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Adultery हार तरफ चुत हि चुत (BIG & HOT STORY)
#4
पर एक तो उसका घर दूर और कोई सीधा कॉंटॅक्ट भी नही था हाँ कभी कभार रास्ते मे देख लिया करता था और वो भी मुझे देख कर एक दिलकश स्माइल देते रहती थी दिन इसी तरह गुजर रहे थे आधे पेपर भी हो चुके थे अचानक एक मस्त घटना हुई मोहल्ले मे एक लड़की की शादी थी तो हम सब वहाँ पे काम वग़ैरा करवा रहे थे प्रीतम उस लड़की की खास सहेली थी तो वो भी वहाँ पे थी मुझे पता था कि वो पूरी रात वही पे रहेगी क्या पता आज उसको चोदने का जुगाड़ हो जाए


गुलाबी कलर के सूट मे वो बहुत ही हॉट लग रही थी मैने पूरा निश्चय किया कि जो करना है आज ही करना है मैने देखा कि वो कुछ प्लेट उठा के टेंट के पीछे की तरफ जा रही है लोगो से बचते बचाते मैं भी वहाँ पहुच गया और उसका हाथ पकड़ लिया

वो बोली छोड़ो मुझे तो मैने उसके करीब आते हुए कहा कि छोड़ने के लिए नही पकड़ा है और उसको अपनी बाहों मे भर लिया और उसके होंठो को चूम लिया वो फॉरन वहाँ से भाग गयी वो भी वहाँ पर काम करवा रही थी और मैं भी हमारी आँखे बार बार टकरा रही थी

एक तो शादी का महॉल और उपर से नैन मटक्का कुल मिला कर काम एक दम मस्त साथ था तभी ताइजी ने प्रीतम को बुलाया और मेरी ओर इशारा करते हुए कहा कि उंसके साथ जाओ ऑर उपर चॉबारे से कुछ बिस्तर नीचे लाके बिछा दो ताकि बाद मे अफ़रा तफ़री ना मचे और हम चल पड़े

चॉबारे मे देखा तो पूरा बिस्तरॉ का ढेर लगा पड़ा था अगर कोई छुप भी जाय तोकिसी को पता ना चले मैने गेट को हल्का सा बंद किया और प्रीतम को दीवार के सहारे चिपकाते हुए उसके गुलगी होंटो को अपने होंटो मे दबा लिया और चूसने लगा 2 मिनिट तक चूसने के बाद वो मुझसे दूर होते हुए बोली कि क्या है क्यों मेरे पीछे पड़े हो

तो मैने उसको अपनी बहो मे भरते हुए कहा कि क्या तुम्हे नही पता और दुबारा से किस करने लगा अबकी बार उसने कोई विरोध नही किया वो भी मेरी ओर आकर्षित थी मेरी हिम्मत थोड़ी बढ़ गयी थी तो मैने उसकी चूचियों को मसलना शुरू कर दिया

तो वो बोली प्लीज़ अभी नही किसी ने देख लिया तो मेरे लिए प्राब्लम हो जाएगी तो मैने उस से वादा लिया रात को मिलने का तो वो बोली कि देखे गी और हम बिस्तर लेके नीचे आ गये इस बीच और कुछ ना हुआ बस ऐसे ही आँख-मिचोली चलती रही शादी की गहमा गहमी थी इसलिए कोई किसी को ज़्यादा सीरीयस भी नही ले रहा था इसी तरह रात का 1 बज गया था फेरे चल ही रहे थे प्रीतम के भाई ने कुछ ज़्यादा ही ड्रिंक कर ली थी और वो थोड़ा बेसूध सा हो गया था हमे डर था कि कही वो किसी से पंगा ना कर्दे शादी का महॉल थोड़ा खराब हो चुका था प्रीतम भी उसको देख के थोड़ा टेन्स हो गयी थी उसने मुझसे कहा कि मैं उसके भाई को घर छोड़ आउ पर वो साला मान ही नही रहा था तो मैने उसको थोड़ी और पिलाई अब उसकी हालत और खराब हो गयी थी पर अच्छी बात थी कि वो लगभग बेहोशी की ओर बढ़ रहा था मैने उसको लिया और उसके घर छोड़ने के लिए ले जाने लगा

वहाँ पे जाके देखा तो दरवाजे पे ताला लगा हैं तो मैने उसको वही पे बिठाया और चाभी के लिए वापिस जाने लगा तो देखा प्रीतम दौड़ते हुए आ रही थी उसने जल्दी से ताला खोला और उसको बिस्तर पे लिटा दिया और वही पे बैठ गया थोड़ी ही देर मे वो गहरी नींद मे पहुच गया मैं उठा और दरवाजे को बाहर से कुण्डी लगा दी

