाल लिया और गान्ड को मेरी ओर करते हुवे बोली मज़ा आ गया मेरे दीवाने भानजे अरे भांजा काहे का अब तो तू मेरा पति ही बन गया हैं एक तरह से और मेरी ओर आँख मार दी मुझे भी थोड़ा जोश आ गया मैने तुरंत लंड को सुपाडे तक बाहर खींचा और दुगनी ताक़त से अंदर घुसा दिया मामी अब चिल्लाने लगी थी और पता नही क्या बॅड बड़ा रही थी मैं अपने हाथ उनकी कमर मे डाले और बड़े ही मज़े से गान्ड चोदने लगा मामी किसी रंडी से कम नही थी पूरी रात दब के चुदि थी और अब फिर से गान्ड मरा रही थी मेरा उफनता हुवा लंड उनकी गान्ड को और भी चौड़ी कर रहा था मेरे हर धक्के का जवाब वो अपनी गान्ड मटका मटका के दे रही थी
जब मैं लंड अंदर करता तो वो बड़ी ही अदा से अपनी गान्ड सिकोड लेती थी जिस से रागड़ाई का मज़ा बढ़ जाता था काफ़ी देर गान्ड मारने के बाद मैने कहा कि चूत मे डालु तो वो बोली सबकुछ तेरा हैं जहा मर्ज़ी आए वहाँ डाल मैं कॉन हू तुझे रोकने वाली तो मैने लॅंड को एक इंच नीचे करते हुवे चूत मे धंसा दिया अब मामी की टाँगे काँपने लगी थी दना दन मैं उन्हे चोदे जा रहा था मामी भी पूरे जोश मे मज़े ले रही थी मेरा पानी छूटने ही वाला था बस थोड़ी ही देर की बात थी मैने 10-15 धक्के खेंच के मारे और अपना पानी उनके गर्म चुतडो पे छोड़ दिया
बाथरूम मे चुदाई का मज़ा ही आगेया था नहाने के बाद हम कमरे मे चले गये मैने अपने हाथो से मामी को कपड़े पहनाए और उनका शृंगार किया मन तो कर रहा था कि एक बार ऑर चोद दूं पर उन्होने मना कर दिया फिर हम ने खाना ख़तम किया और बैठ के बाते करने लगे तभी मुझे याद आया कि बड़े मामा के घर भी जाना था आज रात उनके रुक के फिर अपने घर जाना था तो मैने मामी की एक बार और चूत मारी और बड़े मामा के घर की ओर चल पड़ा . शाम के 5 बज गये थे मामा बोली बड़ी देर लगाई फिर कुछ ख़ास नही हुआ बस इधर उधर की बातें डिन्नर हुआ और हम सो गये
मैं चॉबारे मे सोया हुआ था रात को मेरी आँख खुली तो पता चला लाइट नही है पूरा बदन पसीने से भीगा था तो मैं बाहर की तरफ आया और पानी के मटके से पानी पी ही रहा था कि मेरे कानो मे चूड़ियों की आवाज़ आई अब इस वक़्त कॉन हो सकता था आवाज़ आती जा रही थी तो मैं बरामदे की ओर मुड़ा ही था कि मैने देखा मामा ने मामी को अपने नीचे लिटाया हुआ है और चुदाई का कार्यक्रम चालू हैं मेरा दिमाग़ घूम गया और लंड झट से खड़ा हो गया ऐसे मे कौसल्या मामी की बड़ी याद आई पर इतनी रात गये उनके पास भी नही जा सकता था तो अपने कच्छे को सरकया और मुट्ठी मारने लगा
उन्हे देखते हुवे और फिर वापिस जाके सो गया सुबह मे जल्दी ही उठ गया और नीचे गया तो देखा मामी झाड़ू लगा रही हैं उनके बोबे ब्लाउस से बाहर छलक रहे थे मैं उन्हे देखता ही रहा उन्होने मेरा ध्यान हटाया और बोली क्या देख रहे हो सुबह सुबह तो मैं सकपका गया और बात बदल दी नहाने धोने और खाना वाने मे ही साढ़े नो से उपर होगये थे अब मुझे जाना था तो उनसे विदा ली और घर की ओर प्रस्थान किया एक लंबे और थकाऊ सफ़र के बाद जब घर पहुचा तो लगभग रात ही हो गयी थी हाथ मूह धोया और घर वालो सी थोड़ी देर बातचीत की फिर दबा के पेट को खुराक दी
इस बीच मौका देख के चाची को चूम भी लिया था और गान्ड भी मसल दी थी फिर उन्हे बताया कि आज मैं प्लॉट मे सोउंगा और अपना बिस्तर उठा के प्लॉट मे पहुच गया असल मे मैं सोच रहा था कि तोड़ा टाइम प्रीतम के साथ भी बिता लूँ पर मैं ये भूल गया था कि उसके भाई के जाने के बाद वो घर पे ऑर उसकी मा उनके बाडे मे सोती थी मैं बहुत उत्साहित सा हो रहा था लगभग साढ़े ग्यारह बजे मैं उठा और उसके बाडे मे पहुच गया और सीधा बिस्तर पे कूद गया उसकी मा शोर मचाते हुवे उठ गई ऑर चोर चोर चिल्लाने लगी मेरी गान्ड फॅट गयी ऐसा भागा वहाँ से कि सीधा प्लॉट मे आकर रुका
