19-03-2019, 11:47 AM
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मनीष : "अगर क्या ???”
इन्स्पेक्टर :"अगर मेडम हमारी भी कुछ सेवा कर दे तो …इतने से ही काम चला लेंगे ..वर्ना गाड़ी को ले चालो थाणे में , पूरी तलाशी होगी ….जांच पड़ताल होगी ..तब देखेंगे ..”
मनीष तो समझ गया की वो क्या कहना चाहता है ..पर दिव्या नहीं समझी …और एक मिनट के बाद जब उसकी ट्यूबलाइट जली तो उसका चेहरा गुस्से से लाल हो उठा ..
”अपनी औकात में रहो इन्स्पेक्टर …तुमने मुझे समझ क्या रखा है ..मैं इनकी पत्नी हु ..कोई धंधे वाली नहीं ..”
इन्स्पेक्टर : "भाई बड़ी मिर्ची लग गयी तुझे तो छोरी …तेरे यार को तो कुछ हुआ नहीं और तू ऐसे ही मचल रही है …”
और सच में ..मनीष को उसकी बात सुनकर जैसे कुछ हुआ ही नहीं था ..वो चुपचाप सा खड़ा था ..
दिव्या ये देखकर और भी गुस्से में आ गयी : "तुम कुछ बोलते क्यों नहीं …ये मेरे बारे में क्या सोच रहा है …क्या करवाना चाहता है …कुछ बोलते क्यों नहीं तुम …”
इन्स्पेक्टर उन दोनों को लड़ता हुआ देखकर साईड में जाकर खड़ा हो गया और दिव्या की नंगी पीठ और उसकी कसी हुई गांड को देखकर आहें भरने लगा ..उसका हवलदार भी अपनी तोंद के नीचे खड़े हुए लंड को अपने हाथों से मसलने लगा ..
मनीष ने धीरे से दिव्या से कहा : "देखो दिव्या ..ये लोग ऐसे नहीं मानेंगे ..तुम भी जानती हो की गाडी में पांच लाख रूपए पड़े हैं ..इन लोगों की नजर पड़ गयी तो सब जायेंगे …”
वो धीरे-२ बोल रहा था ताकि उनकी बातें वो दोनों ना सुन सके ..
दिव्या : "इसका क्या मतलब है …तुम्हे पैसे ज्यादा प्यारे हैं या अपनी पत्नी ..और वैसे भी ये एक लाख मांग रहा है ..उसमे से एक लाख निकाल कर इसके मुंह मारो और निकल चलो यहाँ से ..”
पर शायद मनीष सब कुछ सोच चुका था ..उसके जुवारी दिमाग ने सब केलकुलेशन कर ली थी ..एक लाख की क्या वेल्यु थी उसके लिए वो अच्छी तरह जानता था ..और वैसे भी, अगर उन रुपयों में से एक लाख निकालता तो बाकी के पैसे कोन सा वो इन्स्पेक्टर इतनी आसानी से छोड़ देता ..ये सब मनीष ने एक मिनट के अन्दर ही अन्दर सोच लिया था ..
उसका सपाट सा चेहरा देखकर दिव्या को समझते हुए देर ना लगी की वो पत्थर के आगे बीन बजा रही है ..
"यानी …यानी तुम चाहते हो की मैं इन कुत्तों के साथ ….छि …मुझे सोच कर भी घिन्न आ रही है …”
वो गुस्से में कुछ ज्यादा जोर से बोल गयी थी ये बात जिसे इन्स्पेक्टर ने सुन लिया था ..
इन्स्पेक्टर : "अरे नहीं मेडम जी ..हमें कुछ ज्यादा नहीं करना है ..पुरे झंझट वाला काम नहीं करना हमें तो ..तुम जैसी के साथ करने के बाद कोई बीमारी लग गयी तो क्या होगा हमारा ..हा हा ..आप तो बस हमारा कल्याण अपने हाथों से ही कर दो बस ..ही ही ..”
इतनी बेइज्जती आज तक दिव्या की कभी नहीं हुई थी ..एक तो उसका पति फट्टू निकला था और दुसरे ये सिक्युरिटी वाले उसे एक रंडी समझ रहे थे ..उसकी आँखों से आंसू बहने लगे ..और उसने गुस्से में आकर अपनी शर्ट नीचे फेंक दी और अपनी बाहें ऊपर करके चिल्लाई : "आओ फिर ..जो करना है कर लो …यु बास्टर्डस ….”
