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अजीब दुनिया ।
#17
शिल्पा का दिल जैसे टूट गया । उस रात में को हुए उसे वो एक बहुत प्यारा अनुभव समझी थी लेकिन अब उसके लिए वो टूटा हुए सपना से कम नहीं था। पूरा दिन गुमसुम में चला गया। शिल्पा पूरे दिन रोइ और दुखी रही । अगली सुबह बैंक में पहुंची तो मदारी को सामने पाया । मदारी की आंखे नीची थी । शिल्पा का जी किया कि मदारी के होठ को चूम ले लेकिन मदारी का नाकाम प्यार उसके दिमाग में ज्वालामुखी का काम कर गया। शिल्पा अंदर चली गई । मदारी और शिल्पा के बीच अब वो बात नहीं रही । शिल्पा और मदारी ही आज दफ्तर में थे क्योंकि मंजू अभी भी छुट्टी पे था ।

शिल्पा अपने काम में बिजी थी। मदारी भी काम करने लगा । शिल्पा का ज्यादा मन नहीं लगा इसीलिए वो समय से पहले ही दफ्तर से निकल गई। घर पहुंचते ही शिल्पा ला मन अभी भी दुखी था । शिल्पा घर से बाहर थोड़े दूर एक खुले मैदान में आ पहुंची । वहा के कुदरती नज़ारे देखने लगी । चलते चलते शिल्पा नदी के पास आ पहुंची । नदी के आस पास कोई नहीं था सिवाय एक बुजुर्ग आदमी के । वो बुजुर्ग आदमी नदी पे जाल फेकता हुआ मछली पकड़ने को कोशिश कर रहा था । गंजा सफेद बाल और काला शरीर उमर करीब 80 साल की । वजन में थोड़ा भारी । ठंडी की मौसम में ठंडे पानी से मछली निकाल रहा था। नदी के किनारे उसका रेडियो चल रहा था। पुराने जमाने के गाने और खुद हड़बड करता हुआ मस्त मनमौजी की तरह काम किए का रहा था । कुछ देर मछली निकालने के बाद वो बाहर आया और शिल्पा को देखा । शिल्पा जो एक जवान और बेहद आकर्षित महिला है जिसे देखने वाला खुद को देखने से रोक ना सके । उस बुड्ढे की भी यही हालत थी । शिल्पा से अपनी नज़रे हता नहीं पा रहा था । बाहर निकलकर शिल्पा के पास पहुंचा ।


[Image: Bruno-Iwoha.jpg]


"अरे गोरी तुम तो दफ्तर मालकिन हो ना ?"

"जी आप कौन ?"

"मै। उसी दफ्तर में काम करनेवाला मंजू का ससुर हूं । यह इसी गांव में रहता हूं। आज पहली बार देख रहा हूं। ।"

"हा बस थोड़ा घूमने आई थी ।"

"अरे गोरी परदेसी तुझे मछली चाहिए ?"

"नहीं इसकी मुझे जरूरत नहीं ।"

"था कि नदी बड़ी है और मछली बिल्कुल ताज़ा और स्वादिष्ट ले को परदेसी ।"

"नहीं मैं नहीं लेना चाहती ।"

"ठीक है गोरी परदेसी चलता हूं। " वो बुजुर्ग वहा से चला गया ।


शिल्पा अपने घर की तरफ पहुंची । दोपहर के 2 बजे । सरजू घर वापिस आया। शिल्पा को को बगीचे में देख पूछा "सब ठीक तो है ना मेमसाब ? आप जल्दी घर आ गई ।"

"हा वो बस मन नहीं लग रहा था । वैसे कल छुट्टी है । तुम्हे पता है ना ?"

"हा पता है कल रविवार की छुट्टी थी और आनेवाले कल वैसे ही छुट्टी । मजे ही मजे मेमसाब ।" सरजू खुश होता हुआ अंदर गया ।

शिल्पा ने खाना खाया। खाना खाने वो अपने कमरे गई थी कि मंजू की पत्नी सरला का कॉल आया ।

"हेल्लो सरला ।"

"नमस्ते मेमसाब । कैसी है आप ?"

"ठीक हूं । आप बताइए ।"

"बस अभी शहर से आईं । वैसे मेमसाब शाम को क्या कर रही है आप ?"

"कुछ नहीं । क्यों क्या हुआ ?"