सांस बुरी तरह फूल रही थी आज तो बाल बाल बच गया था वरना सारी आशिकी निकल जाती पता नही इतनी इंपॉर्टेंट बात कैसे भूल गया था दिल की बेकाबू धड़कनो को संभालने मे थोड़ा वक़्त लिया मैने अपनी आँख बंद की और पता नही कब नींद आ गयी खैर सुबह हुवी कॉलेज भी जाना था फटाफट घर गया और तैयार हुआ साइकल उठाई तो साला पंक्चर निकला वाह रे मेरी किस्मत पापा के साथ स्कूटर पे जाता तो लेट हो जाता बिना नाश्ता किए ही बस स्टॅंड की ओर भागा शूकर है टेंपो मिल गया था कोई दस मिनिट बाद अगले गाँव मे सवारियाँ छड़ी तो मेरा उनमे से एक मिता थी
चूँकि बहुत भीड़ थी आप तो समझ सकते हैं स्टूडेंट कितने धक्के खाते हुवे अपना सफ़र तय करते है तो मैं उठा और अपनी जगह मिता को दे दी और बाहर लटक गया आधे घंटे के बाद हम सहर पहुच गये अब थोड़ी दूर पैदल ही चलना था मैने किराया दिया और बॅग को कंधे पे लट काते हुवे आगे बढ़ गया तभी पीछे से किसी ने मेरा नाम पुकारा मैने देखा तो मिता भागते हुवे मेरी ही ओर आ रही थी उसकी ज़ुल्फ़िें उसके चेहरे पे लहरा रही थी जिन्हे वो एक हाथ से बार बार हटा रही थी वो आते ही बोली कितना तेज चलते हो मेरे लिए रुक नही सकते थे क्या
मैने जवाब के लिए मूह खोला ही थाकि उसने मुझे थॅंक यू कहा तो मैने पूछा किसलिए तो वो बोली मुझे अपनी जगह देने के लिए तो मैं बस हल्का सा मुस्कुरा दिया फिर हम साथसाथ चलने लगे उसने पूछा तुम्हारा गाँव कॉन सा है तो मैने उसे बताया आज मैं बहुत खुश था मैं मिता से बात कर रहा था मैने दुकान से दो चॉकलेट खरीदी और एक उसे दी उसने बिना किसी झीजक के ले ली ऐसे ही पता नही कब कॉलेज आ गया मैने मन मे सोचा काश ये रास्ता कभी ख़तम ही ना होता तो कितना अच्छा रहता क्लास मे भी मैं नज़र बचा के उसे ही देख लेता था मास्टर ने ताड़ लिया कि मेरा ध्यान कही ऑर हैं और कस्के सूट दिया
उसके सामने तो कचरा ही हो गया पर ये भी बचपन की कुछ बहोत ख़ास्स यादे है लाइब्ररी जाते हुवे मैने ख़ास दोस्त जो मेरी ही बेंच पे बैठता था उसे अपनी पूरी सिचुयेशन बताई उसने पूरी बात सुनी और कहा यार ये मिता बहुत ही गुस्से वाली लड़की हैं मेरे भाई बच के रहियो और बस अपनी स्टडी पे ध्यान दे इस साल बोर्ड एग्ज़ॅम हैं पर मेरे तो दिल मे वो बस गयी थी शायद प्यार का बीज का अंकुरित होने ही वाला था खैर छुट्टी हुवी और फिर हम दोनो एक ही टेंपो से घर वापिस आ रहे थे
वो बिल्कुल मुझसे सट के बैठी थी पर उस टाइम मेरे मन मे कोई ग़लत भावना नही थी मैं बस उसके बदन की खुसबू ले रहा था फिर उसका स्टॅंड आ गया वो बड़ी ही नज़ाकत से उतरी ओर मेरी ओर देख के बहुत ही धीमे से मुस्काई जिसे केवल मैं ही देख पाया मैं अपने घर पहुचा तो साढ़े चार बज रहे थे पता चला दादी भी मम्मी के साथ खेतो मे गयी थी मैने कपड़े चेंज किए और कुछ खाया पिया तभी चाची अपने कमरे से आई और बोली चाइ बना दूं क्या तो मैने कहा मैं दूध पियुंगा तो वो बोली ठीक हैं मैं अभी गरम कर देती हू और रसोई मे चली गयी मैने फॉरन मेन गेट को बंद किया