अब बस वहाँ पे मैं और प्रीतम ही थे उसकी मा तो शादी मे थी और हमारे गाँव मे रिवाज़ है कि जबतक दुल्हन विदा ना हो जाए बुजुर्ग औरते वही पे रहती हैं अचानक ही मुझे मोका मिल गया था मैने उनका मेन गेट भी बंद कर दिया और उसको अपनी बाहों मे भर लिया वो मना कर रही थी पर मैने उसको चुप रहने का इशारा किया और उसको पकड़ के साइड वाले कमरे मे ले आया हम दोनो एक दूसरे की तरफ देख रहे थे मुझे तो उसे हर हाल मे चोदना था और आज तो दस्तूर भी था


मैने उसको बेड पे लिटा दिया और उसके चेहरे को चूमने लगा उसक्के लाल लाल होन्ट मेरे होंटो मे समाए हुए थे और मैं उसकी चूचिया भी मसलने लग गया था अब मैने उसके सूट को उपर किया और निकाल दिया वो बोली कपड़े मत निकालो तो मैं बोला कि डरो मत कुछ नही होगा उसने अंदर काले रंग की ब्रा पहनी हुई थी जिसपे 36 का टॅग लगा था जिस से मैने आइडिया लगा कि उसकी बूब्स का साइज़ ये है मैने ब्रा के उपर से ही उनको चूमना शुरू कर दिया था

प्रीतम थोड़ी मोटी थी पर काफ़ी थी हॉट माल अब उसकी ब्रा फर्श पे पड़ी थी उसके उभार मेरे हाथो मे थे वो लेटे लेटे सिस कारियाँ भर रही थी और मैं उसका स्तन पान करता जा रहा था मुझे बहोत मज़ा आ रहा था मैं बारी बारी से उसके निप्पल चूस रहा था अब मेरा हाथ उसकी सलवार के नाडे पे पहुच चुका था बहुत ही प्यार से उसका नाडा खोलते हुए उसकी सलवार को भी उतार दिया

प्रीतम बिल्कुल भी नही शर्मा रही थी काले कलर की छोटी इस पेंटी मे वो बहुत ही ज़्यादा सेक्सी लग रही थी उसके आधे से ज़्यादा चूतड़ कछि से बाहर आ रहे थे मैने भी अपने पूरे कपड़े उतार दिए और बिल्कुल नंगा हो गया वो मेरे लंड को देखते हुए बोली ये क्या है ये तो मेरी चीर-फाड़ कर देगा मैने अपना लंड उसके हाथ मे दे दिया वो उसे सहलाने लगी और मैने उसकी पेंटी को उसके जिस्म से अलग कर दिया

हम दोनो पूर्ण रूप से निर्वस्त्र अवस्था मे बेड पे लेटे हुए थे हालाँकि थोड़ी सर्दी थी पर उस टाइम तो हम काफ़ी गरम थे मैं उसके पूरे शरीर को चूम रहा था उपर से लेके नीचे तक प्रीतम बोली जो करना है जल्दी करो कही उसका भाई उठ गया तो प्राब्लम हो जाए गी मैने उसकी बात को मानते हुए उसकी टाँगो तो फैला दिया अब उसकी चूत मेरे आँखो के सामने थी ब्रेड की तरह फूली हुवी चूत जिसपे एक भी बाल नही था

पर उसकी फांके भाभी की चूत की तरह से गुलाबी ना होके काली थी मैने उसकी चूत को अपने मुँह मे भर लिया और चाट ने लगा प्रीतम की चूत थोड़ी खुली खुली लग रही थी शायद वो कई लोगो से चुदवा चुकी थी पर उस टाइम यह सोचने का वक़्त नही था मेरी पूरी जीब उसकी चूत का मज़ा ले रही थी और वो हल्के हल्के सिसकारिया ले रही थी उफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफ्फ़ उफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफ्फ़ ओमम्म्मममममममममममममममममममममममममममाआआआआआआआआआआआआआआआअ माआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआ झ्झीईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईइ मैं तो मर गई मेरी

