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Adultery हार तरफ चुत हि चुत (BIG & HOT STORY)
#5
वो पूरे जोश से चूस रही थी और मैं उनके चुतड सहला रहा था भाभी के होंटो का दबाव लगातार बढ़ता जा रहा था साथ ही वो मेरे अंडकोषो को भी सहला रही थी मेरे बदन मे मस्ती छा रही थी वो मेरे लंड को बुरी तरह से चूस रही थी बीच बीच मे जब वो अपने दाँत मेरे लौडे पे लगाती तो मज़ा और भी बढ़ जाता था और वो पलभी पास ही था जब मैं झड ने वाला था मेरे लंड ने ज़ोर्से झटका खाया और भाभी के मूह मे ही बरसात करनी शुरू कर दी पर भाभी पे कोई फरक नही पड़ा और वो मज़े से पूरा वीर्य पी रही थी और वीर्य भी निकले जा रहा था इतना तो पहले कभी नही निकला था झड़ने के बाद भी वो काफ़ी देर काफ़ी देर तक चुस्ती रही

फिर मैने उन्हे परे किया और पानी माँगा वो अपनी गान्ड को कुछ ज़्यादा ही हिलाते हुवे पानी लाने मूड गयी मैने थोड़ा पानी पिया अब भाभी लेटी हुवी था मैने उनक्की नाभि मे अपनी उंगली डाली और उन्हे छेड़ने लगा भाभी मचलते हुवे बोली क्या अपनी भाभी जान का रस नही पियोगे मेरे प्यारे देवर जी भाभी ने मुझे आमंत्रण दिया तो मैं कैसे पीछे रहता उन्होने अपनी गान्ड उठा कर कछि को खुद ही निकाल दिया उनकी छोटी से चूत जो हल्के हल्क बालो से धकि हुवी थी उसकी गुलाबी पंखुड़िया कामरस से भीगी हुवी कांप सा रही थी

मैने अपनी उंगलिया उनकी झांतों मे फेरनी शुरू करदी और कुछ देर ऐसे ही करता रहा उन्होने अपनी आँखे बंद कर ली थी अब मैने उंगली को चूत की फांको पे फेरना चालू किया भाभी की उत्तेजना बढ़ती ही जा रही थी अब मेरी उंगली अंदर बाहर होने लगी थी भाबी आहे भरने लगी थी मैं भी गरम हो रहा था मैं बेड के सिरहाने पे टेढ़ा होके बैठ गया और भाभी को हल्का से खड़ा करते हुवे उनकी गुलाबी फांको को अपने मूह मे भर लिया और उनका नमकीन कामरस चाट ना शुरू कर दिया उनके रोम रोम से मस्ती फूट रही थी वो अपनी चूत को मेरे चेहरे पे रगड़ते हुवे चिल्ला रही थी

अहह प्पीईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईई जऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊओ और ज़ोर फफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफ्फ़ बहुत हिस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स आहह आआआआआअहह और चाटो चटूऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊ

करती हुवी चूत का रस पिला रही थी इधर लंड भी दुबारा तन गया था मैने देर ना करते हुवे अनिता को घोड़ी बनाया और एक ही झटके मे अपना लंड चूत मे घुसा दिया और उनकी पतली कमर को थाम कर उन्हे चोदने लगा भाभी की गान्ड पूरी तरह से पीछे थी और वो बार बार उसे हिला रही थी मैने उनके चुतडो पे हल्के हल्के थप्पड़ लगाने शुरू कर दिए जिस से उनकी गोरी गान्ड हल्की लाल हो गयी और वो और जोश से अपने कुल्हो को पिछे करते हुवे चूत मरवाने लगी थोड़ी देर ऐसे ही करने के बाद अब मैने उन्हे नीचे लिटाया और उनकी टाँगो को अपने कंधो पे रख लिया और तबाद तोड़ शॉट लगाने लगा भाभी अपनी छातियो को भींच रही थी 10 मिनिट बाद भाभी ने अपना पानी छोड़ दिया और कस्के मुझ से लिपट गयी ।

मैं कुछ देर ऐसे ही रहा फिर लंड को चूत से बाहर निकाला और उनको उल्टा लिटा दिया और ढेर सारा थूक उनकी गान्ड के छेद पे लगा दिया भाबी ने बिल्कुल मना नही किया और मैने उनकी चूत के रस से सने लंड को गान्ड के छेद पे लगाया और सुपाडे को गान्ड मे घुसा दिया भाभी के मूह से दर्द भरी आह निकल गयी मैने होले होले लंड घुसाना जारी रखा और ऐसे ही पूरा लंड गान्ड मे जड़ तक घुसा दिया अब भाभी भी थोड़ा नॉर्मल हो गयी थी मैने गान्ड मारनी चालू की और हाथो को उनकी बूब्स पे रख दिया और उन्हे दबाते हुवे गान्ड मारने लगा कमरे मे बस भाभी की आहें ही गूँज रही थी ऐसे ही उनकी गान्ड चुदाई चलती रही 20 मिनिट तक गान्ड मारने के बाद मैने उनके चुतडो पे ही अपना पानी गिरा दिया और उनकी बगल मे लेट गया

