19-03-2019, 11:19 AM
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मनीष के लिए तो ये जैसे सोने पर सुहागा हो गया ..शहर में रहते हुए उसका लक साथ नहीं दे रहा था और पिछले कुछ दिनों से वो लगातार हार भी रहा था , और उसपर उधार भी काफी चढ़ चूका था , इसलिए वो खुद ही सोच रहा था कुछ दिनों के लिए कहीं गायब हो जाए ताकि उधार मांगने वालो से कुछ समय के लिए छुटकारा मिल सके ..और साथ ही उसे अपने गाँव के दोस्तों से मिलने की भी ख़ुशी थी , जिनके साथ वो बचपन से जुआ खेलता आया था ..और उनके साथ खेलते हुए वो ज्यादातर जीता ही था , इसलिए उसे ये विश्वास था की वो जीते हुए पैसो से अपना उधार भी उतार देगा ..
मकान की मरम्मत और सफाई के लिए उसने पिताजी से पांच लाख रूपए लिए और दिव्या को अपनी स्कोडा कार में लेकर वो गाँव की तरफ चल दिया ..
शहर से उनके गाँव का रास्ता करीब 6 घंटे का था ..और रास्ते में पहाड़ियां और जंगल भी थे और हलकी बारिश ने मौसम को रोमांटिक भी बना दिया था ..दिव्या बहुत खुश थी , आज पहली बार वो इस तरह से अपने पति के साथ अकेले कहीं जा रही थी ..और वो भी पुरे 15 दिनों के लिए ..
उसने जींस की शर्ट और पेंट पहनी हुई थी . जिसमे वो काफी सेक्सी लग रही थी .
मनीष ने उसे प्यार से देखा तो दिव्या बोली : "ऐसे क्यों देख रहे हो …इरादा क्या है ..”
ये बात उसने जान बूझकर बोली थी ..क्योंकि इरादे तो उसके बेईमान हो रहे थे, इतने सेक्सी मौसम में ..
मनीष : "अभी तक तो नेक ही थे ..पर अब खतरनाक हो रहे हैं ..”
दिव्या : "आन हांन… ..दिख रहा है …सब ..कितने खतरनाक हो रहे हैं ..”
उसकी तेज निगाहों ने मनीष की पेंट में बन रहे टेंट की तरफ इशारा किया ..
सड़क बिलकुल सुनसान थी ..हलकी बूंदा बंदी हो रही थी ..मनीष ने अपनी कार सड़क से उतार कर जंगल में डाल दी ..और घने पेड़ों के बीचो बीच पहुंचकर कार रोक दी .
आज उसका मन भी वाइल्ड तरीके से चुदाई करने का था .
और दिव्या की तो ये एक फेंतासी थी ..खुले आसमान के नीचे नंगे होकर चुदाई करवाना ..और आज उसका ये सपना सच होता दिख रहा था ..इसलिए जैसे ही मनीष ने कार रोकी, वो उछलकर उसकी गोद में चढ़ गयी और बुरी तरह से उसके होंठों को चूसने लगी .
आनन् फानन में ही दिव्या की शर्ट और ब्रा निकाल फेंकी मनीष ने और उसके स्वर्ण कलश जैसे मुम्मों पर अपने दांतों की तेज धार से टेटू बनाने लगा ..
उसके गोरे जिस्म पर दांतों के लाल निशान चमकने लगे ..और वो जोर-२ से सिस्कारियां लेकर मनीष के सर को अपनी छाती पर दबाने लगी ..
”उम्म्म्म्म्म्म्म येस्स्स्स ….काटो …..खा जाओ …..मुझे ….ये ब्रैस्ट …तुम्हारे लिए ही हैं …खाओ ..इन्हें ..काटो ….और तेज ….उम्म्म्म …..अह्ह्ह्ह्ह ……नाआअन्न्न्न ……यहाँ ….नहीं ……..”
आवेश में आकर मनीष ने उसके निप्पल को अपने दांतों के बीच फंसा कर इतनी जोर से बाहर की तरफ खींचा जैसे वो उन्हें छाती से निकाल ही लेना चाहता हो ..दिव्या दर्द से बिलबिला उठी ..
”ऐसे भी कोई करता है क्या ..जानवर बन जाते हो तुम तो कभी – २ ….” उसकी आँखों से आंसू बह रहे थे ..निप्पल सूजकर कुप्पा हो गया था .
मनीष कुछ कहने ही वाला था की पीछे से सिक्युरिटी सायरन की आवाज सुनाई दी और उनकी कार के पीछे एक जीप आकर रुक गयी ..और पलक झपकते ही उसमे से एक इंस्पेक्टर निकल कर उनकी खिड़की के बाहर खड़ा था ..
दोनों ने मन ही मन सोचा की ये कौनसी मुसीबत आ गयी है अब ..सारा मजा खराब कर के रख दिया ..
दिव्या को अपनी छातियाँ छुपाने का भी मौका नहीं मिल पाया था जिसकी वजह से बाहर खड़े इन्स्पेक्टर की आँखे बाहर निकलने जैसी हो गयी थी ..उसने शायद इतनी गोरी और भरी हुई लड़की आज तक नहीं देखि थी ..
उसने खींसे निपोरते हुए मनीष से कहा : "चलो जी …निकलो बाहर …”
दिव्या ने जल्दी से साईड में पड़ी हुई शर्ट को उठाया और उससे अपनी छाती ढक ली ..ब्रा और शर्ट को प्रोपर तरीके से पहनने का समय नहीं था ..
मनीष ने गाडी का शीशा नीचे किया और इन्स्पेक्टर से बोला : "क्या बात है सर …हम पति-पत्नी है .बस जाते-२ रुक गए थे ..”