प्रीतम अपनी छातियों को खुद ही भींच रही थी और अब उसकी गान्ड भी हिलनी शुरू हो गयी थी उसने इस से पहले कभी अपनी चूत नही चटवाई थी इसलिए उसे बहुत ही मज़ा आ रहा था 5 मिनिट मे ही उसने अपना पानी छोड़ दिया और निढाल सी हो गयी मैने उसके होंटो को चूमा और अपना लंड चूसने को कहा पहले तो वो मना करती रही फिर मैने कहा एक बार ट्राइ तो कर ले तो उसने मेरे लंड को पकड़ा और धीरे से अपने मुँह मे ले लिया और उसे चूसने लगी वो बिना किसी जल्दी के आराम से चूसने लगी ये उसका पहला अनुभव था इस लिए वो थोड़ा अजीब सा फील कर रही थी अब उसकी पूरी जीब मेरे लंड पे घूम रही थी

मैने अपना लंड निकाला और मैं बेड पे लेट गया अब वो झुक कर लंड पे अपने मुँह का जादू चलाने लगी और मैं पीछे से उसकी चूत मे उंगली करना चालू कर दिया था उसने अपनी टाँगो को कस लिया जिस से उसे और भी मज़ा आने लगा था 15 मिनिट तक वो मेरा लंड चूस्ति रही फिर मैं उठा और उसको लिटाया और अपने लंड को चूत के छेद पे रख दिया उसकी चूत किसी गरम भट्टी की तरह तप रही थी और बहुत ही गीली हो रही थी मैं अपना लंड वहाँ रगड़ने लगा वो मोन करने लगी मैं जान बुझ कर उसे तड़फ़ड़ा जा रहा था आख़िर उसने खुद मेरे लंड को पकड़ा और चूत मे घुसने का आमंत्रण दिया

पहले ही धक्के मे सुपाडा उसकी फांको को चोडा करते हुए अंदर घुस गया था उसकी चीख निकलगई वो बोली अहह क्क्या कर रहे हो म्म्म्म मममममममममाअओरो गई क्या अब मेरा आधा लंड अंदर घुस गया था उसकी चूत का छेद चौड़ा हो गया मैने एक ज़ोर का धक्का मारा और पूरा लंड चूत को चीरते हुए उसमे समा गया था वो थोड़ा असहज महसूस रही थी मैं लगातार उसके गालो को चूम रहा था

अब मैने अपनी कमर को हिलाना शुरू कर दिया था उसने अपनी टाँगो को खूब चौड़ा कर दिया हमारे होंठ एक दूसरे से जुड़े हुए थे मैं लंड को चूत के बाहर तक खींचता और झटके से अंदर घुसा देता तो वो चिहुन्क जाती थी मेरे अंडकोष उसकी जाँघो से टकरा रहे अब वो भी पूरी आज़ादी से अपनी चूत मरवा रही थी और नीचे से गान्ड को उचका रही थी काफ़ी देर तक मैं ऐसे ही प्रीतम को चोद्ता रहा फिर उसने अपने बदन को भींच लिया और झड़ने लगी चूत मे जैसे बाढ़ आ गयी थी

मेरा भी होने वाला था मैने 15-20 झटके और मारे और जैसे ही पानी निकलने को आया मैने लंड को निकाला और उसके पेट पे सारा पानी गिरा दिया वो बोली ये क्याकिया मैने फॉरन उसके निचले होंठ को चूसना शुरू किया और ऐसे ही लेट गया काफ़ी देर तक हम ऐसे ही लेटे रहे मैं एक बार और करना चाहता था पर उसने मना किया अब मैने कपड़े पहने थोड़ा पानी पिया और शादी की तरफ चल पड़ा प्रीतम अपने घर पे ही रह गयी थी मैं वहाँ गया और प्रीतम की माँ को बता या कि उसके भाई ने ज़्यादा ड्रिंक करली थी और प्रीतम घर पे ही रुक गयी है उसे संभालने के लिए और वही कुर्सी पे बैठ गया ……

मैं बैठे बैठे सोचने लगा कि कैसे 15-20 दिन मे ही मेरी ज़िंदगी कितनी बदल गयी थी कहाँ तो मैं ऐसे ही टाइम पास करते भटकता रहता था और अब दो-दो मालो को रगड़ चुका था सुबह 6 बजे तक शादी का सारा काम समाप्त हो गया था और मैं अपने घर आ गया था पूरी रात जागने के कारण बहुत ही नींद भी आ रही थी तो मैं फटकार के सो गया चार बजे शाम को मैं उठा हाथ मुँह धोया थोड़ा कुछ खाया पिया तभी चाची ने कहा कि मम्मी प्लॉट मे गयी है मैं वहाँ जाके उनकी मदद कर दूं मैने कहा आप क्यों नही चली जाती तो वो बोली कि घर का काम भी तो करना ज़रूरी है थोड़ी देर मे मैं प्लॉट मे था मैने थोड़ी देर वहाँ काम किया और तफ़री मारने के लिए निकल पड़ा रास्ते मे मेरी नज़रे प्रीतम को ढूँढ रही थी पर वो ना मिली खैर शाम हुई और मैं घर की ओर चल पड़ा कुछ करने को था नही तो मैं टीवी देखने लगा और फिर सो गया