और रसोई मे जाके चाची को अपनी बाहों मे भर लिया वो बोली छोड़ो मुझे अगर कोई आ गया तो मैने कहा चिंता मत करो गेट बंद कर दिया है वो फिर भी बोली जेठानी जी भी आने वाली है तुम मरवाओगे मुझे तुम्हारे उपर लगाम डालनी पड़ेगी आज कल तुम मेरी छूट का ग़लत फ़ायदा उठाने लगे हो तो मैं उनकी चूची को मसल्ते हुवे बोला कि मेरी प्यारी चाची मैने अभी तक तो कुछ किया भी नही है और आप भी कहाँ कुछ करने देती हो तो वो बोली अभी तेरे लिए इतना ही बहुत है मैने उन्हे दीवार के सहारे लगा दिया ।
और उनके होंटो को अपने मूह मे दबा लिया और उनका रस पीने लगा वो उूुुुुुुुुुुउउ उूुुुुुुुुुुुुुुुुउउ करने लगी और छूटने की कोशिस करने लगी पर मेरी पकड़ मजबूत थी मैने उन्हे कस के दबोच लिया और काफ़ी देर उन्हे चूस्ता ही रहा फिर मैने अपने होंठ हटाए और चाची से कहा अगर वो बुरा ना माने तो क्या मैं उन्हे किस करू तो वो बोली कि अभी क्या किया था तो मैने चूत पे हाथ रखते हुवे कहा इधर चाची तो वो शर्मा गयी और मना करने लगी वो बोली तुम इतनी ज़िद मत करो खुद तो मरोगे और मुझे भी मरवाओगे गे पर मैने उनकी सलवार का नाडा खोल दिया
और चढ्ढि समेत उसे उनके घुटनो तक सरका दी चाची की बालो से धकि गुलाबी चूत देख कर मेरा लंड पॅंट मे फड़फड़ाने लगा दिल मे तो आया कि अभी उसे चोद ही दूं पर मैं उनकी मर्ज़ी से ही उन्हे चोदना चाहता था आधी तो वो मेरी तरफ हो गयी थी ही बस थोड़ा और इंतज़ार था वो शरमाते हुवे बोली जो करना हैं जल्दी से करले कही कोई आ ना जाए मैने बस उनकी चूत पे अपना मूह लगाया ही था कि धाड़ से दरवाजा बज उठा चाची को पसीना आ गया उन्होने फॉरन अपनी सलवार उठाई और नाडा बाँधने लगी
मैने गेट खोला तो मम्मी खड़ी थी उन्होने सीधा सवाल दागा कि गेट क्यों बंद था तभी पीछे से आती हुवी चाची बोली जीजी वो पड़ोसियों की बकरिया घुस जाती है इसलिए बंद किया था तो मम्मी बोली अच्छा किया और अंदर आ गयी दादी ताई जी के पास रुक गयी थी फिर चाची ने मम्मी को चाइ पकडाइ मैं भी उनके पास ही बैठ गया मेरा मोका चला गया था पर कुछ कर भी नही सकता था साढ़े पाँच बजे मैं घूमने निकल पड़ा सोच रहा था कि अब बस प्रीतम का ही सहारा है वो मिल जाए तो करार कर लूँ पर वो भी साली नाराज़ थी क्यों कि कई दिनों से उस से मैं मिला नही था पर उसके दर्शन भी नही हुवे ऐसे ही इधर उधर खाक छान ने के बाद अब जाना तो घर ही था छत पे बिस्तर जमा ही रहा था कि चाचा मेरे पास आ गये
और बोले क्या बात है कभी तो इधर सोता हैं अचानक प्लॉट मे चला जाता हैं चक्कर क्या हैं तो मैने शराफ़त से जवाब दिया कि बस कभी दिल करता हैं तो उधर चला जाता हूँ और कोई बात नही हैं तो वो बोले अरे मैं तो ऐसे ही पूछ रहा था बुरा मत मानना फिर वो भी मेरे साथ ही वही लेट गये और बाते करने लगे कुछ देर बाद वो चले गये दिल मे चूत लेने की इच्छा हो रही थी अब मुट्ठी मारने का तो मन ही नही करता था पर कोई जुगाड़ भी नही हो रहा था अगले दिन शनि वार था तो दो दिन की छुट्टी थी इधर लंड कच्छे को फाड़ के बाहर आने को मचल रहा था तो मैं एक फ़ैसला किया कि आज रात को प्रीतम के घर पहुचा जाए मुझे पता तो था ही कि उसकी मा तो बाडे मे सोएगी तो उसकी चूत मारनी ही हैं मैने दृढ़ निश्चय किया
