06-12-2018, 11:07 PM
UPDATE 2 ..
जादूगर द्रोण ने अपनी कहानी खत्म की और अपने शिष्यों रिया सेन, महेश और दिनेश को देखकर बोले कोई प्रशन हो तो पूछ लो ।
महेश(रिया सेन के अहिल्या जैसे कामुक-गुरु जी क्या सच में अहिल्या इतनी सुंदर थी ।
द्रोण-मूर्खो वाले सवाल नही , वार्ना चूहा बना दूँगा ।
रिया(महेश की पैंट में बम्बू बने हुए लन्ड को कनखियों से देखते हुए, जिसे देखकर उसके सुंदर चेहरे पर हल्की सी मुस्कान आ जाती है )-गुरु जी क्या वो पाँच अंगूठियां अभी भी हैं ?
द्रोण- कोई नहीं कह सकता कि आज यह अंगूठियां कंहाँ है । पर इनके वजूद को कोई नहीं नकार सकता।
दिनेश-अगर यह पांचों अंगूठियां किसी को मिल जाएं तो क्या होगा ?
द्रोण-पूरी दुनियां का शक्ति संतुलन बिगड़ जाएगा क्योंकि केवल गुरू विश्वा में ही इतनी आत्मिक शक्ति थी कि इन अंगुठियों की शक्ति को काबू में रख सकें।
द्रोण ने अपनी बात खत्म ही की थी कि उनकी सहायिका सोनाक्षी सिन्हा ने आकर बताया कि कोई व्यापारी माल्या आया है आप से मिलने ।
द्रोण ने अपने शागिर्दों को अपने अपने कमरों में जाने के लिए कहा और सोनाक्षी के पीछे चल पड़े ।
द्रोण एक फ़्लैश बैक
ग द्रोण चाहे आज एक ताकतवर जादूगर था पर द्रोण का बचपन बेहद कठिन था बचपन में ही वो अनाथ हो गया । उसके एक दूर के मामा ने उसे यह सोचकर गोद ले लिया कि चलो फ्री में एक नोकर मिल गया ऊपर से लोगों में रुतबा भी बढ़ेगा ।
द्रोण का मामा एक व्यापारी था और काफी अमीर भी था । घर में मामा के इलावा दो लोग थे द्रोण कि मामी नर्गिस जो बेहद रूपवती थी । 34-24-36 का फिगर ,लम्बे काले बाल ,गोरा रंग और चेहरा मासूमियत लिए हुए । द्रोण की ममरेरी बहन हिमा मालिनी बचपन से ही काफी आकर्षक थी ।
लगभग अगले दस साल द्रोण का जीवन एक नोकर की भांति ही बीता , दिन भर काम करना पड़ता ऊपर से मामा खूब पिटाई करता और खाने में उसे घर का बचा खुचा ही मिलता । बस कुछ राहत उसे रात को ही मिलती । उसके लिए सबसे अधिक खुशी भरा काम था रात को सोती हुई हिमामालिनी को घंटों देखते रहना ।
समय बीतता गया और द्रोण 6 फुट लम्बा और 45इंच चौड़े सीने वाले युवक में बदल गया और उसके साथ-साथ हिमा भी भी कामुक युवती में मां जैसा गोरा रंग , गुदगुदे मुलायम गाल,लाल होंठ , बडा भारी सीना अक्सर उसकी साड़ी का ब्लाउज़ उसके खरबूजों जैसे बड़े और मोटे स्तनों ढकने के लिए नाकाफी साबित होता और वो बाहर झाँकने लगते ।
द्रोण को अपने मामा का एक ही गुण पसंद था और वो था उसके मामा का बेहद कंजूस होना इसी कारण तो मामा ने उसके सोने के लिए अलग कमरा नहीं बनवाया था और उसे हिमा के कमरे में सोने का मौका मिल गया था । अब हिमा की जवानी पूरे शबाब पर थी अक्सर रात को सोते वक़्त हिमा का पल्लू गिर जाता और द्रोण उसके मोटे कुहलों ,उसके गोरे-गोर पेट या फिर स्तनों का दीदार करते हुए मुठियाने लगता और सपनों में हिमा को चोदता ।