अगले दिन मैं प्लॉट मे नहा रहा था तो प्रीतम वहाँ पे आई वो फिर पानी की मोटर लेने के लिए आई थी मैं खाली एक छोटी सी फ्रेंची मे ही था वो भी सफेद कलर की और पूरी गीली होने के कारण मेरा लंड उसमे से सॉफ नज़र आ रहा था. वो बड़ी गोर से उसे देखने लगी फिर वो बोली मोटर चाहिए थी मैने उसे अंदर से लेने को कहा और भाग कर प्लॉट का दरवाजा बंद कर दिया और भाग के कमरे मे गया और उसको पकड़ लिया वो छूटने की कोशिश करने लगी और छिटक के दूर हो गयी और बोली अभी नही मेरी मा बाडे मे हैं मैं मोका देख के बताउन्गि पर फिर भी मैने चुम्मी तो ले ही ली और उसे जाते हुए देखता रहा.नीचे साला लंड फड़फडा रहा था एक बार तो आया कि मुट्ठी मार लू पर फिर खुद को कंट्रोल किया और कपड़े पहन ने लगा 2-3 दिन ऐसे ही गुजर गये मैं कामवासना मे जल रहा था प्रीतम से आँख-मिचोली तो हुई पर बात बन नही रही थी

कुछ सोच विचार करने के बाद मैने प्रीतम को एक लेटर लिखा कि मुझे वो बहुत ही अच्छी लगती है हर पल मैं उसके ही बारे मे सोचता रहता हू
और उस से मिलने के लिए तड़प रहा हू उस रात जो हमारा मिलन हुआ वो अभी तक मेरे शरीर मे महसूस होता हैं ऐसे ही मैने कई मीठी मीठी
बाते लिखी और लिखा कि मैं जल्दी से जल्दी उस से मिलना चाहता था मैने अपनी चिठ्ठी उस को दे दी थी अब बस इंतजार था उसके जबाब का

अगले दिन वो मिली और एक काग़ज़ का टुकड़ा पकड़ा के फॉरन ही चली गयी थी मैने जल्दी से पढ़ा तो लिखा था शनिवार शाम जंगल मे. मेरे चेहरे
पे एक गहरी मुस्कान छा गयी अब इंतज़ार था शनिवार का मेरे मन मे एक विचार आया कि क्यों ना प्रीतम को एक गिफ्ट दूं मैने मम्मी से 500 रुपये
माँगे पहले तो उन्होने मना कर दिया पर फिर दे ही दिए 200 रुपये का जुगाड़ मैने चाची से कर लिया और प्रीतम के लिए एक जोड़ी पायल खरीद ली
जैसे तैसे दिन निकले और शनिवार आया आज मैं बहुत ही उत्साहित हो रहा था शाम को 5 बजे के लगभग मैं जंगल की ओर चल पड़ा

मैं काफ़ी देर उसका इंतज़ार करता रहा तब जाके वो आई मैने उसका हाथ पकड़ा और जंगल मे गहराई की ओर चल पड़े मैं कोई ऐसी जगह ढूढ़ रहा था
जहाँ अगर कोई आ भी जाए तो हमें ना देख सके लगभग 10 मिनिट बाद हम काफ़ी घने पेड़ो के अंदर पहुच गये थे प्रीतम मेरे सीने से लग गयी थी
उसकी छातिया किसी ढोँकनी की तरह उपर नीचे हो रही थी

मैं उसकी पीठ को सहला रहा था इस टाइम हमारी फीलिंग्स सेक्स की ना होकर थोड़ी रूमानी हो गयी थी तभी प्रीतम बोली कि जो भी करना हैं तुम
जल्दी से कर लो मेरे पास ज़्यादा वक़्त नही है हालाँकि मैं इतने दिनो से उसकी चूत मारने को बेताब था पर ना जान मुझे क्या हो गया था मैं बस चाहता
था कि वो मेरे पास ही रहे मेरी बाहों मे मोके की नज़ाकत को समझते हुए मैने उसको अपनी बाहों मे भर लिया और उसके हल्के गुलाबी होंटो को चूमने लगा

