19-03-2019, 05:00 PM
(This post was last modified: 05-04-2021, 01:36 PM by komaalrani. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
भाभी का मायका
“क्यों क्या देख रहे हो, भूल गए क्या?” हँसकर वो बोली।
“नहीं, भूलूँगा कैसे… और वो फगुआ का उधार भी…” धीमे से मैंने मुश्कुरा के बोला।
“एकदम याद है… और साल भर का सूद भी ज्यादा लग गया है। लेकिन लो पहले पानी तो लो…”
मैंने ग्लास पकड़ने के लिए हाथ बढ़ाया तो एक झटके में… झक से गाढ़ा गुलाबी रंग… मेरी सफेद शर्ट…”
“हे हे क्या करती है… नयी सफेद कमीज पे अरे जरा…” भाभी की माँ बोलीं।
“अरे नहीं, ससुराल में सफेद पहन के आएंगे तो रंग पड़ेगा ही…” भाभी ने उर्मी का साथ दिया।
“इतना डर है तो कपड़े उतार दें…” भाभी की भाभी चंपा ने चिढ़ाया।
“और क्या, चाहें तो कपड़े उतार दें… हम फिर डाल देंगे…” हँसकर वो बोली।
सौ पिचकारियां गुलाबी रंग की एक साथ चल पड़ीं।
“अच्छा ले जाओ कमरे में, जरा आराम वाराम कर ले बेचारा…”
भाभी की माँ बोलीं।
उसने मेरा सूटकेस थाम लिया और बोली-
“बेचारा… चलो…”
कमरे में पहुँच के मेरी शर्ट उसने खुद उतार के ले लिया और ये जा वो जा।
कपड़े बदलने के लिए जो मैंने सूटकेस ढूँढ़ा तो उसकी छोटी बहन रूपा बोली-
“वो तो जब्त हो गया…”
मैंने उर्मी की ओर देखा तो वो हँसकर बोली-
“देर से आने की सजा…”
बहुत मिन्नत करने के बाद एक लुंगी मिली उसे पहन के मैंने पैंट चेंज की तो वो भी रूपा ने हड़प कर ली।
मैंने सोचा था कि मुँह भर बात करूँगा पर भाभी… वो बोलीं कि हमलोग पड़ोस में जा रहे हैं, गाने का प्रोग्राम है।
आप अंदर से दरवाजा बंद कर लीजिएगा।
मैं सोच रहा था कि… उर्मी भी उन्हीं लोगों के साथ निकल गई।
दरवाजा बंद करके मैं कमरे में आ के लेट गया। सफर की थकान, थोड़ी ही देर में आँख लग गई।
सपने में मैंने देखा कि उर्मी के हाथ मेरे गाल पे हैं। वो मुझे रंग लगा रही है, पहले चेहरे पे, फिर सीने पे… और मैंने भी उसे बाँहों में भर लिया। बस मुझे लग रहा था कि ये सपना चलता रहे… डर के मैं आँख भी नहीं खोल रहा था कि कहीं सपना टूट ना जाये।
सहम के मैंने आँख खोली।
वो उर्मी ही थी।
“क्यों क्या देख रहे हो, भूल गए क्या?” हँसकर वो बोली।
“नहीं, भूलूँगा कैसे… और वो फगुआ का उधार भी…” धीमे से मैंने मुश्कुरा के बोला।
“एकदम याद है… और साल भर का सूद भी ज्यादा लग गया है। लेकिन लो पहले पानी तो लो…”
मैंने ग्लास पकड़ने के लिए हाथ बढ़ाया तो एक झटके में… झक से गाढ़ा गुलाबी रंग… मेरी सफेद शर्ट…”
“हे हे क्या करती है… नयी सफेद कमीज पे अरे जरा…” भाभी की माँ बोलीं।
“अरे नहीं, ससुराल में सफेद पहन के आएंगे तो रंग पड़ेगा ही…” भाभी ने उर्मी का साथ दिया।
“इतना डर है तो कपड़े उतार दें…” भाभी की भाभी चंपा ने चिढ़ाया।
“और क्या, चाहें तो कपड़े उतार दें… हम फिर डाल देंगे…” हँसकर वो बोली।
सौ पिचकारियां गुलाबी रंग की एक साथ चल पड़ीं।
“अच्छा ले जाओ कमरे में, जरा आराम वाराम कर ले बेचारा…”
भाभी की माँ बोलीं।
उसने मेरा सूटकेस थाम लिया और बोली-
“बेचारा… चलो…”
कमरे में पहुँच के मेरी शर्ट उसने खुद उतार के ले लिया और ये जा वो जा।
कपड़े बदलने के लिए जो मैंने सूटकेस ढूँढ़ा तो उसकी छोटी बहन रूपा बोली-
“वो तो जब्त हो गया…”
मैंने उर्मी की ओर देखा तो वो हँसकर बोली-
“देर से आने की सजा…”
बहुत मिन्नत करने के बाद एक लुंगी मिली उसे पहन के मैंने पैंट चेंज की तो वो भी रूपा ने हड़प कर ली।
मैंने सोचा था कि मुँह भर बात करूँगा पर भाभी… वो बोलीं कि हमलोग पड़ोस में जा रहे हैं, गाने का प्रोग्राम है।
आप अंदर से दरवाजा बंद कर लीजिएगा।
मैं सोच रहा था कि… उर्मी भी उन्हीं लोगों के साथ निकल गई।
दरवाजा बंद करके मैं कमरे में आ के लेट गया। सफर की थकान, थोड़ी ही देर में आँख लग गई।
सपने में मैंने देखा कि उर्मी के हाथ मेरे गाल पे हैं। वो मुझे रंग लगा रही है, पहले चेहरे पे, फिर सीने पे… और मैंने भी उसे बाँहों में भर लिया। बस मुझे लग रहा था कि ये सपना चलता रहे… डर के मैं आँख भी नहीं खोल रहा था कि कहीं सपना टूट ना जाये।
सहम के मैंने आँख खोली।
वो उर्मी ही थी।