दूसरी तरफ हिमा का हाल भी द्रोण से कुछ बेहतर न था । उसकी सहेलियों के कई प्रेमी थे वो उसे चिढाते हुए कहती थीं तुझे क्या पता जो सुख एक जानदार लौड़े को चूत में लेने मिलता है उसका मुकाबला दुनिया का कोई दूसरा सुख नहीं कर सकता । वो भी अक्सर रात को सोने का नाटक करती परँतु थोड़ी सी आँखें खोल द्रोण को मुठियाते देखती रहती और अपनी कुंवारी चूत को सहलाती । जब पहली बार उसने द्रोण का लन्ड देखा देखा था तो उसके मुख से चीख निकलते निकलते रह गयी थी , द्रोण आँखें बंद किये अपने 12इंच लम्बे और 4इंच मोटे काले लिंग को आँखें बंद किए हिला रहा था और अचानक उसकी नींद खुली थी ,एक दम लोहे के खम्बे सा तना हुआ लिंग और घोड़े के अण्डकोषों जैसे बड़े बड़े अंडकोश तेजी से हिल रहे थे वो बड़ी मुश्किल से अपनी चीख रोक पाई थी ।
रात का यह सिलसिला काफी दिनों तक चलता रहा पर रिश्तों की शर्म ने दोनों प्रेमियों को दिल की बात नहीं कहने दी ।
पर इन प्रेमियों के मिलन को तो ईश्वर ने लिख रखा था । तो कुछ यूँ हुआ हिमा के माता पिता को एक रिश्तेदार की शादी में कुछ दिनों के लिए दूसरे शहर जाना पड़ा और पूरे घर में द्रोण और हिमा अकेले रह गए । दोपहर का वक़्त था हिमा बरामदे में बने चुहले पर खाना बना रही थी और द्रोण बरामदे की दूसरी और बैठा टोकरियाँ बना रहा था ।
यह दोनों प्रेमी चाहे शर्म में बंधे थे पर जानवर को क्या शर्म । द्रोण -हिमा को अचानक एक घोड़ी की तेज़ हिनहिनाहट सुनाई दी हिमा ने आवाज़ की तरफ देखा तो नज़ारा सन कर देनेवाला था एक बड़ा काला एक नई घोड़ी पर चढ़ा हुआ था और और अपने बड़े लिंग को घोड़ी की गाँड़ में घुसाने की कोशिश कर रहा था । हिमा ने द्रोण की तरफ देखा और द्रोण ने हिमा की तरफ और दूसरे ही पल दोनों एक दूसरे की तरफ दौड़ पड़े । और साँपो की तरह की एक दूसरे से घुथमगुथा हो गए । दोनों कि नज़रें मिली और दोनों समझ गए कि अब और नहीं रुका जाएगा उनसे । "द्रोण मैं तुमसे बेहद प्रेम करती हूँ ,यह दूरी मैं और नहीं सह सकती " हिमा ने द्रोण की आँखों में देखते हुए कहा । "मैं भी नहीं, हम आज ही कहीं भाग जाएँगे" द्रोण ने जवाब दिया और अपने खुरदरे मर्दाना होठों को हिमा के नरम और लाल होंठों पर लगा दिया" ।
हिमामालिनी का अनछुए बदन में जैसे बिजली का करंट लग गया हो वो द्रोण के सख्त ,खुरदरे और गर्म होंठों का स्पर्श अपने होंठों पर पाते ही कांप गयी। उसके होंठ मानों द्रोण के गर्म होंठों की गर्मी से पिघलने लगे उसने अपना एक हाथ द्रोण के पाजामे के अंदर डाल दिया और उसके सख़्त होते लिगं को सहलाने लगी उसे अपने हाथ में द्रोण का गर्म मोटा लौड़ा हर पल के साथ कुछ सख़्त औऱ बड़ा होता महसूस हो रहा था ।हिमा ने द्रोण के पाजामे का नाडा खोल उसके अजगर रूपी लन्ड को आज़ाद कर दिया और अपने गोरे-नरम हाथों से उसकि चमड़ी आगे पीछे करने लगी ।
