04-12-2020, 07:09 PM
ननद संग होली -
ज्योति और
नीता
ज्योति तो खूब दबवा मिजवा के गदरा गयी थी , जोबन उसके आलमोस्ट मेरे साइज के , दोनों ११ वे पढ़ती हैं , वहीँ जहाँ गुड्डी पढ़ती है , हम लोगो के घर के बगल वाले गवर्मेंट गर्ल्स इंटर कालेज ,
नीता भी कम मस्त नहीं है , हंसती है तो गाल में गड्ढे पड़ते हैं ,
और दोनों मुझे जबसे मैं आयी तबसे होली का नाम ले ले कर धमका रही थीं ,
" भाभी अभी आप भैया से मजा ले लीजिये , आने दीजिये होली , इस होली में आपके कपडे से नहीं सिर्फ देह से होली होगी "
नीता छेड़ती रहती ,
और ज्योति और
" अरे हमारी भाभी बनारस की डांसिंग क्वीन थीं , आने दो होली को इस आंगन में हम ननदें नचाएंगी , हाँ बिना कपडे के , और सेल्फी वीडियो , सब ,... "
वही दोनों , उन दोनों को पता चल गया था की मैं होली में नहीं रहूंगी , सीधे होली के तीन दिन पहले अपने मायके ,
जैसे मैंने किवाड़ खोला , दोनों जोर जोर से बोलती घुसी ,
" अरे भाभी ये सख्त नाइंसाफी है , होली में अपने मायके यारों की पिचकारी का मजा लेने जा रही है , आप डर गयीं की होली में यहाँ ननदें नंगे नचाएंगी न , अरे बचपन की छिनार अपने भौजाई बहुत मजा लिया होगा अबकी अपने देवर और ननदों का रस लेना चाहिए था न , भाभी ये एकदम फाउल है "
उन दोनों को क्या मालूम था मैं केवाड़ी के पीछे छुपी खड़ी हूँ ,
बनारस वाली हूँ इन आजमगढ़ वालियों की लेने के लिए आयी हूँ , ...
पीछे से मैंने नीतू को धर दबोचा और आगे से कम्मो ने ज्योति को अपनी अँकवार में कस के भींच लिया ,
कम्मो की पकड़ लोहे की सँडसी से भी जबरदस्त , चार चार बच्चो की माँ उससे पार नहीं पा सकती , ये ज्योति तो नयी बछेड़ी थी ,
ज्योति शलवार सूट में , जोबन उसके छलक रहे थे , ...
बोली , " नहीं नहीं भाभी , ये ड्रेस मेरा , रंग से , ... आप लोग ,... "
उसकी निगाह रंग से लिथड़ी कम्मो पर पड़ी।
कम्मो ने बिना बोले , पहले उसे हलके से गुदगुदी लगाई , जब तक वह सम्हले , पीछे से उसकी दोनों कलाई कम्मो के हाथ में , और मुंह से ही उसने ज्योति का दुप्पटा खींच लिया , और हँसते हुए बोली
" ननद रानी ई जोबना फागुन में मिजवाने मसलवाने के लिए हैं , काहें हमारे देवर को ललचाती हो , देखाओ न खुल के , ... "
और आराम से ज्योति के दोनों हाथ दुप्पटे से बाँध दिए ,
मैंने नीतू के दोनों हाथ पीछे से पकड़ रखे थे , वो टॉप और स्कर्ट में थी।
कम्मो ने ज्योति की शलवार का नाड़ा न सिर्फ खोला बल्कि खींच कर निकाल दिया और उसी नाड़े से अब नीतू के हाथ बंधे थे ,
हम चारो अब आंगन में थे , आंगन में चारो ओर रंग बिखरा था , बाल्टियों में रंग भरा था , लग रहा था भी जबरदस्त होली हुयी थी , ..
नीतू ने भी वही गुहार लगायी भाभी ये ड्रेस , रंग नहीं छूटेगा इस पर से , प्लीज हम दोनों कल आ जायेगीं , फिर ,
मैंने उसके गालों को मीठे मीठे चूमते हुए समझाया
" अरे ननद रानी , चलो तोहार वाली भी , ... होली ननद से खेलनी है उसके कपडे से थोड़े ही , "
और मैंने खींच के उसका टॉप उतार के , बरामदे में सम्हाल के रख दिया और तब तक कम्मो ने भी पहले तो ज्योति के कुर्ते के बटन खींचे और वो भी नीतू के टॉप के पास , ज्योति की शलवार सरक के उसकी टांगो के नीचे ,
और मैंने भी नीतू की स्कर्ट ,
अब दोनों ननदें ब्रा और पैटी में ,
कपडे उनके ले जा कर मैं अपने कमरे में रख के आयी और फिर कम्मो के कान में फुसफुसाया , और हँसते हुए कम्मो ने एक शर्त रखी ,
" बहुत कपड़ा कपड़ा कर रही थी छिनार , अब कल आ के ले जाना , ...