प्रीतम भी थोड़ी उतावली हो रही थी वो भी मेरा सहयोग करने लगी उसको चूमते चूमते अब मैने अपनी जीब उसके मुँह मे डाल दी हम दोनो की जीब
एक दूसरे से टकरा रही थी और हम बहुत ही मज़े से किस कर रहे थे हमारे मुँह मे काफ़ी थूक इकठ्ठा हो गया था बस एक दूसरे को चूमे ही जा रहे थे हमारी
साँस उखड़ने लगी थी फिर भी हम ऐसे लगे थे जैसे ये हमारा लास्ट चुंबन हो

आख़िर प्रीतम ने किस तोड़ी और हाँफने लगी अब मैने उसकी सलवार के नाडे पर हाथ रखा और एक ही झटके से उसको ढीला कर दिया सलवार उसकी
टाँगो मे नीचे को गिर गयी मैं अब एक हाथ से उसके गान्ड को कछि के उपर से दबाने लगा प्रीतम भी कामुक हो रही थी और दूसर हाथ उसकी चूत पे
रख के उसको मसल्ने लगा कच्छि के उपर से ही पता चल रहा था कि चूत से पानी बह रहा है

कुछ ही देर मे उसकी कच्छि भी नीचे पड़ी थी मैने एक उंगली अंदर डाली और रगड़ने लगा प्रीतम ने भी मेरे लंड को पेंट के उपर से ही सहलाना शुरू कर
दिया था मैं लगातार उंगली करता जा रहा था वो अपने दांतो से होन्ट को काट रही थी उसकी आँखे पूरी तरह वासना मे डूब रही थी उसने मेरी ज़िप
खोली और मेरे लंड को बाहर निकाल लिया और अपने हाथ से मसल्ने लगी मैने उसे लंड को गीला करने को कहा तो उसने नीचे झुकते हुए लंड को मुँह
मे भर लिया और चुप्पे मारने लगी

पूरा लंड उसके मुँह मे था थूक उसके मुँह से बहता हुवा नीचे गिर रहा था अब मुझसे कंट्रोल नही हो रहा था मैने उसको खड़ा किया और उसके हाथो को
घुटनो पे रखते हुए थोड़ा सा झुकाया और अपने थूक से सने हुए लंड को उसके गोल चुतडो से रगड़ ते हुए चूत मे धकेल दिया प्रीतम की मुँह से आह
निकल गयी मैने उसकी कमर को थाम लिया और चुदाई करने लगा दो जवान जिस्म जंगल मे हुस्न के मज़े लूट रहे थे उस टाइम हमें दुनिया की कोई
खबर नही थी बस सब से बेख़बर हम एक दूसरे मे समाए हुए जन्नत की सैर कर रहे थे हर लम्हे के साथ मेरे धक्के तेज होते जा रहे थे

प्रीतम भी लगातार अपनी गान्ड को पीछे कर रही थी और लगातार आहे भर रही थी अब मैने अपने हाथ उसके सूट के अंदर डाले और ब्रा के उपर से ही
चूचियो को मसल्ने लगा जिस से प्रीतम का मज़ा और भी बढ़ गया हमे चुदाई करते हुए 20 मिनिट से भी ज़्यादा हो गये थे पर कोई भी हार मान ने को
तैयार नही था चूत से लगातार रस बह रहा था और कामरस से भीगा हुवा लंड फ़चा फ़च अंदर बाहर हो रहा था ना जाने मुझे क्या सूझा मैं अपने अंगूठे को
पीतम के दाने से रगड़ने लगा और पीछे से धक्के भी मार ता जा रहा था प्रीतम का शरीर काँपता जा रहा था थप थप चुदाई होये जा रही थी तभी प्रीतम की
चूत की फांके मेरे लंड पे कस गयी और प्रीतम झाड़ ने लगी उसी पल मेरे लंड ने भी अपन गरमा गरम पानी छोड़ दिया और हम दोनो एक साथ चर्म सुख
को प्राप्त हो गये…


मैने प्रीतम की पेंटी को उठा लिया और अपनी जेब मे रख लिया फिर उसने हंसते हुवे सलवार पहनी और थोड़ा खुद को सही किया और वापिस चल पड़े तभी मुझे याद आया और मैने पायल निकाली और प्रीतम के पाओ मे पहना दी वो बोली ये क्यू तो मैने कहा बस ऐसे ही और फिर हम अलग अलग रास्तों से घर की ओर चल पड़े

जब मैं घर पे पहुचा तो अंधेरा होना शुरू हो गया था दादी ने कस के मुझे डाँट पिलाई और पूछा कि मैं कहाँ गया था तो मैने झूठ बोल दिया कि ऐसे ही क्रिकेट खेलने के लिए गया था.