द्रोण हिम के गुलाब के फूलों जैसे होंठों को चूस रहा था , चबा रहा था और उसके हाथ हिमामालिनी की साड़ी उतार रहे थे । पहले पल्लू फिर नाभि के पास की गांठ फिर उसका ब्लाऊज़ ।
इधर द्रोण के बड़े-2 मजबूत हाथ हिमा के मुलायम नेवल से होते हुए हिमा के स्तंनो तक पहुंचे और उधर काफी जद्दोजहद के बाद काले घोड़े ने अपना लन्ड नई नवेली जवान हुई घोड़ी की गाँड़ में पूरा घुसा दिया ,उधर घोड़ी हिनहिनाई और इधर अपने स्तंनो के दबाए जाने पर हिमा चिल्लाई पर उसकी चीख द्रोण के मुँह में दबी रह गाई ।
घोड़ी की तेज बिलबिलाती हिनहिनाहट और हिमा का छटपटाना जैसे द्रोण को पागल सा करते जा रहे थे । उसने हिमा के होंठों को छोड़ दिया और उसे घोड़ी के पोज़ में झुकाते हुए उसके पेटीकोट को ऊपर उठा कर हिमा की गाँड़ को नंगा कर दिया ,हिमा ने अपने सामने गड़े खम्बे को पकड़ कर पोजीशन सही की और अपनी टाँगे खोल ली।
हिमा ने जैसे ही टाँगे खोली उसकी गुलाबी-2 योनि का बन्द मुख दिखने लगा इकहरे के फूल के जैसी उसकी चूत पूरी गीली हो चुकी है यह बात द्रोण को उसकी चूत से टपकती बूंदों से पता चल गया , द्रोण को महसूस हुआ कि जैसे उसके लिंग का टोपा माँस की झीली को तोड़कर बाहर आने के लिए फड़फड़ा रहा है ,वर्जिन लन्ड होने की वजह से उसका टोपा अभी बाहर नहीं निकलता था और इस समय उसे कुछ दर्द भी महसूस हो रहा था ।
उसने अपना लौड़ा हिमा की चूत पर सेट कर दिया उंगलियों से हिमा की चूत हल्का सा खोलते हुए अपने लिंग का अग्र भाग उसमें फंसा दिया । अब एक भाई का कुँवारा लेकिन मोटा और लम्बा लन्ड बहन कि कुँवारी और कसी हुई चूत में जाने के लिए त्यार था । द्रोण ने अपने मजबूत हाथों से हिमा की पतली कमर पकड़ ली और अपनी कमर को आगे करना शुरू किया उसे लगा जैसे उसके लन्ड का माँस छिल जाएगा उसका फूला हुआ टोपा धीरे-2 माँस से बाहर आ रहा था । उसका टोपा रत्ती रत्ती करके माँस से बाहर आ रहा था और हिमा की चूत की आपस में चिपकी हुई दीवारों को खोलता जा रहा था हिमा साँस रोके अपने अंदर घुसते लन्ड को महसूस कर रही थी । द्रोण के लन्ड का टोपा कोन के आकार का था पीछे से बेहद मोटा जो अंदर घुसने का नाम नहीं ले रहा था आखिर द्रोण का सब्र टूट गया और उसने एक जोरदार घस्सा लगा दिया उसका टोपा माँस के अवरोधों को तोड़ते हुए तीर की तरह बाहर निकला और हिमा की चूत में घुस गया "आह....आह... मां" द्रोण और हिमा एक साथ चिल्लाए ।"भाई... बहुत मोटा है ...मर गयी मैं तो" हिमा खम्बे को नोचते हुए बोली ।" मुझे भी बड़ा दर्द हो रहा है टांका टूट गया मेरा तो" पसीने से लथपथ द्रोण ने जवाब दिया ।