"चलिए मेमसाब मिलते है । आप मेरे घर आइए ना । बातचीत करेंगे थोड़ा मिल भी लेंगे ।"

"ठीक है पक्का । आज मैं आ रही हू ।"

सरजू बाहर गार्डन में बैठा । सरजू सब्जी काट रहा था । सरजू शिल्पा की ओर देखते हुए कहा "आपको पता है मेमसाब यहां एक बड़ा त्योहार आनेवाला है ।"

"कोन सा त्योहार मुझे नहीं पता ।"

"इस गांव का त्योहार है । एक वक़्त था जब गांव में बहुत बड़ा भूकंप आया था । करीब 60 लोग घायल हो गए थे । उनकी परिस्थिति बहुत नाज़ुक हो हुई थी। मौत का बुलावा कभी भी आ सकता था। ऐसे वक़्त में किसी के पास पैसे नहीं थे अपना इलाज करवाने का और तो और अपने घर की मरम्मत करवाने का । तो था के ठाकुर साहब ने अपना घर जिधर अभी हम रह रहे है उसे अंग्रेजो के हवाले कर दिया। अंग्रेजो से ये घर और तीन बड़े घर की खरीद लिया । उन पैसों ने ठाकुर ने सबकी जान बचाई और तो और सबका घर वापिस बनवाया । आज उनका खनादन विदेश में रहता है लेकिन उनकी याद में ये त्योहार मनाया जाता है ।"

"इस त्योहार में होता क्या है ?"

"इस त्योहार में अपने परिवार के साथ ठाकुर की हवेली जो अब खंडर हो चुकी है उसकी पूजा करके गांव के जंगल में पूजा के समान को रख देते है । इस त्योहार में ये खास बात है कि इस दिन जो जिसकी जान बचाता है समझो उसका संबंध बहुत मजबूत है । मतलब अगर आप किसी अंजान कि भी जान बचा ले तो समझो आपका और उसका रिश्ता बन गया ।"

"ये क्या बकवास है ?"

"सच्ची । इसका फायदा ये हुआ कि उसे ठाकुर की गांव के किनारे पड़ी दूरी हवेली मिल जाएगी जिसकी कीमत बहुत अच्छी है और तो और तो अच्छे कामों में एक अच्छा काम हो जाएगा । मदारी ने बताया ही होगा कि अगर अच्छे काम किया और कैसी की ज़िन्दगी बदली तो हवेली का रहस्यमय खजाना उस आदमी का ।"

"वैसे तुमने कोशिश की ?"

"हां की लेकिन कोई ऐसा मिला नहीं जिसकी मदद या फिर ज़िन्दगी बचा सकुं ।"

"सब लोग मौका ढूंढ़ रहे है । लेकिन किसी के हाथ कुछ नहीं लगा ।" शिल्पा ने हस्ते हुए कहा ।

"इस गांव में एक आदमी है जिसने एक अच्छा काम किया है वो है एक कि ज़िन्दगी बदलके ।"

"कौन है वो और क्या किया उसने ?"

"उसका नाम नटवर है । अरे वो मंजू का ससुर । उस आदमी ने एक गरीब लड़की जिसका कोई नहीं था उसके लिए अपना एक हिस्से का ज़मीन बेचकर उसे पाला पोसा और यहां ही उसकी शादी करवाई । तुम जानती हो ? मंजू की पत्नी उसकी असल बेटी नहीं है । नटवर ने उसे अपने घर पनाह दी और रोज दिन रात उसे किसी चीज की कमी नहीं होने दी । नटवर की पत्नी दरअसल बांज थी और बच्चे पैदा नहीं कर सकती थी । नटवर ने अपनी पत्नी का दिल रखने के लिए सरला भाभी को गोद लिया। धीरे धीरे सलिला भाभी और नटवर के रिश्ते अच्छे होते गए। नटवर ने उसे अपनी बेटी मान लिया। एक दिन सरला के असली घरवाले आए और नटवर को पता चला कि वो उसे बेचकर आए थे कोठे पर। नटवर ने साफ साफ मना कर दिया कि सरला उसके साथ रहेगी । पंचायत बैठी और पंचायत में नटवर ने ज़मीन का बड़ा bissade दिया सरला के घरवाले को ।"

"कैसे लोग है अपनी बेटी को बेचा ?"

"सही कहा मेमसाब बड़े बेकार लोग थे वो । नटवर जानता था कि अगर सरला को उसके घरवाले को दिया तो ज़िन्दगी सरला की बर्बाद । सरला के लिए खुद गरीब बन जाने को तैयार था लेकिन नटवर सरला को नरक नहीं भेजना चाहता था । इसीलिए ।"

"कितने दयालु और दिल के साफ इंसान है नटवर ।" शिल्पा के मन में नटवर के लिए इज्जत बढ़ गई ।

"नटवर की पत्नी तो 30 साल पहले मर गई । सरला की शादी मंजू से इसी गांव में करवाई ।मंजू वैसे खुद गरीब था। सरला से शादी करवाके दोनो की ज़िन्दगी बदल दी । बस नटवर ने एक को मारने से नहीं बचाया यही काम बाकी है उसके बाद पूरा खजाना उसका लेकिन अब इस बुढ़ापे ने वो किसको बचाएगा ।"

शाम का वक्त था और शिल्पा सरला के घर गई । दोनों में खूब बातचीत हुई ।

"वैसे सरला अकेले ऊब नहीं जाती हो ?"

