19-03-2019, 10:44 AM
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मनीष ने जब से होश संभाला था वो जुआ खेलने में लग गया था ..उसके गाँव के दोस्तों ने उसकी जवानी के शुरू के साल जुआ सिखाने और खिलाने में ही बर्बाद कर दिए , उसका मन किसी और काम में लगता ही नहीं था ..उसके पिता के पास एक आलिशान कोठी और बहुत जमीन थी . और उसकी देखभाल और जुताई के लिए उन्होंने दुसरे लोग रखे हुए थे क्योंकि उनका खुद का बेटा तो हमेशा गलत संगत में ही रहता था और उसके जिम्मे कोई भी काम छोड़ना घाटे का सौदा था ..
मनीष के पिता की उम्र हो चुकी थी ..वो हमेशा चिंता में रहते थे की उनके बाद इतनी जमीन की देखभाल मनीष कैसे करेगा ..तभी एक दिन जैसे ऊपर वाला उनपर मेहरबान हो गया ..उनके खेत की जमीन गाँव की मेन सड़क के पास थी और वहां पर एक हाईवे प्रोजेक्ट शुरू होने की वजह से सरकार ने उनकी जमीन मुंह मांगे दाम पर खरीद ली ..तकरीबन आठ करोड़ रूपए मिले उन्हें मुवावजे के रूप में ..जो उनकी पुश्तों के लिए बहुत थे ..
मनीष के पिताजी शहर जाकर बस गए और ट्रेक्टर पार्ट्स की फेक्ट्री दाल दी और आलिशान बंगले में शान से रहने लगे .
उन्होंने एक अच्छे से घर में मनीष की शादी भी कर दी .
लड़की का नाम था दिव्या ..
जैसा नाम था वैसा ही उसका व्यक्तित्व ..जो उसे एक बार देख ले पल्कें झपकाना भूल जाए ..जैसी वो साऊथ की एक हिरोइन है तापसी पन्नू ..ठीक वैसी ही थी वो भी . साथ ही पड़ी – लिखी , समझदार भी.
शादी के बाद मनीष ने एक – दो हफ्ते तो दिव्या की अच्छे से चुदाई की ..पर जब उसने रात-२ भर घर से गायब रहना शुरू कर दिया उसे जल्दी ही पता चल गया था की उसका पति निकम्मा है ,वो तो बस सरकार से मिले रूपए थे जो उसके पिताजी एक बिज़नस चला रहे थे और उसे ये पता चलते भी देर नहीं लगी की उसे जुए की लत है ..अपने पिता से मिलने वाले पैसों को वो जुए में उड़ा देता था .
दिव्या ने जो सपने संजोय थे अपनी शादी और अपने पति के लिए वो सब चकनाचूर हो गए थे . वो चाहती थी की उसे एक प्यार करने वाला पति मिले, जो उसकी और उसके शरीर की हर इच्छा पूरी करे, पर ऐसा होता दिख नहीं रहा था ..
और अब दो हफ्ते की चुदाई के बाद उसकी चूत को जैसे लंड खाने की भूख सी लग गयी थी ..वैसे ये सच भी है, एक बार जब चुदाई शुरू हो जाती है तो चूत कसमसाती रहती है ..पर दिव्या के नसीब में मनीष की बेरुखी लिखी थी .
दिवाली आने वाली थी , ये समय ऐसा होता है जब हर जुवारी के मन में दिवाली से ज्यादा जुए की ललक होती है ..यूँ तो ऐसे लोग पूरा साल भी जुआ खेलते है, पर दिवाली तो जैसे इनके लिए कोई ओलिंपिक खेलो के आयोजन जैसा होता है, रात दिन अय्याशी चलती है ..और यही हाल मनीष का भी था , दिवाली को अभी 15 दिन बाकी थे जब वो पूरा दिन और रात घर नहीं लोटा, दिव्या ने झिझकते -२ अपने ससुर से बात की , और उन्होंने दिव्या को यकीन दिलाया की जल्दी ही इसका कोई उपाय निकालेंगे ..
अगले दिन जब मनीष जुए में हार कर लुटा-पिटा सा वापिस आया तो उसके पिता ने उसकी खूब खिंचाई की और उसके जिम्मे एक काम सौंप दिया .
