19-03-2019, 11:35 AM
(This post was last modified: 03-02-2024, 03:29 PM by badmaster122. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
इन्स्पेक्टर : ”पत्नी है तो घर में बैठ कर चूस न इसके मुम्मे …साले जंगल में मंगल क्यों कर रहा है ..सब समझता हु मैं तुम शहर वालों को ..दुसरे की बीबी के साथ मस्ती करने का अच्छा धंधा चल रहा है आजकल ..गाडी में बिठाकर शहर से बाहर ले आओ ..और ऐसे जंगल में आकर चोदो ..और शाम तक वापिस ..कोई देखेगा भी नहीं, कोई खर्चा भी नहीं ..और मस्ती की मस्ती …”
मनीष कुछ बोलने ही वाला था की दिव्या बाहर निकल आई, वो गुस्से में थी : "इन्स्पेक्टर साब, मैं इनकी पत्नी हु ..आप कैसी बातें कर रहे हैं ..हमारी अभी कुछ महीने पहले ही शादी हुई है ..हम लोग तो बस आगे इनके गाँव जा रहे थे ..”
वो गुस्से में बाहर तो निकल आई थी पर शर्ट पहनना भूल गयी थी ..वो उसने अभी तक अपने हाथों से पकड़ कर अपने आगे लगायी हुई थी .
इन्स्पेक्टर बड़े गौर से उसके चारों तरफ घूमता हुआ बोला : "अच्छा …चलो मान लेता हु ..की तुम इसकी पत्नी हो ..कोई सुबूत है तुम्हारे पास …”
ये सुनकर दोनों एक दुसरे को देखने लगे …अब इस बात का क्या सबूत दिखाए उसे ..दिव्या के पास एक वोटर कार्ड तो था पर उसमे उसका सरनेम शादी से पहले वाला था ..जिसे देखकर इन्स्पेक्टर कभी भरोसा नहीं करता …
आखिर मनीष ने कहा : "आप चाहते क्या है …जल्दी बताइए ..हमें आगे भी जाना है ..”
ये सुनते ही इन्स्पेक्टर के चेहरे पर हंसी आ गयी : "देखा …मैं न कहता था की तू इसका पति है ही नहीं …चल अब तूने मान ही लिया है तो निकाल एक लाख रूपए …”
मनीष और दिव्या हेरानी से एक दुसरे का चेहरा देखने लगे …
मनीष : "एक लाख …इतने पैसे …वो किसलिए ..”
इन्स्पेक्टर : "अब वो भी मैं ही बताऊँ के …तुम्हारे घर वालों को तुम दोनों के बारे में पता ना चले ..इसलिए ..चलो निकालो …”
उसने सख्त आवाज में कहा ..
मनीष ने मन ही मन सोचा ‘पता नहीं ये मुसीबत कहाँ से आ गयी है ..’
मनीष : "पर सर …इतने पैसे मेरे पास नहीं है …”
इन्स्पेक्टर : "बीस लाख की गाडी लेकर और करोड़ रूपए का पटाखा लेकर घूम रहा है और एक लाख नहीं है तेरी जेब में …”
उसने हवालदार की तरफ देखा और बोला : "चल रे घनशाम …तलाशी ले गाडी की ..और इनके सामान की ..अभी पता चल जाएगा की कितना सच बोल रा है ये ..”
ये सब बोलते हुए उसकी नजरें अभी तक दिव्या की नंगी पीठ को ही घूर रही थी ..
इन्स्पेक्टर की बात सुनते ही मनीष की सिट्टी पिट्टी गम हो गयी ..क्योंकि डिक्की में पांच लाख रूपए केश पड़े थे ..
मनीष : "ये …ये आप नहीं कर सकते ..मैंने कहा न …हमारे पास इतने पैसे नहीं है ..ये ..ये आप इतना रखिये ..”
उसने अपनी पर्स में रखे हुए लगभग तीन हजार रूपए निकाल कर उसके हाथ में रख दिए ..
