02-12-2020, 08:00 PM
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वो वापस आकर मेरे गले में झूल गयी और मेरे होठों पर टूट पड़ी.. मेने भी उसके मस्त उभरे हुए कुल्हों को पकड़ कर मसल दिया..
उसकी गान्ड एकदम कड़क सॉलिड गोल-गोल, मानो दो वॉलीबॉल आपस में जोड़ दिए हों…
गान्ड को अच्छे से मसल्ते हुए मेरे हाथ उसके कुर्ता के अंदर चले गये… और मे अब उसकी कुँवारी चुचियों जो कि एक दम मस्त उठी हुई थी को ब्रा के उपर से ही मसलने लगा…
अहह…………भाईईईईईईई…..धीरीए करना यार……दुख़्ते हैं..मेरे..
उफफफफफफफ्फ़…..दीदी…क्या मस्त आम हैं…तेरे.. मन करता है, कच्चे ही खा जाउ…
5 मिनिट हम यूँही खड़े -2 मस्ती लेते रहे, जिससे दोनो के अंदर की आग बुरी तरह से भड़क उठी…..
मेने फुसफुसाकर उसके कान में कहा – दीदी पहले कभी ये सब किया है..?
वो झिझकते हुए बोली - हां ! अपने मामा के लड़के के साथ एक बार किया था..
लेकिन पूरा नही हो पाया था.. वो साला हरामी डरपोक बहुत था.. तो मेरे चीखते ही भाग लिया… हहहे…
उसकी बात सुनकर मुझे भी हसी आगयि और बोला – तो इसका मतलब तुम्हारी सील पूरी तरह नही टूट पाई…
वो – थोड़ा सा खून तो निकला था, अब पता नही.. लेकिन तुम ये सब क्यों पुच्छ रहे हो..?
तू अपना काम कर यार ! बहुत मज़ा आ रहा है, ऐसी बातें करके खराब मत कर.. प्लीज़…
मे – यहीं करना है या अंदर कमरे में चलें.. तो वो मेरा बाजू पकड़ कर कमरे में खींच कर ले गयी, और मुझे पलंग पर धक्का दे दिया.. फिर मेरे उपर आकर मेरी पॅंट को खोलने लगी…
उसकी चुदने की ललक देख कर मुझे हँसी आगयि.., वो मेरी ओर देख कर बोली – हंस क्यों रहे हो.. ?
मे – बड़ी जल्दी है तुम्हें मेरा लंड लेने की..
सीधा लंड शब्द सुनकर उसके गाल लाल हो गये.. और झूठा गुस्सा दिखाकर मेरे सीने में हल्के से मुक्का मार कर बोली – कितना गंदा बोलता है तू… बेशर्म कहीं का…!
मे – लो कर लो बात.. कपड़े मेरे तुम उतार रही हो.. बेशर्म मे हो गया.. वाह भाई वाह… उल्टा चोर कोतवाल को डाँटदे… हहेहहे….
शर्म से उसने अपने हाथ रोक कर अपना चेहरा मेरे सीने में छुपा लिया..
मेने उसकी गान्ड सहलाते हुए कहा – दीदी ! शर्म ही करती रहोगी या कुच्छ और भी करना है….
मेरी बात सुनकर उसने झट से मेरा पॅंट उतार दिया.. और मेरे उपर बैठ कर मेरे होठ चूसने लगी..
मेने उसकी कमीज़ में हाथ डाल दिया और ब्रा के उपर से उसके 33+ साइज़ के बोबे अपने हाथों में लेकर मसल दिए…
अहह… भाई… थोड़ा आरामम्म सीई…... इसस्शह… और अपनी चूत को मेरे लंड के उपर रगड़ने लगी.. इतनी देर में उसकी आधी-फटी चूत रस बहाने लगी..
मेने उसके कुर्ते को उसके सर के उपर से निकाल दिया और जैसे ही सलवार के नाडे पर हाथ लगाया… तो उसने अपना हाथ मेरे हाथ पर रख दिया…
मे – क्यों नही करना है क्या..? उसने झट से अपना हाथ हटा लिया.. मेने उसका नाडा खीच दिया और पैर के सहारे से उसकी सलवार खिसका कर पैरों तक कर दी..
अब वो पिंक कलर की ब्रा और पेंटी में मेरे सामने थी…
उसके होठों को चूमते हुए मेने उसके आमो को अपने हाथों में कस लिया.. और उनसे रस निकालने की नाकाम कोशिश करने लगा…..
पतली कमर और पेट के अलावा, उसके चुचे और गान्ड परफेक्ट शेप में थे…
फिर मेने उसे अपने नीचे लिया और अपनी टीशर्ट निकाल कर उसपर छा गया..
ब्रा को उसके शरीर से अलग करके उसकी चुचियों को चूसने लगा.. वो मस्ती में हाए-2 करके रस बहाने लगी..
मुझे जल्दी से चोद अंकुश… अब और इंतेज़ार नही कर सकती जानू…!