तभी मम्मी ने बताया कि रवि और अनिता आए हुए है ये सुनके मैं बहुत खुश हुआ मुझे भाभी को मिले 2 महीने के लगभग हो गये थे ये तो सूकर है कि प्रीतम से टांका भिड़ गया था वरना पता नही मेरा क्या होता

मैं उनके घर की और दौड़ पड़ा और उनसे मिला हम सब बैठ के बाते कर रहे थे पर मेरी नज़रे तो बस अनिता भाभी की ओर ही थी भाभी भी ये समझ रही थी और मेरे मज़े ले रही थी

तभी भाभी चाइ बना ने के बहाने रसोई मे चली गयी थोड़ी देर बाद उन्होने मुझे आवाज़ लगाते हुवे कहा कि सब के लिए चाइ ले जाओ मैं सीधा रसोई मे गया और उनको दीवार से लगाते हुए चूम लिया

भाभी बोली अभी नही तुम्हारे भाई आ जाएँगे मैं सुबह 5 बजे बड़े मे पशुओ को चारा डालने आउन्गि तुम वही मिलना ये सुनके मैं बहुत ही खुश हुआ और चाइ की ट्रे लेके बाहर आ गया

थोड़ी देर इधर उधर की करने के बाद मैं घर आ गया और घड़ी मे 4.30 का अलार्म लगाया और लेट गया पर आँखो मे नींद भी नही आ रही थी बार बार मैं अनिता भाभी को चोदने का सोच के रोमांचित हो रहा था

रात भी कुछ ज़्यादा ही लंबी हो गयी थी कट ही नही रही थी और नींद भी नही आ रही थी खैर जैसे तैसे रात कट ही गयी मैं चुप चाप उठा और घर मे देखने लगा कि क्यों कि मम्मी और ताइजी अक्सर अर्ली मॉर्निंग ही उठ जाती थी

क्यों कि खेतो और पशुओ का बहुत काम होता था घर का काम तो चाची संभाल लेती थी और वे दोनो बाहर का अड्जस्ट कर लेती थी मैं बाडे मे ठीक 5 बजे पहुच गया था

तो भाभी वही पे थी जैसे ही उन्होने मुझे देखा वो दौड़ ते हुए मेरे सीने से आ लगी और मुझसे लिपट गयी और मुझे चूमने लगी मैने भी पूरा साथ देते हुवे उनके रसभरे अधरो को चूसना शुरू किया

उफफफफफफफफफ्फ़ क्या बताऊ उनके सुर्ख होंठ शहद से भी मीठे थे वो भी ऐसे शो कर रही थी जैसे जन्मो की प्यासी हो मैने अपना हाथ उनके घाघरे मे डाला और उनकी गरमा गरम चूत पे रख दिया भाभी ने पेंटी नही पहनी थी वो पूरी तैयारी कर के आई थी मैने चूत के दाने को सहलाना शुरू कर दिया


भाभी ने अपनी टाँगो को कस लिया थोड़ी देर दाने को रगड़ने के बाद मैने दो उंगलिया एक साथ उनकी चूत मे घुसा दी तो वो चिहुनकते हुवे बोली आअहह फाडो गे क्या तुम कितने बेसबरे हो भाबी ने मेरे कान मे धीरे से कहा जल्दी से काम ख़तम करो कही उसकी सास ना आ जाए

मैने अपना पयज़ामा सरकाया और अपने लंड को चूसने कोकहा भाबी नीचे बैठ गयी और लंड को अपने मूह मे भर के गपा गॅप चूसने लगी मैने उनका सर पकड़ लिया और मज़े से लंड को चुसवाने लगा 5 मिनिट बाद उन्होने लंड को बाहर निकाला और घास के ढेर पे लेट गयी मैं उनकी चूत को चाटने के लिए बढ़ा तो उन्होने मुझे रोक दिया और सीधा चोदने को कहा अब मैं उनके उपर आ गया और लंड को चूत पे सेट करते हुवे उनमे समाता चला गया

भाभी की चूत बहुत ही कुलबुला रही थी वो भी ऐसे चुद रही थी जैसे ये उनकी अंतिम चुदाई हो और हल्के हल्के मेरे कान को अपने दांतो से काट रही थी भाभी के नाख़ून मेरी पीठ पे रगड़ रहे थे अब भाभी ने मेरे कुल्हो पे दबाव बनाते हुवे धक्को की गति को तेज करने का इशारा किया वो जल्दी से चुदना चाहती थी मैं भी दे दनादन लगा हुवा था चूत और लंड अपनी लड़ाई करने मे लगे हुवे थे