दूसरी तरफ उनके बिल्कुल सामने अब काला घोड़ा पूरी रफ्तार से घोड़ी को चोद रहा था और घोड़ी आँखें बंद किये मज़े ले रही थी । द्रोण को लगा जैसे घोड़ा उसका मजाक उड़ाते हुए कह रहा है "भाई मैं घोड़ा होते हुए भी तेरे से अच्छा चोद लेता हूँ और देख मेरी घोड़ी कैसी मस्त हुई जा रही है चुदाई से " । इस विचार ने जैसे द्रोण में फिर जोश भर दिया उसने फिरसे हिमा को कमर से कस कर पकड़ लिया और अपनी पूरी शक्ति का प्रयोग करते हुए एक झटके में ही पूरा का पूरा 12 इंच का मूसल लन्ड हिमा की चूत में पेल दिया उसका निचला पेट हिमा के कुहलों से जा टकराया और उसका लन्दमुण्ड हिमा की चूत की झिल्ली को चीरता हुआ उसके गर्भाशय से ।
"अअअअअ.... आआआ......" हिमा दर्द से बिल्कुल वैसे ही बिलबिला उठी जैसे घोड़े का लन्ड घुसने पर घोड़ी बिल्बिलाई थी ।
द्रोण नीचे झुकते हुए हिमा से चिपक गया और उसके गुबारों कि तरह लटक रहे स्तंनो को सहलाने लगा । लेकिन हिमा भी कोई बिदकने वाली घोड़ी नहीं थी बल्कि एक चुड़कड घोड़ी थी । आज उसकि लन्ड लेने की तम्मना ही पूरी नहीं हुई थी बल्कि चूत में लन्ड होने का एहसास उसपर नशे की तरह चढ़ता जा रहा था ।उसने कमर हिला कर द्रोण को चुदाई शुरू करने का इशारा किया और द्रोण ने भी देर न लगाते हुए चुदाई शुरू कर दी । एक तरफ वो हिमा को चोद रहा था तो दूसरी तरफ घोड़ा घोड़ी को न घोड़ा रुकने का नाम ले रहा था और न ही द्रोण । दर्द कब का खत्म हो चुका था हिमा अब चुदाई का पूरा मज़ा ले रही थी "आह आह....आह मां ...आह द्रोण ऐसे ही... " वो आहें भरते हुए कह रही थी ।
द्रोण भी खुलकर झटके लगा रहा था बिना रुके लगातार । कई मिनटों की ताबड़तोड़ चुदाई के बाद द्रोण और हिमा एक साथ सनखलित हुए और फिर काफी देर तक एक दूसरे से लिपटे सोते रहे ।
अगली सुबह हिमा और द्रोण ने घर छोड़ दिया और शादी कर ली। इसके बाद ही द्रोण को अपना गुरु मिला जिसने उसे एक शातिर जादूगर बना दिया ।
हिमा एक लंबी ज़िन्दगी जीने के बाद 85 साल कि उम्र में मरी लेकिन द्रोण से जैसे मृत्यु भी डरती थी इसके क्या कारण हैं कि अपनी पत्नी की मौत के कई साल के बाद भी द्रोण ज़िंदा है यह केवल द्रोण को ही पता है ।
अगले अपडेट में जानिए की माल्या क्यों द्रोण से मिलने आया है और जानिए की सोनाक्षी सिन्हा कैसे एक रानी से द्रोण की सहायिका बनी।
महेश(रिया सेन के अहिल्या जैसे कामुक-गुरु जी क्या सच में अहिल्या इतनी सुंदर थी ।
द्रोण-मूर्खो वाले सवाल नही , वार्ना चूहा बना दूँगा ।
रिया(महेश की पैंट में बम्बू बने हुए लन्ड को कनखियों से देखते हुए, जिसे देखकर उसके सुंदर चेहरे पर हल्की सी मुस्कान आ जाती है )-गुरु जी क्या वो पाँच अंगूठियां अभी भी हैं ?
द्रोण- कोई नहीं कह सकता कि आज यह अंगूठियां कंहाँ है । पर इनके वजूद को कोई नहीं नकार सकता।
दिनेश-अगर यह पांचों अंगूठियां किसी को मिल जाएं तो क्या होगा ?