अब मैने उनका हाथ अपने हाथ मे पकड़ा और उसे सहलाते हुवे पूछा कि वो ऐसा रूखा व्यवहार क्यो कर रही थी तो उन्होने थोड़ा शर्मिंदा सा होते हुवे कहा कि उनकी सास यानी ताइजी को उनपे शक हो गया हैं उन्होने भाभी को बहुत डाँट-फटकार लगाई थी ताई ने उसको भरपूर गालिया दी थी आक्च्युयली हुवा ये था कि जब हम चुदाई मे व्यस्त थे तभी वो वहाँ पे आगयि थी हमे देख लिया था ये सुनके मैं हैरान हो गया था

अब मुझे पता चल गया था कि उस टाइम भाभी मुझसे उखड़ी उखड़ी सी रहती थी भाभी ने बताया कि मैं उनके दोस्त से बढ़के उनके लिए हू पर उनकी एक ग्रह्स्थि भी है जिसमे वो बहुत खुश है और वो किसी भी हाल मे अपना घरेलू जीवन बर्बाद नही करना चाहती मैं कशम कश मे फस गया था क्यों कि मैं थोड़ा उनसे एमोशनली कनेक्ट भी था

उनके रूप मे मुझसे एक कशिश सी महसूस होती थी भाभी ने कहा कि वो अब मेरे साथ सेक्स का रिश्ता नही निभा पाएगी पर वो हमेशा मेरी दोस्त रहेगी अब वो इंतज़ार कर रही थी कि मैं कुछ कहूँ मैने काफ़ी सोच विचार करके उन्हे वचन दिया कि मैं कभी भी उनके घरेलू जीवन के आड़े नही आउन्गा और ऐसी कोई भी हरकत नही करूँगा मैने उन्हे कह दिया कि ये राज हमेश मेरे सीने मे दफ़न हो के रहे गा

ये सुनके भाभी ने मुझे गले लगा लिया और थॅंक्स कहा मैं हल्के से मुस्कुरा दिया पर मेरे दिल मे एक टीस उभर आई थी जो शायद भाभी ने भी समझ लिया था तभी वो बोली कि मैं तुम्हारे लिए कुछ करना चाहती हू मैं तुम्हे अपनी एक रात देती हू तुम जब भी चाहोगे किसी भी अवस्था मे मैं तुम्हारे लिए अड्जस्ट करूँगी ये मेरी तरफ से तुम्हारे लिए एक तोहफा होगा

पर मैने कहा कि आपने पहले ही इतना किया है मैं उसी से खुश हू और अपने कपड़े पहन ने लगा भाभी ने भी एक मॅक्सी डाल ली थी रात काफ़ी गुजर गयी थी पर बैचैनि बढ़ गयी थी तभी मैं भाभी के गले लग गया और रोने लगा भाभी मेरी पीठ को सहलाते हुवे मुझे चुप करा रही थीं ना जाने मैं कितनी देर रोता रहा वो कहते हैं ना कि रोने से अक्सर दर्द कम हो जाता हैं भाभी भी थोड़ा सेंटी हो गयी थी कुछ हालत ऐसे हो गये थे कुछ अपना करम

अब आगे तो बढ़ना ही था सुबह भी होने ही वाली थी ना जाने कब आँख लग गयी सुबह 8 बजे मैं उठा तो रवि आ चुका था और नहा रहा था फिर मैं भी फ्रेश होने चला गया आधे घंटे के बाद हम सब नाश्ता कर रहे थे रवि मुझे बहुत प्यार करता था मेरा बहुत ख्याल रखता था नाश्ते के बाद मैने अपना बॅग लिया और भाई से जाने की इजा जत माँगी तो उसने कहा कि इतनी जल्दी क्या हैं अभी रुक जाओ

हमे भी अच्छा लगे गा तो मैने कहा भाई घर पे भी कई काम होते हैं और बहाना करके उस से विदा ली और चल पड़ा रवि ने बस स्टॅंड छोड़ने को कहा पर मैं उसको परेशान नही करना चाहता था क्योंकि पूरी रात वो ड्यूटी पे था तोमैने मना किया और पैदल पैदल बस स्टॅंड की ओर चल पड़ा कोई घंटे बाद मैं घर पहुच गया दोपहर का टाइम था घर पे पहुचते ही बॅग रखा और तौलिया उठा ते हुवे सीधा बाथ रूम मे घुस गया जैस ही अंदर घुसा तो मेरे तो होश ही उड़ गये

चाची पूरी नंगी मेरी आँखो के सामने भीगी हुवी खड़ी थी उनका गदराया हुस्न देख कर मैं तो सन्न हो गया मुझे कुछ ना सूझा ये सब इतना तेज़ी से हुआ कि उनको भी कुछ करने का वक़्त ना मिला तभी उन्होने अपने पेटिकोट से अपने जिस्म को ढकने की असफल कोशिश की टाँगे तो ढक गयी थी पर उपर का हिस्सा अभी भी नंगा ही था तो वो चिल्लाते हुवे बोली दफ़ा होज़ा यहाँ से और मैं भाग के अपने कमरे मे घुस गया और कुण्डी लगा ली.।

मेरे दिमाग़ मे चाची की चूचिया बार बार आ रही थी मैं अपने विचारो पे नियंत्रण पाने की कोशिश कर रहा था अब मैं बाहर आके दादी के पास बैठ गया चाची भी नहा के अपने रूम मे जा चुकी थी तो मैं कुछ सोचते हुवे उनके कमरे मे गया तो वो बोलिक्या है वो भी थोड़ा अजीब मह सूस कर रही थी क्यों कि मैने उन्हे नंगा देख लिया था मैं उनके बेड पे बैठ गया और उनसे माफी माँगने लगा तो वो बोली आइन्दा से जब भी बाथरूम मे जाओ पहले चेक कर लेना और हंस पड़ी मुझे भी थोड़ा रिलॅक्स फील हुवा