पर इन्स्पेक्टर तो जैसे जिद्द पर अटक गया था .."देखो भाई …हम लोगों को तुम जैसे बहुत से लोग मिलते हैं ..अब इतने से तो हमारा कुछ न हौन वाला ..पर अगर ….”
उसने बात अधूरी छोड़ दी ..
मनीष कुछ बोलने ही वाला था की दिव्या बाहर निकल आई, वो गुस्से में थी : "इन्स्पेक्टर साब, मैं इनकी पत्नी हु ..आप कैसी बातें कर रहे हैं ..हमारी अभी कुछ महीने पहले ही शादी हुई है ..हम लोग तो बस आगे इनके गाँव जा रहे थे ..”
वो गुस्से में बाहर तो निकल आई थी पर शर्ट पहनना भूल गयी थी ..वो उसने अभी तक अपने हाथों से पकड़ कर अपने आगे लगायी हुई थी .
इन्स्पेक्टर बड़े गौर से उसके चारों तरफ घूमता हुआ बोला : "अच्छा …चलो मान लेता हु ..की तुम इसकी पत्नी हो ..कोई सुबूत है तुम्हारे पास …”
ये सुनकर दोनों एक दुसरे को देखने लगे …अब इस बात का क्या सबूत दिखाए उसे ..दिव्या के पास एक वोटर कार्ड तो था पर उसमे उसका सरनेम शादी से पहले वाला था ..जिसे देखकर इन्स्पेक्टर कभी भरोसा नहीं करता …
आखिर मनीष ने कहा : "आप चाहते क्या है …जल्दी बताइए ..हमें आगे भी जाना है ..”
ये सुनते ही इन्स्पेक्टर के चेहरे पर हंसी आ गयी : "देखा …मैं न कहता था की तू इसका पति है ही नहीं …चल अब तूने मान ही लिया है तो निकाल एक लाख रूपए …”
मनीष और दिव्या हेरानी से एक दुसरे का चेहरा देखने लगे …
मनीष : "एक लाख …इतने पैसे …वो किसलिए ..”
इन्स्पेक्टर : "अब वो भी मैं ही बताऊँ के …तुम्हारे घर वालों को तुम दोनों के बारे में पता ना चले ..इसलिए ..चलो निकालो …”
उसने सख्त आवाज में कहा ..
मनीष ने मन ही मन सोचा ‘पता नहीं ये मुसीबत कहाँ से आ गयी है ..’
मनीष : "पर सर …इतने पैसे मेरे पास नहीं है …”
इन्स्पेक्टर : "बीस लाख की गाडी लेकर और करोड़ रूपए का पटाखा लेकर घूम रहा है और एक लाख नहीं है तेरी जेब में …”
उसने हवालदार की तरफ देखा और बोला : "चल रे घनशाम …तलाशी ले गाडी की ..और इनके सामान की ..अभी पता चल जाएगा की कितना सच बोल रा है ये ..”
ये सब बोलते हुए उसकी नजरें अभी तक दिव्या की नंगी पीठ को ही घूर रही थी ..
इन्स्पेक्टर की बात सुनते ही मनीष की सिट्टी पिट्टी गम हो गयी ..क्योंकि डिक्की में पांच लाख रूपए केश पड़े थे ..
मनीष : "ये …ये आप नहीं कर सकते ..मैंने कहा न …हमारे पास इतने पैसे नहीं है ..ये ..ये आप इतना रखिये ..”
उसने अपनी पर्स में रखे हुए लगभग तीन हजार रूपए निकाल कर उसके हाथ में रख दिए ..
पर इन्स्पेक्टर तो जैसे जिद्द पर अटक गया था .."देखो भाई …हम लोगों को तुम जैसे बहुत से लोग मिलते हैं ..अब इतने से तो हमारा कुछ न हौन वाला ..पर अगर ….”
उसने बात अधूरी छोड़ दी ..