द्रोण-पूरी दुनियां का शक्ति संतुलन बिगड़ जाएगा क्योंकि केवल गुरू विश्वा में ही इतनी आत्मिक शक्ति थी कि इन अंगुठियों की शक्ति को काबू में रख सकें।
द्रोण ने अपनी बात खत्म ही की थी कि उनकी सहायिका सोनाक्षी सिन्हा ने आकर बताया कि कोई व्यापारी माल्या आया है आप से मिलने ।
द्रोण ने अपने शागिर्दों को अपने अपने कमरों में जाने के लिए कहा और सोनाक्षी के पीछे चल पड़े ।
द्रोण एक फ़्लैश बैक
ग द्रोण चाहे आज एक ताकतवर जादूगर था पर द्रोण का बचपन बेहद कठिन था बचपन में ही वो अनाथ हो गया । उसके एक दूर के मामा ने उसे यह सोचकर गोद ले लिया कि चलो फ्री में एक नोकर मिल गया ऊपर से लोगों में रुतबा भी बढ़ेगा ।
द्रोण का मामा एक व्यापारी था और काफी अमीर भी था । घर में मामा के इलावा दो लोग थे द्रोण कि मामी नर्गिस जो बेहद रूपवती थी । 34-24-36 का फिगर ,लम्बे काले बाल ,गोरा रंग और चेहरा मासूमियत लिए हुए । द्रोण की ममरेरी बहन हिमा मालिनी बचपन से ही काफी आकर्षक थी ।
लगभग अगले दस साल द्रोण का जीवन एक नोकर की भांति ही बीता , दिन भर काम करना पड़ता ऊपर से मामा खूब पिटाई करता और खाने में उसे घर का बचा खुचा ही मिलता । बस कुछ राहत उसे रात को ही मिलती । उसके लिए सबसे अधिक खुशी भरा काम था रात को सोती हुई हिमामालिनी को घंटों देखते रहना ।
समय बीतता गया और द्रोण 6 फुट लम्बा और 45इंच चौड़े सीने वाले युवक में बदल गया और उसके साथ-साथ हिमा भी भी कामुक युवती में मां जैसा गोरा रंग , गुदगुदे मुलायम गाल,लाल होंठ , बडा भारी सीना अक्सर उसकी साड़ी का ब्लाउज़ उसके खरबूजों जैसे बड़े और मोटे स्तनों ढकने के लिए नाकाफी साबित होता और वो बाहर झाँकने लगते ।
द्रोण को अपने मामा का एक ही गुण पसंद था और वो था उसके मामा का बेहद कंजूस होना इसी कारण तो मामा ने उसके सोने के लिए अलग कमरा नहीं बनवाया था और उसे हिमा के कमरे में सोने का मौका मिल गया था । अब हिमा की जवानी पूरे शबाब पर थी अक्सर रात को सोते वक़्त हिमा का पल्लू गिर जाता और द्रोण उसके मोटे कुहलों ,उसके गोरे-गोर पेट या फिर स्तनों का दीदार करते हुए मुठियाने लगता और सपनों में हिमा को चोदता ।
दूसरी तरफ हिमा का हाल भी द्रोण से कुछ बेहतर न था । उसकी सहेलियों के कई प्रेमी थे वो उसे चिढाते हुए कहती थीं तुझे क्या पता जो सुख एक जानदार लौड़े को चूत में लेने मिलता है उसका मुकाबला दुनिया का कोई दूसरा सुख नहीं कर सकता । वो भी अक्सर रात को सोने का नाटक करती परँतु थोड़ी सी आँखें खोल द्रोण को मुठियाते देखती रहती और अपनी कुंवारी चूत को सहलाती । जब पहली बार उसने द्रोण का लन्ड देखा देखा था तो उसके मुख से चीख निकलते निकलते रह गयी थी , द्रोण आँखें बंद किये अपने 12इंच लम्बे और 4इंच मोटे काले लिंग को आँखें बंद किए हिला रहा था और अचानक उसकी नींद खुली थी ,एक दम लोहे के खम्बे सा तना हुआ लिंग और घोड़े के अण्डकोषों जैसे बड़े बड़े अंडकोश तेजी से हिल रहे थे वो बड़ी मुश्किल से अपनी चीख रोक पाई थी ।
रात का यह सिलसिला काफी दिनों तक चलता रहा पर रिश्तों की शर्म ने दोनों प्रेमियों को दिल की बात नहीं कहने दी ।
पर इन प्रेमियों के मिलन को तो ईश्वर ने लिख रखा था । तो कुछ यूँ हुआ हिमा के माता पिता को एक रिश्तेदार की शादी में कुछ दिनों के लिए दूसरे शहर जाना पड़ा और पूरे घर में द्रोण और हिमा अकेले रह गए । दोपहर का वक़्त था हिमा बरामदे में बने चुहले पर खाना बना रही थी और द्रोण बरामदे की दूसरी और बैठा टोकरियाँ बना रहा था ।