और घर वालो के सोने का इंतज़ार करने लगा पर वो भी सो ही नही रहे थे खैर इंतज़ार ख़तम हुआ कोई ग्यारह बजे मैने जायज़ा लिया कि सब सो गये या कोई कमी हैं पूरे घर की लाइट बंद थी धीरे से गेट खोला और चल पड़ा अपने शिकार की ओर रास्ता साला कुछ ज़्यादा ही लंबा लग रहा था पर राही अगर चला था तो मंज़िल पे पहुचना था ही मैने सावधानी से चारो तरफ देखा दूर दूर तक सब सुनसान ही था तो हौले से उसका गेट खड खड़ाया पर कोई नही आया काफ़ी देर ऐसे ही मैं धीरे धीरे गेट खड़खड़ाता रहा पर कोई आया ही नही अब इतनी रात को ज़ोर से भी नही खड़का सकता था अब क्या करू पर प्रीतम को तो चोदना ही था मैं सोचने लगा कि किस तरह घर के अंदर जाउ
गोर से देखा तो पाया कि उनके गेट के पास की दीवार पे दो मोखे बने थे जिनमे पैर फसा के चढ़ा जा सकता था मैने सोचा कोशिश तो करू पहली बार मे बात नही बनी पर दूसरी बार मैं किसी तरह चढ़ ही गया और अंदर की पानी की टंकी पे पैर रख के आराम से उतर गया अब थोडिशांति मिली आँगन का बल्ब चालू था तो देखा कि दोनो कमरो मे ताले थे मतलब वो चॉबारे मे सो रही थी मैं दबे पाँव उपर चल दिया किवाड़ खुला ही था पर यहाँ का बल्ब बुझा हुवा था मुझे पता तो था ही कि बेड कहाँ हैं तो मैं वही पहुचा और प्रीतम को टटोलने लगा जैसे ही मेरे हाथो पे नारी के जिस्म का स्पर्श हुवा मैं सीधा उसपे चढ़ गया वो एकदम इस हमले से घबरा गयी और चीख पड़ी पर ये आवाज़ तो किसी ओर की थी अब ये क्या हुआ ।
तभी लाइट जल गयी मैने चोन्क्ते हुवे उधर देखा तो प्रीतम तो बिजली के बोर्ड के पास थी बल्ब उसी ने जलाया था मैने फॉरन वापिस देखा ये तो कोई और ही लड़की थी मैं उस से दूर हटा ओर वही बेड पे ही एक साइड मे बैठ गया अब प्रीतम ने मोर्चा संभाला और राशन पानी लेके मुझपे चढ़ गयी वो बोली कमिने तू यहाँ कैसे अगर कोई प्लान बनाना था तो पहले मुझे बता तो देता हाई राम अब मैं क्या करूँ जब मैं पीछे पीछे फिरू तब तो रसीद नही देता और अब इस तरह यहाँ पे टपक पड़ा है मैने उसे कहा चुप करो और थोड़ा पानी पिलाओ तो वो लड़की नीचे चली गई तो मैने प्रीतम से पूछा ये कॉन है तो वो बोली कि ये मेरी मोसी की लड़की है कुछ दिन इधर रहने आई हैं
तो मैं बोला अब कैसे करेंगे तो वो गुस्से से बोली कि जब तुझे ज़रूरत हो तो आ जाता हैं मैं इतने दिनो से बुला रही हू तो कहाँ गायब था मैने उसे सारी बात बातयी और उस से चिपक गया तभी वो लड़की आ गई और मुझे पानी की बॉटल दी ठंडा पानी पीके थोड़ा सुकून मिला प्रीतम बोली ज्योति तू नीचे वाले कमरे मे सोजा मैं कुछ देर मे आ जाउन्गि अब ज्योति भी जवान लड़की थी कोई 22 की होगी तो सब समझ रही थी उसके गाल भी लाल हो गये थे वो बोली दीदी मुझे अकेले मे डर लगता है तो प्रीतम उसे डाँट ते हुवे बोली कि ज़्यादा श्यानी मत और चुप चाप जाके सो जा और वो गुस्से से पैर पटकते हुवे नीचे चली गयी ज्योति भी वैसे माल ही थी प्रीतम से थोड़ी पतली थी पर माल तो माल ही होता हैं
प्रीतम बोली तुमसे जोड़ी ना बनती तो चैन से रहती तेरा क्या हैं चला जाएगा पर संभालना तो मुझे ही पड़ेगा तो मैने कहा अब बस भी कर और उसे लिए लिए बेड पे पड़ गया उसकी चूत को सलवार के उपर से ही मसल्ने लगा आज उसकी चूत कुछ ज़्यादा ही फूली फूली लग रही थी कुछ ही देर मे हमारे कपड़े इधर उधर बिखरे पड़े हुवे थे मैने उसके निचले होन्ट पे अपने दाँत रगड़ने चालू कर दिए वो सिसकारिया निकालने लगी मैं उसके निचले होन्ट को बहुत ही ज़ोर से चूस रहा था प्रीतम ने मेरे लंड को अपने हाथ मे थाम लिया और मसल्ने लगी उसकी मुलायम उंगलियाँ मेरे लंड के सुपाडे पे अपना कमाल दिखाने लगी वही दूसरी ओर हमारी जीभ एक दूसरे से शरारत करने लगी थी