समय अपनी गति से चल रहा था गर्मी अपने चरम पे थी मैं रात को छत पे सोता था हर रात को मैं रेडियो सिटी पे लव गुरु शो को सुनता था हो सकता है आप मे से कुछ लोगो को वो याद हो हर रोज रात दस से बारह हौले हौले संगीत चल रहा था उन दिनो मेरे जैसे का रेडियो एक बहुत ही बड़ा सहारा होता था चाहे गाने सुनो या क्रिकेट कॉमेंटरी सुनो रेडियो तो जैसे स्टेटस सिंबल होता था

टाइम शायद ग्यारह से उपर ही हो रहा होगा लाइट का कुछ अता पता नही था गाँवो मे तो कभी भूले भटके आ जाती या कभी दिन मे कभी रात मे ऐसे ही चलता रहता है मुझे ज़ोरो से प्यास लग रही थी मैं उठा और नीचे जाने लगा तभी मेरी नज़र आँगन मे पड़ी हालाँकि लाइट नही थी पर थोड़े दिन पहले ही पूर्णिमा थी तो थोड़ी रोशनी थी चंद्रमा की तो मैने देखा की फोल्डिंग पे दो जिस्म घमासान मचा रहे है गोर से देखा तो चाचा –चाची अपने तन की प्यास बुझाने मे लगे हुवे थे उन्हे देख कर मेरा लंड भी अंडरवेर मे मचलने लगा लाइव शो मेरी आँखो के सामने चल रहा था चाची टेढ़ी होकर लेटी हुवी थी और चाचा पीछे से उनको चोद रहे थे मैं थोड़ा दुबक के उनको देख रहा था हालाँकि इतना सॉफ सॉफ तो नही था कि चूत दिख जाए क्योंकि रात थी पर काम चलाऊ तो दिख रहा था चाचा- चाची दबा दब लगे हुवे थे

फिर कुछ देर मे दोनो शांत पड़ गये अब मैं पानी पीना भूल गया था मैं चटाई पे लेट गया और अपनी आँखो को मूंद लिया पर मेरी आँखो मे बार बार वो ही सीन चल रहा था मुझे पता ही नही चला कि कब मेरे हाथ लंड पे पहुच गये और मैं उसे सहलाने लगा उस टाइम चूत का जुगाड़ तो हो नही सकता था भाभी का साथ तो पहले ही छूट गया था और प्रीतम भी उस वक़्त तो ना मुमकिन ही थी तो बस अपने हाथ का ही सहारा था

तभी मुझे पता नही क्या हुवा मैं चाची की कल्पना करते हुवे मुट्ठी मारने लगा मैने अपनी आँखे बंद कर रखी थी और अपने लंड को हिला रहा था आज तो हिलाने मे चुदाई से भी ज़्यादा मज़ा आ रहा था तभी मेरा पानी निकल गया और फिर मैं सो गया सुबह मैं अभी भी सोया पड़ा था तभी चाची चाइ का कप लेके मुझे जगाने आई

मैं गहरी नींद मे था और सपने मे प्रीतम को चोद रहा था तभी चाची अपने हाथ से मुझे झिंजोड़ते हुवे उठाने लगी चूँकि मैं थोड़ी नींद मे था और सपने मे प्रीतम के होने की वजह से मेरे मूह से अचानक प्रीतम का नाम निकल गया जिसे चाची ने सुन लिया परंतु उन्होने कुछ रिएक्ट नही किया और चाइ का कप मुझे देके चली गयी मैने सोचा कि हो सकता हैं कि उन्होने ना सुना हो ये सोच के ही दिल दो तसल्ली दी और चाइ पी के नीचे पहुच गया

पेपर तो ख़तम हो चुके थे रिज़ल्ट आने मे थोड़े दिन थे तो मैं भी पूरा टाइम फ्री ही था नहाते हुवे मैं प्रीतम को मिलने की सोच रहा था पर फ्री होने के नुकसान भी होते है सारे दिन घर के कामो मे पिलते रहो. पापा ऑफीस जाने की तैयारी कर रहे थे तो मैने उनसे कुछ पैसे माँगे ये पहली बार था कि बिना कोई सवाल पूछे उन्होने पैसे दिए हो खैर अपना काम तो हो गया ही था आज मैं सहर जाके पिक्चर देखना चाहता था उन दिनो मर्डर फिल्म लगी हुवी थी कई दोस्तो से सुना था कि बहुत मस्त फिल्म है पर शायद किस्मत को मंजूर नही था

तभी ताइजी घर आ गयी और मम्मी को पूछने लगी मैने इशारे से बताया कि वो अपने कमरे मे है अब उनको भी उसी दिन सिटी जाना था मम्मी बोली कि आज घर पे ही रहना और कही जाना मत मुझ गुस्सा तो बड़ा आया पर मन मारके रह गया और अपने कमरे मे चला गया ऐसे ही दोपहर हो गयी तभी चाची आवाज़ लगा ने लगी मैं उठ के गया तो वो बोली कि आटा ख़तम होनी वाला हैं स्टोर मे चलो और गेहू निकालने मे मदद करो