यह दोनों प्रेमी चाहे शर्म में बंधे थे पर जानवर को क्या शर्म । द्रोण -हिमा को अचानक एक घोड़ी की तेज़ हिनहिनाहट सुनाई दी हिमा ने आवाज़ की तरफ देखा तो नज़ारा सन कर देनेवाला था एक बड़ा काला एक नई घोड़ी पर चढ़ा हुआ था और और अपने बड़े लिंग को घोड़ी की गाँड़ में घुसाने की कोशिश कर रहा था । हिमा ने द्रोण की तरफ देखा और द्रोण ने हिमा की तरफ और दूसरे ही पल दोनों एक दूसरे की तरफ दौड़ पड़े । और साँपो की तरह की एक दूसरे से घुथमगुथा हो गए । दोनों कि नज़रें मिली और दोनों समझ गए कि अब और नहीं रुका जाएगा उनसे । "द्रोण मैं तुमसे बेहद प्रेम करती हूँ ,यह दूरी मैं और नहीं सह सकती " हिमा ने द्रोण की आँखों में देखते हुए कहा । "मैं भी नहीं, हम आज ही कहीं भाग जाएँगे" द्रोण ने जवाब दिया और अपने खुरदरे मर्दाना होठों को हिमा के नरम और लाल होंठों पर लगा दिया" ।
हिमामालिनी का अनछुए बदन में जैसे बिजली का करंट लग गया हो वो द्रोण के सख्त ,खुरदरे और गर्म होंठों का स्पर्श अपने होंठों पर पाते ही कांप गयी। उसके होंठ मानों द्रोण के गर्म होंठों की गर्मी से पिघलने लगे उसने अपना एक हाथ द्रोण के पाजामे के अंदर डाल दिया और उसके सख़्त होते लिगं को सहलाने लगी उसे अपने हाथ में द्रोण का गर्म मोटा लौड़ा हर पल के साथ कुछ सख़्त औऱ बड़ा होता महसूस हो रहा था ।हिमा ने द्रोण के पाजामे का नाडा खोल उसके अजगर रूपी लन्ड को आज़ाद कर दिया और अपने गोरे-नरम हाथों से उसकि चमड़ी आगे पीछे करने लगी ।
द्रोण हिम के गुलाब के फूलों जैसे होंठों को चूस रहा था , चबा रहा था और उसके हाथ हिमामालिनी की साड़ी उतार रहे थे । पहले पल्लू फिर नाभि के पास की गांठ फिर उसका ब्लाऊज़ ।
इधर द्रोण के बड़े-2 मजबूत हाथ हिमा के मुलायम नेवल से होते हुए हिमा के स्तंनो तक पहुंचे और उधर काफी जद्दोजहद के बाद काले घोड़े ने अपना लन्ड नई नवेली जवान हुई घोड़ी की गाँड़ में पूरा घुसा दिया ,उधर घोड़ी हिनहिनाई और इधर अपने स्तंनो के दबाए जाने पर हिमा चिल्लाई पर उसकी चीख द्रोण के मुँह में दबी रह गाई ।
घोड़ी की तेज बिलबिलाती हिनहिनाहट और हिमा का छटपटाना जैसे द्रोण को पागल सा करते जा रहे थे । उसने हिमा के होंठों को छोड़ दिया और उसे घोड़ी के पोज़ में झुकाते हुए उसके पेटीकोट को ऊपर उठा कर हिमा की गाँड़ को नंगा कर दिया ,हिमा ने अपने सामने गड़े खम्बे को पकड़ कर पोजीशन सही की और अपनी टाँगे खोल ली।
हिमा ने जैसे ही टाँगे खोली उसकी गुलाबी-2 योनि का बन्द मुख दिखने लगा इकहरे के फूल के जैसी उसकी चूत पूरी गीली हो चुकी है यह बात द्रोण को उसकी चूत से टपकती बूंदों से पता चल गया , द्रोण को महसूस हुआ कि जैसे उसके लिंग का टोपा माँस की झीली को तोड़कर बाहर आने के लिए फड़फड़ा रहा है ,वर्जिन लन्ड होने की वजह से उसका टोपा अभी बाहर नहीं निकलता था और इस समय उसे कुछ दर्द भी महसूस हो रहा था ।