वरना एक छोटी सी शर्त है। "
ज्योति और
नीता
ज्योति तो खूब दबवा मिजवा के गदरा गयी थी , जोबन उसके आलमोस्ट मेरे साइज के , दोनों ११ वे पढ़ती हैं , वहीँ जहाँ गुड्डी पढ़ती है , हम लोगो के घर के बगल वाले गवर्मेंट गर्ल्स इंटर कालेज ,
नीता भी कम मस्त नहीं है , हंसती है तो गाल में गड्ढे पड़ते हैं ,
और दोनों मुझे जबसे मैं आयी तबसे होली का नाम ले ले कर धमका रही थीं ,
" भाभी अभी आप भैया से मजा ले लीजिये , आने दीजिये होली , इस होली में आपके कपडे से नहीं सिर्फ देह से होली होगी "
नीता छेड़ती रहती ,
और ज्योति और
" अरे हमारी भाभी बनारस की डांसिंग क्वीन थीं , आने दो होली को इस आंगन में हम ननदें नचाएंगी , हाँ बिना कपडे के , और सेल्फी वीडियो , सब ,... "
वही दोनों , उन दोनों को पता चल गया था की मैं होली में नहीं रहूंगी , सीधे होली के तीन दिन पहले अपने मायके ,
जैसे मैंने किवाड़ खोला , दोनों जोर जोर से बोलती घुसी ,
" अरे भाभी ये सख्त नाइंसाफी है , होली में अपने मायके यारों की पिचकारी का मजा लेने जा रही है , आप डर गयीं की होली में यहाँ ननदें नंगे नचाएंगी न , अरे बचपन की छिनार अपने भौजाई बहुत मजा लिया होगा अबकी अपने देवर और ननदों का रस लेना चाहिए था न , भाभी ये एकदम फाउल है "
उन दोनों को क्या मालूम था मैं केवाड़ी के पीछे छुपी खड़ी हूँ ,
बनारस वाली हूँ इन आजमगढ़ वालियों की लेने के लिए आयी हूँ , ...
पीछे से मैंने नीतू को धर दबोचा और आगे से कम्मो ने ज्योति को अपनी अँकवार में कस के भींच लिया ,
कम्मो की पकड़ लोहे की सँडसी से भी जबरदस्त , चार चार बच्चो की माँ उससे पार नहीं पा सकती , ये ज्योति तो नयी बछेड़ी थी ,
ज्योति शलवार सूट में , जोबन उसके छलक रहे थे , ...
बोली , " नहीं नहीं भाभी , ये ड्रेस मेरा , रंग से , ... आप लोग ,... "
उसकी निगाह रंग से लिथड़ी कम्मो पर पड़ी।
कम्मो ने बिना बोले , पहले उसे हलके से गुदगुदी लगाई , जब तक वह सम्हले , पीछे से उसकी दोनों कलाई कम्मो के हाथ में , और मुंह से ही उसने ज्योति का दुप्पटा खींच लिया , और हँसते हुए बोली
" ननद रानी ई जोबना फागुन में मिजवाने मसलवाने के लिए हैं , काहें हमारे देवर को ललचाती हो , देखाओ न खुल के , ... "
और आराम से ज्योति के दोनों हाथ दुप्पटे से बाँध दिए ,
मैंने नीतू के दोनों हाथ पीछे से पकड़ रखे थे , वो टॉप और स्कर्ट में थी।
कम्मो ने ज्योति की शलवार का नाड़ा न सिर्फ खोला बल्कि खींच कर निकाल दिया और उसी नाड़े से अब नीतू के हाथ बंधे थे ,
हम चारो अब आंगन में थे , आंगन में चारो ओर रंग बिखरा था , बाल्टियों में रंग भरा था , लग रहा था भी जबरदस्त होली हुयी थी , ..
नीतू ने भी वही गुहार लगायी भाभी ये ड्रेस , रंग नहीं छूटेगा इस पर से , प्लीज हम दोनों कल आ जायेगीं , फिर ,
मैंने उसके गालों को मीठे मीठे चूमते हुए समझाया
" अरे ननद रानी , चलो तोहार वाली भी , ... होली ननद से खेलनी है उसके कपडे से थोड़े ही , "
और मैंने खींच के उसका टॉप उतार के , बरामदे में सम्हाल के रख दिया और तब तक कम्मो ने भी पहले तो ज्योति के कुर्ते के बटन खींचे और वो भी नीतू के टॉप के पास , ज्योति की शलवार सरक के उसकी टांगो के नीचे ,
और मैंने भी नीतू की स्कर्ट ,
अब दोनों ननदें ब्रा और पैटी में ,
कपडे उनके ले जा कर मैं अपने कमरे में रख के आयी और फिर कम्मो के कान में फुसफुसाया , और हँसते हुए कम्मो ने एक शर्त रखी ,
" बहुत कपड़ा कपड़ा कर रही थी छिनार , अब कल आ के ले जाना , ...
वरना एक छोटी सी शर्त है। "