स्टोर मे जाके देखा तो कई बोरियो को चूहो ने कुतर दिया था जिस से काफ़ी गेहू खराब हो गया था तो मैने कहा कि चाची ये तो नुकसान हो गया तो वो बोली हां यहा पे दुबारा से इनको सॉफ करना पड़ेगा आज का तो पूरा दिन जाए गा तो मैने सॉफ मना कर दिया पर वो ज़ोर देते हुवे बोली कि करना तो पड़ेगा ही वरना खाएँगे क्या तो मैने कहा कि अभी तो टंकी से गेहू निकाल लो बाकी काम बाद मे कर लेंगे पर वो नही मानी मैं क्या कहता

अपने को तो पिल्ना ही था मैं टंकी का निचला द्वार ओपन करने लगा पर वो खुल ही नही रहा था शायद जाम हो गया था काफ़ी कोशिस के बाद भी वो नही खुला तो चाची ने कहा कि ऐसे करते हैं कि मैं बोरियो पे चढ़ के उपर का ढक्कन खोलती हू और बाल्टी से गेहू निकाल लेते है और बाद मे चाचा से टंकी को ठीक कर वा लेंगे अब चाची ने अपनी चुनरिया मूह पे बाँध ली और बोरियो के ढेर पे चढ़ने की कोशिश करने लगी मैने कहा कि मैं स्टूल लाता हू फिर आप आराम से चढ़ जाना तो उन्होने कहा एक काम करो तुम मुझे पकड़ के चढ़ा दो

कोई ज़्यादा उँचान तो हैं नही मैने उनको कमर से पकड़ा और उपर को उठाने लगा आज ज़िंदगी मे पहली बार मैने उनको टच किया था उनकी कमर का माँस बहुत ही सॉफ्ट था मेरी उंगलिया उनकी कमर मे धँस रही थी मैं हल्का सा खो गया था तो वो बोली अरे क्या हुवा उपर तो करो फिर मैने उन्हे बोरियो पे चढ़ा दिया उन्हने ढक्कन खोला और मुझे गेहू पकड़ाने लगी हमे स्टोर मे आधा घंटा हो गया था उपर से गर्मियों के दिन थे पसीना भी आने लगा था तभी चाची का पैर फिसल गया और वो बाल्टी को लिए लिए मुझ पे आ गिरी मैने उनको थामने की असफल कोशिस की पर नाकाम रहा और इसी बीच मेरे हाथ उनके चुतडो पे लग गये या यू कहूँ कि उनके चुतड मेरे हाथो से दब गये

परंतु उस समय इतना ध्यान नही गया उनकी छातिया मेरे सीने पे गढ़ रही थी मैने उन्हे परे धकेला और वही फर्श मे बैठ गया चाची अभी भी फर्श पे पड़ी हुवी थी उनको उठा ते हुवे मैने पूछा कि आप ठीक तो हो तो उन्होने कहा कि घुटना फर्श पे ठुक गया है और बहुत दर्द हो रहा हैं वो रुआंसी हो गयी थी मैने उन्हे सहारा दिया पर वो चलने की हालत मे नही थी तो मैने कहा चाची बुरा ना मानो तो मैं आपको उठा के ले चलूं

तो उन्होने हाँ करदी हीरो बन ने के चक्कर मे कह तो दिया था पर उठाया जब पता चला कि वो दिखती पतली सी हैं पर वजन पूरा है थोड़ा कोशिस करके उन्हे उनके रूम मे पहुचा दिया और बेड पे लिटा दिया उनकी कोहनी मे भी खरास लग गयी थी मैने कहा दिखाओ कि कहाँ कहाँ लगी है फिर मैं डेटोल लाया और उनकी कोहनी पे लगाया तो जलन से उनकी आह निकल गयी मैने उनका पैर पकड़ा और उसे हिलाने लगा तो वो बोली मत कर बेटा बहुत दर्द हो रहा है

तो मैने पूछा कि चाची घर मे इयोडीक्स है वो बोली बैठक की अलमारिमे है मैं फॉरन ही ले आया और बोला लाओ चाची मैं लगा देता हू तो चाची ने मना करते हुवे कहा कि तुम जाओ मैं लगा लूँगी तो मैने कहा कि नही चाची आप भी तो इतना करती हो घर के लिए तो मेरा भी कुछ फर्ज़ है और मैं बेड पे बैठ गया और उनका पैर उठा के अपनी टाँगो पे रख लिया पर चोट तो घुटनो पे लगी थी ये भी साला एक अजीब ही ट्विस्ट हो गया था

अरे मैने चाची के बारे मे तो बताया ही नही चाची का नाम बबिता है उमर 31 हैं गोरा रंग पतली कमर और मांसल गान्ड बहुत ही गोरी हैं किसी गुड़िया की तरह लगती हैं उनकी शादी को 7 साल हो चुके हैं पर अभी कोई संतान नही हुवी है मैने कहा चाची लहंगा थोड़ा उपर कर्लो तो मैं इयोडीक्स लगा लू उन्होने थोड़ा सा उपर कर लिया पर घुटना अभी थोड़ा दूर था