इन्स्पेक्टर की आवाज में अचानक कठोरता आ गयी : "साले …चुतिया समझे है के मन्ने …निकल बाहर …”
मनीष ने बहस करनी उचित नहीं समझी और बाहर आ गया ..जीप में से निकल कर एक हवालदार भी वहां पहुँच गया ..
इन्स्पेक्टर : "और अपनी छमिया को भी बोल बाहर निकले ..”
मनीष : "सर …मैंने कहा न वो मेरी पत्नी है …”
मकान की मरम्मत और सफाई के लिए उसने पिताजी से पांच लाख रूपए लिए और दिव्या को अपनी स्कोडा कार में लेकर वो गाँव की तरफ चल दिया ..
शहर से उनके गाँव का रास्ता करीब 6 घंटे का था ..और रास्ते में पहाड़ियां और जंगल भी थे और हलकी बारिश ने मौसम को रोमांटिक भी बना दिया था ..दिव्या बहुत खुश थी , आज पहली बार वो इस तरह से अपने पति के साथ अकेले कहीं जा रही थी ..और वो भी पुरे 15 दिनों के लिए ..
उसने जींस की शर्ट और पेंट पहनी हुई थी . जिसमे वो काफी सेक्सी लग रही थी .
मनीष ने उसे प्यार से देखा तो दिव्या बोली : "ऐसे क्यों देख रहे हो …इरादा क्या है ..”
ये बात उसने जान बूझकर बोली थी ..क्योंकि इरादे तो उसके बेईमान हो रहे थे, इतने सेक्सी मौसम में ..
मनीष : "अभी तक तो नेक ही थे ..पर अब खतरनाक हो रहे हैं ..”
दिव्या : "आन हांन… ..दिख रहा है …सब ..कितने खतरनाक हो रहे हैं ..”
उसकी तेज निगाहों ने मनीष की पेंट में बन रहे टेंट की तरफ इशारा किया ..
सड़क बिलकुल सुनसान थी ..हलकी बूंदा बंदी हो रही थी ..मनीष ने अपनी कार सड़क से उतार कर जंगल में डाल दी ..और घने पेड़ों के बीचो बीच पहुंचकर कार रोक दी .
आज उसका मन भी वाइल्ड तरीके से चुदाई करने का था .
और दिव्या की तो ये एक फेंतासी थी ..खुले आसमान के नीचे नंगे होकर चुदाई करवाना ..और आज उसका ये सपना सच होता दिख रहा था ..इसलिए जैसे ही मनीष ने कार रोकी, वो उछलकर उसकी गोद में चढ़ गयी और बुरी तरह से उसके होंठों को चूसने लगी .
आनन् फानन में ही दिव्या की शर्ट और ब्रा निकाल फेंकी मनीष ने और उसके स्वर्ण कलश जैसे मुम्मों पर अपने दांतों की तेज धार से टेटू बनाने लगा ..
उसके गोरे जिस्म पर दांतों के लाल निशान चमकने लगे ..और वो जोर-२ से सिस्कारियां लेकर मनीष के सर को अपनी छाती पर दबाने लगी ..
”उम्म्म्म्म्म्म्म येस्स्स्स ….काटो …..खा जाओ …..मुझे ….ये ब्रैस्ट …तुम्हारे लिए ही हैं …खाओ ..इन्हें ..काटो ….और तेज ….उम्म्म्म …..अह्ह्ह्ह्ह ……नाआअन्न्न्न ……यहाँ ….नहीं ……..”
आवेश में आकर मनीष ने उसके निप्पल को अपने दांतों के बीच फंसा कर इतनी जोर से बाहर की तरफ खींचा जैसे वो उन्हें छाती से निकाल ही लेना चाहता हो ..दिव्या दर्द से बिलबिला उठी ..
”ऐसे भी कोई करता है क्या ..जानवर बन जाते हो तुम तो कभी – २ ….” उसकी आँखों से आंसू बह रहे थे ..निप्पल सूजकर कुप्पा हो गया था .
मनीष कुछ कहने ही वाला था की पीछे से सिक्युरिटी सायरन की आवाज सुनाई दी और उनकी कार के पीछे एक जीप आकर रुक गयी ..और पलक झपकते ही उसमे से एक इंस्पेक्टर निकल कर उनकी खिड़की के बाहर खड़ा था ..
दोनों ने मन ही मन सोचा की ये कौनसी मुसीबत आ गयी है अब ..सारा मजा खराब कर के रख दिया ..
दिव्या को अपनी छातियाँ छुपाने का भी मौका नहीं मिल पाया था जिसकी वजह से बाहर खड़े इन्स्पेक्टर की आँखे बाहर निकलने जैसी हो गयी थी ..उसने शायद इतनी गोरी और भरी हुई लड़की आज तक नहीं देखि थी ..
उसने खींसे निपोरते हुए मनीष से कहा : "चलो जी …निकलो बाहर …”
दिव्या ने जल्दी से साईड में पड़ी हुई शर्ट को उठाया और उससे अपनी छाती ढक ली ..ब्रा और शर्ट को प्रोपर तरीके से पहनने का समय नहीं था ..
मनीष ने गाडी का शीशा नीचे किया और इन्स्पेक्टर से बोला : "क्या बात है सर …हम पति-पत्नी है .बस जाते-२ रुक गए थे ..”
इन्स्पेक्टर की आवाज में अचानक कठोरता आ गयी : "साले …चुतिया समझे है के मन्ने …निकल बाहर …”
मनीष ने बहस करनी उचित नहीं समझी और बाहर आ गया ..जीप में से निकल कर एक हवालदार भी वहां पहुँच गया ..
इन्स्पेक्टर : "और अपनी छमिया को भी बोल बाहर निकले ..”
मनीष : "सर …मैंने कहा न वो मेरी पत्नी है …”