बड़े ही प्यार से उसकी जीभ मेरे मूह मे घूम रही थी मैने अपनी एक उंगली प्रीतम की करारी चूत मे सरका दी और उसने अपनी जाँघो को फॉरन भींच लिया ये उसकी कुछ खास अदाओं मे से थी मैं भी आहिस्ता आहिस्ता अपनी उंगली उसकी गीली चूत मे फिराने लगा मुझे ऐसे महसूस हुआ कि उसकी चूत का साइज़ थोड़ा बढ़ सा गया हो तो मैने उसे अलग करते हुवे कहा कि प्रीतम एक बात बता मेरे पीछे से क्या तू किसी ऑर से भी चुदवाती है क्या तो वो बोली तुझे ये क्या सूझा तो मैने कहा सच सच बता तो वो बोली अरे मैं एक टाइम मे बस एक से ही चुदती हू तो मैने कहा फिर ये इतनी कैसे फूल गयी तो वो गुस्से से बोली कमिने जब अपना लौडा गपा गॅप इसमे अंदर बाहर करता है
तब नही पूछता अब वकील बन रहा है और अपना मूह फूला के दूसरी तरफ बैठ गयी मुझे भी गुस्सा चढ़ आया मैने कहा जा साली इतने नखरे मुझे मत दिखा दे तो दे वरना मत दे तेरी चीज़ हैं तू जाने और बगल मे बैठ गया और अपने लंड को सहलाने लगा प्रीतम कनखियो से मुझे देख रही थी तो वो बोली मुझे पे हुकम मत लगाया कर मैं तेरी पर्सनल रंडी नही हू मेरी अपनी मर्ज़ी है मैं चाहे जो करूँ मैने कहा साली पूछा ही तो हैं इतना गरम क्यों हो रही हैं तो वो बोली एक बात समझ ले अगर तेरे साथ सोती हू तो इसका मतलब ये नही है कि मैं कोई रंडी हू क्या कभी मैने तुझसे कोई डिमॅंड की हैं क्या वो बस गुस्से मे आउट ऑफ कंट्रोल होती जा रही थी
मुझे भी ताव आने लगा था मैने उसे पानी की बॉटल दी ओर पानी पिलाया ओर वो रोते हुवे बोली साले कुत्ते मैने तुझे अपना दोस्त समझा और तूने मुझपे शक किया तू भी औरो की तरह निकला और मेरे सीने से लग के फूट फूट के रोने लगी ज्योति भी उपर आ गयी हम दोनो बिल्कुल नंगे थे वो हमें इस तरह देख के थोड़ी परेशान हो गयी पर वो वापिस नही गयी और वही पे साइड मे रखी स्टूल पे बैठ गयी और बोली अबे तुमने क्या चक्कर लगा रखा है ना खुद सो रहे हो ना किसी किसी को सोने दे रहे हो तो प्रीतम बोली तू अपना काम करना और मुझसे हटी और अपनी सलवार पहन ने लगी पर मैने उसका हाथ पकड़ लिया तो प्रीतम बोली देख आज मेरा दिमाग़ बहुत खराब हैं
आज मुझे माफी दे और तू जा कहाँ तो चुदाई के सपने थे और कहाँ महॉल ऐसा हो गया था मैने भी उसकी फीलिंग्स का सम्मान करते हुवे अपने कपड़े पहनने चालू किए मैने उसके सर को हल्के से सहलाया और उसके माथे पे एक चुंबन अंकित किया और वापिस चलने को मुड़ा थी था कि वो बोली एक काम कर इस ज्योति को चोद दे ये सुनके ज्योति की तो गान्ड ही फॅट गयी तो प्रीतम बोली अरे घबरा मत ये तो मुझसे भी जबरदस्त चीज़ है आजा इसको चोद दे ज्योति की तो सांस ही अटक गयी उसने अपनी कोहनी प्रीतम को मारते हुए कहा कि दीदी चुप हो जाओ हालाँकि मोका मिल भी रहा था पर मैने प्रीतम की ओर देखते हुवे मना किया और चुप चाप वापिस हो लिया
रात का अंधेरा मेरे साए को अपने मे समेटे था मैं गाँव के तालाब की ओर चल पड़ा उसके शांत पानी को देख के मन को बहुत अच्छा लगा सुबह तक मैं वही बैठा रहा घर जाने का मन ही नही हो रहा था प्रीतम मुझे अपना दोस्त मानती थी पर मेरे लिए वो एक चूत से ज़्यादा कुछ नही थी मैने सोचा कि कल मिलते ही उस से माफी माँग लूँगा फिर मैं खुद के और मिता के बारे मे सोचने लगा मैने गोर किया तो पाया कि मैं दो तरह की जिंदगी जीने लगा था एक तरफ मैं चुदाई के सागर मे डूबता जा रहा था दूसरी ओर खड़ी थी मिता उस टाइम मुझे अंदाज़ा भी नही था कि उसकी वजह से एक दिन मेरी ज़िंदगी मे एक भूचाल आएगा जो मेरा सब कुछ तबाह कर ले जाए गा खैर, दिन निकलने लगा था चिड़ियों की मधुर आवाज़ गूंजने लगी थी मैने अपना मूह धोया और घर चल पड़ा