तो मैने खुद ही उसे उठा दिया तो वो बोली ये क्या कर रहे हो तोमैने कहा कि अगर लहंगा उपर नही करूँगा तो बॉम कैसे लगाउन्गा तो वो कुछ ना बोली और अब मैं उनके घुटने पर इयोडीक्स की मालिश कर रहा था मैने उनके पैर को थोड़ा उपर उठा दिया जिस से अंदर का नज़ारा मुझे सॉफ दिख रहा था गोरी गोरी टाँगे दिख रही थी पर पेंटी नही दिख रही थी क्यों कि पैर इतना ज़्यादा नही उठा सकता था मैं पूरी लगन से उनकी मालिश कर रहा था

मेरे हाथ बीच बीच मे फिसल कर जाँघो पे भी चले जाते थे पर उन्होने कुछ ना कहा अब मैने पैर को थोड़ा सा और उठा दिया और एक नज़र चाची पे डाली वो अपनी आँखे बंद करके लेटी हुवी थी अब घाघरे के अंदर का सब कुछ दिख़रहा था उन्हों नीले कलर की पेंटी पहनी हुवी थी ये देख कर मेरा लंड निक्कर मे थी खड़ा हो गया अब मेरे हाथ घुटने को छोड़ कर थोड़ा उपर की ओर रेंगने लगे थे

क्या बताऊ चाची का बदन बहुत ही कोमल था मेरी रगड़ तेज होती जा रही थी तभी उन्होने कहा कि अब वो थोड़ा ठीक फील रही और उठ के बैठ गयी

इधर मेरी निक्कर मे लंड फॅन फानाया हुवा था जिस से थोड़ा बाहर की ओर कुछ फूल सा गया था चाची की नज़र उधर पड़ी तो वो कुछ गोर से देखने लगी

मैं भी भाँप गया था मैने फॉरन अपनी बनियान को नीचे कर लिया अब चाची ने भी अपना ध्यान हटाया और कहा कि मैं जाकर स्टोर मे बिखरे गेहू इकट्ठा कर दूं ऑर वो खाना नही बनाएगी और थोड़ी देर सोना चाहती है

मैने कहा कोई बात नही आप आराम करो और मैं स्टोर मे चला गया वहाँ काफ़ी देर लग गयी थी आया तो पूरा शरीर पसीने और धूल मे सना हुवा था और मैं सीधा बाथ रूम की ओर चल पड़ा मैं नहा रहा था तभी मेरी नज़र वहाँ रखी कछियो पे पड़ी ऐसे ही मैने उन्हे उठा लिया और देखने लगा

मुझे बार बार चाची का ही ध्यान आ रहा था पर ये नही पता था कि उनकी पेंटी कॉन सी है पर मैने एक को अपने लंड पे रख दिया और उस से लंड पे रगड़ने लगा बहुत ही अच्छा लग रहा था ऐसे ही मैने मूठ मारनी शुरू करदी

मैने अपनी आँखे बंद करली और चाची को सोचते हुवे मूठ मार रहा था और थोड़ी देर बाद अपना वीर्य उसी कछि पे गिरा दिया और उसे वही पे रख दिया जहाँ से उठा या था और नहा कर बाहर आ गया था फिर थोड़ी देर आराम किया और फिर प्लॉट की ओर चल दिया

…. वहाँ जाके घास काटी और पशुओ को चारा खिलाया अब बारी उन्हे नहलाने की थी मैने पानी भरने के लिए टंकी का नल खोला तो उसमे पानी बहुत ही धीरे आ रहा था मैं अंदर गया तभी ध्यान आया कि मोटर तो प्रीतम के बाडे मे है मैं उसे लेने गया


तो देखा वो और उसकी मा वही पे थे मैने मोटर माँगी तो प्रीतम बोली तुम चलो मैं थोड़ी देर मे देने आ जाउन्गि और मैं वापिस आ गया थोड़ी देर बाद वो आई चूँकि प्लॉट मे और कोई नही था मुझे खुराफात सूझी मैने उसे पकड़ लिया और वही पे एक खटिया पड़ी थी उसपे गिरा दिया

तो वो कसमसाते हुवे बोली छोड़ो मुझे क्या कर रहे हो जाने दोमुझे पर मैं तो चुदाई की आग मे जलने लगा था मैने उसकी सलवार मे हाथ डाल दिया और चूत को मसल्ते हुवे बोला कुछ नही होगा बस 10 मिनिट मे ही कर लूँगा पर वो नही मानी वो बोली मेरी मा इधर ही हैं अगर मैं ज़्यादा देर रुकूंगी तो वो कही इधर ही ना आ जाए तो मैने थोड़ी देर उसको किस किया और फिर जाने दिया

उस दिन और कुछ ज़्यादा नही हुवा भाभी का साथ तो छूट ही गया था प्रीतम भी कुछ ज़्यादा काम आ नही र्है थी कुल मिलाके बस कट ही रही थी और मैं चाची के प्रति आकर्षित होने लगा था अब मेरी नज़र बदल गयी थी

अब वो मुझे बस एक चूत दिखती थी जिसमे मैं अपना लंड डालना चाहता था पर ये बहुत ही मुश्किल था तभी एक अच्छी बात हुई गाँव मे मेला लगा मैने पहले ही पूरा प्लान बना के प्रीतम को लिख दिया था कि मेले वाले दिन वो किसी तरहा हमारे प्लॉट मे आ जाय और हम थोड़ा टाइम साथ बीतायँगे और उसने कहा अगर चान्स मिला तो वो ज़रूर आ जाए गी आख़िर उसकी चूत भी कुलबुला रही थी