मैने भाभी को अपनी के अपने से कस लिया और चूत मे घसा घस पानी छोड़ने लगा उनकी चूत की दीवारे मेरे पानी से भीग रही थी उसी पल भाबी भी स्खलित हो गयी थोड़ी देर हम ऐसे ही पड़े रहे जैसे ही मैं पयज़ामा पहेन रहा था तभी ताइजी वहाँ पे भैंसो का दूध निकालने वाली बाल्टी लेके आ गयी और हमें वहाँ देखा या यू कहूँ मुझे वहाँ देख के हैरान हो गयी मैने झूठ बोलते हुए कहा कि मैं दौड़ करने जा रहा था कि भाभी को अकेला देखा तो उनके पास आ गया था

हालाँकि मैने बहाना तो बना दिया था पर मैं जानता था कि ताइजि ने दुनिया देखी थी ताइजी ने मुझे जाने को कहा और अनिता की ओर घूर्ने लगी मैं समझ गया था कि उन्हे शक हो गया था पर मैं सूकर मना रहा था कि उन्होने हमे रंग हाथ नही पकड़ा था वरना हालत गंभीर हो सकती थी खैर टेन्षन तो अब भी थी मैं सोच रहा था कि वो भाभी से सवाल जवाब तो कर ही रही होंगी चूत तो मिल गयी थी पर ताइजी की नज़रो मे गिरने का ख़तरा हो गया था जो ना मेरे लिए ठीक था ना भाभी के लिए

मेरा हलक सूख गया था कदमो मे जैसे जान ही ख़तम हो गयी थी हालाँकि मैं पकड़ा नही गया था पर ये घर की बात थी और भाभी की ग्रह्स्थि को मेरी वजह से ख़तरा हो सकता था मैं धीमे धीमे कदमो से चलते हुवे घर पहुच गया और वहाँ बने चबूतरे पे बैठ गया था वैसे तो सारे घर वाले उठ गये थे पर मुझे कोई भी सीरियस्ली नही लेता था मेरे मन मे एक द्वंद चल रहा था मेरा भाबी से एक अलग सा ही रिश्ता था जो बस हम दोनो ही समझते थे ( उस टाइम तो मैं ऐसा ही सोचता था पर हक़ीकत बाद मे पता चली) मन बार बार विचलित हो रहा था मैं जल्दी से अनिता को मिलके तस्सल्ली करना चाहता था कि सब ठीक है या नही

पर मेरी हिम्मत नही हो रही थी हालाँकि मेरे और उनके घर मे बस एक दीवार का ही अंतर था फिर भी ना जाने क्यों मेरी हिम्मत नही हुवी दोफर को भाभी हमारे घर आई मैं उन्हे देख के हल्की से मुस्कुराया पर उन्होने मुझे कोई रसीद नही दी और दादी के पास चली गयी मैं भी दादी के पास जाके बैठ गया और भाभी से पूछा कि भाभी क्या हुवा फिर से उन्होने कोई जवाब नही दिया मेरा दिमाग़ और भी खराब होने लगा था मैने बहुत कोशिश की पर शायद ताइजी ने उन्हे मुझसे दूर रहने को कहा होगा

नया नया जवान हुवा था दुनिया के तोर-तरीके नही समझता था इस लिए दिल टूट सा गया था पर सब से ज़्यादा दुख भाभी के बर्ताव से हो रहा था मैं तो बस एक बार उनसे बात करना चाहता था कि मेरे जाने के बाद क्या हुवा था . मैं हताश होने लगा था फिर वो दिन भी आया कि रवि और भाभी वापिस चले गये इधर मैं प्रीतम पे भी ध्यान नही दे पा रहा था उसने कई बार मिलने के लिए संदेश भेजा पर मैने कोई जवाब नही दिया मैं ग्लानि से जलने लगा था कोई एक हफ्ते बाद रवि का फोन आया और उसने बताया कि वो कोई इंपॉर्टेंट डॉक्युमेंट्स भूल गया है मैं वो लेके उसे देने के लिए निमराना पहुच जाउ.