इन्स्पेक्टर :"अगर मेडम हमारी भी कुछ सेवा कर दे तो …इतने से ही काम चला लेंगे ..वर्ना गाड़ी को ले चालो थाणे में , पूरी तलाशी होगी ….जांच पड़ताल होगी ..तब देखेंगे ..”
मनीष तो समझ गया की वो क्या कहना चाहता है ..पर दिव्या नहीं समझी …और एक मिनट के बाद जब उसकी ट्यूबलाइट जली तो उसका चेहरा गुस्से से लाल हो उठा ..
”अपनी औकात में रहो इन्स्पेक्टर …तुमने मुझे समझ क्या रखा है ..मैं इनकी पत्नी हु ..कोई धंधे वाली नहीं ..”
इन्स्पेक्टर : "भाई बड़ी मिर्ची लग गयी तुझे तो छोरी …तेरे यार को तो कुछ हुआ नहीं और तू ऐसे ही मचल रही है …”
और सच में ..मनीष को उसकी बात सुनकर जैसे कुछ हुआ ही नहीं था ..वो चुपचाप सा खड़ा था ..
दिव्या ये देखकर और भी गुस्से में आ गयी : "तुम कुछ बोलते क्यों नहीं …ये मेरे बारे में क्या सोच रहा है …क्या करवाना चाहता है …कुछ बोलते क्यों नहीं तुम …”
इन्स्पेक्टर उन दोनों को लड़ता हुआ देखकर साईड में जाकर खड़ा हो गया और दिव्या की नंगी पीठ और उसकी कसी हुई गांड को देखकर आहें भरने लगा ..उसका हवलदार भी अपनी तोंद के नीचे खड़े हुए लंड को अपने हाथों से मसलने लगा ..
मनीष ने धीरे से दिव्या से कहा : "देखो दिव्या ..ये लोग ऐसे नहीं मानेंगे ..तुम भी जानती हो की गाडी में पांच लाख रूपए पड़े हैं ..इन लोगों की नजर पड़ गयी तो सब जायेंगे …”
वो धीरे-२ बोल रहा था ताकि उनकी बातें वो दोनों ना सुन सके ..
दिव्या : "इसका क्या मतलब है …तुम्हे पैसे ज्यादा प्यारे हैं या अपनी पत्नी ..और वैसे भी ये एक लाख मांग रहा है ..उसमे से एक लाख निकाल कर इसके मुंह मारो और निकल चलो यहाँ से ..”
पर शायद मनीष सब कुछ सोच चुका था ..उसके जुवारी दिमाग ने सब केलकुलेशन कर ली थी ..एक लाख की क्या वेल्यु थी उसके लिए वो अच्छी तरह जानता था ..और वैसे भी, अगर उन रुपयों में से एक लाख निकालता तो बाकी के पैसे कोन सा वो इन्स्पेक्टर इतनी आसानी से छोड़ देता ..ये सब मनीष ने एक मिनट के अन्दर ही अन्दर सोच लिया था ..
उसका सपाट सा चेहरा देखकर दिव्या को समझते हुए देर ना लगी की वो पत्थर के आगे बीन बजा रही है ..
"यानी …यानी तुम चाहते हो की मैं इन कुत्तों के साथ ….छि …मुझे सोच कर भी घिन्न आ रही है …”
वो गुस्से में कुछ ज्यादा जोर से बोल गयी थी ये बात जिसे इन्स्पेक्टर ने सुन लिया था ..
इन्स्पेक्टर : "अरे नहीं मेडम जी ..हमें कुछ ज्यादा नहीं करना है ..पुरे झंझट वाला काम नहीं करना हमें तो ..तुम जैसी के साथ करने के बाद कोई बीमारी लग गयी तो क्या होगा हमारा ..हा हा ..आप तो बस हमारा कल्याण अपने हाथों से ही कर दो बस ..ही ही ..”
इतनी बेइज्जती आज तक दिव्या की कभी नहीं हुई थी ..एक तो उसका पति फट्टू निकला था और दुसरे ये सिक्युरिटी वाले उसे एक रंडी समझ रहे थे ..उसकी आँखों से आंसू बहने लगे ..और उसने गुस्से में आकर अपनी शर्ट नीचे फेंक दी और अपनी बाहें ऊपर करके चिल्लाई : "आओ फिर ..जो करना है कर लो …यु बास्टर्डस ….”