आप तो समझ सकते हैं कि गाँव के लोगो के लिए मेलों की क्या अहमियत होती हैं जो मज़ा मेले मे आता था वो मज़ा हज़ारो र्स खर्च करके भी शॉपिंग माल मे नही आता हैं

मेले वाले दिन मैं 11 बजे घर से मेला जाने को कह कर निकला और प्लॉट मे पहुच गया अब बस प्रीतम डार्लिंग का इंतज़ार था काफ़ी समय बीत गया पर वो अभी तक नही आई थी फिर कुछ देर बाद उसने गेट पे दस्तक दी मैने जल्दी से उसको अंदर किया और गेट बंद कर दिया और जल्दी से उसको लेके कमरे मे आ गया

वो झट से मेरे गले लग गयी मैने भी उसको अपनी बाहों मे भर लिया उसकी गरम सांस मेरे चेहरे पे पड़ रही थी उनमे एक अलग सी खुश्बू थी जो हर पल के साथ मुझे मद होश कर रही थी मैं उसकी गान्ड को सलवार के उपर से ही सहलाने लगा

वो भी अधीर होते हुवे बोली कि तुम जल्दी ही कर लेना उसे मेले भी जाना हैं मैने अपनी उंगली उसके होंटो पे रख दी और उसको चुप करवा दिया उसकी नशीली आँखें मेरे उपर डोरे डालने लगी थी मैने बिना देर किए उसके होन्ट अपने मुहमे भर लिए और उनको चूमने लगा


वो भी मेरा साथ देने लगी मेरी जीभ उसके मूह मे घूम रही थी और मैने उसके हाथ को अपने लंड पे रख दिया और वो उसे मसल्ने लगी काफ़ी देर तक उसके होंठ ही चूस्ता रहा तब उसने मुझे हटा या और बोली अब क्या इन्हे सुजा के छोड़ोगे मैने उसके सूट को उपर करना शुरू किया और निकाल ही रहा था की वो बोली पागल मत बनो कोई आ गया तो मैने कहा गेट अंदर से बंद है और आज मेला हैं तो इतना रिस्क तो बनता है

वो हँसते हुवे बोली एक दिन तुम मुझे मरवाओगे सफेद ब्रा मे उसकी मोटी मोटो चूचिया बाहर आने को मचल रही थी मैने देर ना करते हुवे उनको आज़ाद किया और एक को थोड़ा नीचे झुकते हुवे अपने मूह मे भर लिया इधर प्रीतम ने मेरे पाएजामे और अंडरवेर को नीचे करते हुवे लंड को बाहर निकाल लिया और अपनी उंगलिया उसपे कस दी मैं उसकी चूची पी रहा था बिल्कुल गुलाबी निप्पल्स बहुत ही संवेदन शील थे जितना मैं उनपे जीभ फेरता उतना ही प्रीतम के बदन मे मस्ती का संचार हो रहा था अब मैने उसकी सलवार और पेंटी एक साथ ही उतार दी और उसको नंगी कर दिया और खुद भी नंगा हो गया मेरा लंड उसकी चूत पे रगड़ खा रहा था वो बोली जल्दी करो ना तो मैने लंड पे थूक लगाया और उसकी एक टाँग को थोड़ा उठाया और लंड को चूत मे डाल दिया और खड़े खड़े ही चूत मारने लगा

प्रीतम की चूत से फ़च फ़च की आवाज़ आ रही थी और हर लम्हे के साथ वो मस्ती मे डूब ती जा रही थी अब मैने उसको वही फरश पे लिटा लिया और उसकी टाँगो को चौड़ा किया और उसमे समाता चला गया मैं दुबारा उसके होंटो का रस पीने लगा था चुदाई के समंदर मे हमारी नाव तेज गति से तैर रही थी तभी मुझे ध्यान आया कि उस रात चाचा किस पोज़िशन मे चाची को रगड़ रहे थे।

तो मैने अपना लंड निकाला और उसको टेढ़ी करते हुए उसकी एक टाँग को थोड़ा उठाया और पीछे से चूत मे लंड को घुसा दिया प्रीतम बोली आहहह ये क्या करते हो थोड़ा आराम से डालो मैने अपना एक हाथ उसके साइड से निकालते हुवे चूची को पकड़ लिया और उसे भींच ने लगा लंड सरपट सरपट चूत के अंदर बाहर हो रहा था मैने अब उसके गालो को चूसना शुरू कर दिया था प्रीतम भी पूरी मस्ती मे अपने गुदाज कुल्हो को पीछे कर रही थी गर्मी की दुपहरी मे दो जवान पसीने से भीगे जिस्म एक अलग ही लड़ाई मे लगे हुवे थे।


अब मैने उसे सीधी लिटाया और चुदाई करने लगा उसके कुल्हो की थिरकन बढ़ ती ही जा र्है थी तभी उसने अपने चुतड पूरी तरह उठा दिए और अपने बदन को ऐंठते हुवे झड़ने लगी चूत मे पानी की बढ़ आ गयी थी जिस से लंड फिसलने लगा मैं भी लग भग करीब आ ही गया था और कुछ देर में एक ज़ोर की आह भरते हुवे चूत मे ही झाड़ गया…………