उसने अपना लौड़ा हिमा की चूत पर सेट कर दिया उंगलियों से हिमा की चूत हल्का सा खोलते हुए अपने लिंग का अग्र भाग उसमें फंसा दिया । अब एक भाई का कुँवारा लेकिन मोटा और लम्बा लन्ड बहन कि कुँवारी और कसी हुई चूत में जाने के लिए त्यार था । द्रोण ने अपने मजबूत हाथों से हिमा की पतली कमर पकड़ ली और अपनी कमर को आगे करना शुरू किया उसे लगा जैसे उसके लन्ड का माँस छिल जाएगा उसका फूला हुआ टोपा धीरे-2 माँस से बाहर आ रहा था । उसका टोपा रत्ती रत्ती करके माँस से बाहर आ रहा था और हिमा की चूत की आपस में चिपकी हुई दीवारों को खोलता जा रहा था हिमा साँस रोके अपने अंदर घुसते लन्ड को महसूस कर रही थी । द्रोण के लन्ड का टोपा कोन के आकार का था पीछे से बेहद मोटा जो अंदर घुसने का नाम नहीं ले रहा था आखिर द्रोण का सब्र टूट गया और उसने एक जोरदार घस्सा लगा दिया उसका टोपा माँस के अवरोधों को तोड़ते हुए तीर की तरह बाहर निकला और हिमा की चूत में घुस गया "आह....आह... मां" द्रोण और हिमा एक साथ चिल्लाए ।"भाई... बहुत मोटा है ...मर गयी मैं तो" हिमा खम्बे को नोचते हुए बोली ।" मुझे भी बड़ा दर्द हो रहा है टांका टूट गया मेरा तो" पसीने से लथपथ द्रोण ने जवाब दिया ।
दूसरी तरफ उनके बिल्कुल सामने अब काला घोड़ा पूरी रफ्तार से घोड़ी को चोद रहा था और घोड़ी आँखें बंद किये मज़े ले रही थी । द्रोण को लगा जैसे घोड़ा उसका मजाक उड़ाते हुए कह रहा है "भाई मैं घोड़ा होते हुए भी तेरे से अच्छा चोद लेता हूँ और देख मेरी घोड़ी कैसी मस्त हुई जा रही है चुदाई से " । इस विचार ने जैसे द्रोण में फिर जोश भर दिया उसने फिरसे हिमा को कमर से कस कर पकड़ लिया और अपनी पूरी शक्ति का प्रयोग करते हुए एक झटके में ही पूरा का पूरा 12 इंच का मूसल लन्ड हिमा की चूत में पेल दिया उसका निचला पेट हिमा के कुहलों से जा टकराया और उसका लन्दमुण्ड हिमा की चूत की झिल्ली को चीरता हुआ उसके गर्भाशय से ।
"अअअअअ.... आआआ......" हिमा दर्द से बिल्कुल वैसे ही बिलबिला उठी जैसे घोड़े का लन्ड घुसने पर घोड़ी बिल्बिलाई थी ।
द्रोण नीचे झुकते हुए हिमा से चिपक गया और उसके गुबारों कि तरह लटक रहे स्तंनो को सहलाने लगा । लेकिन हिमा भी कोई बिदकने वाली घोड़ी नहीं थी बल्कि एक चुड़कड घोड़ी थी । आज उसकि लन्ड लेने की तम्मना ही पूरी नहीं हुई थी बल्कि चूत में लन्ड होने का एहसास उसपर नशे की तरह चढ़ता जा रहा था ।उसने कमर हिला कर द्रोण को चुदाई शुरू करने का इशारा किया और द्रोण ने भी देर न लगाते हुए चुदाई शुरू कर दी । एक तरफ वो हिमा को चोद रहा था तो दूसरी तरफ घोड़ा घोड़ी को न घोड़ा रुकने का नाम ले रहा था और न ही द्रोण । दर्द कब का खत्म हो चुका था हिमा अब चुदाई का पूरा मज़ा ले रही थी "आह आह....आह मां ...आह द्रोण ऐसे ही... " वो आहें भरते हुए कह रही थी ।
द्रोण भी खुलकर झटके लगा रहा था बिना रुके लगातार । कई मिनटों की ताबड़तोड़ चुदाई के बाद द्रोण और हिमा एक साथ सनखलित हुए और फिर काफी देर तक एक दूसरे से लिपटे सोते रहे ।
अगली सुबह हिमा और द्रोण ने घर छोड़ दिया और शादी कर ली। इसके बाद ही द्रोण को अपना गुरु मिला जिसने उसे एक शातिर जादूगर बना दिया ।
हिमा एक लंबी ज़िन्दगी जीने के बाद 85 साल कि उम्र में मरी लेकिन द्रोण से जैसे मृत्यु भी डरती थी इसके क्या कारण हैं कि अपनी पत्नी की मौत के कई साल के बाद भी द्रोण ज़िंदा है यह केवल द्रोण को ही पता है ।
अगले अपडेट में जानिए की माल्या क्यों द्रोण से मिलने आया है और जानिए की सोनाक्षी सिन्हा कैसे एक रानी से द्रोण की सहायिका बनी।
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