मैने अड्रेस लिखा और कहा कि मैं अगले दिन आ जाउन्गा . मैं थोड़ा खुश हो गया की चलो वहाँ पे भाभी से मिल सकूँगा . अगले दिन मैं उनके पास पहुच गया रवि ने मुझे गले से लगाया और हेल्प के लिए थॅंक्स कहा भाभी ने कोई खास तवज्जो ना देते हुवे फ़ॉर्मलटी के लिए हाल चाल पूछा और अपने कामो मे बिज़ी हो गयी रवि ने बताया कि कुछ दिनो से वर्क लोड ज़्यादा हैं तो वो नाइट शिफ्ट कर रहा हैं ये सुनके मैं खुश हो गया कि चलो रात तो अपनी ही हैं 8 बजे तक हम ने अपना डिन्नर ख़तम कर लिया था क्योंकि रवि को साइट पे जाना था फिर वो हमे बाइ बोलके निकल गया

मैने डोर बंद किया और किचन मे भाभी जो बर्तन धो रही थी उनके पिछे जाके खड़ा हो गया और उनकी गर्देन पे हल्के से अपने होंठ टिका दिए और अपनी लिजलिजि जीभ उनकी गर्देन पे फेरने लगा अनिता क बदन मे सिरहन दौड़ गयी भाभी बोली प्लीज़ मत करो मुझे बर्तन धोने दो मैने काँपति आवाज़ मे कहा कि मैं कहाँ रोक रहा हू पर भाभी ने मुझे रसोई से निकाल दिया और रूम मे जाने को कहा पर मैं नही माना और उनका हाथ पकड़ के उन्हे अपने साथ रूम मे ले आया और पास रखी कुर्सी पे बैठ गया और उनको अपनी गोदी मे बिठा लिया


भाभी ने बिल्कुल विरोध नही किया और आराम से गोद मे बैठ गयी काले रंग की साड़ी मे वो बहुत ही मस्त लग रही थी मैने अपने हाथ उनकी छातियों पे कस दिए और ब्लाउज के उपर से ही उन्हे बुरी तरह से मसलने लगा आईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईई वो थोड़ा चिल्लाई और बोली थोड़ा आराम से मैने दुबारा उनकी मोरनी सी गर्देन को चूमना शुरू किया और ब्लाउस के बटन को खोलना शुरू कर दिया मैं आराम से उनके एक एक बटन को खोल रहा था और उसे निकाल के फरश पे फेंक दिया आज उन्होने गोल्डन कलर की ब्रा डाली हुवी थी उनकी ये अदा मुझे बहुत पसंद थी कि वो बहुत ही सुंदर सुंदर ब्रा-पेंटी पहनती थी जिनमे उनके बदन की सुंदरता और भी निखर जाती थी

अब ब्रा को भी उतार दिया गया था मैं मज़े से छातियों को सहला रहा था ख़ासकर उनके निप्पल्स को जैसे ही मैं उन्हे रगड़ ता वो बहुत रोमांचित हो जाती थी बोबो को निचोड़ ने के बाद अनिता खड़ी हुवी और मैने उनकी साड़ी का पल्ला पकड़ लिया और साड़ी को खींच कर अलग कर दिया अब पेटिकोट की बारी थी एक झटके मे उसका नाडा भी खुल गया और वो भी फर्श की शोभा बढ़ा रहा था अब मेरी जान खाली गोल्डन पेंटी मे थी पेंटी भी ऐसी जिसने खाली बस चूत की गुलाबी फांको को ही छिपाया हुवा था मैने उन्हे धक्का देकर बेड पे गिरा दिया और फॉरन ही अपने कपड़े उतार दिए लंड तो किसी गुस्साए साँप की तरह फुफ्कार रहा था

मैने कहा जान देखो ना आपके बिना इसकी क्या हालत हो गयी हैं तो भाभी ने मेरे लंड को हाथ मे पकड़ लिया और उसे सहलाने लगी और बोली क्या बात हैं देवेर जी यह तो बहुत गरम हो रहा हैं मैने कहा कि भाभी आप ही इसे ठंडा कर सकती हो और भाभी ने ये सुनते ही अपने होंठ मेरे लंड पे टिका दिए और सुपाडे को चूसने लगी मेरा पूरा शरीर उन्माद मे डूब गया उन्होने लंड को मूह से निकाला और कहा कि तुम लेट जाओ मैं लेट गया और फिर से उन्होने लंड को चूसना शुरू कर दिया मैने हाथ बढ़ा के उनके जुड़े को खोल दिया और उनके बालो को आज़ाद कर दिया अब भाभी और भी सुंदर लग रही थी
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RE: हार तरफ चुत हि चुत (BIG & HOT STORY) - by Pagol premi - 05-12-2020, 03:54 PM



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