"अब क्या करे मेमसाब । वैसे भी ज़िन्दगी है जीना तो पड़ेगा ही ।"

"वैसे कितने बच्चे है तुम्हारे ?"

"दो बच्चे है । एक बेटा और बेटी । बेटी की तो शादी हो गई और बेटा भी शादी करके दिल्ली में सरकारी दफ्तर ने चपरासी है । अपनी पत्नी और बच्चे से साथ रहता है ।"

"आप दिल्ली गई थी क्या ?"

"हा वहा ही गई थी अपने पोतो को देख मन खुश हो गया ।"

तभी नटवर आया । नटवर के आते ही सरला ने उसके हाथ से सामान लिया और रसोई में रखके पानी पिलाया । नटवर शिल्पा को देखते ही बोला "नमस्कार मेमसाब । कैसी है आप ?"

शिल्पा मुस्कुराते हुए बोली "जी बिल्कुल ठीक हूं ।"

सरला पूछी "आप जानते है इनको बाबूजी ?"

"अरे हां आज ही मिले थे । हमको तो लगा कि कौन बम्बई से हीरोइन आईं है ?"

शिल्पा मुस्कुरा दी । अपनी तारीफ सबके थोड़ा शरमाई ।

"शिल्पा मेमसाब बुरा मत मानना । वैसे बाबूजी थोड़ा खुलकर बोलने वालो में से है ।"

"देखो शिल्पा मुझे को लगा मैंने कह दिया । अब खूबसूरत को ख़ूबसूरत नहीं कहूं तो क्या कहूं ?"

"शुक्रिया ।" शिल्पा बोली ।

"वैसे शिल्पा इस बेजान जिंदगी में तुमने जान डाल दी । अब तुमको देखकर मरने से कोई डर नहीं । क्या सुन्दर हो तुम ।"

नटवर के दिल में शिल्पा की खूबसूरती का नशा छा गया । बुड्ढा भले ही है लेकिन दिलेर है। दिल की बात बता ही देता है ।

"बाबूजी आपसे एक बात कहनी है ।"

पानी पीते हुए बोला "हां बोलो ।"

"अपना पैसा बैंक में रख दो ना ।"

"नहीं मुझे भरोसा नहीं बैंक पे । वैसे भी पैसे सुरक्षित है । ज्यादा पैसे थोड़ी ना मेरे पास बस 60000 ही तो है ।"

"कोई चोरी कर सकता है ।'

"देखो सरला ......"

शिल्पा ने बीच में बोली "देखिए नटवर जी बैंक में अगर आप पैसा डालेंगे तो पैसे सुरक्षित तो रहेंगे ही साथ ही साथ ब्याज भी आपको अलग से मिलता रहेगा ।"

"ब्याज मुझे मिलेगा ? ये कैसा हो सकता है ।"

"बैंक साल का 6 टका ब्याज देगा । मतलब पैसे भी सुरक्षित और बैंक में होने से बढ़ेंगे भी ।"

"बात तो तेरी सही लग रही है लेकिन चल अगर तेरी बात सही भी hhibto कैसे बैंक में खाता लगाऊं मैं ?"

"मैं मदद करूंगी ।"

"तुम मदद करोगी ?"

"हां ।"

"तो ठीक है मैं इस बात को सही मान लेटा हूं ।"

सरला थोड़ा हैरान होकर पूछी "क्या बात है बाबूजी मेरी बात नहीं लेकिन एक बार में ही शिल्पा मेमसाब की बात मान गए ?"

"अरे खूबसूरत परी है । अगर कह से की आग निगल जाओ तो वो भी निगल जाऊ ।" नटवर खुलकर शिल्पा को लाइन मार रहा था ।

"बाबूजी मै अभी आती हूं ।" सरला कुछ सामान लेने चली गई । नटवर शिल्पा को देखते हुए बोला "वैसे शिल्पा मेरी बात का बुरा मत मानना ।"

"किस बात का बुरा मुझे लगा ?"