अब वो उठी और अपने कपड़े उठाने लगी तो मैने उसके हाथ को पकड़ ते हुवे कहा कि अभी क्यों पहन रही हो अभी थोड़ी देर रुक जाओ पर वो नही मानी और बोली तुम को जो चाहिए था वो तो तुम्हे दे ही दिया है मैं तुम्हारी लगती भी क्या हू मैं तो तेरे लिए एक रांड़ हू बस चोदने के लिए उसकी बात मुझे चुभ गयी

मैने कहा कि क्या तुम मेरी दोस्त नही हो तो वो बोली कि रे बावले दोस्ती को क्यों बदनाम करता है ये तू भी जानता है कि जिस दिन मुझसे अच्छी मिल जायगी मुझे भूल जायगा और थोड़ी एमोशनल होगयि बात तो उसने 100% सही कही थी आख़िर उसका मेरा रिश्ता ही क्या था दोस्ती तो बस चुदाई के लिए ही थी

तो मैने भी पूछ लिया कि जब तुम्हे पता ही हैं तो क्यों आती हो वो बोली अच्छा लगता हैं तेरा साथ जब तेरे साथ होती हू तो थोड़ा हँसने-मुस्कुराने का बहाना मिल जाता है ना जाने क्यो उसकी बात दिल के अंदर धाड से लगी मैने कुछ भी नही कहा और बस उस को अपनी बाहों मे भर लिया

उसने मुझे हटाया कि छोड़ो पेशाब करना है और बाहर जाके मूतने बैठ गयी साली कमिनी थी पूरी ज़ालिम मेरी ओर मूह कर की ही मूत रही थी मैं चूत से बहती पेशाब की धार को देख रहा था जो उसकी फांको को भिगोरहि थी फिर वो मेरे पास आके बैठ गयी और बोली क्या सोचने लगे तो मैने कहा कुछ नही मैने अपनी जेब मे हाथ डाला और 300 रुपये उसको देते हुवे बोला ये मेरी तरफ से रख लो

तो वो नाराज़ होती हुए बोली मैं तेरे साथ सोती हू पर रंडी नही हू जो पैसो से तोल रहा है तो मैं बोला तुम ग़लत समझ रही हो ये तो मेले के लिए गिफ्ट है तो वो बोली अगर गिफ्ट देना ही था तो खुद खरीद भी सकते थे और गुस्से मे पैर पटक ते हुए चली गयी मैं उसे रोकना चाहता था पर ना रोक सका ना चाहते हुवे भी आज उसने दिल मे एक हूक सी जगा दी थी

मैं भी उठा और थोड़ा पानी पिया और मुँह धोया पता नही चुदाई के बाद प्यास कुछ ज़्यादा ही लगती थी फिर घर की ओर चल दिया वहाँ जाके देखा कि मेन गेट पे ताला लगा हैं तो ध्यान आया कि घर वाले तो मेले मे गये हैं भूख भी लग रही तो मैं भी मेले की ओर चल दिया

हालाँकि मुझे पसंद नही था पर मेरे कदम चल ही पड़े उस ओर या यूँ कहूँ कि तक़दीर कुछ ओर ही खेल खेलना चाहती थी वहाँ पहुच के सबसे पहले दो समोसे खाए तब थोड़ी जान आई गरम हवा सरपट दौड़ रही थी और कुछ भीड़ गर्मी सब कुछ जैसे उबल सा रहा था तो सोचा कि लगे हाथ क्यों ना गन्ने का रस भी पी लिया जाए मैं भी अब मेले के रंग मे रंगने लगा था

तभी एक विचार आया कि क्यों ना प्रीतम की लिए कुछ खरीद लूँ थोड़ा डर भी था कभी कोई देखना ले कि मैं लड़कियों का समान किस के लिया खरीद रहा हू और कुछ गले मे पहन ने के लिए देखने लगा

तभी पीछे से कोई मुझसे टकरा गया मैने फॉरन पीछे मूड कर देखा तो बस देखता ही रह गया साँवली रंगत चेहरे पे हल्की सी ज़ुल्फ़िें बिखरी हुई उसने फॉरन ही मुझसे सॉरी कहा तो मैं भी मुस्कुरा दिया ये उसकी ऑर मेरी पहली मुलाकात थी वो मुस्कुराइ और इठलाती हुई आगे बढ़ गयी मैं बस उसे जाते हुवे देखता ही रहा………………

वो लड़की कुछ ही सेकेंड मे एक छाप से छोड़ गयी थी फिर प्रीतम के लिए कुछ खरीदा और थोड़ी देर मेले मे घूमने के बाद घर की ओर प्रस्थान किया शाम हो चली थी लाइट भी नही आ रही थी तो ओर भी मुश्किल सी हो गयी थी मैने आँगन मे खाट बिछाई और उसी पे लेट गया

चाची झाड़ू लगा रही थी उनकी पीठ मेरी ओर थी मैं उनकी गान्ड को देख रहा था साली जिंदगी भी दो तरह से चल रही थी एक तरफ मैं लुस्ट मे डूबा जा रहा था और दूसरी ओर एक नयी राह भी थी जिसपे चलने की तैयारी होने लगी थी मेरा ध्यान पूरी तरह से चाची पे ही था जी कर रहा था कि उसी वक़्त उन्हे चोद दूं पर मजबूरी थी तो सीधा उठके बाथरूम मे घुस गया और उनकी कच्छि को लंड पे रगड़ते हुए मूठ मारने लगा