जाते ही सीधा रसोई मे गया आज वहाँ मम्मी थी उन्होने चाइ बिस्कट दिए और मैं उन्हे लेके बैठक मे आ गया पापा अख़बार पढ़ रहे थे दोस्तो उन दिनो रंगीन अख़बार पढ़ने का बड़ा चाव होता था फिर चाची के दर्शन हुवे वो मुझे साइड मे ले गयी और बोली रात को कहाँ पे था तू तो मैने कहा मैं तो छत पे ही सोया पड़ा था वो गुस्से से बोली झूठ मत बोल रात को तेरे चाचा भी छत पे सोने चले गये थे तेरे पास पर तू वहाँ नही था वो गुस्से मे हैं अब तू जाने उनको ही जवाब दियो और चली गयी अब मैं फसा क्या करू तभी पापा ने आवाज़ लगाई ऑर बोले कि बानिए की दुकान से भैंसो के लिए बाजरी की दो बोरिया ले आईओ मैं बोरिया लेके प्लॉट मे पहुचा तो चाचा वही पे नहा रहे थे उन्होने सीधे सीधे पूछा कि रात के बारे मे तो मैने कहा कि मैं गाँव के तालाब के पास बैठा था पूरी रात झूठ बोलने का कोई फ़ायदा तो था नही मैने स्पस्ट रूप से कह दिया कि आज कल मेरा मन थोड़ा विचलित रहता है तो मैं अक्सर वहाँ चला जाता हू तो वो बोले बेटे पर पूरी पूरी रात घर से बाहर रहना भी तो ग़लत हैं ना मैं समझता हू कि तुम्हारी उमर मे बच्चो को कुछ प्रॉब्लम्स होती हैं पर बेटे जमाना खराब हैं तुम हमारे घर के इक्लोते बच्चे हो हमें फिकर हैं तुम्हारी आगे थोड़ा ध्यान रखना और कोई प्राब्लम हो तो हम से शेअर करना और मेरे गाल को थप थपा दिया
सच बटाऊ उनकी इस बात ने दिल छू लिया फिर हम घर आए और पूरा दिन मस्ती मे बीत गया शाम को प्रीतम मिली तो बोली आज तेरा इंतजार करूँगी 11 बजे आ जइयो चुप चाप मैं बस हल्के से हंस दिया अब बस प्लान बनाना था क्यों कि मैं कोई रिस्क नही लेना चाहता था क्यों कि अगर अब मैं पकड़ा जाता तो संभालना मुश्किल हो जाता मैं चाची के पास गया और उनको बताया कि मुझे थोड़ी मदद चाहिए तो बोली बता तो मैने कहा मुझे आज रात कहीं जाना हैं और चाचा फिर से छत पे नही जाने चाहिए आप कुछ भी करके अड्जस्ट करो तो वो बोली पहले बता कहाँ जाएगा तू तो मैने झूठ बोला कि मेरे एक दोस्त के घर पे आज वीसीआर लाए हैं मैं फिल्म देखने जाउन्गा
तो चाची बोली उसके लिए आज से पहले कभी तूने पर्मिशन नही ली अगर सच बताएगा तो मैं कुछ मदद करूँगी वरना तू जाने तेरा काम जाने और अपने काम मे वापिस लग गयी मैं उन्हे नही बताना चाहता था कि मेरा प्लान क्या है तो बस चुप चाप आके छत पे लेट गया खाना भी नही खाया और ना ही किसी ने पूछा पर मैनी सोच लिया था अगर जाना है तो जाना है देखा जाएगा जो होगा जैसे ही घर वाले सोए मैं चुप चाप वहाँ से खिसक लिया कदम अपने आप मंज़िल की ओर बढ़ने लगे
जैसे ही उसके दरवाजे पे दबाव डाला वो खुलता चला गया प्रीतम ने दरवाजा खुला ही रखा था आज मैने उसे बंद किया और अंदर चला गया मंज़िल वोही चॉबरा था ज्योति भी जाग रही थी उसने मेरी ओर देखा और हंस पड़ी वो उठ के नीचे जाने लगी तो मैने कहा अरे थोड़ी देर तो बैठो तो वो फिर से बैठ गयी मैने प्रीतम को कहा कुछ पड़ा हैं तो खिला दे वो बोली मेरे इधर क्या होटल खुला हैं अपने घर से ख़ाके आता और बॅड बड़ाते हुवे नीचे चली गयी और एक प्लेट मे कुछ रोटिया और सब्ज़ी लेके आई प्रीतम के घर खाना बहुत अच्छा लगता था माना कि वो गाँव भर मे बदनाम थी पर मैं उसे बहुत अच्छी तरह से जान ने लगा था दोस्ती निभाना कोई उस से सीखे