"नहीं वो बातो बातो में तुम्हारी तारीफ करना खुलकर अगर बुरा लगा हो तो माफ़ कर देना ।"

शिल्पा हस्ते हुए बोली "मुझे किसी भी बात का बुरा नहीं लगा ।"

"तो फिर ठीक है क्योंकि तुम हो ही इतनी खूबसूरत की मुझसे रहा नहीं जाता। आखिर इस बुढ़ापे कि उमर तक कोई दिल्ली नहीं ऐसी मुझे । मुझे तो सच में तुम्हारी खूबसूरती पसंद आ गई ।"

ना जाने क्यों नटवर जैसे बुड्ढे के मुंह से तारीफ सुनकर शिल्पा उत्तेजित होने लगी। पहली बार कोई इतना सटीग बोलने वाला आदमी मिला उसे।

"सिर्फ खूबसूरती ही ना ? उम्मीद है और कुछ नहीं ।" अब शिल्पा खुलकर नटवर से बात करने लगी ।

"मुझे तो तुम भी पसंद आ गई ।"

"आप भी ना मजाक करते है ।" शिल्पा अपने बाल के लट को ठीक करते हुए ।

"वैसे सच कहूं तो तुम वैसे मुझसे बहुत ज्यादा छोटी हो उमर में यूं कहो तो बेटी के उमर की । अपने से छोटों को बेटा बेटी मानता हूं लेकिन कसम से तुमको बेटी नहीं बुला सकता मै । तुम शिल्पा हो मेरे लिए । तुमको देखकर आशिक़ मिजाज जाग जाता है ।"

सरला वापिस आती है और नटवर दूसरे कमरे में जाता है । नटवर की सारी बाते शिल्पा को अंदर से गरम किए जा रही थी । नटवर छुपकर शिल्पा को बिहार रहा था। उसकी नजर शिल्पा के कितने पेट और स्तन पे गड़े हुए थे । शिल्पा की कमर को देख नटवर अपनी मुट्ठी बंद करते हुए दांत पीसने लगा । शिल्पा की कातिल जवानी उसे मारे जा रही थी ।


[Image: Katrina-Kaif-promoting-Bharat-in-2019.jpg]
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नटवर को 40 साल बाद किसी ने इस क़दर पागल किया । नटवर और मदारी में एक फर्क है । मदारी अभी भी सही या गलत का चुनाव नहीं कर सकता और नटवर का दिल जो करे बस वहीं करता है । नटवर के दिल ने कहा कि शिल्पा को अपने दिल की बात बता दे । इन सभी कश्मकश में वक़्त गुजार गया । शिल्पा को भी घर जाना चाहिए ऐसा उसे लग रहा था ।

"चलिए सरला जी मुझे अब चलना चाहिए । तीन घंटे कैसे गुजर गए पता ही नहीं चला।"

"सही कहा मेमसाब मुझे कितना मज़ा आया बात करके इसका अंदाज़ा आपको नहीं । चलिए मेमसाब आपको घर तक छोड़ देती हूं ।"

नटवर तुरंत आ पहुंचा और बोला "मैं हूं ना । शिल्पा को घर तक पहुंचा दूंगा । सरला तुम्हे घर का काम करना चाहिए ।" नटवर ने सरला को इशारा करते हुए कहा।

सरला समझ गई कि बाबूजी शिल्पा के साथ कुछ बात करना चाहते है इसीलिए मान गई । शिल्पा और नटवर घर से बाहर निकले।

"वैसे वो बैंक वाली बात मुझे अब सही लग रही है ।"

"अच्छा ? तो कब अपना खाता खुलवाएंगे ?"

"कल ही कर देता हूं ।"

"कल बैंक बंद है । एक काम करिए आप मंगलवार को आ जाइए ।"

"अरे कमाल करती हो शिल्पा। तुम बैंक को चलती को बैंक तुमको नहीं । कल करने ने जाता क्या है ? काग़ज़ तुम्हारे पास ही होगा ना ?"

"हा लेकिन ।"

"अब जितनी जल्दी ये काम और झंझट पूरा हो उतना अच्छा है ।"

"अच्छा ठीक है तो कल मै आपका फॉर्म भरवा दूंगी । कब भरवाना है ?"

"कल दोपहर कोमेरे घर ।"

"आपके घर ?"

"क्यों कोई समस्या है क्या ?"

"नहीं लेकिन दोपहर ?"

"अरे दोपहर को मैं खेत के काम को निपटाकर आ जाऊंगा ।"

"ठीक है लेकिन आपका घर कहा है ?"

"वो नदी के पास वाला छोटा सा घर है ना ? उधर। "

"ठीक है कल मैं ना आ पाई तो मंजू को भिजवा दूंगी ।"

"नहीं सिर्फ तुम आओगी । बात मैंने तुम्हारी मनी है तो तुम ही आओगी ।"

"लेकिन......."

"लेकिन कुछ नहीं । सिर्फ तुम ही आना । तुम्हारी राह देखूंगा ।" नटवर शिल्पा को देखते हुए कहा।

शिल्पा भी बात मान गई और घर भी आ गया । शिल्पा और नटवर अलग हुए । नटवर कल दोपहर का बेसब्री से इंतज़ार करने लगा । शिल्पा के साथ अकेले और सुनसान जगह वक़्त बिताने को जो मिलेगा ।
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अजीब दुनिया । - by Basic - 20-11-2020, 04:16 PM
RE: अजीब दुनिया । - by Basic - 01-12-2020, 03:51 PM



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