अब जाके थोड़ा चैन आया उन दिनो साला लंड भी जब चाहे खड़ा हो जाता था पेंटी को उसकी जगह पे रखा और हाथ मूह धोके मैं फिर वापिस आ गया पापा और चाचा भी आ चुके थे तो मैं उनसे बाते करने लगा मई के लास्ट दिन चल रहे थे

तभी चाचा बोले कि 10+2 मे वो मेरा अड्मिशन सिटी मे करवाएँगे ताकि मैं बेहतर ढंग से स्टडी कर सकूँ ये सुनके मैं बहुत ही खुश हो गया तभी चाचा बोले कि जा रसोई मे देखके आ कि खाना बन ने मे कितनी देर हैं मैं वहाँ पे गया तो देखा कि चाची आटा ही लगा रही थी वो बोली बस बना ही रही हैं वो स्लॅब के पास खड़ी आटा लगा रही थी अचानक मुझे पता नही क्या सूझा मैं उनके पीछे खड़ा हो गया

थोड़ी चापलूसी करते हुए बोला चाची आप सारा दिन कितना काम करती हो कभी आराम भी किया करो घर मे ऑर भी हैं वो भी खाना बना सकते है तारीफ औरत की सबसे बड़ी कमज़ोरी होती हैं मैं थोड़ा और मक्खन लगाते हुए बोला कि क्या मैं उनकी हेल्प करू और थोड़ा और उनके करीब सट गया अब मेरी जांघी उनके पिछवाड़े पे टच हो रही थी मेरा नागराज भी खड़ा होने लगा था मैने थोड़ी हिम्मत करते हुए अपना हाथ उनके पेट पे रख दिया और उसपे हाथ फेरने लगा चाची थोड़ा कसमसा गयी पर कुछ ना बोली और आटा लगाती रही मेरी हिम्मत थोड़ी और बढ़ गयी और मैं उनसे बिल्कुल ही चिपक गया था लंड उनके कुल्हो पे रगड़ खा ने लगा था मुझे सॉफ पता चल रहा था कि उनकी सांसो मे ठहराव आ गया था तभी उन्होने भी अपने कुल्हो को थोड़ा पीछे कर दिया

अब हम दोनो ही जानते थे कि ये चाची-बेटे के प्यार से थोड़ा बढ़ कर कुछ ऑर ही हो रहा था तभी चाचा ने आवाज़ लगाई और मैं घबराते हुए बाहर की ओर भाग चला. फिर कुछ नही हुवा डिन्नर के बाद मैने अपना बिस्तर छत पे लगाया और रेडियो को ऑन करके लेट गया आज गाने भी कुछ ज़्यादा ही रोमॅंटिक चल रहे थे

मुझे तभी उस लड़की का ध्यान आया जो मेले मे टकराई थी दो पल की मुलाकात फिर से मुझ पे हावी होने लगी थी कुछ तो रोमॅंटिक गानो का सुरूर ओर कुछ उस लड़की की कशिश हालाँकि कशिश तो मैने भाबी और प्रीतम मे भी महसूस की थी पर ये कुछ अलग ही था नींद उड़ गयी थी मैने सोचा गाँव की तो नही हो सकती है होती तो पता चल ही जाता पता नही कॉन थी कहाँ रहती थी

एक तो वैसे ही बैचैन था उपर से लव गुरु भी रेडियो पे उस खुमारी को ऑर भी बढ़ा रहे थे गला सूखने सा लगा था पानी की बॉटल टटोली तो पाया आज तो बोतल नीचे ही भूल आया था मैं नीचे की ओर चल पड़ा रसोई मे जा ही रहा थी कि तभी किसी के हल्के से हँसने की आवाज़ आई तो मेरे कान खड़े हो गये

थोड़ा दीवार की पास चिपक के आँगन की ओर देखा कि चाचा ने चाची को पलंग पे घोड़ी बनाया हुवा हैं . दोनो संभोग करने मे मस्त हैं मैं छुप के उन्हे देखने लगा जाने कब मैने अपने लंड को बाहर निकाल लिया और उसे हिलाने लगा

कुछ ज़्यादा सॉफ तो नही दिख रहा था पर जितना भी था काफ़ी था अब चाची चाचा के लंड पे बैठ के उछल कूद मचा रही थी मेरा पानी भी निकलने ही वाला था तभी साला जुलम हो गया लाइट अचानक आ गयी और पूरे आँगन मे बल्ब की रोशनी मे नहा गयी मैं एक दम से हड़बड़ा गया छिपने की कोई जगह भी नही थी और तभी चाची की नज़र मेरे उपर पड़ी

उनकी आँखे हैरत से फैल गयी मेरे हाथ मे मेरा तना हुआ लंड झूल रहा था और उधर वो नंगी अपने पति के लंड पे कूद रही थी मैने आव देखा न ताव और सीढ़ी पर दौड़ लगा दी और घर के बाहर चबूतरे पे आके बैठ गया …………..
सुबह हुई तो मैं सीधा प्लॉट मे चला गया रात का घटना क्रम आँखो के सामने ही घूम रहा था समझ नही आ रहा था कि कैसे चाची को फेस करूँगा फिर प्रभु का नाम लिया और सोचा कह दूँगा ग़लती हो गयी और माँफी माँग लूँगा
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RE: हार तरफ चुत हि चुत (BIG & HOT STORY) - by Pagol premi - 05-12-2020, 04:06 PM



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