मैने खाना ख़तम किया थोड़ा पानी पिया और प्रीतम की गोद मे सर रख के लेट गया ज्योति बहुत ही गोर से हमे देख रही थी प्रीतम मेरे बालो मे हाथ फिराने लगी फिर उसने ज्योति को नीचे जाने को कहा पर ज्योति बोली आप लोग लाइट बंद कर लो और फिर जो चाहे वो करना मुझे अकेले डर लगता हैं तो मैं एक साइड मे सो जाउन्गि आपको डिस्टर्ब नही करूँगी तो प्रीतम बोली ठीक है और मुझे क्या ऐतराज़ होना था पर मैं नीचे गया और एक चारपाई उठा लाया और उसपे बिस्तर बिछा के ज्योति से बोला तुम इधर सो जाना अब प्रीतम ने लाइट बंद की ओर नंगी होके बिस्तर पे आ गयी जैसे ही मेरे हाथों ने उसके जिस्म को महसूस किया मैने भी अपने कपड़े उतार दिए दो नंगे जिस्म एक दूसरे मे समा जाने को बेताब थे
मैने प्रीतम के बोबे पीने शुरू कर दिए और वो ज़ोर से उउउउउउउउम्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म की आवाज़ निकालने लगी मैने कहा ज्योति का ख्याल तो करले कमिनि तो वो मेरे कान पे अपने दाँत गढ़ाते हुवे बोली तू उसकी फिकर मत कर और मेरी तरफ ध्यान दे और मेरे कान को चूमने लगी आज वो कुछ ज़्यादा ही आवाज़ निकाल रही थी मैं बारी बारी से दोनो बोबे चूमने मे लगा था कोई 15 मिनिट तक ऐसे ही चलता रहा फिर उसने मेरी गोद मे अपना सर रखा और लंड को चूसने लगी
मेरा हाथ भी उसके गोल मटोल चुतडो पे पहुच गया उफफी इतने बड़े चूतड़ कामुकता उफान भरने लगी थी वो गप गुप करते हुवे लंड चूसे जा रही थी मैने उसकी चोटी को खोल दिया उसके बालो ने पूरे चेहरे को ढक लिया आज लड़ चूसने मे बहुत मज़ा आ रहा था पूरा लंड थूक से गीला हो गया था अब वो मेरे उपर आई और मेरे लंड को अपनी चूत के बुलंद दरवाजे पे रगड़ने लगी और उसे अपनी चूत मे ले लिया प्रीतम के मूह से अहह्ा अहहाआआआआआआआआआआआआहह
की मस्ती भरी आ निकल गयी प्रीतम अब अपने कुल्हो को हिलाने लगी लंड चूत की दीवारो को भेदते हुवे अंदर बाहर हो रहा था चूत से रिस्ता रस लंड को ओर चिकनाई प्रदान कर रहा था कुछ मिनिट ऐसे ही चलता रहा तभी प्रीतम झट से उठी ओर लाइट जला दी ज्योति भी जागी पड़ी थी और मेरे चूत के रस से भीगे खड़े लंड सिचुयेशन थोड़ी अजीब सी हो गयी थी तो प्रीतम बोली अरे तू भी आजा और थोड़े मज़े ले ले वरना बाद मे कहेगी कि दीदी ने अकेले अकेले सब माल खा लिया और उसके कपड़े उतारने लगी पर ज्योति थोड़ा शर्मा रही थी तो प्रीतम ने उसकी चूची को बुरी तरह से मसल्ते हुवे कहा पूरे दिन से लंड लंड कर रही थी और अब सती- सावित्री बन रही हैं
आजा जल्दी से और अपनी आग बुझा ले तो ज्योति बोली पर दीदी हम तीनो एक साथ ? तो प्रीतम गाली देती हुवे बोले जा तेरी मा चुदा कुत्ति तेरे चक्कर मे मेरी भी लगी पड़ी हैं चुदना है तो आ वरना ऐसी तैसे करा और मेरे लंड को अपनी मुट्ठी मे भर के हिलाने लगी तो ज्योति बोली ठीक है दीदी और हमारे साथ बेड पे आ गयी ब्लॅक पेंटी ही थी कपड़ो के नाम पे उसके बदन पे चूचिया 34 तो होंगी ही पर बहुत ही सॉफ्ट थी बिल्कुल रेशम की तरह वजन भी आधा किलो से कम तो नही था ज्योति ने लाइट ऑफ करदी मैं समझ सकता था अब मैं बीच मे लेटा था और मेरे अगल बगल दो हुस्न की चिंगारिया थी जो शोलो मे बदलने को बेताब थी दोनो मैने ज्योति का हाथ पकड़ा और अपने लंड पे रख दिया