उन्होंने उसे कहा की गाँव जाए अपने पुश्तेनी घर की साफ़ सफाई और पुताई करवा दे ..और दिवाली तक वहीँ रहे ..और दिव्या को भी साथ ले जाए ताकि वो भी उनका गाँव देख सके .
मनीष के पिता की उम्र हो चुकी थी ..वो हमेशा चिंता में रहते थे की उनके बाद इतनी जमीन की देखभाल मनीष कैसे करेगा ..तभी एक दिन जैसे ऊपर वाला उनपर मेहरबान हो गया ..उनके खेत की जमीन गाँव की मेन सड़क के पास थी और वहां पर एक हाईवे प्रोजेक्ट शुरू होने की वजह से सरकार ने उनकी जमीन मुंह मांगे दाम पर खरीद ली ..तकरीबन आठ करोड़ रूपए मिले उन्हें मुवावजे के रूप में ..जो उनकी पुश्तों के लिए बहुत थे ..
मनीष के पिताजी शहर जाकर बस गए और ट्रेक्टर पार्ट्स की फेक्ट्री दाल दी और आलिशान बंगले में शान से रहने लगे .
उन्होंने एक अच्छे से घर में मनीष की शादी भी कर दी .
लड़की का नाम था दिव्या ..
जैसा नाम था वैसा ही उसका व्यक्तित्व ..जो उसे एक बार देख ले पल्कें झपकाना भूल जाए ..जैसी वो साऊथ की एक हिरोइन है तापसी पन्नू ..ठीक वैसी ही थी वो भी . साथ ही पड़ी – लिखी , समझदार भी.
शादी के बाद मनीष ने एक – दो हफ्ते तो दिव्या की अच्छे से चुदाई की ..पर जब उसने रात-२ भर घर से गायब रहना शुरू कर दिया उसे जल्दी ही पता चल गया था की उसका पति निकम्मा है ,वो तो बस सरकार से मिले रूपए थे जो उसके पिताजी एक बिज़नस चला रहे थे और उसे ये पता चलते भी देर नहीं लगी की उसे जुए की लत है ..अपने पिता से मिलने वाले पैसों को वो जुए में उड़ा देता था .
दिव्या ने जो सपने संजोय थे अपनी शादी और अपने पति के लिए वो सब चकनाचूर हो गए थे . वो चाहती थी की उसे एक प्यार करने वाला पति मिले, जो उसकी और उसके शरीर की हर इच्छा पूरी करे, पर ऐसा होता दिख नहीं रहा था ..
और अब दो हफ्ते की चुदाई के बाद उसकी चूत को जैसे लंड खाने की भूख सी लग गयी थी ..वैसे ये सच भी है, एक बार जब चुदाई शुरू हो जाती है तो चूत कसमसाती रहती है ..पर दिव्या के नसीब में मनीष की बेरुखी लिखी थी .
दिवाली आने वाली थी , ये समय ऐसा होता है जब हर जुवारी के मन में दिवाली से ज्यादा जुए की ललक होती है ..यूँ तो ऐसे लोग पूरा साल भी जुआ खेलते है, पर दिवाली तो जैसे इनके लिए कोई ओलिंपिक खेलो के आयोजन जैसा होता है, रात दिन अय्याशी चलती है ..और यही हाल मनीष का भी था , दिवाली को अभी 15 दिन बाकी थे जब वो पूरा दिन और रात घर नहीं लोटा, दिव्या ने झिझकते -२ अपने ससुर से बात की , और उन्होंने दिव्या को यकीन दिलाया की जल्दी ही इसका कोई उपाय निकालेंगे ..
अगले दिन जब मनीष जुए में हार कर लुटा-पिटा सा वापिस आया तो उसके पिता ने उसकी खूब खिंचाई की और उसके जिम्मे एक काम सौंप दिया .
उन्होंने उसे कहा की गाँव जाए अपने पुश्तेनी घर की साफ़ सफाई और पुताई करवा दे ..और दिवाली तक वहीँ रहे ..और दिव्या को भी साथ ले जाए ताकि वो भी उनका गाँव देख सके .