वो वापस आकर मेरे गले में झूल गयी और मेरे होठों पर टूट पड़ी.. मेने भी उसके मस्त उभरे हुए कुल्हों को पकड़ कर मसल दिया..
उसकी गान्ड एकदम कड़क सॉलिड गोल-गोल, मानो दो वॉलीबॉल आपस में जोड़ दिए हों…
गान्ड को अच्छे से मसल्ते हुए मेरे हाथ उसके कुर्ता के अंदर चले गये… और मे अब उसकी कुँवारी चुचियों जो कि एक दम मस्त उठी हुई थी को ब्रा के उपर से ही मसलने लगा…
अहह…………भाईईईईईईई…..धीरीए करना यार……दुख़्ते हैं..मेरे..
उफफफफफफफ्फ़…..दीदी…क्या मस्त आम हैं…तेरे.. मन करता है, कच्चे ही खा जाउ…
5 मिनिट हम यूँही खड़े -2 मस्ती लेते रहे, जिससे दोनो के अंदर की आग बुरी तरह से भड़क उठी…..
मेने फुसफुसाकर उसके कान में कहा – दीदी पहले कभी ये सब किया है..?
वो झिझकते हुए बोली - हां ! अपने मामा के लड़के के साथ एक बार किया था..
लेकिन पूरा नही हो पाया था.. वो साला हरामी डरपोक बहुत था.. तो मेरे चीखते ही भाग लिया… हहहे…
उसकी बात सुनकर मुझे भी हसी आगयि और बोला – तो इसका मतलब तुम्हारी सील पूरी तरह नही टूट पाई…
वो – थोड़ा सा खून तो निकला था, अब पता नही.. लेकिन तुम ये सब क्यों पुच्छ रहे हो..?
तू अपना काम कर यार ! बहुत मज़ा आ रहा है, ऐसी बातें करके खराब मत कर.. प्लीज़…
मे – यहीं करना है या अंदर कमरे में चलें.. तो वो मेरा बाजू पकड़ कर कमरे में खींच कर ले गयी, और मुझे पलंग पर धक्का दे दिया.. फिर मेरे उपर आकर मेरी पॅंट को खोलने लगी…
उसकी चुदने की ललक देख कर मुझे हँसी आगयि.., वो मेरी ओर देख कर बोली – हंस क्यों रहे हो.. ?
मे – बड़ी जल्दी है तुम्हें मेरा लंड लेने की..
सीधा लंड शब्द सुनकर उसके गाल लाल हो गये.. और झूठा गुस्सा दिखाकर मेरे सीने में हल्के से मुक्का मार कर बोली – कितना गंदा बोलता है तू… बेशर्म कहीं का…!
मे – लो कर लो बात.. कपड़े मेरे तुम उतार रही हो.. बेशर्म मे हो गया.. वाह भाई वाह… उल्टा चोर कोतवाल को डाँटदे… हहेहहे….
शर्म से उसने अपने हाथ रोक कर अपना चेहरा मेरे सीने में छुपा लिया..
मेने उसकी गान्ड सहलाते हुए कहा – दीदी ! शर्म ही करती रहोगी या कुच्छ और भी करना है….
मेरी बात सुनकर उसने झट से मेरा पॅंट उतार दिया.. और मेरे उपर बैठ कर मेरे होठ चूसने लगी..
मेने उसकी कमीज़ में हाथ डाल दिया और ब्रा के उपर से उसके 33+ साइज़ के बोबे अपने हाथों में लेकर मसल दिए…
अहह… भाई… थोड़ा आरामम्म सीई…... इसस्शह… और अपनी चूत को मेरे लंड के उपर रगड़ने लगी.. इतनी देर में उसकी आधी-फटी चूत रस बहाने लगी..
मेने उसके कुर्ते को उसके सर के उपर से निकाल दिया और जैसे ही सलवार के नाडे पर हाथ लगाया… तो उसने अपना हाथ मेरे हाथ पर रख दिया…
मे – क्यों नही करना है क्या..? उसने झट से अपना हाथ हटा लिया.. मेने उसका नाडा खीच दिया और पैर के सहारे से उसकी सलवार खिसका कर पैरों तक कर दी..
अब वो पिंक कलर की ब्रा और पेंटी में मेरे सामने थी…
उसके होठों को चूमते हुए मेने उसके आमो को अपने हाथों में कस लिया.. और उनसे रस निकालने की नाकाम कोशिश करने लगा…..
पतली कमर और पेट के अलावा, उसके चुचे और गान्ड परफेक्ट शेप में थे…
फिर मेने उसे अपने नीचे लिया और अपनी टीशर्ट निकाल कर उसपर छा गया..
ब्रा को उसके शरीर से अलग करके उसकी चुचियों को चूसने लगा.. वो मस्ती में हाए-2 करके रस बहाने लगी..
मुझे जल्दी से चोद अंकुश… अब और इंतेज़ार नही कर सकती जानू…!