ज्योति ने उसे बस छू भर लिया मैने उसे अपनी ओर खींचा और उसके दहक्ते हुवे होंटो पे अपने होंठ रखे और चूसने लगा वो उउउउउउउउउउउउउउउउ करने लगी तभी प्रीतम ने अपने हाथो से उसकी चूचियो को भींचना शुरू कर दिया और बोली आज तुझे पता चल जाएगा चूत कैसे मरवाते हैं लंड तो कई खाए होंगे तूने पर आज एक अलग ही मज़ा लेगी तू और उसे गरम करने लगी मैं तो बस उसके होंठ चूमे ही जा रहा था ज्योति की साँसे मेरे चेहरे पे पड़ रही थी आज घमासान मचना पक्का था तभी प्रीतम ने उसे मुझसे हटाया और मेरे लंड पे चढ़ती हुवी बोली पहले मैं अपना मज़ा लूँगी क्योंकि मैं बड़ी हू तू थोड़ा वेट करले और लंड पे धड़ा धड़ कूदने लगी
मैं बोला थोड़ा धीरे जानेमन कही पेट मे दर्द ना हो जाए उसने अपने हाथ मेरे सीने पे फेरने चालू किए मुझे बहुत मज़ा आ रहा था मैने ज्योति के कान मे कहा कभी चूत को छत वाया हैं वो बोली ना मैने कहा एक काम कर मेरे मूह पे आजा वो भी थोड़ा रोमांचित हो रही थी शायद फटा फट हो पोज़िशन पे आगयि मैने उसके कुल्हो पे हाथ रखा और अपनी ओर खींचा और कच्छि के उपर से चूत को थोड़ा दबाया तो मचल गयी मैने कच्छि को फॉरन उसके घुटनो पे खींच दिया
दूसरी ओर प्रीतम अपनी गान्ड का पूरा ज़ोर लगाते हुवे लंड पे कूद रही थी जैंसे ही ज्योति की चूत मेरे मूह मे आई मुझे पता चल गया कि बाल तो सॉफ हैं मुझे ख़ुसी हुवी और मैने बड़े ज़ोर से चूत को काट लिया ज्योति की चीख निकल गयी वो बोली आआआआआआआआआआआआआआआआआआअ मुंम्म्ममममममममममममममममय्यययययययययययययययययययययययययययययी औचह्ा आआआआआआऐययईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईई
मैं अब पूरी चूत को अपने मूह मे भरके चूस रहा था उसकी पहली चूत चुसाइ थी तो उसका रोम रोम इस आनंद से भर गया और काम रस की धार बह निकली अब मुझे दो तरफ से मज़ा आ रहा था कमरे मे सांसो का तूफान छा गया था ज्योति अपनी गान्ड मचका मचका के चूत का पानी मुझे पिला रही थी और बड़ी ही ज़ोर से अहह
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मैं अब पूरी चूत को अपने मूह मे भरके चूस रहा था उसकी पहली चूत चुसाइ थी तो उसका रोम रोम इस आनंद से भर गया और काम रस की धार बह निकली अब मुझे दो तरफ से मज़ा आ रहा था कमरे मे सांसो का तूफान छा गया था ज्योति अपनी गान्ड मचका मचका के चूत का पानी मुझे पिला रही थी और बड़ी ही ज़ोर से अहह भोऊुुुुुुुुुुुुुुुुुुुुुुुुुउउत्त्त्टटटटटटटटटटटटटटटटटटटटटटटटटटटटटटटटटटटतत्त अचहाआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआ लग रहा हैं बस आईसस्स्स्स्स्सीईईईईईईईईईईईईईईईईई हीईीईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईई करो बुसस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स आईसीईईईईईईईईईईईईई हहिईीईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईई
तभी प्रीतम लंड पे से खड़ी हुवी और ज्योति को धक्का देते हुवे लेट गयी और अपनी मांसल जाँघो को मेरे कंधो पे रख दिया मैने भी झट से उसके टाँगे थामी और लंड को अंदर घुसा दिया और उसे जन्नत की सैर कराने लगा ज्योतिनराज़ होते हुवे बोली तो प्रीतम ने कहा बस कुछ देर रुक जा फिर तू भी अपनी तस्सली करलियो और मुझे धक्के तेज करने को कहा मैने भी शक्ति प्रदर्शन करते हुवे चुदाई की रफ़्तार बढ़ा दी थी इधर ज्योति अगन मे जलती हुवी खीजने लगी थी पर प्रीतम का तो ध्यान बस अपनी चूत मरवाने मे ही था हमारी साँसे बुरी तरह फूल रही थी
शरीर का सारा खून जैसे बस चेहरे पे ही छा गया था 15-20 मिनिट तक बस कमरे मे चुदाई की आवाज़ ही गूँजती रही और फिर हम दोनो लग भग साथ साथ ही झाड़ गये मैं पूरी ताक़त से उसपे लड़ा था और जब तक लंड सिकुड कर खुद ब खुद बाहर ना निकल गया उसके उपर से उठा ही नही इधर ज्योति का हाल भी बहुत बुरा हो रहा था